ब्लौकबस्टर हौरर कौमेडी ‘ब्लडी लव स्टोरी’ में Ayushmann Khurrana बनेंगे ड्रेकुला, लोगों का खून पीते आएंगे नजर

मैडाक फिल्म्स ने हाल ही में अपनी ब्लौकबस्टर हौरर-कौमेडी यूनिवर्स की नई फिल्म थामा की घोषणा की है यह एक “ब्लडी लव स्टोरी” होगी, जिसमें आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurrana), रश्मिका मंदाना, परेश रावल और नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी मुख्य भूमिकाओं में नज़र आएंगे और यह फिल्म निर्माता दिनेश विजन के साथ आयुष्मान की दूसरी फिल्म है, बाला के बाद जिसने 2019 में 100 करोड़ का आंकड़ा पार किया था.

स्त्री 2 के बौक्स औफिस रिकौर्ड तोड़ने और मुंज्या की सफलता के बाद, मैडाक का हौरर-कौमेडी यूनिवर्स भारत में धमाल मचा रहा है. थामा में अपने किरदार को लेकर आयुष्मान ने कहा, “मुझे खुशी है कि दिनेश विजन को लगता है कि यह मेरे लिए उनके ब्लौकबस्टर हौरर-कौमेडी यूनिवर्स में शामिल होने का सही समय है. स्त्री 2 के बौलीवुड के इतिहास में सबसे बड़ी फिल्म बनने के बाद मैं इस यूनिवर्स का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रहा हूं. मुझे यकीन है कि यह एक ऐसा सिनेमाई अनुभव होगा जिसे दर्शक लंबे समय तक याद रखेंगे.”

मैडाक के हौरर-कौमेडी यूनिवर्स की देश में बढ़ती फैन फौलोइंग पर बात करते हुए आयुष्मान ने कहा, “दिनेश ने इस यूनिवर्स को जिस तरह से बनाया है, वह काबिले तारीफ है. एक दोस्त, सहयोगी और उनके काम का प्रशंसक होने के नाते मैं देख सकता हूँ कि उनके भव्य विस्तार के विचारों के साथ यह यूनिवर्स और भी ताकतवर बनेगा.”

बाला के बाद फिर से दिनेश विजन के साथ काम करने पर आयुष्मान ने कहा, “दिनेश और मेरे बीच एक जैसी दृष्टि है. हमारी फिल्म बाला को दर्शकों ने एक नए दृष्टिकोण के लिए सराहा था. थामा हमारी दूसरी फिल्म है, जो इतनी नई है कि लोग इसे देख चौंक जाएंगे. यह एक ऐसा प्रोजेक्ट है जो भारत में पहले किसी ने नहीं देखा। दिनेश, निर्देशक आदित्य सरपोतदार और लेखक निरेन भट्ट जैसे साथी क्रिएटिव के साथ काम करने के लिए मैं बेहद उत्साहित हूं.”

थामा को अपने करियर की सबसे खास फिल्म बताते हुए आयुष्मान ने कहा, “यह हौरर-कौमेडी यूनिवर्स की पहली लव स्टोरी है और यह अपने आप में रोमांचक है. इसकी ‘ब्लडी’ लव स्टोरी का वादा आज के दर्शकों के लिए बिल्कुल नया और रोमांचक है. अपने करियर में मैंने हमेशा ऐसे ही अनोखे प्रोजेक्ट्स की तलाश की है और मुझे खुशी है कि महान निर्देशक और फिल्म निर्माता मुझे इस तरह की फिल्में बनाने का मौका देते हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि दर्शक इसे दिल से पसंद करेंगे.

अगर आप भी हैं ब्रेड लवर्स, तो ट्राई करें ये 4 तरह के Sandwich

Sandwich : सुबह का नाश्ता हो या शाम का नाश्ता, अगर कुछ आसानी से और टैस्टी बन जाए, तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. शायद ही कोई हो, जिसे सैंडविच खाना पसंद न आए, बड़े से लेकर बच्चे तक सभी सैंडविच खाना पसंद करते हैं. अगर आप कहीं ट्रिप पर भी जा रहे हैं, तो होममेड सैंडविच आसानी से कैरी कर सकते हैं. घर पर एक तरह के नहीं बल्कि आप कई तरह के सैंडविच ट्राई कर सकते हैं. इन्हें सूप या चाय के साथ आनंद ले सकते हैं. तो आइए जानते हैं.. डिफरैंट टाइप की सैंडविच की आसान रेसिपी.

1. पनीर भुर्जी सैंडविच

Club sandwich chicken breast lettuce cheese toast bread tomato cucumber french fries side view

सामग्री

4 ब्रेड स्लाइस, 2 टी स्पून मक्खन1 टेबल स्पून तेल, 1 टी स्पूम तेल, 1 चुटकी हल्दी, आधा टी स्पून लाल मिर्च पाउडर, 1 टी स्पून गरम मसाला, टुकड़ों में कटा हुआ प्याज और टमाटर, स्वादानुसार नमक, क्रम्बल किया हुआ आधा कप पनीर

बनाने की वि​धि

  • कढ़ाई में तेल गरम करें , लाल मिर्च पाउडर, मसाला पाउडर, हल्दी, डालें.
  • अब इसमें क्रम्बल किया हुआ पनीर और नमक डालकर थोड़ी देर भून लें.
  • ब्रेड पर मक्खन लगाएं, प्याज के छल्ले, टमाटर और पनीर भुर्जी रखें.
  • सैंडविच को बंद करके ग्रिल करे.
  • तैयार है पनीर भुर्जी सैंडविच.

2. मेयोनीज सैंडविच

Top view delicious sandwich with seasonings on the dark surface

सामग्री

4 ब्रेड स्लाइस, स्वादानुसार नमक, 3 चम्मच मेयोनीज, बारीक कटी प्याज, टमाटर और शिमला मिर्च, 1 चम्मच चाट मसाला, 2 चीज की स्लाइस,

बनाने की विधि

  • सबसे पहले ब्रेड की किनारों को काट लें.
  • अब स्लाइस पर बटर लगा लें.
  • दूसरी तरफ एक बाउल में बारीक कटी प्याज, टमाटर और शिमला मिर्च डालें, फिर इसमें मेयोनीज, चाट मसाला और नमक डालकर अच्छे से मिक्स करें.
  • फिर ब्रेड के स्लाइस पर ये मिश्रण रखें, दूसरे ब्रेड से बंदकर सैंडविच को ग्रिल करें.
  • मजा लें मेयोनीज सैंडविच का.

3. चिकन चीज सैंडविच

Side view bacon sandwich with fried bacon lettuce bread toast black and green olives french fries on a plate

सामग्री

200 ग्राम चिकन, 1 चम्मच मेयोनेज, 1 चम्मच क्रीम, स्वादानुसार नमक, 4 ब्रेड स्लाइस, 1 टी स्पून लहसुन पाउडर, नमक स्वादानुसार, 1 टी स्पून ओरिगैनो

बनाने की विधि

  • एक बाउल लें, उसमें पका हुआ चिकन डालें.
  • फिर इसमें नमक, काली मिर्च, लहसुन पाउडर, मेयोनीज़ और थोडा़ सा ऑरिगेनो डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें.
  • अब ब्रेड के दो स्लाइस लें, इसके बीच में मिश्रण भरें.
  • सैंडविच के दोनों तरफ क्रीम लगाएं, और इसे ग्रिल करें.
  • जब क्रिस्पी हो जाए, तो इसका आनंद लें.

4. पोटैटो सैंडविच रेसिपी

tasty sandwich with green salad ham and tomatoes as a filling along with orange rusks on blue

सामग्री

ब्रेड स्लाइस – 8, आलू – 2-3, प्याज – 1, हरी मिर्च – 2-3, लाल मिर्च पाउडर – 1/2 टी स्पून, धनिया पाउडर – 1 टी स्पून, हरा धनिया कटा – 2 टेबलस्पून, 1 चम्मच तेल, मक्खन – 4 टी स्पून, नमक – स्वादानुसार

बनाने की विधि

  • उबले आलू को मैश कर लें, इसमें हरी मिर्च, हरा धनिया, प्याज के बारीक-बारीक टुकड़े डाल कर मिक्स करें.
  • अब एक कढ़ाही में तेल डालकर उसे मीडियम आंच पर गर्म करें.
  • इसमें लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, तो आलू के मिश्रण को भून लें.
  • इसमें स्वादानुसार नमक डालें.
  • इसके बाद एक ब्रेड लें और उसके ऊपरी हिस्से पर मक्खन लगाकर चारों ओर फैला दें. इसके बाद आलू का मिश्रण ब्रेड के बीच में फैलाएं. अब ब्रेड को ग्रिल कर लें.
  • आलू के सैंडविच को टमाटर की चटनी के साथ मजा लें.

भोजपुरी क्‍वीन Akshara Singh से मांगी 50 लाख की रंगदारी, नहीं देने पर मिली मौत की धमकी

एक्‍टर के बाद अब एक्‍ट्रैस को भी मिली धमकी. भोजपुरी फ‍िल्‍मों की मशहूर एक्‍ट्रैस अक्षरा सिंह को 50 लाख की रंगदारी नहीं देने पर जान से मारने की धमकी मिली है. इस बारे में अक्षरा सिंह ने बिहार के दानापुर थाने में अपनी शिकायत दर्ज कराई है.

