10 लेटैस्ट ब्यूटी ट्रीटमैंट्स

आज के दौर में तकनीक ने हमें ऐसेऐसे तरीकों से रूबरू कराया है जिन से हम हमेशा जवां और खूबसूरत नजर आ सकते हैं. ऐंटीएजिंग प्रोसीजर के जरीए न सिर्फ त्वचा पर पड़ने वाले बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम किया जा सकता है, बल्कि इस से एजिंग से त्वचा पर होने वाले असर की मुख्य वजह पर भी टारगेट किया जाता है ताकि दोबार एजिंग का प्रभाव न दिखे.

10 कौस्मैटिक प्रोसीजर आप की हमेशा जवां दिखने की चाहत को पूरा कर सकते हैं:

1. कैमिकल पील से हटाएं डैड सैल्स

चेहरे के ढलने व त्वचा की चमक के लगातार कम होने की एक वजह डैड होते स्किन सैल्स भी हैं. ऐसे में कुछ खास किस्म के ट्रीटमैंट जैसे कि माइक्रोडर्माबे्रसन और कैमिकल पील्स के जरीए चेहरे के डैड सैल्स को हटाया जा सकता है. इस के अलावा डायमंड पौलिशिंग के जरीए भी डैड सैल्स, स्कार्स और टैनिंग को दूर किया जा सकता है.

2. चेहरे के लिए मैसोबोटोक्स

यह चेहरे के फेशियल का एक अलग तरीका है, जिस में चेहरे पर माइक्रोबोटोक्स इंजैक्ट कराए जाते हैं. इस में बोटोक्स के कम डोज फेस के अलगअलग हिस्सों में लगाए जाते हैं. इस से फेस की स्किन चमकदार और  झुर्रियांरहित नजर आती है.

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3. लेजर थेरैपी

अगर चेहरे के पोर्स फैल जाएं, तो ये आप के लुक को खराब कर देते हैं. ऐसे में लेजर थेरैपी के जरीए फेस के पोर्स को टाइट करा सकती हैं.

4. बोटोक्स ट्रीटमैंट

बढ़ती उम्र के चलते माथे पर पड़ी लकीरें और झुर्रियां थकान, तनाव और उम्रदराज होने के संकेत देती नजर आती हैं. इन्हें बोटोक्स के जरीए आसानी से दूर किया जा सकता है. बोटुलिनम टौक्सिटी जिसे आमतौर पर बोटोक्स के नाम से जाना जाता है, एक ऐसा नौनसर्जिकल प्रोसीजर है, जिस में बोटोक्स को इंजैक्ट कर के मसल्स को रिलैक्स मोड पर लाया जाता है. इस प्रक्रिया द्वारा चेहरे की झुर्रियों और लकीरों को खत्म किया जाता है. जैसे ही मसल्स में बोटोक्स को इंजैक्ट किया जाता है, यह एक खास मसल को अन्य मसल्स के साथ कौंटैक्ट करने को रोक देता है. जिस मसल पर बोटोक्स का असर होता है वह रिलैक्स हो जाती है. इसे चेहरे के अलगअलग हिस्सों पर इंजैक्ट करा कर फेस को बिलकुल फ्रैश लुक दिया जाता है. बोटोक्स का इस्तेमाल ब्रो लिफ्ट के लिए भी किया जाता है. इस में कुछ ही मिनटों के अंदर आईब्रोज को हाईलाइट कर के आकर्षक शेप में बदला जा सकता है. इस से चेहरा बिलकुल नए लुक में नजर आता है.

5. ओजोन थेरैपी

बालों की ग्रोथ और रिपेयर के लिए शरीर के किसी भी हिस्से में औक्सीजन के प्रवाह को ओजोन थेरैपी के नाम से जाना जाता है. औक्सीजन के ये फ्री रैडिकल्स शरीर में मौजूद हानिकारक तत्त्वों को शरीर से बाहर करने में सहायक होते हैं. ऐसे ही तत्त्व सिर की सतह पर भी होते हैं, जो ओजोन थेरैपी के जरीए सतह से बाहर निकल जाते हैं. इस थेरैपी के असर से बालों का गिरना पूरी तरह बंद हो जाता है और नए बाल उगने शुरू हो जाते हैं.

6. रैस्टिलेन ट्रीटमैंट

दिल्ली की डर्मैटोलौजिस्ट डा. इंदू बालानी, बताती हैं कि बेजान त्वचा और आंखों के नीचे काले घेरों की समस्या को ह्यालुरोनिक ऐसिड से भरपूर रैस्टिलेन जैसे डर्मल फिलर्स के इस्तेमाल से दूर किया जा सकता है. यह त्वचा को मौइश्चराइज करता है और इस का असर 1 साल तक रहता है.

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7. डायमंड पौलिशिंग

डा. चिरंजीव छाबड़ा, डर्मैटोलौजिस्ट (स्किन अलाइव क्लीनिक, दिल्ली) कहते हैं कि इस तकनीक में डायमंड को टिप्स पर फिक्स कर के इसे इलैक्ट्रौनिकली चेहरे पर मूव कराया जाता है. यह तकनीक चेहरे से डैड सैल्स, स्कार्स, टैनिंग के अलावा स्किन के ग्लो और कौंप्लैक्शन से जुड़ी कई कमियों को भी दूर करती है. डायमंड एमडीबी तकनीक के क्षेत्र में नया विकास है, जिस का पूरे विश्व में चेहरे की रंगत निखारने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.

8. स्किन सर्कुलेशन थेरैपी

इस थेरैपी से चेहरे की त्वचा का ब्लडसर्कुलेशन इंप्रूव किया जाता है. इस से चेहरे का कौंप्लैक्शन और ग्लो बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पुरानी थेरैपी से छुटकारा मिल जाता है. यह ऐक्ने, स्कार्स, डार्कसर्कल्स, स्किन में पैचीनैस आदि को दूर करने में भी इस्तेमाल की जाती है.

9. स्टेम सैल थेरैपी

इस ट्रीटमैंट में विटामिंस, अमीनोऐसिड्स व पेप्टाइड्स के मिक्स्चर को दूसरे ऐक्टिव इनग्रैडिएंट के साथ मिला कर सिर की सतह के स्टेम सैल्स को ऐक्टिव करते हैं. इस से बालों की ग्रोथ तेज हो जाती है. यह ट्रीटमैंट वीकली इंटरवल में कई सैशनों में पूरा होता है. जल्दी रिकवरी के लिए हेयर लेजर एलईडी थेरैपी का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

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10. कूलस्कल्पटिंग

यह अतिरिक्त चरबी या मोटापा दूर करने की सब से कारगर तकनीक है, जो शरीर को मनचाहा आकार देती है. इस में शरीर की चरबी अथवा मोटापे के अनुसार सिटिंग्स होती हैं. तो नए साल में खूबसूरत दिखने के ये आधुनिक उपाय आजमाएं और पाएं बेदाग सुंदरता.

