Flesh Review: स्वरा भास्कर का शानदार अभिनय

रेटिंगः साढ़े तीन स्टार

निर्माताः इरोज मोशन पिक्चर्स और सिद्धार्थ आनंद

निर्देशकः दानिश असलम

कलाकारः स्वरा भास्कर,केविन दास,महिमा मकवाना,इशान अनुराधाा खन्ना,विद्या मालवड़े, अक्षय ओबेराय,बिजाॅय थांगजम, युधिष्ठिर व अन्य.

अवधिः लगभग छह घंटे, लगभग 45 मिनट के आठ एपिसोड

ओटीटी प्लेटफार्म: ईरोज नाउ

पूरे विश्व में देह व्यापार और मानव तस्करी का अरबों रूपए का व्यवसाय होता है. यह भारत ही नही पूरे विश्व का अति घिनौना कारोबार है,पर इस पर अंकुश नहीं लग पाया है. हाॅलीवुड व विदेशों में इस व्यवसाय को लेकर कई बेहतरीन फिल्में व वेब सीरीज बन चुकी हैं. मगर भारत में ‘मर्दानी’,‘लक्ष्मी’और ‘लव सोनिया’ जैसी फिल्में ही बनी हैं, इसमें से ‘लक्ष्मी’ और ‘लव यू सोनिया’ आम दर्शकों तक पहुॅची नहीं, इन्हे बाक्स आफिस पर सफलता नहीं मिली. जबकि ‘मर्दानी’ में रानी मुखर्जी जैसी स्टार थी. इसके अलावा यह बौलीवुड मसालों से भरपूर व्यावसायिक फिल्म थी.

अब निर्देशक दानिश असलम एक बेहतरीन वेब सीरीज ‘‘फ्लेश’’ लेकर आए हैं. जो कि बच्चों की तस्करी से लेकर मासूम व कम उम्र की लड़कियों के देह व्यापार के साथ ही ऐसे तस्करों के साथ पुलिस की मिली भगत सहित कई पहलुओं को रेखांकित करती है. स्वरा भास्कर और अक्षय ओबेराय अभिनीत यह वेब सीरीज बेहोश करने वाली बेचैनी के साथ हर इंसान को असहज,परेशान,डरावने,असुविधाजनक पर बेहद प्रासंगिक और रोमांच से भरपूर है.

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कहानीः

कहानी के केंद्र में दो महिलाएं है.एक है सोलह वर्ष की जोया गुप्ता (महिमा मकवाना) और दूसरी हैं ए सी पी राधा नौटियाल(स्वरा भास्कर).कहानी शुरू होती है अमरीका से मंुबई एक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए आए अमीर एन आर आई शेखर गुप्ता (युधिष्ठर)का अपनी पत्नी रीवा गुप्ता(विद्या मालवडे)व अपनी बेटी जोया गुप्ता संग आगमन से. जहां जोया की सोशल मीडिया के माध्यम से एक युवक डीजे(इशान अनुराधा खन्ना)से दोस्ती हो जाती है.विवाह समारोह में पहुॅचने के बाद पता चलता है कि रीवा गुप्ता ने शेखर को तलाक देने का मन बना लिया है.रीवा व शेखर का दोस्त सिड भी उनसे मिलने आता है.उधर जोया से मिलने डी जे आता है और वह उसे अपने साथ कार में ले जाता है.पर अंततः वह उसे देह व्यापार के रैकेट के पास पहुॅचा देता है.जो कि अन्य लड़कियों के साथ एक ट्क में जोया गुप्ता को भी भरकर कलकत्ता के लिए रवाना कर देता है.जोया गुप्ता तो उपहार पैकेज है.शेखर गुप्ता व रीवा अपनी बेटी जोया के गुम होने की रपट पुलिस में लिखाते हैं.पर उन्हे अहसास होता है कि पुलिस कुछ खास नही कर पा रही है.इसी बीच मानव तस्करी विरोधी यूनिट की एसीपी राधा(स्वरा भास्कर) को एक देह व्यापार गैंग का भ्ंाडाफोड़ करने के लिए पुरस्कृत करने की बजाय ताज नामक इंसान की उंची पहुॅच के चलते पुलिस की नौकरी से सस्पेंड कर दिया जाता है.इस बीच हालात ऐसे बनते है कि ए सी पी राधा नौटियाल अपने तरीके से जोया मामले की जांच करना शुरू करती है.जैसे जैसे राधा नौटियाल की जांच आगे बढ़ती है,वैसे वैसे अनैतिकता, क्रूरता,हिंसा और भ्रष्टाचार के कई चैंकाने और स्तब्ध करने वाले जाल सामने आते हैं.इतना ही नही कई गहरे दफन रहस्यों का खुलासा भी होता है.बीच में राधा नौटियाल को पुनः पुलिस की नौकरी भी मिल जाती है.

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लेखन:

देह व्यापार जैसे घृणास्पद व मानवीय पहलुओं के साथ बेहतरीन रोमांचक कहानी व पटकथा लेखन के लिए इसकी लेखक पूजा लाधा सुरती बधाई की पात्र हैं.उन्होने देह व्यापार से जुड़े हर पहलू,मानव तस्करी के रैकेट,नौकरषाही व पुलिस की साॅंठगाॅंठ आदि का बहुत बारीकी से चित्रण किया है.यह एक क्लासिंक वेब सीरीज बन सकती थी,मगर पांचवे व सातवें एपीसोड में सत्यभामा का ट्ैक बेवजह रखा गया है.इसका कहानी में कोई योगदान नही है.बल्कि सत्यभामा वाला कहानी का ट्ैक दर्शकों को दिग्भ्रमित करता है.इसके अलावा डीजे के किरदार की भी खास अहमियत कहानी में नही है.गृह मंत्रालय से जुड़े ब्रम्हांनद बारोट की कथा भी बेवजह जोड़ी गयी है.विभाग जोया गुप्ता व एसीपी नौटियाल की कहानी के समानांतर राधा नौटियाल की अतीत यानी कि बचपन की कहानी भी सतत चलती रहती है.पर यह पटकथा लेखन व निर्देशन की खूबी के चलते दर्शक आठवें एपीसोड से पहले दोनों कहानियों के जुड़ाव का अहसास नहीं कर पाता.

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निर्देशनः

दानिश असलम ने अपने निर्देशकीय कौशल का शानदार परिचय दिया है.उन्होेने मुंबई व कलकत्ता शहर को भी जीवतंता प्रदान की है.पैंतालिस पैंतालिस मिनट के लंबे लंबे आठ एपीसोड देखना एक दर्शक के लिए सहज नही हो सकता,मगर निर्देशक की खूबी के चलते हर एपीसोड न सिर्फ दर्शकों को बांधकर रखता है,बल्कि अगला एपीसोड देखने के लिए रूचि भी पैदा करता है.

