इमोशनल पोस्ट लिखकर ‘ये रिश्ता…’ के ‘कायरव’ ने शो को कहा अलविदा, पढ़ें खबर

स्टार प्लस के पौपुलर टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में इन दिनों नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं, जिसके चलते कार्तिक और नायरा पर मुसीबतें देखने को मिल रही हैं. इसी बीच शो में लीप की भी खबरें सुर्खियों में हैं. लेकिन अब फैंस को एक और झटका लग गया है. दरअसल, कायरव के रोल अदा करने वाले चाइल्ड एक्टर तन्मय ऋषि ने शो को अलविदा कह दिया है. आइए आफको बताते हैं क्या है पूरा मामला…

सोशलमीडिया पर दी ये जानकारी

कायरव यानी तन्मय ने अपने फैन्स को सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए लिखा-‘लाइफ में सबसे पहली बार हैल्लो कहना और फिर आखिरी बार गुडबाय बोलना, दो चीजें मुश्किल होती हैं. आखिरकार बाय-बाय ये रिश्ता क्या कहलाता है..शुक्रिया राजन सर. मैं नायरा दीदी और कार्तिक भईया के साथ ये रिश्ता क्या कहलाता है परिवार के सभी क्रू मेंबर्स को मिस करुंगा.’

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फैंस के बीच बनाई थी पहचान

 

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mukabla with big bros #mastimood

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ये रिश्ता में कायरव के रोल में चाइल्ड एक्टर तन्मय ने शो में दर्शकों के दिलों में जगह बनाई थी, जिसके चलते इंस्टाग्राम पर उनके 80 हजार के करीब फॉलोअर हैं. हालांकि तन्मय का सोशल मीडिया अकाउंट उनकी मां हैंडल करती हैं. वहीं तन्मय के अचानक सीरियल छोड़ने से फैंस काफी निराश हैं.

करेंट ट्रैक में दूर हैं नायरा-कार्तिक

‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में इन दिनों नायरा-कार्तिक की जुदाई का ट्रैक दिखाया जा रहा है, जिसमें प्रैग्नेंट नायरा अपने कार्तिक को ढूंढने की कोशिश कर रही है जबकि कार्तिक किडनैपर के चंगुल से निकलने की पूरी कोशिश कर रहा है. हालांकि वह नाकामयाब हो रहा है.

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बता दें, मुंबई के साथ देश में कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते बच्चों तो सेट पर आने की इजाजत नही है. वहीं इसी के चलते कई स्टार्स अपने सीरियल तो अलविदा कह चुके हैं.

खाली पेट एक कप गर्म चाय की चुस्की हो सकती है घातक, जानें यहां

चाय, एक ऐसी ड्रिंक जिसको हर कोई पसंद करता है. बात के दौरान अगर चाय की चुस्किजयां न ली जाएं तो कुछ अधूरा लगता है. कुछ लोग चाय के इतने शौकीन होते हैं कि वे दिन में कई कई बार चाय पीते हैं. तो कुछ बिना बेड टी के उठ भी नहीं सकते. पर आपको क्या लगता है, क्या आपकी ये एक अच्छी आदत है? अध्ययनों की मानें तो खाली पेट चाय पीना एक बहुत बुरी आदत है.चाय में कुछ मात्रा में कैफीन होती है और साथ ही इसमें एल-थायनिन, थियोफाइलिन भी होता है जो उत्तेजित करने का काम करते हैं.

इस बारे में मैक्स सुपर स्पेशलिटी शालीमार बाग, न्यू दिल्ली के डायरेक्ट एंड गैस्ट्रोएन्टेरोलोजी डॉक्टर वी के गुप्ता का कहना है कि चाय में कई तरह के एसिड होते हैं इसलिए खाली पेट चाय पी कर आप अपने पेट को सीधा नुकसान पहुंचाते हैं. इससे अल्सइर या गैस जैसी परेशानियां बढ़ने की संभावना रहती है.

खाली पेट चाय पीने के नुकसान
1- चाय में काफी मात्रा में टैनिन पाया जाता है. इसलिए सुबह उठकर खाली पेट चाय पीने से आपको मिचली आ सकती है और घबराहट महसूस हो सकती है.

2-खाली पेट चाय पीने से इसमें घुली चीनी शरीर के अंदर जाती है, जो वजन बढ़ाने का मुख्य कारण होती है.

3- खाली पेट गर्म चाय का सेवन एसिडिटी पैदा करता है और पाचक रसों पर प्रभाव डालता है.

4- सुबह खाली पेट चाय पीने से प्रोस्टेट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है, जो पुरूषों में पाई जाती है.

5- माना जाता है कि ब्लैक टी वजन कम करती है पर खाली पेट ब्लैक टी पीने से पेट फूल जाता है और भूख नहीं लगती है.

6- खाली पेट चाय पीने से स्केलेटल फ्लोरोसिस नाम की बीमारी भी हो सकती है. ये बीमारी हड्डियों को अंदर ही अंदर खोखला बना देती है.

7- दूध वाली चाय खाली पेट पीने से जल्दी थकान महसूस होती है क्योंकि चाय में दूध मिलाने से एंटीऑक्सीीडेंट का असर ख़त्म हो जाता है.

8- सुबह खाली पेट स्ट्रांग चाय पीने वालों को अल्सर होने का खतरा रहता है. इससे पेट की अंदरुनी सतह में जख्म हो जाने की आशंका बढ़ जाती है.

9- खाली पेट चाय भूख को दबाती है.आपको नाश्ता करने का मन नहीं करता जिससेआपका स्वास्थ्य प्रभावित होता है.

10- डॉक्टरों की मानें तो चाय हमारे शरीर की इन्द्रियों पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है. इसमें मौजूद कैफीन के कारण व्यक्ति को चाय पीने की लत लग जाती है.

जानें चाय पीने का सही तरीका
1- अगर आप चाय के शौकीन हैं तो इसे पीने का सही तरीका इस्तेमाल कर कई बीमारियों से बच सकते हैं जैसे –

2- अगर आप सुबह उठकर खाली पेट चाय पी रहे हैं तो उसके साथ बिस्किट या स्नैक्स जरूर लेना चाहिए.

3- एक रिसर्च के मुताबिक यदि आप दो ब्रांड की मिलाकर चाय बनाते हैं तो उससे शरीर पर नशे जैसा प्रभाव होता है.

4- खाने के तुरंत बाद चाय का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से चाय खाने में मौजूद आयरन के साथ रिएक्ट कर सकती है, जिसके शरीर पर बुरा असर पड़ता है.

5- इस बात का ध्यान रखें कि न ज्यादा गर्म और न ही ठंडी चाय पीएं.

6- हमें पूरे दिन में अधिकतम 3 कप चाय ही लेनी चाहिए. चाय बनने के बाद उसी चाय को बार बार गरम करके न पीएं. सेहत के लिए हानिकारक होती है.

