हार के बाद मिली जीत का मजा ही कुछ और होता है- निहारिका यादव

लेखक -पारुल 

डा. निहारिका यादव

सुपर बाइकर

अगर मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं. इस का उदाहरण हैं डा. निहारिका यादव, जो न सिर्फ डैंटिस्ट हैं, बल्कि पुरुषों के वर्चस्व वाले खेल बाइक रेसिंग में भी पुरुषों को टक्कर देती हैं. ऐक्सीडैंट में दायां हाथ लगभग खराब होने के बावजूद उन का रेसिंग के प्रति जनून कम नहीं हुआ, क्योंकि वे मानती हैं कि जो चुनौतियों के साथ जीना सीख लेते हैं उन्हें जिंदगी मुश्किल नहीं, बल्कि खूबसूरत नजर आती है. निहारिका उन महिलाओं के लिए किसी मिसाल से कम नहीं हैं, जो छोटीछोटी चुनौतियों के सामने घुटने टेक कर हार मान लेती हैं. उन्होंने महिलाओं को यह प्रेरणा दी कि यदि कभी शरीर का कोई अंग आप का साथ न दे तो उसे अपनी नियति मान कर न बैठें, बल्कि उस स्थिति से उबर कर अपनी नई पहचान बनाने के रास्ते पर विचार करें. पेश हैं, डा. निहारिका से हुई बातचीत के कुछ खास अंश:

सवाल- मेल डौमिनेटिंग सोसाइटी होने के बावजूद आप बाइक रेसिंग में पुरुषों को ही चुनौती देती हैं. यह जज्बा आप में कहां से आया?

मैं 6 साल से रेसिंग में हूं और मेरी प्रेरणा बुद्ध इंटरनैशनल सर्किट के राइडर्स हैं. जब मैं पहली बार वहां गई और मैं ने उन्हें राइड करते देखा तो मुझे उन से प्रेरणा मिली. मेरे अंदर जो जनून है वह उन के साथ काम व प्रैक्टिस कर के आया. मैं ने कभी इस स्पोर्ट को मेल डौमिनेटिंग स्पोर्ट की तरह नहीं देखा. मैं पुरुषों को टक्कर देते हुए रेस करती हूं. भारत में 1000 सीसी बाइक को रेस करने वाली महिलाएं नहीं हैं. जब मैं पुरुषों के साथ रेस करती हूं तो मुझे काफी कौन्फिडैंस मिलता है और सक्सैस के लिए और मेहनत करती हूं. ऐक्सीडैंट में दायां हाथ 50% खराब होने के बावजूद आप बाइक स्पोर्ट्स को कैसे जारी रख पा रही हैं

ये भी पढ़ें- लोग कहते थे मैं बड़ा काम नहीं कर सकती- अनीता डोंगरे

सवाल- आप के कैरियर पर इस का इफैक्ट पड़ा क्या?

2005 में मेरा कार ऐक्सीडैंट हुआ था, जिस में मेरे दाएं हाथ का 50% मूवमैंट चला गया था. उस के बाद मुझे लगा कि लाइफ में जीने का जो असल में ऐेक्साइटमैंट होता है वह किसी बड़े हादसे के बाद ही आता है. अत: इस हादसे ने मेरे हौसले को और बढ़ा कर लाइफ की और रिस्पैक्ट करना सिखाया.

हां, सुपर बाइकर बनने में मुझे कुछ चुनौतियां आईं, क्योंकि आप जानते हैं कि थ्रोटल राइट साइड पर होता है और स्पीड कंट्रोल भी राइट साइड से होता है. ऐसे में मुझे जब बाइक को लीन करना होता है, कौर्नर करना होता है तब थोड़ी दिक्कत आती है, क्योंकि मैं अपना पूरा हाथ मोड़ नहीं पाती. लेकिन मेरा मानना है कि जब आप की लाइफ में चुनौतियां आती हैं तो आप उन के समाधान भी ढूंढ़ लेते हैं. मैं ने भी तरीके ढूंढ़ लिए हैं.

 सवाल- डैंटिस्ट और बाइकर होते हुए खुद को कैसे फिट रखती हैं?

रेसर और डाक्टर होना दोनों मेरे लिए काफी महत्त्व रखते हैं. जब मैं बतौर डाक्टर मरीजों से मिलती हूं, तो उन की तकलीफों को अपना मान कर उन के दर्द दूर करती हूं. मैं खुद को उन से इमोशनली जुड़ा महसूस करती हूं, जो मुझे सुकून पहुंचाता है. वहीं एक रेसर के तौर पर मैं खुद को फिट रखने के लिए ऐक्सरसाइज व जिम करती हूं, हर महीने ट्रैक पर जा कर प्रैक्टिस करती हूं ताकि अपना स्टैमिना बढ़ा सकूं.

 सवाल- अपनी जर्नी के बारे में बताएं?

मैं डैंटल सर्जन हूं. गुड़गांव में प्राइवेट क्लीनिक चलाती हूं, साथ ही बाइक रेसर भी हूं. मैं ने हाल ही में जेके टायर द्वारा आयोजित 1000 सीसी राष्ट्रीय सुपर बाइक महिला रेसिंग में भी हिस्सा लिया था, जो मेरे लिए किसी चुनौती से कम न था. इस में मेरे लिए माइंड मेकअप करना सब से बड़ा चैलेंज था, लेकिन मेरे कौन्फिडैंस ने मेरी जर्नी को शानदार बना दिया.

 सवाल- बाइक रेस में आप की अधिकतम स्पीड क्या रहती है और किन चीजों पर फोकस रहता है?

डुकाटी पाणिगले 899 सीसी की मेरी रेसिंग बाइक है, जिसे मैं ने 265 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाया है. रेसिंग के दौरान मेरा फोकस कम समय में ट्रैक को कवर करना होता है. इस के लिए मैं निरंतर प्रैक्टिस जारी रखती हूं ताकि अपना बैस्ट दे पाऊं.

ये भी पढ़ें- परिवर्तन की अलख जगाती रूमा देवी

 सवाल- महिलाओं के लिए क्या संदेश देना चाहेंगी?

मैं महिलाओं से कहना चाहूंगी कि लाइफ  में जो भी करें डरें नहीं. आप के सामने जो भी चुनौतियां आएं उन से सीखें और दूसरों को भी प्रेरणा देती रहें. यकीन मानिए हार के बाद मिली जीत का मजा ही कुछ और होता है.

चलना सीख रही हैं कपिल शर्मा की बेटी, फैंस के साथ शेयर किया वीडियो

अपनी हाजिर जवाबी के लिए फेमस कौमेडी किंग कपिल शर्मा एक बार फिर सोशल मीडिया पर छा गए हैं. दरअसल, बीते दिनों कपिल ने अपने फैंस से वाइफ गिन्नी चथरथ की दोबारा प्रैग्नेंसी की खबर को कन्फर्म कर दिया है और बता चुके हैं कि वह दोबारा पापा बनने वाले हैं. हालांकि फैंस अभी भी अनायरा का चेहरा देखने के लिए कपिल से सोशलमीडिया पर फर्माइश करते हैं, जिसके चलते हाल ही में कपिल शर्मा ने अनायरा का एक क्यूट वीडियो फैंस के लिए पोस्ट किया है. आइए आपको दिखाया है खास वीडियो…

फैंस के लिए शेयर किया वीडियो

बीते दिनों #AskKapil सेशन के दौरान कपिल ने ट्विटर पर अपने फैन्स के साथ अपनी बेटी अनायरा का प्यारा सा वीडियो भी पोस्ट किया है, जिसमें अनायरा चलना सीख रही हैं. वहीं फैंस के साथ जैसे ही कपिल ने वीडियो शेयर किया है तब से यह वीडियो फैंस वायरल कर रहे हैं. दरअसल, कपिल शर्मा ने फैन्स ने कपिल से अनायरा के फोटो या वीडियो की मांगी थी, जिसके बाद कपिल ने अनायरा के चलना सीखनेकी एक वीडियो शेयर की.

