Bigg Boss 14: सलमान खान ने दिखाई घर की झलक, कंटेस्टेंट को मिलेगी ये खास सुविधा

बीते दिनों जहां सलमान खान के पौपुलर रियलिटी शो ‘बिग बॉस’ के 14वें सीजन को बौयकौट करने की बात कही गई थी. तो वहीं अब बिग बौस का घर फैंस के बीच काफी सुर्खियां बटोर रहा है. दरअसल, हाल ही में सलमान खान ने बिग बौस 14 की प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए घर के अंदर की झलक दिखाई है. इसी के साथ कोरोनावायरस के कहर के बीच कुछ खास नियमों के बारे में भी जानकारी दी. आइए आपको बताते हैं क्या है इस बार बिग बौस के घर में खास…

प्रैस कौंन्फ्रेंस में कुछ यूं पहुचे सलमान

‘बिग बॉस’ के 14वें सीजन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सलमान खान बीइंग ह्यूमन का मास्क लगाए नजर आए. इसी के साथ वह फैंस को भी कोरोनावायरस से बचे रहने के लिए सलाह देते भी नजर आए.

ये भी पढ़ें- ‘बिग बॉस 14’ के ग्रैंड प्रीमियर की तैयारियां शुरू, Photos Viral

ऐसे दिखेगा ‘बिग बॉस 14’ का घर

कोरोना वायरस गाइडलाइन्स को ध्यान में रखकर ‘बिग बॉस 14’ के घर का निर्माण किया गया है. कंटेस्टेंट्स से पहले सलमान खान खुद ‘बिग बॉस 14’ के मूवी थिएटर का जायजा लेने पहुंचे. जहां पॉपकॉर्न खाते हुए सलमान खान ने बताया कि इस बार कंटेस्टेंट्स को लग्जरी के लिए खूब पापड़ भी बेलने पड़ेंगे.

 

View this post on Instagram

 

Did we just see a spa, mall, theatre & a restaurant in the new #BB14 house? 😱 @BeingSalmanKhan #BB14PressConference #BiggBoss2020

A post shared by Colors TV (@colorstv) on

मौल की फिल देगा बिग बौस का घर

‘बिग बॉस 14’ के घर में इस बार कंटेस्टेंट्स मॉल में जाकर जमकर शॉपिंग भी कर सकते हैं. सलमान खान भी जब इस मॉल के अंदर गए तो उन्होंने भी ढेर सारी शॉपिंग की. दरअसल, ‘बिग बॉस 14’ के कंटेस्टेंट्स को घर के अंदर ही रेस्टोरेंट और शौपिंग की सुविधा मिलने वाली है.

ये भी पढ़ें- ड्रग्स मामले पर बोलीं बिग बौस फेम शिल्पा शिंदे, कही ये बात

बता दें, बीते दिनों शो के कुछ कंटेस्टेंट ग्रैंड प्रीमियर की तैयारी करते हुए नजर आए थे, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर जमकर वायरल हुई थी.

ड्राय स्किन के लिए 5 फेस मास्क

ड्राय स्किन को ठीक करने के लिए महिलाएं तरहतरह के फेस मास्क का भी इस्तेमाल करती हैं, पर उन का असर भी कुछ दिनों तक ही रहता है. लेकिन कुछ ऐसे नैचुरल फेस मास्क है, जिन्हें आप आसानी से घर पर बना सकती हैं. इन्हें लगाने से स्किन में लंबे समय तक नमी रहती है:

ऐलोवेरा फेस मास्क

ऐलोवेरा में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो शरीर और स्किन दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं. इस में पाए जाने वाले ऐंटीऔक्सीडैंट से चेहरे की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं. ऐलोवेरा के इस्तेमाल से चेहरे में नमी तो आती ही है, जरूरी पोषण भी मिलता है.

ऐलोवेरा का फेस मास्क बनाने के लिए ऐलोवेरा जैल निकाल लें. इस में खीरे का जूस मिला लें. इस मास्क को फेस वाश के बाद चेहरे पर लगाएं और फिर कुछ देर लगा रहने के बाद चेहरे को धो लें. इस से चेहरे का रूखापन तो दूर होगा ही, साथ ही चेहरे पर ग्लो भी नजर आने लगेगा.

ये भी पढ़ें- इन 6 पपाया फेस मास्क से पाएं सौफ्ट और ग्लोइंग स्किन

ऐवोकाडो फेस मास्क

फलों का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है. इन के सेवन से सेहत तो अच्छी रहती ही है, चेहरे पर भी चमक बनी रहती है. ऐवोकाडो पोशक तत्त्वों से युक्त होता है, जो स्किन को स्वस्थ बनाता है. यह ड्राई और डैमेज स्किन को हटा कर स्किन को कोमल बनाता है. ऐवोकाडो फेस मास्क बनाने के लिए 2 चम्मच मैश किए ऐवोकाडो में 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच गुलाबजल डाल कर अच्छी तरह मिला लें. फिर चेहरे को क्लीन करने के बाद इसे चेहरे पर लगाएं. 10 मिनट लगा रहने के बाद कुनकुने पानी से चेहरे को धो लें.

स्ट्राबेरी फेस मास्क

स्ट्राबेरी से स्किन मुलायम ही नहीं, बल्कि ग्लोइंग भी नजर आती है. इस में मौजूद विटामिन सी स्किन के रूखेपन को दूर करने में मदद करता है. इस के इस्तेमाल से स्किन में जमे डैड सैल्स भी निकल जाते हैं. स्ट्राबेरी फेस मास्क के लिए 2-3 बड़ी स्ट्राबेरी को मैश कर उस में 1 चम्मच शहद और

1 चम्मच ओटमील मिला कर पेस्ट बना लें और फिर चेहरे पर लगा कर 20 मिनट के बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें. इसे हफ्ते में 2 बार जरूर लगाएं.

पपीता फेस मास्क

पपीता सेहत और खूबसूरती दोनों के लिए ही बेहतरीन माना जाता है. इस में पोटैशियम होता है, जो स्किन को हाइड्रेट और खूबसूरत बनाए रखता है. यह स्किन में मौजूद डैड सैल्स और दागधब्बों को साफ करने में भी मदद करता है.

पपीता फेस मास्क बनाने के लिए पके पतीते का 1 कप पेस्ट बनाएं. फिर इस में 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच नीबू का रस मिलाएं और चेहरे पर लगाएं. 10 मिनट बाद चेहरे को पानी से धो लें. इसे हर 2 दिन बाद इस्तेमाल कर सकती हैं.

