अदरक के तेल का फायदा जान हैरान रह जाएंगी आप

मासाले सिर्फ हमारे स्वाद के लिए जरूरी नहीं होते बल्कि इनका हमारी सेहत पर जरूरी असर होता है. इसी क्रम में आज हम आपको अदरक से होने वाले फायदों के बारे में बताने वाले हैं. अदरक में बहुत से पौष्टिक और जरूरी तत्व पाए जाते हैं. अदरक में मौजूद एंटी- बैक्टीरियल और एंटीऔक्सीडेंट गुण खांसी-जुकाम से भी राहत दिलाते हैं. इसके तत्व त्वचा और बालों के लिए काफी लाभकारी होते हैं. पर क्या आपको बता है कि अदरक का तेल भी बेहद असरदार होता है. सेहत संबंधित बहुत सी परेशानियों में ये बेहद लाभकारी होता है. सेहतंद रहने और इंम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए ये काफी असरदार होता है.

इस खबर में हम आपको अदरक के तेल के फायदों के बारे में बताएंगे.

ब्लड शुगर को करे कम

ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एंटी डायबैटिक गुण पाए जाते हैं जो दिल की बीमारियों को दूर करने में भी कारगर होते हैं.

कई तरह के दर्द में लाभकारी है

मांसपेशियों के दर्द में अदरक का तेल काफी असरदार होता है. इसके अलावा जोड़ों के दर्द में भी ये मदद करता है. शरीर में किसी भी तरह के सूजन को कम करने में ये काफी कामगर होता है. अगर आपको जोड़ों का दर्द या मांसपेशियों का दर्द है तो आप अदरक के तेल का इस्तेमाल बेझिझक कर सकती हैं.

कौलेस्ट्रोल को करे कम

कोलेस्ट्रौल दिल को काफी नुकसान पहुंचाता है. कौलेस्ट्रोल को कम करने में दरक का तेल कामगर है.

सांस की समस्या में है फायदेमंद

अदरक सांस की परेशानियों में भी असरदार होता है. गले और नाक के बलगम को साफ करने में ये उपयोगी है. खांसी और जुकाम में भी ये काफी राहत देता है. इस तरह की परेशानियों में आराम पाने के लिए आप अदरक के तेल का इस्तेमाल कर सकती हैं.

पाचन होता है अच्छा

अदरक के तेल के उपयोग से पाचनतंत्र को बेहतर बनाया जा सकता है. इसके आलावा खाने क स्वाद बढ़ाने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है.

जानें फेस शेप के हिसाब से कैसे चुनें मांग टीका और माथा पट्टी

फैशन का ट्रेंड हर दिन बदलता रहता है .चाहे वो  कभी आउटफिट्स में हो या एक्सेसरीज में.पर एक चीज़ तो हम सभी जानते है की चाहे  आउटफिट कितना भी डिजाइनर क्यों न हो जब तक उसके साथ डिजाइनर ज्वेलरी को मैच  न किया जाए तब तक लुक फीका ही नजर आता है.

वैसे तो आजकल डिज़ाइनर मांग टीका और  माथा पट्टी का ट्रेंड जोरों पर है .चाहे आपका लहंगा और Jewelry कितनी भी डिज़ाइनर क्यूँ न हो बिना मांग टीका या माथा पट्टी के ब्राइडल लुक अधूरा है.यह  एक्सेसरीज दुल्हन के ब्राइडल लुक को पूरा करती है.

आजकल मार्केट में माथा पट्टी व मांग टीका के ढेरों डिजाइन्स डिमांड में है.लेकिन ये जरूरी नहीं की हर मांग टीका या माथा-पट्टी हर किसी पर सूट करे. अक्सर बहुत सी दुल्हनें भी  इस असमंजस में रहती है की शादी के दिन दोनों में से किसे कैरी किया जाए.क्योंकि यह एक ऐसा आभूषण है जो आपके चेहरे को बेहतरीन तरीके से उजागर करता है.इसलिए ये जरूरी है की माथा पट्टी व मांग टीका सेलेक्ट करते  वक़्त अपने फेस शेप का ध्यान जरूर रखें.

आज हम आपको आपके फेस शेप के हिसाब से बताएंगे कि आप पर क्या ज्यादा सूट करेगा माथा पट्टी या मांग टीका या दोनों .

1-ओवल फेस शेप-

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अगर  आपका माथा और चिन दोनों चौड़े हैं और  आपके चेहरे का आकार बॉलीवड एक्ट्रेस कटरीना कैफ जैसा है.इसका मतलब आपका चेहरा अंडाकार है यानी ओवल शेप का . यह सबसे अच्छा फेस शेप होता है.जिन ब्राइड्स  का फेसकट oval शेप का होता है ,उन्हें ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं होती है.वो अपने चेहरे पर मांग-टीका और माथा पट्टी दोनों कैरी कर सकती है.

फ्लोरल मांग-टीका और माथा-पट्टी ये आपको क्लासी और एलिगेंट लुक देगा और ये एक ऐसा ट्रेंड है जो कभी पुराना नहीं होता.अगर आप अपने फेस पर हैवी मेकअप चाहती है तो ये आपके फेस के लिए बिलकुल परफेक्ट है.और अगर आप रॉयल  लुक चाहती है तो आप शाही माथा पट्टी और मांग टीका के लिए विषम आकार के टिक्का चुन सकती  है.

यदि आप एक आधुनिक दुल्हन हैं जो सादगी में विश्वास करती है तो मल्टी  लेयर माथा पट्टी और मांग-टीका आपके लिए एकदम सही है. इसकी सादगी और भव्यता आपके चेहरे की सुंदरता और, आपके पहनावे में चार चांद लगा देगी.

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2- गोल चेहरा (राउंड फेस शेप)-

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अगर आपके चेहरे का आकार ऐश्वर्या राय  या प्रीति जिंटा जैसा है तो इसका मतलब आपके चेहरे का आकार गोल है. इस तरह का चेहरा हमेशा भरा–भरा लगता है.गोला चेहरे वाली ब्राइड्स को माथा-पट्टी को अवॉयड करना चाहिए क्योंकि इसको लगाने से आपके चेहरे की लम्बाई और कम हो जाती है जिससे आपका चेहरा और भी गोल दिखने लगता है.

आप चाहे तो शाही लुक के लिए साइड-स्वेप्ट हेयरस्टाइल के साथ पासा कैरी  कर सकती हैं. आप अपने चेहरे को लंबा दिखाने के लिए डायमंड शेप का मांग-टीका भी कैरी  कर सकती है.

गोल चेहरे वाली दुल्हनो के ऊपर चाँद मांग टीका भी बहुत सुन्दर लगेगा.इसका आकार ऐसा है की ये आपके माथे की बहुत कम जगह को कवर करता है.इसकी चेन बहुत पतली होती है और इसका मेन फोकस टिक्का होता है.

आप चाहे तो आप क्रिसेंट मांग टिक्का भी कैरी  कर सकती है. यह गोल्डन हाफ-मून डिज़ाइन पूरी तरह से गोल चेहरे के लिए ही  तैयार किया गया है.

3-चौकोर चेहरा (स्क्वायर फेस शेप)-

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अगर आपका माथा और जबड़े (jawline) एक समान है और  आपके चेहरे का आकार अनुष्का शर्मा जैसा है.इसका मतलब आपका चेहरे  चौकोर आकार का है . चौकोर चेहरे वाली ब्राइड्स मांग-टीका या माता पट्टी दोनों कैरी  कर सकती है.

चौकोर चेहरे वाली दुल्हनों के लिए झूमर एक सही विकल्प  है.यह आपके चेहरे को एलिगेंट लुक देता है.

आप चाहे तो आप एकतरफा माथा पटटी भी कैरी  कर सकती हैं ,यह शादी मे ब्राइड के लिए  बिलकुल  नया विकल्प है.यह माथे की कम से कम जगह को कवर करता है और दुल्हन की खूबसूरती में ग्रेस ऐड करता है.

4 -लंबे चेहरे के लिए

अगर आपके माथे और जबड़े (jawline)  की चौड़ाई समान है  और आपके चेहरे का आकार बॉलीवुड एक्ट्रेस कीर्ती सेनन जैसा है ,तो इसका मतलब आपका  चेहरा लंबा है. लम्बे  फेसकट वाली ब्राइड्स को  चंकी माथा पट्टी चुनना चाहिए क्योंकि ये  आपके चेहरे को थोड़ा चौड़ा दिखाने में मदद करेंगे.अगर आप मांग टीका कैरी करना चाहती हैं तो वर्टिकल टीका डिजाइन्स पहनने की गलती न करें।क्योंकि इससे आपका चेहरा और लम्बा दिखेगा.आप चाहे तो आप हाफ मून शेप या क्रिसेंट मांग टीका भी कैरी  कर सकते है.

5- दिल के आकार का चेहरा (हार्ट फेस शेप)

अगर आपके चेहरे का आकार दीपिका पादुकोण जैसा है यानी  दिल के आकार का  है तो आप अपने चेहरे के लिए delicant मांग टीका और माथा-पट्टी का चयन कर सकते हैं.ये आपके चेहरे के लिए बढ़िया विकल्प है.

