प्रैग्नेंसी में ना हो जाए एनीमिया

गर्भावस्था में महिलाओं के शरीर को अधिक काम करना पड़ता है और इस समय हर चीज की दोगुनी जरूरत होती है. तभी तो गाँव-देहातों में बहू की प्रेगनेंसी की खबर सुनते ही सास आटा, सूजी, गुड़, सूखे मावे, गोंद, देसी घी मिला कर लड्डू और पंजीरी बनाने बैठ जाती हैं. ताकि पूरे खाने के अलावा भी बहू इस पौष्टिक खुराक को ले, अपनी सेहत बनाये और नौ महीने बाद मोटे-ताज़े खिलखिलाते पोते को उनकी गोद में डाले. सदियों से ये चलन है कि महिला के गर्भवती होते ही घर की अन्य औरतें उसके खाने पीने का ख़ास ख्याल रखने लगती हैं. पुराने वक़्त में चना, गुड़, दूध, मावा, फल, पंजीरी का सेवन करना गर्भवती के लिए ज़रूरी था ताकि उसके शरीर में खून की कमी ना होने पाए, मगर आजकल जब संयुक्त परिवार टूट चुके हैं और बड़े शहरों और महानगरों में महिलायें एकल परिवार में हैं और ऊपर से नौकरीपेशा हैं तो किचन में अपने लिए इतना झंझट करने का ना तो उनके पास वक़्त है और ना जानकारी. इसके अलावा आज की महिला अपने फिगर को ले कर ओवर कॉन्शस रहती है. उसको यह डर सताता रहता है कि अगर उसका वेट बढ़ गया तो उसकी सारी खूबसूरती की वाट लग जाएगी. इस चक्कर में महिलायें प्रेगनेंसी के वक़्त भी ठीक से खाती पीती नहीं हैं, और बच्चा होने के वक़्त एनिमिक हो जाती हैं.

प्रेग्नेंसी के दौरान शिशु के विकास के लिए शरीर अधिक मात्रा में खून बनाता है और अगर इस दौरान आप पर्याप्ते आयरन या अन्य पोषक तत्वर नहीं ले रही हैं तो आपके शरीर में अधिक खून बनाने के लिए जरूरी लाल रक्तय कोशिकाओं का निर्माण रुक जाता है. एनीमिया होने पर उसके शरीर के ऊतकों और भ्रूण तक ऑक्सीतजन ले जाने के लिए खून पर्याप्तर मात्रा में स्वएस्थ लाल रक्तक कोशिकाएं नहीं बना पाता है. प्रेगनेंसी में हृदय को भ्रूण के लिए जरूरी पोषण प्रदान करने के लिए ज्याकदा मेहनत करनी पड़ती है. गर्भावस्थाू के दौरान शरीर में खून का वॉल्यूजम 30 से पचास फीसदी बढ़ जाता है. गर्भावस्था़ के दौरान खून की आपूर्ति के लिए और हीमोग्लोमबिन का स्त‍र संतुलित रखने के लिए पौष्टिक आहार लेना जरूरी है. हीमोग्लोखबिन ही लाल रक्त कणिकाओं तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन ले जाता है. प्रेग्नेंासी में एनीमिया होना सामान्यक बात है. शहरी महिलाओं में प्रेगनेंसी के वक़्त खून की कमी होना आजकल आम हो गया है.

गर्भावस्था का समय बहुत नाजुक होता है और इस दौरान आपको बहुत एहतियात बरतने की जरूरत होती है. बेहतर होगा कि आप कंसीव करने से पहले ही डॉक्टतर की सलाह पर जरूरी सप्ली्मेंट लेना शुरू कर दें जिससे प्रेग्नेंसी में खून की कमी न हो. गर्भावस्था में एनीमिया होने की वजह से मां और गर्भस्थ शिशु को कई तरह की समस्याखएं आ सकती हैं इसलिए बेहतर होगा कि प्रेगनेंट महिला एनीमिया से बचने की कोशिश करे. कोई बात नहीं अगर आपको माँ या सास के हाथों का बना आटे-घी और मावे का लड्डू और पंजीरी नहीं मिल रहा है, आप उसकी जगह अपने किचन में मौजूद वो चीज़ें अपने खाने में बढ़ा दें जिनमें आयरन अधिक मात्रा में पाया जाता है. शरीर में हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कणिकाओं की मात्रा ठीक रखने के लिए आयरन युक्त खाद्य पदार्थों को लेना गर्भवती के लिए बहुत जरूरी है. आप किन पदार्थों से खुद को और अपने होने वाले बच्चे को स्वस्थ रख सकती हैं आइये जानते हैं.

1. पत्तेदार सब्जियां

हरी सब्जियां, खासतौर पर हरी सब्जियां आयरन से युक्तु होती हैं. इन्हेंथ अपनी प्रेगनेंसी डायट में जरूर शामिल करें. अगर आपका हीमोग्लोजबिन लेवल कम है तो आपको आयरन युक्त आहार से लाभ होगा. आयरन हीमोग्लोिबिन बनाने में मदद करता है जो कि लाल रक्तह कोशिकाएं बनाता है.
पालक, केल और ब्रोकली, धनिया, पुदीना और मेथीदाना आयरन से युक्त होता है. हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन और जरूरी पोषक तत्वे होते हैं.

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2. ड्राई फ्रूटस

खजूर और अंजीर में आयरन की उच्चे मात्रा होती है जो हीमोग्लोनबिन के लेवल को बढ़ाने में मदद कर सकता है. अन्य् सूखे मेवे और नटस जैसे कि अखरोट, किशमिश और बादाम खा सकते हैं क्योंतकि ये गर्भवती महिला में हीमोग्लो बिन के लेवल को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. खजूर और अखरोट भी खून बढ़ाने में मददगार होते हैं. अखरोट के तीन डले रात में पानी में भिगो कर रख दें और सुबह खाएं.

3. दालें

दालों में आयरन और प्रोटीन खूब होता है. आप सलाद या सूप में दालों को शामिल करके खा सकती हैं. मटर, दालों और बींस में विटामिन, मिनरल, फाइबर, आयरन और प्रोटीन होता है इसलिए गर्भवती महिला अपने आहार में इसे शामिल कर सकती है.

4. एस्पै रेगस

इसमें उच्च मात्रा में आयरन होता है. आप एक कप गर्म एस्पैररेगस सूप ले सकती हैं. इसमें आयरन की मात्रा को बढ़ाने के लिए तिल के बीजों का भी इस्तेिमाल किया जा सकता है.

5. ताजे फल

ताजे फल जैसे कि अनार और संतरे से हीमोग्लोाबिन लेवल बढ़ सकता है. अनार में आयरन बहुत होता है और संतरा विटामिन सी से युक्तो होता है जो इम्यू निटी को बढ़ाता है और हीमोग्लोाबिन के स्तार में इजाफा होता है. कीवी, आडू़, चकोतरा और अमरूद में भी खूब आयरन होता है.

6. फोलिक एसिड

फोलेट या फोलिक एसिड एक प्रकार का विटामिन बी है, जो कि घुलनशील विटामिन है. यह गर्भावस्थाो में शिशु को न्यूटरल ट्यूब डिफेक्टम से बचाने में मदद करता है. यह विटामिन हीमोग्लोतबिन बनाने में अहम भूमिका निभाता है. फोलिक एसिड की आपूर्ति के लिए कॉर्न, केला, स्प्रा उटस, एवोकाडो और भिंडी खाएं. इनमें प्रचुर मात्रा में फोलिक एसिड होता है.

