अग्निपरीक्षा: क्या तूफान आया श्रेष्ठा की जिंदगी में?

जीवन प्रकृति की गोद में बसा एक खूबसूरत, मनोरम पहाड़ी रास्ता नहीं है क्या, जहां मानव सुख से अपनों के साथ प्रकृति के दिए उपहारों का आनंद उठाते हुए आगे बढ़ता रहता है.

फिर अचानक किसी घुमावदार मोड़ पर अतीत को जाती कोई संकरी पगडंडी उस की खुशियों को हरने के लिए प्रकट हो जाती है. चिंतित कर, दुविधा में डाल उस की हृदय गति बढ़ाती. उसे बीते हुए कुछ कड़वे अनुभवों को याद करने के लिए मजबूर करती.

श्रेष्ठा भी आज अचानक ऐसी ही एक पगडंडी पर आ खड़ी हुई थी, जहां कोई जबरदस्ती उसे बीते लमहों के अंधेरे में खींचने का प्रयास कर रहा था. जानबूझ कर उस के वर्तमान को उजाड़ने के उद्देश्य से.

श्रेष्ठा एक खूबसूरत नवविवाहिता, जिस ने संयम से विवाह के समय अपने अतीत के दुखदायी पन्ने स्वयं अपने हाथों से जला दिए थे. 6 माह पहले दोनों परिणय सूत्र में बंधे थे और पूरी निष्ठा से एकदूसरे को समझते हुए, एकदूसरे को सम्मान देते हुए गृहस्थी की गाड़ी उस खूबसूरत पहाड़ी रास्ते पर दौड़ा रहे थे. श्रेष्ठा पूरी ईमानदारी से अपने अतीत से बाहर निकल संयम व उस के मातापिता को अपनाने लगी थी.

जीवन की राह सुखद थी, जिस पर वे दोनों हंसतेमुसकराते आगे बढ़ रहे थे कि अचानक रविवार की एक शाम आदेश को अपनी ससुराल आया देख उस के हृदय को संदेह के बिच्छु डसने लगे.

श्रेष्ठा के बचपन के मित्र के रूप में अपना परिचय देने के कारण आदेश को घर में प्रवेश व सम्मान तुरंत ही मिल गया, सासससुर ने उसे बड़े ही आदर से बैठक में बैठाया व श्रेष्ठा को चायनाश्ता लाने को कहा.

श्रेष्ठा तुरंत रसोई की ओर चल पड़ी पर उस की आंखों में एक अजीब सा भय तैरने लगा. यों तो श्रेष्ठा और आदेश की दोस्ती काफी पुरानी थी पर अब श्रेष्ठा उस से नफरत करती थी. उस के वश में होता तो वह उसे अपनी ससुराल में प्रवेश ही न करने देती. परंतु वह अपने पति व ससुराल वालों के सामने कोई तमाशा नहीं चाहती थी, इसीलिए चुपचाप चाय बनाने भीतर चली गई. चाय बनाते हुए अतीत के स्मृति चिह्न चलचित्र की भांति मस्तिष्क में पुन: जीवित होने लगे…

वषों पुरानी जानपहचान थी उन की जो न जाने कब आदेश की ओर से एकतरफा प्रेम में बदल गई. दोनों साथ पढ़ते थे, सहपाठी की तरह बातें भी होती थीं और मजाक भी. पर समय के साथ श्रेष्ठा के लिए आदेश के मन में प्यार के अंकुर फूट पड़े, जिस की भनक उस ने श्रेष्ठा को कभी नहीं होने दी.

यों तो लड़कियों को लड़कों मित्रों के व्यवहार व भावनाओं में आए परिवर्तन का आभास तुरंत हो जाता है, परंतु श्रेष्ठा कभी आदेश के मन की थाह न पा सकी या शायद उस ने कभी कोशिश ही नहीं की, क्योंकि वह तो किसी और का ही हाथ थामने के सपने देख, उसे अपना जीवनसाथी बनाने का वचन दे चुकी थी.

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हरजीत और वह 4 सालों से एकदूजे संग प्रेम की डोर से बंधे थे. दोनों एकदूसरे के प्रति पूर्णतया समर्पित थे और विवाह करने के निश्चय पर अडिग. अलगअलग धर्मों के होने के कारण उन के परिवार इस विवाह के विरुद्घ थे, पर उन्हें राजी करने के लिए दोनों के प्रयास महीनों से जारी थे. बच्चों की जिद और सुखद भविष्य के नाम पर बड़े झुकने तो लगे थे, पर मन की कड़वाहट मिटने का नाम नहीं ले रही थी.

किसी तरह दोनों घरों में उठा तूफान शांत होने ही लगा था कि कुदरत ने श्रेष्ठा के मुंह पर करारा तमाचा मार उस के सपनों को छिन्नभिन्न कर डाला.

हरजीत की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई. श्रेष्ठा के उजियारे जीवन को दुख के बादलों ने पूरी तरह ढक लिया. लगा कि श्रेष्ठा की जीवननैया भी डूब गई काल के भंवर में. सब तहसनहस हो गया था. उन के भविष्य का घर बसने से पहले ही कुदरत ने उस की नींव उखाड़ दी थी.

इस हादसे से श्रेष्ठा बूरी तरह टूट गई  पर सच कहा गया है समय से बड़ा चिकित्सक कोई नहीं. हर बीतते दिन और मातापिता के सहयोग, समझ व प्रेमपूर्ण अथक प्रयासों से श्रेष्ठा अपनी दिनचर्या में लौटने लगी.

यह कहना तो उचित न होगा कि उस के जख्म भर गए पर हां, उस ने कुदरत के इस दुखदाई निर्णय पर यह प्रश्न पूछना अवश्य छोड़ दिया था कि उस ने ऐसा अन्याय क्यों किया?

सालभर बाद श्रेष्ठा के लिए संयम का रिश्ता आया तो उस ने मातापिता की इच्छापूर्ति के लिए तथा उन्हें चिंतामुक्त करने के उद्देश्य से बिना किसी उत्साह या भाव के, विवाह के लिए हां कह दी. वैसे भी समय की धारा को रोकना जब वश में न हो तो उस के साथ बहने में ही समझदारी होती है. अत: श्रेष्ठा ने भी बहना ही उचित समझा, उस प्रवाह को रोकने और मोड़ने के प्रयास किए बिना.

विवाह को केवल 5 दिन बचे थे कि अचानक एक विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई. आदेश जो श्रेष्ठा के लिए कोई माने नहीं रखता था, जिस का श्रेष्ठा के लिए कोई वजूद नहीं था एक शाम घर आया और उस से विवाह करने की इच्छा व्यक्त की. श्रेष्ठा व उस के पिता ने जब उसे इनकार कर स्थिति समझाने का प्रयत्न किया तो उस का हिंसक रूप देख दंग रह गए.

एकतरफा प्यार में वह सोचने समझने की शक्ति तथा आदरभाव गंवा चुका था. उस ने काफी हंगामा किया. उस की श्रेष्ठा के भावी पति व ससुराल वालों को भड़का कर उस का जीवन बरबाद करने की धमकी सुन श्रेष्ठा के पिता ने पुलिस व रिश्तेदारों की सहायता से किसी तरह मामला संभाला.

काफी देर बाद वातावरण में बढ़ी गरमी शांत हुई थी. विवाह संपन्न होने तक सब के मन में संदेह के नाग अनहोनी की आशंका में डसते रहे थे. परंतु सभी कार्य शांतिपूर्वक पूर्ण हो गए.

बैठक से तेज आवाजें आने के कारण श्रेष्ठा की अतीत यात्रा भंग हुई और वह बाहर की तरफ दौड़ी. बैठक का माहौल गरम था. सासससुर व संयम तीनों के चेहरों पर विस्मय व क्रोध साफ झलक रहा था. श्रेष्ठा चुपचाप दरवाजे पर खड़ी उन की बातें सुनने लगी.

‘‘आंटीजी, मेरा यकीन कीजिए मैं ने जो भी कहा उस में रत्तीभर भी झूठ नहीं है,’’ आदेश तेज व गंभीर आवाज में बोल रहा था. बाकी सब गुस्से से उसे सुन रहे थे.

‘‘मेरे और श्रेष्ठा के संबंध कई वर्ष पुराने हैं. एक समय था जब हम ने साथसाथ जीनेमरने के वादे किए थे. पर जैसे ही मुझे इस के गिरे चरित्र का ज्ञान हुआ मैं ने खुद को इस से दूर कर लिया.’’

आदेश बेखौफ श्रेष्ठा के चरित्र पर कीचड़ फेंक रहा था. उस के शब्द श्रेष्ठा के कानों में पिघलता शीशी उड़ेल रहे थे.

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आदेश ने हरजीत के साथ रहे श्रेष्ठा के पवित्र रिश्ते को भी एक नया ही

रूप दे दिया जब उस ने उन के घर से भागने व अनैतिक संबंध रखने की झूठी बात की. साथ ही साथ अन्य पुरुषों से भी संबंध रखने का अपमानजनक लांछन लगाया. वह खुद को सच्चा साबित करने के लिए न जाने उन्हें क्याक्या बता रहा था.

आदेश एक ज्वालामुखी की भांति झूठ का लावा उगल रहा था, जो श्रेष्ठा के वर्तमान को क्षणभर में भस्म करने के लिए पर्याप्त था, क्योंकि हमारे समाज में स्त्री का चरित्र तो एक कोमल पुष्प के समान है, जिसे यदि कोई अकारण ही चाहेअनचाहे मसल दे तो उस की सुंदरता, उस की पवित्रता जीवन भर के लिए समाप्त हो जाती है. फिर कोई भी उसे मस्तक से लगा केशों में सुशोभित नहीं करता है.

