बदल रहा मां का लाड़ला, आखिर क्या है इस की वजह

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पहले अधिकतर और अब भी कहींकहीं हमारे समाज में मांएं बेटों से घर में कोई काम नहीं करवातीं हैं. यह एक अतिरिक्त स्नेह होता है, जिसे वे बेटियों से चुरा कर बेटों पर लुटाती हैं. पर सच पूछा जाए तो ऐसी मानसिकता उन्हें अपने बेटों का सब से बड़ा दुश्मन ही बनाती है. एक ओर तो वे बेटियों को आत्मनिर्भरता का पाठ सिखा एक ऐसी शख्शीयत के रूप में तैयार करती हैं, जो हर परिस्थिति में सैट हो जाती हैं, अपने छोटेमोटे काम निबटा लेती हैं, तो वहीं दूसरी ओर उन के  लाड़ले के हाथपांव फूलने लगते हैं जब उस की बीवी मायके जाती है, क्योंकि उसे खाना बनाना तो दूर खुद निकाल कर खाना भी शायद ही आता हो. ऐसी मांएं अपने बेटों की दुश्मन ही हुईं न?

अतिरिक्त बोझ नहीं

सौम्या और शुभम दोनों कामकाजी हैं. घर में शुभम के वृद्घ पिता और 1 बेटा भी है, परंतु उन के घरेलू कार्य आसानी से संपन्न होते हैं, क्योंकि दोनों सारे काम मिल कर करते हैं और घर को सुव्यवस्थित रखते हैं. शुभम को जरा भी परेशानी नहीं होती है जब कभी सौम्या टूअर पर या मायके गई होती है. नतीजा यह है कि दोनों ही अपने कार्यस्थल पर अच्छा परफौर्म कर रहे हैं. औरत होने के नाते सौम्या पर कोई अतिरिक्त बोझ भी नहीं है.

सौम्या का कहना है कि हम रसोई में बतियाते हुए सारे काम निबटा लेते हैं. वहीं शुभम ने बताया कि उस ने अपनी कामकाजी मां को हमेशा दोहरी जिम्मेदारियों के बीच पिसते देखा था, इसलिए वह नहीं चाहता है कि उस की पत्नी भी वैसे ही रहे.

शादी के बाद पत्नी पर निर्भर

हर्षित हमेशा मां का लाड़ला रहा था. जहां उस की छोटी बहन दौड़दौड़ कर उस की छोटीमोटी जरूरतों तक को पूरा करती वहीं उस की मां ने अपने लाड़ले को कभी बना हुआ खाना भी खुद निकाल कर खाने नहीं दिया. नतीजा उस के पहली बार होस्टल जाने पर दिखने लगा था जब वह अपना बिस्तर तक ठीक नहीं कर पाता था. कपड़े धोना और कमरे की सफाई करना तो दूर की बात थी. किसी तरह रोधो कर उस के पढ़ाई के दिन गुजरे.

शादी के बाद वह हर काम के लिए अपनी पत्नी पर निर्भर रहने लगा. कभी उस की पत्नी को कहीं जाना होता तो उस की हालत खराब हो जाती.

वक्त के साथ सामाजिक ढांचे में भी बदलाव आ रहा है तो सोच का परिवर्तनशील होना भी लाजिम है. मांएं जब खुद नौकरीपेशा होती हैं तो बच्चों को चाहे बेटा हो या बेटी आत्मनिर्भर होना ही पड़ता है. मांएं अब बेटों को भी होस्टल भेजने से पूर्व इतना सक्षम बना देती हैं कि वे अपने रोजमर्रा के कार्य खुद कर सकें. बेटियों के साथ बेटों को भी रसोई के कार्यों से परिचित कराती हैं.

बदलनी होगी सोच

घरेलू कार्य सिर्फ महिलाओं की ही जिम्मेदारी हैं, ऐसी सोच के साथ वयस्क हुए लड़के होस्टल, नौकरी और शादी के बाद घर के कामों में बराबरी से हिस्सेदारी बंटा समझदारी का परिचय देते हैं. आज जब दोनों कामकाजी होते हैं, तो और भी जरूरी है कि मिल कर काम निबटाया जाए. इस से आपसी प्यार और सामंजस्य की भावना बलवती होती है.

