#coronavirus: पश्चिम से पूरब को ट्रांस्फ़र होती दुनिया की ताकत

एसआईपीआरआई के प्रमुख डैन स्मिथ का मानना है कि कोरोना वायरस के संकट की वजह से यूरोपीय देशों और अमेरिका में संभवतया आर्थिक मंदी ने दुनिया की ताक़त के पश्चिम से पूरब को ट्रांस्फ़र होने के लिए ज़रूरी पृष्ठभूमि मुहैया कर दी है.

एक न्यूज़ एजेंसी को दिए इंटरव्यू में डैन स्मिथ ने जोर दिया कि, “दुनिया की ताक़त के अमेरिका से चीन में ट्रांस्फ़र होने के संकेत मिल चुके हैं और लंबी मुद्दत के दौरान तेज़ आर्थिक विकास इसका सबसे बड़ा तत्त्व है. यह प्रक्रिया 2008 के वैश्विक आर्थिक व वित्तीय संकट के उभरने के वक़्त से अच्छी तरह ज़ाहिर हुई है, इसलिए मेरे विचार में दुनिया की ताक़त के पश्चिम से पूरब को ट्रांस्फ़र होने के लिए ज़रूरी पृष्ठिभूमि तैयार हो गई है. लेकिन, मैं जितना विकास की उम्मीद कर रहा था, उससे कम विकास हुआ है.

डैन स्मिथ ने कहा कि शायद एक या दो संकट से पश्चिम के युग के ख़त्म होने और पूरब के युग के शुरू होने की वास्तविक निशानी ज़ाहिर हो जाए.

कोरोना वायरस की वजह से लगभग पूरी दुनिया थम सी गई है. सबकुछ ठप है. मगर जिस देश से पूरी दुनिया इस हाल में पहुंची उस देश के बाज़ार फिर से खुल गए हैं. बंद दुनिया के बंद बाजारों के बीच उसने अपने बाज़ार खोल दिए हैं ताकि वह उस कोरोना के कारोबार से मुनाफा कमा सके जिस कोरोना को फैलने देने का दोषी वह खुद ही है. चीन ने सिर्फ एक महीने के अंदर कोरोना के नाम पर जितना व्यापार किया है वह आंखें खोलने वाला है.  कहने वाले कह रहे हैं कि कोरोना की आड़ में चीन दुनिया का अगला सुपरपावर बनने के लिए अपनी चाल चल चुका है.

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क्या आपको पता है कि दुनियाभर को मास्क, पीपीई सप्लाई करने वाले चीन ने जनवरी महीने से ही इनकी जमाखोरी शुरू कर दी थी, जिसका फायदा उसको ऐसा मिला है कि कोरोना काल में दुनिया के टौप 100 अरबपतियों में सिर्फ चीन के अरबपतियों की संपत्ति बढ़ी है. यह सवाल इसलिए क्योंकि बंद पड़ी दुनिया में एक जगह ऐसी है जहां सारे बाजार खुले हैं. सारा कारोबार जारी है, कारखाने चल रहे हैं, मशीनें फटाफट माल बना रही हैं. दुनिया को कोरोना से लौक करके चीन अनलौक हो गया है. वह दुनिया के बाजारों को वीरान करके अपने बाजारों से दुनिया चला रहा है.

आंकड़ों पर एक नजर :

चीन के एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट के आकंड़े बताते हैं कि चीन दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में 3.86 बिलियन यानी 3.60 अरब मास्क बेच चुका है. 3.7 अरब प्रोटैक्टिव क्लोथिंग पीस चीन ने दुनिया में पहुंचा दिए हैं. 16,000 वैंटिलेटर और 20.84 लाख कोरोना टैस्टकिट उसने दुनिया को बेचे और ये सारा निर्यात सिर्फ एक महीने यानी 1 मार्च से 1 अप्रैल के बीच किया गया है.

घुटनों पर सुपरपावर :

अमेरिका जैसे सुपरपावर के साथसाथ इटली, स्पेन, जरमनी, फ्रांस जैसे विकसित देशों की इकोनौमी भी इस वक्त घुटने पर है जबकि चीन की इकोनौमी नई ऊंचाइयां छू रही है.

चीन दुनिया के लोगों का सिर्फ जीवन ही नहीं, बल्कि उनसे उनकी दौलत भी छीन रहा है. कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर के अमीरों को बड़ा नुकसान हुआ है. लेकिन चीन के अरबपतियों को इस संकट से बड़ा फायदा हुआ है.

चीन में अरबपतियों की संख्या बढ़ी :

चीन की एक संस्था हू-रन  की एक रिसर्च के मुताबिक,  दुनिया के 100 टौप अरबपतियों में सिर्फ 9 प्रतिशत की संपत्ति बढ़ी है और ये सभी अरबपति चीन से हैं. जबकि, दूसरे देशों के 86 प्रतिशत अरबपतियों की संपत्ति पहले से कम हुई है. वहीं, 5 प्रतिशत अरबपतियों की संपत्ति में कोई अंतर नहीं आया है. यही नहीं, दुनिया के 100 टौप अरबपतियों की लिस्ट में चीन के 6 नए लोग शामिल भी हुए हैं जबकि भारत के 3और अमेरिका के 2 लोग अब इस लिस्ट से बाहर हो गए हैं.

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चीन का मनी प्लान :

यह सच है कि महामारी पर चीन के मनी प्लान की भनक किसी को नहीं लगी. अब 3 महीने बाद आलम यह है कि चीन से तो कोरोना खत्म हो गया लेकिन बाकी देश अब उसी चीन के दरवाजे पर इन सामानों के लिए मदद की गुहार लगा रहे हैं.

मैरिड लाइफ में हो सफल

आप ने अपने पासपड़ोस में देखा होगा कि कुछ विवाहित जोड़े सदैव खुश तथा सुखी दिखाई देते हैं, तो कुछ दुखी. सुखी पतिपत्नी सदैव सुखी रहते हैं, चाहे शादी हुए एक लंबा समय ही क्यों न बीत गया हो और दुखी पतिपत्नी दुखी ही रहते हैं, चाहे शादी का पहला साल ही क्यों न हो.

ऐसा क्यों होता है? इस का उत्तर ढूंढ़ने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने अनेक शोध, सर्वेक्षण तथा अध्ययन किए. इन अनुसंधानों, सर्वेक्षणों तथा अध्ययनों से प्राप्त सार को हम अपने पाठकों तक पहुंचा रहे हैं. हमारा उद्देश्य यही है कि हमारे पाठक सदैव सुखी वैवाहिक जीवन जीएं.

