औफिस की मुश्किल सिचुएशन

औफिस में कई बार कठिन परिस्थितियां आती हैं क्योंकि यहां आप को कैरियर के साथसाथ कलीग्स और बौस का भी खयाल रखना पड़ता है. इन मुश्किलों से निबटने के लिए काफी सावधानी और संयम बरतने की जरूरत पड़ती है. जानिए ऐसी ही कुछ मुश्किल सिचुएशंस और उन के समाधान के बारे में.

1. आप का पूर्व बौस आप का जूनियर बन जाए

आप जिस कंपनी में काम करते थे, वहां के बौस का आप बड़ा सम्मान करते थे. अचानक एक दिन आप को पता लगता है कि वही बौस आप की मौजूदा कंपनी में काम करने लगा है और अब वह आप को रिपोर्ट करेगा यानी अब वह आप का जूनियर है. ऐसी स्थिति में आप को सिचुएशन को बहुत ही आराम से हैंडिल करना होगा. इस बात का खयाल रखें कि पूर्व बौस को इंडस्ट्री में आप से ज्यादा अनुभव है और मौजूदा स्थिति में उसे कंफर्टेबल होना चाहिए. आप को उस से सलाह लेनी चाहिए. अगर आप अपने पूर्व बौस के साथ काम करने में सहज नहीं हैं तो आप प्रबंधन की मंजूरी से एक अलग टीम के साथ काम कर सकते हैं. अगर आप को मौजूदा स्थिति में ही काम करना है तो पूर्व बौस से काम की चुनौतियों को ले कर चर्चा करें. आप अब भी अपने पर्सनल स्पेस में पूर्व बौस का सम्मान करते रहें. अपने नियोक्ता को इस बारे में बता दें कि वह शख्स आप का बौस रह चुका है. अगर आप खुद ऐसे व्यक्ति को रिपोर्ट कर रहे हैं, जो पहले आप के जूनियर के तौर पर काम कर चुका है तो प्रोफैशनल की तरह व्यवहार करें.

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2. आप के बारे में गौसिप का माहौल

कई बार आप को पता चलता है कि औफिस में आप को ले कर काफी नैगेटिव बातें हो रही हैं जिन्हें सुन कर आप का मन दुखी भी हो जाता है और आप का औफिस जाने का भी मन नहीं करता. ऐसी स्थिति में आप को धैर्य से काम लेना होगा. अगर आप सब से उलझेंगे तो आप के रिश्ते सब के साथ और भी बिगड़ जाएंगे. वक्त के साथसाथ ऐसी बातों पर से लोग खुद ही अपना ध्यान हटा लेते हैं. वहीं, अगर आप को अफवाहें फैलाने वाले का पता चल जाए तो अलग से उस से बात जरूर करें और प्रेमपूर्वक मामला सुलझा लें.

3. आप का दोस्त काम में दक्ष नहीं है

औफिस में अगर आप को प्रमोशन दे कर टीम लीडर बनाया गया हो और आप के बैस्ट फ्रैंड को इग्नोर किया गया हो क्योंकि वह अपने काम में दक्ष नहीं है, यह भी हो सकता है कि नियोक्ता आप को यह जिम्मेदारी सौंप दें कि आप उस की परर्फौमैंस सुधारने के लिए काउंसलिंग करें, अगर वह खुद को इंप्रूव नहीं कर पाया तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा. ऐसी स्थिति में अपने दोस्त से किसी रैस्टोरैंट वगैरह में मिलें. उसे बताएं कि आप को क्या जिम्मेदारी दी गई है और आप उसे दोस्त के रूप में पहली प्राथमिकता देते हैं, लेकिन फिर भी आप को बौस की बात को फौलो करना पड़ेगा. ऐसी स्थिति में वह आप की स्थिति को जरूर समझेगा और इस से आप दोनों का रिलेशन भी खराब नहीं होगा.

4. बौस के साथ सार्वजनिक झगड़ा

कभीकभी जब बौस बुरी तरह चिल्लाने लगता है तो अधीनस्थ कर्मचारी भी धैर्य खो देता है और वह भी पलट कर ऊंचे स्वर में जवाब देने लगता है. इस से मामला बिगड़ जाता है. कभी ऐसा हो जाए तो उस वक्त तुरंत अपनी जगह पर जा कर बैठ जाएं. लेकिन कुछ समय बाद सब के सामने बौस से गंभीरतापूर्वक क्षमा मांग लें. उन्हें बेहद सधी हुई भाषा में बता दें कि उन के जोर से बोलने के कारण आप ने अपना संयम खो दिया था, जो आप को नहीं खोना चाहिए था. इस से बौस को अपनी गलती समझ में आ जाएगी और आप के द्वारा सब के सामने माफी मांगने से उन के सम्मान को लगी ठेस भी दूर हो जाएगी. आप के और बौस के रिश्ते फिर से पहले जैसे हो जाएंगे.

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5. सहकर्मी जीवनसाथी को प्रमोशन मिल गया

अगर आप का पति/पत्नी आप की कंपनी में ही काम करता है और उसे प्रमोशन मिलता है तो आप को खुशी के साथसाथ ईर्ष्या भी होगी. खुद को थोड़ा समय दें और पता करें कि क्या आप इस स्थिति को उस कलीग के रूप में ले सकते हैं, जिसे प्रमोशन मिला है और आप को नहीं. इस बात को पहचानें कि आप की पहली प्राथमिकता निजी संबंध होने चाहिए. अगर आप को लगता है कि इस घटना का सामाजिक और निजी प्रभाव बहुत ज्यादा चुनौतीपूर्ण है तो आप कंपनी बदल सकते हैं. अगर आप को लगता है कि आप अपने इमोशंस पर कंट्रोल कर सकते हैं तो वहीं काम करते रहें. आप चाहें तो अपनी फीलिंग्स को अपने जीवनसाथी के साथ भी शेयर कर सकते हैं और पता कर सकते हैं कि वह इस के बारे में क्या सोचता है. अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं जिसे प्रमोशन मिला है और जीवनसाथी उसी कंपनी में काम करता है तो पहले अपने निजी जीवन पर फोकस करना चाहिए और पार्टनर के प्रति संवेदनशील बनना चाहिए.

