Serial Story: खुदकुशी (भाग-1)

आज के समाज में लड़की समय के बीतने से जवान नहीं होती बल्कि उसे घूरघूर कर जवान कर दिया जाता है. सोनी, पूजा, सीमा इन्हीं लड़कियों में से हैं जिन्हें लोगों ने समय से पहले जवान कर दिया था. अभी ये तीनों टीनएजर्स हैं और छोटे शहर के तथाकथित आधुनिक समाज की आधुनिक लड़कियां हैं जो बौयफ्रैंड बनाना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझती हैं.

सोनी नहीं समझ सकी थी कि उस के जानेपहचाने लड़के जिन्हें वह अपना बौयफ्रैंड समझती थी, उसे इतना तंग और अपमानित कर देंगे कि एक दिन उसे दुनिया छोड़नी पड़ेगी. वह जिन्हें अपने आसपास हर वक्त देखती थी, जिन के साथ प्राय: घूमने, ट्यूशन पढ़ने व कालेज जाती थी वही उसे अपनी जान देने को मजबूर कर देंगे. वह सोच रही थी कि आखिर ये सभी लड़के पूजा के साथ भी तो इधरउधर घूमते नजर आते थे. पूजा ही तो उसे भेजा करती थी उन लड़कों में से कभी एक के पास और कभी दूसरे के पास. उस वक्त तो वे लड़के उस के साथ बड़े रहमदिल की तरह पेश आते थे, उस की किताबें ले लेते थे, उसे बाइक पर कहीं दूर लंबे सफर पर भी ले जाते थे.

ये लोग उस का कुछ नहीं बिगाड़ सकते, मजाक कर रहे हैं, फिर छोड़ देंगे, वह समझती थी. लेकिन उन लड़कों के उस के साथ शारीरिक रोमांस को वह समझ नहीं पाई थी. वह खुश होती थी. जब दोएक सहेलियों के साथ वह होटल या रेस्तरां में जाती थी तो कभी बिलविल के चक्कर में वह नहीं पड़ी. बस चाट खाई, आइसक्रीम खाई, चाइनीज फूड लिया, इतने से ही उसे मतलब रहता था. यह तो वह जानती थी कि उस की सहेली पूजा होटल के अंदर किसी कमरे में अपने किसी बौयफ्रैंड से मिलने गई है, बातें करती होगी ऐसा सोचती थी वह. वह यह नहीं सोचती थी कि बातों के अलावा भी कोई और संबंध एक जवान होती लड़की एक लड़के से बना सकती है.

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दीनदुनिया से बेखबर सोनी ऐसे परिवार में पलीबढ़ी थी जहां सिर्फ प्यार ही था. मातापिता का प्यार, भाई का प्यार, चाचाचाची का प्यार, दादादादी का प्यार. कला की छात्रा रही सोनी सैक्स के बारे में सिर्फ इतना ही जानती थी जितना एक सभ्य युवती जानती है. शादी के पहले सैक्स की कोई जरूरत ही नहीं होती ऐसी युवतियों को. सोनी वैसी लड़कियों में से थी जो शादी के बाद अपनी सुहागरात में सैक्स के टिप्स अपनी भाभियों, बड़ी बहनों या फिर कामसूत्र की पुस्तकों से लिया करती हैं. गहराई तक जाने वाला सैक्स जो हमारे समाज में शादी के बाद ही जाना जाता है या यों कहिए जानना चाहिए, सोनी नहीं जानती थी. अगर सोनी गलत संगत में नहीं पड़ी होती तो शायद जिंदगी का भरपूर आनंद उठा रही होती. सोनी को यह नहीं मालूम था कि लड़के तो लड़के, मर्द किसी भी उम्र की लड़कियों के वक्ष और नितंबों को किस कारण से घूरते हैं. सोनी को यह भी नहीं मालूम था कि उस के साथ रहने वाले लड़के उसे अपनी तीसरी आंख से पूर्ण नंगा कर कई बार देख चुके हैं.

सोनी कभीकभी अपनी सहेलियों से पूछती थी कि वे क्यों उसे मना करती हैं होटल और रेस्तरां में घटने वाली तमाम बातों को मम्मीपापा को न बताने को, जिस पर उस की सहेलियां उत्तर देने के बजाय उसे धमकी देती थीं कि वे कभी उसे कहीं भी नहीं ले जाएंगी. बाइक पर घूमने का मौका फिर कभी नहीं मिलेगा. सोनी चुप हो जाया करती थी और घर पर भी कुछ नहीं कहती या पूछती थी. फिर भी सयानी होती लड़की थी, कालेज में, महल्ले में अपनी सहेलियों और उन के बौयफ्रैंड्स के बारे में कई उलटीसीधी बातें सुनती थी तो उस का जिक्र वह अपनी सहेली पूजा से अवश्य करती, लेकिन वह उसे टाल जाती.

पूजा और सीमा होस्टल में अपने घर से दूर रह कर पढ़ाई कर रही थीं. खुले व विद्रोही विचारों वाली पूजा और सीमा में खूब पटती थी, वे लड़कों से मजा लेने की हिमायती थीं और लड़कों से खूब खर्च भी करवाती थीं और उन के साथ हमबिस्तर भी होती थीं. पूजा और सीमा का मानना था कि जब उन के बौयफ्रैंड्स वीरेंद्र, गोपी और राजू को उन के साथ शारीरिक संबंध बनाने में कोई रोकटोक नहीं है तो उन लोगों को भी समाज या आसपास के लोग कैसे रोक सकते हैं. पूजा को फुरसत ही नहीं थी कि वह अपने बौयफ्रैंड के साथ हुए शारीरिक संबंधों के बारे में सोचे कि उस की इन हरकतों से उस के सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है या उस के परिवार को इस का क्या खमियाजा भुगतना पड़ सकता है.

समाज उस के प्रति क्या धारणा बना रहा है, उस के अनैतिक संबंध के प्रति, तो फिर वह सोनी के दिलोदिमाग में क्या चल रहा है, इस की चिंता क्यों करती. देह सुख की लत लग गई थी पूजा और सीमा को. यही देह सुख सोनी को भी प्रदान करना चाहती थीं पूजा और सीमा इसलिए धीरेधीरे सोनी को भी देह सुख हासिल करने की प्रक्रिया में डाल रही थीं. पूजा और सीमा के लिए देह सुख दुनिया का सब से बड़ा सुख था उसे वे किसी भी कीमत पर हासिल करने की चाहत रखती थीं. पूजा और सीमा कहा करती थीं कि देह सुख निया का सब से बड़ा सुख है. तख्त ओ ताज पलट गए इसी देह सुख प्राप्ति में.

