Serial Story: कूल मौम (भाग-3)

रचना की बातें सुन लतिका के मुख पर संदेह की कालिमा छाने लगी. आहत, विस्मित दृष्टि से उस ने अपनी मां को देखा तो रचना की हिम्मत और बढ़ गई. बोलीं, ‘‘म्यूचुअल डिवोर्स में अधिक समय बरबाद नहीं होता है. जितने दिन तुम्हारी शादी नहीं चली, उस से जल्दी तुम्हारा तलाक हो जाएगा. सोचती हूं कैसे तुम ने मोहित को इतनी लंबे कोर्टशिप में बरदाश्त किया. चलो, तुम ने अपनी लाइफ का निर्णय ले लिया. अब मुझे भी एक पार्टी में जाना है. सी यू लेटर,’’ कह रचना अपना बैग उठा घर से बाहर निकल गईं.

मां का इस स्थिति में यों छोड़ कर पार्टी में चले जाना रचना को बहुत खला. क्या उस की मां उस की मानसिक स्थिति नहीं समझ सकतीं या उन के लिए अपनी बेटी से ज्यादा जरूरी उन की पार्टियां हैं? अचानक उसे वह दिन याद हो आया जब विवाह की रस्में निभाने के कारण थकीमांदी लतिका के सिर में शादी के दूसरे ही दिन दर्द उठा था और उस की सास ने मुंहदिखाई की रस्म अगले दिन के लिए टाल दी थी, जबकि कई औरतें घर में आ भी चुकी थीं.

‘‘हमारी लतिका के सिर में दर्द है. आज प्लीज माफी चाहते हैं. चायनाश्ता लीजिए पर लतिका से मुलाकात कल ही हो पाएगी,’’ लतिका की सास ने कहा था और फिर लतिका का पूरा ध्यान रखा था. पर उस की अपनी मां ने आज उसे हृदयपीड़ा के इस समय अकेला छोड़ पार्टी में जाना उचित समझा?

अगले दिन रचना को फिर घर में न पा कर लतिका ने उन्हें फोन किया. रचना ने फोन का कोई उत्तर नहीं दिया. कुछ देर बाद उन का मैसेज आया कि इस हफ्ते तुम्हारे पापा काम के सिलसिले में दुबई गए हैं. अत: मैं आज तुम्हारे मामा के घर आई हुई हूं. 2-4 दिनों में लौट आऊंगी.’ पढ़ कर लतिका अवाक रह गई. उस की मां उसे घर में अकेला छोड़ मामा के घर चली गईं और वह भी अकारण. उस ने भी प्रतिउत्तर में मैसेज भेजा.

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इस पर रचना का फिर जवाबी मैसेज आया कि सब को अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जीने का हक है, बेबी. मैं तुम्हारी शादी तोड़ने के फैसले में तुम्हारे साथ हूं. क्या तुम्हें मेरे अपने मायके कुछ दिन बिताने पर भी ऐतराज है? दैट्स नौट फेयर.

4 दिन कुंठा में बीते. लेकिन बात 4 दिन की नहीं थी. यदि लतिका अपने दोस्तों से मिलती, किसी पार्टी में जाती तो सब तरफ एक ही चर्चा रहती कि इतनी जल्दी तलाक का कारण क्या है. जब लतिका और मोहित की कोर्टशिप साल भर चल सकती है तो हनीमून पर ऐसा क्या हो गया? इस के उत्तर में कोई ठोस वजह का न होना लतिका को और भी अवहेलित कर देता.

लतिका को आभास होता जा रहा था कि शादी के बाद वाकई एक लड़की की जिंदगी बदल जाती है, परिस्थितियां बदल जाती हैं. सभी रिश्तों के चाहे वे घर की चारदीवारी में अभिभावकों का हो या घर के बाहर मित्रों का- उन के रिएक्शन बदल जाते हैं. अपनी उन्हीं सहेलियों जिन के साथ कभी वह सारासारा दिन व्यतीत कर दिया करती थी, आज उन्हीं सहेलियों के पास उस के लिए समय की कमी थी. कभी किसी को अपने बौयफ्रैंड के साथ मूवी जाना होता तो कभी किसी को अपने मंगेतर के साथ समय बिताने की चाह रहती. शादी सचमुच गुड्डेगुडि़यों का खेल नहीं है. सोचसमझ कर जीवन में आगे बढ़ने का फैसला है.

‘‘हैलो,’’ मोहित के नंबर से फोन उठाते हुए लतिका ने धीरे से बुदबुदाया.

‘‘कैसी हो?’’ मोहित के स्वर भी कुछ ठंडे, सुस्त और उदास थे.

‘‘तुम कैसे हो?’’ लतिका अपने मन की खिन्नता मोहित से छिपाना चाहती थी. लेकिन इतना समय साथ बिताने के बाद अपने मन की परतों को एकदूसरे के समक्ष खोलने के बाद मोहित व लतिका दोनों ही एकदूसरे के शोकातुर सुर पहचानने में सक्षम थे.

‘‘बहुत दिन हो गए… तुम्हारी याद आ रही है. क्या हम कुछ समय के लिए मिल सकते हैं?’’ मोहित ने खुल कर अपने दिल की बात लतिका के सामने रख दी.

‘‘मैं आज शाम 5 बजे तुम से वहीं मिलूंगी…’’

लतिका के इतना कहते ही मोहित बीच में ही हंसते हुए बोला, ‘‘वहीं जहां हमेशा मिलते हैं रैड रोज कैफे.’’

मोहित के शुरुआत करने से लतिका के जीवन में एक बार फिर उल्लास की लहरें उठने लगीं और उस का मन उन में गोते लगाने लगा. शाम को निर्धारित समय पर कैफे पहुंचने हेतु वह तैयार होने लगी. तभी रचना वहां आईं. बोलीं, ‘‘लतिका, मैं ने जिस लड़के का तुम से जिक्र किया था, वह आज रात खाने पर घर आ रहा है. तुम तैयार रहना. उस से मिल कर तुम्हें अवश्य अच्छा लगेगा. एक बार तुम दोनों की मुलाकात हो जाए, फिर मोहित से तुम्हारा तलाक करवा कर तुम्हारी दूसरी शादी की तैयारी करेंगे. इस बार और भी धूमधाम से शादी करेंगे, ओके बेबी?’’