7- विशेषज्ञों का भी कहना है कि चाय पकने और कप में डालने के बीच लगभग 5 से 10 मिनट का अंतर होना चाहिए. दरअसल, गैस से उतरने के 2 मिनट के अंदर-अंदर चाय पीने वाले व्यक्तियो में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. वहीं दूसरी तरफ जो लोग 4 से 5 मिनट बाद चाय ठंडी करके उसका सेवन करते है उनमें कैंसर होने का खतरा कम होता है.

आंखों ने कुछ कहा है सुन लो जरा 

वाकई इंसान की आंखें बहुत कुछ कहती हैं. जो बात हम लबों से नहीं कह पाते वह बात खामोश अल्फाजों में आंखें कह जाती हैं. किसी को पता भी नहीं चलता और आंखों ही आंखों में दिल मिल जाते हैं. सिर्फ प्यार ही नहीं वरन अपने गम , दर्द , नफरत या जलन की आग भी आंखें बखूबी जताती हैं.

आज कल कोरोना काल में जब लबों पर परदे पड़े हैं तो खामोशी से अपना हाल ए दिल बताने के लिए आंखों का सहारा लीजिए. एक अनजान सी मुलाक़ात में जब चेहरे पर मास्क का परदा गिरा हो तो अपने भावों को व्यक्त करने का सब से खूबसूरत जरिया आंखें ही हैं. आंखों से बातें करें , आंखों आंखों में बातें करें.

अपने मनोभावों को प्रगट करने का सब से आसान और महत्वपूर्ण जरिया आंखें हैं.

आंखों के जरिए बहुत आसानी से व्यक्ति की बॉडी लैंग्वेज को भांपा जा सकता है और उस के मनोभावों का पता लगाया जा सकता है. आंखें इंसान की रूह का आईना होती हैं. याद कीजिए पुरानी  हीरोइनों का अंदाज, निगाहों से हर बात कह देना, आंखों आंखों में मुस्कुराना, कभी शोखी दिखाना, कभी घबराना, कभी रूठ जाना और कभी दिल को चुरा लेना. उन की आंखों में हर अदा मुखर हो उठती थी. तभी तो आंखों पर कवियों ने कितने ही गाने लिख डाले. जरा याद कीजिए चिराग फिल्म में मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे इस गाने को, तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है….

 जरुरी है आंखों से बातें

पहले जब रास्ता चलते कोई पड़ोसी या परिचित दिख जाता था तो हम मुस्कुरा देते थे. मगर अब जब कि हम ने मास्क पहन रखे हैं तो ऐसे में एकदूसरे की तरफ फ्रैंडली स्माइल देना संभव नहीं. आजकल कुछ लोग हाथ हिला कर तो कुछ थम्सअप दे कर और कुछ सैल्यूट कर के अभिवादन करने लगे हैं. मगर इन सब तरीकों से वह कनैक्शन नहीं जुड़ पाता जो एक खूबसूरत रिश्ते में जुड़ना चाहिए. इस के लिए आप अपनी आंखों का सहारा लीजिए. दिल में जो भी है उसे आंखों में पढ़ा जा सकता है. आइए जानते हैं आंखों की कुछ भाषा…

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 मुस्कुरा कर बात करना

जब आप अपने चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए सामने वाले से आंखे मिला कर बात करते हो तो यह सामने वाले के प्रति आप की सकारात्मक सोच को दर्शाता है. यह आप की कॉन्फिडेंट पर्सनालिटी को भी प्रदर्शित करता है.

 उठी हुई आंखें

आंखें उठा कर लोग कुछ सोचा करते हैं. कभी कल्पना में खो जाते हैं तो कभी कल्पना गढ़ने लगते हैं. यानी जब आप किसी की आंखों को इस अवस्था में देखें तो समझ जाइए कि उस के दिमाग में बहुत सी बातें आकार ले रही हैं.

 आंखों का झुकना

लड़कियों की झुकी आंखें जहां शर्मोहया का प्रतीक हैं वहीँ झुकी आंखों से बातें करने का मतलब आत्मविश्वास की कमी से भी निकाला जा सकता है. अकसर बात करते वक्त उन लोगों की आंखें झुकी होती हैं जिन के भीतर या तो आत्मविश्वास की कमी है या फिर वे दिल के राज छुपा रहे होते हैं.

 इधरउधर देखना

सामने वाले में दिलचस्पी न होने पर व्यक्ति इधरउधर देखने लगता है. किसी व्यक्ति को नजरअंदाज करने के लिए या उस से कुछ छिपाने के लिए हम बात करते समय अपनी आंखें इधरउधर घुमाते हैं.

 एकटक देखना

अगर कोई व्यक्ति आप को लगातार टकटकी लगाए बस देखता जा रहा है तो इस का अर्थ है कि उसे आप में दिलचस्पी है. ऐसे में व्यक्ति सीधे आप की आंखों में आंखें डाल कर बात करेगा.

 कहीं और देखना

कोई व्यक्ति बात तो आप से कर रहा है लेकिन उस का ध्यान कहीं और है. वह किसी खास वस्तु या व्यक्ति की ओर लगातार देख रहा है तो इस का अर्थ है कि वह उस वस्तु को पाने की चाहत रखता है या फिर उस के दिमाग में उस चीज़ या उस व्यक्ति को ले कर कोई बात चल रही है.

 एक आंख झपकाना

कोई ऐसी बात जो केवल आप और सामने वाला व्यक्ति ही जानता है, किसी तीसरे इंसान को उस में शामिल नहीं किया जाने वाला है तो आप या वह अपनी एक आंख को झपका कर यह इशारा कर सकते हैं.

 आंखों से मुस्कुराना

क्या आप ने कभी गौर किया है कि आंखें भी मुसकुराती हैं. आज कल जब आप होठों से नहीं मुस्कुरा सकते तो आंखें ही सही. किसी को देख कर दिल से मुस्कुराइयेगा तो आप की आंखें भी मुस्कुरा पड़ेंगी और सामने वाले को आप की फीलिंग का अहसास हो जाएगा.

 बॉलीवुड में आंखों के जलवे

बॉलीवुड में खूबसूरत आंखों की बात होते ही सब से पहला नाम ऐश्वर्या राय बच्चन का आता है. जिन की खूबसूरती में चार चांद लगाने में सब से बड़ा रोल आंखों का है. ये आंखों से बहुत सी अदाएं दिखा जाती हैं. बिपासा बसु की आंखें भी बेहद खूबसूरत और बोलती हुई सी हैं. ओम शांति ओम फिल्म में दीपिका पादुकोण की आंखों पर एक गाना फिल्माया गया था, ‘आंखों में तेरी अजब सी अजब सी अदाएं हैं’… और सचमुच उन की आँखों का हर कोई दीवाना बन गया था.

अब कुछ पुरानी सदाबहार हीरोइनों की बात करते हैं. पुरानी हीरोईनों में चर्चित नाम श्री देवी और रेखा का है जिन्होंने नशीली और खूबसूरत आंखों की वजह से खूब खुर्खियां बटोरीं. इसी तरह बॉलीवुड ऐक्ट्रेस साधना का नाम आते ही सब से पहली बात जो ध्यान में आती है वह है साधना हेयर कट और उन की जादुई आँखें. वो कौन थी (1964) फिल्म में उन की आंखें सस्पेंस को गहराने में कहर ढाने का काम करती थीं.

