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Hindi Short Story : गलत मैसेज

राइटर- किरण सत्यप्रकाश

Hindi Short Story  : रचना कंप्यूटर पर काम कर रही थी. कीपंचिंग करते हुए यदि रचना को कोई देखता तो कह नहीं सकता था कि उस के मन में विचारों का तूफान चल रहा है. हां, आंखों से ?ालकती गहरी उदासी जरूर देखने वाले को कुछ आभास दे सकती थी. उस के साथ काम करने वाली लक्ष्मी, जिसे वह प्यार से लाखी कहती थी, कुछकुछ समझने लगी थी.

2 घंटे तक बिना हिलेडुले कंप्यूटर पर काम करने के बाद रचना कुरसी पर अनमनी सी बैठी थी. सिर को पीछे कुरसी पर टिका कर आंखें मूंदे वह अपने मन को स्थिर करने की चेष्टा कर रही थी. तभी लंच टाइम पर लाखी ने आ कर उस के विचारक्रम को तोड़ डाला, ‘‘ओए रचना, मेथी का साग लाई हूं, दाल और दूसरी सब्जी भी है,’’ नैपकिन से हाथों को पोंछती लाखी रचना के पलपल मुरझाते मुख को देख कर घबरा उठी जो उसे लंच के लिए बुलाने आई थी.

रचना ने सूखे होंठों पर धीरे से जीभ फेरी और कुछ क्षण लाखी की ओर देखती रही. फिर जैसे जोर लगा कर बोली, ‘‘मेरी जान लाखी, जो भी तुम्हारा मन हो वही खा लो. मैं अभी मूड में नहीं हूं.’’

लाखी ने प्यार भरे अपनत्व से पूछा, ‘‘क्या बात है, कुछ खुलासा करो, शायद मैं कुछ हैल्प कर सकूं.’’

रचना ने जबरन मुसकराते हुए कहा, ‘‘अरे लाखी, तुम हमेशा कुछ और ही सोचती हो.

कुछ भी तो नहीं है. बस, ऐसे ही कुछ चक्कर सा आ गया.’’

लाखी कुछ और समझ कर मन ही मन खुशी से भर उठी. मीठे उलाहने के से स्वर में बोली, ‘‘अरे तो इस में शर्म की क्या बात है, जाओ छुट्टी ले कर जाओ और आराम करो, मैं अभी अपौइंटमैंट फिक्स करती हूं किसी गाइनी से.’’

लाखी जाने को मुड़ी, तभी रचना भीगे से स्वर में बोली, ‘‘लाखी, जो तुम समझ बैठी हो वह बात नहीं है,’’ कह कर वह अपनी दबी रुलाई को और न रोक सकी.

लाखी ने आगे बढ़ कर उस के सिर को सहलाया और रुंधे कंठ से बोली, ‘‘रिच, जी

न दुखाओ, जा कर थोड़ी देर बैठी रहो, मैं गरम चाय लाती हूं. क्यों इन डौक्यूमैंट्स के पीछे पड़ी हो. अपने रमेश से कह देतीं, नाहक जी हलकान किया.’’

रचना धीरे से उठी और बाथरूम की ओर बढ़ी ही थी कि उस के फोन की घंटी बज उठी. वह फिर ठिठक गई और बरामदे के एक कोने में रखी मेज की ओर बढ़ी. लाखी ने तब तक स्वयं फोन उठा लिया.

‘‘हैलो, मैं लाखी हूं. अनिल भैया, हांहां, ठीक है, आज थोड़ा जल्दी घर आने की कोशिश करना, हमारी रिच की तबीयत अचानक खराब हो गई है… नहीं, घबराने की कोई बात नहीं. कमजोरी से चक्कर आ गया. हां, हम वही कर रहे हैं… अच्छा अनिल भैया.’’

लाखी ने फोन रख कर खंभे से टिकी रचना से कहा, ‘‘आज अनिल देर से घर आएंगे. कोई मीटिंग है.’’

कोई खास बात नहीं थी. इधर 1-2 साल से लगभग रोज यही क्रम हो गया था. हफ्ते में 2 बार तो अवश्य ही अनिल रात का डिनर साथ नहीं करता था. दफ्तर में तरक्की के साथसाथ जिम्मेदारी भी तो बढ़ती ही है. रचना का काम थोड़ा हलका था. वह 5.30 बजे निकल कर 7 बजे तक घर पहुंच जाती थी.

लाखी ने इसे विशेष न समझ हो, लेकिन रचना पर इस की विपरीत प्रतिक्रिया हुई. वह तेजी से दौड़ कर वाशरूम में घुस गई. अंदर से उठती रुलाई के वेग को संभालने में उस के मस्तिष्क की शिराएं फटने को हो गईं पर वह आंसुओं को पी गई. बाहर दूसरी लड़कियां न सुन लें, यह डर तो था.

मन में विद्रोह ने कब जगह बना ली… जान से भी प्यारा अनिल कब उसे खलनायक सा लगने लगा, अनिल के अलग जाति के होने के कारण उस ने सब घर वालों को नाराज कर शादी की थी. अनिल का 1-1 प्रेम प्रसंग अब उसे ढोंग सा लगने लगा.

क्या मैं ने तुम्हें नहीं समझा. संपूर्ण संसार से अलग मैं सिर्फ तुम्हारे और अपने संसार में खो गई. क्यों… क्यों… एक लंबी सांस खींच कर रचना संभल गई. बाथरूम का दरवाजा खटखटाती लाखी के हाथों की हलकी आवाज उस ने सुन ली थी.

लाखी ने चाय का कप मेज पर रखा और पूछा, ‘‘रिच, कोई दवाई दूं? मेरे पर्स में हर समय कुछ न कुछ होता है.’’

रचना ने कहा, ‘‘नहीं, लाखी तुम अपना काम करो, मैं खाली चाय ही लूंगी.’’

लाखी चली गई. आज ही तो लाखी को मौका मिला था. रोज तो रचना ही उसे वह

बनाने को कहती जो उस को पसंद हो, रचना की विशेष पसंद की मीठी चीजें वह बना कर लाती थी. वह हमेशा रचना की ही पसंद की चीजें खाती थी. कभीकभी लाखी उस के इस व्यवहार से चिढ़ भी उठती थी. रचना कितनी ही बार लाखी से वे चीजें मंगवाती थी जो अनिल को पसंद हैं पर रचना को नहीं. लाखी की मां टिफिन सर्विस चलाती थी और उस के यहां रोज ढेरों चीजें बनती थीं.

लाखी इसी बात पर गुस्सा हो जाती, ‘‘ऐसा भी क्या प्रेम. विवाह हो गया तो क्या अब अपनी पसंद का खा भी नहीं सकती. जब देखो तब चौकलेट क्रौस, जब देखो तब पैन केक. मुझे क्या. शादी से पहले क्या मजे में कचौडि़यां और… लाखी व रचना साथ खाते थे. अब वह उस से अनिल की पसंद की चीजें मंगवाती थी जिन्हें रात को डिनर पर अनिल खा लेते.

मगर कभीकभी जब रचना अनिल से रूठी होती तो यही कहती, ‘‘जो मन हो सो ले आओ. लाखी के लिए इतना ही बहुत होता.

वह तली हुई दही की अरबी, आलू, मूली का लच्छा और कचालू का वड़ा लाती, दाल में खूब सारी हरी धनिया डलवाती. घी में तली देशी चीजों से रचना के प्रेम को वह जितना ही अच्छा समझती, अनिल का घी से चिढ़ना उसे उतना ही बुरा लगता. लाखी और रचना बचपन की दोस्त हैं और दोनों एकदूसरे पर जान छिड़कती थीं. रचना के पिता व लाखी के पिता की असमय मृत्यु पर लाखी की मां ने खूब सहारा दिया था.

हां, एक बात अवश्य थी. लाखी जिस दिन रचना की पसंद की चीजें भेजती, अनिल सम?ा जाता कि आज रचना उस से नाराज है. उस दिन यह जानबूझ कर फोन कर के चटखारे लेता कहता, ‘‘लाखी, बड़े दिन बाद तुम ने रचना की पसंद का खाना भेजा है. सच पूछो तो कभीकभी मुझे भी स्वाद बदलना अच्छा लगता है. यह क्या रोज मोमो या थाई कढ़ी.’’

वह कनखियों से रचना को देखता और मन ही मन मुसकराता. इधर लाखी रचना की प्रशंसा की भूखी होती. वह स्पीकर फोन पर उसे बारबार उकसाती, ‘‘रिच, अरबी खस्ता है कि नहीं. दम आलू में नमक ठीक पड़ा या नहीं.’’

रचना संकेत समझ कर कहती, ‘‘अरे लासी, तुम्हारे हाथ से कभी मसाला गलत पड़ा है. जानती नहीं, मेरी मौम भी तुम्हारी मौम से पूछ कर अचार में मसाला डालती थी,’’ रचना ने उस दिन न तो आफिस में 4 बार चाय मंगवाई और न लंच टाइम में बाहर निकली.

रमेश महरी ने पूरे डैस्क का काम कर डाला. पर रचना ने अब तक एक बार भी उसे थैंक्यू नहीं बोला और दिन होता तो रचना काम करती, उस से बातें करती रहती. उस से पूछती, उस की बीवी ने कोई और नया कांड तो खड़ा नहीं किया या रात को उसे दूसरे कमरे में तो नहीं भेज दिया, उसे मारा तो नहीं.

रमेश ने सोचा, शायद रचना की तबीयत खराब है.