हम इस लेख में सुखी दंपती और दुखी दंपती दोनों का ही विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं :

सुखी जीवन जीने वाले दंपती विवाह को ‘आनंद’ के रूप में स्वीकार करते हैं. यह आनंद बातों द्वारा भी उठाया जा सकता है और किसी कार्य को साथसाथ कर के भी उठाया जा सकता है. दुखी दंपती इसे एक रिश्ते के रूप में देखते हैं. आपस में बातें करना उन्हें समय की बरबादी लगता है. यदि काम करना ही हो तो बस काम निबटाने की सोचते हैं. वे कर्म में आनंद महसूस नहीं करते.

अपनी पत्नी या पति को आनंद के स्रोत के रूप में देखें. यदि एक बार आप के मन में रसिक भाव जाग्रत हो गया तो बुढ़ापे तक यह रसिकता या जिंदादिली काम आती है और आप की पत्नी या पति सदैव आप के लिए आकर्षण का स्रोत बना रहता है. दुखी दंपती शुरू से ही एकदूसरे से ऊब जाते हैं तथा यह उबाऊपन जीवन भर उन का साथ नहीं छोड़ता है.

सुखी दंपती जिंदगी के अन्य मुद्दों, जैसे आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, नातेरिश्तेदारों आदि को दूसरा स्थान देते हैं, जबकि दुखी दंपती इन्हें पहला स्थान देते हैं. समाजसेवा या दोस्तों में मशगूल रहने वाले वास्तव में दुखी पत्नी या पति ही अधिक होते हैं. अत: अपने साथी को ही मित्र बनाइए और जीवन को रंगीन बनाइए.

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सुखी दंपती सैक्स को पूरा महत्त्व देते हैं, जबकि दुखी दंपती इसे सिर्फ शारीरिक मिलन से अधिक कुछ नहीं समझते. अत: सुखी दंपती सैक्स से ही आनंद प्राप्त करते हैं, जबकि दुखी दंपती इसे मात्र जैविक क्रिया मानते हैं व इस से दूर भागने का प्रयास करते हैं. सुखी दंपती अपने निजी संबंधों के लिए ही एकांत क्षणों की खोज में रहते हैं, परंतु दुखी दंपतियों को इन क्षणों की चाह ही नहीं होती है.

तर्कवितर्क सुखी दंपती में भी होते हैं व दुखी में भी. लेकिन सुखी दंपती तर्क को तर्क से हल करते हैं, जबकि दुखी दंपती तर्क में कुतर्क कर लड़ाई की स्थिति पैदा कर लेते हैं.

झगडे़ं मगर प्यार से

सुखी जीवन के लिए तर्क करें पर तर्क करने का तरीका संयत रखें. यह महत्त्वपूर्ण नहीं होता कि तर्क क्यों किया, बल्कि यह महत्त्वपूर्ण होता है कि तर्क कैसा किया अर्थात झगड़ें जरूर पर प्यार से.

सुखी जीवन के लिए ऊंचे स्वर में न बोलें. धीमे बोलें, प्यार से बोलें, मीठा बोलें. याद रखें कभी आप को अपने शब्दों को निगलना भी पड़ सकता है.

एकदूसरे के रिश्तेदारों को सम्मान दें.

पतिपत्नी एकदूसरे के मित्रों के बारे में अपनी राय एक दूसरे पर न थोपें. इसे नितांत निजी मामला मान कर चुप रहें. दुखी दंपती आधा समय तो एकदूसरे के दोस्तों के बारे में ही अपनीअपनी राय दे कर झगड़ते रहते हैं.

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सुखी पतिपत्नी बारबार अपने प्रेम का इजहार करते हैं, प्रेम भरे बोल बोलते हैं, एकदूसरे की इच्छाओं, शौकों इत्यादि का ध्यान रखते हैं तथा जन्मदिन या विवाह की वर्षगांठ पर उत्सव मनाते हैं. इस से दोनों पक्षों में प्रेम और अधिक प्रगाढ़ होता है, जबकि दुखी पतिपत्नी इन सब को आडंबर मान कर कोई महत्त्व नहीं देते हैं. बारबार यह कहने से कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं/करती हूं से प्यार सचमुच बढ़ता है. कभीकभी उपहार लाने और नई खाने की चीज ला कर साथसाथ खाने का भी अपना अलग ही आनंद होता है. अत: सुखी दंपती सदैव एकदूसरे के प्रति सजग व समर्पित होने के साथसाथ प्यार की अभिव्यक्ति में भी आगे रहते हैं.

भावनाओं को दें सम्मान

सुखी दंपती एकदूसरे के प्रति सम्मान दो व सम्मान लो की नीति अपनाते हैं. एकदूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हैं व एकदूसरे की रुचियों में रुचि लेते हैं.

सुखी दंपती एकदूसरे की आय, उस के कार्य, उस की प्रतिष्ठा से संतुष्ट रहते हैं. यदि कोई पत्नी अपने कम पढ़ेलिखे पति को यह कह दे कि तुम सचमुच विद्वान हो तो पति की खुशी का ठिकाना न रहेगा व वह विद्वान होने का प्रयास करेगा. इसी प्रकार पति अपनी रणचंडी जैसी पत्नी को बहुत ही शांत स्वभाव की कहे तो ऐसा कहना उन के बीच के विरोध को पाटने में सफल होगा. परंतु ध्यान रखें कि अतिशयोक्ति न हो. एकदूसरे की आय के प्रति सदैव संतुष्टि बनाए रखें. यही सुखी रहने का रहस्य है.

सुखी दंपती बच्चों के भविष्य के प्रति भिन्न विचारधारा नहीं रखते हैं. दोनों मिलजुल कर ऐसा रास्ता निकालते हैं, जिस से बच्चों का भविष्य भी न खराब हो और उन के अहं को भी चोट न पहुंचे. जबकि दुखी दंपती बच्चों के भविष्य के प्रति अडि़यल रुख अपना लेते हैं. इस से बच्चों का भविष्य तो खराब होता ही है, पतिपत्नी में भी मनमुटाव हो जाता है.