6. दो बौस के बीच जिन की न बनती हो

एकदूसरे को पसंद न करने वाले दो सीनियर्स के बीच में फंस जाना वाकई खतरनाक स्थिति है. ऐसी स्थिति में हर बौस आप से दूसरे बौस के बारे में जानकारी जुटाने में लगा रहेगा. इस से आप का समय बरबाद होगा और आप अपना काम पूरा नहीं कर पाएंगे. वैसे इस अनुभव से आप को पता लग जाएगा कि अलगअलग स्वभाव के 2 बौस को एकसाथ किस तरह से साधना है. आप को दोनों की निगाहों में अच्छा बने रहना होगा. किसी भी बौस की बुराई करने के बजाय हां में हां मिलाना अच्छा रहेगा. कोशिश करें कि किसी भी नैगेटिव चर्चा का हिस्सा बनने से बचें. कुछ समय बाद आप के बौस आप की इस आदत से काफी खुश होंगे कि आप पीठपीछे किसी की भी बातें नहीं करते.

7. नौकरी छोड़ना चाहते हैं

अगर आप जौब छोड़ना चाहते हैं तो किसी से चर्चा न करें. अगर कोई ऐसा कलीग है जिसे आप बचपन से जानते हैं और उस के साथ हर बार जौब स्विच की है तो उस से बातें शेयर कर सकते हैं. इस के अलावा किसी से बात शेयर करना खतरनाक हो सकता है.

8. शिकायत करना चाहते हैं

किसी की भी शिकायत करने से पहले फैक्ट्स जांच लें. ईमेल या किसी विश्वसनीय गवाह की मदद लें. अगर आप किसी जांचपड़ताल के बिना ही शिकायत करेंगे तो नुकसान आप को ही होगा.

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9. किसी से लड़ना चाहते हैं

औफिस के किसी सहकर्मी के साथ अनबन हो गई है और आप उसे मजा चखाना चाहते हैं. ऐसे में विचार करें कि क्या आप उस के साथ लड़ाई में जीत सकते हैं या नहीं. अगर नहीं जीत सकते तो रहने दें. ऐसा न हो कि खुद ही लड़ाई से परेशान हो कर रह जाएं.

#lockdown: फैमिली के लिए बनाएं दही के कबाब

अगर आप भी लॉकडाउन में कुछ टेस्टी और हेल्दी डिश ट्राय करना चाहते हैं तो दही के कबाब आपके लिए परफेक्ट रेसिपी है. दही के कबाब आसानी से बनने वाली रेसिपी है, जिसे आप अपनी फैमिली के लिए कभी भी स्नैक्स के रूप में सर्व कर सकते हैं.

हमें चाहिए

– पानी निकला दही

– भुना हुआ बेसन  (2-3 बड़े चम्मच)

– कार्न फ्लोर ( 03 बड़े चम्मच)

– तेल/घी  (02 बड़े चम्मच)

– हरी धनिया (02 बड़े चम्मच कटी हुई)

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– हरी मिर्च  (01 बारीक कटा हुआ)

– अदरक का पेस्ट (1/2 छोटा चम्मच)

– काली मिर्च पाउडर (1/5 छोटा चम्मच)

– नमक (स्वादानुसार)

दही के कबाब बनाने की विधि :

– सबसे पहले आपको पानी निकला दही बनाना होगा-

– इसके लिए 500 ग्राम ताजा दही लें और उसे सूती कपड़े में बांध कर पोटली नुमा बना लें.

– पोटली को थोड़ा ऊंचाई पर लटका दें और उसके नीचे एक बाउल रख दें.

– 4-5 घंटे में दही से पानी निचुड कर बाउल में जमा हो जाएगा और कपड़े में बचेगा पानी निकला दही.

– अब कबाब बनाने की बारी है-

– इसके लिए एक बड़े बाउल में हंग कर्ड को रखें और उसमें भुना बेसन मिला दें.

– साथ ही बाउल में हरी धनिया, हरी मिर्च, काली मिर्च पाउडर, अदरक पेस्ट और नमक डाल दें.

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– अब सारी चीजों को आपस में अच्छी तरह से मिला लें.

– अब कौर्न फ्लोर को एक बडी प्लेट में निकाल लें.

– इसके बाद थोड़ा सा कौर्न फ्लोर हाथों में लगाएं और कबाब बनाने भर का बेसन का मिश्रण हाथ में लें और उसे गोल कर लें.

– इसके बाद गोले को हथेलियों से दबा कर चपटा कर लें और उसके दोनों ओर कौर्न फ्लोर अच्छी तरह से लगा लें.

– सारे कबाब इस तरह तैयार करने के बाद नौन स्टिक तवा गरम करें.

– तवा गरम होने पर उसमें 2 छोटे चम्मच तेल डालें.

– तेल गरम होने पर कबाब को तवे पर रखें और धीमी आंच में हल्का भूरा होने तक सेंक लें.

– एक ओर का कबाब सिंकने के बाद उसे पलट दें और दूसरी ओर से भी इसी तरह सेंक लें.

– आपके स्‍वादिष्‍ट आपके दही कबाब तैयार हैं.

– कबाब को हरी धनिया की चटनी और टोमैटो सौस के साथ परोसें.

#coronavirus: प्लेवर्क फर्नीचर से औफिस को दें नया लुक

कोरोना का संक्रमण दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. इंडिया में कुल मामले 28,000 से ज्यादा होने गई है. हाल ही में सरकार ने यह अन्नाऊंस किया कि  सरकारी दफ्तर और आईटी  कंपनी अब खुल जाएंगे.  वहीं दूसरी ओर लॉक डाउन के दौरान काफी मीडिया हाउस है जो रोज़ाना काम कर रहे है. ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि ये वायरस एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है.

हमें ऑफिस में भी कई तरह की सावधानी बरतने की ज़रूरत है. जैसे कि एक दूसरे से थोड़ा दूर बैठे, हर घंटे साबुन से हाथ धोये, अपने आस पास की चीज़े सैनीटाइज़ करे, मुंह पर मास्क लगाकर रखें. फ़ुरसीज़ ग्रुप, दक्षिण कोरिया सौंदर्य डिजाइन, गुणवत्ता सामग्री और उच्च कार्यक्षमता के साथ फर्नीचर लाइनों के लिए जाना जाता है.

प्लेवर्क्स” फर्नीचर

इंडो इनोवेशंस के सहयोग से, फ़ुरसीज़ ने “प्लेवर्क्स”  फर्नीचर को हाल ही में लांच किया. यह फर्नीचर खासकर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए बनाया गया है. बता दें की आप यह फर्नीचर अपने दफ्तर में इस्तेमाल कर सकते है. यह आपको अपनी ऑफिस के सहकर्मियों से दूरी बनाएं रखने में आपकी मदद करेगा.

