Serial Story: पिघलते पल (भाग-2)

मानव और मिताली के झगड़े दिनोंदिन बढ़ते चले गए. धीरेधीरे झगड़ों की जगह शीतयुद्ध ने ले ली. दोनों के बीच बातचीत बंद या बहुत ही कम होने लगी. फिर एक दिन मिताली ने विस्फोट कर दिया यह कह कर कि उसे नौकरी मिल गई है और उस ने औफिस के पास ही एक फ्लैट किराए पर ले लिया है. वह और अभि अब वहीं जा कर रहेंगे.

मानव हैरान रह गया. उस ने कहना चाहा कि अकेले वह नौकरी के साथ अभि को कैसे पालेगी और यदि नौकरी करनी ही है तो यहां रह कर भी कर सकती है. लेकिन उस का स्वाभिमान आड़े आ गया कि जब मिताली को उस की परवाह नहीं तो उसे क्यों हो. फिर मिताली ने उसी दिन नन्हे अभि के साथ घर छोड़ दिया. तब से अब तक 2 साल होने को आए हैं, 6 साल का अभि 8 साल का हो गया है. मानव की जिंदगी नौकरी के बाद इन 2 घरों की दूरी नापने में ही बीत रही थी.

तभी रैड लाइट पर मानव ने कार को ब्रैक लगाए तो उस की तंद्रा भंग हुई. कब तक चलेगा यह सब. वह पूरीपूरी कोशिश करता कि अभी का व्यक्तित्व उन के झगड़ों और मनमुटावों से प्रभावित न हो. उसे दोनों का प्यार मिले. लेकिन ऐसा हो ही नहीं पा रहा. नन्हे अभि का व्यक्तित्व 2 भागों में बंट गया था. बड़े होते अभि के व्यक्तित्व में अधूरेपन की छाप स्पष्ट दिखने लगी थी.

तभी सिगनल ग्रीन हो गया. मानव ने अपनी कार आगे बढ़ा दी. घर पहुंचा तो मन व्यथित था. अभि के अनगिनत सवालों के उस के पास जवाब नहीं थे. वह सोचने लगा कि इतने ही सवाल अभि मिताली से भी करता होगा, क्या उस के पास होते होंगे जवाब… आखिर कब तक चलेगा ऐसा?

दोनों के मातापिता ने पहलेपहल दोनों को समझाया, लेकिन दोनों ही झुकने को तैयार नहीं हुए. आखिर थकहार कर दोनों के मातापिता चुप हो गए. पर पिछले कुछ समय से मानव के मातापिता जो बातें दबेढके स्वर में कहते थे अब वे स्वर मुखर होने लगे थे कि ऐसा कब तक चलेगा मानव… साथ में नहीं रहना है तो तलाक ले लो और जिंदगी दोबारा शुरू करने के बारे में सोचो.

यह बात मानव के तनबदन में सिहरन पैदा कर देती कि क्या इतना सरल है एक अध्याय खत्म करना और दूसरे की शुरुआत करना… आखिर उस की जो व्यस्तता आज है वह तब भी रहेगी और फिर अभि? उस का क्या होगा? फिर वही प्रश्नचिह्न उस की आंखों के आगे आ जाता. आखिर क्या करे वह… बहुत चाहा उस ने कि जिस तरह मिताली खुद ही घर छोड़ कर गई है वैसे ही खुद लौट भी आए, लेकिन इस इंतजार को भी 2 साल बीत गए. खुद उस ने कभी बुलाने की कोशिश नहीं की. अब तो जैसे आदत सी पड़ गई है अकेले रहने की.

इधर अभि घर के अंदर दाखिल हुआ तो सीधे अपने कमरे में चला गया. उस का नन्हा सा दिल भी इंतजार करतेकरते थक गया था. कब मम्मीपापा एकसाथ रहेंगे. वह खिन्न सा अपनी स्टडी टेबल पर बैठ गया. हर हफ्ते रविवार आता है. पापा आते हैं, उसे ले जाते हैं, घुमातेफिराते हैं, उस की पसंद की चीजें दिलाते हैं, उस की जरूरतें पूछते हैं और शाम को घर छोड़ देते हैं. मम्मी सोमवार से अपने औफिस चल देती हैं और वह अपने स्कूल. हफ्ता बीतता है. फिर रविवार आता है. वही एकरस सी दिनचर्या. कहीं मन नहीं लगता उस का. पापा के साथ रहता है तो मम्मी की याद आती है और मम्मी के साथ रहता है तो पापा की याद आती है. पता नहीं मम्मीपापा साथ क्यों नहीं रहते?

तभी मिताली अंदर आ गई. उसे ऐसे अनमना सा बैठा देख कर पूछा, ‘‘क्या हुआ बेटा? कैसा रहा तुम्हारा दिन आज?’’

अभि ने कोई जवाब नहीं दिया. वैसे ही चुपचाप बैठा रहा.

‘‘क्या हुआ बेटा?’’ वह उस के बालों में उंगलियां फिराते हुए बोली.

‘‘कुछ नहीं,’’ कह कर अभि ने मिताली का हाथ हटा दिया.

‘‘तुम ऐसे चुपचाप क्यों बैठे हो? किसी ने कुछ कहा क्या तुम्हें?’’

‘‘नहीं,’’ वह तल्ख स्वर में बोला. फिर क्षण भर बाद उस की तरफ मुंह कर उस का हाथ पकड़ कर बोला, ‘‘मम्मी, यह बताओ कि हम पापा के पास जा कर कब रहेंगे? हम पापा के साथ क्यों नहीं रहते? मुझे अच्छा नहीं लगता पापा के बिना… चलिए न मम्मी हम वहीं चल कर रहेंगे.’’

‘‘बेकार की बात मत करो अभि,’’ मिताली का कोमल स्वर कठोर हो गया, ‘‘रात काफी हो गई है. खाना खाओ और सो जाओ. सुबह स्कूल के लिए उठना है.’’

‘‘नहीं, पहले आप मेरी बात का जवाब दो,’’ अभि जिद्द पर आ गया.

‘‘अभि कहा न कि बेकार की बातें मत करो. हम यहीं रहेंगे… खाना खाओ और सो जाओ,’’ कह कर मिताली हाथ छुड़ा कर किचन में चली गई.

अभि बैठा रह गया. ‘दोनों ही उसे जवाब देना नहीं चाहते. जब भी वह सवाल करता है दोनों ही टाल देते हैं या फिर डांट देते हैं. आखिर वह क्या करे,’ वह सोच रहा था.

काम खत्म कर के मिताली कमरे में आई तो अभि खाना खा कर सो चुका था. वह उस के मासूम चेहरे को निहारने लगी. कितनी समस्याओं से भरा था अभि के लिए उस का बचपन. वह उस के पास लेट कर उस का सिर सहलाने लगी. अभि के सवालों के जवाब नहीं हैं उस के पास. निरुद्देश्य सी जिंदगी बस बीती चली जा रही है. वह गंभीरता से बैठ कर कुछ सोचना नहीं चाहती. एक के बाद एक दिन बीता चला जा रहा है. कब तक यह सिलसिला यों ही चलता रहेगा. अभि बड़ा हो रहा है. उस के मासूम से सवाल कब जिद्द पर आ कर कल कठोर होने लगें क्या पता.

