झुर्रियों से राहत पाने के लिए अपनाएं ये 5 टिप्स

अगर आप भी झुर्रियों से परेशान हैं और कई नुस्खें आप आजमा चुकी हैं. फिर भी आपकी झुर्रिया दूर नहीं हो रही और आप झुर्रियों के कारण उम्र से ज्यादा  भी देखती हैं. लेकिन आपको इसमे परेशान होने की जरूरत नहीं है. आईए आपको कुछ टिप्स बताते हैं, जिससे आप झुर्रियों से राहत पा सकती हैं.

मुल्तानी मिट्टी

झुर्रियों पर मुल्तानी मिट्टी सबसे ज्यादा असर करती है. यह त्वचा में कसाव लाती है और महीन रेखाओं को भी खत्म करती है. आप मुल्तानी मिट्टी लगाने से पहले उसे आधे घंटे के लिए भिगा दें. मिट्टी गल जाए तो उसमें खीरे का रस, टमाटर का रस और शहद मिलाएं. इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं. सूखने के बाद चेहरे को धो लें.

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दूध का पाउडर

दूध के पाउडर में शहद और थोड़ा सा पानी मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा सॉफ्ट और ग्लोविंग हो जाती है. इससे चेहरे की झुर्रियां भी कम हो जाती हैं.

केला

केले का क्रीम जैसा पेस्ट बनाकर उसे चेहरे पर लगाएं. आधे घंटे तक लगाएं रखें फिर सादे पानी से धो लें. त्वचा को अपने आप सूखने दें, उसे पोछे नहीं. केले के इस्तेमाल से त्वचा में कसाव आता है और झुर्रियों पर फर्क नजर आने लगता है.

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नारियल का तेल

ये तीनों तेल त्वचा को झुर्रियों से बचाने में कारगर हैं. इनकी मालिश से न केवल चेहरे की रंगत खिलती है, बल्कि रिंकल्स भी दूर होते हैं.

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टेस्टी और हेल्दी नारियल पनीर कोफ्ते

आप पनीर से बनी कई रेसिपी बना लेते होंगे. जो कि खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होती है. जिन्हे सभी बड़े चाव से खाते है. इसी तरह नारियल की बात करें तो इसे हम हर पूजा-पाठ में घर लाते है. कुछ लोग तो इसकी मिठाई भी बना लेते है. लेकिन क्या आपने कभी पनीर और नारियल के कोफ्ते की रेसिपी बनाई है. नहीं बनाई.

आपने लौकी या फिर और किसी के कोफ्ते तो खाए ही होंगे. आज बनाइए नारियल पनीर के कोफ्ते. जो खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होती है साथ ही हेल्दी भी . तो फिर झट से बनाएं नारियल पनीर के कोफ्ते.

सामग्री

– पांच उबले उबले मैश किए हुए आलू

– एक कप कसा हुआ नारियल

– एक कप दूध

– एक कप कद्दूकस किया हुआ पनीर

– आधा कप बेसन

– थोडा सा चावल का आटा

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– बारीक कटा हुआ हरी धनिया

– बारीक कटा हुई हरी मिर्च

– पांच टमाटर बारीक कटे हुए

– तीन चम्मच चीनी

– छोटा चम्मच जीरा

– थोड़ी लाल मिर्च

– स्वादानुसार नमक

– आवश्यतानुसार तेल

ऐसे बनाएं नारियल पनीर कोफ्ते

– सबसे पहले आलू और पनीर को एक साथ मिलाकर मैश करें. इसके बाद इसमें बेसन, हरी मिर्च व हरी धनिया, नमक व लाल मिर्च लें. इसके बाद इसे कोफ्ते के आकार में हाथों से बना लें. फिर इसे चावल के सूखे आटे में लपेट कर रख लें.

– इसके बाद एक कढाई को गैस में तेल डालकर रखे और इसे गर्म होने दे. जब यह गर्म हो जाए तो इसमें कोफ्ते डालकर तल लें. इन्हें गोल्डन ब्राउन होने तक तलें. और एक प्लेट में निकाल लें.

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– इसके बाद बचे हुए तेल में थोड़ा तेल डालकर इसमें जीरा डाले फिर टमाटर क्यूरी डालकर अच्छी तरह से भून ले. जब यह भून जाए तो इसमें दूध, नारियल और स्वादानुसार नमक डाले और इसे पकने दे. जब यह पक जाए तो इसमें बने हुए कोफ्ते डाल दे.

– थोड़ी देर पकने के बाद गैस बंद कर दे. आपको नारियल पनीर के कोफ्ते बनकर तैयार हो गए है. इसे आप गर्मा-गरम पूरी या फिर पराठों के साथ सर्व कर सकते है.

जब सैंया भए कोतवाल

यदि राजघराने का युवा खौलता खून एक राजा के मुख्यमंत्री के हैलीकौप्टर में जीप से टक्कर मार दे तो उस देश में क्या होता है? उस युवक को पकड़ा नहीं जाएगा, उस की भी हत्या ही कर दी जाएगी.

1985 में राजस्थान के मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के हैलीकौप्टर को भरतपुर के राजा किशन सिंह के बेटे मान सिंह ने अपने 2 साथियों के साथ किसी विवाद में टक्कर मार दी तो मुख्यमंत्री ने राजाओं की तरह उसे सजा के तौर पर मारने का हुक्म दे दिया.

एक पुलिस एनकाउंटर में पुलिसकर्मियों ने मान सिंह व उस के 2 साथियों को ऐसे ही मार डाला जैसे कानपुर के विकास दुबे को मारा गया था. दिखावे के लिए पुलिस पर मुकदमा चला पर पहली अदालत का फैसला 35 साल बाद आया है. तब के डिप्टी पुलिस सुपरिंटैंडैंट कान सिंह भाटी को आजीवन कैद की सजा सुनाई गई है. 10 और को भी सजा मिली है.

तो क्या ये अब जेल जाएंगे? हरगिज नहीं, अभी तो उच्च न्यायालय बाकी है. वह 5-7 साल लेगा. फिर सुप्रीम कोर्ट है. वह8-10 साल लेगा. कान सिंह भाटी अब 82 साल के हैं. जब तक मामला अंतिम चरण में पहुंचेगा लगभग सभी गुनहगार बिना सजा काटे मर चुके होंगे. न्याय कहां है, यह आप ढूंढ़ते रहें.