एक मजे से टीवी देखता रहे और दूसरा रसोई, बच्चों में ही अकेला जूझता रहे तो रिश्तों में असंतुलन और असंतुष्टि ही बढ़ेगी. परंतु अब पढ़ाई और नौकरी के लिए घर से दूर जाने वाले बेटों को भी माएं खाना बनाने और घरेलू बातों के टिप्स देती रहती हैं. नतीजतन बाद में वे मालिक की जगह एक मित्र की तरह अपनी पत्नी से रिश्ता रखते हैं. वे दिन हवा हो रहे हैं जब महिलाएं घर से बाहर काम करने नहीं जाती थीं. तो मांओं के लाड़लों को भी अब बदलना ही होगा और खुशी की बात है कि वे बदल भी रहे हैं.

चुगली : यह मजा न बन जाए सजा, आप हो सकती हैं शर्मिंदा

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आज वनिता सोसाइटी के प्रांगण में बड़ी गहमागहमी थी. मिसेज वर्मा की तेज आवाजें सब के कानों को चीर रही थीं, ‘‘किस ने कहा कि मेरे बेटेबहू का तलाक होने वाला है? तलाक हो मेरे दुश्मनों का. पता नहीं लोग कहां से बातें बना कर ले आते हैं. पहले अपने घर में झांक कर देखो तब दूसरों के बारे में बात करना. जो कहना है मेरे सामने कहो. पीछे बातें करने से क्या लाभ.’’

सब को सुना कर मिसेज वर्मा तो बड़बड़ाती हुई अपने घर चली गईं, परंतु सोसाइटी की अन्य महिलाओं को बातें बनाने का बहुत बड़ा मसाला दे गईं.

‘‘हम ने तो सुना था… पर यार परसों ही तो हम बात कर रहे थे. किस ने बता दिया जा कर वर्मा को… कल रात को भी तो मिसेज वर्मा और उन के बेटेबहू की जोरजोर से चिल्लाने की आवाजें आ रही थी. उन के घर की तो यह रोज की कहानी है. कभी सास के रोने की आवाजें आती हैं तो कभी बहू की. मिसेज वर्मा बहू की बुराई करती हैं तो उन की बहू अपनी सास की. कोई किसी से कम नहीं है,’’ सभी पड़ोसिनें मिसेज वर्मा के बारे में अपनेअपने कयास लगा रही थीं. आश्चर्य की बात यह है कि इस के तीसरे दिन ही उन्हीं में से कुछ महिलाएं मिसेज वर्मा के पास बैठ कर हंसहंस कर बातें करते हुए चायनाश्ता भी कर रही थीं.

वीणा और उस की पड़ोसिन रश्मि के परिवार के बीच घनिष्ठ संबंध थे. दोनों आपस में घरपरिवार की प्रत्येक बात शेयर करती थीं. एक दिन रश्मि को अपनी ही एक पड़ोसिन से वे बातें पता चलीं जो उस ने केवल वीणा के साथ ही शेयर की थीं. रश्मि को ये सब जान कर बहुत दुख हुआ कि जिस सखी पर उस ने भरोसा कर के अपनी अंतरंग बातें तक साझा कर दीं, उस ने ही उस के साथ ऐसा व्यवहार किया. धीरेधीरे रश्मि ने वीणा के परिवार से दूरी बना ली. वीणा की जरा सी नासमझी के कारण दोनों परिवारों के बरसों के बनेबनाए संबंध खराब हो गए.

दरअसल, जिस सहेली को वीणा ने रश्मि के बारे में बताया था उस ने ही रश्मि को फोन कर के समस्त वार्त्तालाप जस का तस सुना दिया.

अर्चना जब अपने नए घर में शिफ्ट हुई तो उस की एक पड़ोसिन ने दूसरी के बारे में सचेत करते हुए कहा, ‘‘अपनी बगल वाली से जरा होशियार रहना. बड़ी तेज है.’’

अर्चना बोली, ‘‘अच्छा वे जो गाउन पहने रहती हैं और ग्रामीण परिवेश से हैं.’’

अर्चना के द्वारा सामान्य शब्दों में कही गई यह बात और अधिक नमकमिर्च लगा कर उस की पड़ोसिन के पास कब और कैसे पहुंच गई उसे पता ही नहीं चला. काफी समय बाद जब एक दिन बातों ही बातों में उस ने अपनी उस पड़ोसिन को अपने घर आमंत्रित किया तो वह बोली, ‘‘न रे बाबा न हम गांव के बेअक्ल लोगों को आप अपने घर न बुलाएं तो ही अच्छा है.’’