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अपने दौर की मशहूर अदाकार और बॉलीवुड में ‘ट्रेजेडी क्वीन’ के नाम से मशहूर मीना कुमारी को लोग सिंड्रेला के नाम से भी पुकारते थे. उन का व्यक्तित्व जरा हट कर था. बोलती आंखें और आवाज में अजीब सी कशिश लिए न जाने कब वह दर्शकों के दिलों में घर कर गईं. उन के बारे में ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने रोने के सीन के लिए कभी भी गिल्सरीन का इस्तेमाल नहीं किया. उन की आंखें दिल के दर्द का बयां बेहद गहराई से करती थीं.

बॉलीवुड की खास अभिनेत्री वैजयंती माला की खूबसूरती और मासूमियत ने उन्हें एक अलग ही पहचान दिलाई थी. उन की बड़ी, हंसती हुई और खूबसूरत आंखें व शांत चेहरा सब को दीवाना बना देती थी.

बोलने का लहजा और बॉडी लैंग्वेज भी महत्वपूर्ण

इंसान की स्वाभाविक फितरत होती है कि यदि उस के शरीर की कोई इंद्रिय काम नहीं कर रही हो तो दूसरी इंद्रिय ज्यादा काम करने लगती है. उसी तर्ज पर दूसरों की फीलिंग समझने के लिए अब फेशियल एक्सप्रेशंस के बजाय आंखों के इशारे के साथसाथ बॉडी लैंग्वेज और बातचीत की टोन महत्त्वपूर्ण हो गए हैं. सामान्य अवस्था में बिन कुछ बोले भी खुशी, दुख, घृणा, क्रोध आदि सब कुछ हमारे चेहरे से प्रकट हो जाता था. इस में मुंह, नाक, कान और आंखें मुख्य भूमिकाएं निभाते थे. आज जब मास्क की वजह से हमारे मुंह और नाक ढके होते हैं तो ऐसे में हमारे बोलने का लहजा और बॉडी लैंग्वेज भी काफी महत्वपूर्ण हो जाते हैं.  केवल बोलने से आप के मनोभाव स्पष्ट नहीं होते. शब्दों के साथ आप के हावभाव उन के अर्थ बदलते हैं. जैसे कोई यह कहे कि तुम बुद्धू हो तो यह बात प्यार से भी कही जा सकती है, डांट कर भी और मजाक उड़ाते हुए भी. इसी तरह खुश रहने पर आवाज में अलग ही खनक सुनाई देती है. वहीँ उदास व्यक्ति के बोलने का लहजा सुस्त और धीमा पड़ जाता है.

तो आइये आज के न्यू नार्मल लाइफ में मास्क के साथ संवाद के लिए आंखों का सहारा लें और रिश्तों को खूबसूरत मुकाम तक पहुंचाएं.

गुलाबी सर्दियां और ड्राय फेस स्किन

देखते ही देखते मौसम करवट बदलने लगा है. उमस भरी गरमी पर अब सुबह और शाम की ठंडक ने दस्तक देनी शुरू कर दी है. बदलाव का यह मौसम हमें सुकून तो देता है, पर साथ ही यह चेतावनी भी देता है कि सर्दियों में अपनी फेस स्किन की देखभाल करते रहना, वरना गुलाबी मौसम में भी फेस आप को रूखेपन का अहसास करा देगा.

घबराने की कोई बात नहीं है. अब बाजार में कई तरह की प्रसाधन सामग्री आसानी से मिल जाती है जो आप की फेस स्किन के रूखेपन को दूर कर देगी, पर अगर कोरोना के चलते आप बाजार की खाक नहीं छानना चाहती हैं तो घर पर भी कुछ चीजों के इस्तेमाल से अपने फेस की बिगड़ती स्किन को बेहतर बना सकती हैं.

इस बारे में डाइटीशियन और मेकअप आर्टिस्ट नेहा सागर ने बताया, “हर तरह की फेस स्किन के लिए महिलाएं घर में ही काम आने वाली कई चीजों से फेस मास्क बना सकती हैं.

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“अगर आप की औयली स्किन है तो बेसन, हलदी, दही, मुलतानी मिट्टी, टमाटर, खीरा, गुलाबजल और नीबू जैसी चीजों को फेस पैक बनाने के लिए यूज कर सकती हैं.

“मुलतानी मिट्टी या बेसन (1 टेबल स्पून) में इन में से कुछ भी सामग्री मिला कर हफ्ते में 2-3 बार लगा सकती हैं. हफ्ते में 2-3 बार 1 टमाटर के स्लाइस को फेस पर रब कर के और सूखने पर उसे नौर्मल पानी से धो लें.

“अगर आप की नौर्मल और कॉम्बिनेशन स्किन है तो चंदन पाउडर, कच्चा दूध, चावल का आटा, बेसन, गुलाबजल, खीरे के रस या नीबू और दही का इस्तेमाल किया जा सकता है.

“चावल के आटे में बेसन के साथ दूध, दही या गुलाबजल मिला कर हफ्ते में 3-4 बार इस्तेमाल कर सकती हैं.”

सर्दियां आतेआते फेस स्किन सूखी होने लगती है और जिन की स्किन हमेशा सूखी रहती है उन्हें और भी ज्यादा दिक्कत होती है.

ड्राई स्किन के बारे में नेहा सागर ने बताया, “सूखी फेस स्किन के लिए सब से अच्छा औप्शन शहद होता है. 1-2 टेबल स्पून गुलाबजल, 1 टेबल स्पून शहद और 2-3 बूंदें नीबू के रस की (अगर चाहें तो) मिला कर रोजाना 15 मिनट के लिए लगाएं. इस से चेहरे पर चमक आती है और शहद सूखी त्वचा को न्यूट्रिशन देता है.

“इस के अलावा दही में एक चुटकी हलदी मिला कर रोजाना चेहरे पर लगा सकती हैं और बाद में चेहरे को साफ करने के लिए फेस वाश या क्लिनजर इस्तेमाल करें या नौर्मल दूध भी यूज कर सकती हैं. इस के अलावा बादाम को दरदरा पीस कर घर में ही स्क्रब बना सकती हैं.

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“जिन महिलाओं की सैंसिटिव स्किन होती है उन्हें अपना खास खयाल रखना चाहिए, क्योंकि उन पर बहुत कम चीजें सूट करती हैं. उन्हें भीगे हुए चावल के पानी को टोनर की तरह इस्तेमाल करना चाहिए या चावल के पानी में मुलतानी मिट्टी और चंदन पाउडर मिला कर हफ्ते में 2 बार लगाया जा सकता है.”