Holi Special: होली में त्वचा को भी दे खूबसूरती का एहसास कुछ ऐसे

होली रंगों का त्यौहार है, हर साल दोस्त और परिवारके साथ मिलकर स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ़ उठाना,एक दूसरे को रंग लगाना,होली के गानों के साथ डांस करना, पानी के गुब्बारों और पिचकारी के साथ रंग खेलना आदि होता आया है, लेकिन पिछले दो सालों से कोविड ने इसे बेरंग बना दिया है, इसलिए इस बार कोविड के कम होने की वजह से सभी होली को मौज-मस्ती से मनाने की कोशिश कर रहे है, लेकिन आजकल होली के रंगों में केमिकल होने की वजह से त्वचा पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है. इसलिए रंगों की खुशियाँ कम न हो, कुछ बातों का ख्याल अवश्य रखें.

इस बारें में कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के कंसलटेंट डर्मेटोलॉजिस्ट और ट्राइकोलॉजिस्टडॉ तृप्ति डी अग्रवाल कहती है कि मौजमस्ती और खुशियों के साथ मनाए जाने वाले इस त्यौहार के ख़त्म होने पर शुरू होता है,बहुत ही थका देने वाला समय, जिसमेंचेहरे और बालों पर लगे रासायनिक ज़िद्दी रंगों के दाग को निकालने की कोशिश करना. कठोर रसायनों और सूरज की रोशनी के संपर्क में आने की वजह से त्वचा रूखी पड़ सकती है और जलन भी पैदा होती है, ऐसी तकलीफें त्यौहार के बाद कई हफ़्तों तक जारी रह सकती है. होली का आनंदलेने के लिए अपने बालों, नाखूनों और त्वचा के रंग के प्रभाव के बारे में चिंतित न हो, इस उत्सव मनाने के लिए कुछ आसान टिप्स निम्न है,

• त्वचा को कठोर रसायनों से बचाने के लिए त्वचा और रंग के बीच एक अवरोध बनाना आवश्यक होता है. रंग खेलने के 10 से15 मिनट पहले सनस्क्रीन, नारियल या सरसों का तेल चेहरे, कानों, गर्दन आदि सभी स्थानों पर लगा लें, ताकि रंगों का पर्व का प्रभाव आप पर कम हो.

• रूखी त्वचा वाले लोगों को कठोर रसायनों से नुकसान होने का खतरा अधिक होता है. इससे बचने के लिए नियमित रूप से मॉइस्चराइज़ करना और सनस्क्रीन का उपयोग करना ज़रूरी है. होली से एक हफ्ते पहले ब्लीच या केमिकल पील न करें.

• अगर आप आरामदेह सूती कपड़ों का उपयोग करते है, तो होली का रंग कपड़े के भीतर भी जा सकता है, इससे बचने के लिए होली पर पहनने के लिए थोड़ा मोटा और पूरी आस्तीन वाला कपड़ा चुनें, ताकि आपकी त्वचा रंग के सीधे संपर्क में न आएं.

• होली का रंग कई दिनों तक आपके नाखूनों पर चिपका न रहें, इसलिए नाखूनों को ट्रिम करें और उन पर ग्लॉसी नेल पेंट या क्लियर-कोटेड नेल पेंट लगाएं. रंग नाखूनों में रिस न जाएं या फंसा न रहें,इसके लिए नाखूनों के आसपास की त्वचा पर भी पॉलिश लगाएं. इसके अलावा नाखूनों पर और उनके आस-पास वैसलीन जैसी साधारण पेट्रोलियम जेली का भी उपयोग कर सकते है.

• बालों पर तेल लगाएं, इससे बालों पर लगा रंग आसानी से निकल जाता है.

• कृत्रिम और सिंथेटिक रंगों के बजाय प्राकृतिक और जैविक रंगों से होली खेलें.

• खूब सारा पानी पिएं और होली के दिन खुद को अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखें.
इसके आगे डॉ. तृप्ति कहती है कि होली के बाद त्वचा को फिर से खुबसूरत बनाने के लिए कुछ बातों पर ध्यान दें, ताकि त्वचा पहले जैसी खिली-खिली लगे,

• चेहरे और शरीर पर रंगों को धीरे-धीरे हटाएं और उसके लिए माइल्ड साबुन या साबुन रहित क्लींज़र का उपयोग करें,

• स्क्रबिंग या त्वचा को ज़ोर लगाकर रगड़ने से त्वचा में जलन और रैशेस हो सकते है,

• जिद्दी रंग को हटाने के लिए तेल आधारित उत्पादों का इस्तेमाल करे,

• बालों को स्क्रब करने के लिए पैराबेन फ्री और सल्फेट फ्री सौम्य शैम्पू का इस्तेमाल करें,

• नहाने के बाद मॉइस्चराइज़र और सनस्क्रीन लगाएं,

• होली के लगभग 1 हफ्ते बाद तक केमिकल पील, हेयर रिडक्शन या कठोर रसायनों के प्रयोग से बचे,

• नियमित लेने वाली दवा को होली के दौरान बंद न करें, उन्हें पहले की तरह जारी रखें,

• जिन व्यक्ति को एक्ज़िमा, मुंहासें, सोरायसिस जैसी त्वचा सम्बन्धी समस्याएं है,उन्हें विशेष सावधानी बरतने की जरुरत होती है,रंगों और गुलाल का कम से कम इस्तेमाल करते हुए सूखी होली खेलना एक सुरक्षित विकल्प है, इसके अलावा त्वचा की स्थिति अगर बिगड़ रही है या नए ज़ख्म हुए हो, तो त्वचा विशेषज्ञ से तुरंत सम्पर्क करें.

मेरी आंखों के नीचे काले घेरे हो गए हैं, मैं क्या करुं?

सवाल

मैं 18 वर्षीय युवती हूं. मेरी आंखों के नीचे काले घेरे हो गए हैं. मैं उन से परेशान हूं. कृपया उन्हें दूर करने का कोई घरेलू उपाय बताएं?

जवाब

सब से पहले तो आप इस उम्र में आंखों के नीचे काले घेरे होने का कारण जानें. कई बार आंखों की कमजोरी, तनाव, नींद आदि पूरी न होने से भी आंखों के नीचे काले घेरे बनने लगते हैं. जहां तक घरेलू उपाय की बात है तो आप खीरे और आलू का रस बराबर मात्रा में मिला कर उस में कौटन डिप कर के आंखों पर 10 मिनट लगाए रखें. फिर उसे हटा कर चेहरा धो लें. आप चाहें तो ऐलोवेरा जैल भी काले घेरों पर लगा सकती हैं.

काले घेरों को दूर करने में यूज्ड टी बैग्स भी प्रभावकारी रहते हैं. प्रयोग किए टीबैग्स को फ्रिज में ठंडा कर के 10 मिनट आंखों पर रखें. अवश्य लाभ होगा. आप चाहें तो मार्केट में उपलब्ध अंडरआई जैल व क्रीम का भी प्रयोग कर सकती हैं. इस के अलावा अपने भोजन में कैरोटिन युक्त खाद्यपदार्थों जैसे गाजर का खूब प्रयोग करें.