रचना की बातें सुन लतिका का मन कांपने लगा. मोहित से मनमुटाव का अंत तलाक में होगा, हो सकता है कि ऐसा उस के मुंह से गुस्से में कभी निकल गया हो, किंतु उस के मन ने इस बात को कभी स्वीकारा नहीं था. उस के मन की तरंगें जो एक बार फिर मोहित से जुड़ने लगी थीं, उन्हें उस की अपनी मां ही तोड़ने लगी थी. मां का कर्तव्य होता है बच्चों की गृहस्थी को जोड़े रखना, न कि आगे बढ़चढ़ कर उसे तोड़ने का प्रयास करना.

‘‘इतनी जल्दी क्या है, मौम? जब तलाक लेना होगा, मैं बता दूंगी आप को और वैसे भी आज शाम मैं बिजी हूं,’’ लतिका ने बात टालनी चाही.

‘‘देखो लतिका, हर समय तुम्हारी मरजी चले, सभी तुम्हारी मरजी से जिंदगी जीएं, ऐसा नहीं हो सकता है,’’ रचना अचानक सख्त लहजे में बात करने लगीं, ‘‘तुम ने मोहित से शादी करनी चाही, हम ने करवा दी. जैसी शादी चाही, वैसी करवा दी. अब तुम हनीमून के तुरंत बाद घर लौट आई हो, हम ने वह भी स्वीकार लिया. इस का अगला कदम तलाक ही है. तलाक लो, दूसरी शादी करो और जाओ अपने घर. हमें भी समाज में रहना है, लोगों की बातों का सामना करना है,’’ लतिका को लगभग डांटते हुए रचना कहे जा रही थीं. अपनी बेटी को उदास करना उन्हें जरा भी नहीं भा रहा था, किंतु लतिका के भले के लिए, अपना जी कड़ा कर वे सब बोलती जा रही थीं. उन्हें अपने पिता की बात याद आ रही थी कि जली तो जली, पर सिंकी खूब. चाहे लतिका उन की बात का बुरा मान ले, किंतु इन्हीं बातों से वह अपना जीवन व्यर्थ न कर के सही राह चुन पाएगी.

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लतिका की भी समझ में आ रहा था कि उसे जो भी निर्णय लेना है, वह आज ही लेना होगा. शाम को उसे मोहित से मिलना है और आज रात को वह दूसरा लड़का खाने पर घर आ रहा है. अवश्य ही मां उस के सामने शादी की बात छेड़ेंगी. उस से पहले लतिका को अपना फैसला अपनी मां को बताना होगा.

नियत समय पर लतिका कैफे पहुंच गई. मोहित पहले से ही वहां प्रतीक्षारत था. मोहित ने दोनों की पसंदीदा चीजें और्डर कीं. दोनों कुछ असहज थे.

मोहित पहले बोला, ‘‘लतिका, प्लीज घर चलो. सब घर वाले तुम्हें कितना मिस कर रहे हैं. मां तो रोज तुम्हारे बारे में पूछती हैं. वह तो मैं ने ही उन्हें रोक रखा है कि तुम्हें कुछ समय और चाहिए वरना वे कब की तुम्हारे घर आ कर तुम्हें ले जाने की बात कर चुकी होतीं…’’

मोहित और कुछ कहता उस से पहले ही लतिका बोल उठी, ‘‘कब लेने आओगे मुझे?’’

एक हलकी सी मुसकान दोनों के अधरों पर खेल रही थी, नजरें भी मुसकराने लगी थीं. देखते ही देखते लतिका और मोहित अपने 1 वर्ष पुराने प्यार और उस में बिताए अनगिनत क्षण याद कर भावुक हो गए. उन्हें विश्वास होने लगा कि वे एकदूसरे के लिए बने हैं. आवश्यकता है तो बस इस प्यार को पनपने देने की.

शादी कभी एकतरफा रिश्ता नहीं होती. दोनों पक्ष इसे बराबर निभाते हैं. तभी गृहस्थी की गाड़ी आगे बढ़ पाती है. देर शाम मायके से ससुराल के लिए विदा होने में लतिका व मोहित के साथ रचना की मुसकराहट भी नहीं थम रही थी.

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REVIEW: जानें कैसी है यामी गौतम और विक्रांत मेस्सी की फिल्म ‘गिनी वेड्स सनी’

रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः विनोद बच्चन
निर्देशकः पुनीत खन्ना
कलाकारः विक्रांत मेस्सी,  यामी गौतम, आएशा रजा मिश्रा,  संचिता पुरी,  सुनील नायर.
अवधि: 2 घंटे 5 मिनट
ओटीटी प्लेटफॉमर्ः नेटफ्लिक्स


 स्वतंत्र निर्देशक की हैसियत से पुनीत खन्ना पहली रोमकॅाम फिल्म ‘‘गिन्नी वेड्स सनी’’लेकर आए हैं. कोरोना के माहौल में वह दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान लाने का असफल प्रयास करते हैं.

कहानीः

फिल्म की कहानी दिल्ली में रह रहे पंजाबी परिवारों की है. एक पंजाबी परिवार की मुखिया शोभा जुनेजा(आएशा रजा मिश्रा) हैं, जो कि मैच मेकर यानीकि कुंवारे लड़के व लड़कियों की शादियां करवाती हैं. उनकी इकलौटी बेटी गिन्नी(यामी गौतम)को प्रेम विवाह करना है, उसके कई दोस्त हैं. पर वह खुद कफ्यूज्ड है. पहले वह सुमित(गुरप्रीत सैनी)के संग शादी के सपने देखती थी, मगर फिर बात नही बनी. इन दिनों वह निशांत के साथ घूमती है. निशंात धनवान है. नई गाड़ी खरीदी है, मगर जब भी गिन्नी उससे शादी की बात करती है, तो वह टाल जाता है. उसके माता पिता रोहतक में रहते हैं.

