मास्क पहनने में होती है परेशानी तो अपनाएं ये टिप्स

कोरोना वायरस (Corona virus) के संक्रमण से बचने के लिए अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए मास्क पहनना जितना जरूरी हो गया है. उतना ही ये हमारे फेफड़ों के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है. वो कैसे? आइए जानें –

कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए पूरी दुनिया मास्क का सहारा ले रही है। पर विशेषज्ञ का कहना है कि मास्क पहनकर सांस लेने से हमारे फेफड़ों, वायटैलिटी और इम्यूनिटी पर काफी बुरा असर पड़ता है.इतना ही नहीं हम कई गंभीर बीमारियों के शिकार भी हो सकते हैं.

बी एल के हॉस्पिटल के चेस्ट एंड रेस्पिरेटरी डिसीसेस के सीनियर डायरेक्टर एंड एचओडी डॉक्टर संदीप नायर का कहना है कि अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए मास्क पहनना जरूर है. लेकिन लगातार मास्क पहने रखना हमारे फेफड़ों के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है.
मास्क पहनने पर कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा ज्यादा होने पर इसमें मौजूद हाइपरकेनिया सिरदर्द और चक्कर जैसी समस्या बढ़ा सकते हैं. इसके लिए आपको कुछ तरीके अपनाने होंगे.

1. अकेले हैं तो मास्क ना लगाएं

राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान का मानना है कि ज्यादा समय तक मास्क लगाने पर शरीर को कई नुकसान हो सकते हैं, इसलिए जब ज्यादा लोगों के बीच मौजूद हो तो मास्क जरूर लगाएं, लेकिन जब बहुत ज्यादा भीड़ में न हो, घर पर अकेले हो या फिर अकेले ड्राइव कर रहे हैं तो मास्क का उपयोग कम कर सकते हैं.

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2. मॉर्निग वॉक करते समय मास्क ना लगाएं

अगर आप मॉर्निंग वॉक पर जाते हैं तो रनिंग, जॉगिंग व व्यायाम करते समय N95 मास्क ना पहनें. क्योंकि दौड़ लगाते समय ऑक्सीजन की अधिक जरूरत होती है इसलिए ट्रिपल लेयर सर्जिकल या क्लॉथ मास्क पर्याप्त है.

3. वाल्व वाले मास्क पहनने से बचें

अगर आप इन्फेक्शन वाले एरिया में या फिर इफेक्टिव व्यक्ति के पास हैं तो वाल्व वाले मास्क पहनने से बचें क्योंकि ये आपको प्रदूषण से बचाने के लिए होते हैं लेकिन दूसरों को आपसे संक्रमण होने से नहीं बचा सकते.

4. टाइट मास्क ना पहनें

ज्यादा देर तक या फिर टाइट मास्क लगाए रहने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर हालत बिगड़ सकती है. इसलिए टाइट मास्क बिल्कुल भी ना पहनें.

5. आरामदायक मास्क पहनें

बाहर के मास्क के बजाये आप घर पर बने कपड़े का मास्क मास्क पहनें, क्योंकि ऐसे मास्क पहनने पर सांस लेने में तकलीफ नहीं होती है और आरामदायक भी होते हैं.

6. थोड़ा ढीला मास्क पहनें

मास्क थोड़ा ढीला पहनें क्योंकि टाइट मास्क पहनने पर सांस लेने में दिक्कत होगी और नाक पर रैशेज भी हो जाएंगे.

7. पतला मास्क पहनें

बच्चों के लिए मास्क ऐसा पहनाएं जिसका कपड़ा कॉटन का हो और वह पतला हो, ताकि बच्चों को सांस लेने में तकलीफ ना हो.

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8. डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें

अगर आप मास्क पहनने से प्रॉब्लम हो रही है तो नियमित रूप से प्राणायाम या डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें. इससे ना सिर्फ आपके फेफड़े और इम्यूनिट अच्छी होगी, बल्कि आप ज्यादा ऊर्जावान और स्वस्थ महसूस करेंगे.

बॉलीवुड एक्ट्रेस रवीना टंडन से जानें हेयर केयर के सीक्रेट टिप्स

बॉलीवुड एक्‍ट्रेस रवीना टंडन आए दिन इंस्‍टाग्राम पर स्‍किन या हेयर केयर से टिप्स बताती हैं, जिसे वह खुद भी इस्‍तेमाल करती हैं. हाल ही में, अभिनेत्री ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया, जहां उन्होंने बालों को मजबूत करने और बालों को झड़ने से रोकने की न सिर्फ बात की बल्‍कि होममेड हेयर मास्‍क के बारे में भी बताया. वीडियो में, रवीना टंडन ने बताया कि कैसे आंवला और दूध का उपयोग करके होममेड हेयर पैक बनाया जाता है.

खुद के पोस्‍ट किए गए वीडियो में रवीना ने कहा, ‘इन दिनों अधिकांश लोग बालों के अत्यधिक झड़ने की शिकायत करते हैं, जो तनाव, हानिकारक तत्वों से बने शैंपू, पानी में मौजूद रसायनों और अन्य के कारण हो सकते हैं.अपने बालों को अधिक मजबूत और रेशमी बनाने के लिए आंवले से बेहतर कुछ भी नहीं है. इसलिए अगर आपके बाल पतले हैं या झड़ रहे हैं, तो रोजाना कुछ आंवले खाएं और स्कैल्प पर भी लगाएं.’

कैसे बनाएं आंवले का यह हेयर मास्‍क

रवीना ने बताया कि हेयर मास्क बनाने के लिए एक कप दूध में लगभग छह आंवलों को तब तक उबालें जब तक यह मुलायम न हो जाए.जब यह नरम हो जाए तो इसके बीज निकालें और दूध में आंवले के गूदे को अच्छी तरह से मैश करें.उसके बाद इसे अपने बालों की जड़ों पर अच्‍छी तरह से लगाएं.15 मिनट के बाद सिर को गुनगुने पानी से धो लें. इसे धोने के शैंपू की जरुरत नहीं हैं क्योंकि आंवले का एसिडिक फार्मूला बालों की गंदगी को भी साफ कर देता है, जिसकी वजह से अलग से शैंपू करने की जरूरत नहीं पड़ती है और बाल सिल्की, मुलायम नजर आते हैं.

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कैसे करें आंवले का इस्तेमाल

1- बालों के लिए आंवले का इस्तेमाल एक बेहतर विकल्प है।आंवले में फाइटो-न्‍यूट्रिएंट्स, विटामिन और खनिज पदार्थ होते हैं.

2- आंवले में मौजूद विटामिन सी कोलाजन प्रोटीन का उत्‍पादन करता है, जिससे बाल लंबे और घने होते हैं. सिर्फ इतना ही नहीं कोलाजन बालों की मृत कोशिकाओं काे हटाने और नई कोशिकाओं के निमार्ण में भी मदद करता है.