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नकली सेनिटाइज़र से पटे बाज़ार

कोरोना वायरस का कहर हम पर न टूटे, इसके लिए हम तरह-तरह की एहतियात बरत रहे हैं. इसी में एक है सैनिटाइजर. आप घर बाहर हर जगह सेनिटाइज़र का इस्तेमाल लगभग हर घंटे कर रहे हैं. महिलायें अपने हैंड बैग में आजकल लिपस्टिक की बजाय सेनिटाइज़र कैरी कर रही हैं. ऑफिसेस में हर टेबल पर सेनिटाइज़र की बोतल रखी है. किसी भी कार्यालय, बैंक, मॉल, दूकान, रेस्टोरेंट में घुसने से पहले ही दरबान आपके सामने सेनिटाइज़र की बोतल ले कर खड़ा हो जाता है. यानी सेनिटाइज़र आज की सबसे बड़ी ज़रूरत बन चुका है. डॉक्टर कहते हैं कि अगर अच्छी से अच्छी गुणवत्ता वाले सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया जाए तो कोरोना वायरस का असर और डर बहुत कम हो जाता है. लेकिन जब से कोरोना वायरस ने दस्तक दी है, तब से बाजार में सैनिटाइजर की बाढ़ आ गई है. सैकड़ों कंपनियां सैनिटाइजर बेच रही है. इस स्थिति में हमें पता ही नहीं होता कि कौन सा सैनिटाइजर असली है और कौन सा नकली.

कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के कारण सैनिटाइजर की मांग बढ़ने पर सरकार ने इसे ड्रग लाइसेंस के दायरे से भी बाहर कर दिया है. यानी कोई भी कंपनी सेनिटाइज़र बना कर बेच सकती है. ऐसे में महामारी जैसे संकट में भी चंद रुपयों के फायदे के लिए जालसाजों ने लोगों की सेहत और जान से खिलवाड़ कर नकली सैनिटाइजर बाजार में उतार दिये हैं. नकली या कम असरदायक हैंड सैनिटाइजर आज गली-गली में बिक रहा है. मेडिकल शॉप्स से लेकर फुटपाथ के किनारे और किराना दुकानों तक पर ऐसे हैंड सैनिटाइजर मिल रहे हैं, जो आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं. ऐसे सैनिटाइजर को बेचने पर दुकानदारों को 50 फीसदी तक कमीशन मिल जाता है, जबकि ब्रांडेड कंपनियों के सैनिटाइजर में 10 से 20 फीसदी तक ही मिलता है.

दिल्ली में रमेश नगर मार्किट के एक किराना व्यापारी कहते हैं कि जो एजेंट उनकी दूकान पर नए सैनिटाइजर की खेप उतार कर गया है उसने कहा है कि जब माल बिक जाए तभी पेमेंट करना. ऐसे में फिर चिंता किस बात की है. इसकी कीमत भी ब्रांडेड से कम है इसलिए धड़ल्ले से बिक रहा है.
माल बिकने पर पेमेंट देने के लालच में दुकानदार नकली माल खुलेआम काउंटर पर रख कर उसको प्रमोट कर रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक ऐसे सैनिटाइजर गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं. सस्ते हैंड सैनिटाइजर की बोतल पर न बनाने वाले का पता और न ही कोई अन्य जानकारी होती है. जबकि निर्माताओं के नाम के साथ पता, बैच नंबर और एक्सपायरी डेट होना अनिवार्य है. नकली सैनिटाइजर में ऐसे रसायन होते हैं, जो गंभीर त्वचा और श्वास रोग दे सकते हैं. जिन हैंड सैनिटाइजरों में अल्कोहल कम होता है, उसमें ट्राइक्लोसन की मात्रा ज्यादा होती है. ट्राइक्लोसन एंटीबैक्टीरियल एजेंट है. यह खांसी या जुकाम को घातक बना सकता है. वहीं, ज्यादा अल्कोहल बेस्ड सैनिटाइजर सिंपल बैक्टीरिया को सुपरबग में बदल देता हैं. खराब सैनिटाइजर के लंबे समय तक उपयोग त्वचा को रूखा बना सकता है और जलन और फफोले जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं. डॉक्टर कहते हैं कि ऐसे सैनिटाइजर के इस्तेमाल से तो बेहतर है कि हाथों को 25 सेकेंड तक साबुन से साफ कर लें.

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कोशिश करें कि आप सैनिटाइजर हमेशा मेडिकल शॉप से ही खरीदें. सस्ते के चक्कर में छोटी दुकानों या फुटपाथ किनारे की रेहड़ियों से ना लें. मेडिकल शॉप से भी आप सैनिटाइजर खरीदें, तो उसका बिल जरूर लें. सैनिटाइजर की बोतल पर देख लें कि उस पर कंपनी का लाइसेंस बैच नंबर अंकित हो. अगर बोतल पर यह जानकारी नहीं है, तो क्वालिटी खराब हो सकती है या ये नकली हो सकता है. इससे फायदे के बदले नुकसान हो सकता है. बिल रहने पर दुकानदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
सैनिटाइजर का लगभग पूरा हिस्सा अल्कोहल रहता है. लेकिन ज्यादातर सैनिटाइजर में अल्कोहल की मात्रा बहुत कम रहती है जिससे इसका प्रभाव बहुत कम हो जाता है. बाजार में कई ऐसी कंपनियां हैं जो नकली सैनिटाइजर बेच रही है. असली और नकली सेनिटाइज़र में फर्क पता करने के तीन आसान तरीके हैं, जो आप अपने घर में बिना किसी खर्च के कर सकते हैं. इन तरीकों से आपको पता चल जाएगा कि कौन सा सैनिटाइजर असली है और कौन सा नकली.

टिशू पेपर से जांचे

आप टॉयेलट में इस्तेमाल होने वाले टिशू पेपर, एक बॉल पेन जिससे लिखने पर मिटे न और गोला बनाने के लिए एक सिक्का या बोतल के ढक्कन ले लें. टिशू पेपर को प्लेन फर्श पर रख दें. यह ध्यान रखें कि जहां आप टिशू पेपर रख रहे हैं वहा कोई गडढा न हो और टिशू पेपर की मोटी परत न बनाएं. अब टिशू पेपर पर बोतल का ढ़क्कन या सिक्के को रख दें और इसके चारों ओर बॉल पेन से लकीर खींचकर एक सर्किल बना लें. ध्यान रहें कि सर्किल स्पष्ट दिखना चाहिए. इसके बाद सर्किल के अंदर कुछ बूंद सैनिटाइजर की डाल दें. सैनिटाइजर इस तरह से डालें कि सर्किल के बाहर न जाए. इसे कुछ देर के लिए छोड़ दें. कुछ देर के बाद अगर बॉल पेन से बनाई गई लाइन सैनिटाइजर में घुल जाए या लाइन का रंग इधर-उधर बिखर जाएं तो समझिए कि सैनिटाइजर असली है.

आटे से जांचें सेनिटाइज़र

एक चम्मच गेंहूं का आटा ले लें. आप चाहें तो मक्के या अन्य कोई आटा भी ले सकते हैं. इसके बाद एक प्लेट में एक चम्मच आटे को रख दें. इसमें थोड़ा सैनिटाइजर मिला दें. इसके बाद गूंथ दें. अगर सैनिटाइजर में पानी ज्यादा रहेगा यानी नकली होगा तो यह आटे के साथ लिपलिपा या गोंद की तरह हो जाएगा जैसा आम तौर पर आटे को पानी में गूंथने से होता है. अगर सैनिटाइजर में अल्कोहल की मात्रा अधिक है तो आटा लिपलिटा नहीं बनेगा. यह पाउडर की तरह ही रहेगा और कुछ देर में सैनिटाइजर उड़ जाएगा.