उधर एक हार्डवेअर दुकान के मालिक सेठी(राजीव गुप्ता)हैं, उनकी एक बेटी निम्मी सेठी(मजेल व्यास) व बेटा सनी(विक्राम मैसे)हैं. सनी बहुत अच्छा शेफ है, यानी कि बहुत अच्छा भोजन पकाता है. सनी अपना रेस्टारेंट खोलना चाहता है. सनी के माता पिता चाहते हैं कि सनी जल्दी से शादी कर ले, फिर वह उसकी रूचि के अनुरूप रेस्टारेंट खुलवा देंगे. सेठी जी एक दिन शोभा जुनेजा से कहते हैं कि वह उनके बेटे सनी की शादी करवाने में मदद करें. शोभा कहती हैं कि वह अपने बेटे सनी को उनके पास मिलने के लिए भेजें. सनी से मिलते ही शोभा जुनेजा को लगता है कि यह लड़का तो उनकी बेटी गिन्नी के उपयुक्त है. मगर उन्हें पता है कि उनकी बेटी गिन्नी जिद्दी है और उस पर प्रेम विवाह का भूत सवार है. इसलिए शोभा जुनेजा, सनी को राह दिखाती है कि वह किस तरह पहले गिन्नी से दोस्ती करे, फिर उसे प्रभावित  कर उसे शादी के लिए राजी करे. षुरूआत में सनी के हाथ असफलता ही लगती है. पर इसी बीच सनी का उठना बैठना गिन्नी के साथ ही गिन्नी के दोस्त निशांत व प्रेरणा(संचिता पुरी) वगैरह के संग होने लगती है. गिन्नी से प्रेरणा कहती है कि सनी अच्छा लड़का है. इसी बीच गिन्नी के सभी दोस्त मसूरी जा रहे है, मगर ऐन वक्त पर निशांत नहीं जा पाता, तब उसकी जगह पर गिन्नी,  सनी को साथ में ले जाती है. मसूरी में दोनो काफी नजदीक आ जाते हैं. गिन्नी व सनी एक दूसरे को ‘किस’ करने वाले होते हैं कि तभी वहां पर अपनी गाड़ी से निशांत पहुंच जाता है और गिन्नी को सगाई की अंगूठी पहना देता है. सनी को निराशा होती है. वह मायूस हो जाता है. पर फिर गिन्नी की मां उसका हौसला बढ़ाती है. एक दिन निशांत व गिन्नी में झगड़ा हो जाता है. तब गिन्नी, सनी संग शादी के लिए तैयार होकर सनी को अपनी मां से मिलवाने के लिए घर पर रात्रिभोज के लिए बुलाती है. मगर सनी के पहुंचने से पहले ही निशांत अपने माता पिता के साथ गिन्नी के घर पहुंच जाता है. सनी भी पहुंचता है और सुमित भी पहुंच जाता है. काफी कुछ ड्रामा होता है. अंततः गिन्नी , सनी, निशांत और सुमित से संबंध खत्म कर देती है. तब हार कर  सनी नेहा संग शादी के लिए तैयार हो जाता है, पर फिर कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अंततःगिन्नी व सनी की शादी हो जाती है.

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लेखनः

अति कमजोर पटकथा के चलते प्रतिभाशाली कलाकारों की मेहनत ही बेकार हो गयी. इस तरह की कहानी पर‘मनमर्जियां’सहित सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं. लेखकद्वय को पंजाबी रहन, सहन वगैरह की भी कोई खास समझ नही आती. क्लायमेक्स बहुत घटिया है. संवाद भी अजीब से हैं. . मसलन-‘‘दिल्ली की सड़के फिलाॅसफी सिखा देती हैं’’

निर्देशनः
जब पटकथा कमजोर हो, तो निर्देशक भी बहुत संभाल नहीं पाता है. इसमें हास्य व रोमांस कहीं नजर ही नही आता. फिल्म की गति बहुत धीमी है.

अभिनयः
विक्रांत मैसे व यामी गौतम दोनो ही बेहतरीन कलाकार है, मगर इस फिल्म के किरदारों मे ंवह फिट नही बैठते. दोनों के बीच केमिस्ट्री भी नही जमती. आएषा रजा मिश्रा, राजीव गुप्ता ने ठीक ठाक अभिनय किया है.

hyundai creta: Safety

पैसिव सेफ्टी फीचर्स के अलावा हुंडई क्रेटा में और भी बहुत से एक्टिव सेफ्टी फीचर्स हैं जैसे कि व्हीकल स्टेबिलिटी मैनेजमेंट और इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी कंट्रोल. ये दोनों सिस्टम इस बात का ख्याल रखते हैं कि आपकी कार हमेशा कंट्रोल में रहे चाहे जैसी भी सिचुएशन हो.

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नई हुंडई क्रेटा में पहाड़ों की सैर पर जाने के लिए भी खास फीचर दिया गया है, जिसके तहत आप पहाड़ी इलाकों को आसानी से नेविगेट कर सकते हैं. इस फीचर के जरिए आप अपने ट्रैवल का लुत्फ बिना किसी परेशानी के उठा सकते हैं. इसीलिए तो हम कहते हैं #RechargeWithCreta.

पटाखों का धुआं और पराली का प्रदूषण कर सकता है कोरोना को बेलगाम

यूं तो दीवाली की रात को हम जिस तरह से पटाखों की रात बना देते हैं, वैसे में हर साल यूं ही दीवाली की रात सांस से पीड़ित मरीजों के लिए कयामत की रात बन जाती है. लेकिन इस साल कोरोना के चलते यह खतरा पहले से कहीं ज्यादा है, विशेषकर दिल्ली और दिल्ली के आसपास के इलाको में. इसे इस बात से भी जान सकते हैं कि तीन महीनों के बाद रोजाना आने वाले कोरोना पीड़ितों के मामले अक्टूबर के चैथे और आखिरी सप्ताह में काफी कम हुए. जहां अक्टूबर की शुरुआत तक हर दिन औसतन 1 लाख कोरोना के मरीज सामने आ रहे थे, वहीं अक्टूबर 2020 के आखिरी हफ्ते में ये घटकर 50 हजार से नीचे पहुंच गये. लेकिन इसी दौरान दिल्ली के हमेशा की तरह पराली जनित वायु प्रदूषण से घिर जाने के कारण देश के बाकी हिस्सों से उलट राजधानी में कोविड संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ.