ये भी पढ़ें- महंगे ब्रश की जगह इन 5 चीजों से करें मेकअप

केला और चंदन फेस मास्क

बनाना फेस मास्क ड्राई स्किन को नमी पहुंचा कर उसे चमकदार बनाने में मदद करता है. इस से स्किन का रूखापन तो खत्म होता ही है, झर्रियों की समस्या भी खत्म होने लगती है. यह स्किन को टाइट रखने में भी मदद करता है.

बनाना फेस मास्क बनाने के लिए एक पके केले को अच्छी तरह मैश कर उस में 1 चम्मच शहद, 1 चम्मच जैतून का तेल और 1/2 चम्मच चंदन पाउडर मिलाएं. अब इस मास्क को चेहरे पर लगाएं. जब यह सूख जाए तब कुनकुने पानी से धो लें.

तनाव में है हर इंसान

मां और पत्नी हर आदमी के लिए इतनी ही अजीज होती हैं कि वह उन के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है. पर कई बार इस के बिलकुल विपरीत होता है. अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के इकबाल सिंह ने अपनी 90 साल की आयु की मां और पत्नी की एक दिन हत्या कर डाली और फिर दूसरे शहरों में रह रहे बच्चों को फोन कर के कहा कि वे पुलिस को खबर कर दें.

एशियन खेलों में गोला फेंकने पर 1983 में कांस्य पदक जीतने वाला 63 साल का इकबाल सिंह टाटा स्टील और पंजाब स्टील में नौकरी करने के बाद अमेरिका में सैटल हो गया था. यह उम्र ऐसी थी जब विवाद बहुत हो जाते हैं और हर जना जीवन जैसा है, वैसा है को मानने लगता है और विवाद सुलझाता है, खड़े नहीं करता.

ये भी पढ़ें- दिखने लगा है साइड इफैक्ट

मनोवैज्ञानिकों को इस तरह के मामलों का पहले से ही बहुत डर था. जब भी कोई आपदा आती है और बहुत से लोग उस से निबटने की ताकत नहीं जुटा पाते तो वे छोटी सी बात पर भी आपे से बाहर हो सकते हैं. इकबाल सिंह ने अभी अपनी बात पूरी तरह नहीं बताई पर कोरोना के लौकडाउनों का असर भी हो सकता है, जिस में हर जना बेहद तनाव में है, क्योंकि नौकरियां जा रही हैं, आमदनियां बंद हो रही हैं और हालात सुधरते नजर नहीं आ रहे. इकबाल सिंह एक अच्छेखासे 2 मंजिले मकान में रह रहा था जो भारत में खासे मध्यवर्ग के अमीरों को ही मिलता है.

इकबाल सिंह की कहानी धीरेधीरे खुलेगी पर पुलिस की नौकरी की छाया इन हत्याओं पर होने की पूरी संभावना है. भारत हो या अमेरिका पुलिस की नौकरी हरेक को हिंसक बना देती है और अच्छेअच्छे तनाव में पुलिसिया वहशीपन पर उतर आते हैं. इकबाल सिंह भी उसी गिनती में आए तो बड़ी बात नहीं, पुलिस की नौकरी और गोला फेंक में दक्षता दोहरा गुण भी है और अवगुण भी.

ये भी पढ़ें- घरों को नए ढंग से जमाना होगा

नारियल और चने की दाल से बनाएं टेस्टी चना दाल तड़का

हम अक्सर अपने घरों में अरहर दाल ,मूंग दाल ,मसूर दाल,उड़द दाल या चने की दाल का नियमित रूप से सेवन करते है जो की हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होतीं हैं.पर क्या आप जानते है की चने की दाल में मौजूद पोषक तत्व हमारे शरीर के लिए कितने फायदेमंद होते है.चने की दाल में भरपूर मात्रा में प्रोटीन,फाइबर और कैलोरीज होती है.

चने की दाल में मौजूद अमीनो एसिड शरीर की कोशिकाओं को मजबूत करने में मददगार होती है और साथ ही साथ आपके शरीर में आयरन की कमी को पूरा करके हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में भी मदद करती है. फाइबर की मौजूदगी के कारन ये कोलेस्ट्रॉल को कम कर आपका वजन कम करने में भी बेहद फायदेमंद साबित होती है.

वैसे तो चने की दाल का प्रयोग आम तौर पर बेसन बनाने या फिर दाल, सांभर व अन्य व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है.पर क्या कभी आपने चने की दाल और नारियल के मेल से बना तड़का खाया है.अगर नहीं तो चलिए आज हम बनाते है चने की दाल का स्वादिष्ट तड़का.

कितने लोगो के लिए : 3 से 4
बनाने का समय : 20 मिनट
मील टाइप : veg

हमें चाहिए

चना दाल-200 ग्राम
तेल – 1 टेबलस्पून
घी-1 टेबलस्पून
टमाटर- 2 मध्यम आकार के
प्याज- 2 मध्यम आकार के
नारियल का बुरादा (घिसा हुआ नारियल )- ½ छोटा कप
हरी मिर्च या खड़ी लाल मिर्च – 2
लौंग – 3 से 4
कालीमिर्च- 3 से 4
छोटी इलाइची – 2 (ऑप्शनल)
तेज़ पत्ता-1

ये भी पढ़ें- फैमिली के लिए बनाएं कॉर्न पकौड़े

हींग – 1 चुटकी
जीरा-1 छोटी चम्मच
हल्दी – 1 छोटी चम्मच
धनिया – 1 छोटी चम्मच
गरम मसाला- ½ चम्मच
हरा धनिया – ऑप्शनल
नमक- स्वादानुसार

बनाने का तरीका-

1-सबसे पहले चने दाल को अच्छे से धुलकर उसे कुकर में डाल दे और 2 गिलास पानी और हल्दी ,नमक डाल कर गैस पर चढ़ा दे.5 से 6 सीटी आने तक पकने दे.बाद में गैस को बंद कर दे और प्रेशर खत्म हो जाने के बाद उसे एक बर्तन में निकाल ले.

2-अब एक कढाई में तेल गर्म करें.जब तेल गर्म हो जाये तब उसमे जीरा,तेज़ पत्ता और हींग डाल दे.जीरा चटक जाने के बाद उसमे कड़ी लाल मिर्च , कुटी हुई काली मिर्च और साबुत लौंग डाल कर अच्छे से मिला लें.

3-अब उसमे बारीक कटी हुई प्याज़ डाल कर उसको हल्का लाल होने तक भूने.जब प्याज़ हल्की लाल हो जाये तब उसमे बारीक कटे हुए टमाटर डाल दीजिये और उसको अच्छे से पका लीजिये.