अगर देश में गुंडों का राज चलता है तो इसलिए कि वे गुंडे असल में पुलिस की वरदी के बिना जैसा व्यवहार करते हैं. वे जानते हैं कि पुलिस उन का कुछ नहीं बिगाड़ेगी जैसेकि कानून पुलिस का कुछ नहीं बिगाड़ पाता.

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साधारण नागरिकों को जेलों ठूंस देने वाली अदालतें जमानतें देने में भी ढेरों आनाकानियां करती हैं. आमतौर पर हमारे यहां मजिस्ट्रेट की पहली अदालत पुलिस विभाग का काम करती है. पुलिस ने कहा कि जमानत न दो तो जमानत नहीं मिलेगी. यदाकदा उच्च न्यायालयव सर्वोच्च न्यायालय यह उपदेशदेते रहते हैं कि बेल नौट जेल भारत के कानून का मूल तत्त्व है पर सैकड़ों औरतें जो बहू प्रताड़ता से कर वेश्यावृत्ति के नाम पर जेलों में बंद हैं और 3-4 सालों तक उन के मुकदमे तक शुरू नहीं होते, गवाह हैं कि यहां तो राजा का हुक्म चलता है, प्रजा या कानून का नहीं.

शिवचरण माथुर मुख्यमंत्री के हैलीकौप्टर में टक्कर मार देना कोई हंसीठट्ठा नहीं है पर फिल्मी तर्ज पर उस अपराधी को गोलियोंसे भून देना भी सही नहीं है. जनता आमतौर पर भय के कारण इस तरह के पुलिस एनकाउंटरों में चुप रहती है तो काफी लोग पुलिस को सही मानते हैं. वे हर बात पर कहते हैं कि अपराधी को तो देखते ही गोली मार देनी चाहिए बिना यह सोचेसमझे कि कौन अपराधी है. यह भी तो अदालत ही तय करेगी न. जब आप पुलिस पर ही सबकुछ छोड़ दोगे तो विकास दुबे जैसे कांड होंगे ही.ये रोज होते हैं, हर जगह होते हैं और देश को अराजकता की देते हैं. इसी का शिकार औरतेंलड़कियां होती हैं, क्योंकि जिन गुंडों के सैंया कोतवाल होते हैं उन का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता.

गाजियाबाद में एक पत्रकार विकास जोशी की एनकाउंटर की तरह ही गोली मार कर बेटी के सामने हत्या कर दी गई, क्योंकि ने अपनी भतीजी को छेड़े जाने पर पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की थी. गुंडों और पुलिस की मिलीभगत ऐसी ही थी जैसी मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर और डिप्टी सुपरिंटैंडैंट भाटी की 1985 में. हम से जो टकराएगा हम उसे चूरचूर कर देंगे. भारतपुलिस, शासक और गुंडे यह साफ संदेश दे रहे हैं. अगर आप भजनकीर्तन में यह संदेश सुनाई नहीं दे रहा है तो गलती आप की ही है.

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Beauty Tips: अपनी पलकों को बनाएं घना

कई बार उम्र बढ़ने से साथ साथ आपकी पलकों पहले से पतली होने लगती हैं. ऐसा कुछ मेकअप प्रोडक्ट्स की वजह से भी हो सकता है. बढ़ती उम्र के साथ आप के अंदर मॉश्चर की कमी होने लगती है और आपके हार्मोन्स भी इंबलैंस हो जाते हैं. जब आपके हार्मोन्स में कोई बदलाव आता है तो आपके बालों की ग्रोथ कम हो जाती है .जिस की वजह से आपकी लेशिज भी पहले से पतली हो जाती हैं. परंतु आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि ऐसे बहुत सारे उपाय हैं जिनकी मदद से आप अपनी आई लेशेज़ को बढ़ा सकती हैं.

1. लेशेज़ ग्रोथ सीरम का प्रयोग करें 

मार्केट में ऐसे बहुत सारे सीरम उपलब्ध हैं जिन का प्रयोग करके आप आपकी पलकों को पहले से मोटा कर सकती हैं. यह सीरम आपकी पलकों को ऐसा पोषण उपलब्ध कराते हैं जिनकी मदद से आपके बालों की ग्रोथ तेजी से बढ़ती है.

2. अच्छे मेकअप रिमूवर का प्रयोग करें :

जैसा कि आप जानते हैं कि जब आप मेकअप को रगड़ रगड़ कर निकालते हैं ,तो मेकअप के साथ साथ आपकी पलके भी निकल आती हैं जिनकी वजह से भी आपकी पलकें बहुत पतली दिखती हैं. इसलिए आपको किसी अच्छे ब्रांड का मेकअप रिमूवर प्रयोग करना चाहिए जो आपकी पलकों को किसी भी प्रकार का नुक़सान न पहुंचाएं.

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3. अपने डॉक्टर से सलाह लें :

आप अपनी पलकों की समस्या के बारे में अपने डॉक्टर से भी सलाह ले सकते हैं. आपका डॉक्टर आपको कुछ ऐसी दवाई दे देंगे जिनको खाने से आपकी पलकें पहले से मोटी व घनी हो जाएंगी. परंतु आपको नतीजे केवल तब तक ही मिलेंगे जब तक आप इस दवा का प्रयोग करते रहेंगे.

4. वेसलीन का प्रयोग करें :

सोने से पहले आप अपनी उंगलियों की सहायता से अपनी पलकों पर वेसलीन का प्रयोग करें. यदि आप रोजाना ऐसे ही सोने से पहले पूरी रात तक अपनी पलकों पर वेसलीन लगी रहने देगी तो आपको बहुत ही जल्द अच्छे व मन चाहे नतीजे मिलेंगे.

5. लेश प्राइमर का प्रयोग करें :

यदि आपको अपनी पलकों पर मस्कारा लगाना अच्छा लगता है तो आप मस्कारा लगाने से पहले अपनी पलकों पर एक किसी भी अच्छे ब्रांड का लेश प्राइमर लगा लें .ताकि आपकी पलकों को मस्कारा से किसी भी तरह का कोई नुक़सान न पहुंचे.

6. फेक लेेशिज का प्रयोग करें :

यदि आपके सैलून वाले पलकों की एक्सटेंशन के बहुत अधिक रुपए मांग रहे हो और यह आपके बजट से बाहर है तो आप नकली पलकों का प्रयोग कर सकती हैं. यह टेंपररी होती हैं और आपको सोने से पहले इनको हटाना पड़ता है. किसी फंक्शन के लिए इस तरह की फेक पलकें बेस्ट रहती हैं.

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7. आइए लाइनर का प्रयोग करें :

आई लाइनर के प्रयोग से भी आपकी पलके कुछ हद तक मोटी दिख सकती हैं. यदि आप स्मोकी आइज के साथ एक मोटा विंग आई लाइनर लगती हैं और अपनी पलकों पर दो या तीन परत मस्कारा की लगा लेती हैं, तो इससे आपको एक बहुत ही प्यारा लुक मिलेगा और कोई यह नहीं कह सकेगा की आपकी पलके बहुत ज्यादा पतली हैं.

शूटिंग के दौरान बेटी की तरह ख्याल रखते थे संजय दत्त- लिजा मालिक

साल 2002 में मिस दिल्ली और वुगी वुगी डांस रियलिटी शो को केवल 9 साल की उम्र मेंविजेता बनने वाली अभिनेत्री, मॉडल,सिंगर लिजा मालिक ने हर तरह की भूमिका निभाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई. हालांकि उन्हें इस दौरान कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, पर वह हर परिवेश में शांत और खुश रही. जब वह केवल 18 साल की थी उसके माता-पिता अलग हो गए, लेकिन उस परिस्थिति को भी उसने कभी अपने उपर हावी नहीं होने दिया और हिम्मत के साथ परिवार को सम्हाली. लिजा एक एक्ट्रेस ही नहीं, सिंगर और परफ़ॉर्मर हैं. इसके अलावा वह फिटनेस फ्रीक भी जानी जाती है. अभी लिजा मालिक की फिल्म तोरबाज़ रिलीज पर है, जिसमें उन्होंने एक अफगानी लड़की की भूमिका निभाई है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल-इस फिल्म में आपने संजय दत्त के साथ काम किया है, कैसा अनुभव रहा ?

उन्होंने इतने सालों से इंडस्ट्री में काम किया है, उनका अनुभव बहुत अधिक है. कैमरा एंगल से लेकर सेट पर कैसे सबसे बातचीत करनी है, कैसे किसी भी परिस्थिति को सम्हालनी है आदि सभी चीजो को नजदीक से सीखने का मौका मिला है. बड़े दिग्गज कलाकार के साथ काम करने पर ऐसी सभी बारीकियों को सीखने का अवसर मिलता है. मैंने ये भी सीखा है कि कितने भी बड़े कलाकार होने पर भी आपको ग्राउंडेड रहने की जरुरत है. वह अपने कला के प्रति बहुत पैशनेट है. मैंने एक महीने शूट के दौरान संजय दत्त के साथ समय बिताई है. इसके अलावा मैंने सीखा है कि कुछ भी हो जाय ,पर  पहले कला की रेस्पेक्ट के साथ तैयार कर, स्क्रीन के सामने आने की जरुरत होती है.  आजकल के बच्चों को लगता है कि कोई भी कलाकार बन जायेगा, पर ऐसा नहीं होता. हर काम के लिए तैयारी पहले से करना जरुरी है. उन्होंने मुझे अपनी बेटी की तरह ट्रीट किया, क्योंकि शूटिंग विदेश में थी और मैं सबके साथ सहजता से रहूं और काम करूँ. मैं अकेली लड़की सभी क्रू मेम्बर के साथ थी.कई बार शूटिंग में रात होने पर वे गाड़ी में मुझे मेरे निवास स्थान तक पहुंचाते थे.

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सवाल-तोरबाज़ किस तरह की फिल्म है?

ये पूरी फिल्म अफगानिस्तान पर आधारित है. वहां के बच्चों को क्रिकेट खेलना पसंद है. मेरे साथ सभी बच्चे रिफ्यूजी कैंप में रहते है. संजय दत्त एक्स मिलिट्री ऑफिसर है और वे कैसे बच्चों को क्रिकेट के लिए प्रोत्साहित करते है, ताकि वे टेरोरिस्ट न बने. ये पूरी लडाई सच और टेरोरिज्म की है. उसी पर आधारित है.

 

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सवाल-रियल लाइफ में भी बच्चे की सही दिशा निर्देश न होने की वजह से भटक कर गलत रास्ता पकड़ लेते है,इसमें किसकी जिम्मेदारी मानती है?

जिम्मेदारी असल में घर से ही शुरू होती है. उसके सही या गलत से परिचय बचपन में ही करवा देना चाहिए. इसके अलावा माता-पिता बनकर नहीं एक दोस्त बनकर बच्चे को पाले, तो उसे सब आसानी से समझ में आ जाता है. मेरा भाई बचपन से मेरे साथ पला-बड़ा है. आज वह सब कुछ में आगे है. सही मार्गदर्शन के लिए बच्चे को समझना बहुत जरुरी है.

सवाल-अभिनय में आने की बारें में कैसे सोचा?

बचपन से ही अभिनय की तरफ रूचि थी. नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में गई. मैं परिवार की इकलौती हूं जो एक्टर, सिंगर और परफ़ॉर्मर बनी. बचपन से मैंने श्रीदेवी के गाने देखकर बड़ी हुई हूं. मैं दिल्ली की हूं और वहां के थिएटर का माहौल में बड़ी हुयी. प्रोफेशनली इस क्षेत्र में आउंगी सोचा नहीं था, पर एक्टिंग करना तो था.

सवाल-आउटसाइडर होने की वजह से कोई समस्या आई?

नए शहर में जाने से उस शहर को पहचानने में समय लगता है. इंडस्ट्री को भी जानने में समय लगता है. ये सही है कि फिल्म इंडस्ट्री से होने से चीजे आसान हो जाती है. ब्रेक आसानी से मिलता है, लेकिन टेलेन्ट न होने पर काम नहीं मिलता. बहुत सारे ऐसे फ़िल्मी परिवार के लोग है, जिन्हें मौका तो मिला , पर टैलेंट न होने की वजह से आज वे घर बैठे है. उन्हें पहला पड़ाव आसानी से मिलता है, बस यही अंतर होता है.

 

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सवाल-पहली बार अभिनय की इच्छा के बारें में कहने पर परिवार की प्रतिक्रियां क्या थी?

बहुत डांट पड़ी. जब मैं 10 वीं में थी तो मुझे एक बड़ी फिल्म का ऑफर मिला था. पिता ने ऑफर लैटर फाड़ दिया था. घर में बहुत क्लेश हुआ था. उसके बाद तो माता-पिता ही अलग हो गए और मेरे लिए चीजे आसान हो गयी.

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सवाल-कोरोना कहर में इंडस्ट्री सबसे अधिक प्रभावित हुयी है, कैसे इसे पटरी पर लाये जाने की जरुरत है?

ये सही हैकि इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री बहुत अधिक प्रभवित कोरोना की वजह से हुयी है. अभी भी सबको डर लगा हुआ है. शूटिंग शुरू हुई है ,पर उसमें भी कई पाबंदियां है. मैंने भी शूट शुरू कर दिया है. सावधानियां बहुत लेनी पड़ रही है. आज या तो हम कोरोना से मरे या भूखमरी से. काम तो करना ही पड़ेगा. कुबेर का धन भी कुछ समय बाद ख़त्म हो जाता है. इस समय इम्युनिटी, फिटनेस और पौष्टिक आहार पर अब मैं पूरा धयान दे रही हूं, ताकि अंदर से मैं स्ट्रोंग रहूं.

सवाल-आप खुद को बहुत अधिक प्रमोट नहीं करती, इसकी वजह क्या है?

जरुरत पड़ने पर ही मैं सामने आती हूं. क्राफ्ट और कला की वजह से ही काम मिलता है. मैं पिछले 14 साल से मुंबई में हूं और इतना समझ चुकी हूं.

सवाल-लाइफ का टर्निंग पॉइंट क्या था?

मेरे लाइफ का टर्निंग पॉइंट 7 साल पहले एक म्यूजिक वीडियो ‘टिप-टिप बरसा पानी … था . इसके बाद काम मिलता गया और पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा.

सवाल-क्या आपने अपने लिए कुछ दायरा बनाया है?

मैंने कोई दायरा नहीं बनाया. ये करुँगी या वो नहीं करुँगी ये सब कभी नहीं सोचा, क्योंकि जिंदगी ऐसे नहीं चल पाती. केवल एक चीज, न तो किसी के बारें में गलत सोचो और न ही अपने साथ कुछ गलत होने दो, ये मैंने नानी और माँ से सीखा है.

सवाल-फिटनेस महिलाओं के लिए कितना जरुरी है?

नार्मल महिलाओं को भी कुछ न कुछ वर्कआउट करने की जरुरत है. मैंने कई लाइव सेशन भी लॉक डाउन में रखा था. दिन में एक घंटा हर महिला को अपने लिए निकालना चाहिए. जो भी उन्हें पसंद हो अपने हिसाब से उसे करते जाना चाहिए.

सवाल-आगे क्या-क्या कर रही है?

3 वेब सीरीज का काम है. दो गाने शूट कर रही हूं. एक फिल्म भी करने वाली हूं.

सवाल-इंडस्ट्री में आकर काम करने वालों को क्या मेसेज देना चाहती है?

इंडस्ट्री को कभी सीरियसली नहीं लेनी चाहिए, ताकि सफल न होने पर आप गलत कदम न उठा लें. काम मेहनत से करें, पर ये अपने लिए करें. अगर सफल न भी हो तो उसे साधारण तरीके से लें और कुछ दूसरा काम करने के बारें में सोचे. इसके अलावा सफलता को सिर पर चढ़ने न दें. हमें जीवन को एक सामंजस्य के साथ बिताने की जरुरत है, ताकि किसी भी प्रकार का तनाव हमारे जिंदगी में न आयें और खुश रह सकें. मैं तनाव आने पर कॉमेडी फिल्म देखती हूं और खूब हंसती हूं.

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Film Review: जानें कैसी है नसीरुद्दीन शाह की फिल्म Mee Raqsam

रेटिंग: 4 स्टार

निर्माता और निर्देशक: बाबा आजमी

प्रस्तुतकर्ता: शबाना आज़मी

कलाकार: नसीरुद्दीन शाह, दानिश हुसैन, अदिति सुवेदी ,राकेश चतुर्वेदी ओम, श्रद्धा कौल, सुदीपा सिंह, फारुक जफर व अन्य

अवधि: एक घंटा 35 मिनट

ओटीटी प्लेटफॉर्म: जी 5

भारतीय सभ्यता व संस्कृति में गंगा जमुनी तहजीब की बातें बहुत की जाती है. मगर धीरे-धीरे हम सभी इस बात को भूलते जा रहे हैं.  अब बाबा आजमी और शबाना आज़मी अपने पिता कैफी आजमी को ट्रिब्यूट देने के लिए  एक फिल्म ” मी रक्सम” लेकर आए हैं. ओटीटी प्लेटफार्म “जी 5” पर प्रसारित हो रही इस फिल्म में  एक बार फिर से भारत की “गंगा जमुनी संस्कृति” को बढ़ावा देने के साथ-साथ इस बात को रेखांकित किया गया है कि कला का कोई धर्म नहीं होता.

कहानी:

यह कहानी है उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के तहत आने वाले गांव मिजवान में रहने वाले एक मुस्लिम परिवार की. सलीम(दानिश हुसैन) दर्जी का काम करते हैं , जो अपनी पत्नी सकीना और 15 वर्ष की बेटी मरियम(अदिति सुवेदी) के साथ रहते हैं. अचानक सकीना की मौत हो जाती है, इससे मरियम अंदर से काफी टूट जाती है. इस दुख की घड़ी में शोक व्यक्त करने के लिए मरियम की खाला जेहरा(श्रद्धा कौल), उनके पति, उनकी बेटी के साथ साथ मरियम की नानी(फारुक जफर) भी आती है और शोक प्रकट कर सलीम को नसीहत देकर चले जाते है. इलाके के सम्मानित व्यक्ति हासिम शेख(नसीरुद्दीन शाह) भी शोक व्यक्त करने आते हैं और सलीम से कहते हैं कि अब उन्हें मरियम का खास ख्याल रखना होगा.

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सलीम महसूस करते हैं कि अपनी मां की मौत से दुखी उनकी बेटी मरियम को नृत्य करने से आनंद मिलता है और वह अक्सर स्कूल जाते समय रास्ते में “उमा भारतनाट्यम डांस अकादमी” के पास रूक कर नृत्य देखती है. अपनी बेटी के अरमानों को पूरा करने के लिए सलीम  निर्णय लेते हुए “उमा भरतनाट्यम डांस एकेडमी” में मरियम को भी नृत्य की ट्रेनिंग दिलाना शुरू करते हैं.  इस बात से हाशिम शाह, मौलवी सभी नाराज होते हैं. सभी चाहते हैं कि सलीम अपनी बेटी मरियम को भरतनाट्यम डांस सिखाना बंद करे. लेकिन सलीम के लिए अपनी बेटी मरियम की खुशी प्राथमिकता है. इससे हाशिम शेख नाराज हो जाते हैं और सलीम को मस्जिद में भी जाने से रोक देते हैं. गांव के सभी लोग सलीम से कपड़े सिलवाना बंद कर देते हैं. सलीम चारों तरफ से मुसीबत से घिर जाते हैं. पर वह अपनी बेटी  को नृत्य सिखाना बंद नहीं करते हैं. भरतनाट्यम सिखाने वाली शिक्षक उमा (श्रद्धा कौल), मरियम की नृत्य प्रतिभा से काफी खुश हैं.मगर मरियम की खाला और उनकी नानी भी नाराज हैं .मगर मरियम को अपनी खाला की बेटी गुलशन का साथ मिलता है. ऑटो रिक्शा चालक अशफाक(कौस्तुभ शुक्ला) नई सोच वाला लड़का है. वह सलीम के परिवार का साथ देता है, जिसकी वजह से कई रिक्शा चालक अब सलीम के पास अपने कपड़े सिलवाने लगते हैं. सभी मरियम के नृत्य कौशल से प्रभावित है. मगर “उमा भरतनाट्यम डांस अकादमी” को सहयोग देने वाले नेता जयप्रकाश(राकेश चतुर्वेदी ओम) को यह बात पसंद नहीं है कि एक मुस्लिम लड़की भरतनाट्यम सीखे. जबकि जयप्रकाश की बेटी अंजलि, मरियम का साथ देती है और वह खुद भी सूफी संगीत सुनती रहती है. तमाम विरोध के बावजूद मरियम अपनी मिट्टी को जारी रखती है और मुस्लिम समुदाय के साथ साथ हिंदू नेता जयप्रकाश के विरोध के बावजूद वह एक प्रतियोगिता में विजयश्री हासिल करती है.

लेखन व निर्देशन:

मुद्दों पर आधारित फिल्मों का निर्माण करना बहुत कठिन होता है .मगर भाई-बहन की जोड़ी यानी कि बाबा आज़मी और शबाना आज़मी एक बेहतरीन शिक्षाप्रद और प्रेरक कहानी वाली फिल्म “मी रक्सम” लेकर आई है. यह दिल को छू लेने वाली सुंदर कहानी है. इसमें दर्जी का काम करने वाले एक पिता अपनी बेटी को उड़ान/ पंख देने के लिए कितनी मुश्किलो का सामना करता है,इसका बेहतरीन चित्रण है.एक साधारण और सुंदर कहानी के माध्यम से निदेशक लोगों के दिलों तक यह बात पहुंचाने में सफल रहते हैं कि कला की रूह उसकी आजादी है. या फिर जहां एक तरफ भारत की गंगा जमुनी तहजीब की याद दिलाती है वही धर्म और वर्ग भेद में बच्चे समाज का वितरण करती है इतना ही नहीं और चाय हिंदू धर्म की हो या मुस्लिम उसे तमाम तरह के सामाजिक बंधुओं में जकड़ कर रखा जाता है इसका भी चित्रण है तो वही या फिर दकियानूसी प्रथाओं पर चलने वाले समाज का आधुनिक तू ही किसका विरोध कर रही है उसका भी चित्रण है या फिर एक बेहतरीन संदेश देते हुए मानवता और इंसानियत की बात करती हैं इस फिल्म का सबसे बड़ा संदेश यही है कि कला का कोई धर्म नहीं होता है.

लेकिन इसमें कुछ कमियां भी हैं. मशीन पूरी फिल्में भारतनाट्यम सीखते हुए किस तरह की मेहनत मरियम करती है, इसका कहीं कोई चित्रण नहीं है, जबकि इस पर रोशनी डालना जरूरी था.

फिल्म के कुछ संवाद जो दिल को छूने के साथ-साथ बहुत बड़ी बात का जाते हैं. मतलब जब हाशिम शेख धमकी देते हुए सलीम से कहते हैं-“कतरा कतरा से मिलकर रहता है तभी दरिया बनता है.”इसके अलावा वह भी कहते हैं-“तवायफ बनाने का इरादा है?” यह संवाद बहुत कुछ कह जाते हैं.

इसके अलावा एक संवाद है “इस्लाम इतना कमजोर नहीं कि एक बच्ची के नृत्य सीखने से उसकी तोहीन हो जाए.”

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अभिनय:

यह सुंदर फिल्म दानिश हुसैन और अदिति सुवैदी के उत्कृष्ट अभिनय के चलते ही सुंदर बन पाई है. यह दोनों कलाकार पूरी फिल्म को अपने कंधे पर लेकर चलते हैं. अभिनय की जितनी तारीफ की जाए कम है. अदिति सुवेदी ने सिर्फ सुंदर अभिनय नहीं किया है ,बल्कि उनका नृत्य कौशल कमाल का है. नसीरुद्दीन शाह के अपने भक्तों पर सच में लगाया ही नहीं जा सकता .अफसोस इस फिल्म में मेहमान कलाकार के तौर पर उनका किरदार बहुत छोटा है, पर अहम है. इसी के साथ श्रद्धा कौल ,कौस्तुभ शुक्ला, फारुक जफर, सुदीपा सिंह और राकेश चतुर्वेदी ओम ने भी अच्छा अभिनय किया है.

Naagin 5: हिना खान के बाद सुरभि चंदना का नागिन लुक हुआ वायरल, देखें फोटोज

टीवी की क्वीन एकता कपूर का सुपरनैचुरल शो फैंस के बीच काफी सुर्खियां बटोर रहा हैं. हाल ही में शो में हिना खान की एंट्री से फैंस काफी एक्साइटेड हो गए थे. हालांकि गेस्ट अपियरिंयस के चलते हिना खान ने कुछ ही दिनों बाद ही शो को अलविदा कह दिया था. लेकिन इश्कबाज़ फेम एक्ट्रेस सुरभि चंदना की एंट्री से शो एक बार फिर सुर्खियों में छा गया है. वहीं फैंस शो में उनके लुक को लेकर बेकरार है. वहीं अब एकता कपूर ने सुरभि के लुक को फैंस के साथ शेयर किया है, जिसे वह काफी पसंद कर रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं सुरभि चंदना के नागिन लुक की खास फोटोज….

एकता कपूर ने शेयर की फोटोज

डेलीसोप क्वीन एकता कपूर ने नागिन 5 में नजर आ रही सुरभि चंदना के नागिन अवतार की कुछ फोटोज शेयर की हैं. इन फोटोज को शेयर करते हुए एकता कपूर ने लिखा कि, ‘नागिन के एक और बदले की दास्तान शुरु होने वाली है. इस पुनर्जन्म के साथ ही अपने प्यार और बदले की दास्तान को पूरा करने के लिए वो आ रही है.’

 

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Reveal of new Naagin…Punarjanam. 🐍 💣 Aa rahi hai apne pyaar aur revenge ke liye!! @officialsurbhic #naagin5

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हिना की तरह दिखीं सुरभि चंदना


फोटोज की बात करें तो सुरभि चंदना भी हिना खान की तरह ही लाल रंग के लिबास में नजर आ रही हैं. हिना खान के जाने के बाद अब सुरभि चंदना ही नागिन 5 की आगे की कहानी को आगे बढ़ाएंगी. सुरभि चंदना रेड गोल्डन कलर के आउटफिट में नजर आ रही हैं जिसके साथ उन्होंने गोल्ड की ज्वैलरी कैरी की है. सुरभि चंदना का मांगटीका और नथ उनके लुक पर चार चांद लगा रहा है.

फैंस ने वायरल की फोटोज

 

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Choose your favourite Jodi !! #HridayShwari or #JayBani 💕👀💛💜🧡

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एकता कपूर के फोटोज शेयर करने के बाद सुरभि चंदना का कातिलाना अंदाज देखकर फैंस के होश ही उड़ गए हैं. सोशल मीडिया पर सुरभि की फोटोज वायरल होने के बाद से हर कोई सीरियल के नए एपिसोड्स का इंतजार कर रहा है.

 

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#naagin5#naagin5withsurbhiChandna @officialsurbhic

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बता दें, कुछ समय पहले ही सुरभि चंदना ने फैंस को नागिन सागा बुक की पहली झलक दिखाई थी. वहीं सीरियल की कास्ट की बात करें तो सुरभि चंदना के अलावा मोहित सहगल और शरद मल्होत्रा मेन लीड में नजर आ रहे हैं, जिसे फैंस देखने के लिए बेताब हैं.

‘भाभी जी घर पर हैं’ के सेट पर आखिरी दिन इमोशनल हुईं ‘गोरी मेम’ सौम्या टंडन, देखें वीडियो

कौमेडी शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा के बाद अब भाभी जी घर पर है की एक्ट्रेस ने शो छोड़ने का फैसला कर लिया है. बीते दिनों खबरें थीं कि अनीता भाभी के किरदार में नजर आने वाली एक्ट्रेस सौम्या टंडन ने शो को 5 साल बाद अलविदा कहने का फैसला कर लिया है, जिसके बाद फैंस काफी मायूस हो गए थे. लेकिन अब एक्ट्रेस ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर अपने कुछ फोटोज शेयर करते हुए सेट और फैंस को उनके करियर में साथ देने के लिए शुक्रिया अदा किया है. आइए आपको दिखाते हैं फोटोज…

भाभी जी घर पर हैं के सेट पर इमोशनल हुई सौम्या टंडन

सीरियल भाभी जी घर पर हैं एक्ट्रेस सौम्या टंडन ने सेट को अलविदा कह दिया है. सौम्या टंडन बीते 5 साल से गोरी मेम के नाम इस शो में पौपुलर थीं. ऐसे में अपनी टीम को विदाई देते समय सौम्या टंडन काफी इमोशनल हो गईं.

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सौम्या टंडन ने काटा केक

वायरल फोटोज और वीडियोज में सौम्या टंडन अपनी पूरी टीम के साथ केक काटती नजर आ रही हैं. केक पर थैक्यू अनीता भाभी लिख कर टीम ने सौम्या टंडन का आभार व्यक्त किया. केक काटने के बाद सौम्या टंडन पूरी टीम के सामने अपने दिल की बात करती नजर आईं. इस दौरान सौम्या टंडन ने बताया कि वह इस शो के सेट और को-स्टार्स को बहुत मिस करने वाली हैं.

 

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Meri Chant saheli ..

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बता दें, सीरियल भाभी जी घर पर है के सेट पर सौम्या टंडन ने अपना आखिरी दिन सेलिब्रेट किया था. वहीं खबरें हैं कि उनकी जगह शो में शेफाली जरीवाला नजर आने वाली हैं. वहीं सौम्या टंडन की बात करें तो वह जल्द जल्द ही बिग बॉस 14 में नजर आने वाली हैं. खबरें हैं कि इसी कारण उन्होंने अचानक ही इस शो को छोड़ने का फैसला किया है.

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कार को सैनिटाइज किया क्या?

कोरोना संकट के समय में हम खुद को तो सैनिटाइज करने पर ध्यान देते हैं लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है कि जितना सैनिटाइज होने की जरूरत आप को है उतनी ही आप की कार को भी. एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि एक स्टीयरिंग व्हील में 629 सीएफयू यानी कालोनी फौर्मिंग यूनिट औफ बैक्टीरिया रहते हैं, जो एक टौयलेट सीट पर पाए जाने वाले बैक्टीरिया से भी कहीं ज्यादा हैं. इसलिए खुद के साथ साथ अपनी गाड़ी की साफसफाई का भी खास ध्यान रखने की जरूरत है. आइए, जानते हैं कि कैसे आप आसानी से अपनी गाड़ी को सैनिटाइज कर सकते हैं.

शुरुआत में खुद को सुरक्षित करें

आप की कार पार्किंग में पार्क रहती हो या फिर रोड साइड पर, आज के दौर में रोजाना उसे सैनिटाइज करना जरूरी है. इस काम की शुरुआत खुद को सेफ कर के ही करें. हाथों को  सैनिटाइज करने और मास्क व ग्लव्स पहनने के बाद ही गाड़ी की सफाई शुरू करें ताकि वायरस संक्रमण से सुरक्षित रह सकें. कार की सफाई शुरुआत अंदर से करें. पहले कार में निस्संक्रामक स्प्रे या फिर अच्छे कार सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें. फिर डैशबोर्ड, स्टीयरिंग व्हील, सीट, सीट बैल्ट, गियर इत्यादि सभी जगहों को सैनिटाइजर की सहायता से साफ करें. ध्यान रखें कि हमेशा इथेनॉल से बने हुए बेस्ड कार सैनिटाइजर ही खरीदें, क्योंकि यह वायरस और बैक्टीरिया को खत्म करने में ज्यादा कारगर होता है.

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कारपेट्स को निस्संक्रामक से साफ करें

आजकल जरूरी काम से बाहर निकलना हो या फिर कार्यालय आनाजाना हो अपनी कार से ज्यादा सुरक्षित और कोई भी साधन नहीं लगता. ऊपर से आजकल मौनसून का सीजन भी है. ऐसे में कभी हमारी कार कीचड़ वाले रास्ते से हो कर गुजरती है तो कभी यातायात जाम में फंस जाती है. ऐसे में कब, कहां से जर्म्स हमारी गाड़ी में प्रवेश ले लेते हैं, पता ही नहीं चलता. यहां तक कि हमारे गंदे पैरों का सामना भी कारपेट्स को ही करना पड़ता है और कारपेट ही वह जगह होती है, जहां जर्म्स के पनपने के चांसेज ज्यादा रहते हैं. इसलिए उन की अच्छे से साफसफाई करें. इस के लिए आप कार के सभी कारपेट्स को बाहर निकाल कर पहले साफ ब्रश से उन की गंदगी को साफ करें. फिर पानी में निस्संक्रामक को डाल कर उस से उन्हें धोएं और सूखने दें. रोजाना ऐसा करना संभव न हो तो कार सैनिटाइजर से इन्हें सैनिटाइज जरूर करें.

सीट्स को न करें नजरअंदाज

मौनसून के मौसम में कार के भीतर भी नमी रहती है जिस पर यदि ध्यान न दिया जाए तो वायरस और बैक्टीरिया का घर बन जाती है. कार सीट्स में नमी रहने की संभावना ज्यादा होती है. जितना हो सके कार सीट्स पर हफ्ते में 2-3 बार ब्लो ड्रायर का इस्तेमाल जरूर करें. सीट पर बैठने से पहले कार सैनिटाइजर स्प्रे का इस्तेमाल तो नियमित रूप से करें. बस यह ध्यान रखें कि सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते समय कार स्टार्ट न हो.

यह भी ध्यान रखें

ड्राइविंग के समय म्यूजिक सिस्टम पैनल, वाटर बौटल होल्डर, मोबाइल होल्डर, इग्निशन स्टार्ट पौइंट, बैक व्यू मिरर, डोर ओपनिंग यूनिट, ग्लास इत्यादि का इस्तेमाल तो हम बहुत करते हैं, मगर कई बार यह सोच कर इन्हें निस्संक्रामक करना जरूरी नहीं समझते कि यहां तक तो सिर्फ मेरा हाथ ही पहुंचता है, यहां वायरस कैसे आएगा. आप की यह भूल आप को भारी पड़ सकती है, क्योंकि इन जगहें पर वायरस आसानी से पनप सकता है. इसलिए कार सैनिटाइजर का इस्तेमाल इन जगहों पर भी बेहद जरूरी है.

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अब बारी आती है कार को बाहर से साफ करने की. इस के लिए आप डिटर्जेंट वाले पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन यह भी सभी को पता ही है कि ऐसा रोज कर पाना नामुमकिन है. लेकिन कार को बाहर से स्वच्छ रखना भी बेहद जरूरी है. ऐसे में साइड व्यू मिरर्स और डोर ओपनिंग यूनिट्स का इस्तेमाल करने से पहले उन्हें कार सैनिटाइजर से सैनिटाइज करना न भूलें.

कार को सैनिटाइज करने के महत्त्व को समझें ताकि जब औफिस से घर वापस आएं तो आप के साथ सिर्फ खुशियां हो वायरस नहीं.

स्पेशल इफ़ेक्ट का प्रयोग आने वाले समय में अधिक किया जायेगा – रवि अधिकारी

 वेब फिल्म ‘ढीठ पतंगे’ से डेब्यू करने वाले निर्माता,निर्देशक रवि अधिकारी मुंबई के है. इससे पहले वे कई शो के लिए क्रिएटिव प्रोड्यूसर रह चुके है. कला के माहौल में पैदा हुए रवि को हमेशा क्रिएटिव वर्क करना पसंद है. वे किसी भी काम को करते वक़्त उसकी गहनता को बारीकी से जांचते है और आगे बढ़ते है. उन्हें नयी कहानियां और रियल फैक्ट्स आकर्षित करती है. वे गौतम अधिकारी और अंजना अधिकारी के बेटे है. वे मानते है कि एक निर्देशक किसी फिल्म को सही दिशा देता है और इसके लिए उसे फिल्म की छोटी से छोटी बारीकियों पर ध्यान देना पड़ता है. रवि अधिकारी इन दिनों अगली फिल्म की तैयारी पर है और कोरोना संक्रमण के बाद सब कुछ फिर से नार्मल हो जाय, इसकी कामना करते है. उनसे बात हुई, पेश है कुछ अंश.

सवाल-अभी ओटीटी प्लेटफॉर्म काफी आगे बढ़ रहा है, क्या आपको अंदेशा था?

ओटीटी कई सालों से थिएटर के साथ चल रहा था, लेकिन लॉक डाउन की वजह से लोग थिएटर में जा नहीं पा रहे थे,ऐसे में लोगों ने डिजिटल मीडियम का सहारा लिया. ये तो होना ही था, क्योंकि घर पर रहकर मनोरंजन का ये एक अच्छा साधन है.