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वर्तमान विश्व परिदृश्य को देखते हुए, हम आने वाले समय में भी सोशल -डिस्टन्सिंग का पालन करना पड़ेगा.वह भी काफी लम्बे समय तक . प्लेवर्क्स, आपको  सोशल -डिस्टन्सिंग का पालन करने में आपकी मदद करेगा .

स्पेशल फीचर

प्लेवर्क्स फर्नीचर में स्क्रीन इनबिल्ट मिलेगी जिससे आप अपने सहकर्मी से आसानी से डिजिटल माध्यम से काम कर सकते है. यह फर्नीचर आप ऑफिस के कई हिस्सों में इस्तेमाल कर सकते है जैसे कि रिसेप्शन, वेटिंग एरिया, ब्रेक-आउट ज़ोन, एयरपोर्ट लाउंज आदि में रखा जा सकता है. इस उत्पाद का एक और दिलचस्प उपयोग आधुनिक बोर्डरूम में है.

प्लेवर्क्स, यह सुनिश्चित करने के लिए है कि यह सहकर्मियों से पर्याप्त दूरी बनाए रखते हुए उपयोगकर्ताओं को आराम के साथ-साथ दक्षता की आवश्यकता है.

आप यह मीटिंग के दौरान अपने कांफ्रेंस रूम में भी इसका इस्तेमाल कर सकते है . इसमें लगा टैबलेट स्टैंड  अडजस्टेबल है. इस फर्नीचर में  इलेक्ट्रॉनिक्स चीज़े चलाने के लिए इसमें  बिजली की सुविधा भी है और इसकी सीट आप आसानी से घुमा भी सकता है.

यह फर्नीचर आने वाले समय में हम सभी के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकता है. इसका इस्तेमाल आप घर में भी आसानी से कर सकते है. यह आपको घर में भी  सोशल -डिस्टन्सिंग के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है.

आशीष अग्रवाल, सी ई ओ ,इंडो इनोवेशन्स से बातचीत पर आधारित.

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तबियत बिगड़ने के बाद एक्टर ऋषि कपूर का हुआ निधन, बिग बी ने दी जानकारी

बॉलीवुड के फेमस एक्टर ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) को बुधवार रात मुंबई के एनएच. रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में एडमिट किया गया, जिसके बाद उनका आज यानी 30 अप्रैल को निधन हो गया. बीती रात ऋषि कपूर की तबियत कुछ ज्यादा ही खराब हो गई, जिसकी वजह से उन्हें जल्दी में हॉस्पिटल ले जाया गया. वहीं ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) के निधन के खबर उनके खास दोस्त एक्टर अमिताभ बच्चन ने दी है.

एक्टर रणधीर कपूर ने भाई ऋषि कपूर के अस्पताल में भर्ती होने की खबर बताई थी कि उनकी तबियत ठीक नहीं है, इसलिए उन्हें एडमिट किया गया है. अस्पताल में ऋषि कपूर की पत्नी नीतू सिंह उनके साथ हैं.

बिग बी ने दी जानकारी

ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) के निधन की दुखद खबर बिग बी ने अपने ट्वीट के जरिए उनके फैंस को बताई और लिखा कि ऋषि कपूर (Rishi Kapoor) हमें छोड़ कर चले गए हैं. मैं पूरी तरह टूट चुका हूं.  जानकारी के अनुसार, 67 वर्षीय ऋषि कपूर को चेस्ट इन्फेक्शन, सांस लेने में दिक्कत और हल्का बुखार है. उनका कोविड-19 टेस्ट भी कराया जाएगा. दो स्पेशलिस्ट डॉक्टर उनका इलाज कर रहे हैं.

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पिछले तीन महीनों से ऋषि कपूर की तबियत कई बार खराब हो चुकी है, दिल्ली में शूटिंग के दौरान भी ऋषि की तबियत बिगड़ गई थी पिछले दिनों ही ऋषि कपूर ने फिल्म ‘शर्माजी नमकीन’ की शूटिंग दिल्ली में शुरू की थी. फरवरी महीने की शुरुआत में जब उनकी तबियत खराब हुई थी, तब उन्हें दिल्ली के अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. खराब तबीयत की वजह से ऋषि अपने भांजे अरमान जैन की मेहंदी सेरिमनी में भी नहीं पहुंच पाए थे. उस समय भी उन्हें जल्दी दिल्ली के अस्पताल में ऐडमिट कराया गया था.

पिछली बार जब ऋषि कपूर मुंबई के अस्पताल में भर्ती हुए थे तब एक बातचीत में बताया था, ‘मुझे इंफेक्शन हुआ था और उसका इलाज चल रहा है. कोई घबराने की बात नहीं है. शायद प्रदूषण की वजह से मुझे इंफेक्शन हो गया.’

आपको बता दें वर्ष 2018 में खबर आई थी कि वो कैंसर से पीड़ित हैं, अपने इलाज के लिए वो न्यूयॉर्क गए. करीब एक साल तक वो न्यूयॉर्क में ही रहे और उनका इलाज चला. ऋषि कपूर जब न्यूयॉर्क में इलाज के लिए थे तो नीतू सिंह उनके साथ ही रहीं. ऋषि कपूर पिछले साल सितंबर में भारत लौटे थे. वहां करीब एक साल तक उनका कैंसर का इलाज चला.

ऋषि कपूर ने न्यू यॉर्क से लौटने के बाद 2012 में रिलीज हुई फ्रेंच फिल्म ‘द बॉडी’ की इसी नाम से बनी हिंदी फिल्म में काम किया था. इस फिल्म में उनके साथ इमरान हाशमी और शोभिता धुलिपाला मुख्य भूमिकाओं में थे.

सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले ऋषि कपूर ने 2 अप्रैल को ट्विटर पर एक पोस्ट किया था. अपनी पोस्ट में उन्होंने दीपिका पादुकोण के साथ आने वाली अपनी एक फिल्म के बारे में बताया था. उसके बाद से कोई पोस्ट नही किया.