कुछ तकनीकी गलतियें के बावजूद पूरी वेब सीरीज बहुत ही यथार्थ के साथ बनायी गयी है.परिणामतः इसमें सेक्स,अप्राकृतिक मैथुन,हिंसा,गोली बारी,गंदी गंदी गालियों की भरमार भी है. पर यह बेहतरीन रचनात्मक गुणवत्ता और तकनीकी से बनी सीरीज है.

इसके एडीटर प्रतीक हरुगोली भी बधाई के पात्र हैं.

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अभिनयः

स्वरा भास्कर एक बेहतरीन अदाकारा हैं.इसमें कोई दो राय नहीं है.मगर एक पुलिस अफसर के सख्त किरदार के साथ जिस तरह से उन्होने मानवीय भावनाआंे को भी अपने अभिनय से उकेरा है,और जिस तरह से उन्होने एसीपी राधा नौटियाल के किरदार को जीवंतता प्रदान की है,वह उन्हें उत्कृष्ट अदाकारा के रूप में उभारती है.अक्षय ओबेराय ने भी कमाल का अभिनय किया है.डीजे के किरदार में इशान खन्ना का किरदार छोटा व अप्रभावशाली है.जोया गुप्ता के किरदार में महिमा मकवाना,रीवा के किरदार मे विद्या मालवडे और शेखर के किरदार में  युधिष्ठिर की भी तारीफ करनी पड़ेगी.

Web Series Review: जानें कैसी है बॉबी देओल की फिल्म ‘क्लास आफ 83’

रेटिंगः तीन स्टार
निर्माताः रेड चिल्ली इंटरटेनमेंट
निर्देशकः अतुल सभरवाल
कलाकारः बॉबी देओल, अनूप सोनी,  हितेश भोजराज, भूपेंद्र जदावत,  समीर परांजपे.
अवधिःएक घंटा 38 मिनट
ओटीटी प्लेटफार्मः नेटफ्लिक्स

अपराधियों और गैंगस्टरों पर राजनीतिज्ञों का वरदहस्त होना कोई नई बात नही है. अस्सी के दशक में मुंबई में भी बहुत कुछ ऐसा ही हो रहा था. उसी काल की सत्यघटनाओं के आधार पर हुसैन जैदी ने एक किताब ‘‘द क्लास आफ 83’’लिखी थी अस्सी के दषक मे गैंगस्टरों व अपराधियों की पत्रकार के रूप में रिपोर्टिंग करते आए हुसेन जैदी ने कई किताबें लिखी हैं. उनकी दूसरी किताबों पर भी बौलीवुड में फिल्में बन चुकी हैं. अब हुसैन जैदी लिखित. ‘‘द क्लास आफ 83’’ पर ‘‘रेडचिल्ली इंटरटेनमेंट’’एक अपराध कथा वाली फिल्म‘‘क्लास आफ 83’’लेकर आया है. अतुल सभरवाल निर्देशित यह फिल्म 21 अगस्त से ‘‘नेटफ्लिक्स’’पर प्रसारित हो रही है. इस कहानी के केंद्र में एक ईमानदार व काबिल पुलिस अफसर विजय सिंह हैं, जिन्हे अपराध व राजनीतिक गंठजोड़ के चलते अस्सी के दशक में सजा के तौर पर पुलिस अकादमी में डीन बनाकर भेज दिया गया था.

कहानीः

कहानी शुरू होती है अस्सी के दशक में पुलिस अकादमी से, जहां पर पुलिस अफसर विजय सिंह (बॉबी देओल) को नौकरशाही ने सजा के तौर पर पुलिस अकादमी का डीन बनाकर भेजा है. विजय सिंह की गिनती मंुबई पुलिस के सर्वाधिक इमानदार  व काबिल अफसर के रूप में हुआ करती थी. हर अपराधी, खासकर कालसेकर उससे थर थर कांपता था. पुलिस अकादमी के छात्र भी उसके नाम से ही भय खाते हैं.
वास्तव में विजय सिंह को उसके खबरी सूचना देते हैं कि बहुत बड़ा गैंगस्टर कालसेकर नासिक में मौजूद है. उस वक्त विजय सिंह की पत्नी सुधा अस्पताल में थी और उसका आपरेशन होना था. मगर विजय सिंह अपनी पत्नी व बेटे रोहण को जरुरी काम बताकर नासिक जाते हैं. नासिक जाते समय विजय सिंह फोन करके मुख्यमंत्री मनोहर (अनूप सोनी) को बता देते हैं कि वह कालसेकर को खत्म करने के लिए नासिक जा रहे हैं. पर कालसेकर को विजय सिंह के पहुंचनेे से पहले ही खबर मिल जाने से वह भागने में कामयाब हो गया था. उसके कुछ गुर्गों के साथ छह पुलिस कर्मी मारे जाते हैं. मामला गरमा जाता है और विजय सिंह को सजा के तौर पर पुलिस अकादमी का डीन बनाकर भेज दिया जाता है. विजय सिंह को अहसास होता है कि कालसेकर को खबर देने वाला कोई और नही बल्कि मख्यमंत्री मनोहर पाटकर ही हैं, क्योंकि इस बात की जानकारी उनके अलावा किसी को नहीं थी.

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इसलिए विजय सिंह पुलिस अकादमी के तीन बदमाश कैडेट प्रमोद षुक्ला(भूपेंद्र जदावत), विष्णु वर्दे(  हितेष भोजराज ), असलम(समीर परांजपे ) को इस ढंग से तैयार करता है कि उनकेे पास अपराधियों और गैंगस्टर के साथ मुठभेड़ों की बिना किसी प्रतिबंध के स्वतंत्रता होगी. पर उसी दौरान मंुबई में कालसेकर को चुनौती देने वाला गैंगस्टर नाइक गैंग पनप रहा था. अब दोनों गैंग के लोग एक दूसरे के गैंग के गुर्गो का सफाया पुलिस को सूचना देकर करवाने लगे. तो वही मिल की जमीने बिकने लगी. इससे मुख्यमंत्री मनोहर पाटकर की चिंता बढ़ गयी. तब मनोहर पाटकर ने विजय सिंह से मदद मांगते हुए उनका तबादला पुलिस अकादमी से मुंबई पुलिस में कर दिया. उसके बाद कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं.