श्रेष्ठा की आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा. क्रोध, भय व चिंता के मिश्रित भावों में ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे हृदय की धड़कन तेज दौड़तेदौड़ते अचानक रुक जाएगी.

‘‘उफ, मैं क्या करूं?’’

उस पल श्रेष्ठा के क्रोध के भाव 7वें आसमान को कुछ यों छू रहे थे कि यदि कोई उस समय उसे तलवार ला कर दे देता तो वह अवश्य ही आदेश का सिर धड़ से अलग कर देती. परंतु उस की हत्या से अब क्या होगा? वह जिस उद्देश्य से यहां आया था वह तो शायद पूरा हो चुका था.

श्रेष्ठा के चरित्र को ले कर संदेह के बीज तो बोए जा चुके थे. अगले ही पल श्रेष्ठा को लगा कि काश, यह धरती फट जाए और वह इस में समा जाए. इतना बड़ा कलंक, अपमान वह कैसे सह पाएगी?

आदेश ने जो कुछ भी कहा वह कोरा झूठ था. पर वह यह सिद्घ कैसे करेगी? उस की और उस के मातापिता की समाज में प्रतिष्ठा का क्या होगा? संयम ने यदि उस से अग्निपरीक्षा मांगी तो?

 

कहीं इस पापी की बातों में आ कर उन का विश्वास डोल गया और उन्होंने उसे अपने जीवन से बाहर कर दिया तो वह किसकिस को अपनी पवित्रता की दुहाई देगी और वह भी कैसे? वैसे भी अभी शादी को समय ही कितना हुआ था.

अभी तो वह ससुराल में अपना कोई विशेष स्थान भी नहीं बना पाई थी. विश्वास की डोर इतनी मजबूत नहीं हुई थी अभी, जो इस तूफान के थपेड़े सह जाती. सफेद वस्त्र पर दाग लगाना आसान है, परंतु उस के निशान मिटाना कठिन. कोईर् स्त्री कैसे यह सिद्घ कर सकती है कि वह पवित्र है. उस के दामन में लगे दाग झूठे हैं.

जब श्रेष्ठा ने सब को अपनी ओर देखते हुए पाया तो उस की रूह कांप उठी. उसे लगा सब की क्रोधित आंखें अनेक प्रश्न पूछती हुई उसे जला रही हैं. अश्रुपूर्ण नयनों से उस ने संयम की ओर देखा. उस का चेहरा भी क्रोध से दहक रहा था. उसे आशंका हुई कि शायद आज की शाम उस की इस घर में आखिरी शाम होगी.

अब आदेश के साथ उसे भी धक्के दे घर से बाहर कर दिया जाएगा. वह चीखचीख कर कहना चाहती थी कि ये सब झूठ है. वह पवित्र है. उस के चरित्र में कोई खोट नहीं कि तभी उस के ससुरजी अपनी जगह से उठ खड़े हुए.

स्थिति अधिक गंभीर थी. सबकुछ समझ और कल्पना से परे. श्रेष्ठा घबरा गई कि अब क्या होगा? क्या आज एक बार फिर उस के सुखों का अंत हो जाएगा? परंतु उस के बाद जो हुआ वह तो वास्तव में ही कल्पना से परे था. श्रेष्ठा ने ऐसा दृश्य न कभी देखा था और न ही सुना.

श्रेष्ठा के ससुरजी गुस्से से तिलमिलाते हुए खड़े हुए और बेकाबू हो उन्होंने आदेश को कस कर गले से पकड़ लिया, बोले, ‘‘खबरदार जो तुमने मेरी बेटी के चरित्र पर लांछन लगाने की कोशिश भी की तो… तुम जैसे मानसिक रोगी से हमें अपनी बेटी का चरित्र प्रमाणपत्र नहीं चाहिए. निकल जाओ यहां से… अगर दोबारा हमारे घर या महल्ले की तरफ मुंह भी किया तो आगे की जिंदगी हवालात में काटोगे.’’

फिर संयम और ससुर ने आदेश को धक्के दे कर घर से बाहर निकाल दिया. ससुरजी ने श्रेष्ठा के सिर पर हाथ रख कहा, ‘‘घबराओ नहीं बेटी. तुम सुरक्षित हो. हमें तुम पर विश्वास है. अगर यह पागल आदमी तुम्हें मिलने या फोन कर परेशान करने की कोशिश करे तो बिना संकोच तुरंत हमें बता देना.’’

सासूमां प्यार से श्रेष्ठा को गले लगा चुप करवाने लगीं. सब गुस्से में थे पर किसी ने एक बार भी श्रेष्ठा से कोई सफाई नहीं मांगी.

घबराई और अचंभित श्रेष्ठा ने संयम की ओर देखा तो उस की आंखें जैसे कह रही थीं कि मुझे तुम पर पूरा भरोसा है. मेरा विश्वास और प्रेम इतना कमजोर नहीं जो ऐसे किसी झटके से टूट जाए. तुम्हें केवल नाम के लिए ही अर्धांगिनी थोड़े माना है जिसे किसी अनजान के कहने से वनवास दे दूं.

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तुम्हें कोई अग्निपरीक्षा देने की आवश्यकता नहीं. मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं और रहूंगा. औरत को अग्निपरीक्षा देने की जरूरत नहीं. यह संबंध प्यार का है, इतिहास का नहीं.

श्रेष्ठा घंटों रोती रही और आज इन आंसुओं में अतीत की बचीखुची खुरचन भी बह गई. हरजीत की मृत्यु के समय खड़े हुए प्रश्न कि यह अन्याय क्यों हुआ, का उत्तर मिल गया था उसे.

पति सदासदा के लिए अपना होता है. उस पर भरोसा करा जा सकता है. पहले क्या हुआ पति उस की चिंता नहीं करते उस का जीवन सफल हो गया था.

पुराणों के देवताओं से कहीं ज्यादा श्रेष्ठकर संयम की संगिनी बन कर सासससुर के रूप में उच्च विचारों वाले मातापिता पा कर स्त्री का सम्मान करने वाले कुल की बहू बन कर नहीं, बेटी बन कर उस रात श्रेष्ठा तन से ही नहीं मन से भी संयम की बांहों में सोई. उसे लगा कि उस की असल सुहागरात तो आज है.

क्या इश्क़ की ख़ातिर, जान से भी बड़ी कीमत चुका पाएगी रिद्धिमा?

ये कहानी है मुंबई में रहने वाली एक अनाथ लड़की रिद्धिमा की, जिसका सपना इतना ही है कि वो कबीर से शादी कर उसके साथ घर बसाए. वो कबीर से पागलों की तरह प्यार करती है और उसके लिए कुछ भी कर सकती है. वहीं कबीर एक पुलिस ऑफिसर है और बिज़नेस की आड़ में ड्रग्स और अवैध हथियारों का गैरकानूनी धंधा करने वाले खतरनाक माफ़िया, वंश रायसिंघानिया को गिरफ्तार करना उसका मिशन है.

अब तक की कहानी में आपने देखा कि बचपन से प्यार की तलाश में रही रिद्धिमा, कबीर से बेपनाह इश़्क करती है. कबीर, एक खतरनाक मुजरिम वंश को पकड़ने की कोशिश कर रहा है पर उसके हाथ सिर्फ नाकामी लगती है. वंश को पकड़ने के लिए कबीर इतना पागल है कि वो रिद्धिमा से कहता है कि अगर वो उससे सच्चा प्यार करती है तो उसे साबित करना होगा. वो रिद्धिमा से वंश के साथ रहकर उसके खिलाफ सबूत इकट्ठा करने के लिए कहता है. रिद्धिमा से कबीर की परेशानी देखी नहीं जाती और वो इस बात के लिए तैयार हो जाती है. वो वंश के घर उसकी माँ की फ़िज़ियोथेरेपिस्ट बनकर जाती है.

रिद्धिमा की हरकतें देख, वंश को उसपर शक होता है और वो उसपर नजर रखने लगता है. इसी डर से, रिद्धिमा, कबीर से मदद मांगती है और वहां से बच निकलने की कोशिश करती है, लेकिन पकड़ी जाती है. वंश का शक, यकीन में बदलने लगता है और वो रिद्धिमा और उसकी मदद करने वाले को पकड़ने के लिए जाल बिछाता है पर पकड़ नहीं पाता. रिद्धिमा वंश की नौकरी छोड़कर जाने लगती है, लेकिन उसी समय वंश उसके साथ अपनी शादी अनाउंस करता है, जो किसी हुक्म से कम नहीं होता.

रिद्धिमा सोच में पड़ जाती है लेकिन इस बीच उसे एक पेनड्राइव के बारे में पता चल जाता है, जिसमें वंश के गैरकानूनी कामों की सारी जानकारी है. इसी पेनड्राइव को ढूंढने के मकसद से वो शादी करने के लिए राज़ी हो जाती है. वो शादी की तैयारियों के बीच पेनड्राइव ढूंढ भी लेती है पर गलते से पेनड्राइव किसी और के हाथ लग जाती है.

वंश की असलियत सामने लाने की कोशिश करते-करते शादी की घड़ी पास आ जाती है, लेकिन रिद्धिमा को सबूत नहीं मिलता. रिद्धिमा एक जद्दोजहद में पड़ जाती है, और कबीर की मदद चाहती है. लेकिन, ऐसे में कबीर उससे मांगता है अपने प्यार की क़ीमत, एक ऐसी क़ीमत जिसकी वो कल्पना भी नहीं कर सकती. जिस प्यार के लिए उसने अपनी जिंदगी दाँव पर लगा दी है, वहीं सबूत के लिए उसे वंश से शादी करने के लिए कहता है.

अपने इश़्क की बाज़ी लगाकर, रिद्धिमा ने की है वंश से शादी, क्या होगा इसका अंजाम? ये फैसला, किस मोड़ पर ले जाएगा कबीर और रिद्धिमा के प्यार को? देखिए, इश़्क में मरजावाँ, सोमवार से शनिवार, शाम 7 बजे सिर्फ कलर्स पर.