आप चाहे तो आप पर्ल और स्टोन से बना  चंदेलियर पैटर्न का  मांग टिक्का भी कैरी  कर सकती है.ये आपके चौड़े माथे को कवर करके आपके फेस को लम्बा आकार देगा.

इसके अलावा आप चाहे तो बोरला मांग-टीका भी कैरी  कर सकते है.बोरला  कहे जाने वाले इस   राजस्थानी मांग टिक्का के   ग्लैमरस अंदाज ने कई बॉलीवुड फिल्मों में अपनी जगह बनाई है और वास्तव में यह आपके ब्राइडल आउटफिट को एक शाही एथनिक टच देता है.यदि आप बॉलीवुड से इंस्पायर्ड  दुल्हन हैं, तो यह आपकी फर्स्ट चॉइस हो सकती है.

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6- डायमंड फेस शेप

बॉलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर की तरह अगर आपका फेस शेप है तो आप डायमंड फेस शेप वाली हैं.इस फेस शेप वाली ब्राइड्स का फोरहैड छोटा होता है इसलिए उनपर मांगा-टीका और माथा-पट्टी की तुलना में पासा और झूमर ज्यादा अच्छे  लगेंगे.

अगर फिर भी आप माथ-पट्टी और मांग-टीका कैरी  करना चाहती है तो आप स्लिक डिजाइन चूज कर सकती है.

आप चाहे तो सिंगल लेयर पर्ल या स्टोन स्टड  माथा पट्टी ,छोटे डायमंड शेप के मांग-टीके के साथ कैरी  कर सकती है,इससे आपके माथे का बहुत कम हिस्सा कवर होगा और ये आपको बहुत ही ग्लैमरस लुक देगा.

फैमिली को डिनर में सर्व करें हल्का और टेस्टी कौर्न पुलाव

लोगों को बरसात में बाहर निकलने की बजाय घर में ही रहने का मन करता है. साथ ही खाने में हल्का और टेस्टी खाना खाने का मन करता है. इसीलिए आज हम आपको हेल्दी और टेस्टी कॉर्न पुलाव की रेसिपी बताएंगे.

हमें चाहिए…

250 ग्राम बासमती चावल

80 ग्राम अमेरिकन कौर्न के दाने

2 टी स्पून औलिव औयल

1 प्याज

1 टी स्पून अदरक लहसुन का पेस्ट

1 टी स्पून नमक

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4 हरी मिर्च

5 ग्राम जीरा

1 तेजपत्ता

1/2 टी स्पून काली मिर्च

8 लौंग

2 कप गर्म पानी

3 टेबल स्पून हरा धनिया, टुकड़ों में कटा हुआ

2 टेबल स्पून नींबू का रस

शिमला मिर्च , टुकड़ों में कटा हुआ

नारियल, कद्दूकस

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बनाने का तरीका

-सबसे पहले बासमती चावल को धोकर 15 से 20 मिनट के लिए पानी में भिगो दीजिये.

-अब नारियल में हरा धनिया, हरी मिर्च डालकर पीसकर एक पेस्ट बना लिजिएं.

-अब एक पैन लेकर इसमें औलिव औयल डालें.

-फिर जब तेल गर्म हो जाएं तब इसमें लौंग, जीरा, कालीमिर्च, तेजपत्ता, लम्बाई में कटी हरी मिर्च, प्याज, नारियल पेस्ट और अदरक लहसुन का पेस्ट डालें.

-अब इसे अच्छे से भून लें और फिर इसमें कौर्न के दाने डालें.

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-अब चावल का पानी निकालकर इन्हें पैन में डालकर लगातार चलाएं.

-फिर इसमें गर्म पानी और थोड़ा सा नमक डालकर 15 मिनट के लिए पका लें.

-फिर जब चावल 3/4 तक पक जाए तब इसमें नींबू का रस डालें.

– अब इसे कददूकस किए हुए नारियल, भुनी हुई पीली शिमला मिर्च और हरे धनिए से गार्निश कीजिए.

-आखिर में इसे खीरे के रायते के साथ सर्व करें.

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गुस्सैल युवाओं में कैसा असर दिखा रहा है कोविड-19

क्या युवाओं को बाकी लोगों से ज्यादा गुस्सा आता है? इस सवाल का जवाब है- जी, हां! बहुत ज्यादा आता है. दुनिया में रोड रेज के जितने मामले सामने आते हैं, चलती फिरती जितनी भी मार कुटाइयां होती हैं, उनमें 90 फीसदी से ज्यादा में युवाओं की भागीदारी होती है. शायद इसीलिए कहा जाता है कि युवाओं के नाक पर गुस्सा रखा होता है. लेकिन पहली बात तो यह कि यह बात सिर्फ युवकों पर ही लागू होती है, युवतियों पर नहीं. दूसरी बात यह कि सभी युवक बहुत गुस्सैल नहीं होते. कुछ में ही गुस्सा नाक पर रखा होता है, जिसकी वजह होती है उनमें टेस्टोस्टोरोन हार्मोन का ज्यादा होना. अब सवाल है हम इन गुस्सैल युवाओं के बारे में बात क्यों कर रहे हैं? क्योंकि कोविड-19 जैसी महामारी में भी इस गुस्से की एक खास किस्म की नकारात्मक भूमिका देखी गई है.

जाॅन हाॅपकिंस यूनिवर्सिटी का आंकलन है कि कोविड-19 के चलते पूरी दुनिया में हुए लाॅकडाउन के दौरान गुस्सैल लोग ज्यादा मानसिक बीमारियों और तनाव का शिकार हुए हैं. मरने वालों में भी उन लोगों की ही तादाद ज्यादा है, जो पहले से ही मानसिक बीमारियों से ग्रस्त थे या कि तनाव के मरीज थे. इसलिए कोविड-19 के साइड इफेक्ट गुस्सैल युवाओं पर ज्यादा देखे गये हैं. माना जा रहा है कि कोविड-19 के चलते जिन लोगों की नौकरी सबसे पहले छूटी है, उसमें बड़ी संख्या गुस्सैल युवकों की है. लेकिन हमें यह समझना होगा कि यह तात्कालिक समस्या नहीं है. कुछ युवकों को बाकियों के मुकाबले ज्यादा गुस्सा आता ही है जिसके जैविक कारण होते हैं यानी पूरी तरह से इसके लिए मेल बायोलाॅजी जिम्मेदार है.

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दरअसल कुछ युवकों में टेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन्स की अधिकता होती है. जिन युवकों में ये हार्मोन औसत से ज्यादा होता है, वे ज्यादा गुस्सैल और झगड़ालू होते हैं. जिन युवाओं में इसका स्तर कम होता है, वे कम गुस्सैल और झगड़ालू होते हैं. टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर सबसे अधिक 19 से 30 वर्ष के युवाओं में होता है. इसी उम्र के युवा सबसे ज्यादा लड़ते-झगड़ते हैं. चूंकि महिलाओं में यह न के बराबर होता है, इसलिए इसी उम्र की महिलाएं लड़ाई झगड़े से दूर रहती हैं. इस हार्मोन की उपस्थिति से पुरुषों में आपस में प्रतिस्पर्धा का भाव जन्म लेता है, जो एक अवस्था पर पहुंचने के बाद झगड़े या दुश्मनी में बदल जाता है.

पुरुषों में सहनशक्ति का कम होना भी इसी रसायन के कारण होता है. लेकिन इन दिनों इसका जो सबसे खतरनाक असर देखा गया है, वह यह है कि जिन युवाओं में यह हार्मोन ज्यादा था, लाॅकडाउन में उन्हें बाकियों के मुकाबले ज्यादा बेचैनी हुई है. इन युवाओं का घरों में झगड़ा भी ज्यादा हुआ है और सबसे खतरनाक असर तो यह कि इस लाॅकडाउन के दौरान बड़े पैमाने पर जो ब्रेकअप हुए हैं, उनमें सबसे ज्यादा संख्या ऐसे ही युवाओं की है, जिनमें टेस्टोस्टोरोन हार्मोन्स की मात्रा ज्यादा थी.

बहरहाल ये समस्या नई नहीं है. मैलकाॅम पाॅट्स ने अपनी पुस्तक ‘सेक्स एंड वारः हाऊ बायोलाॅजी एक्सप्लेंस वार एंड आॅफर्स ए पाथ आॅफ पीस’ में टेस्टोस्टेरोन माॅलीक्यूल को ही बड़े-बड़े जनसमुदाय के विनाश का कारण बताया है. पाॅट्स, कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी में पाॅपुलेशन और फैमिली प्लानिंग के प्रोफेसर रहे हैं. उन्होंने इस तथ्य की खोज उस समय की थी, जब एक स्पेनी मनोविज्ञानी और यूनेस्को के एंथ्रोपोलोजिस्ट ने बयान दिया था कि यह तर्क वैज्ञानिक रूप से गलत है कि इंसान को युद्ध करने के गुण पूर्वजों से मिले होते हैं, जो कि एक समय में जानवर थे. पाॅट्स कहते हैं कि यह बात सही है कि पुरुष एक शांत जीव नहीं है. यह प्राणी बहुत कम समय में ही खतरनाक रूप धारण कर सकता है. आदिकाल में युद्धों के दौरान जो भी नरसंहार या बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ बलात्कार होते थे, उसकी वजह कोई एक संस्कृति या सभ्यता नहीं थी बल्कि यह सब कुछ टेस्टोस्टेरोन माॅलीक्यूल के कारण होता रहा है.