मानव के साथ भी जिंदगी बेरंग सी हो रही थी पर उस से अलग हो कर भी कौन से रंग भर गए उस की जिंदगी में. उस समय तो बस यही लगा कि मानव को सबक सिखाए ताकि वह उस की कमी महसूस करे. अपनी जिंदगी में वह पत्नी के महत्त्व को समझे. पर यह सब बेमानी ही साबित हुआ. शुरूशुरू में उस ने बहुत इंतजार किया मानव का कि एक न एक दिन मानव आएगा और उसे मना कर ले जाएगा. कुछ वादे करेगा उस से और वह भी सब कुछ भूल कर वापस चली जाएगी पर मानव के आने का इंतजार बस इंतजार ही रह गया. न मानव आया और न वह स्वयं ही वापस आ गई.

हर बार सोचती जब मानव को ही उस की परवाह नहीं, उसे उस की कमी नहीं खलती तो वही क्यों परवाह करे उस की. और दिन बीतते चले गए. देखतेदेखते 2 साल गुजर गए. उन दोनों के बीच की बर्फ की तह मोटी होतेहोते शिलाखंड बन गई. धीरेधीरे वह इसी जिंदगी की आदी हो गई. पर इस एकरस दिनचर्या में अभि के सवाल लहरें पैदा कर देते थे. वह समझ नहीं पाती आखिर यह सब कब तक चलेगा.

कल मां फोन पर कह रही थीं कि यदि उसे वापस नहीं जाना है तो अब अपने भविष्य के बारे में कोई निर्णय ले. कुछ आगे की सोचे. आगे का मतलब तलाक और दूसरी शादी. क्या सब इतना सरल है और अभि? उस का क्या होगा. वह भी शादी कर लेगी और मानव भी तो अभि दोनों की जिंदगी में अवांछित सा हो जाएगा.

यह सोच आते ही मिताली सिहर गई कि नहीं और फिर उस ने अभि को अपने से चिपका लिया. पहले ही कितनी उलझने हैं अभि की जिंदगी में. वह उस की जिंदगी और नहीं उलझा सकती. वह लाइट बंद कर सोने का प्रयास करने लगी. पता नहीं क्यों आज दिल के अंदर कुछ पिघला हुआ सा लगा. लगा जैसे दिल के अंदर जमी बर्फ की तह कुछ गीली हो रही है. कुछ विचार जो हमेशा नकारात्मक रहते थे आज सकारात्मक हो रहे थे. समस्या को परखने का नजरिया कुछ बदला हुआ सा लगा. वह खुद को ही समझने का प्रयास करने लगी. सोचतेसोचते न जाने कब नींद आ गई.

सुबह अभि उठा तो सामान्य था. वैसे भी कुछ बातों को वह अपनी नियति मान चुका था. वह स्कूल के लिए तैयार होने लगा. अभि को स्कूल भेज कर वह भी अपने औफिस चली गई. सब कुछ वही था फिर भी दिल के अंदर क्या था जो उसे हलकी सी संतुष्टि दे रहा था… शायद कोई विचार या भाव… पूरा हफ्ता हमेशा की तरह व्यस्तता में बीत गया. फिर रविवार आ गया.

मानव जब बिल्डिंग के नीचे अभि को लेने पहुंचता तो अभि को फोन कर देता और अभि नीचे आ जाता. पर आज मिताली अभि के साथ नीचे आ गई. अभि के लिए यह आश्चर्य की बात थी.

आगे पढ़ें- अभि के साथ मिताली को देख कर…

हौसला: बुलंद इरादों वाली ‘ट्रैकिंग गर्ल’ रोशनी चौहान

ये हैं 24 साल की रोशनी चौहान जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के छोटे से गांव कविल्ठा कालीमठ घाटी की रहने वाली हैं और देवरियाताल, चोपता तुंगनाथ, मदमहेश्वर, केदारनाथ और कालीमठ कालीशिला की ट्रैकिंग कर चुकी हैं और सैलानियों को भी इन खूबसूरत जगहों के दर्शन करा चुकी हैं.

पर रोशनी चौहान के लिए यह सब करना आसान नहीं था. साल 2013 की जून 16 और 17 तारीख को केदारनाथ इलाके में आई आसमानी आपदा ने वहां का जीवन पूरी तरह से बदल दिया था. तब जान और माल का भारी नुकसान हुआ था. गांव के गांव तबाह हो गए थे. जो लोग बचे थे वे कहीं और बसने के लिए मजबूर हो गए थे.

तब रोशनी चौहान महज 17 साल की थीं और चाहती थीं कि यह पलायन किसी तरह रुक जाए और पहाड़ पर ही लोगों खासकर महिलाओं को स्वरोजगार मिले. पर मन में आई बात को कोई राह नहीं सूझ रही थी. इसी उधेड़बुन में 3 साल बीत गए और रोशनी चौहान ने ठान लिया कि वे ट्रैकिंग का कोर्स सीखेंगी और यहीं पर रोजगार के नए मौके तलाशेंगी.

लिहाजा रोशनी चौहान ने मसूरी के हैनिफल सैंटर से ट्रैकिंग का कोर्स किया, पर काम कैसे मिले यह बड़ी समस्या थी. ऊपर से लड़की. लोगों की सोच थी कि लड़की यह जोखिम भरा काम नहीं कर सकती है. इतना पैदल कैसे चलेगी? अगर लड़कों का ग्रुप आएगा तो उसे कैसे संभालेगी?

तो इस समस्या से कैसे पार पाई? इस सवाल पर रोशनी चौहान ने बताया, “मैं ने हार नहीं मानी, क्योंकि मेरे साथ मेरा परिवार था, मेरे साथी ट्रैकर मेरे थे. तब मैं ने सोच लिया था कि मैं लोगों को यहां की संस्कृति के बारे में बताऊंगी और अपने अंदाज में उन्हें उत्तराखंड दिखाऊंगी. तब से ले कर आज तक ट्रैकिंग मेरी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. मेरे साथ बहुत सी महिला ट्रैकर भी जुड़ी हुई हैं.”

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ट्रैकिंग सीखने के बाद आप की जिंदगी में क्या बड़ा बदलाव आया है? इस सवाल के जवाब में रोशनी चौहान ने बताया, “ट्रैकिंग आप को नेचर से जोड़ती है. शरीर और मन मजबूत हो जाता है. लोगों को ट्रैकिंग करा कर दिल को सुकून मिलता है.

“अब बहुत से लोग ट्रैकिंग के लिए पहाड़ों पर आने लगे हैं, पर उन्हें कुछ बेसिक बातों के बारे में पता होना चाहिए. उन्हें रास्ते पर चलने, आसपास के इलाके को साफ रखने की जानकारी होनी चाहिए. प्राथमिक उपचार की समझ होनी चाहिए, क्योंकि ट्रैकिंग में ‘नो वन, आई एम द वन’ का फार्मूला काम करता है. कोई मुसीबत आने पर पहले अपनी सेफ्टी देखनी चाहिए. जब आप खुद सेफ होंगे तभी दूसरों की मदद कर पाओगे.”

“जिस ने कभी भी ट्रैक नहीं किया हो उसे पहली बार में ही बड़े ट्रैक पर नहीं जाना चाहिए. मदमहेश्वर ट्रैक का एक किस्सा है. मेरे साथ एक ग्रुप था जिन से पूछा गया था कि कौन कितनी ऊंचाई तक जा चुका है. सब का जवाब था कि वे 8,000 फुट की ऊंचाई पर जा चुके हैं.

“हम ने ट्रैक स्टार्ट किया. शाम के तकरीबन 5 बजे थे और हम जंगल के बीच में 9,000 फुट की ऊंचाई पर थे. अचानक एक लड़के की तबीयत खराब हो गई और हालात बिगड़ते देख हम ने वापस नीचे आने का फैसला लिया. वह लड़का बेहोशी की हालत में टैंट में था और हमारे पास कोई भी साधन नहीं था.