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आंखो के नीचे काले घेरे की समस्या लगभग सभी के साथ होती है. जो बौडी में कई सारे न्यूट्रिशंस की कमी से होने वाली कमजोरी और तनाव की समस्या का संकेत देते हैं. लेकिन कई बार ये डार्क सर्किल उम्र बढ़ने, ड्राई स्किन, रात भर काम करने और सही तरीके से न सोने के कारण भी हो सकते हैं. आंखों के काले घेरे दूर करने के कुछ घरेलू उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर इनसे छुटकारा पाया जा सकता है.

1. बादाम का तेल

बादाम का तेल कई प्राकृतिक गुणों से भरपूर होता है, जो आंखों के आसपास की त्वचा को फायदा पहुंचाता है. बादाम के तेल के नियमित उपयोग से त्वचा का रंग हल्का पड़ जाता है, इसीलिए इसे आंखों के आसपास लगाने से डार्क सर्कल दूर हो जाते है. रात में इसे आंखों के नीचे थोड़ा सा लगाएं और हल्के हाथों से मसाज करें. मसाज करने के बाद ऐसे ही छोड़ दें. सुबह उठने के बाद मुंह धो लें.

सोने जाने से पहले आंखों के नीचे काले घेरों के ऊपर अलमन्ड औयल लगाकर हल्का-सा मसाज करें. रात भर लगा रहने दें. सुबह उठने के बाद इसे ठंडे पानी से धो लें.

2. खीरा

खीरा त्वचा की रंगत सुधारने में बहुत ही कारगर होता है. इसके साथ ही खीरा लगाने से त्वचा ज्यादा फ्रेश और ग्लोइंग नजर आती है. खीरे के पतले-पतले स्लाइस काटकर उसे रेफ्रिजरेटर में 30 मिनट के लिए ठंडा होने के लिए छोड़ दें. फिर इसे डार्क सर्किल पर लगाकर कम से कम 10 मिनट तक रखें. सूखने के बाद इसे पानी से धो लें. दिन में तीन से चार बार इसका इस्तेमाल तकरीबन एक हफ्ते तक करें और फर्क देखें.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

Holi Special: होली के रंग इन आसान टिप्स के संग

होली का त्यौहार हर साल खुशियों के रंगों के साथ आता है, जो सर्दी के मौसम के खत्म होने के साथ-साथ गर्मी के आगमन का संदेश देता है. बसंत ऋतु के इस त्यौहार को सभी रंगों के उत्सव के रूप में मनाते हैं. सालों पहले इस मौसम में पेड़ों पर रंग–बिरंगे फूल खिलते थे और उन फूलों से इसे मनाया जाता था, लेकिन समय के साथ-साथ इसमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होने लगा और अब केमिकल रंग भी इसमें आ गए.

इस बारें में मुंबई की प्रसिद्ध त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. अप्रतिम गोयल बताती हैं कि होली का त्यौहार उल्लास का है, लेकिन रंग की खरीदारी पर लोग ध्यान नहीं देते, ऐसे में इन रंगों के प्रयोग से त्वचा प्रभावित होती है और होली के बाद उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मसलन स्किन रैशेज, ड्राई ब्रिटल हेयर, आई इंज्यूरी आदि. जिसका ध्यान रखना आवश्यक है. होली के त्यौहार की खूबसूरती बनी रहे, इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान रखना आवश्यक है,

  • होम मेड रंगों का प्रयोग करें, जिसमें मेहंदी, हल्दी पाउडर, सूखे गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर पाउडर बना लें और गुलाल के रूप में प्रयोग करें,
  • रंग खेलने से पहले शरीर के खुले भाग पर क्रीम या सरसों का तेल लगा लें और इसे 20 से 30 मिनट तक वैसे ही रहने दें, इसके बाद वाटरप्रूफ सनस्क्रीन लगा लें,
  • नाखूनों, पांव, कुहनी और कानों के पीछे वाले भाग में वेसलीन लगा लें, जिनकी त्वचा संवेदनशील है, उन्हें सेंसेटिव जगहों पर रंग लगने से बचना चाहिए,
  • केवल शरीर पर ही नहीं बालों पर भी तेल लगा लें, ताकि केश रूखे होने से बचें और रंग आसानी से उतर जाए, अगर आयल लगाना नहीं चाहती, तो हेयर जेल का सहारा लिया जा सकता है,
  • अगर रंग से किसी भी प्रकार की एलर्जी या रेसेज होने की शिकायत है, तो एंटीएलर्जिक की गोली होली के पहले दिन रात में ले लें,
  • होली के दिन कपड़े ऐसे पहने, जिससे शरीर का अधिकतम भाग ढक जाय, अगर चाहे तो ड्रेस के नीचे स्विम सूट भी पहन सकती हैं, ताकि त्वचा को रंग न छू सकें,
  • अधिक सुरक्षा के लिए रंग खेलते समय धूप के चश्में और कैप पहन सकती हैं, लेकिन कांटेक्ट लेंस न पहनें.

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ये सही है कि कई बार सब कुछ ध्यान रखने के बाद भी कुछ न कुछ समस्या होली के बाद त्वचा में आ जाती है, इसलिए त्वचा की सही देखभाल से इसे ठीक किया जा सकता है. कई बार रगड़ने के बावजूद भी रंग सही तरीके से नहीं उतरता, ऐसे में कुछ आसान टिप्स बेहद फायदेमंद होते हैं-

  • नीबू का रस खासकर उंगलियों और नाखूनों के रंगों को साफ करने में बहुत उपयोगी होता है, इसके रस को लेकर 20 से 30 मिनट लगाकर हलके गरम पानी से धोकर मोयास्चराइजर लगा लें.
  • फिर भी रंग न निकले तो थोड़ी गरम ओलिव आयल लेकर लगायें और नरम कपड़े से धीरे-धीरे पोंछ लें, इसके बाद दही के साथ बेसन और थोड़ा दूध मिलाकर पेस्ट तैयार करें और उसे न छूटने वाले रंग वाले भाग पर लगाकर हलके हाथों से मसाज करें रंग निकल जायेगा.
  • इसके अलावा रंग छूटने के बाद स्किन थोड़ी ड्राई हो जाती है ऐसे में सोयाबीन के आटे में थोड़ी बेसन और दूध मिलाकर लगा लें इससे त्वचा में फिर से निखार आ जायेगा.
  • त्वचा से रंगों को छुड़ाने के लिए अधिक जोर का प्रयोग न करें.
  • रंग खेलने के तुरंत बाद बालों को शैम्पू और कंडीशनर से धो लें, अगर बाल रूखे और बेजान हो गए हैं तो हलके गरम आयल का मसाज कर गरम तौलिये का भाप अगले दिन दें.
  • होली के बाद और पहले एक सप्ताह तक ब्लीचिंग, वैक्सिंग या फेसियल करने से बचें,

इसके आगे डा. अप्रतिम गोयल का कहना है कि होली पर लोग मस्ती करने के लिए जानवरों पर भी रंग फेकते हैं जो ठीक नहीं. जानवरों को रंग से हमेशा दूर रखना चाहिए. घरों में रहने वाले जानवर इस लिहाज से थोड़ा सुरक्षित रहता है, पर गली-मुहल्लों में शरारती बच्चे उन्हें परेशान करते है. जानवर अधिकतर चाटकर अपने आप को साफ करते हैं, ऐसे में केमिकल युक्त रंग उनके पेट में चला जाता है, जिससे उन्हें कई प्रकार के पेट की बीमारी हो जाती है, इतना ही नहीं अगर ये रंग उनके आंखों तक जाती है, तो वे अंधे भी हो सकते हैं, इसलिए अगर आपके पालतू जानवर के साथ ऐसा हुआ हो तो, उसे माइल्ड शैम्पू से धो लें और वेटिनरी डाक्टर से सम्पर्क करें.