जिस दिल्ली में अक्टूबर के तीसरे हफ्ते तक औसतन 1300 से 1500 तक ही संक्रमण के नये मामले सामने आ रहे थे, वहीं 28-29 अक्टूबर 2020 को ये मामले बढ़कर 5,000 के ऊपर चले गये. ऐसे में डाॅक्टरों को आशंका है कि अगर हमने दीवाली में संयम न रखा तो कोरोना की भयानक लहर आ सकती है. कुछ जानकारों के मुताबिक यह तीसरी लहर होगी, तो कुछ इसे दूसरी लहर बता रहे हैं. बहरहाल समस्या लहर के नाम पर नहीं है, समस्या यह है कि दिल्ली जैसा शहर जो वायु प्रदूषण को लेकर बेहद संवेदनशील है, वह इस बार दीवाली के पटाखा उल्लास को कैसे झेलेगा?

दरअसल ये डर इसलिए बढ़ गया है, क्योंकि हर साल सुप्रीम कोर्ट की तमाम चेतावनियों के बाद भी दिल्ली में लोग दीवाली की रात पटाखा फोड़ना बंद नहीं करते और उस रात दिल्ली में वायु प्रदूषण अपने सभी रिकाॅर्ड तोड़ देता है. अगर हर साल की तरह इस साल भी ऐसा ही हुआ तो कोरोना से जूझ रहे मरीजों के लिए तो यह भयावह होगा ही, उन मरीजों के लिए भी यह कम खतरनाक नहीं होगा, जो अब इससे उबर चुके हैं. क्योंकि बार बार यह जानकारी सामने आ रही है कि कोरोना संक्रमण से उबर जाने के बाद भी इससे संक्रमित मरीजों में कई तरह की समस्याएं फिर भी बनी रहती हैं.

दिल्ली शहर में अकेले कोरोना से संक्रमितों की संख्या करीब 4 लाख हो चुकी है. अगर हम दिल्ली के इर्दगिर्द बसे दूसरे शहरों और इलाकों को इसमें शामिल करें तो दिल्ली और उसके आसपास कोरोना से संक्रमितों की संख्या करीब 7 से 8 लाख के बीच में है. अगर सचमुच दिल्ली में हर साल की तरह इस बार भी वायु प्रदूषण पर तमाम नियंत्रण कागजों में ही रहा तो यह बहुत भारी पड़ सकता है. लेकिन इस बात को भी ध्यान में रखिए कि वायु प्रदूषण और दीवाली का रिश्ता सिर्फ दिल्ली और उसके आसपास के लोगों के लिए ही खतरनाक नहीं है, इसका खतरा देश के 90 फीसदी क्षेत्र में है. क्योंकि दिल्ली की ही तरह देश के कई दूसरे प्रांतों के शहरों की भी वायु गुणवत्ता बहुत खराब है, भले वे लाइमलाइट में न आते हों.

इसलिए इस बार का दीप पर्व हम सभी हिंदुस्तानियों की कड़ी परीक्षा लेगा. पूरे देश को इस दौरान अतिरिक्त रूप से सजग रहना पड़ेगा, वरना खुशियों का त्यौहार दीवाली, मातम में बदल जायेगा. अब सवाल उठता है कि हम ऐसे क्या उपाय करें कि दीवाली की खुशी जानलेवा दुख में न बदले. इसके लिए हमें इन कुछ उपायों को आजमाना होगा.

          सिर्फ दिल्ली में या दिल्ली के इर्दगिर्द राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ही नहीं पूरे देश में अव्वल तो दीवाली की रात हम सब हिंदुस्तानियों को पटाखे नहीं छोड़ना चाहिए, बस शगुन के लिए एकाध पटाखे से ही काम चलाना चाहिए.

          इस साल हमें पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ ग्रीन पटाखे ही फोड़ना चाहिए. अगर हम हर हाल में पटाखा फोड़ने पर उतारू हों.

          यूं तो हर दिन अतिरिक्त सजगता बरतनी जरूरी है. लेकिन दीवाली की रात जब पटाखों का धुंआं आसमान में छा रहा हो, उस समय घर के बड़े बुर्जुर्गों को खासतौर पर घर के अंदर रहना चाहिए. छोटे बच्चों पर भी यह नियम लागू होना चाहिए.

          दीवाली की रात न सिर्फ तमाम छोटे बड़े अस्पतालों को एक्स्ट्रा अलर्ट मोड में रहना होगा बल्कि हर आदमी को इस दिन सांस संबंधी कोई समस्या आए तो उससे कैसे निपटें इस संबंध में पहले से ही अपने फैमिली डाक्टर से पूछ लेना चाहिए. अगर कोई फैमिली डाक्टर न हो तो गूगल जिंदाबाद.

लब्बोलुआब यह कि सेहत के नजरिये से यह दीवाली बहुत संवेदनशील है, तो कृपया अपना ध्यान रखें, अपनों का ध्यान रखें. अपने देश, समाज और दुनिया का ध्यान रखें.

दूल्हा-दुल्हन बने अनूप जलोटा और जसलीन मथारू! फैंस हुए Shocked

बिग बौस 14 जहां इन दिनों फैंस के बीच सुर्खियों में हैं. तो वहीं शो के पिछले सीजन के कंटेस्टेंट भी सोशलमीडिया पर छाए हुए हैं. दरअसल, ‘बिग बौस 12’ में नजर आ चुके भजन सम्राट अनूप जलोटा और एक्ट्रेस जसलीन मथारू की जोड़ी फैंस को अक्सर एंटरटेन करती है. वहीं कई बार दोनों की शादी की अफवाहें भी उड़ चुकी हैं. हालांकि इस बात से दोनों साफ इंकार कर चुके हैं. लेकिन अब सोशलमीडिया पर दोनों की एक फोटो वायरल हो रही हैं, जिसमें दोनों दूल्हा दुल्हन के गेटअप में नजर आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है वायरल फोटो का सच….

शादी की फोटोज हुई वायरल

कुछ समय पहले ही जसलीन मथारू ने सोशल मीडिया पर 2 फोटोज शेयर की थी, जिनमें अनूप जलोटा शेरवानी और सेहरा सजाए पोज देते नजर आ रहे हैं. तो वहीं दूसरी तरफ जसलीन मथारू अपने गुरू अनूप जलोटा के साथ बैठे शरमाते हुए नजर आ रही हैं.