“हम ने पूरी रात ऐसे गुजारी मानो किसी डैड बौडी के साथ थे. न खाना, न पीना. अगले दिन सुबह के 11 बजे के आसपास उस लड़के के होश में आते ही हम सब के चेहरे पर जो खुशी आई, उसे सिर्फ महसूस ही किया जा सकता है.”

लोग आप से कैसे जुड़ते हैं और इस काम में आमदनी कितनी हो जाती है? इस सवाल पर रोशनी बोलीं, “जब कोई ट्रैकर अपने काम को अच्छी तरह समझ लेता है, तब वह अपनी वैबसाइट बना सकता है. वह दूसरे ट्रैकर के संपर्क में रह सकता है और उन के माध्यम से अपने लिए लोगों के ग्रुप का इंतजाम कर सकता है.

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“जहां तक कमाई की बात है तो वह फिक्स नहीं है. आने वाले ग्रुप और सीजन पर निर्भर करता है. लेकिन एक बार जब आप को लोग जानने लगते हैं तो औसतन 15,000 से 20,000 रुपए महीना की कमाई हो जाती है.”

सरकार को इस रोजगार को आगे बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए? इस सवाल पर रोशनी ने कहा, “सरकार जो ट्रैक बंद कर रही है, उन्हें वह खोल दे.”

ड्रग्स मामले में धर्मा प्रोडक्शन का नाम आने पर सामने आए करण जौहर, दिया ये बयान

बौलीवुड पर ड्रग्स मामले में रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं. बीते दिन एनसीबी की टीम ने धर्मा प्रोडक्शन के एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर क्षितिज प्रसाद से पूछताछ की, जिसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया. पर इसके बाद करण जौहर की एक पार्टी पर ड्रग्स को लेकर आरोप लगाए गए हैं, जिसके बाद अब करण जौहर का रिएक्शन सामने आया है. आइए आपको बताते हैं क्या कहते हैं ड्रग्स मामले में करण जौहर…

करण जौहर ने जारी किया ऑफिशियल स्टेंटमेंट

प्रोड्यूसर करण जौहर ने ड्रग्स मामले में लगे आरोपों को खारिज करते हुए एक औफिशियल स्टेंटमेंट जारी कर कहा है कि 2019 में उनके घर पर हुई पार्टी में ड्रग्स का इस्तेमाल नहीं किया गया था. दरअसल, सुशांत सिंह राजपूत केस में ड्रग एंगल के आने के बाद से एक बार फिर इस पार्टी का वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें बौलीवुज एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण, रणबीर कपूर, शाहिद कपूर, वरुण धवन, मलाइका अरोड़ा, अर्जुन कपूर और अन्य सितारे नजर आ रहे हैं.

 

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ड्रग्स को लेकर कही ये बात

 

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I blame myself for not being in touch with you for the past year….. I have felt at times like you may have needed people to share your life with…but somehow I never followed up on that feeling…will never make that mistake again…we live in very energetic and noisy but still very isolated times …some of us succumb to these silences and go within…we need to not just make relationships but also constantly nurture them….Sushants unfortunate demise has been a huge wake up call to me …to my level of compassion and to my ability to foster and protect my equations…..I hope this resonates with all of you as well….will miss your infectious smile and your bear hug ….💔💔💔

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इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर करते हुए करण जौहर ने लिखा, ‘मैंने पिछले साल ही साफ कर दिया था कि 28 जुलाई, 2019 को मेरे घर पर जो पार्टी हुई थी, उसमें ड्रग्स का इस्तेमाल किया गया था. हालांकि मैं एक बार फिर से कहता हूं कि ये आरोप निराधार और झूठे हैं. उस पार्टी में किसी भी ड्रग्स का इस्तेमाल नहीं किया गया था.’ साथ ही उन्होंने कहा कि मैं ना ड्रग्स का सेवन करता हूं और न ही इस तरह के किसी चीज को बढ़ावा देता हूं. ऐसी खबरों से मेरे, मेरे परिवार और साथ काम करने वाले लोगों को मेंटली परेशानी हो रही है. इन सभी बातों से वह नफरत और मजाक का शिकार बन रहे हैं.

कर्मचारियों से निजी जिंदगी में लेना-देना नही

करण जौहर ने धर्मा प्रौडक्शन से जुड़े एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर के लिए साफ तौर पर कहा, ‘बताया जा रहा है कि क्षितिज प्रसाद और अनुभव चोपड़ा मेरे सहयोगी/करीबी सहयोगी हैं. मैं यह साफ करना चाहता हूं कि मैं इन्हें निजी तौर पर नहीं जानता हूं. साथ ही इन दोनों व्यक्तियों में से कोई भी मेरा सहायक या करीबी सहयोगी नहीं है, जिसके चलते न तो मैं और न ही धर्मा प्रोडक्शंस, इस बात के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं कि ये लोग अपनी निजी जिंदगी में क्या करते हैं.’

कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर जुड़े हैं ये लोग

‘मैं बताना चाहता हूं कि अनुभव चोपड़ा धर्मा प्रोडक्शन के कर्मचारी नहीं हैं. वह नवंबर 2011 और जनवरी 2012 के बीच दो महीने के लिए एक फिल्म के सेकेंड असिस्टेंट डायरेक्टर और फिर जनवरी 2013 में शॉर्ट फिल्म के असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में हमारे साथ जुड़े थे. उसके बाद वह कभी भी धर्मा प्रोडक्शंस का हिस्सा नहीं रहे. क्षितिज रवि प्रसाद ने एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर के तौर पर नवंबर 2019 में एक प्रोजेक्ट के लिए धर्माटिक एंटरटेनमेंट को जॉइन किया था. वह कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर जुड़े थे, लेकिन वह प्रोजेक्ट नहीं हुआ. इसी के साथ पिछले कुछ दिनों से मीडिया हम पर बेबुनियाद आरोप लगा रही है. मुझे मीडिया से उम्मीद है कि वह इस तरह की हरकतें बंद कर देंगे. वरना मेरे पास कानूनी कार्रवाई के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचेगा.”‘

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बता दें,  ड्रग्स मामले में अभी तक दीपिका पादुकोण, रकुल प्रीत सिंह और सारा अली खान जैसे सितारों का नाम सामने आ चुका है, जिसके चलते इनसे पूछताछ होने वाली है. इसी बीच कुछ टीवी सितारों का भी इस मामले में नाम सामने आ चुके हैं.

‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के 3000 एपिसोड्स पूरे, इमोशनल हुए ‘जेठालाल’

बीते दिनों कोरोनावायरस लौकडाउन के चलते जहां कई सीरियल्स बंद हो गए तो कुछ सीरियल्स ने शो छोडने का फैसला किया था. इसी बीच टीवी के पौपुलर कौमेडी शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा में भी कई फेरबदल देखने को मिले. इसके बावजूद शो ने 3000 एपिसोड पूरा कर लिए हैं, जिसके चलते शो के सितारे जहां जश्न मनाते नजर आए तो वहीं इमोशनल होते हुए भी नजर आए. आइए आपको दिखाते हैं कुछ खास फोटोज…

जेठालाल हुए इमोशनल

तारक मेहता के सितारों ने 3000 एपिसोड पूरे होने की खुशी में जमकर जश्‍न मनाया. वहीं इस खास मौके पर जेठालाल का किरदार निभाने वाले एक्टर दिलीप जोशी इमोशनल नजर आए. दरअसल, दिलीप जोशी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्‍ट के जरिए शो से जुड़ी कुछ यादें शेयर करते हुए लिखा, ‘इन सबकी शुरुआत तारक भाई के आईकॉनिक कैरेक्टर ‘दुनिया ने उंधा चश्मा’ से ही हुई थी. यह कहानी चित्रलेखा में छपती थी. यह कार्टून जेठालाल का है, जिसके साथ मैं बड़ा हुआ हूं. धन्यवाद तारक भाई. आप बहुत याद आते हैं. आपकी हंसी हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देती है.’ इसी के साथ शो के निर्माता और पूरी टीम को धन्यावाद भी किया.