सुखी दंपती अपने साथी से कुछ भी नहीं छिपाते हैं. वे एकदूसरे को अपना सब से बड़ा हितैषी व मित्र मानते हैं.

सुखी दंपती एकदूसरे के प्रति अटूट विश्वास व निष्ठा रखते हैं, जबकि दुखी दंपती एकदूसरे से बहुत कुछ छिपाते हैं. एकदूसरे पर संदेह करते हैं तथा इन में निष्ठा का भी अभाव होता है. यदि आप सुखद वैवाहिक जीवन के लिए इन सूत्रों को अपनाते हैं, तो हमें पूरा विश्वास है कि आप का दांपत्य जीवन भी आनंद से भर उठेगा.

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4 टिप्स: ऐसे करें घर में एक्सरसाइज

बिजी लाइफस्टाइल के चलते हमारा वजन हमारे कंट्रोल में नही रहता अक्सर हम हेल्दी खाते हैं, लेकिन फिर भी हम अपना वजन कंट्रोल नही कर पाते. वहीं जिम जाने का टाइम भी हमारे पास नही रहता और अगर जिम चले भी जाएं तो खोखले दावे करते स्लिमिंग सेंटर हमारे पैसे बर्बाद कर देते हैं. आज हम आपको फिट व चुस्त रहने के कुछ एक्सरसाइज बता रहे हैं, जिन्हें आप घर में ही कर के आकर्षक दिखने का अपना सपना बिना इन सेंटरों में पैसे और समय गंवाए ही पूरा कर सकती हैं. ये एक्सरसाइज खासतौर पर उन अंगों के लिए बेहद असरदार हैं, जो या तो बढ़ती उम्र के कारण दुर्बल होने लगते हैं या फिर शरीर का भार बढ़ने के कारण फैलने लगते हैं जैसे – पेट, जांघें, बाजुओं का पिछला हिस्सा व कमर आदि. इन व्यायामों के जरिए आप को निश्चय ही बेहतरीन परिणाम मिलेंगे.

1. टखनों व पिंडलियों यानी घुटनों के लिए एक्सरसाइज

थोड़ी सी जौगिंग या स्किपिंग से वार्म होने के बाद सब से पहले टखनों व पिंडलियों के लिए एक्सरसाइज करना चाहिए. इस के लिए एक कुरसी के किनारे बैठ जाएं. घुटने एकसाथ जोड़ लें. पैरों के बीच की दूरी डेढ़ फुट हो. ध्यान रहे, पंजे अंदर की ओर इशारा करते हुए हों. अब पंजों को जितना ऊपर उठा सकती हैं, उठाएं, फिर नीचे लाएं. इसे 16 बार दोहराएं. अब पैरों को बाहर की ओर मोड़ते हुए घुटने मिला कर पैरों में फासला रखते हुए एक बार फिर 16 बार उठाएं. अंत में एडि़यों को जमीन पर जमाते हुए दोनों पैरों को जमीन के साथ रगड़ते हुए अंदर की ओर लाएं. अब पांवों को स्वीप करते हुए बाहर की ओर लाएं और दोबारा उठाएं. इसे 16 बार दोहराएं.

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2. सपाट पेट व कमर को सही आकार

पीठ के बल लेट जाएं व हाथों को सिर के पीछे ले जाएं. टांगें मोड़ते हुए पैरों के तलवों से जमीन पर दबाव डालें, ताकि दोनों टांगों के बीच कुछ फासला आ जाए. अब बाईं कुहनी को ऊपर की ओर उठाएं व दाएं घुटने की तरफ झुकें, फिर वापस जाएं. इसे 12 बार दोहराएं. अब दाएं पांव को जमीन से 2 इंच ऊपर उठाएं और बाईं कुहनी को दाएं घुटने की तरफ सामने 16 बार लाएं. अब इन व्यायामों को दूसरी तरफ से दोहराएं. पीठ के बल लेट जाएं. दोनों टांगों को ऊपर की ओर उठा कर घुटनों से ऊपर व नीचे के भाग को 90 डिग्री पर आपस में जोड़ लें. टखनों को क्रास कर लें तथा घुटनों के बीच करीब आधा इंच का फासला रखें. अब धीरेधीरे शरीर के निचले हिस्से को जितना ऊपर उठा सकती हैं, उठाने का प्रयास करें. सर्वोत्तम परिणाम के लिए पेट को एक्सरसाइज के दौरान अंदर ही रखें.

3. जांघों की मजबूती के लिए एक्सरसाइज

सब से पहले बाईं तरफ करवट ले कर लेट जाएं, शरीर के ऊपरी हिस्से को कुहनी पर टिकाते हुए. अब दाईं टांग को इस तरह मोड़ें जिस से कि घुटना ऊपर की तरफ इशारा करता हुआ हो. अब पेट अंदर की तरफ रखते हुए दाएं पांव को हलके मुड़े घुटने के पीछे ले आएं. ध्यान रहे कि बायां पांव छत की तरफ इशारा करता हुआ हो. बाईं टांग को काफी ऊंचा उठाएं. इसे 24 बार दोहराएं. अब दूसरी तरफ से इसे करें.

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4. ऊपरी बाजू के लिए एक्सरसाइज

ऊपरी बाजू में पहले जैसा खिंचाव व सही शेप देने के लिए यह एक्सरसाइज बहुत ही कारगर सिद्ध हो सकता है. कुरसी के किनारे बैठ जाएं व दोनों हाथों से कुरसी के किनारे थाम लें. कुरसी पर बैठेबैठे ही इस प्रकार आगे की तरफ तब तक बढ़ें, जब तक कि केवल आप के हाथ  ही कुरसी पर टिकें रहें जाएं. अब धीरेधीरे शरीर के ऊपरी भाग को ऊपर व नीचे ले जाएं, बाजुओं को मोड़ते व सीधा करते हुए इसे 12 बार दोहराएं. आप इन एक्सरसाइज की मात्रा और समय धीरे-धीरे बढ़ा सकती हैं. घर पर नियमित रूप से इन्हें करने पर आप का नत, मन व धन तीनों स्वस्थ और सुडौल रेगे.

#coronavirus: इन 5 टिप्स से करें गरमी में घर की क्लीनिंग

कोरोनावायरस के बढ़ते केस लोगों के दिल में डर बढा रहे हैं, जबकि सरकार लोगों को इन सबसे बचने के लिए घर पर रहने की सलाह दे रहे हैं. ऐसे में घर की साफ सफाई और जरूरी हो गई है. इसीलिए हम आपको घर को जर्म फ्री क्लीनिंग और कोरोनावायरस से बचाने के लिए कुछ टिप्स बताएंगे.