पाॅट्स की बात को सही साबित करने के लिए भारतीय पौराणिक ग्रंथ महाभारत का उदाहरण दिया जा सकता है. पाॅट्स के अनुसार यह रसायन 19 से 30 वर्ष में पुरुषों में ज्यादा सक्रिय रहता है. यही कारण था कि महाभारत के युद्ध में शामिल सभी बुजुर्ग योद्धा उतने जोश से नहीं लड़ते थे. लड़ाई को लेकर सबसे ज्यादा उत्साह युवाओं में ही दिखता था. इस युद्ध में जिस वीरता का परिचय सबसे कम आयु के अभिमन्यु ने दिया था, उसके आगे तो अर्जुन भी फीके पड़ गए थे. युवा अभिमन्यु में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर सबसे ज्यादा था, जिसके कारण उनमें युद्ध को लेकर एक अलग ही जोश था. मानव की जन्म प्रक्रिया पर लंबे समय से अध्ययन कर रहीं एन गिब्सन की बीबीसी में छपी एक राय के मुताबिक, ‘यह बात बिल्कुल सही है कि इंसान में दया और अच्छाई जैसे गुण भी हार्मोन्स और जीन के करण ही होते हैं; लेकिन इसी के साथ इसमें भी कुछ गलत नहीं है कि कई सदियों से ही इंसान खून-खराबा, मारपीट, यहां तक की अपनी ही प्रजाति को भोजन भी बनाता रहा है यानी अच्छाई के साथ उसमें बुराई के गुण भी शुरूआती दौर से थे.’
वास्तव में इस तमाम गुस्से के पीछे कोई विचारधारा नहीं बल्कि रसायनिक उत्प्रेरणा होती है.

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हमने यह अकसर ही देखा है कि किसी खतरनाक गतिविधि में युवा ही शामिल होते हैं, इसके पीछे वजह होती है उनके शरीर में मौजूद जेंडर हार्मोंस का उच्चतम स्तर. हैरानी की बात यह है कि हार्मोंस का यह स्तर अलग-अलग समाज के लोगों में भिन्न-भिन्न होता है. पाटॅ्स के इस शोध से यह तो साबित होता है कि पुराने समय में हुए युद्ध का कारण मनोविज्ञान नहीं बल्कि जीवविज्ञान रहा है; लेकिन आधुनिक युग में इस शोध का उतना महत्व नहीं है. आज के समय में युद्ध की परिभाषा काफी बदल चुकी है. अब लोग जज्बातों से कम और दिमाग से ज्यादा सोचते हैं. ऐसी स्थिति में लड़ाई भी दिमाग से ही लड़ी जाती है. शरीर में टेस्टोस्टेरोन माॅलीक्यूल का आज के समय में एक ही नुकसान नजर आता है. वह है युवा पीढ़ी में बढ़ते गुस्से के चलते उनका तनाव में घिर जाना, मानसिक बीमारियों की चपेट में आ जाना और अपने गुस्सैल स्वभाव के कारण कॅरियर को चैपट कर लेना. कोविड-19 के दौरान यह इसलिए भी ज्यादा खतरनाक बनकर उभरा है क्योंकि एक साथ इसके सारे खतरे नतीजे के रूप में सामने आ गये हैं.

जो युवक ज्यादा गुस्सैल थे, उनमें इम्यून की कमी के कारण कोविड-19 के संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा बना. इसी हार्मोन के चलते अपने गुस्से के कारण वे दफ्तरों में छंटनी का पहले शिकार हुए और इसी हार्मोन के चलते अपने गुस्से को काबू न कर पाने के कारण इस दौरान सबसे ज्यादा उनके ब्रेकअप हुए. कहने का मतलब ये है कि टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के जितने ज्यादा नुकसान हो सकते थे, वे सब इस समय एक साथ घटित हो गये हैं. ऐसे में मेडिकल वैज्ञानिकों के सामने यह नये सिरे से चुनौती है कि वे गुस्से को काबू में करने का सबसे कारगर उपाय ढूंढ़ें.

शादी करें, न करें, कब करें

युवामन शादी शब्द से मचल उठता है. कहते हैं न, जो शादी करे वह पछताए, जो न करे वह भी पछताए. तकरीबन हरेक सोचता है कि जब पछताना ही है तो क्यों न कर के ही पछताए. ऐसे में कोई शादी करे, तो कब करे, किस उम्र में करे, या कि करे ही न.

शादी करना, न करना, हर किसी का निजी फैसला हो सकता है. भारत में यों तो 18 साल की लड़की और 21 साल के लड़के को कानूनीतौर पर शादी करने का हक है, लेकिन आजकल हर कोई शादी से पहले अपनी जिंदगी को सैटल करना चाहता है. बाल विवाह रोकथाम क़ानून 2006 के तहत, इस से कम उम्र में शादी करना ग़ैरक़ानूनी है, जिस के लिए 2 साल की सज़ा और एक लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है. हालांकि, आज की गलाकाट प्रतियोगिता को देखते हुए इस उम्र में शादी करना टेढ़ी खीर दिखता है.

वहीँ, यह बता दें कि सरकार लड़कियों के लिए उम्र की इस सीमा को बढ़ाने पर विचार कर रही है. सांसद जया जेटली की अध्यक्षता में 10 सदस्यों के टास्क फ़ोर्स का गठन किया गया है, जो इस पर अपने सुझाव जल्द ही नीति आयोग को देगी. यह भी जान लें कि दुनिया के ज़्यादातर देशों में लड़के और लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है.

कैरियर या शादी :

हरेक के सामने शादी करने का सवाल कभी न कभी आता ही है. आजकल की भागती जिंदगी और कैरियर की आपाधापी में यह सवाल और भी अहम हो गया है कि शादी करने की उम्र क्या हो.

शादी करने की सरकारी और कानूनी उम्र के इतर हमारे देश में आमतौर पर 20 से 25 साल की उम्र को शादी करने के लिए सही समझा जाता है. बदलती सोच के मद्देनजर कुछ लोग 25 से 30 साल की उम्र को सही उम्र बताने लगे हैं. वहीँ, 27 साल के बृजेश का कहना है कि अब पैमाना कुछ और हो गया है. वे कहते हैं कि लोग सोचते हैं कि 32 से 35 साल के बीच शादी कर लेंगे. दरअसल, 20 से 30 साल की उम्र में तो इंसान अपने कैरियर को सैट करने में ही लगा रहता है, तब शादी के लिए सोच पाना उस के लिए मुश्किल होता है.

सोचने का तरीका सब का अलग होता है. एक प्राइवेट फर्म में जौब करने वाले सिबेस्टीन का कहना है कि कैरियर की महत्त्वाकांक्षा खत्म नहीं होती. ऐसे में शादी के लिए सही उम्र वही है, जब इंसान मानसिकरूप से उस के लिए तैयार हो. वे कहते हैं, “समाज ने या फिर आप के पेरैंट्स ने शादी के लिए क्या उम्र तय कर रखी है, इस से कोई मतलब नहीं. बात यह है कि जब तक कोई मानसिकरूप से इस के लिए तैयार न हो, शादी नहीं करनी चाहिए.”

अपनी सोच के मुताबिक बिन्देश्वर कुमार, जो एक कालेज में लैक्चरर हैं, ने 34 साल की उम्र में शादी की. अब उन की एक बेटी है और खुशहाल छोटा सा परिवार है लेकिन वे मानते हैं कि देर से शादी करने में कभीकभी वह नहीं मिल पाता जो शायद आप ने सोचा होता है. वे कहते हैं, “कई बार अच्छे विकल्प मिल जाते हैं, तो कई बार ठीकठाक विकल्प भी मिलना मुश्किल हो जाता है. मेरे कई दोस्त हैं, महिला भी और पुरुष भी, जिन्हें अब सही मैच नहीं मिल पा रहा है.

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ज़रूरत नए नज़रिए की :

नई पीढ़ी कुछ भी सोचे, लेकिन भारत इस मामले में थोड़ा अलग है. यहां वक्त से शादी न हो, तो लोग बातें बनाने लग जाते हैं. ऐसे में मातापिता कितनी भी नई सोच के और व्यावहारिक हों, उन्हें आखिरकार रहना तो समाज में ही है. मुंबई में एक मल्टीनैशनल कंपनी में मैनेजर के पद पर काम कर रहे अनीस अहमद कहते हैं, “जब भी औफिस से घर जाते हैं तो लगता है कि कहीं आज फिर शादी को ले कर नई टैंशन न खड़ी हो. इस से घर के सुकून में खलल पड़ता है. साथ ही, मातपिता की सेहत पर असर भी पड़ता है. उन्हें चिंता रहती है कि बच्चों की शादी नहीं हो रही है. गाहेबगाहे उन्हें लोगों की बातें सुनने को मिलती हैं.”  इस तरह शादी लायक उम्र होने के बाद इंसान पर शादी के लिए भावनात्मक रूप से भी काफी दबाव होता है.