ये भी पढ़ें- Bigg Boss 14: वीकेंड का वार पर इमोशनल हुए अभिनव शुक्ला, कही शो छोड़ने की बात, जानें क्यों

दोबारा पिता बनने वाले हैं कपिल

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Kapil Sharma (@kapilsharma)

#AskKapil सेशन के दौरान एक फैन ने उनसे सवाल किया था कि क्या ‘द कपिल शर्मा शो’ बंद हो रहा है, जिसका जवाब देते हुए कपिल ने कहा था कि वह अब अपनी वाइफ और फैमिली के साथ वक्त बिताना चाहते हैं. साथ ही यह भी बताया था कि वह दोबारा पिता बनने बनने वाले हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Kapil Sharma (@kapilsharma)

बता दें, काफी समय से एक दूसरे को डेट कर रहे कपिल शर्मा और गिन्नी चथरथ ने 2018 में शादी की थी, जिसके बाद दिसंबर 2019 में उनकी बेटी अनायरा का जन्म हुआ था. वहीं कपिल ने बेटी अनायरा का पहला बर्थडे हाल ही में मनाया था, जिसके बाद से कपिल शर्मा के दोबारा पिता बनने की खबरें सोशलमीडिया पर छा गई थीं.

ये भी पढ़ें- कपिल शर्मा ने दोबारा पिता बनने की खबर पर लगाई मुहर, कही ये बात

Bigg Boss 14: वीकेंड का वार पर इमोशनल हुए अभिनव शुक्ला, कही शो छोड़ने की बात, जानें क्यों

बिग बौस 14 इन दिनों टीआरपी बटोर रहा है, जिसका कारण शो में एंटरटेन करने वाली राखी सावंत को बताया जा रहा है. हालांकि शो में मौजूद घरवाले राखी की इन हरकतों से तंग आ चुके हैं, जिसका असर इस वीकेंड के वार पर दिखने वाला है. दरअसल, इस बार वीकेंड के वार में शो के होस्ट सलमान खान जहां राखी का साथ देते नजर आएंगे तो वहीं रुबीना और अभिनव को डांट लगाते भी नजर आने वाले हैं. वहीं इस डांट के बाद अभिनव शुक्ला एक बड़ा कदम उठाते नजर आएंगे. आइए आपको बताते हैं क्या है मामला…

अभिनव शुक्ला होंगे दुखी

शनिवार यानी आज रात दिखाए जाने वाले वीकेंड के वार में अभिनव शुक्ला अपसेट और इमोशनल होते हुए देखे जाएंगे. दरअसल, अभिनव शो के होस्ट सलमान खान से राखी सावंत के व्यवहार के बारे में बात करने की कोशिश करते हैं, लेकिन सलमान इसमें बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं लेते हैं. वहीं सलमान, राखी को कहते हुए नजर आएंगे कि क्यों आप अभिनव के पीछे पड़ी हैं, जो आपको भाव नही दे रहा है. इसके बाद सलमान, राखी से पूछते हैं, “राखी इस घर की सबसे बड़ी एंटरटेनर हैं. उसका फायदा सबसे ज्यादा किसको हो रहा है?” तब रुबिना कहती हैं, “पूरे घर को.” सलमान ने इसके जवाब में कहा, “तो आप लोग सही हैं या बाकी का घर सही है?”

https://www.youtube.com/watch?v=j_pRx9OEjoQ&feature=emb_logo

अभिनव करता है ये फैसला

सलमान की बात का जवाब देते हुए रुबिना ने कहेंगी कि, “यहां कोई गलत और सही नहीं है.” सलमान ने इसके बाद तेज आवाज में कहते दिखेंगे कि, “यहां हैं! सिर्फ और सिर्फ अभिनव को फायदा हो रहा है.”, जिसका जवाब देते हुए अभिनव हाथ जोड़ते हुए कहेंगे, “ठीक है सर तो मुझे वो फायदा बिल्कुल भी नहीं चाहिए. हाथ जोड़कर सबके सामने कहना चाहता हूं.”

ये भी पढ़ें- कपिल शर्मा ने दोबारा पिता बनने की खबर पर लगाई मुहर, कही ये बात

एंटरटेनमेंट पर अभिनव कहते हैं ये बात

 

View this post on Instagram

 

A post shared by BIGGBOSS 14 (@imkhabri2021)

अभिनव को बीच में रोकते हुए सलमान ने कहेंगे, ” अभिनव, अभिनव, रुको मुझे खत्म तो करने दो पहले, आपको इस तरह से चीजों को लेकर ओवर रिएक्ट करने की जरुरत नहीं है. उल्टी-सीधी बात होती तो हम मुद्दा बनाकर डिस्कस कर लेते.”, जिस पर अभिनव खड़े होकर कहते हैं कि “अगर यह एंटरटेनमेंट है, तो मैं अभी घर जाना चाहता हूं!” वहीं ये बात कहते हुए वह इमोशनल होते हुए नजर आएंगे, जिसे देखकर रुबिना, अभिनव को लगेज रुम में उन्हें गले लगाती हुई नजर आएंगी.

निक्की की लगेगी क्लास

वीकेंड का वार के नए प्रोमो में सलमान और निक्की तंबोली की बातचीत से शुरू होती है, जिसमें सलमान गुस्से में निक्की से पूछते नजर आते हैं, “निक्की, क्या चेंज आया आपमें, तुझमें, तू बोला ही नहीं जा रहा है मुझसे. बावजूद इसके जैसा आप व्यवहार कर रही है. मैं आपसे आप करके बात कर रहा हूं. एक बार समझाया, नहीं समझ आया. दूसरी बार समझाया नहीं समझ आया. तीसरी बार के बाद जाओ भाड़ में.”

 

View this post on Instagram

 

A post shared by ColorsTV (@colorstv)

बता दें, बीते एपिसोड में राखी सावंत, अभिनव शुक्ला को परेशान करने के लिए उनका अंडरवियर फाड़ती नजर आईं थी, जिसके बाद जहां घरवाले राखी को सुनाते हैं तो वहीं शो के बाहर फैंस उनकी इस हरकत को बेशर्मी का नाम दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें- वनराज को भड़काएगी काव्या तो राखी का प्लान होगा कामयाब, अब क्या करेगी अनुपमा

काजल लगाते समय रखें इन बातों का खयाल 

काजल लगाना किसे अच्छा नहीं लगता. ये आंखों को उभारने के साथसाथ आपकी सुंदरता में चारचांद लगाने का काम करता है. सही ही कहा जाता है कि काजल के बिना आंखों का आकर्षण पूरा नहीं माना जाता. लेकिन क्या आप जानती हैं कि आपकी काजल लगाने को लेकर छोटी सी भूल आपके पूरे लुक को बिगाड़ने का काम कर सकती है. ऐसे में जरूरी है आपके लिए उन टिप्स को जानना, जिससे आप अपनी आंखों को ऐसा लुक दे पाएंगी, जिससे लोग आपकी तारीफ किए बिना नहीं थकेंगे.

1. काजल से नो समझौता 

चाहे काजल की बात हो या फिर अन्य किसी ब्यूटी प्रोडक्ट की, कभी भी उसकी क्वालिटी से समझौता नहीं करना चाहिए. क्योंकि इससे एक तो आपका आई मेकअप बिगड़ेगा और दूसरा आंखों को भी नुकसान पहुंच सकता है. इसलिए हमेशा अपनी आंखों की सेंसिटिविटी के हिसाब से ब्रैंडेड काजल को ही खरीदें. मार्केट में आपको हर्बल, जैल बेस्ड, गुलाबखस युक्त , आर्गेनिक काजल मिल जाएंगे, जो आपकी आंखों की केयर करने का काम करेंगे. अगर आपके काजल में केम्फर व आलमंड आयल भी मिला हुआ हो , तो ये आपकी पलकों की ग्रोथ के साथ आपकी आंखों की कोमलता से केयर करने का काम करेगा. इस तरह के काजल लौंग लास्टिंग होने के साथ इनके फैलने का डर नहीं रहता.

ये भी पढ़ें- क्या आप जानती हैं फेशियल औयल के इन फायदों के बारे में

2. आंखों के आसपास की स्किन को साफ करें 

आपने देखा होगा कि बहुत से लोगों के आंखों के आसपास वाली स्किन पर आयल नजर आता है, जो न तो दिखने में अच्छा लगता है और न ही वो लंबे समय तक आपके मेकअप को टिकने देता है. ऐसे में जरूरी है कि जब भी आप आई मेकअप करें तो अपनी स्किन को जरूर क्लीन करें.अगर क्लीन करने के बाद भी आपकी स्किन पर आयल नजर आने लगे तो आप अपनी आंखों के नीचे फिंगर की मदद से पाउडर लगाएं. इससे आपका काजल लंबे समय तक टिकने के साथसाथ फैलेगा नहीं.

