सुबह के 6 बज गए थे. अनुषा नहाधो कर तैयार हो गई. ससुराल में उस का पहला दिन जो था, वरना घर में मजाल क्या कि वह कभी 8 बजे सुबह से पहले उठी हो.
विदाई के समय मां ने समझाया था,”बेटी, लड़कियां कितनी भी पढ़लिख जाएं उन्हें अपने संस्कार और पत्नी धर्म कभी नहीं भूलना चाहिए. सुबह जल्दी उठ कर सिर पर पल्लू रख कर रोजाना सासससुर का आशीर्वाद लेना. कभी भी पति का साथ न छोड़ना. कैसी भी परिस्थिति आ जाए धैर्य न खोना और मुंह से कभी कटु वचन न कहना.”
“जैसी आप की आज्ञा माताश्री…”
जिस अंदाज में अनुषा ने कहा था उसे सुन कर विदाई के क्षणों में भी मां के चेहरे पर हंसी आ गई थी.
अनुषा ड्रैसिंग टेबल के आगे बैठी थी. बीती रात की रौनक उस के चेहरे पर लाली बन कर बिखरी हुई थी. भीगी जुल्फें संवारते हुए प्यार भरी नजरों से उस ने बेसुध भुवन की तरफ देखा.
भुवन से वैसे तो उस की अरैंज्ड मैरिज हुई थी. मगर सगाई और शादी के बीच के समय में वे कई दफा मिले थे. इसी दरमियान उस के दिल में भुवन के लिए प्यार उमड़ पड़ा था. तभी तो शादी के समय उसे महसूस ही नहीं हुआ कि वह अरैंज्ड मैरिज कर किसी अजनबी को जीवनसाथी बना रही है. उसे लग रहा था जैसे लव मैरिज कर अपने प्रियतम के घर जा रही है.
बाल संवार कर और सिर पर पल्लू रख कर अनुषा सीढ़ियों से नीचे उतर आई. सासससुर बैठक रूम में सोफे पर बैठे अखबार पढ़ते हुए चाय की चुसकियों का आनंद ले रहे थे. अनुषा ने उन को अभिवादन किया और किचन में घुस गई. उस ने अपने हाथों से सुबह का नाश्ता तैयार कर खिलाया तो ससुर ने आशीष स्वरूप उसे हजार के 5 नोट दिए. सास ने अपने गले से सोने की चेन निकाल कर दी. तब तक भुवन भी तैयार हो कर नीचे आ चुका था.
भुवन ने अनुषा को बताया था कि अभी औफिस में कुछ जरूरी मीटिंग्स हैं इसलिए 2-3 दिन मीटिंग्स और दूसरे काम निबटा कर अगले सप्ताह दोनों हनीमून के लिए निकलेंगे. इस के लिए भुवन ने 10 दिनों की छुट्टी भी ले रखी थी.
भुवन का औफिस टाइम 10 बजे का था. औफिस ज्यादा दूर भी नहीं था और जाना भी अपनी गाड़ी से ही था. फिर भी भुवन ठीक 9 बजे घर से निकल गया तो अनुषा को कुछ अजीब लगा. मगर फिर सामान्य हो कर वह खाने की तैयारी में जुट गई.
तब तक कामवाली भी आ गई थी. अनुषा को ऊपर से नीचे तक तारीफ भरी नजरों से देखने के बाद धीरे से बोली,” शायद अब भुवन भैया उस नागिन के चंगुल से बच जाएंगे.”
“यह क्या कह रही हो तुम?” कामवाली की बात पर आश्चर्य और गुस्से में अनुषा ने कहा.
वह मुसकराती हुई बोली,” बस बहुरानी कुछ ही दिनों में आप को मेरी बात का मतलब समझ आ जाएगा. 2-3 दिन इंतजार कर लो,” कह कर वह काम में लग गई.
फिर अनुषा की तारीफ करती हुई बोली,” वैसे बहुरानी बड़ी खूबसूरत हो तुम.”
अनुषा ने उस की बात अनसुनी कर दी. उस के दिमाग में तो नागिन शब्द घूम रहा था. उसे नागिन का मतलब समझ नहीं आ रहा था.
पूरे दिन अनुषा भुवन के फोन का इंतजार करती रही. दोपहर में भुवन का फोन आया. दोनों ने आधे घंटे प्यार भरी बातें कीं. शाम में भुवन को आने में देर हुई तो अनुषा ने सास से पूछा.
सास ने निश्चिंतता भरे स्वर में कहा,”आ रहा होगा. थोड़ा औफिस के दोस्तों में बिजी होगा.”
8 बजे के करीब भुवन घर लौटा. साथ में एक महिला भी थी. लंबी, छरहरी, नजाकत और अदाओं से लबरेज व्यक्तित्व वाली उस महिला ने स्लीवलैस वनपीस ड्रैस पहन रखी थी. होंठों पर गहरी लिपस्टिक और हाई हील्स में वह किसी मौडल से कम नहीं लग रही थी. अनुषा को भरपूर निगाहों से देखने के बाद भुवन की ओर मुखातिब हुई और हंस कर बोली,” गुड चौइस. तो यह है आप की बैटर हाफ. अच्छा है.”
बिना किसी के कहे ही वह सोफे पर पसर गई. सास जल्दी से 2 गिलास शरबत ले आई. शरबत पीते हुए उस ने शरबती आवाज में कहा,” भुवन जिस दिल में मैं हूं उसे किसी और को किराए पर तो नहीं दे दोगे?”
उस महिला के मुंह से ऐसी बेतुकी बात सुन कर अनुषा की भंवें चढ़ गईं. उस ने प्रश्नवाचक नजरों से भुवन की ओर देखा और फिर सास की तरफ देखा.
सास ने नजरें नीचे कर लीं और भुवन ने बेशर्मी से हंसते हुए कहा,” यार टीना तुम्हारी मजाक करने की आदत नहीं गई.”
“मजाक कौन कर रहा है? मैं तो हकीकत बयान कर रही हूं. वैसे अनुषा तुम से मिल कर अच्छा लगा. आगे भी मुलाकातें होती रहेंगी हमारी. आखिर मैं भुवन की दोस्त जो हूं. तुम्हारी भी दोस्त हुई न. बैटर हाफ जो हो तुम उस की.”
वह बारबार बैटर हाफ शब्द पर जोर दे रही थी. अनुषा उस का मतलब अच्छी तरह समझ रही थी. टीना ने फिर से अदाएं बिखेरते हुए कहा,”आज की रात तो नींद नहीं, चैन नहीं, है न भुवन”
5 -10 मिनट रुक कर वह जाने के लिए खड़ी हो गई. भुवन उसे घर छोड़ने चला गया. अनुषा ने सास से सवाल किया,” यह कौन है मांजी जो भुवन पर इतना अधिकार दिखा रही है?”
“देखो बेटा, अब तुम भुवन की पत्नी हो इसलिए इतना तो तुम्हें जानने का हक है ही कि वह कौन थी? दरअसल, बेटा तुम्हें उस को भुवन की जिंदगी में स्वीकार करना पड़ेगा. हमारी मजबूरी है बेटा. हम सब को भी उसे स्वीकार करना पड़ा है बेटे.”
“पर क्यों सासूमां ? क्या भुवन का उस के साथ कोई रिश्ता है?”
“ऐसा कोई रिश्ता तो नहीं बहू पर बस यह जान लो कि उस के बहुत से एहसान हैं हमारे ऊपर. वैसे तो वह उस की बौस है मगर भुवन को इस मुकाम तक पहुंचाने में काफी मदद की है उस ने. अपने पावर का उपयोग कर भुवन को काफी अच्छा ओहदा दिया है. बस भुवन पसंद है उसे और कुछ नहीं.”
“इतना कम है क्या सासूमां ?”वह तो पत्नी की तरह हक दिखाती है भुवन पर.”
बहु कभीकभी हमें जिंदगी में समझौते करने पड़ते हैं. 1-2 बार भुवन ने जौब छोड़ने की भी कोशिश की. मगर उस ने आत्महत्या की धमकी दे डाली. भुवन के प्रति आकर्षित है इसलिए उस को अपने औफिस से निकलने भी नहीं देती.”