रचना ने आसपास छाए सूनेपन से अनुमान लगाया कि रमेश अपनी सीट पर चला गया है. बाथरूम में मुंह धोने चल दी. मुंह धो कर दिमाग में कुछ शांति महसूस की, पर हाथपैर बिलकुल निष्प्राण से थे. जैसेतैसे बालों से ब्रश कर के वह एक काउंटर पर टेक लगा कर खड़ी हो गई. पर रोज का औफिस उस दिन बेरंग सा लग रहा था. कंप्यूटरों की खटखट की आवाजें उसे सुनाई ही नहीं दे रही थीं, यहां तक कि उस ने आती हुई लाखी को भी नहीं देखा. जब लाखी ने उसे हिलाया खटपट से उसे पता लगा कि लाखी आ गई है और मेज पर टिफिन खोल रही है. वह बैठ गई और बोली, ‘‘लाखी, आज मुझे भूख नहीं, तुम खा कर टिफिन पैक कर दो. लगता है आज पेट कुछ गड़बड़ है.’’

लाखी के चलते हाथ रुक गए, ‘‘क्या कहती हो, रिचा, भूख नहीं. अरे, सवेरे से तो हम ने कुक को काम पर लगाया और अब तुम कहती हो भूख नहीं. चलो, थोड़ा खा लो, नहीं तो मैं भी कुछ नहीं खाएंगे.’’

अकसर लाखी के न खाने की धमकी काम कर जाती थी. कारण. रचना लाखी को नाराज कर ही नहीं सकती थी. पर उस दिन उस पर इस का भी असर नहीं हुआ. वह वापस मेज पर सिर रख कर आंख मूंद कर सोने की ऐक्टिंग कर रही थी. लाखी के बहुत कहने पर भी जब उस ने खाना नहीं खाया तो लाखी

सोचने लगी, न जाने रिचा को क्या हो गया है. मियांबीवी में लड़ाई तो हुई नहीं लगती पर क्या पता हुई ही हो.

सोचतेसोचते लाखी अपने काम में मशगूल हो गई. उस का बहुत सा काम पैंडिंग पड़ा था. मगर रचना से तो नींद का जैसे वैर हो गया था. लगातार कंप्यूटर पर काम करती जा रही थी, बिना इधरउधर देखे, मानो उस में डूब जाना चाहती हो.

रचना अनिल के पिछले कई दिनों के व्यवहार का विश्लेषण कर चुकी थी उस की व्यस्तता का जो कारण उस को पता चला था उस ने उसे हिला कर रख दिया. वह किसी से कुछ नहीं कह पा रही थी. थकान के कारण वह बिस्तर पर लेट गई और सोने का प्रयत्न करने लगी कि तभी अनिल का हौर्न सुनाई पड़ा.

वह हड़बड़ा कर उठ बैठी और घर का मुख्यद्वार खोला. अनिल ने आते ही पूछा, ‘‘काकी, कैसी है तुम्हारी तबीयत.’’

रचना कुछ बोली नहीं, अनिल घबराया हुआ अंदर पहुंचा तो रचना पलंग पर लेट चुकी थी.

अनिल ने आ कर उस के सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा, ‘‘रचना, कैसी हो? क्या हो गया था?’’

रचना के मौन से अनिल कुछ समझ नहीं. उस ने बाहर किचन की ओर देखा, मगर लाखी ने शायद आज कुछ ज्यादा भेजा था. उस ने डब्बे रखे थे. उस ने रचना का चेहरा ऊपर उठाया, ‘‘रचना, कुछ तो बोलो.’’

उस की आवाज में छलकते प्रेम ने रचना की भावनाओं का बांध तोड़ दिया. उस ने जोर से आती रुलाई दबाते हुए एक प्रिंट आउट उस की ओर बढ़ा दिया और रोेने लगी. आश्चर्यचकित अनिल ने उसे खोला और पढ़ने लगा. उस प्रिंट में लिखा था. यह स्क्रीन शौर्ट का प्रिंट था, अनिल के फोन के व्हाट्सऐप मैसेज का. प्रिय, तुम पिछले शनिवार को नेहरू गार्डन में नहीं आए. क्या बहुत व्यस्त हो या फिर मेरी बात का बुरा मान गए. यदि तुम आ सको तो कल दोपहर लंच के बाद छुट्टी ले कर नेहरू गार्डन आ जाना, वहीं से कहीं चलेंगे… जरूर.

पढ़ने तक उस की हंसी न रुक सकी. हंसते हुए ही उस ने रचना को पलंग से उठा लिया और झलाते हुए कहा, ‘‘एक तो मेरा फोन चैक किया और मैसेज दिया फिर प्रिंट लिया. अरे वाह, तुम भी खूब जासूस हो पर, देवीजी, यह मैसेज मेरे लिए नहीं, मेरे अपने अमन चौधरी के लिए है, जो कल अनुपस्थित था. वह दफ्तर के काम से परसों ही दिल्ली जा चुका था. उस की गर्लफ्रैंड के मैसेज मेरे पास आते हैं क्योंकि अमन की एक दूसरी गर्लफ्रैंड भी है जो बहुत पजैसिव है और रोज उस का फोन चैक करती है. मैं पढ़ कर डिलीट कर देता हूं, यह रह गया.

रचना की हालत अजीब हो गई. न रोते बना, न हंसते. वह अविश्वास से उस की ओर देखने लगी.

अनिल ने उसे झाड़ते हुए कहा, ‘‘अरे, तुम्हें विश्वास नहीं आया हो तो उठाओ फोन और पूछो दफ्तर में कि अमन से पूछ लो.’’

रचना ने आगे बढ़ कर फोन उठाया और अमन का नंबर मिला कर पूछा, ‘‘अमन साफसाफ बताओ अनिल के फोन पर मैसेज तुम्हारे लिए आते हैं. क्या वह अभी दफ्तर में ही है?’’ यह पूछते हुए उस के होंठ कांप रहे थे.

उधर से आवाज आई, ‘‘रचना तुम तो जानती हो आजकल मैं 2 लड़कियों से डेटिंग कर रहा हूं. पर जैनी बहुत पजैसिव है वह रोज किसी न किसी बहाने फोन चैक करती है इसलिए रमा के मैसेज और कौल मैं अनिल के फोन पर करता हूं. आप को बूआ पर विश्वास है न. अमन पर विश्वास न करना संभव ही नहीं था, उस ने ही रचना के भाइयों और पिता से अनिल व रचना की शादी में लड़ाई में अपनी जान तक जोखिम में डाल दी थी. वह अनिल का बचपन का दोस्त था.’’

रचना को लगा कि धरती फट जाए और वह उस में समा जाए. वह दौड़ कर अनिल के सीने में समा गई. अनिल ने उसे बांहों में भर कर एक हाथ से उस की पीठ सहलाते हुए कहा, ‘‘रचना, आज एक फायदा तो जरूर हुआ. मुझे पता चल गया कि तुम मुझे कितना प्यार करती हो. जरा, आईना तो देखो. क्या शक्ल बना रखी है तुम ने.’’

वह शरमा गई. अनिल ने ठहाका लगाते हुए कहा, ‘‘चलो अब खाना खा लो. बेचारी लाखी ने सब तुम्हारी पसंद का ही भेजा है.’’

अनिल के वक्ष में अपना मुंह छिपाते हुए रचना ने कहा, ‘‘तुम बहुत खराब हो. यदि पहले यह मैसेज दिखा देते कि अमन का मैसेज है तो न मुझे भूखों मरना पड़ता, बेचारी लाखी को न. मेरी देखभाल करनी पड़ती.’’

तभी लाखी चाय और गाजर का हलवा सजाए वहां चली आई,’’ मुझे मालूम था कि रचना और अनिल कुछ झगड़ रहे हैं. मैं इसीलिए पहले से ही घर में मौजूद थी.

‘‘वाह री लाखी, तुम बड़ी चतुर हो. गाजर का हलवा लाई है न, जानती हो न कि यह तो हम दोनों को ही पसंद है.’’

लाखी जैसे खुशी से नाच उठी. उस ने तुरंत दोनों को बांहों में भर लिया.

Married Life : मैं अपनी वाइफ को संतुष्ट नहीं कर पाता हूं, क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

Married Life : मैं 45 वर्षीय पुरुष हूं, पत्नी की उम्र 35 वर्ष है. मेरे 2 बेटे हैं. घर देहरादून में है और मैं मिजोरम में नौकरी करता हूं. मेरी समस्या यह है कि पिछले दिनों जब मैं घर गया तो पत्नी के साथ सैक्स संबंध बनाते समय खुद में पहले जैसा जोश नहीं पाया. मुझे लगा मेरे साथ कोई शारीरिक परेशानी हो गई है. मैं डरने लगा हूं कि क्या मैं पहले की तरह सैक्सुअली ऐक्टिव हो पाऊंगा. मेरे स्पर्म काउंट को ले कर तो कोई समस्या नहीं है? क्या मुझे किसी डाक्टर से संपर्क करना चाहिए? सलाह दें.

जवाब

अभी आप की उम्र 45 वर्ष ही है, इसलिए अपने सैक्सुअली ऐक्टिव होने को ले कर मन में कोई डर या वहम न पालें. वैसे भी उम्र का सैक्स से कोई लेनादेना नहीं है. कई बार लोगों के मन में सैक्स को ले कर वहम हो जाता है कि अब पहले जैसा जोश नहीं रहा, पत्नी को खुश कर पाएंगे या नहीं. इन्हीं सब डर की वजह से वे सैक्स के प्रति मन चुराने लगते हैं. हो सकता है आप के साथ भी कुछ ऐसा ही हो, फिर भी आप अपनी तसल्ली के लिए किसी यूरोलौजिस्ट से मिल कर अपनी समस्या का समाधान कर लें.