रंगदारों की गिरफ्त में बौलीवुड

आजकल बौलीवुड में खुलेआम धमकियों का दौर चल पड़ा है. इस क्रम में सबसे पहला नाम सलमान खान का आता है, जिसे गैंगस्‍टर लौरेंस बिश्‍नोई बहुत दिनों से धमका रहा है. लौरेंस का कहना है कि सलमान खान ने काले हिरण का शिकार कर बिश्‍नोई समाज का दिल दुख पहुंचाया है, जिसका बदला वह लेकर रहेंगे. इस समुदाय के लोग काले हिरण को लेकर खास आस्‍था रखते हैं. इस मामले में सलमान के घर गैलेक्‍सी अपार्टमेंट पर भी हमला किया गया. हाल में यह भी खबर आई कि छत्‍तीसगढ़ के फैजान नाम के व्‍यक्ति ने शाहरुख खान को जान से मारने की धमकी दी है. अब फैजान को पकड़ लिया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फैजान ने शाहरुख खान से 50 लाख की फ‍िरौती की मांग की थी. अब इसी क्रम में भोजपुरी ऐक्‍ट्रैस अक्षरा सिंह का नाम आ रहा है.

50 लाख दो नहीं तो मरो

खबरों के अनुसार, अक्षरा सिंह (Akshara Singh) के मोबाइल फोन पर 11 नवंबर की रात को उनके  किसी अनजान नंबर से कौल आया था. उनके मोबाइल पर दो बार कौल किया गया. कौल करने वाले ने कहा कि अगर वे दो दिन के अंदर 50 लाख रुपए नहीं देंगी, तो उन्‍हें जान से मार दिया जाएगा. फोन करने वाला अपराधी यहीं नहीं रुका. उसने फोन पर ही अक्षरा सिंह से गालीगलौज करनी शुरू कर दी. इसके बाद एक्‍ट्रैस ने फोन काट दिया. बताया जा रहा है कि इस मामले में जांच शुरू कर दी गई है. आरोपी को जल्‍द से जल्‍द अरेस्‍ट करने को लेकर आदेश दे दिए गए हैं.

पहले भी अक्षरा पर हमले की कोशिश

भोजपुरी क्‍वीन के नाम से मशहूर अक्षरा सिंह ने एक बार यह खुलासा किया था कि उनके ऐक्‍स बौयफ्रेंड ने उन पर तेजाब फेंकने के लिए लड़के भेजे थे. अक्षरा सिंह ने अपने करियर की शुरुआत साल 2010 में एक्‍टर और पौलिटिशियन रवि किशन के साथ की थी, इनकी मूवी का नाम था ‘सत्‍यमेव जयते’. इनके बारे में कहा जाता है कि भोजपुरी एक्‍ट्रैसेस में सबसे अधिक फीस लेने वाली अदाकारा हैं. अक्षरा का नाम ऐक्‍टर पवन सिंह के साथ जुड़ चुका है. इन दोनों की लव स्‍टोरी जितनी पौपुलर थी, उतनी ही इनकी हेट स्‍टोरी भी चर्चा में रही. दोनों की लव स्‍टोरी 2015 में शुरू हुई.

दोनों ने चार साल तक डेटिंग भी की. इसके बाद दोनों की शादी होने की खबरें भी आती रही हालांकि यह शादी कभी हुई नहीं. अलग होने के बाद अक्षरा सिंह ने पवन पर कई तरह के आरोप भी लगाए.  पवन पहले से शादीशुदा थे लेकिन पतिपत्‍नी दोनों अलग ही रहते थे. ऐसा कहा गया कि जब अक्षरा और पवन रिलेशनशिप में थे तब पवन अक्षरा को चीट कर रहे थे. उन्‍हीं दिनों पवन का अफेयर ज्‍योति सिंह के साथ भी चल रहा था. बाद में कई कारणों से अक्षरा और पवन का ब्रेकअप हो गया. अक्षरा सिंह की मशहूर मूवीज में सौंगध गंगा मइया की, सरकार राज, मां तुझे सलाम, लव मैरिज शामिल है. अक्षरा सिंह की राजनीति में भी रुचि है. बिहार में चुनाव के दिनों में उनको प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के लिए भी प्रचार करते हुए देखा गया.

रियल लाइफ में Anupama शादी से पहले हो गई थी प्रेग्नेंट? सौतेली बेटी ने किया शौकिंग खुलासा

अनुपमा (Anupama) सीरियल भले ही टीआरपी लिस्ट में पीछे है, लेकिन इस सीरियल की लीड ऐक्ट्रैस रुपाली गांगुली चर्चे में हैं. वह अपने पर्सनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में छायी हैं. उनकी रियल लाइफ काव्या के किरदार की तरह लोगों के सामने पेश किया गया. इसका खुलासा कोई और नहीं बल्कि उनकी सौतेली बेटी ईशा वर्मा ने किया.

शादी से पहले रुपाली बन गई थीं मां?

रुपाली गांगुली की सौतेली बेटी ईशा वर्मा ने उन पर कई गंभीर आरोप लगाए. ये भी कह दिया कि उनके पापा के साथ गांगुली का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर था. इतना ही नहीं, एक इंटरव्यू के अनुसार, ईशा वर्मा ने ये दावा किया कि रुपाली गांगुली का इकलौते बेटे का जन्म शादी से पहले ही हो गया था. रिपोर्ट के अनुसार, ईशा वर्मा ने ये भी बताया कि दोनों ने सबको झूठ कहा है कि उनका बेटा प्रीमैच्योर है.

पिता ने मिलने से कर दिया था मना

रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने आगे बताया कि उनके पिता अश्विन वर्मा ने दो बार उनकी मां को तलाक के पेपर्स भेजवाए थे. लेकिन बिना बताए वह इंडिया भी चले गए. टीवी में न्यूज देखकर पता चला कि उन्होंने रुपाली गांगुली से शादी कर ली है और उनका एक बेटा भी है. इसके बाद ईशा ने ये भी बताया कि बहुत बुरा लगता है जब हम भारत आए और हमारे पिता ने कह दिया कि उन्हें हमसे नहीं मिलना है.

कानूनी कार्रवाई के बाद सोशल मीडिया से डिलीट किया पोस्ट

जिसके बाद रुपाली गांगुली ने 50 करोड़ रुपये की मानहानि का केस ठोक दिया. इस कानूनी कार्रवाई के बाद ईशा वर्मा ने अपना इंस्टाग्राम अकाउंट को प्राइवेट कर लिया है. लेकिन एक्स अकाउंट को अब उन्होंने डिलीट कर दिया है और वो सारे पोस्ट भी हटा दिए हैं, जिसमें उन्होंने अपनी सौतेली मां रुपाली गांगुली पर आरोप लगाए थे.

ईशा वर्मा ने लगाए थे ये आरोप

दरअसल, रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) के पति अश्विन वर्मा की पहले से दो शादियां टूट चुकी हैं.  पहले रिश्ते से दो बेटियां भी हैं. वायरल पोस्ट के अनुसार, रुपाली गांगुली के पति अश्विन वर्मा की दो शादियां है. दरअसल, ईशा ने इस पोस्ट में लिखा था कि “वह एक निर्दयी औरत है जिसने मुझे मेरी बहन से अलग कर दिया. मुंबई आने से पहले वह कैलिफोर्निया और न्यू जर्सी में 13-14 साल तक रहे हैं. जब भी मैं अपने पिता को फोन करने की कोशिश करती थी तो, वह चिल्लाना शुरू कर देती थी. उसने हमारी असली फैमिली की जिंदगी बर्बाद कर दी और लोगों से कहती है कि ये उनका सच्चा प्यार है.’

इतना ही नहीं ईशा ने अपनी सौतेली मां रुपाली गांगुली की तुलना रिया चक्रवर्ती और सुशांत राजपुत से करते हुए उन्हें उनके पिता से अलग करने का आरोप लगाया था. वह मेरे पिता को अजीब दवाइयां खिलाती थीं और उनकी लाइफ कंट्रोल करती थीं. ईशा ने ये भी बताया कि जब वह तीन साल की थी तो उनके पिता के साथ रुपाली गांगुली का अफेयर था.

सबक के बाद: क्या पति प्रयाग का व्यवहार बदल पाई उसकी पत्नी

मेज पर फाइलें बिखरी पड़ी थीं और वह सामने लगे शीशे को देख रहे थे. आने वाले समय की तसवीरें एकएक कर उन के आगे साकार होने लगीं. झुकी हुई कमर, कांपते हुए हाथपांव. वह जहां भी जाते हैं, उपेक्षा के ही शिकार होते हैं. हर कोई उन की ओर से मुंह फेर लेता है. ऐसे में उन्हें नानी के कहे शब्द याद आ गए, ‘अरे पगले, यों आकाश में नहीं उड़ा करते. पखेरू भी तो अपना घोंसला धरती पर ही बनाया करते हैं.’

तनाव से उन का माथा फटा जा रहा था. उसी मनोदशा में वह सीट से उठे और सोफे पर जा धंसे. दोनों हाथों से माथा पकड़े हुए वह चिंतन में डूबने लगे. उन के आगे सचाई परत दर परत खुलने लगी. उन्होंने कभी भी तो अपने से बड़ों की बातें नहीं मानी. उन के आगे वह अपनी ही गाते रहे. सिर उठा कर उन्होंने घड़ी की ओर देखा तो 1 बज रहा था. चपरासी ने अंदर आ कर पूछा, ‘‘सर, लंच में आप क्या लेंगे?’’