जानें क्या है न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर, जिससे लड़े थे इरफान खान

साल 2018 में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर बीमारी से एक्टर इरफान खान इस बीमारी से पीड़ित हुए थे, जिसके साल भर बाद लंदन में पूरी तरह इलाज करवाने के बाद इरफान ठीक हो गए थे, लेकिन आज यानी 29 अप्रैल को उनका पेट में इंफेक्शन के चलते निधन हो गया. The Lunchbox और Piku जैसी फिल्मों से फैंस का दिल जीत चुके एक्टर इरफान खान की न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर बीमारी के बारे में आज हम आपको पूरी जानकारी देंगे. साथ ही इसका इलाज किस तरीके से होता है इसके बारे में बताएंगे….

न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर उस अवस्था को कहते हैं, जिस में शरीर में हार्मोंन पैदा करने वाले ‘न्यूरोएंडोक्राइन सेल्स’ सामान्य से बहुत ज्यादा हार्मोन बनाने लगते हैं. एक तरह से यह शरीर में हार्मोंस बनने की अधिकता की बीमारी है. इसलिए इस ट्यूमर को कारसिनौयड्स भी कहते हैं.

हालांकि जिन कुछ खास लोगों में यह बीमारी सामने आई है, उन में से ज्यादातर के पेनक्रियाज में ये ट्यूमर पाए गए हैं.

लेकिन पेनक्रियाज शरीर की अकेली जगह नहीं है, जहां यह ट्यूमर हो सकता है. यह ट्यूमर शरीर के कई हिस्सों में हो सकता है, जैसे कि लंग्स, गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल टै्रक्स, थायरौयड या एड्रिनल ग्लैंड.

असल में यह शरीर में अपनी मौजूदगी के विशेष स्थान के आधार पर ही अपना आकार, प्रकार तय करता है. इस का इलाज संभव है, बशर्ते समय रहते या इस ट्यूमर के एडवांस स्टेज में पहुंचने के पहले इस का पता चल जाए.

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बहरहाल ये ट्यूमर एक नहीं 3 प्रकार के होते हैं.

  1. गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल न्यूरोजएंडोक्राइन टयूमर- यह गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल टै्रक्ट के किसी भी हिस्से में हो सकता है, जिस में बड़ी आंत और एपेंडिक्स शामिल हैं.
  2. लंग न्यूरोजएंडोक्राइन ट्यूमर- यह फेफड़ों में होने वाला ट्यूमर है, जिस में खांसी के दौरान ब्लड आना और सांस लेने में दिक्कत होती है.
  3. पेंक्रियाटिक न्यूरोजएंडोक्राइन ट्यूमर – यह पेनक्रियाज में होने वाला ट्यूमर है. हार्मोन से जुड़ाव के कारण न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर ब्लड शुगर को काफी प्रभावित करता है.

सवाल है, आखिर यह ट्यूमर होता क्यों है? इस की कई वजह हैं, मसलन इस की एक सब से बड़ी वजह मातापिता में इस बीमारी के होने को माना जाता है. माता या पिता में से किसी एक को भी अगर यह बीमारी है तो बच्चों में भी इस के होने की आशंका बढ़ जाती है.

इस के होने का दूसरा बड़ा कारण स्मोकिंग और ढलती उम्र के साथ शरीर का कमजोर प्रतिरक्षातंत्र भी होता है. असल में जब हमारे अंदर किसी भी किस्म की बीमारी से लड़ने की स्वाभाविक ताकत नहीं रहती तो कोई भी बीमारी परेशान कर सकती है.

इस के अलावा अल्ट्रावायोलेट किरणें भी न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर होने के खतरे को बढ़ाती हैं. लेकिन इतना खतरनाक होने के बावजूद भी यह कई दूसरी बीमारियों की तरह बहुत चुपचाप वार करने वाली बीमारी है या कहें साइलैंट किरण है.

इस बीमारी की पहचान

आखिर हम कैसे जानें कि वे कौन सी चीजें हैं, जिन की शरीर में मौजूदगी से पता चल सके कि हम न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर का शिकार हो चुके हैं. इस की मौजूदगी के सामान्य लक्षण इस तरह है-ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, थकान या कमजोरी लगातार महसूस होती है. पेट में अकसर दर्द बना रहता है और वजन गिरने लगता है.

कई बार इस के चलते टखनों में सूजन भी आ जाती है और त्वचा में बहुत चमकीले धब्बे निकलने लगते हैं. जब यह बीमारी काफी ऊंची स्टेज में पहुंच गई हो और लोग इस का पता न लगा पा रहे हों तो भी इस का पता लगाया जा सकता है. मसलन अगर शरीर से सामान्य से ज्यादा पसीना आ रहा है और रह रह कर बेहोशी छा रही है. बहुत डलनेस महसूस हो रही है तो फिर इसे होने से कोई नहीं रोक सकता.

इस बीमारी में खासतौर पर शरीर में ग्लूकोज का लेबल तेजी से बढ़ने या गिरने लगता है. जिन लोगों को इस के बारे में ज्यादा कुछ मालूम न हो और इसे जानना चाहते हों तो इसे कुछ इस प्रकार समझना चाहिए.

— सीबीसी, बायोकैमेस्ट्री टेस्ट, सीटी स्केन, एमआरआई और बायोप्सी कर के इस बीमारी की पुष्टि की जाती है.

— इस के अलावा बेरियम टेस्ट, पैट स्केन, एंडोस्कोपी व बोन स्कैन भी इस का पता लगाने में सहायता करते हैं.

— आखिर ट्यूमर किस स्टेज में है यह भी कुछ जांचों से पता चल जाता है.

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जहां तक इस के इलाज का सवाल है तो इस का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि वह शरीर के किस हिस्से में है. साथ ही वह किस स्टेज में है.

इलाज के जो कई तरीके हैं, उन में से एक तरीका सर्जरी की मदद से इस ट्यूमर को हटाया जाना भी है. कुछ मामलों में रिजल्ट के आधार पर दोबारा सर्जरी भी की जाती है, ड्रग थैरेपी भी देते हैं. इस में कीमोथैरेपी, टारगेटेड थैरेपी और दवाएं ली जाती हैं.

साथ ही रेडिएशन और लिवर डायरेक्टटेड थैरेपी भी दी जाती है. इस बीमारी को शायद आज पूरी दुनिया इतनी गहराई से नहीं जान पाती, यदि यह खास बीमारी स्टीव जौब्स को न हुई होती. इस बीमारी से पीडि़त स्टीव जौब्स वास्तव में अमेरिकी मल्टीनेशनल कंपनी एप्पल के पूर्व फाउंडर थे, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे. स्टीव जौब्स की मौत का कारण पेनक्रियाटिक न्यूरोजएंडोक्राइन ट्यूमर था, जिस का खुलासा उन्होंने 2009 में एक ओपन लैटर में दिया था.

अलविदा मकबूल: जब कैंसर से जूझ रहे इरफान खान ने लिखा था ये इमोशनल लेटर

बौलीवुड से लेकर हौलीवुड तक अपनी एक्टिंग से सभी का दिल जीतने वाले एक्टर इरफान खान (Irrfan Khan) का 54 साल की उम्र में निधन हो गया. पेट में इंफेक्शन की परेशानी से जूझ रहे इरफान खान (Irrfan Khan) की आज यानी बुधवार 29 अप्रैल को निधन हो गया है.

‘न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर’ नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित रह चुके इरफान खान का मानना था कि ‘अनिश्चितता में ही निश्चितता है’. लंदन में इलाज के दौरान इरफान ने अपने चाहनेवालों के लिए एक खत लिखा था. आप भी पढ़िए इस खत की कुछ खास बातें.

लंदन से एक खत

एक वक्त गुजर चुका है जब पता चला था कि मैं हाई-ग्रेड न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर से जूझ रहा हूं. यह मेरे शब्दकोश में एक नया नाम है, जिसके बारे में मुझे बताया गया कि यह एक असाधारण बीमारी है, जिसके कम मामले सामने आते हैं और जिसके बारे में अपेक्षाकृत कम जानकारी है और इसलिए इसके ट्रीटमेंट में अनिश्चितता की संभावना ज्यादा थी. मैं अब एक प्रयोग का हिस्सा बन चुका था.

मैं एक अलग गेम में फंस चुका था. तब मैं एक तेज ट्रेन राइड का लुत्फ उठा रहा था, जहां मेरे सपने थे, प्लान थे, महत्वकांक्षाएं थीं, उद्देश्य था और इन सबमें मैं पूरी तरह से अस्त-व्यस्त था. …और अचानक किसी ने मेरे कंधे को थपथपाया और मैंने मुड़कर देखा. वह टीसी था, जिसने कहा, ‘आपकी मंजिल आ गई है, कृपया उतर जाइए.’ मैं हक्का-बक्का सा था और सोच रहा था, ‘नहीं नहीं, मेरी मंजिल अभी नहीं आई है. उसने कहा, नहीं, यही है. जिंदगी कभी-कभी ऐसी ही होती है.’

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इस आकस्मिकता ने मुझे एहसास कराया कि कैसे आप समंदर के तेज तरंगों में तैरते हुए एक छोटे से कॉर्क की तरह हो! और आप इसे कंट्रोल करने के लिए बेचैन होते हैं.

इस उथल-पुथल, हैरानी, भय और घबराहट में अपने बेटे से कह रहा था, ‘केवल एक ही चीज जो मुझे अपने आप से चाहिए वह यह है कि मुझे इस मौजूदा परिस्थिति का सामना नहीं करना. मुझे मजबूत बने रहकर अपने पैरों पर खड़े रहने की जरूरत है, डर और घबराहट मुझ पर हावी नहीं होने चाहिए वरना मेरी लाइफ तकलीफदेह हो जाएगी.’

और तभी मुझे बहुत तेज दर्द हुआ, ऐसा लगा मानो अब तक तो मैं सिर्फ दर्द को जानने की कोशिश कर रहा था और अब मुझे उसकी असली फितरत और तीव्रता का पता चला. उस वक्त कुछ काम नहीं कर रहा था, न किसी तरह की सांत्वना, कोई प्रेरणा…कुछ भी नहीं. पूरी कायनात उस वक्त आपको एक सी नजर आती है- सिर्फ दर्द और दर्द का एहसास जो ईश्वर से भी ज्यादा बड़ा लगने लगता है.

जैसे ही मैं हॉस्पिल के अंदर जा रहा था मैं खत्म हो रहा था, कमजोर पड़ रहा था, उदासीन हो चुका था और मुझे इस चीज तक का एहसास नहीं था कि मेरा हॉस्पिटल लॉर्ड्स स्टेडियम के ठीक ऑपोजिट था. मक्का मेरे बचपन का ख्वाब था. इस दर्द के बीच मैंने विवियन रिचर्डस का पोस्टर देखा. कुछ भी महसूस नहीं हुआ, क्योंकि अब इस दुनिया से मैं साफ अलग था.

हॉस्पिटल में मेरे ठीक ऊपर कोमा वाला वॉर्ड था. एक बार हॉस्पिटल रूम की बालकनी में खड़ा इस अजीब सी स्थिति ने मुझे झकझोर दिया. जिंदगी और मौत के खेल के बीच बस एक सड़क है, जिसके एक तरफ हॉस्पिटल है और दूसरी तरफ स्टेडियम. न तो हॉस्पिटल किसी निश्चित नतीजे का दावा कर सकता है और ना स्टेडियम. इससे मुझे बहुत कष्ट होता है.

मेरे पास केवल बहुत सारी भगवान की शक्ति और समझ है. मेरे हॉस्पिटल की लोकेशन भी मुझे प्रभावित करती है. दुनिया में केवल एक चीज निश्चित है और वह है अनिश्चितता. मैं केवल इतना कर सकता हूं कि अपनी पूरी ताकत को महसूस करूं और अपनी लड़ाई पूरी ताकत से लड़ूं.

इस वास्तविकता को जानने के बाद मैंने नतीजे की चिंता किए बगैर भरोसा करते हुए अपने हथियार डाल दिए हैं. मुझे नहीं पता कि अब 8 महीने या 4 महीने या 2 साल बाद जिंदगी मुझे कहां ले जाएगी. मेरे दिमाग में अब किसी चीज के लिए कोई चिंता नहीं है और उन्हें पीछे छोड़ने लगा हूं.

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पहली बार मैंने सही अर्थों में ‘आजादी’ को महसूस किया है. यह एक उपलब्धि जैसा लगता है. ऐसा लगता है जैसे मैंने पहली बार जिंदगी का स्वाद चखा है और इसके जादुई पक्ष को जाना है. भगवान पर मेरा भरोसा और मजबूत हुआ है. मुझे ऐसा लगता है कि वह मेरे शरीर के रोम-रोम में बस गया है. यह वक्त ही बताएगा कि आगे क्या होता है लेकिन अभी मैं ऐसा ही महसूस करता हूं.

मेरी पूरी जिंदगी में दुनियाभर के लोगों ने मेरा भला ही चाहा है, उन्होंने मेरे लिए दुआ की, चाहे मैं उन लोगों को जानता हूं या ना जानता हूं. वे सभी अलग-अलग जगहों पर दुआ कर रहे थे और मुझे लगा कि ये सभी दुआएं एक बन गईं. इसमें वैसी ही ताकत थी जैसी पानी की तेज धारा में होती है और यह पूरी जिंदगी मेरे अंदर बसी रहेगी. यह मेरे भीतर एक नया जीवन उगते हुए देख रहा हूं जो हर एक दुआ से पैदा हुआ है. इन दुआओं से मेरे भीतर बहुत खुशी और उत्सुकता पैदा हो गई. वास्तव में आप अपनी जिंदगी को कंट्रोल नहीं कर सकते. आप धीरे-धीरे प्रकृति के पालने में झूल रहे हैं.

इरफान खान (Irrfan Khan) के अचानक चले जाने से उनके फैंस और पूरा बॉलीवुड सदमे में हैं. सबकी संवेदनाए उनके परिवार के साथ है.

अलविदा: 54 साल की उम्र में इरफान खान का निधन, इस वजह से हुई मौत

बौलीवुड से लेकर हौलीवुड तक अपनी एक्टिंग से सभी का दिल जीतने वाले एक्टर इरफान खान (Irrfan Khan) का 54 साल की उम्र में निधन हो गया है. बीती रात इरफान खान (Irrfan Khan) मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती हुए थे, जिसके बाद उनकी हालत गंभीर बताई जा रही थी. खबर है कि पेट में इंफेक्शन की परेशानी से जूझ रहे इरफान खान (Irrfan Khan) की आज यानी बुधवार 29 अप्रैल को निधन हो गया है, जिसकी खबर उनके दोस्त ने दी है.

शूजीत सरकार ने दी फैंस को दुखद खबर   

एक्टर इरफान खान (Irrfan Khan) के निधन की खबर उनके दोस्त और बौलीवुड डायरेक्टर शूजीत सरकार ने ट्वीट के जरिए देते हुए लिखा- मेरा प्यारा दोस्त इरफान. तुम लड़े और लड़े और लड़े. मुझे तुम पर हमेशा गर्व रहेगा. हम दोबारा मिलेंगे. सुतापा और बाबिल को मेरी संवेदनाएं. तुमने भी लड़ाई लड़ी. सुतापा इस लड़ाई में जो तुम दे सकती थीं तुमने सब दिया. ओम शांति. इरफान खान को सलाम.

2018 से बीमारी से जूझ रहे थे इरफान

दरअसल, दो साल पहले मार्च 2018 में इरफान (Irrfan Khan) को न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर नामक बीमारी का पता चला था, जिसके बाद उन्होंने विदेश में इस बीमारी का इलाज कराया था और वह ठीक हो गए थे. बॉलीवुड के टैलेंटेड एक्टर्स में से एक इरफान खान (Irrfan Khan) के अचानक चले जाने से उनके फैंस और बॉलीवुड सेलेब्स सदमे में हैं.

बता दें, बीमारी से ठीक होने के बाद इरफान खान(Irrfan Khan) भारत लौट आए थे, जिसके बाद उन्होंने अंग्रेजी मीडियम में काम किया था, जो उनकी आखिरी फिल्म साबित हुई. वहीं अब पूरा बौलीवुड उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है.

कोरोना संकट के दौर में सरकार ने तैयार किया ‘जल शक्ति अभियान 2020 ‘ 

पूरे देश में कोरोना का कहर बरस रहा है,भारी संख्या में  मजदूर पलायन कर के अपने अपने राज्यों में पहुंच चुके है.  ग्रामीण क्षेत्रों में भारी श्रम बल की उपलब्धता को देखते हुए , सरकार आगामी मॉनसून के मद्देनजर ‘जल शक्ति अभियान’ के तहत तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. केंद्र सरकार ‘जल शक्ति अभियान’ के विभिन्न आयामों के माध्यम से वर्तमान स्वास्थ्य संकट से उबरने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए पूरी तरह तैयार कर रही है. आइये जानते है, कोरोना संकट  के समय कैसे लाभ होगा इससे…

1. क्या है जल शक्ति अभियान

केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री ने 1 जुलाई, 2019 को जल-संरक्षण अभियान की शुरुआत की. इसके तहत देश के 256 जिलों के ज्यादा प्रभावित 1592 ब्लॉकों को प्राथमिकता के आधार पर चुना गया. इस अभियान को दो चरणों में चलाना तय किया गया है. पहला चरण 1 जुलाई, 2019 से शुरू होकर 15 सितम्बर, 2019 तक, तो दूसरा चरण एक अक्टूबर, 2019 से शुरू होकर 30 नवम्बर, 2019 तक. इस अभियान का फोकस पानी के कम दबाव वाले जिलों और ब्लॉकों पर होगा. दरअसल इस अभियान का मकसद जल-संरक्षण के फायदों को लेकर लोगों के बीच जागरुकता पैदा करना है ताकि देश के हर घर में नल का पानी उपलब्ध कराने में सहभागिता और जागरुकता का लाभ मिल सके. जलशक्ति अभियान पेयजल और स्वच्छता विभाग की पहल पर कई मंत्रालयों के साथ-साथ राज्य सरकारों का एक मिला-जुला प्रयास है. केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि जिला प्रशासन के साथ मिलकर जल संरक्षण को लेकर मंत्रालय द्वारा तय किए गए पाँच बिन्दुओं पर काम करेंगे ताकि मंत्रालय तय समय में अपना लक्ष्य हासिल कर सके. जलशक्ति मंत्रालय का लक्ष्य साल 2024 तक देश के हर घर में पीने का साफ पानी मुहैया कराना है.

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2. एक करोड़ जल संचयन ढांचे तैयार

बीते साल इस अभियान में जल संकट से जूझ रहे देश भर के 256 जिले शामिल थे. यह ‘अभियान’ सभी हितधारकों को जल संरक्षण अभियान के दायरे में लाने के लिए शुरू किया जनांदोलन है और बीते साल इसका देशव्यापी असर पड़ा था. राज्य सरकारों, केन्द्र सरकार, सामाजिक संगठनों,पंचायती राज संस्थानों और समुदायों सहित साढ़े छह करोड़ लोग इस अभियान से जुड़ गए हैं. 75 लाख पारंपरिक और अन्य जल स्रोत तथा तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया और लगभग एक करोड़ जल संरक्षण एवं  वर्षा जल संचयन ढांचे तैयार किया गया था. सरकार इस साल बीते साल के  कार्य को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रही है .