दागधब्बे और बदबू हटाने के लिए होममेड टिप्स न सिर्फ साफ-सफाई पर होने वाले खर्च से बचाएंगे बल्कि आपको रिलेक्स और खुशी भी देंगे. लेकिन घर पर इस्तेमाल होने वाली चीजों का भी उसे लेकर भी सावधानियां बरतना जरूरी है. जिसके लिए आपको कुछ ऐसी चीजों का ध्यान जरूरी है. आइए आपको बताते हैं कुछ टिप्स, जिनसे आप घर के ख्याल के साथ-साथ अपना भी ख्याल रख पाएंगी. दागधब्बे या जंग लगने से खराब लगने वाले गैस के चूल्हे की समस्या तो हर गृहिणी को रहती है. आप बार-बार सफाई के लिए अपने चूल्हे को दुकान भी तो भेज नहीं सकतीं. ऐसे में बाजार से खरीदा गया सफाई करने वाला या चिकनाई हटाने वाला सामान जब आप को सही परिणाम नहीं देता तो चूल्हा फेंकने या नया खरीदने का ही मन करता है. लेकिन ऐसा न कर के आप एक बार इस नुस्खे को आजमाएं.

1. गैस की ऐसे करें सफाई

50 ग्राम कास्टिक सोडा पाउडर किसी भी हार्डवेयर की दुकान में मिल जाएगा. इसे 2 लिटर पानी में डाल कर एक लकड़ी के डंडे से मिलाएं. अब अधिक चिकनाई या गंदगी वाली जगहों पर उसे डालें फिर ब्रश से हल्के से रगड़ें.

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2. बाथरूम क्लीनिंग के लिए इन चीजों का रखें ध्यान

गंदगी ज्यादा हो तो इसे दोहराएं. बाथरूम में खारे पानी से आप के फ्लोर टाइल्स और वाशबेसिन पर लगे दाग अच्छे नहीं लगते हैं. नलों और शावर पर तो उन की एक परत ही जमा हो जाती है. आप अपने बाथरूम में हार्पिक या ऐसी ही सफाई की कोई दूसरी चीज टाइल्स, वाशबेसिन और नलों और शावर पर डाल कर उन्हें तुरंत साफ कर लें वरना दाग लग जाएंगे.

3. मकड़ी के जालों और कीड़ों की ऐसे करें सफाई

चींटियां, काकरोच, मकड़ी, छिपकली व सिल्वर फिश तो बिन बुलाए मेहमान की तरह घर में आ बैठती हैं. इन का घर में होने का मतलब यह है कि घर के कुछ हिस्से साफ नहीं हैं. जब दीवारों की सीलिंग पर मकड़ी का जाला लगना शुरू हो जाए, तो उस के फैलने से पहले आप उस का सफाया कर दें. जाला बढ़ जाने पर छिपकलियां जाले में फंसे कीड़ों की ओर आकर्षित हो कर सीलिंग पर रेंगती नजर आती हैं. ऐसी नौबत न आने दें. छिपकलियां अगर आप को अपने कमरों के फर्श पर रेंगती नजर आएं, तो कमरों के कोनों में अंडे का छिलका रख दें.  चींटियों से नजात पाने के लिए बोरैक्स पाउडर में थोड़ी सी चीनी मिला कर चींटियों के पास रख दें. यह काकरोच से नजात दिलाने में भी मदद करता है. लेकिन अगर घर में छोटे बच्चे हैं तो बोरैक्स पाउडर बच्चों से छिपा कर रखें या खडि़या को पानी में मिला कर चींटियों के पास डाल दें. आप ने अकसर देखा होगा कि सिल्वर फिश आप की किताबों और कपड़ों पर हमला कर उन्हें खाना शुरू कर देती हैं. आप नीम या यूकलिप्टस के पत्तों को एक छोटे बरतन में डाल कर किताबों के पास रख सकती हैं. इस से किताबों में खुशबू भी आएगी और सिल्वर फिश भी नहीं आएंगी.

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4. कपड़ों का रखें ऐसे ध्यान

कपड़ों के बीच में आप एक पाउच या थैली में यूकलिप्टस या लैवेंडर का तेल छिड़क कर रख सकती हैं. फ्रिज में से अगर दुर्गंध आ रही हो तो आप उस में ताजा केवड़े का फूल या पिसी दालचीनी को एक कटोरे में डाल कर रख सकती हैं. इस के अलावा संतरा खाएं तो उस के छिलके न फेकें. उन्हें एक कटोरे में डाल कर फ्रिज के अंदर रख दें. इस से दुर्गंध तो चली ही जाएगी फ्रिज में संतरे की महक 4-5 दिनों तक बनी रहेगी.

5. गमलों का भी ध्यान रखना है जरूरी

अगर आप के घर में बहुत मच्छर हैं तो छोटे गमले में आप पुदीना उगा कर कुदरती रूप से मच्छरों को भगा सकती हैं. इस से न सिर्फ मच्छर कम होंगे, बल्कि आप के घर में खुशबू भी बनी रहेगी. पुदीने की डंडियों से पत्ते निकालने के बाद उन्हें फेंकें नहीं. उन्हें गमले में लगा दें और उस में रोज थोड़ा पानी डालें. हफ्ते भर में पुदीने की पत्तियां फिर निकलना शुरू हो जाएंगी.

#WhyWeLoveTheVenue: जानें शानदार Interior की खासियत

हुंडई वेन्यू इन दिनों सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली कार कही जा रही है. इसके फंक्शन और डिजाइन की मार्केट में जमकर तारीफ हो रही है. इस कार में बैठकर आप बेहद ही आराम से लंबा सफर तय कर सकते हैं. आइए जानते है इस कार की खासियत के बारे में..

इस कार के अंदर मौजूद सभी बटन टच करने से खुलते हैं और बंद होते हैं. अगर आप लंबे सफर पर जा रहे हैं और आपके गाड़ी के शीशे गंदे हो रहे हैं, जिससे ड्राइविंग में दिक्कत आ रही है तो ऐसे में वहां खुद ही पानी की फुहारे आ जाएंगी और फिर आपका शीशा क्लीन हो जाएगा.