 

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(1 & 2 /6) It all began with Taarak Bhai’s iconic characters from his ‘Duniya Ne Undha Chashma’ stories in Chitralekha. This cartoon is of the Jethalal I grew up with. Thank you, Taarak Bhai. You are dearly missed. Your smile has kept us going. (3/6) Lucky for me, I had Asit Bhai, a longtime friend, and a seasoned producer who I trusted immensely and had worked with before, offer me the choice of playing Jethalal, adapted by him for television! Thank you, Asit Bhai. (4/6) Fast forward to look tests, a pilot episode, and finally, the first episode that aired on Sab TV on 28th July 2008. We were all given a glimpse into the world of Gokuldham Society for the very first time. We had absolutely no idea that more than a journey, this show would turn into a discovery! (5/6) It’s rightly said that it’s not work, if you love what you do, and the brilliant team that I work with day in day out, have made me fall in love with my work more than ever. To teammates who have had to leave us during the run, we miss you everyday and for me, you will always be an equal part, infact every department of this blessed production is responsible for this achievement today. So, thank you, Team TMKOC. (6/6) Playing this character is a gift that keeps giving. And a huge chunk of the credit goes to the fans and well-wishers of the show who have welcomed us and allowed us to be a part of their lives in so many unimaginable ways! So, thank you to everyone who’s reading this right now. And last but never the least, thanking the Ultimate Maker of this show called Life, for giving us all the constant strength to carry on this mission of spreading smiles. Jay Swaminarayan 🙏🏻☺️ . . . . #taarakmehtakaooltahchashmah #tmkoc #3000happysodes #iloveyou3000 #gratitude #blessed

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जश्न मनाते दिखे शो के सितारे

फेमस कॉमिडी शो के 3000 एपिसोड्स पूरे करने की खुशी में कलाकारों ने गेट-टुगेदर करके इसे सेलिब्रेट किया. वहीं इस सेलिब्रेशन में शो के डायरेक्टर मालव राजदा ने सोशल मीडिया पर कुछ फोटोज शेयर कीं, जिसमें अंबिका रंजनकर (कोमल हाथी), जेनिफर मिस्त्री (रोशन सोढ़ी), पलक सिंधवानी (सोनू), प्रिया आहूजा राजदा (रीता रिपोर्टर), सुनैना फौजदार (अंजलि मेहता) और अन्य कलाकार नजर आए. इसके साथ ही कैप्शन में लिखा कि  ‘यह सबसे सही समय है जब आप अपनी टीम के साथ इंजॉय कर सकते हैं, जो कि आपका फैमिली से कहीं बढ़कर है.’

बता दें, बीते दिनों शो के कलाकार नेहा मेहता यानी अंजलि भाभी और गुरचरण ने शो छोड़ने का फैसला किया था, जिसके बाद फैंस काफी निराश नजर आए थे.

सभी कलाकारों को किसी न किसी रूप में संघर्ष करना पड़ता है- अक्षय म्हात्रे

धारावाहिक ‘पिया अलबेला’ से चर्चा में आने वाले टीवी एक्टर अक्षय म्हात्रे एक मॉडल भी है. उन्हें हर नयी चुनौती पसंद है और हर नया चरित्र उन्हें आकर्षित करता है. सोनी टीवी पर ‘इंडिया वाली मां’ में अक्षय मुख्य भूमिका निभा रहे है. स्वभाव से विनम्र अक्षय से बात हुई पेश है कुछ अंश, 

सवाल-इस शो को करने की खास वजह क्या है?

 कहानी हर भारतीय दर्शक को छू लेनेवाली है. कहानी हर दूसरे भारतीय दर्शक की मां को रिप्रेजेंट करती  है. मेरा रोहन किरदार मुझे बहुत अच्छा लगा. बहुत रिलेवेंट सा लगा ,जब किरदार के इर्द गिर्द कहानी घूमती है , किरदारअगर मध्यवर्ती किरदार हो तो कोई गुंजाइश ही नहीं बचती कि उसे करने में कोई हिचकिचाट हो.इसके अलावा इस शो की ऑफर वर्ष 2019 में आयी थी. लॉक डाउन के कारण शो शुरू होते होते 2020 का सितम्बर महीना हो गया. मेरी जगह कोई और होता तो वो भी इस किरदार को राजी ख़ुशी कर लेता.

सवाल-आपके अभिनय का सफर पिछले 2-3 वर्षों से शुरू हुआ है , ऐसे में मुख्य भूमिका का मिलना कितना मुश्किल था?

 पिछले कई वर्षों से फिल्म्स वेब सीरीज या टीवी शोज में रोल मिलने का एक मात्र जरिया रहा है. इस शो के लिए ऑडिशन देने एक हज़ार से अधिक युवक आये थे, जिन्होंने ऑडिशन दिया, लेकिन  मैं शॉर्ट लिस्टेड हुआ और फाइनली लास्ट राउंड तक पहुँच गया.  इस शो के किरदारों में सबसे पहली मेरी कास्टिंग हुई थी. पहले ऐसा तय हुआ था कि इस शो की पूरी शूटिंग विदेश में होगी, क्योंकि  शो का टायटल इंडिया वाली मां’ है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया तहसनहस हुई और फिर जाकर यह निर्णय लेना पड़ा कि शो की शूटिंग यही पर किया जा रहा है. 

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सवाल-यहाँ तक पहुँचने में संघर्ष कितना रहा?

संघर्ष सभी कलाकारों को किसी न किसी रूप में करना पड़ता है. इस समय टीवी , फिल्म्स और पूरी मायानगरी में आउट साइडर्स , इन साइडर्स , ड्रग्स , आत्महत्या , डिप्रेशन जैसी कई घटनाएं घट रही है.  इस में कोई दो राय नहीं है कि एक सामान्य परिवार से आएं युवाओं को संघर्ष की आग में खुद को लपेटना पड़ता है फिर भी कोई गारंटी नहीं होती है कि उन्हें अभिनय का मौका मिल जाएं. धीरज धरने की जरुरत होती है. 

सवाल-इस चरित्र से आप अपने आपको कितना जोड़ पाते है?

मां से हर लड़के की अच्छी बोन्डिंग होती है,ऐसा मैं मानता हूं. मैं भी वैसा ही हूं, लेकिन ये कहानी आज के कुछ बच्चों की कड़वी सच्चाई को बताती है. आज कल के अधिकतर युवा खासकर लड़के अपने पेरेंट्स के साथ वैसा प्यारभरा रिश्ता नहीं रखते जैसा रखना चाहिए. बच्चों को उनके माता -पिता से दोस्ताना व्यवहार रखने की जरुरत होती है, ताकि वे अपनी हर बात उनसे शेयर कर सकें, लेकिन आज के समाज में ऐसा हो नहीं रहा है, इसलिए माता-पिता और बच्चे अपने आपको अलग और अकेला महसूस करते है.