 

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🔥🔥 @anupjalotaonline

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फिल्म में नजर आएगी ये जोड़ी

अनूप जलोटा और अभिनेत्री जसलीन मथारू की फोटोज देखने के बाद से जहां फैंस शौक्ड हैं तो वहीं फैंस सवाल कर रहे हैं कि क्या दोनों ने शादी कर ली है. हालांकि ये सवाल बिल्कुल सच नही है. दरअसल, गुरू शिष्य की जोड़ी यानी अनूप जलोटा और जसलीन मथारू की कोई शादी नही हुई है बल्कि यह एक फिल्म का सीन है. दोनों जल्द ही एक फिल्म में नजर आने वाले हैं, जिसमें जसलीन मथारू फिल्म ‘वो मेरी स्टूडेंट है’ के जरिए बौलीवुड में डेब्यू करती नजर आएंगी.

बता दें. बीते दिनों जसलीन मथारू ने ‘वो मेरी स्टूडेंट है’ का फर्स्ट लुक शेयर किया था. हालांकि इससे पहले भी वह चूड़ी और सिंदूर के साथ अपनी कुछ फोटोज शेयर कर चुकी हैं.

‘साथ निभाना साथिया 2’ में गोपी बहू के बाद हुई अहम की एंट्री! डबल रोल में आ सकते हैं नजर

साथ निभाना साथिया के सीजन 2 की चर्चाएं इन दिनों जोरों पर हैं. जहां बीते दिनों मेकर्स द्वारा रिलीज किए गए प्रोमो ने फैंस के बीच जगह बनाई थी तो वहीं शो में मेन लीड में नजर आने वाली गहना की झलक भी दिखाई गई थी, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था. लेकिन अब मेकर्स ने शो में ट्विस्ट एंड टर्न्स लाने के लिए एक पुराने किरदार अहम की एंट्री करवा दी हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

देवोलिना के बाद हुई मोहम्मद नाजिम की एंट्री

बीते दिनों जहां गोपी बहू की एंट्री के बाद फैंस देवोलिना को दोबारा शो में लाने की बात कर रहे थे तो वहीं अब खबर है कि सीरियल ‘साथ निभाना साथिया’ में अहम का किरदार निभाने वाले मोहम्मद नाजिम सीजन 2 में डबल रोल निभाते नजर आने वाले हैं. खबरों की मानें तो अहम के अलावा मोहम्मद नाजिम, जग्गी नाम के लड़के का रोल भी अदा करते नजर आएंगे.

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जग्गी का रोल होगा खास

खबरें हैं कि ‘साथ निभाना साथिया 2’ की कहानी में जग्गी का रोल काफी अहम नजर आने वाला है. हालांकि अभी मोहम्मद नाजिम के रोल की पूरी जानकारी नही मिल पाई है, लेकिन फैंस इस खबर से बेहद खुश नजर आ रहे हैं.

इस दिन औन एयर होगा सीरियल

 

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Saathiya 2 coming soon #Allahterashukarhai 🙏🙏

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कहा जा रहा है कि ‘साथ निभाना साथिया का दूसरा सीजन’ नवरात्री के मौके पर यानी 19 अक्टूबर से रात 9 बजे शुरू होगा, जिसके चलते पहले एपिसोड में पूरा मोदी परिवार भव्य आरती करता नजर आएगा है. हालांकि अभी शो की कास्ट को लेकर पूरी बातें साफ नही हुई हैं, लेकिन फैंस शो के लेकर बेहद एक्साइटेड हैं और बेसब्री से शो के औनएयर होने का इंतजार कर रहे हैं.

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14 टिप्स: बर्थडे को ऐसे करें एंजौय

बर्थडे पार्टी स्पैशल होती है. लाइफ में आने वाले साल का स्वागत फैमिली, फ्रैंड्स के साथ करना अच्छा लगता है, पर यह साल कुछ अलग है, आने वाला समय भी कुछ अलग ही होगा, इस का मतलब यह बिलकुल नहीं कि बर्थडे पर कुछ ऐंजौय कर ही नहीं पाएंगे. यदि आप का बर्थडे आ रहा है तो आप घर पर ही इन आइडियाज के साथ बहुत अच्छा फन टाइम ऐंजौय कर सकते हैं:

– सोशल डिस्टैंसिंग का मतलब यह नहीं कि आप किसी के घर नहीं जा सकते, अपनी कार को बैलून्स से सजाएं और बर्थडे बौय या गर्ल के घर जाएं, उन्हें फोन कर के अपने घर के बाहर देखने के लिए कहें और जब वे दरवाजे पर आएं, उन के लिए ‘हैप्पी बर्थडे’ गाएं. आप का यह ऐफर्ट उन्हें हमेशा याद रहेगा.

– दोस्तों के साथ बर्थडे मैसेज रिकौर्ड करें, कोई अच्छी मैमोरी की बात हो, वीडियो बनाएं, पार्टी के टाइम शेयर करें, इस की तैयारी पहले से ही कर के रखें ताकि उस टाइम सोचसोच कर बोलने में बोरियत न हो.

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– वर्चुअल सैलिब्रेशन का एक बड़ा फायदा यह भी है कि दूर रहने वाले रिश्तेदार या दोस्त जो बर्थडे पार्टी में कभी शामिल नहीं हो पाते, वे भी अब बर्थडे वीडियो चैट में हिस्सा ले सकते हैं, जिस में सब कंफर्टेबल हों, ऐसे वीडियो प्लान किए जा सकते हैं, चाहे आप अपना या किसी और का बर्थडे प्लान कर रहे हों, यह बर्थडे सरप्राइज रखना सब को अच्छा लगेगा. जूम, स्काइप, फेसबुक मैसेंजर या जो भी वीडियो प्लेटफौर्म आप को पसंद हो, आप उस पर वीडियो चैट होस्ट कर सकते हैं. हो सकता है आप के कुछ मेहमानों  को वीडियो चैट की आदत न हो, उन से बात करने की प्रैक्टिस पहले से की जा सकती है.

– आप अगर कपकेक्स बनाना या वाटर कलर पेंटिंग्स करना अथवा कुछ और सीखना चाह रहे थे तो अब आप अपने फ्रैंड्स के साथ औनलाइन ट्यूटोरियल के माध्यम से सीख सकते हैं, साथ मिल कर कुछ क्रिएटिव सीखें.