गाड़ी के अंदर का डैशबोर्ड 8 इंच का है. साथ ही इसके अंदर टचस्क्रीन स्मैक ui भी मौजूद है. जिससे आपको ज्यादा हाथ पार मारने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

आगे की दोनों सीटे अच्छी और सपोर्टिव है. अगर बात करें ड्राइविंग सीट की तो आप बेहद ही कम्फर्टेबल होकर ड्राइव कर सकते हैं. सामने से सड़क का नीचे वाला हिस्सा आराम से नजर आएगा. जिससे आप एक्सिडेंट होने के खतरे से भी बच सकते हैं.

गाड़ी की स्टेरिंग स्मूथ है जिससे आपको गाड़ी के अंदर थकावट महसूस नहीं होगी. लंबा इंसान भी इस गाड़ी के अंदर आराम महसूस करेगा.

अलविदा: फिल्मी कहानी से कम नहीं थी ऋषि कपूर और नीतू सिंह की Love Story

ऋषि कपूर के जानें से उनके फैंस और फैमिली को गहरा दुख पहुंचा है. खासकर उनकी पत्नी नीतू कपूर को, जो हर अच्छे-बुरे वक्त में अपने पति के साथ थी. आज हम आपको इन दोनों लव बर्ड्स की लव स्टोरी के बारे में बताएंगे जो किसी फिल्म कहानी से कम नहीं. इसमें कई उतार-चढ़ाव आए. लेकिन ये दोनों हमेशा साथ रहे.

आइए जानते हैं इनकी लव लाइफ से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से….

पहली बार दोनों ने साल 1974 में ‘जहरीला इंसान’ फिल्म में साथ काम किया था. हालांकि दोनों के लिए ये लव एट फर्स्ट साइट नहीं था. सेट पर ऋषि, नीतू को बहुत परेशान करते थे. जब नीतू मेकअप कर के बाहर निकलती थीं, तब ऋषि उनके चेहरे पर काजल लगा देते थे. लेकिन फिल्मों की तरह नीतू को भी उनसे प्यार हुआ जो उन्हें सबसे ज्यादा परेशान करता था.

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कपूर फैमिली में एक शादी के दौरान सभी नेे सोचा कि यही सही समय है ऋषि और नीतू के एंगेजमेंट की, इसलिए जब इसकी अनाउंसमेंट हुई तब नीतू एकदम हैरान रह गईं.

दोनों की बढ़ती नजदीकियों से नीतू की मम्मी रज्जी खुश नहीं थीं. वो नहीं चाहती थीं कि इंडस्ट्री के लोग उनकी बेटी के बारे में तरह-तरह की बातें करें. इसलिए जब दोनों डेट पर जाते थे तब मां कजिन को नीतू के साथ भेजती थीं.

शादी के बाद नीतू की मां को भी साथ रहने के लिए कहा

जब ऋषि ने नीतू को शादी के लिए प्रपोज किया तो रज्जी बहुत खुश हुईं. लेकिन नीतू अपने घर की अकेली कमाने वाली थीं. वो अपनी मां को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थीं. जब ऋषि कपूर को इस बात का पता चला तो उन्होंने नीतू की मां को अपने घर में रहने के लिए कहा.

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एक्साइटिंग एंगेजमेंट

दोनों की एंगेजमेंट की कहानी भी काफी एक्साइटिंग है. दरअसल ऋषि कपूर के घर किसी की शादी थी. कपूर फैमिली ने सोचा कि यही सही समय है ऋषि और नीतू के एंगेजमेंट की अनाउंसमेंट का. जब इसकी अनाउंसमेंट हुई तब नीतू एकदम हैरान रह गईं. इसके तुरंत बाद दोनों ने शादी कर ली.

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कपूर खानदान की परम्परा का पालन

शादी के बाद उनकी कहानी में बहुत से ट्विस्ट एंड टर्न्स आए. कपूर खानदान की परंपरा रही है कि उनकी घर की बहुएं काम नहीं करती हैं. नीतू ने भी खुशी-खुशी फिल्मों के साइनिंग अमाउंट लौटा दिए. उस समय खबरें आई कि नीतू पर इंडस्ट्री छोड़ने के लिए दबाव डाला गया है. लेकिन नीतू ने साफ किया कि उन्होंने अपनी मर्जी से इंडस्ट्री छोड़ी है और ऋषि बहुत सपोर्टिंग हसबैंड हैं.

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जब मझधार में फंसी कश्ती

90 के दशक में खबरें आई कि ऋषि कपूर को शराब की लत लग गई है. रिपोर्ट्स तो यहां तक थी कि नीतू ने पुलिस में घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवाया है और वो घर छोड़कर चली गई हैं. लेकिन कुछ समय बाद ही नीतू अपने परिवार के पास वापस आ गईं. नीतू ने एक इंटरव्यू में कहा था कि हर कपल की जिंदगी में मुश्किल समय आता है. हमारी जिंदगी में भी आया था. अच्छा है कि हमने मिलकर कश्ती को मझधार से निकालकर साहिल तक ले आएं हमाने सारी समस्यायें सुलझा ली आज सब कुछ सही है, यही जिंदगी का अफसाना है.

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आज भले ऋषि कपूर, नीतू कि जिंदगी से चले गए हैं. लेकिन उनकी यादें ताउम्र साथ रहेंगी.

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#coronavirus: दुनियाभर में 100 करोड़ लोग हो जाएंगे इंफैक्टेड! भारत के पड़ोसी देशों में हालत भयावह

मदीद मदीद स्वयंसेवी संस्था अंतरराष्ट्रीय बचाव समिति यानी इंटरनेशनल रैस्क्यू कमिटी (आईआरसी) ने सचेत किया है कि अगर कमज़ोर देशों की तुरंत मदद नहीं की गई तो दुनिया में एक अरब लोग कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं, जबकि तकरीबन 30 लाख लोग जान गंवा सकते हैं.

आईआरसी ने एक बयान जारी करके कहा है कि कोरोना वायरस के वैश्विक फैलाव को कम करने में आर्थिक व मानवीय सहायता की बहुत ज़रूरत है.

ब्रिटेन के पूर्व विदेश सचिव डेविड मिलीबैंड की अध्यक्षता वाली इस संस्था के मुताबिक, दुनिया के 34 सर्वाधिक गरीब देशों में कोविड-19 वायरस का विनाशकारी प्रभाव होगा. इन देशों में भारत का नाम नहीं है. 7 पड़ोसी देशों में से तीन – पाकिस्तान, बंगलादेश और म्यांमार हैं. इसके अलावा अफगानिस्तान, सीरिया और यमन जैसे देश शामिल हैं. यहां इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी अपनी सेवाएं दे रही है.

संस्था के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान व सीरिया जैसे कमज़ोर देशों को किसी बड़ी महामारी से बचने के लिए तुरंत आर्थिक सहायता की ज़रूरत है. संस्था ने सावधान किया है कि समय कम बचा है और इसी कम समय में उचित प्रतिक्रिया दिखाई जानी चाहिए.

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मालूम हो कि अमेरिका में जौन हौपकिन्स विश्वविद्यालय का कहना है कि दुनिया में 31 लाख से ज़्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी वर्ल्ड हेल्थ और्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) ने भी अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया के 50 से 100 करोड़ लोगों में कोरोना फैल सकता है. डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा है कि अस्थिर देशों में इस वायरस के कारण मरने वालों की संख्या 30 लाख से ज़्यादा हो सकती है.

इंटरनेश्नल रेस्क्यू कमिटी के प्रमुख डेविड मिलीबैंड ने कहा है कि इन आंकड़ों को देखने के बाद सभी को जाग जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि कमज़ोर और युद्धग्रस्त देशों में इस महामारी के अत्यंत विध्वंसक व असंतुलित परिणाम सामने आ सकते हैं. सो, धनी देशों को तुरंत उनकी सहायता करनी चाहिए. आईआरसी ने कहा है कि सरकारों को मानवीय सहायताओं की राह में मौजूद रुकावटों को दूर करने के लिए मिलजुल कर काम करना चाहिए.

मिलीबैंड का कहना है कि कोरोना को लेकर अब तक काफी कम अनुमान लगाए गए हैं. वास्तविक जनहानि कहीं अधिक होगी. इस महामारी से मुकाबले के लिए गरीब देशों को बहुत कम समय मिला है. वहां बहुत व्यापक स्तर पर विनाश हो सकता है.

आईआरसी ने जिन 34 देशों की स्थितियों का आकलन करके रिपोर्ट बनाई है उनमें ज्यादातर युद्धग्रस्त और शरणार्थियों से प्रभावित देश हैं. इनमें अफ्रीकी और एशियाई देश हैं. ये देश हैं – अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बंगलादेश, बुरुंडी, बुर्किना फासो, कैमरून, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, चाड, कोलम्बिया, कोट डी आइवर, कांगो, अल सल्वाडोर, इथियोपिया, ग्रीस, इराक, जौर्डन, केन्या, लेबनान, लाइबेरिया, लीबिया, माली, म्यांमार, नाइजर, नाइजीरिया, सिएरा लियोन, सोमालिया, दक्षिण सूडान, सीरिया, तंजानिया, थाईलैंड, युगांडा, वेनेजुएला और यमन.

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दरअसल, मौजूदा हालात में गरीब देशों में कोरोनो वायरस का प्रभाव ज्यादा पता नहीं है क्योंकि वहां पर उस तरह से टेस्टिंग नहीं हो रही जैसी अमीर देशों में हो रही है. अफ्रीका में अब तक केवल 25,000 मामलों की बात कहना ‘बड़े पैमाने पर एक कमज़ोर’ आकलन है. यह एक अरब से अधिक लोगों का बड़ा महाद्वीप है.

बहरहाल, इस वैश्विक महामारी को हम तभी हरा सकते हैं जब पूरी दुनिया से इसे खत्म करने में कामयाब हो जाएंगे.

19 दिन 19 टिप्स: 59 की उम्र में भी इतनी बोल्ड हैं आयुष्मान की ‘मम्मी’

फिल्म बधाई हो में आयुष्मान खुराना की मां का रोल निभाने वाली 59 साल की बौलीवुड एक्ट्रैस नीना गुप्ता पर्सनल लाइफ में मां होते हुए भी स्टाइल में पीछे नहीं है. नीना जितनी अपनी एक्टिंग के लिए जानी जाती हैं उतना ही अपने बोल्ड फैशन के लिए भी जानी जाती हैं. नीना अपने फैशन से यंग एक्ट्रेसेस को भी पीछे छोड़ रही हैं. जहां उम्र बढ़ते ही हम फैशन करना छोड़ देते हैं, वहीं नीना अपने फैशन को लेकर सुर्खियों में बनी रहती हैं. आइए आपको दिखाते हैं उनके कुछ खास लुक जिसे आप भी चाहें तो कौपी कर सकती हैं.

1. समर में beach के लिए परफेक्ट है नीना का ये लुक

 

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Missing Goa #flashbackmonday

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समर में अगर आप beach में घूमने जा रहे हैं तो ये लुक आपके लिए परफेक्ट है. डैनिम शौर्ट्स के साथ फ्लोरल टौप आपके लुक के लिए परफेक्ट रहेगा.

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2. पार्टी के लिए नीना का ये लुक करें ट्राई

 

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Glamorous banne ki koshish jari hai.. Wearing these lovely earrings and choker from the #MasabaxTribe collection!

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अगर आप समर में किसी पार्टी का हिस्सा बनने जा रही हैं तो नीना का ये लुक आपके लिए परफेक्ट है. वाइट कलर जितना आपको ठंडक देगा वहीं ये लुक सेक्सी भी दिखाएगा.

3. नीना शर्ट लुक जरूर करें ट्राई

 

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London mood

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अगर आप भी अपने आप को कूल और सिंपल लुक देना चाहती हैं तो ये लुक आपके लिए परफेक्ट रहेगा. ग्रे शर्ट के साथ वाइट शूज आपके लुक को समर में ठंडक देगा.

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4. ट्राउजर और टीशर्ट का ये लुक करें ट्राई

 

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Chef has promised khichdi Waiting

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अगर आप कही सिंपल लेकिन सेक्सी दिखना चाहती हैं तो नीना गुप्ता को ये ग्रीन आउटफिट आपके लिए परफेक्ट रहेगा. ये आपको कम्फरटेबल के साथ-साथ ट्रैंडी भी दिखाएगा.

5. डैनिम लुक करें टाई

 

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Happy to go home

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अगर आप को भी डैनिम का शौक है तो नीना गुप्ता का ये डैनिम लुक आपके लिए परफेक्ट रहेगा. सिंपल डैनिम जैकेट के साथ रिप्ड जींस आपके लुक को कम्प्लीट बनाएगा.