सवाल-आपका अपने माता-पिता के साथ कैसा रिश्ता है?

 मैंने रोहन जैसे  लड़के समाज में देखे है इसीलिए इस किरदार  के साथ रिलेट किया, पर मेरा अपनी मां और पिता से दिल का गहरा रिश्ता है. मैं शूटिंग के बाद जैसे वक्त मिलता है मां और पिता से बात किए बिना नहीं रह सकता.  मेरी उनसे बहुत इमोशनल बॉन्डिंग है , हमेशा रहेगी. शूटिंग के दौरान जब रोहन अपनी मां से रुखा बर्ताव करता है, तो मैं बहुत इमोशनल हो जाता हूं यह सोचकर कि क्यों हम बच्चे अपनी मां के जज्बातों को नहीं समझते? जरुरी है उन्हें समझने की , उनके साथ दो प्यारभरे लफ्ज़ कहने की. वैसे मैं भी ममाज बॉय हूं. 

सवाल-अभिनय में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

मुंबई में कॉलेज में पढने के दौरान मैं थिएटर करता था. अभिनय करने की चाहत काफी पहले से थी ,लेकिन रास्ता समझ में नहीं आ रहा था. कॉमर्स की डिग्री लेने बाद मैंने एम् बी ए में एडमिशन ली.  थिएटर करते समय किसी को -ऑर्डिनेटर ने मेरा प्ले देखा और कलर्स मराठी के शो सावर रे में ब्रेक दिया.  यह सब कुछ इतने तेजी से हुआ की मेरा खुद पर यकीन नहीं हुआ और कहीं न कहीं यह समझ बैठा कि अब तो मुझे सामने से काम मिलने लगेगा,पर हुआ ठीक उल्टा. कलर्स मराठी जैसे बड़े चॅनेल के शो को करने के बाद ही मेरा संघर्ष शुरू हुआ. बहुत पापड़ बेलने पड़े. अभिनय अनुभव , शकल अच्छी होने के बावजूद रिजेक्शन मिलता रहा तब अहसास हुआ कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में  गॉडफादर, मेंटॉर का न होना कितना मुश्किल होता है. बहुत वक्त लगा मुझे दूसरा ब्रेक मिलने में. इस दौरान मैंने कुछ मराठी फिल्म्स , डॉक्यूमेंटरीज , शॉर्ट फिल्म्स की. राजश्री प्रोडक्शंस के लिए एक शो किया. एक अहम् टीवी धारावाहिक पिया अलबेला की. इस शो ने मुझे पहचान दी. धीरे धीरे काम मिलने लगा और अब यह शो मिला. 

सवाल-संघर्ष के दौर में रिजेक्शन मिलने से डिप्रेशन आता है , आपने डिप्रेशन को कैसे हैंडल किया ?

मेरी परवरिश मिडल क्लास परिवार में हुई है. अभिनय करना , मौका मिलना , संघर्ष करना कतई आसान नहीं यह मेरे साथ मेरे पेरेंट्स भी जानते थे.  अभिनय के लिए अनगिनत ऑडिशंस देने पड़ते है , कईओं को खासकर मेकर्स से मिलना पड़ता है , ढंग के कपडे पहनने पड़ते है , एक लाइफस्टाइल जरुरी होती है. उसी स्टेज पर पिताजी ने मुझे यह सब मुहैया करवाया. मेरे पिताजी सेंट्रल रेल्वेज़ में काम करते है. मेरा अभिनय का पैशन पूरा करने के लिए कोई कसर उन्होंने छोड़ी नहीं. जब अगले मुकाम पर मुझे रिजेक्शन (अस्वीकार ) आते रहे, सबसे पहले मां और पिताजी ने मुझ में सकारात्मक ऊर्जा कायम रखी, वरना मैं निराशा से घिर जाता. आज मां और पिताजी के आशीर्वाद -सपोर्ट के कारण मैं बिना गॉडफादर -मेंटॉर के आगे बढ़ रहा हूं.

सवाल-अभिनय में आपके आदर्श कौन है?

बहुत सारे है, खान हीरोज मेरा आदर्श है. मेरे पसंदीदा एक्टर सलमान खान है. 25 वर्षों से अधिक शाहरुख़ ,सलमान ,आमिर शिखर पर राज कर रहे है जो आसान नहीं. इसके अलावा अक्षय कुमार , अजय देवगण ,अमिताभ बच्चन ,नासिरुद्दीन ,इरफ़ान , नवाजुद्दीन सिद्द्की इनके अभिनय को देखकर महसूस होता है कि ये सभी पाठशाला नहीं बल्कि एक्टिंग की यूनिवर्सिटीज है.

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सवाल-नया क्या कर रहे है?

अभी  मेरा पूरा फोकस इस समय इंडिया वाली मां शो पर है. इसे बहुत पसंद किया जा रहा है, ऐसा रिस्पॉन्स मिला है.  अच्छे रोल टीवी , फिल्म्स , वेब शोज में मिले तो करता रहूंगा.

कैल्शियम की कमी से न्यू मौम्स में बैकपैन की समस्या

बहुत बार नई माताओं को शिकायत होती है कि बच्चों को डिलीवर करने के लिए लगाए गए एप्पीडुअरल इंजेक्शन से उन्हें लगातार पीठ में दर्द होता है. इस बारे में गुरुग्राम के कोलंबिया एशिया होस्पिटल के स्पाइन स्पेशलिस्ट और कंसलटेंट डॉक्टर अरुण भनोट का कहना है कि महिलाओं में लेट प्रेग्रेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कैल्शियम की कमी और गलत पोस्चर के कारण अकसर उन्हें बैक पैन की समस्या होती है. क्योंकि इंजेक्शन का असर तो कुछ घंटों व कुछ दिनों के बाद कम होकर बैकपेन खुद ब खुद ठीक हो जाता है.

प्रसव से पहले या प्रसव के दौरान लगाए जाने वाले एप्पीडुअरल इंजेक्शन जो मां को कम दर्द के साथ बच्चे को जन्म देने में मदद करने के लिए पैन किलर मेडिसिन के रूप में लगाया जाता है. इससे कुछ महिलाओं को पीठ के निचले हिस्से में दिक्कत हो सकती है. इस जगह पर कैथेटर एप्पीडुअरल इंजेक्शन लगाने के कुछ घंटों व कुछ दिनों बाद तक दर्द रहता है. बता दें कि जब बच्चा अपनी मां के गर्भ में बढ़ता है , खासकर गर्भावस्ता के आखरी 3 महीनों के दौरान , उसे अपनी हड्डियों को विकसित करने के लिए कैल्शियम की बहुत ज्यादा जरूरत होती है. यदि इस दौरान मां को पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिलता है, तो बच्चा मां की हड्डियों से इसकी जरूरत को पूरा करता है. जब मां की हड्डियों से कैल्शियम बच्चे में जाने के बाद मां को पीठ में दर्द का अनुभव होता है. यहां तक कि जो महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग करवाती हैं उनमें कैल्शियम की कमी और गलत पोस्चर के कारण भी पीठ दर्द की समस्या होती है.

ब्रेस्टफीडिंग वह समय होता है जब बच्चा दूध पीना शुरू करता है और अगर मां कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा नहीं लेती है तो उसमें कैल्शियम की कमी हो जाती है. इसलिए गर्भवस्था के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद महिला के लिए पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम लेना बहुत जरूरी होता है. आमतौर पर गर्भवती महिलाओं को भोजन और सुप्प्लिमेंट से कैल्शियम मिलता है.

इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान महिलाएं ज्यादा एस्ट्रोजन का प्रोडक्शन करती हैं. बता दें कि एस्ट्रोजन वह हॉरमोन होता है, जो हड्डियों की रक्षा करता है और गर्भावस्था के दौरान बोन मास की जो हानि होती है वो आमतौर पर प्रसव के बाद या मां द्वारा अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग को बंद करने के बाद कई महीनों के अंदर रिस्टोर हो जाती है. डॉक्टर भनोट ने नई माताओं की काउंसलिंग के महत्व पर जोर दिया है. खासकर के उन महिलाओं को ज्यादा काउंसलिंग की जरूरत होती है जिनको ब्रेस्टफीडिंग करवाना है. क्योंकि ऐसी महिलाओं में लंबे समय तक बैठने से पीठ में खिचाव आ सकता है. गर्भावस्था के दौरान मां को हड्डियों के कमजोर होने और ओस्टोपोरोसिस का सबसे ज्यादा खतरा होता है. वृद्ध महिलाओं के विपरीत गर्भवती महिलाओं में बोन मास को ज्यादा हानि होती है . क्योंकि जो बच्चा उनके पेट में पल रहा होता है उसे अपनी हड्डियों के ढांचे के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है. इसके अलावा महिला को भी अपनी हड्डियों का निर्माण करने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है, और अगर पर्याप्त रूप से महिला को कैल्शियम मिलता है तो उन्हें ओस्टोपोरोसिस से बचने में मदद मिलती है.

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इसके अलावा कई महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग करवाने के सही पोस्चर के बारे में पता नहीं होता है और गलत जानकारी के कारण उन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. डाक्टर भनोट का कहना है कि नई माताओं को ब्रेस्टफीडिंग करवाने के लिए सही पोस्चर की जानकारी होनी चाहिए, ताकि वे ब्रेस्टफीडिंग के लिए सही पोस्चर को अपनाकर पीठ दर्द से बच सकें. क्योंकि प्रेग्रेंसी और ब्रेस्टफीडिंग दोनों ही उनके लिए बड़ा चैलेंज जो होती हैं.

जानते हैं गर्भावस्था और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान हड्डियों को कैसे स्वस्थ रखें-

1 कैल्शियम रिच डाइट लें

गर्भावस्था या ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को हर दिन 1000 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करना चाहिए. गर्भवती युवा महिला को एक दिन में 1300 मिलीग्राम कैल्शियम लेना चाहिए. कैल्शियम कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कि दूध , दही, पनीर, पत्तेदार सब्जियों , टोफू, बादाम , मकई, संतरे के रस , अनाज और ब्रेड में भरपूर मात्रा में मिलता है. इसलिए ब्रेस्टफीडिंग और गर्भवती महिला को इन चीजों को जरूर अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए.

2 रेगुलर एक्सरसाइज करें

उन्हें नियमित रूप से वेट बियरिंग और रेज़िस्टेन्स जैसी एक्टिविटी करने के लिए डाक्टर से कंसल्ट करना जरूरी होता है, क्योंकि इनसे मसल्स को स्ट्रैंथ मिलती है. वॉकिंग, सीढ़ियां चढ़ना और डांस करने के साथ साथ वेट लिफ्टिंग भी हड्डियों को मजबूत बनाने का काम करती हैं. लेकिन कोई भी एक्सरसाइज करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. ताकि मां और बच्चा दोनों सुरक्षित रहें.

3 अपनाएं हैल्थी लाइफस्टाइल

हैल्थी लाइफस्टाइल को अपनाना बहुत जरूरी है. इसके लिए अच्छा खाएं व स्मोकिंग की हैबिट से दूर रहें. क्योंकि स्मोकिंग मां और बच्चे के लिए हानिकारक होती है. और हड्डियों के लिए भी अच्छी नहीं होती है. इसके अलावा ये हार्ट और फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाती है. गर्भवती और ब्रेस्टफीडिंग करवाने वाली महिलाओं को शराब से भी दूरी बना कर रखनी चाहिए , क्योंकि ज्यादा शराब के सेवन से हड्डियां खराब होती हैं.

4 सफेद तिल है फायदेमंद

तिल के लड्डू तो सबको पसंद होते हैं , लेकिन क्या आप जानती हैं कि सफेद तिल न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होता है. इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन्स भरपूर मात्रा में होते हैं. अगर शरीर में कैल्शियम की कमी हो गई है तो इसे सफेद तिल से पूरी करके हड्डियों को मजबूत बनाया जा सकता है. तो हुआ न सफेद तिल फायदेमंद.

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5 सोयाबीन दे आपको मजबूती

क्या आप जानते हैं कि सोयाबीन प्रोटीन और कैल्शियम का बेहतरीन स्रोत होता है. एक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि सोयाबीन के सेवन से हड्डियों को मजबूती मिलने के साथ साथ मेनोपोज़ के बाद भी महिलाओं की हड्डियां स्ट्रोंग बनती हैं. इसलिए जितना हो सके सोयाबीन को अपनी डाइट में शामिल करें. तो फिर प्रेग्रेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान अपनी डाइट में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाकर खुद का व अपने बच्चे का खास ध्यान रखें.

सैंसिटिव स्किन की देखभाल के लिए कोई घरेलू उपाय बताइए?

सवाल-

सैंसिटिव स्किन की देखभाल के लिए कोई घरेलू उपाय बताइए?

जवाब-

अगर आप की त्वचा सैंसिटिव है तो आप त्वचारोग विशेषज्ञ के पास जा कर अपना चैकअप कराएं. आप को अपनी त्वचा के बारे में पता होना चाहिए कि किन वजहों से आप की स्किन इतनी सैंसिटिव हो रही है. त्वचारोग विशेषज्ञ को दिखा लेने के बाद आप के पास इस समस्या से निबटने के बेहतर तरीके व साधन होंगे.

आप की त्वचा सैंसिटिव है तो इस का विशेष खयाल रखने की जरूरत है. धूप में निकलने से पहले त्वचा पर सनस्क्रीन लगाएं. पानी खूब पीएं और प्रोटीनयुक्त आहार का सेवन करें.

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जिनकी त्‍वचा संवेदनशील होती है उनको हमेशा इस बात की चिंता सताती है कि चेहरे पर क्‍या लगाएं और क्‍या ना लगाएं. इसी तरह जब भी आप पार्लर जाती होंगी तो वहां पर लगी लिस्‍ट में सोंचती होंगी कि आपके चेहरे के लिये कौन सा फेशियल उपयुक्‍त रहेगा, जिससे स्‍किन खराब ना हो. अगर आपकी त्‍वचा संवेदनशील है, तो आपको जानना होगा कि चेहरे पर कौन सा फेशियल करवाएं और कौन सा ना करवाएं.

यह फेशियल ना करवाएं

– चेहरे पर क्‍लीन अप या भाप दा्रा ब्‍लैकहेड जाने पर स्‍किन पर लालिमा और घाव पड़ सकते हैं. इसलिये फेशियल करवाने से पहले अपनी ब्‍यूटीशियन से थोड़ा ध्‍यान रखने को कहें.

– पर्ल फेशियन ना करवाएं. ऐसा इसलिये क्‍योंकि पर्ल पाउडर चेहरे पर एलर्जी फैलाते हैं.

– डायमंड फेशियल में पाउडर डायमंड चेहरे पर लगाया जाता है. इसलिये सबसे पहले यह भरोसा कर लें कि आपको इससे कोई एलर्जी नहीं होगी तभी इसे लगाएं.

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फैमिली के लिए बनाएं स्पेशल मेथी मटर मलाई

आपके घर में अकसर ही छोटी मोटी गेट टूगेदर होती होगी. हर बार पार्टी में पनीर, आलू, मिक्स वेज बनाकर और खिलाकर थक चुकी हैं. तो ऐसे में आप मेथी मटर मलाई ट्राई कर सकती हैं. इस डिश को आप बर्थडे पार्टी, किटी पार्टी में आराम से बना सकती है.

सामग्री

250 ग्राम मेथी

एक कटोरी हरे मटर

आधा कटोरी मलाई

दो चम्‍मच तेल

आधा चम्‍मच जीरा

आधा चम्‍मच मेथीदाना

चुटकीभर हींग

दो बड़े प्याज बारीक कटे हुए

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दो बड़े टमाटर बारीक कटे हुए

एक चम्‍म्‍च अदरक-लहसुन का पेस्ट

3-4 हरी मिर्च

आधा चम्मच धनिया पाउडर

आधा चम्‍म्‍च गरम मसाला

नमक स्वादानुसार

विधि

मेथी की पत्तियों को धोकर मटर के साथ एक ग्लास पानी के साथ 5 मिनट तक पकाएं. कड़ाही में तेल गरम करके हींग, जीरा और मेथी दाना डालकर तड़का बना लीजिए. फिर इसमें अदरक-लहसुन का पेस्ट, हरी मिर्च डालकर दो मिनट तक भून लें.

इसके बाद प्याज डालें और जब प्याज सुनहरी होने लगे तो कटे टमाटर और सारे मसाले डालकर पकाएं. स्वाद के लिए चुटकी भर चीनी भी डाल सकती हैं.

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अब इसमें मलाई डालकर अच्छी तरह से मिक्स करें और मेथी व मटर भी मिला दें. नमक डालकर एकसार कर लें और 5 मिनट के लिए ढंक दें. एक बॉल में निकालकर हरे धनिए की पत्ती से गार्निश करें.

गर्मा-गर्म मेथी मटर मलाई तैयार है. इसे पराठा या फ्राईड राइस के साथ सर्व करें.

शादी के बाद चाहिए इंडो-वेस्टर्न लुक तो ट्राय करें ‘इश्क में मरजावां’ की ‘रिद्धिमा’ की ये 5 ड्रेस

टीवी सीरियल्स में इन दिनों बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं. जहां पहले देखा जाता था कि शादी के बाद बहूएं घूंघट और सिंपल लुक में नजर आती थीं. तो वहीं अब टीवी सीरियल्स की बहूओं का शादी के बाद लुक बदल गया है. अब बहूएं सिंपल रहने की बजाय अपने लुक को स्टाइलिश और हौट दिखाती हुई नजर आती हैं. दरअसल, हाल ही में इश्क में मरजावां 2 (Ishq Mein Marjawan 2) की रिद्धिमा (Helly Shah) की वंश से शादी हुई थी, जिसके बाद उनके लुक में काफी बदलाव देखने को मिला. आज हम आपको उनके इन्हीं लुक्स के लिए कुछ औप्शंस के बारे में बताएंगे, जिसे आप वेडिंग सीजन में ट्राय कर सकती हैं.

1.  ज्वैलरी से बनाएं लुक को खूबसूरत

अगर आप अपने लुक को शादी के बाद ट्रैंडी बनाना चाहती हैं तो ज्वैलरी का खास ख्याल रखें. हैवी ज्वैलरी आपके सिंपल लुक पर चार चांद लगा देगा. रिद्धिमा की तरह आप भी किसी भी वाइट या सिंपल आउटफिट के साथ औक्साइड ज्वैलरी ट्राय कर सकती हैं.

 

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2. शरारा लुक को बनाएं हौट

 

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अगर आप शरारा पहनने वाली हैं तो वन औफ शोल्डर सूट से अपने लुक को हौट बनाएं. इसके साथ आप नेकपीस ट्राय कर सकती हैं. जो आपके लुक को स्टाइलिश और हौट बनाएगा.

3. प्रिंटेड लुक है परफेक्ट

 

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🌼🌼🌼

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प्रिंटेड साड़ी के साथ औफ शोल्डर ब्लाउज आपके लुक को स्टाइलिश और कंफरटेबल बनाएगा. इसके साथ आप चोकर या हैवी इयरिंग्स कैसी करेंगी तो आपका लुक खूबसूरत लगेगा.

4. लहंगा हो स्टाइलिश

 

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One of my fav looks of Riddhima ❤️ Styled by @shivanishirali 🌈✨. . #immj #riddhima

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अगर आप लहंगे की वैरायटी तलाश कर रही हैं तो रिद्धिमा का ये लहंगा आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. इसके साथ चोकर ज्वैलरी आपके लिए परफेक्ट रहेगी.

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5. रफ्फल लुक करें ट्राय

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🌈 Styled By ~ @shivanishirali 📸 ~ @ajaypatilphotography

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इन दिनों रफ्फल साड़ियों का काफी क्रेज है. अगर आप भी रफ्फल साड़ियों की शौकीन हैं तो ये लुक आपके लिए पऱपेक्ट औप्शन होगा. इसके साथ आप सिंपल मंगलसूत्र के साथ मल्टी कलर ज्वैलरी ट्राय कर सकती हैं.

आपके बिहेवियर पर निर्भर बच्चे का भविष्य

एक विज्ञापन में सास के द्वारा अपना चश्मा न मिलने की बात पूछने पर बहू कहती है, ‘‘जगह पर तो रखती नहीं हैं और फिर दिन भर बकबक करती रहती हैं.’’

अगले ही पल मां जब अपने बेटे से पूछती है कि लंचबौक्स बैग में रख लिया तो बेटा जवाब देता है, ‘‘क्यों बकबक कर रही हो रख लिया न.’’

मां का पारा एकदम हाई हो जाता है और फिर बेटे को एक चांटा मारते हुए कहती है, ‘‘आजकल स्कूल से बहुत उलटासीधा बोलना सीख रहा है.’’

बच्चा अपना बैग उठा कर बाहर जातेजाते कहता है, ‘‘यह मैं ने स्कूल से नहीं, बल्कि आप से अभीअभी सीखा है.’’  मां अपने बेटे का चेहरा देखती रह जाती है. इस उदाहरण से स्पष्ट है कि बच्चे जो देखते हैं वही सीखते हैं, क्योंकि बच्चे भोले और नादान होते हैं और उन में अनुसरण की प्रवृत्ति पाई जाती है. आप के द्वारा पति के घर वालों के प्रति किया गया व्यवहार बच्चे अब नोटिस कर रहे हैं और कल वे यही व्यवहार अपनी ससुराल वालों के प्रति भी करेंगे. अपने परिवार वालों के प्रति आप के द्वारा किए जाने वाले व्यवहार को हो सकता है आज आप के पति इग्नोर कर रहे हों पर यह आवश्यक नहीं कि आप के बच्चे का जीवनसाथी भी ऐसा कर पाएगा. ऐसी स्थिति में कई बार वैवाहिक संबंध टूटने के कगार पर आ जाता है. इसलिए आवश्यक है कि आप अपने बच्चों के सामने आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करें ताकि उन के द्वारा किया गया व्यवहार घर में कभी कलह का कारण न बने.