3. सभी राज्यों को जल संरक्षण व संग्रहण के लिए तैयारी करने को कहा गया

भारत में गर्मी का मौसम भी अपने परवान लेने लगा है वही मौसम विभाग का कहना है की तय समय पर मानसून भी आ जायेगा.आगामी मॉनसून के मद्देनजर अभियान के तहत तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. इस क्रम में ग्रामीण विकास विभाग, जल संसाधन, नदी विकास, गंगा संरक्षण विभाग, भूमि संसाधन विभाग और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा इस साल आने वाले मॉनसून के मद्देनजर सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को संयुक्त परामर्श जारी कर दिया गया है, साथ ही उन्हें जल संरक्षण व पुनः संग्रहण के लिए की जाने वाली तैयारियों के बारे में अवगत करने को कहा गया है.

4. पिछले साल के अभियान को तेजी से आगे बढ़ाया जायेगा

पिछले साल के अभियान को आगे बढ़ाते हुए इस साल सरकार ने ज्यादा व्यापक और ज्यादा मजबूत रणनीति बनाई गई थी, लेकिन मौजूदा स्वास्थ्य संकट को देखते हुए केन्द्र सरकार के अधिकारियों को इन गर्मियों में इस अभियान में नहीं लगाया जाएगा. साथ ही सुनिश्चित किया जाएगा कि इस साल मॉनसून के दौरान वर्षा जल के संरक्षण के लिए सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग किया जा सके. इसके साथ ही तैयारियों से संबंधित गतिविधियों को भी पूरा कर लिया गया है.

5. लॉक डाउन में छूट प्रदान

लॉक डाउन में छूट प्रदान करते हुए गृह मंत्रालय ने सिंचाई और जल संरक्षण कार्यों  को इस से अलग रखा है. लॉकडाउन के दौरान प्राथमिकता के आधार पर मनरेगा कार्यों एवं पेयजल तथा स्वच्छता कार्यों को कराए जाने के लिए स्वीकृति प्रदान कर दिया गया है.

6. सावधानियों बरतते हुए काम किया जायेगा

केन्द्र और राज्य क्षेत्र की योजनाओं में मनरेगा कार्यों के साथ उपयुक्त सामंजस्य के साथ सिंचाई और जल संरक्षण क्षेत्रों को शामिल किए जाने के लिए स्वीकृति दे दी गई है. साथ ही सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी कार्यों को सामाजिक दूरी के नियमों का पालन, फेस कवर या  मास्क के उपयोग और अन्य आवश्यक सावधानियों के साथ कराया जाए.

7. पारंपरिक जल स्रोतों और छोटी नदियों का जीर्णोद्धार किया जायेगा

 पारंपरिक जल स्रोतों का जीर्णाद्धार, जल स्रोतों से अतिक्रमण हटाए जाने, झीलों और तालाबों से गाद निकालने, प्रवेश और निर्गम मार्गों के निर्माण किया जाये और जहाँ जरुरत हो उसे मजबूत बनाना जाये, जल ग्रहण क्षेत्र की मरम्मत जैसे कार्य प्राथमिकता के आधार पर किए जा सकते हैं. इसी प्रकार छोटी नदियों के जीर्णोद्धार के लिए सामुदायिक नदी बेसिन प्रबंधन प्रक्रियाओं की भी शुरुआत की जा सकती है.

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8. संरक्षण क्षेत्रों को विकसित करने के लिए ठोस तंत्र उपलब्ध कराया जायेगा

जल जीवन मिशन के लिए स्थानीय समुदायों द्वारा तैयार ग्राम कार्य योजना  इसके अलावा ग्रामीण गतिविधियों के लिए ठोस तंत्र उपलब्ध कराया जाएगा. ऐसी गतिविधियों से ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्रोतों का स्थायित्व सुनिश्चित होगा और जल शक्ति मंत्रालय द्वारा लागू किए जा रहे जल जीवन मिशन को मजबूती मिलेगी.

#lockdown: सब्जी खरीदते समय रखें इन 5 बातों का ध्यान

जब सब्जी खरीदने की बात आती है तो ज्यादातर लोग बस दाम पर ही ज्यादा ध्यान देते हैं, लेकिन सिर्फ प्राइस कम है तो इस का मतलब तो यह नहीं कि यह फायदे का सौदा है, बल्कि आप को सब्जियां खरीदने के दौरान ऐसी कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए जो सब्जी की मौजूदा क्वालिटी और वह कितनी जल्दी खराब हो जाएगी यह तय करते हैं.

1. सब्जी खराब न हो

सब्जी जब भी लें तो उसे चारों तरफ से पलट कर ध्यान से जरूर देखें. अगर उस में जरा सा भी छेद या कट दिखाई देता है तो उसे बिल्कुल भी न लें. ऐसी सब्जियों में कीड़े होने के चांस ज्यादा रहते हैं. वहीं अगर जो सब्जियां किसी हिस्से से दबी हुई हों, खासतौर से टमाटर जैसी चीज तो इन के जल्दी खराब होने का डर रहता है.

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2. हल्का सा दबा कर देखें

टमाटर हो, प्याज हो, आलू हो, गाजर हो या कोई अन्य सब्जी, उसे दबा कर जरूर देखें. हल्के से दबाव से ही पता चल जाता है कि कहीं वह सब्जी अंदर से खराब तो नहीं है. हालांकि, पत्तेदार सब्जियों पर यह तरीका काम नहीं करता है.

3. पत्तेदार सब्जियों की कैसे जांचें

पत्तेदार सब्जियों में इतने वैरायटी होती है कि सभी पर एक तरीका काम नहीं करता है. हालांकि, कुछ कॉमन बातें हैं जिन का इन्हें लेने के दौरान ध्यान रखना जरूरी है. ध्यान रखें कि ऐसी पत्तेदार सब्जियाँ न लें जो पानी में बहुत ज्यादा भीगी हो, इन का जल्दी खराब होने की आशंका रहती है.

पालक, लाल भाजी जैसी सब्जियों को लेते वक्त एकएक पत्ते को ध्यान से देख लें, क्योंकि इन के बीच कीड़े हो सकते हैं. पत्ते पीले या बड़े हों तो उन्हें न लें, क्योंकि उन में स्वाद कम होता है.

4. सूंघ कर देखें

पैक्ड मशरूम, कॉर्न्स, स्प्राउट्स जैसी चीजें जब भी लें, पैकेट को नाक से थोड़ी दूर रखते हुए सूंघें. अगर वे पुराने होंगे तो उन की स्मेल बदल चुकी होगी. ऐसे पैकेट्स को न लें, इन को खाने से आप बीमार हो सकते हैं.

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5. उतना ही लें जितना इस्तेमाल हो

कई ऐसी सब्जियां हैं जिन्हें सिर्फ उतना ही लेना चाहिए जितना आप इस्तेमाल कर पाएं. फ्रिज में भी ये सब्जियां ज्यादा दिन टिक नहीं पाती हैं. जैसे धनिया और टमाटर. ये दोनों ऐसी चीजें हैं जिन्हें आप ज्यादा ले तो लें लेकिन अगर ये सिर्फ फ्रिज में ही रखी हैं तो 3-4 दिन में ही ये खराब होना शुरू हो जाएंगी.

19 दिन 19 टिप्स: स्किन के लिए बेस्ट हैं ये 8 नेचुरल स्किन प्रौड्क्ट

आजकल के बिजी लाइफस्टाइल और पौल्यूशन के चलते स्किन पर असर पड़ रहा है. स्किन ड्राई और डल हो रही है, लेकिन होममेड और नेचुरल कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जिनसे स्किन का ख्याल रखना आसान है. आज हम आपको कुछ नेचुरल और आसानी से मिलने वाले प्रोडक्ट्स के बारे में बताएंगे, जिसे आप फेस्टिवल या वेडिंग से पहले ट्राय करके स्किन को ब्यूटीफुल बना सकती हैं. आइए आपको बताते हैं इन प्रोडक्ट्स के बारे में…

1. हल्दी है अच्छा बौडी स्क्रबर

हल्दी सब से सस्ता और अच्छा बौडी स्क्रबर है. एंटीसैप्टिक, एंटीबैक्टीरियल और एंटीइनफ्लेमैट्री गुणों से भरपूर हलदी में करक्यूमिन नामक तत्त्व पाया जाता है. इस में मौजूद यलो पिगमैंट स्किन को निखारने का काम करते हैं. हलदी में एंटी औक्सीडैंट भी होते हैं जो स्किन को फ्री रैडिकल्स के आक्रमण से सुरक्षित रखने का काम करते हैं.

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2. डैड स्किन के लिए ट्राय करें व्हाइट लिली

एंटीपिगमैंटेशन, व्हाइटनिंग और ब्लीचिंग जैसे गुणों से भरपूर व्हाइट लिली में ग्लायकोलिक ऐसिड पाया जाता है, जो डैड स्किन व ऐजिंग स्पौट्स को हलका करने में मददगार होता है. व्हाइट लिली जैल से युक्त क्रीम के इस्तेमाल से सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें भी स्किन को नुकसान नहीं पहुंचा पातीं.

3. ऐलोवेरा है बेहतरीन मौइस्चराइजर

ऐलोवेरा एक प्राकृतिक मौइश्चराइजर है. यह हर तरह के स्किन टाइप के लिए लाभदायक है. यह सैल रिन्यूअल प्रौसेस को तो बढ़ाता ही है साथ ही इस में मौजूद हीलिंग प्रौपर्टीज स्किन सैल्स मुलायम रखती हैं और स्किन को चमकदार बनाती हैं.  ऐलोवेरा जैल में कूलिंग और ऐंटीइनफ्लेमैट्री प्रौपर्टीज की मौजूदगी भी स्किन के लिए बेहद फायदेमंद है. स्किन को हाइड्रेट रखने के लिए इस में विटामिन सी और विटामिन ई भी पाए जाते हैं.

4. स्किन के निखार लाने के लिए परफेक्ट है चंदन

चंदन में मौजूद लाइटनिंग और कूलिंग एजेंट स्किन के अंदर तक जा कर उस में निखार के साथ चमक भी लाते हैं. साथ ही यह ऐंटीसैप्टिक भी है. इसलिए चोट या फिर जलनेकटने पर भी इसे दवा की तरह लगाया जा सकता है. चंदन के तेल से मसाज करने से ब्लड सर्कुलेशन भी अच्छा हो जाता है जिस से स्किन पर झुर्रियां नहीं पड़तीं.

5. स्किन को ग्लोइंग बनाता है केसर

चंदन की तरह ही केसर में भी लाइटनिंग एजेंट मौजूद रहते हैं, जो स्किन का रंग निखारते हैं और उसे ग्लोइंग बनाते हैं. प्रदूषण, धूलमिट्टी से होने वाले स्किन इन्फैक्शन से स्किन को बचाने में भी केसर सुरक्षा कवच का काम करता है, क्योंकि इस में ऐंटी बैक्टीरियल प्रौपर्टीज भी पाई जाती हैं.

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6. स्किन को शाइनी बनाती है मलाई

मलाई जितनी सेहत के लिए फायदेमंद होती है उतनी ही स्किन के लिए जरूरी भी होती है. मलाई में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है जो स्किन को चमकदार बनाता है, साथ ही फुंसियों से मुक्ति दिलाता है. इस की चिकनाई से स्किन की खुश्की दूर हो जाती है.

7. बादाम करे स्किन को नरिश

बादाम स्किन के लिए बेहद फायदेमंद है. इस को खाने से जहां दिमाग तेज होता है, वहीं बादाम का तेल स्किन पर लगाने से स्किन का रंग साफ और चमकदार हो जाता है. बादाम में एल्फा टोकोफेरल सब्सटैंस होता है जो विटामिन ई का एक मजबूत स्रोत होता है. विटामिन ई स्किन को नरिश करता है.

8. गुलाबजल है स्किन टोनर

अरोमा थेरैपी के लिए सब से उपयोगी माने जाने वाले गुलाबजल में ऐस्ट्रिंजैंट होता है जो स्किन टोनर का काम करता है. इस के रोजाना इस्तेमाल से चेहरे की झुर्रियां कम हो जाती हैं और स्किन यूथफुल लगने लगती हैं. इसे आप कभी भी और कहीं भी इस्तेमाल कर सकती हैं. अगर आपको पार्टी या फेस्टिवल में जाने की जल्दी है तो ये आपके लिए बेस्ट औप्शन है.

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