सवाल-क्या ओटीटी की वजह से थिएटर हॉल के व्यवसाय को समस्या आएगी?

ये अभी कहना मुश्किल है, क्योंकि हर फिल्म अलग ढंग से व्यवसाय करती है. छोटी फिल्में डिजिटल पर आने से भी कॉस्ट कवर हो जाता है, क्योंकि ऐसी फिल्में थिएटर से अधिक ओटीटी पर व्यवसाय कर लेती है. सेटेलाइट के अलावा डिजिटल का मार्किट भी पहले से ही खुल गया था. थिएटर के व्यवसाय को पहले से आंकना मुश्किल होता है, कभी कोई साधारण फिल्में भी चल जाती है, तो कभी कोई फिल्म अच्छा व्यवसाय नहीं कर पाती. डिजिटल में लॉस की संभावना नहीं ,लेकिन प्रॉफिट में लॉस होती है. थिएटर में जाकर अब फिल्में देखना दर्शकों के लिए थोड़ी मुश्किल होगी, क्योंकि जिस फिल्म को वे डिजिटल पर देख पा रहे है उसके लिए वे थिएटर में जाकर देखना कम पसंद करेंगे, लेकिन बड़ी और लार्जर देन लाइफ फिल्म का मजा जो थिएटर में है, वह डिजिटल पर नहीं. इसके लिए फिल्म मेकर को आज चुनौती है कि वे ऐसी फिल्म बनाएं, जिसका मज़ा केवल थिएटर में ही मिल सकें.

सवाल-डेब्यू फिल्म को ओटीटी पर रिलीज करने में कितना डर लगा?

ओटीटी पर रिलीज होने पर डर आधा हो जाता है, लेकिन कितने लोगों को फिल्म पसंद आई. ये समझना थोडा मुश्किल हो जाता है.

सवाल-फिल्म की सफलता में मुख्य क्या होती है?

फिल्म हमेशा टीम के साथ बनायीं जाती है, ये टीम वर्क होता है. कोई एक भी गलत करता है तो उसका प्रभाव नज़र आता है, इसके अलावा दर्शक को फिल्म अच्छी लगी या नहीं उसे देखना पड़ता है. पूरी टीम अच्छी फिल्म बनाने की कोशिश करती है. कहानी अच्छी होने पर भी, अगर सभी ने अच्छा काम नहीं किया है, तो परिणाम अच्छा नही आयेगा.

सवाल-फिल्म की सफलता का दारोमदार कलाकार को दिया जाता है, जबकि असफलता का जिम्मेदार

निर्देशक को. इस बात से आप कितने सहमत है?

इस बात से मैं अधिक सहमत नहीं हूं, क्योंकि फिल्म चलने से उसका फायदा सबको होताहै, केवल कलाकार को ही नहीं. कलाकार लोगों को सामने दिखते है, जबकि लेखक और निर्देशक पर्दे के पीछे होते है. कलाकार पर्दे पर होता है, इसलिए दर्शक उससे अपने आपको सीधा जोड़ पाते है.

सवाल-अभी लॉक डाउन के दौरान फिल्में अलग तरीके से शूट कर बनायीं जा रही है, बिना पूरी टीम के फिल्में बनाना कितना मुश्किल होता है?

कोविड 19 से पहले जो फिल्में बनती थी और अब जो फिल्में बन रही है. काफी अंतर आ चुका है. अभी दिशा निर्देश पहले से बहुत कड़क हो चुकी है. कही भी जाकर आप फिल्मों की शूटिंग नहीं कर सकते. उम्मीद है फिल्मों के लिखावट में भी अब काफी अंतर आएगा और स्पेशल इफ़ेक्ट का अधिक प्रयोग आने वाले समय में किया जायेगा, जिसे पहले लाइव किया जाता था.

सवाल-बड़े फिल्म मेकर अपनी टीम के साथ चार्टेड प्लेन के साथ बाहर जाकर फिल्में बना रहे है, लेकिन छोटे फिल्म मेकर के लिए क्या अब ये मुश्किल भरा दौर होगा?

ये चुनौती पूर्ण होगा अवश्य, लेकिन फिल्म अच्छे होने की जरुरत होगी. टीम क्रू कम होने से फिल्म  बनाने में समय अधिक लगेगा. छोटी फिल्मों के लिए कम बजट में अच्छी फिल्म बनाने की चुनौती होगी. ये हमेशा से ही रहा है और रहेगा.

सवाल-क्रिएटिव फील्ड में आना कैसे हुआ? पिता की इस बात को आप अपने जिंदगी में उतारते है?

बचपन से ही क्रिएटिव माहौल मिला है. स्कूल ख़त्म होने के बाद मैं शूट पर चला जाता था. मैंने बचपन से हर चीज बहुत नजदीक से देखा है. मेरे पिता गौतम अधिकारी मेरे लिए रोल मॉडल रहे है, इसलिए वे जो करते थे, उसे ही मुझे करना था. वही मेरा गोल था.

पिता की काफी चीजे है, जिसे मैं अपने जीवन में उतारना चाहता हूं. काम को लेकर हार्ड वर्क और एथिक्स कभी हिलना नहीं चाहिए. ये दो चीजे ही आपको आगे बढ़ने में मदद करती है.

सवाल-आगे की योजनाये क्या है? क्या मराठी फिल्म करने की इच्छा है?

मैंने वेब के लिए कई चीजे डेवलप की है. आगे मैं कुछ फिल्में भी प्रोड्यूस करने वाला हूं. इसके अलावा मैं स्लो राइटर हूं. लिखता हूं. पिता पर बायोपिक बनाने के लिए मुझे और अधिक मेच्योर तरीके से सोचने की जरुरत है.

इसके अलाव मैंने एक मराठी फिल्म को- डायरेक्ट की है. उसका पोस्ट प्रोडक्शन चल रहा है.

सवाल-गृहशोभा के ज़रिये क्या मेसेज देना चाहते है?

मेहनत और लगन से काम करने पर आप हमेशा सफल हो सकते है. चमत्कार तभी होता है, जब आप मेहनत कर अपने उद्देश्य की ओर बढ़ते है.

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