पहली बार नेपोटिज्म पर बोलीं आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान, कही ये बड़ी बात

बौलीवुड एक्टर सुशांत सिंह (Sushant Singh Rajput) के सुसाइड पर स्टार किड्स और नेपोटिज्म पर बहस जारी है. सुशांत के फैंस उनके सपोर्ट में न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं तो वहीं कुछ अदालतों में बड़े-बड़े स्टार्स के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है. इसी बीच सोशलमीडिया पर भी ट्रोलर्स ने स्टार किड्स जैसे आलिया भट्ट (Alia Bhatt), अन्नया पांडे (Ananya Panday) और वरूण धवन (Varun Dhawan) जैसे सितारों को ट्रोल करना शुरू कर दिया है. इसी बीच आलिया (Alia Bhatt), की मम्मी सोनी राजदान (Soni Razdan)नेपोटिज्म के सपोर्ट में बेटी आलिया के लिए खड़ी हुई हैं. आइए आपको बताते हैं क्या कहती हैं आलिया की मम्मी…

फिल्म डायरेक्टर के ट्वीट से शुरू हुई कहानी

फिल्म डायरेक्टर हंसल मेहता (Hansal Mehta) ने अपने ट्विटर अकाउंट पर नेपोटिज्म के बारे में लिखा कि ‘नेपोटिज्म डिबेट पर नए नजरिए से बात करने की जरूरत है. अच्छे लोगों को प्रिफरेंस मिलनी चाहिए. मेरे बेटे ने बॉलीवुड में मेरी वजह से कदम रखा है और क्यों नहीं रखना चाहिए? वो मेरे साथ अपनी मेहनत और टैलेंट के कारण काम कर रहा है. उसे काम मिल रहा है क्योंकि वो हकदार है, ना कि इसलिए कि वो मेरा बेटा है. वो फिल्में डायरेक्ट करेगा, इसलिए नहीं क्योंकि मैं उन्हें प्रोड्यूस करूंगा लेकिन इसलिए क्योंकि उसमें टैलेंट है. उसका करियर सिर्फ इसलिए आगे चल पाएगा क्योंकि उसमें टैलेंट है.’

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सपोर्ट में आईं आलिया की मम्मी

हंसल मेहता के ट्वीट्स का सपोर्ट करते हुए एक्ट्रेस आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान ने लिखा, ‘क्योंकि आप किसी के बेटे या बेटी हैं, इसलिए लोगों की उम्मीदें आपसे काफी हद तक बढ़ जाती हैं. जो लोग आज नेपोटिज्म पर बातें कर रहे हैं, जिन्होंने अपने दम पर नाम कमाया है एक दिन उनके भी बच्चे होंगे. अगर कभी वो फिल्म इंडस्ट्री में काम करना चाहें क्या ये लोग उन्हें रोकेंगे ?’

जवाब देते हुए हंसल मेहता ने लिखी ये बात

हंसल मेहता ने सोनी राजदान के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा है, ‘नेपोटिज्म डिबेट को कुछ लोगों को टारगेट करने तक सीमित कर दिया गया है. नेपोटिज्म को खत्म करने से पहले हमें जबरदस्ती की पब्लिसिटी खत्म करनी होगी. किसी को जानबूझकर परेशान करना गलत है. लोगों को बिना बात के परेशान करने पर भी चर्चा होनी चाहिए.’

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बता दें, एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड की वजह डिप्रेशन बताई जा रही है. वहीं इस डिप्रेशन का कारण उनसे लगातार फिल्मों का छिनना बताया जा रहा है, जिसके कारण फैंस नेपोटिज्म के चलते स्टार किड्स को आडे हाथ ले रहे हैं.

 

 

इन तरीकों से लॉकडाउन के दौरान करें पीसीओएस चेक

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) एक हार्मोनल डिसऑर्डर होता है जो बढ़े हुए ओवरी के बाहरी किनारों पर छोटे सिस्ट के साथ होता है. यह भारत में प्रजनन से सम्बंधित  महिलाओं में कॉमन लाइफस्टाइल डिसऑर्डर होता है. यह हर 5 में से 1 महिला को होता है. अगर यह बढ़ती उम्र के साथ शुरूआती स्टेज में ठीक नहीं किया जाता है तो यह कई लाइफस्टाइल डिसऑर्डर का मूल कारण माना जाता है.

AIIMS के मेटाबोलिज्म और एन्ड़ोक्रिनोलोजी डिपार्टमेंट की एक रिसर्च के अनुसार भारत की  40% बच्चें पैदा करने की उम्र की महिलाएं  पीसीओएस से पीड़ित होती है जबकि 60% पीसीओएस  से पीड़ित महिलाएं मोटापे से पीड़ित होती है. 30 से 35% महिलाओं का लीवर फैटी होता है. लगभग 70% महिलाओं में इंसुलिन की रुकावटए 60 से 70% में हाई लेवल का एण्ड्रोजन और 40 से 60% महिलाओं में ग्लूकोज इनटॉलेरेंस होता है.

हममें से कई लॉकडाउन और क्वारंटाइन में रहे. पीसीओएस और कोरोनावायरस के स्ट्रेस से निजात पाना आसान नही है. यहाँ कुछ उपाय बताये जा रहा हैं जिससे आप अपने पीसीओएस को मैनेज कर सकते हैं. सेडेंटरी डिजिटल एरा का एक प्रोडक्ट-

1. डाइट मैनेजमेंट बहुत जरूरी

चूंकि लॉकडाउन के कारण जंक फूड आसानी से उपलब्ध नहीं है, डॉक्टरों का सुझाव है कि महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए. लॉकडाउन में हाई-कैलोरी खाने से परहेज करके  जई, दलिया और पोइंटहेड खाकर वजन घटाने का सबसे अच्छा मौका है. फ़ूड इस कंडीशन को मैनेज करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. एक पीसीओएस महिला को अपनी डाइट चेक करनी चाहिए नहीं तो वजन बढ़ने से प्रभाव उल्टा पड़ सकता है. अनहेल्थी तले हुए फ़ूड, शुगर बेवरेज, प्रोसिज्ड मीट,लाल मीट नहीं खाना चाहिए. यहां तक कि दूध और इससे बने प्रोडक्ट्स को भी खाने से बचना चाहिए क्योंकि दूध टेस्टोस्टेरोन के लेवल को बढ़ाता है. टेस्टोस्टेरोन का लेवल इस बीमारी की कंडीशन में हाई होता है, डेयरी प्रोडक्ट समस्या को और जटिल बना सकते हैं.

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2. रेगुलर एक्सरसाइज बहुत जरूरी

पीसीओएस  मैनेज करने का सबसे अच्छा तरीका है वजन कम करें. कई रिसर्चों से पता चला है जो महिलाएं एक हफ्ते में लगभग 3 घंटे एरोबिक एक्सरसाइज करती हैं उनकी इंसुलिन सेंसिटिविटी, कोलेस्ट्राल, विसेरल फैट (जो पेट के चारो ओर होता है) इम्प्रूव होता है भले ही उनका वेट कम न हो. इसलिए दिल छोटा न करें जब वेट मशीन वेट मैनेजमेंट में कोई इम्प्रूवमेंट न शो करे तोए बस रेगुलर एक्सरसाइज को करना जारी रखें. बस आपको कुछ बेसिक आइटम की जरूरत होगी जो आप अपने आसपास पा सकते हैं. एक्सरसाइज के तीन बेसिक सिद्धांत हैं: इंस्ट्रूमेंट्स को कम युज करें: कार्डियोवैस्कुलर, वेट ट्रेनिंग,और फ्लेक्सिबिलिटी. रेगुलर एक्सरसाइज और हार्मोनल पिल्स (आपके डॉक्टर के अनुसार) से मासिक धर्म चक्र सही हो सकता है

3. मेंटल और इमोशनल हेल्थ के बारने में जागरूकता बढ़ाना

पीसीओएस महिलाओं में मूड स्विंग, डिप्रेशन और अन्य मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम ज्यादा होता है. इसलिए यह महत्वपूर्ण हैं कि  पीसीओएस को मैनेज करने के लिए इमोशनली ठीक होना सबसे जरूरी है. पीसीओएस न केवल भारत में बल्कि दुनिया में महिलाओं में होने वाली हेल्थ प्रॉब्लम है. पर ये दुख की बात है कि इतना सामान्य एंडोक्राइन (हार्मोनलद्ध) डिसऑर्डर होने के बावजूद,यह बहुत खराब बीमारी समझी जाती है. चूंकि पीसीओएस का कोई स्थायी “इलाज” नहीं है, इसलिए महिलाएं डेली लक्षणों के आधार पर इससे जूझती रहती हैं. लगातार इस बीमारी से लड़ने से उनके मेंटल हेल्थ पर बहुत फर्क पड़ता है. इसलिए, दोस्तों और परिवार को उनके प्रति एक्स्ट्रा काइंड होना चाहिए.

मदरहुड हॉस्पिटल नॉएडाए की गायनेकोलॉजिस्ट – ऑब्स्टट्रिशन कंसल्टेंट डॉ मनीषा रंजन से बातचीत पर आधारित.

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Monsoon Special: ड्रेस हो या साड़ी हर लुक के साथ परफेक्ट हैं ये प्रिंट्स फैशन, देखें फोटोज

फैशन की बात की जाए तो हर कोई बौलीवुड और टीवी एक्ट्रेसेस को कौपी करता नजर आता है. वहीं मौनसून में अपने लुक को खूबसूरत बनाने के लिए एक्ट्रेसेस अपने लुक को प्रिंटेड पैटर्न ट्राय कर रही हैं.  वैसे भी हर साल मानसून से पहले प्रिंटेड कपड़ों की मांग बढ़ जाती है. प्रिंटेड पैटर्न की बात की जाए तो फ्लावर प्रिंट के अलावा एनिमल प्रिंट्स की भी मानसून में डिमांड में रहते हैं. आज हम आपको सेलेब्स के कुछ प्रिंटेड पैटर्न के औप्शन आपको बताएंगे, जिसे आप मानसून में ट्राय कर सकते हैं.

1. कृति की प्रिंटेड ड्रेसेस करें ट्राय

गर्ल्स के बीच कृति सेनन का वन पीस ड्रेस लुक सुर्खियों में रहता है. कृति के अलग-अलग प्रिंटेड पैटर्न वाली ड्रैसेस आपके लिए मानसून के लिए परफेक्ट औप्शन है, जिसे आप घर हो या कोई फैमिली फंक्शन में ट्राय कर सकती हैं.

 

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Yup I’m a thinker 💭💭 Sometimes.. An Over-thinker 🤯

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2. कोट के साथ परफेक्ट है प्रिटेड पैटर्न

 

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प्रिंटेड कोट के साथ प्लेन पैंट हो या ड्रैस आपके लिए परफेक्ट औफिस कलेक्शन है. इस लुक के साथ आप तरह इस आउटफिट के साथ बैलीज या हील्स पहनकर अपने फॉर्मल वियर को खास बनाया जा सकता है.

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3. ट्राउजर या पसंदीदा डैनिम के साथ फ्लोरल प्रिंट करें ट्राय

 

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These days at sunset. 📸 @anishavarma

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आमतौर पर हम फ्लोरल टीशर्ट को फौर्मल आउटफिट नहीं मानते, लेकिन अगर इसे सौलिड कलर्ड समर ब्लेजर, फौर्मल ट्राउजर और क्लोज्ड शूज के साथ पहना जाए तो आप को बहुत ही आकर्षक फौर्मल लुक मिल सकता है.

 

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shot by @aviraj makeup @billymanik81 hair @zoeyquinny.hair

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4. फ्लोरल मैक्सी ड्रैस पर भी करें गौर

 

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🧚🏻‍♀️

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फ्लोरल मैक्सी ड्रैस एक जबरदस्त स्टाइल स्टेटमैंट है. किसी भी कदकाठी की महिला इसे धारण कर सकती है. यह कैजुअल और सेमीफौर्मल अवसर दोनों के लिए अनुकूल है. रविवार की ब्रंच पार्टी या मूवी देखने के किसी कैजुअल दिन के लिए फ्लोरल मैक्सी ड्रैस पहनें. लोगों की निगाहें आप पर ही रहेंगी.

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5. साड़ी के साथ चैक प्रिंटेड पैटर्न हैं परफेक्ट

मौका चाहे जो भी हो, साड़ी एक ऐसा आउटफिट है जिसे हर मौके पर पहना जा सकता है. अगर आपको सही तरीके से साड़ी पहननी आती है और आप उस साड़ी को खूबसूरत लुक देना चाहती हैं तो प्रिंटेड पैटर्न आपके लिए परफेक्ट औप्शन है. साड़ी एक ऐसा आउटफिट है जिसका फैशन कभी पुराना नहीं होता है और अगर उसमें प्रिंटेड या चैक पैटर्न का फ्यूजन हो तो यह आपके लुक को परफेक्ट बना देता ह.

फाइनेंशियल जानकारी: लंबी अवधि+लगातार जमा= करोड़पति

21वीं सदी में लखपति बनने की तमन्ना नहीं. सभी की करोड़पति बनने की इच्छा है. थोड़े रुपयों को लंबे समय के लिए लगातार जमा कर कोई भी अपने इस लक्ष्य को पा सकता है. कई लोग सिर्फ इसलिए निवेश से करोड़ रुपए नहीं जुटा पाते क्योंकि उन्हें इस पर यकीन नहीं होता.

हां, यह जान लें कि पैसा जमा करने यानी निवेश करने में अनुशासन जरूरी है. फाइनेंशियल एडवाइजर यानी वित्तीय सलाहकार कहते हैं कि फाइनेंशियल प्लानिंग  में अनुशासन का मतलब यह है कि आप को नियमित अंतराल पर अपनी कमाई का एक हिस्सा निवेश करना होगा. नौकरीपेशा लोगों के मन में अकसर यह सवाल उठता है कि वे ऐसे कौन से निवेश विकल्प का चुनाव करें जहां उन का मामूली निवेश एक तय समय में मोटे फंड में बदल जाए.

यह सच है कि करोड़पति बनना मुश्किल नहीं है लेकिन, इस के लिए जरूरी है लगातार जमा या नियमित निवेश और अच्छा सेविंग सिस्टम. वहीं, ब्याज दरों में लगातार गिरावट के कारण  करोड़ रुपए का फंड बनाने के लिए अब पहले के मुकाबले अधिक समय लगेगा. सैलरी के जरिए कमाने वालों के पास एकसाथ निवेश करने के लिए बड़ी रकम नहीं होती. ऐसे में आप हर महीने एक तय रकम की बचत कर के करोड़पति बन सकते हैं.

एक्सपर्ट बताते हैं कि कोई भी नियमित रूप से निवेश कर के 20 वर्षों में करोड़पति बन सकता है. दरअसल, लंबे समय तक निवेश आप की पूंजी को कंपाउंडिंग ब्याज की ताकत से कई गुना कर देता है.

करोड़पति बनने के लिए यहां 3 निवेश विकल्पों का ज़िक्र किया जा रहा है, जिन में आप हर महीने 10 हजार रुपए का निवेश कर के करोड़पति बन सकते हैं, साथ ही, यह भी जानिए कि इन में से कौन सा औप्शन आप को जल्दी करोड़पति बना सकता है.

पब्लिक प्रोविडैंट फंड यानी पीपीएफ :

पब्लिक प्रोविडैंट फंड  या  लोक भविष्य निधि भारत में बचत एवं कर-बचत करने के लिए एक जमा योजना है.  बहुत से लोग इसे सेवानिवृत्ति के समय धनप्राप्ति का साधन भी मानते हैं. यह काफी लोकप्रिय निवेश औप्शन है. दरअसल, पूरी तरह से टैक्सफ्री होना इस की सब से बड़ी खासीयत है. पीपीएफ में आप को आयकर एक्ट की धारा 80 सी के तहत टैक्स छूट मिलती है. हालांकि, यह बेनिफिट पुराने टैक्स सिस्टम पर ही मिलता है.

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पीपीएफ खाता बैंक या डाकघर में खोला जा सकता है. इस समय पीपीएफ पर ब्याज दर 7.1 फीसदी है. यह मानते हुए कि निवेश की पूरी अवधि में 7.1 फीसदी की दर स्थिर रहेगी, अगर आप हर महीने 10 हजार रुपए का निवेश करें तो 28 सालों में एक करोड़ रुपए हासिल कर सकते हैं. 28 सालों में आप के 1.05 करोड़ रुपए हो जाएंगे  जिस में लगभग 72 फीसदी पैसा सिर्फ ब्याज का होगा. यानी, आप को 28 सालों में सिर्फ 33.60 लाख रुपए का ही निवेश करना होगा.

नेशनल पैंशन स्कीम यानी एनपीएस :

एनपीएस एक प्रकार की पैंशन कम इन्वैस्टमैंट स्कीम है जो कि बाजार आधारित रिटर्न की गारंटी देती है. एनपीएस में कर में छूट मिलती है जैसा कि कर्मचारी भविष्य निधि और लोक भविष्य निधि योजनाओं के मामले में है.
एनपीएस ने रिटायरमैंट बचत साधन के रूप में काफी लोकप्रियता हासिल की है. पहले यह केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू की गई थी, लेकिन 2009 से यह सभी के लिए खुली है. आप एनपीएस में हर महीने एक तय रकम का निवेश कर सकते हैं. एनपीएस योगदान का 50 फीसदी इक्विटी और 50 फीसदी ही सरकारी प्रतिभूतियों में आवंटित करें तो पिछले 10 वर्षों में एनपीएस फंड्स का औसत रिटर्न लगभग लगभग 10 फीसदी रहा है. इस तरह, लंबी अवधि के कंपाउंडिंग वार्षिक ग्रोथ रेट यानी सीएजीआर को 10 फीसदी मानते हुए आप हर महीने की शुरुआत में एनपीएस में 10  हजार रुपए का निवेश कर के 23 वर्षों में 1 करोड़ रुपए हासिल कर सकते हैं.

म्यूचुअल फंड यानी एमएफ :

म्यूचुअल फंड, जिसे हिंदी में पारस्परिक निधि कहते हैं,  लेकिन इस का इंग्लिश  नाम अधिक प्रचलित है, एक प्रकार का सामूहिक निवेश होता है. निवेशकों के समूह मिल कर स्टौक, अल्प अविधि के निवेश या अन्य प्रतिभूतियों मे निवेश करते हैं. म्यूचुअल फंड में कई निवेशकों का पैसा एक जगह जमा किया जाता है और इस फंड में से फिर बाज़ार में निवेश किया जाता है. म्यूचुअल फंड को एसेट मैनेजमैंट कंपनियों यानी एएमसी  द्वारा मैनेज किया जाता है. म्यूचुअल फंड में कोई भी निवेश कर सकता है.

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अगर शेयर बाजार के उतारचढ़ाव को झेल सकते हैं तो इक्विटी म्यूचुअल फंड को पैसा बनाने के लिए सब से अच्छा साधन माना जाता है. जोखिम वाले निवेशकों के लिए इंडेक्स म्यूचुअल फंड सब से उपयुक्त हैं क्योंकि वे कम अस्थिर होते हैं और लंबी अवधि में शानदार रिटर्न देते हैं.

आप इंडेक्स फंड में निवेश कर सकते हैं जो निफ्टी या सेंसेक्स को ट्रैक करते हैं. इन फंड्स में लंबी अवधि में लगभग 12 फीसदी सीएजीआर के रूप में रिटर्न देने की क्षमता है. 12 फीसदी के लंबे समय तक सीएजीआर को मानते हुए आप हर महीने 10 हजार रुपए का निवेश कर के 20 वर्षों में 1 करोड़ रुपए हासिल कर सकते हैं. यदि आप एसआईपी टौप-अप का उपयोग करते हैं तो आप इस लक्ष्य को और भी तेज़ी से प्राप्त कर सकते हैं.

लब्बोलुआब यह है कि 10 हजार रुपए की हर माह बचत को निवेश कर 20 से 28 वर्षों के बीच में कोई भी करोड़पति बनने के अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है. जाहिर है, अगर कोई इस से बड़ी रकम हर माह जमा कर सकता है तो वह 20 वर्षों से पहले ही करोड़पति का लक्ष्य हासिल कर लेगा. बस, शर्त यह है कि हर महीने समय पर निवेश की रकम जमा कराई जाती रहे.

8 Tips: टी जोन को चाहिए खास केयर

चेहरे की खूबसूरती के लिए हर महिला हर कोशिश करती है ताकि उस की स्किन बेदाग और हमेशा चमकती हुई रहे. लेकिन जब चेहरे के कुछ हिस्सों में हमेशा औयल नजर आता है तो न सिर्फ वह देखने में खराब लगता है, बल्कि स्किन चिपीचिपी नजर आती है. तब हमारे मन में बस यही सोच आती है कि हमारी स्किन भी दूसरों की तरह परफैक्ट क्यों नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर युवतियों को स्किन के टी जोन में सब से ज्यादा औयल नजर आता है. खासकर औयली और कौंबिनेशन स्किन वालों को यह प्रौब्लम सब से ज्यादा रहती है. इसलिए इस जोन को खास केयर की जरूरत होती है.

1. क्या है टी जोन

टी जोन यानी फेस का टी शेप एरिया, जिस में फोरहैड, नाक, चिन और मुंह के आसपास का एरिया आता है. जहां आप खुद पूरे फेस के मुकाबले ज्यादा औयल महसूस कर सकती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि यहां पर सब से ज्यादा औयल ग्लैंड्स होते हैं, जो ब्लैकहैड्स, व्हाइटहैड्स और स्किन इर्रिटेशन का कारण बनते हैं.

2. क्लींजर का चयन सही हो

अकसर हम यही सोचते हैं कि हम ने तो महंगे कौस्मैटिक्स खरीदे फिर भी यह दिक्कत क्यों आई? असल में ये जरूरी नहीं कि हर महंगा प्रोडक्ट अच्छा ही हो. अगर आप को अपने टी जोन एरिया से औयल को हटाना है तो सही क्लींजर का चयन करें. यानी ऐसे क्लींजर का जिस में अल्कोहल न हो और वह काफी माइल्ड हो. इस से न तो स्किन में ज्यादा इरिटेशन होती है और ज्यादा औयल भी निकल जाता है. इस बात का खास ध्यान रखें कि फेस वाश 2 बार से ज्यादा इस्तेमाल न करें.

3. चुनें वाटर बेस्ड मौइस्चराइजर

अगर आप ऐसा सोच रही हैं कि एक तो स्किन औयली और ऊपर से उस पर मौइस्चराइजर लगाने की सलाह दी जा रही है तो आप की यह सोच गलत है, क्योंकि अगर आप मौइस्चराइजर अप्लाई नहीं करेंगी तो आप की स्किन और ड्राई होती जाएगी. जिस से स्किन पर और औयल दिखेगा. इसलिए आप वाटर बेस्ड मौइस्चराइजर का चयन करें. यह आप की स्किन को हाइड्रेट भी रखेगा और स्किन को औयली बनाने से भी रोकेगा.

4. पोर्स को रखें हमेशा साफ

अगर पोर्स की साफसफाई की जाए तो चेहरे पर मुंहासे की भी समस्या हो सकती है. क्योंकि पोर्स बंद होने से तेल त्वचा के अंदर ही रह जाता है, जिस से मुंहासे होते हैं. जबकि अगर आप इन्हें साफ रखेंगे तो स्किन औयली भी नहीं रहेगी और आप को मुंहासे की समस्या से भी नजात मिलेगी.

5. यूज करें ऐक्सफोलिएटिंग मास्क

अकसर स्किन ऐक्सपर्ट्स यही सलाह देते हैं कि आप स्किन को ऐक्सफोलिएट करते रहें, क्योंकि इस से स्किन की गंदगी दूर होने के साथसाथ स्किन क्लियर होती है. ऐसे में अगर आप की स्किन औयली है और आप टी जोन पर चमकते हुए औयल को देख कर परेशान हैं तो आप हफ्ते में 1 बार केओलिन क्ले से युक्त मास्क का इस्तेमाल जरूर करें. यकीन मानें धीरेधीरे आप की स्किन से औयल खत्म होने लगेगा.

6. गुलाब जल और ऐलोवेरा जैल से मसाज

कहते हैं न कि स्किन पर जितनी नैचुरल चीजें लगाई जाएंगी स्किन निखरेगी और स्किन प्रौब्लम्स भी नहीं होगी. ऐसे में आप रोजाना अपनी स्किन पर कौटन से गुलाब जल अप्लाई करें और साथ ही ऐलोवेरा जैल से भी स्किन की अच्छे से मसाज करें. इस से जहां स्किन का पीएच लेवल बैलेंस रहता है वहीं स्किन पर ज्यादा तेल का उत्पादन भी नहीं होता है, जिस से स्किन धीरेधीरे नौर्मल होने लगती है.

7. दिन में कई बार फेस धोएं

अगर आप चाहती हैं कि आप की स्किन हमेशा अच्छी रहे तो आप अपनी स्किन की केयर करें. इस के लिए जरूरी नहीं कि हमेशा फेस को फेस वाश से ही वाश करें, बल्कि आप दिन में 5-6 बार साफ पानी से चेहरे को धोएं. इस से आप का चेहरा एक तो क्लीयर लगेगा और फेस पर औयल भी नजर नहीं आएगा. यानी चेहरा ग्लोइंग भी और हैल्दी भी.

8. डाइट भी हो हैल्दी

अगर हम अंदर से फिट हैं तो हम पूरे दिन ऐक्टिव रह कर काम कर पाएंगे. इसी तरह अगर त्वचा भीतर से स्वस्थ रहेगी तो चेहरे पर ग्लो अपनेआप नजर आने लगेगा. इसलिए आप अपनी डाइट को ऐसा रखें कि आप को अपनी स्किन को चमकाने के लिए कौस्मेटिक की जरूरत न पड़े बल्कि आप की स्किन आप की अच्छी डाइट से हमेशा खिलीखिली रहे. इस के लिए आप अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों, फलों को शामिल करें. बौडी को हाइड्रेट रखने व टौक्सिन को बाहर निकालने के लिए खूब पानी पीएं व नींबू पानी का भी सेवन करें. विटामिन ई युक्त फूड लें, क्योंकि इस से त्वचा में निखार आता है और स्किन प्रौब्लम्स भी दूर होती हैं.

जब बारबार उठे फैमिली प्लानिंग की बात

शादी के कुछ महीने बीते नहीं कि न्यूली वेड कपल से हर कोई बस यही सवाल पूछता रहता है कि कब सुना रहे हो गुड न्यूज, जल्दी से मुंह मीठा करवा दो, अब तो दादीचाची सुनने को कान तरस रहे हैं. ज्यादा देर मत करना वरना बाद में दिक्कत हो सकती है. अकसर ऐसी बातें सुन कर कान थक जाते हैं. और ये सवाल कई बार रिश्ते में मन मुटाव का कारण भी बन जाते हैं. ऐसे में आप के लिए जरूरी है कि इन सवालों के जवाब बहुत ही स्मार्टली दें, जिस से किसी को बुरा नहीं लगेगा और आप खुद को स्ट्रेस से भी दूर रख पाएंगे.

कैसे करें स्मार्टली हैंडिल

1. जब हो डिनर टेबल पर:

अकसर इस तरह की बातें डिनर टेबल पर ही होती हैं क्योंकि जहां पूरा परिवार साथ होता है वहीं सब रिलैक्स मूड में होते हैं. ऐसे में जब आप की मां आप से बोले कि अब फैमिली प्लानिंग के बारे में सोचो तो आप अपना मूड खराब न करें. क्योंकि बड़ों से हम इसी तरह के सवालों की उम्मीद करते हैं. बल्कि उन्हें हां बोल कर बात को कुछ इस तरह घुमाएं कि मोम आज तो खाना कुछ ज्यादा ही टैस्टी बना है, मोम आप तो वर्ल्ड की बैस्ट शेफ हो वगैरहवगैरह बोल कर उन्हें टौपिक से दूसरी जगह ले जाएं. इस से आप का मूड भी खराब नहीं होगा और बात भी टल जाएगी.

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2. मजाकमजाक में करें बोलती बंद:

इंडियन कल्चर ऐसा है कि यहां लोगों को खुद से ज्यादा दूसरों की चिंता होती है. आप की लड़की या लड़का इतने का हो गया है या अभी तक शादी नहीं हुई, शादी को 4 साल हो गए और अभी तक बच्चा नहीं हुआ. यहां तक कि कभीकभी फ्रैंड्स भी ऐसे ताने मारे बिना नहीं रहते. ऐसे में खुद पर बातों को हावी न होने दें बल्कि उन्हें मजाकमजाक में बोलें यार तू पालेगी मेरे बच्चे को तो मैं आज ही प्लेन कर लेती हूं, यह बोलबोल कर हंसने लगे, इस से उस की बोलती भी बंद हो जाएगी और मजाकमजाक में आप का काम हो जाएगा.

3. रिश्तेदारों के सामने बोल्ड रहें:

जहां परिवार के लोग इकट्ठा हुए नहीं फिर चाहे उस में बच्चे हों या बड़े सब मस्ती के मूड में आ जाते हैं. क्योंकि लंबे समय के बाद जो सब मिलते हैं. ऐसे में रिश्तेदार हंसीहंसी में बच्चे के बारे में ञ्चया विचार है पूछे बिना रह नहीं पाते. ऐसे में आप इस बात पर भड़क कर माहोल को खराब न करें बल्कि बोलें अभी तो हम बच्चे हैं, अभी तो तो हमारी उम्र मस्ती करने की है. आप के इस जवाब को सुन कर बोलने वालों को समझ आ जाएगा कि इन्हें अभी इस बारे में कहने का कोई फायदा नहीं है.

4. खुद को रखें मेंटली प्रपेयर:

जब शादी हुई है तो बच्चे भी होंगे ओर इस बारे में सवाल भी पूछे जाएंगे. इसलिए जब भी कोई इस बारे में पूछे तो मुंह बनाने के बजाय उन्हें प्यार से बताएं कि अभीअभी तो हमारी नई जिंदगी शुरू हुई है और अभी चीजों को सैटल करने में थोड़ा वक्त लगेगा. जब सब कुछ अच्छे से मैनेज हो जाएगा तब प्लान करने के बारे में सोचेंगे. आप के इस

जवाब के बाद कोई भी आप से बारबार इस बारे में नहीं पूछेगा.

5. शर्माएं नहीं खुल कर करें बात:

जब भी इस टौपिक पर बात होती है तो या तो हम शरमा जाते हैं या फिर उस जगह से उठ कर चले जाते हैं. भले ही ये टौपिक झिझक का होता है लेकिन अगर आप ने अपनी बात खुल कर सब के सामने नहीं रखी तो लोग कुछ का कुछ भी समझ सकते हैं. यह जान लें कि इस बारे में फैसला आप का ही होगा, कोई भी आप पर अपना फैसला नहीं थोप पाएगा. इसलिए जब भी बात हो तो उन्हें बताएं कि अभी हम इस बारे में नहीं सोच रहे हैं, जब गुड न्यूज होगी तो आप को ही सब से पहले बताएंगे.

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6. हमेशा साथ निभाएं:

शादी के कई साल हो गए हैं और कंसीव करने में दिक्कत आ रही है तो ये बात जहां कपल को अंदर ही अंदर परेशान किए रहती है वहीं दूसरों के द्वारा इस बारे में बारबार पूछे जाने पर कई बार इतना अधिक गुस्सा आ जाता हैन् कि पलट कर जवाब देने को दिल करता है. लेकिन आप ऐसा भूल कर भी न करें, क्योंकि ये दूसरों के सामने आप की इमेज को बिगाड़ने का काम करेगा. इसलिए एकदूसरे की हिम्मत बने. एकदूसरे का हर दम साथ निभाएं और फैसला करें कि अगर कोई इस बारे में पूछेगा तो क्या जवाब देना है. आप का यही साथ आप को भीतर से मजबूत बनाने का काम करेगा और दूसरों के सामने आप बोल्ड बन कर जवाब दे पाएंगे.

इस तरह आप खुद को स्ट्रेस फ्री रख पाएंगे.

नेताओं का राज खत्म

कोरोना ने सरकारों की ताकत को बढ़ा दिया है या यों कहें कि कोरोना के नाम पर नौकरशाही ने नेताओं को मूर्ख मान कर सत्ता फिर हाथ में ले ली है. पहले सारे फैसले मंत्री किया करते थे, जिन्हें अपने फैसलों का जनता पर क्या असर पड़ेगा, का पूरा एहसास होता था. अब सारे फैसले अफसर कर रहे हैं. प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल सब उसी तरह अपने अफसरों का मुंह ताक रहे हैं जैसे औरतें घरों में फैसले लेने पर पति, पिता या पुत्र का मुंह देखती हैं.

अब ज्यादातर फैसलों पर हस्ताक्षर सचिवों और जिलाधीशों के नजर आएंगे. टैलीविजन ने मंत्रियों को छोड़ सीधे पुलिस अधीक्षकों और जिलाधीशों से बात करनी शुरू कर दी है. चूंकि सचिव व अफसर दफ्तरों में बैठे हैं, वे पत्र डिक्टेट करा सकते हैं, कानून ने उन्हें हक भी दे रखा है कि वे मंत्रियों को इग्नोर कर सकते हैं.

अब देश में न सत्तारूढ़ दल हैं न विपक्षी दल. अब तो शासक हैं जो नौकरशाही का नाम है. ये आईएएस, आईपीएस अफसर हैं. इन्हीं की चल रही है. मंत्रियों को तो दर्शन देने के लिए बुलाया जाता है. आदेश तो नौकरशाही के हैं. कौन सी सीमा खुलेगी, कौन सी रेल चलेगी, कौन सा हवाईजहाज उड़ेगा, कहां लाठी चलेगी, कहां पैसा खर्च होगा, ये सब नौकरशाह तय कर  रहे हैं.

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12 मई को प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपने 33 मिनट के भाषण में 3 मिनट भी काम की बात नहीं की, क्योंकि उन्हें शायद अब मालूम ही नहीं था कि क्या कहना है. 800 रूपए की बरसाती को पीपीई कह कर उसे बनाने में महारत मानने वाले नेता की कमजोरी अफसर भांप चुके हैं. सभी नेता टैलीविजन पर डरेसहमे नजर आते हैं.

इस का नुकसान क्या होगा पता नहीं. पर जैसे औरतों के हाथों में असली सत्ता न होने से घर नहीं चल सकते वैसे ही चुने नेताओं के हाथों में सत्ता न हो तो देश नहीं चल सकता. आज नहीं तो कल अनार्की- अराजकता- होगी ही. रेलवे स्टेशनों, राज्यों की सीमाओं, एअरपोर्टों, अस्पतालों में सब दिख रहा है. यह सुधरेगा नहीं, बिगड़ेगा.

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Short Story: सफाई और कोरोना

दोपहरबिस्तर पर लोटपोट होने के बाद सोच कर कि चल कर जरा हौल की सैर कर आऊं, दरवाजा खोल कर बाहर कदम रखा कि किसी चीज से पैर टकराया. मुंह से चीख निकली और मैं बम जैसे फटा, ‘‘यह क्या हाल बना रखा है, घर के आदमी के चलनेफिरने लायक जगह तो छोड़ा कम से कम?’’

उधर से भी जवाबी धमाका हुआ, ‘‘दिनभर सोने से फुरसत मिल गई हो तो थोड़ा काम खुद भी कर लो.’’

मैं भिनभिनाया, ‘‘अभी तो तुम भी दिनभर घर में ही क्यों नहीं थोड़ा साफसफाई पर ध्यान दे लेती.’’

वह तमतमाई, ‘‘आप भी तो दिनभर बिस्तर पर ही हैं, आप ही क्यों नहीं थोड़ी साफसफाई कर लेते?’’

मैं सीना फुलाया, ‘‘यह मेरा काम नहीं है, मैं मर्द हूं.’’

सुमि पास आ गई, ‘‘अच्छा, यह कौन सी किताब में लिखा है

कि यह काम मर्दों का नहीं है.’’

मैं ने तन कर कहा, ‘‘मेरी अपनी किताब में.’’

सुमि ने

कमर पर हाथ रखे, ‘‘तो कौन से काम मर्दों के करने के हैं, ये भी लिखा होगा तो बता दो जरा?’’

मैं ने बांहें फैला दीं, ‘‘हां, लिखा है न आओ, बताऊं?’’

सुमि के चेहरे पर ललाई दौड़ गई जिसे उस ने तमतमाहट में छिपा लिया, ‘‘क्वारंटाइन में हो डिस्टैंस मैंटेन करो.’’

मैं ने आहें भरी, ‘‘वही

तो कर रहा हूं और कितना

करूं? 24 घंटे का साथ फिर

भी दूरियां…’’

मैं सुमि की तरफ बढ़ा सुमि ने बीच में ही

रोक दिया.

‘‘ये फालतू काम करने के बजाय कुछ काम की बात करो.’’

‘‘ये भी काम का ही काम है.’’

‘‘नहीं अभी बरतन मांजना ज्यादा काम का काम है, आओ जरा बरतन मांज दो.’’

‘‘कहा न यह मेरा काम नहीं है…’’

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सुमि तिनक कर बोली, ‘‘यह मेरा काम नहीं वह मेरा काम नहीं कहने से काम नहीं चलेगा. चुपचाप बरतन मांज दो वरना पुलिस को फोन कर दूंगी कि यहां एक कोरोना का मरीज है.’’

मैं थोड़ा डरा पर ऊपर से बोला, ‘‘यह गीदड़ भभकियां किसी और देना. तुम फोन कर सकती हो तो क्या मैं फोन नहीं कर सकता? मैं भी फोन कर के बोल दूंगा कि यहां एक कोरोना की मरीज है.’’

सुमि इत्मीनान से बोली, ‘‘बोल दो, बढि़या है. वे मेरी जांच करेंगे जांच में कुछ निकलेगा

नहीं पर मुझे 14 दिन का आराम मिल जाएगा. यहां घर में सारे काम आप करना. अभी तो पकापकाया मिल रहा है. बड़े ठाठ हैं नवाब

साहब के फिर खुद पकाना, खुद खाना और बरतन भी मांजना.’’

अब मैं वाकई डर गया, ‘‘छोड़ो न यार मैं तो मजाक कर रहा था, देखो बरतनवरतन मांजना तो अपने बस का है नहीं, मैं सफाई का काम कर देता हूं.’’

मैं ने डब्बू, डिंगी को आवाज लगाई, ‘‘चलो बच्चो मम्मी की हैल्प करते हैं. थोड़ी सफाई कर लेते हैं आ जाओ…’’

सुमि ने टोका, ‘‘कोई जरूरत नहीं है, सफाईवफाई करने की जैसा पड़ा है पड़े रहने दो. आप से जो कह रही हूं वह करो बस.’’

मैं ने जिद की, ‘‘अरे यार सफाई करना

मेरे लिए ज्यादा इजी रहेगा. करने दो न देखो, कितनी गंदगी पड़ी है हर जगह कितना पसरा

पड़ा है.’’

सुमि ने जैसे अल्टीमेटम देते हुए कहा, ‘‘न सफाई करनी है न करवानी है… जैसे पड़ा है पड़ा रहने दो, आप अपनी मर्दानगी इन बरतनों पर दिखाओ इन्हें चमका कर.’’

मैं फिर चिनमिनाया, ‘‘देखो एक तो यह

सब मेरे काम नहीं हैं फिर भी मैं करने को तैयार हूं तो जो काम मैं कर सकता हूं वही करने दो न.’’

सुमि फिर तुनकी, ‘‘एक बार कह तो

दिया सफाई नहीं करनी तो नहीं करनी क्यों पीछे पड़े हैं…’’

मैं भी जोर से बोला, ‘‘क्यों नहीं करनी? इतनी गंदगी में तुम कैसे रह सकती हो. तुम्हें आदत होगी तो होगी इतनी गंदगी में रहने की पर मुझे नहीं है तो मैं तो सफाई ही करूंगा.’’

सुमि ने मुंह बिचकाया,‘‘आए बड़े मिस्टर क्लीन. जैसे पहले व्हाइट हाउस में ही रहते थे… मैं भी कोई पाइप में रहती नहीं आई हूं पर अभी मुझे सफाई में नहीं रहना बस.’’

मैं ने भौंहें चढ़ाई, ‘‘क्यों पर क्यों नहीं रहना, क्यों नहीं करनी सफाई? इतने गंदे पसरे वाले घर में मन लग जाएगा तुम्हारा? अभी तो 24 घंटे तुम भी घर में ही हो…’’

सुमि ने होंठ टेढ़े किए, ‘‘हां तो इसी घर में रहना चाहती हूं, कहीं और नहीं जाना चाहती और यह भी चाहती हूं कि आप और बच्चे भी इसी घर में रहें कहीं किसी के घर न जाए.’’

मेरा सिर चकराया, ‘‘कमाल है, सफाई

का इस घर या कहीं जाने से क्या संबंध है?

तुम भी न कुछ का कुछ कहीं का कहीं जोड़ती रहती हो.’’

सुमि बोली, ‘‘संबंध कैसे नहीं हैं,

बिलकुल संबंध हैं, सौलिड संबंध हैं, जबरदस्त संबंध हैं.’’

मैं ने कहा, ‘‘वही तो पूछ रहा हूं, क्या संबंध है? तुम्हारी डेढ़ अक्ल ने निकाला है तो बता भी दो…’’

सुमि ने कंधे उचकाए, ‘‘इस में डेढ़ अक्ल, ढाई अक्ल वाली कोई बात नहीं है, सीधीसीधी बात है, देखो जितनी गंदगी होगी उतना इम्युनिटी सिस्टम अच्छा होगा. इम्युनिटी सिस्टम अच्छा होगा तो कोरोना का प्रभाव कम होगा. हम ऐसी गंदगी में रहेंगे तो न कोरोना होगा न हम कहीं और जाएंगे.’’

मेरा दिमाग घूम गया, ‘‘ये क्या लौजिक है, किस ने कहा गंदगी में रहने से कोरोना

नहीं आएगा?’’

सुमि ने अत्यधिक विश्वास से कहा, ‘‘आप खुद देखो न, कोरोना के सब से ज्यादा मरीज कहां थे और कहां पर मरे?’’

मैं ने कहा, ‘‘स्पेन, इटली में…’’

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‘‘और?’’

‘‘यूएसए, फ्रांस, ब्रिटेन…’’

‘‘तो देखो ये सभी देश साफस्वच्छ देशों में आते हैं कि नहीं. जितने साफ सुथरे थे उतना कोरोना का प्रभाव बढ़ता गया, लोगों की सांसें घटती गई.

‘‘एशियाई देशों में देखो चीन को छोड़

कर, कोरोना के कितने मरीज हैं? हमारे यहां

भी देखो जो शहर साफसुथरे थे वहां कोरोना

छाती ताने घूमता फिर रहा है, पर जो देश

और शहर गंदगी को अहमियत देते रहे आज उतना ही कम कोरोना से जूझ रहे हैं. हमारे

यहां भी देखो, रोज ही तो लोकल न्यूज चैनल

पर दिखा रहे हैं कि शहर में कितनी गंदगी हो

रही है. अभी पूरा शहर खाली पड़ा है आराम

से सफाई हो सकती है पर कोई ध्यान दे रहा क्या?

‘‘नहीं न, वह इसलिए कोरोना गंदगी देख कर पलट जाए, तो आप घर की सफाई भी रहने दो, जितना हम गंदगी में रहेंगे हमारी इम्युनिटी पावर बढे़गी और कोरोना से लड़ने की शक्ति भी. बाद की बाद में देखेंगे. आप तो अभी बरतन मांजो बस.’’

मैं मुंह खोले बेवकूफ सा उस की बात सुनता रहा. समझ नहीं पा रहा था इस का क्या जवाब दूं? बेचारे हमारे नेता स्वच्छ भारत मिशन चला कर देश को साफसुथरा बनाने में जीजान से कोशिश कर रहे हैं. यहां इस का यह नया ही फंडा. क्या वाकई यह सही कह रही है? सफाई से कोरोना प्रभावशाली व शक्तिशाली हो जाता है? इस पर रिसर्च बाद में करूंगा, फिलहाल

तो सिंक के पास खड़ा सोच रहा हूं कि बरतन कैसे मांजू?

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Monsoon Special: 2020 पर टिकी है अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने की उम्मीद

भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले दो दशकों के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. बेरोजगारी की आधिकारिक दर 20 फीसदी से ऊपर पहुंच गई है और गैरसरकारी आंकड़ों की बात करें तो यह 35 फीसदी से भी ऊपर है. जो मनरेगा कभी गांव के कामरहित मजदूरों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया था, अब उस पर चार करोड़ से ज्यादा नये बेरोजगारों का बोझ है और 120 दिन की बजाय कम से कम 250 दिन काम देने का भी दबाव है. कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत बुरे दौर से गुजर रही है.

कृषि पर 2018-19 में जहां देश की 30 से 35 फीसदी वर्कफोर्स को काम देने का दबाव था, अब उसी कृषि पर 50 फीसदी से ज्यादा वर्कफोर्स को काम देने का दबाव है. कुटीर और लघु उद्योग दोनो ही लाॅकडाउन से तहस-नहस हो गये हैं और 20 लाख करोड़ की पैकेज में बहुत बड़ी बड़ी मगर पैचिंदी उम्मीदें दिखायी गई थीं, लेकिन उन उम्मीदों का व्यवहार में कोई भी असर नहीं हो रहा. छोटे, मझौले शहरों और कस्बों तो छोड़िए देश के टाॅप ग्रेड महानगरों में भी 60 फीसदी से ज्यादा ढाबे और खाने के छोटे होटल लाॅकडाउन के बाद खुलने की अनुमति होने के बाद भी नहीं खुले और शायद नहीं खुलेंगे.

वैसे भी अर्थव्यवस्था के बारे में खासकर औद्योगिक अर्थव्यवस्था के बारे में कहा जाता है कि एक बार शटर डाउन होने के बाद उसे दोबारा खुलवाने में बहुत मुश्किलें आती हैं और तमाम सफलताओं के बावजूद 20 प्रतिशत शटर कभी नहीं उठते. कुल मिलाकर हालात आशंका से कहीं ज्यादा खराब है. सिर्फ उत्पादन के क्षेत्र में ही स्थिति बुरी नहीं है, सेवा क्षेत्र भी तहस-नहस हो चुका है. टूर एंड ट्रैवेल इंडस्ट्री लाॅकडाउन के बाद 5 फीसदी अभी तक रिवाइव नहीं हो सकी. होटल इंडस्ट्री का भी अभी यही हाल है. बैंकिंग सेक्टर भी अभी बुरी स्थिति से गुजर रहा है और बीमा क्षेत्र तो इस साल अपने मार्च के टारगेट पूरा नहीं ही कर पाया, जानकारों को डर है कि अगले मार्च तक भी वह टारगेट नहीं पूरा कर पायेगा.

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कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था की इस भयावह स्थिति में अब बहुत कुछ दारोमदार अच्छे मानसून पर आकर टिक गया है. इसकी वजह यह है कि आज भी देश की 40 से 60 फीसदी तक कृषि मानसून के भरोसे ही है. जिस साल मानसून कमजोर होता है या सूखा पड़ जाता है तो तमाम संसाधनों के इस्तेमाल के बावजूद देश में इतना अनाज पैदा नहीं हो पाता, जितना सालभर के लिए जरूरी होता है. इसलिए भारत में तमाम वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति के बावजूद आज भी कृषि क्षेत्र के लिए मानसून उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना 1960 और 70 के दशक में हुआ करता था. इसलिए अगर मानसून सही रहा तो देश में कृषि उत्पाद की दिक्कत नहीं होगी.

मानसून सही रहा तो बड़े पैमाने पर लगभग 20 अरब रोजगार के घंटे पैदा होंगे, जो भयानक रूप से पैदा हुई बेरोजगारी को किसी हद तक थामेंगे. यही नहीं जब मानसून अच्छा होता है, कृषि पैदावार भरपूर होती है तो देश के दूसरे औद्योगिक क्षेत्रों विशेषकर कुटीर उद्योग के क्षेत्र में भी उम्मीदों और आशाओं का संचार होता है और कुटीर उद्योग ऐसे सालों में जब मानसून अच्छा हो डेढ़ से दो करोड़ लोगों को अतिरिक्त रोजगार देते हैं. बाजार में खाने पीने और दूसरी रोजमर्रा के चीजों की कालाबाजारी की आशंकाएं कम हो जाती है और महंगाई पर भी लगाम रहती है; क्योंकि जिंस के क्षेत्र में फ्यूचर ट्रेडिंग उपभोक्ताओं के पक्ष में रहती है. इसे अगर और सरल शब्दों में कहें तो यह कह सकते हैं कि जब बारिश कम होती है या सूखा पड़ जाता है, तब 10 से लेकर 35 फीसदी तक महंगाई भी बढ़ जाती है. अच्छे मानसून से महंगाई पर लगाम लगती है.

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चूंकि मौसम विभाग ने इस साल सामान्य से अच्छी बारिश होने की भविष्यवाणी की है. इसका मतलब यह है कि 96 फीसदी से ज्यादा बारिश होगी. क्योंकि अगर 80 से 85 फीसदी तक ही बारिश होती है तो वह कम संकट का समय होता है और अगर 75 फीसदी से कम बारिश होती है तो यह बहुत बड़े संकट का द्योतक होती है. इसलिए विशेषज्ञों के मुताबिक हर तरफ से बुरे माहौल में एक मानसून ही है जो सकारात्मक साथ देने के लिए तैयार रहता है. अगर मानसून सकारात्मक रहता है तो उम्मीद है कि पटरी से उतर गई भारतीय अर्थव्यवस्था किसी हद तक फिर पटरी पर आ जाए, भले वह तेज गति इस साल हासिल न कर सके, जिसकी कोरोना संकट के पहले तक बहुत ही जरूरत थी और अब तो उससे भी ज्यादा जरूरत है. लेकिन जो हालात हैं उसमें इतनी ज्यादा उम्मीदें लगाना एक किस्म से उम्मीदों पर से भी बेईमानी करना है.

Monsoon Special: क्रीमी अचारी पूरी

अगर आप मानसून में कुछ चटपटा और टेस्टी रेसिपी ट्राय करने का मन कर रहा है तो क्रीमी अचारी पूरी आपके लिए परफेक्ट औप्शन है.

हमें चाहिए

गाढ़ा दही 4 छोटी चम्मच

मूंगफली चूरा 2 छोटी चम्मच

नारियल चूरा 2 छोटी चम्मच

फ्रेश क्रीम 3 छोटी चम्मच

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प्याज बारीक कटा 2 छोटी चम्मच

टमाटर बीज निकाला हुआ 3 बड़ी चम्मच

शिमला मिर्च बारीक कटी 2 छोटी चम्मच

हरा धनिया बारीक कटा 1 छोटी चम्मच

मिक्स हर्ब्स 2 छोटी चम्मच

अचार मसाला 1 छोटी चम्मच

नमक 1/4 छोटी चम्मच.

बनाने का तरीका

सबसे पहले एक बाउल में दही, मूंगफली चूरा, फ्रेश क्रीम, नारियल चूरा लेकर अच्छे से मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें. बनाये हुए मिश्रण को आधा-आधा करके अलग रख लें और बाकी बचे मिश्रण में प्याज, टमाटर, शिमला मिर्च, मिक्स हर्ब्स, अचार मसाला, नमक डालकर अच्छे से मिला लें.

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गोलगप्पे को बीच में से फोड़ कर पहले जो दही वाला मिश्रण अलग निकाला था, उस मिश्रण की   एक-एक छोटी चम्मच लेकर गोलगप्पे में भरते जाएं, उसके बाद सब्जी वाला मिश्रण भरकर सभी गोलगप्पे तैयार कर ऊपर से मिक्स हर्ब्स, अचार मसाला बुरक दें, केले के पत्तों को नारियल चूरा से सजा कर गोलगप्पे सर्व करें.

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