लेखन व निर्देशनः

एक बेहतरीन पटकथा पर बनी इस फिल्म में खूंखार अपराधियों के खत्मे के लिए पुलिस की बर्बरता को सही ठहराने की कोशिश की गयी है.  तो वहीं फिल्मकार ने काॅटन मिलों की जमीन पर अपराधियों की सांठगांठ से आॅंखे गड़ाए बैठे राजनीतिज्ञो व मुंबई शहर जिस तरह के मंथन के दौर से गुजर रहा था, उसका सजीव चित्रण किया है. इतना ही नही इसमें स्वर्ण,  नकली मुद्रा,  ड्रग्स,  हथियार और संपत्ति की तस्करी के माध्यम से अवैध धन की जो अंतहीन धारा बह रही थी, उस पर भी रोशनी डाला गया है. फिल्मकार ने फिल्म में अस्सी के दषक को न्याय संगत तरीके से उकेरा गया है. जिन्होने कभी अस्सी के दशक के मंुबई को अपनी आंखों से देखा है, उनके सामने इस फिल्म को देखते हुए अस्सी के दशक की मंुबई हूबहू जीवंत होकर खड़ी हो जाती है. इस सबसे बड़ी चुनौती पर निर्देशक अतुल सभरवाल खरे उतरे हैं. निर्देशक ने अपने कौशल का बेहतरीन परिचय दिया है. फिल्म काफी कसी हुई है.  अच्छाई व सच्चे इंसानों की रक्षा करते हए बुराई के खात्मे पर एक बेहतरीन रोचक व मनोरंजक फिल्म है.
फिल्म के कुछ संवाद बहुत अच्छे बन पडे़ हंै. मसलन-जिंदगी किसी भी विजय सिंह से बेरहम हो सकती है’ अथवा ‘जहां बारूद काम न करे, वहां दीमक की तरह काम करना चाहिए. ’

अभिनयः

इस फिल्म में पहली बार बॉबी देओल अनूठे रूप में नजर आ रहे हैं. उन्होने काफी सधा हुआ और उत्कृष्ट अभिनय किया है. विजय सिंह के किरदार में बाॅबी देओल के अभिनय को देखकर दर्शक भी सोच में पड़ जाता है कि उनकी अभिनय प्रतिभा का अब तक फिल्मकारों ने सही उपयोग क्यांे नही किया. मुख्यमंत्री मनोहर पाटकर के किरदार में अनूप सोनी ने भी कमाल का अभिनय किया है. विष्वजीत प्रधान, भूपेंद्र जदावत, हितेष भोजराज, जॉय सेन गुप्ता, निनाद महाजनी, पृथ्विक प्रताप,  समीर परांजपे ने भी अच्छा अभिनय किया है.

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‘पापा’ की खातिर फिर ‘राधा-कृष्ण’ बनेंगे ‘कार्तिक-नायरा’, वायरल हुई Photos

टीवी के पौपुलर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में नायरा और कार्तिक की जोड़ी फैंस को काफी पसंद करते हैं. इसीलिए सोशलमीडिया पर फैंस दोनों को साथ देखने के लिए वीडियो और फौटोज शेयर करते रहते हैं. शो में इन दिनों नायरा और कार्तिक का इमोशनल ड्रामा देखने को मिल रहा है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. लेकिन जल्द ही शो में जन्माष्टमी मनाई जाएगी, जिसमें दोनों एक बार फिर राधाकृष्ण बनते  हुए नजर आएंगे.आइए आपको बताते हैं क्या  है पूरा मामला.

पिता की हालत के लिए नायरा को जिम्मेदार मान रहा है कार्तिक

कार्तिक के पिता, मनीष एक दुर्घटना का शिकार हो गये हैं. कार्तिक को लगता है कि नायरा, मनीष की दुर्घटना के लिए जिम्मेदार है. इसलिए वह उससे नाराज है. हालांकि कार्तिक और नायरा दोनों ही मनीष की देखभाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. इसी बीच  जन्माष्टमी के मौके पर सीरियल में एक नया मोड़ आनेवाला है.

 

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मनीष करेगा ये मांग

आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि जन्माष्टमी को मनीष याद करेगा, जिसमें कार्तिक और नायरा ने कृष्ण और राधा के अवतार में नजर आए थे. वहीं इस बात को याद करते हुए फिर एक बार मनीष, कार्तिक और नायरा को उस रूप में देखने की मांग करेगा. वहीं दादी भी कार्तिक और नायरा से मनीष की डिमांड को पूरी करने की रिक्‍वेस्‍ट करेगी. क्‍योंकि इससे शायद मनीष पुरानी बातों को याद कर पाए.

बता दें, बीते दिनों मनीष की दुर्घटना में याद्दाश्त जा चुकी है और वह बच्चों जैसा व्यवहार कर रहा है. वहीं कार्तिक इन सबका जिम्मेदार नायरा को मान रहा है, जिसके कारण उनके रिश्ते में दरार आ गई है. इस बीच, रक्षाबंधन पर कार्तिक, नक्ष के सामने नायरा को खरी-खोटी सुनाता है जिसे स्वाभाविक रूप से नक्ष सहन नहीं कर पाता.

दिलीप कुमार के छोटे भाई का कोरोना से हुआ निधन, पढ़ें खबर

पूरे देश में जहां कोरोनावायरस का कहर बढ़ता जा रहा है. वहीं मुंबई में सेलेब्स की दुनिया में भी नए- नए मामले देखने को मिल रहे हैं. हाल ही में बौलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन कोरोना से जंग जीतकर घर लौट चुके हैं. लेकिन अब खबर है कि वेटरेन एक्टर दिलीप कुमार की फैमिली में भी कोरोना ने दस्तक दे दी है. दरअसल दिलीप कुमार के भाई असलम खान का कोरोना के कारण निधन हो गया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

कोरोना से हुआ निधन

दिलीप कुमार के भाई असलम खान कोरोना वायरस के अलावा हाई ब्लडप्रेशर और डायबिटीज की भी बीमारी से पीड़ित थे, जिसके बाद उन्होंने शुक्रवार की सुबह यानी 21 अगस्त को अंतिम सांस ली. हालांकि बीमारियों के चलते दिलीप कुमार के भाई बीते कुछ समय से अपना इलाज करवा रहे थे. वहीं उनकी कोरोना वायरस रिपोर्ट पॉजिटिव निकली थी, जिसके चलते हालत खराब होने पर दिलीप कुमार के भाई को अस्पाल में भर्ती करवाया गया था.

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दूसरे भाई भी हुए कोरोना से पीड़ित

दिलीप कुमार के दूसरे भाई अहसान खान भी कोरोना वायरस से जंग लड़ रहे हैं. अहसान खान की कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव पाई गई थी, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए लीलावती हॉस्पिटल में एडमित करवाया जा गया है. बताया जा रहा है कि अहसान खान को तबियत बिगड़ने के बाद वेंटीलेटर पर रखा गया है. वहीं कुछ समय पहले ही लीलावती के डॉक्टर जलील पारकर ने बताया था कि, ज्यादा उम्र होने की वजह से दिलीप कुमार के दोनों भाईयों की हालत बिगड़ी है.