औप्शन शादी का : 

देर से शादी करने में आगे कई दिक्कतें आ सकती हैं, खासकर, परिवार बढ़ाने के सिलसिले में कुछ परेशानियां आ सकती हैं. हालांकि, मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि मैडिकल साइंस के विकास के साथ अब ऐसी आशंकाएं बहुत कम हो गई हैं. वैसे, शादी की बहस के बीच आजकल एक और चलन परवान चढ़ रहा है, वह है ‘लिवइन रिलेशनशिप’ का. यानी, शादी से पहले साथसाथ रहना. बृजेश जैसे जवानों का इस चलन में चाहे ज्यादा विश्वास न हो, लेकिन यह उसी माहौल में हो रहा है जिस का वे भी हिस्सा हैं.

बृजेश कहते हैं, “शहरों में ऐसे युवाओं की संख्या बढ़ रही है जिन्हें लिवइन रिलेशनशिप का चलन पसंद आ रहा है. न सिर्फ यह ट्रैंडी है, बल्कि शादी जैसी बाध्यता भी इस में नहीं है. लेकिन, भारतीय समाज में इस की स्वीकार्यता एक बड़ा मुद्दा है.” लिवइन रिलेशन, दरअसल, शादी का एक प्रारूप जैसा है जिस में शादी सा बंधन नहीं बल्कि गठबंधन होता है जिसे कोई पार्टनर जब चाहे तोड़ दे.

एज औफ़ कन्सेंट :

अचानक से किसी के साथ शारीरिक संबंध बन जाने को कैजुअल सैक्स कहा जाता है. ज़ाहिर है इस में दोनों पार्टनरों की सहमति और पसंद होती है. भारत में ‘एज औफ़ कन्सेंट’, यानी यौन संबंध बनाने के लिए सहमति, की उम्र 18 साल है. शादी से पहले यौन संबंध क़ानूनी तो है, लेकिन समाज ने इसे अभी अपनाया नहीं है.

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बहरहाल, शादी की सही उम्र को ले कर जो बात उभर कर सामने आती है, वह यह है कि कैरियर और निजी जिंदगी में एक बैलेंस होना बेहद जरूरी है. हर इंसान अपनी हालत के मुताबिक तय कर सकता है कि उसे शादी करनी है तो करनी कब चाहिए या फिर लिवइन रिलेशन में रहना चाहिए जिस से कोई पार्टनर जब चाहे आज़ाद हो जाए.

3 औफिस मेकअप ट्रिक्स

आज के जमाने में ब्यूटी केवल ग्लैमरस महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि हर स्त्री के लिए एक जरूरत बन गई है. हर स्त्री सुंदर दिखना चाहती है, अपनी बैस्ट इमेज सामने रखना चाहती है. सुंदर दिखना हम में एक पावर की भावना जगाता है. वर्किंग वूमन के लिए खूबसूरत दिखना और भी आवश्यक हो जाता है, क्योंकि वह बाहर की दुनिया में कदम रखती है.

हर स्त्री जानती है कि सुंदरता में चार चांद लगाता है सही मेकअप. बिना मेकअप के औफिस में जाने से आप की गलत छवि बन सकती है कि आप ढंग से तैयार हो कर नहीं आतीं.

अगर आप को मेकअप का शौक है या आप की कोई खास मीटिंग या प्रेजैंटेशन है तो आप का तैयार होना बनता है, साथ ही औफिस में आप वैसा मेकअप भी नहीं कर सकतीं जैसा एक पार्टी या शादी में करती हैं. आइए, सीखते हैं कई तरह के मेकअप, जिन्हें आप औफिस में कर सकती हैं.

नैचुरल मेकअप लुक

रोज औफिस जाते हुए अकसर महिलाएं एक नैचुरल लुक रखना पसंद करती हैं जहां मेकअप थोपा हुआ न लगे. इसे हम न्यूड मेकअप भी कह सकते हैं. कौरपोरेट वर्कप्लेस के लिए यह उत्तम रहता है. वैसे भी सुबह सभी काम निबटाने की जल्दी में आप को जरूरत होती है फटाफट मेकअप की क्योंकि ऐसे में मेकअप करने के लिए कम समय मिलता है. सब से पहले अपने चेहरे को अच्छी तरह मौइस्चराइज कर लें. साफ चेहरे पर मौइस्चराइजर लगा कर करीब 10 सैकंड हलके हाथ से मसाज करें. रोजाना फाउंडेशन लगाने की जरूरत नहीं, यह औफिस पार्टी के लिए ठीक है.

रोज के लिए बीबी क्रीम काफी रहेगी. ध्यान रहे क्रीम का शेड आप की स्किन टोन से मैच करना चाहिए. डौटडौट कर के चेहरे पर लगाएं और गीले स्पंज से चेहरे पर फैला लें. आंखों के नीचे कंसीलर के हलके स्ट्रोक लगा कर उंगलियों से डैब करें. इसे उंगलियों से आंखों की कोरों और नाक के आसपास भी फैला लें. चेहरे पर जहां भी पिगमैंटेशन हो वहां भी लगा लें ताकि सारे दाग छिप जाएं. इस के ऊपर कौंपैक्ट लगा लें ताकि आप का मेकअप अच्छी तरह सैट हो जाए और सारा दिन टिका रहे. कौंपैक्ट लगाने के लिए एक घने मेकअप ब्रश का प्रयोग करें. नाक के पास से गालों से होते हुए कान तक ब्रश के स्ट्रोक लगाने से चेहरे पर मेकअप एकसार हो जाएगा. एक ‘लिप ऐंड चीक टिंट क्रीम’ अपनी ड्रैसिंग टेबल पर हैंडी रखें. तैयार होते समय अपने चीक ऐपल पर पिंक टिंट वाली क्रीम लगाएं ताकि आप का रूप फ्रैश और खिला हुआ लगे.

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आंखों को रैडी करने के लिए अपनी अप्पर आईलिड पर पतला आईलाइनर और अपनी वाटरलाइन पर काजल पैंसिल लगाएं. अगर आप की पलकें बहुत हलकी हैं तो आप हलका मसकारा लगा सकती हैं.

अपने लुक को पूरा करने के लिए होंठों पर न्यूड लिपस्टिक या लिप बाम लगा सकती हैं. लिप ग्लौस लगाने से होंठ अधिक प्लंप दिखेंगे. रोज रात को सोते समय होंठों पर अच्छे ब्रैंड की लिप बाम लगाएं ताकि सुबह होंठ नर्म व गुलाबी रहें.

वार्म मेकअप लुक

न्यूट्रल वार्म मेकअप लुक आप के चेहरे के लिए अच्छा चेंज रहेगा. औफिस में आप का चेहरा सन किस्ड समान लगेगा जोकि ब्राउन, पीच, औरेंज शेड्स की ड्रैसेज के साथ बहुत फबेगा. इस लुक के लिए अपनी आइलिड्स पर प्राइमर लगा कर औरेंज या पीच कलर का आईशैडो लगाएं. अप्पर आईलैश पर चौकलेट ब्राउनशैडो अच्छा लगेगा. इसी को हलका सा लोअर लैश तक फैला लें. आईलाइनर और मसकारा लगा कर अपना लुक कंप्लीट करें.

गालों पर पीच या कोरल कलर का ब्लश लगाएं और भी समरी लुक के लिए पीच या ब्राउन लिपस्टिक लगाएं.

ग्लोइंग मेकअप लुक

कोरियन ब्यूटी से जन्मा यह लुक शीशे की तरह चमकते चेहरे को फैशन में लाया है. पहले चेहरे पर मौइस्चराइजर लगा कर अच्छी तरह हाइड्रेट करें. फिर चेहरे पर कोई चमकदार प्राइमर लगाएं. इस में लिक्विड फाउंडेशन मिक्स कर लें ताकि चेहरे को एकसा लुक मिले. इस से चेहरा शीशे की तरह चमकने लगेगा और आप की स्किन एकदम फ्रैश दिखने लगेगी. अगर आप की आंखों के नीचे काले घेरे हैं तो आप वहां कंसीलर भी लगाएं. अब कौंपैक्ट की मदद से मेकअप को सैट करें. गालों पर पिंक ब्लश से गाल भरे हुए लगेंगे और स्किन एकदम जवान लगेगी. घनी पलकों के लिए मसकारा लगाएं.

मेकअप से लुक बदलने के कुछ सीक्रेट्स

– चीकबोंस पर ब्रौंजर लगाने से आप की जौ लाइन उभरी हुई नजर आएगी. पर ब्रौंजर बहुत हलका लगाएं, औफिस में चेहरे पर अधिक कंटूरिंग अच्छी नहीं लगती.