3. कैसे लगाएं काजल 

काजल हमेशा आंखों के  आकार के हिसाब से ही लगाना चाहिए, तभी ये आंखों के लुक को और बढ़ाने का काम करता है. अगर आपकी आंखें छोटी हैं और आप उन्हें बड़ा लुक देना चाहती हैं तो आप काजल को वाटरलाइन पर अंदर की तरफ से बाहर की तरफ ले जाते हुए किनारों से उसे ज्यादा हाईलाइट करें या फिर आप लेयरिंग से भी आंखों को ज्यादा उभारने के साथ बड़ा लुक दे सकती हैं.  इसी तरह अगर आपकी आंखें बड़ी हैं तो आप एक तो लेयरिंग से उसे और उभार सकती हैं या फिर सिंगल स्ट्रोक से भी आपकी आंखें गॉर्जियस लुक देने लगेगी. कोशिश करे लॉन्ग लास्टिंग काजल ही अप्लाई करें, ताकि आपकी आंखें लंबे समय तक खूबसूरत दिख सके.

4. आंखों को छूने से बचें 

कई बार ब्रैंडेड काजल लगाने के बावजूद भी आंखों से पानी आने लगता है. ऐसा अकसर इसलिए होता है , क्योंकि आपने आंखों को अच्छे से साफ नहीं किया होता. इसलिए जरूरी होता है आंखों को क्लीन करना. लेकिन आप अगर किसी पार्टी में जाने के लिए सवर रही हैं और काजल लगाने के बाद आपकी आंखों से एकदम से पानी आना शुरू हो जाए तो उसे रगड़े नहीं बल्कि टिश्यू पेपर की मदद से उसे क्लीन करने की कोशिश करें. अगर आप ऐसा नहीं करेंगी तो आपका सारा मेकअप ख़राब होने के साथसाथ आपकी खूबसूरत आंखें भद्दी लगने लगेगी.

5. स्मोकी आइज़ के लिए 

आजकल स्मोकी आई लुक काफी डिमांड में है. लेकिन ये लुक तभी अच्छा रिजल्ट देता है, जब आप इसके लिए रंगों के सलेक्शन में कोई गलती न करें. और अच्छे से ब्लेंड करें, ताकि आपका मेकअप पैची न लगे. इसके लिए आपको सबसे पहले अपनी आंखों के ऊपर आईशैडो प्राइमर लगाने की जरूरत होगी. फिर उसे अच्छे से ब्रश की मदद से सेट करने की , ताकि वो अच्छे से  ब्लेंड हो जाए. फिर इस पर धीरेधीरे ट्रांजीशन कलर अप्लाई करे और अच्छे से ब्लेंड करें  इसके बाद इस पर ब्लैक स्मोकी आई के लिए ब्लैक बेस कलर का इस्तेमाल करें और फिर इसे अच्छे से ब्लेंड करें , ताकि ये बिलकुल भी पैची न लगे. इसे आपको क्रीज़ पर अच्छे से ब्लेंड करना होगा. इसके बाद दोबारा से ट्रांजीशन कलर लेकर इसे क्रीज़ पर अच्छे से अप्लाई करना होगा, फिर आई लिड्स पर ब्लैक आई शैडो लगाकर अच्छे से ब्लेंड करें. ताकि फ्लेकी लुक न लगे. फिर वाटरलाइन पर ब्लैक काजल लगाकर नीचे की आउटरलाइन पर ब्लैक आई शैडो लगाकर अच्छे से ब्लेंड करे. आखिर में इनर कॉर्नर्स को हाईलाइट करने के लिए गोल्ड आई शैडो का इस्तेमाल करके पाएं मिनटों में  स्मोकी आइज़. ध्यान रखें अगर आपको ग्रीन स्मोकी आइज़ चाहिए तो आप ग्रीन बेस कलर का इस्तेमाल करें और अगर ब्लू तो ब्लू बेस कलर का इस्तेमाल करें. ये आपकी चोइज पर निर्भर करता है.

ये भी पढ़ें- लिपस्टिक के साथ मस्कारा पर जोर

6. इस बात का खास ध्यान रखें 

ब्यूटी प्रोडक्ट्स में खासकर लिपस्टिक, लिप ग्लॉस, काजल  व लाइनर को किसी से भी शेयर करने से बचें. क्योंकि इससे बैक्टीरिया आपके संपर्क में आकर आपकी आंखों को संक्रमित कर सकते हैं. जिससे आपकी खूबसूरत बनने की चाह पर पानी फिर सकता है. इस बात का भी ध्यान रखें कि जब भी आंखों में एलर्जी हो तो आई मेकअप करने से बचें. आंखों  के लिए हमेशा हर्बल व आर्गेनिक प्रोडक्ट्स का ही चयन करें, क्योंकि ये नेचुरल इंग्रीडिएंट्स से बने होने के कारण आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इसलिए अगर आप खूबसूरत आंखें चाहती हैं तो इन बातों को इग्नोर न करें.

Winter Special: बच्चों के लिए बनाएं ड्राईफ्रूट डिलाइट

बच्चों को खाना खिलाना मेहनत का काम होता है. लेकिन अगर खाना टेस्टी और हेल्दी हो तो बच्चे आसानी से खा लेते हैं. इसीलिए आज हम आपको ड्राईफ्रूट डिलाइट की रेसिपी बताएगें, जिसे आप अपने बच्चों को आसानी से बनाकर खिला सकते हैं.

हमें चाहिए

–   15 मखाने शैलो फ्राई किए

–   गोंद फ्राई किया

–   2 बड़े चम्मच मगज भुनी

–   50 ग्राम काजू बादाम भुने

ये भी पढ़ें- Winter Special: डिनर में परोसें बेसनी शिमला मिर्च

–   1/4 छोटा चम्मच सोंठ

–   गुड़ स्वादानुसार

–   2 बड़े चम्मच घी

–   1 गिलास पानी

बनाने का तरीका

मखाने, गोंद, मगज व काजूबादाम को दरदरा पीस या कूट लें. पैन में घी गरम करें. 1 गिलास पानी में गुड़ डाल कर घुलने तक पकाएं. अब इस में सारी सामग्री डाल कर 20 मिनट धीमी आंच पर पकाएं और फिर गरमगरम सर्व करें.

ये भी पढ़ें- Winter Special: घर पर बनाएं स्पाइसी दम आलू

 

ट्राय करें ‘कसौटी…’ की ‘प्रेरणा’ के ये ज्वैलरी लुक्स

सीरियल में प्रेरणा के रोल से फैंस के दिल में अपनी जगह बनाने वाली एरिका फर्नांडीज अपने फैशन के लिए भी फैंस का अट्रेक्शन का कारण हैं. एरिका फैशन सेंस जितना अच्छा है उतना ही ज्वैलरी कलेक्शन भी अच्छा है. चाहे पार्टी हो या शादी एरिका की ज्वैलरी इंडियन और वेस्टर्न दोनों आउटफिट के लिए बेस्ट है. आज हम आपके एरिका के कुछ ज्वैलरी औप्शन के बारे में बताएंगे, जिसे आप भी किसी भी पार्टी या फंक्शन में ट्राय कर सकती हैं.

1. कुर्ते के साथ ट्राय करें ये इयरिंग्स

अगर आप वाइट पहनना चाहती हैं, लेकिन आप सिंपल भी नही दिखना चाहती तो वाइट के साथ कलरफुल इयरिंग्स बेस्ट रहेंगे. एरिका की वाइट कुर्ती के साथ ब्लू इयरिंग्स आपके लुक को सिंपल लेकिन फैशनेबल लुक देंगे.

ये भी पढ़ें- पार्टी के लिए ट्राय करें ‘इशिता’ के ये वेस्टर्न लुक्स

2. पार्टी के लिए बेस्ट हैं एरिका के ये इयरिंग्स या झुमके

अगर आप मौनसून में किसी पार्टी या शादी में जाने का प्लैन बना रही हैं तो ये इयरिंग्स आपके लिए एकदम परफेक्ट है. सिंपल इंडियन ड्रेस के साथ गोल्डन शाइनी इयरिंग्स आपके लुक को क्लासी के साथ-साथ स्टाइलिश लुक देगी.

3. डायमंड पैटर्न इयरिंग्स भी है पार्टी के लिए परफेक्ट औप्शन

पार्टी में एक अच्छी ड्रेस के साथ ज्वैलरी फैशनेबल भी होना जरूरी है. अगर आप भी अपने आप को पार्टी में स्टाइलिश के साथ-साथ ट्रेंडी दिखाना चाहते हैं तो ये इयरिंग्स कौम्बिनेशन आपके लिए एकदम परफेक्ट है. ब्लू कलर के कुर्ते के साथ डायमंड इयरिंग्स पैटर्न आपके लुक को कम्पलीट करेगा.