‘‘आज रहने दो,’’ उन्होंने मना करते हुए कहा, ‘‘बस, एक कौफी ला दो.’’

‘‘जी, सर,’’ चपरासी बाहर चल दिया.

लोगों की झोली खुशियों से कैसे भरती है? वह इसी पर सोचने लगे. परसों ही तो उन के पास छगनलाल एक फाइल ले कर आए थे. उन्होंने पूछा था, ‘‘कहिए छगन बाबू, कैसे हैं?’’

‘‘बस, साहब,’’ छगनलाल हंस दिए थे, ‘‘आप की दुआ से सब ठीकठाक है. मैं तो जीतेजी जीवन का सही आनंद ले रहा हूं. चहकते हुए परिवार में रह रहा हूं. बहूबेटा दोनों ही घरगृहस्थी की गाड़ी खींच रहे हैं. वे तो मुझे तिनका तक नहीं तोड़ने देते. अब वही तो मेरे बुढ़ापे की लाठी हैं.’’

‘‘बहुत तकदीर वाले हो भई,’’ यह कहते हुए उन्होंने फाइल पर हस्ताक्षर कर छगनलाल को लौटा दी थी.

चपरासी सेंटर टेबल पर कौफी का मग रख गया. उसे पीते हुए वह उसी प्रकार आत्ममंथन करने लगे.

उन के सिर पर से मांबाप का साया बचपन में ही उठ गया था. वह दोनों एक सड़क दुर्घटना में मारे गए थे. तब नानाजी उन्हें अपने घर ले आए थे. उन का लालनपालन ननिहाल में ही हुआ था. उन की बड़ी बहन का विवाह भी नानाजी ने ही किया था.

नानानानी के प्यार ने उन्हें बचपन से ही उद्दंड बना दिया था. स्कूलकालिज के दिनों से ही उन के पांव खुलने लगे थे. पर उन का एक गुण, तीक्ष्ण बुद्धि का होना उन के अवगुणों पर पानी फेर देता था.

राज्य लोक सेवा आयोग में पहली ही बार में उन का चयन हो गया तो वह सचिवालय में काम करने लगे थे. अब उन के मित्रों का दायरा बढ़ने लगा था. दोस्तों के बीच रह कर भी वह अपने को अकेला ही महसूस किया करते. वह धीरेधीरे अलग ही मनोग्रंथि के शिकार होने लगे. घरबाहर हर कहीं अपनी ही जिद पर अड़े रहते.

उन के भविष्य को ले कर नानाजी चिंतित रहा करते थे. उन के लिए रिश्ते भी आने लगे थे लेकिन वह उन्हें टाल देते. एक दिन अपनी नानी के बहुत समझाने पर ही वह विवाह के लिए राजी हुए थे.

3 साल पहले वे नानानानी के साथ एक संभ्रांत परिवार की लड़की देखने गए थे. उन लोगों ने सभी का हृदय से स्वागत किया था. चायनाश्ते के समय उन्होंने लड़की की झलक देख ली थी. वह लड़की उन्हें पसंद आ गई और बहुत देर तक उन में इधरउधर की बातें होती रही थीं. उन की बड़ी बहन भी साथ थी. उस ने उन के कंधे पर हाथ रख कर पूछा था, ‘क्यों भैया, लड़की पसंद आई?’

इस पर वे मुसकरा दिए थे. वहीं बैठी लड़की की मां ने आंखें नचा कर कहा था, ‘अरे, भई, अभी दोनों का आमना- सामना ही कहां हुआ है. पसंदनापसंद की बात तो दोनों के मिलबैठ कर ही होगी न.’

इस पर वहां हंसी के ठहाके गूंज उठे थे.

ड्राइंगरूम में सभी चहक रहे थे. किचेन में भांतिभांति के व्यंजन बन रहे थे. प्रीति की मां ने वहां आ कर निवेदन किया था, ‘आप सब लोग चलिए, लंच लगा दिया गया है.’

वहां से उठ कर सभी लोग डाइनिंग रूम में चल दिए थे. वहां प्रीति और भी सजसंवर कर आई थी. प्रीति का वह रूप उन के दिल में ही उतरता चला गया था. सभी भोजन करने लगे थे. नानाजी ने उन की ओर घूम कर पूछा था, ‘क्यों रे, लड़की पसंद आई?’

‘जी, नानाजी,’ वह बोले थे, पर…

‘पर क्या?’ प्रीति के पापा चौंके थे.

‘पर लड़की को मेरे निजी जीवन में किसी प्रकार का दखल नहीं देना होगा,’ उन्होंने कहा, ‘मेरी यही एक शर्त है.’

‘प्रयाग’, नानाजी उन की ओर आंखें तरेरने लगे थे, ‘तुम्हारा इतना साहस कि बड़ों के आगे जबान खोलो. क्या हम ने तुम में यही संस्कार भरे हैं?’

नानाजी की उस प्रताड़ना पर उन्होंने गरदन झुका ली थी. प्रीति की मां ने यह कह कर वातावरण को सहज बनाने का प्रयत्न किया था कि अच्छा ही हुआ जो लड़के ने पहले ही अपने मन की बात कह डाली.

‘वैसे प्रयागजी’, प्रीति के पापा सिर खुजलाने लगे थे, ‘मैं आप के निजी जीवन की थ्योरी नहीं समझ पाया.’

‘मैं घर से बाहर क्या करूं, क्या न करूं,’ उन्होंने स्पष्ट किया था, ‘यह इस पर किसी भी प्रकार की टोकाटाकी नहीं करेंगी.’

‘अरे,’ प्रीति के पापा ने जोर का ठहाका लगाया था, ‘लो भई, आप की यह निजता बनी रहेगी.’

रिश्ता पक्का हो चला था. 6 महीने बाद धूमधाम से उन का विवाह हो गया था. विवाह के तुरंत बाद ही वे दोनों नैनीताल हनीमून पर चल दिए थे. सप्ताह भर वे वहां खूब सैरसपाटा करते रहे थे. दोनों ही तो एकदूसरे में डूबते चले गए थे. वहां उन्होंने नैनी झील में जी भर कर बोटिंग की थी.

‘क्योंजी,’ बोटिंग करते हुए प्रीति ने उन से पूछा था, ‘उस दिन मैं आप की फिलौस्फी नहीं समझ पाई थी. जब आप मुझे देखने आए थे तो अपने निजी जीवन की बात कही थी न.’

‘हां,’ उन्होंने कहा था, ‘मैं कहां जाऊंगा, क्या करूंगा, इस पर तुम्हारी ओर से किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं होगी. मैं औरतमर्द में अंतर माना करता हूं.’

‘अरे,’ प्रीति भौचक रह गई थी. वह गला साफ  करते हुए बोली, ‘आज के युग में जहां नरनारी की समता की दुहाई दी जाती है, वहां आप के ये दकियानूसी विचार…’

‘मैं ने कहा न,’ उन्होंने पत्नी की बात बीच में काट दी थी, ‘तुम किसी भी रूप में मेरे साथ वैचारिक बलात्कार नहीं करोगी और न ही मैं तुम्हें अपने ऊपर हावी होने दूंगा.’

तभी फोन की घंटी बजी और उन्होंने आ कर रिसीवर उठा लिया, ‘‘यस.’’

‘‘सर, लंच के बाद आप डिक्टेशन देने की बात कह रहे थे,’’ उधर से उन की पी.ए. कनु ने उन्हें याद दिलाया.

‘‘अरे हां,’’ वह घड़ी देखने लगे. 2 बज चुके थे. अगले ही क्षण उन्होंने कहा, ‘‘चली आओ, मुझे एक जरूरी डिक्टेशन देना है.’’

इतना कह कर वह कल्पना के संसार में विचरने लगे कि उन की पी.ए. कनुप्रिया कमरे में आएगी. उस के शरीर की गंध से कमरा महक उठेगा. ऐसे में वह सुलगने लगेंगे…तभी चौखट पर कनु आ खड़ी हुई. वह मुसकरा दिए, ‘‘आओ, चली आओ.’’

कनु सामने की कुरसी पर बैठ गई. वह उस के आगे चारा डालने लगे, ‘‘कनु, आज तुम सच में एक संपूर्ण नारी लग रही हो.’’

कनु हतप्रभ रह गई. बौस के मुंह से वह अपनी तारीफ सुन कर अंदर ही अंदर घबरा उठी. उस ने नोट बुक खोल ली और नोटबुक पर नजर गड़ाए हुए बोली, ‘‘मैं समझी नहीं, सर.’’

‘‘अरे भई, कालिज के दिनों में मैं ने काव्यशास्त्र के पीरियड में नायिका भेद के लक्षण पढे़ थे. तुम्हें देख कर वे सारे लक्षण आज मुझे याद आ रहे हैं. तुम पद्मिनी हो…तुम्हारे आने से मेरा यह कमरा ही नहीं, दिल भी महकने लगा है.’’

‘‘काम की बात कीजिए न सर,’’ कनु गंभीर हो आई. उस ने कहा, ‘‘आप मुझे एक जरूरी डिक्टेशन देने जा रहे थे.’’

‘‘सौरी कनु, मुझे पता न था कि तुम… मैं तो सचाई उगल रहा था.’’

‘‘आप को सब पता है, सर,’’ कनु कहती ही गई, ‘‘आप अपनी आदत से बाज आ जाइए. प्रीति मैडम में ऐसी क्या कमी थी, जो आप ने उन्हें निर्वासित जीवन जीने के लिए विवश किया?’’

अपनी स्टेनो के मुंह से पत्नी का नाम सुन कर प्रयाग को जबरदस्त मानसिक झटका लगा. कनु तो उन्हें नंगा ही कर डालेगी. उन की सारी प्राइवेसी न जाने कब से दफ्तर में लीक होती आ रही है…यानी सभी जानते हैं कि उन के अत्याचारों से तंग आ कर ही उन की पत्नी मायके में बैठी हुई है. कनु के प्रश्न से निरुत्तर हो वह अपने गरीबान में झांकने लगे, तो अतीत फिर उन के सामने साकार होने लगा.

नैनीताल से आ कर वह नानाजी से अलग एक किराए का फ्लैट ले कर रहने लगे थे. नानाजी ने उन्हें बहुत समझाया था लेकिन उन्होंने उन की एक भी नहीं सुनी थी. फ्लैट में आ कर वह अपने आदेशनिर्देशों से प्रीति का जीना ही हराम करने लगे थे.

‘रात की रोटियां क्यों बच गईं?’

‘तुम तार पर कपडे़ डालती हुई इधरउधर क्यों झांकती हो?’

‘तुम्हें लोग क्यों देखते हैं?’

आएदिन वह पत्नी पर इस तरह के प्रश्नों की झड़ी सी लगा दिया करते थे.

उस फ्लैट में प्रीति उन के साथ भीगी बिल्ली बन कर रहने लगी थी. जबतब उसे उन की शर्त याद आ जाया करती. पति के उन अत्याचारों से आहत हो वह आत्मघाती प्रवृत्ति की ओर बढ़ने लगी थी. एक बार तो वह मरतीमरती ही बची थी.

उन की आवारगी अब और भी जलवे दिखलाने लगी थी. एक दिन वह किसी युवती को फ्लैट में ले आए थे. प्रीति कसमसा कर ही रह गई थी. उन्होंने उस युवती का परिचय दिया था, ‘यह सुनंदा है. हम लोग कभी एक साथ ही पढ़ा करते थे.’

विवाह के दूसरे साल उन के यहां एक बच्चा आ गया था लेकिन वे वैसे ही रूखे बने रहे. बच्चे के आगमन पर उन्हें कोई भी खुशी नहीं हुई थी. प्रीति उन के अत्याचारों के नीचे दबती ही गई.

‘देखिएजी,’ एक दिन प्रीति ने अपना मुंह खोल ही दिया, ‘मुझे आप प्रतिबंधों के शिंकजे से मुक्त कीजिए… नहीं तो…’

‘नहीं तो तुम मेरा क्या कर लोगी?’ उन्होंने तमक कर पूछा था.

‘अब हमारे बीच नन्हा भी आ गया है. प्रीति उन्हें समझाने लगी थी, ‘हम 2 से 3 हो आए हैं. मुझे इस गुलामी की जंजीर से मुक्त कर दें.’

‘नहीं,’ वे गुर्राए, ‘मैं अपने निश्चय से टस से मस नहीं हो सकता. मैं हमेशा अपने ही मन की करता रहूंगा.’

‘ठीक है,’ प्रीति का भी स्वाभिमान जाग गया था. उस ने कहा, ‘फिर मैं भी अपनी मनमरजी पर उतरने लगूंगी.’ प्रीति के अनुनयविनय का प्रयाग पर कुछ भी असर नहीं पड़ा तो एक दिन नन्हे को ले कर मायके चली गई. रोरो कर उस ने मां को सारी बातें बतला दीं. मां उस का सिर सहलाने लगीं, ‘धीरज रख, सब ठीक हो जाएगा बेटी.’

तब से प्रीति मायके में ही रह कर अपने लिए नौकरी ढूंढ़ने लगी थी. उन्होंने कभी भी उस की खोजखबर नहीं ली. उन का बेटा नन्हा भी उन्हें नहीं पिघला पाया था. उन के दोस्तों में इजाफा होता गया. बदनाम गलियों में भी वह मुंह मारने लगे थे.

एक दिन बूढ़ी हो आई नानी उन के यहां चली आई थीं. ‘क्यों रे, तेरा यह मनमौजीपन कब छूटेगा?’

‘छोड़ो भी नानी मां,’ उन्होंने बात टाल दी थी, ‘मेरे संस्कार ही ऐसे हैं. जो होगा उसे मैं झेल लूंगा.’

‘संस्कार बदले भी तो जा सकते हैं न,’ नानी का हाथ उन के कंधे पर आ गया था, ‘तू अब भी मान जा. जा कर बहू को लिवा ला. इसी में तेरा भला है.’

वह नहीं समझ पाते कि उन के साथ ऐसा क्यों हो रहा है. आज उन की पी.ए. कनु तक ने उन्हें नंगा कर देना चाहा था. ठुड्डी पर हाथ रखे हुए वह प्रीति के बारे में सोचने लगे कि उस में कोई कमी नहीं है. उन्हीं के अत्याचारों से उस बेचारी को आज निर्वासित जीवन जीना पड़ रहा है.

दफ्तर से प्रयाग सीधे ही घर चले आए. उन के पीछेपीछे दोचार उन के मित्र भी चले आए. कुछ देर तक खानेपीने का दौर चला फिर मित्र चले गए तो वह फिर से तन्हा हो गए. उस से नजात पाने के लिए उन्होंने 2-3 बडे़बडे़ पैग लिए और बिस्तर पर जा धंसे.

सुबह हुई, देर से सो कर उठे तो नहा धो कर सीधे आफिस चल दिए. दरवाजे पर खडे़ चपरासी ने निवेदन किया, ‘‘साहब, आप को मैडम याद कर रही हैं.’’

‘‘मुझे?’’ वह चौंके.

‘‘जी,’’ चपरासी बोला, ‘‘मैडम बोली थीं कि आते ही उन्हें मेरे पास भेज दे.’’

वह आशंकित होने लगे. महा- निदेशक ने उन्हें न जाने क्यों बुलवाया है? किसी प्रकार शंकित मन से वह मिसेज रूंगटा के चैंबर में चल दिए. मैडम ने तो उन्हें देखते ही उन की ओर जैसे तोप दाग दी, ‘‘क्यों, मिस्टर, आप को अपने कैरियर का खयाल नहीं है क्या?’’

‘‘ऐसी क्या बात हो आई, मैडम?’’ उन्होंने कुछ सहम कर पूछा.

‘‘यह क्या है, देखिए,’’ मिसेज रूंगटा ने उन्हें कनुप्रिया की शिकायत थमा दी, ‘‘हाथ कंगन को आरसी क्या? आप तो छिपेरुस्तम निकले.’’

शिकायत देख कर उन को सारा कमरा घूमता हुआ सा लगा. वह होंठों पर जीभ फिरा कर बोले, ‘‘माफ करना मैडम, यह लड़की दुश्चरित्र है.’’

‘‘दुश्चरित्र आप हैं,’’ मिसेज रूंगटा ने आंखें तरेर कर कहा, ‘‘मेरी समझ में नहीं आ पा रहा है कि आप जैसे लंपट व्यक्ति इस पद पर कैसे बने हुए हैं? सुना है, आप का अपनी पत्नी के साथ भी…’’

उन की तो बोलती ही बंद हो आई. उन्होंने अपराधभाव से गरदन झुका ली. मिसेज रूंगटा ने उन्हें चेतावनी दे डाली, ‘‘आइंदा ध्यान रखें. अब आप जा सकते हैं.’’

वह उठे और चुपचाप महानिदेशक के चैंबर से निकल कर अपनी सीट पर आ कर बैठ गए. तभी उन के कमरे में कनुप्रिया चली आई और बोली,  ‘‘सर, मेरी यहां से बदली हो गई है.’’

वह कुछ बोले नहीं बल्कि चुपचाप फाइलें देखते रहे. आज वह अपने को हारे हुए जुआरी सा महसूस कर रहे थे. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है. तभी उन के पास बाबू छगनलाल चले आए. उन्होंने कहा, ‘‘माफ करना साहब, आज आप कुछ उदास से हैं.’’

‘‘बैठिए छगन बाबू,’’ वह सामान्य हो गए.

छगनलाल कुरसी पर बैठ कर बोले,  ‘‘वैसे हम लोग आफतें खुद ही मोल लिया करते हैं. लगता है कि आप भी किसी आफत में फंसे हैं?’’

‘‘आप ठीक कहते हैं,’’ वह बोले, ‘‘मेरी पी.ए. कनु ने महानिदेशक से मेरी बदसलूकी की शिकायत की है.’’

‘‘वही तो,’’ छगनलाल ने कहा, ‘‘सारे निदेशालय में यही सुगबुगाहट चल रही है.’’

‘‘अब ऐसा नहीं होगा, छगन बाबू,’’ वह बोले, ‘‘अब मैं सावधानी से रहा करूंगा.’’

‘‘रहना भी चाहिए, साहब,’’ छगनलाल बोले, ‘‘आदमी को हमेशा ही सतर्क रहना चाहिए.’’

उन्हें जीवन में पहली बार सबक मिला था. अब वह ध्यानपूर्वक अपना काम करने लगे. वह नानाजी को फोन मिलाने लगे. मिलने पर वे बोले, ‘‘नानाजी, मैं प्रयाग बोल रहा हूं.’’

‘‘बोलो बेटे,’’ उधर से कहा गया.

‘‘मैं आप के पास ही रहना चाहता हूं,’’ उन्होंने अपनी दिली इच्छा प्रकट की.

‘‘स्वागत है,’’ नानाजी ने पूछा, ‘‘कब आ रहे हो?’’

‘‘एकदो दिन में प्रीति को भी साथ ले कर आ रहा हूं.’’

‘‘फिर तो यह सोने पर सुहागा वाली बात होगी,’’ नानाजी ने चहक कर कहा, ‘‘यह तो तुम्हें बहुत पहले ही कर लेना चाहिए था.’’

‘‘सौरी नानाजी,’’ प्रयाग क्षमा मांगने लगे, ‘‘अब तक मैं भटकने की राह पर था.’’

शाम को वह दफ्तर से सीधे ही ससुराल चले गए. आंगन में नन्हा खेल रहा था, उसे उन्होंने गोद में उठाया और प्यार करने लगे. कोने में खड़ी प्रीति उन्हें देखती ही रह गई. वह मुसकरा दिए, ‘‘प्रीति, आज मैं तुम्हें लेने आया हूं.’’

‘‘वह तो आप को आना ही था,’’ प्रीति हंस दी.

वह सासससुर के आगे अपने किए पर प्रायश्चित्त करने लगे. ससुर ने उन का कंधा थपथपा दिया, ‘‘कोई बात नहीं बेटा, आदमी ठोकर खा कर ही तो संभलता है.’’

सुबह उन की नींद खुली तो उन्होंने अपने को तनावमुक्त पाया. प्रीति भी खुश नजर आ रही थी. चायनाश्ते के बाद उन्होंने एक टैक्सी बुला ली. प्रीति और नन्हे को बिठा कर खुद भी उन की बगल में बैठ गए. टैक्सी नानाजी के घर की ओर सड़क पर दौड़ने लगी.

गणपति का जन्म: क्या थी फूलचंद और सुरना की कहानी

फूलचंद ने फटा हुआ कंबल खींचखींच कर एकदूसरे के साथ सट कर सो रहे तीनों बच्चों को ठीक से ओढ़ाया और खुद राख के ढेर में तब्दील हो चुके अलाव को कुरेद कर गरमी पाने की नाकाम कोशिश करने लगा.

जाड़े की रात थी. ऊपर से 3 तरफ से खुला हुआ बरामदा. सांयसांय करती हवा हड्डियों को काटती चली जाती थी. गनीमत यही थी कि सिर पर छत थी.

अंदर कमरे में फूलचंद की बीवी सुरना प्रसव वेदना से तड़प रही थी. रहरह कर उस की चीखें रात के सन्नाटे को चीरती चली जाती थीं. पड़ोसी रामचरन की घरवाली और सुखिया दाई उसे ढाढ़स बंधा रही थीं.

मगर फूलचंद का ध्यान न तो सुरना की पीड़ा की ओर था, न ही उस के मन में आने वाले मेहमान के प्रति कोई उल्लास था. सच तो यह था कि अनचाहे बोझ को ले कर वह चिंतित ही था.

परिवार की माली हालत पहले से ही खस्ता थी. जब तक मिल चलती रही तब तक तो गनीमत थी. मगर पिछले 8 महीने से मिल में तालाबंदी चल रही थी और अब वह मजदूरी कर के किसी तरह परिवार का पेट पाल रहा था.

लेकिन रोज काम मिलने की कोई गारंटी न थी. कई बार फाकों की नौबत आ चुकी थी. कर्ज था कि बढ़ता ही जा रहा था. ऐसे में वह चौथा बच्चा फूलचंद को किसी नई मुसीबत से कम नजर नहीं आ रहा था. लेकिन समय के चक्र के आगे बड़ेबड़ों की नहीं चलती, फिर फूलचंद की तो क्या बिसात थी.

तभी सुरना की हृदय विदारक चीख उभरी और धीरेधीरे एक पस्त कराह में ढलती चली गई. फूलचंद ने भीतर की आवाजों पर कान लगाए. अंदर कुछ हलचल तो हो रही थी. मगर नवजात शिशु का रुदन सुनाई नहीं पड़ रहा था.

अब फूलचंद को खटका हुआ, ‘क्या बात हो सकती है?’ कहीं कुछ अनहोनी तो नहीं हो गई? मगर पूछूं भी तो किस से? अंदर जा नहीं सकता.

फूलचंद मन मार कर बैठा रहा. अब तो दोनों औरतों में से ही कोई बाहर आती, तभी कुछ पता चल पाता. हां, सुरना की कराहें उसे कहीं न कहीं आश्वस्त जरूर कर रही थीं.

प्रतीक्षा की वे घडि़यां जैसे युगों लंबी होती चली गईं. काफी देर बाद सुखिया दाई बाहर निकली. फूलचंद ने डरतेडरते पूछा, ‘‘सब ठीक तो है न?’’

‘‘हां, लड़का हुआ है,’’ सुखिया ने निराश स्वर में बताया, ‘‘मगर…’’

‘‘क्यों, क्या हुआ?’’ फूलचंद व्यग्र हो उठा.

‘‘अब मैं क्या कहूं. तुम खुद ही जा कर देख लो.’’

इस के बाद सुखिया तो चली गई, लेकिन फूलचंद की उलझन और बढ़ गई, ‘ऐसी क्या बात है, जो सुखिया से नहीं बताई गई? कहीं बच्चा मरा हुआ तो नहीं? मगर यह बात तो सुखिया बता सकती थी.’

कुछ देर बाद रामचरन की घरवाली भी यह कह कर चली गई, ‘‘कोई दिक्कत आए तो बुला लेना.’’

अब फूलचंद के अंदर जाने में कोई रुकावट नहीं थी. वह धड़कते दिल से अंदर घुसा. सुरना अधमरी सी चारपाई पर पड़ी थी. बगल में शिशु भी लेटा था.

सुरना ने आंखें खोल कर देखा. मगर फूलचंद की कुछ पूछने की हिम्मत न हुई. हां, उस की आंखों में कौंधती जिज्ञासा सुरना से छिपी न रह सकी. उस ने शिशु के मुंह पर से कपड़ा हटा दिया और खुद आंखें मूंद लीं.

आंखें तो फूलचंद की भी एकबारगी खुद ब खुद मुंद गईं. सामने दृश्य ही ऐसा था. नवजात शिशु का चेहरा सामान्य शिशुओं जैसा न था. माथा अत्यंत संकरा और लगभग तिकोना था. आंखें छोटीछोटी और कनपटियों तक फटी हुई थीं. कान भी असामान्य रूप से लंबे थे. सब से विचित्र बात यह थी कि शिशु का ऊपरी होंठ था ही नहीं. हां, नाक अत्यधिक लंबी हो कर ऊपरी तालू से जा लगी थी.

फूलचंद जड़ सा खड़ा था, ‘यह कैसी माया है? हुआ ही था तो अच्छाभला होता. नहीं तो जन्म लेने की क्या जरूरत थी. मुझ पर हालात की मार पहले ही क्या कम थी, जो यह नई मुसीबत मेरे सिर आ पड़ी. क्या होगा इस बच्चे का? अपना यह कुरूप ले कर इस दुनिया में यह कैसे जिएगा? क्या होगा इस का भविष्य?’

फूलचंद ने डरतेडरते पूछा, ‘‘इस की आवाज?’’

‘‘पता नहीं,’’ सुरना ने कमजोर आवाज में बताया, ‘‘रोया तक नहीं.’’

‘हैं,’ फूलचंद ने सोचा, ‘क्या यह गूंगा भी होगा?’

सुरना पहले ही काफी दुखी प्रतीत हो रही थी. इसलिए फूलचंद ने और कोई सवाल न किया. बस, अपनेआप को कोसता रहा और बाहर सोए तीनों बच्चों को ला ला कर अंदर लिटाता रहा. फिर खुद भी उन्हीं के साथ सिकुड़ कर लेटा रहा.

मगर उस की आंखों में नींद का नामोनिशान नहीं था. रहरह कर नवजात शिशु का चेहरा आंखों के आगे नाचने लगता था. तरहतरह की आशंकाएं मन में उठ रही थीं. फूलचंद ने सुना था कि उस तरह के बच्चे कुछ दिनों के ही मेहमान होते हैं. मगर वह बच्चा अगर जी गया तो…?

इसी तरह की उलझनों में पड़े हुए फूलचंद ने बाकी रात आंखों में ही काट दी.

सुबह होतेहोते रामचरन की घरवाली के माध्यम से यह बात महल्ले भर में जंगल की आग की तरह फैल गई कि फूलचंद के यहां विचित्र बालक का जन्म हुआ है.

बस, फिर क्या था. तमाशबीन औरतों के झुंड के झुंड आने शुरू हो गए. उन का तांता टूटने का नाम ही नहीं लेता था. वह एक ऐसी मुसीबत थी जिस की फूलचंद ने कल्पना तक नहीं की थी. मगर चुप्पी साधे रहने के सिवा कोई दूसरा चारा भी नहीं था.

तभी तमाशबीन औरतों के एक झुंड के साथ भगवानदीन की मां राधा आई. उस ने सारा वातावरण ही बदल कर रख दिया.

राधा ने बच्चे को देखते ही हाथ जोड़ कर प्रणाम किया. फिर जमीन पर बैठ कर माथा झुकाया और साथ आई औरतों को फटकार लगाई, ‘‘अरी, ऐसे दीदे फाड़फाड़ कर क्या देख रही हो? प्रणाम करो. यह तो साक्षात गणेशजी ने कृपा की है सुरना पर. इस की तो कोख धन्य हो गई.’’

साथ आई औरतें अभी तक तो राधा के क्रियाकलाप अचरज से देख रही थीं. किंतु उस की बात सुनते ही जैसे उन की भी आंखें खुलीं. सब ने शिशु को प्रणाम किया. सुरना की कोख को सराहा और हाथ में जो भी सिक्का था, वही चारपाई के सामने अर्पित करने के बाद जमीन पर माथा टेक दिया.

अब राधा बाहर फूलचंद के पास दौड़ी आई. वह थकान और चिंता के कारण बाहर चबूतरे पर घुटनों में सिर डाले बैठा था. राधा ने उसे झिंझोड़ कर उठाया, ‘‘अरे, क्या रोनी सूरत बनाए बैठा है यहां. तुझे तो खुश होना चाहिए, भैया. सुरना की कोख पर साक्षात ‘गणेशजी’ ने कृपा की है. तेरे तो दिन फिर गए. और देख, वह तो माया दिखाने आए हैं अपनी. वह रुकेंगे थोड़ा ही. जब तक हैं, खुशीखुशी उन की सेवा कर. हजारों वर्षों में किसीकिसी को ही ऐसा अवसर मिलता है.’’

फूलचंद चमत्कृत हो उठा, ‘‘यह बात तो मेरे दिमाग में आई ही नहीं थी, काकी.’’

‘‘अरे, तुम लोग ठहरे उम्र व अक्ल के कच्चे,’’ राधा ने बड़प्पन झाड़ा, ‘‘तुम्हें ये सब बातें कहां से सूझें. और हां, लोग दर्शन को आएंगे तो किसी को मना न करना, बेटा. उन पर कोई अकेले तेरा ही हक थोड़ा है. वह तो साक्षात ‘परमात्मा’ हैं, वह सब के हैं, समझा?’’

फूलचंद ने नादान बालक की तरह हामी भरी और लपक कर अंदर पहुंचा. दरअसल, अब वह शिशु को एक नई नजर से देखना चाहता था. मगर चारपाई के पास पड़े पैसों को देख कर वह एक बार फिर चक्कर खा गया. सुरना से पूछा, ‘‘यह क्या है?’’

‘‘वही लोग चढ़ा गए हैं,’’ सुरना ने बताया, ‘‘काकी कहती थीं, गणेशजी…’’

‘‘और नहीं तो क्या,’’ फूलचंद में जैसे नई जान पड़ने लगी थी, ‘‘न तो तेरी मति में यह बात आई, न ही मेरी. मगर हैं ये साक्षात गणेशजी ही.’’

‘‘हम लोग उन की माया क्या जान सकें. अपनी माया वही जानें.’’

फूलचंद को एकाएक शिशु की चिंता सताने लगी, ‘‘यह तो हिलताडुलता भी नहीं. देख सांस तो चलती है न?’’

सुरना ने कपड़ा हटा कर देखा. सांसें चल रही थीं.

फूलचंद को अब दूसरी चिंता हुई, ‘‘भला एकआध बार दूधवूध चटाया या नहीं?’’

सुरना ने तनिक दुखी स्वर में कहा, ‘‘दूध तो मुंह में दाब ही नहीं पाता.’’

‘‘ओह,’’ फूलचंद झल्लाया, ‘‘क्या इसे भूखा मारोगी? देखो, मैं रुई का फाहा बना कर देता हूं. तुम उसी से दूध इस के मुंह में टपका देना. गला सूखता होगा.’’

शिशु का गला सींचने का यह उपक्रम चल ही रहा था कि कुछ और लोग कथित गणेशजी के दर्शनार्थ आ पहुंचे. इस बार औरतों के अलावा मर्द भी आए थे. दूसरी खास बात यह थी कि कुछ लोगों के हाथों में फूल और फल भी थे.

फूलचंद ने लपक कर प्रसन्न मन से सब का स्वागत किया, ‘‘आइएआइए, आप लोग भी दर्शन कीजिए.’’

दोपहर ढलतेढलते कथित गणेशजी के जन्म की खबर पासपड़ोस के महल्लों तक फैल गई. श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी. मिठाई, फल, मेवा, फूल आदि जो बन पाता, लिए चले आ रहे थे. उस के अलावा नकदी का चढ़ावा भी कम न था.

शाम को किसी पड़ोसी ने सलाह दी, ‘‘कुछ परचे छपवा कर बांट दिए जाएं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को खबर हो जाए और वे दर्शन का लाभ प्राप्त कर सकें.’’

फूलचंद को वह सलाह जंची. पता नहीं, कब उस की भी यह दिली इच्छा हो आई थी कि जितने ज्यादा लोग दर्शन का लाभ उठा लें, उतना ही अच्छा.

आननफानन मजमून बनाया गया और एक पड़ोसी ने खुद आगे बढ़

कर परचे छपवा कर अगले ही दिन मुहैया कराने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली.

रात करीब 10 बजे दर्शनार्थियों का तांता टूटा. तब फूलचंद ने दर्शन बंद होने की घोषणा की. उस रात फूलचंद के परिवार ने बहुत दिनों बाद तृप्ति भर सुस्वाद भोजन का आनंद उठाया था.

दूसरे दिन परचे बंटे और एक स्थानीय अखबार के प्रतिनिधि आ कर बच्चे की तसवीर खींच ले गए. अखबार में बच्चे की तसवीर और विचित्र बालक के जन्म की खबर छपते ही, शहर में जैसे आग सी लग गई. दूरदराज के महल्लों से भी लोग दर्शन के लिए टूट पड़े.

फूलचंद के घर के सामने मेला सा लग गया. पता नहीं, कहां से फूल आदि ले कर एक माली बैठ गया. उस के अलावा महल्ले के हलवाई को दम मारने की फुरसत न थी. उस भीड़ को व्यवस्थित ढंग से दर्शन कराने के लिए फूलचंद को अपने कमरे का दूसरा दरवाजा (जो अभी तक बंद रखा जा रहा था) खोलना पड़ा. अब लोग कतार बांधे एक दरवाजे से अंदर आते थे और दर्शन कर के दूसरे दरवाजे से बाहर निकल जाते थे.

फूलचंद और उस के बच्चे सुबहसुबह ही नहाधो कर साफसुथरे कपड़े पहन लेते और दर्शन की व्यवस्था में जुट जाते. घर में अब न तो पहले जैसा तनाव था, न ही कुढ़न. सभी जैसे उल्लास की लहरों में तैरते रहते थे.

फूलचंद थोड़ीथोड़ी देर बाद सुरना के पास आ कर उस के कान में शिशु को रुई के फाहे से दूध चटाते रहने की हिदायत देता रहता था. इस बहाने वह अपनेआप को आश्वस्त भी कर लेता था कि शिशु अभी जीवित है.

रात को भी वह कई बार शिशु को देखता और उस की सांसें चलती देख कर चैन से सो जाता.

सब कुछ सामान्य ढंग से चल रहा था. कहीं कोई समस्या न थी. हां, एक समस्या यह जरूर पैदा हो गई थी कि चढ़ावे में चढ़ी मिठाई का क्या किया जाए. उसे उपभोग के लिए ज्यादा दिन बचाए रखना संभव न था. यों फूलचंद ने महल्ले में अत्यंत उदारतापूर्वक प्रसाद बांटा था. फिर भी मिठाई चुकने में न आती थी.

लेकिन उस समस्या का हल भी निकल आया. रात में मिठाई फूलचंद के यहां से उठा कर हलवाई के हाथों बेच दी जाती, फिर सुबह श्रद्धालुओं के हाथों में होती हुई दोबारा फूलचंद के यहां चढ़ा दी जाती.

छठे दिन भोर में ही सुरना ने फूलचंद को जगाया और घबराई हुई आवाज में कहा, ‘‘देखो, इस को क्या हो गया?’’

फूलचंद ने हड़बड़ा कर शिशु को उघाड़ दिया. झुक कर गौर से देखा. उस की सांसें बंद हो चुकी थीं. हताश हो कर सुरना की ओर देखा, ‘‘खेल खत्म हो गया.’’

सुरना की रुलाई खुद व खुद फूट पड़ी. मगर फूलचंद ने उसे रोका, ‘‘नहीं, रोनाधोना बंद करो. इस को ऐसे ही लेटा रहने दो. देखो, किसी से जिक्र न करना. थोड़ी देर में लोग दर्शन के लिए आने लगेंगे.’’

सुरना ने रोतेरोते ही कहा, ‘‘मगर यह तो…’’

‘‘तो क्या हुआ?’’ फूलचंद ने कहा, ‘‘यह तो वैसे भी न तो रोता था, न ही हिलताडुलता था. लोगों को क्या पता चलेगा? हां, शाम को कह देंगे कि भगवान ने माया समेट ली.’’

और फिर जैसे सुरना को समझाने के बहाने फूलचंद अपनेआप को भी समझाने लगा, ‘कोई हम ने तो भगवान से यह स्वरूप मांगा न था. यह तो उन्हीं की कृपा थी. शायद हमारी गरीबी ही दूर करने आए थे. आज दिन भर लोग और दर्शन कर लेंगे तो कुछ बुरा तो नहीं हो जाएगा.’

सुरना घुटनों पर माथा टेके सिसकती रही.

फूलचंद ने फिर समझाया, ‘‘देखो, अब ज्यादा दुख न करो. ज्यादा दिन तो इसे वैसे भी नहीं जीना था. और जी जाता तो क्या होता इस का. उठो, तैयार हो कर रोज की तरह बैठ जाओ. लोग आने ही वाले हैं.’’

सुरना बिना कुछ बोले तैयार होने के लिए उठ गई.

थोड़ी देर बाद ही वहां दर्शनार्थियों का तांता लगना शुरू हो गया और भेंट व प्रसाद के रूप में फूलों, मिठाइयों एवं सिक्कों के ढेर लगने लगे.

Body Detox के साथ डिजिटल डिटौक्स भी क्यों है जरूरी, यहां जानें

Body Detox : आज के डिजिटल युग में हमारा अधिकांश समय स्मार्टफोन, लैपटौप और अन्य इलैक्ट्रोनिक उपकरणों पर बीतता है. चाहे काम हो, सोशल मीडिया पर स्क्रौल करना हो या मनोरंजन के लिए वीडियो देखना, हम तकनीक से इतने जुड़े हुए हैं कि इस का असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है. इसलिए बौडी डिटौक्स के साथसाथ डिजिटल डिटौक्स भी बहुत जरूरी है. दोनों का संतुलन हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ और खुशहाल बनाए रखता है. इसलिए, आज ही बौडी डिटौक्स और डिजिटल डिटौक्स की प्रक्रिया को अपना कर अपने जीवन को बेहतर बनाएं.

डिजिटल डिटौक्स क्यों है जरूरी

डिजिटल डिटौक्स का मतलब है अपनेआप को थोड़े समय के लिए डिजिटल उपकरणों से दूर रखना ताकि हम मानसिक शांति पा सकें और अपने शरीर व दिमाग को आराम दे सकें. इस के कई फायदे हैं :

मानसिक शांति और ध्यान में सुधार : डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक उपयोग हमारे मस्तिष्क पर दबाव डालता है, जिस से एकाग्रता और मानसिक शांति में कमी आती है. डिजिटल डिटौक्स से ध्यान और फोकस बेहतर होता है और दिमाग को आराम मिलता है.

नींद में सुधार : अधिक देर तक मोबाइल या लैपटौप का उपयोग करने से नींद की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ता है. डिजिटल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन हारमोन को प्रभावित करती है, जो नींद के लिए जरूरी है. डिजिटल डिटौक्स से गहरी और अच्छी नींद प्राप्त होती है.

रिश्तों में सुधार : डिजिटल उपकरणों पर बहुत अधिक समय बिताने से व्यक्तिगत रिश्तों पर असर पड़ता है. परिवार और दोस्तों के साथ बिताए समय में जब हम अपने फोन से दूर होते हैं, तो रिश्ते मजबूत और खुशहाल होते हैं.

आंखों और शरीर के स्वास्थ्य को बनाए रखना : स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से आंखों में जलन, थकावट और शरीर में दर्द की समस्या हो सकती है. डिजिटल डिटौक्स से आंखों और शरीर को राहत मिलती है और स्वास्थ्य बेहतर होता है.

बौडी डिटौक्स और डिजिटल डिटौक्स में संतुलन कैसे बनाएं

हम बौडी डिटौक्स के लिए विभिन्न तरीके अपनाते हैं, जैसेकि हैल्दी डाइट, हाइड्रेशन, ऐक्सरसाइज और मैडिटेशन. इसी प्रकार डिजिटल डिटौक्स को भी हम अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं. यहां कुछ आसान तरीके दिए गए हैं जिन से आप बौडी डिटौक्स और डिजिटल डिटौक्स में संतुलन बना सकते हैं :

सोशल मीडिया का सीमित उपयोग : सोशल मीडिया का सीमित और निर्धारित समय पर उपयोग करें. कोशिश करें कि सोने से पहले 1-2 घंटे पहले सभी डिजिटल उपकरणों को बंद कर दें.

डिजिटल फास्टिंग : हफ्ते में एक दिन ‘डिजिटल फास्ट’ रखें, जिस में आप किसी भी तरह का डिजिटल उपकरण इस्तेमाल नहीं करेंगे. इसे अपने ‘डिजिटल औफलाइन डे’ के रूप में मनाएं और परिवार, दोस्तों या खुद के साथ समय बिताएं.

मैडिटेशन और ब्रीदिंग ऐक्सरसाइज : जैसे ही आप डिजिटल डिटौक्स करते हैं, ध्यान और ब्रीदिंग ऐक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या में शामिल करें. यह आप के मन और शरीर को रिलैक्स करता है और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है.

प्रकृति के संपर्क में रहें : डिजिटल डिटौक्स के समय प्रकृति के करीब रहें. सुबहसुबह टहलने जाएं, पार्क में बैठें या पेड़पौधों के बीच समय बिताएं. इस से न केवल मानसिक शांति मिलेगी, बल्कि बौडी डिटौक्स में भी मदद मिलेगी.

हैल्दी डाइट और हाइड्रेशन पर ध्यान दें : डिजिटल डिटौक्स के साथसाथ अपने शरीर को डिटौक्स करने के लिए हलकी, पौष्टिक और ताजा डाइट लें. नियमित रूप से पानी पिएं, जिस से शरीर से टौक्सिंस बाहर निकल सकें.

Pistachios : सेहत का खजाना है पिस्ता, आज ही डाइट में करें शामिल

Pistachios: हम में से कई लोग यह मानते हुए बड़े हुए हैं कि मेवा मोटापा बढ़ाने वाले होते हैं और इसे कम मात्रा में खाया जाना चाहिए. इस विश्वास के कारण नट्स को केवल कम मात्रा में या फैस्टिव रैसिपीज और स्वीट्स के पार्ट के रूप में खाने की हैबिट पैदा हुई.

निपा आशाराम हैल्थ ऐंड लाइफ कोच, फाउंडर ईट. ब्रीथ. स्माइल, इस मिथक को दूर करने के लिए कुछ खास बातें बता रही हैं :

न्यूट्रिशन पावरहाउस

पिस्ते को अकसर इंडियन स्वीट्स में सिर्फ एक गार्निश के रूप में देखा जाता है, जबकि यह वास्तव में एक न्यूट्रिशन पावरहाउस है. ये छोटेछोटे नट्स 30 से अधिक विटामिन, मिनरल्स और अन्य न्यूट्रिएंट्स से भरे हुए हैं जो न केवल डीलिशियस होते हैं बल्कि इस से भी महत्त्वपूर्ण रूप से न्यूट्रिएंट्स प्रदान करते हैं.

डाइट में पिस्ते को शामिल करना आप के न्यूट्रिशन को बढ़ावा देने का एक सरल तरीका है, जिस से यह आप के डैली न्यूट्रिशन में अवश्य शामिल हो जाता है.

न्यूट्रिशन संबंधी सोने की खान कैलिफोर्निया पिस्ता, ऐसेंशियल न्यूट्रिऐंट्स का रिच सोर्स है जिस में शामिल हैं :

प्रोटीन : पौधे आधारित संपूर्ण प्रोटीन का एक उच्च स्रोत, जिस में सभी 9 आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं. प्रोटीन एक मैक्रोन्यूट्रिएंट है जिसे कई शाकाहारियों को पौधे आधारित आहार पर पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, पिस्ता उस अंतर को भरने में मदद कर सकता है.

फाइबर : पिस्ता फाइबर का अच्छा स्रोत है. फाइबर विभिन्न न्यूट्रिशन लाभ प्रदान करता है और प्रोटीन और फैट के साथ मिल कर आप को लंबे समय तक संतुष्ट रख सकता है.

हैल्दी फैट : पिस्ता मोनोअनसैचुरेटेड और पौलीअनसेचुरेटेड फैट है जो आप के लिए बेहतर माने जाते हैं और ये प्राकृतिक रूप से कोलेस्ट्रौल मुक्त भी होते हैं.

ऐंटीऔक्सीडेंट : पिस्ता में ऐंटीऔक्सीडेंट ग्रीन, रैड और पर्पल कलर पाए जाते हैं. ऐंटीऔक्सिडेंट बौडी में फ्री रैडिकल्स से लड़ने में मदद कर सकते हैं.

विटामिन और मिनरल्स : पिस्ता में विटामिन बी 6, पोटैशियम और मैग्नीशियम सहित कई विटामिन और मिनरल्स होते हैं.

न्यूट्रीशस ब्रेकफास्ट : पोषक तत्त्वों से भरपूर नाश्ता है. पिस्ता आप को अपने दिन को ऊर्जावान बनाने के लिए ऊर्जा देता है. ये पोषक तत्त्वों से भरपूर नाश्ता है.

अधिक न्यूट्रिएंट्स का दावा : अन्य नट्स की तुलना में आप को प्रति सर्विंग में अधिक पिस्ता मिलता है.23 बादाम या 18 काजू की तुलना में लगभग 49 पिस्ता. यह सही है कि पिस्ता प्रति सेवारत दोगुने से अधिक मेवा प्रदान करता है और 30 से अधिक न्यूट्रिऐंट्स का दावा करता है.

कोई भी लगभग 100 कैलोरी के लिए लगभग 30 कैलिफोर्निया पिस्ता का आनंद ले सकता है, जिस से यह एक डैलिशियस ब्रेकफास्ट बन जाता है जो (crispness) क्रिस्प्नेस, स्पाइस और न्यूट्रिशन प्रदान करता है.

हैल्दी इंडियन डाइट : प्रत्येक 28 ग्राम कैलिफोर्निया पिस्ता में उच्च गुणवत्ता वाले 6 ग्राम प्रोटीन (यह एक संपूर्ण प्रोटीन है जिस में सभी 9 आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं) और 3 ग्राम फाइबर मिलता है, जो इसे एक हैल्दी इंडियन डाइट में शामिल करना आवश्यक बनाता है.

तो, अगली बार जब कोई आप से नट्स तक पहुंचने से रोकने के लिए कहे क्योंकि वे आपको मोटा बना देंगे, तो उन्हें शक्तिशाली पिस्ते की ओर इंगित करें. स्मौल, टेस्टी और न्यूट्रीशंस से भरपूर जो एक स्मार्ट स्नैकिंग औप्शन बनते हैं. इंडियन वैजिटेबल डाइट में पिस्ता आप के डेली न्यूट्रिशन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए महत्त्वपूर्ण है.

क्या है Funky Makeup, इसे फौलो करने के लिए ऐक्सपर्ट ने दिए ये टिप्स

Funky makeup :  फंकी मेकअप आज के दौर का सब से बड़ा ट्रैंड बन चुका है. इस की खासीयत है इस के बोल्ड और अनोखे रंग, टैक्स्चर्स और स्टाइल्स जो आप के चेहरे को एक दमदार और अलग पहचान देते हैं. फैशन की दुनिया में फंकी मेकअप ने मेकअप को एक आर्ट की तरह पेश किया है जो आप को अपनी पर्सनैलिटी को ऐक्सप्रैस करने का बेहतरीन मौका देता है.

फंकी मेकअप का मतलब है अपने लुक के साथ कुछ ऐसा करना जो पारंपरिक मेकअप से अलग हो. इस में बोल्ड और ब्राइट रंगों का इस्तेमाल किया जाता है, साथ ही असामान्य डिजाइन और टैक्स्चर को फोकस किया जाता है. इस मेकअप स्टाइल में आप अपनी क्रिएटिविटी को पूरी तरह से उभार सकते हैं, चाहे वह रंगों का बेहतरीन कौंबिनेशन हो या फिर अलगअलग टैक्स्चर का उपयोग.

फंकी मेकअप में नियौन, मैटेलिक और फ्लोरेसैंट रंगों का उपयोग मुख्य रूप से किया जाता है. इस से चेहरा और भी आकर्षक और चमकदार दिखता है ग्लिटर, मैट और शाइनी टैक्स्चर का मिश्रण इस में बेहद खास माना जाता है. आप की आंखों, होंठों और गालों पर इन का अलगअलग तरीके से इस्तेमाल आप को एक बिलकुल नया लुक देता है.

फंकी मेकअप में ग्राफिक लाइनर्स, डौट्स, और फ्रीहैंड डिजाइन भी शामिल होती हैं. ये आप के चेहरे को एक कैनवस की तरह बदल देती हैं, जिस पर आप अपने मूड और स्टाइल के अनुसार कुछ भी क्रिएट कर सकती हैं.

आंखों को बोल्ड दिखाने के लिए अलगअलग रंगों के लाइनर्स और मसकारा का इस्तेमाल किया जाता है. आप रंगीन आईलैशेज या फिर फ्लैशी ग्लिटर के साथ अपने आई मेकअप को और भी खास बना सकती हैं.

आंखों पर फोकस करें

फंकी मेकअप में आंखें सब से ज्यादा अट्रैक्शन का हिस्सा होती हैं. आप मैटेलिक आईशैडो या ग्लिटर का उपयोग कर सकती हैं. इस के साथ ही डबल या ट्रिपल लाइनर ट्रैंड भी बहुत पौपुलर हो रहा है.

ब्राइट कलर की लिपस्टिक जैसे औरेंज, फुशिया या पर्पल आप के लुक को और भी अनोखा बना सकती है. इस के अलावा आप औंब्रे लुक भी ट्राई कर सकती हैं, जहां 2 या 3 रंगों का मिक्स्चर होता है.

फंकी मेकअप में ब्लश और हाइलाइटर का सही उपयोग आप के चेहरे को और भी डिफाइन कर सकता है. हाइलाइटर का उपयोग करने से आप के चेहरे की हड्डियों को एक शार्प और चमकदार लुक मिलता है.

नियौन आईलाइनर्स: यह लुक आंखों को सब से अलग और चमकदार दिखाता है. आप इसे मिनिमल मेकअप के साथ भी ट्राई कर सकती हैं.

रंगीन आईलैशेज: रंगीन मसकारा या नकली आईलैशेज आप के लुक को और भी खास बना देती हैं.

ग्लिटर लिप्स: लिपस्टिक के ऊपर ग्लिटर लगा कर आप अपने होंठों को एक शानदार लुक दे सकती हैं.

फंकी मेकअप के लिए कुछ प्रेरणा

अगर आप फंकी मेकअप ट्राई करने का सोच रही हैं तो आप विभिन्न फैशन शो, म्यूजिक फैस्टिवल्स और सोशल मीडिया से प्रेरणा ले सकती हैं.

फंकी मेकअप के लिए टिप्स

  1. मेकअप शुरू करने से पहले चेहरे को अच्छे से साफ और मौइस्चराइज करें.
  2. सही प्राइमर का इस्तेमाल करें ताकि मेकअप लंबे समय तक टिका रहे.
  3. अपनी स्किन टोन के हिसाब से बेस मेकअप चुनें ताकि बाकी मेकअप आसानी से ब्लैंड हो सके.
  4. प्रयोग करने से डरें नहीं क्योंकि फंकी मेकअप में खुद को ऐक्सप्रैस करना सब से जरूरी है.
  5. फंकी मेकअप एक नया और ताजगी भरा तरीका है जिस से आप खुद को अलग और यूनीक दिखा सकती हैं.
  6. अगर आप ऐक्सपैरिमैंट्स करने से नहीं डरतीं और फैशन को एक नए अंदाज में देखना चाहती हैं तो फंकी मेकअप आप के लिए परफैक्ट चौइस है. अपने अंदर की क्रिएटिविटी को उभारें और दुनिया को दिखाएं एक अलग और बोल्ड अंदाज.

Noodles Recipe : नूडल्स को इस तरह बनाएं और भी स्वादिष्ट, खाने वाले पूछेंगे टिप्स

Noodles Recipe : नूडल्स को बच्चों से लेकर बड़े तक चाव से खाते हैं. आप सिंपल नूडल्स में नट या टमाटर या लेमन जेस्ट (नींबू का रस या उसका छिल्का) डालकर उसका स्वाद बढ़ा सकती हैं और गार्निश कर सकती हैं. इन सुझावों को अपनाकर आप नूडल्स को और भी स्वादिष्ट बना सकती हैं.

– लेमन ग्रास, काफिर लाइम की पत्तियां और लेमन जेस्ट नूडल्स का स्वाद बढ़ा सकते हैं.

– नूडल्स में मूंगफली के दाने या बादाम के टुकड़े डालें, जो स्वाद बढ़ाने के साथ ही इसे अच्छा गार्निश लुक भी देगा.

– सब्जियां भी नूडल्स का स्वाद बढ़ा सकती हैं. टमाटर की चटनी से भी स्वाद बढ़ाया जा सकता है, ताजे टमाटर को पीस कर, उसमें एक चुटकी काली मिर्च, स्वादनुसार नमक और एक छोटी चम्मच सोया सौस और विनेगर (सिरका) मिला लें और इसे जिस पानी में नूडल्स उबल रहा हो, उसमें मिला लें. आपको खाने में नूडल्स बहुत टेस्टी लगेगा.

नूडल्स जब आधे पक जाएं, आप चाहें तो इसमें बीन्स, ब्रौकली, मटर और गाजर भी छोटे आकार में काटकर डाल सकती हैं और पूरा पकने तक इसे चलाते रहें.

हल्के भुने हुए तिल का एक बड़ा चम्मच और छिलका उतरी हल्की भुनी मूंगफली के दानों को दरदरा कर लें, फिर एक छोटे प्याज को छोटे-छोटे चौकोर टुकड़े में काट लें. हरी मिर्च को दो भागों में काटकर उनका बीज निकाल लें और थोड़ा हरा धनिया का पत्ता काट लें.

आधी सामग्री को नूडल्स में मिला लें और बाकी बची सामग्री को नूडल्स परोसते समय उसके ऊपर बुरक कर गार्निश कर दें, इससे नूडल्स देखने में भी सुंदर लगेंगे और टेस्टी भी लगेगा.

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