बता दें, कोरोनावायरस का कहर अमिताभ बच्चन, रेखा, बोनी कपूर, अनुपम खेर और किरण किमार जैसे सितारों पर भी पड़ चुका है. वहीं कई सितारे इस गंभीर बिमारी की चपेट में भी आ चुके हैं. हालांकि सभी ठीक हो चुके हैं.

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मेहर और सरब की जिंदगी में आया एक नया तूफान, जिसका नाम है विक्रम दीवान

कलर्स के सीरियल ‘छोटी सरदारनी’ में मेहर और सरब की जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए. लेकिन काफी समय बाद इनकी जिंदगी में नया पड़ाव शुरू हुआ है, जहां परम और नन्हे से करन के साथ मिलकर दोनों अपनी खुशहाल जिंदगी को जी रहे हैं. काफी दिनों के बाद गिल परिवार में इतनी सारी खुश़ियां आई हैं. पर नहीं, फिर से लग गई है इनको किसी की नज़र. क्योंकि इनकी जिंदगी में आया है एक नया तूफान, जिसका नाम है विक्रम दीवान. आइए आपको बताते हैं क्या होगी शो में आगे…

मेहर के दिल में सरब के लिए बढ़ता प्यार

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अब तक आपने देखा कि मेहर की डिलीवरी के बाद से सरब उसका और करन का पूरी तरह से ख्याल रख रहा है. वहीं कोशिश कर रहा है कि परम के प्रति उसके प्यार में भी कोई कमी ना रहे. हालांकि हरलीन, परम के दिल में मेहर और उसके बच्चे के लिए नफरत पैदा कर रही है. लेकिन मेहर और सरब, परम की हर खुशी का ध्यान रख रहे हैं.

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मेहर की जिंदगी में हो चुकी है विक्रम दीवान की एंट्री

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परम और करन के साथ मेहर और सरब की खुशहाल जिंदगी में एक नए तूफान विक्रम दीवान की एंट्री हो चुकी है. विक्रम एक ईमानदार CBI अफ़सर है, जो कि एक घोटाले के सिलसिले में सरब से लगातार पूछताछ कर रहा है और इसी के चलते उससे कई बार मिलने भी आया है. पर अभी तक उसकी मुलाकात मेहर से होते-होते नही हो पाई है. लेकिन आज रात यानी 21 अगस्त को दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने आने वाले हैं.

 

किस ओर मुड़ेगी मेहर की जिंदगी जब विक्रम दीवान से होगा उसका सामना? कौनसा राज़ खुलेगा, कौन सा भूचाल लाएगी  विक्रम दीवान और मेहर की मुलाक़ात?

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इसी के साथ महासप्ताह यानी 24 से 29 अगस्त के बीच आप देखेंगे कि मेहर और सरब के कमरे में आग लग जाएगी, जिसमें करन फंस जाएगा. क्या विक्रम और सरब, करन को बचाने में कामयाब हो पाएंगे? जानने के लिए देखिए ‘छोटी सरदारनी’, आज रात, सोमवार से शनिवार, रात 7.30 बजे, सिर्फ कलर्स पर.

कैसे बचाएं गृहस्थी को

लेखिका– सपना मांगलिक

कोई रिश्ता परफैक्ट नहीं होता. दोस्तों की बात अलग है, क्योंकि वे एकसाथ, एक घर में, एक कमरे में, एक माहौल में पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वाह नहीं करते. मगर पतिपत्नी ऐसा करते हैं और यह मानवीय स्वभाव है कि हम एकजैसी एकरस चीजों और लोगों से जल्दी ऊब जाते हैं. पर परिवार पतिपत्नी की परिपूर्णता के कारण ही बनता है. बच्चों का विकास परिवार में ही संभव है. पतिपत्नी को चाहिए कि दोनों एकदूसरे को समझें, एकदूसरे को परिपूर्ण बनाएं भले ही वे शारीरिक व मानसिक नजरिए से कभी एकदूसरे के समान नहीं हो सकते. स्त्रीपुरुष एकदूसरे को समझ सकते हैं और वे एकदूसरे के पूरक हो सकते हैं, परंतु कभी एकदूसरे जैसे नहीं हो सकते और यह उस अंतर के कारण है, जो उन के प्राकृतिक वजूद में है.

वे दोनों स्वतंत्र व स्वाधीन इनसान हैं और अब वे बड़े हो गए हैं और अब वे पति या पत्नी के रूप में अपनी भूमिका का निर्वाह करते हैं. परिवार बनाने के बाद लड़के और लड़की को शारीरिक व मानसिक शांति मिलती है जिस की छाया में वे आत्मिक एवं आर्थिक उन्नति के लिए अधिक प्रयास कर सकते हैं. इस के लिए परिवार का सफल होना आवश्यक है. जब इनसान संयुक्त रूप से जीवन बिताना आरंभ कर देता है, तो वह अधिक जिम्मेदारी का आभास करता है. वह अपने जीवन को अर्थ व लक्ष्यपूर्ण समझता है. अनैतिक कार्यों से दूर रहने के लिए परिवार आवश्यक है. समाज की सुरक्षा के लिए परिवार आवश्यक है.

पारिवारिक विघटन के कारण

पति और पत्नी की दिनचर्या सालोंसाल एकजैसी रहती है. अत: अहम, झूठा दिखावा, नएपन की तलाश, आर्थिक संपन्नता की ललक जबजब रिश्तों में आने लगती है तो दिलों में दूरियां और ऊब आना स्वाभाविक है. इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ज्यादातर परिवारों में जो झगड़े होते हैं, पतिपत्नी के बीच जो तनाव रहता है, बातबात पर दोनों जब एकदूसरे से लड़ते हैं उस का कारण एकदूसरे की शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक आवश्यकताओं का पूरा न होना है. दूसरे शब्दों में कहें तो भावनात्मक कमी इन समस्याओं के मूल में है. इस से डरने और परेशान होने की कतई जरूरत नहीं है. जीवन की इस सचाई का सामना करते हुए जीवनशैली, विचार समयसमय पर परिवर्तित कर घर के माहौल को नया एवं हलकाफुलका खुशनुमा बनाया जा सकता है.

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कैसे खिलाएं रखें अपने वैवाहिक जीवन का पुष्प

बिना किसी शर्त के प्यार करना: कहते हैं प्यार में कोई शर्त नहीं होती. इस का मतलब है, जो जैसा है, उसे उसी रूप में प्यार करें. लेकिन यही बात समय बीतने के साथ उसी रिश्ते में दरार का कारण बनती है. प्यार, देखभाल, विश्वास और सम्मान रिश्ते की जरूरत है. कुछ रिश्तों में समय भी देना पड़ता है. किसी के बारे में कोई राय बनाने से पहले खुद को भी तोल लें. कई बार आप अपनी जरूरत के हिसाब से भी रिश्ते बनाती हैं. नाजुक रिश्ते तभी मजबूत बनते हैं जब आप दिल से उन्हें अपनाएंगी और उन्हें खुद को अपनाने देंगी. खुल कर विचारों का आदानप्रदान न करना: किसी भी रिश्ते में विचारों का आदानप्रदान व दूसरे के विचारों को सम्मान देना बेहद जरूरी होता है. जिन रिश्तों में संवाद की कमी होती है, उन में अकसर मतभेद मनभेद में बदल जाते हैं. परिणामस्वरूप रिश्ता धीरेधीरे टूटने के कगार पर पहुंच जाता है.

दूसरे को सम्मान न देना: कुछ महिलाओं और पुरुषों की यह सोच होती है कि यदि कोई हम से प्यार करता है या हमारा जीवनसाथी है तो उसे हमारी हर बात माननी ही होगी. ऐसे लोग सारे निर्णय स्वयं लेना चाहते हैं. वे अपने साथी की बात या विचार को सम्मान नहीं देते हैं. इस स्थिति को भले ही कुछ समय के लिए नजरअंदाज कर दिया जाए, पर ऐसे रिश्ते ताउम्र नहीं टिक पाते. कुछ समय बाद बिखर जाते हैं.

दूसरे पर यकीन करें: मां के घर में भी आप ने अपने बहनभाई, दादादादी और दूसरे रिश्तेदारों के साथ तालमेल बनाया ही होगा. बहनों की भी आपस में लड़ाई होती है और मनमुटाव भी. ऐसा ही मनमुटाव अगर सास या ननद से हो जाए, तो आप दिल पर क्यों ले लेती हैं? आप अपने किसी भी रिश्ते की तुलना एकदूसरे से न करें. सभी रिश्तों पर यकीन करें. आप का यकीन आप को धोखा नहीं देगा. रिश्तों की मजबूती के लिए वक्त चाहिए. आप अगर अपनेआप को नहीं खोलेंगी, तो रिश्ते कभी आप के दिल को नहीं छू पाएंगे.

व्यवहार से जुड़ी परेशानी: कोई भी इनसान ऐसे व्यक्ति के साथ वक्त बिताना पसंद नहीं करता, जो जरूरत से ज्यादा गुस्से वाला हो या अत्यधिक शांत रहने वाला. ऐसे रिश्ते में विचारों, खुशियों व दुखों का आदानप्रदान नहीं हो पाता. परिणामस्वरूप साथी कुंठित महसूस करने लगता है. यह कुंठा कुछ समय बाद असहनीय हो जाती है और रिश्ता टूटने का कारण बन जाती है. खुशनुमा रिश्ते के लिए अपने साथी के साथ अपनी भावनाएं, अपने अनुभव, अपनी सोच जरूर साझा करें.

एकतरफा प्यार करना: जब एक रिश्ते में सोचविचार, आकांक्षा, मूल्यों तथा रहनसहन में कोई तालमेल नहीं होता तो देरसबेर परेशानी आनी तय है. आप को कुछ समय बाद पता चल जाएगा कि आप इस रिश्ते को जितना प्यार दे रही हैं, क्या आप को उतना मिल रहा है? अपनी बात स्पष्ट रूप से रखना भी सीखें. अपनी किसी सहेली या घर वालों की राय लेने से पहले यह भी देख लें कि कहीं आप रिश्ते बनाने या तोड़ने में जल्दबाजी तो नहीं कर रहीं?

रिश्ते में उदासीनता आना: अकसर शादी के कुछ सालों बाद हर रिश्ते में उदासीनता आने लगती है. पैसा, घर और गाड़ी पाने की दौड़ में आप रिश्तों की गरमाहट को भूलने लगती हैं. रिश्तों में एक किस्म की प्रतिद्वंद्विता घर करने लगती है. यह वक्त है रिश्तों की ओवरहौलिंग का. उम्र के इस दौर में आप को भी अपनों का साथ चाहिए. देर नहीं हुई है. आप एक मैसेज कीजिए, फोन घुमाइए और इन सब को इकट्ठा कीजिए. पहले की तरह मनपसंद खाना और गप्पबाजी के साथ अपनेआप को तरोताजा कीजिए. ये वे लोग हैं, जो आप के साथ चलते आए हैं और हमेशा चलेंगे.

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इनसानियत को बाकी रखने के लिए भी परिवार आवश्यक है. अगर संसार का कोई भी इनसान पारिवारिक जीवन का निर्वाह न करे और उस के पास कोई संतान भी न हो तो कुछ वर्षों के बाद पूरी जमीन से इनसान यानी मानव समाज ही समाप्त हो जाएगा. ज्यादातर इनसान यह चाहते हैं कि उन का वंश चले, उन की संतानें हों. अलबत्ता इस बारे में महिलाएं पुरुषों से अधिक इस बात को पसंद करती हैं कि उन का कोई बच्चा हो और उन के अंदर मां बनने की जो भावना है वही उस का मूल कारण है. मातापिता और बच्चों के बीच जो प्रेमपूर्ण संबंध होते हैं वे इनसान के मन को शांति प्रदान करते हैं और यह शांति इनसान को तभी प्राप्त होती है जब वह पारिवारिक जीवन का निर्वाह करता है.

 

थोड़े दिनों से मेरी त्वचा बहुत सांवली हो गई है?

सवाल-

मैं 25 साल की हूं. अभी थोड़े दिनों से मेरी त्वचा बहुत सांवली हो गई है. मैं ने बहुत से फेयरनैस क्रीम का इस्तेमाल किया, पर कुछ फर्क नहीं पड़ता. मुझे लगता है कि मैं ने फेयरनैस क्रीम लगाने के बाद मेरी त्वचा और सांवली लगने लगी है. कृपया उपाय बताएं?

जवाब-

हो सकता है कि आप ने जिस फेयरनैस क्रीम का इस्तेमाल किया है, वह आप को सूट न कर रही हो. इसी कारण ऐसा हो रहा हो. आप उस क्रीम का इस्तेमाल छोड़ दें और सुबहशाम फेस पर एलोवेरा युक्त क्रीम का इस्तेमाल करें. इस के साथ ही एक बार अपने ब्लड टेस्ट करवाएं और डाक्टर से कंसल्ट करें. कई बार शरीर में किसी कमी के कारण भी चेहरे का रंग डल पड़ने लग जाता है. घर पर रोजाना इस पैक का इस्तेमाल करें. आप रात को केसर की 4 तुर्रियों को 2 चम्मच दूध में भिगो दें और सुबह उस में कैलेमाइन पाउडर और चुटकीभर हलदी डाल कर अपने चेहरे पर मास्क की तरह लगाएं और सूखने पर पानी से धो दें.