देशविदेश के कई नामीगिरामी साहित्यकार, कवि, वैज्ञानिक जिन के लिए हमारे मन में बड़ी इज्जत हो सकती है जैसे फ्रांस के चर्चित लेखक वाल्जाक ने अपनी उम्र से बड़ी महिला डी बर्नी के साथ वर्षों यौनाचार किया, टैलीफोन के आविष्कारक अलैक्जेंडर ग्राहम बेल अपनी छात्रा मैविल हार्वर्ड के साथसाथ उस की मदद से कई अन्य छात्राओं के साथ भी लगातार यौनाचार करते रहे.

अंगरेज कवि लौर्ड वायरन जिन की कविताएं हम अंगरेजी साहित्य में पढ़ते हैं अपने मित्र कैरो की सास के साथ यौनाचार करते रहे, प्रसिद्ध वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपनी पत्नी को धोखा दे कर नर्स एल्सा लोवेंथल से जीवनभर यौनाचार किया, साम्यवाद के जनक कार्ल मार्क्स ने अपनी नौकरानी के साथ न सिर्फ यौनाचार किया बल्कि उसे गर्भवती भी बना दिया था. यौनाचार से पूरा इतिहास भरा पड़ा है अगर लिखने बैठ जाऊं तो इन साहित्यकारों, कवियों, वैज्ञानिकों के यौनाचार पर पुस्तक लिख सकती हूं, पूजा ने अपनी जानकारी पर गर्व करते हुए कहा था, सीमा ने भी हामी भर दी थी.

पूजा और सीमा जब भी कालेज जातीं तो उन की निगाहें वीरेंद्र, गोपी या राजू को ढूंढ़ती रहतीं और जैसे ही क्लास खत्म होती दोनों अपनेअपने साझा बौयफ्रैंड्स को ले कर किसी गुप्त ठिकाने पर पहुंच जातीं. विवाह के बाद भी कोई इतने नियमित यौन संबंध नहीं बनाता जितने ये लड़कियां बिन ब्याहे बनाने की आदी हो गई थीं. हर दिन जैसे खाना, पीना, पढ़ना होता था उसी तरह पूजा और सीमा के लिए शारीरिक संबंध बनाना था. पर उन की समस्या तब शुरू होती थी जब कालेज में छुट्टियां रहती थीं और तब वे अपनी सहेली सोनी के सहारे अपने अनैतिक यौन संबंधों को अंजाम देती थीं.

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पूजा और सीमा बहुत कुछ करने की महत्त्वाकांक्षी थीं. अपने कमरे में सनी लियोन, मर्लिन मुनरो, पूनम पांडे की लेटैस्ट नैट पर पोस्ट हुई तसवीरों का प्रिंटआउट लेतीं और दीवारों पर चिपकाती थीं. यौन संबंध बनाने के बाद से पूजा और सीमा ने दीवारों पर नंगधड़ंग मर्दों के भी पोस्टर लगा छोड़े थे. सोनी जब भी उन के होस्टल के कमरे में जाती थी तो उस का सिर घूम जाता था, वह पूछती भी थी कि ऐसी तसवीरें क्यों लगा रखी हैं, तो पूजा और सीमा कहतीं कि ये कमरा तो प्रयोगशाला है यहां भावना को परखनली में डाल कर सैक्सी बनाया जाता है और परिणाम होटल के कमरे में वीरेंद्र के साथ प्राप्त किया जाता है. सोनी की समझ से बाहर थीं ये सब बातें, वह सुन कर भी कुछ समझ नहीं पाती इसलिए बहुत गंभीरता से इन बातों को लेती भी नहीं थी.

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ड्रग्स मामले पर बोलीं बिग बौस फेम शिल्पा शिंदे, कही ये बात

बॉलीवुड इंडस्ट्री में ड्रग्स के मामले में नए-नए खुलासे होने के बाद से कई स्टार्स आगे आकर अपनी राय रख रहे हैं. वहीं अब भाभी घर पर हैं से लेकर बिग बौस  से फैंस के बीच पौपुलर होने वाली एक्ट्रेस शिल्पा शिंदे का नाम भी शामिल हो गया है. दरअसल हाल ही में ड्रग्स मामले में बड़ी-बड़ी एक्ट्रेस का नाम सामने आने के बाद शिल्पा ने अपनी बात रखते हुए बयान दिया है. आइए आपको बताते हैं क्या कहती हैं इस मामले में शिल्पा शिंदे…

भाभीजी घर पर हैं मामले को लेकर कही ये बात

शिल्पा शिंदे ने कहा, ‘भाभीजी मामले के दौरान जब मैं पुलिस ऑफिसर्स से मिली थी. तब मैंने देखा है कि उन्हें कई जगहों और पार्टीज में छापेमारी के मैसेज आते थे. जबकि वो कोई सेलेब्रिटी पार्टीज नहीं होती वो एक नार्मल पार्टीज होती थीं. मैं किसी भी सेलेब्रिटी की साइड नहीं ले रही हूं और ना कसी की चापलूसी कर रही हूं. लेकिन यह हर जगह है. हम सब जानते हैं सब जगह साड़ी चीजें चलती हैं.’

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सेलिब्रिटी का नाम लेना होता है आसान

बिग बौस स्टार शिल्पा शिंदे ने आगे बताया, ‘बॉलीवुड में सब कुछ खुलेआम होता है और किसी भी सेलिब्रिटी का नाम लेना बेहद आसान होता है. हर कोई जाने-माने लोगों के बारे में गॉसिप करता है. जो कि गलत बात और बुरी आदत है. हालांकि, बॉलीवुड में भी कई अच्छे भी लोग हैं. लेकिन मैंने ऐसे लोगों को भी देखा है जो बहुत कम उम्र में ये सब चीजें सिर्फ इसलिए शुरू करते हैं क्योंकि उनके चारों और यह सब हो रहा होता है. बॉलीवुड में ग्लैमर होने की वजह से यह होता है, लेकिन असलियत में यह हर जगह है.’

टैलेंट मैनेजमेंट कंपनी रखती है स्टार्स का ध्यान

टैलेंटेड मैनेजमेंट कंपनी के बारे में बात करते हुए शिल्पा ने कहा, ‘जब टैलेंटेड कंपनियां कलाकारों से संपर्क करती हैं, तो कलाकार उनसे मिलने वाली सुविधाओं के बारे में पूछते हैं. यह एक से दूसरे व्यक्ति पर निर्भर करता है. जिस तरह से दीपिका की बात सामने आई है, आप देख सकते हैं. यह मांग करने वाले व्यक्ति पर निर्भर करता है. मैं टैलेंटेड कंपनियों को दोष नहीं देना चाहती, क्योंकि उन्हें हर तरह से मशहूर हस्तियों का ध्यान रखना होता है.’