हेयर ड्रायर से जांचें सैनिटाइजर की गुणवत्ता

यह तरीका भी बेहद आसान है. इसमें एक कटोरे में एक चम्मच सैनिटाइजर डालें. इसके अलावा एक दूसरे कटोरे में थोड़ा पानी डालें. इसके बाद ड्रायर में 30 सेकेंड तक इसे सूखाएं. ध्यान रहे पहले ड्रायर गर्म हो जाए तब इसका प्रयोग करें. यह प्रक्रिया पानी के साथ भी करें. अगर सैनिटाइजर में पर्याप्त मात्रा में अल्कोहल होगा तो यह जल्दी उड़ जाएगा जबकि पानी के साथ ऐसा नहीं होगा. अल्कोहल 78 डिग्री सेंटीग्रेड पर ही उबलने लगता है इसलिए यह पहले उड़ जाएगा जबकि पानी 100 डिग्री सेंटीग्रेड पर उबलता है इसलिए यह बहुत देर बाद से उड़ना शुरू होगा. अगर सेनिटाइज़र में पानी ज़्यादा होगा तो वह उड़ने में ज़्यादा वक़्त लेगा.

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सुबह के नाश्ते में बनाये टेस्टी और Healthy सूजी के अप्पे

ये तो शायद हम सभी जानते है की अप्पे साउथ इंडियन्स का प्रसिद्ध नाश्ता है जो वहां लगभग सभी घरों में बनता है.पर हम ये भी जानते है की साउथ इंडियन रेसिपी सिर्फ साउथ ही नहीं पूरे भारत में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है.

अगर अप्पे की बात करे तो साउथ इंडिया में इसे दाल और चावल को रात भर भिगो के,पीस के और फिर फरमिंट होने के बाद बनाते है. लेकिन अगर आप भी सुबह के समय जल्दीबाजी में रहने के बावजूद अपने परिवार के स्वास्थ्य और स्वादिष्ट भोजन से समझौता नहीं करते तो आज की ये रेसिपी आपके लिए है.
आज हम बनायेंगे झटपट तैयार होने वाले अप्पे वो भी सूजी से.यकीन मानिये ये डिश बड़ों से लेकर बच्चो तक सभी को बहुत पसंद आएगी.

इनकी सबसे अच्छी बात ये है की ये ठंडा होने के बाद भी नरम बने रहते हैं और इस कारण ये लंच बॉक्स या टिफिन बॉक्स के लिए एक परफेक्ट डिश है.
तो चलिए जानते है की हमें इसके लिए किन चीज़ों की आवश्यकता होगी-

कितने लोगो के लिए: 3 से 4
बनाने का समय: 20 मिनट
मील टाइप: veg

हमें चाहिए-

रवा (सूजी)-2 कप
रिफाइंड आयल-1 tbsp
दही -1 कप
प्याज़ – 2 बारीक कटी हुई
टमाटर-1 बारीक कटा हुआ
शिमला मिर्च-1 बारीक कटी हुई

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गाज़र -1 छोटी बारीक कटी हुई
हरी मिर्च-2 बारीक कटी हुई
अदरक-लहसुन का पेस्ट – 2 छोटे चम्मच
हरा धनिया – ½ छोटा कप
ईनो या खाने वाला सोडा -1 छोटा चम्मच
नमक-स्वादानुसार

बनाने का तरीका-

1-सबसे पहले सूजी को एक बाउल में निकाल ले और उसमे दही डाल कर उसको 10 से 15 मिनट भीगने दीजिये.

2-अब उसमे बारीक कटी हुई सारी सब्जियां, अदरक -लहसन का पेस्ट और नमक डाल दे और उसको अच्छे से मिला ले.अब उसमे ऊपर से 1 छोटी चम्मच ईनो या खाने वाला सोडा डाल कर उसको भी अच्छे से मिला दे.(याद रखे की घोल ज्यादा पतला न हो ,मिश्रण बिलकुल इडली के घोल जैसा होना चाहिए)

3- अब अप्पे के पैन को गर्म कीजिये. अब अप्पे के पैन के हर खाने में 2 से 3 बूंदे तेल की डाले.

4-अब हर 1 पैन के सांचे में 1 टेब्लस्पून सूजी का तैयार किया गया मिक्सचर डाले ओर ढककर 3 से 4 मिनट के लिए पकाए. फिर पलट कर दूसरी तरफ से भी ढककर 2 से 3 मिनिट के लिए पका लीजिए.

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5-तैयार है सूजी के स्वादिष्ट अप्पे .आप इसे नारियल की चटनी या चने दाल की चटनी के साथ खा सकते है.

[NOTE: आप चाहे तो अप्पे बनने के बाद इसमें राई ,करी पत्ता और खडी लाल मिर्च का तड़का भी लगा सकते है.]

जानें वो 9 बातें जिन्हें पुरुषों को भी समझना चाहिए

आज भले ही महिलाएं आत्मनिर्भर हो गई हों, पुरुषों के साथ कदम से कदम मिला कर चलने लगी हों, लेकिन कुछ मामलों में आज भी उन की वही धारणा है, जो पहले हुआ करती थी, जैसे पैसे को ही ले लीजिए. महिलाएं आज भी खर्च से ज्यादा बचत करने पर विश्वास रखती हैं. अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण करना उन्हें आज भी आता है. अब तो कुछ जगहों पर महिलाएं पूंजी निवेश में भी विश्वास रखती हैं.

इस संबंध में श्री बालाजी ऐक्शन अस्पताल की वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. शिल्पी आष्टा का कहना है, ‘‘आज भी महिलाओं की सोच कुछ मामलों में पुरुषों से बिलकुल विपरीत है. पुरुष भविष्य से ज्यादा खुशहाल वर्तमान पर विश्वास रखते हैं, जबकि महिलाएं हर काम भविष्य को ध्यान में रख कर करती हैं और पुरुषों से भी यही अपेक्षा करती हैं कि वे भी इस बात को समझें.

‘‘महिलाएं जोखिम भरे काम से बचना चाहती हैं, खासतौर पर पूंजी को ले कर. इसीलिए वे पूंजी को सोने या चांदी जैसी चीजों पर निवेश करना ज्यादा उचित समझती हैं, जबकि पुरुष ज्यादा मुनाफे के लिए शेयर मार्केट या म्यूचुअल फंड जैसे प्लान में पैसे इनवैस्ट करना ज्यादा उचित समझते हैं, जोकि जोखिम भरा होता है. इसीलिए महिलाएं पुरुषों से चाहती हैं कि वे प्रौपर्टी, सोना या चांदी में पूंजी निवेश करें अथवा बैंक में पैसा जमा कर के लाभ उठाएं.’’