4. ड्रेस के साथ परफेक्ट है एरिका के ये इयरिंग्स

अगर आप भी किसी पार्टी में वेस्टर्न आउटफिट पहनने का सोच रही हैं तो एरिका का ये इयरिंग्स कौम्बिनेशन आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. चेक पैटर्न ड्रेस के साथ गोल्डन मेटल इयरिंग्स आपको पार्टी लुक देने के साथ ट्रेंडी भी दिखाएगा.

ये भी पढ़ें- मौनसून के लिए परफेक्ट है ‘खानदानी शफाखाना’ की एक्ट्रेस के ये लुक्स

बता दें इन दिनों एरिका सीरियल कसौटी जिंदगी की सीजन 2 से औडियंस का दिल जीतती हुई नजर आ रही हैं, वहीं कईं बार उनके को-स्टार पार्थ समथान के साथ भी लिंकअप की खबरें आ चुकी हैं.

नजरिया बदलने की जरूरत है

अपने इकलौते युवा बेटे को एक असमय दुर्घटना में खो देने वाले वर्मा दम्पत्ति हर समय जोश और जिंदादिली से भरपूर नजर आते हैं. छोटे बड़े किसी भी समारोह में पहुंचकर वे अपने हरफनमौला स्वभाव के कारण वातावरण को खुशनुमा बना देते हैं. उनसे मिलकर हर इंसान सकारात्मकता से भर उठता है. अपने दिवंगत बेटे को याद करते हुए श्रीमती गीता वर्मा कहती हैं,”उसे जाना था सो चला गया, उसके बारे में ही सोचते रहेंगे तो जीना ही दूभर हो जाएगा….. तनाव.. अकेलेपन और फिर डिप्रेशन को गले लगाने से तो अच्छा है कि हम जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं ताकि हमारा जीवन तो सुचारू ढंग से चलता रहे.”

गीता जी के पति राजन वर्मा बैंक के रीजनल मैनेजर पद से रिटायर हुए हैं वे कहते हैं,”बेटा ही तो गया है हम तो अभी इसी धरती पर हैं, जो चला गया उसे लेकर बैठे रहने से तो जिंदगी नहीं चलने वाली , जिंदगी तो चलने का नाम है और वह हर हाल में अपनी डगर पर निर्बाध गति से चलती ही रहती है, हां बेटे के जाने के बाद एक पल को ऐसा लगा था मानो अब सब खत्म हो गया…..उसके बारे में सोचते सोचते कभी कभी तो हमें इतना तनाव हो जाता था कि रातों को नींद नहीं आती थी, घर में खाना नहीं बनता था और यदि किसी तरह बन गया तो खाने की इच्छा ही नहीं होती थी और उस खाने को यूं ही फेंक दिया जाता था….इसी तरह दिन गुजर रहे थे. फिर एक दिन लगा कि इंसान का जन्म बहुत मुश्किल से मिलता है और एक हम है कि अपनी इस खूबसूरत जिंदगी को यूं ही बर्बाद कर रहे हैं….इस तरह तो एक दिन बीमार होकर बेड पर आ जाएंगे. बस उस दिन दुःख, अवसाद, और तनाव को हटाकर हम यथार्थ में आ गए और फिर तो लगा कि अभी तो बहुत कुछ करना शेष है. और उसी दिन से हमारा जीवन को देखने का नजरिया बदल गया.”
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए गीता जी कहतीं है,”विभू के रहते कभी हमें अपने बारे में सोचने का अवसर ही नहीं मिला, अब तो राजन भी अपनी नौकरी से रिटायर हो गए हैं. अब हम दोनों ने अपनी बागवानी, कुकिंग, और संगीत की हॉबी को तराशना प्रारम्भ कर दिया. 65 वर्ष की उम्र में हमने एक संगीत क्लास ज्वाइन की है, एक संगीत संस्थान से भी जुड़ गए हैं जिसके माध्यम से हम संगीत के स्टेज और फेसबुक लाइव प्रोग्राम्स करते हैं”

“घर बाहर के सभी कार्य हम पति पत्नी मिलकर करते हैं, अब तो सुबह होकर कब रात हो जाती है हमें पता ही नहीं चलता.अरे भई जिंदगी एक बार मिली इसे खूबसूरती से जीने में ही इसकी सार्थकता है.” राजन खुलकर हंसते हुए कहते हैं.

ये भी पढ़ें- 5 टिप्स: बर्तन धोते समय रखें इन चीजों का ख्याल

एक सफल कोचिंग संस्थान की मालकिन और अपने संस्थान में 25 लोगों को रोजगार देने वाली सफल महिला रोमा जी की उम्र उस समय 40 वर्ष की थी जब दिल का दौरा पड़ने से असमय उनके पति की मृत्यु हो गयी.वे कहतीं हैं,”उनके जाने के बाद लगा था कि ईश्वर ने उन्हें भी क्यों नहीं उठा लिया. कुछ माह तक तो जिंदगी बड़ी बेरंग और नीरस लगती रही. कोई संतान भी नहीं थी जिसके सहारे मैं जीवन काटने का सोचती. सच कहूं तो उस समय मुझे अपने से ज्यादा बदनसीब कोई दूसरा नजर ही नहीं आता था. फिर लगा कि इस संसार में अपनी मर्जी से जीना मरना नहीं होता और फिर जब जीना ही है तो घुटघुट कर और रो रोकर जीने की अपेक्षा शान से जीना चाहिए. अपने आपसे कड़ा संघर्ष करने के बाद अपने नकारात्मक विचारों पर मैंने विजय प्राप्त कर ली. शादी से पूर्व मैं अध्यापन कार्य से जुड़ी थी सो मैंने उसे ही पुनर्जीवित करने का विचार किया और स्वयं को अपडेट करने में जुट गई. कुछ समय बाद एक कोचिंग संस्थान से जुड़ी और दो वर्ष बाद अपना ही कोचिंग संस्थान खोल लिया. सामान्य विद्यार्थियों के अतिरिक्त मैं गरीब तबके के जरूरतमन्द छात्रों को निःशुल्क कोचिंग देती हूँ….यकीन मानिए अब समय कहाँ निकल जाता है मुझे ही पता नहीं चलता….जब मेरे संस्थान का कोई बच्चा किसी परीक्षा को पास करता है तो उससे मिलने वाला सुख अनिवर्चनीय होता है.”

वास्तव में अकेलापन कोई समस्या नहीं है बल्कि हमारे ही नकारात्मक विचारों से उत्सर्जित तरंगों द्वारा निर्मित एक अहसास, मनोभाव और विचार है. मनोवैज्ञानिक काउंसलर कीर्ति वर्मा कहतीं हैं, “इसकी शुरूआत तनाव से होती है और जब यह तनाव निरन्तर मन मस्तिष्क पर हावी रहता है तो इंसान तनावग्रस्त होकर अकेलेपन का शिकार हो जाता है…..और जब यह स्थिति लंबे समय तक रहती है तो फिर डिप्रेशन या अवसाद होने लगता है. इसलिए आवश्यक है कि हमें अपने ऊपर तनाव और अकेलेपन को हावी नहीं होने देना चाहिए. जैसे ही किसी भी कारण से तनाव से मन घिरने लगे तो उसे झिटककर आगे बढ़ने का प्रयास करना ही इससे बचने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है. अक्सर लोग कहते हैं कि ,”जीवन एक संघर्ष अथवा कांटों का ताज है परन्तु 60 वर्षीया मृदुल आंटी को तो जीवन सदैव रंग बिरंगे फूलों से भरा एक गुलदस्ता ही प्रतीत होता है जिसमें गुलाब के कांटे हैं तो रजनीगंधा के फूलों की मखमली पत्तियां भी बस हमें उन्हें देखने का नजरिया भर बदलना है. सेंट्रल स्कूल के प्राचार्य पद से रिटायर, बेहद मिलनसार, खुशमिजाज,

हरफनमौला, चुस्त दुरुस्त, फैशनेबल आंटी को देखकर हर कोई यही सोचता था कि उनके जीवन में तो दुःख का साया भी नहीं हो सकता पर अपने अतीत के बारे में बताते हुए वे कहतीं हैं कि , “जब उनका बेटा मात्र 5 साल का था तो पति के दूसरी औरत से अफेयर के चलते पति को तलाक देना पड़ा फिर पूरा जीवन बेटे की परवरिश और स्कूल में चला गया. बेटा विदेश पढ़ने गया तो वहीं की एक लड़की से विवाह करके सैटल हो गया. स्कूल से रिटायर होने के बाद बेटे की जिद के कारण एकाध बार उसके पास गई भी परन्तु उनकी और मेरी जीवन शैली में बहुत अंतर है वहां मुझे मेरा अस्तित्व ही गुम हुआ जान पड़ता है इसलिए मैं अब यहीं रह रही हूं. एक प्राइवेट स्कूल में नौकरी करती हूँ और खूब देशाटन करते हुए अपना जीवन यापन कर रही हूँ. अकेलापन जैसा कोई शब्द मेरी डिक्शनरी में है ही नहीं और न इसे लेकर मुझे कभी कोई तनाव होता है….मेरे लिए इस जिंदगी से अधिक खूबसूरत कोई चीज हो ही नहीं सकती.’

