क्या आप भी मास्क के अंदर सांस की बद्बू से परेशान हैं?

कोरोना वायरस एक ऐसी महामारी है जिसमें हम बिना मास्क लगाए बाहर निकलने की सोच भी नहीं सकते.  क्योंकि यह आपको और दूसरों को सुरक्षित रखेगा. लेकिन अब जब आप फेस मास्क पहन रहे हैं, तो क्या आप अक्सर अप्रिय गंध का शिकार होते हैं? हैरान हैं ?

अरे यह आपकी दुर्गंध वाली सांस है. हालांकि आपने पहले इस पर ध्यान नहीं दिया होगा. लेकिन अब जब आपकी सांस आपके चेहरे से टकरा रही है, तो गंध को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल है.

शोध बताते हैं कि लगभग 80 मिलियन से अधिक लोग सांस की दुर्गंध से पीड़ित हैं. ज्यादातर मामलों में इसकी वजह  मसूड़ों और दांतों की सड़न है.

वैसे यह एक सामान्य स्थिति है और इसे रोकने के कई तरीके हैं. इन सुझावों के पालन से आप सांसों की बदबू से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती हैं और साथ ही अपने मुंह को दैनिक रूप से स्वस्थ रख सकते हैं.

हमारी सांसों से बदबू आने के क्या क्या कारण हो सकते हैं

  • अपने दांतो की अच्छे ढ़ंग से सफाई न करना भी बद्बूदार सांस का एक मुख्य कारण हो सकता है.
  • यदि आप कम पानी पीते हैं तो भी आप के मुंह की अच्छे से सफाई नहीं होती है जिस वजह से आपकी सांसों से बदबू आने लगती है.
  • आपके गले का बार बार सूखना.
  • स्वच्छता में कमी रखना.

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इन  कारणों की वजह से आपके मुंह में पेथॉजेनिक कीटाणु बहुत तेजी से बनने लगते हैं. जो आपकी सांसों को बदबूदार बनाते हैं. जब आप दिन में कई बार अपने मुंह को धोते हैं या ब्रश करते हैं तो आप उन सारे कीटाणुओं को भी अपने मुंह से बाहर निकाल देते हैं. जिसकी वजह से आपका मुंह व सांस स्वच्छ रहती हैं. लेकिन यदि आप ब्रश और कुल्ला करना बार बार पसंद नहीं करते हैं तो इन्हीं कीटाणुओं की अधिकता के कारण आपके मुंह से बद्बू आने लगती है.

इन टिप्स का करे पालन

बार बार पानी पिएं : आप को इस महामारी के दौरान यह सुनिश्चित करना है कि क्या आप पर्याप्त पानी पी रहे हैं? आप को एक दिन में 6 से 8 लीटर पानी पीना होता है. इससे आपका गला भी नहीं सूखेगा. जिस वजह से आपकी सांसों से दुर्गंध भी नहीं आएगी और आपको मास्क लगाना भी मुश्किल नहीं लगेगा. यदि आप कोई ऐसे दवा खाते हैं जिससे आपका गला सूखता है तो आपको अवश्य ही पानी अधिक से अधिक पीना चाहिए.

अधिक मीठा या तला हुआ भोजन न खाएं : यदि आप जंक फूड या ज्यादा मीठा खाना पसंद करते हैं तो यह भी आपकी सांसों को बद्बूदार बना सकता है. इसलिए जितना हो सके उतना तले हुए व मीठे खाने को अवॉइड करे. क्योंकि इनमें मौजूद कीटाणु आपके लिए हानिकारक हो सकते हैं. ये न केवल मास्क में आपको सांस लेने में परेशान करते हैं बल्कि आपके स्वास्थ्य के लिए भी बहुत नुकसान दायक हैं.

धूम्रपान न करें : धूम्रपान व तंबाकू न केवल आपकी सांसों में बदबू उत्पन्न करते हैं बल्कि आपके स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है. आपको कम से कम धूम्रपान करना चाहिए या बिल्कुल ही नहीं करना चाहिए. इससे आपको कैंसर, दांतो में समस्या व और भी बहुत तरह के जानलेवा रोग हो सकते हैं. स्वयं को इस वायरस से बचाने के लिए तंबाकू का सेवन बिल्कुल ही न करें.

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6 टिप्स: लंबे समय तक टिकी रहेगी नाखूनों पर नेल पौलिश

खूबसूरत नेल पौलिश हमारे नाखून को और भी आकर्षक बनाते हैं. पर नेल पौलिश कुछ ही दिनों में नाखून पर से उतर जाती है या कलर छोड़ देती है और बार बार नेल पौलिश लगाना संभव नहीं हो पाता. इस समस्या से हम में से कई लडकियां परेशान हैं. अगर गहरे रंग की नेल पौलिश छूटने लगे तो वह बहुत ही खराब लगती है. लेकिन आप हर दिन वही नेल पौलिश तो नहीं लगाती फिरेंगी और ना ही घर के काम काज या खाना बनाना छोड देंगी. नेल पौलिश किस तरह से लंबे समय तक नाखूनों पर टिके इसके लिये आइये जानते हैं कुछ टिप्सः

1. साफ नाखूनों पर लगाएं

हमेशा नेल पौलिश को साफ नाखूनों पर ही लगाएं. इससे कोई फरक नहीं पडता कि आपने पहले कोई नेल पौलिश लगाई थी या नहीं. नाखून के आस पास का प्राकृतिक तेल, नेल पौलिश को ज्यादा समय के लिये ठहरने नहीं देती. इसलिये नाखूनों को अच्छे से साफ करें.

2. नाखून साफ करें

नया कलर कोट लगाने से पहले अपने नाखूनों को साफ करें. पुरानी नेल पौलिश को नेल रिमूवर से छुड़ा कर फाइलर से नेल को शेप करें. उसके बाद हाथों को साफ पानी से धोएं.

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3. रंग पसंद करें

अपने मूड और उत्सव के अनुसार नेल पौलिश का कलर पसंद करें. नेल पौलिश की बोतल को कुछ मिनट के लिये हिलाएं जिससे वह गाढ़ी हो जाए. इससे रंग आसानी से बाहर निकलेगा और नाखून पर अच्छी तरह से बिना किसी बबल के फैलेगा.

4. बेस कलर लगाएं

नेल पौलिश को देर तक रखने के लिये, एक कोट बेस का लगाएं, जो कि दिखने में ट्रांसपेरेंट होता है. इसको सूख जाने दें और फिर उसके बाद नेल पेंट लगाएं. अगर दूसरे कोट की जरूरत महसूस हो रही है तो दुबारा नेल पौलिश लगाएं और कुछ देर के लिये सूखने दें.

5. गाढ़ा कोट लगाने से बचें

गाढ़ा कोट लगाने से नेल पौलिश 2 ही दिनों में छूटने लगती है. इसलिये थोडी़-थोडी़ देर पर 2-3 कोट लगाइये जिससे नेल पौलिश कस के चिपक जाए.