– दोस्तों से सेफ डिस्टैंस रखने का मतलब यह नहीं है कि आप गेम नाइट को ऐंजौय नहीं कर सकते. आजकल बहुत सारे औनलाइन या ऐप बैस्ट गेम्स हैं, जिन्हें आप बर्थडे पर खेल कर बहुत ऐंजौय कर सकते हैं.

– अगर आप बर्थडे पर कोई लाइव इवेंट देखना मिस कर रहे हैं तो आजकल ऐसे बहुत से लाइफ स्ट्रीम्स इवेंट्स हो रहे हैं, जिन्हें आप आफ्टर कोरोना, सोशल डिस्टैंसिंग के साथ ऐंजौय कर सकते हैं. आजकल आर्टिस्ट्स पब्लिक के लिए लाइफ स्ट्रीम इवेंट औफर कर रहे हैं. इन्हें आप जरूर ऐंजौय करेंगे.

– यदि आप अकेले रह कर पार्टी करना चाह रहे हैं तो गरम शावर लीजिए, अपने मनपसंद म्यूजिक को ऐंजौय करें, सैल्फ केयर ऐक्टिविटीज से भी बर्थडे ऐंजौय कर सकते हैं. यदि आप का कोई दोस्त या कोई फैमिली मैंबर बर्थडे पर बड़ी वर्चुअल पार्टी करने के मूड में नहीं है तो आप उसे सैल्फ केयर बर्थडे गिफ्ट भेज सकते हैं जैसे अच्छा फेस मास्क, स्क्रब्स या कैंडल्स.

– मुंबई निवासी रूपा हाल ही का एक अनुभव बताती हैं, ‘‘मेरी मम्मी का 60वां जन्मदिन था और हम सब घर में बंद. वर्क फ्रौम होम चल रहा था, बाहर नहीं निकल रहे थे, मैं ने अपनी फैमिली के कुछ मैंबर्स को जूम कौल पर आने के लिए कहा, सैटअप सिंपल था. हम ने उन के खास दोस्तों को जूम लिंक भेज दिया और उन से कहा कि फैमिली मीटिंग से 20 मिनट पहले वे एक कैंडल तैयार रखें. मम्मी ने जब लौग औन किया, तो उन्हें देशविदेश का वर्चुअल बर्थडे केक दिखा, उन की पसंद का केक मैं ने बना लिया था. जैसे ही हम सब ने कौल जौइन किया, पड़ोसी, दोस्तों को देख कर खुशी हुई. सब ने मम्मी के सैलिब्रेशन गंभीरता से लिया था. मम्मी की एक फ्रैंड ने तो बैक ग्राउंड में मम्मी के फोटो भी यूज किया था. हम सब ने गाया, अपनीअपनी कैंडल बु झाई, मम्मी की आंखें खुशी के आंसुओं से भर गई थीं. पार्टी के टाइम हम ने सब से मम्मी के बारे में कुछ कहने के लिए कहा. यह इवेंट 30 मिनट चला, पर इस का इमोशनल इफैक्ट सब के दिलों पर कई दिन रहा. हमें वैसी ही खुशी हुई जैसी हमें लोगों से मिल कर होती. ऐसे समय भी सब को देखना बहुत अच्छा अनुभव रहा.’’

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– यदि आप का पूरा गु्रप आर्टिस्टिक है तो आप एक गाना भी खुद लिख कर वीडियो चैट पर सुना सकते हैं, भले ही सुर कैसा भी हो, आप की कोशिश दिल को छू लेगी, बर्थडे बौय हो या गर्ल, आप उस के लिए कोई पीएम, स्पीच लिख सकते हैं या कोई डांस कर सकते हैं. अपने हर आर्ट को ऐसे समय में यूज कर सकते हैं.

– आजकल दुनियाभर में म्यूजियम्स, जू, थीम पार्क्स, फ्री वर्चुअल टूर्स औफर कर रहे हैं, जिस का मतलब है आप घर बैठे आराम से पैरिस का लूव्र, वैटिकन, सै डिएगो जू और भी बहुत कुछ देख सकते हैं. आप अपने बर्थडे पर कुछ ऐसे भी प्रोग्राम बना सकते हैं कि आराम से बैठ कर कोई नई चीज देखें.

– कोरोना वायरस के समय बहुत से योग स्टूडियो, जिम्स और ट्रेनर्स फ्री लाइव स्ट्रीमिंग वर्कआउट्स औफर  कर रहे हैं. अगर आप ऐक्टिव बर्थडे पार्टी चाहते हैं तो अपने फ्रैंड्स को ऐसी वर्कआउट क्लास के लिए इकट्ठा करें. मैं ने ऐसी क्लास अटैंड करते हुए अपनी बेटी को देखा है. यह बहुत अच्छा वर्कआउट आइडिया है, कुछ नया सीखने को मिलता है, घर में बैठे जो बोरियत हो रही होती है, वह भी दूर होती है और ऐसी क्लास को फिर से अटैंड करने का उत्साह बना रहता है.

– यदि आप को मूवी देखने का शौक है, वर्चुअल वाच पार्टी ऐंजौय करें. आप और आप के दोस्त एकसाथ ही टाइम पर मिल कर मूवी देख सकते हैं, चैटरूम में मूवी पर आप अपने विचार भी शेयर कर सकते हैं. आप को अपने बर्थडे पर अपने दोस्तों के साथ मूवी देखते हुए लगेगा ही नहीं कि आप अपने बर्थडे पर अकेले हैं.

– जूम पर एक मीटिंग सैट करें, जिस का बर्थडे है उसे थोड़ा बाद में साइन औन करने के लिए कहें. फिर जैसे ही वह लौग औन करे, आप सब एकसाथ उस के लिए हैप्पी बर्थडे गा कर उसे सरप्राइज दें.

– दोस्तों और फैमिली को बर्थडे विशेष रिकौर्ड करने के लिए कहें और बर्थडे पर्सन को यह वीडियो कार्ड मेल कर दें, यह गिफ्ट हमेशा अपने पास रखा जा सकता है.

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कोरोना ने सब की लाइफ बदल दी है. अब इस बदली हुई लाइफ को स्वीकार करने के सिवा कोई चारा भी नहीं है. अब तो आफ्टर कोरोना जो दिन आएंगे, उन में हमेशा निराशा में तो नहीं जीया जा सकता. खुशियां देने के, लेने के नएनए रास्ते सोचने ही पड़ेंगे तो क्यों न ऐसे कुछ आइडियाज पर काम कर के बर्थडे को ऐंजौय किया जाए. कोरोना वायरस आया है, चला भी जाएगा पर कुछ ऐसा किया जाए कि ऐसे समय के बर्थडे की यादें इतनी मीठी हो जाएं कि याद रहे हम ने ऐसे टाइम भी बर्थडे ऐंजौय किया था.

 

फूल सा नाजुक और खूबसूरत है सास बहू का रिश्ता

सास बहू का रिश्ता हमेशा से ही थोड़ा उलझा माना गया है मगर ऐसा है नहीं. बाकी सभी रिश्तों की तरह यहां भी समझदारी की ही जरूरत होती है. जितना एक लड़की के लिए ससुराल नया होता है उतना ही ससुराल वालों के लिए बहू को समझना.. सभी के लिए एक नयी शुरुआत होती है और समझने के लिए वक़्त चाहिए होता है.

हर व्यक्ति की सोच और व्यवहार अलग होता है और ये सब कुछ परिवार पर निर्भर करता है. जब भी हम बहू लाते हैं या बेटी देते हैं तो ये भी ध्यान में रखना चाहिए कि नए परिवार की सोच समझ कुछ न कुछ जरूर मिलती हो तो सामंजस्य करने में आसानी होती है और आने वाले नए मेहमान को पूरा समय देना चाहिए कि वो बेहतर समझ बना सकें.

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बहू जब ससुराल आती है तो उसकी बहुत सारी उम्मीदें और इच्छाएं होती है और साथ ही अंजाना डर भी.. ठीक उसी तरह सास और परिवार के अन्य लोग भी उम्मीदे लगाए होते हैं कि बहू उनके सोच और समझ के अनुसार ही रहे, खाए पिये.. यही उम्मीदें कभी कभी अनबन का कारण भी बन जाती है.. एक लड़की जिसने अपने 25-26 साल अपने हिसाब से परिवार में लाड़ दुलार में जिए है वो रातों इतनी समझदार नहीं हो सकती कि एक नए परिवार और उनकी तौर तरीके को सीख कर उनके अनुसार जिम्मेदारी ले ले. किसी भी नयी चीजें को समझने और उसे आत्मसात करने में वक़्त लगता है ठीक उसी तरह नए रिश्तों को समझने और महसूस करने में भी समय लगता है.

वैसे तो टेक्नोलॉजी और बदलते समय के साथ शादी से पहले न केवल लड़का लड़की बल्कि परिवार वाले भी मिलते जुलते रहते हैं तो थोड़ा समझ एक दूसरे के लिए विकसित हो जाती है मगर फिर भी घर में सभी को शुरू में सरल और सहज बर्ताव करना चाहिए. ये बात समझने की है कि जितना अटपटा बहू की बातों और आदतों से ससुराल पक्ष को लगता है उतना ही लड़की को भी सभी कुछ नया और अलग देखकर लगता है. दोनों ही पक्ष को समझने और एक दूसरे को वक़्त देने की जरूरत होती है.. घर का माहौल सरल रखें ताकि किसी को भी असुविधा होने पर स्वस्थ्य बात की जा सकें. सभी की अपनी कुछ आदतें होती है जिसे हम हमेशा फालो करना चाहते हैं.. बहू अगर कुछ ऐसा करती है तो जबरन दबाव डालकर न रोके अगर उसकी कोई खास इच्छा या शौक हो तो उसे पूरा करने दे तभी वो सबको अपना समझ पाएगी.. . ठीक उसी तरह हर परिवार के अपने कुछ मान्यताएं, रिवाज होते हैं जिसे सभी करते हैं और बहू से भी सीखने की उम्मीद की जाती है.. बहू को इसे सीखने, समझने की कोशिश करनी चाहिए ताकि वो खुद परिवार का हिस्सा बनकर पारिवारिक परंपराओं को आगे बढ़ा सकें.

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रिश्तों में स्पेस देना भी बहुत जरूरी है, एक बेटा जो अभी तक मां के अनुसार ही चल रहा होता है शादी के बाद एक लड़की के आ जाने से काफी वक़्त साथ ही गुज़ारतेहैं.. इससे कभी कभी मां के मन में असुरक्षा की भावना आने लगती है और ये चिढ़ कई  बार बात बात पर टोक कर या तानें के रूप में बाहर आती है.. यहाँ मां के साथ साथ बहू को भी समझना होगा.. माँ को अब लाड़ प्यार बहू बेटे को साथ करना चाहिए वहीं बहू को ध्यान रखना चाहिए कि माँ बेटे के बीच वो दरार की वजह न बनें और माँ बेटे की आपसी बातचीत को न बुरा माने और न ही हस्तक्षेप करें.. अगर कुछ मन मुटाव होता भी है तो इस पर खुल कर बातचीत कर लेनी चाहिए. नए घर में रहने और परिवार के रख रखाव और जिम्मेदारियों को जितना बेहतर सास बता, समझा सकती है उतना कोई भी नहीं.. नए परिवार में सास बहू का रिश्ता माँ बेटी से बढ़कर ही होना चाहिए जिसमें प्यार दुलार, नोक झोक और एक दूसरे को सुविधा देने की भावना होनी चाहिए.

हाथरस कांड: छीन ली ताजनगरी की पहचान

भारत की शान और प्रेम का प्रतीक ताजमहल को भला कौन नहीं जानता. सच तो यह है कि ताजमहल की वजह से ही उत्तर प्रदेश का आगरा पूरी दुनिया में मशहूर है. इस शहर को ताजनगरी के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन मौजूदा दौर में इस शहर की पहचान लोग दूसरे रूप में करने लगे हैं.

आगरा से हाथरस की दूरी महज 51 किलोमीटर है. अगर आप मैट्रो शहर में रहते हैं तो यह दूरी कोई माने नहीं रखती. आगरा से हाथरस जाने में लगभग 1 या सवा घंटे का वक्त लगता है.

यकीनन आप अभी यही सोच रही होंगी कि आखिर यह सब मैं क्यों लिख रही हूं? तो मैं आप को बता दूं कि एक घटना ने उस शहर का परिचय ही बदल कर रख दिया है.