– जिस दिन आप चुस्ती न फील कर के सुस्त हों उस दिन अपने काले काजल को सफेद काजल पैंसिल से बदल लें, जिसे लोअर वाटरलाइन पर थोड़ा थिक काला आईलाइनर लगाएं. मसकारा लगा कर आंखों को सजीव सा लुक दें.

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जिस दिन आप का मन अपनी आंखों को कुछ अलग लुक देने का करे, उस दिन आप कैट आई लुक ट्राई कर सकती हैं. अपनी आंखों पर लाइनर लगाते हुए कोरों के पास एक छोटा सा वी बनाते हुए लाइनर को आंखों के कौर्नर तक वापस ले आएं. बीच में लाइनर पैंसिल से भर लें.

– स्मोकी आई लुक के लिए अप्पर और लोअर वाटरलाइन पर पतला लाइनर लगा कर फैला लें. काला आईशैडो लगाएं. मसकारा लगाने से आप का लुक पूरा हो जाएगा.

– अपने पर्स में एक ब्राइट कलर की लिपस्टिक जरूर रखें जैसे रैड या पर्पल. यदि किसी शाम अचानक पार्टी ईवनिंग आउट का प्रोग्राम बन जाए तो इस लिपस्टिक से चेहरे को ब्राइट चेंज दे डालें.

हाइलाइटर लगाते समय

जब कभी औफिस में कोई खास मीटिंग या पार्टी हो तो हाइलाइटर का प्रयोग कर सकती हैं. इस से चेहरे पर अलग ही आभा उभर कर आती है. हाइलाइटर की कुछ ड्रौप्स फाउंडेशन में मिक्स करें. इस से नैचुरल लुक के साथ चेहरे पर ग्लो भी आएगा. इसे लगाने का सही तरीका आप की फेस शेप के अनुसार होगा.

– अंडाकार /चौकोर/हार्ट शेप चेहरा- अपनी चीकबोंस, ब्राउ बोन, माथे के बीच और चिन पर लगाएं.

– चतुर्भुज चेहरा- माथे के बीच, नोज ब्रिज और चिन पर लगाएं.

– राउंड या डायमंड शेप- माथे के बीच, नोज टिप और चिन पर लगाएं.

औफिस में आप अपनी पसंद के अनुरूप मेकअप कर के जाएं और अपने काम के साथ अपने सौंदर्य की भी छटा बिखेरें.

माइग्रेन से जुड़े सच

आजकल हर 10 में से एक इंसान को माइग्रेन की शिकायत है. महिलाओ को माइग्रेन की समस्या पुरुषों से अधिक होती है. मनो वैज्ञानिकों के पास भी जितने भी पेशेंट्स आते हैं उनकी अधिकतर की समय माइग्रेन ही होती है. यदि आप को भी माइग्रेन की परेशानी हैं तो आपको भी सही जानकारी होना जरूरी है.

माइग्रेन से जुड़े झूठ

  1. औरा + अचानक सिर दर्द = माइग्रेन

सिर में दर्द होना माइग्रेन का सबसे कॉमन प्रकार होता है परन्तु इसके अलग प्रकार भी होते है. आपको पता होना चाहिए कि माइग्रेन वाला सिर दर्द अन्य सिर दर्दो से अलग कैसे है. ज्यादातर लोगों को सिर दर्द टेंशन व चिंता की वजह से होता है. यह सिर दर्द बहुत ही आम होते हैं.इनमें आपको दिमाग के दोनो तरफ दर्द होगा और सिर पर एक भारीपन महसूस होगा. परंतु आपको लाइट व हवा से किसी भी प्रकार का जुखाम या अन्य एलर्जी नहीं होगी. 80 प्रतिशत लोगों को ऐसा सिर दर्द साल में एक बार तो जरूर होता है.

परंतु माइग्रेन में दिमाग के केवल एक ही तरफ दर्द होता है. यह एक घंटे तक रहता है. माइग्रेन का एक प्रकार वेस्टीबुलर माइग्रेन होता है जिसमें आपको सिर में दर्द होने की बजाए ऐसे महसूस होता है जैसे आप एक नाव में हैं और आप डूबने वाले हैं.

  1. माइग्रेन अटैक विजिबल होते हैं

ऐसा माना जाता है कि माइग्रेन के लक्षण एक घंटे तक दिखाई देते हैं. यह एक विजिबल अटैक होता है परन्तु सच्चाई यह है कि केवल 20 प्रतिशत पेशेंट को ही विजिबल अटैक आते है. इनमे उनको दिखना बन्द हो जाता है, आंखों के पास झुर्रियों जैसी लाइन बन जाती हैं. माइग्रेन औरा दो प्रकार के होते हैं.

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लैंग्वेज औरा : इस प्रकार के औरा में आपको कुछ शब्द बोलने में कठिनाई महसूस होती है, या आप अलग ढ़ंग से बाते कहने लग जाते हैं या फिर आप ऐसी बाते करते हैं जिनकी कोई सेंस नहीं बनती.

मोटर औरा : इस प्रकार के औरा में एक साइड ज्यादा कमजोरी अा जाती है जैसे आपको अपने फेस की एक साइड ज्यादा भारी लगने लगेगी या फिर आप आपके एक पैर को खींचाव महसूस होगा.

  1. आपको माइग्रेन पहचानने के लिए ब्रेन स्कैन या एमआरआई की जरूरत पड़ेगी

ज्यादातर मरीजों को माइग्रेन का  पता लगाने के लिए ब्रेन स्कैन की आवश्कता नहीं पड़ती सिवाए निम्नलिखित केसेस के :

यदि आपको पहले कभी भी सिर दर्द न हुए हो और अब 50 या 60 की उम्र में आपको अचानक सिर दर्द होने लग जाए. यदि आपको माइग्रेन के कुछ ऐसे लक्षण दिखने लग जाए जो पहले कभी ना दिखे हो. बच्चो के लिए ब्रेन स्कैन करने की आवश्यकता होती है क्योंकि उनको ठीक ढंग से लक्षण नहीं पता होते.

  1. सिर दर्द को ठीक करने के लिए बहुत ही कम दवाई के डोज का प्रयोग करें

बहुत से लोग सोचते हैं कि कम दवाई लेने से वह ठीक भी हो जाएंगे और उनको कोई नुक़सान भी नहीं पहुंचेगा. परंतु माइग्रेन में ऐसा नहीं है आपको माइग्रेन को ठीक करने के लिए दवाइयों का उतना ही डोज लेना पड़ेगा जितना कि डॉक्टर आपको बताते हैं. आपको माइग्रेन कि समय समय पर पूरी डोज लेनी पड़ेगी तब ही आप इसको ठीक कर पाएंगे. यदि आप ऐसे सोचेंगे की थोड़ी दवाई लेने से आपका माइग्रेन ठीक हो जाएगा तो शायद आप गलत हो सकते है.

माइग्रेन से जुड़े सच

  1. माइग्रेन से बचाव करें : माइग्रेन को ठीक करने का सबसे उत्तम तरीका यही है कि आपको यह बीमारी हो ही ना. आपको अपने स्वास्थ्य का अच्छे से ख्याल रखना होगा. यदि आप सोते कम हैं और आप स्ट्रेस ज्यादा लेते हैं और जंक फूड ज्यादा खाते हैं तो आपको माइग्रेन होने के ज्यादा चांस है. इसलिए अपने स्वास्थ्य का खयाल रखें.
  2. आप दवाइयों के बिना भी माइग्रेन को ठीक कर सकते हैं : कुछ विटामिन्स व मिनरल्स जैसे विटामिन – बी2 आदि माइग्रेन को खतम करने में काफी असरदार रहते है. एक्युपंचर के द्वारा भी आपको माइग्रेन से छुटकारा मिल सकता है. योगा, एक्सरसाइज व खुद को रिलैक्स करने से भी आपका माइग्रेन ठीक हो सकता है.

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  1. अपने सिर दर्द की एक डायरी बना ले : एक डायरी में जब भी आपको सिर दर्द होता है उसका रिकॉर्ड बना कर रखें. इससे आपको यह जानने में मदद मिलेगी की आप को पिछला माइग्रेन कब आया था और आप उसको हल्के में नहीं लेंगे. यह आपको यह जानने में भी मदद करेगा कि आप जो दवाइयां खा रहे हैं वह कितना असर कर रही है.

Serial Story: नादान दिल (भाग-1)

जबसे ईशा यहां आई थी उस ने जी भर कर चिनार के पेड़ देख लिए थे. उन की खुशबू को करीब से महसूस किया था. उसे बहुत भाते थे चिनार के पत्ते. जहां भी जाती 1 अपनी डायरी में रखने के लिए ले आती. बहुत ही दिलकश वादियां थीं. उस ने आंखों ही आंखों में कुदरत की मनमोहक ठंडक अपने अंदर समेटनी चाही.

‘‘ईशा…’’ अपना नाम सुन कर उस की तंद्रा भंग हुई और फिर छोटी सी पगडंडी से कूदतीफांदती होटल के सामने की सड़क पर आ गई.

‘‘बहुत देर हो गई है… अब चला जाए,’’ पास आती शर्मीला ने कहा, ‘‘सुबह पहलगाम के लिए जल्दी निकलना है. थोड़ा आराम कर लेंगे.’’

‘‘ईशा भाभी तो यहां आ कर एकदम बच्ची बन गई हैं, मैं ने अभी देखा पहाड़ी में दौड़ती फिर रही थीं,’’ विरेन भाई ने चुटकी ली.

ईशा झेंप गई. वह खुद में इतनी गुम थी कि पति परेश और उस के दोस्तों की मौजूदगी ही भूल गई थी. इन हसीन वादियों ने उस के पैरों में जैसे पंख लगा दिए थे. ईशा ने कश्मीर की खूबसूरती के बारे में बहुत पढ़ा और सुना था. अकसर फिल्मों में लव सौंग गाते हीरोहीरोइन के पीछे दिखती बर्फ से ढकी पहाडि़यों पर उस की नजरें ठहर जाती थीं और फिर रोमानी खयालात मचल उठते.

कभी सोचा नहीं था कि गुजरात से इतनी दूर यहां घूमने आएगी और इन वादियों में आजाद पंछी की तरह उड़ती फिरेगी. उस ने खुद को एक अरसे बाद इतना खुश पाया था. वे लोग देर तक बस घूम ही रहे थे. अब अंधेरा गहराने लगा तो वापस होटल चल पड़े. शाम से ही पहाड़ों पर हलकी बारिश होने लगी थी. ठंड कुछ और बढ़ गई थी. होटल के अपने नर्म बिस्तर पर करवटें बदलती ईशा की नींद आंखमिचौली खेल रही थी. बगल में सोया परेश गहरी नींद में डूबा था. रात काफी बीत चुकी थी. उस ने एक बार फिर घड़ी पर नजर डाली. वक्त जैसे कट ही नहीं रहा था. हैरत की बात थी कि दिन भर घूमने के बाद भी थकान का नामोनिशान न था.

खयालों का काफिला गुजरता जा रहा था कि एकाएक 2 नीली आंखें जैसे सामने आ गईं. झील सा नीला रंग लिए रशीद की आंखें… वह  2 दिनों से उन लोगों का ड्राइवर एवं गाडड बना था. जिस दिन वे लोग होटल पहुंचे थे, परेश ने घूमने के लिए रशीद की ही गाड़ी बुक कराई थी. किसी विदेशी मौडल सा दिखने वाला गोराचिट्टा रशीद स्वभाव से भी बड़ा मीठा था. उस के बारे में एक और बात उन लोगों को पसंद आई कि वह कहीं पास ही रहता था. वे जब भी बुलाते तुरंत हाजिर हो जाता.

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2 दिनों में ही रशीद ने उन्हें करीब हर घूमने लायक जगह दिखा दी थी. ईशा रशीद से उन जगहों के बारे में बहुत सी बातें पूछती और पूरी जानकारी अपनी डायरी में लिख लेती. ईशा को डायरी लिखने का शौक था. उस के हर अच्छेबुरे अनुभव की साक्षी थी उस की डायरी. बाकी लोग अपने काम से काम रखने वाले थे, मगर ईशा के बातूनीपन की वजह से रशीद और ईशा के बीच खूब बातें होतीं और लगभग एक ही उम्र के होने की वजह से बहुत सी बातों में दोनों की पसंद भी मिलती थी. अकसर ड्राइवर के ठीक पीछे वाली सीट पर बैठी ईशा जब कभी अचानक सामने देखती, शीशे में उस की और रशीद की नजरें टकरा जातीं. झेंप कर ईशा नजरें झुका लेती. रशीद भी थोड़ा शरमा जाता. उस के साथ हुई बातों से ईशा को पता चला कि वह पढ़ालिखा है और किसी बेहतर काम की तलाश में है. छोटी बहन की शादी की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर थी, जिस के लिए उसे पैसों की जरूरत थी. उस की सादगी भरी बातों से ईशा के दिल में उस के प्रति हमदर्दी पैदा हो गई थी, जिस में दोस्ती की महक भी शामिल थी.

अहमदाबाद के रहने वाले परेश और ईशा की शादी को कम ही अरसा हुआ था. मरजी के खिलाफ हुई इस शादी से ईशा खुश नहीं थी. पारंपरिक विचारों वाले परिवार में पलीबढ़ी ईशा अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहती थी. मगर जब मैनेजमैंट की पढ़ाई के बीच ही घर वालों ने एक खातेपीते व्यापारी परिवार के लड़के परेश से रिश्ता तय कर दिया तो ईशा के कुछ कर दिखाने के सपने अधूरे ही रह गए.

वह किसी बड़ी नौकरी में अपनी काबिलीयत साबित करना चाहती थी. बहुत झगड़ी थी घर वालों से पर पिता ने बीमार होने का जो जबरदस्त नाटक खेला था उस दबाव में आ कर ईशा ने हथियार डाल दिए थे. ऊपर से मां ने भी पिता का ही साथ दिया. ईशा को समझाया कि उसे कौन सी नौकरी करनी है. व्यापारी परिवार की बहुएं तो बस घर संभालती हैं.

शादी के बाद पति परेश के स्वभाव का विरोधाभास भी दोनों के बीच की दीवार बना. दोनों मन से जुड़ ही नहीं पाए थे. एक फासला हमेशा बरकरार रहता जिसे न कभी ईशा भर पाई न ही परेश. जिस मलाल को ले कर ईशा का मन आहत था, परेश ने कभी उस पर प्यार का मरहम तक लगाने की कोशिश नहीं की. घर का इकलौता बेटा परेश अपने पिता के साथ खानदानी कारोबार में व्यस्त रहता. सुबह का निकला देर रात ही घर लौटता था.

एक बंधेबंधाए ढर्रे पर जिंदगी बिताते परेश और ईशा नदी के 2 किनारों जैसे थे, जो साथ चलते तो हैं, मगर कभी एक नहीं हो पाते. ईशा पैसे की अहमियत समझती थी, मगर जिंदगी के लिए सिर्फ पैसा ही तो सब कुछ नहीं होता. परेश उस के लिए वक्त निकालने की कोई जरूरत तक नहीं समझता था. यह और बात थी कि दोनों हमबिस्तर होते, मगर वह मिलन सूखी रेत पर पानी की बूंदों जैसा होता, जो ऊपर ही ऊपर सूख जाता अंदर तक भिगोता ही नहीं था.

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चुलबुली और बातूनी ईशा शादी के बाद उत्साहहीन रहने लगी. आम पतियों की तरह परेश उस पर जबतब रोब नहीं गांठता था. दोनों के बीच कोई खटास या मनमुटाव भी नहीं था, मगर वह कशिश भी नहीं थी, जो 2 दिलों को एकदूजे के लिए धड़काती है.  विरेन और परेश की दोस्ती पुरानी थी. विरेन को दोस्त का हाल खूब पता था. विरेन ने एक दिन परेश को सुझाव दिया कि ईशा के साथ कुछ वक्त अकेले में बिताने के लिए दोनों को घर से कहीं दूर घूम आना चाहिए.

आगे पढ़ें- शादी के बाद कुछ कारोबारी जिम्मेदारियों के चलते दोनों…

Serial Story: नादान दिल (भाग-2)

ईशा जानती थी कि विरेन भाई उन के हितैषी हैं, मगर परेशानी यह थी कि परेश के मन की थाह ईशा अभी तक नहीं लगा पाई थी. परेश उस से कितना तटस्थ रहता पर ईशा कोई कदम नहीं उठाती उस दूरी को मिटाने के लिए. अपने घर वालों की मनमरजी का बदला एक तरह से वह अपनी शादी से ले रही थी. यह बात उस के मन में घर कर गई थी कि कहीं न कहीं परेश भी उतना ही दोषी है जितने ईशा के मांबाप. वह सब को दिखा देना चाहती थी कि वह इस जबरदस्ती थोपे गए रिश्ते से खुश नहीं है.

शादी के बाद कुछ कारोबारी जिम्मेदारियों के चलते दोनों कहीं नहीं जा पाए थे और ईशा ने भी कभी कहीं जाने की उत्सुकता नहीं दिखाई. इस तरह से उन का हनीमून कभी हुआ ही नहीं. अब जब अकेले घूम आने की चर्चा हुई तो ईशा को लग रहा था कि परेश और वह एकदूसरे के साथ से जल्दी ऊब जाएंगे. अत: उस ने विरेन और उस की पत्नी शर्मीला को साथ चलने को कहा. सब ने मिल कर जगह का चुनाव किया और कश्मीर आ गए.  रात के अंधेरे में हाउस बोटों की रोशनी जब पानी पर पड़ती तो किसी नगीने सी

झिलमिलाती झील और भी खूबसूरत लगती. ईशा पानी में बनतीमिटती रंगीन रोशनी को घंटों निहारती रही. कदमकदम पर अपना हुस्न बिछाए बैठी कुदरत ने उस के दिल के तार झनझना दिए. उस का मन किया कि परेश उस के करीब आए, उस से अपने दिल की बात करे. अपने अंह को कुचल कर वह खुद पहल नहीं करना चाहती थी. उन के पास बेशुमार मौके थे इन खूबसूरत नजारों में एकदूसरे के करीब आने के बशर्ते परेश भी यही महसूस करता. शर्मीला और ईशा दोस्त जरूर थीं, मगर दोस्ती उतनी गहरी भी नहीं थी कि ईशा उस से अपना दुखड़ा रोती. ऐसे में वह खुद को और भी तनहा महसूस करती.