1. पुरुष भी अपनाएं बजट प्लान

महिलाओं को होम फाइनैंस मिनिस्टर भी कहा जाता है और यह सच भी है, क्योंकि भले ही एक पुरुष पैसा कमा कर अपनी मां या पत्नी को देता हो, लेकिन उसे संभालने का गुण महिलाओं के ही हाथ में है. इसलिए महिलाएं चाहे कामकाजी महिलाएं हों या फिर गृहिणियां, वे अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत बनाए रखने के लिए बजट के अनुसार चलना पसंद करती हैं, ताकि भविष्य में उन की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाए नहीं. इसीलिए महिलाएं पुरुषों से भी यही चाहती हैं कि वे भी बजट के अनुरूप चलें.

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2. बच्चों की ऐजुकेशन प्लानिंग हो

शिक्षा इतनी महंगी हो चुकी है कि हर मातापिता के लिए उसे अफोर्ड कर पाना आसान नहीं है. पुरुषों से ज्यादा यह डर महिलाओं को सताता है कि कहीं वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने से पीछे न रह जाएं. आजकल बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए यह जरूरी हो गया है कि पहले से योजना बना कर चला जाए.

3. शादी की प्लानिंग

बढ़ती महंगाई में बच्चों की शादी भी महिलाओं के लिए चिंता का विषय है, खासतौर पर बेटियों की. यह चिंता कामकाजी महिलाओं से ले कर गृहिणियों तक की होती है. इस बारे में इंटरनैशनल मार्केटिंग मैनेजर के पद पर कार्य कर रही रविता बालियान का मानना है, ‘‘भले ही आज महिलाएं पुरुषों के कदम से कदम मिला कर चल रही हों, फिर भी अपनी जिम्मेदारियों को ले कर आज भी उन की वही भूमिका है, जो पहले हुआ करती थी. लेकिन बच्चों के जन्म के साथ उन की शादी की चिंता केवल मां को ही नहीं, बल्कि पिता को भी होनी चाहिए. बच्चों की शादी को ले कर कई ऐसे इंश्योरैंस प्लान भी मौजूद हैं, जिन्हें करा लिया जाए, तो उन की शादी के समय काफी आसानी होगी.’’

4. प्राथमिकताओं को महत्त्व दें

29 वर्षीय जयश्री रस्तोगी हाउसवाइफ हैं. पिछले 5 सालों से पूरे परिवार के साथ किराए के मकान में रह रही हैं. हर महिला की तरह उन का भी यह सपना है कि खुद का मकान हो, लेकिन उन के पति की इच्छा है कि पहले उन्हें कार लेनी चाहिए. जयश्री का मानना है कि अगर वे ईएमआई पर अभी घर ले लेंगे, तो भविष्य में किराए के पैसे बच जाएंगे, जिन्हें वे अपने बच्चों की पढ़ाईलिखाई पर खर्च कर सकते हैं. इस तरह की विपरीत सोच कई बार उन के बीच बहस का मुद्दा भी बन चुकी है.

महिलाएं यह बात भलीभांति समझती हैं कि भविष्य में बढ़ने वाली जिम्मेदारियों के साथ घर खरीदना मुश्किल होता जाता है. इसलिए वे पुरुषों से भी यही अपेक्षा रखती हैं कि वे भी इस बात को समझें.

5. निवेश में महिलाओं की भी राय लें

डा. शिल्पी का कहना है, ‘‘महिलाएं खुद के भविष्य के बारे में भी सोचने लगी हैं. इसीलिए वे चाहती हैं कि पुरुष जहां भी पैसे निवेश कर रहे हों, उस के बारे में उन्हें भी पता होना चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी तरह की जरूरत पड़ने या पति के न रहने पर वे उन चीजों को संभाल सकें, अपने बच्चों का भविष्य खराब होने से बचा सकें.’’

6. होम मैंटेनैंस

जब बात होम मैंटेनैंस की आती है, तो महिलाएं इस में पैसे खर्च करने से पीछे नहीं हटती हैं, लेकिन पुरुषों को उन की यह आदत उन का शौक लगता है. लेकिन यह उन के शौक से ज्यादा जरूरत होती है, क्योंकि हर महिला चाहती है कि भले हाईफाई नहीं, फिर भी उन के परिवार का कुछ तो लाइफस्टाइल मैंटेन हो. इस सब का बच्चों के जीवन पर भी प्रभाव पड़ता है.

7. घर खर्च पुरुष ही उठाएं

महिलाएं अपना पैसा भविष्य के लिए जमा कर के रखती हैं ताकि भविष्य में आने वाली जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकें. लेकिन कई बार महिलाओं के इस व्यवहार को पुरुष उन का लालच समझने लगते हैं. कई पुरुषों का तो यह भी कहना होता है कि जब पैसा दोनों ही कमा रहे हैं, तो फिर घर खर्च कोई एक ही क्यों उठाए? पुरुषों की इस तरह की सोच दांपत्य जीवन के लिए गलत भी साबित हो सकती है.

8. पर्सनल हैल्थ पौलिसी भी है जरूरी

25 वर्षीय एकता त्रिवेदी जोकि स्नैपडिल कंपनी, दिल्ली में एचआर के पद पर कार्य कर रही हैं, का कहना है, ‘‘जब से ईएसआई या नौकरी के दौरान मिलने वाली मैडिकल पौलिसियां आई हैं, तब से पुरुषों का पर्सनल हैल्थ पौलिसी की तरफ रुझान बहुत कम हो गया है. भले ही इन पौलिसियों में पूरे परिवार के लिए सुविधा हो, लेकिन वे इस बात को भूल जाते हैं कि ये पौलिसियां केवल तब तक हैं, जब तक कि आप की नौकरी है. इसलिए पुरुषों को अपने परिवार के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पर्सनल हैल्थ पौलिसी में भी पैसा निवेश करना चाहिए ताकि बुढ़ापा सुखदायी हो.’’

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9. जरूरी नहीं हैं महंगी चीजें

आंचल गुप्ता, जो ल्यूपिन में मार्केटिंग ऐग्जीक्यूटिव के पद पर काम कर रही हैं, उन का कहना है, ‘‘मेरे पति को घूमने का बहुत ही ज्यादा शौक है. इसीलिए वे पूरे परिवार के साथ हर साल लंबे ट्रिप पर जाते हैं, जिस में अच्छाखासा पैसा खर्च हो जाता है. कम पैसों में हम अपने शहर या उस के आसपास की जगहों पर भी जा कर घूमने का मजा ले सकते हैं. इस से मौजमस्ती के साथसाथ पैसे भी बच जाएंगे. लेकिन मेरे पति को मेरी यह बात कंजूसी लगती है. जबकि पुरुषों को इस बात को समझना चाहिए, क्योंकि महिलाएं बचत खुद के लिए नहीं, बल्कि अपने परिवार के लिए करती हैं.’’

मेरे फेस पर मोल है और मेरी स्किन ड्राय है?

सवाल-

मेरे फेस पर मोल है और मेरी स्किन ड्राई है. मैं क्या करूं जिस से मेरा फेस ग्लोइंग हो जाए और दागधब्बों से छुटकारा मिल जाए?

जवाब-

चेहरे के दागधब्बे वाले हिस्से पर नीबू का रस लगाएं. उसे 30 मिनट तक रहने दें उस के बाद साफ पानी से चेहरे को धो लें. नीबू का रस चेहरे के दागधब्बों को हटाने में मदद करता है. 2 महीने तक इस प्रक्रिया को अपनाने के बाद आप को फर्क नजर आने लगेगा.

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ड्राय स्किन को ठीक करने के लिए महिलाएं तरहतरह के फेस मास्क का भी इस्तेमाल करती हैं, पर उन का असर भी कुछ दिनों तक ही रहता है. लेकिन कुछ ऐसे नैचुरल फेस मास्क है, जिन्हें आप आसानी से घर पर बना सकती हैं. इन्हें लगाने से स्किन में लंबे समय तक नमी रहती है:

ऐलोवेरा फेस मास्क

ऐलोवेरा में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो शरीर और स्किन दोनों के लिए फायदेमंद होते हैं. इस में पाए जाने वाले ऐंटीऔक्सीडैंट से चेहरे की कई समस्याएं दूर हो जाती हैं. ऐलोवेरा के इस्तेमाल से चेहरे में नमी तो आती ही है, जरूरी पोषण भी मिलता है.

ऐलोवेरा का फेस मास्क बनाने के लिए ऐलोवेरा जैल निकाल लें. इस में खीरे का जूस मिला लें. इस मास्क को फेस वाश के बाद चेहरे पर लगाएं और फिर कुछ देर लगा रहने के बाद चेहरे को धो लें. इस से चेहरे का रूखापन तो दूर होगा ही, साथ ही चेहरे पर ग्लो भी नजर आने लगेगा.

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ऐवोकाडो फेस मास्क

फलों का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है. इन के सेवन से सेहत तो अच्छी रहती ही है, चेहरे पर भी चमक बनी रहती है. ऐवोकाडो पोशक तत्त्वों से युक्त होता है, जो स्किन को स्वस्थ बनाता है. यह ड्राई और डैमेज स्किन को हटा कर स्किन को कोमल बनाता है. ऐवोकाडो फेस मास्क बनाने के लिए 2 चम्मच मैश किए ऐवोकाडो में 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच गुलाबजल डाल कर अच्छी तरह मिला लें. फिर चेहरे को क्लीन करने के बाद इसे चेहरे पर लगाएं. 10 मिनट लगा रहने के बाद कुनकुने पानी से चेहरे को धो लें.

पूरी खबर पढ़ने के लिए ड्राय स्किन के लिए 5 फेस मास्क

पिघलते पल: क्या फिर बस पाई मानव और मिताली की गृहस्थी?

Serial Story: पिघलते पल (भाग-3)

अभि के साथ मिताली को देख कर मानव चौंक गया. आंखें चार हुईं. आज मिताली के चेहरे पर हमेशा की तरह कठोरता नहीं थी. बहुत समय बाद देख रहा था मिताली को… जिंदगी के संघर्ष ने उस के रूपलावण्य को कुछ धूमिल कर दिया था. किसी का प्यार, किसी की सुरक्षा जो नहीं थी उस की जिंदगी में… लेकिन उसे क्या… उस ने अपने विचारों को झटका दिया. तीनों चुपचाप खड़े थे. अभि बड़ी उम्मीद से दोनोें को देख रहा था कि दोनों कोई बात करेंगे. बहुत कुछ कहने को था दोनों के दिलों में पर शब्द साथ नहीं दे रहे थे.

‘‘चलें अभि,’’ आखिर उन के बीच पसरी चुप्पी को तोड़ते हुए मानव ने सिर्फ इतना ही कहा. फिर से मिताली से आंखें चार हुईं तो उसे लगा कि मिताली की आंखों में आज कुछ नमी है. मानव को भी अपने अंदर कुछ पिघलता हुआ सा लगा. बिना कुछ कहे वह मुड़ने को हुआ.

तभी मिताली बोल पड़ी, ‘‘मानव.’’

इतने समय बाद मिताली के मुंह से अपना नाम सुन कर मानव ठिठक गया.

‘‘कल अभि के स्कूल में पेरैंट्सटीचर मीटिंग है. क्या तुम थोड़ा समय निकाल कर आ सकते हो… अभि को अच्छा लगेगा.’’

मानव का दिल किया, हां बोले, पर प्रत्युत्तर में बोला, ‘‘मुझे टाइम नहीं है… कल टूअर पर निकलना है,’’ कह कर बिना उस की तरफ देखे ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और अभि के लिए दरवाजा खोल दिया. निराश सा अभि भी आ कर कार में बैठ गया.

मिताली अपनी जगह खड़ी रह गई. उस का दिल किया कि वह मानव को आवाज दे, कुछ बोले पर तब तक मानव कार स्टार्ट कर चुका था. मानव और अपने बीच जमी बर्फ को पिघलाने की मिताली की छोटी सी कोशिश बेकार सिद्ध हुई. वह ठगी सी खड़ी रह गई. मानव के इसी रुख के डर ने उसे हमेशा कोशिश करने से रोका. थके कदमों से वह घर की तरफ चल दी.

शाम को अभि घर आया तो मिताली ने हमेशा के विपरीत उस से कुछ नहीं पूछा. अभि भी गुमसुम था. आज उस का व मानव का अधिकांश समय अपनेआप में खोए हुए ही बीता था. अभि ने एक बार भी मानव से पेरैंट्सटीचर मीटिंग में आने की जिद्द नहीं की.

अभि को छोड़ कर मानव जब घर पहुंचा तो मिताली व मिताली की बात दिलदिमाग में छाई थी और साथ ही अभि की बेरुखी भी चुभी हुई थी. अभि ने एक बार भी उसे आने के लिए नहीं कहा. शायद उसे उस से ऐसे उत्तर की उम्मीद नहीं थी. सोचतेसोचते अनमना सा मानव कपड़े बदल कर बिना खाना खाए ही सो गया.

दूसरे दिन मिताली अभि के साथ स्कूल पहुंची. वे दोनों अभि की क्लास के बाहर पहुंचे तो सुखद आश्चर्य से भर गए. मानव खड़ा उन का इंतजार कर रहा था. उसे देख कर अभि मारे खुशी के उछल पड़ा.

‘‘पापा,’’ कह कर वह दौड़ कर मानव से लिपट गया. उस की उस पल की खुशी देख कर दोनों की आंखें नम हो गईं. मिताली पास आ गई. उस के होंठों पर मुसकान खिली थी.

‘‘थैंक्स मानव… अभि को इतनी खुशी देने के लिए.’’

जवाब में मानव के चेहरे पर फीकी सी मुसकराहट आ गई.