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आज कल गोरा और सुंदर दिखने की चाह पुरुषों या महिलाएं सभी को है. फेस पर सन टैन और चेहरे पर पड़े डार्क स्‍पॉट और पिगमेंटेशन की वजह से चेहरा काला दिखाई देने लगता है. इस चाहत में हम महंगे-महंगे स्‍किन केयर प्रोडक्‍ट आजमाते हैं. जो संवेदनशील स्किन के लिए हानिकारक होते हैं. इनके इस्‍तेमाल से कुछ दिन तो चेहरे पर असर दिखाई देता है मगर बाद में चेहरे की रंगत वैसी की वैसी ही हो जाती है. क्यों ना कुछ घरेलू उपाय करें जाएं और 10 मिनट में जादू जैसा असर पाए.

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जानें क्यों महिलाओं में इंटरेस्ट खो देते हैं पुरुष

क्या आपका बॉयफ्रेंड या पति आप में से सारी रुचि खो चुका है तो इसके कई कारण हो सकते हैं. एक रिश्ते में उतार चढ़ाव तो आते ही रहते हैं. कुछ पुरुष अपने पुराने रिश्ते में रुचि खो कर नया रिश्ता बनाने की सोचते हैं तो कुछ पुराने में ही एडजस्ट करना चाहते हैं. आप दोनों के बीच टकराव होने का एक सबसे बड़ा कारण आपके पार्टनर की बेईमानी भी हो सकती है. यदि आपके रिश्ते में भी बहुत समस्याएं हैं और आपका रिश्ता टूटने की कगार पर है तो आपको यह वह कारण जरूर पता होने चाहिए जिनकी वजह से आपका पार्टनर आप में रुचि खो चुका है.

रुचि खो जाने के कारण

1. कुछ अजीब घटना का होना : यदि आपके पार्टनर की जिंदगी में कुछ अजीब तरह की घटना घटती है तो उनकी स्ट्रैस कहीं अधिक बढ़ जाती है. इस वजह से भी वह आप से दूर रहने लगते हैं. आपको यह भी महसूस होगा कि वह अपने रिश्ते को ज्यादा समय नहीं दे रहे हैं. इस समय आपको शांत रह कर अपने पार्टनर का साथ देना चाहिए न कि उनके इस बरताव के कारण उनके साथ लड़ना झगड़ना चाहिए.

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2. जब आप किसी अन्य चीज में व्यस्त हो जाती हैं : यदि आप अपने पार्टनर को छोड़ कर किसी और चीज में व्यस्त हो जाती हैं तो इससे आपके पार्टनर का मूड बहुत ही खराब हो जाती है. उन्हें भी पता है कि आप एक सीरियस रिश्ता चाहती हैं परन्तु बात बात पर उनसे बहस व शिकायत न करें. उनको समय दें.

3. आपकी सोशल मीडिया की आदत : यदि आप सोशल मीडिया की ज्यादा आदी हैं और अपनी हर चीज किसी सोशल प्लेटफॉर्म पर शेयर करना पसंद करती हैं तो यह आपके रिश्ते पर प्रभाव डाल सकता है. हो सकता है आपके पार्टनर को यह बात बिल्कुल भी पसंद न हो क्योंकि आप उनको समय देने की बजाए हर समय मोबाइल पर लगी रहती है.

 4. आपका गुस्सा : यदि आपको बात बात पर बहुत गुस्सा आता है तो इससे आपका रिश्ता खराब हो सकता है. पुरुषों को महिलाओं का गुस्सा करना ज्यादा पसंद नहीं होता है. इसलिए खुद को जितना हो सके उतना शांत रखें. ज्यादा भड़कने व हर बात पर गुस्सा करने से आपका रिश्ता खत्म हो सकता है.

5. बीच में ज्यादा अपनी फैमिली को न घुसाएं : आपके पार्टनर के लिए उनकी फैमिली बहुत ही जरूरी होती है लेकिन वह हर समय अपने परिवार से जुड़ कर नहीं रह सकते और इसी चीज की वो आपसे भी उम्मीद करते हैं. आपकी फैमिली से अलग भी एक दुनिया है. इसलिए हर बात में फैमिली को न घुसाए.

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6. यदि आपका कोई कैरियर प्लान नहीं है : यदि आप अपने कैरियर के प्रति सचेत नहीं है और हर बात के लिए अपने पार्टनर पर डिपेंड रहती है तो यह बात भी आपके पार्टनर को चिड़चिड़ा बना सकती है. क्योंकि पुरुषों को ऐसी महिलाएं पसंद होती हैं जिनका अपनी जिंदगी में कुछ करने का एक लक्ष्य होता है.

7. आत्मनिर्भर बने : पुरुषों को हर समय वह लड़कियां पसंद नहीं होती जो अपने आपको एक राजकुमारी मानती हैं और अपने पार्टनर से यह उम्मीद रखती हैं कि वो उनको बिल्कुल नाजुकता से पेश आएं. अपने पार्टनर पर निर्भर होने की बजाए खुद को आत्मनिर्भर बनाए. पुरुषों को आत्मनिर्भर लड़कियां अधिक पसंद होती हैं.

बारिश के लिए तैयार टीवी की ‘नागिन’, आप भी ट्राय करें उनके ये लुक

बारिश में हम अक्सर अपनी स्किन का ख्याल रखना हर किसी को पसंद है. लेकिन क्या आप अपने फैशन का ख्याल रखना पसंद करते हैं. मौनसून में आप भले ही अपने फैशन का ख्याल रखना भूल जाते हैं, लेकिन बौलीवुड और टेलीविजन की कुछ एक्ट्रेसेस ऐसी हैं जो मौनसून में भी अपने फैशन को बनाए रखती हैं. उन्हीं में से एक हैं टीवी की नागिन यानी मौनी रौय. मौनी रौय जितना अपनी एक्टिंग के लिए जानी जाती हैं उतना ही वह अपने फैशन के लिए भी जानी जाती हैं. आइए आपको मौनी के कुछ मौनसून फैशन के बारे में बताते हैं, जिसे आप भी कैरी करके मौनसून का मजा स्टाइलिश होकर ले सकती हैं.

1. मौनी का फ्लौवर प्रिंट लुक

 

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अगर आप कहीं घूमने जा रही हैं और मौनसून में कुछ अच्छा ट्राई करना चाहती हैं तो मौनी की ये क्रौप टौप और स्कर्ट का कौम्बिनेशन जरूर ट्राय करें. साथ मौनसून स्लीपर के साथ आप कम्फरटेबल महसूस करेंगी.