3- अगर आप बालों पर केमिकल युक्त हेयर डाई का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं तो हर रोज एक आंवला खाएं.

4- अगर आप हेल्दी बाल चाहते हैं तो बालों की कोशिकाओं का ख्याल रखना बहुत ज़रूरी है इसलिए आप आंवले का सेवन रोज करें.

5- आपके बाल अगर बहुत टूट रहें हैं और आप सीधा आंवला का सेवन कर सकते हैं तो आप इसे आचार, मुरब्बा के रूप में भी खाएं.

6- आवंले में विटामिन सी, कैल्शियम फॉस्फोरस, आयरन, कैरोटीन और विटामिन बी पाया जाता है, जो शरीर के साथ -साथ हमारे बाल और आखों के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं इसलिए इसका सेवन करना बहुत ज़रूरी है.

7- आप अगर लंबे बाल चाहते हैं तो सूखे आंवला और मेहंदी को सामान मात्रा में लेकर आधा कप पानी में पूरी भिगो दें.इसे पूरी रात भीगने दें. सुबह के समय इससे अपने बालों को नियमित रूप से धोएं .

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हां, अनि: सुनिल की जिंदगी में क्यों लौटी बेदर्द सीमा?

हां, अनि: भाग-2

पिछला भाग पढ़ने के लिए- हां, अनि: भाग-1

सहसा तभी होटल मैनेजर ने स्टेज पर ताली बजाते हुए लोगों का ध्यान खींचा और माइक में बोला, ‘लेडीज एंड जेंटल मैन, जैसा कि आप सब जानते हैं, आज हम इस प्रिंस होटल की सिल्वर जुबली मनाने जा रहे हैं. पिछले अनेक सालों से निरंतर हमें आप का जो अपार स्नेह व भरपूर सहयोग मिलता रहा है, उस के लिए यह होटल आप सब का आभारी है, और आशा नहीं, पूर्ण विश्वास है कि भविष्य में भी हमें आप सब का इसी तरह सहयोग मिलता रहेगा.

‘आज के स्पेशल डांस प्रोग्राम में सर्वप्रथम आप बाल रूम डांस का लुत्फ उठाएंगे, फिर टैब डांस का और अंत में आर्केस्ट्रा की धुन में तेजी आ जाएगी, जो हर पल बढ़ती ही रहेगी. आखिर तक इस तीव्र धुन पर नाचने वाला जोड़ा, आज के डांस प्रोग्राम का विनर प्राइज हासिल करेगा.’

हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.

नृत्य आरंभ हो गया. आर्केस्ट्रा की धीमी व मीठी धुन हाल में रस घोलने लगी. चारों तरफ एक अजीब सा उन्माद छा गया. जवान क्या, बूढे़ भी एकदूसरे की कमर में बांहें डाल थिरकते हुए डांसिंग फ्लोर पर आ गए, धीमी गति के नृत्य का मधुर समां देखते ही बनता था.

रात के उस दौर में शराब और शबाब का अनूठा मेल पा कर मेरा सूफी मन भी उस में डूब जाने को मचल उठा. उस ‘गुलाबी प्रिया’ को यथावत बैठी देख मैं प्रसन्नता से झूमता चला गया.

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‘आई एम सुनील कुमार,’ नाम बताते हुए उस से बोला, ‘क्या आप मेरे साथ डांस करेंगी?’

‘श्योर,’ वह मुसकरा दी, ‘मुझे रोजी कहते हैं.’

‘वेरी गुड,’ मैं चहका, ‘आप के पेरेंट्स ने बहुत सोचसमझ कर यह नाम रखा होगा?’

‘नहीं, ऐसा नहीं है,’ रोजी पुन: मुसकराने लगी और उठ कर अपना खूबसूरत एवं नाजुक हाथ बढ़ाते हुए बोली, ‘आइए, डांस करें.’

कहीं फिर न चूक जाऊं, इसलिए प्यार से उस का हाथ पकड़ते हुए मैं ने ‘थैंक्यू’ कहा. नृत्य में वह इस कदर खुल कर पेश आई मानो हम पहले से एकदूसरे को जानते हों. खैर, उस रात विशेष डांस प्रोग्राम में रोजी के साथ मुझे ही ‘ताजमहल’ मिला, लेकिन विदा होते समय जब उसे प्राइज सौंपा तो वह उदास लगी, मानो उस की उम्मीदों पर मैं खरा नहीं उतरा.

इस के बाद रोजी कई बार क्लब, होटल, सिनेमा, समंदर के किनारे आदि जगहों पर मिली लेकिन वह हमेशा जल्दी में होती जबकि मैं निरंतर महसूस करता कि वह जानबूझ कर ऐसा करती है. उस की चेष्टा कतरा जाने में रहती है. अचानक ही सामने आ जाने से उस के चेहरे पर नागवारी के जो भाव उभरते उन्हें आसानी से मैं पढ़ लेता. उसे मानो मेरा मिलना अखरता हो.

वह मेरे होशोहवास पर इस तरह छा गई कि मैं एकांत में छटपटा उठता और तब मुझे ऐसा लगता कि उस के बगैर वजूद अधूरा है. प्राय: मैं सोचता, ज्यों ही वह मिलेगी तो फौरन उस के आगे पे्रम का इजहार कर दूंगा, लेकिन रोजी की व्यस्तता और जल्दबाजी…कुछ कहने का मौका न देती.

एक दिन सोचा कि बात ऐसे नहीं बनेगी, अत: रोजी के वास्ते मैं ने एक पत्र लिखा, जिस में प्रेम के साथसाथ उस से विवाह रचाने की इच्छा भी प्रकट की और अब वह पत्र सदा जेब में रहता, ताकि मिलते ही उसे थमा दूं.

सहसा एक दिन शाम को वह सड़क पर भीड़ में जाती दिखाई दी. मैं ने जोर से नाम ले कर उसे पुकारा. उस ने चौंक कर पीछे देखा. मैं ने झट से गाड़ी फुटपाथ के साथ ले जा कर रोक दी तो उसे नजदीक आना ही पड़ा.

‘हाय, रोजी.’

‘हाय…’ मुसकराने के बावजूद उस के चेहरे पर बेरुखी उभर आई. सफेद पैंट और टौप पर खुली केश राशि में वह बिजलियां गिराती नजर आई.

मैं कह उठा, ‘आओ, जुहू पर टहलें.’

‘सौरी, आज फिर बिजी हूं,’ खेद भरे स्वर में वह बोली.

‘आओ तो सही, जहां कहोगी वहां उतार दूंगा.’

दिल की बात कहने के लिए इतना सफर ही बहुत होगा.

‘बेकार आप को परेशान…’

‘मैं फुरसत में हूं,’ उतावलेपन से मैं उस की बात बीच में काटते हुए बोला तो उस से इनकार करते न बन पड़ा.