पेरैंट्सटीचर मीटिंग निबटा कर दोनों बाहर आए तो उत्साहित सा अभि मानव से अपने दोस्तों को मिलाने लगा. उस की खुशी देख कर मानव को अपने निर्णय पर संतुष्टि हुई. उसे उस के दोस्तों के बीच छोड़ कर मानव उसे बाहर इंतजार करने की बात कह कर बाहर निकल आया. पीछेपीछे खिंची हुई सी मिताली भी आ गई.

दोनों कार के पास आ कर खड़े हो गए. दोनों ही कुछ बोलना चाह रहे थे पर बातचीत का सूत्र नहीं थाम पा रहे थे. इसलिए दोनों ही चुप थे.

‘‘अभि बहुत खुश है आज,’’ मिताली किसी तरह बातचीत का सूत्र थामते हुए बोली.

‘‘हां, बच्चा है… छोटीछोटी खुशियां हैं उस की,’’ और दोनों फिर चुप हो गए.

‘‘ठीक है… मैं चलता हूं. अभि से कह देना मुझे देर हो रही थी… रविवार को आऊंगा,’’ थोड़ी देर की चुप्पी के बाद मानव बोला और फिर पलटने को हुआ.

‘‘मानव,’’ मिताली के ठंडे स्वर में पश्चात्ताप की झलक थी, ‘‘एक बात पूछूं?’’

मानव ठिठक कर खड़ा हो गया. बोला, ‘‘हां पूछो,’’ और फिर उस ने मिताली के चेहरे पर नजरें गड़ा दीं, जहां कई भाव आ जा रहे थे.

मिताली चुपचाप थोड़ी देर खड़ी रही जैसे मन ही मन तोल रही हो कि कहे या न कहे.

‘‘पूछो, क्या पूछना चाहती हो.’’

मानव का अपेक्षाकृत कोमल स्वर सुन कर मिताली का दिल किया कि जिन आंसुओं को उस ने अभी तक पलकों की परिधि में बांध रखा है, उन्हें बह जाने दे. पर प्रत्यक्ष में बोली, ‘‘सच कहो, क्या कभी इन 2 सालों में मेरी कमी नहीं खली तुम्हें… क्या मेरे बिना जीवन से खुश हो?’’ मिताली का स्वर थका हुआ था. लग रहा था कि ये सब कहने के लिए उसे अपनेआप से काफी संघर्ष करना पड़ा होगा, लेकिन कह दिया तो लग रहा था कि कितना आसान था कहना. कह कर वह मानव के चेहरे पर नजर डाल कर उस के चेहरे पर आतेजाते भावों को पढ़ने का असफल प्रयास करने लगी.

‘‘क्या तुम्हें मेरी कमी खली? क्या तुम खुश हो मेरे बिना जिंदगी से?’’ पल भर की चुप्पी के बाद मानव बोला.

मिताली को समझ नहीं आया कि तुरंत क्या जवाब दे मानव की बातों का, इसलिए चुप खड़ी रही.

‘‘छोड़ो मिताली,’’ उसे चुप देख कर मानव बोला, ‘‘अब इन बातों का क्या फायदा… इन बातों के लिए अब बहुत देर हो चुकी है.’’

‘‘जब देर नहीं हुई थी तब भी तो तुम ने एक बार भी नहीं बुलाया,’’ सप्रयास मिताली बोली. उस का स्वर भीगा था.

‘‘मैं ने बुलाया नहीं तो मैं ने घर छोड़ने के लिए भी नहीं कहा था. घर तुम ने छोड़ा. तुम्हें इसी में अपनी खुशी दिखी. जैसे अपनी मरजी से घर छोड़ा था वैसे ही अपनी मरजी से लौट भी सकती थीं,’’ मिताली के स्वर का भीगापन मानव के स्वर को भी भिगो गया था.

‘‘एक बार तो बुलाया होता मैं लौट आती,’’ मिताली का स्वर अभी भी नम था.

‘‘तुम तब नहीं लौटती मिताली. ऐसा ही होता तो तुम घर छोड़ती ही क्यों. घर छोड़ते समय एक बार भी अपने बारे में न सोच कर अभि के बारे में सोचा होता तो तुम्हारे कदम कभी न बढ़ पाते. तुम्हारी जिद्द या फिर मेरी जिद्द हम दोनों की जिद्द में मासूम अभि पिस रहा है. उस का बचपन छिन रहा है. उस का व्यक्तित्व खंडित हो रहा है. क्या दे रहे हैं हम उसे… न खुद खुश रह पाए न औलाद को खुशी दे पाए,’’ कह कर अपने नम हो आए स्वर को संयत कर मानव कार की तरफ मुड़ गया.

कार का दरवाजा खोलते हुए मानव ने पलट कर पल भर के लिए मिताली की तरफ देखा. क्या था उन निगाहों में कि मिताली का दिल किया कि सारा मानअभिमान भुला कर दौड़ कर जा कर मानव से लिपट जाए. इसी पल उस के साथ चली जाए.

एकाएक मानव वापस उस के करीब आया. लगा वह कुछ कहना चाहता है पर वह कह नहीं पा रहा है.

‘‘हां,’’ उस ने अधीरता से मानव की तरफ देखा.

‘‘नहीं कुछ नहीं,’’ कह कर मानव जिस तेजी से आया था उसी तेजी से वापस मुड़ कर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया. कार स्टार्ट की और चला गया. वह खोई हुई खड़ी रह गई कि काश मानव कह देता जो कहना चाहता था पर उस का आत्मसम्मान आड़े आ गया था शायद.

अभि के साथ घर पहुंची. अभि उस दिन बहुत खुश था. वह ढेर सारी बातें बता रहा था. खुशी उस के हर हावभाव, बातों व हरकतों से छलक रही थी. ‘कितना कुछ छीन रहे हैं हम अभि से,’ वह सोचने लगी.

कुछ पल ऐसे आ जाते हैं पतिपत्नी के जीवन में जो पिघल कर पाषाण की तरह कठोर हो कर जीवन की दिशा व दशा दोनों बदल देते हैं और कुछ ही पल ऐसे आते हैं जो मोम की तरह पिघल कर जीवन को अंधेरे से खींच कर मंजिल तक पहुंचा देते हैं. उस के और मानव के जीवन में भी वही पल दस्तक दे रहे थे और वह इन पलों को अब कठोर नहीं होने देगी.

दूसरे दिन मानव औफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था कि दरवाजे की घंटी बज उठी. ‘कौन हो सकता है इतनी सुबह’, सोचते हुए उस ने दरवाजा खोला तो सामने मिताली और अभि को मुसकराते हुए पाया. वह हैरान सा उन्हें देखता रह गया.

‘‘तुम दोनों?’’ उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था.

‘‘अंदर आने के लिए नहीं कहोगे मानव?’’ मिताली संजीदगी से बोली.

‘‘तुम अपने घर आई हो मिताली… मैं भला रास्ता रोकने वाला कौन होता हूं,’’ कह मानव एक तरफ हट गया.

मिताली और अभि अंदर आ गए. मानव ने दरवाजा बंद कर दिया. उस ने खुद से मन ही मन कुछ वादे किए. अब वह अपनी खुशियों को इस दरवाजे से कभी बाहर नहीं जाने देगा.

 

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