बहुत देर तक यों ही अकेले बैठी ईशा का मन ऊब गया तो वह कमरे में आ गई. परेश वहां नहीं था. शायद जाम का दौर अभी और चलेगा. उस ने उकता कर एक किताब खोली, पर फिर झल्ला कर उसे भी बंद कर दिया.

‘चलो शर्मीला से गप्पें लड़ाई जाएं’ उस ने सोचा. शर्मीला और विरेन का कमरा बगल में ही था. कमरे के पास पहुंच कर उस ने दरवाजे पर दस्तक दी. कुछ देर इंतजार के बाद कोई जवाब न पा कर उलटे पैर लौट आई अपने कमरे में और बत्ती बुझा कर उस तनहाई के अंधेरे में बिस्तर पर निढाल हो गई. आंसुओं की गरम बूंदें तकिया भिगोने लगीं. नींद आज भी खफा थी.

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दूसरे दिन सुबह जल्दी उठ कर सब घूमने निकल गए. रशीद हमेशा की तरह समय पर आ गया था. रास्ता पैदल चढ़ाई का था. पहाड़ी रास्तों को तेज कदमों से लांघतीफांदती ईशा जब ऊपर चोटी पर पहुंच कर किसी उत्साही बच्चे की तरह विजयी भाव से खिलखिलाने लगी तो रशीद ने उसे पानी की बोतल थमाई. ईशा ने ढलान की ओर देखा सब कछुए की चाल से आ रहे थे. घने जंगल से घिरी छोटी सी यह घाटी बहुत लुभावनी लग रही थी. ‘‘आप तो बहुत तेज चलती हैं मैडमजी,’’ रशीद हैरान था उसे देख कर कि शहर की यह कमसिन लड़की कैसे इन पहाड़ी रास्तों पर इतनी तेजी से चल रही है. ईशा ने अपनी दोनों बांहें हवा में लहरा दीं और फिर आंखें बंद कर के एक गहरी सांस ली. ताजा हवा में देवदार और चीड़ के पेड़ों की खुशबू बसी थी.

‘‘रशीद तुम कितनी खूबसूरत जगह रहते हो,’’ ईशा मुग्ध स्वर में बोली. रशीद ने उस पर एक मुसकराहट भरी नजर फेंकी. आज से पहले किसी टूरिस्ट ने उस से इतनी घुलमिल कर बातें नहीं की थीं. ईशा के सवाल कभी थमते नहीं थे और रशीद को भी उस से बातें करना अच्छा लगता था.

अब तक बाकी लोग भी ऊपर आ चुके थे. उस सीधी चढ़ाई से परेश, विरेन और शर्मीला बुरी तरह हांफने लगे थे. थका सा परेश एक बड़े पत्थर पर बैठ गया तो ईशा को न जाने क्यों हंसी आ गई. काम में उलझा परेश खुद को चुस्त रखने के लिए कुछ नहीं करता था. विरेन कैमरा संभाल सब के फोटो खींचने लगा. वे लोग अभी मौसम का लुत्फ ले ही रहे थे कि एकाएक आसमान में बादल घिर आए और देखते ही देखते चमकती धूप में भी झमाझम बारिश शुरू हो गई. जिसे जहां जगह दिखी वहीं दौड़ पड़ा बारिश से बचने के लिए. बारीश ने बहुत देर तक रुकने का नाम नहीं लिया तो उन लोगों ने घोड़े

किराए पर ले लिए होटल लौटने के लिए. पहली बार घोड़े पर बैठी ईशा बहुत घबरा रही थी. बारिश के कारण रास्ता बेहद फिसलन भरा हो गया था. बाकी घोड़े न जाने कब उस बारिश में आंखों से ओझल हो गए. रशीद ईशा के घोड़े की लगाम पकड़े साथ चल रहा था. ईशा का डर दूर करने के लिए वह घोड़े को धीमी रफ्तार से ले जा रहा था.

‘‘और धीरे चलो रशीद वरना मैं गिर जाऊंगी,’’ ईशा को डर था कि जरूर उस का घोड़ा इस पतली पगडंडी में फिसल पड़ेगा और वह गिर जाएगी.

‘‘आप फिक्र न करो मैडमजी. आप को कुछ नहीं होगा. धीरे चले तो बहुत देर हो जाएगी,’’ रशीद दिनरात इन रास्तों का अभ्यस्त था. उस ने घोड़े की लगाम खींच कर थोड़ा तेज किया ही था कि वही हुआ जिस का ईशा को डर था. घोड़ा जरा सा लड़खड़ा गया और ईशा संतुलन खो कर उस की पीठ से फिसल गई. एक चीख उस के मुंह से निकल पड़ी.

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रशीद ने लपक कर उसे थाम लिया और दोनों ही गीली जमीन पर गिर पड़े. ईशा के घने बालों ने रशीद का चेहरा ढांप लिया. दोनों इतने पास थे कि उन की सांसें आपस में टकराने लगीं. रशीद का स्पर्श उसे ऐसा लगा जैसे बिजली का तार छू गया हो. रशीद की बांहों ने उसे घेरा था. उस अजीब सी हालत में दोनों की आंखें मिलीं तो ईशा के तनबदन में जैसे आग लग गई. चिकन की कुरती भीग कर उस के बदन से चिपक गई थी. मारे शर्म के ईशा का चेहरा लाल हो उठा. उस की पलकें झुकी जा रही थीं. उस ने खुद को अलग करने की पूरी कोशिश की. दोनों को उस फिसलन भरी डगर पर संभलने में वक्त लग गया. पूरा रास्ता दोनों खामोश रहे. उस एक पल ने उन की सहज दोस्ती को जैसे चुनौती दे दी थी. बेखुदी में ईशा को कुछ याद नहीं रहा कि कब वह होटल पहुंची. गेट से अंदर आते ही उस ने देखा परेश, विरेन और शर्मीला होटल की लौबी में बेसब्री से उस का इंतजार कर रहे थे.

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Serial Story: नादान दिल (भाग-3)

परेश लपक कर उस के पास आया. ईशा के कपड़ों में मिट्टी लगी थी. उस ने बताया कि वह घोड़े से फिसल गई थी. परेश चिंतित हो उठा. शर्मीला और विरेन को भी फिक्र हो गई. ईशा ने जब तीनों को आश्वस्त किया कि वह एकदम ठीक है तब सब को तसल्ली हुई. ईशा शावर की गरम बौछार में बड़ी देर तक बालों से मिट्टी छुड़ती रही. जितना ही खुद को संयत करने की कोशिश करती उतनी ही और बेचैन हो जाती. आज की घटना रहरह कर विचलित कर रही थी. आंखें बंद करते ही रशीद का चेहरा सामने आ जाता. उन बांहों की गिरफ्त अभी तक उसे महसूस हो रही थी. ऐसा क्यों हो रहा था उस के साथ, वह समझ नहीं पा रही थी. पहले तो कभी उसे यह एहसास नहीं हुआ था. तब भी नहीं जब परेश रात के अंधेरे में बिस्तर पर उसे टटोलता. परेश ने उस के लिए सूप का और्डर दे दिया था और खाना भी कमरे में ही मंगवा लिया था.

‘‘ईशा घर से फोन आया था… मुझे कल वापस जाना होगा,’’ परेश ने खाना खाते हुए बताया.

‘‘अचानक क्यों? हम 2 दिन बाद जाने ही वाले हैं न?’’ ईशा ने पूछा.

‘‘तुम नहीं बस मैं जाऊंगा… कोई जरूरी काम आ गया है. मेरा जाना जरूरी है.

मगर तुम फिक्र मत करो. मैं ने सब ऐडवांस बुकिंग करवाई है. कल सुबह हम लोग श्रीनगर जा रहे हैं जहां से मैं एअरपोर्ट चला जाऊंगा.’’

‘‘तो फिर मैं वहां अकेली क्या करूंगी.

2 दिन बाद चलेंगे… क्या फर्क पड़ेगा?’’ ईशा को यह बात अटपटी लग रही थी कि दोनों साथ में छुट्टियां बिताने आए थे और अब इस तरह परेश अकेला वापस जा रहा है.

‘‘मैं अगर कल नहीं पहुंचा तो बहुत नुकसान हो जाएगा… यह डील हमारे बिजनैस के लिए बहुत जरूरी है… देखो, तुम समझने की कोशिश करो. वैसे भी तुम कुछ दिन और रुकना चाहती थी, घूमना चाहती थी और फिर तुम अकेली नहीं हो, विरेन और शर्मीला भाभी तुम्हारे साथ हैं. तब तक घूमोफिरो, यहां काफी कुछ है देखने के लिए,’’ परेश ने बात खत्म की.

परेश के स्वभाव की यही खासीयत थी कि वह दिल का बहुत उदार था. परेश को आराम से खाना खाते देख कर ईशा को उस के प्रति अपनी बेरुखी कहीं कचोटने लगी. बेशक वह चाहता तो ईशा को अपने साथ चलने के लिए मजबूर कर सकता था, लेकिन उस ने ऐसा नहीं किया. यह ईशा की ही जिद थी कि कुछ दिन और रुका जाए जिसे परेश ने मान भी लिया था. वजह क्या थी उस की समझ नहीं आ रहा था पर अब परेश का इस तरह बीच में ही उसे अकेला यहां छोड़ कर जाना भी अच्छा नहीं लग रहा था. एक शाल लपेट कर ईशा बालकनी में आ गई. ठंडी हवा ने बदन को सिहरा दिया. बाहर सड़क पर इक्कादुक्का लोग ही दिख रहे थे… होटल में रुके टूरिस्ट दिन भर की थकान के बाद आराम कर रहे थे. चारों तरफ नीरवता पसरी थी.

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ईशा का ध्यान गेट के पास टिमटिमाती रोशनी पर गया. यह उन की गाड़ी थी जो उन लोगों ने किराए पर ली थी. सुबह उन्हें जल्दी निकलना था तो रशीद ने गाड़ी वहीं खड़ी कर दी थी. उस अंधेरे में भी ईशा ने रशीद की आंखें पहचान लीं. वह ईशा को ही देख रहा था. उस ने हाथ से कुछ इशारा किया.

परेश टीवी पर खबरें देखने में व्यस्त था, ईशा कमरे से निकल कर बालकनी से गेट पर आई. बोली, ‘‘क्या बात है?’’ ईशा के लहजे में संकोच था. कितनी नादान थी वह… रशीद के एक इशारे पर दौड़ी चली आई. रशीद करीब आया और अपनी जींस की जेब से कुछ निकाल कर उस की ओर बढ़ा दिया. होटल के गेट से आती रोशनी में ईशा ने देखा. उस के कान का झुमका था. अनायास हाथ कान पर चला गया. एक झुमका गायब था. जब वह घोड़े से फिसली थी तब गिर गया होगा. मगर एक मामूली झुमके के लिए रशीद इतनी देर से क्यों उस का इंतजार कर रहा था. अब तक तो उसे चले जाना चाहिए था. ईशा ने रशीद की तरफ देखा जो न जाने कब से टकटकी लगाए उसे ही देख रहा था.

‘‘इसे तुम सुबह भी दे सकते थे, न चाहते हुए भी उस की आवाज में तलखी आ गई.’’

‘‘मुझे लगा आप इसे ढूंढ़ रही होंगी,’’ रशीद बोला और फिर पलट कर तेज कदमों से सड़क के उस पार चला गया. नींद फिर उस के साथ आंखमिचौली करने लगी थी. उस ने अपनी तरफ के साइड लैंप को जला कर डायरी निकाल ली और बड़ी देर तक कुछ लिखती रही. जब लिखना बंद किया तो खयालों ने आ घेरा…

उसे शादी के दिन से अब तक परेश के साथ बिताए लमहे याद आने लगे. परेश उस की खुशी का ध्यान रखता था, यह बात उस ने जान कर भी कभी नहीं मानी. उस के अहं ने एक पत्नी को कभी समर्पण नहीं करने दिया. परेश ने कभी उस पर अपनी इच्छा नहीं थोपी और ईशा इस बात से और भी परेशान हो जाती.

आखिर वह किस बात का बदला ले परेश से. अपने सपनों के बारे में उस ने परेश को तो कभी बताया ही नहीं था तो उसे कैसे मालूम होता कि ईशा क्यों खफा है जिंदगी से… आज उस के अंदर यह परिवर्तन अचानक कैसे आ गया… परेश के लिए उस के दिल में कोमल भावनाएं जाग गई थीं, जो अब तक निष्ठुर सो रही थीं. जो रिश्ता सूखे ठूंठ सा था, वहीं से एक कोपल फूट निकली थी आज. सुबह के न जाने किस पहर में ईशा को नींद आई और वह बेसुध सो रही थी. परेश उसे बारबार जगाने की कोशिश कर रहा था. हड़बड़ी में उठ कर ईशा जल्दी से तैयार हो कर सब के साथ गाड़ी में जा बैठी. गाड़ी तेज रफ्तार से भाग रही थी. दिलकश नजारे पीछे छूटते जा रहे थे. ईशा जितनी बार सामने की तरफ देखती, 2 नीली आंखें उसे ही देख रही होतीं. यह हर बार इत्तेफाक नहीं हो सकता था. सब खामोश थे, रेडियो पर एक रोमांटिक गाना बज रहा था, ‘प्यार कर लिया तो क्या…प्यार है खता नहीं…’ किशोर कुमार की नशीली आवाज में गाने के बोल और भी मुखर हो उठे. रशीद ने जानबूझ कर वौल्यूम बढ़ा दिया और एक बार फिर शीशे में दोनों की आंखें मिलीं, सब की नजरों से बेखबर.

ईशा का दिल जैसे चोर बन गया था. उसे खुद पर ही शर्म आने लगी. परेश को अभी निकलना था अहमदाबाद के लिए. अभी 2 दिन और ईशा को यहीं रहना था और इन 2 दिनों में वह इसी तरह रशीद की गाड़ी में घूमते रहेंगे. बारबार एक खयाल उस के दिल में चुभ रहा था कि कुछ गलत हो रहा है.

बीती शाम की बातें ईशा भूली नहीं थी और रात को जब वह रशीद से मिली थी तो उस की आंखों में अपने लिए जो कुछ भी महसूस किया था, उसे यकीन था इन 2 दिनों का साथ उस आग को और भड़का देगा. अचानक उसे परेश की जरूरत महसूस होने लगी. वह परेश की पत्नी है और किसी को भी हक नहीं है उस के बारे में इस तरह सोचने का.

उस ने अपना सिर झटक कर इन खयालों को भी झटक देना चाहा कि नहीं, इन सब बातों का उस के लिए कोई मतलब नहीं है. माना कि उस के और परेश के बीच प्यार नहीं है मगर किसी और के लिए भी वह अपने दिल को इस तरह नादान नहीं बनने देगी, हरगिज नहीं. उस ने खुद को ही यकीन दिलाया.

एअरपोर्ट पहुंच कर जब सब गाड़ी से उतरे तो ईशा ने परेश के साथ ही अपना बैग भी उतरवा लिया. ‘‘तुम क्यों अपना सामान निकाल रही हो?’’ परेश ने उसे चौंक कर देखा.

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‘‘मैं आप के साथ ही चल रही हूं. टिकट मिल जाएगा न?’’

उस के अचानक लिए इस फैसले से विरेन और शर्मीला भी चौंक गए कि कल तक तो वह बहुत उतावली हो रही थी यहां कुछ और दिन बिताने के लिए.

‘‘ईशा भाभी परेश भाई के बिना एक दिन भी नहीं रह सकती…आज पता चला इन के दिल का हाल…बहुत चाहने वाली पत्नी पाई है परेश भाई,’’ शर्मीला ने ईशा और परेश को छेड़ा. परेश भी एक सुखद आश्चर्य से भर उठा कि क्या सच में ईशा के दिल में उस के लिए प्यार छिपा था? धूप का चश्मा आंखों पर लगा ईशा ने आंखों के कोनों से देखा. रशीद अपनी नीली आंखों से निहारता हुआ गाड़ी के बाहर खड़ा उन का इंतजार कर रहा था.

फ्लाइट का वक्त हो चला था. दोनों गेट की ओर बढ़ने लगे तो शर्मीला और विरेन ने हाथ हिला कर उन्हें विदाई दी. ईशा ने मुड़ कर देखा, रशीद के चेहरे पर हैरानी और उदासी थी, मगर ईशा का दिल शांत था. फिर अचानक उसे कुछ याद आया. वह पलटी और रशीद के पास आई.

‘‘आप जा रही हैं, आप ने बताया नहीं?’’ आहत से स्वर में रशीद ने पूछा. अपना हैंडबैग खोल कर उस ने एक लिफाफा निकाल कर रशीद की तरफ बढ़ा दिया. रशीद ने उसे सवालिया नजरों से देखा. ‘‘तुम्हारी बहन की शादी में तो मैं आ नहीं पाऊंगी इसलिए मेरी तरफ से यह उस के लिए है.’’ रशीद ने इनकार किया तो ईशा ने बड़े अधिकार से उस का हाथ पकड़ कर लिफाफा हाथ में थमा दिया. आखिरी बार फिर 2 जोड़ी आंखें मिलीं और फिर एक प्यारी मुसकराहट के साथ ईशा ने विदा ली.

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