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6. जरूरी है टौप कोट

नेल पौलिश लगा लेने के बाद बेस कोट से एक बार दुबारा नाखूनों को पेंट करें. इससे नेल शाइन करेंगे और नेल पौलिश मजबूती से लग भी जाएगी. बेस कोट को नेल पौलिश पर कई-कई दिनों पर लगा सकती हैं

9 Tips: कपड़ों से हटाएं Germs

हम चाहे घर में हो या फिर बाहर हर जगह कीटाणुओं, बैक्टीरिया, वायरस से न चाहते हुए भी संपर्क में आ ही जाते हैं. किसी जगह पर हाथ लगाने से, हवा में, खांसते हुए, छींकते हुए, किसी से हाथ मिलाते हुए, कोई चीज टच करते हुए, दीवार के सहारे खड़े होते हुए, किसी से गले मिलते हुए हमारा सामना जर्म्स से हो ही जाता है. ये जर्म्स हमारे कपड़ों पर भी चिपक जाते हैं और फिर यदि कपड़ों को अच्छी तरह क्लीन न किया जाए तो ये हमें बीमार भी बना सकते हैं. ऐसे में उन की खास केयर की जरूरत होती है, ताकि हम खुद को सेफ रख सकें. आइए, जानते हैं हम कैसे अपने कपड़ों को जर्मफ्री रख सकते हैं.

कपड़ों को इकट्ठा कर के न रखें

अधिकांश घरों में हफ्तेभर के कपड़े एकसाथ धुलने के लिए एक जगह जमा किए जाते हैं. मानसून के मौसम में इन कपड़ों में नमी आ जाती है जो जर्म्स को भरपूर पनपने का मौका देती है. कोरोना संक्रमण के दौर में तो यह स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है.

कुछ बैक्टीरिया तो ऐसे होते हैं जो उसी दिन मर जाते हैं, जबकि ई. कोली और सैल्मोनैला नामक बैक्टीरिया कुछ हफ्तों तक जीवित रहते हैं, वहीं स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया महीनों तक पनपते रहते हैं. इसलिए भूल कर भी कपड़ों को इकट्ठा कर के न रखें. इस से जर्म्स उन में पनप नहीं पाते और आप खुद को बीमारियों से बचा सकते हैं.

बच्चों के कपड़ों को अलग धोएं

बच्चों के कपड़ों की धुलाई का खास ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि वे जमीन पर खेलते रहते हैं, खिलौनों को अपने पास रख कर सोते हैं, गंदे हाथों को अपने कपड़ों से साफ करते हैं और न जाने कितनी ऐसी चीजों को छूते हैं, जहां गंदगी होती है. ऐसे में उन के कपड़े सब से ज्यादा जर्म्स के संपर्क में आते हैं. यदि आप उन के कपड़ों को दूसरे कपड़ों के साथ धोएंगी तो जर्म्स के दूसरे कपड़ों में भी जाने का डर बना रहता है. इसलिए उन के कपड़ों को अलग रखें और ऐसे लिक्विड या पाउडर से धुलें जिस में कैमिकल्स का ज्यादा इस्तेमाल न किया गया हो. कपड़े धोने के बाद किसी डिसइन्फैक्टैंट में कपड़ों को डिप जरूर करें.

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बाहर से आने पर तुरंत कपड़े धोएं

जब भी आप बाहर से आएं तो जितना जल्दी हो सके आप अपने कपड़ों को धोएं. एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस काफी देर तक कपड़ों पर चिपका रहता है. यदि उन कपड़ों को बिना धुले दूसरे कपड़ों के साथ रख दिया जाए तो नमी पा कर यह वायरस और पनप सकता हे. जिस पर अगर हम ने ध्यान नहीं दिया तो हम वायरस के संपर्क में आ कर बीमार पड़ सकते हैं. इसलिए जितना जल्दी हो सके बाहर से आते ही अपने कपड़ों को डिसइन्फैक्टैंट मिले हुए पानी में डिप कर के कुछ देर के लिए छोड़ दें.

वाश का तरीका हो सही

आप अगर हाथ से कपड़े धो रही हैं तो आप बाल्टी में पानी डाल कर उस में डिटर्जैंट मिला कर थोड़ी देर के लिए उस में कपड़ों को भिगो कर रख दें, फिर उन्हें धोंएं. इस से सभी जर्म्स मर जाते हैं और अगर आप मशीन में कपड़े धोएं तो पहले मशीन को पानी से अच्छे से साफ कर लें, फिर कपड़ों को 10-15 मिनट अच्छे से डिटर्जैंट से धोएं और फिर उसे साफ पानी से वाश कर के ड्रायर करें. इस से कपड़े  अंदर तक अच्छे से साफ हो जाते हैं.

गरम पानी से कपड़े धोएं

सैंटर फौर डिजीज कंट्रोल के अनुसार, हलके कुनकुने पानी से कपड़ों को धोएं, ताकि कपड़ों से जर्म्स पूरी तरह से मर जाएं. डिटर्जैंट हमेशा अच्छी क्वालिटी का ही यूज करें. इस बात का भी ध्यान रखें कि जिन कपड़ों को गरम पानी से नहीं धोने की सलाह दी जाती है उन्हें गरम पानी से बिलकुल न धोएं बस उन के लिए कपड़े धोने का सही तरीका अमल में लाएं.

टौवेल्स की खास सफाई

आप भूल कर भी गंदे टौवेल्स को बाकी कपड़ों के साथ न रखें, क्योंकि टौवेल्स बहुत मोटे होने के कारण उनमें बैक्टीरिया लंबे समय तक जीवित रहते हैं. बाथरूम और किचन टौवेल्स जो गंदगी के संपर्क में ज्यादा आते हैं उन में साल्मोनेला और ई. कोली बैक्टीरिया पनपने के कारण हमारी हैल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए जब भी इन्हें धोएं तो इन्हें पहले तो अलग ही रखें और जब धोएं तो इन्हें गरम पानी में डिटर्जैंट डाल कर आधा घंटा भिगो कर रख दें. इस के बाद इन्हें धोने से उस में मौजूद सभी बैक्टीरिया मर जाते हैं.

ब्लीच करें

ब्लीच गुड डिसइन्फैक्टिंग एजेंट के रूप में जानी जाती है. लेकिन हर तरह की ब्लीच कपड़ों पर इस्तेमाल नहीं की जाती. कपड़ों के लिए एक खास तरह की ब्लीच होती है, जिस से कपड़े खराब नहीं होते हैं. इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि कितने कपड़ों में कितनी क्वांटिटी डालनी है. इस से कपड़ों में लगे जर्म्स मर जाते हैं.

स्टीमिंग है कारगर

स्टीम क्लीनिंग कपड़ों से बैक्टीरिया को मारने में मदद करती है. साथ ही कपड़ों को फिनिशिंग देने का भी काम करती है. आजकल तो मार्केट में ऐसी वाशिंग मशीनें आ गई हैं, जिन में स्टीम मेयर टैक्नोलौजी होती है, जो 90% तक बैक्टीरिया को किल करने में सहायक है. तो आप अगर चाहें तो स्टीम क्लीनिंग का औप्शन को भी चुन सकती हैं.