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कभी न करें शेयर लिप प्रोडक्ट

मैं अपना लिपस्टिक भूल गयी हूँ. क्या मैं तुम्हारा ले सकती हूँ? लिपस्टिक का यह रंग मेरे ऊपर अच्छा नहीं लग रहा, मुझे तुम्हारा लिपस्टिक दे दो. इस प्रकार से अपना लिपस्टिक सबके साथ शेयर करना बंद करें.

और निश्चित रूप से किसी अजनबी के साथ क्योंकि आप नहीं जानते कि उसके होंठ कैसे हैं. यहां लिपस्टिक शेयर न करने के पीछे कुछ विलक्षण कारण बताए गए हैं.

लिप बाम के उपयोग के दो ही तरीके हैं – या तो व्यक्ति सीधे इसे अपने होंठों पर रगड़े या अपने बैक्टीरिया युक्त हाथों की उँगलियों में लेकर इसे लगाए. दोनों ही तरीके खराब हैं.

आप यह जानकर चौंक जायेंगे कि होंठों से संबंधित उत्पादों को शेयर करने से वास्तव में क्या होता है? बैक्टीरिया एक जगह से दूसरी जगह जाना पसंद करते हैं यह एक महत्वपूर्ण कारण है जिसके कारण आपको अपना लिप बाम किसी के साथ शेयर नहीं करना चाहिए.

आपके होंठों की सतह के नीचे विशाल रक्त वाहिकाएं होती हैं. आप इस पतली झिल्ली पर जो कुछ भी लगाते हैं वह अपने आप ही रक्त के माध्यम से आपके शरीर में चला जाता है जिसमें बैक्टीरिया भी शामिल हैं.

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बिजी लड़कियों के लिये आसान ब्‍यूटी ट्रिक्‍स वायरस कई सप्ताह तक जीवित रहते हैं भले ही आपकी सहेली ने कई दिनों पहले आपके लिपस्टिक का उपयोग किए हो, परन्तु इस बात का ध्यान रखें कि वायरस लिपस्टिक पर चिपक जाते हैं तथा कई सप्ताह तक जीवित रहते हैं.

तो यदि दुर्भाग्य से जिस व्यक्ति ने पहले इसका उपयोग किया है उसे यदि थोड़ा बहुत भी जुकाम हो तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि यह वायरस आप को भी प्रभावित कर दे.

हर्पीस की चेतावनी लिप बाम शेयर न करने का यह एक दूसरा घातक कारण है. यदि वह व्यक्ति जिसने आपके लिप बाम का उपयोग किया है और उसके होंठों की त्वचा यदि कहीं से कटी हुई हैं या उसके होंठ फटे हुए हैं या उसके मुंह में छाले हुए हैं या उसके होंठों पर हर्पीस के वायरस हों तो इस बात की पूरी संभावना है कि आप भी इन सब से ग्रसित हो जाएं.

लिपस्टिक की ऊपरी सतह को पोंछकर फी उसका उपयोग करना काफी नहीं होता. उसे फेंक दें तथा यदि आप ऐसा नहीं कर सकती तो लिपस्टिक के ऊपरी भाग को काट डालें.

मेकअप आर्टिस्ट को उनके लिपस्टिक का उपयोग न करने दें यदि आप दुल्हन बनने वाली हैं और शादी के दिन अच्छा मेकअप करना चाहती हैं तो आपके लिए एक छोटी सी सलाह है. मेकअप आर्टिस्ट द्वारा लाये गए लिपस्टिक का उपयोग कभी न करें. इस बात की पूरी संभावना है कि आपके पहले 10 लोगों ने इसका उपयोग किया हो.

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इसका सही तरीका यह है कि लिप कलर लगाने के लिए एक साफ़ लिप ब्रश या रुई के टुकड़े का उपयोग करें. यदि आप ब्यूटी पार्लर जाती हैं तो भी लिपस्टिक के लिए यही नियम लागू होता है. तो अब आप समझ गए कि लिपस्टिक शेयर करना क्यों गलत है?

हाथों में भी रोगाणु पनप सकते हैं लोग सोचते हैं कि उंगलियां साफ होती हैं तथा लिप बाम शेयर करने का यह एक सुरक्षित तरीका है. वास्तव में ऐसा नहीं है. यदि आपके होंठों पर 40% बैक्टीरिया हैं तो आपके हाथों में 80% बैक्टीरिया होते हैं. इसका कोई सुरक्षित तरीका नहीं है. सबसे अच्छा होगा आप अपने लिप प्रोडक्ट्स को अपने उपयोग तक ही सीमित रखें.

मेरे पैर ड्राय हो जाते हैं और फटने भी लग जाते हैं, क्या करूं?

सवाल-

सर्दियों में मेरे पैर ड्राई हो जाते हैं और फटने भी लग जाते हैं. क्या करूं?

जवाब-

सर्दियों में त्वचा का ड्राई होना बहुत कौमन बात है. इस के लिए पैरों पर रोज सोने से पहले किसी थिक क्रीम से या वैसलीन से मालिश करना बहुत अच्छा रहता है. मालिश करने के बाद कौटन सौक्स पहन लें और सो जाएं. कभीकभार चीनी, नीबू और गुलाबजल को मिला कर उस से पैरों की मालिश कर लें. इस से स्किन मौइस्चराइज हो जाती है और फटती भी नहीं है. अगर पैर फट रहे हैं तो रात को हलके गरम पानी में पैरों को कुछ देर के लिए डुबो कर रखें. चाहें तो पानी में थोड़ा सा शैंपू डाल सकती हैं. पैरों को बाहर निकाल कर साफ करें और सुखा लें.

एक कटोरी में मोमबत्ती के टुकड़े डाल कर उस में थोड़ा सा सरसों का तेल डालें और हलकी आंच पर धीरेधीरे चलाएं. इस पेस्ट को फटे हुए पैरों में भर लें और मौजे पहन लें. इस से आप के फटे हुए पैर कुछ ही दिनों में ठीक हो जाएंगे.

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पैरों को साफ और स्वस्थ रखना भी उतना ही जरूरी है, जितना शरीर के किसी दूसरे अंग को. पैरों की साफसफाई एक निश्चित अंतराल पर होती रहनी चाहिए. इस के लिए आप नियमित साफसफाई के अलावा पैडिक्योर का सहारा भी ले सकती हैं.