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बता दें, एक्ट्रेस नीना गुप्ता बौलीवुड ही नही टेलीविजन के कई सीरियल्स का हिस्सा रह चुकी हैं. जिसमें वह मां के लुक में अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ चुकी हैं.

#lockdown: नफरत के वायरसों के बीच मोहब्बत की किरणें

वायरस दर वायरस. हर तरफ वायरस. तरहतरह के वायरस. मीडियावायरस, राजनीतिकवायरस, धार्मिकवायरस, विचारधारावायरस, कट्टरतावायरस, खरीदवायरस और न जाने कौनकौन से और भी वायरस. ये न दिखने वाले नहीं, बल्कि दिखाई देने वाले वायरस हैं. इन वायरसों का उद्देश्य डेस्ट्रक्शन होता है, यानी नाश करना, आसान शब्दों में कहें तो नफरत पैदा करना व उसे फैलाना होता है. मतलब यह है कि समाज में मोहब्बत न बचे.

लेकिन, मानवतापसंद लोग मानवता से दूर नहीं हो रहे. वे मोहब्बत फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. लौकडाउन के समय में भी एक 60-वर्षीय मुसलिम मरीज को खून देकर जान बचाने के वास्ते हिन्दू रक्तदाताओं का रेला उमड़ पड़ा. इंसानी मोहब्बत और भाईचारे की इस मजबूत कड़ी में गृहिणी से लेकर कलक्ट्रेट के कर्मचारी तक शामिल रहे.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली शहर के निवासी 60 वर्षीय नूर मोहम्मद करीब एक सप्ताह से बीमार थे. उनकी तबीयत अधिक खराब होने पर उन्हें एक नर्सिंगहोम में भरती कराया गया, जहां उन्हें पीलिया बताते हुए डाक्टरों ने 10 यूनिट ब्लड की जरूरत बताई.

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मरीज नूर मोहम्मद के बेटे मोहम्मद अनवर बताते हैं कि लौकडाउन के चलते लोग अपने घरों से नहीं निकल पा रहे, ऐसे में इतने यूनिट ब्लड के बारे में सुनते ही सिर चकरा गया. बहरहाल, डाक्टर के जरिए ब्लडबैंक संचालक अजय संगल से संपर्क किया. इसके बाद चंद घंटों में ही रक्तदाताओं से ब्लड का प्रबंध हो गया. ये सभी 10 ब्लडडोनर हिन्दू हैं जिनमें गृहिणी सीमा मित्तल से लेकर कलेक्ट्रेट कर्मचारी मनोज कुमार तक शामिल हैं.

ब्लडबैंक ऐंड कम्पोनेंट सेंटर के प्रबंधक अजय संगल बताते हैं कि जागलान ब्लड ग्रुप, शामली, के नाम से पिछले दिनों समाजसेवी रवि जागलान द्वारा व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया गया है जिसमें कई डोनर जुड़े हुए हैं. इस व्हाट्सऐप ग्रुप में सूचना पोस्ट की गई कि अस्पताल में भरती एक मुसलिम मरीज को 10 यूनिट ब्लड की जरूरत है. यह सूचना पहुंचते ही ये लोग बिना धर्म, जाति और उम्र देखे ब्लड डोनेट करने पहुंच गए. इस तरह 10 यूनिट ब्लड का प्रबंध चंद घंटों में हो गया. रक्तदान करने वालों में सीमा मित्तल, सागर, केशव, सतेन्द्र पाल, मनोज कुमार, वासू, राधे, अभिजीत मित्तल, शिवम मित्तल, गौरव और तुषार जैन शामिल रहे.

गौरतलब है कि लौकडाउन के चलते ब्लडबैंकों में ब्लड की भारी कमी चल रही है. ऐसे में सारा दारोमदार डोनर्स पर है. इन डोनर्स का ब्लड डोनेट करना, दरअसल, हमारे देश भारत की गंगाजमुनी तहजीब, आपसी भाईचारा और मोहब्बत का एक और ताजा उदाहरण है ऐसे समय में जब नफरत पैदा करने व उसे फैलाने वाले उफान पर हैं. यहां तक कि वे खानेपीने की जरूरी चीजों के खरीदने में भी समुदाय विशेष के लोगों को निर्देश दे रहे हैं कि वे अमुक समुदाय के दुकानदारों से कुछ भी न खरीदें. बहरहाल, मोहब्बत की किरणें भी समयसमय पर इंसानियत को झकझोरती रहती हैं.

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जानें कैसे Coronavirus के इलाज में कारगर हो रही है प्लाज्मा थैरेपी 

कोरोना मरीज के बढ़ते आंकड़ो ने पूरे विश्व में नयी-नयी थैरेपी और रिसर्च पर जोर दिया है. साइंटिस्ट और रिसर्चर दिनरात इस बीमारी की वैक्सीन और दवाई पर काम कर रहे है, ऐसे में प्लाज्मा थैरेपी उन मरीजों के लिए वरदान हो रही है, जो कोरोना से अधिक पीड़ित है और सीरियस स्टेज में जा रहे है.

इस बारें में मुंबई की रिजनेरेटिव मेडिसिन रिसर्चर Stem Rx  बायोसाइंस सोल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड के डॉ. प्रदीप महाजन कहते है कि प्लाज्मा थैरेपी कोई नयी नहीं है. सार्स वायरस, मिडिल ईस्ट वायरस, इबोला, एच1 एन 1 आदि सभी में इस थैरेपी का प्रयोग हुआ है. भारत में कई मरीज इस थैरेपी से ठीक हो चुके है, जो अच्छी बात है. असल में जब वायरल इन्फेक्शन किसी भी शरीर में होता है तो शरीर 2 फॉर्म में काम करती है.

इन्मेट इम्युनिटी और अडॉपटिव इम्युनिटी

इन्मेट इम्युनिटी में शरीर में जो वायरस है, उसे टारगेट करने के लिए नेचुरल किलर सेल्स एक्टिव हो जाते है ये वायरस को सेल के अंदर जाने से पहले और बाद में पहचान कर डायरेक्टली एटैक करते है. असल में वायरस के सेल के अंदर जाते ही एंटीजन आती है, वे नेचुरल किलर सेल और टी सेल होते है, जो एटैक करती है, लेकिन अगर सेल की संख्या बढ़ जाती है और एटैक कम होता है, तो वही सेल बीटा सेल को इन्फॉर्म कर एंटीबाडी बनाना शुरू कर देती है. इसे ही प्लाज्मा थैरेपी कहते है.

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कैसे करती है काम 

प्लाज्मा थैरेपी के प्रयोग से सार्स, स्वाईन फ्लू, इबोला आदि जैसे किसी भी वायरस को ख़त्म करने में अच्छा रेस्पोंस रहा, क्योंकि उस वायरस के बारें में सबको पता था. कोरोना वायरस के बारें में किसी को कुछ पता नहीं था, ऐसे में ये थैरेपी कारगर होगी या नहीं, समझना मुश्किल था.  चीन, इटली, अमेरिका, इजराइल आदि सभी जगहों पर इस थैरेपी का प्रयोग हो चुका है. भारत में ये पहली बार हो रहा है. विदेशो में इसके परिणाम अच्छे रहे. इसकी प्रक्रिया में तीन बातों पर ध्यान रखना जरुरी है,

  • इम्युनिटी अच्छी होने पर अगर कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से ठीक हो जाता है. वायरस के प्रवेश के 72 घंटे के बाद में एंटीबाडी का लेवल बढ़ना शुरू हो जाता है और ये 3 महीने तक बना रहता है. इसके बाद उसका स्तर कम होने लगता है. प्लाज्मा थैरेपी के लिए सेम ब्लड ग्रुप के मैच का होना जरुरी है.
  • व्यक्ति रिकवरी के स्टेज में रहने की जरुरत है जब प्लाज्मा का लेवल अधिक हो, इन्फेक्शन के 6 महीने के बाद अगर कोई ब्लड देता है तो उसमें एंटीबाडी बहुत कम होती है. उस प्लाज्मा का कोई अर्थ नहीं बनता,
  • कितनी मात्रा में प्लाज्मा रोगी को देना है इस बारें में भी जानकारी होने की जरुरत है, करीब 200 से 250 एम एल प्लाज्मा दिया जा सकता है. ये मरीज के वेंटिलेटर में जाने से पहले या बाद में 24 से 48 ऑवर्स में दिया जा सकता है और 7 दिन में वह पूरी तरह से रिकवर हो जाता है.

इलाज का खर्चा 

ये खर्चीला नहीं है. इसमें ठीक हुए रोगी को ब्लड डोनेट करना है, उसमे से व्हाईट ब्लड सेल निकल देना पड़ता है और बचा हुआ ब्लड मरीज़ को दे दिया जाता है, ब्लड डोनेशन ही इसमें प्रमुख होता है, ये आमतौर के प्लाज्मा से थोडा अंतर होता है, क्योंकि इसमें कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीज के ब्लड ही काम में लाये जाते है.

डोनेशन की कैसी हो व्यवस्था 

हालाँकि भारत में ये नयी थैरेपी है, ऐसे में बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी है. व्यवस्था कैसी होनी चाहिए,ताकि अधिक से अधिक लोग ब्लड डोनेट कर सकें इस बारें में पूछे जाने पर डॉ महाजन कहते है कि सरकार की तरफ से एक स्कीम या फाउंडेशन होने की जरुँरत है, जिससे कोविड 19 से ठीक हुए मरीज़ ब्लड डोनेट कर ही अस्पताल से जाएँ, ताकि जरुरत के अनुसार मैचिंग ब्लड ग्रुप के आधार पर प्लाज्मा रोगी को दी जा सकें. कोरोना वायरस से जो भी मरीज़ अधिक सीरियस है और रेस्पोंस अच्छा नहीं कर रहे है. वे जल्दी ठीक हो सकेंगे और मृत्यु दर कम होगी. इसके अलावा इस प्रोसेस को हर अस्पताल नहीं कर सकता, क्योंकि इसके कुछ प्रोसेस है, हर किसी को इसका लाइसेंस नहीं मिल सकता. कब ब्लड लेना और कब ब्लड देना है, इन सारी प्रक्रिया को सही तरह से करना आवश्यक है. किसी को भी ये प्रोसेस करने नहीं दिया जा सकता. इसके लिए आई सी एम् आर और सेंट्रल ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी से परमिशन लेने की जरुरत है. नहीं तो लापरवाही होने की आशंका हो सकती है.

इसके अलावा डॉ. महाजन स्टेम सेल थैरेपी को भी इस दिशा में कारगर मानते है, जिसमें मेजोन गामा स्टेम सेल और नेचुरल किलर सेल्स के प्रयोग से भी कोरोना वायरस के रोगी को ठीक करने का सुझाव है. इसके प्रयोग के लिए सारे परमिशन लिए जा रहे है और जल्द ही इस पद्यति से भी इलाज शुरू हो जायेगा. इस पद्यति से भारत में कोरोना वायरस का इलाज पहली बार किया जायेगा.

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अभी अधिक रोगी के मरने की वजह डॉ. प्रदीप मरीजों का अधिक होना, बेड्स कम होना, वेंटिलेटर्स के लिए राह देखना, डॉक्टर्स और हेल्थ केयर्स के स्टाफ का कम होना मानते है. सही समय में सही इलाज मिलने पर मृत्यु कम होती है. उनके हिसाब से ये बीमारी घबराने या डरने वाली नहीं है, पर मीडिया, डॉक्टर्स और सरकार ने इसे विश्व में इतना बढ़ा-चढा दिया है, जिससे लोग डरने लगे है. इसमें बीमार लोगों से अधिक वे खतनाक है जो इस बीमारी को कैरी कर रहे है और उनमें कोई लक्षण नहीं है और वे लोग उसे बुजुर्गों और पहले से मधुमेह, दिल के मरीज़, कैंसर आदि बिमारियों से पीड़ित लोगों को अनजाने में इस वायरस को बाँट रहे है, जो सबके लिए खतरा बन रहा है. सभी को घर में रहना बहुत जरुरी है, ताकि ये रोग अधिक न फैले. डॉक्टर्स और हेल्थ केयर के लोगों में अधिक इस वायरस के फैलने की वजह इन्फ्रास्ट्रक्चर में कमी का होना कहते है. सोशल डिस्टेंसिंग और लॉक डाउन से ही इस बीमारी को काफी हद तक रोका जा सका है, जो सही कदम है.

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