वाशर या बकेट को हमेशा साफ रखें

अगर आप अपने कपड़ों को जर्मफ्री रखना चाहती हैं तो हर वाश से पहले अपनी मशीन के वाशर या फिर बाल्टी, जिस में आप कपड़े धोने वाली हैं उसे साफ करना न भूलें क्योंकि उस के तले में गंदगी और न दिखने वाले बैक्टीरिया और जर्म्स रहते हैं, जिन्हें पानी से अच्छे से साफ कर के ही हटाया जा सकता है. इस तरह आप खुद को व अपने परिवार की बीमारियों से बचा सकती हैं.

डिटर्जैंट चुनने से पहले

डिटर्जैंट पाउडर या लिक्विड खरीदने से पहले अपने बजट के साथसाथ इन खास बातों का भी ध्यान रखें:

– लिक्विड डिटर्जैंट पाउडर डिटर्जैंट की तुलना में काफी महंगा होता है और अकसर लोग लिक्विड की मात्रा का सही अंदाज नहीं लगा पाते. ऐसे में पाउडर डिटर्जैंट खरीदना बेहतर रहेगा.

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– बाजार में कौंबिनेशन डिटर्जैंट भी उपलब्ध हैं यानी पाउडर के साथ इन में ब्लीच या फैब्रिक सौफ्टनर या फिर इन दोनों में से किसी एक का मिश्रण होता है. इसी के अनुसार कीमत भी कमज्यादा होती है. इसलिए जरूरत के हिसाब से ही इस का चयन करें.

– यदि बच्चों के कपड़ों के लिए अलग से डिटर्जैंट लेना बजट से बाहर है तो ऐसा डिटर्जैंट चुनें जिस में कैमिकल्स का इस्तेमाल कम से कम किया गया हो.

– फैब्रिक सौफ्टनर महंगा मिलता है. यदि इस का इस्तेमाल बजट के अंदर करना है तो इसे सिर्फ उन्हीं कपड़ों पर इस्तेमाल करें जो डेलीकेट हों.

 

समीर शर्मा सुसाइड: नहीं रहे ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के ‘शौर्य’, घर पर मिली डेड बॉडी  

बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्री के लिए ये साल बेहद दुखद है. एक के बाद एक कलाकार अपनी जान दे रहे हैं जिनमें नया नाम शामिल हुआ है एक्टर समीर शर्मा का. उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. 44 साल के समीर स्टार प्लस के पॉपुलर शो ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में ‘अक्षरा’ के भाई और ‘ये रिश्ते हैं प्यार के’ में ‘कुहू’ के पिता ‘शौर्य माहेश्वरी’ का किरदार निभा रहे थे.

पंखे से लटकी मिली डेड बॉडी…

खबरों के अनुसार समीर की डेडबॉडी उनके घर के किचिन की छत से लटका हुआ मिला है. समीर शर्मा नेहा सीएचएस बिल्डिंग मलाड वेस्ट में रहते थे. एक रिपोर्ट के अनुसार, समीर शर्मा का शव बिल्डिंग के वॉचमैन को उस समय नजर आया, जब वो रात की ड्यूटी के दौरान टहल रहा था. इसके बाद वॉचमैन ने अपने सुपरवाइजर को इस बात की जानकारी दी और फिर पुलिस को कॉल किया गया. समीर शर्मा के शव के पास से कोई सुसाइड नोटिस नहीं मिला है.

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Least favorite part about getting ready 😣

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Varsha Shaurya nok jhok 😊 @poojajoshiarorareal @samir5d Photo credit @sanjeevjotangia

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दो दिन पहले ही लगा ली थी फांसी…

मलाड पुलिस ने इस मामले को एक्सीडेंटल डेथ के रूप में रजिस्टर किया है. मलाड पुलिस स्टेशन के सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर जॉर्ज फर्नांडिस ने मीडिया को बताया है कि, ‘हमने इस केस को एक्सीडेंटल डेथ के रूप में दर्ज किया है और मृत के शव को जांच के लिए भेज दिया गया है.’ पुलिस ने यह जानकारी भी दी है कि शव को देखकर ऐसा लग रहा था कि समीर शर्मा ने दो दिन पहले फांसी लगा ली थी.

 

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We are family!

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Having fun on the set with Jugnu and Abir 🙂 #yehrishteyhainpyaarke #yrhpk #actorslife

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अकेले रहते थे समीर…

समीर शर्मा अपने मलाड स्थित फ्लैट में अकेले रहते थे. इस फ्लैट में उन्होंने कुछ दिनों पहले ही शिफ्टिंग की थी. समीर शर्मा और उनकी पत्नी की पिछले कुछ दिनों से बात नहीं हो पा रही थी, जिसके बाद उनकी पत्नी को शक हुआ. जब समीर के फ्लैट पर जाकर देखा गया तो वहां एक्टर का मृत शव मिला.

समीर शर्मा ने किन कारणों के चलते आत्महत्या की है, यह पता नहीं चल पाया है. पुलिस अभी मामले की जांच कर रही है.

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The boys brigade 😉 #yehrishteyhainpyaarke #yrhpk

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Chillin wid da ladies 😉

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बता दें कि समीर 15 साल से टीवी इंडस्ट्री में काम रहे थे. उन्होंने 2005 में ‘दिल क्या चाहता है’ सीरीयल से डेब्यू किया था. 2014 में वे फिल्म ‘हंसी तो फंसी’ में भी नजर आए थे. इसके अलावा क्योंकि सास भी कभी बहू थी, कहानी घर घर की और लेफ्ट राइट लेफ्ट जैसे पॉपुलर शोज में भी अहम रोल निभाए थे.

परीक्षा: प्रकाश झा की बेहतरीन मकसद वाली फिल्म

निर्माता: प्रकाश झा प्रोडक्शन

लेखक व निर्देशक: प्रकाश झा

कलाकार: आदिल हुसैन, प्रियंका बोस, शुभम झा, संजय सुरी, सीमा सिंह व अन्य.

ओटीटी प्लेटफॉर्म: जी 5

अवधि: एक घंटा 42 मिनट

रेटिंग: साढ़े तीन स्टार

इस फिल्म में प्रकाश झा ने शिक्षा पद्धति पर कुठाराघात करने और  प्रतिदिन महंगी होती शिक्षा के साथ-साथ समाज के तथाकथित समाज सुधारकों पर भी कटाक्ष किया है.

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कहानी:

सत्य घटनाक्रम पर आधारित यह कहानी बिहार के एक रिक्शा चालक बच्चू पासवान (आदिल हुसैन) की है, जो कि रांची की अंबेडकर नगर बस्ती में रहता है. और रांची के अंग्रेजी भाषा स्कूल “सफायर इंटरनेशनल” के बच्चों को अपने रिक्शे में बैठाकर स्कूल छोड़ने  और शाम को उनके घर पहुंचाने का काम करता है. उसका अपना बेटा बुलबुल( शुभम झा )सरकारी स्कूल में हिंदी माध्यम में पड़ता है. जबकि उसकी पत्नी राधिका( प्रियंका बोस) एक स्टील बरतन की फैक्ट्री में बफिंग का काम करती है .सरकारी स्कूल में पढ़ाई नहीं होती. अक्सर शिक्षक गायब रहते हैं .अपने बेटे बुलबुल को एक अच्छा इंसान बनाने के लिए बच्चू पासवान “सफायर इंटरनेशनल स्कूल” की प्रिंसिपल( सीमा सिंह) से बात करके प्रवेश दिलाता है .बुलबुल की प्रवेश परीक्षा में बुलबुल की मेधावी प्रतिभा से स्कूल के शिक्षक प्रभावित होते हैं. स्कूल की लंबी चौड़ी फीस, ट्यूशन फीस और स्कूल की पोशाक आदि के खर्च को महज रिक्शा चलाकर पूरा करना बच्चू के लिए मुश्किल हो जाता है . इसलिए वह छोटी-मोटी चोरियां करने लगता है.

एक दिन चोरी करते हुए बच्चू पासवान पकड़ा जाता है. पर वह अपने बेटे बुलबुल की जिंदगी को संवारने के लिए पुलिस के सामने जुबान नहीं खोलता है. अपना नाम तक नहीं बताता है .मामला रांची के एसएसपी कैलाश आनंद (संजय सुरी) तक पहुंचता है. एसएसपी को बच्चू की जेब से बुलबुल के बारे में पता चलता है. वह बुलबुल के स्कूल में जाकर बुलबुल के बारे में जानकारी लेकर  परेशान हो जाते हैं. क्योंकि स्कूल की प्रिंसिपल बताती हैं कि बुलबुल स्कूल का मेधावी छात्र है और उसके पिता बच्चू एक रिक्शा चालक हैं. अब एसएसपी, बुलबुल की मदद करने का सोचते हैं .वह अंबेडकर नगर बस्ती में जाकर बुलबुल व उसके साथियों को पढ़ाना शुरू करते हैं. यह बात स्थानीय विधायक को पसंद नहीं आती है. इस बीच बुलबुल के पिता बच्चू को 3 साल की सजा हो जाती है. 10वीं की बोर्ड परीक्षा से पहले प्रीलियम में बुलबुल टाप करता है. एक चोर का बेटा पढ़ने में इतना तेज हो यह बात स्कूल के दूसरे बच्चों के माता-पिता को पसंद नहीं आता है. यह प्रभावशाली लोग मंत्री जी से बात कर  एसएसपी का तबादला करवा देते हैं. उसके बाद सभी माता-पिता स्कूल के मैनेजमेंट पर दबाव बनाते हैं कि वह बुलबुल को बोर्ड की परीक्षा न देने दे . पर बुलबुल ब परीक्षा देता है और स्कूल का नाम रोशन करता है.

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लेखन व निर्देशन:

फिल्म में एक संवाद है-” औकात से ज्यादा सपने दिखा दिया..”यह संवाद बहुत कुछ कह जाता है.जी हां! हिंदी भाषी सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला बच्चा जब नौवी कक्षा में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पहुंचता है ,तो उसे अपने सह पाठियो के व्यवहार के अलावा क्या-क्या झेलना पड़ता है, इसका इस फिल्म में  फिल्मकार ने एकदम सटीक चित्रण किया है.

इस फिल्म में फिल्मकार ने देश के एक विशाल तबके को अपनी क्षमता का एहसास करने से रोकने के लिए समाज के प्रभावशाली तबके द्वारा  तमाम तरह के सामाजिक व्यवस्था आर्थिक अड़चन पैदा करता है, इसका एक यथार्थ चित्रण किया है.तेज गति से भागती हुई साधारण कहानी ना सिर्फ दर्शकों को बांध कर रखती हैं, बल्कि निर्देशक जिस बात को कहना चाहते हैं, वह बात लोगों के दिलों तक पहुंच जाती है .समाज में अमीर व गरीब के बीच की खाई का असर किस तरह से लोगों के जीवन, स्वास्थ्य व शिक्षा पर पड़ता है ,इस पर भी कुठाराघात किया गया है.समान शिक्षा का सपना किस तरह टूट रहा है, इस पर कटाक्ष करती है. यह फिल्म इस पर भी बात करती है कि आर्थिक व सामाजिक अड़चनों के चलते किस तरह निकले तबके के गरीब बच्चे प्रतिभाशाली होने के बावजूद सही शिक्षा पाने से वंचित रह जाते हैं.

फिल्म के निर्देशक प्रकाश झा बिहार से भली भांति परिचित हैं. इसी वजह से उन्होंने रांची शहर और अंबेडकर नगर  बस्ती की बारीकियों और वहां की वेशभूषा व भाषा का भी इस फिल्म में सफल चित्रण किया है.

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अभिनय:

आदिल हुसैन की अभिनय क्षमता पर कभी कोई शक नहीं किया जा सकता. उन्होंने एक दलित रिक्शा चालक बच्चू पासवान के किरदार को न सिर्फ अपने अभिनय से संवारा ,बल्कि उन्होंने इस किरदार को पूरी संजीदगी के साथ जिया है. एक पिता किस तरह अपने बेटे को बेहतर इंसान बनाने के लिए संघर्ष करता है, उस संघर्ष को आदिल हुसैन ने अपने अभिनय से जीवंतता  प्रदान की है .आदिल हुसैन का पूरा साथ दिया है उनकी पत्नी के किरदार में प्रियंका बोस ने. प्रियंका ने भी  शानदार अभिनय किया है. जबकि बाल कलाकार शुभम झा ने  कमाल का अभिनय किया है. यह उसकी पहली फिल्म है, पर वह एक मझा हुआ कलाकार के रूप में उभरता है. संजय सूरी, सीमा सिंह व अन्य कलाकारों ने भी ठीक-ठाक अभिनय किया है.

Raksha Bandhan 2020: फेस्टिवल के लिए परफेक्ट है ‘सिमर’ के ये फैशनेबल सूट

कलर्स के में आने वाले शो ‘ससुराल सिमर का’ में ‘सिमर’ के नाम से घर-घर में पहचान बनाने वाली एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ स्टार प्लस के शो ‘कहां हम कहां तुम’ में एक टीवी अभिनेत्री का किरदार निभाते हुए नजर आईं. जिसमें डौक्टर रोहित सिप्पी यानी करण वी. ग्रोवर के साथ नोकझोक फैंस को काफी पसंद आई. वहीं दूसरी तरफ देखें तो उनका फैशन भी उनके फैंस के बीच पौपुलर हो रहा है. दीपिका के इंस्टाग्राम पर अगर देखें तो वे अपने लुक की हमेशा फोटो शेयर करती हैं. आज हम उनके उन्हीं फैशन के बारे में बात करेंगे. दीपिका अलग-अलग तरह के सूट में अक्सर नजर आती हैं. रक्षाबंधन आने वाला है, जिसके लिए आप सोच रही होंगी कि कौनसा सूट पहनें. आपकी इस प्रौब्लम के लिए दीपिका के ये सूट परफेक्ट औप्शन है.

1. मौनसून के लिए स्काई ब्लू कलर है परफेक्ट

आजकल लोग डार्क कलर पहनने से बचते हैं. मौनसून में स्काई ब्लू कलर परफेक्ट रहता है. अगर आप भी किसी पार्टी या फैमिली गैदरिंग का हिस्सा बनने जा रहे हैं तो दीपिका का ये सूट आपके लिए परफेक्ट रहेगा. आप इसे सिंपल पैंट के साथ कुर्ते के रूप में भी ट्राय कर सकते हैं और चाहे तो अनारकली फैशन की तरह भी ये सूट कैरी कर सकते हैं.

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2. यैलो कलर है ट्रैंडी

 

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glowing this eid in this lovely sharara by @kalkifashion #eidmubarak

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आजकल बौलीवुड हो या टेलीविजन एक्ट्रेसेस हर कोई यैलो कलर में नजर आ रहा है. अगर आप भी ट्रैंडी दिखना चाहते हैं तो ये लुक आपके लिए एकदम परफेक्ट है. आप दीपिका की तरह सबसे हटकर यैलो कलर को शरारा वाले लुक में भी ट्राय कर सकती हैं. ये आपके लुक को फैशनेबल और स्टाइलिश बनाएगा.

3. रेड कलर है पार्टी परफेक्ट

 

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Love for red ❣️

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आजकल लोग सिंपल के साथ हैवी का कौम्बिनेशन रखना पसंद करते हैं आप भी दीपिका की तरह सिंपल रेड कलर के अनारकली को कैरी करके इसके साथ हैवी इयरिंग्स को पहन सकती हैं. ये आपके लुक को स्टाइलिश के साथ-साथ ट्रैंडी भी बनाएंगी.

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4. ब्लू कलर करें फेस्टिवल में ट्राय

 

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With Freshness and Positivity blooming all around…. Lets Begin!!!!! ❤️❤️❤️❤️ #newbeginnings #excitement

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अगर आप की शादी हाल ही में हुई है और आप कुछ सिंपल लेकिन अच्छा पहनना चाहती हैं तो दीपिका की ये ड्रेस आपके लिए बेस्ट औप्शन है. सिंपल बनारसी कपड़े वाला अनारकली सूट के साथ बनारसी पिंक कलर की चुनरी आपके लुक को ब्यूटीफुल बनाएगी.

बता दें, पिछले ही साल 23 फरवरी को दीपिका कक्कड़ ने शोएब इब्राहिम के साथ शादी की थी, जिसने उनके फैंस के बीच और मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरी थी.

स्नैक्स में परोसे Veg काठी रोल, ऐसा स्वाद जो कभी भूलेंगे नहीं आप

जबसे हमारे देश में कोरोना वायरस महामारी ने दस्तक दी है तब से लोगों ने तो स्ट्रीट फ़ूड से तौबा ही कर ली है.पहले के मुकाबले लोग अब बाहर का कुछ भी खाने से पहले सौ बार सोचते है.इस महामारी ने न जाने कितने chef को जन्म दिया है.अब लोग बहार का जंक फ़ूड न खा कर घर में कुछ नया try करने की सोचते रहते है.और कहीं न कहीं ये सही भी है.क्योंकि बाहर का स्ट्रीट फ़ूड ज्यादातर unhealthy और unhygienic होता है.ये खाने में तो स्वादिष्ट होता है पर इससे हमारे शरीर की immunity पर काफी बुरा असर पड़ता है.

इस महामारी से हमें एक चीज़ जरूर सीखनी चाहिए की जितना ज्यादा हो सके बाहर का कुछ भी खाने से खुद को और अपने परिवार को बचाना चाहिए. तो चलिए आज कुछ नया try करते है जो खाने में स्वादिष्ट भी हो और healthy भी.आज हम बनायेंगे veg काठी रोल .इसे बनाना बहुत ही आसान है. ये बहुत ही फेमस स्ट्रीट फ़ूड है. veg काठी रोल की एक खाशियत है की इसे बनाने में तेल का उपयोग बहुत कम होता है.आप चाहे तो इस रोल में मनचाही सब्जियां भी डाल सकते हैं.वैसे तो इसे बनाने में मैदे का प्रयोग होता है पर अगर हम इसे healthy बनाना चाहते हैं तो इसमें मैदे की जगह गेंहू के आटे का प्रयोग करेंगे.
तो चलिए बनाते है veg काठी रोल –

काठी रोल बनाने के लिए हमें चाहिए-

गेंहू का आटा -2 कप
रिफाइंड आयल या घी मोमन के लिए -2-3 स्पून
खाने वाला सोडा-1/4 tea स्पून
नमक- स्वादानुसार

Stuffing के लिए

प्याज -2 (बारीक लम्बाई में कटी हुई)
गाजर -1 (बारीक लम्बाई में कटी हुई)
शिमलामिर्च -2 (बारीक लम्बाई में कटी हुई)
अदरक और लहसुन का पेस्ट -1 tea स्पून (ऑप्शनल)
मटर -1 tablespoon
स्वीट कॉर्न-2 टेबल स्पून
पनीर-1 छोटा कप ( घिसी हुई)
ऑयल-1/2 tablespoon
विनेगर -2 tea स्पून (ऑप्शनल)
टोमेटो सॉस -3 teaspoon
सोया सॉस -1 tea स्पून (ऑप्शनल)
चाट मसाला-1 tea स्पून
पिसी लाल मिर्च-1/4 tea स्पून
नमक- स्वादानुसार

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चपाती के ऊपर स्प्रेड करने के लिए हमें चाहिए-

पुदीने की पत्तियां-1 कप
हरे धनिया की पत्तियां-1/2 कप
हरी मिर्च-2
दही -1 ½
अदरक-1/2 इंच कटा हुआ
पिसा जीरा -1/2 छोटी चम्मच
काला नमक- ½ छोटी चम्मच
नमक स्वादानुसार

बनाने की विधि-

1-सबसे पहले मिक्सर जार में पुदीने की पत्तियां,हरा धनिया,हरी मिर्च ,अदरक और थोड़ा सा पानी डालकर बारीख पीस ले.
2-अब एक कटोरी में दही ,डाले फिर उसमे तैयार किया हुआ धनिया और पुदीने का पेस्ट डालें .
3-अब उसमे पिसा हुआ जीरा ,काला नमक और स्वादानुसार सफ़ेद नमक डालकर अच्छे से फेट ले.
4-तैयार है दही और पुदीने की स्वादिष्ट चटनी.
5-इसको आप किसी भी स्नैक्स या स्टार्टर के साथ खा सकते है.

veg काठी रोल बनाने का तरीका

1-सबसे पहले एक बड़ा बॉउल ले. उसमे आटा,नमक और खाने वाला सोडा और ऑयल डालकर मिक्स कर लीजिये और थोड़े थोड़े पानी से सॉफ्ट आटा गूंथ लीजिए.

2- अब आटे को ढककर 1 घंटे के लिए रख दीजिये.अब दूसरी तरफ एक पैन में ऑयल गरम करे जब आयल गरम हो जाये तब उसमे प्याज डालकर हल्का भून लें .अब उसमे अदरक लहसुन का पेस्ट डाल कर अच्छे से मिला ले.

3 – अब इसके बाद इसमें सारी सब्जियां जैसे शिमला मिर्च,गाज़र,मटर ,स्वीट कॉर्न और घिसा हुआ पनीर डालकर 2 मिनट तेज़ आंच पर पकाए.याद रखें सब्जियों को ज्यादा नहीं पकाना है.

4-अब उसमे ऊपर से विनेगर,सोया सॉस ,नमक,पिसी लाल मिर्च और टोमेटो सॉस डाल कर अच्छे से भून ले.अब गैस बंद कर दे आपकी stuffing तैयार है.

5- चपाती बनाने के लिए अब गैस पर तवा गरम करे और आटे की लोई बनाकर उसे रोटी के साइज की बेल ले.रोटी के दोनों तरफ हल्का हल्का रिफाइंड या घी लगाकर उसे घुमाकर शेक लीजिए.
इस तरह सारी चपाती सेंक लीजिए.

6-अब हर चपाती के एक तरफ धनिया और पुदीने की चटनी अच्छे से फैलाकर लगा लीजिये और उसके ऊपर Stuffing रखकर उसपर ऊपर से चाट मसाला डाल कर उसे रोल कर लीजिये .तैयार है टेस्टी काठी रोल .आप इसे दही और पुदीने की चटनी के साथ या सॉस के साथ भी खा सकते है.

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सरकार मालामाल जनता बेहाल

कोविड-19 के आंकड़ों के साथसाथ इस समय पैट्रोलडीजल के दामों के आंकड़े भी बेहद बुरी तरह बढ़ रहे हैं. सरकार तीनों फ्रंटों पर बुरी तरह फेल हुई, वास्तविक देश के फ्रंट की तो बात ही न करें.

देश में डीजल और पैट्रोल के दाम विदेशों में इन के दाम बढ़ने से ऊपर नहीं जा रहे, ये सरकारी करों के कारण ऊपर जा रहे हैं. जैसे अंगरेज और जमींदार अकाल में भी लगान वसूल करते रहे हैं, हमारी लोकप्रिय सरकार भी हर बात को मुमकिन करते हुए डीजल और पैट्रोल के माध्यम से खाली हुई जेबों से आखिरी पैसे भी झटक रही है. घरेलू गैस के दाम भी बढ़ रहे हैं.

सरकार कोशिश कर रही है कि राम मंदिर, धारा 370 और नागरिक संशोधन कानून से जो मालामाल उस ने आम जनता को किया है,

उस का एक हिस्सा तो वह वसूल ले. पैट्रोल व डीजल के दामों में बढ़ोतरी किस तरह आम आदमी की जेब पर भारी पड़ती है यह बताना जरूरी नहीं. ये अब विलासिता की वस्तुएं नहीं, आवश्यकताएं हैं, जिन से बचना संभव ही नहीं है. यह पूरे घर को हिला कर रख देने वाली वृद्धि है.

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कोविड-19 की वजह से वैसे ही लोगों को अपने छोटेबड़े घरों में दुबक कर रहना पड़ रहा है. अब न मित्रों से मिलना हो रहा है

न रिश्तेदारों से और न ही पड़ोस के बागों में घूमना. अपने वाहन पर थोड़ा टहलना काफी सुरक्षित है

पर सरकार इस पर भारी टैक्स लगा कर इस सुख को भी छीन रही है.

सरकारी खजाने में पैसे की कमी है तो सरकारी बरबादी को बंद करना चाहिए. राजनीति और सरकारी नौकरी में लोग जाते ही इसलिए हैं कि वहां सरकार जनता का पैसा जम कर लुटाती है. सरकार की हिम्मत नहीं है कि वह अपने लोगों पर कोई अंकुश लगा सके. उसे तो वह जनता मिली हुई है, जो विरोध करनाभूल चुकी है. उसे धर्म का झुनझुना दे कर चुप कराना अब एकदम आसान है.

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मिलिए ‘अनुपमा’ की ‘काव्या’ से, जो हैं मिथुन चक्रवर्ती की बहू

 फिल्म ‘सम्राट एंड कंपनी’ से चर्चित होने वाली अभिनेत्री मदालसा शर्मा चक्रवर्ती ने तेलगू फिल्म से अभिनय कैरियर की शुरुआत की है. विनम्र और हंसमुख मदालसा अभिनेत्री शीला शर्मा और निर्माता, निर्देशक सुभाष शर्मा की बेटी है. मदालसा को बचपन से अभिनय का माहौल मिला है. यही वजह है कि अभिनय के अलावा वह किसी और फिल्ड के बारें में नहीं सोच सकती थी. उन्होंने हर फिल्म में अपनी एक अलग पहचान बनाने की कोशिश की है. काम के दौरान मदालसा का परिचय अभिनेता मिठुन चक्रवर्ती के बेटे मिमोह से हुआ. प्यार हुआ और शादी की. वह अपनी शादी शुदा जिंदगी से बहुत खुश है, क्योंकि मिमोह एक केयरिंग पति है. मदालसा अभी स्टार प्लस की धारावाहिक अनुपमा में डेब्यू कर रही हैं, जिसमें वह काव्या जावेरी की भूमिका निभा रही है. शूटिंग के दौरान उन्होंने समय निकालकर बात की पेश है अंश. 

सवाल-कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सेट पर किस तरह की एहतियात बरती जा रही है?

सेट पर शुरू से तैयारी की जा चुकी है. अभी सेफ्टी को मुख्य रूप से ध्यान में रखा गया है. प्रोड्यूसर ने सारे एक्टर्स और क्रू के लिए जरुरी सेनिटाइजेशन की प्रक्रिया को पूरी तरह से फोलो किया है. हर दो घंटे में चारों तरफ सेनिटाइज किया जाता है. सुबह काम पर आने और जाते सबका तापमान चेक किया जाता है. ओक्सिमीटर से ऑक्सिजन का लेवल देखा जाता है. पूरा दिन मास्क पहनकर रहना पड़ता है. केवल शूट के समय मास्क उतारकर दृश्य किये जाते है. इसके अलावा हम सब खुद का भी बहुत ख्याल रख रहे है.

सवाल-अनुपमा धारावाहिक में आपने एक मॉडर्न लड़की की भूमिका निभाई है, जिसे बॉस से प्यार हो जाता है, इसे आप कैसे लेती है?

ये कहानी बहुत रीयलिस्टिक है. कोई माने या न माने ऐसा कई ऑफिसों में होता है. पुराने दौर में अब हम नहीं है, जो सही है उसे ही लोग देखना पसंद भी करते है. धारावाहिके भी वैसी ही बनाई जाती है. पहले जैसी मनगढ़ंत कहानियों पर आज की पीढ़ी खुद से रिलेट नहीं कर सकती. कहनी वही दर्शकों को पसंद आती है, जिससे वे खुद को जोड़ सकें. इस शो में मेरी भूमिका हर एक इमोशन को दिखाती है, जिसे लोग पसंद कर रहे है. 

सवाल-इस भूमिका से आप अपने आप को कितना जोड़ पाती है?

जो नेचुरल एलिमेंट इसमें है उससे मैं अपने आपको जोड़ पाती हूं. मैं भी एक आत्मनिर्भर लड़की हूं. आज के खयालात है और परिवार के मूल्यों को भी समझती हूं. बहुत हद तक मैं इससे अपने आपको जोड़ पाती हूं, इसलिए करने में अच्छा भी लग रहा है.

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सवाल-मिमोह से आप कब और कैसे मिली?

काफी सालों से हम एक दूसरे को जानते है. मेरी माँ अभिनेत्री शीला डेविड शर्मा काफी साल पहले मिमोह के साथ एक फिल्म की थी. उस दौरान एक इवेंट में मैं माँ के साथ गयी थी. वहां मेरी मुलाकात मिमोह से हुई करीब 7 से 8 साल पहले की बात है. हम दोनों दोस्त बने और हमारी एक अच्छी दोस्ती थी. एक समय बाद हम दोनों फिर एक बार मिले प्यार हुआ और शादी हुई. ये समय के साथ होता गया.

सवाल-मिमोह की खूबी, जिसे आप बहुत पसंद करती है?

वे बहुत अधिक केयरिंग स्वभाव के है और शुरू से ही उनका ये स्वभाव मुझे पसंद है. वह उनके पेरेंट्स से लेकर हम सभी की बहुत देखभाल करते है. बहुत अच्छे इंसान है. वही मेरे लिए सबसे बड़ी वजह उन्हें पसंद करना है. 

सवाल-क्या अभिनय के अलावा आपने कुछ और सोचा था?

मैंने बचपन से पेरेंट्स को फ़िल्मी माहौल में देखा है. मेरे पिता निर्माता निर्देशक है, इसलिए हमेशा फिल्मों को लेकर ही चर्चा चलती रहती थी. माँ भी अभिनय से जुडी थी. माहौल आसपास यही था, इसलिए बचपन से पैशन अभिनय करने का ही था. 

सवाल-दिग्गज कलाकार मिठुन चक्रवर्ती से आपका कभी मिलना हुआ, उनकी किस खूबी को आप सराहती है?

पहली बार जब मैं उनसे मिली थी, तो उन्होंने मुझसे पूछा था कि मैं उनके बेटे की जिंदगी में हमेशा के लिए शामिल हो सकती हूं या नहीं. ये बात उन्होंने अपने बेटे से भी पूछा था, जो मुझे अच्छा लगा था. वे बहुत वास्तविक इंसान है. बहुत विनम्र है, हर किसी से बहुत ही विनम्रता से बात करते है. वे मेरे डैड है और ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है. मैं कई बार उनसे मिली हूं. हर बार कुछ अच्छा सीखने को मिलता है. छोटी-छोटी चीजो का भी वे मेरे लिए ध्यान रखते है. जब भी हम कभी उनकी ग्रोथ को लेकर बात करते है, तो आज भी उनकी मेहनत और लगन को देखकर हम सभी चकित हो जाते है. इतना स्टारडम मिलने के बाद भी वह आज किसी काम को सही तरीके से करने के लिए बहुत मेहनत करते है और मैंने उनसे इसे सीखा है. इसके अलावा वे बहुत अच्छा खाना बनाते है. खाने की सुगंध इतनी अच्छी होती है कि मैं किचन के आगे ही घूमती रहती हूं और उस डिश को खाने का इंतजार करती हूं. 

सवाल-अपनी जर्नी से कितना संतुष्ट है?

ये धारावाहिक मेरी पहली शो है, पर मैंने 16 से 17 फिल्में की है. मैंने 16 साल की उम्र में पहली फिल्म की थी. तबसे लेकर आज तक काम कर रही हूं. जो भी काम आया में अपना सौ प्रतिशत कमिटमेंट दिया है. इसमें कुछ सफ़ल तो कुछ फिल्में असफल भी रही है, इसे मैं अपना डेस्टिनी मानती हूं. 

सवाल-दोस्ती आपकी नजर में क्या है और आज के तनाव भरे माहौल में एक अच्छा दोस्त कितना जरुरी है?

दोस्ती परिवार से ही शुरू होती है, जो आपकी भावनाओं और आपको समझ सकें, जिनसे आप कभी भी सहजता से बात कर सकते है और ऐसे लोग गिने-चुने ही होते है, जो बिना शर्तो के आपको प्यार करें. मेरे हिसाब से वही दोस्ती है. ऐसे लोगों की मौजूदगी आपके जीवन के लिए प्रमुख होती है. दोस्ती एक खूबसूरत रिश्ता है, जिससे आपको हर समस्या का समाधान मिलता है. पर्दे पर दिखाई गयी दोस्ती थोड़ी फ़िल्मी होती है. 

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सवाल-क्या गृहशोभा के ज़रिये कोई मेसेज देना चाहती है?

महिलाओं को बहुत सारी शक्तियाँ मिली हुई है, वह बहुत कुछ सह सकती है. मजबूत और आत्मनिर्भर बने. सकारात्मक सोच रखें और जो भी काम आप खुद के लिए करना चाहे, उसे करते जाय. केवल महिला ही नहीं हर इंसान को खुद के अलावा दूसरों के बारें में भी सोचने की जरुरत है. 

रखें घर की सैल्फ रिस्पैक्ट का ध्यान

“देख आशिमा मेरा मुंह मत खुलवा. वरना तू जानती है मैं क्या कर सकता हूं, ” नीरज चीखा.

” क्या करोगे? करो जो करना है. मार डालोगे न और क्या कर सकते हो? तुम्हारी और तुम्हारे घर वालों की औकात जानती हूं मैं. गलियों के गुंडे तुम से ज्यादा अच्छे होंगे.”

” औकात की बात मत कर. तेरी बदचलन मां और नल्ले बाप की औकात बताऊं तुझे?’

” खबरदार जो मेरे मांबाप के लिए एक शब्द भी मुंह से निकाला.” गुस्से में आशिमा चीखी.

” क्या कर लेगी? बता क्या कर लेगी? तेरे बाप ने तेरे साथ भेजा ही क्या था? वह तो हम हैं धनसंपन्न, कुलीन वर्ग के लोग जो तुझे अपनी पत्नी का दर्जा दिया.”

” पत्नी बना कर कौन सा एहसान कर डाला? तुम्हारे जैसे जानवर के साथ ब्याहने से अच्छा था बिनब्याही मर जाती,” कह कर आशिमा जोरजोर से रोने लगी.

तब तक कमरे से मारपीट की आवाजें भी आने लगीं. आशिमा का रोना भी बढ़ गया.

आशिमा और नीरज के घर के बगल में रहने वाले अनिल वर्मा व्यंग से मुस्कुराए. पास से गुजरते अरविंद दास धीमी आवाज में हंसते हुए बोले,” इन लोगों का तो रोज का बस एक ही काम है. यही चीखनाचिल्लाना, मारपीट. पता नहीं कैसे लोग हैं. मेरा बस चले तो इन्हें कॉलोनी से चलता कर दूं. ”

” सच कह रहे हो भाई. ऐसे लोगों के साथ रहना कौन चाहता है? कोई सैल्फ रिस्पैक्ट ही नहीं है इन की ,” अनिल ने सहमति जताई.

आजकल सैल्फ रिस्पैक्ट की बहुत बात की जाती है. क्या है यह सैल्फ रिस्पैक्ट ? इस का सीधा सा अर्थ है खुद का सम्मान करना. पर इसे ईगो समझने की भूल न करें. ईगो का अर्थ होता है अहंकार यानी दूसरों के आगे खुद को बड़ा महसूस करना और अपना महत्व जताना. यह एक नकारात्मक भाव है. जबकि सैल्फ रिस्पैक्ट सकारात्मक भावना है. जब तक हम खुद अपना सम्मान नहीं करेंगे लोग हमें अहमियत नहीं देंगे.

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सैल्फ रिस्पैक्ट केवल एक इंसान की ही नहीं होती बल्कि पूरे परिवार और घर की भी होती है. जब तक हम अपने घरपरिवार और रिश्तों को अहमियत नहीं देंगे, उन का सम्मान नहीं करेंगे, दूसरे लोग भी आप के घर की रिस्पैक्ट नहीं करेंगे.
आप के घर में यदि हमेशा तनाव रहता है और छोटीछोटी बातों पर झगड़े होते रहते हैं, घर के सदस्य एकदूसरे पर जोरजोर से चीखतेचिल्लाते हैं और एकदूसरे की इज्जत की धज्जियां उड़ाते हैं, गंदेगंदे इल्जाम लगाते हैं तो दूसरों की नजरों में आप के घर की और आप की कोई इज्जत नहीं रह जाती. क्यों कि ऐसी आवाजें जब घर के बाहर तक जाती हैं तो पड़ोसी व्यंग से मुस्कुराते हैं. लोग आप के घर को ले कर तरहतरह की बातें बनाते हैं. दरवाजे पर खड़े आगंतुक के दिल में भी आप के परिवार की नकारात्मक छवि बन जाती है. ऐसे में घर की रेस्पैक्ट कहां रह जाती है?

मान लिया आप बहुत बड़े घर के मालिक हैं. आप के घर में बहुत से काम करने वाले लोग जैसे नौकरनौकरानी, ड्राइवर, रसोईया, दरजी, सुरक्षा गार्ड आदि है. यदि ये लोग बाहर आप की बुराई करते हैं, दूसरों के आगे आप के स्वभाव की खामियां गिनाते हैं और आप को कंजूस, गुस्सैल, बददिमाग या सनकी जैसी उपाधियों से नवाजते हैं, आप के घर में होने वाले झगड़े सुना कर मजाक उड़ाते हैं तो संभल जाइए. कहीं न कहीं ये बातें बता रही हैं कि आप के घर की सैल्फ रिस्पैक्ट नहीं रखी जा रही है और इस के कसूरवार आप खुद हैं.

कैसे घटती है रिस्पैक्ट

कहा जाता है कि कोई इंसान कैसा है यह बात जाननी है तो उस के नौकर से पूछो. दरअसल ये गरीब और काम करने वाले लोग ही हैं जो आप को बहुत करीब से पहचानते हैं. यदि इन की नजर में आप के परिवार के लोग गिरे हुए इंसान हैं तो समझ जाइए कि आप सब अपने घर की रिस्पैक्ट खो चुके हैं.

यदि आप अपने सब्जी वाले से छोटीछोटी रकम के लिए झगड़ते हैं, दूसरों से सामान लेते समय जरूरत से ज्यादा मीनमेख निकालते हैं, लोगों के सामने अपने घरवालों जैसे पति, पत्नी, सास, ससुर, ननद आदि की बुराइयां करते हैं तो समझ जाइये कि ऐसी बातें सोसाइटी में आप के परिवार का सम्मान घटाती है.

माना आप ने अपने घर में महंगेमहंगे सामान ले रखे हों. इस से सोसाइटी में आप के परिवार का सम्मान तो बढ़ेगा लेकिन बहुत कम समय के लिए. असली सम्मान तो परिवार के सभी सदस्यों के घुलमिल कर रहने बड़ों का आदर करने, दूसरों की मदद करने और इमानदारीपूर्ण जीवन जीने में ही मिलता है. गलत कमाई से आप कितनी भी बड़ी बिल्डिंग तैयार कर लें मगर जब लोगों के आगे आप की असलियत आएगी तो आप के घर की इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी. इस के विपरीत ईमानदारी के बल पर कमाई गई इज्जत ही लंबी टिकती है.

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आप सोसाइटी में भले ही खुद को बहुत उदार और आधुनिक दिखाने का प्रयास कर लें मगर यदि घर के किसी बच्चे द्वारा किसी गैर जाति में किए गए प्यार को आप स्वीकार नहीं कर पाते हैं तो आप कहीं से भी आधुनिक या उदार नहीं है. जब वही बच्चा घर से स्वीकृति न मिलने पर भाग कर अपने प्रेमी/प्रेमिका से शादी करता है तो सोसाइटी में आप के लाडले के इस कृत्य चर्चाएं होती हैं और आप के घर की रिसपैक्ट बहुत नीचे चली जाती है.

रिस्पैक्ट तो तब बढ़ेगी जब आप किसी भी जाति और स्टेटस की बहू या दामाद को स्वीकार कर एक आदर्श प्रस्तुत करेंगे.

इस कोरोनाकाल में या ऐसे ही किसी विपत्ति के समय यदि आप घर में काम करने वालों या दूसरे जरूरतमंदों की मदद करने की बजाय उन्हें झिड़कते हैं या दो बातें सुना कर निकाल बाहर करते हैं तो लोगों की नजरों में आप बहुत छोटे दिल के साबित हो जाएंगे. इस के विपरीत उन्हें धन या राशन की मदद दे कर आप दूसरों की तारीफ के पात्र बनेंगे. आप का परिवार भी इस रिसपैक्ट को महसूस कर संतुष्ट रह सकेगा .

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