हैवानियत की इंतहा

जिस शहर को ताजमहल की शोहरत से आंका जाता था, अब वही शहर हाथरस गैंगरेप कांड से जाना जाने लगा है. यह कुछ वैसा ही है जैसे दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 को हुए निर्भया कांड के दौरान हुआ था.

23 साल की फिजियोथेरैपिस्टा निर्भया अपने एक दोस्तव के साथ साउथ दिल्ली1 के एक थिएटर से फिल्म ‘लाइफ औफ पाई’ देख कर लौट रही थी. दोनों मुनिरका में औटो रिकशा का इंतजार कर रहे थे. तभी एक चार्टर्ड बस में दोनों को फुसला कर बैठा लिया गया और फिर वह सब हुआ जिसे सुन कर आज भी रौंगटे खङे हो जाते हैं.

इस जगह से आज भी कोई वहां से गुजरता है तो यही कहा जाता है कि देखो, यह वही बस स्टैंड है जहां से निर्भया कांड हुआ था.

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आज कुछ ऐसी ही स्थिति है हाथरस की. जब हाथरस का रहने वाला कोई शख्स दूसरे शहरों में नौकरी करने, पढ़ने या फिर किसी और काम से बाहर जाता था तो वह अपने शहर का नाम हाथरस बताता था. लोग हाथरस के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे. जैसे ही सुनने वाला यह सवाल दागता कि यह कहां है? तो पता बताने वाला शख्स झट बोल पङता,”अरे, आप को पता नहीं? ताजनगरी आगरा के पास ही तो है हाथरस…”

लेकिन अब हाथरस के आसपास रहने वाले लोगों को ताजनगरी की पहचान नहीं बतानी पड़ेगी. अब तो हाथरस का नाम लेते ही सामने वाला शख्स कहने लगता है कि अरे, वही हाथरस न जहां पर एक युवती के साथ गैंगरेप हुआ और बाद में उस की बेरहमी से हत्या कर दी गई?

कटघरे में योगी सरकार

यों इस बात का फैसला अदालत करेगी कि पीङित युवती के साथ क्या हुआ मगर जब इस मामले को मीडिया ने जोरशोर से उठाया तो वहां सियासी जमात उमड़ पड़ी.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का काफिला हाथरस पहुंचा तो उत्तर प्रदेश पुलिस और उन के बीच काफी गहमागहमी देखी गई.

इस मामले को ले कर जितनी मुंह उतनी बातें हो रही हैं. सचाई या तो वह बिटिया जानती थी जोकि अब इस दुनिया में नहीं है या फिर उस के परिवार वाले, मगर आखिरी सांस लेने से पहले पीङिता ने अपने साथ हुई ज्यादती और गैंगरेप होने की बात कही थी.

बढ़ते दबाव के बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हालांकि सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है लेकिन इस सचाई से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इस मामले में योगी सरकार पूरी तरह से बैकफुट में नजर आई.

योगी सरकार के आला अधिकारियों का रवैआ निराशाजनक रहा और वहां की सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले पाई. ऐसा लग रहा था जैसे सरकार कुछ छिपा रही है.

सवालिया निशान

सरकारी रवैए पर कई सवालिया निशान भी हैं और वह यह कि आखिरकार परिजनों को शव क्यों नहीं सौंपा गया? क्यों आधी रात को शव को जला दिया गया और वह भी पुलिस द्वारा? क्यों मीडिया की ऐंट्री बैन कर दी गई? क्यों नेताओं को परिजनों से नहीं मिलने दिया गया? क्यों उस गांव को छावनी में तबदील कर दिया गया?

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इन सवालों के जवाब शायद किसी के पास नहीं हैं.

फिलहाल, अब सीबीआई तय करेगी कि उस बेटी के साथ क्या हुआ. हम सब भी यही चाहते हैं कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले. लेकिन इस कांड ने ताजमहल की सफेदी पर कालिख जरूर पोत दी है.

वजन कम करने के लिए करें घी का सेवन

घी को लेकर लोगों के मन में एक आम धारणा है कि इसका सेवन करने से इंसान मोटा होता है. पर असल बात ये है कि इससे ना सिर्फ मोटापा कम होता है बल्कि आपके पाचन तंत्र को भी दुरुस्त रखता है.

इस खबर में हम आपको घी से होने वाले स्वास्थ्य फायदों के बारे में बताने वाले हैं.

दूर रहता है कब्ज

कब्ज की समस्या में देशी घी काफी असरदार होता है. इससे कब्ज जैसी बीमारियां दूर होती हैं. घी का सेवन करने से शरीर के विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं और व्यक्ति को कब्ज की शिकायत नहीं रहती है.

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मजबूत रहती हैं हड्डियां

घी में विटामिन के2 की मात्रा होती है, जिसकी मदद से आपकी हड्डियों तक कैल्शियम पहुंचता है. जानकारों की माने तो इसमें कई ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो हड्डियों के लिए जरूरी तरल पदार्थ का निर्माण करते हैं, जिससे जोड़ मजबूत होते हैं.

त्वचा और बालों का रखे ख्याल

देसी घी से रोजाना फेस की मसाज करने से त्‍वचा की खोई नमी वापस आ जाती है. जिसकी वजह से त्‍वचा का रूखापन खत्म होकर त्वचा की कांति बढ़ जाती है.

मोटापा दूर करता है घी

घी का सेवन करने से मोटापा दूर होता है. देशी घी में सीएलए होता है जो शरीर की मेटाबौलिज्म को ठीक रहता है. इससे वजन कंट्रोल में रहता है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि गाय के घी में कोलेस्ट्रोल नहीं होता. यह शरीर में जमे, जिद्दी फैट को पिघलाकर मेटाबोलिज्म बढ़ाने में मदद करता है. जिसकी वजह से व्यक्ति मोटापे का शिकार नहीं बनता.

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संतुलित रहते हैं हार्मोन्स

देशी घी में विटामिन A, विटामिन K2, विटामिन D, विटामिन E जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं. ये तत्व शरीर के हार्मोंस को संतुलित रखने में काफी मददगार होते हैं. यही वजह है कि जानकार गर्भवती स्त्रियों और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए घी का सेवन करने की सलाह देते हैं.

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