कभी कभी कुछ लोग सब कुछ होते हुए भी अपने आप को अकेला महसूस करते हैं, वे अपने आप में ही खोए रहते हैं और अक्सर अनेकों बीमारियों को गले लगा लेते हैं. मध्यमवर्गीय परिवार में पली बढ़ी अंतर्मुखी प्रवृत्ति की भावना का विवाह एक अतिसम्पन्न परिवार में हुआ. बहुत प्रयास करने के बाद भी वहां सामंजस्य नहीं बैठा पाने के कारण वह तनावग्रस्त रहने लगी. वह कहती है,”मेरे घर में जहां मनचाही ड्रेस मिलने पर, मनचाहा खाना बन जाने पर या कहीं घूमने जाने जैसी छोटी छोटी खुशियों को सेलिब्रेट किया जाता था वहीं यहां हर समय बिजनेस और सम्पत्ति की बातें….. खुशी या खुश होने जैसे किसी शब्द से तो यहां किसी का परिचय ही नहीं था. यहां सेलेब्रेशन का तात्पर्य ही होटल की बड़ी बड़ी पार्टियां हैं जहां सजधजकर कठपुतली की भांति बैठे रहो. स्वयं को अभिव्यक्त न कर पाने के कारण मैं अंदर ही अंदर घुटने लगी थी जिससे मैं तनावग्रस्त रहने लगी…उन दिनों मुझे अपना जीवन निरुद्देश्य और बेकार लगने लगा था. एक दिन अपनी अंतरंग सखी के कहने पर मैंने अपना कालिज टाइम के शौक लेखन को फिर से प्रारंभ कर दिया ….बस उसके बाद से तो मेरे जीवन को मानो दिशा ही मिल गयी….सारा तनाव छूमंतर हो गया . आज मैं कुछ पत्रिकाओं की नियमित लेखिका हूं. जीवन मूल्यों पर आधारित दो पुस्तकों का प्रकाशन भी हो चुका है. अब मेरा जिंदगी के प्रति नजरिया ही बदल गया है, किसी पत्रिका या पेपर में छपने वाला आर्टिकल या कहानी मुझे असीम खुशी प्रदान करती है. मेरी जिंदगी से तनाव या अकेलेपन का नामोनिशान ही गुम हो चुका है.”

भोपाल के सिटी इलाके में रहने वाले अनमोल गुप्ता जी सहायक संचालक कृषि के पद से रिटायर हैं और अब एक नर्सरी के मालिक और आर्गेनिक ग्रीन संस्था के अध्यक्ष भी . ऑर्गेनिक सब्जियों की होम डिलीवरी करने के साथ साथ नर्सरी में आने वाले प्रत्येक ग्राहक को वे प्रत्येक पौधे को लगाने और देखभाल के तरीके बताते हैं और लोगों की डिमांड पर होम विजिट भी करते हैं. सुबह 8 बजे से लेकर रात्रि 10 बजे तक वे बेहद व्यस्त रहते हैं. सप्ताह का हर दिन गांवों में उगाई जाने वाली ऑर्गेनिक सब्जियों की देखरेख के लिए निर्धारित है.उनका इकलौता बेटा बहू दोनों मुंबई में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं…. पत्नी का 2 वर्ष पूर्व देहांत हो गया तो बेटा जबर्दस्ती अपने साथ मुंबई ले गया. वे कहते हैं,”वहां दो माह में ही मैं तनावग्रस्त रहने लगा. उन दोनों के ऑफिस चले जाने के बाद होनेवाले अकेलेपन से मैं परेशान रहने लगा. मुझे लगने लगा कि यदि मैं और अधिक यहां रहा तो अवश्य डिप्रेशन में चला जाऊंगा..जिंदगी भर किसानों और खेतों के साथ रहने वाला मैं वहां की महानगरीय फ्लैट कल्चर में एडजस्ट ही नहीं हो पा रहा था. एक दिन उचित अवसर देखकर यही सच्चाई मैंने अपने बेटे बहू को बताई बड़ी मुश्किल से वे मेरी परेशानी को समझ पाए और वापस भोपाल भेजने को राजी हुए. यहां आकर लगा मानो मैं स्वर्ग में आ गया हूं. कृषि के क्षेत्र में आजीवन कार्य किया है अतः इसी में पूरी तरह से रम गया हूं. अब कब दिन रात होते हैं मुझे ही पता नहीं चलता. जीवन को तो उद्देश्य मिल ही गया है साथ ही मन में समाज के लिए कुछ कर पाने का संतोष भी है.”

इन लोंगों से मिलकर लगता है कि मानो जिंदगी में तनाव और अकेलेपन जैसी कोई समस्या है ही नहीं हमें सिर्फ अपने सोचने की दिशा को परिवर्तित करना है. अपने दिलो दिमाग में नकारात्मकता को किसी भी कीमत पर प्रवेश नहीं देना चाहिए बल्कि सृजनात्मकता और सकारात्मकता में निरन्तर वृद्धि करते रहना चाहिए. कभी कभी बच्चों के बहुत दूर चले जाने, किसी प्रियजन की असमय मृत्यु हो जाने, कठिन परिश्रम के बाद भी सफलता न मिल पाने पर जीवन के प्रवाह में अकेलापन, नैराश्य और खालीपन का आ जाना स्वाभाविक सी बात है परन्तु इससे बहुत अधिक समय तक प्रभावित होना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है. मनोवैज्ञानिकों और डॉक्टरों के अनुसार अकेलेपन से बी पी, शुगर, अनिद्रा जैसी बीमारियों के साथ साथ याददाश्त भी कमजोर होने लगती है. बेव एम डी के अनुसार अकेलेपन के कारण 26 प्रतिशत तक मृत्यु की और 32 प्रतिशत स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है.इसलिए आवश्यक है कि जैसे ही यह खालीपन आपके मन मस्तिष्क में जगह बनाने लगे तो सचेत होकर स्वयं को सकारात्मक दिशा में लगा देना चाहिए ताकि समस्या और अधिक गम्भीर न हो.

-नजरिया बदलना है जरूरी

जीवन को देखने का नजरिया बदलें. अपनी ही स्थिति पर हरदम दुःखी होते रहने की अपेक्षा अपने से कमतर लोंगों को देखने की आदत डालें….आप पाएंगे कि आपसे अधिक सुखी इस संसार में कोई दूसरा है ही नहीं. सोनी टी वी के सुप्रसिद्ध धारावाहिक कौन बनेगा करोड़पति में एक खिलाड़ी के द्वारा दी गयी सुखी इंसान की परिभाषा सौ प्रतिशत सही है कि,” हाथ पैर और दिल दिमाग से मैं पूरी तरह फिट हूं इसलिए मैं स्वयं को इस संसार का सर्वाधिक सुखी इंसान मानता हूं.”वास्तव मैं दुख और सुख जीवन के दो पहलू हैं जिसमें कभी एक पहलू कमजोर होता है तो कभी दूसरा.

ये भी पढ़ें- स्मार्ट वुमंस के लिए बेहद काम की हैं ये एप्स

-दोस्तों और परिवार से मिलें

कोरोना ने हमें दोस्तों और परिवार की अहमियत को बखूबी समझा दिया है इसलिए जब भी समय मिले अपने परिवार और सदस्यों के साथ वक़्त अवश्य बिताएं. अपनी दोस्त मंडली के साथ घूमने जाएं, उन्हें भोजन पर बुलाएं, गेम खेले परन्तु केवल उन्हीं दोस्तों के साथ जिनसे मिलकर आपको खुशी मिलती हो.

-फिट रहना है जरूरी

हम सदियों से सुनते आए हैं कि निरोगी काया इस जीवन का सबसे बड़ा सुख है. कोरोना जैसी महामारी के बाद से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करना अत्यंत आवश्यक हो गया है और इसके लिए आवश्यक है कि आप प्रतिदिन कम से कम 40 मिनट स्वयं को दें. इस अवधि में आप इच्छानुसार वॉकिंग, जिमिंग, योगा अथवा व्यायाम करें.

-आहार भी हो पौष्टिक

अक्सर देखा जाता है कि अकेला इंसान अपने लिये भोजन बनाने में आलस्य करता है अथवा एक टाइम बनाकर दो या तीन टाइम तक बासी खाना खाया जाता है. ऐसा करने की अपेक्षा हरदम पौष्टिक और ताजा भोजन खाने का प्रयास किया जाना चाहिए.

-नकारात्मक लोंगों से दूरी बनाएं

नकारात्मकता जहां आपके सोचने समझने की शक्ति को क्षीण करके मन मस्तिष्क को तनावग्रस्त कर देती है वहीं सकारात्मकता असीम ऊर्जा का संचार करके मनुष्य की रचनात्मक शक्ति में वृद्धि करती है. इसके लिए आवश्यक है कि आप नकारात्मक लोंगों से दूरी बनाकर रखें क्योंकि ये लोग निराशा से भरे होते हैं और अपनी इसी विचारधारा की तरंगें वे आपके पास छोड़ जाते हैं जिससे आप भी प्रभावित हो जाते हैं. एक गृहिणी अनीता कहतीं हैं,”मैं निगेटिव लोगों से 2 फ़ीट की दूरी बनाकर रखती हूं क्योकि ये लोग जब भी मिलते हैं मेरे अच्छे खासे दिमाग में अपना कचरा छोड़ जाते हैं.”

-छोटी छोटी खुशियों को सेलिब्रेट करें

जीवन के प्रति सदैव सकारात्मकता से भरपूर रहने वाले एक अधिकारी मनोज जी कहते हैं,”मेरे लिए हर नया दिन एक उत्सव जैसा होता है.मेरी मीटिंग के सफल हो जाने पर, मनचाही मूवी देख लेने पर, दी गयी समय सीमा में कार्य पूर्ण हो जाने पर, या सप्ताहांत का अवकाश मुझे असीम खुशी देता है क्योंकि मेरी नजर में खुश होना या खुशी मनाना एक अहसास है जिसके लिए किसी बड़ी घटना, कार्य या बहुत पैसे का होना आवश्यक नहीं है. वे कहते हैं जब आप इन छोटी छोटी बातों से खुश होना सीख लेते हैं तो तनाव आपके आसपास तक नहीं फटक सकता.

-खुशी देना सीखें

किसी सहेली की कोई रेसिपी, कहानी या आर्टिकल के प्रकाशित होने पर या किसी की विवाह या जन्मदिन की वर्षगांठ पर मैसेज के स्थान पर फोन कॉल करके बधाई देना आपको सकारात्मकता से भर देगा. किसी भूखे को खाना खिलाना, गार्ड या मेड को गरमागरम चाय पिलाने से उसके चेहरे पर आई खुशी आपको अपरिमित ऊर्जा से भर देती है.

-जीवन को सरलतम तरीके से जियें

कुछ लोग जाति, धर्म और सम्पदा के कारण बेवजह का अहंकार पालकर अपने जीवन को दुरूह बना लेते हैं. इसकी अपेक्षा आप जीवन को जितने सरलतम तरीके से जिएंगे जीवन आपको उतना ही खूबसूरत प्रतीत होगा. लोगों से किसीभी मुद्दे पर स्वयम को सही साबित करने के लिए बेवजह की बहस और विवाद से बचें क्योंकि बहसें सदैव निरर्थक और अंतहीन होतीं हैं.

ये भी पढ़ें- किचन को रखें हमेशा क्लीन और स्टाइलिश

-उद्देश्यपरक जीवन जियें

अपनी हॉबीज को तराशकर स्वयम को प्रतिदिन एक टास्क दें मसलन आज आप नए पौधे लगाएंगी, कोई नई धुन या गाना सीखेंगी, या कोई नई रेसिपी ट्राय करेंगी, कोई नई मूवी देखेंगी. इसके अतिरिक्त उम्र कोई भी हो आप नया सीखने को सदैव तत्पर रहें क्योंकि किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करने के लिए व्यस्तता ही सर्वोत्तम दवाई है.

-पत्र पत्रिकाएं पढ़ें

जैसा कि सर्वविदित है पत्र पत्रिकाएं इंसान की सबसे अच्छी मित्र होतीं हैं परन्तु सोशल मीडिया, टी वी और मोबाइल के अधिकतम प्रयोग के कारण हम निरन्तर इनसे दूर होते जा रहे हैं, किताबें हमें नई जानकारियां तो देती ही हैं साथ ही नकारात्मक विचारों से भी दूर रखतीं हैं. और इस प्रकार अपने नजरिये और सोचने की दिशा में थोड़ा सा परिवर्तन करके हम अपने इस बेशकीमती जीवन को और अधिक खूबसूरत बना सकते हैं.

सुंदरता और स्वास्थ्य चाहिए तो दालचीनी का इस्तेमाल है फायदेमंद

देश की ज्यादातर रसोइयों में दालचीनी मसाले के तौर पर इस्तेमाल होता है. पर क्या आप इसके सेहत पर होने वाले फायदों के बारे में जानती हैं? आपको बता दें कि दालचीनी एक पेड़ की छाल होती है, जिसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों को दूर करने में होता है. इसमें एंटी इंफ्लेमेंट्री, संक्रामक विरोधी जैसे कई गुण पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें एंटी-औक्सीडेंट, मैंगनीज, फाइबर जैसी जरूरी तत्व भी होते हैं. कई तरह की बामारियों में शरीर को स्वस्थ रखने में ये बेहद कारगर है. इस खबर में हम आपको दालचीनी से होने वाले स्वास्थ लाभ के बारे में बताएंगे.

1. सर्दी जुकाम में है असरदार 

सर्दी जुकाम में भी ये काफी असरदार . दालचीनी के पाउडर को पानी में उबाल लें. अर्क को छान कर रख लें. फिर इस पानी में शहद मिला कर पिएं. जल्दी आपको आराम मिलेगा.

2. वजन कम करने के लिए है फायदेमंद

वजन कम करने के लिए दालचीनी को पानी में उबाल कर पानी को छान लें. उसमें नींबू का रस मिला कर पिएं. कुछ ही दिनों में आपको अंतर दिखेगा. गैस या पेट दर्द संबंधी समस्याओं में दालचीनी को शहद में मिला कर खाने से काफी राहत मिलती है.

ये भी पढ़ें- महिलाओं को ओवरी के बारे में पता होनी चाहिए ये बातें

3. जोड़ों के दर्द में करें इस्तेमाल

जोड़ों के दर्द में दालचीनी एक बेहतर विकल्प है. पहले दालचीनी को पीस कर पाउडर बना लें. एक कप गर्म पानी में इस पाउडर और शहद को मिला कर पीने से दर्द में काफी आराम मिलता है.

4. हेयरफौल की परेशानी में करें इस्तेमाल

हेयरफौल की परेशानी में ये काफी फायदेमंद होता है. जैतून के तेल में शहद और दालचीनी का पेस्ट बना कर रख लें. नहाने से पहले 30 मिनट तक इसे लगा कर रखें, फिर बाल धो लें. बालों के झड़ने की समस्या में ये काफी फायदा पहुंचाएगा.

5. सुंदरता बरकरार रखने है फायदेमंद

सुंदरता बरकरार रखने में भी ये बेहद कारगर है. मुहांसों की परेशानी में दालचीनी को नींबू के रस में मिलाकर लगाने से काफी फायदा मिलता है.

ये भी पढ़ें- केले का छिलका है बेहद फायदेमंद, जानिए इसके गुण

एक ब्यूटी क्वीन बनी रेसर दिवा, कैसे आइये जानें

अगर आपने कुछ कर गुजरने की ठान ली हो तो समस्या कितनी भी आये आप उससे गुजरकर अपनी मंजिल पा ही लेते है, ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, मॉडल, मिसेज ब्यूटी क्वीन सिंगापुर 2015, पेजेंट कोच, बैंकरअहौरा रेसिंग चैम्पियनशिप फार्मूला 4 कार रेसिंग की टीम में शामिल, मुंबई की अदिति पाटनकर गुप्ता. उनके हिसाब से काम कोई भी हो उसका शौक होने पर व्यक्ति अवश्य कर लेता है.

कार रेसिंग के क्षेत्र में महिलाये बहुत कम है और अदिति इस चैलेंज को स्वीकार कर महिलाओं के सामने एक उदहारण पेश करना चाहती है. इसके अलावा अदिति एक सफल पत्नी और दो बच्चों की माँ भी है. स्वभाव से विनम्र और हंसमुख अदिति को हमेशा से कुछ अलग और चुनौतीपूर्ण काम करना पसंद है, जिसमे साथ दिया, उनके माता-पिता और पति ने. अदिति इस मुकाम पर कैसे पहुंची, आइये जाने उन्हीँ से.

सवाल-इस क्षेत्र में जाने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

मेरे पेरेंट्स ने बचपन से मेरी रूचि को देखा है और उसे ही सहयोग दिया है. इससे मुझे किसी नए क्षेत्र में जाने की इच्छा लगातार बनी रही. शादी के बाद भी पति प्रशांत गुप्ता ने हमेशा साथ दिया और किसी नयी चीज को सीखने के लिए प्रेरित करते रहे. इसलिए मैंने अलग-अलग तरह की वैरायटी को एक्स्प्लोर किया है और आगे बढती गयी.

ये भी पढ़ें- आज़ादी है अपने साथ, अगर सुरक्षा हो अपने हाथ

सवाल-बचपन से यहाँ तक कैसे पहुंची? 

बचपन में पेरेंट्स ने शिक्षा पर अधिक जोर दिया था, जिसे मैंने पूरी की. मैं स्कूल, कॉलेज में भी एथलीट और स्पोर्ट्स में थी. मैंने भरतनाट्यम डांस भी सीखा है. कॉलेज में मॉडलिंग, इवेंट मनेजमेंट का काम, आदि कई काम पढाई के साथ कर रही थी. इसके बाद मैंने साल 2003 में ब्यूटी पेजेंट में जाने का मन बनाया, लेकिन तभी मेरे पिता को थ्रोट कैंसर हो गया. घर का माहौल काफी गमगीन था. जिस दिन मेरा फाइनल था, उसदिन पिता गुजर गए और मैं वहां नहीं जा पाई, लेकिन उस पेजेंट से मैंने बहुत कुछ सीखा था. पिता के गुजरने के बाद परिस्थितियां बदल गयी. मैं बैंक में काम करने लगी. मेरी शादी प्रशांत गुप्ता के साथ हो गयी. इसके बाद सिंगापुर मैं अपने पति के साथ चली गयी. मेरे दो बच्चे हुए, लेकिन मैं इन सब से बहुत अधिक खुश नहीं थी, मुझे कुछ अलग करने की इच्छा थी. इस दौरान मुझे मिसेज इंडिया सिंगापुर में भाग लेने का अवसर मिला और साल 2015 में मैंने उसे जीत लिया. इससे मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती गयी.

सवाल-जर्नी आगे कैसे बढ़ी?

सिंगापुर से मैं अपने पति के साथ लन्दन गयी और वहां पर मैंने मिसेज इंडिया यूके लॉन्च किया क्योंकि मैं पेजेंट की जर्नी को जारी रखन चाहती थी. असल में महिलाएं, समझती है कि ब्यूटी कांटेस्ट केवल अच्छे दिखने वालों के लिए होता है, जबकि ऐसा नहीं है, शादीशुदा महिलाओं को इसमें भाग लेने पर दोस्त बनाने और खुद को ग्रूम करने का एक अच्छा मौका  मिलता है. इस पेजेंट को शुरू करने की वजह ओवरसीज़ में रहने वाली महिलाओं को एक मान्यता मिलना रहा, क्योंकि आज सभी महिलाएं शिक्षित और ज्ञानी होती है. यहाँ आने पर केवल क्राउन जीतना ही नहीं, बल्कि वे कई चीजे एक दूसरे से सीख सकती है. यही वजह है कि आज बहुत सारी महिलाएं इस कांटेस्ट में भाग लेती है.

सवाल-फार्मूला 4 रेस में कैसे आना हुआ?

मैंने छोटी उम्र से बाइक चलाना सीख लिया था, क्योंकि मेरी उसमे रूचि थी. मेरा परिवार भी हमेशा से स्पोर्ट्स में रूचि रखता है. इसके अलावा मुझे हर तरीके की ड्राइविंग आती है. सोशल मीडिया में मैंने पाया कि फार्मूला 4 कार रेस महिलाओं के लिए भी है, जो पहले नहीं था. साथ ही महिलाओं से जुडी किसी भी इवेंट को करना मैं पसंद करती हूं, ताकि महिलाएं मुझसे प्रेरित हो. इसके अलावा एक मिथ सोसाइटी में यह भी है कि मैरिड महिलाएं स्पोर्ट्स में नहीं जाती. मेरा पहला सीजन चैम्पियनशिप का शुरू है, जिसके लिए मैं पूरी तैयारी कर रही हूं.

सवाल-पति के साथ कैसे मिलना हुआ?

मेरी लव मैरिज है और कैरियर की शुरुआत में ही मैं उनसे बैंक में मिली थी, क्योंकि मैं भी वहां काम करती थी. अभी मैं यूके पेजेंट की 5 सीजन अभी लॉन्च करने वाली हूं. कोविड 19 की वजह से इसमें थोड़ी देर हुई है. इसके अलावा ब्यूटी से जुड़े कई प्रशिक्षण मैं खुद कंटेस्टेंट को देती हूं.

ये भी पढ़ें- हमारी शिक्षा नहीं दे सकी है लड़कियों को बराबरी का हक़

सवाल-काम के साथ परिवार को कैसे सम्हालती है?

मेरे दो बच्चे छोटे है, लेकिन मैं हमेशा से विदेश में रही हूं, इसलिए टाइम मनेजमेंट करना आ गया है. मैंने बच्चों के लिए नैनी रखी है, जो बच्चों की देखभाल करती है. इसके अलावा पहले से सब प्लानिंग करने पर कोई समस्या नहीं होती. इसका श्रेय मैं पति को देती हूं. उन्होंने मुझे कभी भी माँ बनने का बोझ एहसास नहीं करवाया..

सवाल-फार्मूला 4 रेस से आपकी उम्मीदें क्या है?

इसमें 26 प्रतियोगी भाग ले रहे है और ये एक चैम्पियनशिप है, जिससे कई चीजे मैं सीख रही हूं, क्योंकि मेरा ये पहला सीजन है. इसमें स्पीड के साथ-साथ नियमों का भी सही तरीके से पालन करना होता है. साल भर ये कॉम्पिटीशन चलता है, जिसमें महिलाओं और पुरुषों का साथ में प्रतियोगिता होती है. मैं सप्ताह में 3 दिन फिटनेस के लिए रखती हूं.

सवाल-समय मिलने पर क्या करती है और आगे क्या करने वाली है?

समय मिलने पर मैं बिजनेस या मार्केटिंग से सम्बंधित विषयों पर कोचिंग करती हूं. इसके अलावा पुराने फ़र्निचर को नया लुक देने का काम करती हूं.

आगे मैं कार रेसिंग की कई इवेंट्स में भाग लेना चाहती हूं. साथ ही यूके की ब्यूटी पेजेंट को पहले से प्लानिंग कर अधिक बेहतर बनाना चाहती हूं. इसके अलावा कुछ सामाजिक काम बच्चों, महिलाओं और पर्यावरण के लिए भी करती हूं. मेरा पूरा परिवार इसमें सहयोग देता है.

सवाल-आपको सुपर पॉवर मिलने पर क्या बदलना चाहती है?

शिक्षा प्रणाली को बदलना चाहती हूं, जिसमें सबको अच्छी शिक्षा बिना किसी परेशानी के मिले, ताकि देश की आर्थिक व्यवस्था सुधर सकें.

ये भी पढ़ें- ज्यादा बच्चों से ही नहीं बल्कि कम बच्चों से भी परेशान है दुनिया

सवाल-क्या कोई मेसेज देना चाहती है?

महिलाओं से मैं कहना चाहती हूं कि उनकी भूमिका परिवार में बहुत अधिक होती है, लेकिन अगर कोई इच्छा उनके अंदर छिपी हुयी है, तो उनको पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए. प्रॉपर प्लानिंग से हर काम हो सकता है. उम्र, शादी और बच्चों को बाउंड्री न समझे, बल्कि स्ट्रेंथ माने.

खोखली होती जड़ें: भाग 3

रात को सत्यम का फोन आया कि वह परसों की फ्लाइट से आ रहा है. फोन मैं ने ही उठाया. मैं ने निर्विकार भाव से उस की बात सुन कर फोन रख दिया. दूसरे दिन मैं ने सौरभ से बैंक से कुछ रुपए लाने के लिए कहा.

‘‘नहीं हैं मेरे पास रुपए…’’ सौरभ बिफर गए.

‘‘सौरभ प्लीज, अभी तो थोड़ाबहुत दे दो…सत्यम भी यहां आ कर चुप तो नहीं बैठेगा. कुछ तो करेगा,’’ मैं अनुनय करने लगी.

सौरभ चुप हो गए. मेरी कातरता, व्याकुलता सौरभ कभी नहीं देख पाते. हमेशा भरापूरा ही देखना चाहते हैं. उन्होंने बैंक से रुपए ला कर मेरे हाथ में रख दिए.

‘‘सौरभ, तुम फिक्र मत करो, मैं थोड़े ही दिन में सत्यम को बता दूंगी कि हम उस के परिवार का खर्च नहीं उठा सकते. घर है…जब तक चाहे बसेरा कर ले लेकिन अपने परिवार की जिम्मेदारी खुद उठाए. हम से कोई उम्मीद न रखे,’’ मेरे स्वर की दृढ़ता से सौरभ थोड़ाबहुत आश्वस्त हो गए.

ये भी पढ़ें- खुशियों का समंदर: क्रूर समाज ने विधवा बहू अहल्या को क्यों दी सजा

अगले दिन सत्यम को आना था. फ्लाइट के आने का समय हो गया था. हम एअरपोर्ट नहीं गए. अटैचियों से लदाफंदा सत्यम परिवार सहित टैक्सी से खुद ही घर आ गया. सत्यम व बच्चे जब आंखों के सामने आए तो पलभर के लिए मेरे ही नहीं, सौरभ की आंखों में भी ममता की चमक आ गई. 5 साल बाद देख रहे थे सब को. सत्यम व नीमा के मुरझाए चेहरे देख कर दिल को धक्का सा लगा. सत्यम ने पापा के पैर छुए और फिर मेरे पैर छू कर मेरे गले लग गया. साफ लगा, मेरे गले लगते हुए जैसे उस की आंखों से आंसू बहना ही चाहते हैं, आखिर राजपाट गंवा कर आ रहा था.

मां सिर्फ हाड़मांस का बना हुआ शरीर ही तो नहीं है…मां भावनाओं का असीम समंदर भी है…एक महीन सा अदृश्य धागा मां से संतान का कहां और कैसे बंधा रहता है, कोई नहीं समझ सकता…एक शीतल छाया जो तुम से कोई भी सवालजवाब नहीं करती…तुम्हारी कमियों के बारे में बात नहीं करती… हमेशा तुम्हारी खूबियां ही गिनाती है और कमियों को अपने अंदर आत्मसात कर लेती है…अपने किए का बदला नहीं चाहती…हर कष्ट के क्षण में मुंह से मां का नाम निकलता है और दिमाग में मां के होने का एहसास होता है…कष्ट के समय कहीं और आसरा मिले न मिले पर वह शीतल छाया तुम्हें आसरा जरूर देती है… सुख में कैसे भूल जाते हो उस को. लेकिन जड़ें ही खोखली हों तो हलके आंधीतूफान में भी बड़ेबड़े दरख्त उखड़ जाते हैं.

मेरे गले से लगा हुआ सत्यम शायद यही सबकुछ सोचता, अपने आंसुओं को अंदर ही अंदर पीने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मैं ने अपना संतुलन डगमगाने नहीं दिया. सत्यम को भी एहसास होना चाहिए कि जब गहन दुख व परेशानी के क्षणों में ‘अपने’ हाथ खींचते हैं तो जिंदगी कितनी बेगानी लगती है. विश्वास नाम की चीज कैसे चूरचूर हो जाती है.

‘‘बैठो सत्यम…’’ उसे धीरे से अपने से अलग करती हुई मैं बोली, ‘‘अपना सामान कमरे में रख दो…मैं चाय बना कर लाती हूं,’’ कह कर अपने मनोभावों को छिपाते हुए मैं किचन में चली गई. बच्चों ने प्रणाम किया तो मैं ने उन के गाल थपथपा दिए. दिल छाती से लगाने को कर रहा था पर चाहते हुए भी कौन सी अदृश्य शक्ति मुझे रोक रही थी. चाय बना कर लाई तो सत्यम व नीमा सामान कमरे में रख चुके थे. नीमा ने मेरे हाथ से टे्र ले ली…शायद पहली बार.

वहीं डाइनिंग टेबल पर बैठ कर सब ने चाय खत्म की. इतनी देर बैठ कर सौरभ ने जैसे मेजबान होने की औपचारिकता निभा ली थी, इसलिए उठ कर अपने कमरे में चले गए. दोनों बच्चे भी थके थे, सो वे भी कमरे में जा कर सो गए.

‘‘तुम दोनों भी आराम कर लो, खाना बन जाएगा तो उठा दूंगी…क्या खाओगे…’’

‘‘कुछ भी खा लेंगे…और ऐसे भी थके नहीं हैं…नीमा खुद बना लेगी…आप बैठो.’’

मैं ने चौंक कर नीमा को देखा, उस के चेहरे पर सत्यम की कही बात से सहमति का भाव दिखा. यह वही नीमा है जो मेरे इतने असुविधापूर्ण किचन में चाय तक भी नहीं बना पाती थी, खाना बनाना तो दूर की बात थी.

कहते हैं प्यार में बड़ी शक्ति होती है पर शायद मेरे प्यार में इतनी शक्ति नहीं थी, तभी तो नीमा को नहीं बदल पाई, लेकिन आर्थिक मंदी ने उसे बदलने पर मजबूर कर दिया था. मेरे मना करने पर भी नीमा किचन में चली गई. वह भी उस किचन में जिस में पहले कभी नीमा ने पैर भी न धरा था, उस का भूगोल भला उसे क्या पता था. इसलिए मुझे किचन में जाना ही पड़ा.

सत्यम को आए हुए 2 दिन हो गए थे. हमारे बीच छिटपुट बातें ही हो पाती थीं. हम दोनों का उन दोनों से बातें करने का उत्साह मर गया था और वे दोनों भी शायद पहले के अपने बनाए गए घेरे में कैद कसमसा रहे थे. सौरभ तो सामने ही बहुत कम पड़ते थे. पढ़ने के शौकीन सौरभ अकसर अपनी किताबों में डूबे रहते. अलबत्ता बच्चे जरूर हमारे साथ जल्दी ही घुलमिल गए और हमें भी उन का साथ अच्छा लगने लगा.

सत्यम बच्चों के दाखिले व अपनी नौकरी के लिए लगातार कोशिश कर रहा था. अच्छे स्कूल में इस समय बच्चों का दाखिला मुश्किल हो रहा था. अच्छे स्कूल में 2 बच्चों के खर्चे सत्यम कैसे उठा पाएगा, मैं समझ नहीं पा रही थी. उस का परिवार अगर यहां रहता है तो ज्यादा से ज्यादा उसे किराया ही तो नहीं देना पड़ेगा. नीमा उसी किचन में खाना बनाने की कोशिश कर रही थी, उसी बदरंग से बाथरूम में कपड़े धो रही थी. हालांकि सुविधाओं की आदत होने के कारण सब के चेहरे मुरझाए हुए थे.

सत्यम रोज ही अपना रिज्यूम ले कर किसी न किसी कंपनी में जाता रहता. आखिर उसे एक कंपनी में नौकरी मिल गई. कंपनियों को भी इस समय कुशल कर्मचारी कम तनख्वाह में हासिल हो रहे थे तो वे क्यों न इस का फायदा उठाते. तनख्वाह बहुत ही कम थी.

‘‘सोचा भी न था मम्मी, ऐसी बाबू जैसी तनख्वाह में कभी गुजारा करना पड़ेगा,’’ सत्यम बोला.

दिल हुआ कहूं कि तेरे पिता ने तो ऐसी ही तनख्वाह में गुजारा कर के तुझे इतने ऊंचे मुकाम पर पहुंचाया…तब तू ने कभी नहीं सोचा…लेकिन उस के स्वर में उस के दिल की निराशा साफ झलक रही थी. मां होने के नाते दिल में कसक हो आई.

आगे पढ़ें- मेरी बात में सांत्वना तो थी ही पर…

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें