मुंबई तो है मुंबई

बंबई, बौम्बे और अब मुंबई. रात को भी जागने वाला शहर. गगनचुंबी इमारतों की जगमग करतीं लाइटें इसे कुछ ज्यादा ही सुंदर बनाती हैं. तभी तो कहा जाता है, ‘मुंबई रात की बांहों में.’ दुनियाभर में विख्यात यह शहर एक बार फिर चर्चा में है, हालांकि, दुनिया के अन्य बड़े नगरों की तरह यह भी नोवल कोरोना वायरस की मार झेल रहा है.

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई इन दिनों कोरोना के अलावा एक और चीज को ले कर चर्चा में है और वह है यहां रहने के लिए होने वाला खर्च. दरअसल, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई रहने के लिहाज से देश का सब से महंगा शहर है. वहीं, समूचे एशिया में यह 19वां सब से महंगा शहर है, जबकि दुनिया के सब से महंगे शहरों में इस का 60वां स्थान है.

मर्सर के ‘वर्ष 2020 – कौस्ट औफ लिविंग (रहनसहन की लागत) सर्वे’ की रिपोर्ट सामने आ गई है. इस सर्वे में भारत के मुंबई शहर को प्रवासियों के लिए रहनेखाने के लिहाज से देश का सब से महंगा शहर बताया गया है. अमेरिकी शहर न्यूयौर्क को आधार बना कर किए गए इस सर्वे का मकसद काम के लिए अलगअलग शहरों में रहने वाले लोगों, नौकरीपेशा लोगों द्वारा किए जाने वाले खर्च का आकलन करना था. इस से मल्टीनेशनल कंपनियों और सरकारों को अपनी योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी.

ये  भी पढे़ें- जानें क्या है फर्जी अनामिका शुक्ला की असली कहानी

भारतीय शहरों में बढ़ती लिविंग कौस्ट :

भारत के दूसरे शहरों की बात करें तो दिल्ली (विश्व स्तर पर 101वां) और चेन्नई (विश्व स्तर पर 143वें स्थान पर) हैं. वहीँ, बेंगलुरु (171) और कोलकाता (185) रैंकिंग में अपेक्षाकृत कम खर्चीले भारतीय शहर हैं.

रिपोर्ट को गौर से देखें तो सर्वे में शामिल सभी भारतीय शहरों ने अपनी रैंकिंग में छलांग लगाई है. इस का मतलब यह है कि सर्वे में शामिल भारतीय शहरों में कौस्ट औफ़ लिविंग यानी रहनसहन का खर्च बढ़ा है. नई दिल्ली शहर सर्वाधिक वृद्धि के साथ 17वें स्थान पर पहुंच गया है और प्रवासियों के लिए सब से महंगे शहरों की शीर्ष 100 सूची से बहुत कम के अंतर से ही रह गया है.

कौस्ट औफ लिविंग सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, हौंगकौंग विश्व का सब से महंगा शहर है.  ग्लोबल रैंकिंग में हौंगकौंग सब से टौप पर है. उस के बाद अश्गाबात (तुर्कमेनिस्तान) दूसरे स्थान पर है.

जापान के टोक्यो और स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख तीसरे व चौथे स्थान पर हैं, जबकि सिंगापुर पिछले साल से 2 स्थान नीचे 5वें स्थान पर है. वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष दस में शामिल होने वाले अन्य शहरों में छठे स्थान पर अमेरिका का न्यूयौर्क, 7वें पर चीन का शंघाई, 8वें पर स्विट्जरलैंड का बर्न और जिनेवा 9वें स्थान पर हैं, जबकि 10वें स्थान पर बीजिंग है.

बात मुंबई की :

समंदर के किनारे बसा मुंबई सपने जैसा है. मुंबई शहर यानी की ख्वाबों की ताबीर का शहर, एक ऐसा शहर जहां हज़ारों लोग आंखों में ढेर सारे सपने लिए रोज़ आते हैं. इस शहर के बारे में एक सब से खास बात जो कही जाती है या समझी जाती है वह यह कि शहर न कभी रुकता है, न थकता है.

‘गेटवे औफ इंडिया’ इस शहर की शोभा को बढ़ा रहा है. यहां रातभर रोशनी से नहाई चकाचौंध सड़कें इस बात का एहसास कराती हैं कि यह शहर आम नहीं, बल्कि ख़ास है. दिल को सुकून देने वाली जुहू चौपाटी भी इस शहर में आने वालों के चेहरे पर मुसकान ले आती है.

ये भी पढ़ें- वीडियोमेकर ने फ्लोएड को बचाया क्यों नहीं?

दिन में घूमने के लिए काफी खूबसूरत व प्यारी जगहें हैं, तो यहां की नाइटलाइफ भी उतनी ही खास है. इस के अलावा जो लोग बौलीवुड के दीवाने हैं, एक्टिंग जिन के मन में बसती है उन के लिए भी मुंबई बहुत खास है क्योंकि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री यहीं है. फिल्मस्टार्स इसी शहर में रहते हैं.

इस तरह यह कहना सही होगा कि विश्व में चर्चित इंडिया का स्वप्निल शहर मुंबई सब का तहेदिल से स्वागत करता है. इस खूबसूरत शहर में सब के लिए कुछ न कुछ है और यह सब को कुछ न कुछ देता है, कोई जा कर दीदार तो करे. तो फिर दिल से कहिए न ‘लव यू मुंबई.’

Hyundai #AllRoundAura: तकनीक में है शानदार

हुंडई Aura हर तरह के नए टेक्नोलोजी फीचर्स के साथ आती है. जैसे की इसके सेंटर कंसोल में लगा वायरलेस चार्जर

बस अपने Qi इनेब्ल्ड फोन को यहां रखें और इसके बारे में भूल जाएं. जब आप अपनी डेस्टिनेशन तक पहुंचेंगे, तब तक आपको आपका फोन पूरी तरह चार्ज मिलेगा. हुई ना कमाल की सुविधाजनक तकनीक.

अगर इसके दूसरे फीचर्स की बात करें तो हुंडई Aura में आपको मिलता है स्टीयरिंग माउंटेड ऑडियो कंट्रोल, क्रूज़ कंट्रोल, और ऑटोमैटिक क्लाइमेट कंट्रोल. हुंडई Aura में आपकी सुविधा के लिए बहुत कुछ है. #AllRoundAura

ये भी पढ़ें- Hyundai #AllRoundAura: ऑल राउंड Aura है सुरक्षित

‘अलादीन’ एक्ट्रेस नाओमी स्कॉट ने किया दीपिका पादुकोण को लेकर एक बड़ा खुलासा, पढ़ें खबर

डिज़नी फिल्मों ने पिछले साल अपने दर्शकों को बहुत सारी रोमांचकारी फ़िल्में दी,जिन्होंने नयी पीड़ी के लिए पात्रों को एक नए अंदाज़ में पेश किया.द लायन किंग से लेकर फ्रोजन 2 तक, यह डिज्नी के प्रशंसकों के लिए एक एक्शन से भरपूर वर्ष था. दुनिया भर में बड़े पर्दे पर हिट होने वाली ऐसी ही एक फिल्म थी ‘अलादीन’ जिसमें विल स्मिथ, नाओमी स्कॉट और मेना मसूद थे. गाइ रिची के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस के किसी बड़े रिकॉर्ड को नहीं तोड़ा, लेकिन दुनियाभर में बॉक्स ऑफिस पर काफी हिट रही.

अभिनेत्री नाओमी स्कॉट, जिन्हें लिव-एक्शन अलादीन फिल्म में राजकुमारी जैस्मीन के रूप में उनके प्रदर्शन के लिए काफी सराहा गया था, ने हाल ही में एक बहुत ही दिलचस्प खुलासा किया है की किस तरह उनके एक क्रू मेम्बर ने उन्हें फिल्म ‘राम लीला’ के गीत ‘नंगाडा संग ढोल बाजे’ देखकर उन्हें दीपिका पादुकोण समझ लिया था और नाओमी ने इस बात को पसंद किया और अपने क्रू मेम्बर को ठीक भी नहीं किया.क्यूंकि वो दीपिका को बहुत पसंद करती है.

 

View this post on Instagram

 

✨✨✨Charlies Angels ✨✨✨

A post shared by Naomi Scott (@naomigscott) on

ये भी पढ़ें- श्वेता तिवारी पर वीडियो पोस्ट करके फंसे पति अभिनव कोहली, फैंस ने ऐसे सुनाई खरी-खोटी

दरअसल बात तबकी है जब अलादीन की रिलीज़ के समय बीबीसी के साथ एक साक्षात्कार में, जब साक्षात्कारकर्ता हारून रशीद ने उनसे पूछा कि क्या राजकुमारी जैस्मिन दीपिका पादुकोण से प्रेरित हैं, तो नाओमी स्कॉट ने कहा, “मुझे आपको यह मजेदार कहानी बतानी है. क्या आप ‘नंगाडा संग ढोल’ जानते हैं? मैं इसे सेट पर प्ले कर रही थी ,क्यूंकि ये song मुझे बहुत पसंद था. मेरे पास एक अमेरिकी कलाकार और क्रू मेम्बर था.तभी अचानक किसी ने कहा , ‘ओह, यह बहुत सुंदर है, नाय, क्या यह तुम हो?और जैसा की मैंने कहा हां मै हूं ,मै हूं.”

नाओमी स्कॉट ने कहा, “मैंने खुद से सोचा, की आपकी तुलना किसी भी बदतर लोगों से की जा सकती है.लेकिन मैं खुस थी की मेरी तुलन जिससे हुई वो दीपिका थी, मुझे लगता है कि वह बहुत सुंदर है.”

ये भी पढ़ें- सगाई की खबरों के बीच मंगलसूत्र और चूड़ा पहने नजर आईं हिमांशी खुराना, Photos Viral

Medela Flex Breast Pump: बिना दर्द के अब ब्रेस्ट फीडिंग होगी आसान

मेरी बेटी की उम्र 25 साल है. हाल ही में वह पहली बार मां बनी है, जिससे वह बेहद खुश है, लेकिन समस्या है कि उसे बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग करवाने में बेहद तकलीफ होती है, जिसके कारण वह बेहद दर्द सहती है और बच्चे को दूध पिलाने से डरती है. वह बच्चे को डिब्बा बंद दूध पिलाना चाहती है. इसी कशमकश और दर्द को सहते हुए एक बार उसने मुझे अपनी ब्रेस्ट फीडिंग की परेशानी के बारे में बताया, जिसके बाद मैने उसे ब्रेस्ट पंप के बारे में बताया. मैने एक मैग्जीन में Medela Flex Breast Pump के इस्तेमाल के बारे में पढ़ा था, लेकिन किसी प्रौडक्ट पर पूरी तरह विश्वास नहीं कर पा रही क्योंकि इसका असर बच्चे की सेहत पर पड़ सकता है. दूसरी तरफ बेटी को ब्रेस्ट पंप के बारे में बताने के बाद हमने अपने डौक्टर से इसके बारे में सलाह ली कि ये प्रौडक्ट बच्चे के लिए नुकसानदायक तो नही है. इसी से जुड़े कईं सवाल मैने और मेरी बेटी ने डौक्टर से पूछे. साथ ही कौनसा प्रौडक्ट ब्रेस्ट पंप फीडिंग के लिए अच्छा है इसको लेकर भी हमने डौक्टर से सलाह ली.

सवाल- क्या ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल मां के लिए सेफ है?

डौक्टर- जी हां, ब्रेस्ट पंप बड़े पैमाने पर परीक्षण किया जाता है और बिना बीपीए, प्राकृतिक रबर लेटेक्स और फोथलेट्स के बनाया जाता है.

सवाल- कहीं ब्रेस्ट पंप का इस्तमाल करने से ब्रेस्ट औऱ उसकी शेप को नुकसान तो नहीं होगा?

डौक्टर- नहीं, एक ब्रेस्ट पंप स्तनों के आकार को नुकसान या बदलता नहीं है क्योंकि यह एक बच्चे की मां का दूध पीने की नेचुरल क्रिया की पूरी तरह से नकल करता है, इसलिए यह सुरक्षित है.

सवाल- क्या मेडेला ब्रेस्ट पंप हाइजीनिक है?

डौक्टर- मेडेला ब्रेस्ट पंप स्विट्जरलैंड में बना है, चीन में नहीं. यह गुणवत्ता और सामग्री के उच्चतम मानकों के साथ निर्मित और सुरक्षित है.

सवाल- Breast Pump कितने समय तक चल सकता है?

डौक्टर- Breast pump का लंबे समय तक चलना उसके इस्तेमाल और सफाई के तरीकों पर निर्भर करता है. अगर हम इसे अच्छे तरीके से हाइजीन फ्री तरीके से साफ करेंगे तो यह सालों तक चलेगा.

फिर डौक्टर से सलाह करने के बाद मैने और मेरी बेटी ने मार्केट ब्रेस्ट पंप के बारे में जानकारी ली तो हमें Medela Flex Breast Pump के बारे में पता चला. वहीं एक मैग्जीन में इसके बारे में बताया गया था कि यह ब्रेस्ट पंप और कनेक्टर स्विट्जरलैंड में बनाए जाते हैं, जो कि पूरी तरह से सुरक्षित और हाईजीनिक होते हैं. साथ ही यह खाद्य ग्रेड पॉलीप्रोपाइलीन (पीपी) और थर्माप्लास्टिक इलास्टोमर्स (टीपीई) से बने होते हैं. इसके इस्तेमाल से आप अपना समय बचा सकती हैं और बच्चे की केयर कर सकती हैं. वहीं अगर यह खराब या टूट जाए तो इसके पार्ट्स को आसानी से बदला जा सकता है, जिसकी वारंटी  Medela Flex Breast Pump के साथ दी जाती है.

इन सवालों को जानने के बाद मुझे Medela Flex Breast Pump की पूरी जानकारी मिली और पता चला कि यह बहुत ही किफायती और बच्चे के लिए अच्छा प्रौडक्ट है.

औनलाइन Medela Flex Breast Pump खरीदने के लिए क्लिक करें

जानें क्या है फर्जी अनामिका शुक्ला की असली कहानी

आपने पिछले कुछ दिनों में अनामिका शुक्ला नाम की कई फर्जी शिक्षिकाओं का मामला सुना होगा. आखिर कौन है यह अनामिका शुक्ला, इसने क्या फर्जीवाडा किया है? आइए जानते हैं

कौन है असली अनामिका?

अनामिका शुक्ला उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में रहने वाली एक बेरोज़गार महिला है जो शिक्षिका के पद के लिए 2017 में अप्लाई करती है पर आज तक उसको नौकरी नही मिली है. परंतु अन्य 25 महिलाओं ने अपना नाम अनामिका शुक्ला रख कर सरकारी स्कूलों में नौकरी प्राप्त कर ली. जब यह मामला सामने आया तो असली अनामिका अपने सारे दस्तावेज लेकर शिक्षा विभाग पहुंच गई व अपने असली होने का प्रमाण दिया. असली अनामिका आज तक बेरोज़गार है जबकि फर्जी अनामिकाएं अपने नाम पर एक साथ 25 स्कूलों में पढाकर करोडों रूपए छाप चुकी हैं.

अब नकली अनामिकाओं का क्या हुआ?

जब से इस मामले पर कार्यवाही होनी शुरू हुई है तब से सारी फर्जी अनामिकाओं ने स्कूल आना छोड दिया है. एक महिला ने तो रात को ही अपना इस्तीफा शिक्षा विभाग को दे दिया. फर्जी शिक्षिकाओं ने अपने सारे दस्तावेज अनामिका शुक्ला के नाम से बनवा रखे हैं जो कि सही हैं परंतु जब उनके स्थान जहां कि वो निवासी हैं के बारे में जानकारी निकाली गई तब उनका भेद खुल गया.

ये भी पढ़ें- वीडियोमेकर ने फ्लोएड को बचाया क्यों नहीं?

कुछ शिक्षिकाएं तो कभी स्कूल ही नहीं गई लेकिन फिर भी उनके नाम पर सैलरी पूरी आ रही थी. जब इस घोटाले का भांडा फूटा तो किसी ने स्कूल आना छोड दिया तो किसी ने इस्तीफा ही दे दिया.

खतरे में रायबरेली शिक्षा विभाग

यू.पी के रायबरेली शिक्षा विभाग से भी इस घोटाले के पेंच जुडे हुए हैं. शिक्षा विभाग भी शक के घेरे में है क्योंकि जो महिला बेरोजगार बैठी है उसके नाम से फर्जी दस्तावेज बना कर किसी अन्य को कैसे नियुक्त किया जा सकता है. जो शिक्षिका कभी स्कूल ही नहीं गई उसके नाम से कैसे हर महीने सैलरी दी जा रही है. इसके बाद ही शिक्षा विभाग ने आधी से ज्यादा नकली शिक्षिकाओं के नाम काट दिए. तथा कुछ नकली शिक्षिकाएं तो एक दम से ही गायब हो गई, उन्होने स्कूल आना भी छोड दिया.

हमारे हिसाब से रायबरेली के इस शिक्षा विभाग पर भी कडी से कडी कार्यवाही होनी चाहिए ताकि आगे से अन्य फर्जी घोटाले न हो तथा किसी योग्य के साथ अन्याय न हो. ऐसी ही अन्य खबरों की पडताल जान ने के लिए हमारे साथ जुडे रहिए.

ये  भी पढ़ें- विश्व परिप्रेक्ष्य में भारतीय विश्वविद्यालय

मेरे पैरों के नाखूनों में फंगल इन्फेक्शन हो गया है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 28 वर्ष की महिला हूं. मेरे पैरों के नाखूनों में फंगस इन्फैक्शन हो गया है. इसे ठीक करने का कोई घरेलू उपाय बताएं?

जवाब-

नाखूनों में फंगस की समस्या तब होती है, जब आप के पैर बहत देर तक जूते में बंद रहते हैं, उन की सही ढंग से साफसफाई नहीं होती.

फंगस से छुटकारा पाने के लिए लहसुन और लौंग के तेल को सरसों के तेल में मिला कर अच्छे से गरम कर लें. अब इसे रात को सोने से पहले पैरों और नाखूनों में लगाएं.

तेल लगाने के बाद जुराब पहन कर सोएं. ऐसा करने से फंगल इन्फैक्शन में सुधार देखने को मिलेगा.

छुटकारा पाने के लिए आप ऐंटीस्पिरैंट पाउडर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. यदि फिर भी परेशानी बनी रहती हैं तो संबंधित डाक्टर से जरूर सलाह लें.

ये  भी पढ़ें- 

पैरों को साफ और स्वस्थ रखना भी उतना ही जरूरी है, जितना शरीर के किसी दूसरे अंग को. पैरों की साफसफाई एक निश्चित अंतराल पर होती रहनी चाहिए. इस के लिए आप नियमित साफसफाई के अलावा पैडिक्योर का सहारा भी ले सकती हैं.

ऐसे करें पैडिक्योर

पैडिक्योर करने से पहले नाखूनों पर लगी नेल पौलिश को हटा दें. फिर टब या बालटी में कुनकुने पानी में अपना पसंदीदा साल्ट या क्रीम सोप डालें. अगर आप के पैरों की त्वचा ज्यादा रूखी है, तो उस में औलिव आयल भी डाल लें. साल्ट आप के पैरों की त्वचा को नरम बनाएगा, तो औलिव आयल उस के लिए माश्चराइजर का काम करेगा. पैरों का कम से कम 15 मिनट तक इस पानी में रखने के बाद बाहर निकाल कर बौडी स्क्रबर से स्क्रब करें. स्क्रब करने के बाद ठंडे पानी से पैरों को अच्छी तरह साफ कर लें. ध्यान रहे कि पैरों की उंगलियों के बीच में  कहीं सोप बचा न रहे. अब पैरों पर कोल्ड क्रीम से हलकी मालिश करें. रूई की सहायता से उंगलियों के बीच फंसी क्रीम को साफ करें. अब पैरों के नाखूनों पर नेल पौलिश का सिंगल कोट लगाएं और इसे सूखने दें. जब यह सूख जाए तो नेल पौलिश से फाइनल टच दें.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- 7 टिप्स: ऐसे रखें अपने नाजुक पैरों का ख्याल

मॉल से लेकर होटल-रेस्तरां खुले, लेकिन जारी है कुछ गाइडलाइन

8 जून से होटल, रेस्टरोरेंट और धार्मिक स्थल आम लोगों के लिए खुल गएं हैं, लेकिन आपको कुछ नियमों का पालन करना होगा. इसके लिए केंद्र सरकार ने गाइडलाइन जारी कर दी है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने कन्टेनमेंट जोन से बाहर के धर्मस्थलों, शॉपिंग मॉल, होटल व रेस्तरां को कुछ गाइडलाइन के तहत खोलने की अनुमति भले ही दी है लेकिन सभी ओनर नाखुश हैं क्योंकि उनका कहना है कि समय सीमा दोपहर 12 से शाम 7 बजे तक दी गई है और इस समय तो कोई भी नहीं निकलता है घर से.और शायद खुल भी जाए हमारे यहां दिनभर में मात्र 3-4 कस्टमर ही आते हैं. हालांकि अब धीरे-धीरे सबकुछ शुरु तो करना ही है इसलिए कुछ सावधानियां हैं जो बरतनी जरूरी हैं.65 साल से ज्यादा और 10 साल से कम उम्र के लोगों के लिए इन जगहों पर जाने पर मनाही है.

मंदिरों के लिए जारी गाइडलाइन

मंदिरों के गेट पर सैनेटाइजर और थर्मल स्क्रीनिंग जरूरी होगा.

इन जगहों पर कम से कम 6 फीट की लोगों को दूरी रखनी पड़ेगी.

साबुन से या सैनेटाइजर्स से हांथ साफ करना है.

कहीं पर भी थूकने पर पूरी तरह प्रतिबंध है.

खांसते या छींकते समय मुंह पर कपड़ा रखना जरूरी है.

एस्केलेटर पर एक स्टेप छोड़कर ही एक आदमी खड़ा हो सकता है.

ये भी पढ़ें- WhatsApp के इस फीचर की वजह से लाखों users की खतरे में प्राइवेसी

धार्मिक स्थलों में जाने वालों को फोन में आरोग्य सेतु ऐप रखना होगा

लोग कहां- कहां खड़े होंगे उसके लिए भी चिह्न बनाएं जाएंगे.धर्मस्थलों में एक बार में पांच लोगों को ही जाने की परमिशन होगा और लाइन में दूर दूर रहना होगा.मंदिरों में मूर्तियों व पवित्र ग्रंथों आदि को छूने की परमिशन नहीं होगी, किसी प्रकार के प्रसाद वितरण और पवित्र जल के छिड़काव की परमिशन भी नहीं है.

यदि आप होटल में खा रहे हैं तो हांथों को अच्छी तरह से धो लें पहले और कोशिश करें कैश दें. शॉपिंग माल, होटल व रेस्तरां में भी जांच के बाद ही जाने को मिलेगा और जगहों पर भी ऑनलाइन ही पैसे देने होंगे ना कि कैश हर जगह फोन पे या गुगल पे या पेटीएम का इस्तेमाल करें.जिन व्यक्तियों में कोई लक्षण न दिखाई दे, केवल उन्हें ही रेस्तरां में जाने की परमिशन है. बाहर पार्किंग वाली जगहों पर भीड़ नहीं लगाना है, सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन करना होगा. आप रेस्तरां में हों या मॉल में हों कहीं पर भी सोशल डिस्टेंसिंग बेहद जरूरी है.

एसी से 70 फ़ीसदी ताजा हवा आनी चाहिए. मॉल में गेमिंग ज़ोन भी बंद रहेंगे,होटल और रेस्तरां में साफ़-सफ़ाई को लेकर सतर्क रहना होगा,रिसेप्शन पर हैंड सेनेटाइजर रखना अनिवार्य है.

डिज़िटल पेमेंट को बढ़ावा देना होगा,खाने के लिए रूम सर्विस को प्राथमिकता देनी होगी.रेस्तरां में थर्मल स्क्रीनिंग यानी तापमान मापना अनिवार्य है.स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से होटल के लिए जारी की गई गाइडलाइंस के मुताबिक,रेस्टोरेंट में लोगों के बैठने की ऐसे व्यवस्था होनी चाहिए जिससे कि सोशल डिस्टेनसिंग का पालन हो सके.क्लॉथ नैपकिन के बजाय अच्छी गुणवत्ता वाले डिस्पोजेबल पेपर नैपकिन के उपयोग के लिए बोला गया है.रोस्टरेंट में बैठकर खाने के बजाय टेकअवे पर जोर देना है.डिस्पोजेबल मेनू का उपयोग करने की सलाह दी जाती है.

ये भी पढ़ें- हेल्थ, ब्यूटी और हौबी के लिए मिला समय

होम डिलिवरी से पहले होटल अधिकारियों द्वारा कर्मचारी की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी. किचन में स्टाफ को सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करना होगा और समय -समय पर किचन को सैनिटाइज करना होगा.

मास्क के इस्तेमाल में जरा सी गलती से हो सकते हैं वायरस के शिकार

वायरसों से बेसिक बचाव के लिए मास्क पहना यानी नाक-मुंह ढका जाता है. मौजूदा घातक नोवल कोरोना वायरस के बहुत तेजी से फैलाव को देखते हुए विश्व संस्था डब्लूएचओ ने इस के इस्तेमाल पर काफी अधिक जोर दिया है. कुछ देशों ने तो इस के इस्तेमाल को अनिवार्य कर दिया है. हमारे देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी मास्क पहनना लाजिमी करार दिया है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने पहले से ही इसे जरूरी घोषित कर रखा है.

दरअसल, कोरोना से बचाव सिर्फ आज या कल ही नहीं, बल्कि आने वाले लंबे समय तक करना होगा, क्योंकि इस की दवा फ़िलहाल उपलब्ध नहीं है. इस वायरस के नाक या मुंह के रास्ते शरीर के अंदर जाने से रोकने के लिए मास्क का इस्तेमाल किया जाता है.

1. संक्रमित होने से बचाता है मास्क :

कनाडा में मैकमास्टर विश्वविद्यालय ने अपने शोध कहा है कि आम कपड़े से बने मास्क नोवल कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रभावी हैं. विशेषरूप से ऐसे मास्क जो सूती कपड़े के बने हों.

तेजी से फैलने वाले इस वायरस दे उभरी कोविड-19 की बीमारी, जिसे वैश्विक महामारी घोषित किया जा चुका है, के दौरान लोगों द्वारा पहने जा रहे मास्क को ले कर किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि कपड़े के मास्क इस वायरस के प्रसार को रोकने में प्रभावी हो सकते हैं. सूती कपड़ों का मास्क 99 फीसदी वायरल कणों रोकता है. इसी तरह स्वास्थ्य संबंधित प्रसिद्ध पत्रिका द लैंसेट ने 16 देशों की 172 शोध रिपोर्टों का विश्लेषण किया है.

ये भी पढ़ें- कोविड-19 के खतरनाक सिग्नलों में एक बात कौमन राज नहीं खोज पा रहे मैडिकल एक्सपर्ट

विश्लेषण में वायरस फैलने के जोखिमों पर गौर किया गया, जिन में सामाजिक दूरी, फेसमास्क का उपयोग और आंखों पर पट्टी बांधना शामिल रहे. इन रिपोर्टों में कोविड-19 के साथसाथ दूसरे कोरोना वायरस, जैसे सार्स और मर्स के बारे में भी जांच की गई है. शोधकर्ताओं का कहना है कि नोवल कोरोना में सावधानियों यानी प्रिकौशंस का असर देख कर वे दंग रह गए, क्योंकि ज़्यादातर महामारियों में प्रिकौशंस का असर मामूली रहता है.

शोधकर्ताओं का कहना था कि लोगों के बीच कपड़े से बना मास्क अधिक प्रभावी हो सकता है. उन के अनुसार, इस प्रक्रिया से संक्रमितों के ज़रिए वायरस आगे नहीं फैलेगा और आम लोग इस घातक वायरस से बच सकेंगे. इस समय दुनियाभर में कोविड-19 के कम से कम 30 फीसदी ऐसे रोगी हैं कि जिन में इस वायरस के कोई लक्षण नहीं पाए जाते हैं. यही कारण है कि मास्क का इस्तेमाल स्वस्थ लोगों को इस वायरस से संक्रमित होने से बचाने में मदद कर सकता है.

2. यों यूज करें :

कुछ लोग जब मास्क का इस्तेमाल करते हैं तो ऐसी ग़लती करते हैं कि जो उन्हें अनजाने में इस घातक वायरस का शिकार बना सकती है. सो, वायरस के इस्तेमाल करने के बारे में भी जानकारी हासिल करनी चाहिए.

3. केवल मुंह ढांकना :

सावधान, यदि मास्क द्वारा केवल चेहरा ढांका गया है तो इस से बीमारी बढ़ती है, कम नहीं होती. अमेरिका के बफ़ेलो विश्वविद्यालय में महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख थौमस रुसो के मुताबिक़, हम आमतौर से नाक के ज़रिए सांस लेते हैं और ऐसी स्थिति में हम वायरस को नाक के माध्यम से अपने शरीर में पहुंचा सकते हैं. इसलिए ज़रूरी है कि आप मास्क से केवल मुंह न ढांकें, बल्कि अपनी नाक को भी ढांकें, क्योंकि बिना नाक के ढांके आप इस वायरस से बच नहीं सकते हैं.

4. शरीर और कपड़े से दूर रखें :

कोरोना वायरस कपड़े, चेहरे या शरीर के किसी भाग पर अगर मौजूद है और मास्क ढीला कर के उसे लटकाने के दौरान वह उन जगहों तक चला जाता है तो यह भी ख़तरा बढ़ा सकता है. जानकारों के मुताबिक़, ग़लत तरीक़े से मास्क पहनने से वायरस से संक्रमित होने का ख़तरा बढ़ता है. अगर मास्क के अंदर वाला हिस्सा किसी चीज़, जैसे बालों, ठुड्डी, गरदन, हाथों या कपड़े से लग जाता है और फिर उसे मुंह पर लगा लिया जाता है तो ऐसी स्थिति में वायरस से इन्फैक्शन होने का ख़तरा बढ़ जाता है.

मास्क को ढीला करें, तो कभी उसे गरदन पर न लटकाएं, क्योंकि इस से भी ख़तरा बढ़ता है. मास्क का मुख्य उद्देश्य वायरस को नाक और मुंह से शरीर के भीतर जाने से रोकना है. इसी तरह मास्क उतारने के बाद उस के सामने वाले हिस्से को न छुएं, बल्कि उसे उस के किनारे लगी डोरी से पकड़ कर अलग करें. मास्क पहनने से पहले और उतारने के बाद हाथ धोना ज़रूरी है.

5. ढीला रखनाः

मास्क का इस्तेमाल करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मास्क आप के साइज़ का हो, यानी वह आप को सही से फिट हो जाए. कई बार ऐसा हुआ है कि लोग मास्क तो पहन लेते हैं लेकिन फिर भी उन के नाक-मुंह में पूरी तरह हवा आतीजाती रहती है. ऐसे मास्क पहनने का कोई फायदा नहीं होता. मास्क कैसा भी हो, ज़रूरी है कि वह चेहरे और नाक पर पूरी तरह फिट हो जाए, ताकि वह किसी भी चीज़ के मुंह और नाक के ज़रिए शरीर के भीतर पहुंचने में पूरी तरह रुकावट बन जाए. अगर किसी भी तरह मास्क को ढीला रखा जाएगा तो वह वायरस को शरीर में पहुंचने में मददगार साबित नहीं होगा.

6. नाक को सही तरीक़े से न ढांकना :

वायरस की रोकथाम के लिए ज़रूरी है कि मास्क के ज़रिए केवल नथुने ही न ढके हों, बल्कि पूरी नाक सही से ढकी हो. अगर नथुनों को छिपाया जाए तो ऐसी स्थिति में एक दरार रह जाएगी और उसी दरार के ज़रिए वायरस शरीर के भीतर पहुंच सकता है. यही कारण है कि विशेषज्ञ नाक को ऊपर से ढांकने का सुझाव देते हैं.

7. अच्छी तरह न धोना :

अगर आप मास्क को दोबारा इस्तेमाल करना चाहते हैं तो यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि वह वायरस से सुरक्षित रहे. स्वास्थ्य विशेषज्ञ कपड़े से बने मास्क को वाशिंग माशीन से धोने का सुझाव देते हैं और अगर ऐसा करना संभव न हो तो कम से कम एक बार उस को अच्छी तरह ज़रूर धो लें. अगर मास्क इस्तेमाल के लाएक़ नहीं है तो उस को सुरक्षित तरीक़े से नष्ट कर दिया जाए.

ये भी पढ़ें- नजला है, इन्फ्लुएंजा या कोविड-19

8. अन्य सावधानियां :

*  मास्क को हाथ लगाने से पहले हाथों को एल्कोहल आधारित हैंड सैनिटाइजर या साबुन व पानी से अच्छे से धो लें.
*  अपने मुंह और नाक को मास्क से अच्छे से ढकें और सुनिश्चित करें कि कोई गैप न रहे।
* यदि आप ने अनचाहे स्थानों और लोगों से हाथ मिलाया है या आप किसी तरह उन के संपर्क में आए हैं तो कोशिश करें कि अपने मुंह पर हाथ न लगाएं. यदि आप मुंह, आंख, कान, नाक आदि पर हाथ लगाएंगे और आप के हाथ में कीटाणु मौजूद है तो वह आप की नाक द्वारा आप की सांसों में चला जाएगा और फिर आप के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है. इसलिए, ध्यान रहे कि जब भी कहीं बाहर से लौटें तो फौरन किसी साबुन, हैंडवाश या सैनिटाइज़र से हाथ धोएं.

इस तरह, यह साफ़ है कि फेसमास्क पहनना या लगाना फायदेमंद है और ऐसा करना, सरकार की गाइडलाइन्स के मुताबिक़, लाजिमी भी है लेकिन उस का सही इस्तेमाल करना अनिवार्य है. वरना, लेने के देने पड़ने वाली बात हो सकती है यानी मास्क बजाय फायदा पहुंचाने के आप को वायरस का शिकार बना सकता है. सो, जागरूक रहें और दूसरों को जागरूक करें.

Father’s day Special: बेस्ट डैड नहीं, पिता बनने की करें कोशिश 

हमेशा से महिलाओं को ही मल्टी टास्क करने वाली माना जाता रहा है, जबकि आज पुरुषों को भी ये जिम्मेदारी निभानी पड़ती है, क्योंकि बड़े शहरों में कई परिवार ऐसे है जहाँ महिलायें कैरियर की व्यस्तता की वजह से परिवार के लिए समय नहीं दे पाती है, या कम देती है, ऐसे में पिता को ही बच्चे को सम्हालना पड़ता है. धीरे-धीरे बच्चे और उनके पिता के बीच तालमेल बनता जाता है. इसमें सिंगल फादर भी कई है, जिन्हें किसी हादसे या घटना का शिकार होना पड़ा. पत्नी के गुजर जाने या डिवोर्स के बाद बच्चे को सम्हालने की जिम्मेदारी उन्होंने खुद ली और वे बच्चे को खुद पलना चाहते है.

मुश्किलें आती है, पर वे एक समय के बाद निकल भी जाती है. एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करने वाले तुहिन को कुछ ऐसी ही समस्याओं से गुजरना पड़ा. जब उनकी पत्नी ने ढाई साल की बेटी तिलोत्तमा को छोड़कर अपने पुराने प्रेमी के साथ चली गयी और डिवोर्स ले ली. बच्चे को साथ न ले जाने की भी इच्छा प्रकट की, ऐसे में तुहिन ने बच्चे को सम्हालने की जिम्मेदारी ली और उसमें पूरी तरह से खड़ा उतरने की कोशिश कर रहे है.

वे कहते है कि डिवोर्स के कुछ दिन पहले से मेरी पत्नी बच्चे का ध्यान नहीं रखती थी, किसी तरह उसे डे केयर में डालकर ऑफिस चली जाती थी. मैं जब शाम को उसे घर लाने जाता तो, अधिकतर वह भूखी होती थी और मैं कुछ बनाकर खिलाता था. पूछने पर कुछ न कुछ बहाने दे दिया करती थी. कुछ संमय तक ऐसा चलने के बाद जब एक दिन मैंने इस बारें में उससे बात की, तो पता चला कि वह इस विवाह से खुश नहीं और डिवोर्स चाहती है. बेटी को ले जाना भी नहीं चाहती.

ये भी पढ़ें- Father’s day Special: पिता और पुत्र के रिश्तों में पनपती दोस्ती

मैंने इसे स्वीकार किया और तबसे बेटी की परवरिश कर रहा हूँ. कुछ लोगों ने मुझे दुबारा शादी करने की सलाह दी, पर मैं मानसिक रूप से तैयार नहीं. अब मेरी बेटी 5 साल की हो चुकी है और समझदार भी है. किसी बात पर जिद करने पर उसे समझाना अब आसान हो गया है. अब वह काफी हद तक समझदार हो चुकी है. पहले कई बार जब छोटी थी, तो मुझे समस्या आती थी, पर उस समय मेरी माँ और पिता ने बहुत सहयोग दिया. कई बार बेटी बीमार भी पड़ी.

मैंने रात-रात भर जागकर उसकी देखभाल की, पर मैं खुशनसीब हूँ कि मेरी किसी भी परेशानी में मेरी माँ हमेशा साथ रही. मेरे माता-पिता का साथ न होने पर कैरियर के साथ बच्ची को सम्हालना शायद मुश्किल होता. सिंगल पैरेंट बनना कोई नहीं चाहता. हालात उसे बनाती है. वैसे तो माता-पिता दोनों का प्यार बच्चे के लिए चाहिए, पर परिस्थिति से निपटना कई बार पड़ता है. आज मेरी बेटी मेरे लिए सबसे बड़ी प्रायोरिटी है. उसकी सही तरीके से परवरिश करना ही मेरा लक्ष्य है.

ये सही है कि सिंगल फादर बनना आसान नहीं होता, क्योंकि बच्चे की परवरिश में उसकी मानसिक और शारीरिक दोनों अवस्थाओं का ध्यान लगातार रखना पड़ता है. माँ बच्चे के काफी नजदीक होती है, जबकि पिता नहीं. बच्चे के साथ पिता का संवाद भी अमूमन कम होता है, लेकिन आज सिंगल फादर की अवधारणा बढ़ी है और कई पिता इस निर्णय से खुश भी है, ऐसे में सही परवरिश के लिए बच्चे के साथ अच्छी संवाद होने की जरुरत होती है, ताकि एडजस्टमेंट बच्चे और पिता के बीच अच्छा हो.

इस बारें में मनोवैज्ञानिक सुनेत्रा बैनर्जी कहती है कि सिंगल फादर बनना एक चुनौती होती है, इसमें भी बेटे और बेटी की परवरिश के पैमाने अलग होते है. बचपन से ही बच्चे में क्या सही क्या गलत है इसे बताते रहना चाहिए जिसके लिए जरुरी होता है, अच्छी कम्युनीकेशन का होना, जिसके द्वारा आप बच्चे की हर उम्र में उसके शारीरिक और मानसिक बदलाव को अच्छी तरह से समझ सकते है. आप एक अच्छे पिता बनने की कोशिश करें, बेस्ट डैड बनने की नहीं. कुछ टिप्स निम्न है,

  • बच्चे को बड़ा करने में अनुशासन, वर्क और पर्सनल लाइफ के बीच सामंजस्य को मेंटेन करने की जरुरत,
  • खुद की देखभाल के साथ-साथ बच्चे की मानसिक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक और शारीरिक विकास को समझते रहना, क्योंकि एकल पिता दो भूमिकाएं निभाते है, 
  • वैसे आजकल मात-पिता की भूमिका में काफी अंतर नहीं रहा, सिंगल फादर बनना, खुद एक बच्चे की पूरी जिम्मेदारी लेना ही बड़ी बात होती है, जो धीरे-धीरे आसान होती जाती है, 
  • डिवोर्सी पिता के अंदर अधिकतर अपराधबोध होता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि बच्चा उनकी वजह से ऐसी परिस्थिति से गुजर रहा है, ऐसे में कई बार पिता बच्चे की अनचाहे जिद को पूरा कर माँ की कमी को पूरा करना चाहते है, जो बच्चे के साथ गलत होता है, ऐसा कभी न करें, आप खुद को बच्चे का पालनहार समझे.

ये भी पढ़ें- Father’s day Special: पिता नवजात से बढ़ाए लगाव ऐसे

  • हमेशा उसे सही गलत के फर्क को समझाने की कोशिश करें, ये काम बच्चे के साथ बैठकर या कही बाहर जाकर खुले परिवेश में करें, उसपर ट्रस्ट रखें.
  • एक धैर्यवान लिसनर बने, बच्चे की बात को सुनकर फिर अपनी बात कहें, पिता के पास अक्सर हर बात का समाधान होता है और बच्चे ये जानते है, लेकिन कहाँ तक आप इसे पूरा करेंगे, इसका मापदंड भी उन्हें समझाए. 
  • अगर बेटी हो तो उनका ध्यान सिंगल फादर को अधिक रखना पड़ता है, मनोवैज्ञानिक शब्दों में इलेक्ट्राकाम्प्लेक्स यानि बेटी का पिता के प्रति और बेटे का माँ के प्रति आकर्षण का होना माना जाता है, बेटी के जीवन में उसका पिता पहला पुरुष होता है, जो पुरूष की मानक को सेट करता है, जिसके द्वारा उसके जीवन में पुरुष की एक छवि बनती है, जिसे वह सम्मान देती है और खुद को उसके साथ रहकर सुरक्षित महसूस करती है, जो बाद में पति या बॉयफ्रेंड का रूप लेता है, पिता को उसके जीवन का आदर्श होना जरुरी होता है.
  • प्युबर्टी स्टेज में ये काम और अधिक मुश्किल बेटी के क्षेत्र में होता है, क्योंकि तब बेटी में शारीरिक और मानसिक दोनों बदलाव होने शुरू होता है, सिंगल फादर को एक दोस्त के जैसे इन सभी समस्याओं से निपटना पड़ता है, इमोशनल सपोर्ट बच्चे और पिता का एक दूसरे से होना जरुरी, इसके लिए बच्चे के साथ क्वालिटी समय बिताएं.
  • बेस्ट डैड बनने की नहीं, पिता बनने की कोशिश करें, ओवर प्रोटेक्टिव न बने, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करें, लड़के अधिक एग्रेसिव होते है, उन्हें थोड़ी अधिक अनुशासित करने की जरुरत होती है. जबकि लडकियां सेंसेटिव होती है, उन्हें धैर्य के साथ समझाना पड़ता है.
  • कई बार ऐसा देखा गया है कि सिंगल फादर बच्चे की देखभाल करते-करते पर्सनल लाइफ का त्याग करते रहते है, वे कही आना जाना या दोस्तों के साथ समय नहीं बिताते, ऐसे में उनमें फ्रस्ट्रेशन आ जाता है, ऐसा कभी न करें, अपने लिए समय अवश्य निकाले, बच्चा, काम और पर्सनल लाइफ में बैलेंस अवश्य करें.

सगाई की खबरों के बीच मंगलसूत्र और चूड़ा पहने नजर आईं हिमांशी खुराना, Photos Viral

बिग बॉस 13 (Bigg Boss 13) में सुर्खियां बटोर चुकी पंजाबी सिंगर हिमांशी खुराना (Himanshi Khurana) और असीम रिजाय (Asim Riaz) की जोड़ी अक्सर सुर्खियों में रहती है. बीते दिनों दोनों की सगाई की अफवाहों ने फैंस को हैरान कर दिया था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर एक फोटो में हिमांशी खुराना डायमंड रिंग फ्लॉन्ट करती नजर आई थीं. वहीं अब हिमांशी खुराना की एक फोटो ने उनकी शादी की खबरों को दोबारा वायरल कर दी है.

फोटो में कुछ ऐसे आईं हिमांशी खुराना नजर

हाल ही में हिमांशी खुराना ने एक फोटो फैंस के साथ शेयर की है, जिसमें वह जींस और शर्ट में पोज देते हुए हिमांशी खुराना एक बार फिर से अपनी डायमंड रिंग फ्लॉन्ट कर रही हैं. वहीं फोटो की सबसे खास बात ये है कि हिमांशी खुराना ने हाथ में लाल चूड़ा और गले में मंगलसूत्र भी पहना हुआ है और वह एक नई नवेली दुल्हन की तरह शरमाती नजर आ रही हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Himanshi Khurana 👑 (@iamhimanshikhurana) on

ये भी पढ़ें- अनन्या पांडे की कजिन अलाना की बिकिनी फोटो पर महिला यूजर ने कही गैंग रेप की बात, दिया ये जवाब

फैंस ने पूछे कई सवाल

 

View this post on Instagram

 

Who all are you excited For #khyaalrakhyakar releasing on 10th June @asimriaz77.official @preetindermusic @desimusicfactory

A post shared by Himanshi Khurana 👑 (@iamhimanshikhurana) on

हिमांशी खुराना की फोटो वायरल होने के बाद फैंस ने उनसे सवालों की बरसात शुरी कर दी है. फैंस सोशल मीडिया पर हिमांशी खुराना से बार बार यही सवाल कर रहे हैं कि क्या उन्होंने कोरोना वायरस लॉकडाउन में असीम रिजाय के साथ सात फेरे ले लिए हैं. हिमांशी खुराना की तस्वीर पर एक फैन ने कमेंट करते हुए लिखा, ‘एक बात बोलूं…! मुझे लग रहा है कि आपने असीम रियाज के साथ शादी कर ली है.’ तो वहीं  दूसरे यूजर ने लिखा कि, ‘लगता है कि असीम रियाज ने चोरी छिपे हिमांशी खुराना के साथ सात फेरे ले लिए है. हिमांशी के गले में तो मंगतसूत्र नजर आ रहा है.’ इतना ही नहीं कुछ फैंस तो असीम रियाज और हिमांशी खुराना को शादी की मुबारकबाद देने में भी जुट गए हैं.

 

View this post on Instagram

 

Something coming really soon on @desimusicfactory 💃 @asimriaz77.official #himanshikhurana

A post shared by Himanshi Khurana 👑 (@iamhimanshikhurana) on

बता दें,  हिमांशी खुराना और असीम रिजाय की लव स्टोरी की शुरुआत ‘बिग बॉस 13’ के घर में हुई थी. वहीं शो के खत्म होते होते ‘बिग बॉस 13’ की ये जोड़ी फैंस की बीच पौपुलर हो गई. इसी बीच कई बार दोनों के ब्रेकअप की अफवाहें भी उड़ी, लेकिन दोनों ने अपनी साथ में फोटो शेयर करके फैंस को चौंका दिया.

ये भी पढ़ें- श्वेता तिवारी पर वीडियो पोस्ट करके फंसे पति अभिनव कोहली, फैंस ने ऐसे सुनाई खरी-खोटी

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें