12 साल बाद: भाग-3

आसान नहीं था, फिर भी दूसरे दिन सुबह से तन्वी ने सब कुछ भुला कर सामान्य रूप से दिनचर्या शुरू कर दी, क्योंकि उसे अपने मानअपमान से ज्यादा आस्था की चिंता थी. वह नहीं चाहती थी कि उस की बेटी आस्था के कोमल मन पर उस के मातापिता की आपसी तकरार का बुरा असर पड़े.

जिस प्रकार गाड़ी का एक पहिया पंक्चर हो जाए तो गाड़ी सही तरीके से चल तो नहीं सकती सिर्फ कुछ दूर तक घसीटी जा सकती है, ठीक उसी तरह तन्वी को भी लगने लगा था कि जहां तक भी हो सके, अपनी जिंदगी की गाड़ी को घसीटते जाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है.

गृहस्थी बचाने के लिए अंतर्मन पर पड़ती चोटों को लगातार अनदेखा करती जा रही तन्वी के मन में खुशहाल जिंदगी का सपना सच होने की एक उम्मीद अचानक जाग गई, जब एक दिन औफिस से बड़े अच्छे मूड में आ कर अजीत ने तन्वी से कहा कि औफिस में लगातार 3 दिनों की छुट्टी पड़ रही है अत: 2 दिन के फैमिली टूर का प्रोग्राम औफिस से बनाया गया है. तुम तैयारी कर लो. शुक्रवार की शाम को चलना है.

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सुन कर तन्वी को अच्छा लगा. वह सोचने लगी कि ऐसे कार्यक्रमों से थोड़ा मूड भी बदलेगा और दूसरे पतियों को देख कर शायद अजीत के व्यवहार में भी कुछ सुधार हो.

पर कुछ भी सुधार हुआ होता तो भला आज तन्वी अपने हाथों से अपनी जिंदगी बिखेर कर क्यों निकल पड़ती? शुक्रवार को निश्चित समय से पहले ही तन्वी पूरी तरह तैयार हो चुकी थी. घर से निकलने से पहले जब उस ने आस्था को गोद में उठाया, तो उस ने देखा कि आस्था ने पौटी की हुई है. उस ने अजीत से

2 मिनट में आने को कहा और आस्था को ले कर बाथरूम की ओर चल पड़ी.

‘‘इस निकम्मी को सिवा इस के और कुछ आता भी है?’’ बाथरूम की ओर जाती तन्वी के कान में अजीत का यह वाक्य पड़ा तो दिल किया कि पलट कर इस का करारा जवाब दे पर अच्छाखासा माहौल वह खराब नहीं करना चाहती थी अत: चुप रह गई. उस ने फटाफट आस्था को साफ किया और उस की नैपी को कागज में लपेट कर डस्टबिन में डाल दिया. आस्था को पैंट पहनाती हुई ही 2 मिनट से कम समय में ही तन्वी बाहर आ गई. बाहर आ कर देखा तो उसे अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ. बाहर न तो आटो था और न ही अजीत. तन्वी का सूटकेस गेट के पास पड़ा हुआ था. अजीत तन्वी को छोड़ कर चला गया था.

आश्चर्य से तन्वी का मुंह खुला का खुला रह गया. अजीत ऐसा भी कर सकता है उस को यकीन नहीं आ रहा था. अपनी तसल्ली के लिए उस ने इधरउधर झांक कर देखा भी, पर उस का क्या फायदा था. उस की आंखें अपमान और आक्रोश के मिश्रित आंसुओं से झिलमिलाने लगीं. एक ऐसा आक्रोश, जिसे वह न चीख कर व्यक्त कर सकती थी न चिल्ला कर. अपमान की ऐसी अनुभूति, जो पल भर में ही पूरा शरीर जला गई. विवेकशून्य सी तन्वी दरवाजे पर ही खड़ी रह गई.

उस की सहेली नीरू को उस के प्रोग्राम की जानकारी थी और वह उसे बाय करने के मकसद से अपने घर के बाहर खड़ी थी. उस ने सब कुछ देखा तो सोच में डूब गई कि ऐसे इंसान के साथ आखिर तन्वी कैसे जीवन बिता रही है? तन्वी की दशा वह अच्छी तरह समझ रही थी अत: उस का मन बहलाने के लिए उसे अपने घर में चाय पीने के लिए बुला लिया. उस दिन नीरू के सामने तन्वी अपने को रोक न सकी और रोरो कर अपनी सारी पीड़ा बहा दी.

उस ने कहा, ‘‘नीरू, मैं यह अच्छी तरह समझ चुकी हूं कि अजीत एक कायर और कर्तव्यविमुख आदमी है. वह अपनी जिम्मेदारियों से हमेशा मुंह छिपाता रहता है और मैं या कोई और उसे कुछ कहे, इस से पहले ही वह मुझ पर आरोप मढ़ देता है और माहौल इतना खराब कर देता है कि मुख्य मुद्दा ही खत्म हो जाए. मैं उस की इस कमजोरी को समझ चुकी हूं और उस के आधार पर खुद को ढाल कर जीना शुरू कर दिया था, तो अब उस के अंदर की हीनभावना ने मेरा जीना हराम कर दिया है.

‘‘मेरा किया कोई अच्छा काम या किसी के द्वारा की गई मेरी तारीफ वह बरदाश्त नहीं कर पाता है और मौकेबेमौके जगहजगह पर मुझे अपमानित कर आत्मसंतुष्टि महसूस करता है. मेरे बरदाश्त की सीमा अब खत्म हो रही है, डर लगता है मैं कहीं कुछ कर न बैठूं. मेरी सहनशक्ति को अजीत मेरी कमजोरी मान बैठा है और दिनबदिन मेरा जीना हराम किए जा रहा है.’’

नीरू ने तन्वी को बड़े प्यार से समझाया कि घर की सुखशांति बनाए रखना और आस्था को बेहतर परवरिश देना दोनों की जिम्मेदारी उस की ही है. घर छोड़ देना या कुछ कर बैठना किसी समस्या का समाधान नहीं होता. वह थोड़ा सब्र करे और किसी दिन अच्छा समय देख कर अजीत से बात करे और उसे बताए कि उस के इस तरह के व्यवहार से न केवल उन की गृहस्थी पर बुरा असर पड़ रहा है, बल्कि आस्था का कोमल मन भी प्रभावित हो रहा है.

घर आ कर तन्वी बुरी तरह अपसैट थी. अजीत ने उस के साथ जो किया था उसे सोचसोच कर उस का दिल नफरत से भरता जा रहा था, पर नीरू की कही बात सोच कर उस ने एक बार अजीत से बात कर के सब कुछ ठीक करने की एक और कोशिश करने का निश्चय किया.

अजीत के वापस आने के कुछ ही दिन बाद उन की शादी की 12वीं सालगिरह पड़ी. तन्वी ने तय किया था कि उस दिन अजीत से बात कर के उपहार के बदले उस से उस के व्यवहार में कुछ परिवर्तन लाने का वादा लेगी.

उस दिन वह रोज की अपेक्षा जल्दी उठी और अजीत और आस्था के जगने से पहले ही घर का सारा काम यह सोच कर निबटा लिया कि आराम से बैठ कर अजीत से अपनी समस्याओं पर चर्चा करेगी. उस ने चाय बनाई और अजीत को उठाया. वह मन ही मन सोच रही थी कि किन शब्दों से अजीत को शादी की सालगिरह मुबारक कहे, तभी अजीत उस से अखबार मांग बैठा.

‘‘अखबार तो अभी नहीं आया है, थोड़ी देर में आएगा, तन्वी के इतना कहते ही अजीत ने चाय का कप दीवार पर दे मारा, ‘‘कितनी बार कहा है कि पेपर वाले को कहो कि पेपर जल्दी डाला करे, पेपर नहीं आया है तो क्या अपना थोबड़ा दिखाने के लिए उठा कर बैठा दिया मुझे?’’

बधाई देने और अपनी समस्या पर विचार करने के लिए हफ्ताभर सोचे गए उस के सारे शब्द धरे के धरे रह गए. वह पल ही तन्वी के लिए उस घर में अंतिम पल बन गया. पहली बार उस ने भी उस के ही शब्दों में उसे जवाब दिया और अपने हाथ में पकड़ा चाय का कप भी जमीन पर दे मारा. आक्रोश से भरी तन्वी ने उसी समय अपने और आस्था के कपड़े सूटकेस में डाले और सोती हुई आस्था को गोद में उठा कर घर से निकल गई.

अपने दुखद अतीत को पीछे छोड़ कर घर से निकल आई तन्वी रहरह कर अपने उठाए गए कदम और भविष्य को ले कर आशंकित होती जा रही थी, पर जब वह पिछले 12 वर्षों तक पाया तिरस्कार और अपमान याद करती थी तो उसे अपने निर्णय पर कोई पछतावा नहीं होता था.

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‘उस ने मुझे जो मानसिक यंत्रणाएं दी हैं, उस की सजा क्या मैं उसे दे सकूंगी? शायद पत्नी और बेटी के बिना उस के जीवन में आया खालीपन ही उस के लिए माकूल सजा होगा. अपने पैरों पर खड़े हो कर अपना व आस्था का भविष्य संवार पाने की आशा में ही मुझे अपना सुनहरा भविष्य दिखाई दे रहा है,’ आस्था के माथे पर हाथ रख कर यह सोचतेसोचते तन्वी ने आंखें बंद कर लीं.

12 साल बाद: भाग-2

पढ़ी-लिखी तन्वी भी सुखशांति, मायके की इज्जत और छोटी बहनों के भविष्य के बारे में सोचसोच कर वर्षों तक अजीत की ज्यादतियां बरदाश्त करती रही और अपमान के कड़वे घूंट पी कर भी चुप रही, पर अब सब कुछ असहनीय हो गया था. तन्वी को लगने लगा कि अब वह और नहीं बरदाश्त कर पाएगी और अंतत: उसे अपना घर छोड़ने जैसा कदम उठाना पड़ गया.

अपना अपमान और तिरस्कार तो तन्वी कैसे भी बरदाश्त कर रही थी, पर आस्था के साथ भी अजीत का वही रवैया उस से बरदाश्त न हो पाया. कुछ दिन पहले ही आस्था की तबीयत खराब होने पर अजीत का जो व्यवहार था, उसे देख कर भविष्य में अजीत के सुधरने की जो एक छोटी सी उम्मीद थी, वह भी जाती रही.

उस ने सुना था कि बच्चा होने के बाद पतिपत्नी में प्यार बढ़ता है, क्योंकि बच्चा दोनों को आपस में बांध देता है. इसी उम्मीद पर उस ने 10 वर्ष तक संयम रखा कि शायद पिता बनने के बाद अजीत के अंदर कुछ परिवर्तन आ जाए, पर ऐसा कुछ भी न हुआ. शादी के 10 साल बाद इतनी मुश्किलों से हुई बेटी से भी अजीत का कोई लगाव नहीं झलकता था. आस्था के प्रति अजीत का उस दिन का रवैया सोच कर आज भी तन्वी की आंखें नम हो जाती हैं.

उस दिन सुबह जब तन्वी ने आस्था को गोद में उठाया, तो उसे ऐसा लगा कि उस का शरीर कुछ गरम है. थर्मामीटर लगाया तो 102 बुखार था. दिसंबर का महीना था और बेमौसम बारिश से गला देने वाली ठंड पड़ रही थी. ऐसे में आटोरिकशा में आस्था को डाक्टर के पास ले कर जाना तन्वी को ठीक नहीं लगा. अत: उस ने औफिस फोन कर के अजीत को आने को कहा तो उस ने थोड़ी देर में आने के लिए कहा.

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तन्वी इंतजार करती रही थी पर शाम तक न ही अजीत आया और न ही उस का फोन. आस्था का बुखार बढ़ता गया और शाम होतेहोते उसे लूज मोशन के साथसाथ उलटियां भी होने लगीं. घबरा कर उस ने दोबारा अजीत को फोन किया, तो उस ने बताया कि वह अपने बौस के यहां बर्थडे पार्टी में है और 2 घंटे में घर पहुंचेगा.

तन्वी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ कि जिस की बेटी बुखार में तप रही हो वह उसे डाक्टर को दिखाने के बजाय बर्थडे पार्टी अटैंड कर रहा है. बाहर का मौसम और आस्था की हालत देखते हुए तन्वी के हाथपैर ठंडे हो गए और उस की आंखों से बेबसी के आंसू निकल पड़े.

उस ने किसी तरह खुद को संयत किया और पड़ोस में रहने वाली अपनी एक सहेली को फोन कर के उस से मदद मांगी. संयोग से उस के पति औफिस से आ चुके थे. वे अपनी गाड़ी से आस्था और तन्वी को डाक्टर के पास ले गए. वहां डाक्टर ने आस्था की हालत देख कर तन्वी को खूब डांट लगाई कि बच्चे को अब तक घर पर रख कर उस की हालत इतनी बिगाड़ दी. अपने आवेगों पर नियंत्रण रख बुखार में तपती बेसुध आस्था को ले कर जब तन्वी घर पहुंची तो घर के बाहर अजीत को खड़ा पाया. हड़बड़ी में ताला लगा कर तन्वी चाबी पड़ोस में देना भूल गई थी.

तन्वी को देखते ही अजीत उस पर बरस पड़ा, ‘‘चाबी दे कर नहीं जा सकती थीं? घंटे भर से बाहर खड़ा इंतजार कर रहा हूं मैं.’’

हालांकि अजीत का ऐसा अमानवीय व्यवहार तन्वी के लिए कोई आश्चर्यजनक नहीं था, फिर भी साथ में खड़ी सहेली और उस के पति की वजह से तन्वी का चेहरा अपमान से लाल हो गया. लेकिन उस ने अपने सारे संवेगों को दबाते हुए बात को सहज बनाते हुए कहा, ‘‘आस्था की हालत देख कर मैं इतनी घबरा गई कि हड़बड़ी में चाबी देना याद ही नहीं रहा.’’

‘‘बुखार ही तो था कोई मर तो नहीं रही थी, जो सुना रही हो कि हालत बिगड़ रही थी,’’ कहते हुए उस ने तन्वी के हाथ से चाबी ली और दरवाजा खोल कर अंदर चला गया.

बाहर खड़ी तन्वी की सहेली और उस के पति को धन्यवाद के शब्द कहना तो दूर उन की ओर नजर उठा कर देखने तक की जहमत नहीं उठाई उस ने. अपमान से लाल हुई तन्वी मुंह से कुछ न कह सकी, बस हाथ जोड़ कर अपनी डबडबाई आंखों से उन के प्रति अपनी कृतज्ञता जाहिर कर दी.

अजीत की अमानवीयता पर आश्चर्यचकित वे दोनों तन्वी को आंखों से ही हौसला बंधाते हुए वहां से चले गए. तन्वी अंदर जाने के लिए मुड़ी ही थी कि अजीत का अगला बाण चल निकला, ‘‘यारों के साथ ही जाना था, तो मुझे फोन करने का नाटक करने की क्या जरूरत थी?’’

उस समय तन्वी का मन किया था कि पास पड़ा गुलदस्ता उठा कर अजीत के सिर पर दे मारे, पर आस्था की मम्मीमम्मी की आवाज सुन उस ने स्वयं को रोक लिया और ‘तुम जैसा गंदी मानसिकता वाला इंसान इस से ज्यादा और सोच ही क्या सकता है?’ कहते हुए स्वयं को आस्था के साथ कमरे में बंद कर लिया.

उस रात तन्वी बहुत आहत हुई थी. ऐसा नहीं था कि अजीत ने पहली बार उस के साथ इतना संवेदनहीन व्यवहार किया था, पर इस बार बात केवल तन्वी के दिल को पहुंची चोट तक ही सीमित नहीं थी. बेटी का तिरस्कार और उस के लिए ‘मर तो नहीं रही थी’ जैसे शब्द, पड़ोसियों का अपमान, पड़ोसियों के सामने उस की बेइज्जती और फिर उस के चरित्र पर कसा हुआ फिकरा, सब कुछ एकसाथ मिल कर उस के मस्तिष्क में कुलबुलाहट पैदा कर रहा था और सब्र को तारतार कर रहा था.

इस तरह का व्यवहार करना इंसान की कायरता की पहली निशानी होती है. कायर इंसान ही अपनी गलती को छिपाने के लिए अनायास दूसरों पर चीखते और चिल्लाते हैं. वे समझते हैं कि चीख और चिल्ला कर, अपनी गलती दूसरे पर थोप कर वे सब के सामने निर्दोष सिद्ध हो जाएंगे, पर वे बहुत गलत सोचते हैं.

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उन के ऐसे व्यवहार से दूसरों के मन में उन के लिए नफरत के अलावा और कुछ उत्पन्न नहीं होता. अजीत ने भी वही किया. उस के समय पर न पहुंचने के लिए उसे तन्वी या कोई और कुछ कह न सके, इस से बचने के लिए उस ने पहले ही तन्वी पर आरोपों की झड़ी लगा कर खुद की गलती ढकने की एक तुच्छ कोशिश की. अजीत की बातों से आहत तन्वी की वह सारी रात रोतेरोते ही गुजर गई.

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12 साल बाद: भाग-1

आज पूरे 12 साल बाद आखिर तन्वी के सब्र का बांध टूट ही गया. वह अपनी 2 साल की बेटी को गोद में उठाए अपना घर छोड़ कर निकलने को मजबूर हो गई. घर से सीधे रेलवे स्टेशन जा कर उस ने अपने मायके के शहर का टिकट लिया और टे्रन में चढ़ गई. गुस्से के मारे उस का शरीर उस के वश में नहीं था.

बेटी आस्था को सीट पर लिटा कर वह खुद खिड़की से सिर टिका कर बैठ गई. टे्रन ज्योंही स्टेशन छोड़ कर आगे बढ़ी, घंटों से रोका हुआ उस का आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा और वह अपनी हथेलियों से मुंह छिपा कर रो पड़ी. आसपास के सहयात्रियों की कुतूहल भरी निगाहों का एहसास होते ही उस ने अपनेआप को संभाला और आंसू पोंछ कर खुद को संयत करने की कोशिश करने लगी. थोड़ी ही देर में वह ऊपर से तो सहज हो गई पर भीतर का भयंकर तूफान उमड़ताघुमड़ता रहा.

आसान नहीं होता है किसी औरत के लिए अपना बसाबसाया घरसंसार अपने ही हाथों से बिखेर देना. पर जब अपने ही संसार में सांस लेना मुश्किल हो जाए, तो खुली हवा में सांस लेने के लिए बाहर निकलने के अलावा कोई चारा ही नहीं रह जाता. रहरह कर तन्वी की आंखें गीली होती जा रही थीं. सब कुछ भूलना और नई जिंदगी की शुरुआत कर पाना दोनों ही बहुत मुश्किल थे, पर अजीत के साथ पलपल मरमर कर जीना अब उस के बस की बात नहीं रह गई थी.

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टे्रन अपनी पूरी गति से भागी जा रही थी और उसी गति से तन्वी के विचार भी चल रहे थे. आगे क्या होगा कुछ पता नहीं था. उसे इस तरह आया देख पता नहीं मायके में सब की प्रतिक्रिया कैसी होगी? शादी के बाद अपने पति का घर छोड़ कर मायके में लड़की कितने दिन इज्जत से रह पाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. अपना तो कुछ नहीं पर आस्था के उज्ज्वल भविष्य के लिए उसे जल्दी से जल्दी अपना जीवन व्यवस्थित करना पड़ेगा और अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा. तन्वी सोच रही थी कि सब कुछ जानने के बाद शुरू के कुछ दिन तो सब का रवैया सहानुभूतिपूर्ण और सहयोगात्मक रहेगा, पर धीरेधीरे वह सब पर बोझ बन जाएगी. वहां लोग उसे अपने पर बोझ समझें, इस से पहले ही उसे अपने पैरों पर हर हाल में खड़ा हो जाना होगा और अपना एक किराए का घर ले कर अलग रहने का इंतजाम करना होगा.

नौकरी और पैरों पर खड़े होने की बात दिमाग में आते ही तन्वी का ध्यान फिर से अजीत की तरफ चला गया. शादी से पहले अच्छीभली नौकरी कर रही थी तन्वी, पर अजीत की ही वजह से उसे वह नौकरी छोड़नी पड़ी थी.

तन्वी देखने और बातव्यवहार दोनों में ही अजीत से कहीं ज्यादा अच्छी थी और इसी वजह से औफिस से ले कर घर तक हर जगह उस की तारीफ हुआ करती थी. शुरू में तो इस का कोई खास असर नहीं पड़ा था अजीत पर, लेकिन शादी के बाद 3 साल के अंदर ही तन्वी को

2 प्रमोशन मिल गए और अजीत को 1 भी नहीं, तो धीरेधीरे अजीत के मन की हीनभावना बढ़ती चली गई और उस ने अलगअलग बहानों से घर में क्लेश करना शुरू कर दिया. उस का एक ही समाधान वह निकालता था कि तन्वी तुम नौकरी छोड़ दो. हार कर घर की सुखशांति के नाम पर तन्वी ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया.

उस समय तो तन्वी को इतना नहीं खला था, पर अब उसे अपनी गलती का एहसास हो रहा है. अजीत की याद आते ही तन्वी फिर से असहज होने लगी. उस के द्वारा दी गई मानसिक यंत्रणाएं तन्वी के विचारों को मथने लगीं.

तन्वी सोचने लगी, ‘मैं और कितना बरदाश्त कर सकती थी. बरदाश्त की भी एक सीमा होती है. घरपरिवार की सुखशांति के नाम पर आखिर कोई औरत कब तक अपमान और तिरस्कार के घूंट पीती रह सकती है? सामने वाला किसी को हर पल यह एहसास दिलाता रहे कि हमारे जीवन में तुम्हारी कोई अहमियत नहीं है, तो क्या साथ रहना आत्मसम्मान को चोट नहीं पहुंचाता है? मानसिक यंत्रणाओं को आखिर कब तक मैं घर की सुखशांति और मानमर्यादा के नाम पर सहती और चुप रहती कि कम से कम मेरी चुप्पी से मेरी गृहस्थी तो बची रहेगी. घर का कलह बाहर वालों के सामने तो नहीं आएगा.’

अजीत को तो किसी की भी परवाह नहीं ?थी कि लोग क्या कहेंगे. उस की दुनिया तो उस से शुरू हो कर उस पर ही खत्म हो जाती थी. अपनेआप को किसी शहंशाह से कम नहीं समझता था अजीत.

अपना अतीत जैसेजैसे तन्वी को याद आता जा रहा था उस का मन और कसैला हुआ जा रहा था. उसे खुद पर आश्चर्य होता जा रहा था कि आखिर इतने सालों तक वह सब कुछ क्यों और कैसे बरदाश्त करती रही? उसे लगने लगा कि शायद पति के अत्याचार बरदाश्त करते रहना पत्नियों की आदत में ही शुमार होता है.

औरतों का एक तबका ऐसा होता है, जो रोज पति के लातघूंसे खाता है. ऐसी औरतें बिरादरी के सामने पति को गालियां देती हैं, लेकिन सब कुछ भूल कर दूसरे ही दिन पति के साथ हंसतीखिलखिलाती नजर आती हैं.

दूसरा तबका वह होता है, जो पति की एक धौंस भी बरदाश्त नहीं करता. ऐसी औरतें रातोंरात पति के अस्तित्व को ठोकर मार कर अपनी एक अलग दुनिया बसा लेती हैं. औरतों के ये दोनों तबके खुश रहते हैं.

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सब से अधिक मजबूर होती हैं संतुलित परिवारों की महिलाएं, जो न तो इतनी सक्षम होती हैं कि रातोंरात पति से अलग हो कर एक अलग दुनिया बसा सकें और न ही इतनी आत्मसम्मानविहीन कि पति की ज्यादतियों को रात गई बात गई की तर्ज पर भुला सकें.

वे तो बस सहती हैं और चुप रहती हैं. कभी पड़ोसियों के कानों तक बात न पहुंचे यह सोच कर, तो कभी बच्चों पर बुरा असर पड़ेगा यह सोच कर. कभी उन्हें यह भय सताता है कि अगर वे पति का घर छोड़ कर मायके चली गईं तो उन की छोटी बहनों के विवाह में दिक्कतें आएंगी, तो कभी यह डर सताता है कि उन के मातापिता इतना बड़ा सदमा बरदाश्त न कर सके तो?

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#lockdown: समर में ट्राय करें Ishqbaaz फेम Surbhi Chandna का कलरफुल Headband फैशन

कोरोनावायरस का कहर में दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण लॉकडाउन को भी तीन मई तक के लिए बढ़ा दिया गया, जिसे खत्म होने अब कम दिन बाकी हैं. वहीं गरमियों ने भी इसी बीच दस्तक दे दी है. टीवी और बौलीवुड सेलेब्स घर पर रहने को मजबूर है, जिस कारण वह अपने फैंस के लिए नये, स्टाइलिश और फैशनेबल फोटोज शेयर कर रहे हैं. हाल ही में इश्कबाज (Ishqbaaz)सीरियल फेम एक्ट्रेस सुरभि चंदना (Surbhi Chandna) ने समर फैशन से जुड़ी एक्सेसरी (Hair Accessories) फैंस के साथ शेयर की है, जो उन्हें काफी पसंद आ रही है.

आज हम आपको सुरभि चंदना (Surbhi Chandna) के हेयरबैंड की कुछ फोटोज दिखाएंगे, जिसे आप समर में घर हो या बाहर कहीं भी ट्राय कर सकती हैं.

1. बालों में कलरफुल हेयरबैंड में खूबसूरत लग रही हैं Surbhi Chandna

 

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My Favourite Hour of the Day 🏋️‍♀️ #marshallspeakers #sweatitoutyoubeauty #swipeleft

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गरमी से बचने के लिए सुरभि चंदना (Surbhi Chandna) हेयरबैंड लगाना ही बेहतर समझती हैं, जिसका अंदाजा उनके लेटेस्ट फोटोज में कलरफुल हेयरबैंड देखकर लगाया जा सकता है.

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2. हर जगह Surbhi Chandna लगाती हैं हेयरबैंड


जिम हो या फिर खाना इन सब कामों को करने से पहले सुरभि चंदना(Surbhi Chandna) हैयरबैंड लगा लेती हैं. सुरभि चंदना के इस स्टाइल के चलते उनको अपने बाल बनाने की चिंता नहीं होती है.

3. हर आउटफिट के साथ अलग है हेयरबैंड

 

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Umeed Ka Diya 🪔

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बिना बालों के हेयरस्टाइल की फिक्र किए सुरभि चंदना हेयरबैंड के जरिए अपने बालों को सवारती हैं. अगर आप भी न्यू ट्रैंड में रहकर अपने लुक को स्टाइलिश बनाना चाहती हैं तो सुरभि चंदना की तरह कलरफुल हेयरबैंड का इस्ते माल करें, जो आपके लुक को फैशनेबल और नया बनाने में मदद करेगा.

4. अलग प्रिंट वाले हेयरबैंड करें ट्राय

अपने स्टाइलिश हेयरबैंड लगाकर सुरभि चंदना कैमरे के आगे खूब पोज देती हैं. अगर आप भी सुरभि की तरह अपनी नई फोटोज से सोशल मीडिया पर छाना चाहती हैं तो फ्लावर प्रिंट और डौट पैटर्न वाले हेयर बैंड ट्राय कर सकती हैं. ये आपके लुक को खूबसूरत बनाएगा.