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सैक्स: मजा न बन जाए सजा

पहले प्यार होता है और फिर सैक्स का रूप ले लेता है. फिर धीरेधीरे प्यार सैक्स आधारित हो जाता है, जिस का मजा प्रेमीप्रेमिका दोनों उठाते हैं, लेकिन इस मजे में हुई जरा सी चूक जीवनभर की सजा में तबदील हो सकती है जिस का खमियाजा ज्यादातर प्रेमी के बजाय प्रेमिका को भुगतना पड़ता है भले ही वह सामाजिक स्तर पर हो या शारीरिक परेशानियों के रूप में. यह प्यार का मजा सजा न बन जाए इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखें.

सैक्स से पहले हिदायतें

बिना कंडोम न उठाएं सैक्स का मजा

एकदूसरे के प्यार में दीवाने हो कर उसे संपूर्ण रूप से पाने की इच्छा सिर्फ युवकों में ही नहीं बल्कि युवतियों में भी होती है. अपनी इसी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए वे सैक्स तक करने को तैयार हो जाते हैं, लेकिन जोश में होश न खोएं. अगर आप अपने पार्टनर के साथ प्लान कर के सैक्स कर रहे हैं तो कंडोम का इस्तेमाल करना न भूलें. इस से आप सैक्स का बिना डर मजा उठा पाएंगे. यहां तक कि आप इस के इस्तेमाल से सैक्सुअल ट्रांसमिटिड डिसीजिज से भी बच पाएंगे.

अब नहीं चलेगा बहाना

अधिकांश युवकों की यह शिकायत होती है कि संबंध बनाने के दौरान कंडोम फट जाता है या फिर कई बार फिसलता भी है, जिस से वे चाह कर भी इस सेफ्टी टौय का इस्तेमाल नहीं कर पाते. वैसे तो यह निर्भर करता है कंडोम की क्वालिटी पर लेकिन इस के बावजूद कंडोम की ऐक्स्ट्रा सिक्योरिटी के लिए सैक्स टौय बनाने वाली स्वीडन की कंपनी लेलो ने हेक्स ब्रैंड नाम से एक कंडोम बनाया है जिस की खासीयत यह है कि सैक्स के दौरान पड़ने वाले दबाव का इस पर असर नहीं होता और अगर छेद हो भी तो उस की एक परत ही नष्ट होती है बाकी पर कोई असर नहीं पड़ता. जल्द ही कंपनी इसे मार्केट में उतारेगी.

ऐक्स्ट्रा केयर डबल मजा

आप के मन में विचार आ रहा होगा कि इस में डबल मजा कैसे उठाया जा सकता है तो आप को बता दें कि यहां डबल मजा का मतलब डबल प्रोटैक्शन से है, जिस में एक कदम आप का पार्टनर बढ़ाए वहीं दूसरा कदम आप यानी जहां आप का पार्टनर संभोग के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करे वहीं आप गर्भनिरोधक गोलियों का. इस से अगर कंडोम फट भी जाएगा तब भी गर्भनिरोधक गोलियां आप को प्रैग्नैंट होने के खतरे से बचाएंगी, जिस से आप सैक्स का सुखद आनंद उठा पाएंगी.

कई बार ऐसी सिचुऐशन भी आती है कि दोनों एकदूसरे पर कंट्रोल नहीं कर पाते और बिना कोई सावधानी बरते एकदूसरे को भोगना शुरू कर देते हैं लेकिन जब होश आता है तब उन के होश उड़ जाते हैं. अगर आप के साथ भी कभी ऐसा हो जाए तो आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों का सहारा लें लेकिन साथ ही डाक्टरी परामर्श भी लें, ताकि इस का आप की सेहत पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े.

पुलआउट मैथड

पुलआउट मैथड को विदड्रौल मैथड के नाम से भी जाना जाता है. इस प्रक्रिया में योनि के बाहर लिंग निकाल कर वीर्यपात किया जाता है, जिस से प्रैग्नैंसी का खतरा नहीं रहता. लेकिन इसे ट्राई करने के लिए आप के अंदर सैल्फ कंट्रोल और खुद पर विश्वास होना जरूरी है.

सैक्स के बजाय करें फोरप्ले

फोरप्ले में एकदूसरे के कामुक अंगों से छेड़छाड़ कर के उन्हें उत्तेजित किया जाता है. इस में एकदूसरे के अंगों को सहलाना, उन्हें प्यार करना, किसिंग आदि आते हैं. लेकिन इस में लिंग का योनि में प्रवेश नहीं कराया जाता. सिर्फ होता है तन से तन का स्पर्श, मदहोश करने वाली बातें जिन में आप को मजा भी मिल जाता है, ऐंजौय भी काफी देर तक करते हैं.

अवौइड करें ओरल सैक्स

ओरल सैक्स नाम से जितना आसान सा लगता है वहीं इस के परिणाम काफी भयंकर होते हैं, क्योंकि इस में यौन क्रिया के दौरान गुप्तांगों से निकलने वाले फ्लूयड के संपर्क में व्यक्ति ज्यादा आता है, जिस से दांतों को नुकसान पहुंचने के साथसाथ एचआईवी का भी खतरा रहता है.

यदि इन खतरों को जानने के बावजूद आप इसे ट्राई करते हैं तो युवक कंडोम और युवतियां डेम का इस्तेमाल करें जो छोटा व पतला स्क्वेयर शेप में रबड़ या प्लास्टिक का बना होता है जो वैजाइना और मुंह के बीच दीवार की भूमिका अदा करता है जिस से सैक्सुअल ट्रांसमिटिड डिजीजिज का खतरा नहीं रहता.

पौर्न साइट्स को न करें कौपी

युवाओं में सैक्स को जानने की इच्छा प्रबल होती है, जिस के लिए वे पौर्न साइट्स को देख कर अपनी जिज्ञासा शांत करते हैं. ऐसे में पौर्न साइट्स देख कर उन के मन में उठ रहे सवाल तो शांत हो जाते हैं लेकिन मन में यह बात बैठ जाती है कि जब भी मौका मिला तब पार्टनर के साथ इन स्टैप्स को जरूर ट्राई करेंगे, जिस के चक्कर में कई बार भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. लेकिन ध्यान रहे कि पौर्न साइट्स पर बहुत से ऐसे स्टैप्स भी दिखाए जाते हैं जिन्हें असल जिंदगी में ट्राई करना संभव नहीं लेकिन इन्हें देख कर ट्राई करने की कोशिश में हर्ट हो जाते हैं. इसलिए जिस बारे में जानकारी हो उसे ही ट्राई करें वरना ऐंजौय करने के बजाय परेशानियों से दोचार होना पड़ेगा.

सस्ते के चक्कर में न करें जगह से समझौता

सैक्स करने की बेताबी में ऐसी जगह का चयन न करें कि बाद में आप को लेने के देने पड़ जाएं. ऐसे किसी होटल में शरण न लें जहां इस संबंध में पहले भी कई बार पुलिस के छापे पड़ चुके हों. भले ही ऐसे होटल्स आप को सस्ते में मिल जाएंगे लेकिन वहां आप की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होती.

हो सकता है कि रूम में पहले से ही कैमरे फिट हों और आप को ब्लैकमैल करने के उद्देश्य से आप के उन अंतरंग पलों को कैमरे में कैद कर लिया जाए. फिर उसी की आड़ में आप को ब्लैकमेल किया जा सकता है. इसलिए सावधानी बरतें.

अलकोहल, न बाबा न

कई बार पार्टनर के जबरदस्ती कहने पर कि यार बहुत मजा आएगा अगर दोनों वाइन पी कर रिलेशन बनाएंगे और आप पार्टनर के इतने प्यार से कहने पर झट से मान भी जाती हैं. लेकिन इस में मजा कम खतरा ज्यादा है, क्योंकि एक तो आप होश में नहीं होतीं और दूसरा पार्टनर इस की आड़ में आप के साथ चीटिंग भी कर सकता है. हो सकता है ऐसे में वह वीडियो क्लिपिंग बना ले और बाद में आप को दिखा कर ब्लैकमेल या आप का शोषण करे.

न दिखाएं अपना फोटोमेनिया

भले ही पार्टनर आप पर कितना ही जोर क्यों न डाले कि इन पलों को कैमरे में कैद कर लेते हैं ताकि बाद में इन पलों को देख कर और रोमांस जता सकें, लेकिन आप इस के लिए राजी न हों, क्योंकि आप की एक ‘हां’ आप की जिंदगी बरबाद कर सकती है.

सैक्स के बाद के खतरे

ब्लैकमेलिंग का डर

अधिकांश युवकों का इंट्रस्ट युवतियों से ज्यादा उन से संबंध बनाने में होता है और संबंध बनाने के बाद उन्हें पहचानने से भी इनकार कर देते हैं. कई बार तो ब्लैकमेलिंग तक करते हैं. ऐसे में आप उस की ऐसी नाजायज मांगें न मानें.

बीमारियों से घिरने का डर

ऐंजौयमैंट के लिए आप ने रिलेशन तो बना लिया, लेकिन आप उस के बाद के खतरों से अनजान रहते हैं. आप को जान कर हैरानी होगी कि 1981 से पहले यूनाइटेड स्टेट्स में जहां 6 लाख से ज्यादा लोग ऐड्स से प्रभावित थे वहीं 9 लाख अमेरिकन्स एचआईवी से. यह रिपोर्ट शादी से पहले सैक्स के खतरों को दर्शाती है.