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बता दें, शिल्पा शिंदे भाभी जी घर पर हैं का हिस्सा रह चुकी हैं, जिसके चलते उन्होंने काफी सुर्खियां बटोरी थीं. वहीं इस सीरियल के चलते उन्हें पुलिस के भी चक्कर काटने पड़े थे.

‘इश्क में मरजावां 2’ की रिद्धिमा हुई सूटकेस में बंद तो फैंस ने मीम्स शेयर कर कही ये बात

कलर्स के टीवी सीरियल ‘इश्क में मरजावां 2’ के मेकर्स औडियंस को एंटरटेन करने के लिए कोई कसर नही छोड़ रहे हैं, जिसके चलते सीरियल में कुछ अजीब सीन्स देखने को भी मिल रहे हैं. वहीं ‘इश्क के मरजावां 2’ के इन सीन्स का मजाक सोशल मीडिया पर मजेदार मीम्स के जरिए उड़ाया जा रहा है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

सूटकेस में बंद हुई हेली

दरअसल, हेली शाह स्टारर सीरियल ‘इश्क के मरजावां 2’ के पिछले एपिसोड में दिखाया गया है कि हेली शाह के किरदार यानी रिद्धिमा की आंख में कुछ चला जाता है, जिसके बाद वह कमरे में रखे हुए सूटकेस में गिर जाती है. हैरानी वाली बात तो ये है कि उस लगेज में वो परफेक्ट तरीके से फिट भी हो जाती है.

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मजेदार मीम्स हुए शेयर

रिद्धिमा के सूटकेस में बंद हो जाने के बाद विलेन उस लगेज को घर से बाहर लाता है और उसे स्विमिंग पूल में फेंक देता है. वहीं इस सीन को देखने के बाद दर्शक की हंसी नहीं रूक रही है. इसी बीच सोशल मीडिया पर इस सीन को लेकर जमकर ट्रोलिंग शुरू हो गई है.

फैंस को पसंद है रिद्धिमा और वंश की जोड़ी

सीरियल की कहानी की बात करें तो फैंस को रिद्धिमा और वंश की कैमेस्ट्री काफी पसंद आ रही हैं. वहीं सोशलमीडिया पर दोनों की फैन फौलोइंग भी धीरे-धीरे बढ़ रही है, जिसके कारण सोशलमीडिया पर इनके कई फौलोअर्स है.

बता दें, इन दिनों सीरियल्स का ट्रोल होना आम बात हो गया है. बीते दिनों सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है के कुछ सीन्स भी ट्रोलिंग का शिकार हुए थे, जिसे कलाकारों ने एक तरह की पब्लिसिटी मानी थी और वह इससे खुश थे.

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दिखने लगा है वर्चुअल मीटिंग का साइड इफैक्ट

वर्चुअल मीटिंगों का नया दौर अब पूरी तरह जोर पकड़ने लगा है और लगता है कि रेलों और हवाईजहाजों का बिजनैस कभी भी पहले की तरह नहीं हो पाएगा. शुरूशुरू में तो केवल औपचारिकता वाली वर्चुअल मीटिंगें हुई थीं पर कांग्रेस के विवाद के दौरान तो होहल्ले वाली मीटिंग भी वर्चुअल करना संभव दिखने लगा है.

कांग्रेस के 23 वरिष्ठ सदस्यों ने एक पत्र सोनिया गांधी को लिखा था कि कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए नए तौरतरीके अपनाए जाने चाहिए और निचले स्तर से अध्यक्ष पद तक के चुनाव होने चाहिए. इस विद्रोह की जमीन भी वर्चुअल मीटिंगों से तय हुई थी और बाद में जब कांग्रेस कार्यकारिणी की मीटिंग हुई तो वह भी वर्चुअल ही थी. उस मीटिंग में खूब जम कर एकदूसरे पर ताने कसे गए.

यह सबक है सासबहुओं के लिए कि सास को बहू से 2-2 हाथ करने के लिए बहू के घर तक जाने की जरूरत नहीं है. कंप्यूटर लिया और रिश्तेदारों की मौजूदगी में जो चाहे कह डाला. बहू को रोनाधोना हो तो वह भी वर्चुअल हो सकता है. पति अपनी पत्नी के बचाव में आना चाहे तो दोनों एक ही स्क्रीन पर बने रह सकते हैं.

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यही नहीं, अच्छीखासी बातें भी वर्चुअल मीटिंगों से हो सकती हैं. सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार के जीएसटी और नीट परीक्षा को ले कर 7 मुख्यमंत्रियों की मीटिंग भी वर्चुअल बुलाई और उस में सोनिया गांधी और ममता बनर्जी ने थोड़ा लाड़प्यार भी दिखाया. अब मां को बेटी पर प्यार उडे़लना होगा तो चल कर जाना ही हो जरूरी नहीं. यह घर बैठेबैठे हो सकता है.

पहले प्यार खतों से टपकता था. फिर फोन आए और अब जूम, गूगल मीट आदि से वर्चुअल मेलमिलाप, प्रेमप्रसंग बढ़ाने का उस से अच्छा और सुरक्षित तरीका भी नहीं है. अब रेस्तराओं में चोरीछिपे जा कर प्रेम के इजहार की जरूरत नहीं है. वर्चुअल आई लव यू, आई विल डाई विदाउट यू किया जा सकता है. किस लेना हो तो भई मिलना ही होगा.

हां, वर्चुअल मीटिंगों में एक नुकसान है. कोई भी अचानक गायब हो सकता है और दूसरे लाख चाहें मानमनौअल या धमका कर वापस नहीं ला सकते. इस कमी के बावजूद यह तरीका अब जोर पकड़ेगा ही और फिजिकल मीटिंगें कम होेती जाएंगी. कोरोना पर पूरी विजय के बाद भी. अब अनायास रेलवे स्टेशन या एअरपोर्ट पर 2 अजनबी नहीं मिल सकते और न ही बिछड़े साथी एकदूसरे से टकरा सकते हैं.