न करें भेदभाव:

इस बार गरमी की छुट्टियों में रीना की ननद और बहन दोनों का ही उस के पास आने का प्रोग्राम था. रीना जब अपने दोनों बच्चों के साथ मौल घूमने गई तो सोचा सब को देने के लिए कपड़े भी खरीद लिए जाएं. बूआ के परिवार के लिए सस्ते और मौसी के परिवार के लिए महंगे कपड़े देख कर उस की 14 वर्षीय बेटी पूछ ही बैठी, ‘‘मां, बूआ के लिए ऐसे कपड़े क्यों लिए?’’

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‘‘अरे वे लोग तो गांव में रहते हैं. उन के लिए महंगे और ब्रैंडेड लेने से क्या लाभ? मौसी दिल्ली में रहती हैं और वे लोग हमेशा ब्रैंडेड कपड़े ही पहनते हैं, तो फिर उन के लिए उसी हिसाब के लेने पड़ेंगे न.’’

रीना की बेटी को मां का यह व्यवहार पसंद नहीं आया.  न तोड़ें पति का विश्वास: विवाहोपरांत पति अपनी पत्नी से अपने परिवार वालों के प्रति पूरी ईमानदारी बरतने की उम्मीद करता है. ऐसे में आप का भी दायित्व बनता है कि आप अपने पति के विश्वास पर खरी उतरें. केवल पति से प्यार करने के स्थान पर उस के पूरे परिवार से प्यार और अपनेपन का व्यवहार करें.  रीमा अपनी बीमार ननद को जब अपने पास ले कर आई तो बारबार उन की बीमारी के चलते उन्हें हौस्पिटलाइज करवाना पड़ता.

यह देख कर रीमा की मां ने एक दिन उसे समझाया, ‘‘देख बेटा वे शुरू से जिस माहौल में रही हैं उसी में रह पाएंगी. बेहतर है कि तुम इन्हें अपनी ससुराल में जेठानी के पास छोड़ दो और प्रति माह खर्चे के लिए निश्चित रकम भेजती रहो.’’

इस पर रीमा बोली, ‘‘मां, आज विपिन की जगह मेरी बहन होती तो भी क्या आप मुझे यही सलाह देतीं?’’ यह सुन कर उस की मां निरुत्तर हो गईं और फिर कभी इस प्रकार की बात नहीं की.

पतिपत्नी के रिश्ते की तो इमारत ही विश्वास की नींव पर टिकी होती है, इसलिए अपने प्रयासों से इसे निरंतर अधिक मजबूती प्रदान करने की कोशिश करते रहना चाहिए.

आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करें:

सोशल मीडिया पर एक संदेश पढ़ने को मिला, जिस में एक पिता अपने बेटे को एक तसवीर दिखाते हुए कहते हैं, ‘‘यह हमारा फैमिली फोटो है.’’

8 वर्षीय बालक भोलेपन से पूछता है, ‘‘इस में मेरे दादादादी तो हैं ही नहीं, क्या वे हमारे फैमिली मैंबर नहीं हैं?’’

पिता के न कहने पर बच्चा बड़े ही अचरज और मासूमियत से कहता है, ‘‘उफ, तो कुछ सालों बाद आप भी हमारी फैमिली के मैंबर नहीं होंगे.’’

यह सुन कर बच्चे के मातापिता दोनों चौंक उठते हैं. उन्हें अपनी गलती का एहसास होता है. इस से साफ जाहिर होता है कि बच्चे जो भी आज देख रहे हैं वे कल आप के साथ वही व्यवहार करने वाले हैं. इसलिए मायके और ससुराल में किसी भी प्रकार का भेदभाव का व्यवहार कर के अपने बच्चों को वह रास्ता न दिखाएं जो आप को ही आगे चल कर पसंद न आए.

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पारदर्शिता रखें:

दूसरों की बुराई करना, अपमान करना, ससुराल के प्रति अपनी जिम्मेदारी न निभाना, मायके के प्रति अधिक लगाव रखना जैसी बातें पतिपत्नी के रिश्ते को तो कमजोर बनाती ही हैं, अपरोक्षरूप से बच्चों पर भी नकारात्मक प्रभाव छोड़ती हैं, इसलिए आवश्यक है कि रिश्तों में सदैव पारदर्शिता रखी जाए. मेरी बहन और उस के पति ने विवाह के बाद एकदूसरे से वादा किया कि दोनों के मातापिता की जिम्मेदारी उन दोनों की है और उसे वे मिल कर उठाएंगे, चाहे हालात कैसी भी हों. वे पीछे नहीं हटेंगे.

आज उन के विवाह को 10 वर्ष होने वाले हैं. आज तक उन में मायके और ससुराल को ले कर कभी कोई मतभेद नहीं हुआ. जिम्मेदारी महसूस करें: अकसर देखा जाता है कि पति अपने परिवार की जिम्मेदारी को महसूस करते हुए परिवार की आर्थिक मदद करना चाहता है और पत्नी को यह तनिक भी रास नहीं आता. ऐसे में या तो घर महाभारत का मैदान बन जाता है या फिर पति पत्नी से छिपा कर मदद करता है. यदि ससुराल में कोई परेशानी है, तो आप पति का जिम्मेदारी उठाने में पूरा साथ दे कर सच्चे मानों में हम सफर बनें. इस से पति के साथसाथ आप को भी सुकून का एहसास होगा.

बुराई करने से बचें:

रजनी की सास जब भी उस के पास आती हैं, रजनी हर समय उन्हें कोसती है, ‘‘जब देखो तब आ जाती हैं, कितनी गंदगी कर देती हैं, ढंग से रहना तक नहीं आता.’’  उस की किशोर बेटी यह सब देखती और सुनती है, इसलिए उसे अपनी दादी का आना कतई पसंद नहीं आता.

ससुराल पक्ष के परिवार वालों के आने पर उन के क्रियाकलापों पर अनावश्यक टीकाटिप्पणी या बुराई न करें, क्योंकि आप की बातें सुन कर उन के प्रति बच्चे वही धारणा बना लेंगे. इस के अतिरिक्त मायके में ससुराल की और ससुराल में सदैव मायके की अच्छी बातों की ही चर्चा करें. नकारात्मक बातें करने से बचें ताकि दोनों पक्षों के संबंधों में कभी खटास उत्पन्न न हो.

जिस प्रकार एक पत्नी का दायित्व है कि वह अपनी ससुराल और मायके में किसी प्रकार का भेदभावपूर्ण व्यवहार न करे उसी प्रकार पति का भी दायित्व है कि वह अपनी पत्नी के घर वालों को भी पर्याप्त मानसम्मान दे और यदि पत्नी के मायके में कोई समस्या हो तो उसे भी हल करने में वही योगदान दे, जिस की अपेक्षा आप अपनी पत्नी से करते हैं, क्योंकि कई बार देखने में आता है कि यदि लड़की अपनी मायके के प्रति कोई जिम्मेदारी पूर्ण करना चाहती है, तो वह उस की ससुराल वालों को पसंद नहीं आता. इसलिए पतिपत्नी दोनों की ही जिम्मेदारी है कि वे अपनी ससुराल के प्रति किसी भी प्रकार का भेदभावपूर्ण व्यवहार न रखें. यह सही है कि जहां चार बरतन होते हैं आपस में टकराते ही हैं, परंतु उन्हें संभाल कर रखना भी आप का ही दायित्व है. बच्चों के सुखद भविष्य और अपने खुशहाल गृहस्थ जीवन के लिए आवश्यक है कि बच्चों के सामने कोई ऐसा उदाहरण प्रस्तुत न किया जाए जिस पर अमल कर के वे अपने भविष्य को ही दुखदाई बना लें.

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