कार का अगला गेट खोलते हुए वह चुपचाप मेरी बाजू में आ कर बैठ गई. उस के बदन का मधुर स्पर्श पाते ही बात कहां से शुरू करूं समझ में न आया और कुछेक क्षण यों ही निकल गए.

‘मुझे यहीं उतरना है,’ रोजी ने कहा.

‘ठहरो रोजी.’

जातेजाते वह पलटी. मैं ने पत्र निकाल कर उसे देते हुए भारी स्वर में कहा, ‘एकांत में इसे जरूर पढ़ लेना.’

रोजी उसे ले कर भीड़ में समा गई. मैं ने देखा, वह क्लब के सामने उतरी है.

अगली मर्तबा मिलते ही रोजी खिलखिला कर हंस पड़ी.

मैं अवाक् सा मोतियों की भांति चमकते उस के दांत देखता रह गया. हंसतेहंसते उस की आंखें नम हो गईं. थोड़ी देर बाद अपनी हंसी पर काबू पाते हुए वह बोली, ‘बस, इतनी सी बात के लिए कागज रंग डाला. कितनी बार तो मिली हूं? कभी भी कह दिया होता.’

‘तुम्हारी व्यस्तता और जल्दबाजी ने मौका ही कब दिया?’

एकाएक रोजी गंभीर हो गई. माथा सिलवटों से भर गया. मानो किसी उलझन में फंस गई हो…हां…कहेगी या ना? सोचते हुए मैं ने उसे टोका, ‘जवाब दो, रोजी.’

उस की चंचलता पुन: लौट आई और वह अपने आंसू इतनी सफाई से पी गई कि मैं देख कर दंग रह गया. ‘बेकार शादी के लफड़े में क्यों पड़े हो?’ जबरन हंसते हुए उस ने कहा, ‘मैं तो यों ही तुम्हारी बन जाने को तैयार हूं, चलो, कहां ले जाना चाहते हो मुझे?’

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रोजी, अश्लीलता की सारी हदें पार कर गई थी. निर्लज्जता से भरा यह निमंत्रण पा कर मन में आया कि एक जोरदार थप्पड़ उस के गाल पर जड़ दूं, लेकिन कुछ सोचते हुए दुख, आश्चर्य व क्रोध से कसमसा कर रह गया.

‘मुझे तुम से यह उम्मीद नहीं थी, रोजी.’

‘गलती की, जो एक सेक्स वर्कर से आप कोई दूसरी उम्मीद कर बैठे.’

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हां, अनि: भाग-1

कहानी- कृष्ण कुमार भगत

सीमा के संदर्भ में मैं ने एक कविता संग्रह ‘आओ, इस जर्जर घड़ी को बदल डालें’ शीर्षक से लिखा था, जिस की याद अब मुझे आ रही है और अनिता अक्षरश: उसे सुनाने लगी. मेरे अपने ही शब्द आज मुझे कितने भोथरे महसूस हो रहे हैं.

‘‘जितनी जल्दी हो सके…आओ इस जर्जर घड़ी को बदल डालें. वरना हरगिज माफ नहीं करेंगी हमें…आने वाली हमारी नस्लें…’’

सीमा, यानी अनिता की पुरानी सहेली, इतनी जल्दी वह घर आ धमकेगी, वह भी मेरी गैरमौजूदगी में, यह तो बिलकुल न सोचा था. कल शाम को बाजार में शौपिंग करते हुए अचानक वह मिल गई तो मैं चौंक उठा, जबकि उस के चेहरे पर ऐसा कोई भाव न उभरा था.

‘‘सुनील, यह सीमा है,’’ अनिता ने परिचय दिया, ‘‘मेरी प्रिय सखी.’’

‘‘बड़ी खुशी हुई आप से मिल कर,’’ औपचारिकता के नाते कहना पड़ा. कड़वा सच एकदम से उगला भी तो नहीं जाता.

‘‘किसी हसीन लड़की से साली का रिश्ता जुड़ जाने पर भला कौन खुश नहीं होगा,’’ निसंकोच सीमा ने कहा और हंस पड़ी. वही 3 साल पुराना चेहरा, वही रूपरंग, कातिल अदा, मोतियों से चमकते दांत, कुदरती गुलाबी होंठ और उसी तरह गालों को चूमती 2 आवारा लटें, कुछ भी तो न बदली थी वह. हां, उस का यह नाम जरूर पहली बार सुना और अपनी बात पर स्वयं ही खिलखिला उठना कतई न सुहाया. मन में दबी नफरत की चिंगारी भड़क उठी और ‘साली का संबोधन’ अंगारे की तरह अंदर जलाता चला गया.

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‘‘अच्छा, मैं चलूं, अनिता,’’ सहसा वह बोली.

मैं उस से पूछना चाहता था कि इतना कह देने भर से ही क्या तुम छूट जाओगी और मेरी यादों के कैनवास पर से तुम्हारे चरित्र के दाग मिट जाएंगे?

‘‘ऐसी भी क्या जल्दी है,’’ अनिता ने कहा, ‘‘इतने बरसों बाद तो मिली हो, घर चलो, आराम से बैठ कर बातें करेंगे.’’

‘‘फिर कभी आऊंगी, अभी जल्दी में हूं, अपना पता दे दो.’’

अनिता ने उसे अपना विजिटिंग कार्ड थमा दिया था.

रात भर मैं यही सोचता रहा कि उस ने अनिता के सामने ऐसा क्यों जताया कि हम पहली बार मिले हैं. क्या वह मुझे उस पत्र से ब्लैकमेल करना चाहती है, जिस में प्रेम के साथसाथ मैं ने उस से विवाह करने की इच्छा भी जाहिर की थी? ऐसी लड़कियों का भरोसा ही क्या? आज सारा दिन आफिस में भी दिमाग अशांत रहा. शाम को थकाहारा घर लौटा तो अनिता ने ठंडे पानी के साथ गरमागरम खबर दी, ‘‘दोपहर में सीमा आई थी.’’

सुनते ही मैं सोफे पर से उछल पड़ा, कई सवाल दिमाग में कौंधे…क्यों वह मेरे शांत व सुखी घरेलू जीवन में तूफान लाने पर तुली है अनिता, अब तक मां नहीं बन सकी तो क्या हुआ, दोनों में अच्छा तालमेल तो है.

‘‘रहने की तलाश में है बेचारी,’’ अनिता ने बताया, ‘‘अपने पड़ोस में खाली पड़ा मकान तय करवा दिया है और कह रही थी, प्लीज जीजाजी से सिफारिश कर के कहीं काम पर रखवा देना.’’

मैं बोला, ‘‘देखूंगा.’’

‘‘देखूंगा नहीं,’’ अनिता ने जोर दिया, ‘‘उसे सर्विस दिलानी है, वह आप की बहुत प्रशंसा कर रही थी.’’

‘‘क्या कह रही थी?’’

‘‘ऐसा नेक पति भाग्य से मिलता है,’’ पत्नी के होंठों पर मंदमंद मुसकान देख…मेरा चोर मन बोला कि निश्चय ही यह सबकुछ जान कर…अब मजा ले रही है.

‘‘शोख और चंचल है ना, इसलिए मजाक भी कर रही थी.’’

‘‘क्या?’’

‘‘जानेमन, शादी से पहले अगर जनाब को देख लेती तो तुम्हारी जगह आज मैं होती,’’ शुक्र है, लेकिन तभी अनिता ने यह कह कर मुझे फिर झटका दिया, ‘‘मैं देख रही हूं…कल शाम से आप कुछ अपसेट हैं?’’

‘‘नहीं, मैं ठीक हूं,’’ स्वयं को संभालते हुए मैं ने कहा, ‘‘एक बात कहूं अनि, मानोगी?’’

‘‘कहो.’’

‘‘सीमा से अब तुम्हारा मेलजोल बढ़ाना ठीक नहीं.’’

‘‘क्यों?’’ वह सकपका गई, ‘‘क्या दोष है उस में?’’

दोष, यह पूछो, क्या दोष नहीं है उस में? पर इतना कह न पाते हुए मैं बोला, ‘‘हमारा स्तर उस से…’’

‘‘यह तो कोई बात न हुई,’’ अनिता ने एकदम से कहा, ‘‘आखिरकार वह मेरी पुरानी दोस्त है.’’

इस विषय को बदलने के लिए मैं कपड़े बदल कर हाथ में रिमोट ले कर टीवी खोलता हूं, पर यह क्या? हर चैनल पर सीमा मौजूद है. झल्ला कर रिमोट, मेज पर रखते हुए अपनी एक पत्रिका उठा लेता हूं, उस के पन्नों पर भी वही चेहरा दिखता है तो हार कर पत्रिका मेज पर पटक देता हूं और अपने दोनों पैर मेज पर फैला कर व सिर सोफे पर टिकाते हुए पलकें मूंद लेता हूं, तो सीमा, नहींनहीं, रोजी का चेहरा सजीव होने लगता है.

मुंबई के ‘प्रिंस’ होटल की रजत जयंती का मौका था. उस रात होटल में नृत्य का एक विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ था. कार्यक्रम शुरू होने में अभी कुछ देर थी. मैं डिनर ले कर अपनी मेज पर अकेला ही काफी पीने लगा. सहसा 2 नारी स्वरों ने चौंका दिया. कनखियों से उधर देखा तो बस, देखता ही रह गया. वहां 2 नव- युवतियां एक मेज पर बैठी नजर आईं, उन में एक सांवली सी गदराए बदन की बिल्लौरी आंखों वाली सामान्य लड़की थी, जिस ने कत्थई रंग की मैक्सी पहन रखी थी.

दूसरी, पहली बार में ही असामान्य लगी. गुलाबी साड़ीब्लाउज में सजासंवरा उस का मदमस्त यौवन लोगों के दिलों पर कहर ढा रहा था. कुछेक क्षणों के लिए तो मेरा दिल भी थम सा गया. यों लगा मानो वह नृत्य प्रोग्राम के बजाय, किसी सौंदर्य प्रतियोगिता में भाग लेने आई हो.

बीयर के जाम पर नाचती हुई उस की उंगलियां देख कर किसी नाजुक टहनी पर अधखिली कलियों के मंदमंद हवा में हिलने का भ्रम हुआ. उस ‘गुलाबी सुंदरी’ को अपनी सखी के साथ इस तरह अकेले बीयर पीते देख मैं ने उसे किसी बड़े घराने की माडर्न लड़की ही समझा. वह जितनी सुंदर उतनी ही चंचल लगी. मेरा ध्यान  अब तक उधर क्यों नहीं गया? इस का अफसोस तो हुआ ही, साथ में यह ताज्जुब भी कि वे दोनों डांस में मुझे अपना पार्टनर बनाने को आतुर हैं.

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प्रोग्राम शुरू होने जा रहा है, जिन के पास निजी पार्टनर नहीं हैं, वे हाल में बैठे लोगों में से  अपना मनपसंद पार्टनर ढूंढ़ने लगे. कत्थई मैक्सी वाली को एक मनचले युवक ने आमंत्रित कर लिया, ‘गुलाबी रूपसी’ को उस का आफर ठुकराते देख मुझे एक अनजानी खुशी महसूस हुई.

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हां, अनि: भाग-3

पिछला भाग पढ़ने के लिए- एक ही भूल: भाग-3

रोजी ने मानो पिघला हुआ शीशा कानों में उड़ेल दिया हो. सहज ही उस के शब्दों पर विश्वास न हुआ और मैं पागलों की भांति उसे देखता रह गया. यह खूबसूरत लड़की…बाजारू माल कैसे हो सकती है? नहीं…नहीं…पर जो पहले से था, उस पर यकीन करना ही पड़ा. उस के मुख से यह कड़वा सच सुन प्यार के साथसाथ अब उस के प्रति सहानुभूति भी उमड़ आई. जीवन में इस अंधेरी राह पर जाने के पीछे अवश्य कोई मजबूरी रही होगी. उसे जानने की इच्छा से ही मैं कातर स्वर में बोला, ‘इतनी सुंदर, पढ़ीलिखी और समझदार हो कर भी तुम ने यह लाइन क्यों पकड़ी, रोजी?’

‘अरे, तुम तो भावुक हो गए,’ वह उपहास उड़ाते हुए खिलखिला उठी, जबकि मैं उसे अपनी आंतरिक वेदना पर हंसी का लबादा ओढ़ते हुए साफसाफ देख रहा था.

‘मजाक नहीं रोजी, मैं अब भी तुम्हें अपना जीवनसाथी बनाना चाहता हूं,’ सचमुच भावुकता के वेग में मैं बहता ही चला गया, ‘तुम्हारे अतीत से मुझे कोई सरोकार नहीं…और न ही भविष्य में कभी कुछ पूछूंगा, मैं तो सिर्फ…तुम्हें इस अंधेरे से उजाले में ले जा कर एक नए जीवन की शुरुआत करना चाहता हूं, जहां हम दोनों और हमारी खुशियां होंगी.’

‘तुम्हारे विचार और भावनाओं की मैं कद्र करती हूं, सुनील,’ वह यथार्थ के कठोर धरातल से चिपकी रह कर ही बोली, ‘मगर अफसोस, तुम्हारा औफर ठुकराने पर मजबूर हूं, मेरे हालात ऐसे हैं कि लाख चाहने पर भी मैं उन के खिलाफ कोई फैसला नहीं ले सकती.’

‘मुझ पर भरोसा करो, रोजी,’ मैं ने तहे दिल से कहा, ‘हम हर मुश्किल आसान कर लेंगे, प्लीज, बताओ तो सही.’

‘यह नामुमकिन है, सुनील,’ कह कर उस ने एक गहरी सांस ली और फिर अपनी कलाई पर बंधी घड़ी देख कर बोली, ‘अच्छा, मैं अब चलूं.’

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लेकिन जातेजाते ठहर गई. उसी कातिल अदा से पलट कर देखा और हंस कर बोली, ‘यों रास्ते में अचानक ही घेर कर मेरा धंधा खराब मत किया करो. पहले दिन भी तुम्हें अपना ग्राहक समझा था मैं ने और मेरी वह रात बेकार गई. खैर, कोई बात नहीं, तुम से मुझे न जाने क्यों अजीब सा लगाव हो गया है और उसे मैं कोई नाम नहीं देना चाहती. हां, अगर तुम चाहो तो हफ्ते में एक नाइट तुम्हारे साथ मुफ्त गुजार दिया करूंगी.’

‘‘रोजी…’’

‘‘क्या हुआ?’’ अनिता किचन से बाहर आ गई, ‘‘क्यों चिल्ला रहे हो? तबीयत ठीक तो है?’’

‘‘हां, मैं ठीक हूं,’’ कह कर माथे से पसीना पोंछते हुए बोला, ‘‘आज चाय नहीं दोगी?’’

‘‘एक मिनट, अभी लाई,’’ और वह लौट गई.

मैं फिर रोजी के बारे में सोचने लगा.

रोजाना आफिस आतेजाते सड़कों पर या जहांजहां उस के मिलने की संभावना थी वे सारे ठिकाने देख डाले पर रोजी नहीं मिली. फिर अचानक एक दिन भीड़ में वह नजर आ गई. फौरन कार फुटपाथ के एक ओर रोक कर मैं पैदल ही उस के पीछे हो लिया.

‘रोजी…’ हांफते हुए मैं ने पुकारा. पर वह अनजान सी आगे बढ़ती रही. मुझ से रहा न गया तो दौड़ कर उसे पकड़ लिया और फुटपाथ पर खींच लिया.

‘आखिर तुम चाहते क्या हो?’ पलटते ही वह एकदम गुर्राई, ‘क्यों हाथ धो कर मेरे पीछे पड़े हो?’

‘आई लव यू, रोजी.’

उस ने सहम कर इधरउधर देखा, फिर बोली, ‘देखो, मैं चिल्ला उठी तो यहां लोग जमा हो जाएंगे और वे सब तुम्हें इश्क का मतलब समझा देंगे, पुकारूं?’

मैं यह सोच कर सिर से पांव तक सिहर गया कि वह मेरे साथ ऐसा भी कर सकती है. उस की बांह पर कसा मेरा हाथ दूसरे ही क्षण ढीला पड़ता चला गया.

‘आइंदा यह हरकत मत करना, वरना…’ चेतावनी देते हुए उस ने हाथ छुड़ाया और भीड़ में खो गई, मैं पागलों की तरह खड़ा रह गया.

उस के बाद रोजी कभी नहीं मिली और न ही मन में कभी उस से मिलने का खयाल आया. जब कभी उसे ले कर मन घृणा से भरता तो मैं कविता के सहारे उसे हलका कर लेता.

काशीपुर में दीदी की ससुराल है. वह अकसर फोन करती रहतीं कि तेरे लिए एक लड़की देखी है, कभी आ कर हां, ना बता जा. मातापिता के बरसों पहले गुजर जाने के बाद इस जहान में वही तो हैं, उन की यह बात न रखी तो वह भी मुंह मोड़ लेंगी. सो, मैं एक माह की छुट्टियां ले कर काशीपुर आ गया.

कांता दीदी ने मेरी पसंद को ध्यान में रखा था. लड़की देखते ही रिश्ता पक्का हो गया. जीजाजी तो मानो पहले से ही पूरी तैयारियां किए बैठे थे. अनिता के साथ चट मंगनी, पट ब्याह होते ही मैं अनिता को ले कर हनीमून मनाने के लिए नैनीताल जा पहुंचा. ऊंचीऊंची पर्वत श्रेणियों से घिरा नैनीताल का सुंदर इलाका, सुंदरतम झील और हरीभरी वादियों में पता ही न चला कि छुट्टियां कब गुजर गईं. हम दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ गए, जैसे बचपन से साथ रहे हों. नैनीताल से काशीपुर, 2 दिन दीदी के यहां रह कर हम मुंबई आ गए.

उन्हीं दिनों की बात है, जब गुप्ता इंटरप्राइजेज ने पुणे में भी अपनी शाखा खोली. चूंकि कंपनी के मालिक मेरी कार्यकुशलता व ईमानदारी से पूरी तरह संतुष्ट थे. इसलिए यहां की जिम्मेदारी भी मुझे ही सौंपी गई. यहां मुंबई के मुकाबले मुझे ज्यादा सुविधाएं मिलीं.

अनिता के साथ पिता न बन पाने के बावजूद चैन से हूं. उस की बच्चेदानी में इंफैक्शन है. डाक्टर का कहना है, शीघ्र ही उसे आपरेशन द्वारा निकाला नहीं गया तो अनिता की जान को खतरा हो सकता है.

कल शाम से सीमा ने हमारे दांपत्य जीवन में हलचल मचा दी. समझ में नहीं आ रहा कि आखिर वह चाहती क्या है? ऐसी बाजारू लड़कियों का भरोसा ही क्या? अपनी इज्जत तो नीलाम करती ही हैं, दूसरे की भी मिट्टी में मिला देती हैं. सीमा अगर अनि से कह दे कि 3 साल पहले मैं ने उसे न केवल पत्नी बनाना चाहा था, बल्कि उस के द्वारा विवाह का प्रस्ताव ठुकरा देने पर बुरी तरह अपमानित भी हुआ था, तो क्या मैं उस की निगाह में ठहर पाऊंगा? अगर सीमा ने कहीं अनिता को वह पत्र दिखा दिया तो क्या जवाब दूंगा? अगर उस ने यह भेद छिपाने की कीमत मांग ली तो कैसे अदा करूंगा? उफ.

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‘‘बेशर्म, कमीनी,’’ क्रोध में मैं बड़बड़ा उठा.

‘‘किसे विभूषित किया जा रहा है, महोदय?’’ चायनाश्ता टे्र में लाते हुए अनिता ने पूछा तो मैं हड़बड़ा गया, मानो रंगेहाथों चोर पकड़ा गया हो.

‘‘क्षमा करें, बंदी से भूल हो गई,’’ अपने खास लहजे में उस ने चोट की.

‘‘सौरी.’’

‘‘भविष्य में ध्यान रहे,’’ वह महारानियों की तरह मुसकराई.

चाय से पहले, मुंह में चिप्स डाला तो मन में यह खयाल आया कि क्यों न अनिता को अपने अतीत के बारे में बता दूं और अपराधबोध से मुक्त हो जाऊं? यह तो मुझे अच्छी तरह समझती है. मेरी कविताओं की सहृदय पाठक ही नहीं, बल्कि समालोचक भी है. हां, इसी के सहयोग व प्रेरणा से तो ‘कायर नहीं हैं हम’ और ‘आओ, इस जर्जर घड़ी को बदल डालें’ कविता संग्रहों का प्रकाशन हुआ है.

‘‘सीमा को तुम कब से जानती हो, अनि?’’ रहस्योद्घाटन से पहले टोह लेना चाहा.

‘‘बचपन से,’’ उस ने बताया, ‘‘बाजपुर में उस का परिवार हमारे पड़ोस में ही रहता था, 9वीं में वह अपने मम्मीपापा के साथ वाराणसी चली गई थी. कुछ समय तक हमारे बीच फोन पर बातचीत होती रही, फिर वे लोग, भैया की शादी में नहीं आए, तो फोन आना बंद हो गया. उस के बाद वह कल शाम ही मिली, क्यों?’’

‘‘उसे नौकरी पर लगवाने के लिए पूछ रहा हूं. उस की योग्यता क्या है?’’

‘‘अंगरेजी से बी.ए. फाइनल नहीं कर सकी थी.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘हीरोइन बनने की गरज से अपने प्रेमी के साथ मुंबई भाग आई थी, फिर स्टूडियो के चक्कर लगातेलगाते हताश हो कर उस ने घर लौट जाने का फैसला कर लिया था. उस का वह प्रेमी उस के गहने व रुपए ले कर चंपत हो गया और जातेजाते उसे लड़कियों से जबरन धंधा कराने वाले एक गिरोह के एजेंट को बेच गया जिस के बौस के पास कई पुरुषों के साथ बेहोशी में शूट की गई उस की ब्लू फिल्म थीं.’’

‘‘कंप्यूटर तो जानती होगी?’’

‘‘हां, प्लीज…कोई जगह खाली हो तो उसे रख लो,’’ अनिता ने आग्रह किया.

‘‘मैं हंसा,’’ वह भी फ्री में…

‘‘उस के पास देने को है भी क्या?’’

‘‘है, जो हमारे पास नहीं है.’’

‘‘मतलब?’’ अनिता चौंकी थी.

‘‘कोख.’’

वह भी हंसी, ‘‘तो पापा बनने को व्याकुल हो. मैं जानती हूं.’’

‘‘अनि…क्या तुम उसे स्वीकार कर सकोगी. कहीं वह मुझ पर अधिकार न जता ले?’’

‘‘‘सीमा के संदर्भ में’ आओ, इस जर्जर घड़ी को बदल डालें, संग्रह की शीर्षक कविता याद आ रही है मुझे,’’ और वह अक्षरश: उसे सुनाने लगी.

दीवार घड़ी में थरथर कांप कर, आगे बढ़ती हुई सुइयों को निहारते हुए चुपचाप मैं सुनता रहा…उस की आवाज…और अंत में बोला, ‘‘स्पष्ट करो.’’

‘‘सीमा एक सेक्स वर्कर है, यह जान कर भी आप उसे अपनाने को तैयार हो गए थे, तो…’’

मैं दंग रह गया, ‘‘यानी…’’ मुख से बमुश्किल निकला.

‘‘हां, आज दोपहर सीमा…सबकुछ बता गई.’’

अपराधबोध से मैं दब गया.

‘‘लेकिन उस ने आप को ठुकरा  दिया क्यों? कभी सोचा आप ने.’’

‘‘हां, कई बार सोचा था,’’ पर किसी नतीजे पर न पहुंच सका.

‘‘दरअसल, वह आप से बेहद प्रभावित हुई थी,’’ अनिता बोली, ‘‘उसे एक अजीब सा लगाव हो गया था आप से, जिसे वह कोई नाम नहीं देना चाहती थी. एक और बात थी कि आप की भलाई भी उस के पांव की जंजीर बन गई.’’

अनिता ने एक नया रहस्य खोला तो मैं बोला, ‘‘उसे और स्पष्ट करो.’’

‘‘लड़कियों की नजरबंदी के लिए तैनात सुरक्षा गार्ड, अगर आप को सीमा के इर्दगिर्द ज्यादा समय तक देख लेते तो आप की जान चली जाती और इसीलिए जानबूझ कर सीमा ने आप के मन में अपने प्रति नफरत भर दी ताकि आप उस से दूर हो जाएं.’’

मैं आश्चर्य से भर कर पत्नी को देखने लगा तो वह आगे बोली.

‘‘यह तो समूचा विपक्ष एक हो जाने पर पिछले दिनों सरकार को उन दरिंदों के खिलाफ काररवाई करने के लिए पुलिस को सख्त आदेश देने पड़े. तब कहीं वह मुक्त हो पाई और घर जा सकी.

‘‘अंकल, सीमा के भाग जाने का आघात बरदाश्त न कर पाते हुए पहले ही चल बसे थे. उस पर बदनामी का दंश…बेचारी कब तक झेलती रहती? छोटे भाईबहन और बीमार मां के साथ तंग आ कर आखिर में वह वाराणसी से पूना चली आई.’’

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‘‘पगली, इतना बड़ा त्याग कर डाला, सिर्फ मेरे लिए? क्या लगता हूं मैं उस का? मैं तो आज तक उस से घृणा करता रहा…उसे गलत समझता रहा… छि…छि…छि…’’

‘‘अब तो यही हो सकता है कि हम कुछ करें, सीमा जैसी लड़कियों के लिए,’’ अनिता ने मानो अंदर झांक लिया हो.

‘‘हां, अनि,’’ ये दो शब्द अनंत गहराइयों से निकले पर मुझे नहीं मालूम था कि यह फैसला सही है या गलत. अगर बच्चा हो गया तो क्या उसे अनिता स्वीकार करेगी. और क्या सीमा वास्तव में बच्चे को और मुझे छोड़ कर जाएगी. मैं ने गहरी सांस ली और सब कुछ अनिता पर छोड़ दिया.

कोरोना ने ली एक और बौलीवुड सिंगर की जान, सलमान से था खास नाता

बालासुब्रमण्यम कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद 5 अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे. उनके निधन की खबर को बेटे ने कंफर्म किया है. अस्पताल ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा कि उनकी हालत बहुत ही ज्यादा गंभीर हो गई है. उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है. उनकी हालत बिगड़ती ही जा रही थी.