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लिपस्टिक लगाते समय रखें इन 5 बातों का ध्यान

लिपस्टिक मेकअप का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है. लिपस्टिक के बिना मेकअप की कल्पना नहीं की जा सकती, इसलिए तो लड़कियां मेकअप करें या न करें, लेकिन लिपस्टिक लगाना कभी नहीं भूलतीं. हां, लिपस्टिक लगाते वक्त ऐसी कई भूल कर जाती हैं जिन से वे खुद अनजान रहती हैं. लिपस्टिक का इस्तेमाल करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है, आइए जानते हैं.

1. लिपस्टिक लगाने का सही तरीका

लिपस्टिक लगाने से पहले लिप्स पर लिपबाम जरूर लगाएं. इस से आप के लिप्स ड्राई नजर नहीं आएंगे. यदि आप बिना लिपबाम के लिपस्टिक का प्रयोग करेंगी तो मैट लिपस्टिक आप के लिप्स से हटने लगेगी.

लिपस्टिक जब भी लगाएं तो इस की शुरुआत हमेशा लिप्स के बीच वाले हिस्से से करें. कौर्नर से लगाने पर लिपस्टिक फैल जाती है और इस से आप के लिप्स की शेप भी अच्छी नहीं दिखती.

2. मैट लिपस्टिक लगाते समय याद रखें ये बातें

मैट लिपस्टिक अधिकतर लड़कियों को पसंद होती है. इस के कई कारण हैं, एक तो यह फैलती नहीं है और इस से लिप्स काफी आकर्षक नजर आते हैं. मैट लिपस्टिक बाकी लिपस्टिक्स की तरह क्रीमी या ग्लौसी नहीं होती, इसलिए इसे लगाते वक्त थोड़े सब्र की जरूरत होती है. अगर बाकी लिपस्टिक की तरह मैट लिपस्टिक उठाई और लगा ली तो थोड़ी देर बाद ही आप का लुक तारीफ पाने की जगह मजाक का पात्र बन जाएगा.

मैट लिपस्टिक लगाने से पहले लिप्स पर लिपबाम लगा लें. मैट लिपस्टिक ब्रश से नहीं, बल्कि डायरेक्ट लगाएं. अगर मैट लिपस्टिक ड्राई हो गई है तो आप इसे लगाने से पहले गरम पानी में डाल सकती हैं या फिर इसे ड्रायर से पिघला सकती हैं.

लिपस्टिक लगाने के बाद लिप्स को रगड़ें नहीं, इस से मैट लिपस्टिक खराब हो जाएगी.

3. कपड़ों के साथ इस तरह मैच करें ट्रैंडी लिपस्टिक

स्टाइलिश ड्रैस पहनना हर कोई चाहता है, लेकिन उस स्टाइलिश ड्रैस की खूबसूरती आप के चेहरे के निखार से बढ़ती है. भले ही आप कितने भी स्टाइलिश कपड़े क्यों न पहन लें, लेकिन जब तक आप अपना मेकअप अच्छा नहीं करेंगी तब तक आप का वाओ लुक नजर नहीं आएगा.

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4. लिपस्टिक शेड का रखें खास ध्यान

चेहरे को सुंदर दिखाने के लिए लड़कियां तरहतरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं. लेकिन, कई बार मेकअप के दौरान वे गलत लिपस्टिक शेड का इस्तेमाल कर लेती हैं. ऐसे में लिपस्टिक आप की ड्रैस से मैच नहीं करती जिस से पूरा लुक बिगड़ जाता है.

लिपस्टिक मेकअप का अहम हिस्सा होती है. यह आप के पूरे लुक को कंप्लीट करने का काम करती है, खासकर तब जब आप लिपस्टिक को अपने कपड़ों से मैच कर के लगाती हैं. ऐसे में हम आप को लिपस्टिक के कुछ ऐसे ट्रैंडी शेड्स के बारे में बता रहे हैं जिन्हें आप अपनी ड्रैस के साथ मैच कर सकती हैं.

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5. अच्छी क्वौलिटी की हो लिपस्टिक

परफैक्ट लुक के लिए लिपस्टिक अच्छी क्वालिटी की होनी चाहिए. पुरानी यानी एक्स्पायर लिपस्टिक कभी इस्तेमाल न करें. लिपस्टिक में कई ऐसे इंग्रीडिएंट्स होते हैं जो फोटोसैंसिटिव रिऐक्शन की वजह बनते हैं. इसलिए कभी लोकल लिपस्टिक न खरीदें.

ओरिजिनल ब्रैंड की लिपस्टिक की कीमत ज्यादा होती है. अगर किसी ब्रैंड वाली लिपस्टिक आप को कम कीमत में मिल रही है, तो समझ जाएं कि वह नकली है. ओरिजिनल लिपस्टिक पर ब्रैंड का लिखा गया नाम काफी क्लीयर होता है, जबकि फेक लिपस्टिक में ब्रैंड की स्पैलिंग और फौंट में काफी फर्क होता है.

#lockddown: घर पर बनाएं लाजवाब खांडवी

गुजरात की कई रेसिपी हैं जो फेमस है, जिनमें ढ़ोकला और खांडवी भी है. ढोकले की रेसिपी हम आपको पहले बता चुके हैं लेकिन खांडवी की रेसिपी आप हम आपको बताएंगे. खांडवी बनाना आसान है. ये बेसन से बनने वाली रेसिपी है, इसीलिए ये हेल्दी और टेस्टी दोनों है. आइए आपको बताते हैं खांडवी की टेस्टी और हेल्दी रेसिपी.

बेसन – 1/2 कप,

दही– 1/2 कप (खट्टा),

अदरक पेस्ट – 02 छोटे चम्मच,

हरी मिर्च का पेस्ट – 1/2 छोटा चम्मच,

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लाल मिर्च पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच,

हल्दी – 1/4 चम्मच,

हींग– 01 चुटकी,

नमक – स्वादानुसार,

पानी – 1 1/2 कप

छौंक के लिए हमें चाहिए

करी पत्ता – 05 नग,

खड़ी लाल मिर्च – 02 नग,

सरसों – 1/2 छोटा चम्मच,

तेल – 02 बड़े चम्मच,

नारियल – 1/2 छोटा चम्मच (कद्दूकस किया हुआ),

हरी धनिया- 01 बड़ा चम्मच (बारीक कटी हुई)

बनाने का तरीका

सबसे पहले एक गहरी कड़ाही में बेसन, अदरक पेस्ट, मिर्च पेस्ट, लाल मिर्च पाउडर, नमक, हींग और हल्दी डाल कर अच्छी तरह से मिला लें.

अब मिश्रण में थोड़ा-थोड़ा दही डालें और उसे अच्छी तरह से फेंटते रहें. सारी सामग्री अच्छी तरह से मिल जाने पर उसमें पानी मिलाएं और एक बार और फेंट लें. ध्यान रहे कि मिश्रण में कोई गांठ नहीं रहनी चाहिए.

कड़ाही को गैस पर चढ़ा दें और उसे चलाते हुए पकाएं. जब मिश्रण कड़ाही के तले में चिपकना बंद हो जाए कड़ाही को उतार लें. अब मिश्रण को किसी समतल थाली या प्लेट में पतला-पतला फैला दें और उसे ठंडा होने दें.

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अब एक अन्य कड़ाही में तेल गर्म करें. तेल गर्म होने पर उसमें सरसों, करी पत्ता और लाल मिर्च डालें और एक मिनट तक भूनने के बाद गैस बंद कर दें.

अब बेसन की पतली पर्त को टाइप लपेट कर रोल बना लें और फिर उसे छोटे-छोटे टुकडों में काट लें. इन टुकड़ों के ऊपर से छौंक की सामग्री डाल दें. साथ ही नारियल और धनिया पत्ती को ऊपर से छिड़क कर अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को गरमागरम परोसें.

मेरे हाथों के ऊपरी हिस्से पर लाल रंग के छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं, मै क्या करूं?

सवाल-

मेरे हाथों के ऊपरी हिस्से पर लाल रंग के छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं. हालांकि इन से मुझे खुजली या दर्द नहीं होता, लेकिन इन की वजह से मैं स्लीवलैस ड्रैस नहीं पहन पाती हूं. इन को दूर करने का कोई उपाय बताएं?

जवाब-

स्किन पर लाल रंग के छोटेछोटे दाने यानी बंप्स हो जाने की प्रौब्लम को केराटोटिस पाइलेरिस कहा जाता है. लगभग 50% लोग इस प्रौब्लम से पीडि़त हैं. बंप्स आमतौर पर लाल और सफेद रंग के छोटे पिंपल्स की तरह दिखते हैं. वास्तव में ये कुछ और नहीं, बल्कि डैड स्किन होती है, जिस से बालों के रोम में रुकावट पैदा हो सकती है. ये केवल आप के हाथों की भुजाओं पर ही नहीं, बल्कि कूल्हों और जांघों के पीछे भी हो सकते हैं. इन से छुटकारा पाने के लिए आप दिन में 2 बार अच्छे मौइश्चराइजर का इस्तेमाल करें. आप सेलीसिलिक एसिड और अल्फा हाइड्रौक्सी चुन सकती हैं. विटामिन ए युक्त क्रीम से स्किन सैल्स की हालत बेहतर होती है. ऐक्सफोलीएशन से डैड स्किन सैल्स अच्छी तरह से उतर जाती हैं. आप एक्सफोलिएटिंग स्क्रब का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. ध्यान रहे कि कोई भी क्रीम लगाने से पहले डर्मैटोलौजिस्ट की सलाह जरूर लें. बेहतर रिजल्ट पाने के लिए इन का नियमित रूप से इस्तेमाल करें.

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#coronavirus: पश्चिम से पूरब को ट्रांस्फ़र होती दुनिया की ताकत

एसआईपीआरआई के प्रमुख डैन स्मिथ का मानना है कि कोरोना वायरस के संकट की वजह से यूरोपीय देशों और अमेरिका में संभवतया आर्थिक मंदी ने दुनिया की ताक़त के पश्चिम से पूरब को ट्रांस्फ़र होने के लिए ज़रूरी पृष्ठभूमि मुहैया कर दी है.

एक न्यूज़ एजेंसी को दिए इंटरव्यू में डैन स्मिथ ने जोर दिया कि, “दुनिया की ताक़त के अमेरिका से चीन में ट्रांस्फ़र होने के संकेत मिल चुके हैं और लंबी मुद्दत के दौरान तेज़ आर्थिक विकास इसका सबसे बड़ा तत्त्व है. यह प्रक्रिया 2008 के वैश्विक आर्थिक व वित्तीय संकट के उभरने के वक़्त से अच्छी तरह ज़ाहिर हुई है, इसलिए मेरे विचार में दुनिया की ताक़त के पश्चिम से पूरब को ट्रांस्फ़र होने के लिए ज़रूरी पृष्ठिभूमि तैयार हो गई है. लेकिन, मैं जितना विकास की उम्मीद कर रहा था, उससे कम विकास हुआ है.

डैन स्मिथ ने कहा कि शायद एक या दो संकट से पश्चिम के युग के ख़त्म होने और पूरब के युग के शुरू होने की वास्तविक निशानी ज़ाहिर हो जाए.

कोरोना वायरस की वजह से लगभग पूरी दुनिया थम सी गई है. सबकुछ ठप है. मगर जिस देश से पूरी दुनिया इस हाल में पहुंची उस देश के बाज़ार फिर से खुल गए हैं. बंद दुनिया के बंद बाजारों के बीच उसने अपने बाज़ार खोल दिए हैं ताकि वह उस कोरोना के कारोबार से मुनाफा कमा सके जिस कोरोना को फैलने देने का दोषी वह खुद ही है. चीन ने सिर्फ एक महीने के अंदर कोरोना के नाम पर जितना व्यापार किया है वह आंखें खोलने वाला है.  कहने वाले कह रहे हैं कि कोरोना की आड़ में चीन दुनिया का अगला सुपरपावर बनने के लिए अपनी चाल चल चुका है.

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क्या आपको पता है कि दुनियाभर को मास्क, पीपीई सप्लाई करने वाले चीन ने जनवरी महीने से ही इनकी जमाखोरी शुरू कर दी थी, जिसका फायदा उसको ऐसा मिला है कि कोरोना काल में दुनिया के टौप 100 अरबपतियों में सिर्फ चीन के अरबपतियों की संपत्ति बढ़ी है. यह सवाल इसलिए क्योंकि बंद पड़ी दुनिया में एक जगह ऐसी है जहां सारे बाजार खुले हैं. सारा कारोबार जारी है, कारखाने चल रहे हैं, मशीनें फटाफट माल बना रही हैं. दुनिया को कोरोना से लौक करके चीन अनलौक हो गया है. वह दुनिया के बाजारों को वीरान करके अपने बाजारों से दुनिया चला रहा है.

आंकड़ों पर एक नजर :

चीन के एक्सपोर्ट डिपार्टमेंट के आकंड़े बताते हैं कि चीन दुनिया के 50 से ज्यादा देशों में 3.86 बिलियन यानी 3.60 अरब मास्क बेच चुका है. 3.7 अरब प्रोटैक्टिव क्लोथिंग पीस चीन ने दुनिया में पहुंचा दिए हैं. 16,000 वैंटिलेटर और 20.84 लाख कोरोना टैस्टकिट उसने दुनिया को बेचे और ये सारा निर्यात सिर्फ एक महीने यानी 1 मार्च से 1 अप्रैल के बीच किया गया है.

घुटनों पर सुपरपावर :

अमेरिका जैसे सुपरपावर के साथसाथ इटली, स्पेन, जरमनी, फ्रांस जैसे विकसित देशों की इकोनौमी भी इस वक्त घुटने पर है जबकि चीन की इकोनौमी नई ऊंचाइयां छू रही है.

चीन दुनिया के लोगों का सिर्फ जीवन ही नहीं, बल्कि उनसे उनकी दौलत भी छीन रहा है. कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर के अमीरों को बड़ा नुकसान हुआ है. लेकिन चीन के अरबपतियों को इस संकट से बड़ा फायदा हुआ है.

चीन में अरबपतियों की संख्या बढ़ी :

चीन की एक संस्था हू-रन  की एक रिसर्च के मुताबिक,  दुनिया के 100 टौप अरबपतियों में सिर्फ 9 प्रतिशत की संपत्ति बढ़ी है और ये सभी अरबपति चीन से हैं. जबकि, दूसरे देशों के 86 प्रतिशत अरबपतियों की संपत्ति पहले से कम हुई है. वहीं, 5 प्रतिशत अरबपतियों की संपत्ति में कोई अंतर नहीं आया है. यही नहीं, दुनिया के 100 टौप अरबपतियों की लिस्ट में चीन के 6 नए लोग शामिल भी हुए हैं जबकि भारत के 3और अमेरिका के 2 लोग अब इस लिस्ट से बाहर हो गए हैं.

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चीन का मनी प्लान :

यह सच है कि महामारी पर चीन के मनी प्लान की भनक किसी को नहीं लगी. अब 3 महीने बाद आलम यह है कि चीन से तो कोरोना खत्म हो गया लेकिन बाकी देश अब उसी चीन के दरवाजे पर इन सामानों के लिए मदद की गुहार लगा रहे हैं.

मैरिड लाइफ में हो सफल

आप ने अपने पासपड़ोस में देखा होगा कि कुछ विवाहित जोड़े सदैव खुश तथा सुखी दिखाई देते हैं, तो कुछ दुखी. सुखी पतिपत्नी सदैव सुखी रहते हैं, चाहे शादी हुए एक लंबा समय ही क्यों न बीत गया हो और दुखी पतिपत्नी दुखी ही रहते हैं, चाहे शादी का पहला साल ही क्यों न हो.

ऐसा क्यों होता है? इस का उत्तर ढूंढ़ने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने अनेक शोध, सर्वेक्षण तथा अध्ययन किए. इन अनुसंधानों, सर्वेक्षणों तथा अध्ययनों से प्राप्त सार को हम अपने पाठकों तक पहुंचा रहे हैं. हमारा उद्देश्य यही है कि हमारे पाठक सदैव सुखी वैवाहिक जीवन जीएं.

हम इस लेख में सुखी दंपती और दुखी दंपती दोनों का ही विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं :

सुखी जीवन जीने वाले दंपती विवाह को ‘आनंद’ के रूप में स्वीकार करते हैं. यह आनंद बातों द्वारा भी उठाया जा सकता है और किसी कार्य को साथसाथ कर के भी उठाया जा सकता है. दुखी दंपती इसे एक रिश्ते के रूप में देखते हैं. आपस में बातें करना उन्हें समय की बरबादी लगता है. यदि काम करना ही हो तो बस काम निबटाने की सोचते हैं. वे कर्म में आनंद महसूस नहीं करते.

अपनी पत्नी या पति को आनंद के स्रोत के रूप में देखें. यदि एक बार आप के मन में रसिक भाव जाग्रत हो गया तो बुढ़ापे तक यह रसिकता या जिंदादिली काम आती है और आप की पत्नी या पति सदैव आप के लिए आकर्षण का स्रोत बना रहता है. दुखी दंपती शुरू से ही एकदूसरे से ऊब जाते हैं तथा यह उबाऊपन जीवन भर उन का साथ नहीं छोड़ता है.

सुखी दंपती जिंदगी के अन्य मुद्दों, जैसे आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, नातेरिश्तेदारों आदि को दूसरा स्थान देते हैं, जबकि दुखी दंपती इन्हें पहला स्थान देते हैं. समाजसेवा या दोस्तों में मशगूल रहने वाले वास्तव में दुखी पत्नी या पति ही अधिक होते हैं. अत: अपने साथी को ही मित्र बनाइए और जीवन को रंगीन बनाइए.

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सुखी दंपती सैक्स को पूरा महत्त्व देते हैं, जबकि दुखी दंपती इसे सिर्फ शारीरिक मिलन से अधिक कुछ नहीं समझते. अत: सुखी दंपती सैक्स से ही आनंद प्राप्त करते हैं, जबकि दुखी दंपती इसे मात्र जैविक क्रिया मानते हैं व इस से दूर भागने का प्रयास करते हैं. सुखी दंपती अपने निजी संबंधों के लिए ही एकांत क्षणों की खोज में रहते हैं, परंतु दुखी दंपतियों को इन क्षणों की चाह ही नहीं होती है.

तर्कवितर्क सुखी दंपती में भी होते हैं व दुखी में भी. लेकिन सुखी दंपती तर्क को तर्क से हल करते हैं, जबकि दुखी दंपती तर्क में कुतर्क कर लड़ाई की स्थिति पैदा कर लेते हैं.

झगडे़ं मगर प्यार से

सुखी जीवन के लिए तर्क करें पर तर्क करने का तरीका संयत रखें. यह महत्त्वपूर्ण नहीं होता कि तर्क क्यों किया, बल्कि यह महत्त्वपूर्ण होता है कि तर्क कैसा किया अर्थात झगड़ें जरूर पर प्यार से.

सुखी जीवन के लिए ऊंचे स्वर में न बोलें. धीमे बोलें, प्यार से बोलें, मीठा बोलें. याद रखें कभी आप को अपने शब्दों को निगलना भी पड़ सकता है.

एकदूसरे के रिश्तेदारों को सम्मान दें.

पतिपत्नी एकदूसरे के मित्रों के बारे में अपनी राय एक दूसरे पर न थोपें. इसे नितांत निजी मामला मान कर चुप रहें. दुखी दंपती आधा समय तो एकदूसरे के दोस्तों के बारे में ही अपनीअपनी राय दे कर झगड़ते रहते हैं.

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सुखी पतिपत्नी बारबार अपने प्रेम का इजहार करते हैं, प्रेम भरे बोल बोलते हैं, एकदूसरे की इच्छाओं, शौकों इत्यादि का ध्यान रखते हैं तथा जन्मदिन या विवाह की वर्षगांठ पर उत्सव मनाते हैं. इस से दोनों पक्षों में प्रेम और अधिक प्रगाढ़ होता है, जबकि दुखी पतिपत्नी इन सब को आडंबर मान कर कोई महत्त्व नहीं देते हैं. बारबार यह कहने से कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं/करती हूं से प्यार सचमुच बढ़ता है. कभीकभी उपहार लाने और नई खाने की चीज ला कर साथसाथ खाने का भी अपना अलग ही आनंद होता है. अत: सुखी दंपती सदैव एकदूसरे के प्रति सजग व समर्पित होने के साथसाथ प्यार की अभिव्यक्ति में भी आगे रहते हैं.

भावनाओं को दें सम्मान

सुखी दंपती एकदूसरे के प्रति सम्मान दो व सम्मान लो की नीति अपनाते हैं. एकदूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हैं व एकदूसरे की रुचियों में रुचि लेते हैं.

सुखी दंपती एकदूसरे की आय, उस के कार्य, उस की प्रतिष्ठा से संतुष्ट रहते हैं. यदि कोई पत्नी अपने कम पढ़ेलिखे पति को यह कह दे कि तुम सचमुच विद्वान हो तो पति की खुशी का ठिकाना न रहेगा व वह विद्वान होने का प्रयास करेगा. इसी प्रकार पति अपनी रणचंडी जैसी पत्नी को बहुत ही शांत स्वभाव की कहे तो ऐसा कहना उन के बीच के विरोध को पाटने में सफल होगा. परंतु ध्यान रखें कि अतिशयोक्ति न हो. एकदूसरे की आय के प्रति सदैव संतुष्टि बनाए रखें. यही सुखी रहने का रहस्य है.

सुखी दंपती बच्चों के भविष्य के प्रति भिन्न विचारधारा नहीं रखते हैं. दोनों मिलजुल कर ऐसा रास्ता निकालते हैं, जिस से बच्चों का भविष्य भी न खराब हो और उन के अहं को भी चोट न पहुंचे. जबकि दुखी दंपती बच्चों के भविष्य के प्रति अडि़यल रुख अपना लेते हैं. इस से बच्चों का भविष्य तो खराब होता ही है, पतिपत्नी में भी मनमुटाव हो जाता है.

सुखी दंपती अपने साथी से कुछ भी नहीं छिपाते हैं. वे एकदूसरे को अपना सब से बड़ा हितैषी व मित्र मानते हैं.

सुखी दंपती एकदूसरे के प्रति अटूट विश्वास व निष्ठा रखते हैं, जबकि दुखी दंपती एकदूसरे से बहुत कुछ छिपाते हैं. एकदूसरे पर संदेह करते हैं तथा इन में निष्ठा का भी अभाव होता है. यदि आप सुखद वैवाहिक जीवन के लिए इन सूत्रों को अपनाते हैं, तो हमें पूरा विश्वास है कि आप का दांपत्य जीवन भी आनंद से भर उठेगा.

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4 टिप्स: ऐसे करें घर में एक्सरसाइज

बिजी लाइफस्टाइल के चलते हमारा वजन हमारे कंट्रोल में नही रहता अक्सर हम हेल्दी खाते हैं, लेकिन फिर भी हम अपना वजन कंट्रोल नही कर पाते. वहीं जिम जाने का टाइम भी हमारे पास नही रहता और अगर जिम चले भी जाएं तो खोखले दावे करते स्लिमिंग सेंटर हमारे पैसे बर्बाद कर देते हैं. आज हम आपको फिट व चुस्त रहने के कुछ एक्सरसाइज बता रहे हैं, जिन्हें आप घर में ही कर के आकर्षक दिखने का अपना सपना बिना इन सेंटरों में पैसे और समय गंवाए ही पूरा कर सकती हैं. ये एक्सरसाइज खासतौर पर उन अंगों के लिए बेहद असरदार हैं, जो या तो बढ़ती उम्र के कारण दुर्बल होने लगते हैं या फिर शरीर का भार बढ़ने के कारण फैलने लगते हैं जैसे – पेट, जांघें, बाजुओं का पिछला हिस्सा व कमर आदि. इन व्यायामों के जरिए आप को निश्चय ही बेहतरीन परिणाम मिलेंगे.

1. टखनों व पिंडलियों यानी घुटनों के लिए एक्सरसाइज

थोड़ी सी जौगिंग या स्किपिंग से वार्म होने के बाद सब से पहले टखनों व पिंडलियों के लिए एक्सरसाइज करना चाहिए. इस के लिए एक कुरसी के किनारे बैठ जाएं. घुटने एकसाथ जोड़ लें. पैरों के बीच की दूरी डेढ़ फुट हो. ध्यान रहे, पंजे अंदर की ओर इशारा करते हुए हों. अब पंजों को जितना ऊपर उठा सकती हैं, उठाएं, फिर नीचे लाएं. इसे 16 बार दोहराएं. अब पैरों को बाहर की ओर मोड़ते हुए घुटने मिला कर पैरों में फासला रखते हुए एक बार फिर 16 बार उठाएं. अंत में एडि़यों को जमीन पर जमाते हुए दोनों पैरों को जमीन के साथ रगड़ते हुए अंदर की ओर लाएं. अब पांवों को स्वीप करते हुए बाहर की ओर लाएं और दोबारा उठाएं. इसे 16 बार दोहराएं.

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2. सपाट पेट व कमर को सही आकार

पीठ के बल लेट जाएं व हाथों को सिर के पीछे ले जाएं. टांगें मोड़ते हुए पैरों के तलवों से जमीन पर दबाव डालें, ताकि दोनों टांगों के बीच कुछ फासला आ जाए. अब बाईं कुहनी को ऊपर की ओर उठाएं व दाएं घुटने की तरफ झुकें, फिर वापस जाएं. इसे 12 बार दोहराएं. अब दाएं पांव को जमीन से 2 इंच ऊपर उठाएं और बाईं कुहनी को दाएं घुटने की तरफ सामने 16 बार लाएं. अब इन व्यायामों को दूसरी तरफ से दोहराएं. पीठ के बल लेट जाएं. दोनों टांगों को ऊपर की ओर उठा कर घुटनों से ऊपर व नीचे के भाग को 90 डिग्री पर आपस में जोड़ लें. टखनों को क्रास कर लें तथा घुटनों के बीच करीब आधा इंच का फासला रखें. अब धीरेधीरे शरीर के निचले हिस्से को जितना ऊपर उठा सकती हैं, उठाने का प्रयास करें. सर्वोत्तम परिणाम के लिए पेट को एक्सरसाइज के दौरान अंदर ही रखें.

3. जांघों की मजबूती के लिए एक्सरसाइज

सब से पहले बाईं तरफ करवट ले कर लेट जाएं, शरीर के ऊपरी हिस्से को कुहनी पर टिकाते हुए. अब दाईं टांग को इस तरह मोड़ें जिस से कि घुटना ऊपर की तरफ इशारा करता हुआ हो. अब पेट अंदर की तरफ रखते हुए दाएं पांव को हलके मुड़े घुटने के पीछे ले आएं. ध्यान रहे कि बायां पांव छत की तरफ इशारा करता हुआ हो. बाईं टांग को काफी ऊंचा उठाएं. इसे 24 बार दोहराएं. अब दूसरी तरफ से इसे करें.

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4. ऊपरी बाजू के लिए एक्सरसाइज

ऊपरी बाजू में पहले जैसा खिंचाव व सही शेप देने के लिए यह एक्सरसाइज बहुत ही कारगर सिद्ध हो सकता है. कुरसी के किनारे बैठ जाएं व दोनों हाथों से कुरसी के किनारे थाम लें. कुरसी पर बैठेबैठे ही इस प्रकार आगे की तरफ तब तक बढ़ें, जब तक कि केवल आप के हाथ  ही कुरसी पर टिकें रहें जाएं. अब धीरेधीरे शरीर के ऊपरी भाग को ऊपर व नीचे ले जाएं, बाजुओं को मोड़ते व सीधा करते हुए इसे 12 बार दोहराएं. आप इन एक्सरसाइज की मात्रा और समय धीरे-धीरे बढ़ा सकती हैं. घर पर नियमित रूप से इन्हें करने पर आप का नत, मन व धन तीनों स्वस्थ और सुडौल रेगे.

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