मैरिज टूटने का रिस्क भी

हो सकता है कि आप ने जिस के साथ सैक्स रिलेशन बनाया हो, किसी मजबूरी के कारण अब आप उस से शादी न कर पा रही हों और जहां आप की अब मैरिज फिक्स हुई है, आप के मन में यही डर होगा कि कहीं उसे पता लग गया तो मेरी शादी टूट जाएगी. मन में पछतावा भी रहेगा और आप इसी बोझ के साथ अपनी जिंदगी गुजारने को विवश हो जाएंगी.

डिप्रैशन का शिकार

सैक्स के बाद पार्टनर से जो इमोशनल अटैचमैंट हो जाता है उसे आप चाह कर भी खत्म नहीं कर पातीं. ऐसी स्थिति में अगर आप का पार्टनर से बे्रकअप हो गया फिर तो आप खुद को अकेला महसूस करने के कारण डिप्रैशन का शिकार हो जाएंगी, जिस से बाहर निकलना इतना आसान नहीं होगा.

कहीं प्रैग्नैंट न हो जाएं

आप अगर प्रैग्नैंट हो गईं फिर तो आप कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगी. इसलिए जरूरी है कोई भी ऐसावैसा कदम उठाने से पहले एक बार सोचने की, क्योंकि एक गलत कदम आप का भविष्य खराब कर सकता है. ऐसे में आप बदनामी के डर से आत्महत्या जैसा कदम उठाने में भी देर नहीं करेंगी.

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Funny Story In Hindi : श्रीमती का रूप वर्गीकरण

Funny Story In Hindi : श्रीमती से भला क्या शिकवा. हम जैसे स्वच्छंद व आवारा जीव को खूंटे में बांध कर कुशल पति बनाना कोई प्याज की परतें खोलने से कम अश्रुधारी जौब है क्या. हम तो उन के हर रूप पर फिदा हैं.

दुनिया में हम पर किसी ने यदि काई उपकार किया है तो वे हैं हमारी  आदरणीय श्रीमतीजी. आप कृपया इस शब्दावली को मजाक न समझें. घरेलू जिंदगी में सुखशांति का यह एक अस्त्र है. विभिन्न अवसरों पर उन के स्वरूप को महसूस कर हम नतीजा पेश कर रहे हैं. वैसे, सच तो यह है कि जब समझ में कुछ न आए तो वंदना-स्तुति से कार्य साध लेना चाहिए और हम इसी टैक्नीक से खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं. अब मुख्य बिंदु पर आते हैं, ताकि श्रीमती के लाजवाब व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला जा सके.

समय कभी एकजैसा नहीं रहता, इसलिए खास समय पर उन के रूप की बानगी जुदाजुदा होती है. सो, मैं अकसर इस रिसर्च में जुटा रहता हूं कि आखिर उन का मूल स्वरूप कौन सा है? कभी गाय तो कभी शेरनी, कभी अप्सरा तो कभी विकराल रौद्र रूप…

वैसे, बेसिकली हमें उन से कोई गिलाशिकवा नहीं है, हम जैसे मनमरजी के जीव, आजाद पंछी को उन्होंने निभा लिया और ट्रेंड कर कुशल पति बना दिया, यही उपकार हमारे लिए कीमती है. दिन में दसियों बार उन के ऐसे श्रीवचनों को सुन कर अब सच में हमें अपने मूलस्वरूप का ज्ञान संभव हो सका है. अपनी अल्पबुद्धि से उन के जो विभिन्न रूप समयसमय पर समझ पाया हूं वे आप से शेयर कर रहा हूं ताकि हमारे वर्गीकरणों से आप भी मूल्यांकन व आकलन का सदुपयोग कर सकें.

समससमय पर उन के मुख से निकलते शुभ वचनों पर ध्यान दें तो आप भी इस रिसर्च को आसानी से समझ सकते हैं. आप की सुविधा के लिए हम चुनिंदा रूप और संवाद की बानगी आप की सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं. गारंटी मानिए यह लेख वक्तबेवक्त आप के काम आएगा और घर की शांति में सहयोग करने वाला साबित होगा.

१. इतिहास विश्लेषक : यह रूप दिन में अकसर 10-20 बार अनुभव हो जाता है. ‘तुम्हारे सारे खानदान की हकीकत जानती हूं. मुझे सब का कच्चाचिट्ठा पता है. मुझ से गड़े मुरदे मत उखड़वाओ…’ जैसी शब्दावली उन के इतिहासपसंद व्यक्तित्व को जाहिर करती है.

२. डौन स्वरूप : जब उन का पारा ऊंचाई छृने लगता है तो यह रूप भी जाहिर हो जाता है. उस समय उन की भाषाशैली में कठोरता टपकने लगती है, ‘कान खोल कर सुन लो, अगर फिर कभी ऐसा किया तो…मैं अब और सहन नहीं करूंगी…मुझ से बुरा कोई नहीं होगा…मैं जो करूंगी, पता चल जाएगा, सबक तो सिखा कर रहूंगी आप को.’ सच पूछें तो इस रूप से बहुत तनाव, भय और डर महसूस होता है.

३. शक्की, शंकालु स्वभाव : यह उस समय प्रकट होता है जब हम मोबाइल या लैपटौप पर काम कर रहे होते हैं. व्हाट्सऐप, फेसबुक पर हमारी मौजूदगी उन्हें शंकालू बना देती है और फिर उन का यह रूप फूट पड़ता है, ‘किस सौतन से चैटिंग चल रही है… कितनी दोस्त बना रखी हैं इस उम्र में…’ स्वाभाविक है उन की दहाड़ सुनते ही हमारा औफलाइन हो जाना तय है. कारण, जब ज्वालामुखी विस्फोट के चांस सौ प्रतिशत बढ़ जाते हैं, हम तुरंत जरूरी काम छोड़ कर उन की वंदना-स्तुतिगान में जुट जाते हैं.

४. धार्मिक : यह रूप चौबीसों घंटे हावी रहता है. ‘भगवान जाने आप की क्या माया है, आप को तो ईश्वर भी नहीं समझा सकता. पाप में पड़ोगे अगर मुझ से छल करोगे…’ ऐसे संवाद उन के धर्मभीरू होने की दुहाई देते हैं और इस स्वरूप में होने पर हमें कोई परेशानी नहीं होती. यह उन का सौम्य और शांत स्वरूप है.

५. अर्थशास्त्री स्वरूप : यह रूप दिनभर दिखलाईर् पड़ता है. कारण, महंगाई और बजट के असंतुलन से उन का हिसाब गड़बड़ा जाता है. तब वे हमारे साथसाथ बच्चों को भी हिदायतें देने लगती हैं. ‘आमदनी बढ़ाए बिना मुझ से पनीर, पकवानों की उम्मीद मत करना, कोई खजाना नहीं गड़ा घर में, न कोई नोट छापने की मशीन लगा रखी है जो तुम सब के नखरेडिमांड पूरी करूं, चटनी चाटो और मौज करो.’ उन की मजबूरी को हम समझते हैं. आसमान छूती महंगाई में बेचारी क्या करें? दोष हमारा है, हम जितना उन्हें देते हैं उस से सवाया करने की टैंशन में वे हमेशा घुली रहती हैं.

६. भविष्यवक्ता : हालांकि, उन्हें न तो ज्योतिष का ज्ञान है, न ही अंकशास्त्र और न ही भविष्यवाणी के स्रोतों का, लेकिन फिर भी सीमा पार जा कर अपनी मन की शक्ति से हमारे भविष्य को ले कर दिन में अनेकानेक बार भविष्यवाणी करती रहती हैं, तब हम उन के दिव्यस्वरूप के कायल हो जाते हैं. ‘सात जन्मों तक मेरी जैसी पत्नी नहीं मिलनी.’ यह अमर वाक्य इस घोषणा का प्रमाण है.

७. भ्रमित रूप : कभीकभी श्रीमतीजी इस अज्ञेय स्वरूप को धारण कर बैठती हैं. तब सच में हमें पता नहीं चलता कि वे हम से चाहती क्या हैं? इस रूप में ताने, व्यंग्यबाणों की बौछार से हम खुद भ्रमित हो जाते हैं. हमारी समझ पर प्रश्नचिन्ह नाचने लगते हैं. ‘आदमी हो या औरत? पजामा तो नहीं… कैसे आदमी हो, बच्चे हो क्या?’ जैसे वाक्यांश हमें भ्रमित कर देते हैं.

८. स्वार्थी स्वरूप : यह रूप टीवी चैनल बदलने, शौपिंग मौल, सैल, ज्वैलरी खरीदने, ब्यूटीपार्लर के लिए जाते समय आसानी से नजर आ जाता है. फैशनपरस्ती में वे शायद कालोनी में किसी से पीछे रहना नहीं चाहतीं, इसलिए खुद की डिमांड पूरी करवा कर ही मानती हैं. ‘हमेशा खुद की ही सोचते हो, दूसरों की जरूरत भी समझना सीखो, अरे आप की पत्नी हूं, पहला हक मेरा बनता है, कभी तो अपने पर्स का स्पर्श कर लेने दिया करो, 2 हजार रुपए देना सेल लगी है, मैं पिछले सप्ताह भी नहीं गई… इतनी कंजूसी भी ठीक नहीं.’

९. कुंठाग्रस्त रूप : ‘हाय क्या बुरे काम किए थे जो…जो घरवालों ने इस के साथ ब्याह रचा दिया, कब सुधरेंगे, कब समझेंगे, समझ नाम की चीज तो है ही नहीं.’ ऐसे वाक्यांश भी अकसर प्रतिदिन सुनने पड़ते हैं. तब हम समझ जाते हैं कि उन पर डिप्रैशन का दौरा पड़ गया है. तुरंत हम गंभीरता का लबादा ओढ़ कर उन की अदालत में पेश हो जाते हैं और उन के गुबार को कान में रुई ठूंस कर ध्यान से सुनते हैं. तब जा कर वे नौर्मल हो पाती हैं, दिमाग कूल होता है और फिर रसोई गरम.

१०. पुलिसिया रूप : इस रूप के वर्गीकरण की जरूरत नहीं. कारण, इस रूप से पति साहबानों को अकसर रूबरू होना पड़ता है. ‘फोन क्यों नहीं उठा रहे, कहां हो…ट्रेन की आवाज तो सुनाई ही नहीं पड़ रही, औफिस से कब निकले, आजकल ऐसे बनठन कर क्यों जाते हो?’ जैसे अनगिनत सवालों की वर्षा हंसतेमुसकराते झेलने की आदत पड़ गई है. इस रूप में हम भीगी बिल्ली की तरह सहने में ही भलाई मानते हैं.

११. आलसी स्वरूप : यह रूप महीने में कभीकभार नजर आता है, सो दुर्लभ श्रेणी में रखा जा सकता है. इस का पता ऐसे संवादों से होता है- ‘आज मूड नहीं, बाहर होटल में खा लेते हैं, चाय बना लो, मुझे भी पिला देना’ आदिइत्यादि. मुझे इस बात पर गर्व है कि कामकाज में वो कभी लापरवाही नहीं करतीं. समय से सब काम घड़ी की सुइयों के मुताबिक करती हैं.

१२. शृंगार स्वरूप : सब रूपों में यह श्रेष्ठतम स्वरूप है लेकिन यह कभीकभी ही देखने को मिलता है. सच तो यह है कि इस रूप को अफोर्ड करने की हमारी कैपेसिटी भी नहीं. जवैलरी की खरीद, औनलाइन शौपिंग के समय बजट की डिमांड के अनुरूप वो इस रूप में प्रकट होती हैं. यह रामबाण रूप भी है. कभी खाली नहीं जाता और हमें आत्मसमर्पण कर के ही दम लेता है.

अब इस वर्गीकरण को समाप्त करें. कारण, जन्ममतांतर की इस गाथा को वर्गीकृत-परिभाषित करना सरल नहीं. लेकिन यह सत्य है कि रूप चाहे कोईर् भी क्यों न हो, उस के पीछे हमारा भला ही छिपा रहता है. कहने को चाहे कितनी ही बातें बना लें लेकिन यह सिर्फ पत्नी ही है जो घर को एक करने के लिए अपना सबकुछ खो कर भी खुश रहती है.

ईंटसीमेंट के ढांचे को घर बनाने और उस में रहने वालों की जिंदगी को सुखद बनाने में पत्नीजी अपना सबकुछ दांव पर लगा देती हैं. इस तथ्य को कैसे भुलाया जा सकता है? यही कारण है, हमें उन के किसी भी रूप से कभी शिकायत नहीं होती. वो कहेंगी भी तो किस से? जिस के पीछे घर छोड़ कर आईं उस पर हक तो बनता ही है.

Welcome 2025 : बी-टाउन की हसीनाएं इस तरह मनाएंगी न्यू ईयर 2025

Welcome 2025 : हर कोई 2024 को अलविदा कहने और ढेर सारी सकारात्मकता और उम्मीदों के साथ नए साल, 2025 का स्वागत करने के लिए लगभग तैयार है. कुछ बी-टाउन और टेलीविजन एक्टर्स ने अपने नए साल के जश्न की योजनाएं हमारे साथ साझा की हैं. पेश है इसी पर एक नजर…

सोनिया बंसल 

बिग बौस 17′ की मशहूर सोनिया बंसल एक पारिवारिक व्यक्ति हैं जो अपने काम के साथसाथ अपने परिवार को भी प्राथमिकता देती हैं. अपने नए साल की योजना के बारे में बात करते हुए, सोनिया ने कहा, “मैं अपने परिवार के साथ नए साल का जश्न मनाने के लिए उत्सुक हूं . हम आम तौर पर घर पर एक शांत शाम बिताते हैं, जिसमें एक बढ़िया डिनर, गेम और आधी रात को टोस्ट होता है. यह किसी बड़े उत्सव से ज़्यादा एक साथ समय बिताने के बारे में है. हम पिछले साल पर चर्चा करेंगे और नए साल का स्वागत सकारात्मक वाइब्स के साथ करना सुनिश्चित करेंगे.

पूजा शर्मा

तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ और ‘छोटी सरदारनी’ की अभिनेत्री पूजा शर्मा ‘मिशन ग्रे हाउस’ के साथ बौलीवुड में अपनी शुरुआत करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, जो 17 जनवरी 2025 को सिनेमाघरों में में लीज़ होने के लिए तैयार है. अपने नए साल की योजनाओं के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता की मैं ऐसा कर पाऊंगी या नहीं, लेकिन पिछले चार साल से मैंने अपने मातापिता के साथ नया साल नहीं मनाया है, इसलिए मैं उन्हें सरप्राइज देना चाहती हूं और उनके साथ नया साल बिताना चाहती हूं. कुछ समय पहले भी मैंने उन्हें सरप्राइज दिया था, मैं अपनी मां को फोन करके कहती रहती थी की मुझे आपके हाथ का बना खाना बहुत याद आता है. मैं इसे खाना चाहती हूं. और तीसरे या चौथे दिन मैंने उन्हें यही कहते हुए फोन किया और एक घंटे के भीतर मैंने अपने उड़ीसा के घर की घंटी बजाई जहां मेरे पेरेंट्स रहते है . मां मुझे देखकर हैरान रह गईं, मैं उन्हें फिर से सरप्राइज करना चाहूंगी.

स्माइली दक्षिणा सूरी

कलयुग’ की यह खूबसूरत लड़की 2024 में अपनी ओटीटी फिल्म ‘हाउस औफ लाइज’ के साथ वापसी की है और 2025 में अपनी अदाकारी से लोगों के दिलोदिमाग में और सिल्वर स्क्रीन पर जगह बनाने के लिए उत्सुक है मैं नए साल के दिन घर पर ही हूं, जब तक की कोई लास्ट मिनट प्लान नहीं बन जाए. मेरे पास नए साल का जश्न मनाने की एक बहुत ही सरल योजना है, जो है सुबह जल्दी उठना, कसरत करना, हेल्दी खाना खाना, प्रार्थना करना, सोना जाना. आजकल मैं मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से बहुत फिट होने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही हूं .एक बार जब मैं अच्छी शेप में आ जाऊंगी, तो मैं कुछ प्रोजेक्ट के लिए हां कह पाऊंगी और लोग मुझे 2025 में अपनी स्क्रीन पर अधिक बार देखेंगे,” स्माइली दक्षिणा सूरी ने अपने नए साल की योजना का खुलासा करते हुए साझा किया.

ईशा अग्रवाल

ईशा अग्रवाल ने हिंदी फिल्म ‘कहीं है मेरा प्यार’, मराठी फिल्म ‘जोल जाल’, तमिल फिल्म ‘थिट्टीवासल’ और एक तेलुगु वेबसीरीज ‘नीव’ में अभिनय किया है. उन्होंने 2024 में अपनी व्यक्तिगत यात्रा में बहुत कुछ हासिल किया है, जिसमें उनकी ‘डौक्टरेट’ की डिग्री भी शामिल है. ईशा ने कहा, “नए साल के लिए, मैं राजस्थान के माउंट आबू घूमने जाने की योजना बना रही हूं.सर्द मौसम इस ट्रावेल प्लान के आकर्षण और आनंद को और बढ़ा देगा, जिसे मैं आध्यात्मिक रूप से समृद्ध और ज्ञान से भरपूर एकांतवास के रूप में देखती हूं .यह साल की शुरुआत एक गहन और आत्मनिरीक्षण की नोट पर करने का सबसे सही तरीका है.

Hindi Stories 2025 : एक थी शिवानी

लेखक -सुहानी साहू

Hindi Stories 2025 : “”शिवानी चलो पिक्चर चलते हैं.” रूबी ने कहा तो शिवानी आनन फानन तैयार हो चली. शिवानी,रूबी,मारिया  से शिवानी की हाल ही में मित्रता हुई थी. यह मुलाकात भी एक दुखद संयोग थी. एक दिन शिवानी अकेली ही खरीददारी करने पाम माल गई थी खरीददारी  के बाद जब  वह वापस लौट रही थी तभी  शिवानी की तबीयत अचानक बिगड़ी और उसकी आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा. वह सड़क पर ही बैठ गई .

तभी जैसे देवी के चमत्कार हुआ या कहे दूरयोग. रूबी, मरिया ने शिवानी को सहारा दिया और डट कर उसके सामने खड़ी हो गई. अन्यथा उस दिन जाने क्या होता. थोड़ी देर बाद शिवानी को ठीक लगा तो पास खड़ी रूबी और मारिया को उसने देखा और पहचानने का प्रयास किया मगर दोनों को शिवानी पहचान नहीं पाई. रूबी और मारिया ने उसे सहारा दिया और पास ही के माखीजा क्लिनिक में लेकर प्राथमिक उपचार कराया . डॉक्टर ने शिवानी को देखा और कुछ दवाइयां दी धीरे-धीरे वह स्वस्थ हो गई तो उसने देखा रूबी और मारिया उसके पास बैठी है. वह संकोच में डूबी हुई थी मेरे कारण दोनों ने कितनी तकलीफ झेली.

मगर शिवानी के भावना को समझ मारिया ने शिवानी के माथे को सहलाते हुए मीठे शब्दों में कहा- “अब चिंता मत करो, ठीक हो जाओगी .”

रूबी पास ही बैठी हुई थी उसने कहा- “तुम्हें क्या हो गया था ? क्या पहले भी होता है .”

शिवानी ने बताया-” कुछ समय से मेरे साथ हो रहा है मैं अच्छी भली रहती हूं कि कभी आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है जाने किस  बीमारी ने मुझे घेर लिया है.”

रूबी बोली- “अरे कुछ नहीं है ? यह कमजोरी के कारण होता है. दूसरा जीवन में खुशी नहीं हो तो आदमी अक्सर इस बीमारी से ग्रस्त हो जाता है.”

शिवानी कुछ ठीक हुई तो वह उठ  बैठी और उन्हें धन्यवाद देकर घर को निकल पड़ी. इस बीच रूबी और मारिया से उसकी दोस्ती प्रगाढ हो चली. अब दोनों अक्सर उससे मिलती और इसी दरमियान इनकी जोड़ी कभी सिनेमा जाती,कभी गार्डन, कभी माल. इसी दरम्यान एक दिन मारिया को नशा करते हुए शिवानी ने देखा. सिल्वर जुबली गार्डन में एक कोने में मारिया ने डिब्बी निकाली और सफेद सा कुछ पाउडर ले लिया.

धीरे धीरे शिवानी को सब कुछ पता चल गया. रूबी ने बताया यह हीरोइन है इसे लेने से जीवन खुशियों से भर जाता है.

शिवानी को कुछ समझ नहीं आया नशा करने से भला जीवन कैसे खुशियों से भर उठेगा.उसे रूबी ने बताया यह वह शै है जिसके इस्तेमाल से तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं ?

यह सुन तो शिवानी उनकी ओर आकर्षित हुई वह भी तरक्की करना चाहती थी. और देखते ही देखते कब नशे के जाल में फंस गई उसे पता ही नहीं चला.

शिवानी दोनों के साथ मल्टीप्लेक्स पहुंची और फिल्म देखी. इसी बीच शिवानी ने नशा भी किया और फिल्म देखने के बाद मारिया,रूबी के साथ कब एक होटल पहुंच गई. होटल में उसका परिचय उन लोगों ने शहर के कुछ रईसजादो से कराया जो पैसे पानी की तरह बहा रहे थे तीनों सहेलियों ने एक-एक पल को मानो खूब इंजॉय किया और पैसों की धार दिखाने वाले लड़कों की बाहों में झूलने लगी.

शिवानी आज बहुत खुश थी. होटल की चकाचौंध, नशा यह सब उसे एक दूसरी दुनिया में ले जाता था जहां वह सब कुछ भूल जाती थी घर की गरीबी,  समस्याएं जाने कहां खो जाती थी.

आज तो मानो तकदीर ही खुल गई थी उसे होटल में सुरेश मिला था जो गले में सोने की चेन हाथ की उंगलियों में अंगूठियां पहने था. एक नजर में लगता था वह रईसजादा है और वह समझ गई कि सुरेश उस पर फिदा है .

कमरे मैं वह सब कुछ हुआ जो नहीं होना चाहिए था. मगर शिवानी सुरेश के आगे मानो आत्मसमर्पण कर के खुश थी. चलते चलते सुरेश ने कहा यह लो रुपए यह सब तुम्हारे हैं.

शिवानी ने देखा सौ-सौ रुपयों की एक गड्डी सुरेश ने उसके आगे उछाल दी है. यह देख उसका नशा ही हिरण हो गया. वह बहुत खुश थी. उसकी आंखों के आगे सितारे चमकने लगे वह सोचने लगी अब वह जिंदगी जहालत से नहीं , सर उठा कर जीयेगी.

उसने रुपए रख खुशी खुशी सुरेश के गले में बाहें डाल दी. सुरेश ने कहा देखो आज यहां जो हुआ है उसका वीडियो कैमरे में कैद हो गया है अब जो मैं कहूंगा तुम वहीं करोगी.

यह सुन शिवानी मानो आसमान से जमीन पर गिर पड़ी. उसकी आंखों के आगे अंधेरा छा गया. नशा फट गया. सुरेश ने बताया वह अब उसके जाल में फंस चुकी है और रूबी, मारिया उसी के लिए काम करती है. अब तो नित्य ही शिवानी को सुरेश के इशारो पर नाचना पड़  रहा था. जिन्हें वह अपनी खास हितेषी समझ रही थी रूबी, मारिया आगे निकल चुकी थी किसी नई शिवानी की तलाश में.

शिवानी एक भयंकर जाल में फंस चुकी थी.वह कोस रही थी उस पल को जब पहली बार नशा किया था उस नशे में उसका जीवन बर्बाद कर दिया .शिवानी अब पिंजरे का पंछी थी जो अपनी मर्जी से उड नहीं सकती थी.

दुखी, चिंतित शिवानी की कहानी उस दिन खत्म हो गई जब उसे अत्याधिक आत्मग्लानि हुई. और उस दिन उसने शहर के माल से नीचे कूद अपनी जान दे दी.

यह वही माल था जहां से उसकी जिंदगी बदल गई थी उसने उसी माल पर चढ़ नीचे कूद खुदकुशी कर ली थी .

Hindi Story 2025 : नेताजी की नौकरी

Hindi Story 2025 : शोभा को आखिरकार ठौर मिल गई. आज उसे शहर के नेताजी के कार्यालय में एक छोटी सी नौकरी मिल गई, वह बहुत खुश थी.

सहेली रश्मि के प्रति वह हृदय से कृतज्ञ थी, मित्रता अगर निभाई तो रश्मि ने. अन्यथा आज के जमाने में कौन किसके साथ आता है. सबके अपने-अपने स्वार्थ. अभी 17 वे वर्ष में ही शोभा ने कदम रखा है, मगर मानो दुनिया देख ली है . पग पग पर आंखों से खा जाने वाले लोग, अपने ही अपनों का खून पीने वाले लोग. ओह… यह दुनिया कितनी सुंदर और कितनी बर्बर है. यह सोचते शोभा की आंखें फटी की फटी रह जाती हैं.

पिता की अचानक मृत्यु के बाद घर परिवार का सारा बोझ उसके नाजुक कंधों पर आ गया था. मां और दो छोटे भाई की देखरेख, पालन पोषण उसी का जिम्मा हो गया था. जिसे उसने सहज ही स्वीकार कर लिया . अभी उसकी पढ़ाई अधूरी थी, बारहवीं कक्षा की परीक्षा दी है. आज के जमाने में 12वीं की शिक्षा का क्या महत्व है, उसे कौन देगा सरकारी नौकरी ? वह एक कपड़े वाले सेठ के यहां एक दिन पहुंची और नौकरी की गुजारिश की. श्रीराम क्लास सेंटर शहर की पुरानी कपड़ों की दुकान है.उसके पिता अक्सर यही से कपड़े क्रय किया करते थे.

शोभा को यही दुकान और उसका मालिक सबसे पहले नौकरी के लिए याद आया. एक दिन अचानक वह दुकान पर पहुंची. शोभा को स्मरण है,जब वह पिता के साथ इस दुकान पर खरीददारी के लिए आती, तो सेठ जी कैसे आत्मीयता से बातचीत करते थे. मानो हम उसके परिवार के सदस्य हैं चाय, पानी, नाश्ता सब कुछ सेठ जी मंगा लेते थे.

ना ना… करने के बाद भी वह आत्मीयता से, उसके पिता के सामने यह सब प्रस्तुत करते. और हो हो कर हंसते हुए कहते-” रामनाथ जी ! जीवन में प्रेम ही तो सब कुछ है. आप हमारी दुकान पर आए हो, अहो भाग्य हमारा. क्या आपकी हम इतनी सेवा भी नहीं कर सकते फिर बिटिया रानी भी साथ आई है भूख लगी होगी बच्ची है…”

शोभा सब कुछ स्मरण करती हुई बड़े विश्वास के साथ श्री राम क्लॉथ पहुंची. सेठ जी से मिली और याद दिलाया कि वह अपने पिता के साथ अक्सर कपड़े लेने आया करती थी. सेठ जी बड़े खुश हुए,मगर जैसे ही शोभा ने नौकरी की बात कही उनका रंग ही बदल गया. चाय पानी तो क्या शोभा को बैठने के लिए भी नहीं कहा . वह हैरान परेशान घर लौट आई उस दिन मानो जीवन की सच्चाई से शोभा का पहला सामना हुआ था. इसके बाद एक-एक करके वह सभी परिचितों के पास नौकरी मांगने गई, मगर कोई उसे आठ सौ कोई हजार रुपए की नौकरी ऑफर करता. वह उसे सहज भाव से इंकार कर देती. आज की इस महंगाई में भला हजार रुपए मे क्या होगा ? उसका छोटा सा परिवार आठ सौ, हजार रुपये की नौकरी में नहीं चल सकता यह वह जानती थी.

ऐसे में रश्मि ने उसे नेताजी के दाएं हाथ सुरेंद्र भैया से मिलवाया .नेताजी का बड़ा नाम और काम था. शहर में नेताजी की तूती बोलती थी. करोड़ों के ठेके चलते थे और आगामी समय में आप विधायक बनने का ख्वाब देख रहे थे. रश्मि ने मानो उस पर बड़ा उपकार किया उसे सीधे छ: हजार रूपय की नौकरी नेता जी के यहां मिल गई . वह बहुत बहुत खुश थी . उसके मन में नेताजी के प्रति श्रद्धा उमड़ पड़ी. चाहे जैसे भी हो, ठेके ले, भ्रष्टाचार करें मगर उसके जैसे कितने गरीबों का भला भी तो अप्रत्यक्ष कर ही रहे हैं . ईश्वर नेताजी का भला करें. उसने खुशी-खुशी मां को बताया और दूसरे दिन सज संवर कर दफ्तर पहुंच गई . दिनभर आराम से एयर कंडीशन रूम में बैठी रही कुर्सियां साफ की कुछ फाइलें इधर उधर पलटी और लोगों के आने-जाने को रजिस्टर में नोट करती रही . शाम के छ: बजने पर उसने सुरेंद्र भैया की और देखा और कहा, -“मैं अब चलती हूँ .”

सुरेंद्र नेताजी के दाएं हाथ के रूप में जाने जाते हैं. वह मुस्कुरा कर बोला – “शोभा ! कैसा है काम….! कोई दिक्कत परेशानी हो तो बताओ….नहीं तो इससे भी आराम तलब काम भी है हमारे पास !”

शोभा सुरेंद्र की आंखों का भाव पढ़ नहीं पाई उसने सहजता से कहा- “भैया ! मैं यही ठीक हूं ।”

-” देखो ! भैया नहीं, सर कहां करो ।”सुरेंद्र बोला और उसके इकदम पास पहुंच गया. शोभा घबराई. मगर दरवाजा बंद हो चुका था सुरेंद्र ने कहा- “देखो ! तुम्हें छ: हजार की नौकरी दी है यह तुम्हें नहीं तुम्हारी सूरत को देख कर दी है ,यह दस हजार हो जाएगी. मैं जो कहूं वह तुम्हें मंजूर करना पड़ेगा.”

शोभा घबरा गई, मगर उसने दुनिया देखी थी.उसकी निगाहें नीचे हो गई.वह अब दुनिया के सामने हाथ पसारे नौकरी की भीख मांगने को तैयार नहीं थी. उस दिन से शोभा नेताजी के ऑफिस की शोभा बन गई. आने वाले अति वरिष्ठजन के आगे बिछ जाना उसकी नियती बन गई.जिसे उसने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया.

ऐक्ट्रैस Khushi Mukherjee परिवार के साथ सेलिब्रेट करना चाहती हैं न्यू ईयर

Khushi Mukherjee : खुशी मुखर्जी एक खूबसूरत और स्पष्टभाषी अभिनेत्री हैं, उन्होंने टेलीविजन, फिल्म और वेब सीरीज में काम किया है. वह एमटीवी के मशहूर शोज स्प्लिट्सविला सीजन 10, टीवी सीरीज, लव स्कूल और बालवीर रिटर्न के लिए जानी जाती हैं. उन्होंने तमिल और तेलुगु फिल्मों में भी काम किया हैं. इसके अलावा खुशी ने कई ऐडल्ट हिन्दी वेब सीरीज गांडु, नुरी, स्ट्रैन्जर, जंगल में दंगल आदि में काम किया है. खुशी पेट लवर है और कई डौग्स रखे हैंं. खुद को फिट रखने के लिए नियमित वर्कआउट करती हैं. समय मिलने पर वह स्केचिंग और पेंटिंग भी करती हैं.

मुंबई की बंगाली परिवार में जन्मी खुशी ने अपनी शिक्षा मुंबई से पूरी की है. ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद उन्होंने मौडलिंग की और रुख किया. मौडलिंग के जरिये उन्हें तमिल फिल्म अंजलतुरई में काम करने का मौका मिला. जिसके बाद ख़ुशी मुखर्जी ने दो तेलुगु फिल्म हार्टअटैक और डोंगाप्रेमा में काम किया. वह एक भरतनाट्यम, कथक डान्सर के अलावा बैली डान्सर भी है.

साल 2024 खुशी के लिए अधिक महत्वपूर्ण नहीं था, लेकिन 2025 बहुत ही उम्मीदों भरा है, जिसमें उन्होंने एक फिल्म और एक आइटम नंबर साइन किया है. उन्होंने खास गृहशोभा से बात की, पेश है कुछ खास अंश.

अभिनय में आने की प्रेरणा के बारें में पूछने पर उनका कहना है कि केवल 3 साल की उम्र से मुझे समझ में आ गया था कि मुझे एक्ट्रेस बनना है, लेकिन मेरे पिता चाहते नहीं थे, लेकिन मां ने साथ दिया और इस फील्ड में मैं आ गई.

रहा संघर्ष  

खुशी कहती हैं कि शुरुआती संघर्ष काफी रहे, जिसमें मैंने अपना पोर्टफोलियों बनाकर हर प्रोडक्शन हाउस में छोड़ा. पहले मुझे मौडलिंग के औफर आने लगे, थे, बाद में एम टीवी स्प्लिट्सविला सीजन 10 में मौका मिला, जिससे मुझे सभी जानने लगे और मुझे काम मिलने लगा. मेरा कोई गौड फादर नहीं है, जो मुझे गाइड करें, मेरे लिए कहानियां लिखवाएं, इसलिए आगे बढ़ने में चुनौतियां बहुत रही है, कई गलत निर्णय भी ले लिए थे, जिसमें गलत निर्माता, निर्देशक को चुनना रहा है, लेकिन मैं खुश हूं कि आज मुझे टीवी, वेब सीरीज के बाद फिल्म में भी काम करने का मौका मिल रहा है.

कंट्रोवर्सी नहीं पसंद

खुशी को कई बार कंट्रोवर्सी का सामना करना पड़ा है, इसकी वजह के बारें में वह बताती है कि मुझे कंट्रोवर्सी पसंद नहीं, लेकिन हो जाती है. मैं इसे हमेशा अवाइड करने की कोशिश करती हूं.

खुद से करें जज

कास्टिंग काउच की शिकार होने को लेकर प्रश्न पूछने पर खुशी कहती हैं कि महिलाओं के साथ एक्स्प्लौइटैशन हर फील्ड में होता है, लेकिन इससे बचना भी महिलाएं जानती हैं, मसलन अगर कोई रात में कुछ डिस्कस करने के लिए बुलाएं, तो वहां न जाना, अंजान कौल को समझ कर अटेन्ड करना, किसी पर अधिक विश्वास ना करना आदि होता है. इसके अलावा कौन सही है और कौन गलत इसे भी पहचानना बहुत मुश्किल होता है. मेरे साथ भी कई बार ऐसा हुआ कि निर्माता, निर्देशक ने फिल्म बना लिए, लेकिन रिलीज नहीं हुई, पैसे नहीं मिले. धीरेधीरे मुझे ये सब समझ में आया है.

बोल्ड सीन्स करना नहीं आसान     

किसी भी विधा से निकलकर दूसरी विधा में जाना खुशी के लिए बहुत मुश्किल रहा, क्योंकि हर बार उन्हे प्रूव करना पड़ता है कि वह एक अच्छी आर्टिस्ट है और किसी भी किरदार को कर सकती है. उन्हेंटाइपकास्ट होना पसंद नहीं. इसलिए वह हमेशा अलगअलग भूमिका निभाना पसंद करती है. वह कहती है कि पहले टीवी फिर फिल्म और अब वेब सीरीज में बोल्ड सीन्स और अब आइटम सौन्ग सबकुछ करने में मुझे कोई समस्या नहीं. बोल्ड सीन्स करना आसान नहीं होता, जैसा दर्शक समझते है. कोरियोग्राफी होती है, जिसमें हर किरदार को उनकी जगह बताई जाती है. कई बार ऐसे दृश्य करते हुए असहजता भी होती है, लेकिन फिर खुद को सम्हालना पड़ता है. एक बार एक एक बोल्ड सीन को करते हुए हीरों कुछ अधिक इंटीमेसी करने लगा, जिससे मैं बहुत असहज हुई, क्योंकि हीरो नया था और उसे ऐसे दृश्य करने का अनुभव नहीं था, डायरेक्टर ने देखा और फिर उसे समझाया गया, फिर बाद में शूट किया गया.

एक जैसे आइटम डांस  

खुशी कहती है कि आइटम सौन्ग आजकल हर बड़ी हिरोइन करती है, क्योंकि वे डांस अच्छा जानती है, ऐसे में आइटम सॉन्ग से उनकी पॉपुलरिटी बढ़ाती है. ये सही है कि डांस मुव्स में वैरायटी की कमी है, लेकिन डांस स्टेप वही चलता है, जिसे दर्शक पसंद करते है. कुछ नया करने से सभी घबराते है. ये सही है कि पहले की फिल्मों में हेलेन और मुमताज के डांस स्टेप काफी वैराइटी लिए होते थे, वह उस दौर की पसंद को ध्यान में रखकर ही किया जाता रहा है. मुझे आइटम सौन्ग करने की इच्छा बहुत पहले से है, क्योंकि मैं एक डान्सर हूं और डांस के मुव्स को अच्छी तरह से समझ सकती हूं अब मुझे इसका मौका मिला है.

खुशी आने वाले साल को अपने परिवार के साथ मनाना चाहती है और अपने पेट्स को भी घूमाने ले जाने वाली है. नए साल की मेसेज देते हुए कहती है कि आने वाले साल को मेहनत और लगन के साथ काम करते हुए बिताएं और तनाव को जीवन में जगह न दें, जो मिला उसमें खुशियां ढूंढ़े, तभी जिंदगी बेहतर बन सकती है.

स्किन टोन के हिसाब से खरीदें Nail Polish, बढ़ जाएगी हाथों की रौनक

Nail Polish : आपकी फ्रेंड ने बहुत गहरे रंग की नेल पोलिश लगाई , जिसे देखकर आप उसके हाथों की दीवानी बन गई. और बिना कुछ सोचें आपने भी उसे खरीदने का मन बना लिए. लेकिन जब आपने उसे पने नाखूनों पर टाई किया तो आपको न कोई तारीफ मिली और न ही आपके हाथों की रौनक बढ़ी , जिसे देखकर आप निराश हो गई. लेकिन क्या आपने सोचा  है कि आपके साथ ऐसा क्यों हुआ? इसका कारण है कि जिस तरह स्किन टोन व स्किन टाइप को ध्यान में रखकर क्रीम्स का चयन किया जाता है, ठीक उसी तरह नेल पौलिश का भी. ताकि वो आपके हाथों को भद्दा नहीं बल्कि उसकी रौनक को बढ़ाने का काम करें. तो चलो जानते हैं कि किस स्किन टोन पर कैसी नेल पौलिश अच्छी लगेगी.

स्किन टोन को ध्यान में रखें 

– अगर आपकी स्किन वाइट है और आप बहुत अधिक ग़हरे शेड्स लगाना चाहती हैं तो आपके हाथों पर डार्क ब्लू, रेड, मजेंटा , ऑरेंज, रूबी शेड्स काफी ज्यादा फबेंगे. क्योंकि ये आपके हाथों को और ब्राइट बनाने का काम करते हैं. आप ट्रांसपेरेंट शेड्स को  टाई न करें, क्योंकि ये आपकी स्किन में मिल जाने के कारण आपके हाथों को डल दिखाने का ही काम करेंगे.

-अगर आपका स्किन टोन डस्की यानि सांवली स्किन है तो आप ज्यादातर नेल पैंट्स टाई कर सकते हैं. क्योंकि डस्की ब्यूटी का कोई मुकाबला जो नहीं है, उन पर ज्यादातर चीजें फबती हैं.  इन पर ब्राइट और वाइब्रेंट कलर्स जैसे पिंक, येलो, ऑरेंज के साथसाथ मैटेलिक कलर्स जैसे गोल्ड और सिल्वर कलर भी काफी अच्छे लगते हैं. क्योंकि ये स्किन टोन को और उभारने का काम जो करते हैं.

– आपका स्किन टोन अगर डार्क है और आप यह सोच रही हैं कि मेरे नेल्स पर तो कोई भी नेल पौलिश सूट नहीं करेगी तो आपकी ये सोच बिलकुल गलत है. क्योंकि अगर आप डीप रेड, पिंक और नियोन  कलर्स अपने नेल्स पर लगाती हैं तो ये कलर्स अच्छे से ब्लेंड होकर आपकी स्किन को वाइब्रेंट लुक देने का काम करते हैं.

अलग अलग प्रकार की नेल पौलिश   

अभी हमने बात करी थी स्किन टोन के हिसाब से नेल पौलिश खरीदने की, लेकिन आपको बता दें कि नेल पौलिश भी कई तरह की होती हैं. जैसे मैट, शीर फिनिश, ग्लोसी, क्रीमी, ग्लिटरी, मेटालिक, टेक्सचरड फिनिश, जो हर स्किन टोन पर सूट करती है. इसे आप अपनी पसंद के हिसाब से चूज़ करके अपने हाथों की खूबसूरती को बड़ा सकती हैं. वैसे आजकल जैल और लौंग लास्टिंग ग्लोसी फिनिश वाली नेल पौलिश काफी डिमांड में हैं.

कैसे लगाएं नेल पौलिश 

भले ही आपने अपनी स्किन टोन के हिसाब से नेल पौलिश का चयन किया हो , लेकिन अगर उसे सही तरीके से नहीं लगाया तो आपकी सारी मेहनत पर पानी फिर सकता है. इसलिए जब भी नेल पौलिश लगाएं तो सबसे पहले नेल्स को अच्छे से फाइल कर लें, ताकि नेल पौलिश उभर कर आ सके. साथ ही आप हमेशा ड्राई नेल्स पर ही नेल पौलिश अप्लाई करें , क्योंकि इससे उसके हटने का डर नहीं रहता है. नाखूनो पर हमेशा नेल पोलिश की फिनिशिंग नजर आए , इसके लिए आप पहले सिंगल कोट लगाएं, फिर उसके सूखने के बाद ही दूसरा कोट अप्लाई करें. आप चाहें तो क्यूटिकल आयल का इस्तेमाल नेल पेंट अप्लाई करने के बाद जरूर करें, क्योंकि इससे नेल्स हाइड्रेट रहते हैं. समय समय पर मेनीक्योर करवाती रहें , क्योंकि इससे नेल्स क्लीन रहेंगे, जो न सिर्फ दिखने में अच्छे लगेंगे बल्कि नेल्स को मजबूत बनाने के साथसाथ उनकी ग्रोथ में भी मददगार साबित होंगे.

खरीदें हमेशा ब्रैंडेड नेल पौलिश 

जितना जरूरी होता है स्किन टोन के हिसाब से नेल पौलिश को खरीदना, उतना ही जरूरी होता है ब्रैंडेड नेल पौलिश को खरीदना. क्योंकि लोकल नेल पौलिश भले ही आपको सस्ते दामों और डिफरेंट कलर्स में मिल जाए , लेकिन वो नेल्स को कमजोर बनाने के साथसाथ उनके मोइस्चर को चुरा लेती है. साथ ही बहुत ज्यादा केमिकल्स  वाली नेल पौलिश इस्तेमाल करने  से नेल्स पर पीलापन आने लगता है. इसलिए जब भी खरीदें हमेशा ब्रैंडेड नेल पौलिश ही खरीदें.

सोशल मीडिया इफ्लुएंसर Manisha Rani को मिला टीवी सीरियल में लीड रोल…

Manisha Rani : सोशल मीडिया इफ्लुएंसर के तौर पर अपना करियर शुरू करने वाली ऐक्ट्रेस मनीषा रानी ने बिग बौस ओटीटी 2 में अपने मस्त मौला अंदाज के साथ न सिर्फ दर्शकों का दिल जीत लिया बल्कि टीवी इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान भी बना ली. बिग बौस ओटीटी 2 में काफी समय तक टिकने वाली और अपने बिहारी अंदाज में बात करने वाली ग्लैमरस और चुलबुली प्रतियोगी मनीषा रानी ने छलांग लगा दी है.

मनीषा रानी जल्द ही टीवी शो हाले दिल में मुख्य भूमिका निभाती नजर आएंगी, अपने रोल के बारे में बताते हुए मनीषा रानी का कहना है कि इस सीरियल में उनका वही रोल है जो वह असल जीवन में है. शो काफी मजेदार है जिसकी कहानी आम लड़कियों की जिंदगी से मिलती जुलती है. गौरतलब है अपने खास डांस अंदाज के चलते मनीषा रानी झलक दिखला जा की विजेता भी रह चुकी हैं.

अपने इस लीड रोल वाले सीरियल के बाद मनीषा रानी न सिर्फ खुश है बल्कि आगे के लिए और ज्यादा प्रोत्साहित हो गई हैं. उनके अनुसार मैं आज जनता की वजह से ही यहां तक पहुंची हूं और मेरी इच्छा है कि जितना प्यार मुझे जनता ने दिया है उतना ही और अच्छा काम में अपने प्रशंसकों के लिए अच्छा काम करूं. मेरे पास और भी कई अच्छे प्रोजेक्ट आ रहे हैं जिसकी खबर और खुशखबरी में आप लोगों को देती रहूंगी.

रणबीर कपूर के साथ Sonakshi Sinha कभी नहीं करेंगी फिल्म !

Sonakshi Sinha  : बौलीवुड में कई ऐसी हीरोइन हैं, जो खास तौर पर कुछ हिट हीरोज के साथ काम करना नहीं चाहती. जिसमें से एक नाम आता है बिपाशा बसु का जिन्होंने इमरान हाशमी को छोटे कद वाला कहकर इमरान हाशमी के साथ फिल्म करने से इनकार कर दिया था. लेकिन बाद में अपनी गलती मानते हुए बिपाशा बसु ने इमरान हाशमी के साथ फिल्म राज 3 में काम किया.

बिपाशा की तरह प्रसिद्ध हीरोइन सोनाक्षी सिन्हा जो अपने अच्छे स्वभाव के लिए पहचानी जाती हैं उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में रणबीर कपूर के साथ कोई भी फिल्म ना करने की बात की. सोनाक्षी सिन्हा के अनुसार सोनाक्षी के करियर के शुरुआत में उनको रणबीर कपूर के साथ एक फिल्म औफर हुई थी जिसमें रणबीर कपूर ने सोनाक्षी के साथ काम करने से इनकार कर दिया था. इसकी वजह थी सोनाक्षी का उम्र में बड़ा दिखना.

उस दौरान रणबीर कपूर ने निर्माता से सोनाक्षी को फिल्म से हटाने की मांग की. लेकिन निर्माता ने शत्रुघ्न सिन्हा के डर से रणबीर कपूर को फिल्म से हटा दिया. यही वजह है कि करियर की शुरुआत में इस कड़वे अनुभव के चलते सोनाक्षी ने रणबीर कपूर के साथ कभी भी काम न करने की कसम खाई है.

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