ये भी पढ़ें- मेहमानों को स्टार्टर में परोसें पनीर 65

4-अब जब टमाटर पक जाये तब उसमे घिसा हुआ नारियल मिला कर उसको धीमी आंच पर भून लीजिये ,जब वो भुन जाये तब उसमे पकी हुई चने की दाल डाल दीजिये.और उसको धीमी आंच पर 3 से 4 मिनट पकने दीजिये.(पानी और नमक आप अपने हिसाब से देख लें)

5-जब दाल अच्छे से पक जाये तब उसमे गरम मसाला ऐड कर दीजिये और उसको 2 से 3 मिनट और पकने दीजिये.

6-अब उसे एक बर्तन में निकाल लीजिये और सर्व करते समय ऊपर से देशी घी डाल लीजिये.

7-तैयार है चने की दाल का तड़का . वैसे तो ये गर्म रोटी के साथ बहुत स्वादिष्ट लगता है पर आप चाहे तो आप इसे पराठा या चावल के साथ भी खा सकते है.

देश मेरी मुट्ठी में है!- मंहगाई

– “यह देश मेरी मुट्ठी में है.” महंगाई ने तुनक कर कहा .

– ” यह तुम्हारा भ्रम है .” एक गरीब ईमानदार आदमी ने चींख कर प्रतिकार किया.
– “यह भ्रम तो तुम पाले हो, की इस देश को कोई “सरकार” चला रही है, जिसे तुमने चुना है.” महंगाई ने हंसते हुए कहा

– ” यही सत्य है, महंगाई !”  उस आदमी ने कहा
-“अच्छा,भला सिध्द करो ” महंगाई ने मुस्कुरा कर मानो चैलेंज सामने रखा.
-“यह तो सारी दुनिया जानती है, देश में एक तिनका भी, चुनी हुई सरकार के इशारे के बगैर हिल नहीं सकता.”
-“यही तो भ्रम है.” महंगाई हो.. हो… कर हंसते हुए बोली

-“तुम हमारी चुनी हुई सरकार के समक्ष राई का कण भी नहीं .”
आदमी ने कुछ सच्चाई समझने के बाद, चेहरे पर उतर आए पसीने को पोंछते हुए कहा.

-“अच्छा, अभी जो  रसोई गैस के 50 रुपए प्रति सिलेंडर बढ़ गए, आलू, प्याज, टमाटर के दाम बढ़ गए…भला उसके पीछे कौन है ?” महंगाई के चेहरे पर गर्वोवित का भाव था.
-“वो… वो.. मैं क्या जानूं।”
-“कहो, कहो बेहिचक कहो या फिर स्वीकार करो .”महंगाई ने आत्मविश्वास भरे स्वर में कहा.
-“क्या स्वीकार करूं ?”
-“यही की सरकार असहाय है।”
-“यह मैं कैसे स्वीकार कर लूं ।”
-“यह मेरी करामात है, समझ लो । मैंने उछाल भरी है. सरकार के हाथ पांव फूले हुए हैं. तुम क्या जानो.” महंगाई हंसी.
-“तुम्हें गलतफहमी है, ऐसा मैं मानता हूं .”व्यक्ति ने संभलकर कहा,- “तुम्हें सरकार जब चाहेगी धर दबोचेगी और तुम रिरियाती रह जाओगी.”
-“अच्छा ! यह मुंह और मसूर की दाल. ” महंगाई हंसी
-“सच कह रहा हूं, हमारी सरकार के पास असीम अमोध शक्ति है .इस देश के हित में सरकार तुम्हें चाहे तो देश निकाला दे दे तुम कुछ नहीं कर पाओगी .”व्यक्ति ने अब विश्वास पूर्वक कहा था.
-” अच्छा, ऐसा है और इस देश मे सरकार नाम की चिड़िया है तो मुझे काबू में करके दिखाएं.” महंगाई के स्वर में आत्मविश्वास था.
-“तुम सरकार को चैलेंज कर रही हो ?”
-“हां, यह सरकार, यह विपक्ष, यह बड़बोले नेता, यह संसद मेरी मुट्ठी में है,यह देश मेरी मुट्ठी में है .”
महंगाई हंसी .
-“अच्छे-अच्छों के घमंड टूट गए हैं . भ्रष्टाचार भी कुछ दिन पूर्व इठलाता घूमता था, कहता था, सरकार मेरी जेब में है. उसका कितना दर्दनाक हश्र हुआ है, पता है.कई दिग्गज भ्रष्टाचारी जेल चले गए  लालू यादव से लेकर पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम तलक अब बोलो.” आदमी ने अपनी ईमानदारी की रौ में कहा.

-हो हो हो…. महंगाई हंसने लगी.
-” हंसने से सत्य नहीं छिप सकता, तुम घमंड मत पालो,मेरी तो यही राय है ।”
-“देखो, भ्रष्टाचार मेरे समाने च्युंटी सरीखा है. उसके पास मेरी सरीखी असीमित शक्तियां नहीं है .मेरा जादू  मायाजाल तो तुम अभी देख रहे हो .
एक ही दिन में  एक साथ 50 रुपये  प्रति सिलेंडर का महंगा होना. यह एक नजीर है . समझ लो मेरी असीमित शक्ति को . मेरे सामने सरकार गिड़गिड़ाती है, हाथ जोड़कर कह रही है मेरे बस में महंगाई को रोकना नहीं है.यह हमारे वश से बाहर है… हा हा हा….”
-“और  संसद… देश की पार्लियामेंट ?” आदमी ने मुस्कुराते हुए  कहा.
-“संसद तो मेरे भय से भीगी बिल्ली बन कर भाग खड़ी हुई .मुझे आता देख… हा हा हा .”

-“तुम्हारा यह नकचढ़़ा हाव भाव, तुम्हें किसी दिन कहीं का नहीं छोड़ेगा.” आदमी ने दु:खी होकर कहा,-“तुम ऐसे ही प्रमाद  करो, तुम क्या, किसी से नहीं डरती, किसी से भय नहीं, क्या तुम्हारे ऊपर कोई नहीं”
-“यह मैं क्यों बताऊं.मगर यह जान लो,  मेरा विराट स्वरूप, अनंत है. मैं आज की परम शक्ति हूं . मेरे समक्ष सभी च्यूटी सदृश्य हैं . सभी मुझसे है, मैं किसी से नहीं.” महंगाई ने दृढ शब्दों में कहा.
-“मैं तुम्हारी शिकायत प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से करूंगा मैं… मैं….” आदमी हांफने लगा ।
-हा… हा हा  जाओ… कहीं भी चले जाओ, तुम्हें कहीं कोई रियायत नहीं दे सकता . मैं ..मैं.. हूं .” महंगाई अट्टास करने लगी.