ऐसे करें पैडिक्योर

पैडिक्योर करने से पहले नाखूनों पर लगी नेल पौलिश को हटा दें. फिर टब या बालटी में कुनकुने पानी में अपना पसंदीदा साल्ट या क्रीम सोप डालें. अगर आप के पैरों की त्वचा ज्यादा रूखी है, तो उस में औलिव आयल भी डाल लें. साल्ट आप के पैरों की त्वचा को नरम बनाएगा, तो औलिव आयल उस के लिए माश्चराइजर का काम करेगा. पैरों का कम से कम 15 मिनट तक इस पानी में रखने के बाद बाहर निकाल कर बौडी स्क्रबर से स्क्रब करें. स्क्रब करने के बाद ठंडे पानी से पैरों को अच्छी तरह साफ कर लें. ध्यान रहे कि पैरों की उंगलियों के बीच में  कहीं सोप बचा न रहे. अब पैरों पर कोल्ड क्रीम से हलकी मालिश करें. रूई की सहायता से उंगलियों के बीच फंसी क्रीम को साफ करें. अब पैरों के नाखूनों पर नेल पौलिश का सिंगल कोट लगाएं और इसे सूखने दें. जब यह सूख जाए तो नेल पौलिश से फाइनल टच दें.

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पैराफिन वैक्स के साथ पैडिक्योर

इस तरीके से पैडिक्योर करने के लिए सब से ज्यादा जरूरी चीज है वक्त. जब भी आप पैराफिन वैक्स से पैडिक्योर करें, इसे कम से कम सवा घंटे का समय दें. पैराफिन वैक्स से पैडिक्योर करते समय सब से पहले अपने पैरों को पैराफिन वैक्स से साफ कर लें. इस के लिए पैराफिन वैक्स को पिघला कर एक मिट्टी की बड़ी कटोरी या बरतन में डाल लें. अब अपने पैरों को इस बरतन में डाल दें. यह काम करते वक्त इस बात का खयाल रखें कि वैक्स आप के पैरों के ऊपर बहे. इस के बाद पेडिक्योर की पहली प्रक्रिया की तरह पैरों को कुनकुने साफ पानी से धो कर क्रीम से इन की मसाज करें और नेल पौलिश लगा लें.

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फिजिकल vs केमिकल सनस्क्रीन 

गर्मियों का मौसम आने तो है, ऐसे में जहां हमारे आउटफिट्स मौसम के अनुसार पूरी तरह से बदल जाएंगे, ठीक उसी तरह हमारे स्किनकेयर प्रोडक्ट्स में भी काफी बदलाव होगा. क्योंकि अब हमें अपनी स्किन को सूर्य की हार्श किरणों से बचाने के लिए सनस्क्रीन को आवश्यक रूप से  अपने स्किनकेयर रूटीन में शामिल जो करना होगा. वैसे तो सनस्क्रीन हर मौसम में जरूरी होता है, लेकिन इसकी खास तौर पर जरूरत गर्मियों में महसूस होती है. वरना इसके अभाव में स्किन टेन होने से लेकर स्किन डेमेज तक हो सकती है. यहां तक की स्किन कैंसर का भी डर बना रहता है. लेकिन सवाल ये उठता है कि मार्केट में तो ढेरों सनस्क्रींस मिलते हैं , ऐसे में हम अपनी स्किन के लिए फिजिकल या केमिकल किस सनस्क्रीन का चुनाव करें. तो आइए जानते हैं इस संबंध में .

क्या है सनस्क्रीन 

जिस तरह से पानी हमारी बोडी को हाइड्रेट रखकर हमें सुरक्षा प्रदान करता है, ठीक उसी तरह सनस्क्रीन हमारी स्किन के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है. ये खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों से स्किन को बचाता है, जिससे स्किन टेन होने से बचने के साथसाथ स्किन एलर्जी, स्किन रेडनेस जैसी समस्याओं से भी निजात मिलता है. क्योंकि सनस्क्रीन में एसपीएफ यानि सन प्रोटेक्शन फैक्टर जो होता है. जैसे अगर आपकी स्किन धूप में निकलते ही आपको टेनिंग या जलन जैसा फील होने लगे तो इसका मतलब आपकी स्किन धूप के संपर्क में आते ही जलने लगती है . इसलिए जरूरी है आपके लिए 25 या फिर 30 एसपीएफ युक्त सनस्क्रीन का चयन करने की. क्योंकि ये आपको 5 – 6 घंटे सुरक्षा प्रदान करने का काम जो करेगा.

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केमिकल सनस्क्रीन 

जान लें कि जिस सनस्क्रीन में जितना ज्यादा एसपीएफ होगा , उसमें उतने ज्यादा केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें सूर्य की किरणों को अवशोषित करने के लिए ऐसे केमिकल इंग्रीडिएंट्स का इस्तेमाल किया जाता है , जो इसे हीट में बदल देती है, फिर वो हीट स्किन के माध्यम से बाहर निकलती है. अमेरिकन एकेडमी ऑफ़ डर्मेटोलॉजी के अनुसार, केमिकल सनस्क्रीन में ऑक्सीबेंजोन,  एवोबेंजोन, होमोसोलटे , ओक्टिनोसेट नामक इंग्रीडिएंट्स होते हैं , जो स्किन को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं. खासकर के एक्ने व सेंसिटिव स्किन को. इन सनस्क्रीन्स में अल्कोहल, खुशबू व प्रीसरवेटिव्स का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए एलर्जी व सेंसिटिव स्किन वालों को इसके इस्तेमाल से दूर रहना चाहिए. ये लाइट होने के कारण स्किन में आसानी से एब्सॉर्ब भी हो जाते हैं.

फिजिकल सनस्क्रीन 

इसे अगर सनब्लॉक भी कहा जाए तो गलत नहीं होगा. क्योंकि ये दोनों यूवीए व यूवीबी किरणों से स्किन का बचाव करने का काम करते हैं . इसमें मिनरल बेस्ड इंग्रीडिएंट्स जैसे टाइटेनियम डाइऑक्साइड, जिंक ऑक्साइड वगैरा का इस्तेमाल किया जाता है. ये त्वचा के ऊपर रहकर हानिकारक यूवी किरणों को स्किन से दूर रखने का काम करते हैं . इसकी खास बात यह है कि इसे लगाते ही आपकी स्किन को सूर्य की किरणों से बचाव हो जाता है. और आपको बाहर जाने से पहले इंतजार करने की जरूरत भी नहीं होती है. बता दें कि फिजिकल सनस्क्रीन सेंसिटिव व एक्ने प्रोन स्किन के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं.

जब चुनें सनस्क्रीन 

टाइप का ध्यान रखें 

मार्केट में आपको लोशन, स्प्रे,  जैल , क्रीम, स्टिक कई फॉर्म में सनस्क्रीन मिल जाएंगे. लेकिन आप अपनी स्किन टाइप व कंफर्ट को देखते हुए ही सनस्क्रीन का चयन करें. जैसे अगर आपकी स्किन ड्राई है तो आप क्रीम बेस्ड सनस्क्रीन का चयन करें, जो आपकी स्किन की डॉयनेस को दूर करके आपको एजिंग से दूर रखने का तो काम करेगा ही, साथ ही स्किन को यूवी किरणों से भी बचाएगा. वहीं अगर आपकी एक्ने प्रोन स्किन है तो आप जैल बेस सनस्क्रीन का चयन करें, क्योंकि इसका नोन ग्रीसी फार्मूला आपकी स्किन को क्लियर बनाने के साथ एक्सेस आयल को भी रिमूव करके आपकी स्किन की डबल केयर करने का काम करता है.

चुनें ब्रॉड स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन 

ये ऐसे सनस्क्रीन होते हैं , जो यूवीए व  यूवीबी दोनों तरह की किरणों से स्किन को प्रोटेक्शन देने में मदद करते हैं. क्योंकि ये न सिर्फ स्किन को टेन होने से बचाने का काम करते हैं , बल्कि स्किन कैंसर से भी बचाते हैं. जबकि अधिकतर सनस्क्रीन यूवीबी किरणों से स्किन को बचाते हैं. लेकिन इनसे एजिंग को रोकने में मदद नहीं मिलती है. इसलिए जब भी सनस्क्रीन खरीदें तो लेबल देखकर ही खरीदें, ताकि आपकी स्किन की दोनों किरणों से रक्षा हो सके.

एसपीएफ जरूर देखें 

सिर्फ सनस्क्रीन को देखकर मार्केट से सनस्क्रीन को खरीद लेना उचित नहीं है, बल्कि आप अपनी जरूरत के हिसाब से सनस्क्रीन में एसपीएफ को जरूर चेक करें. जैसे अगर आपको गर्मियों में बाहर ज्यादा देर तक रहना पड़ता है, तभी आप 40 – 50 एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का चयन करें , वरना आप कम से कम एसपीएफ का इस्तेमाल करके अपनी स्किन को केमिकल्स से बचाएं. क्योंकि जितना ज्यादा एसपीएफ उतना ज्यादा केमिकल.

पहले हाथ पर चेक जरूर करें

जब भी आप कोई नया सनस्क्रीन खरीदें, तो उसे सबसे पहले डायरेक्ट स्किन पर अप्लाई न करें , बल्कि 1 – 2 बार उसे हाथ पर चेक करके जरूर देखें. इससे अगर आपको सनस्क्रीन से किसी भी तरह की कोई एलर्जी होगी, जैसे स्किन का लाल पड़ जाना, जलन, खुजली, स्किन कलर का अलग दिखना तो समझ जाएं कि ये सनस्क्रीन आपकी स्किन के लिए सही नहीं है. और अगर परफेक्ट है तो फिर आप उसे बिना सोचेसमझें  चेहरे पर अप्लाई कर सकते हैं.

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इंग्रीडिएंट्स इन सनस्क्रीन 

हमेशा  इंग्रीडिएंट्स देखकर ही सनस्क्रीन को खरीदना चाहिए. जैसे अगर सनस्क्रीन में टाइटेनियम डाइऑक्साइड व जिंक ऑक्साइड जैसे इंग्रीडिएंट्स हैं तो आप उस सनस्क्रीन का चयन करें. क्योंकि जहां जिंक ऑक्साइड आपको यूवीए व  यूवीबी दोनों किरणों से बचाता है और साथ ही सनबर्न व झुर्रियों के खतरे को भी काफी कम कर देता है, वहीं टाइटेनियम डाइऑक्साइड सनस्क्रीन में यूवी फ़िल्टरिंग घटक के रूप में काम करता है. जो स्किन में यूवी किरणों को अब्सोर्ब होने से रोकता है. जबकि केमिकल इंग्रीडिएंट्स स्किन में एब्सॉर्ब होने के कारण ये स्किन कैंसर का भी कारण बनते हैं. और हमेशा एक्सपायरी चेक करके ही प्रोडक्ट को खरीदें.

बेस्ट मिनरल बेस्ड सनस्क्रीन 

जेड ब्लाक 25% जिंकऑक्साइड सनस्क्रीन जैल 

ये  25% जिंकऑक्साइड से बना होने के कारण स्किन की यूवीए व  यूवीबी किरणों से प्रोटेक्शन करने का काम करता है. इसका सिलिकोन टेक्सचर होने के कारण आप इसे प्राइमर की तरह भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ये चेहरे पर ग्लो व वेलवेट फिनिश देने के साथ हानिकारक केमिकल्स से फ्री है.

एरोमा मैजिक एलोवीरा सनस्क्रीन जैल 

इसमें जिंकऑक्साइड की मौजूदगी , जो यूवी फिल्टर का काम करती है, साथ ही ये स्किन को मैट फिनिश देने का भी काम करता है. अगर आपकी एक्ने प्रोन स्किन है तो आप बिना सोचेसमझें इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. क्योंकि ये हार्मफुल केमिकल्स से मुक्त जो है.

न्यूट्रोजिना शीर जिंक सनस्क्रीन 

ये 100 पर्सेंट मिनरल बेस्ड है, इसमें जिंक ऑक्साइड होने के कारण ये हार्मफुल रेज़ से स्किन की सुरक्षा करता है.  ये स्किन पर सोफ्ट मैट फिनिश तो देता ही है, साथ ही पेराबीन , फ्रेग्रेन्स व डाई से रहित होने के कारण पूरी तरह से सेफ है.

डर्मा को प्योर जिंक सनस्क्रीन जैल 

लाइटवेट मिनरल सनस्क्रीन 100% नेचुरल जिंक ऑक्साइड से बना होने के कारण ये इंडियन स्किन के लिए परफेक्ट है. ये स्किन पर ग्रीसी इफ़ेक्ट नहीं देता है.

कुरेज मिनरल सनस्क्रीन 

ये एलोवीरा , विटामिन इ जैसे नेचुरल इंग्रेडिएंट्स से बना होने के कारण आपकी स्किन को नौरिश करने के साथ स्किन को प्रोटेक्ट व क्लियर बनाने का भी काम करता है. आप इन्हें अपनी सुविधानुसार ऑफलाइन व ऑनलाइन कहीं से भी खरीद सकते हैं.

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प्रेजेंटेबल होने से बढता है कॉन्फिडेंस, कैसे, जानें एक्सपर्ट से

फेस्टिवल कोई भी हो हेयर स्टाइल और मेकअप सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सही हेयर स्टाइल से व्यक्ति का व्यक्तित्व बदल जाता है और वह उस पार्टी की सबसे आकर्षक बन जाता है. केशों की सुंदरता में सिल्की और शाइनी होना बहुत जरुरी है. इस समय अधिकतर महिलाएं घर से काम कर रही है और वे अपने केशों और मेकअप पर ध्यान नहीं दे पा रही है, लेकिन अपने चेहरे और केशों का ध्यान हमेशा रखने की जरुरत होती है.

मुसीबत में है ब्यूटी इंडस्ट्री 

कोरोना की वजह से ब्यूटी इंडस्ट्री काफी मुसीबतों का सामना कररही है, क्योंकि अभी आधे से अधिक लोग घर से काम कर रहे है बाहर निकलने पर मास्क लगाना पड़ता है. मेकअप केवल आँखों का ही किया जाना संभव होता है. इस बारें में कोस्मोप्रूफ़ और वेलनेस एक्सपर्ट समीर श्रीवास्तव कहते है कि ये समय निश्चित रूप से अच्छा नहीं है.पिछले 2 साल में इम्पैक्ट बहुत अधिक था, पर अभी कुछ हद तक ठीक हो गया है. कई राज्यों में तो पूरी तरह से अब ब्यूटी सैलून खुल चुके है. महाराष्ट्र में अभी भी कुछ सावधानियां है. मेरे हिसाब से ब्यूटी एक हायजिन से जुड़ा शब्द है, इसमें हेयर कट से शुरू कर पूरा मेकओवर होता है. अच्छा हेयर कट, ब्लो ड्रायर और अच्छा कलर मिल गया, तो व्यक्ति अंदर से खुशियों को पा लेता है. किसी ने अगर आपके चेहरे और केशो की तारीफ़ की है, तो व्यक्ति मानसिक रूप से बहुत अधिक खुश हो जाते है.ब्यूटी इंडस्ट्री में उतार-चढ़ाव हमेशा रहेगी, ये कम नहीं हो सकती.

पुरुष भी करते है मेकअप

समीर आगे कहते है किमैं करीब 20 साल से इस क्षेत्र में हूँ. ब्यूटी की खपत धीरे-धीरे बढती ही जा रही है और केवल महिलाएं ही नहीं, आज पुरुष भी अपनी ब्यूटी, मेकअप के द्वारा बढाते है. इस क्षेत्र में कोई भी पैसे खर्च करने में कंजूसी नहीं करते, इसलिए दिनोदिन ये व्यवसाय बढती ही जा रही है.

आयुर्वेद को ब्यूटी में जोड़ना

इसके अलावा इंडिया में ब्यूटी के क्षेत्र में उत्पादों की भरमार हो चुकी है, जिसमें आजकल आयुर्वेदिक प्रोडक्ट, वेगन प्रोडक्ट और न जाने क्या- क्या है. आयुर्वेद को सभी कंपनी महत्व दे रही है, जिसमें हल्दी, एलोवेरा, नीम, तुलसी और न जाने क्या-क्या प्रयोग करते है. इससे ये पता लग रहा है कि पूरानी रूट्स मॉडर्न फॉर्म में बाहर निकल रही है. इसके अलावा जिन कंपनियों ने ब्यूटी प्रोडक्ट को छोड़ दिया था, वे वापस आ रहे है.

खुद करें मेकअप

खुद मेकअप करने की चाहत केवल यहाँ नहीं, विश्व में हर जगह पर है. इसके लिए सुविदाएं भी खूब है, कोई इन्टरनेट पर तो कोई यूट्यूब पर देखकर खुद का मेकअप करते है. लेकिन इसमें देखना ये जरुरी है कि मेकअप सीखाने वाला कोई एक्सपर्ट हो.कई अच्छे-अच्छे मेक अप आर्टिस्ट आजकल सोशल मीडिया पर सिखाते है.

असली मेकअप के लिए हेयर कट और चेहरे की आकृति अधिक मायने रखती है. सही मेकअप लगाने के लिए उसकी सही जानकारी होना बहुत जरुरी है. कुछ बातें ध्यान देने योग्य निम्न है,

  • मेकअप का स्किन से मैच करना,
  • फेस कट मसलन ओवल, पतला, छोटा आदि को देखना,
  • हेयर कट जैसे केशों का रंग, हाईलाईट कलर, लम्बे केश, छोटे केश, कर्ली हेयर आदि के आधार पर मेकअप लगाने से किसी की भी पर्सोनालिटी खिलती है.

ट्रेंड में न्यूड मेकअप है, जिसमें अलग तरीके की लिपस्टिक्स, नेलपॉलिश और मेकअप होती है. इसे मेकअप करने पर किसी को पता नहीं लग पाता और व्यक्ति सुंदर दिखता है. ये   हल्का मेकअप होने वजह से हर उम्र की महिलाए इसे लगा सकती है. मास्क की वजह से लिपस्टिक्स का प्रयोग पूरे विश्व में महिलाएं कम कर रही है, जबकि लिपस्टिक मूड को बदल सकती है. किसी की पर्सोनालिटी को अच्छा बनाये रखना आज बहुत जरुरी है, इससे कॉन्फिडेंस आता है. आज छोटे शहरों में काफी लोग अपनी ब्यूटी को लेकर जागरूक हो चुके है.

अब और नहीं ड्राय स्किन

सर्दियों में अधिकतर लोगों की समस्या होती है उन की रूखी त्वचा. इस मौसम में रूखी त्वचा को मैनेज करना थोड़ा मुश्किल होता है. कितना भी मौइश्चराइजर या क्रीम लगा लो, थोड़े समय बाद चेहरा शुष्क पड़ ही जाता है.

कई बार रूखी त्वचा की वजह से चेहरे पर ड्राई पैचेस होने लगते हैं जो अलग से ही चेहरे पर दिखने लगते हैं. ड्राई स्किन की वजह से मेकअप भी जल्दी सैट नहीं होता और चेहरे की खूबसूरती ढल जाती है.

रूखी त्वचा को ठीक करने के लिए महिलाएं तरहतरह के फेसमास्क का इस्तेमाल करती हैं, जिन का असर कुछ दिनों तक ही रहता है. लेकिन कुछ ऐसे नैचुरल फेसमास्क हैं जिन्हें आप आसानी से घर पर बना सकती हैं. इन फेसमास्क की मदद से त्वचा में लंबे समय तक नमी बनी रहती है.

एलोवेरा फेसमास्क

एलोवेरा में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो शरीर और त्वचा दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं. इस में पाए जाने  वाले एंटीऔक्सीडैंट से चेहरे की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं. एलोवेरा के इस्तेमाल से चेहरे में नमी आती है और जरूरी पोषण भी मिलता है.

एलोवेरा का फेसमास्क बनाने के लिए एलोवेरा जैल निकाल लें. इस में खीरे का जूस मिला लें. इस मास्क को आप फेस वाश करने के बाद चेहरे पर लगाएं और कुछ देर के लिए छोड़ दें. इस से चेहरे का रूखापन तो दूर होगा ही, चेहरे पर ग्लो भी नजर आने लगेगा.

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 एवोकाडो फेसमास्क

फलों का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है. फलों से सेहत तो अच्छी रहती ही है, चेहरे पर चमक भी बनी रहती है. एवोकाडो पोषक तत्त्वों से युक्त होता है जो त्वचा को स्वस्थ बनाने में फायदेमंद होता है.

यह ड्राई और डैमेज स्किन को हटा कर त्वचा को कोमल बनाता है. एवोकाडो फेसमास्क बनाने के लिए 2 चम्मच मैश किए हुए एवोकाडो लें. उस में एक चम्मच शहद और एक चम्मच गुलाबजल डाल कर अच्छे से मिला लें. चेहरा क्लीन करने के बाद इस मास्क को चेहरे पर लगाएं. 10 मिनट बाद गुनगुने पानी से धो लें.