एस. पी बालासुब्रह्मण्यम को अधितर एक्टर सलमान खान की आवाज के रूप में जाना जाता रहा 1989 में आई सलमान खान-भाग्यश्री स्टारर की सुपरहिट फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में सलमान खान के सभी गाने एसपी बालासुब्रह्मण्यम ने गाये थे, जो सुपरहिट साबित हुए थे. उसके बाद उन्होंने सलमान के करियर के शुरुआती दिनों के सभी गाने गाये थे.

सलमान खान ने एसपी बालासुब्रमण्यम के निधन पर ट्वीट करते हुए लिखा, “बालासुब्रमण्यम सर के बारे में सुनकर दिल टूट गया. आप हमेशा अपने संगीत की निर्विवाद विरासत में जीवित रहेंगे. आपके परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं.”

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एसपी बालासुब्रमण्यम के जाने के बाद अब उनके पीछे पत्नी सावित्री और दो बच्चे- बेटी पल्लवी और बेटे एसपी चरण रह गए हैं. बात अगर गायक एसपी बालासुब्रमण्यम के करियर की करें तो बतौर सिंगर के साथ-साथ वह अभिनेता , म्यूजिक डायरेक्टर, डबिंग आर्टिस्ट और फिल्म प्रोड्यूसर के रूप में भी अपनी पहचान बना चुके हैं. उन्होंने अपने करियर में कई भाषाओं में तकरीबन 40 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं. उन्होंने सलमान खान की फिल्मों के लिए कई गानों को अपनी आवाज दी ,जो सुपरहिट साबित हुए.

एसपी बालासुब्रमण्यम को उनके लाजवाब के काम के लिए कई अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. सबसे ज्यादा गाने गाए जाने के लिए उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हैं. उन्होंने अब तक लगभग 16 भाषाओं में 40,000 से भी ज्यादा गाने गाये हैं और उन्हें चार भाषाओं – तेलुगू, तमिल, कन्नड़ और हिंदी गानों के लिए 6 बार सर्वश्रेष्ठ गायक के तौर पर राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. उन्हें भारत सरकार की ओर से 2001 में पद्मश्री और 2011 में पद्मभूषण पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर के लिए 6 नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीते.

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क्रेटा का इंटीरियर है सबसे अलग, जानें इसकी खासियत

नई हुंडई क्रेटा के इंटीरियर की बात करें तो यह बेहद ही शानदार तरीके से डिजाइन किया गया है, जिसमें दो पैनोरमिक सनरूफ दिया गया है. दरअसल, जब आप पैनोरमिक सनरूफ को ओपन करेंगे तो कार के अंदर बैठकर आप बाहर की चीजों को बड़े आराम से देख पाएंगे.

हुंडई क्रेटा के अंदर वौइस से जुड़ा एक ऐसा फीचर दिया गया है, जिससे आप जब भी सनरूफ को ओपन या बंद करना चाहते हैं तो वह वौइस फीचर के जरिए एक्टिवेट या बंद किया जा सकेगा. इन सभी विशेषताओं को देखते हुए अपने सफर को कहें #RechargeWithCreta.

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ऋषिकेश में कुछ यूं वक्त बिता रही हैं ‘ये रिश्ता..’ फेम मोहेना कुमारी, देखें फोटोज

एक्टिंग की दुनिया को अलविदा कहने वाली ये रिश्ता क्या कहलाता है फेम एक्ट्रेस मोहेना कुमारी सिंह शादी के बाद खूबसूरत वादियों का लुत्फ उठा रही हैं. कोरोनावायरस कहर के बीच मोहेना ऋषिकेश की खूबसूरत हवा और वादियों की फोटोज अपने फैंस को शेयर करके अपनी खुशी जाहिर कर रही हैं, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं मोहेना कुमारी की लेटेस्ट फोटोज…

ससुराल में खुलकर जी रही हैं मोहेना

टीवी स्टार मोहिना कुमारी सिंह के फैंस को ये बात अच्छे से मालूम है कि वो नेचर लवर है. शादी के बाद ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ फेम मोहिना कुमारी सिंह उत्तराखंड की सैर पर निकली हैं. जहां इन दिनों मोहेना अपने घरवालों के साथ जमकर क्वालिटी टाइम बिता रही है.

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शादी के बाद घूम रही हैं मोहेना

जहां अपने डॉगी पर जान छिड़कती मोहेना कुमारी सिंह उसके साथ क्वौविटी टाइम बिता रही हैं. तो वहीं जिदंगी के हर एक लम्हें को मोहेना खुलकर और खूबसूरती से जी रही हैं. दरअसल, कुछ दिन पहले ही मोहिना कुमारी सिंह को अपने यूट्यूब चैनल पर 1 लाख सब्सक्राइबर्स मिले है, जिसके चलते उन्हें सिल्वर बटन हासिल हुआ है.

 

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Me : Bagel you’ve got a call ! Bagel : Mom , I don’t ‘GET’ calls… ‘They COME to me’ ! Me : 🙄 #bagelthebeagle

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इंडस्ट्री छोड़ खुश हैं मोहेना

शादी से पहले ही मोहेना कुमारी सिंह ने टीवी इंडस्ट्री को छोड़ने का फैसला किया था.  लेकिन मोहेना की इन फोटोज को देखने के बाद अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनका ये फैसला काफी अच्छा था. जहां वह अक्सर जमकर मी-टाइम बिताती नजर आती हैं तो वहीं कोरोना के खौफ के बीच ऋषिकेश पहुंचकर लक्ष्मण झूला जैसी जगहों का लुत्फ भी उठाती हैं.

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बता दें, कुछ महीने पहले ही मोहेना कुमारी सिंह और उनका पूरा परिवार कोरोना वायरस की चपेट में आ गया था, जिसकी जानकारी उन्होंने सोशलमीडिया पर दी थी. हालांकि अब मोहेना और उनका परिवार पूरी तरह से हेल्दी है.

Review: परिवार की एकजुटता पर बनी साधारण वेब सीरीज

रेटिंग: ढाई स्टार

निर्माता: अर्रे स्टूडियो

निर्देशक:सागर बल्लारी

कलाकारः गजराज राव, यशपाल शर्मा, रणवीर शोरी, निधि सिंह, विजय राज.

अवधि: छह एपीसोड- 21 से 25 मिनट के छह एपीसोड

ओटीटी प्लेटफार्मः हॉटस्टार डिजनी

जमीन जायदाद के लिए एक परिवार के सदस्यों के बीच क्या-क्या होता है, इसे निर्देशक सागर बल्लारी हास्यप्रद वेब सीरीज “परिवार” में लेकर आए है. जो कि 23 सितंबर से हॉटस्टार डिजनी पर प्रसारित हो रही है. जिसमें परिवार की महत्ता पर जोर दिया गया है

कहानी:

यह कहानी है उत्तर प्रदेश के प्रयाग में रहने वाले कांशीराम नारायण (गजराज राव) के परिवार की. कांशीराम की बेटी मंदाकिनी(निधि सिंह) अमेरिका में रहती है. बड़े बेटे महिपाल(यशपाल शर्मा) बनारस में और छोटे बेटे शीशुपाल (रणवीर शोरी) मुंबई में रहते हैं. . महिपाल की पत्नी मंजू (अनुरीता झा)के अलावा दो बच्चे हैं, जबकि शीशुपाल के पत्नी अंजू (सादिया सिद्दीकी) और एक बेटा है. कांशीराम चाहते हैं कि उनके बेटे और उनकी बेटी उनके उनके साथ रह कर उनकी सेवा करें. इसलिए वह बार-बार अस्पताल में पहुंचकर बीमार होने का बहाना कर अपने बेटे और बेटी को बुलाते रहते हैं. उनका नौकर बबलू इस बात से परेशान भी रहता है. एक दिन फिर कांशीराम अस्पताल में पहुंचकर बबलू(कुमार अरुण) के माध्यम से अपने दोनों बेटों वह बेटी मंदाकिनी को संदेश भेजते हैं कि उन्हें हार्ट अटैक आ गया है, और वह मरने वाले हैं. दोनों बेटे व बेटी अपने परिवार के साथ प्रयागराज पहुंच जाते हैं. तब उन्हें पता चलता है कि कांशीराम अब ठीक है. इतना ही नहीं महिपाल ,शिशुपाल और मंदाकिनी को पता चलता है कि उनके पिता के पास करीबन 50 एकड़ जमीन है. जिसमें से उन्होंने को जमीन जमीन दोनों बेटे और एक बेटी के नाम कर दिया है. पर उन्होंने 30 एकड़ जमीन गंगाराम(विजय राज) को दी है, जो इस जमीन पर एशिया का सबसे बड़ा ‘विदुर आश्रम’ बनाने वाला है. हकीकत में गंगाराम उस जमीन पर एक फैक्ट्री खड़ा करना चाहता है. गंगाराम का बेटा मुन्ना(अभिषेक बनर्जी) कुछ कर नहीं पाया और अब 5 साल से एक अस्पताल में नर्स के रूप में काम कर रहा है. पर मंदाकिनी आज भी मुन्ना से प्यार करती है.

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गंगाराम अपने बेटे मुन्ना से कहता है कि वह प्यार के बहाने मंदाकिनी से जमीन के एनओसी वाले कागज पर हस्ताक्षर करवा ले. मगर इस बीच पटवारी के साथ महिपाल, शिशुपाल व मंदाकिनी जमीन देखने पहुंच जाते हैं. पटवारी उन्हें बता देता है कि एनओसी वाले कागज पर साइन ना करें. कांशीराम के लिए अस्पताल का डेढ़ लाख रुपए का बिल जमा करने के बाद गंगाराम, कांशीराम के घर पहुंचता है. वह महिपाल और शिशुपाल से कहता है कि वे एनओसी पर हस्ताक्षर कर दें, जिससे ‘विदुर आश्रम’ का निर्माण शुरू हो जाए. शिशुपाल एनओसी का पेपर पढ़ता है, जिसमें लिखा है कि फैक्ट्री बनाना है. इससे दोनों गंगाराम की पिटाई कर देते हैं. यह बात कांशीराम को पसंद नहीं आती. उधर पिता को मरने से बचाने के लिए मंदाकिनी एक बहुरूपिया पंडित चित्रकूट( पियुष कुमार) को लेकर आती है, जिसे एक दिन दोनों भाई भगा देते हैं. कहानी आगे बढ़ती है. मंजू ,महिपाल से इलाहाबाद में ही होमस्टे शुरू करने की सलाह देती है. उधर बनारस में महिपाल के खिलाफ एक बिल्डर पड़ा हुआ है. तो वही शिशुपाल की नौकरी चली गई है और अंजू की सलाह पर शिशुपाल वकील दिलीप से मिलकर अपने पिता की जमीन गंगाराम के पास ना जाने पाए, इसके लिए सलाह लेता है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं एक वक्त वह आता है, जब महिपाल अपने छोटे भाई शिशुपाल और बहन मंदाकिनी द्वारा दिए गए पावर अटार्नी को गंगाराम के नाम कर देता है. इससे बवाल होता है. मंदाकिनी अमेरिका वापस जाने का निर्णय लेती है. उसके बाद मुन्ना, गंगाराम, मंदाकिनी और कांशीराम मिलकर एक नाटक रचते हैं. उसके बाद सभी को समझ में आता है कि जमीन जायदाद से भी बढ़कर पारिवारिक सदस्यों के बीच आपसे प्यार है.

लेखन व निर्देशन:

निर्देशक सागर बल्लारी और लेखक गगनजीत सिंह और शांतनु अमान ने चरित्रों के निर्माण के दौरान इस बात पर ज्यादा ध्यान दिया है कि चरित्र ‘कॉमिक स्केच’न नजर आए. ‘भेजा फ्राय’ फेम निर्देषक सागर बलैरी के निर्देषन की तारीफ करनी पड़ेगी,उनके निर्देषन की खूबी के चलते कहानी एपीसोड दर एपीसोड सहजता से आगे बढ़ती रहती है. मगर कंटेंट के हिसाब से कुछ भी नयापन नही है. उत्तर भारत के लगभग हर घर में यही सब होता रहता है. इतना ही नही इस तरह की कहानियां कई फिल्मों व कुछ वेब सीरीज में आ चुकी हैं. मंदाकिनी और मुन्ना के बीच का रोमांस ठीक से उभरता नही है. इंसान हंसना चाहे तो भी हॅंसी नही आती. कुछ दृष्यों में अहसास होता है कि हम नाटक देख रहे हैं. सुखद बात यही है कि पिता अपने दोनो बेटों व बेटी को वापस प्रयागराज क्यों बुलाता है,इसका रहस्य सबसे अंत मंे सामने आता है.
इसकी प्रोडक्षन वैल्यू भी कमतर है.

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अभिनयः

‘‘बधाई हो’’फेम अभिनेता गजराज राव के हिस्से करने को कुछ आया ही नही. यशपाल शर्मा और रणवीर शौरी ऐसे अनुभवी कलाकार हैं,जो षुष्क दृश्यों को भी जीवंत कर सकते हैं. पर लेखकीय कमजोरी के चलते दोनों की प्रतिभा उभर नहीं पाती. शिशुपाल की पत्नी अंजू की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री सादिया सिद्दीकी को समान अवसर नहीं दिया गया. कांशीराम के घरेलू नौकर बबलू के किरदार में कुमार वरुण के पास करने को काफी कुछ था,पर वह ओवर एक्टिंग ही करते नजर आए. पूरी वेब सीरीज को गंगाराम का किरदार निभाने वाले अभिनेता विजय राज ही अपने कंधे पर ले जाते हैं. उन्होने षानदार अभिनय किया है. अन्य कलाकार ठीक ठाक ही रहे.

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