-“मैं … मैं… मैं…” आदमी के मुंह से   सफेद झाग निकलने लगा ….वह कुछ बोल पाता उससे पूर्व बेहोश होकर गिर पड़ा.

मनीष मल्होत्रा के ब्राइडल कलेक्शन में छाया ‘धड़क’ एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर का जलवा

जल्द ही वेडिंग सीजन शुरू होने वाला है, जिसके लिए हर कोई अपने लुक के लिए आउटफिट की तलाश कर रहा है. इसी बीच बौलीवुड एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर कुछ फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिनमें वह ब्राइडल लुक में नजर आ रही हैं. दरअसल, हाल ही में एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर ने डिजाइनर मनीष मल्होत्रा के लिए ब्राइडल लुक में फोटोशूट करवाया है, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही हैं.  अगर आप भी अपने ब्राइडल लुक पर चार चांद लगाना चाहती हैं तो जाह्नवी कपूर के ये लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

घूंघट के साथ हैवी ज्वैलरी में नजर आईं जाह्नवी

 

View this post on Instagram

 

Enjoyed this vibe 👰

A post shared by Janhvi Kapoor (@janhvikapoor) on

मनीष मल्होत्रा के ब्राइडल कलेक्शन में ‘धड़क’ एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर का घूंघट और हैवी ज्वेलरी के साथ मेहंदी भरे हाथों में बेहद खूबसूरत लग रही हैं. वहीं जाह्नवी ने अपने ब्राइडल लुक की फोटोज को इंस्टाग्राम से शेयर करते हुए लिखा- ‘क्या आपको शहनाई की आवाज सुनाई दे रही या सिर्फ मुझे ही. मनीष मल्होत्रा के नए कलेक्शन का हिस्सा बनकर बहुत खुश हूं.’ इसके अलावा जाह्नवी ने कुछ अन्य तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा- ‘इस वाइव को बहुत एन्जॉय किया.’

ये भी पढ़ें- शादी के बाद हुआ ‘कुंडली भाग्य’ की ‘प्रीता’ का मेकओवर, Photos Viral

ब्राइडल लहंगे के लिए परफेक्ट है कलर

अगर आप लाल या पिंक कलर से उब गई हैं तो जाह्नवी कपूर का सी ग्रीन कलर का लुक आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. इस लहंगे के साथ आप हैवी ग्रीन और गोल्डन कौम्बिनेशन की ज्वैलरी ट्राय कर सकती हैं. ये आपके लुक को रौयल बनाएगा, जिससे आपके लिए आपकी वेडिंग खास बन जाएगी.

बता दें, बौलीवुड एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर पिछले दिनों ‘गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल’ में नजर आई थीं, जिसमें उनको काफी पसंद किया गया था. हालांकि बौलीवुड में नेपोटिज्म के चलते फिल्म को कम लोगों ने पंसद किया था. वहीं अपकमिंग फिल्मों की बात करें तो जाह्नवी ‘किटी’, ‘दोस्ताना-2’ और ‘तख्त’ जैसी फिल्मों में जल्द नजर आने वाली हैं.

ये भी पढ़ें- प्रैग्नेंसी के लिए परफेक्ट है ‘नायरा’ के ये लुक्स

जानें क्यों जरूरी है नए कपड़ों को धोना

अकसर देखा गया है कि लोग नए कपड़े बाजार से खरीदने के बाद उन्हें बिना धोएं ही पहन लेते हैं.पर क्या आपको पता है आपकी यह आदत आपकी सेहत के ल‍िए बड़ी समस्‍या लेकर आ सकती है. एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस हॉस्पिटल, फरीदाबाद के सीनियर स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर अमित बनगया (bangia) का कहना है कि जब हम किसी कपड़े को खरीदते हैं तो हम तक पहुंचने से पहले नये कपड़ों में कई प्रकार के केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके अंश कपड़ों में रह जाते हैं.जो त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं.

केमिकल्स का प्रयोग

अगर आप कोई डार्क कलर का कपड़ा खरीदते हैं तो उससे पहनने से पहले जरूर धोएं. वो इसलिए क्योंकि नेचुरल थ्रेड का अपना कोई कलर नहीं होता, इसलिए उस पर विभिन्न प्रकार के केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे कपड़ों में ऐज़ो डाईस( azo) का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी वजह से त्वचा पर दाद, खाज और खुजली जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

ये भी पढ़ें- बच्चों के साथ कार में सफर करने के दौरान रखें ये सावधानियां

बहुत अधिक स्टार्च

नए कपड़ों को बार-बार खोलने-मोड़ने और पहनने के कारण वह मुड़ जाते हैं और उनमें चुन्नट पड़ सकती है. इससे बचने के लिए कपड़ों को कड़क स्टार्च करते हैं, इसीलिए इन कपड़ों को पहनने से पहले धोना ज़रूरी हो जाता है ताकि स्टार्च त्वचा के संपर्क में न आए.

अनेकों हाथों से गुजरते हैं

सिर्फ इतना ही नहीं यह अलग-अलग स्थानों और लोगों के हाथों से होकर गुजरते हैं, जिससे इंफेक्शन का खतरा अधिक बढ़ जाता है. इसलिए बहुत ज़रूरी हो जाता है कि नए कपड़ों को पहनने से पहले उन्हें उन्हें धोकर जरूर पहनें.

ट्राई किये गए कपड़े

शॉपिंग के दौरान आपको जो कपड़े पसंद आते हैं वो आप खरीद लेते हैं पर आपको ये नहीं पता होता क‍ि उस कपड़े को कितने लोगो ने ट्राई किया होगा और उस समय उनकी सेहत कैसी होगी. तो इसलिए जब भी आप नया कपड़ा खरीद कर लाएं तो उसे जरूर धो लें.

बच्चो के कपड़े

बच्‍चों को नए कपड़े बिना धोए पहनने से उन्हें रैशेस भी हो जाते हैं जो बहुत परेशान करते हैं. क्योंकि उनकी स्किन बड़ो से भी ज़्यादा सॉफ्ट होती है. इसलिए जब भी बच्चों के लिए कपड़े खरीदें तो उसे धोएं ज़रूर.

ये भी पढ़ें- वौशिंग मशीन में धोती हैं कपड़ें तो ये 5 टिप्स जरूर आजमाएं

प्रोस्टेट कैंसर का समय रहते करवाएं इलाज 

भारत में फेफडों और मुंह के कैंसर के बाद प्रोस्टेट कैंसर तीसरी बडी समस्या बनकर सामने आ रही है प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) पुरूषों को होने वाली प्रमुख समस्या है, जिसे पौरूष ग्रंथि के कैंसर के नाम से भी जाना जाता है. यह समस्या लगातार पुरूषों में बढ रही है. लेकिन प्रोस्टेट कैंसर के बारे में लोगों में जो जागरूकता होनी चाहिऐ वह अभी तक नही है इसलिए लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत है, ताकि बिमारी का शीघ्र पता चले और बेहतर इलाज हो सके.

इस बारें में न्यू दिल्ली के अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल के वरिष्ठ यूरोलोजिस्ट डॉ, एस. के. पाल कहते है कि समय रहते अगर इस बीमारी का पता चलता है तो व्यक्ति इलाज कर रोग मुक्त हो सकता है.

प्रोस्टेट कैंसर है क्या 

प्रोस्टेट कैंसर प्रोस्टेट की कोशिकाओं में बनने वाला एक प्रकार का कैंसर है. प्रोस्टेट कैंसर आमतौर पर बहुत ही धीमी गति से बढ़ता है, इसलिए उसे सायलेंट किलर भी कहते हैं. ज्यादातर रोगियों में तब तक लक्षण नहीं दिखाई देते जब तक कि कैंसर उन्नत अवस्था में नही पहुँच जाता. इसलिए सतेज रहना आवश्यक है. कई मरीजों को तो ज्ञात ही नहीं होता कि उन्हें प्रोस्टेट कैंसर है. इसलिए समय समय पर जांच करवाना आवश्यक होता है. कैंसर बढ जाने पर डॉक्टरों को भी इलाज करना काफी मुश्किल होता है. समय रहते प्रोस्टेट कैंसर के बारे में पता चले तो ऑपरेशनद्वारा उसे ठीक किया जा सकता है, क्योंकि प्रोस्टेट कैंसर के लिए बहुत अच्छे इलाज उपलब्ध हैं.

ये भी पढ़ें- जानिए आखिर क्या है पिलेट्स वर्कआउट

 प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण

  • पेशाब करने में कठिनाई
  • पेशाब करने में दर्द होना
  • मूत्राशय खाली न होने की भावना
  • वीर्य में रक्त
  • वजन कम होन
  • पेशाब से खून आना
  • पेशाब रूक-रूक के आना

प्रोस्टेट कैंसर से बचने के उपाय

पीएसए – यह रक्त की जांच है. इसी जांच से सबसे पहले प्रोस्टेट कैंसर के शुरूआती कि जानकारी मिलती है. प्रतिवर्ष पीएसए की जांच करानेसे यह पता चलता है की, यह किस गती से बढ रहा है. इसे पीएसए-वेलॉसिटी कहते है. पीएसए के असाधारण गति से बढने पर प्रोस्टेट कैंसर होने वाला है. यह जानकारी तीन से पांच साल पहले पता चल सकता है.

अल्ट्रा साऊंड – के.यू.बी. हर साल कराना होता है. प्रोस्टेट के ग्रंथी का आकार कितना है यह इस जांच में पता चलता है और यह मालुम होता है कि उसमें कोई कैंसर की संभावना है या नहीं.

युरोफ्लोमीटरी – इस जाचं में मूत्र विसर्जन की गति का पता चलता है. सिर्फ एक बार पेशाब करने से संगणक द्वारा यह जानकारी होती है कि प्रति सेंकड कितना मूत्र विसर्जित किया जा रहा है. प्रोस्टेट द्वारा मूत्र के विसर्जन मे कितनी रूकावट हो रही है यह पता चलता है.

लायकोपिन – लायकोपिन यह टमाटर में पाया जाता है. कुछ अनुसंधानों से पता चला है कि लायकोपीन के उपयोग से प्रोस्टेट कैंसर का बचाव हो सकता है.

इस बिमारी की संभावना होनेपर किस डॉक्टर से मिले 

यदि किसी पुरूष को अपने शरीर में प्रोस्टेट कैंसर के  लक्षण नज़र आते हैं तो उसे बिना देरी किए यूरोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए. प्रोस्टेट कैंसर समय रहते पता चले इसलिए ४० वर्ष से जादा उम्र के पुरूषों को हर साल तीन जांच अवश्य कराना चाहिए.

प्रोस्टेट कैंसर के कारण 

बढती उम्रः- प्रोस्टेट कैंसर का खतरा उम्र के साथ बढता है. 40 वर्ष से कम उम्र में यह कैंसर बहुत ही कम पाया जाता है. लेकिन 50 वर्ष की उम्र के बाद प्रोस्टेट कैंसर का खतरा तेजी से बढता है. ज्यादा उम्र के पुरूषों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना जरूरी है. इसलिए ४० वर्ष की उम्र के बाद हर साल प्रोस्टेट की जांच करनी जरूरी है, ताकि प्रोस्टेट कैंसर का खतरा तुरंत पता चल सके.

अनुवांशिकताः- परिवार में किसी को पहले प्रोस्टेट कैंसर हुआ है तो इस कैंसर का खतरा उस परिवार के अन्य पुरूष सदस्यों को कई गुना बढ जाता है.

ये भी पढ़ें- युवाओं का दिल भी खतरे में

हार्मोन बदलावः- पुरूषों के जींवन मै उर्मे के साथ-साथ हॉर्मोनल बदलाव होते है. हॉर्मोनल बदलाव के कारण भी यह कैंसर हो सकता है. ऐसे में हॉर्मोन को नियंत्रित रखने वाली दवाईयां लाभदायक साबित हो सकती हैं.

 प्रोस्टेट कैंसर किस उम्र के लोगों को होती है अधिक 

यह बिमारी 60 साल से अधिक उम्र के पुरूषों में अक्सर होती है. 40 वर्ष से कम आयु के 10,000 पुरूषों में से केवल १ प्रोस्टेट कैंसर का मामला देखने को मिलता है. लेकिन 50 से अधिक उम्र के पुरूषों मे प्रोस्टेट कैंसर का खतरा अधिक होता है.

 प्रोस्टेट कैंसर का इलाज

प्रोस्टेट कैंसर के उपचार अक्सर कैंसर के चरण पर निर्भर करता है. कैंसर कितना तेज़ी से बढ़ रहा है. यह देखना जरूरी होता है. बहुत ही शुरूआती चरण में कैंसर है, तो आपका डॉक्टर आपको पहले उसे निगरानी में रहने की सलाह देते हैं, जिसे सक्रिय निगरानी भी कहा जाता है. यदि आपका कैंसर बढ गया है तो उसके लिए और उपचार उपलब्ध है. जैसे की, शल्यचिकित्सा, रेडिएशन, किमोथेरपी, हार्मोनथेरपी, स्टिरियोटॅक्टिक रेडिओथेरपी और इम्युनोथेरपी आदि, इससे प्रोस्टेट कैंसर का इलाज किया जाता है.

कोरोना के डंक ने बढ़ाया ‘डिंक’ का चलन, जानें क्या है इसका मतलब?

कोरोना की मार न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य पर पड़ी है, बल्कि इस ने हमें आर्थिक रूप से भी कमजोर बना दिया है. नौकरियां जाने से बेरोजगारी बढ़ी है, सैलरी में कटौती हो रही है, इलाज महंगा हो गया है, घर से बच्चों की पढ़ाई होने के बावजूद स्कूल फीस देने के साथसाथ पेरैंट्स पर नैट की भी ज्यादा मार पड़ रही है. घर का खर्च चलाना काफी मुश्किल हो गया है और यह सारा भार अगर परिवार के किसी एक सदस्य पर ही हो तो उसे इसे उठाना काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में अब नई जैनरेशन डिंक के चलन को ज्यादा तवज्जो देने लगी ताकि वह बच्चों की जिम्मेदारी से बच सके.

क्या है डिंक

अब आप सोच रहे होंगे कि यह डिंक क्या है तो आप को बता दें कि डिंक का मतलब डबल इनकम नो किड्स से है और अब डिंक शब्द हमारी बदलती दुनिया का एक बड़ा हिस्सा बनता जा रहा है, जिस में शादीशुदा कपल्स अपनी जिंदगी में बच्चा नहीं चाहते और जिंदगी को खुल कर जीने में विश्वास रखते हैं. डिंक कोई क्राइम नहीं है, बल्कि यह हर कपल का अपना निजी निर्णय होता है कि वे अपने जीवन में बच्चा नहीं चाहते. कोई उन पर इस के लिए दबाव भी नहीं बना सकता, क्योंकि वे बच्चा पैदा करने से ज्यादा अपने लाइफस्टाइल को और मजबूत बनाने में विश्वास रखते हैं.

कहां से आया डिंक शब्द

डिंक शब्द की उत्पत्ति 1980 में संयुक्त राज्य अमेरिका से हुई, उस के बाद दुनिया के बहुत से देशों ने इसे अपनाना शुरू कर दिया. लेकिन इस सचाई से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत में अभी डिंक को अपनाने वालों की संख्या कम है.

सैंसस 2011 की बात करें तो 51% शहरी नागरिक सिंगल कमाने वाले पर निर्भर हैं, जबकि डबल इनकम फैमिलीज का प्रतिशत 26 है. ग्रामीण क्षेत्रों में 34% परिवार सिंगल कमाने वाले पर निर्भर हैं, जबकि डबल इनकम फैमिलीज का प्रतिशत 35 है. इस के आधार पर कह सकते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में डबल इनकम का आंकड़ा ज्यादा है.

अगर हम भारत के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के आंकड़ों को जोड़ कर देखें तो पाएंगे कि 39% घर सिंगल वर्किंग मैंबर की कमाई पर चलते हैं, जबकि 33% घर 2 लोगों की कमाई पर चलते हैं. दशकभर पहले भी इस में ज्यादा अंतर नहीं था. 2001 में यह खुलासा हुआ था कि 38 घरों में सिंगल ब्रैड विनर यानी सिंगल व्यक्ति ही कमाने वाला होता है, जबकि 32% घरों में 2 लोग कमाने वाले होते हैं. लेकिन यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि धीरेधीरे व कोरोना के चलते जो परिस्थितियां बन रही हैं उन से भारत में इस के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- करते हैं प्यार पर शादी से इनकार क्यों?

क्यों बढ़ रहा है डिंक का चलन

अगर कहें कि डिंक की दुनिया में आप का स्वागत है, तो ज्यादा न होगा, क्योंकि अब देश की मैट्रो सिटीज में डिंक में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. अब कपल नहीं चाहते कि उन के कंधों पर बच्चों का भार पड़े. वे चाहते हैं कि वे दोनों कमा कर अपना जीवनयापन अच्छी तरह करें. इसलिए वे न तो बच्चों का भार खुद पर डालना चाहते हैं और न ही अपने लाइफस्टाइल को उन के कारण डिस्टर्ब करना चाहते हैं. और आज जिस तरह की परिस्थितियां सामने खड़ी हैं उन से तो यही समझ आ रहा है कि कब कैसा समय आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता, इसलिए जितना हो सके जमा करो.

ऋतु और दीपक दोनों आईटी कंपनी में जौब करते हैं और प्रोफैशनल लाइफ से काफी खुश हैं. उन की शादी को 6 साल हो गए हैं, लेकिन वे फैमिली प्लानिंग नहीं करना चाहते, क्योंकि उन्हें लगता है कि इस से उन के कैरियर पर प्रभाव पड़ने के साथसाथ वे एकदूसरे को पहले की तरह पैंपरिंग नहीं कर पाएंगे. सोचसोच कर चीजें प्लान करनी पड़ेंगी. मस्ती के मूवमैंट्स कम हो जाएंगे. ऐसे में उन का मानना है कि  डिंक ही उन के लाइफस्टाइल को सूट करता है और भी कई वजहें हैं.

लाइफस्टाइल से समझौता नहीं

सभी चाहते हैं कि उन का लाइफस्टाइल बैस्ट हो. वे आज जो नहीं कर पा रहे हैं उसे आगे कर पाएं. इस के लिए दोनों पार्टनर मिल कर कमाते हैं. उन की डबल इनकम ही उन्हें कुछ भी करने की आजादी देती है. किसी तरह की कोई बंदिश नहीं होती. हफ्ते में 2 दिन मूवी देखने का मन करे तो पैसों के कारण सोचना न पड़े, फुलटाइम मेड लगवाने की भी पूरी छूट होती है, क्योंकि पैसों की दिक्कत जो नहीं है. जब मरजी तब शौपिंग करो कोई मनाई नहीं, क्योंकि बेहतर लाइफस्टाइल के साथसाथ आगे के बारे में सोचना जो नहीं है. लेकिन अगर बच्चों का साथ हो तो कमाने के बावजूद खुद के लिए मन मारना ही पड़ता है, कभी उन की स्कूलिंग को ले कर तो कभी उन के फ्यूचर को ले कर. इसीलिए आज की जैनरेशन को बच्चों के साथ समझौता करना मंजूर है, लेकिन लाइफस्टाइल में नहीं.

पर्सनल टाइम नहीं मिलता

शादी के चाहे 6 महीने हुए हों या 6 साल, अगर लाइफ में रोमांस, सैक्स न हो तो पार्टनर से ऊबने लगते हैं. ऐसे में हर कपल अपना पर्सनल टाइम चाहता है, जिस में वे खुद को खुल कर संतुष्ट कर सकें. लेकिन फैमिली प्लानिंग के चक्कर में पहले ऐहतियात के तौर पर और फिर बाद में बच्चों की जिम्मेदारी निभाते लाइफ से रोमांस गायब सा हो जाता है और कई बार तो घर छोटा होने के कारण एक ही बैडरूम में बच्चों के साथ शेयर करना पड़ता है, जिस से रोमांस के लिए समय मिलना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में बहुत से इंडियन कपल्स सिर्फ खुद के टाइम को अपना ही बना कर रखना चाहते हैं ताकि उन की पर्सनल लाइफ बोरिंग न बन जाए. इसलिए अपने बीच में किड्स को जगह नहीं दे पाते.

वर्किंग पार्टनर पर बच्चों का अतिरिक्त भार

ऐसे अनेक उदाहरण देखे गए हैं जिन में पतिपत्नी दोनों वर्किंग होने के कारण उन पर बच्चों की जिम्मेदारी मानो बोझ बन गई है खासकर न्यूक्लियर फैमिलीज में. ऐसे में उन्हें समझ नहीं आता कि औफिस की जिम्मेदारी निभाएं या फिर बच्चों को संभालें. अगर बच्चों को क्रेच में डाल भी दिया तो भी समय पर लाने, ले जाने की जिम्मेदारी के साथसाथ उन की हर फरमाइश को पूरा करना व उन के साथ समय भी तो बिताना पड़ेगा ही. ऐसे में खुद की लाइफ में कुछ नहीं रह जाएगा. तो फिर ऐसी लाइफ से अच्छा है कि अपने कैरियर पर फोकस कर के बच्चों के बारे में सोचें ही नहीं.

सबक लिए पेरैंट्स डिस्क की ओर बढ़ें

डिस्क से हमारा तात्पर्य है डबल इनकम सिंगल किड से, क्योंकि जो कपल्स पेरैंट्स बन चुके हैं, वे अब सैकंड चाइल्ड नहीं चाहते, क्योंकि एक तो बढ़ती महंगाई, दूसरी स्कूलों की ओर से पड़ रही मार और साथ ही वर्किंग पेरैंट्स के लिए सब एक साथ मैनेज करना काफी मुश्किल है. वे अभी ही अपने खर्चे नहीं निकाल पा रहे हैं और दूसरा कोरोना जैसे हालात से भी उन्हें सबक मिला है कि ज्यादा पैर पसारने से बेहतर है कि जो है उसी में रहें. ऐसे में उन्हें अब डिस्क का चयन करने में ही समझदारी नजर आ रही है.

सैलरी कम होने से गुजारा नहीं

कोरोना महामारी के कारण कंपनीज कर्मचारियों की सैलरी में कटौती कर रही हैं. बहुत से कर्मचारियों को तो नौकरी से ही निकाल दिया गया है. ऐसे में उन का खुद का गुजारा नहीं चल रहा तो ऐसे में बच्चे को ला कर उस का जीवन अंधकार में करना उन्हें उचित नहीं लग रहा. उन के मन में यह सोच आ गई है कि हम

2 मिल कर कमा कर कैसी भी परिस्थिति का सामना कर लेंगे. लेकिन अगर भविष्य में कभी इस से ज्यादा विषम स्थिति पैदा हो गई तो क्या खाएंगे व क्या खिलाएंगे. सेविंग भी कब तक चलेगी. ऐसे में नो किड्स ओनली हम 2 ही ठीक हैं वाली बात कोरोना के कारण उन के मन में और पक्की हो गई है.

वर्क फ्रौम होम कल्चर ने और बढ़ाया डिंक का चलन

अभी तक अधिकांश कंपनीज वर्क फ्रौम होम के कल्चर को बढ़ावा नहीं देती थीं, लेकिन कोरोना संकट ने मानो वर्क फ्रौम होम के कल्चर को हमेशा के लिए बढ़ावा देने का काम किया है. अब पार्टनर हर समय घर में रह कर ही काम कर रहे हैं, दिन में कईकई बार मीटिंग्स होती हैं. बिना मेड के ही घर के सारे काम करने पड़ते हैं, साथ ही अगर बच्चे हैं तो उन की फरमाइशें पूरी करने के साथसाथ उन की औनलाइन क्लासेज में भी उन के साथ बैठना पैरेंट्स के लिए अब मुसीबत बन गया है. उन्हें समझ नहीं आ रहा कैसे सब चीजों को मैनेज करें. इस प्रौब्लम को दूसरों को फेस करते देख यंग मैरिड कपल्स यह मन ही मन ठान चुके हैं कि अब बच्चों के बारे में नहीं सोचना.

कैरियर औरिएंटेड कपल्स ने दी ज्यादा तवज्जो

नेहा और दीपक की शादी को 4 साल हो गए हैं और दोनों ही अपनीअपनी फील्ड में वैल सैटल्ड हैं, लेकिन जब परिवार के  लोग उन से फैमिली प्लानिंग के बारे में सवाल करते हैं तो उन का यही जवाब होता है कि इतनी पढ़ाई बच्चे पैदा करने के लिए की है ताकि बच्चे होने के बाद कैरियर से समझौता ही करना पड़े और अगर प्रैगनैंसी के बाद जौब में वापस जाने का प्लान भी बनाते हैं तो न तो कंपनी में वह रिस्पैक्ट मिल पाती है, क्योंकि आज भी लोगों की यही सोच है कि बच्चों के बाद मांएं जौब में अच्छी तरह काम नहीं कर पाती हैं और सचाई यह भी है कि हर  बच्चे में ध्यान लगा रहने के कारण काम से ध्यान हटता है, जो हमें गवारा नहीं. इसलिए फैमिली प्लानिंग बिलकुल नहीं.

ये भी पढ़ें- प्रेमी और बच्चे के बीच उलझी तलाकशुदा

प्रैगनैंसी भी बड़ा टास्क

आजकल अधिकांश कपल्स लड़ाईझगड़े से बचने के लिए न्यूक्लियर फैमिली में ही रहना पसंद करते हैं, लेकिन अगर ऐसे में प्रैगनैंसी भी प्लान कर ली, फिर तो मुसीबत ही आ जाएगी. जौब छोड़नी पड़ेगी वह अलग, अकेले बच्चे की हर जिम्मेदारी निभाना काफी मुश्किल टास्क बन जाएगा. ऐसे में कपल्स डिंक को ही अपने लाइफस्टाइल के हिसाब से ज्यादा सही समझ रहे हैं.

डबल खर्चे बढ़ने का डर

दोनों पार्टनर कमा कर अपने लाइफस्टाइल को बेहतर बना सकते हैं, लेकिन बच्चों की जिम्मेदारी बढ़ने से खर्चे काफी बढ़ जाते हैं. कभी बच्चों को शौपिंग करवाना, कभी स्कूल फीस भरने के साथसाथ हमेशा मन में उन के भविष्य को ले कर निवेश की चिंता सताती रहती है. ऐसे में चाहे घर में 2 लोगों की भी सैलरी आ जाए, फिर भी वह कहां खर्च हो जाती है, पता ही नहीं चलता. ऐसे में खुद के लिए सोचने का तो समय ही नहीं मिलता. इसलिए मन में खर्चे बढ़ने के डर से नो किड के विकल्प को ही अब कपल चुनने के बारे में सोचने लगे हैं.

यही नहीं बहुत सारे कपल्स खुद ही सैटल्ड नहीं होने के कारण बच्चे की इतनी बड़ी जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते. उन्हें लगता है कि बाद में अपने फैसले पर पछताना न पड़े. इसलिए अपने भविष्य को सेफ बनाने पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी है.

फिगर से नो कंप्रोमाइज

आज की जैनरेशन फिटनैस को ले कर ज्यादा सजग हो गई है. आज महिलाएं नहीं चाहतीं कि उन की फिगर को देख कर कोई उन का मजाक बनाए, उन की कमर नहीं बल्कि कमरा नजरा आए, कोई कपड़ा फिट न लगे. अपनी परफैक्ट फिगर के लिए वे अपने अति व्यस्त रूटीन में से भी समय निकाल कर जिम जाती हैं, डाइट का भी काफी ध्यान रखती हैं. लेकिन बच्चों के बाद फिगर को मैंटेन करना काफी मुश्किल हो जाएगा. और एक बार फिगर बिगड़ी नहीं कि पार्टनर का ध्यान हटने में भी देर नहीं लगेगी. ऐसे में डिंक की ओर बढ़ने के लिए फिगर भी एक बहुत बड़ा फैक्टर माना जाता है.

ऐसा नहीं है कि डिंक के सिर्फ फायदे ही हैं. अगर उस के दूसरे पहलू पर नजर डाली जाए तो उस के कुछ नुकसान भी हैं, जो इस प्रकार हैं:

ज्यादा खर्च करने में विश्वास

डिंक की सब से बड़ी खामी यह है कि इस में कपल बहुत जल्दीजल्दी और स्पैंड करने में विश्वास करते हैं, क्योंकि उन पर बच्चों की जिम्मेदारी जो नहीं होती. डिंक कपल्स सेविंग पर कम ध्यान देते हैं. उन का वीकेंड आमतौर पर शौपिंग, बाहर खानापीना, आउटिंग पर ही निकलता है, जिस पर एक बार में हजारों रुपए खर्च करने में भी उन्हें कोई एतराज नहीं होता, जबकि सचाई यह है कि अगर वे चाहें तो ज्यादा पैसा सेवा कर सकते हैं उन लोगों की तुलना में जिन के बच्चे होते हैं.

थोड़ा संभल कर

डिंक जोड़ों पर ‘ऐसोसिएटेड चैंबर औफ कौमर्स ऐंड इंडस्ट्री औफ इंडिया’ द्वारा किए गए सर्वेक्षण में दिल्ली के खर्च पैटर्न के बारे में बहुत कुछ पता चला. सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ कि डिंक कपल उच्च व्ययकर्ता हैं, जो इस प्रकार हैं:

डबल इनकम नो किड

इन चीजों पर खर्च करते हैं- ग्रोसरी, बाहर खाना खाना, म्यूजिक बुक्स, पर्सनल केयर आइटम्स, कंज्यूमर्स दुरेबल सेविंग्स ऐंड इनवैस्टमैंट्स, कपड़ों, फुटवियर, ऐसेसरीज, मूवी, आउटिंग, वेकैशन, ऐंटरटेनमेंट ऐंड होम टैक्सटाइल.

कितना समय- हफ्ते में 4-5 बार.

कितने पैसे- 15 से 20 हजार रुपए.

डबल इनकम विद् किडइन चीजों पर खर्च करते हैं- बच्चों के कपड़ों, किताबों, बाहर खाना खाना, मूवी, ऐंटरटेनमैंट ऐंड वैकेशन.

कितना समय- हफ्ते में 1 बार.

कितने पैसे- 7 से 10 हजार रुपए.

सिंगल (अविवाहित)

इन चीजों पर खर्च करते हैं- बाहर खाना खाना, फिटनैस केयर, ऐंटरटेनमैंट, पर्सनल केयर आइटम्स, ब्रैंड के कपड़े, ऐक्सैसरीज, आउटिंग, वैकेशन, मूवी.

कितना समय- हफ्ते में 3-4 बार.

कितने पैसे- 10 से 15 हजार रुपए.

फ्यूचर सिक्योर करने में कम रुचि

हम 2 ही तो हैं, किस के लिए पैसे जमा करने हैं. जो अच्छा समय मिला है उसे मौजमस्ती, घूमनेफिरने में बिताने पर ही डिंक कपल का ध्यान रहता है, जबकि भले ही उन पर बच्चों की सब से बड़ी जिम्मेदारी नहीं होती, लेकिन किस को पता कि आने वाला समय कैसा होगा. लंबेलंबे बिल और फालतू की चीजों पर पैसे खर्च करने की आदत उन्हें फ्यूचर सिक्योर करने के लिए नहीं सोचने देती.

ये भी पढ़ें- इमोशन पर कंट्रोल करना है जरूरी

गलत निवेश के भी शिकार

डिंक कपल, जिन की ज्यादा आमदनी होती है, वे कई बार ऐसी योजनाओं में निवेश करते हैं, जिन का भविष्य में ज्यादा फायदा नहीं मिलता है, क्योंकि वो उस समय टैक्स बचाने के चक्कर में भविष्य में वह सेविंग कैसी रहेगी यह नहीं देखते, जबकि अगर वे ध्यान से निवेश करें तो उन्हें ज्यादा फायदा मिल सकता है. ऐसे में डिंक कपल को थोड़ा संभल कर कदम उठाने की जरूरत होती है.

खुदखुशी: सोनी का क्या दोष था कि उसने अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें