अगला युग कैसा

वर्क फ्रौम होम देश के मध्यवर्ग की औरतों के लिए एक नई चुनौती पैदा कर रहा है. टैक्नोलौजी के आने और कोरोना के लौकडाउनों में इस के पौपुलर हो जाने की वजह से वर्क फ्रौम होम के साथसाथ ऐंजौय ऐट होम भी जम कर होने लगा है. जो बातें पहले केवल बहुत टैक्सैवियों के पल्ले पड़ती थीं अब आम लोगों तक पहुंचने लगी हैं और मोबाइल या कंप्यूटर पर जूम जैसे दसियों ऐप्लिकेशनों के जरीए घर बैठे दफ्तर का काम भी हो रहा है और रिश्तेदारों से मिलाजुला भी.

इस में चुनौती यह है कि औरतों को अब सारा दिन घर संभालना होगा. पहले उन्हें पति या बच्चों के जाने के बाद खुद के लिए जो समय मिलता था वह अब गया. अब हर समय घर में खानापीना तैयार रखो, शांति रखो क्योंकि पति वर्क फ्रौम होम में व्यस्त हैं और बच्चे औनलाइन क्लास में. औरत अगर खुद कामकाजी है तो उसे

9-10 बजे तक सब को उठा कर तैयार करवाने पर जोर देना होगा ताकि वह भी वर्क फ्रौम होम में लग जाए.

घर से बाहर निकलने का जो आनंद पहले औरतों को मिलता था चाहे कामकाजी हों या घरेलू वह अब कोरोना तक ही नहीं गायब हो गया, उस के बाद भी गायब हो जाएगा.

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अब पक्का है कि बहुत से दफ्तर घरों में काम करने के नए तरीके ईजाद करेंगे ताकि दफ्तरों का रखरखाव कम करना पड़े और अनुशासन मैंनटेन करने में सिर खपाना न पड़े.

घरों में काम करेंगे तो वर्क प्लेस पर सैक्सुअल हैरिसमैंट के मामले कम हो जाएंगे. स्कूल भी कईकई दिन बंद रख कर बच्चों को घर पर पढ़ने को कहेंगे ताकि उन्हें संभालने की मुसीबत न झेलनी पड़े. ये बदलाव परमानैंट होंगे, पोस्ट कोरोना युग का हिस्सा होंगे.

इस का मतलब यह भी है औरतों पर हर समय पति और बच्चों की मांगें चढ़ी रहेंगी. उन्हें घंटों की राहत भी नहीं मिलेगी. पति और बच्चों की सुविधाओं का तो इंतजाम करो पर वे बात करने को खाली नहीं.

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अगर रेल और हवाईजहाज चालू हो भी गए तो भी बहुत से रिश्तेदार कहेंगे कि मिल कर क्या करोगे, आप को वर्चुअल टूर करा देते हैं. यहां तक कि खाने की डिशेज ऐक्सचेंज नहीं होंगी, रैसिपियां ऐक्सचेंज होंगी.

सास भी कहेगी बहू जरा रैफ्रीजरेटर खोल कर तो दिखाओ, कब से गंदा पड़ा होगा, वर्चुअल इंस्पैक्शन होगा अब. यह युग ज्यादा खतरनाक होगा.

बच्चों के लिए जरूरी हाइजीन हैबिट्स

बच्चे घर के पौष्टिक आहार को छोड़ कर चिप्सकुरकुरे आदि के पीछे भागते रहते हैं. इस कारण उन में पोषण की कमी हो जाती है. ऐसे में बच्चों में कोरोना के संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है. ऐसे में परिवारों के बड़ेबुजुर्गों की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों को कोरोना से बचाव के बारे में अच्छी तरह से समझएं, व्यक्तिगत स्वच्छता के महत्त्व के बारे में जागरूक करें.

बच्चों को सिखाएं ये जरूरी बातें

हाथ धोना: बच्चों को अकसर कोई अच्छी आदत सिखाने के लिए एक नया तरीका ढूंढ़ना पड़ता है, जिस से कि वे आसानी से आप की बात मानने के लिए तैयार हो जाएं. अपने बच्चों को हाथ धोने की आदत डालनी है तो पहले उन्हें सब के साथ हाथ धोना सिखाएं. इस के बाद कहें कि हैंडवाश करतेकरते उन्हें 2 बार हैप्पी बर्थडे सौंग गाना है. इस से बच्चे आसानी से आप की बात मान जाएंगे और उन के हाथ भी अच्छी तरह साफ हो जाएंगे.

लोगों से रखें दूर: चूंकि, बच्चों में संक्रमण आसानी से फैल सकता है, इसलिए उन्हें बाहर के लोगों के संपर्क में बिलकुल न आने दें. ऐसे ही यदि घर में किसी की तबीयत खराब है या कोई बुजुर्ग सदस्य है तो बच्चों को उन से दूर रहने को कहें. इस बारे में बुजुर्ग या बीमार सदस्य को भी समझ दें ताकि किसी को बुरा भी नहीं लगेगा और आप के बच्चे भी संक्रमण से बचे रहेंगे.

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खिलौनों को सैनिटाइज करें: खिलौनों के साथ खेलना बच्चों का सब से पसंदीदा काम होता है. ऐसे में बच्चे खिलौनों को घर में कहीं भी छोड़ देते हैं, जिस कारण खिलौने कीटाणुओं के संपर्क में आ जाते हैं. बच्चों की एक बुरी आदत होती है कि वे खिलौनों को चबाना या चाटना शुरू कर देते हैं, जो उन के स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. इसलिए बच्चों को खिलौने देने से पहले उन्हें अच्छी तरह साफ कर सैनिटाइज करें. इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चे खिलौने को चाटें या चबाए नहीं.

घर की चीजों को सैनिटाइज करें: घर की जिन चीजों को सब से ज्यादा हाथ लगाया जाता है, उन्हें दिन में कम से कम 3 बार सैनिटाइज करें. इस से वहां मौजूद कीटाणु खत्म हो जाएंगे और बच्चे कीटाणुओं के संपर्क में आने से बचे रहेंगे.

मुंह में हाथ न लगाएं: बच्चों को बताएं कि मुंह पर हाथ लगाना उन की सेहत बिगाड़ सकता है. उन्हें बताएं कि यदि वे बीमार पड़ गए तो उसे घर को बेस्वाद और बेकार खाना खाना पड़ेगा, साथ ही कड़वी दवा के बारे में भी बताएं. बच्चे ऐसी चीजों से दूर भागते हैं, इसलिए वे इस तरह आप की बात आसानी से मान जाएंगे.

खांसतेछींकते करें टिशू का इस्तेमाल: अपने बच्चों को सिखाएं कि वे खांसने या छींकने के लिए टिशू का इस्तेमाल करें. उन्हें टिशू पेपर उठाने में देरी न हो, इसलिए कुछ टिशू उन की पैंट की जेब में रख दें.

धुले कपड़े पहनाएं: बच्चों का ज्यादातर वक्त खेलकूद में गुजरता है, जिस में उन के कपड़े गंदे हो जाते हैं. इसलिए उन के कपड़े दिन में कम से कम 2 बार बदलें.

बाहर जाते समय मास्क और ग्लव्स पहनाएं: कोशिश करें कि बच्चों को कहीं बाहर न ले जाएं. इस के बावजूद वे आप के साथ जाने की जिद करते हैं तो उन्हें मास्क और ग्लव्स जरूर पहनाएं.

नवजात की स्वच्छता का ऐसे रखें खयाल

– अपने घर आए नन्हे मेहमान को कोविड-19 से बचाने के लिए सब से बेहतर तरीका है सोशल डिस्टैंसिंग. अगर आप अपने शिशु को सभी को दिखाने या सब से मिलाने के लिए उत्साहित हैं तो इस के लिए आप सोशल मीडिया ऐप जैसे कि स्काइप, व्हाट्सऐप वीडियो कौल, फेसबुक वीडियो कौल, फेसटाइम या जूम का सहारा ले सकती हैं. जो लोग आप के घर में पहले से मौजूद हैं उन्हें अच्छी तरह हाथ धोने और साफसफाई के बाद ही शिशु को छूने दें.

– शिशु को बाहर ले जाने से परहेज करें ताकि वह किसी भी तरह से वायरस के संपर्क में न आए.

– यदि घर का कोई सदस्य बीमार है तो उसे कुछ दिनों के लिए क्वारंटीन कर दें ताकि शिशु या घर के अन्य सदस्य बीमारी से बचे रहें.

– नवजात के लिए मां का स्तनपान करना काफी जरूरी होता है. हालांकि, कोरोना सांस के जरिए फैलता है, जो स्तनपान के दौरान एक मां से उस के बच्चे में आसानी से प्रवेश हो सकता है. ऐसे में नवजात को छूने से पहले हाथ धोना और स्तनपान करते समय मास्क पहनना बहुत जरूरी है. अगर मां शिशु को स्तनपान करा रही है तो उसे पहले अपने हाथों को अच्छी तरह धोना चाहिए.

– शिशु के झले, बिस्तर, खिलौनों आदि की नियमित सफाई करें.

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– शिशु के मुंह से हर वक्त दूध का लावा गिरता रहता है, जिस में कीटाणु पनपते हैं. इसलिए उस के कपड़े जल्दीजल्दी बदलें और दूध गिरते ही उस का मुंह और हाथ अच्छी तरह साफ करें.

– घर का कोई भी सदस्य शिशु को गोदी में लेने या हाथ लगाने से पहले यह सुनिश्चित कर ले कि उस के हाथ साफ हों और वह बाहर से न आया हो.

 -डा. के के गुप्ता

पेडिएट्रिशियन, सरोज हौस्पिटल. –

पूरी दुनिया में सबसे घिनौना सच है देह व्यापार और ह्यूमन ट्रैफीकिंग का मुद्दा -स्वरा भास्कर

पूर्व नेवी अधिकारी व रक्षा विशेषज्ञ उदय भास्कर की बेटी व अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने ग्यारह वर्ष पहले फिल्म‘‘माधोलाल कीप वाकिंग’’ से अभिनय कैरियर की शुरूआत की थी. उसके बाद उन्होने ‘गुजारिश’,  ‘लिशेन अमाया’, ‘रांझना’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’, ‘निल बटे सन्नाटा’,  ‘अनारकली आफ आरा’, ‘वीरे दी वेडिंग’ और वेब सीरीज ‘‘रसभरी’’ सहित कई फिल्में व वेब सीरीज में अपरंपरागत व सशक्त किरदार निभाते हुए एक अलग पहचान बनायी है. तो वहीं वह सोशल मीडिया पर अपनी बेबाक राय की वजह से विवादांे में रहती हैं. हमेशा सच कह देने के चलते विवाद में वह सिर्फ न फंसती हैं, बल्कि कई बार कलाकार के तौर पर काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है. इन दिनों वह 21 अगस्त से ‘‘ओटीटी’ प्लेटफार्म ‘‘ईरोज नाउ’’पर प्रसारित हो रही मानव तस्करी व देह व्यापार प आधारित वेब सीरीज को लेकर चर्चा में हैं, जिसमें उन्होेने पहली बार एक पुलिस अफसर का किरदार निभाया है.

प्रस्तुत है स्वरा भास्कर से फोन पर हुई ‘एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश. . .

आपने लॉक डाउन का समय कैसे बिताया?

-कोरोना वायरस के चलते पूरे विश्व के लिए कठिन व विपत्ति का समय है. लॉक डाउन में हर किसी के अपने हाथ पांव बंधे हुए हैं. लेकिन मेरा वक्त काफी अच्छा गुजरा. पहले दो माह तो मैं अपनी कर्मभूमि मुंबई में अकेले रही. मंुबई में रहते हुए मैंने इत्तफाकन लॉक डाउन लगने के दो दिन पहले एक कुत्ता एडॉप्ट गोद लिया था. पहले दो माह का समय तो मेरे इस नए गोद लिए कुत्ते के साथ बीत गए. मेरे माता पिता दिल्ली में रहते हैं और मेरी माता जी के सोल्डर कंधे में चोट लग गयी थी, तो मैं कार चलाकर मंुबई से दिल्ली पहुॅच गयी. मई माह की बात है. उस वक्त ट्रेन व हवाई जहाज वगैरह सब बंद थे. तब से मैं दिल्ली में हूं. दिल्ली आकर सबसे पहले मैंने श्रमिकों को राहत दिलाने के काम से जुड़ी. फिर मैंने अपनी वेब सीरीज‘‘रसभरी’’का प्रमोशन किया. उसके बाद मैने वेब सीरीज‘‘फ्लेश’’की डबिंग दिल्ली में ही की, जो कि ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘ईरोज नाउ’’पर 21 अगस्त से स्ट्रीम प्रसारित होगा. एक अन्य वेब सीरीज‘‘भाग बानी भाग’’की भी डबिंग की, जो कि अगले माह आएगी. एक किताब ‘‘फारवर्ड’’ लिखी. एक फिल्म की पटकथा लिखी. अब वेब सीरीज ‘‘फ्लेश’’का प्रमोशन कर रही हूं. तो मेरा लॉक डाउन बहुत बेहतरीन गुजरा. सबसे बड़ी बात तो यह है कि मैं दस वर्ष के बाद इतने लंबे समय के लिए अपने माता पिता के साथ दिल्ली में हूं. मैं दस वर्ष पहले मुंबई गयी थी, तब से दिल्ली में लंबे समय के लिए रूकना नही हुआ, इसलिए माता पिता के साथ यह वक्त बिताना बहुत अच्छा लग रहा है.

मैने उन्नीस अगस्त 2020 को दिल्ली प्रदेश महिला आयोग की चेअरमैन स्वाती मालीवाल से मुलाकात कर उनसे लंबी बातचीत की, जिससे मुझे काफी कुछ सीखने को मिला.

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तो यह माना जाए कि आपने विपत्ति को भी सुअवसर में बदल दिया?

-हॅसते हुए. . . . एक तरीके से अवसर तो था यह.

वेब सीरीज‘फ्लेश’’का आफर मिला, तो आपको किस बात ने इससे जुड़ने के लिए प्रेरित किया?

-सबसे पहले तो इसकी विषयवस्तु ने. इसकी विषयवस्तु इंसानों की खरीद फरोख्त@ ह्यूमन ट्रैफीकिंग से जुड़ा हुआ है. देह व्यापार से जुड़ा हुआ है. देह व्यापार और ह्यूमन ट्रैफीकिंग का मुद्दा मेरी राय में पूरे विश्व का सबसे घिनौना सच है. मुझे लगता है कि यह बहुत दुःख और शर्मिंदगी की बात है कि इक्कीसवीं सदी में भी इंसानो की खरीद फरोख्त एक ऐसा व्यापार है, जो कि 2014 की आयलो की रपट के अनुसार इस घिनौने और पापा से भरे हुए व्यापार का लाभ 2150 बिलियन डालर का था. तो यह बहुत जरुरी है कि हम इस घिनौनी सच्चाई को लेकर बात करें. इस घिनौने व्यापार के खिलाफ जागरूकता फैलाई जाए. इसलिए मुझे लगा कि यह कहानी कही जानी चाहिए.

दूसरी बात जब मुझे इसके निर्देशक दानिश असलम ने इसका आफर दिया, उस वक्त मैं इटली में छुट्टियां मना रही थी. मैने अनमने मन से कह दिया कि आप स्क्रिप्ट भेज दो. उस वक्त मैं एक कैफे में बैठी हुई थी और मैं सारे एपीसोड वहीं पर पढ़ गयी, उस वक्त शायद इसके दस एपीसोड थे. बाद में इसके एपीसोड बढ़ गए. तो मुझे लगा कि इतनी रोचक पटकथा और बेहतरीन मुद्दे वाली वेब सीरीज तो मुझे करनी ही है.

तीसरी वजह यह रही कि मैंने अपने अब तक के कैरियर में कभी वर्दी नहीं पहनी थी, कभी पुलिस का किरदार नहीं निभाया था. मुझे लगा कि मेरे लिए यह बहुत बेहतरीन  मौका है, मेरे पिता उदय भास्कर स्वयं वर्दी वाले थे, जो कि अब नेवी से रिटायर हो चुके हैं. तो मेरे दिल में वर्दी के लिए इज्जत, सम्मान और एक खास जगह है. इसे अलावा मुझे लगता है कि हर पुरूष कलाकार यानी कि हीरो ने अपने कैरियर में कम से कम एक बार वर्दी पहनी होगी या पुलिस का किरदार निभाया होगा, मगर महिला कलाकारों यानी कि हीरोईनों को यह मौका कम मिलता है. कई ऐसी हीरोईनें हैं, जिनका पूरा कैरियर निकल गया, पर उन्हे मौका नही मिला. ऐसे में जब मुझे यह बेहतरीन मौका मिल रहा था, तो इसे मैं कैसे छोड़ देती.

किरदार को लेकर क्या कहेंगी?

-मैने वेब सीरीज ‘‘फ्लेश’में ह्यूमन ट्रैफीकिंग के रैकेट का सफाया करने में जुटी एसीपी राधा नौटियाल का किरदार निभाया है.

तो आपने अपने किरदार के लिए किस तरह की तैयारी की?

-मैने पुलिस वालों से बात करनी शुरू की. मैं कई महिला व पुरूष पुलिस वालों के अलावा आईपीएस अफसरों से मिली. मैने उनसे बात करके ‘ह्यूमन ट्रैफीकिंग’ को लेकर उनका नजरिया जानने का प्रयास किया. क्योंकि मुझे तो इस मुद्दे को अपने किरदार की हैसियत से देखना था. मैने पाया कि ज्यादातर पुलिस वालो ने ऐसे लोगो को ‘राक्षस’ की संज्ञा दी. इसके अलावा मैने पाया कि पुलिस वालो में बहुत ही ज्यादा फ्रस्ट्रेशन है कि वह चाहे जितना इमानदारी के साथ काम अपनी जिंदगी को जोखिम में डाल कर काम करें, मुजरिम को पकड़े, मगर व्यवस्था सिस्टम ऐसा है कि अपराधी बड़ी आसानी से उनके चंगुल से छूट जाते हैं. इसके लिए वह उपर से फोन करवाकर, घूस देकर जेल से बाहर निकल जाते हैं. तो पुलिस वालों में इसी का फ्रस्ट्रेशन है कि कानून में जो ‘लू फोल’ कमियां हैं, उसका फायदा यह अपराधी उठाना बड़ी खूबी से जानते हैं. मुझे यह बात बड़ी दिलचस्प लगी. तो मेरे अपने एसीपी राधा नौटियाल के किरदार के स्वभाव का बहुत बड़ा हिस्सा है फ्रस्ट्रेशन. मैंने फ्रस्ट्रेशन को पकड़ लिया. मैने तय किया कि एक किरदार की भावनात्मक रचना, उसके इस इमोशन यानी कि फ्रस्ट्रेशन को पकड़ कर करुंगी. मेरे लिए यह बहुत रोचक रहा.

दूसरी बात मैने कुछ समाज सेवकों से बात की जो कि ह्यूमन ट्रैफीकिंग से बच्चों व औरतों को छुड़ाने का काम करते हैं, तो पाया कि उनकी सबसे बड़ी बाधा पुलिस अफसर होते हैं. कई जगह पुलिस ही मानव तस्करी व देह व्यापार में संलग्न लोगों की मदद कर रही है. ट्रैफीकर ने बड़े स्तर पर सांठगांठ कर इसे एक व्यवस्थित अपराध बना रखा है. यह दुनिया बहुत संजीदा है. हमने इसमें कई पहलुओं को भी छुआ है.

क्या आप भविष्य में ह्यूमन ट्रैफीकिंग को लेकर कुछ करना चाहेंगी?

-मेरी राय मे सबसे हर इंसान को खुद को सशक्त व जागरूक बनना चाहिए. सूचना सबसे बड़ा सशक्तिकरण है. मैं यह दावा नही करुंगी कि मुझे ह्यूमन ट्रैफीकिंग जैसी अपराध की दुनिया के बारे में सब कुछ पता है. इसलिए पहली शुरूआत खुद को इस संबंध में शिक्षित करने से होनी चाहिए. उसके बाद दूसरों को शिक्षित करने की कोशिश करनी चाहिए.

ह्यूमन ट्रैफीकिंग पर फिल्म ‘‘मर्दानी 2’’आयी थी, जिसमें रानी मुखर्जी ने पुलिस अफसर का किरदार निभाया था. दो घंटे की इस फिल्म में सब कुछ कहना संभव नहीं था. पर आपकी वेब सीरीज ‘‘फ्लेश’’ काफी लंबी है,  तो इसमें विस्तार से हर पहलू पर बात की गयी है, ऐसा आप मानती हैं?

-जी बिलकुल आप एकदम सही फरमा रहे हैं. पहली बात तो मैं रानी मुखर्जी जी की बहुत बड़ी प्रशंसक हूं, तो उनसे तुलना ही मुझे गदगद कर देता है. जैसा आपने कहा उस फिल्म में दो घ्ंाटे का समय है, तो एक फोकश के साथ कहानी पेश करनी थी. फिल्म‘‘मर्दानी 2’’की कहानी यह है कि एक पुलिस वाली है, जो कि ह्यूमन ट्रैफीकिंग के अपराध से जुड़े लोगों के पीछे भाग रही है. जबकि हमारी वेब सीरीज‘फ्लेश’छह सात घ्ंाटे की है, तो हम इसमें एक नहीं तीन कहानियों के साथ हर पहलू पर जा सके हैं. इसमें तीन ट्ैक तो बहुत बेहतरीन है. इसमें एक पूरी दुनिया को रचाने व बसाने का प्रयास है. हमने बहुत बारीक चीजों पर काम किया है. मसलन -यदि आपने ट्रेलर या सीरीज देखी होगी, तो पाया होगा कि अपहृत लड़की मुंबई से कलकत्ता ट्क में जा रही हैं, ट्क रास्ते में कहीं रूकने वाला नही है. ऐेसे में यदि किसी लड़की को बाथरूम जाना हो तो वह क्या करेगी?तो एक दृश्य है जिसमें लड़कियों को डायपर पहनाए जा रहे हैं. यह दृश्य देखकर आपके दिल मन को बहुत बड़ा धक्का लगता है. जबकि यही सच है. तो हम इन सभी पहलुओं तक पहुंच पाए हैं.

ह्यूमन ट्रैफीकिंग को खत्म करने के लिए क्या करना बहुत जरूरी है?

-देखिए, ह्यूमन ट्रैफिकिंग को खत्म करना बहुत बड़ा मुद्दा है. सवाल यह है कि क्या दुनिया से पाप को खत्म किया जा सकता है?नहीं. . . तो ‘ह्यूमन टै्फीकिंग को भी खत्म करना मुमकीन  नहीं है. तो असल मुद्दा यह है कि हर शख्स अगर अपना काम और कर्तव्य का पालन करे, तो कुछ अंकुश लग सकता है. मतलब अगर पुलिस वाले अपना काम करें, एनजीओ वाले जो रेस्क्यू करते हैं, वह अपना काम करे.  सब लोग अपना अपना काम इमानदारी करें. सरकार सिर्फ अपना काम करे. शेल्टर होम चलाने वाले  अपना काम करें. आप अपने काम में भ्रष्टाचार मत करो. बाकी दुनिया को छोड़ो, तो मुझे लगता है कि इससे बहुत कुछ कम या खत्म हो सकता है. नागरिक होने के नाते हमें भी अपना काम सही ढंग से करना चाहिए. अगर कोई बच्चा आपको सड़क पर रोते हुए नजर आ रहा है, तो उसे अनदेखा मत कीजिए, रुकिए और उससे पूछें कि क्या हो गया? क्योंकि हो सकता है आप उसे अनदेखा करके छोड़ देंगे और उसको कोई ऐसा आदमी पकड़ लेगा, जो उसको देह बाजार में या ह्यूमन ट्रैफिकिंग के किसी नेटवर्क के हाथों बेच देगा.

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सेंसरशिप को लेकर आपके क्या विचार है?अक्सर वेब सीरीज के खिलाफ आवाजें उठती हैं और इन्हें सेंसरशिप के दायरे में लाने की मांग भी होती रहती है?

-मैं डिजिटल व ओटीटी पर सेंसरशिप के खिलाफ हूं. मुझे लगता  है कि ओटीटी की खासियत यही है कि यह सेंसरशिप से आजाद है. बाक्स आफिस के दबाव से आजाद है. इसलिए हम स्वतंत्र होकर ‘ओटीटी’ प्लेटफार्म पर नई तरह की कहानियां दिखा रहे हैं. नए तरह के किरदार पेश कर रहे हैं. ह्यूमन ट्रैफीकिंग पर इमानदारी से आप फिल्म नही बना सकते, क्योंकि सेंसर कई दृश्यों को पास नही करेगा. आप ‘सेके्रड गेम्स’को फिल्म में नही बना सकते, क्योंकि संेसर इसे पास ही नहीं करेगा. ‘पाताल लोक’, ‘लैला’व अन्य वेब सीरीज को ेसेंसर पास ही नही करेगा. ‘ओटीटी’ प्लेटफार्म पर आजादी है कुछ नया प्रयोग करने की. पर वहीं सेंसर ले आएंगे, तो फिर आप उसकी खासियत ही खत्म कर देंगे. इमानदारी से कहूं तो मेरा मानना है कि जब आप ख्ुाली हवा में जीते हैं, तो उसका आनंद ही अलग है. एक आजाद वातावरण में ही कला पनप सकती है. जब आप उस पर दबाव डालकर उस पर प्रतिबंध लगाते हैं, तो आपको कला नहीं प्रपोगंडा मिलता है.

‘‘निल बटे सन्नाटा’’हो या ‘‘अनारकली आफ आरा’’हो या फ्लेश’, आप हर जगह अपरंपरागत और सशक्त किरदार ही निभा रही हैं. इसके पीछे आपकी कोई सोच रहती है?

-देखिए, मैं यह निर्धारित नहीं करती कि मुझे किस तरह की फिल्में व किस तरह के किरदार आफर होंगे. लेकिन मैं यह निर्धारित कर सकती हूं कि मुझे किस किरदार को हामी भरना है. मुझे किस तरह की पटकथा वाली फिल्म से जुड़ना है. मुझे दर्शक किस तरह की फिल्म या किरदार में पसंद करते हैं, इस पर भी मैं गौर करती हूं. मैं बड़ी सतर्कता के साथ उन किरदारों का चयन करती हूं,  जिनमें मेरा विश्वास हो या जिस कहानी में मेरा यकीन हो या जिन विषयों में मेरी दिलचस्पी हो. मैं उनकिरदारों का चयन करना पसंद करती हूं, जिनसे मुझे अहसास हो कि कलाकार के तौर पर इससे मेरा विकास होगा. मेरी कला की बढ़ोत्तरी होगी. मेरी सोच बहुत साफ है, इसीलिए आप देखते हैं कि मैने वही काम किया है, जिसे मैं परिभाषित कर सकती हूं. मैं अपने हर काम के साथ खड़ी हूं और उसकी सफाई दे सकती हूं. शायद इसी वजह से मैं एक खास तरह के सशक्त किरदार कर रही हूं, क्योंकि मेरा विश्वास है सशक्ति करण में, मेरा यकीन महिलाओं के सशक्तिकरण में है. मैं उस किरदार या कहानी का हिस्सा नहीं बन सकती, जिस पर मेरा यकीन न हो. कलाकार के तौर पर पूरी कहानी पर विश्वास करना जरूरी नहीं है, लेकिन उस कहानी की किसी चीज पर तो आप भरोसा कर रहे हैं. कहानी की नीयत पर आपको विश्वास होना चाहिए.

बौलीवुड में नारी सशक्तिकरण की क्या स्थिति है?

-अच्छी स्थिति है. मैं हमेशा कहती हूं कि बॉलीवुड समाज का आईना है. समाज में महिलाओं की जिस तरह की स्थिति है, वैसी ही बॉलीवुड में भी महिलाओं की स्थिति है. समाज में जितनी प्रगति महिलाओं की होगी,  उतनी ही प्रगति बौलीवुड में भी महिलाओं की होगी. जितना नुकसान समाज में महिलाओं का होगा, उतना ही नुकसान बौलीवुड में भी होगा.

तमाम लोग बतौर कलाकार आपकी तारीफ करते हैं. तो कुछ लोग एक्टिविस्ट के रूप में आपकी तारीफ करते हैं. आप खुद को किस रूप में ज्यादा बेहतर मानती हैं?

-मैं अपने आप को कतई एक्टिविस्ट नहीं समझती. मैं अपने आप को एक अभिनेत्री और मैं अपने आप को एक नागरिक मानती हूं. मैं सिर्फ सवाल उठाती हूं. सवाल चाहे सरकार से पूछो, किसी नागरिक से पूछो या बौलीवुड से भी पूछ लो, चाहे किसी से पूछो. पर उस सवाल को मैं एक एक्टिविस्ट के रूप में नहीं उठा रही हूं. उस सवाल को मैं एक नागरिक होने के नाते ही उठाती हूंू. यह मेरे अंदर स्पष्ट है. मुझे लगता है कि मैं ऐसी दुनिया में हूं, जहां लोगों को दूसरों पर ‘लेबल’लगाने में बड़ा मजा आता है. अब लोगों के दिए हुए ‘लेबल’ का हम कुछ नही कर सकते.

पहले खबर आई है कि सुप्रीम कोर्ट में आपके ऊपर कोई अवमानना का केस शुरू हो रहा है. इस पर कुछ कहना चाहेंगी?

-यह तो उनसे ही पूछना पड़ेगा,  जिन लोगों ने शिकायत की है.

मतलब आपको लगता है कि लोग सच नहीं सुनना चाहते?

-इस मुद्दे पर मैं अभी कुछ भी कमेंट करने की स्थिति में नहीं हूं.

आपकी आने वाली फिल्में व वेब सीरीज कौन सी हैं?

-जैसा कि मैंने आपसे पहले ही कहा कि लॉकडाउन मेरे लिए बहुत ज्यादा प्रोडक्टिव था. जून में ‘अमैजॉन’ पर ‘रसभरी’आयी थी. अब 21 अगस्त को ‘ईरोज नाऊ’पर ‘‘फ्लेश’’ आयी है. इसके बाद ‘नेटफ्लिक्स’पर ‘भाग बानी भाग’वेब सीरीज आएगी. इसके अलावा मैंने एक फिल्म‘‘शीर कोरमा’’ की है, जो कि एलजीबीटी कम्यूनिटी पर है, यह इस साल के अंत तक आएगी. समलैंगिक संबंधों वाली इस कहानी में मेरे साथ शबाना आजमी भी हैं.

जब आप सच बोलती हैं. अपने दोस्तों के लिए चुनाव प्रचार करती हैं. तो कलाकार के तौर पर इसका आपके काम के ऊपर कितना असर पड़ता है?

-बहुत पड़ता है. मैंने लंबे समय तक इस बात को अनदेखा करने की कोशिश की थी. पहले मैं सोचती थी कि ऐसा कुछ नहीं होता है. पर अब मुझे भी लगता है कि इसका असर पड़ता है. कईयो ने मुझसे कहा कि तुम्हारी इमेज बहुत ज्यादा राजनीतिक होती जा रही है. क्या तुम राजनीति में जाना चाहती हो? तो मेरा जवाब यही होता है कि राजनीति में नहीं जाना चाहती. इस समय तो बिल्कुल भी नहीं जाना चाहती हूं. लोग कहते हैं कि फिल्मकार मुझे काम देने से डरते हैं. कुछ नेताओ का प्रचार करने की वजह से मेरा विज्ञापन का काम भी छूटा.

सी आर सी के समय तो एक ब्रांड, जिसकी में कैंपेनिंग कर रही थी, उससे मुझे निकाल भी दिया गया था. उसने बाकायदा टर्मिनेशन लेटर पर भी लिखा है कि, ‘आप सीएए और एनआरसी की खिलाफत करने वालों के साथ जुड़ी हुई हैं, उसकी वजह से हम आपके साथ काम नहीं करेंगे. ’तो उसका असर तो बहुत ज्यादा ही है. लेकिन मैं यह मानती हूं कि मैं जो चीजें करती हूं, वह मैं पैसे लेकर तो करती नहीं हूं. मैं जो चीजें थिएटर पर करती हूं या मैं जो कहती हूं, उसके पीछे मेरे आदर्श व जीवनमूल्य हैं. मेरी कुछ अपनी मान्यताएं हैं. अगर आपकी मान्यता है, तो फिर आप उसके लिए खड़े भी होंगे. आप उसके लिए  जो भी कठिनाइयां आएंगी, उसे झेलेंगे भी. उसमें आपको कुछ नुकसान होगा,  तो उस नुकसान को भी आपको झेलना पड़ेगा.

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मैं अपनी फिल्म इंडस्ट्री का एक पुराना वाकिया याद दिलानाचाहूंगी. गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी साहब ने 1956 मैं एक नजम तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर लिखी थी. इस वजह से मुंबई पुलिस ने उन्हें जेल में डाल दिया था. उनको मुंबई के राज्यपाल शायद उनका नाम खरे था, ने कहा था कि अगर तुम जेल से बचना चाहते हो, तो माफी मांगो. लेकिन मजरूह सुलतानुपरी साहब ने साफ मना किया था. उन्होंने कहा था कि अगर मुझे माफी ही मांगना होता, तो मैं यह नजम लिखता ही नहीं. तो वह ग्यारह माह तक जेल में रहे थे. जब मुंबई उच्च न्यायालय में केस आया, तो  जज ने राज्यपाल के खिलाफ बात कही कि क्या नाटक है यह?इन्हे जेल में क्यों रखा? तो मेरा मानना है कि जब आप अपने मूल्यों और अपनी मान्यताओं से कोई काम करते हैं, तो वहां पर आपको आपके दिल से अगर कोई बात कही है, तो आप उसके लिए लड़ेंगे.  उसके लिए खड़े रहेंगें.  तब आप सब कुछ झेलेंगे भी.

बारिश में फैशन का ख्याल रखें कुछ ऐसे

उत्सव के आते ही चारों तरफ खुशियों की लहर दौड़ जाती है, प्रकृति भी इसका आनंद किसी न किसी रूप में उठाती है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण ने हर व्यक्ति के इस उमंग को कम किया है, क्योंकि जरुरत के बिना लोग बाहर नहीं जा सकते, इसलिए घरों में कैद है, पर इस समय अधिकतर परिवार साथ है, ऐसे में बारिश और आने वाले उत्सवों को घर में रहकर भी बेहतर बनाया जा सकता है. फैशन को नया आयाम दिया जा सकता है. इस बारें में वरंगा के फैशन डिज़ाइनर अंकिता मंडोला कहती है कि फैशन व्यक्तित्व का आइना है और इसे आप घर पर रहकर या बाहर जाकर कभी भी किसी भी मौसम में कर सकती है. फैशन आपको अंदर से ताजगी और ख़ुशी देती है. अभी बारिश का मौसम है और  बहुत कम लोग आजकल घर से बाहर जा रहे है, क्योंकि कोरोना संक्रमण का डर है और ये सही भी है, क्योंकि जरुरत के बिना किसी को भी अब बाहर जाना ठीक नहीं, लेकिन अगर आप बाहर जाती भी है तो कुछ बातें अपने फैशन को लेकर अवश्य सोचें, जो निम्न है,

1. सावधानी से चुने कपडे

बारिश के मौसम में हल्के फेब्रिक लें, जो बारिश के पानी में भीगने पर भी जल्दी से सूख जाय, जिसमें कॉटन, शिफोन, या नायलोन सबसे अच्छे होते है, महंगे रेशम के कपडे पहनकर बाहर निकलने से बचे.

2. चटकदार रंगों का करें चुनाव

बरसात के मौसम में चटकदार रंग अपनी आभा चारों ओर फैलाते है, जिसमें खासकर चेरी, लाल, नीला, बेज आदि रंग आकर्षक होते है, इस रंग के कपडे इस साल चलन में है और किसी भी उत्सव में पहनने पर इसकी चमक सबको पसंद आती है.

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3. मैक्सिस और रैप ड्रेस का करें अधिक प्रयोग

बारिश में जब कभी भी बहर निकले या घर पर रहे तो ट्यूनिक जैसे कपडे खासकर मैक्सिस या रैप ड्रेस अधिक पहने, ये पहनने में आरामदायक होने के साथ-साथ गीले होने पर जल्दी सूख भी जाते है, फ्लेयर्ड स्लीव्स और लेस पैनल्स वाले मेक्सिस अब ट्रेंड में है.

4. पैलाजोस,  ढीली पेंट्स और क्रॉप्स का है मौसम

एथनिक लुक उत्सव के मौसम में काफी पहने जाते है, ऐसे में इसे अपने हिसाब से कस्टमाइज करें, सीधे फिट पेंट, काले लेगिंग्स के साथ शार्ट लेंथ का कुर्ता या पलाजोस के साथ किसी भी रंग  की कुर्ती आपकी फैशन को नई दिशा दे सकती है. इसके अलावा इस समय साइड स्लिट्स, फ्रंट स्लिट्स, थ्री फोर्थ स्लीव्स आदि किसी प्रकार के ऑउटफिट से उत्सव में नयी उमंग भर सकती है,

5. मास्क को भी करें शामिल

अब कही भी जाने पर मास्क पहनना अनिवार्य है और ये सही भी है, आप किसी भी उत्सव का आनंद तभी उठा सकती है जब आप खुद और आपका परिवार स्वस्थ हो, इसलिए मास्क को अपने परिधान का एक हिस्सा माने, कई ऑउटफिट के साथ आजकल मैचिंग मास्क भी मिलने लगे है, जिसका फायदा आपको मिल सकता है, परिधान के अनुरूप मास्क का चयन करें, ताकि आपका लुक सबसे अलग और एलीगेंट हो,

6. कीमत का रखे ध्यान

उत्सवों को देखते हुए फैशनेबल ड्रेस आजकल ऑनलाइन उपलब्ध है, ऐसे में कीमतों की सही जांच कर कपडे ख़रीदे, ताकि आपका परिधान आपके बजट के अनुरूप हो.

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बारिश में गीले कपड़ों को स्टोर करने के कुछ टिप्स निम्न है,

  • गीले कपड़ों को थैली में नरखे, क्योंकि इससे कपड़ों में वेक्टेरिया और फंगस पनपने का डर रहता है, जिससे कपड़ों से बदबू आने लगती है, गीले कपड़ों को जल्दी से जल्दी धो कर सुखा लें.
  • डिटर्जेंट के साथ सिरका या बेकिंग सोडा मिलाएं ताकि गीले कपड़ों की गंध दूर हो जाय.

बारिश में सुखाने के तरीके

  • कपड़ों को घर के अंदर सुखाने की कोशिश न करें, इससे कमरे में नमी अधिक फ़ैल जाती है, जो अस्वास्थ्य कर हो सकता है,
  • कपडे सूखाने वाले कमरे में नमक या चावल की एक बैग रखने की कोशिश करें, नमक नमी को जल्दी सोख लेती है, जिससे कपडे जल्दी सूखते है,
  • हेंगर के सहारे कपडे को सूखाने की कोशिश करें,
  • संभव हो तो गीले कपडे सूखाने वाले कमरे में सुगन्धित मोमबत्ती या अगरबत्ती जला दे, ताकि एक अच्छी खुश्बू कपड़ों में फैले.

बरसात में कपड़ों को अलमारी में रखते समय कुछ बातों का दे ध्यान

  • हल्के गीले कपडे भी अलमारी में कभी न रखे,
  • कर्पूर से भरा मलमल का एक कपडा अलमारी में अवश्य रखें, इससे अलमारी के कपडे फंगस फ्री हो जायेंगे,
  • नीम की सूखी पत्तियों को भी अलमारी में रखना फायदेमंद होता है,
  • अलमारी में कम वोल्टेज की बल्ब लगाने से हल्की गर्मी होगी ,जिससे बेक्टेरियां दूर रहेगा,
  • चाक की कुछ छडेअलमारी में रखने से अलमारी की नमी कम होगी और कपडे फ्रेश रहेंगे.

स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए ट्राय करें 200 से कम की कीमत के ये फेसवौश

औयली स्किन हो या ड्राई स्किन फेसवौश की जरूरत हर किसी को पड़ती है. आजकल के पौल्यूशन में फेस न धोयें तो यह स्किन को नुकसान पहुंचाता है और अगर किसी नौर्मल साबुन से फेस धोएं तो यह स्किन को डैमेज भी कर सकता है. इसलिए फेस के लिए फेसवौश जरूरी है. पर मार्केट में कई तरह के फेसवौश आ गए हैं, जो स्किन के लिए तो अच्छे होते हैं, लेकिन महंगे होते हैं. आज हम आपको कुछ सस्ते और अच्छे फेसवौश के बारे में बताएंगे जिसे आप मार्केट या औनलाइन खरीद सकते हैं.

1. हिमालया मौइस्चराइजिंग एलोवेरा फेसवौश

एंजाइम, पौलीसेकेराइड और पोषक तत्वों से भरपूर, यह फेसवौश स्किन को इफेक्टिव रूप से साफ, पोषण और मौइस्चराइज करने का काम करता है. मार्केट में 200 मि.ली. का हिमालय मौइस्चराइजिंग एलोवेरा फेस वौश आपको 128 रूपए में मिल जाएगा.

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2. लोटस हर्बल्स टीट्री फेसवौश

औयली स्किन के लिए ये फेसवौश इफेक्टिव होता है. साथ ही अगर आपको पिंपल्स की प्रौब्लम है तो ये फेसवौश आपके लिए परफेक्ट होगा. लोटस का ये फेसवौश आप 120 ग्राम 149 रूपए में आसानी से दुकानों में मिल जाएगा.

3. न्यूट्रोगेना डीप क्लीन फोमिंग क्लींजर फेसवौश

न्यूट्रोगेना फोमिंग फेस वाश आपकी स्किन के कलर और सौफ्टनेस को बरकरार रखने में मदद करता है. साथ ही ये स्किन में मौजूद डेड सेल्स को खत्म करने का भी काम करता है. ये फेसवौश आपको 40 ग्राम 133 रूपए में आसानी से दुकानों में मिल जाएगा.

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4. KHADI मेथी फेसवौश

आयुर्वेदिक फेसवौश के इस्तेमाल से आपकी स्किन सुंदर के साथ-साथ ग्लोइंग के लिए बेस्ट है. मार्केट में ये आपको 210 ग्राम 140 रूपए में मिल जाएगा.

खुद की तलाश: घर के माहौल से अलग मानसी ने जब संवारी अपनी दुनिया

Serial Story: खुद की तलाश (भाग-2)

लेखिका- नमिता दुबे

कुछ बातों को ले कर उस की अपने हैड से अनबन होने लगी है. उसे कभीकभी लगता है कि उस के एचओडी उस के औरत होने के कारण उस पर ऐसी कई जिम्मेदारियां लाद देते हैं, जो उन के अनुसार औरतों को शोभा देती हैं. मसलन, कालेज की ऐनुअल फेस्ट आयोजित करना. ऐसा नहीं है कि उसे इस से कोई परेशानी है पर जब विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय साहित्यक सम्मेलन व्यवस्थित करने का उस ने अनुरोध किया था तब उसे संकेतात्मक ढंग से सम झा दिया गया था कि देश के साहित्यकारों को एकत्रित करने का भार उस से वहन नहीं होगा.

मन बहलाने के लिए विभा को फोन लगाया तो मनोदशा और बिगड़ गई. मुहतरमा अपनी ननद के साथ किसी पार्टी में जाने की तैयारी में व्यस्त थीं, ‘‘अरे दीदी, इतनी सुंदर साड़ी भेंट दी है जीजी ने मु झे दीवाली पर, मैं क्या बताऊं.’’

उस का खून जल उठा. एक विभा है जो दिनरात मौजमस्ती में लगी रहती है और एक वह है जो यहां घर से इतनी दूर सड़ रही है. उस की बचपन से ही अपने में मग्न रहने की आदत के कारण उस की किसी से इतनी मित्रता नहीं हुई थी कि उसे दीवाली के लिए निमंत्रण मिलते. वैसे भी यहां लोग दीवालीहोली कम ही मनाते हैं. मां ने बुलाया था घर, पर क्या करती छुट्टी ही नहीं थी इतनी.

रहरह कर उस का ध्यान विभा पर चला जाता कि वह यहां नितांत अकेली है और विभा ने उस का रिप्लेसमैंट भी खोज लिया. घर बसाना यही उस का सपना था.

‘मैं तो उस से बिलकुल अलग किस्म की जीव हूं. फिर आजकल उस के बनसंवर कर नित पार्टी में सब के आकर्षण का केंद्र बनने से, उस के घरपरिवार में मानसम्मान पाने से मु झे बुरा क्यों लग रहा है? आखिर क्यों?’

‘हां मैं स्वीकारती हूं कि मैं मानसी, अपनी छोटी बहन से ईर्ष्या कर रही हूं,’ उस का मन बोल उठा.

‘पर क्यों? ये सब तो मेरा ही चुनाव है,’ मस्तिष्क ने जवाब दिया.

सारी रात दिल और दिमाग के वादविवाद में गुजर गई. उसे स्मरण हो आया कि कैसे उस ने जब घर में बताया था कि वह बैंगलुरु में नौकरी का प्रस्ताव स्वीकार चुकी है तब दादी ने कितना बवाल मचाया था. अपने कपड़े पैक कर वह मम्मीपापा और दादी के सामने दृढ़तापूर्वक उन के सवालों के जवाब दे रही थी. उस के मम्मीपापा ने उस की इच्छा का सम्मान किया. उस के साहस और उस की महत्त्वकांक्षा को सलाम किया. जब वे संतुष्ट हो गए कि वह इतनी दूर, अकेले सुरक्षित रह सकेगी तो उन्होंने शुभकामनाओं और आशीर्वाद के साथ उसे विदा किया. अब क्या हो गया उस के उस साहस को?

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बैंगलुरु में रह कर विभा के सुखद जीवन की कल्पना मात्र से उसे इतनी तकलीफ होती थी और अब यहां आ कर अपनी आंखों से ये सब देखना उस के लिए असहनीय हो गया. मन शांत होने पर उसे एहसास हुआ कि वह विभा के सुख के कारण दुखी नहीं थी, अपितु अपने जीवन से दुखी है. उस ने संकल्प किया कि वह जल्द ही वापस जाएगी और अपने कैरियर पर ध्यान केंद्रित करेगी. उस का कार्य ही एक ऐसी वास्तु थी और साहित्य एक मात्र वह साधन था, जो उसे प्रसन्नता प्रदान करते थे.

देखते ही देखते वक्त पंख लगा कर उड़ गया. इधर उस के कैरियर ने रफ्तार पकड़ी और उधर विभा की जिंदगी ने भी. इन 5 वर्षों में क्या कुछ नहीं बदल गया. इंसान की सभी योजनाएं क्रियान्वित हों, जरूरी नहीं है. वक्त के साथ विभा दो बच्चों की मां बन गई और मानसी ने यूएस से फैलोशिप के पश्चात पीएचडी कर ली. वहीं प्रोफैसर बन जिंदगी का लुत्फ उठाने लगी.

एक अच्छी शिक्षिका होने के नाते उस की ख्याति दिनबदिन बढ़ती जा रही थी. विद्यार्थी ही नहीं शिक्षक भी उस की बुद्धि का लोहा मानते थे. इस के साथसाथ दुनियाभर की साहित्यिक गोष्ठियों में भी वह सम्मिलित होने लगी थी. उस की रचनाओं के चर्चे होने लगे थे. उस का अपना सर्कल बन गया, पार्टियों में जाना भी शुरू कर दिया. बहुत लोगों से मुलाकात होती रहती.

कुछ वक्त बाद वह भारत लौट आई. विदेश की भूमि पर स्वतंत्रतापूर्वक जो जीवन व्यतीत कर आई थी, वह विचार भी अपने साथ ले आई. अपनी यात्राओं पर उस का कई भारतीयों से परिचय हुआ था, जिन से उस का मानसिक जुड़ाव हुआ था और फिर कितनी कौन्फ्रैंस में उस ने भारत आ कर भी भाग लिया था. हर बार मम्मीपापा से मिलने आती और विभाविभोर के लिए तोहफे लाती. जब उन की जिंदगी में अभय और मित्रा ने दस्तक दी, तब बड़ी खुशी के साथ वह उन के लिए भी तोहफे लाने लगी.

अब जब हमेशा के लिए लौट आई है, तो पटना जाने में पहले वाली आतुरता नहीं रही. मन किया कि सब काम निबटा कर, कई दिन आराम से वहां बिताएगी. पिछली बार तब गई थी जब दादी ने संसार से सदा के लिए विदा ले ली थी. यह भी एक वजह थी कि वह जाने में हिचकिचा रही थी.

फुरसत पा कर जब घर आई और विभा को वहां देखा तो प्रथम तो उस की

खुशी का ठिकाना नहीं रहा पर जब उसे ज्ञात हुआ कि बच्चों को ले कर विभा माहभर पहले घर आ गई थी तो उस का माथा ठनका.

जब मां से पूछना चाहा तो उन्होंने बगीचे के बीच पेड़ को गहरी, दुखी निगाहों से देखते हुए बस इतना ही कहा था कि, विभा से पूछो तो बेहतर है. रात को खाने के बाद जब दोनों बहनें छत पर गईं और काफी देर मौन बैठी रहीं, तब अचानक मानसी को एहसास हुआ कि विभा कितनी बड़ी हो गई है. ऐसा लगा मानो अभी से अधेड़ हो गई हो.

‘‘क्या बात है विभा?’’ उस ने कोमल स्वर में पूछा.

‘‘तुम कितनी खुशहाल हो दीदी,’’ विभा के मुंह से सहसा बोल फूट पड़े, ‘‘तुम्हारी जिंदगी, तुम्हारी है.’’

इस का क्या जवाब दे, मानसी को सू झा नहीं.

विभा ने ही कहना जारी रखा, ‘‘मेरी जिंदगी तो दीदी मेरी रही ही नहीं.’’

मानसी ने हलके से विभा के कंधे पर हाथ रखा, ‘‘ऐसा क्यों कह रही हो विभा?’’

पर विभा मानो अपनेआप से ही बतिया रही थी, ‘‘तुम्हारे आगेपीछे दिनभर असिस्टैंट घूमते रहते हैं, तुम्हारे घर के कामकाज के लिए मेड है, कुक है. इतने अवार्ड मिलते रहते हैं, पेपर में तसवीरें छपती रहती हैं,’’ उस ने अचंभित निगाहों से मानसी को देखा. उस की आंखों में मानसी कई भाव तैरते नजर आए. विस्मय, गर्व, ईर्ष्या,भय सभी का सम्मिश्रण था उस की निगाहों में, ‘‘तुम्हारी अपनी जिंदगी है दीदी. तुम्हारा अपना वजूद है.’’

विभा, विभा, विभा, उस का हृदय तड़प उठा. उस की बहन इतनी बड़ी हो कर भी, कितनी मासूम, कितनी भोली है. उसे बचपन की याद हो आई जब वह अपनी बहन की रक्षक हुआ करती थी. आज भी उस ने अपनी छोटी बहन को बांहों में भर लिया, मानो सारी दुनिया से उस को बचा लेगी. ‘‘तुम विभा हो. दादी की परी विभा. मांपापा की विभा. मेरी विभा. विभोर की विभा. अभय और मित्रा की मां विभा.’’

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इस पर विभा के आंसू निकल आए, ‘‘पर मेरी अपनी क्या पहचान है दीदी?’’

‘‘क्यों नहीं है री पगली?’’ मानसी ने अश्रुसिक्त मुसकान के साथ जवाब दिया, ‘‘तुम विभा हो, जिस के कारण दादी इस संसार से खुशीखुशी विदा हुईं. तुम विभा हो, जिस के नाम से आज शहरभर के लोग मम्मापापा को जानते हैं.’’

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23 अक्टूबर को आएगा वेब सीरीज ‘‘मिर्जापुर’’ का दूसरा सीजन, पढ़ें खबर

‘‘मिर्जापुर ’के सीजन दो में पंकज त्रिपाठी, अली फजल, दिव्येन्दु, श्वेता त्रिपाठी शर्मा,रसिका दुगल और हर्षिता शेखर गौड़ जैसे कलाकार मिर्जापुर की अंधेरी और कठिन दुनिया के बारे में जानने का प्रयास करेंगें.

लगभग डेढ़ वर्ष पहले ‘‘अमैजाॅन प्राइम’’पर प्रसारित स्याह दुनिया की कथा बयां करने वाली ‘‘एक्सेल इंटरटेनमेंट’’ निर्मित वेब सीरीज ‘‘मिर्जापुर’’को काफी पसंद किया गया था. उत्तर भारत का भीतरी इलाके मिर्जापुर में स्थापित अपराध ड्रामा ‘मिर्जापुर’’के सीजन एक में दर्शकों ने बंदूक, ड्रग्स और अराजकता की एक स्याह और जटिल दुनिया का आनंद उठाया था. इसकी तेज गति वाली कथा, अच्छी तरह से पात्रों का ढलना और अति सूक्ष्म कथा ने इसके प्रशंसकों के मन में इसका अगला भाग देखने की उत्कंठा पैदा कर दी थी. तब से दर्शकों को इसके दूसरे सीजन का बेसब्री से इंतजार रहा है. अब ‘‘अमैजाॅन प्राइम’’ने घोषणा की है कि वह इसका दूसरा सीजन 23 अक्टूबर 2020 से प्रसारित करेंगें.

सीजन 2 के साथ ही अब  ‘‘मिर्जापुर’’का कुनबा भी बड़ा हो गया है. इस बार इसे पंकज त्रिपाठी, अली फजल, दिव्यांन्दु, श्वेता त्रिपाठी शर्मा, रसिका दुगल,हर्षिता शेखर गौड़, अमित सियाल, अंजुम शर्मा, शीबा चड्ढा,मनु ऋषि चड्ढा,राजेश तैलंग, विजय वर्मा, प्रियांशु पेंन्युली और ईशा तलवार जैसे कलाकारों ने अपने अभिनय से संवारा है.

दर्शक एक बार फिर  स्टाइलिश व असभ्य दुनिया,जहां अपराध, ड्रग्स और हिंसा शासन और जीवित रहने के लिए लड़ने की जरूरत है,की यात्रा कर सकेंगें. बहुप्रतीक्षित अमैजाॅन ओरिजिनल सीरीज एक्सेल मीडिया एंड एंटरटेनमेंट द्वारा रचित और निर्मित है और यह दुनिया भर के 200 से अधिक देशों और क्षेत्रों में अमैजाॅन प्राइम वीडियो पर विशेष रूप से लॉन्च होगा.

‘‘मिर्जापुर’’के दूसरे सीजन के स्ट्ीमिंग की घोषणा करते हुए ‘अमैजाॅन प्राइम वीडियो’की भारतीय प्रमुख अपर्णा पुरोहित कहा-‘‘मिर्जापुर वास्तव में हमारे लिए एक गेम-चेंजर वेब सीरीज रही है. इसने भारतीय दर्शकों के लिए कहानी बताने के लिए एक नया मुहावरा प्रसारित किया.  इसके पात्र लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा बन गए हैं. हमें यकीन हैं कि सीजन 2 की दिलचस्प कथा हमारे दर्शकों को एक बार फिर मंत्रमुग्ध कर देगी. ‘‘

जबकि इसकी निर्माण कंपनी ‘‘एक्सेल एंटरटेनमेंट’’के रितेश सिधवानी ने कहा,‘‘एक्सेल एंटरटेनमेंट को लगातार नए विचारों के लिए असीम प्यार मिला है. ‘मिर्जापुर’उस प्रयास में एक कदम था. यह केवल दर्शकों के लिए सोच की सीमाओं को तोड़ने के बारे में नहीं था, बल्कि कंटेंट निर्माताओं के रूप में खुद को प्रमाणित करने के लिए भी था. प्रामाणिकता को खोए बिना भारत के भीतरी इलाकों से रोमांचकारी और अनकही कहानियों को लाना हमारी सबसे बड़ी जीत रही है. न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में ‘मिर्जापुर सीजन एक’को प्रशंसा मिली,जिसने हमारा उत्साह बढ़ाया. इसने एक्सेल एंटरटेनमेंट और अमैजाॅन प्राइम वीडियो को ‘मिर्जापुर’’के दूसरे सीजन को जारी रखने के लिए प्रेरित किया. ’’

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वेब सीरीज के क्रिएटर पुनीत कृष्ण कहते हैं-“इस वेब सीरीज को शुरुआत से ही प्यार और सराहना मिलती रही है. इसे एक और उच्च स्तर पर ले जाते हुए हम निश्चित हैं कि दर्शकों को अगली कड़ी में कुछ देखने को मिलेगा. हम प्रशंसकों को मिर्जापुर की एक और गतिशील दुनिया में ले जाने के लिए रोमांचित हैं,जिसका वह बहुत लंबे समय से इंतजार कर रहे थे. ”
इस वेब सीरीज का निर्माण ‘‘एक्सेल मीडिया एंड एंटरटेनमेंट’’ प्रोडक्शन कंपनी कर रही है. इसके क्रिएटर पुनीत कृष्ण तथा निर्देशक  गुरमीत सिंह और मिहिर देसाई हैं.

सालों बाद फिर वायरल हुआ ‘गोपी बहू’ और ‘कोकिला बेन’ का ये Video, जानें क्यों

लौकडाउन में टीवी के पुराने टीवी सीरियल्स ने एक बार फिर फैंस की यादें ताजा कर दी है. ऐसे ही स्टार प्लस के सीरियल साथ निभाना साथिया की बीते दिनों सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. दरअसल हाल ही में एक म्यूज़िक प्रोड्यूसर यशराज मुखाटे ने एक सीरियल के डायलौग को रैप में बदलकर वीडियो बनाया है, जिस पर फैंस अपने रिएक्शन दे रहे हैं और वायरल कर रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

सीन के डायलौग हुए वायरल

दरअसल, टीवी सीरियल ‘साथ निभाना साथिया’ (Saath Nibhaana Saathiya) के एक सीन में कोकिलाबेन नाम का किरदार गोपी बहू और राश्री को डांट लगा रही हैं.  किसी ने  बिना कुछ डाले गैस पर प्रेशर कुकर चढ़ा दिया था.  टिपिकल भारतीय सीरियल्स की तरह इस छोटी-सी बात पर कोकिलाबेन काफी भड़की हुई हैं.  अपने दोनों बहूओं से लगातार सवाल पूछ रही हैं.  यशराज ने इस बातचीत को रैप में बदल दिया.

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सीन को रैप में किया चेंज

साथ निभाना साथिया सीरियल के सीन को चेंज करते हुए यशराज ने बैकग्राउंड में पेपी ट्यून एड करने के साथ ही कुछ हिप-हॉप नोट्स एड्स कर दिए हैं.  ऐसे में सीरियल का सीन, एक डांस नंबर में बदल गया है और सोशलमीडिया पर वायरल हो रहा है.

सेलेब्स कर रहे कमेंट

म्यूज़िक प्रोड्यूसर यशराज के इस वायरल वीडियो को एक मिलियन (10 लाख) से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं.  वहीं, वीडियो पर बौलीवुड एक्टर राजकुमार राव ने भी कमेंट किया है और लिखा कि, ‘भाई आप बहुत टलैंट हैं.  ऐसे ही आगे बढ़ते रहिए. ‘ इसके अलावा तन्मय भट्ट समेत कई सेलेब्स ने इस वीडियो पर कमेंट किया है.

आपको बता दें कि लौकडाउन के दौरान टीवी सीरियल्स की शूटिंग बंद हो जाने के कारण कई पुराने शोज को दोबारा दर्शाया गया था, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था.

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‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में ‘अंजलि भाभी’ के रोल में दिखेगी ये एक्ट्रेस, शुरू हुई शूटिंग

टीवी के पौपुलर कौमेडी सीरियल्स में काफी उथलपुथल देखने को मिल रही हैं. जहां एक तरफ सालों से शो का हिस्सा रहे सितारे शो को छोड़ चुके हैं तो वहीं नए सितारों ने उनकी जगह लेने की तैयारी कर ली है. हाल ही में तारक मेहता का उल्टा चश्मा के दो एक्टर्स ने सीरियल को अलविदा कहा था, जिसके बाद एक्टर बलविंदर सिंह सूरी, गुरुचरण सिंह की खबर सुर्खियों में छा गई थी. लेकिन अब मेकर्स ने अंजली भाभी का रिप्लेसमेंट भी ढूंढ लिया है. आइए आपको बताते हैं कौन है वो एक्ट्रेस जो लेगी नेहा मेहता की जगह…

ये एक्ट्रेस करेंगी रिप्लेस

खबरों की मानें तो तारक मेहता का उल्टा चश्मा में एक्ट्रेस सुनैना फौजदार , अंजलि भाभी उर्फ नेहा मेहता को रिप्लेस करेंगी. एक्ट्रेस के करीबी सूत्रों ने बताया कि नेहा मेहता शो छोड़ चुकी हैं. हालांकि, इसकी वजह अभी तक सामने नहीं आई है लेकिन अब कहा जा रहा है कि नेहा मेहता की जगह सुनैना फौजदार शो में नजर आएगी. वह शो में सैलेश लोढ़ा यानी तारक मेहता की पत्नी अंजली की भूमिका में नजर आएंगी. हालांकि कहा जा रहा है कि सुनैना 23 अगस्त से शो की शूटिंग शुरू कर चुकी हैं.

 

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बलविंदर सिंह भी शुरू कर चुके हैं शूटिंग

दूसरी तरफ, बलविंदर सिंह सूरी ने भी शो की शूटिंग शुरूआत कर दी है. बलविंदर सिंह, शाहरुख खान के साथ फिल्म ‘दिल तो पागल है’ में स्क्रीन शेयर कर चुके हैं, जिसमें बलविंदर सिंह ने उनके दोस्त के रोल में नजर आएंगे. वहीं इसके अलावा वह ‘धमाल’, ‘साजन चले ससुराल’ और ‘वो लोफर’ जैसी फिल्मों में नजर आ चुके हैं. गौरतलब हो कि गुरुचरण सोढ़ी के शो को अलविदा कहने के बाद बलविंदर सिंह शो में नजर आने वाले हैं.

बता दें, इससे पहले तारक मेहता के बौस की भी शो में एंट्री हो चुकी है, जो फैंस को काफी एंटरटेन कर रही हैं. हालांकि शो में उनका किरदार कम समय के लिए नजर आएगा.

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