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2. मौनी की हौट एंड सेक्सी ड्रैस करें मौनसून में ट्राय

 

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Gorgeous ?❤️?@imouniroy . . . . #mouniroy #MonStar? #mouniroymyheartbeat

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अगर आप मौनसून में हौट एंड सेक्सी दिखना चाहतीं हैं तो आप मौनी की ये डल ग्रीन कलर की औफ शोल्डर ड्रेस जरूर ट्राय करें. साथ ही अगर हो सके तो इस ड्रैस के साथ आप मौनसून बूट का इस्तेमाल करेंगी तो मौनसून में आपके लिए ये अच्छा रहेगा.

3. लाइन प्रिंट ड्रैस आपको मौनसून में भी देगी नया लुक

 

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अगर आप मौनसून में कुछ नया ट्राई करना चाहते हैं तो मौनी की ये ड्रैस आपके लिए परफेक्ट रहेगी. मौनसून में कौटन पहनना सही नही रहता, इसलिए आप चाहे तो इस ड्रैस की तरह के कपड़े को ट्राई कर सकती हैं.

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4. मौनसून में गाउन लुक है परफेक्ट 

गाउन ड्रैसेस आजकल मार्केट में पौपुलर है ये आपको सिंपल के साथ-साथ एलिगेट लुक देता है. आप अगर मौनसून में कुछ सिंपल लेकिन ट्रैंडी ट्राय करना चाहती हैं तो मौनी की ये डार्क पर्पल नेट लौंग ड्रैस आपके लिए परफेक्ट रहेगी.

जाने किस तरह बनाया जाता है मैदा ? शायद ये जानकर मैदा खाने से पहले सौ बार सोचेंगे आप!

आपने अक्सर अपने घर में बड़ों को ये कहते सुना होगा कि ,”मैदे से बनी हुई चीज़ ज्यादा मत खाया करो वरना पेट खराब हो जायेगा”. इसके बावजूद आप हर दिन मैदे से बनी चीजों का सेवन करते हैं. पर क्या आप ये जानते है की उनके ऐसा कहने की वजह क्या है?

भारतीय रसोई में मैदा या रिफाइंड आटा एक लोकप्रिय सामग्री है. ये लगभग हर घरों में बहुत ही आसानी से मिल जाता है. इसके बगैर तो हम अपने फ़ास्ट फ़ूड या जंक फ़ूड की कल्पना भी नहीं कर सकते.
हम सभी ने मैदे से बनी चीज़ों जैसे नान, समोसे, बिस्कुट, ब्रेड ,पिज़्ज़ा , केक आदि को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है. असल में बाजार में मौजूद 80 % बेकरी प्रोडक्‍ट मैदे से ही बनते है.
लेकिन क्या ऐसा करना सही है? यह वास्तव में हमारे शरीर को कैसे नुकसान पहुंचाता है?
पर मैदे से होने वाले नुकसान को जानने से पहले ये जानना बहुत जरूरी है कि मैदा बनता कैसे है?
शायद हममे से बहुत से लोग ये नहीं जानते की मैदा भी आटे की तरह गेंहू से बनता है. हो सकता है ये जानकार आपको लग रहा होगा की तब तो मैदा हमारे स्वास्थय के लिए नुकसानदायक नहीं है.पर नहीं ऐसा बिलकुल भी नहीं है.
दरअसल, ऐसा इसलिए है क्योंकि दोनों को बनाने का तरीका बहुत अलग होता है. जब आटा तैयार किया जाता है तो गेंहू की ऊपरी परत को हटाया नहीं जाता है. साथ ही आटे को थोड़ा दरदरा भी पीसा जाता है. ऐसा करने से आटे में फाइबर की मात्रा बरकरार रहती है और इससे आटे में फोलिक एसिड, विटमिन ई, विटमिन बी-6 और बी- कॉम्प्लेक्स जैसे विटमिन और मैग्नीशियम, मैग्नीज़, जिंक जैसे कई मिनरल्स बने रहते है. जो हमारी सेहत के लिए बहुत लाभकारी हैं.

जबकि मैदे के साथ ऐसा नहीं होता है. मैदा या Refined flour गेहूँ के दाने के भीतरी भाग से बने गेहूँ के आटे का महीन रूप है. गेहूं के दाने में रोगाणु, चोकर और एंडोस्पर्म जैसे तीन अलग-अलग तत्व होते हैं. गेहूं में प्रमुख पोषक तत्व और प्रोटीन रोगाणु और अनाज के चोकर भागों में रहते हैं. लेकिन, मैदे को गेहूं के दाने के एंडोस्पर्म भाग से तैयार किया जाता है. गेहूं के आटे के 97% rich फाइबर को अलग करने के बाद मैदा तैयार किया जाता है. मैदा बनाते वक्त गेंहू की ऊपरी परत को पूरी तरह से हटा दिया जाता है. इसके साथ ही इस गोल्डन परत के अंदर जो गेंहू का भाग होता है उसे इतना बारीक पीसा जाता है कि उसके सभी पोषक तत्व समाप्त हो जाते हैं जिसके फलस्वरूप इसमें प्रोटीन सहित कोई भी पोषक तत्व नहीं रह जाते है.

लेकिन ये प्रक्रिया सिर्फ यहीं तक नहीं रूकती .इसके बाद नंबर आता हा मैदे को सफ़ेद रंग और कोमलता देने का.इसके लिए मैदे को रिफाइनिंग प्रक्रिया और ब्लीचिंग प्रक्रिया से गुजरना होता है. इस प्रक्रिया में उपयोग किये जाने वाले रसायन ही मैदे को हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनाते हैं.

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आइये जानते है उन जहरीले रसायनों के बारे में जो मैदे को हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनाते है-

1-एलोक्सन (Alloxan) और बेंज़ोयल पेरोक्साइड

बेंज़ोयल पेरोक्साइड एक हानिकारक रसायन है जो दांतों को सफेद करने वाले उत्पादों और हेयर डाई में उपयोग करने के लिए डाला जाता है.  लेकिन यहाँ पर मैदे को उसका विशिष्ट सफेद रंग देने के लिए इसका उपयोग एक ब्लीचिंग एजेंट के रूप में किया जाता है,जो वाकई हमारे स्वास्थय के लिए बहुत हानिकारक है.
इसके अलावा, मैदे को एक चिकनी बनावट और कोमलता प्रदान करने के लिए इसमें एक अन्य रसायन, एलोक्सन (Alloxan) भी जोड़ा जाता है. एक रिसर्च के अनुसार एलोक्सन, अग्न्याशय की बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप टाइप 2 मधुमेह होता है.