ऑनस्क्रीन बेटे कायरव को कुछ खास अंदाज में शिवांगी-मोहसिन ने दी जन्मदिन की बधाई, पढ़ें खबर

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में नए-नए ट्विवस्ट देखने को मिल रहे हैं. हालांकि शो में नायरा और कार्तिक का बेटा कायरव नदारद है. वहीं फैंस के साथ-साथ उनके को-स्टार्स भी कायरव को काफी मिस कर रहे हैं. इसी बीच बीते दिन ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की लीड एक्ट्रेस शिवांगी जोशी (Shivangi Joshi) ने अपने ऑनस्क्रीन बेटे तन्मय ऋषि को खास अंदाज में बर्थडे की बधाई दी नजर आईं. आइए आपको दिखाते कैसे विश किया नायरा कार्तिक ने अपने बेटे कायरव को….

तन्मय ने बर्थडे किया सेलिब्रेट

बीते रविवार को कायरव यानी चाइल्ड आर्टिस्ट तन्मय ऋषि ने अपना जनमदिन मनाया है और इस दौरान फैंस ने सोशल मीडिया के जरिए बर्थडे विश किया. वहीं औनस्क्रीन मां नायरा यानी शिवांगी जोशी ने ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के सेट पर बनाए गए बूमरैंग वीडियोज को शेयर करके तन्मय ऋषि पर खूब प्यार लुटाया. शिवांगी जोशी ने इन वीडियोज को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है कि, ‘जन्मदिन मुबारक हो बेबी..’

 

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Happy birthday baby…🤗😘 👦🏻🤩👏🏻✌🏻🙌🏻

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औनस्क्रीन पापा ने किया विश

औनस्क्रीन मां नायरा के साथ पापा कार्तिक यानी मोहसिन खान ने भी सोशलमीडिया पर एक फोटो शेयर करते हुए तन्मय को बर्थडे विश किया, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं.

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फैमिली के साथ सेलिब्रेट किया बर्थडे

 

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Birthday Celebrations…Thank u all for ur lovely wishes

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कोरोनावायरस के बढ़ते कहर के बीच तन्मय ने अपनी फैमिली के साथ अपना बर्थडे सेलिब्रेट किया. इसी के साथ फैंस और स्टार्स को विश करने के लिए शुक्रिया कहा. साथ ही अपने बर्थडे सेलिब्रेशन की वीडियो भी शेयर किया, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं.

 

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Cake Celebrations…

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बता दें, कोरोनावायरस के बढ़ते कहर के बीच सीरियल्स और फिल्मों की शूटिंग शुरू हो चुकी है. हालांकि बच्चों और बुजुर्गों को शूटिंग का हिंस्सा बनने के लिए मना किया गया है ताकि उन्हें कोई खतरा ना हो. लेकिन फैंस कायरव का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

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बहन को लेकर सुशांत की चैट का स्क्रीनशॉट शेयर करने पर रिया पर भड़कीं काम्या पंजाबी, पूछा ये सवाल

बीते दिनों सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के सुसाइड मामले में सीबीआई जांच शुरू कर दी गई है, जिसके बाद सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) की मुसीबतें बढ़ गई है. वहीं प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शौविक और एक्स-मैनेजर श्रुति मोदी से एक्टर के सिलसिले में कईं घंटे पूछताछ कर रही है.  इस बीच रिया ने सोशल मीडिया पर अपना पक्ष सामने रखते हुए सुशांत सिंह राजपूत के कुछ सामान और पुरानी चैट्स की फोटोज शेयर की हैं, जिसके लेकर जहां फैंस गुस्से में हैं तो सितारे भी अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

रिया चक्रवर्ती ने शेयर की फोटोज

बीते दिनों रिया ने सुशांत की डायरी से एक पेज और सुशांत के सिपर की फोटोज के साथ कुछ व्हाट्सएप चैट को भी शेयर किया है, जिसमें दिवंगत एक्टर अपनी बहन प्रियंका के बारे में चिंता व्यक्त की थी. वहीं इन सब चीजों पर रिएक्शन देते हुए टीवी की पौपुलर एक्ट्रेस अदाकारा काम्या पंजाबी (Kamya Panjabi) ने रिया चक्रवर्ती से पूछा है कि इस सब से वो क्या साबित करना चाहती है?

 

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Rhea-Sushant WhatsApp chats . . . . #sushantsinghrajput #rheachakraborty #ssrfan #sushantsinghrajputdeath

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काम्या ने किया ये सवाल


काम्या पंजाबी ने रिया चक्रवर्ती के इस खबर पर ट्वीट शेयर करते हुए लिखा है कि, ‘वह इस बात से क्या साबित करने की कोशिश कर रही है? भाई बहन मे झगड़े होते हैं कोई बड़ी बात नहीं है. सबसे अहम बात यह है कि वो तुम्हारे साथ रह रहा था ना की अपनी बहन के साथ. सभी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल तुम करती थीं, उसकी बहन नहीं !!!’ वहीं इससे पहले काम्या ने एक और ट्वीट शेयर करते हुए रिया पर एक चुटकी लेते हुए कहा था, ‘जसका सिपर था उसे ही संभाल कर रख लेती.’

बता दें, बीते दिनों लगभग 18 घंटे तक ईडी की टीम ने रिया चक्रवर्ती के भाई शौविक से पूछताछ की और रविवार को सुबह लगभग 6.40 बजे ईडी कार्यालय से छोड़ दिया गया. वहीं रिया से भी कई घंटे पूछताछ की गई, जिसमें बताया जा रहा है कि वह पूछताछ में सहयोग नही कर रही हैं.

जबकि जांच एजेंसी सुशांत सिंह राजपूत, रिया और शौविक की प्रॉपर्टीज के साथ-साथ मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल के लिए बैंक खाते के लेनदेन पर भी गौर कर रही है, जिसके तहत ईडी ने 10 अगस्त को एक बार फिर रिया चक्रवर्ती को पूछताछ के लिए बुलाया है.

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बंद मुट्ठी: जब दो भाईयों के बीच लड़ाई बनी परिवार के मनमुटाव का कारण

रविवार का दिन था. पूरा परिवार साथ बैठा नाश्ता कर रहा था. एक खुशनुमा माहौल बना हुआ था. छुट्टी होने के कारण नाश्ता भी खास बना था. पूरे परिवार को इस तरह हंसतेबोलते देख रंजन मन ही मन सोच रहे थे कि उन्हें इतनी अच्छी पत्नी मिली और बच्चे भी खूब लायक निकले. उन का बेटा स्कूल में था और बेटी कालेज में पढ़ रही थी. खुद का उन का कपड़ों का व्यापार था जो बढि़या चल रहा था.

पहले उन का व्यापार छोटे भाई के साथ साझे में था, पर जब दोनों की जिम्मेदारियां बढ़ीं तो बिना किसी मनमुटाव के दोनों भाई अलग हो गए. उन का छोटा भाई राजीव पास ही की कालोनी में रहता था और दोनों परिवारों में खासा मेलजोल था. उन की पत्नी नीता और राजीव की पत्नी रिचा में बहनापा था.

रंजन नाश्ता कर के बैठे ही थे कि रमाशंकर पंडित आ पहुंचे.

‘‘यहां से गुजर रहा था तो सोचा यजमान से मिलता चलूं,’’ अपने थैले को कंधे से उतारते हुए पंडितजी आराम से सोफे पर बैठ गए. रमाशंकर वर्षों से घर में आ रहे थे. अंधविश्वासी परिवार उन की खूब सेवा करता था.

‘‘हमारे अहोभाग्य पंडितजी, जो आप पधारे.’’

कुछ ही पल में पंडितजी के आगे नीता ने कई चीजें परोस दीं. चाय का कप हाथ में लेते हुए वे बोले, ‘‘बहू, तुम्हारा भी जवाब नहीं, खातिरदारी और आदर- सत्कार करना तो कोई तुम से सीखे. हां, तो मैं कह रहा था यजमान, इन दिनों ग्रह जरा उलटी दिशा में हैं. राहुकेतु ने भी अपनी दिशा बदली है, ऐसे में अगर ग्रह शांति के लिए हवन कराया जाए तो बहुत फलदायी होता है,’’ बर्फी के टुकड़े को मुंह में रखते हुए पंडितजी बोले.

‘‘आप बस आदेश दें पंडितजी. आप तो हमारे शुभचिंतक हैं. आप की बात क्या हम ने कभी टाली है  अगले रविवार करवा लेते हैं. जो सामान व खर्चा आएगा, वह आप बता दें.’’

रंजन की बात सुन पंडितजी की आंखों में चमक आ गई. लंबीचौड़ी लिस्ट दे कर और कुल 10 हजार का खर्चा बता वे निकल गए.

इस के 2 दिन बाद दोपहर में पंडितजी राजीव के घर बैठे कोल्ड डिं्रक पी रहे थे, ‘‘आप को आप के भाई ने तो बताया होगा कि वे अगले रविवार को हवन करवा रहे हैं ’’

पंडितजी की बात सुन कर राजीव हैरान रह गया, ‘‘नहीं तो पंडितजी, मुझे नहीं पता. क्यों रिचा, क्या भाभी ने तुम्हें कुछ बताया है इस बारे में ’’ अपनी पत्नी की ओर उन्होंने सवालिया नजरों से देखा.

‘‘नहीं तो, कल ही तो भाभी से मेरी फोन पर बात हुई थी, पर उन्होंने इस बारे में तो कोई जिक्र नहीं किया. कुछ खास हवन है क्या पंडितजी ’’ रिचा ने उत्सुकता से पूछा.

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‘‘दरअसल वे इसलिए हवन कराने के लिए कह रहे थे ताकि कामकाज में और तरक्की हो. छोटी बहू, तुम तो जानती हो, हर कोई अपना व्यापार बढ़ाना चाहता है. आप लोगों का व्यापार क्या कम फैला हुआ है उन से, पर आप लोग जरा ठहरे हुए लोग हैं. इसलिए जितना है उस में खुश रहते हैं. बड़ी बहू का बस चले तो हर दूसरे दिन पूजापाठ करवा लें. उन्हें तो बस यही डर लगा रहता है कि किसी की बुरी नजर न पड़ जाए उन के परिवार पर.’’

अपनी बात को चाशनी में भिगोभिगो कर पंडितजी ने उन के सामने परोस दिया. उन के कहने का अंदाज इस तरह का था कि राजीव और रिचा को लगे कि शायद यह बात उन्हीं के संदर्भ में कही गई है.

‘‘हुंह, हमें क्या पड़ी है नजर लगाने की. हम क्या किसी से कम हैं,’’ रिचा को गुस्से के साथ हैरानी भी हो रही थी कि जिस जेठानी को वह बड़ी बहन का दर्जा देती है और जिस से दिन में 1-2 बार बात न कर ले, उसे चैन नहीं पड़ता, वह उन के बारे में ऐसा सोचती है.

‘‘पंडितजी, आप की कृपा से हमें तो किसी चीज की कमी नहीं है, पर आप कहते हैं तो हम भी पूजा करवा लेते हैं,’’ एक मिठाई का डब्बा और 501 रुपए उन्हें देते हुए राजीव ने कहा. उन्हें 15 हजार रुपए का खर्चा बता और उन के गुणगान करते पंडितजी तो वहां से चले गए पर राजीव और रिचा के मन में भाईभाभी के प्रति एक कड़वाहट भर गए. मन ही मन पंडितजी सोच रहे थे कि इन दोनों भाइयों को मूर्ख बनाना आसान है, बस कुनैन की गोली खिलाते रहना होगा.

अगले रविवार जब रंजन के घर वे हवन करा रहे थे तो नीता से बोले, ‘‘बड़ी बहू, मुझे जल्दी ही यहां से जाना होगा. देखो न, क्या जमाना आ गया है. तुम लोगों ने हवन कराने की बात की तो राजीव भैया मेरे पीछे पड़ गए कि हम भी आज ही पूजा करवाएंगे. बताया तो होगा, तुम्हें छोटी बहू ने इस बारे में ’’

‘‘नहीं, पंडितजी, रिचा ने तो कुछ नहीं बताया.’’

नीता उस के बाद काम में लग गई पर उसे बहुत बुरा लग रहा था कि रिचा उस से यह बात छिपा गई. जब उस ने उन्हें हवन पर आने का न्योता दिया था तो उस ने यह कह कर मना कर दिया था कि रविवार को तो उस के मायके में एक समारोह है और वहां जाना टाला नहीं जा सकता.

हालांकि तब नीता को इस बात पर भी हैरानी हुई थी कि आज तक रिचा बिना उसे साथ लिए मायके के किसी समारोह तक में नहीं गई थी तो इस बार अकेली कैसे जा रही है, पर यह सोच कर कुछ नहीं बोली थी कि हर बार हो सकता है साथ ले जाना मुमकिन न हो.

रिचा के झूठ से नीता के मन में एक फांस सी चुभ गई थी.

2 दिन बाद नीता मंदिर गई तो आशीष देते हुए पंडितजी बोले, ‘‘आओ बड़ी बहू. भक्तन हो तो तुम्हारे जैसी. कैसे सेवाभाव से उस दिन भोजन खिलाया था और दक्षिणा देने में भी कोई कमी नहीं छोड़ी थी. छोटी बहू ने तो 2 चीजें बना कर ही निबटारा कर दिया और दक्षिणा में भी सिर्फ 251 रुपए दिए. मैं तो कहता हूं कि पैसा होने से क्या होता है, दिल होना चाहिए. तुम्हारा दिल तो सोने जैसा है, बड़ी बहू. तुम तो साक्षात अन्नपूर्णा हो.’’

उस के बाद नीता ने तुरंत 501 रुपए निकाल कर पंडितजी की पूजा की थाली में रख दिए.

कुछ दिनों बाद जब रिचा मंदिर आई तो वे उस की प्रशंसा करने लगे, ‘‘छोटी बहू, तुम आती हो तो लगता है कि जैसे साक्षात लक्ष्मी के दर्शन हो गए हैं. कितने प्रेमभाव से तुम सब काम करती हो. तुम्हारे घर पूजा करवाई तो मन प्रसन्न हो गया. कहीं कोई कमी नहीं थी और बड़ी बहू के हाथ से तो पैसा निकलने का नाम ही नहीं लेता. हर सामग्री तोलतोल कर रखती हैं. तुम दोनों बहुओं के बीच क्या कोई कहासुनी हुई है  बड़ी बहू तुम से काफी नाराज लग रही थीं. काफी कुछ उलटासीधा भी बोल रही थीं तुम लोगों के बारे में.’’

रिचा ने तब तो कोई जवाब नहीं दिया, पर उस दिन के बाद से दोनों परिवारों में बातचीत कम हो गई. कहां दोनों परिवारों में इतना अपनापन और प्रेम था कि दोनों भाई और देवरानीजेठानी जब तक एकदो दिन में एकदूसरे से मिल न लें, उन्हें चैन नहीं पड़ता था. यहां तक कि बच्चे भी एकदूसरे से कटने लगे थे.

पंडितजी इस मनमुटाव का फायदा उठा जबतब किसी न किसी भाई के घर पहुंच जाते और कोई न कोई पूजा करवाने के बहाने पैसे ऐंठ लेते. साथ में कभी खाना तो कभी मिठाई, वस्त्र अपने साथ बांध कर ले जाते.

नीता ने एक दिन उन्हें हलवा परोसा तो वे बोले, ‘‘वाह, क्या हलवा बनाती हो बहू. छोटी बहू ने भी कुछ दिन पहले हलवा खिलाया था, पर उस में शक्कर कम थी और मेवा का तो नाम तक नहीं था. जब भी उस से तुम्हारी बात या प्रशंसा करता हूं तो मुंह बना लेती है. क्या कुछ झगड़ा चल रहा है आपस में  यह तो बहू सब संस्कारों की बात है जो गुरु और ब्राह्मणों की सेवा से ही आते हैं. अच्छा, चलता हूं. आज रंजन भैया ने दुकान पर बुलाया है. कह रहे थे कि कहीं पैसा फंस गया है, उस का उपाय करना है.’’

धीरेधीरे पंडितजी दोनों भाइयों के बीच कड़वाहट पैदा करने में तो कामयाब हो ही गए साथ ही उन्हें भ्रमित कर मनचाहे पैसे भी ऐंठ लेते. एकदूसरे की सलाह पर काम करने वाले भाई जब अपनीअपनी दिशा चलने लगे तो व्यापार पर भी इस का असर पड़ा और कमाई का एक बड़ा हिस्सा पंडित द्वारा बताए उपाय और पूजापाठ पर खर्च होने लगा.

नीता और रिचा, जो अपने सुखदुख बांट गृहस्थी और दुनियादारी कुशलता से निभा लेती थीं, अब अपनेअपने ढंग से जीने का रास्ता ढूंढ़ने लगीं जिस के कारण उन की गृहस्थी में भी छेद होने लगे.

पहले कभी पतिपत्नी के बीच शिकवेशिकायत होते थे तो दोनों आपसी सलाह से उसे सुलझा लेती थीं. अकसर नीता राजीव को समझा देती थी कि वह रिचा से गलत व्यवहार न किया करे या फिर रिचा को ही सही सलाह दे दिया करती थी.

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बंद मुट्ठी के खुलते ही रिश्तों के साथसाथ धन का रिसाव भी बहुत शीघ्रता से होने लगता है. बेशक दोनों परिवार अलग रहते थे, पर मन से वे कभी दूर नहीं थे. अब उन के बीच इतनी दूरियां आ गई थीं कि एक की बरबादी की खबर दूसरे को आनंदित कर देती. वे सोचते, उन के साथ ऐसा ही होना चाहिए था.

धीरेधीरे उन दोनों का ही व्यापार ठप होने लगा और आपसी प्यार व विश्वास की दीवारें गिरने लगीं. उन के बीच दरारें पैदा कर और पैसे ऐंठ कर पंडितजी ने एक फ्लैट खरीद लिया और घर में हर तरह की सुविधाएं जुटा लीं. उन के बच्चे अंगरेजी स्कूल में जाने लगे.

जब पंडितजी ने देखा कि अब दोनों परिवार खोखले हो गए हैं और उन्हें देने के लिए उन के पास धन नहीं है तो उन का आनाजाना कम होने लगा. अब राजीव और रंजन उन्हें सलाह लेने के लिए बुलाते तो वे काम का बहाना बना टाल जाते. आखिर, उन्हें तो अपनी कमाई का और कोई जरिया ढूंढ़ना था, इसलिए बहुत जल्दी ही उन्होंने दवाइयों के व्यापारी मनक अग्रवाल के घर आनाजाना आरंभ कर दिया.

‘‘क्या बताऊं यजमान, कैसा जमाना आ गया है. आप कपड़ा व्यापारी भाई रंजन और राजीव भैया को तो जानते ही होंगे, कितना अच्छा व्यापार था दोनों का. पैसों में खेलते थे, पर विडंबना तो देखो, दोनों भाइयों की आपस में बिलकुल नहीं बनती. आपसी लड़ाईझगड़ों के चलते व्यापार तो लगभग ठप ही समझो.

‘‘आप भी तो हैं, कितना स्नेह है तीनों भाइयों में. अगलबगल 3 कोठियों में आप लोग रहते हो, पर मजाल है कि आप के दोनों छोटे भाई आप की कोई बात टाल जाएं. यहां आ कर तो मन प्रसन्न हो जाता है. मैं तो कहता हूं कि मां लक्ष्मी की कृपा आप पर इसी तरह बनी रहे,’’ काजू की बर्फी के 2-3 पीस एकसाथ मुंह में रखते हुए पंडितजी ने कहा.

‘‘बस, आप का आशीर्वाद चाहिए पंडितजी,’’ सेठ मनक अग्रवाल ने दोनों हाथ जोड़ कर कहा.

‘‘वह तो हमेशा आप के साथ है. मेरी मानो तो इस रविवार लक्ष्मीपूजन करवा लो.’’

‘‘जैसी आप की इच्छा,’’ कह मनक अग्रवाल ने उन के सामने हाथ जोड़ लिए. वहां से कुछ देर बाद जब पंडितजी निकले तो उन के हाथ में काजू की बर्फी का डब्बा और 2100 रुपए का एक लिफाफा था.

आने वाले रविवार को तो तगड़ी दक्षिणा मिलेगी, इसी का हिसाबकिताब लगाते पंडितजी अपने घर की ओर बढ़ गए.

उन के चेहरे पर एक कुटिल मुसकान खेल रही थी और आंखों से धूर्तता टपक रही थी. बस, उन्हें तो अब तीनों भाइयों की बंद मुट्ठी को खोलना था. उन का हाथ जेब में रखे लिफाफे पर गया. लिफाफे की गरमाहट उन्हें एक सुकून दे रही थी.

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बनाए रेस्टोरेंट जैसा आचारी पनीर

अचारी पनीर बनाने की विधि बहुत आसान है. इसका स्वाद बहुत स्वादिष्ट होता है. इसमें मैदा, दही और कुछ मसालें मिलाकर बेहद स्वादिष्ट रेसिपी बनती है.ये खाने में बहुत स्वादिष्ट होती है. तो देर किस बात की झट से इसकी रेसिपी बताते हैं.

सामग्री

1 कप पनीर के टुकडे

2 टी-स्पून तेल

1 टी-स्पून सौंफ़

¼ टी-स्पून सरसों

1/4 टी-स्पून मेथी के दानें

1 टी-स्पून कलैंजी

1/2 टी-स्पून ज़ीरा

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1/2 टी-स्पून हींग

1/2 कप स्लाइस किए हुए प्याज़

1/2 टी-स्पून हल्दी पाउडर

1/2 टी-स्पून लाल मिर्च का पाउडर

1/2 टी-स्पून काला नमक

3/4 कप फेंटा हुआ दही

1 टी-स्पून मैदा

2 टेबल-स्पून कटा हुआ धनिया

नमक (स्वादानुसार)

बनाने की विधि

अचारी पनीर बनाने के लिए, एक गहरे नौन-स्टिक पैन में तेल गरम कीजिए और उसमें सौफ, सरसों, मेथी के दानें, कलौंजी, जीरा और हींग डालकर उसे मध्यम आंच पर 1 मिनट के लिए भून लीजिए.

उसमें प्याज डालकर 2 मिनट के लिए मध्यम आंच पर भून लीजिए.

उसमें पनीर, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च का पाउडर और काला नमक डालकर अच्छी तरह से मिला लीजिए और उसे मध्यम आंच पर 1 मिनट के लिए बीच-बीच में हिलाते हुए पका लीजिए.

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उसमें दही और मैदा डालकर अच्छी तरह से मिला लीजिए और उसे मध्यम आंच पर 1 से 2 मिनट के लिए बीच-बीच में हिलाते हुए पका लीजिए.

आंच को बंद कर दीजिए और उसमें धनिया और नमक डालकर अच्छी तरह से मिला लीजिए.

चपाती या चावल के साथ गरमा-गरम परोसें.

चीन को पछाड़ देगा भारत लेकिन…

विश्व में सब से ज्यादा आबादी वाले देश चीन और विश्व के सब से बड़े लोकतंत्र भारत के मध्य बौर्डर पर हुई हालिया हिंसक झड़प व मौजूदा गंभीर तनाव के बीच भारत एक माने में प्रतिद्वंद्वी चीन को पछाड़ने वाला है. बढ़ती आबादी से चिंतित दुनिया के देशों के लिए अच्छी खबर यह है कि इस का बढ़ना तो रुकेगा ही, घटना भी शुरू हो जाएगा.

थमेगा बढ़ने का सिलसिला :

दुनिया की आबादी के बढ़ने का सिलसिला अब से 44 वर्षों बाद थम जाएगा. तब यानी वर्ष 2064 में 9.7 अरब के साथ दुनिया की आबादी चरम पर होगी. उस के बाद उस के घटने का सिलसिला शुरू हो जाएगा और इस सदी (21वीं) के आखिर तक यह घट कर 8.8 अरब रह जाएगी.

पीछे रह जाएगा चीन :

वर्ष 2100 तक 1.09 अरब की जनसंख्या के साथ भारत सब से ज्यादा आबादी वाला देश होगा. फिलहाल विश्व की कुल आबादी 7.8 अरब है. इस में भारत की आबादी 1.38 अरब है जबकि चीन की 1.40 अरब है. वर्ष 2030 तक भारत की आबादी 1.65 अरब हो जाएगी, तब ही भारत प्रतिद्वंद्वी चीन को पछाड़ कर आबादी में नंबर वन हो जाएगा. तब तक दुनिया की आबादी 8.14 अरब हो चुकी होगी. मौजूदा समय में चीन की आबादी के बढ़ने की रफ़्तार भारत की आबादी के बढ़ने की रफ़्तार से धीमी है.

बढ़ते रहेंगे नाइजीरियाई : 

द लैंसेट जरनल में प्रकाशित यूनिवर्सिटी औफ वाशिंगटन के इंस्टिट्यूट फौर हैल्थ मैट्रिक्स ऐंड इवोल्यूशन (आईएचएमई) के शोध के अनुसार, वर्ष 2100 में आबादी के मामले में भारत के बाद दूसरा स्थान नाइजीरिया (79.1 करोड़), तीसरा चीन (73.2 करोड़), चौथा अमेरिका (33.6 करोड़) और 5वां पाकिस्तान (24.8 करोड़) का होगा. विश्लेषणात्मक शोध में यह अनुमान भी लगाया गया है कि भारत और चीन जैसे देशों में कामकाज करने योग्य आबादी में कमी आएगी.

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आधी रह जाएगी आबादी :

दिलचस्प यह है कि वर्ष 2100 तक इटली, जापान, पोलैंड, पुर्तगाल, दक्षिण कोरिया, स्पेन और थाईलैंड समेत दुनिया के 20 से ज़्यादा देशों की जनसंख्या आधी से भी कम रह जाएगी. इस समय दुनिया में सब से ज़्यादा आबादी वाले देश चीन की आबादी 1.40 अरब है, जो अगले 80 वर्षों में घट कर 73 करोड़ रह जाएगी.

द लैंसेट में प्रकाशित शोधकर्ताओं की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम के अध्ययन में कहा गया है कि वर्ष 2100 में ज़मीन पर 8.8 अरब लोग होंगे, यानी, संयुक्त राष्ट्र संघ के ताज़ा अनुमानों से 2 अरब कम. हालांकि, अफ़्रीक़ी देशों की आबादी तीनगुना बढ़ जाएगी. अफ़्रीकी देश नाइजीरिया की आबादी बढ़ कर 80 करोड़ हो जाएगी. वह भारत (1 अरब 10 करोड़) के बाद दूसरा सब से ज्यादा आबादी वाला देश होगा.

संतुलनअसंतुलन :

विश्व की आबादी का घटना पर्यावरण के लिए अच्छी ख़बर है. वहीं, इस के नतीजे में ज़मीन पर खाने के लिए उगाई जाने वाली सामग्री का बोझ कम हो जाएगा. दूसरी तरफ, ग़ैरअफ़्रीक़ी देशों में आबादी घटने के कारण श्रमबल में कमी आएगी, जिस का उन की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा.

शोध के मुताबिक, 5 से कम उम्र के बच्चों की संख्या 40 फीसदी से ज्यादा घटने का अनुमान है. इन बच्चों की आज की आबादी 681 मिलियन से वर्ष 2100 में 401 मिलियन रह जाएगी. दूसरी ओर, वैश्विक आबादी का एकचौथाई से ज्यादा, यानी 2.37 अरब लोग, 65 वर्ष से अधिक उम्र के होंगे. 80 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले लोगों की संख्या, जो आज लगभग 14 करोड़ है, बढ़ कर 86.6 करोड़ तक हो जाएगी. वहीँ, काम करने वालों की संख्या में भारी गिरावट से कई देशों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

कोविड-19 से 50 फीसदी तक घटेगी जन्मदर :

कोरोना के शुरुआती दौर मार्चअप्रैल में लौकडाउन के साथ यूनिसेफ समेत तमाम एजेंसियों ने अनुमान लगाया था कि दुनिया में जन्मदर तेजी से बढ़ेगी और अगले साल आबादी पर इस का असर दिखेगा. हालांकि, मई, जून और जुलाई में कोरोना के बढ़ते कहर के साथ अब अमेरिका, यूरोप और तमाम एशियाई देशों में जन्मदर में 30 से 50 फीसदी तक की कमी का अनुमान जताया गया है.

लंदन स्कूल औफ इकोनौमिक्स के सर्वे के अनुसार, कोरोनाकाल विश्व की आबादी में उछाल के बजाय गिरावट का कारण बनेगा. यूरोपीय देश इटली, जरमनी, फ्रांस, स्पेन और ब्रिटेन की बात करें तो 18-34 साल की उम्र के 50 से 60 फीसदी युवाओं ने परिवार आगे बढ़ाने की योजना को एक साल तक के लिए टाल दिया है.

सर्वे के मुताबिक, सोशल डिस्टेंसिंग औऱ अन्य पाबंदियों के बीच बेबी बूम (भारी तादाद में बच्चे पैदा होने) की कोई संभावना नहीं है. सर्वे में फ्रांस और जरमनी में 50 फीसदी युवा दंपतियों ने कहा कि वे महामारी के कारण बच्चे की योजना को टाल रहे हैं. ब्रिटेन में 58 फीसदी ने कहा कि वे परिवार आगे बढ़ाने के बारे में फिलहाल सोचेंगे भी नहीं.

सिर्फ 23 फीसदी दंपतियों ने इस से कोई फर्क न पड़ने की बात कही. इटली में 38 फीसदी और स्पेन में 50 फीसदी से ज्यादा युवाओं ने कहा कि उन की आर्थिक और मानसिक स्थिति अभी ऐसी नहीं है कि वे बच्चे का खयाल रख भी पाएंगे. दंपतियों ने बेरोजगारी को देखते हुए भी परिवार का बोझ न बढ़ाने का समर्थन किया. यह भी आशंका जताई कि अगर अभी वे बच्चा करते हैं तो शायद उन्हें बेहतर इलाज की सुविधाएं भी नहीं मिल पाएंगी. डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैंड, नौर्वे और आइसलैंड में भी यही ट्रैंड दिख रहा है.

भारत में भी दिखेगा असर :

यूनिसेफ ने भारत में मार्चदिसंबर के बीच सर्वाधिक 2 करोड़ और चीन में 1.3 करोड़ बच्चे जन्म लेने का अनुमान लगाया था, हालांकि बदले हालात में इस में कमी का अनुमान है. भारत के 13 राज्यों में प्रजनन दर पहले ही काफी नीचे आ चुकी है.

सेव द चिल्ड्रेन के प्रोग्राम एवं पौलिसी इंपैक्ट के निदेशक अनिंदित रौय चौधुरी का कहना है कि भारत के शहरी और ग्रामीण परिवेश में कोविड-19 का प्रभाव जन्मदर पर अलगअलग दिख सकता है. कुपोषण, टीकाकरण, शिक्षा व स्वास्थ्य को लें, तो कोविड का सब से ज्यादा प्रभाव बच्चों पर ही पड़ा है. ऐसे में युवा परिवार बढ़ाने या न बढ़ाने को ले कर क्या कदम उठाते हैं, यह आने वाले समय में पता चलेगा.

आबादी से जुड़े दिलचस्प संकेत :

*  संयुक्त राष्ट्र संघ यानी यूएनओ का अनुमान है कि पूरी दुनिया की आबादी 2023 तक 8 अरब और 2056 तक 10 अरब को पार कर देगी. बता दें कि यूएनओ के अनुमान और द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित शोध में फर्क है.

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*  वर्ष 2025-30 तक भारत की जनसंख्‍या 1 अरब 65 करोड़ हो जाएगी. तब भारत पड़ोसी चीन को पछाड़ कर आबादी में नंबर वन हो जाएगा. तब तक दुनिया की आबादी 8 अरब 14 करोड़ हो चुकी होगी.

*  विश्व की आधी आबादी 9 देशों में रहती है. 2017 से 2050 तक भारत, नाइजीरिया, कांगो का लोकतांत्रिक गणराज्य, पाकिस्तान, इथियोपिया, संयुक्त राज्य अमेरिका, तंजानिया, युगांडा और इंडोनेशिया जनसंख्या वृद्धि में सब से ज्यादा योगदान देंगे. इस का मतलब है कि अफ्रीका की आबादी अब और 2050 के बीच लगभग दोगुना हो जाएगी.

*  आबादी के मामले में नाइजीरिया  2050 से पहले अमेरिका को पीछे छोड़ कर तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा. आज के दौर में सब से तेजी से आबादी में वृद्धि करने वाला देश नाइजीरिया ही है.

* इस समय विश्‍व की कुल आबादी 7.7 बिलियन यानी कि 7.77 अरब है. विश्व में सब से ज्यादा आबादी वाला देश चीन है, इस की कुल आबादी 1.41 अरब है. आबादी के मामले में चीन पहले स्थान पर है और दूसरे नंबर पर भारत जबकि अमेरिका तीसरे नंबर पर है.

*  संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या विभाग के डायरैक्टर जौन विल्मोथ ने हाल ही में कहा कि ताजा अध्ययन में पाया गया कि  अगले 30 वर्षों में भारत की आबादी में 27.3  अरब की वृद्धि हो सकती है. इस हिसाब से 2050 तक भारत की कुल आबादी 1.64 अरब होने का अनुमान है.

बहरहाल, यह सब अनुमानित शोध के मुताबिक है लेकिन गौर करने लायक जो बात है वह यह है कि यदि भारत अपनी स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणाली को सुधार कर विश्वस्तर पर ले आए तो इस का विशाल जनसमूह न केवल देश, बल्कि संसारभर में प्रभावशाली स्थान और रूप में रह सकेगा.

मानसून में घर को रखें सुरक्षित कुछ ऐसे

रिमझिम बारिश सबके लिए खुशियाँ लाती है, क्योंकि भीषण गर्मी से राहत मानसून ही दिलाती है, पर इस मौसम में नमी की अधिकता की वजह से घरों और आसपास के सामानों में जंग और फफूंद की समस्या बढ़ जाती है, जिसका उपाय कर लेने से इस मौसम का आनंद अच्छी तरह से लिया जा सकता है. मुंबई जैसे शहर में जहाँ मानसूनी बरसात लगातार कुछ दिनों तक बरसता रहता है. चारों तरफ पानी ही पानी दिखाई पड़ता है. नदी तालाब सब उफान पर होते है, ऐसे में घर को मानसून की नमी से बचाने के लिए कुछ उपाय पहले से करना जरुरी होता है.

मसलन दीवारों से पानी की रिसाव को रोकना,  फर्नीचर के सामानों में फफूंद लगने से बचाना, घर की सतहों को गीलेपन से बचाना, कपड़ों को सही तरह से अलमारी में रखना, कमरों में फ्रेश सुगंध को फैलाना आदि कई है. इस बारें में गोदरेज लॉक्‍स एंड आर्किटेक्‍चरल फिटिंग्‍स एंड सिस्‍टम्‍स के बिजनेस हेड, श्री श्‍याम मोटवानी का कहना है कि बारिश में घरों को स्वच्छ और प्रदुषण रहित रखना हर किसी के लिए चुनौती होती है. लगातार की बारिश से नमी का प्रवेश घरों में होता रहता है,जिससे घर को बचाना आवश्यक है. खासकर इनदिनों जबकि पूरा देश कोरोना संक्रमण की वजह से घरों में कैद है. कुछ सुझाव निम्न है, 

1. बिजली के ढीले तारों को ठीक करना इस समय बहुत आवश्यक है, क्योंकि बारिश के दौरान ढीले तार  सुरक्षित हो सकते हैं, तेज हवा और भारी बारिश के कारण कई बार बिजली बंद भी करनी पड़ती है, क्योंकि गीले तार के चलते शॉर्ट सर्किट हो सकता है, घर या इमारत में आग लग सकती है, जान माल की क्षति हो सकती है, जो बेहद खतरनाक हो सकता है.

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2. दीवारों और छतों में लीक होने से बारिश का पानी दीवारों और छतों की दरारों से रिस कर अंदर आने लगती है, ऐसे में दीवारों में सड़न से बदबू, फफूंदी, दीवारों का कमजोर होना आदि की समस्या आती है, इसे हटाने के लिए फफूंदी को साफ़ कर ब्लीच और पानी के मिश्रण का घोल तैयार कर उन जगहों पर लगा दें, यह सफाई के अलावा कीटनाशक भी है और फिर से फफूंदी लगने से दीवारों को बचाता भी है, इससे बचने के लिए जलरोधी कोटिंग के साथ दीवार को पेंट करके इस तरह के लीकेज से बचा जा सकता है, ताजी हवा और प्राकृतिक प्रकाश को अंदर जाने के लिए खिड़कियां और दरवाजे बीच-बीच में खोलें, कमरों का रंग ब्राइट रखे ताकि आपका मन हमेशा प्रसन्न रहे, इसके अलावा बारिश के बाद छतों और दीवारों के लीक को जल्दी से ठीक करवाना न भूलें. 

3. बारिश में लोहे के सामानों पर जंग जल्दी लग जाता है, जिसमें तालों के रखरखाव पर अधिक ध्यान देनी पड़ती है. ताला ख़राब न हो इससे पहले उसकी देखभाल कर लेनी चाहिए, हर तीन महीने पर अपने घर के तालों को चेक कर लें कि वो ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं, यदि ताला ठीक से काम नहीं कर रहा है, तो बाज़ार में मिलने वाले WD40 स्प्रे का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि इससे ताले के अंदरूनी हिस्से में जमा धूल को हटाने में मदद मिलती है, इसके अलावा ताले की सतह को साफ करने के लिए एक नरम कपड़े का उपयोग करनी चाहिए. 

4. ज्यादातर घरों में लकड़ी के फर्नीचर या चमड़े के समान होते है, नमी युक्त हवा होने की वजह से बारिश में इस पर फंगस आ जाती है, इसलिए इन सामानों को खिडकियों और दरवाजों से दूर रखे. सामानों को नमी से बचाने के लिए अलमारी में कपूर के गोलेनीम के पत्ते या लौंग डालें. नमी को दूर करने के लिए लकड़ी के फर्नीचर और चमड़े के सामनों पर पॉलिश या मोम का उपयोग भी कर सकती है, क्योंकि नमी के चलते कीड़े या दीमक भी लग सकते हैं। 

5. दरवाजों और खिड़कियों को सुरक्षित रखन भी इस मौसम में एक चुनौती है, क्योंकि हवा में नमी की मात्रा अधिक होने की वजह से लकड़ी के दरवाजे फूल सकते हैं, इन्‍हें फूलने से बचाने के लिए दरवाजे के किनारों पर तेल लगाएं, इसके अलावा दरवाजे का जो हिस्‍सा फूला हुआ है और बंद करते समय फंस रहा है, उस हिस्से पर सैंडपेपर का उपयोग करें, घरों की खिड़कियों को बारिश से अधिक खतरा होता है और यदि इसे ठीक नहीं रखा जाये, तो इससे पानी का रिसाव हो सकता है. यूपीवीसी (अनप्‍लास्टिसाइज्‍ड पॉलीविनाइल क्‍लोराइड भी कहा जाता है) से बने खिड़की के फ्रेम नमी प्रतिरोधी होता है, जिससे बारिश का पानी और नमी को अंदर आने से रोका जा सकता है. इसके अलावा खिड़की और दरवाजे के कब्जे ठीक से लगे है या नही इसकी भी जाँच करते रहना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सकें.

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6. मानसून के दौरान बाथरूम और किचन की नालियों को साफ़ रखना और ढके रहने की अत्यंत जरुरी है. सप्ताह में एक बार उन्हें साफ़ करने की कोशिश करें, भरे हुए नाली से दुर्गन्ध आती है और कीड़े-मकोड़े जन्म लेते है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, इसके लिए बाज़ार में मिलने वाले कई उत्पाद का प्रयोग करें, साथ ही फ्रेशनेस के लिए फिनायल की गोली नालियों के पास रखें. 

कभी भूल कर भी अपने बच्चो के सामने न करें ऐसी बातें, वरना हो सकते है खतरनाक परिणाम

कोई माता- पिता नहीं चाहता है कि उसकी संतान कुछ भी गलत सीखे. पर जाने अनजाने कभी न कभी हम माता- पिता से ऐसी कई चीज़े हो जाती है जो हमारे बच्चो के मष्तिस्क पर गलत छाप छोड़ जाती हैं.क्योंकि ऐसा माना जाता है की बच्चो का मष्तिस्क एक कोरे कागज की तरह होता है और इस कोरे कागज़ पर कुछ भी लिखा जाता है तो वो हमेशा के लिए अमिट हो जाता है. क्योंकि बचपन की बाते और आदतें आसानी से हमारे दिमाग से नहीं जाती है.

और अगर समय रहते इन चीज़ों पर ध्यान न दिया गया तो हमारी ये गलतियां आगे चलकर हमारे बच्चो के अच्छे भविष्य के लिए एक बहुत बड़ी रुकावट बन सकती है.

तो चलिए जानते है की ऐसी कौन सी बाते है जिन पर एक माता-पिता का ध्यान देना बहुत आवश्यक है-

1-बच्चो के सामने अपमानजनक और अश्लील शब्दों का प्रयोग न करे-

जब पहली बार एक बच्चा अपने पहले शब्द के रूप में माँ या पापा या कुछ भी कहता है तो उसका ये पहला शब्द एक माता- पिता के कानों में संगीत घोल देता है और वो कभी अपने बच्चे के पहले शब्द को नहीं भूल पाते. हालाँकि बच्चा बोलने के साथ साथ जीवन का एक और मत्वपूर्ण सबक लेता है और वो है -आपके नक्शेकदम पर चलना ,पर ज़रा सोचिये की क्या होगा यदि आपके बच्चे द्वारा बोला गया पहला शब्द एक आक्रामक शब्द है – आप कैसे प्रतिक्रिया देंगे?

आज कल की जीवन शैली ने हमे कुछ ऐसे नए शब्द दिए है जिनको use करने से पहले हम सोचते तक नहीं है.क्योंकि हमारी ये सोच है की ये शब्द हमे हमारे आधुनिक होने का एहसास कराते है.हमारे मुंह से अक्सर जाने अनजाने में बच्चो के सामने f * ck, sh * t, और भी कई रंगीन शब्द यूँ ही निकल जाते है ,पर ज़रा सोचिये अगर यही शब्द आपका बच्चा किसी और से बात करने के दौरान use करे तो आपको कितनी शर्मिंदगी होगी.

एक चीज़ हमेशा ध्यान रखें ,अपमानजनक शब्दों ने कभी किसी का भला नहीं किया है, तो फिर हम इन शब्दों का इस्तेमाल क्यों करें?

एक माता- पिता होने के नाते हमे हमेशा एक चीज़ का ध्यान रखना चाहिए की हम कभी भी जाने अनजाने अपने बच्चो के सामने गलत शब्दों का प्रयोग न करें.क्योंकि बच्चे बहुत जल्दी बोलना सीखते हैं और यदि वे आपको इसका उपयोग करते हुए देखते हैं, तो वे सोचते हैं कि इसका उपयोग करना अच्छा है. और फिर बच्चे भी उसी तरह भाषा शैली अपनाने लगते हैं जिस कारण आपको शर्मिंदा होना पड़ सकता है.

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2-बच्चो के सामने कभी भी एक दूसरे का अपमान न करे-

आज कल के दौर में लड़ाई या अपमान किसी भी तरह की परिस्तिथि का हल निकालने का एक आसान विकल्प बन गया है.अक्सर माता- पिता अपने बच्चो के सामने ही किसी भी छोटी बड़ी बात पर लड़ना या एक दूसरे का अपमान करना चालू कर देते है .

पर आपको ये जानकार आश्चर्य होगा की आपकी लड़ाई बच्चो को कितना प्रभावित कर सकती है. यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया द्वारा किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि जो बच्चे मध्यम पारिवारिक समस्याओं वाले घर में बड़े होते हैं, उनमें अन्य बच्चों की तुलना में छोटे सेरिबैलम होते थे. सेरिबैलम मस्तिष्क का एक हिस्सा है जो मनोरोग से जुड़ा हुआ है.इसका मतलब उन बच्चो में मनोरोग से सम्बंधित बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है.

इसलिए हर माता- पिता को ये कोशिश करनी चाहिए की वे अपने आपसी मतभेदों को बंद दरवाज़े के पीछे ही सुलझा ले और एक दुसरे का सम्मान करे और खुद को अपने बच्चो की निगांहों में एक आदर्श कपल साबित करें . क्योंकि आपका बच्चा आपकी परछाई होता है और अगर आप ही एक दूसरे का सम्मान नहीं करेंगे तो बच्चे के निगांहों में आपकी छवि काफी धूमिल हो जाएगी ,फिर आपका अपने बच्चे से सम्मान पाना काफी मुश्किल होगा. और उसकी ये प्रवृत्ति उसे गलत मार्ग पर भी ले जा सकती है.

3- कसम खाना

आजकल एक और चीज़ बहुत ट्रेंड में है और वो है “मै कसम खाती हूँ या i swear” .और क्या आपको पता हैं की इन शब्दों का प्रयोग बात बात पर अमूमन सभी घरों में बहुत ही बेबाकी से होता है.चाहे अपने आपको सही साबित करना हो या सामने वाले से सच उगलवाना हो ,अक्सर हम कहते है “की खाओ कसम या मै कसम खाता हूँ या खाती हूँ या i swear “.पर क्या आप जानते है की इस छोटे से शब्द का एक बच्चे के दिमाग पर कितना गहरा असर पड़ता है.जैसे जैसे वो बड़ा होता है ये शब्द उसे एक ढाल की तरह लगने लगता है.वो ये सोचता है की मै अपनी कोई भी गलती छुपा सकता हूँ इस शब्द को use करके और यही सोच उसे बात बात पर झूठ बोलना सिखा देती है.
इसलिए कभी भी अपने बच्चों के सामने कसम जैसे शब्दों का उपयोग नहीं करना चाहिए.

4- रिश्वत देने की आदत

“पापा , अगर मैं दुकान में अच्छा व्यवहार करता हूं तो मुझे क्या मिलेगा? या पापा अगर मै अपना होम वर्क कर लूँगा तो मुझे क्या मिलेगा ?” मैंने ये जनरल स्टोर की दुकान से गुजर रहे किसी बच्चे को अपने पापा से पूछते हुए सुना. मै ये सुनकर आगे बढ़ गयी ,क्योंकि मुझे लगा की जवाब तो मुझे पता है.पर अचानक कुछ शब्दों ने मेरे पैरों को रोक लिया .क्योंकि उसके पापा का जवाब था ” बेटा ,आपको एक खुशहाल परिवार मिलेगा”,

उनके इस जवाब से मुझे एक बहुत बड़ी सीख सीखने को मिली.की रिश्वत देना और लेना तो हम ही अपने बच्चो को सिखाते है और कहीं न कहीं उनके अन्धकार भरे भविष्य में हमारा भी एक बहुत बड़ा योगदान है.
दोस्तों रिश्वत, बच्चों को सम्मान और जिम्मेदारी सिखाने में बिलकुल विफल होती है.ये सिर्फ उनके अन्दर एक लालच का भाव पैदा करती है जो आगे चलकर उन्हें किसी कठिन परिस्तिथि में डाल सकता है.. इसलिए प्रभावी पेरेंटिंग कौशल का अभ्यास करें जो बच्चे को बिना किसी शर्त अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए जागरूक बनाये.

5- बच्चो के सामने कभी भी अपने पद-प्रतिष्ठा का बखान नहीं करना चाहिए

ये अक्सर कई घरों में देखा जाता है की लोग अपने ओहदे और अपने पैसों का बखान अपने बच्चो के सामने ही करने लगते है.कुछ घरों में तो मैंने यहाँ तक माता-पिता को कहते सुना है की “ये तो हमारा एकलौता लड़का है .हमारा सबकुछ तो इसी का है, अगर पढाई में मन नहीं लगेगा तो हम इसे बिज़नेस करा देंगे.