7. स्मूिदी और बीज

कद्दू के बीजों, बादाम और सूरजमुखी के बीजों में भी आयरन उच्चए मात्रा में होता है. प्रेगनेंट महिला इन्हेंक खाकर अपने शरीर में हीमोग्लोखबिन के लेवल को बढ़ा सकती है. सेब, चुकंदर और गाजर की स्मूेदी भी फायदेमंद होती है. इस स्मूेदी से प्रेगनेंट महिला के शरीर में हीमोग्लोदबिन का स्त‍र बढ़ता है.

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8. सप्लींमेंट

प्रेगनेंट महिला के शरीर में हीमोग्लोीबिन काउंट को बढ़ाने के लिए आमतौर पर डॉक्टशर आयरन के सप्लीनमेंट लिखते हैं. डॉक्टोर की बताते हैं कि आपको कब, कौन-सा और कितनी मात्रा में आयरन सप्लीनमेंट लेना है.

घर पर स्ट्रेच मार्क्स के लिए कैसे बनाएं औयल

शरीर पर दागधब्बे किसे पसंद होते हैं और खासकर के स्ट्रेच मार्क्स. लेकिन प्रेग्रेंसी, मोटापा, बढ़ती उम्र व मांसपेशियों के अचानक बढ़ जाने से स्ट्रेच मार्क्स की समस्या पैदा हो जाती है. जिससे हर कोई छुटकारा पाने के लिए महंगी महंगी क्रीम्स व ऑयल्स का सहारा लेते हैं लेकिन फिर भी रिजल्ट कुछ नहीं निकलता. क्योंकि यह सच्चाई है कि स्ट्रेच मार्क्स की समस्या का 100 परसेंट सोलुशन नहीं है लेकिन काफी हद तक इसे कम किया जा सकता है. ऐसे में हम आपको बताते हैं स्ट्रेच मार्क्स की समस्या को कम करने के लिए कुछ घरेलू उपाय, जिससे कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होगा और घर बैठे आपको इस समस्या से काफी हद तक निजात भी मिल जाएगा. इस समबन्द में जानते हैं कोस्मेटोलॉजिस्ट भारती तनेजा से.

1. विटामिन ए आयल स्किन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. क्योंकि ये स्ट्रेच मार्क्स को काफी हद तक कम कर सकता है. लेकिन आपको बता दें कि सिर्फ विटामिन ए के कैप्सूल्स से काम नहीं चलेगा बल्कि आपको उसमें थोड़ा सा बेस आयल डालना पड़ेगा. इसके लिए आप इसमें आलमंड आयल भी डाल सकते हैं. क्योंकि आलमंड आयल स्किन को बेदाग बनाने का काम करता है. इसके लिए आप एक चम्मच आलमंड आयल में एक विटामिन ए के कैप्सूल को डालकर अच्छे से मिलाएं. इस आयल को अगर आप स्ट्रेच मार्क्स वाली जगह पर रोजाना लगाकर 10 मिनट मसाज करेंगे तो धीरेधीरे स्ट्रेच मार्क्स हलके पड़ने लगेंगे.

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2. स्ट्रेच मार्क्स के लिए विटामिन इ आयल भी बहुत अच्छा होता है. क्योंकि विटामिन इ आयल में स्ट्रेच मार्क्स को कम करने के साथसाथ स्किन को मॉइस्चरिजे करने वाले गुण होते हैं. इसके लिए आप एक चम्मच विटामिन इ आयल लेकर उसमें एक चम्मच कोकोनट आयल का मिलाएं. और अगर एरिया बड़ा है तो आप 2 चम्मच विटामिन इ आयल में 2 चम्मच कोकोनट आयल को मिलाकर अच्छे से मिक्सचर बना लें. फिर उसे स्ट्रेच मार्क्स वाली जगह पर लगाकर 5 – 10 मिनट तक मसाज करें. कुछ ही दिनों में आपको असर दिखने लगेगा.

3. लैवेंडर आयल स्ट्रेच मार्क्स के लिए मैजिक का काम करता है. 2016 की एक रिसर्च के अनुसार, लैवेंडर आयल कोलेजन के प्रोडक्शन को बढ़ाकर हैल्दी सेल्स को बढ़ाने का काम करता है , जिससे हीलिंग की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है. तभी इस आयल को स्ट्रेच मार्क्स के लिए काफी उपयोगी माना जाता है. इसके लिए आप एक चम्मच ओलिव आयल में 5 बूंदे लैवेंडर आयल की डालकर अच्छे से मिलाएं. इसे आप स्ट्रेच मार्क्स वाली जगह पर लगाकर हलके हाथों से मसाज करके थोड़ी देर के लिए छोड़ दें. ऐसा रोजाना करने पर बदलाव आपको खुद नजर आने लगेगा.

4. साईप्रेस आयल जो घाव को भरने के लिए अनुकूल माना जाता है. लेकिन इसे आप डायरेक्ट अप्लाई नहीं कर सकते बल्कि इसके लिए आपको बेस आयल जरूर चाहिए होता है, ताकि रिजल्ट अच्छे मिलें. तो उसके लिए आप एक चम्मच तिल का तेल लेकर उसमें 8 बूंदें साईप्रेस आयल की डालकर अच्छे से मिलाएं. इसे हर रात को स्ट्रेच मार्क्स पर लगाकर छोड़ दें. कुछ ही हफ्तों में निशान हलके दिखने लगेंगे.

5. एवोकाडो आयल को स्ट्रेच मार्क्स को कम करने के लिए बेस आयल की तरह इस्तेमाल किया जाता है. अकसर एरोमेटिक आयल बनाने के लिए एवोकाडो आयल का इस्तेमाल किया जाता है. रिसर्च के अनुसार एवोकाडो आयल में प्रोटीन, विटामिन ए , डी , इ, फैटी एसिड्स होने के कारण ये सूर्य की हानिकारक किरणों से स्किन को बचाकर कोलेजन को बढ़ाने का काम करता है. साथ ही घावों, निशानो को भी कम करता है. इसके लिए आप एक चम्मच एवोकाडो आयल में 4 बूंदे साईप्रेस आयल की डालकर अच्छे से मिला लें. फिर इसे स्ट्रेच मार्क्स पर लगाकर छोड़ दें. ध्यान रखें रिजल्ट तभी बेहतर मिलेगा जब आप इसका रोजाना इस्तेमाल करेंगे.

6. 2016 की एक रिसर्च के अनुसार, आर्गन आयल स्किन की इलास्टिसिटी को बढ़ाने का काम करता है. जिससे स्ट्रेच मार्क्स काफी हद तक कम हो जाते हैं. इसकी खास बात यह है कि इसके साथ आपको कोई भी बेस आयल मिलाने की जरूरत नहीं होती है. बस सीधे इसे स्ट्रेच मार्क्स पर लगाएं, मसाज करें और कुछ ही दिनों में पाएं रिजल्ट.

7. एलोवेरा को हर तरह की स्किन प्रोब्लम के लिए रामबाण कहा जाए तो गलत नहीं होगा. क्योंकि ये स्किन वाइटनिंग का काम करता है, पिंपल्स को कम करता है, झुर्रियों को कम करने में असरदार माना जाता है, बालों को सोफ्ट बनाता है. यहां तक कि आंखों के नीचे के काले घेरों को भी कम करता है. इसके लिए आप एलोवेरा को बीच से टेरा कांट कर उससे गूदे को निकाल लें. फिर उसे अच्छे से मिला लें. ये आपको जैल की तरह नजर आएगा. फिर इसे स्ट्रेच मार्क्स पर हर रोज लगाकर पाएं बेदाग त्वचा.

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8. स्ट्रेच मार्क्स के लिए जब भी आप कोई आयल का इस्तेमाल करें तो इस बात का ध्यान रखें कि स्किन को स्क्रब कर लें. तो इससे जो भी आयल आप लगाएंगे वो ज्यादा असर करेगा. स्क्रब बनाने के लिए आप आलमंड आयल में बारीक़ चीनी को मिलाकर अच्छे से पेस्ट तैयार करें. फिर इससे स्ट्रेच मार्क्स वाली जगह पर अच्छे से स्क्रब करके उसे क्लीन करें. इसके बाद जब भी आप कोई भी आयल अप्लाई करेंगे तो रिजल्ट काफी अच्छे मिलेंगे.

लड़कियों की आजादी की दुर्दशा कब तक

बढ़ती बेकारी का एक असर यह है कि लड़कियां जो पहले पढ़ाई के बाद कैरियर के नाम पर कुछ साल घरों से दूर निकल सकती थीं और अपने मनचाहे से प्रेम, सैक्स और विवाह कर सकती थीं, अब घरों में रह रही हैं और रोज शादी का दबाव झेल रही हैं. मातापिता चाहे कितने ही उदार और प्रगतिशील हों, वे तो समझते हैं कि अगर नौकरी पर नहीं हैं तो विवाह योग्य साथी नहीं मिलेगा और बिना साथी बेटी कुंठित रहेगी इसलिए उस की शादी कर देनी चाहिए.

यह दबाव और अप्रिय हो जाता है, क्योंकि छोटे शहरों में या अरेंज्ड मैरिज में ज्यादातर लड़के जो दिखते हैं वे आधे पढ़ेलिखे और आधे सफल होते हैं. सफल, स्मार्ट युवा तो बड़े शहरों में नौकरियों पर जा चुके होते हैं. लड़कियों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है कि वे 4,5,6 को इनकार करने के बाद क्या करें. मातापिता तो उन्हीं को दिखाएंगे न जो उन्हें मिलेंगे. बिचौलिए तो अपनी फीस की चिंता करते हैं, लड़की की इच्छा की नहीं.

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पढ़ीलिखी मेधावी लड़कियां एक ऐसी सरकार की गलत नीतियों से लगी आग में झुलसने लगीं जो इन बातों की चिंता ही नहीं करती और हर चीज कर्म और भाग्य पर छोड़ने वाली है. जब प्रधानमंत्री बिना शास्त्र का नाम लिए संस्कृत में बात करने लगें और वित्त मंत्री देश की आर्थिक दुर्व्यस्था को एक्ट औफ गौड कहने लगें तो बेचारी अदना अकेली युवती के लिए कुछ कहनेकरने को बचा क्या है?

जो आशा पिछले 4-5 दशकों में बंधी थी कि लड़कियां लड़कों के बराबर हो जाएंगी, अब मिटने लगी है, क्योंकि यदि लड़कियों को नौकरी नहीं मिलेगी तो उन्हें घरों में रसोई में ही घुसना पड़ेगा चाहे बायोकैमिस्ट्री में पीएचडी ही क्यों न की हो. दूसरी तरफ मातापिता खुद लड़कों को घर पर बैठा देख कर बाहर भेज देंगे ताकि घर में शांति रहे. मतलब है कि आवारा निठल्ले लड़कों की सप्लाई बढ़ेगी और घरेलू लड़कियों की.

सरकार की गलत आर्थिक नीतियों से देश की अर्थव्यवस्था ज्यादा खराब हुई है. कोरोना से पहले ही कारखाने बंद होने लगे थे और उत्पादन कम होने लगा था. देश के कर्णधारों को हिंदूमुसलिम और मंदिरों की पड़ी थी और इन्हीं लड़कियों के मातापिता बेवकूफी में आरतियों, प्रवचनों, तीर्थयात्राओं और स्नानों में जा रहे थे कि उन के बच्चों का भविष्य सुधर जाएगा.

लड़कियों को जो आजादी नौकरियां मिलने से मिली थी वह सदियों बाद मिली थी. लड़कों के कंधे से कंधा मिला कर चलना सदियों बाद हुआ है. शायद पहली बार जब से सभ्यता पनपी है. भारत में ज्यादा और दूसरे देशों में कम यह अवसर हाथ से फिसलता नजर आ रहा है.

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक आज भी बहुत हैं, क्योंकि धर्मभीरु लोग ट्रंप को चाहते हैं और वे धार्मिक गोरों का समर्थन करते हैं. मगर वहां लड़केलड़कियों को बराबर के अवसर मिल रहे हैं और वहां बिचौलियों की बरात नहीं है, जो जन्मकुंडलियां बगल में दबाए घूमते हैं.

भारत में लड़कियों की आजादी की यह दुर्दशा कब तक रहेगी और कितनों को प्रभावित करेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता. डर यही है कि यह लंबे समय तक चलेगा. न तो कोरोना जाने लगा है और न ही यह कट्टरपंथी विचारधारा कि लड़कियां तो घरों में ही शोभा देती हैं. आज भी इस तरह का जम कर प्रचार हो रहा है: ‘‘संजोग विवाह, असवर्ण विवाह, तलाकादि पापपूर्ण कुकृत्यों को कानूनी प्रोत्साहन दे कर हिंदू संस्कृति की रजवीर्य शुद्धिमूलन व्यवस्था को भ्रष्ट कर के देश में वर्णसंकरों द्वारा राष्ट्र के सर्वनाश का बीज बोया जा रहा है.’’

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ये बातें देश को कहां ले जाएंगी छोडि़ए, पक्का है लड़कियों और औरतों को 8वीं सदी में अवश्य ले जाएंगी और लड़कियों की नौकरियां छूटना पहला कदम है. अगर

2-4 साल लगा कि लड़कियों को नौकरियां नहीं मिलेंगी तो मातापिता उन की शिक्षा पर होने वाले खर्च को बचाना शुरू कर देंगे. धार्मिक प्रचार और कोरोना के प्रहार से वैसे ही बाहर निकलना दूभर हो गया है, नौकरियां न रहने पर सवाल उठाया जाने लगेगा कि पैसे लगा कर लड़की को दूसरे शहर महंगी शिक्षा के लिए भेजा भी क्यों जाए. शादी कर दो ताकि वह व्यस्त रहे. आसपास का शोर भी यही बात दोहराएगा. घर बैठी ऊबती लड़कियां भी शादी को मातापिता से मुक्ति का रास्ता समझेंगी और जीवनभर फिर पिछली शताब्दी की लड़कियों की तरह रसोई और बच्चों में जिंदगी गुजार देंगी.

कई बार मेरी धड़कन अचानक बहुत तेज हो जाती है?

सवाल-

मेरी समस्या यह है कि कई बार मेरी धड़कन अचानक बहुत तेज हो जाती है और कई बार सामान्य से धीमी हो जाती है. ऐसा होने पर मुझे सीने में भारीपन महसूस होता है. ऐसा क्यों होता है और इस का समाधान क्या है?

जवाब-

जिस समस्या का आप ने जिक्र किया है उसे एरिथमिया कहते हैं. यह एक ऐसी बीमारी है, जिस में दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है. एरिथमिया तब होता है जब दिल की धड़कन को नियंत्रित करने वाले इलैक्ट्रिक वेव्स ठीक से काम करना बंद कर देते हैं. इसी कारण आप को सीने में भारीपन महसूस होता है. सीने में तेज दर्द, बोलने में समस्या, सांस लेने में मुश्किल, थकान आदि इस बीमारी के आम लक्षण हैं. धड़कन में गड़बड़ी के चलते दिल की गतिविधि में कठिनाई आ जाती है, जिस कारण हार्ट फेल्योर यानी दिल का फेल होना, दिल का दौरा, स्ट्रोक और दिल से जुड़ी कई अन्य गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. स्वस्थ जीवनशैली और सही आहार की मदद से इस बीमारी से राहत पाई जा सकती है. हालांकि पहले इस की जांच कराना आवश्यक है. कार्डिएक इलैक्ट्रोफिजियोलौजी दिल की गड़बड़ी रिकौर्ड करती है. बीमारी की पहचान के बाद डाक्टर आप को उचित मैडिकेशन की सलाह देगा.

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जब जीवन और मृत्यु का सवाल होता है तो हर एक सैकंड माने रखता है. यही वह समय होता है जिस में व्यक्ति को तय करना होता है कि उसे क्या कदम उठाना है. जब हमारे पास किसी मरीज के लिए बेहतरीन विकल्प चुनने के लिए एक घंटे का समय होता है तब हम बहुतकुछ कर सकते हैं, लेकिन जब किसी का जीवन बचाने के लिए सिर्फ कुछ सैकंड्स का समय बचा हो तब मामला अलग होता है. इन दोनों ही स्थितियों में हमारे द्वारा उठाया गया कदम बेहद महत्त्वपूर्ण होता है.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- हार्टअटैक में गोल्डन आवर कार्डिएक अरैस्ट में गोल्डन सैकंड्स

मनी मैनेजमैंट: जीवन की खुशियों की चाबी

लेखक-धीरज कुमार

आभा के पति मल्टीनैशनल कंपनी में काम करते थे. उस के पति का कार ऐक्सीडैंट हो गया. आननफानन में उन्हें हौस्पिटल पहुंचाया गया. हौस्पिटल में सब से पहले पैसे की जरूरत पड़ी. वह अपने पास कभी पैसे रखने की जहमत नहीं उठा पाई थी. कभी जरूरत ही नहीं पड़ी थी. सभी जरूरतों का सामना पति ही जुटाते थे. पैसा पति के अकाउंट में ही था. पति ही लेनदेन करते थे. पति के औपरेशन के लिए मोटी रकम की आवश्यकता पड़ी, तो अपने पास पैसा होते हुए भी कई संबंधियों के आगे हाथ फैलाने पड़ गए.

आभा पति पर इतना ज्यादा निर्भर रहती थी कि पति के एटीएम कार्ड के पिन नंबर तक की जानकारी नहीं रख पाई थी. उन दिनों जब पैसे की सख्त आवश्यकता थी तो फोन कर के अपने संबंधियों के आगे गिड़गिड़ाना पड़ा. जैसेतैसे पैसे की व्यवस्था हुई और इस के बाद पति का औपरेशन हुआ.

मेहुल सरकारी कंपनी में कंप्यूटर इंजीनियर (आउटसोर्सिंग) के पद पर कार्यरत था. लगभग

8 साल से नौकरी कर रहा था. अचानक जांच कराने पर पता चला कि पत्नी को कैंसर हुआ है. आननफानन में पत्नी को अस्पताल में भरती कराना पड़ा. नौकरी के दौरान कभी बचत के बारे में नहीं सोच पाया था. जब भी तनख्वाह मिलती पत्नी, बच्चों, भाई, भतीजे और अपने मातापिता पर पैसे दोनों हाथों से दिल खोल कर लुटाता रहा. हालांकि जिंदगी काफी खुशहाल बीत रही थी. जब पत्नी को कैंसर की बीमारी का पता चला, तो पैसे जुटाने में हाथपांव फूलने लगे. कई यारदोस्तों से उधार लेने पड़े. कुछ मित्रों ने उधार देने से मना कर दिया. अपने निकट संबंधियों से उधार ले कर इलाज करवाया. लेकिन पैसे वक्त पर नहीं जुटा पाया, इसलिए पत्नी को अच्छे अस्पताल में इलाज नहीं करा पाया. अत: वह अपनी पत्नी को बचा नहीं पाया.

मेहुल को इस बात का हमेशा अफसोस रहा कि वह मिल रहे वेतन में से कभी बचत के लिए नहीं सोच पाया था. अगर चाहता तो अच्छी बचत कर सकता था. उस के पास अपने बचत के पैसे होते तो पत्नी का बढि़या अस्पताल में और सही वक्त पर इलाज करा पाता.

मेहुल को मंथली पेमैंट के अलावा किसी प्रकार की कोई सुविधा प्राप्त नहीं थी. यहां तक कि उस का पीएफ भी नहीं कटता था. इसलिए लोन भी नहीं मिल सकता था, क्योंकि कंपनी में मंथली पेमैंट के अलावा कोई अन्य सुविधा देय नहीं थी. वह भविष्य की चिंताओं से दूर रहा और कभी कल्पना ही नहीं कर पाया कि भविष्य में इस प्रकार की परिस्थितियों का भी सामना करना पड़ सकता है.

आज भी इस प्रकार के कई जोड़े हैं, जो अपने भविष्य की नकारात्मक स्थिति की अनदेखी कर मनी मैनेजमैंट नहीं कर पाते हैं. वे कभी विपरीत परिस्थितियों के बारे में सोचते ही नहीं हैं. वे कभी अनुमान नहीं लगा पाते कि जीवन एकसमान कभी नहीं चलता है. जिंदगी में कभी भी उतारचढ़ाव आ सकता है. वैसे समय के लिए भी तैयार रहना चाहिए. हम जीवन को तो नहीं बदल सकते हैं, लेकिन सावधानी बरत सकते हैं. पैसे की भविष्य के लिए सही व्यवस्था कर तथा उस की पहले से प्लानिंग कर जीवन को सरल बना सकते हैं.

पैसे का जीवन में काफी महत्त्व है. इसलिए जरूरी है कि अगर आप के पास जिस अनुपात में इनकम हो रही है, उस के अनुसार मनी मैनेजमैंट का पालन करें. तभी जीवन में खुशियां आ पाती हैं या यों कहा जाए कि मनी मैनेजमैंट में ही जीवन की खुशियों की चाबी है.

1. अपने पार्टनर को वित्तीय जानकारी जरूर दें

पति हो या पत्नी अगर आप नौकरी करते हैं तो अपने पार्टनर को घर की वित्तीय जानकारी जरूर बताएं. कुछ चैक एकदूसरे के लिए साइन भी रखने चाहिए. एकदूसरे के एटीएम की पिन आदि की जानकारी पतिपत्नी दोनों को जरूर रखनी चाहिए. सिर्फ पतिपत्नी ही एकदूसरे को जानकारी न दें, बल्कि अपने बड़े हो रहे बच्चों को भी इस की जानकारी देनी चाहिए ताकि विपत्ति के दिनों में बच्चे भी उस संकट का सामना आसानी से कर सकें. इस प्रकार से परिवार के सभी सदस्यों को तैयार रहना चाहिए. संभव हो तो पतिपत्नी व बच्चों का जौइंट अकाउंट भी खुलवाया जा सकता है ताकि जरूरत पड़ने पर कोई भी पैसा निकाल सके.

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2. बचत की आदत डालें

आप भले जितना भी कमाते हैं, अगर खर्र्च करना चाहें, तो वह भी कम पड़ सकता है. लेकिन आप बचाना चाहते हैं, तो थोड़ी सी इनकम में भी बचाया जा सकता है. थोड़ीथोड़ी बचत कर भविष्य के लिए इकट्ठा किया जा सकता है. इंसान भविष्य के बारे में कुछ भी नहीं जानता है कि वह किस करवट लेगा. विपत्ति बता कर नहीं आती, अचानक आती है. इसलिए जैसी इनकम है, वैसी बचत होनी चाहिए. बचत भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए, घर बनाने के लिए, भविष्य में बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए, बेटेबेटियों के शादीविवाह के लिए, पहले से ही सोच कर करनी चाहिए. इस के अलावा कुछ पैसे आकस्मिक खर्च के लिए भी रखने जरूरी हैं. बचत के और भी कई कारण हो सकते हैं, जिसे आप भविष्य में करना चाहते हैं. उस के लिए छोटीछोटी बचत अभी से करना जरूरी है.

3. जीवन बीमा अवश्य लें

आप नौकरी करती हैं, गृहिणी हैं, शिक्षक हैं या आप किसी और पद पर कार्यरत हों, तो अपना जीवन बीमा अवश्य करवाएं. जीवन बीमा जिंदगी के साथ और जिंदगी के बाद भी आप के परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है. अगर आप के दरवाजे पर बीमा बेचने वाला व्यक्ति आए तो उसे फालतू समझ कर टालें नहीं, बल्कि उस के पास अपनी हैसियत के अनुसार बीमा लेने की बात करें. बीमा आप के नहीं रहने पर आप के आश्रित परिवारजनों को सुरक्षा प्रदान करता है. इतना ही नहीं अभी कई प्रकार के बीमा उपलब्ध हैं जैसे घर, गाड़ी, हैल्थ आदि के लिए. अपनी जरूरत और सुविधा के अनुसार अवश्य लेना चाहिए.

4. अपनी आवश्यकताएं थोड़ा कम रखें

घर के बड़ेबुजुर्ग जब यह कहते हैं कि बेटा खुले हाथों से पैसे खर्च मत करो. भविष्य के लिए थोड़ा बचाओ तो आज के युवाओं को यह नागवार गुजरता है. लेकिन बुजुर्गों का यह कहना शतप्रतिशत सही है. भविष्य के लिए पैसे रखना बहुत जरूरी है. चाहे आप व्यापारी हों या नौकरीपेशा व्यक्ति, आप का व्यापार या आप की नौकरी जिस दिन से शुरू होता है उसी दिन से बचत के लिए भी सोचना शुरू कर देना चाहिए. अपनी आवश्यक जरूरतों पर थोड़ा लगाम दीजिए जैसे आप का अगर 2-4 अच्छे कपड़ों से काम चल जाए, तो फालतू के दर्जनों कपड़े रखने से क्या फायदा. अगर 1-2 किराए के कमरे से काम चल सकता है तो फालतू के दिखावे के लिए बड़ा सा फ्लैट ले कर हम समाज में क्यों दिखावा करें.

5. इन्वैस्टमैंट जरूरी है

आजकल कई कंपनियां इन्वैस्टमैंट के लिए काम कर रही हैं. शेयर मार्केट, इक्विटी और डेट मैचुअल फंड, पीपीएफ, बैंक, एफडी, नैशनल पैंशन सिस्टम, रियल ऐस्टेट, गोल्ड आदि में इन्वैस्टमैंट अपनी सुविधानुसार किया जा सकता है. इन्वैस्टमैंट में अच्छा रिटर्न मिलता है. इन्वैस्टमैंट करने से पहले वित्तीय सलाहकार से जानकारी लेना ठीक रहता है. इन्वैस्टमैंट इतनी ही होनी चाहिए कि बचत आदि पर कोई प्रभाव न पड़े, क्योंकि यह जोखिम भरा कार्य भी है.

6. अपनी जरूरतों को प्राथमिकता दें

अंत में यह बात महत्त्वपूर्ण है कि हमारी जैसी जरूरत है, उस के अनुसार बचत और खरीदारी के लिए प्राथमिकता देनी चाहिए. अगर आप किराए पर रहते हैं तो जरूरी है कि आप प्लौट या फ्लैट खरीदने के लिए सोचेंगे. अगर नौकरी या बिजनैस के लिए आनेजाने में दिक्कत के कारण आप कार खरीदने के लिए सोच रहे हैं, तो घर और कार में जिस की पहले जरूरत हो उसी को प्राथमिकता देनी चाहिए. मान लीजिए बेटेबेटी की शादी करनी है और घर बनाने की भी बात हो तो सब से पहले बेटाबेटी की शादी करने की प्राथमिकता होनी चाहिए. घर बनाने की बातें तो बाद में होंगी. प्राथमिकता अपनी जरूरत के हिसाब से होनी चाहिए.

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7. फाइनैंशियल एडवाइजर की सलाह

इंश्योरैंस कंपनी के फाइनैंशियल एडवाइजर राजेश कुमार सिन्हा का कहना है कि मनी मैनेजमैंट बहुत ही समझदारी से करना चाहिए. इस में छोटीमोटी गलती भी बड़ा नुकसान करा सकती है. दूसरी तरफ समझदारी से पैसे की बचत की जाए और उसे फिर सही जगह इन्वैस्ट किया जाए तो अच्छा लाभ मिल सकता है. मनी मैनेजमैंट में काफी सूझबूझ की जरूरत होती है. सही किया गया मनी मैनेजमैंट परिवार और स्वयं के जीवन की वित्तीय सुरक्षा की गारंटी प्रदान करता है. मनी मैनेजमैंट यानी वित्तीय व्यवस्था के लिए वित्तीय सलाहकार से राय लेना उचित होता है.

मनी मैनेजमैंट बहुत सोचसमझ कर करना चाहिए ताकि भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी न हो. यह सुखद भविष्य के लिए बेहद आवश्यक है. अगर इस की प्लानिंग सही तरह की जाए, तो भविष्य की आधारशिला मजबूत रहेगी. परिवार तथा स्वयं का भविष्य सुरक्षित रहेगा.

Festive Special: इंडियन लुक में भी किसी से कम नहीं श्वेता तिवारी की बेटी Palak

टीवी सीरियल्स से ज्यादा पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहने वाली टीवी एक्ट्रेस श्वेता तिवारी (Shweta Tiwari) फेमस हैं. वहीं उनकी बेटी पलक तिवारी (Palak Tiwari) भी इन दिनों चर्चा में रहने लगी हैं. पलक तिवारी (Palak Tiwari) अक्सर सोशलमीडिया पर अपनी हौट फोटोज को लेकर तारीफें बटोरतीं रहती हैं. वहीं एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने से पहले ही उनके फैंस की लिस्ट लंबी होती जा रही हैं. दरअसल, जल्द ही पलक बौलीवुड डेब्यू करने वाली हैं, जिसके चलते वह सुर्खियों में छाई हुई हैं. पर आज हम आपको पलक तिवारी की किसी फिल्म की नही बल्कि उनके इंडियन लुक के बारे में बताएंगे. पलक इंडियन लुक में मां श्वेता तिवारी से भी ज्यादा खूबसूरत लगती हैं. इसी लिए आज हम फैस्टिव सीजन के लिए कुछ लुक्स के बारे में बताएंगे.

1. सेरेमनी के लिए परफेक्ट है पलक का लुक

शादी हो या फेस्टिव सेरेमनी, अगर आप कुछ खूबसूरत, लेकिन सिंपल आउटफिट ट्राय करना चाहते हैं तो पलक तिवारी का ये लुक परफेक्ट है. सिंपल लौंग स्कर्ट के एम्ब्रौयडरी वाला ब्लाउज आपके लुक को खूबसूरत बनाने में मदद करेगा.

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2.  प्रिंटेड लहंगा है परफेक्ट

आजकल प्रिंटेड पैटर्न काफी ट्रैंडी है. हर कोई इस लुक को ट्राय कर रहा है. अगर आप भी प्रिंटेड लहंगा ट्राय करना चाहती हैं तो पलक तिवारी का ये लुक परफेक्ट औप्शन है.

3. लाइट कलर लहंगा करें ट्राय

अगर आप फेस्टिव सीजन में लाइट कलर ट्राय करना चाहती हैं तो पलक तिवारी का फ्रिल पैटर्न वाला पीच कलर लहंगा परफेक्ट औप्शन है.

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4. रेड कलर है पार्टी परफेक्ट 

अगर आप वेडिंग सीजन में रेड कलर ट्राय करना चाहती हैं तो पलक तिवारी का रेड कलर परफेक्ट औप्शन है. ये आपके लुक को खूबसूरत बनाएगा.

5.  हैवी लहंगा करें ट्राय

पलक तिवारी का ये लहंगा स्टाइलिश के साथ-साथ हैवी भी है, जिसे आप वेडिंग सीजन में ट्राय कर सकती हैं.

Festive Special: बेसन की बादामी बरफी का स्वाद है लाजवाब

फेस्टिव सीजन हो या वेडिंग सीजन, घर की बनाई मिठाई हर किसी को पसंद आती है. अगर आप भी इस सीजन घर पर मिठाई बनाने की सोच रही हैं तो बेसन की बादामी बरफी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

हमें चाहिए

2 कप मोटा बेसन,

300 ग्राम चीनी,

1 कप देशी घी,

1 बड़ा चम्मच बादाम पाउडर,

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150 ग्राम मावा,

4 बड़े चम्मच बादाम 2 टुकड़ों में कटे,

1/4 छोटा चम्मच इलायची पाउडर,

2 बड़े चम्मच दूध,

1 कप पानी.

बनाने का तरीका

मावा को कद्दूकस कर के हलका सा भून कर अलग रख लें. बेसन में 1 बड़ा चम्मच पिघला घी और 3 बड़े चम्मच दूध डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. 10 मिनट ऐसे ही रहने दें. फिर छलनी से दबादबा कर छान लें. आधा घी गरम कर के बेसन भूनें.

जब थोड़ा भुन जाए तो बचा घी भी डाल कर खुशबू आने तक भूनें. इस में इलायची पाउडर और बादाम पाउडर भी मिला दें. चीनी में पानी डाल कर 1 तार की चाशनी बनाएं और गरम चाशनी भुने बेसन में मिला कर बराबर चलाएं.

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आंच बंद कर दें पर मिश्रण को चलाती रहें. जब मिश्रण कड़ाही छोड़ने लगे तो चिकनाई लगी थाली में डाल दें. ऊपर बादाम के टुकड़े लगा दें. जमने पर मनचाहे आकार में टुकड़े काट लें.

कूल मौम: शादी के कुछ समय बाद ही जब मायके आई लतिका

Serial Story: कूल मौम (भाग-1)

रचना चेहरे से जितनी शांत लग रही थीं, अंदर उतना ही तूफान था. भावनाओं की बड़ीबड़ी सूनामी लहरें बारंबार उन के मन पर आघात किए जा रही थीं. काया स्वस्थ थी, किंतु मन लहूलुहान था. फिर भी अपने अधरों पर मुसकान का आवरण ओढ़े घरगृहस्थी के कार्य निबटाती जा रही थीं. ठीक ही है मुसकराहट एक कमाल की पहेली है- जितना बताती है, उस से कहीं अधिक छिपाती है. शोकाकुल मन इसलिए कि इकलौती संतान लतिका की नईनई शादीशुदा जिंदगी में दहला देने वाला भूचाल आया और मुसकान की दुशाला इसलिए कि कहीं लतिका डगमगा न जाए.

कुछ ही दिन पहले ही रचना ने अखबार में पढ़ा था कि आजकल के नवविवाहित जोड़े हनीमून से लौटते ही तलाक की मांग करने लगे हैं और यह प्रतिशत दिनोंदिन बढ़ रहा है.

दरअसल, हनीमून पर पहली बार संगसाथ रह कर पता चलता है कि दोनों में कितना तालमेल है. धैर्य की कमी लड़कों में हमेशा से रही है और समाज में स्वीकार्य भी रही है, लेकिन बदलते परिवेश में धीरज की वही कमी, उतनी ही मात्रा में लड़कियों में भी पैठ कर गई है. अब जब लड़कियां हर क्षेत्र में लड़कों से बराबरी कर रही हैं, तो उन के व्यवहार में भी वही बराबरी की झलक दिखने लगी है.

अखबार की सुर्खियों में खबर पढ़ कर मन थोड़ाबहुत विचलित हो सकता है, पर उस का प्रतिबिंब अपने ही आंगन में दिखेगा, ऐसा कोई नहीं सोचता. रचना ने भी नहीं सोचा था. धूमधाम से पूरी बिरादरी के समक्ष आनबान शान से रचना और वीर ने अपनी एकमात्र बेटी लतिका का विवाह संपन्न किया था. सारे रीतिरिवाज निभाए गए, सारे संबंधियों व मित्रगणों को न्योता गया. रिश्ता भी अपने जैसे धनाढ्य परिवार में किया था. ऊपर से लतिका और मोहित को कोर्टशिप के लिए पूरे

1 वर्ष की अवधि दी गई थी. उन दोनों की कोई इच्छा अधूरी नहीं छूटी थी. संगीत व मेहंदी समारोह में कलाकारों ने गानों की झड़ी लगा दी थी. विवाह में श्हार के ही नहीं देश भर के नामीगिरामी लोग पधारे थे. लतिका और मोहित भी तो कितने प्रसन्न थे. लेटैस्ट डिजाइन के कपड़े, गहने, शादियों में नवीनतम चलन वाली फोटोग्राफी, देशविदेश के तरहतरह के व्यंजन, कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी गई थी.

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हनीमून का प्रोग्राम पूरे 20 दिनों का था. 21वें दिन लतिकामोहित से मिलने रचना और वीर एअरपोर्ट पहुंच गए थे. अपनी नवविवाहित बिटिया के चेहरे पर प्यार का खुमार और नईनई शादी की लाली देखने की और प्रतीक्षा नहीं हो पा रही थी उन से. हनीमून के शुरुआती दिनों में फेसबुक और व्हाट्सऐप पर उन दोनों की प्यार के नशे में डुबकी लगाती सैल्फी व फोटो देखदेख कर मां पिता हर्षित होते रहे. किंतु एक पक्ष बीतने पर अपने बेटी  दामाद से मिलने की इच्छा तीव्र होती गई. एअरपोर्ट पर दोनों से गले लगते ही लतिका ने ड्राइवर को आदेश दे डाला कि वह उस का बैग उठा कर मांपिता की गाड़ी में रख दे. मोहित चुपचाप दूसरे रास्ते चला गया.

धीरेधीरे बात साफ हुई. तब से रचना घर का माहौल खुशमिजाज रखने के प्रयत्न में अग्रसर रहतीं ताकि लतिका का मन शोकग्रस्त न रहे. अब वह जमाने तो हैं नहीं कि डोली में देहरी लांघी लड़की अर्थी पर ही लौटे. लेकिन परिणयसूत्र कोई कांच का गिलास भी तो नहीं कि जरा सा टकराते ही चटक जाए. रचना का मन द्रवित रहता. लतिका अपने मन की बात ढंग से बताती भी तो नहीं. बस सब से विमुख सी रहती है.

‘‘लतिका, मोहित का फोन है तुम्हारे लिए. तुम्हारा सैलफोन बंद क्यों है, मोहित पूछ रहा है,’’ रचना की पुकार सुन कर भी लतिका के मुखमंडल पर कोई तेज न आया. उलटा संदेह भरा दृष्टिपात करते हुए वह फोन तक गई. दोटूक बात कर फोन वापस अपनी जगह था. आज रचना ने सोचा कि लतिका के मन की थाह ली जाए. यदि वह भी अन्य सभी की भांति इस बात को यहीं छोड़ देगी, आगे नहीं टटोलेगी तो उस की बिटिया के शादीशुदा जीवन की इति दूर नहीं.

‘‘क्या बात है लतिका, क्यों नाराज हो तुम मोहित से? आखिर अपनी गृहस्थी शुरू करने में यह हिचक कैसी? ऐसी क्या बात हो गई कि तुम दोनों हनीमून के बाद घर बसाने के बजाय सारे प्रयत्न छोड़ कर वापस मुड़ चले हो?’’

‘‘मम्मा, मैं और मोहित बिलकुल भी कंपैटिबल नहीं हैं. उसे मेरी भावनाओं की जरा भी कद्र नहीं है. आखिर मैं किसी की बेकद्री क्यों सहूं? मेरे छोटेमोटे मजाक तक नहीं सह सकता वह. यदि मैं अपने दोस्तों के बारे में बात करूं, तो वह भी उसे नापसंद है. शादी से पहले मैं सोचती थी कि वह मुझे ले कर पजैसिव है, इसलिए उसे पसंद नहीं कि मैं अपने दोस्तों के बारे में बातें करती रहूं पर हमेशा तो ऐसा नहीं चल सकता न? उसे तो बस अपने परिवार की पड़ी रहती है. हूंह, हनीमून न हो गया, उस के परिवार में सैटल होने की मेरी ट्रेनिंग हो गई. अभी भी उस ने फोन पर यही कहा कि मुझे बात को समझना होगा और अपने तौरतरीके बदलने होंगे.’’

लतिका की बातों से एक बात साफ थी कि मोहित अब भी इस शादी की सफलता चाह रहा है. रचना को यह जान कर प्रसन्नता हुई. वे हमेशा से लतिका के लिए मां से अधिक एक अच्छी दोस्त रही हैं. तभी तो आज लतिका ने बिना किसी झिझक के उन से अपने मन की बातें साझा की थीं. अब रचना की बारी थी अपनी भूमिका निभाने की. जब उन्होंने अपनी बेटी का विवाह किया तो इसी आशय से कि बेटी का जीवन अपने जीवनसाथी के साथ सुखी रहे, आबाद रहे.

मोहित और लतिका खूब खुश रहे पूरी 1 साल की कोर्टशिप में. इस का तात्पर्य है कि जो कुछ अभी हो रहा है वह बस शुरू की हिचकियां हैं, जो हर रिश्ते के प्रारंभ में आती हैं.

रिश्ते मौके के नहीं, भरोसे के मुहताज होते हैं. भरोसे का पानी पीते ही ये हिचकियां आनी बंद हो जाएंगी. परिपक्वता के कारण रचना को मालूम था कि एक घर, एक बैडरूम में रहते हुए भी 2 लोगों के बीच मीलों की दूरियां आ सकती हैं जो फिर दोनों को मिल कर मिटानी होती हैं. एक के प्रयास से कुछ नहीं होता. जब किसी को दूसरे से इक्कादुक्का शिकायतें हों तो कोई बड़ी बात नहीं है पर जब शिकायतों का अंबार लग जाए, तो यह बड़ी परेशानी की बात बन जाती है. अभी शुरुआत है. यदि अभी इस समस्या का हल निकाल लिया जाए तो बात संभल सकती है.

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रचना ने लतिका को समझाने का प्रयास किया, ‘‘बेटी, शादी कोई गुड्डेगुडि़यों का खेल नहीं है कि तुम अपनी सहेली के घर अपनी गुडि़या ले गईं, उस के गुड्डे से अपनी गुडि़या की शादी रचाई और पार्टी के बाद अपनी गुडि़या वापस ले अपने घर लौट आईं.

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Serial Story: कूल मौम (भाग-2)

यह असली जिंदगी की शादी है जहां एक लड़की का पूरा जीवन बदल जाता है. तुम्हारे अपने पराए और पराए अपने बन जाते हैं.’’

‘‘प्लीज मौम, आप के मुंह से ऐसी बातें अच्छी नहीं लगतीं. आप की सोच इतनी संकुचित कब से हो गई? मैं कोई गुडि़या नहीं हूं, जिस की भावनाएं नहीं, मैं एक जीतीजागती लड़की हूं,’’ लतिका अभी कुछ भी समझने के मूड में नहीं थी, ‘‘मैं आप को हमेशा अपनी मौम से ज्यादा अपनी सहेली मानती आई हूं. मैं आप को ऐसे ही तो नहीं कूल मौम कहती हूं.’’

लतिका की बातें सुन रचना चुप हो गईं. कूल मौम के टैग तक ठीक था, किंतु इस स्थिति का हल तो खोजना ही होगा. रचना ने पहले मोहित से मिलना तय किया. उन के बुलाने पर बिना किसी नखरे के मोहित एक रेस्तरां में मिलने आ गया. कुछ तकल्लुफ के बाद रचना ने बात शुरू की. पहले उन्होंने लतिका की बात मोहित के समक्ष रखी, ‘‘क्योंकि मैं ने अभी तक सिर्फ लतिका की बात ही सुनी है. अब मैं तुम्हारा पक्ष सुनना चाहती हूं.’’

‘‘मम्मा, आप ही बताओ, जो बातें मैं ने पहले ही साफ कर दी थीं, उन्हें दोहराना क्या उचित है? लतिका को पहले से पता है कि मेरे परिवार में बहुत अधिक पार्टी कल्चर नहीं है. अभी हमारी शादी को दिन ही कितने हुए हैं. मुश्किल से 1 हफ्ता रही है वह हमारे घर हनीमून जाने से पहले. उस पर भी वह हर समय यही पूछती रही कि क्या इस पार्टी में भी नहीं जाएंगे हम, क्या उस पार्टी में भी नहीं जाएंगे हम? मैं ने पहले ही उस से कह दिया था कि शादी के

बाद उसे हमारे घर के रीतिरिवाज के अनुसार दादी और मम्मी की रजामंदी से चलना होगा… वैसे वे लोग कुछ अधिक चाहते भी नहीं हैं.

बस सुबह उठ कर उन्हें प्रणाम कर ले, खाने में क्या बनाना है, यह उन से पूछ ले. घर से बाहर जाए तो उन्हें बता कर जाए. ये तो साधारण से संस्कार हैं, जिन का हर परिवार अपनी बहू से अपेक्षा रखता है. फिर हमारे घर में 2 भाभियां हैं, जो यह सब करती हैं. इस के अलावा कोई रोकटोक नहीं, कोई परदा नहीं. पर वह है कि इस बात की जिद ले कर बैठ गई है कि वह अपनी मरजी से जीती आई है और अपनी इच्छानुसार ही चलेगी. मुझे तो लगने लगा है कि हम दोनों कंपैटिबल नहीं हैं.’’

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लतिका और मोहित, दोनों के मुंह से कंपैटिबल न होने की शिकायत रचना को सोच में डाल गई. आखिर यह कंपैटिबिलिटी क्या है? हर शादी समझौते मांगती है, कुछ बलिदान चाहती है. एक ही घर में पैदा होने वाले एक ही मांबाप के 4 बच्चे भी आपस में कंपैटिबल नहीं होते हैं, उन में भी विचारभेद होते हैं, झगड़े होते हैं. पर भाईबहनों का तलाक नहीं हो सकता और पतिपत्नी फटाफट इस निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं कि हम कंपैटिबल नहीं हैं तो खत्म करो यह रिश्ता. हो सकता है कि मन की परतों में मोहित, लतिका को खोना नहीं चाहता हो पर अहं का क्या करे?

घर लौटने पर रचना ने पाया कि लतिका सोफे पर पसरी चिप्स के पैकेट पर पैकेट चट कर रही थी. वह जब कभी परेशान होती तो उस का तनाव खानेचबाने से ही हल होता. तनावग्रस्त दोनों ही थे- मोहित और लतिका. पर अहम की बेवजह खड़ी दीवार में रंध्र करने की जिम्मेदारी रचना ने खामोशी से संभाल ली थी. जरूरी नहीं कि हर लड़ाई जीती जाए. जरूरी यह है कि हर हार से सीख ली जाए. रिश्तों की टूटन से उपजा तिमिर केवल घरपरिवार को ही नहीं, अपितु पूर्ण जीवन को अंधकारमय कर देता है. अपनी बेटी के जीवन में निराशा द्वारा रचा तम वे कभी नहीं बसने देंगी.

‘‘हाय भावना, क्या हाल हैं?’’ लतिका अपनी सहेली से फोन पर बातें कर रही थी,

‘‘हां यार, मेरी मोहित से बात हुई है फोन पर लेकिन वह अपने घर की सभ्यता को ले कर

कुछ ज्यादा ही सीरियस है. ऐसे में मैं कितने दिन निभा पाऊंगी भला? सच कहूं तो मुझे लगता है मैं ने गलती कर दी यह शादी कर के. पता है, हनीमून पर एक रात हम दोनों में झगड़ा हुआ और गुस्से में मैं बिस्तर पर न सो कर सारी रात कुरसी पर बैठी रही. लेकिन मोहित आराम से बिस्तर पर सो गया. इस का यही निष्कर्ष निकला न कि उसे मेरी भावनाओं से कोई सरोकार नहीं है…’’

शादी की शुरुआत में लड़कियां बहुत अधिक संवेदनशील हो जाती हैं. जन्म से जिस माहौल में लड़कियां आंखें खोलती हैं, उस माहौल को, अपने मांबाप, अपने घरआंगन को त्याग कर पराए संसार को उस की नई मान्यताओं, उस के तौरतरीकों सहित अपनाने की उलझन वही समझ सकता है, जो उस कठिन राह पर चलता है. लड़कों के लिए यह समझना मुश्किल है. वे बस इतना कर सकते हैं कि शुरूशुरू में अपनी पत्नी को जितना हो सके उतना कंफर्टेबल करें ताकि वह अपने नए वातावरण में जल्द से जल्द सैटल हो पाए. बस इसी प्रयास में पतिपत्नी का रिश्ता सुदृढ़ होता जाएगा, उन में अटूट बंधन कसता जाएगा. पति के प्रयत्न को पत्नी सदैव याद रखेगी, उस के प्रति नतमस्तक रहेगी. ये शुरू की संवेदनशीलताएं ही रिश्ते को बनाने या बिगाड़ने की अहम भूमिका निभाने में सक्षम हैं.

‘‘नहीं यार, मेरी मौम बहूत कूल हैं.’’

लतिका का अपनी सहेली से चल रहे वार्त्तालाप से रचना की विचारशृंखला भंग हो गई.

‘‘आई एम श्योर वे मेरे इस निर्णय में मेरा साथ देंगी,’’ लतिका को अपनी मां पर पूर्ण विश्वास था.

रचना दोनों पक्षों की बात सुन चुकी थी. सुन कर उन्हें और भी विश्वास हो गया था कि दोनों का रिश्ता सुदृढ़ बनाना उतना कठिन भी नहीं. बस कोई युक्ति लगानी होगी. युक्ति भी ऐसी कि न तो रचना का ‘कूल मौम’ का टैग बिगड़े और न ही लतिकामोहित का रिश्ता. फिर क्या खूब कहा गया है कि रिश्ते मोतियों की तरह होते हैं, कोई गिर जाए तो झुक कर उठा लेना चाहिए.

‘‘मेरे बच्चे, जो भी तुम्हारा निर्णय होगा, मैं तुम्हारे साथ हूं. आज तक हम ने वही किया, वैसे ही किया, जैसे तुम ने चाहा. आगे भी वही होगा जो तुम खुशी से चाहोगी. हम ने तुम्हारी शादी आज के आधुनिक तौरतरीकों से की, वैसे ही आगे की कार्यवाही भी हम आज के युग के हिसाब से ही करेंगे. तुम मोहित से शादी कर के पछता रही हो न? ठीक है, छोड़ दो मोहित को,’’ रचना की इस बात का असर ठीक वैसा ही हुआ जैसी रचना ने अपेक्षा की थी.

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लतिका की आंखों के साथसाथ उस का

मुंह भी खुला का खुला रह गया, ‘‘छोड़ दूं मोहित को?’’

‘‘हां बेबी, ठीक सुना तुम ने. छोड़ दो मोहित को. मेरी नजर में एक और लड़का है फैशनेबल, अमीर खानदान, हर रोज पार्टियों में आनाजाना. जैसा तुम्हें चाहिए, वैसा ही. आए दिन तुम्हें तोहफे देगा.’’

आगे पढ़ें- रचना की बातें सुन लतिका के मुख पर…

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