2. मिनरल आयल और अजीनोमोटो

मिनरल आयल डीजल, केरोसिन और पेट्रोलियम का स्पिन-ऑफ है. यह मैदा युक्त खाद्य पदार्थों में एक संरक्षक के रूप में उपयोग किया जाता है. इसके उपयोग से मैदे से बने प्रोडक्ट जल्दी खराब नहीं होते क्योंकि इसमें बैक्टीरिया जीवित नहीं रह सकते हैं. लेकिन इसमें मौजूद टॉक्सिक उत्पाद ,इसे हमारे लिए असुरक्षित बनाते है. अजीनोमोटो या एमएसजी (मोनोसोडियम ग्लूटामेट) पर चाइना और यूरोपियन देशो की सरकारों द्वारा किडनी ख़राब होने और कैंसर जैसी बीमारियों के संभावित खतरे के कारण बैन लगा दिया गया है.

3. मैदा में अन्य हानिकारक रसायन

कई मैदे से भरपूर खाद्य पदार्थों में भी संभावित रूप से खतरनाक रसायन जैसे बेंजोइक एसिड और सोडियम मेटा बाय-सल्फेट (एसएमबीएस) होते हैं जो विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं में कई स्वास्थ्य जटिलताओं को जन्म दे सकते हैं.

अभी तक तो हमने जाना की मैदा कैसे बनता है ,चलिए अब जानते है मैदे की चीज़ों को खाने के नुक्सान-

1. मोटापे का खतरा

मैदे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI ) बहुत अधिक होता है, जिसके कारण आम खाद्य पदार्थों की तुलना में इसमें कैलोरी की मात्रा दोगुनी होती है. जब कैलोरी की मात्रा अधिक होती है, तो शरीर की कोशिकाओं को आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज प्राप्त होता है, जो वसा के रूप में जमा हो जाता है, जिससे तेजी से वजन बढ़ता है.

2. दाँतों में कैविटी होने का डर-

हम अक्सर सोंचते है की हम तो ज्यादा मीठा खाते नहीं ,आखिर फिर हमारे दाँतों में कैविटी क्यों लग जाती है.तो मै आपको बता दूं की कैविटी सिर्फ मीठा खाने से ही नहीं बल्कि बहुत सारे जंक फ़ूड और स्टार्चयुक्त भोजन करने से भी होती है. जब हम सफेद ब्रेड, पिज्जा, पास्ता और बर्गर खाते है तो ये आसानी से दो दांतों के बीच की दरारों में फंस जाते है . माना की वे मीठे नहीं हैं लेकिन इन खाद्य पदार्थों में मौजूद स्टार्च जल्द ही सुगर में परिवर्तित होने लगते हैं क्योंकि हमारे मुंह में शुरू होने वाली Reducing Process लगभग तुरंत हो जाती है. और सुगर हमारे दांतों के लिए हानिकारक होती है,इससे हम अपने दाँतों का कैल्शियम खो देते है .जिसके फलस्वरूप उनमे कैविटी लग जाती है.और हम अपने दांतों की रंगत खो देते है.

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3- टाइप 2 डायबिटीज का खतरा-

मैदे से बने खाद्य पदार्थों के नियमित सेवन से ब्लड में ग्लूकोज का स्तर काफी बढ़ जाता है. क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI ) होता है.
और ऊपर ये हम जान चुके है की मैदे की कोमलता और रंग को सुधारने के उपयोग किया जाने वाला रसायन एलोक्सन (Alloxan) रक्त में अग्नाशयी बीटा कोशिकाओं की एक बड़ी मात्रा को नष्ट कर देता है. अग्न्याशय का मुख्य काम मानव शरीर में शर्करा और ग्लूकोज स्तर को नियंत्रित करना होता है. इस प्रकार, एलोक्सन (Alloxan) का उपयोग रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है जो मधुमेह रोगियों को जन्म देता हैं.

4- पाचन में बाधा-

मैदा बहुत चिकना और महीन होता है, साथ ही इसमें डाइट्री फाइबर बिल्कुल नहीं होता है इसलिए इसे पचाना आसान नहीं होता. सही से पाचन न हो पाने के कारण इसका कुछ हिस्सा आंतों में ही चिपक जाता है और कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकता है. इसके सेवन से अक्सर कब्ज की समस्या हो जाती है और पाचन तंत्र खराब होने का भी खतरा रहता है.

5- गठिया और हार्ट की बीमारी-

जब ब्‍लड शुगर बढ़ता है तो खून में ग्‍लूकोज़ जमने लगता है, जिससे कैटरैक्‍ट से ले कर गठिया और हार्ट की बीमारियां होने लगती हैं.

6-गर्भावस्था के दौरान मैदे के सेवन से बचे-

खाने कि कई चीज़ें मैदे की बनी होती है.गर्भावस्था के दौरान बिना सोचे-समझे इन चीज़ों को खाने से सिर्फ़ आपका वज़न बढेगा,पोषण नहीं.इसलिए इस दौरान इन चीज़ों से दूरी बनाये रखे ये न सिर्फ आपके लिए बल्कि आपके आने वाले शिशु के लिए भी हितकारी होगा.

7- हड्डियां हो जाती हैं कमजोर-

मैदा बनाते वक्‍त इसमें से प्रोटीन निकल जाता है और यह एसिडिक बन जाता है जो हड्डियों से कैल्‍शियम को खींच लेता है. इससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. मैदे को नियमित खाते रहने से शरीर का इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर हो जाता है और बार बार बीमार होने की संभावना बढ़ने लगती है.

मैदे (Refined Flour) के विकल्प

अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए, मैदे के सेवन से बचना सबसे अच्छा है. यदि यह मुश्किल लगता है, तो इसके सेवन को जितना संभव हो उतना सीमित कर देना चाहिए. आप चाहे तो आप मैदे के स्थान पर पूरे गेहूं का आटा, बाजरे, ज्वार और मक्के का आटा रागी,चावल का आटा,बेसन और उड़द दाल का आटा आदि का उपयोग कर सकते हैं और अगर आप पूरी तरह से मैदा नहीं छोड़ पा रहे है तो आप मैदे से बनी कोई भी चीज़ बनाने से पहले इन आटे को मैदे में मिलाकर इसकी मात्र को कम कर सकते है. अब भी ऐसे कई नूडल्स और पास्ता निर्माता हैं जो सूजी का उपयोग करते हैं और मैदे से बचते हैं. ये अच्छे विकल्प हैं जिनका उपयोग स्वस्थ रहने के लिए किया जा सकता है.

दोस्तों एक चीज़ हमेशा याद रखें की हर व्यक्ति की असली दौलत उसकी सेहत होती है .ऐसे में जरूरी है की स्वास्थय का सही ख्याल रखा जाए.क्योंकि स्वाद से ज्यादा जरूरी होता है आपका स्वास्थ्य. इसलिए, स्वास्थ्य पर मैदे के हानिकारक प्रभावों को समझना, इसकी खपत को सीमित करना और स्वस्थ विकल्पों पर स्विच करना बहुत महत्वपूर्ण है.

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