पर क्या आप जानते है की आपके इस लाड – प्यार का आपके बच्चे पर क्या असर पड़ेगा. वो अपनी जिम्मेदारियों को कभी समझ ही नहीं पायेगा और ऐसा करने से बच्चों के दिमाग में बहुत ही गलत धारणाएं बनती चली जाएँगी हैं.और आगे चलकर आपको और आपके बच्चे को बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा.

इसलिए चाहे आपके पास कितनी भी दौलत या शोहरत क्यों न हो आपका पहला फ़र्ज़ है अपने बच्चे को एक ज़िम्मेदार इंसान बनाना .और एक चीज़ पैसों से संस्कार नहीं खरीदे जा सकते.इसलिए कभी भी अपने बच्चे के सामने अपनी पद प्रतिस्ठा का बखान बिलकुल न करे.

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6-बच्चो के सामने न करे किसी की बुराई

कभी भी बच्चे के सामने अपने रिश्तेदार या अपने पडोसी की बुराई नहीं करनी चाहिए और न ही अपने बच्चे को दूसरों के लिए कुछ भी गलत सिखाना चाहिए . ऐसा करने से बच्चो के अन्दर एक गलत भावना का संचार होता है और उन्हें किसी की अच्छाई भी दिखना बंद हो जाती है.जिससे उनके अन्दर एक नकारात्मकता का भाव आ जाता है .और कहीं न कहीं कुछ समय बाद आपकी वही सीख वो आप पर use करने लगते हैं.

इस लेख के माध्यम से मै बस आपसे ये कहना चाहती हूँ की बच्चे दिल के बहुत साफ़ और मासूम होते है .हम उनकी पहली पाठशाला है .वो हमे बचपन से ही अपना आइडियल मानते है.इसलिए कुछ भी करने या कहने से पहले एक बार ये सोच ले की अगर कल को वही चीज़ आपका बच्चा आपके या किसी और के सामने करेगा या कहेगा तो आपको कैसा लगेगा.
एक चीज़ और अपने बच्चो से कुछ भी करने को कहने से पहले आपको वो चीज़ स्वयं करने की आवश्यकता है .एक आप ही है जो अपने कार्यों के माध्यम से अच्छी आदतों के महत्व को अपने बच्चो तक पहुंचा सकते है.

ब्रेस्टफीडिंग को सामान्य बनाने की जरुरत

कोरोनावायरस महामारी की वजह  से माताएं अपने नवजात बच्चों को दूध पिलाने से हिचक रही हैं. वे ब्रेस्टफीडिंग से  आशंकित हैं. हालांकि ब्रेस्टफीडिंग आखिरकार एक पर्सनल निर्णय होता है. रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू एच ओ) और एकेडमी ऑफ ब्रेस्टफीडिंग मेडिसिन (ABM) सभी ने माँ द्वारा बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करने को सपोर्ट किया है भले ही वे कोविड 19 से इन्फेक्टेड ही क्यों न हो.

मदरहूड हॉस्पिटल, नोएडा कंसल्टेंट लैक्टेशन एक्सपर्ट & फिजियोथेरेपिस्ट डॉ शिल्पी श्रीवास्तव ने  सुझाव दिया है कि ब्रेस्टफीडिंग कराने से माँ और उसके बच्चे दोनों को बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं. हालाँकि, भारत में, यह पाया गया है कि जन्म के एक घंटे के भीतर 50% से कम बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग कराया जाता है, फिर भी पहले छह महीनों में  ब्रेस्टफीडिंग कराने का रेट 55% ही है.

ब्रेस्टफीडिंग की शुरुआती पहल और एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग हर साल डायरिया और निमोनिया के कारण बच्चों की होने वाली लगभग 99,499 मौतों को रोक सकती हैं. लेकिन आज की भागदौड़  भरी दुनिया में ढंग से ब्रेस्टफीडिंग कराने के शेड्यूल को सपोर्ट करने के लिए रिसोर्सेस और समय निकालना मुश्किल हो सकता है. इससे भी ज्यादा दिक्कत कई नयी बनी माताओं को तब आती जब वह अपने आसपास के लोगो के द्वारा आलोचना किये जाने के डर से पब्लिक प्लेस में ब्रेस्टफीडिंग कराने में सहज नहीं महसूस कर पाती है. महिलाओं को पब्लिक प्लेस में ब्रेस्टफीडिंग कराने का अधिकार होना चाहिए, फिर भी ज्यादातर महिलाएं पब्लिक प्लेस में ब्रेस्टफीडिंग कभी नहीं कराती है.

ब्रेस्टफीडिंग को सामान्य करने में कैसे मदद करें?

ब्रेस्टफीडिंग उन रिसोर्सेज और नीतियों को हाईलाइट करके सामान्य किया जा सकता है जो महिलाओं को अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए सशक्त बनाता है . ब्रेस्टफीडिंग को सामान्य करने से उन सभी माताओं को मदद मिलती है, जो ब्रेस्टफीडिंग कराना चाहती हैं लेकिन उन्हें नहीं पता होता है कि कैसे कराएं. इससे उन सभी माताओं को भी मदद मिलेगी जो पब्लिक प्लेस में अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने से शर्माती हैं. कुछ ऐसे तरीके है जिससे ब्रेस्टफीडिंग को सामान्य बनाया जा सकता है-

चैलेन्ज के बारें में बात करें

ब्रेस्टफीडिंग को सामान्य करने का एक पार्ट पहचानना होता है कि कुछ महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग कराने में कैसी मुश्किलें झेलती हैं. यह तो सच है कि जो पहली बार माँ बनती हैं उन्हें ब्रेस्टफीडिंग कराने का कोई अनुभव नहीं होता है. इसलिए उन्हें अपने नवजात बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए डिलीवरी से पहले वाली विजिट में प्रॉपर कॉउंसलिंग की जरूरत होती है. हमारी कन्सल्टेशन्स इसे चैलेंजिंग समझने वाली माताओं के लिए आसान बना सकती है.

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ब्रेस्टफीडिंग के अधिकार को स्वीकार करें

ब्रेस्टफीडिंग के बारे में अक्सर “चॉइस” के रूप में बात की जाती है यह माताओं के लिए मिसलीडिंग हो सकता है. महिलाओं के लिए ब्रेस्टफीडिंग को एक अधिकार के रूप में सपोर्ट करें और सामाजिक बाधाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाएं. घर पर, वर्किंग प्लेस और पब्लिक प्लेस में ब्रेस्टफीडिंग कराने में अड़चने आती हैं. नर्सिंग माताओं को दूसरों द्वारा शर्मिंदा होने और एक्सपोज्ड होने के बजाय अपने बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग कराने में सहज महसूस करना चाहिए. पॉलिसी के बदलाव को बढ़ावा दें-

कई कंपनियां और संस्था पॉलिसी के बदलाव के जरिये ब्रेस्टफीडिंग के लिए अपना समर्थन देते रहते हैं. पॉलिसी में होने वाले बदलाव से महिलाओं को नर्सिंग में आसानी होती है. ये कदम ब्रेस्टफीडिंग को जिस तरह से हम  देखते हैं उनको बेहतरी के लिए एक नयी तस्वीर पेश करती हैं.

नर्सिंग माओं के रिसोर्सेज को सपोर्ट करें-

माताओं को ब्रेस्टफीडिंग शुरू करने में मदद करने के लिए सर्टिफाइड लैक्टेशन कंसल्टेंट्स उपलब्ध होता हैं और यह जरूरी है महिलाएं एक्सपर्ट्स से लगातार सलाह लेती रहें. कई सामुदायिक संसाधन है जो हॉस्पिटल से निकलने के बाद माताओं की मदद कर सकते हैं. इन सामुदायिक संसाधन में दूसरी ब्रेस्टफीडिंग माताओं का ग्रुप, ब्रेस्टफीडिंग क्लासेस, डोनर ब्रेस्ट मिल्क प्रोग्राम के साथ और भी बहुत कुछ होता है.

ब्रेस्टफीडिंग के लिए वर्चुअल सपोर्ट

कई  वर्चुअल सपोर्ट ग्रुप का गठन लैक्टेशन एक्सपर्ट्स द्वारा नई बनी माताओं के लिए किया गया है ताकि कोविड-19 के समय में ब्रेस्टफीडिंग को प्रोत्साहित किया जा सके. मां का दूध नवजात शिशुओं को किसी भी तरह के संक्रमण से बचाने के लिए सबसे अच्छी ढाल होती है. लैक्टेशन एक्सपर्ट्स ब्रेस्टफीडिंग से सम्बंधित चिंताओं और प्रश्नों को भी एड्रेस करते हैं. ऐसे ग्रुप का मुख्य उद्देश्य नयी माँ बनी माताओं को ब्रेस्टफीडिंग शुरू करने में जितना सपोर्ट हो सके उन्हें सपोर्ट करना होता है.

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इससे भी आगे

इस मुद्दे के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाना महिलाओं को एक-दूसरे की वकालत करने में मदद करता है और ब्रेस्टफीडिंग कम्युनिटी को ज्यादा इन्क्लूसिव बनाता है. यह उन सदियों पुरानी मानसिकता को भी बदलेगा जो हमें यह बताती हैं कि ब्रेस्ट नेचुरली सेक्सुअल होता हैं, आइटम बेचने और विज्ञापन में ब्रेस्ट ठीक हैं, यह देख सकते हैं, लेकिन बच्चे को दूध पिलाते हुए इसे नहीं देखना चाहिए, आदि. हमें यह दिखाने की जरूरत है कि अपने  ब्रेस्ट से अपने बच्चों को दूध पिलाना सामान्य है. यदि आप नहीं चाहते कि इसे देखें तो फिर न देखें. यह बहुत ही आसान है.

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