स्ट्राबैरी फेसमास्क

स्ट्राबैरी से स्किन मुलायम ही नहीं बल्कि ग्लोइंग भी नजर आती है. इस में मौजूद विटामिन सी त्वचा के रूखेपन को दूर करने में मदद करता है. इस के इस्तेमाल से स्किन में जमे डैड सैल्स भी निकल जाते हैं. स्ट्राबैरी फेसमास्क के लिए 2-3 बड़े स्ट्राबैरी को मैश करें, फिर इस में शहद और एक चम्मच ओटमील मिलाएं.

इस का पेस्ट बना लें और 20 मिनट के लिए चेहरे पर लगा कर छोड़ दें. इस के बाद इसे ठंडे पानी से धो लें. इस मास्क को आप हफ्ते में 2 बार जरूर लगाएं.

पपीता फेसमास्क

पतीता सेहत और खूबसूरती दोनों के लिए ही बेहतरीन माना जाता है. पपीते में पोटैशियम होता है जो त्वचा को हाईड्रेट और खूबसूरत बना कर रखता है. यह त्वचा में मौजूद डैड सैल्स, दागधब्बों को साफ करने में भी मदद करता है.

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केला और चंदन फेसमास्क

बनाना फेसमास्क ड्राई स्किन को नमी पहुंचा कर उसे चमकदार बनाने में मदद करता है. इस से त्वचा का रूखापन तो खत्म होता ही है,   झुर्रियों जैसी समस्या भी खत्म होने लगती है. यह स्किन को टाइट रखने में भी मदद करता है.

बनाना फेसमास्क बनाने के लिए एक पका हुआ केला लें. उसे अच्छे से मैश करें. अब उस में एक चम्मच शहद, एक चम्मच जैतून का तेल और आधा चम्मच चंदन पाउडर मिला दें. अब इस मास्क को त्वचा पर लगाएं. जब यह अच्छे से सूख जाए तब गुनगुने पानी से धो लें.

10 प्री ब्राइडल ब्यूटी केयर

‘चंदन सा बदन, चंचल चितवन…’ जी हां हर भावी वर की यही तमन्ना होती है कि विवाह की वेदी पर उस की सहचरी का यही रूप हो. वहीं हर भावी वधू का यही अरमान होता है कि शृंगार से अलंकृत उस का रुपयौवन उस के प्रियवर को मदहोश कर दे. इसलिए अगर आप भी दुलहन बनने जा रही हैं तो शादी से लगभग डेढ़दो माह पहले से ही अपने रंगरूप, खानपान और सौंदर्य की ओर ध्यान देना शुरू कर दें.

स्ट्रैसफ्री रहें:

आजकल अधिकतर लड़कियां वर्किंग गर्ल की श्रेणी में आती हैं. इसलिए शारीरिक व मानसिक रूप से फिट रहने व तनावमुक्त होने के लिए योगाभ्यास करें. स्टै्रस लैवल को कम करने के लिए पिकनिक, फिल्म या फिर बौडी स्पा का सहारा लें क्योंकि आप के मन को प्रसन्नता का आभास आप के चेहरे की चमक से होगा.

चेहरे को निखारें:

चेहरे की सुंदरता निखारने के लिए डेली क्लीजिंग, टोनिंग व मौइस्चराइजिंग करें. धूप में निकलने से आधा घंटा पहले सनस्क्रीन लगाना न भूलें.

सैलून विजिट:

शादी से कम से कम 1-2 महीने पहले ही अपने ब्यूटीशियन से प्रीब्राइडल व ब्राइडल मेकअप के बारे में जानकारी लें ताकि अगर आप को किसी खास ट्रीटमैंट की जरूरत हो तो वह शुरू किया जा सके. समयसमय पर ब्यूटी सिटिंग्स व ब्यूटी रूल भी फौलो करें ताकि शादी के समय व उस के बाद भी आप की सुंदरता बनी रहे.

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नए उत्पाद ट्राई करें पर आंख मूद कर नहीं:

शादी से कुछ दिन पहले किसी नए सौंदर्य प्रसाधन का इस्तेमाल करने से बचें. अगर आप को किसी प्रकार की ऐलर्जी है तो अपनी ब्यूटीशियन को जरूर बताएं.

वैडिंग ड्रैस व ज्वैलरी:

अपनी वैडिंग ड्रैस, ज्वैलरी व मेकअप के बारे में पहले से ही ब्यूटी ऐक्सपर्ट से मिल कर रूपरेखा तैयार कर लें ताकि वैडिंग डे पर आप अपना मनचाहा रूप पा सकें. वैडिंग ड्रैस व ज्वैलरी प्लान करते समय अपने स्किन कौंप्लैक्शन व फिगर के अनुसार ही आउटफिट व ज्वैलरी का चुनाव करें.

समय रहते बदलाव:

अगर आप भी अपने में कुछ बदलाव चाहती हैं तो अपनी ब्यूटी ऐक्सपर्ट से सलाह लें, इस में वह बालों की कटिंग के द्वारा व आप की आईब्रोज की शेप में थोड़ा बदलाव ला कर आप का व्यक्तित्व निखार सकती है.

डाइट प्लान:

शादी से कम से कम 2-3 महीने पहले ही अपनी डाइट पर कंट्रोल करें. फास्ट फूड व चिकनाई वाले खाने से परहेज करें तथा ग्रीन सलाद व फ्रूट्स को अपने डेली रूटीन में शामिल करें. खूब पानी पीएं. चाहें तो डाइट प्लान के लिए डाइटीशियन से भी संपर्क कर सकती हैं.

हर अंग संवारें:

चेहरे के अलावा हाथपैरों व अंदरूनी हिस्सों की भी साफसफाई का विशेष ध्यान रखें. समयसमय पर मैनीक्योर, पैडीक्योर व वैक्सिंग करवाएं. अगर एडि़यां कटीफटी हैं तो उन पर पैरोसिन वैक्स लगाएं तथा गरम पानी में समुद्री नमक डाल कर पैरों की सिंकाई करें.

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मौसम के अनुरूप:

अगर आप की शादी गरमियों में है तो मैटी मेकअप का इस्तेमाल करें और अगर सर्दियों में है तो क्रीमी मेकअप का. विंटर सीजन में ब्राइट, डार्र्क व फाइन शिमरी शाइन कलर्स टोन परफैक्ट रहते हैं.

ब्राइडल पैकेज:

आजकल मार्केट में सैलून द्वारा स्पैशल पैकेज उपलब्ध हैं, जिन्हें आप अपने ब्यूटी ट्रीटमैंट व बजट के अनुरूप अपना सकती हैं. इस के लिए ब्यूटीशियन से बिना संकोच किए सलाह लें.

समयसमय पर कोविड टैस्ट कराती रहें और दोनों वैक्सीन डोज शादी से पहले अवश्य ले लें क्योंकि शादी के दौरान बहुतों को बिना मास्क के मिलना पड़ता है.

शादी का दिन आप की जिंदगी का सब से खास दिन होता है. अत: इस दिन कोई कमी नहीं रह जाए, इस के लिए समय निर्धारण की बहुत जरूरत होती है.

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