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शादी के बाद हुआ ‘कुंडली भाग्य’ की ‘प्रीता’ का मेकओवर, Photos Viral

जी टीवी के पौपुलर शो कुंडली भाग्य (Kundali Bhagya) फैंस को एंटरटेन करने के लिए कोई कसर नही छोड़ रहा है. प्रीता (Shraddha Arya) और करन (Dheeraj Dhoopar) की शादी के बाद से दोनों की कैमेस्ट्री फैंस को काफी पसंद आ रही है. वहीं प्रीता के रोल में नजर आने वाली श्रद्धा आर्या (Shraddha Arya) भी फैंस के लिए सीरियल कुंडली भाग्य की सेट से नई-नई फोटोज से शेयर करती रहती हैं. वहीं सीरियल में प्रीता की शादी के बाद उनके लुक में कईं बदलाव देखने को मिले हैं, जिनमें उनका लुक सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं उनके लुक की वायरल फोटोज…

1. शादी के बाद बदले प्रीता के तेवर

शादी के बाद प्रीता का लुक पूरी तरह से बदल गया है. शेयर की गई तस्वीर में श्रद्धा आर्या गोल्डल कलर की साड़ी पहने नजर आ रही हैं, जिनके साथ उन्होंने गोल्डन और ग्रीन कलर के कौम्बिनेशन वाली ज्वैलरी कैरी की है. इस लुक में श्रद्धा का लुक काफी सुर्खियां बटोर रहा है.

 

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preeta karan luthra’s new lookk….❤❤❤

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2. नेट पैटर्न साड़ी में दिखीं श्रद्धा

 

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Wearing @taandonreynu for Preeta’s New Look in #KB ❤️ Welcome #PKL Styling: @nehaadhvikmahajan

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हाल ही में शेयर की गई फोटोज में श्रद्धा आर्या रेड कलर की नेट पैटर्न साड़ी में नजर आ रही हैं, जिसके साथ उन्होंने गोल्डन कलर का ब्लाउज कैरी किया है. वहीं ज्वैलरी की बात करें तो इसमें श्रद्धा ने गोल्डन झुमके कैरी किए थे, जिसमें उनका लुक बेहद खूबसूरत लग रहा था.

3. लहंगा है खूबसूरत

 

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Pinky Pinky

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बीते दिनों एक प्रोमो में श्रद्धा ने लहंगा लुक ट्राय किया था, जिसमें उनका लुक जच रहा था. पिंक कलर के हैवी लहंगे के साथ ग्रीन पैटर्न ज्वैलरी उनके लुक पर चार चांद लगा रहा था.

4. सूट लुक है परफेक्ट 

अगर आप शादी के बाद किसी पार्टी या वेडिंग में नया लुक लेना चाहती हैं तो श्रद्धा की तरह अनारकली सूट ट्राय करें. इसके साथ हैवी दुपट्टा और लहंगा भी ट्राय कर सकती हैं.

5. हैवी अनारकली सूट आपके लिए परफेक्ट

 

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Tum Haar Ke Dil Apna Meri Jeet Amar Kar Do… 🎞

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हैवी कढ़ाई वाले सूट के साथ आप अपने लुक को खूबसूरत बना सकती हैं.

करते हैं प्यार पर शादी से इनकार क्यों?

4साल की लंबी कोर्टशिप के बाद जब नेहा और शेखर ने अचानक अपनी दोस्ती खत्म कर ली तो सभी को बहुत आश्चर्य हुआ. ‘‘हम सब तो उन की शादी के निमंत्रण की प्रतीक्षा में थे. आखिर ऐसा क्या घटा उन दोनों में जो बात बनतेबनते बिगड़ गई?’’ जब नेहा से पूछा तो वह बिफर पड़ी, ‘‘सब लड़के एक जैसे ही होते हैं. पिछले 2 साल से वह मुझे शादी के लिए टाल रहा है. कहता है, इसी तरह दोस्ती बनाए रखने में क्या हरज है? असल में वह जिम्मेदारियों से दूर भागने वाला, बस, मौजमस्ती करने वाला एक प्लेबौय किस्म का इनसान है. आखिर मुझे भी तो कोई सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा चाहिए.’’

दूसरी ओर शेखर का कुछ और ही नजरिया था, ‘‘मैं ने शुरू से ही नेहा से कह दिया था कि हम दोनों बस, इसी तरह एकदूसरे को प्यार करते हुए दोस्ती बनाए रखेंगे. मुझे शादी और परिवार जैसी संस्थाओं में विश्वास नहीं है. उस वक्त तो नेहा ने खुशी से सहमति दे दी थी, लेकिन मन ही मन वह शादी और बच्चों की प्लानिंग करती रही और जबतब मुझ पर शादी के लिए दबाव डालना शुरू किया तो मैं ने उस से संबंध तोड़ लिया.’’

पुरुषों के बारे में धारणा

आमतौर पर पुरुषों के बारे में स्त्रियों का यही नजरिया रहा है कि वे किसी एक के प्रति निष्ठावान हो कर समर्पित नहीं होते हैं. वे एक गैरजिम्मेदार, मौजमस्ती में यकीन करने वाले मदमस्त भौंरे होते हैं, किंतु अध्ययन करने पर हम पाते हैं कि इस आरोप की जड़ें बहुत गहरी हैं. इस की मुख्य वजह है पुरुष और स्त्री की बुनियादी कल्पनाओं का परस्पर भिन्न होना. पुरुष की प्रथम कल्पना होती है अधिक से अधिक सुंदर स्त्रियों के साथ दोस्ती करना. दूसरी ओर अधिकांश स्त्रियों की कल्पना होती है किसी एक ऐसे पुरुष के साथ निष्ठापूर्वक संबंध बनाना, जो उन्हें आर्थिक और सामाजिक संरक्षण दे सके. विवाह के बाद जहां एक स्त्री की प्रथम कल्पना को और पोषण मिलता है वहीं पुरुष को अपनी कल्पना को साकार करने का अवसर जाता दिखता है. अत: एक पुरुष के लिए जहां समर्पण का अर्थ अपनी प्यारी कल्पना का त्याग करना है वहीं स्त्री के लिए समर्पण का अर्थ है अपनी बुनियादी कल्पना को साकार करना. शायद इसीलिए समर्पित होना या किसी बंधन में बंधना पुरुषों के लिए उतना आसान नहीं होता जितना स्त्रियों के लिए.

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कुछ तो मजबूरियां

एक औरत, जो स्वावलंबी हो उसे हम कैरियर विमन कहते हैं, लेकिन यदि पुरुष स्वावलंबी हो तो उसे हम प्लेबौय, जिम्मेदारियों से कतराने वाला कहते हैं. यह जो धारणा बनी है, उस के पीछे पुरुषों के विकास और उन के मनोविज्ञान को समझना बहुत जरूरी है. हमारे यहां लाखों रुपए ऐसे विज्ञापनों पर खर्च किए जाते हैं, जो एक किशोर बालक के अर्धविकसित मस्तिष्क में एक जवान खूबसूरत और विकसित औरत की चाहत भर देते हैं. नतीजतन 14-15 साल की उम्र तक पहुंचतेपहुंचते वह सुंदरियों की कल्पनाओं का आदी हो जाता है और फिर उसे एक नशीली लत लग जाती है. ऐसे में वह अपनी कल्पना की परी से अपनेआप को बहुत हीन महसूस करने लगता है. फिर जद्दोजहद शुरू होती है अपनेआप को बेहतर बनाने की. स्कूल में वह देखता है कि जो विजेता है, हीरो है, लड़कियां उसी के आसपास होती हैं. अत: उन का सामीप्य पाने के लिए वह हर क्षेत्र में हीरो बनने के लिए हाथपैर मारता है. इस कोशिश में वह बहुत मानसिक दबाव में रहता है. एक उम्र तक पहुंचतेपहुंचते वह समझने लगता है कि उसे लड़कियों का दिल जीतने के लिए या तो आर्थिक रूप से सबल बनना है या किसी और क्षेत्र में ‘हीरो’ बनना है. धीरेधीरे वह यह भी समझने लगता है कि ‘प्यार’ शब्द काफी महंगा है. प्यार जहां एक ओर अस्वीकार होने के भय को कम करता है वहीं दूसरी ओर यह पुरुष की जेबों पर आजीवन भार बनने वाला भी होता है. अत: समर्पित होने से पहले उसे बहुत कुछ सोचना पड़ता है.

अस्वीकृत होने का भय

सेक्स के मामले में यदि पुरुष पहल करते भी हैं तो स्त्री द्वारा अस्वीकार कर दिए जाने का भय भी उन्हें लगातार बना रहता है, क्योंकि अमूमन जब कोई पुरुष किसी महिला के प्रति आकर्षित होता है तो उसे (स्त्री को) समझने में देर नहीं लगती कि यह लड़का उस में रुचि रखता है, किंतु पुरुष के लिए अकसर यह समझना कठिन होता है कि उसे स्वीकार किया जाएगा या नहीं. वह इसी दुविधा में रहता है कि हो सकता है उस की महिला मित्र ने उसे इसलिए इनकार न किया हो, क्योंकि वह ‘न’ नहीं कह पाई हो या उसे सिर्फ उस से सहानुभूति हो.

स्त्री चरित्र

हमारे यहां ज्यादातर स्त्रियां दोस्ती तो कर लेती हैं, लेकिन प्रेम के इजहार में वे बहुत कंजूसी बरतती हैं. अकसर पुरुष के प्रत्येक प्रस्ताव पर उन के मुंह से ‘न’ ही निकलता है, चाहे मन में जितनी ही ‘हां’ हो. और जब कोई स्त्री ‘न’ कहती है तो उस के लिए यह अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि उस की प्रेमिका की किस ‘न’ का मतलब ‘हां’ है और फिर उस की ‘न’ को ‘संभावनाओं’ में और ‘संभावनाओं’ को ‘संभवों’ में बदलने की नैतिक जिम्मेदारी बेचारे पुरुष की होती है. वैसे यदि महिलाओं की मूक भाषा का अनुवाद किया जा सके तो पुरुषों के लिए अस्वीकार किए जाने का खतरा शायद कम हो जाए. एक तरफ तो पुरुष लगातार अपनी महिला मित्र की ‘अस्वीकृतियों’ को ‘स्वीकृतियों’ में बदलने की उलझन में रहता है तो दूसरी तरफ उसे यह भी डर लगा रहता है कि यदि वह उस पर ज्यादा दबाव डालता है तो उसे ‘चरित्रहीन’, ‘सेक्सी’ और न जाने क्याक्या समझा जाएगा. साथ ही वह इस उलझन में भी रहता है कि यदि वह उस पर ज्यादा दबाव डालता है तो कहीं वह उस से विरक्त न हो जाए.

महिलाओं की गुप्त योजनाएं

अधिकांश महिलाएं सोचती हैं कि शादी के बाद पुरुष बदल जाएगा, जबकि वह कम ही बदलता है. इसलिए वे मन ही मन अपने हिसाब से भविष्य के कार्यक्रम बनाती रहती हैं. नेहा और शेखर के केस में यही बात थी. शेखर के शादी न करने के निर्णय के बावजूद नेहा ने मन ही मन शादी की सारी तैयारी यह सोच कर डाली कि वह बाद में मान जाएगा. जब नेहा ने उस पर दबाव डाला तो शेखर को लगा कि नेहा ने पूरी तरह से न सिर्फ उस की भावनाओं की अपेक्षा की है बल्कि अपने वादे को भी तोड़ा है. ऐसे में भविष्य के प्रति नेहा के व्यवहार को ले कर आशंकित होना शेखर के लिए स्वाभाविक ही था. आज यद्यपि स्त्रियों की आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियां बदल चुकी हैं, अधिकांश महिलाएं आत्मनिर्भर होती जा रही हैं, फिर भी ज्यादातर मामलों में पुरुषों से उन की अपेक्षाएं नहीं बदली हैं. एक स्त्री जितनी अधिक आर्थिक परेशानियों में रहती है वह पुरुष से उतने ही अधिक आर्थिक संरक्षण की अपेक्षा रखती है. ऐसे में एक पुरुष जब अपनी प्रेमिका को यह हिसाब लगाते देखता है कि वह शादी के बाद काम करे या न करे, तब वह सोचता है कि यह लड़की शायद एक खास वजह से शादी करना चाहती है. शायद वह काम करतेकरते थक गई है और नौकरी से छुटकारा पाने के लिए विवाह के रूप में आर्थिक सुरक्षा की चादर ओढ़ना चाहती हो या उस की नौकरी छूटने वाली हो या वह अपने कैरियर से तंग आ कर मां बनना चाहती हो वगैरहवगैरह. ऐसी हालत में पुरुषों के जस्ट इन केस सिंड्रोम से पीडि़त हो कर अपनी महिला मित्र से संबंध खत्म कर लेना कोई अस्वाभाविक बात नहीं है.

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समर्पित पुरुषों की कमी

जहां स्त्रियां पुरुषों पर प्रेम में समर्पित न होने का आरोप लगाती हैं वहीं पुरुषों को भी महिलाओं से बहुत गंभीर शिकायतें होती हैं. उन का मानना है कि अधिकांश महिलाएं अपनी दूरबीन हमेशा कामयाब पुरुषों पर ही रखती हैं. स्कूलकालेज के समय से ही लड़के पाते हैं कि जो लड़के पढ़ाई में अच्छे होते हैं, खेल में भी आगे होते हैं, देखने में भी स्मार्ट होते हैं, साथ ही उन के पास अच्छी बाइक या कार होती है, लड़कियां उन्हीं के इर्दगिर्द चक्कर लगाती हैं. वे चाहती हैं कि पुरुष हर क्षेत्र में कामयाब भी हो और उन के प्रति पूरी तरह समर्पित भी हो. ऐसे में यकीन निष्ठावान पुरुषों की कमी तो होगी ही, क्योंकि अगर पुरुष भी इसी तरह की शर्त रख कर स्त्रियों का चयन करें तो उन्हें भी वफादार स्त्रियों की कमी खलेगी. मसलन, कोई पुरुष यदि ऐसी स्त्री की तलाश में हो जिस की कमाई वह खुद इस्तेमाल कर सके, वह खूबसूरत और आकर्षक भी हो, वह स्वयं प्रस्ताव भी ले कर आए और सेक्स में भी पहल करे तो क्या पुरुषों को ऐसी निष्ठावान स्त्रियों की समस्या नहीं रहेगी? चूंकि पुरुष के लिए समर्पण का अर्थ होता है अपनी बुनियादी कल्पनाओं का त्याग. अत: यदि वह अपनी प्रेमिका में ही अपने सारे सपने साकार कर सके तो वह काफी कुछ परेशानियों से बच सकता है.

मेरे चेहरे पर बाल उग रहे हैं?

सवाल-

मेरे चेहरे पर बाल उग रहे हैं, जिस की वजह से मैं कहीं आनेजाने में झिझकती हूं. कृपया कोई उपाय बताएं जिस से इन्हें हटाया जा सके?

जवाब-

चेहरे पर बालों की समस्या के पीछे हारमोनल बदलाव हो सकता है. इस के लिए डाक्टर से बात करें व इलाज कराएं. बालों को हाथ से प्लक करने की कोशिश बिलकुल न करें. आप जितना बालों को प्लक करेंगी उस से दोगुनी रफ्तार से वे उगेंगे. आप चाहें तो ब्यूटी पार्लर से इस के लिए कटोरी वैक्सिंग करा सकती हैं. अगर चेहरे के बालों का परमानैंट इलाज चाहती हैं तो ऐक्सपर्ट द्वारा लेजर ट्रीटमैंट कराएं.

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महिलाओं में हलके और मुलायम फेशियल हेयर होना सामान्य बात हो सकती है, लेकिन जब बाल कड़े और मोटे होते हैं तो यह हारमोन असंतुलन का संकेत है, जिस के कारण कई जटिलताएं हो सकती हैं. इस समस्या को हिर्सुटिज्म के नाम से जाना जाता है.

महिलाओं में मध्य रेखा, ठोड़ी, स्तनों के बीच, जांघों के अंदरूनी भागों, पेट या पीठ पर बाल होना पुरुष हारमोन ऐंड्रोजन के अत्यधिक स्रावित होने का संकेत है, जो एड्रीनल्स द्वारा या फिर कुछ अंडाशय रोगों के कारण स्रावित होता है. इस प्रकार की स्थितियां अंडोत्सर्ग में रुकावट डाल कर प्रजनन क्षमता को कम कर देती हैं. पौलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक ऐसी ही स्थिति है, जो महिलाओं में बालों के अनचाहे विकास से संबंधित है. यह डायबिटीज व हृदयरोगों का प्रमुख खतरा भी है.

जार्जिया हैल्थ साइंसेस यूनिवर्सिटी में हुए शोध के अनुसार, पीसीओएस महिलाओं में हारमोन संबंधी गड़बड़ियों का एक प्रमुख कारण है और यह लगभग 10% महिलाओं को प्रभावित करता है.

हिर्सुटिज्म से पीड़ित 90% महिलाओं में पीसीओएस या इडियोपैथिक हिर्सुटिज्म की समस्या पाई गई है. अधिकतर मामलों में ऐस्ट्रोजन के स्राव में कमी और टेस्टोस्टेरौन के अत्यधिक उत्पादन के कारण यह किशोरावस्था के बाद धीरेधीरे विकसित होता है.

निम्न कारक ऐंड्रोजन को उच्च स्तर की ओर ले जाते हैं, जो हिर्सुटिज्म का कारण बनते हैं:

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जानिए आखिर क्या है पिलेट्स वर्कआउट

मौडर्न एक्सरसाइज के क्षेत्र में पिलेट्स ने अपना एक अलग मुकाम बना लिया है. हमारी जीवनशैली ऐसी हो गई है कि हमें बहुत समय तक बैठे रहना पड़ता है, जो बहुत हानिकारक साबित होती है. ऐसे में पिलेट्स वर्कआउट से शरीर में लचीलापन आता है. आप की उम्र, लिंग या फिटनैस बैकग्राउंड कोई भी हो, पिलेट्स वर्कआउट में शरीर को ढेरों फायदे होते हैं. इस से आप को ध्यान केंद्रित करने, शरीरिक मुद्रा और बौडी अलाइनमैंट सुधारने के अलावा शारीरिक ताकत बढ़ाने में भी मदद मिलती है.

पिलेट्स के बारे में कई तरह की धारणाएं हैं और आधी जानकारी के आधार पर कुछ भी करना खतरनाक हो सकता है. इसलिए पिलेट्स है क्या, यह कैसे काम करती है इस की जानकारी होनी बहुत जरूरी है. यहां वे 5 बातें बताई जा रही हैं, जिन की जानकारी आप को पहली पिलेट्स क्लास से पहले होनी चाहिए.

पिलेट्स क्लासेज 2 प्रकार की होती हैं: मैट पिलेट्स और रिर्फोर्मर पिलेट्स. मैट क्लासेज आप ऐक्सरसाइज मैट पर करते हैं ताकि आप के प्रैशर पौइंट्स को कुशन मिले या फिर एक मशीन पर व्यायाम कर सकते हैं जिसे रिर्फोर्मर पिलेट्स कहते हैं. यहां एक स्लाइडिंग प्लेटफौर्म होता है, जिस में स्टेशनरी फुटबार, स्प्रिंग्स और पुलीज होती हैं जो बौडी टोनिंग के लिए रिजिस्टैंस प्रदान करती हैं.

आमतौर पर एक अच्छा पिलेट्स स्टूडियो दोनों तरह की ऐक्सरसाइज के लिए व्यवस्था रखता है. यह आप को इस बात की स्वतंत्रता देता है कि आप अपने शरीर के मुताबिक उपयुक्त तरीके का चुनाव करें. किसी भी एक तरह के वर्कआउट के लिए सहमति से पहले आप के लिए यह जानना जरूरी है कि इस का वर्कआउट रूटीन औसत 45 मिनट से ले कर 1 घंटे तक का होता है. दोनों ही विकल्प अंतहीन मांसपेशियों को थकाने के बजाय नियंत्रण के सिद्धांत पर काम करते हैं.

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आप ने कोई भी क्लास चुनी हो. आप यह जरूर तय कर लें कि आप के इंस्ट्रक्टर को आप के स्किल लैवल की जानकारी जरूर हो ताकि वह आप की ट्रेनिंग को उस के अनुरूप तय कर सके. खासतौर पर यदि आप नए हैं.

दर्द सहने के लिए तैयार रहिए: पिलेट्स शरीर को थकाने से ज्यादा नियंत्रण पर जोर देता है. फिर भी एक तय समय तक शरीर को एक ही मुद्रा में थामे रहने और सही मुद्रा बनाए रखने से शरीर थक जाता है. इसलिए भले ही आप क्रौसफिट या भारी डंबल उठाने जैसी ऐक्सरसाइज नहीं करते फिर भी पिलेट्स में औफर किया जाने वाला बौडीवेट पर आधारित रूटीन काफी तीव्र होता है.

उदाहरण के लिए एक व्यायाम में ऐब्डौमिनल फोकस्ड मूवमैंट्स पर जोर दिया जाता है, जिस में लगातार गति की जाती है, जिस से आप की ऐब्स पर तेज असर होता है. छोटे मूवमैंट्स पर फोकस करने की क्षमता का मतलब है कि आप सभी मांसपेशियों पर वर्क कर रहे हैं और यही हर ऐक्सरसाइज का लक्ष्य होता है.

इस तरह के वर्कआउट में आप बुरी तरह थक जाते हैं. जब अगले दिन आप दूसरी ऐक्सरसाइज करेंगे तो मांसपेशियों की यह जलन अगले दिन दर्द करेगी. इस के लिए आप को मानसिक तौर पर तैयार रहना होगा. बहुतों को लगता है कि पिलेट्स आसान है. लेकिन जब वे इसे शुरू करते हैं तो उन्हें महसूस होता है कि उन का अनुमान कितना गलत था.

आरामदायक कपड़े पहनें: पिलेट्स वर्कआउट आप को अंदर से मजबूत बनाता है. यह आप की मुद्रा, शारीरिक लचीलापन, फुरती और ताकत बढ़ाता है. यह वर्कआउट उच्च तीव्रता वाला होता है. आप को इतनी आरामदायक स्थिति में होना चाहिए कि आप की मांसपेशियां आसानी से गति कर सकें और किसी भी तरह की ऐक्सरसाइज को आसानी से कर सकें. जो कपड़े आप पहनें वे आरामदायक होने चाहिए, लेकिन बहुत ढीले भी नहीं होने चाहिए.

आरामदायक मैटीरियल से बने बौडी हगिंग कपड़ों को पिलेट्स के लिए सही माना गया है. ऐसा इसलिए ताकि आप का इंस्ट्रक्टर आप की मसल्स के मूवमैंट्स को देख सके और जरूरत होने पर व्यायाम मुद्रा को सुधार सके. जहां तक पैरों का सवाल है आप नंगे पांव भी कर सकते हैं या पिलेट्स सौक्स भी पहन सकते हैं.

अन्य फिटनैस रूटीन से ज्यादा शब्दावली होती है: ऐरोबिक्स से ले कर क्रौस फिट तक की अपनी टर्मिनोलौजी होती है. पिलेट्स हर जिम में सिखाई जा रही सामान्य ऐक्सरसाइज से काफी अलग होती है. इस में प्रयोग की जाने वाली कुछ खास शब्दावली के बारे में आप को जानकारी होनी चाहिए जैसे ‘पावरहाउस’ का मतलब है एक कशेरुका से दूसरी कशेरुका तक धीरेधीरे मूवमैंट करना. 2 क्लासेज होने के बाद कोई भी इस शब्दावली को पकड़ने लगता है.

तैयार फिटनैस प्लान का हिस्सा होना चाहिए पिलेट्स: किसी को भी अपने फिटनैस गोल्स को हासिल करने के लिए एक ही तरह की ऐक्सरसाइज पर निर्भर नहीं होना चाहिए. आप के वर्कआउट में अलगअलग तरह के व्यायामों का मिश्रण होना चाहिए जो आप के शरीर को सूट करते हों.

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किसी भी फिटनैस प्रोग्राम में आप के शरीर को नए मूवमैंट्स और बदलावों को अपनाने में समय लगता है. पिलेट्स एक ही समय पर आप की बौडी को स्ट्रैच, टोन और अलाइन करने का काम करता है. यह अन्य फिटनैस स्पोर्ट्स प्रोग्राम के लिए भी उपयुक्त है, क्योंकि यह आप के शरीर को ज्यादा बेहतर मूवमैंट के लिए तैयार करता है. चूंकी यह हर छोटी मांसपेशी को मजबूत करने पर जोर देता है, इसलिए पिलेट्स को अपने रूटीन में शामिल कर आप ज्यादा वजन उठाने, तेज दौड़ने ज्यादा अच्छा तैरने यहां तक कि कमर दर्द से छुटकारा पाने में भी सफल हो सकते हैं.

– शीतल शाह, संस्थापक, कोर पिलेट्स स्टूडियो

फैमिली के लिए बनाएं कॉर्न पकौड़े

आलू, पनीर, प्याज और सब्जियों के पकौड़ों का मजा तो आपने कई बार लिया होगा. इस मौसम में भुट्टे खाये तो बहुत होंगे, पर आज हम आपकों भुट्टे के पकौड़े बनाने का तरीका बताते हैं. इन पकौड़ों को खाने के बाद आप अपनी उंगलियां चाटते रह जाएंगे.

सामग्री

4 ताजे नरम भुट्टे

1 कप- बेसन

1 चम्मच- चावल का आटा

1 चम्मच- कॉर्न फ्लॉर

1 प्याज बारीक कटा

1 चम्मच- अदरक-हरी मिर्च का पेस्ट

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1 चम्मच- सौंफ

हींग

नमक

हरा धनिया

तेल

विधि

सबसे पहले भुट्टे कद्दूकस कर लें. आप चाहे तो भुट्टों को भांप में पकाकर मसल भी सकती हैं. इसके बाद इसमें प्याज, नमक, अदरक व हरी मिर्च पेस्ट, हींग, सौंफ व धनिया डालकर अच्छे से मिला लें.

उसके बाद बेसन में चावल का आटा और कार्न फ्लॉर डालकर सभी सामग्री के साथ इडली के घोल जितना गाढ़ा घोल घोल तैयार कर लें. कड़ाही में तेल गर्म करें. इसमें भुट्टे के मिश्रण के पकोड़े मध्यम आंच पर सुनहरे होने तक तल लें.

भुट्‍टे के पकौड़ें तैयार है इसे टोमैटो सॉस या हरी चटनी के साथ गरमा-गरम खाएं.

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इन 6 पपाया फेस मास्क से पाएं सौफ्ट और ग्लोइंग स्किन

हम में से अधिकतर लोगों को कुछ न कुछ त्वचा की समस्याएं होती है. जैसे- ड्राईनेस, आयली, सेंसिटिव त्वचा, किल मुहांसे, पिग्मेंटेशन, बड़े छिद्र, काले धब्बे इत्यादि. लेकिन हर कोई चाहता है कि उसकी त्वचा हमेशा मुलायम और चमकती रहे. यहां कुछ ऐसे ही घरेलू टिप्स दिए गए है जहां पपीते से बने फेस मास्क का उपयोग कर आप अपनी त्वचा को चमकदार बना सकती हैं. क्योंकि पपीते में कई आश्चर्यजनक प्राकृतिक तत्व जैसे विटमिन ए, सी और मिनरल्स पाए जाते है. पपीते में मिलने वाले पोटैशियम त्वचा को हाइड्रेट करके तरोताजा बनाता है. यह चेहरे की गंदगी को हटाने में मददगार साबित होता है जो किल मुहांसे का कारण बनते हैं. पपीते में पपिन नामक एक विशेष तरह का एंजाइम होता है जो त्वचा के डेड सेल्स को हटाकर रोम छिद्रों को खोलता है और दाग धब्बों को हटाकर त्वचा को प्लेन करता है. पपीते का मास्क  हर तरह की त्वचा के लिए उपयुक्त होता है, जिन्हें आप घर में आसानी से बना सकती हैं.

1. पपीता और मिल्क फेस पैक

यदि आपकी त्वचा ड्राई और पिग्मेंटेड है तो इस मास्क को जरुर ट्राई करें. एक बाउल में पके पपीते के चार से छह क्यूब ले और मैश करके पेस्ट बना लें. इसमें ३ से ४ चम्मच कच्चा दूध मिलाकर अच्छे से मिला ले. अब इस पेस्ट को साफ त्वचा पर लगाकर पंद्रह मिनट के लिए छोड़ दें. इसके बाद अपने हथेलियों के सहारे सर्क्युलर मोशन में धीरे धीरे दो से तीन मिनट मसाज करें और पानी से धो ले. इस फेस मास्क को आप हफ्ते में एक या दो बार लगा सकती हैं.

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2. पपीता और हनी फेस मास्क

त्वचा में नमी बनाये रखने के लिए हनी एक नेचुरल तत्व है, जिसमें ब्लीचिंग और एंटीबैक्टीरियल प्रौपर्टीज पायी जाती है. यह आपकी त्वचा को साफ करके मुलायम और चमकदार बनाती है. पके हुए पपीते के चार से छः क्यूब लेकर मैश कर ले और उसमें २ चम्मच हनी मिलाकर अच्छे से पेस्ट बना लें. त्वचा को साफ करके पेस्ट लगा ले और पंद्रह मिनट के बाद पानी से धो लें. इसे भी आप हफ्ते में एक या दो बार लगा सकती हैं.

3. पपीता और अलोवेरा फेस मास्क

विटामिन ‘इ’ युक्त अलोवेरा त्वचा को पोषण देता है. यह त्वचा पर आये स्क्रैच या चोट को भरने में मदद करता है. इस मास्क को तैयार करने के लिए दो चम्मच अलोवेरा जेल के साथ दो चम्मच पपीते का पेस्ट लेकर अच्छे से मिला ले. इस पेस्ट को साथ पेस्ट पर लगाये और दस से पंद्रह मिनट के बाद पानी से धो लें. यह आपकी त्वचा को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है.

4. पपीता और टोमेटो फेस मास्क

यदि आपकी त्वचा धुप में रहकर काली या टैन हो गई है तो इस मास्क को जरुर अप्लाई करें. एक बाउल में पपीते के चार क्यूब और एक टमाटर ले और मैश करके पेस्ट बना लें. इस पेस्ट से त्वचा का हल्का मसाज करे और पंद्रह मिनट के लिए छोड़ दें. टमाटर में लायकोपीन नमक एंटी ओक्सिडेंट तत्व पाया जाता है जो त्वचा के काले पन को दूर करने में मदद करता है. इसे भी आप हफ्ते में दो से तीन बार लगा सकती हैं.

5. पपीता और आरेंज फेस मास्क

यदि आपकी त्वचा आयली है तो यह मास्क ट्राई करें. इसे बनाने के लिये पपीते के चार से छह टुकड़े ले और आरेंज के चार से पांच चम्मच जूस के साथ मैश करके पेस्ट बना लें. इसे साफ त्वचा पर लगाये और पंद्रह मिनट के लिए छोड़ दें. उसके बाद पानी से धो लें. इसे हफ्ते में दो बार लगाये. आरेंज एक नेचुरल अस्त्रिगेंट के रूप में काम करता है और त्वचा से आयल दूर करता है. इसके अलावा आरेंज जूस और पपीता दोनों में स्किन ब्राइटनिंग प्रौपर्टीज पाए जाते हैं, जो चेहरे की दाग धब्बो और पिगमेंटेशन को दूर करने में मदद करता है.

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6. पपीता और एग वाइट फेस मास्क

यह मास्क आपकी त्वचा के बड़े रोम छिद्रों को भरने और टाइट रखने में बहुत ही मददगार साबित होता है. पके पपीते के चार से छः क्यूब ले, उसमे एक अंडे की सफेदी मिलाकर पेस्ट तैयार कर ले. इसे चेहरे पर लगाकर पन्द्रह मिनट के लिए छोड़ दे. इसके बाद गुनगुने पानी से धो लें. इस मास्क को आप हफ्ते में एक बार लगा सकते है. एग वाइट त्वचा की पतली लाइने भरकर उसे टाइट और जवान रखता है.

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