पड़ोसिन की बातें सुन कर अर्चना को तो कोई जवाब ही नहीं सूझा. दरअसल, एकदूसरे की चुगली करने के लिए महिलाएं बदनाम हैं. कहावत है कि महिलाएं अपने पेट में बात पचा ही नहीं पातीं. उन्हें अपने से अधिक दूसरे के घर में क्या हो रहा है इस की चिंता रहती है. एकदूसरे की चुगली करते कब घंटों बीत जाते हैं उन्हें पता ही नहीं चलता.

निंदा रस का मजा

हरिशंकर परसाईजी ने आज से बरसों पूर्व निंदा रस के बारे में लिखा था कि यह एक ऐसा रस है जिस का रसपान करने में महिलाओं को सर्वाधिक मजा आता है पर दुनिया गोल है के सिद्धांत की ही भांति 4 महिलाओं के द्वारा 5वीं के बारे में की हुई चुगली एक से दूसरी तक होते हुए कब 5वीं तक वृहदस्वरूप में पहुंच जाती है यह चुगली करने वाली तक को भी पता नहीं चलता और इस का नतीजा कई बार बड़े ही भयावह रूप में सामने आता है.

अस्मि की नई पड़ोसिन जब आई तो सर्दियों के दिनों में अकसर अस्मि उसे चाय पर बुला लेती. अगलबगल के फ्लैटों की महिलाएं भी आ जातीं. चाय के साथ पड़ोस की कुछ चर्चा होना तो स्वाभाविक सी बात थी. उधर अस्मि की नई पड़ोसिन अन्य पड़ोसिनों के घर जा कर वहां की गई बातों को नमकमिर्च लगा कर दूसरों को बताती, जिस में वह स्वयं को तो साफ बचा लेती और बाकियों को फंसा देती.

यद्यपि इस प्रकार की चुगली में कामकाजी महिलाएं समय की कमी के कारण कम ही शामिल हो पाती हैं, परंतु घर का काम समाप्त कर के पासपड़ोस के हर घर के बारे में बातें करना आमतौर पर महिलाओं की आदत में शुमार होता है. इस का कारण है उन की सोच के दायरे का बेहद सीमित होना और व्यर्थ की बातें करने के लिए भरपूर समय होना. कई बार जानेअनजाने में दूसरे के बारे में हमारे द्वारा कही गई बात जब हमारे ही सामने आती है तो काफी शर्मनाक स्थिति हो जाती है और अपनी स्थिति साफ करने के लिए आप को बारबार अपना स्पष्टीकरण देना पड़ता है, इसलिए जहां तक हो इन सब से यथासंभव बचने का प्रयास करना चाहिए.

पहले तोलें फिर बोलें

यह सही है कि निंदा रस में बड़ा मजा आता है, परंतु यह निंदा रस आप के अंदर तो नकारात्मकता भरता ही है, कई बार दूसरों के सामने भी आप की स्थिति को खराब कर देता है. कहा जाता है कि दीवारों के भी कान होते हैं, इसलिए आज आप के द्वारा दूसरों के बारे में कही गई बात कभी न कभी सामने वाले के पास पहुंच ही जाएगी. ऐसे में आप के संबंध बिगड़ते देर नहीं लगेगी.

अपने पड़ोसियों से सदैव एकजैसा व्यवहार रखें, न स्वयं किसी दूसरे के व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानने की जिज्ञासा रखें और न ही दूसरों को अपने बारे में व्यर्थ की जानकारी दें. आप के जीवन या परिवार से जुड़ी कोई समस्या यदि आप के जीवन में है तो उसे पड़ोसियों के बीच में न गाएं, क्योंकि वे आप की समस्या का कोई समाधान तो दे नहीं सकते, फिर उन के सामने गाना गाने से क्या लाभ. समस्या सदैव उसे बताएं जो आप की समस्या का समाधान कर सके.

हैल्दी बाइट्स

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ड्राई फ्रूट पोटली

सामग्री

  • 1 कप मैदा • 11/2 बड़े चम्मच घी • 1/2 कप शुगर फ्री नैचुरा पाउडर • 1/4 कप नारियल का पाउडर • 8-10 काजू • 8-10 बादाम • 8-10 किशमिश.

विधि

काजू व बादाम को मिक्सी में दरदरा पीस लें. एक बाउल में शुगर फ्री नैचुरा पाउडर, नारियल पाउडर, बादाम, काजू व किशमिश मिला लें. मैदे को छान कर घी मिला लें. फिर कम पानी से गूंध लें. गुंधे आटे के एकसमान छोटेछोटे पेड़े बना कर पतला बेल लें. फिर शुगर फ्री नैचुरा पाउडर व मेवे का मिश्रण भर पोटली की तरह बंद कर 180 डिग्री पर ओवन में 8-10 मिनट बेक करें.

फ्राइड आमंड पेस्ट्री

सामग्री

  • 1 कप मैदा • 11/2 छोटे चम्मच घी • 1/2 कप बादाम का पेस्ट • 2 बड़े चम्मच शुगर फ्री नैचुरा पाउडर • तलने के लिए पर्याप्त तेल.

विधि

मैदे में घी डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. फिर कम पानी से गूंध कर छोटे पेड़े बनाएं. पतली स्ट्रिप्स बेल लें. चौकोर काट कर बीच में बादाम का पेस्ट शुगर फ्री नैचुरा पाउडर मिला कर भरें. पानी लगा कर परत सील करें व गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें. गरमगरम परोसें.

मूली, मटर के कबाब

सामग्री

  • 1 कप मूली कसी • 1/2 कप मटर उबले
  • 1-2 हरीमिर्चें कटी • 1 छोटा चम्मच कालीमिर्च
  • 1 कप चावल का आटा • 1 बड़ा चम्मच तेल
  • 2 बड़े चम्मच न्यूट्रालाइट गार्लिक ऐंड औरिगैनो स्पै्रड • 1/2 कप नारियल ताजा कसा • 1 बड़ा चम्मच तिल • 11/2 कप पानी • तेल सैलो फ्राई करने के लिए • नमक स्वादानुसार.

विधि

एक पैन में पानी गरम करें. इस में नारियल, तेल व नमक डाल कर एक उबाल आने तक पकाएं. आंच बंद कर दें. इस में चावल का आटा डाल कर अच्छी तरह हिलाएं. यह गुंधे आटे जैसा होना चाहिए. इस में मूली, उबले मटर, हरीमिर्च, कालीमिर्च, न्यूट्रालाइट गार्लिक ऐंड औरिगैनो स्पै्रड और तिल डाल कर अच्छी तरह गूंध लें. छोटीछोटी लोइयां बनाएं. कटलेट की शेप दें. नौनस्टिक पैन में धीमी आंच पर सुनहरा होने तक सेक  लें. स्वादिष्ठ कबाब तैयार हैं.

स्पाइसी पिनव्हील

सामग्री

  • 1/2 कप मटर उबले • 1/4 कप गाजर के लच्छे • 1/4 कप ब्रोकली • 1 आलू उबला
  • 1 हरा प्याज • 1 बंदगोभी • 1/2 कप ब्रैडक्रंब्स
  • 1/2 कप चावल का आटा • 1/2 बड़ा चम्मच हौट ऐंड सौर सौस • 1 बड़ा चम्मच टोमैटो प्यूरी
  • 1/2 छोटा चम्मच लहसुन पेस्ट • 8-10 चीज स्लाइस • 1 बड़ा चम्मच न्यूट्रालाइट गार्लिक ऐंड औरिगैनो स्पै्रड • तेल तलने के लिए
  • नमक स्वादानुसार.

विधि

बंदगोभी की जड़ वाला हिस्सा काट कर उसे 1/2 कप पानी के साथ कुकर में 2 सीटियां आने तक पका लें. ठंडा कर के उस के बड़ेबड़े पत्ते अलग कर लें. एक पैन में न्यूट्रालाइट गार्लिक ऐंड औरिगैनो स्पै्रड गरम करें. सारी सब्जियां मिला कर अच्छी तरह पकाएं. सारी सौस व नमक मिला दें. चावल के आटे का पतला घोल बना लें. एक ट्रे में बंदगोभी का एक पत्ता रखें. उस पर चीज स्लाइस रखें. तैयार सब्जी 1 चम्मच भर का उस पर फैला दें. पत्ते को चारों ओर से मोड़ते हुए टाइट रोल बना लें. ऐसे ही सारे रोल तैयार कर लें. इन रोल्स को फौयल में अच्छी तरह बांध कर कुछ घंटों के लिए फ्रिज में रख दें. एक कड़ाही में तेल गरम करें. रोल्स को फौयल से निकाल कर चाकू से छोटे गोल टुकड़ों में काट लें. प्रत्येक टुकड़े को चावल के घोल में डुबो कर ब्रैडक्रंब्स में लपेट सुनहरा होने तक तल लें.

– व्यंजन सहयोग : लतिका बत्रा, अनुपमा गुप्ता  

बिग बी आखिर क्यों खोलते थे स्टूडियो का गेट

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महानायक कहे जाने वाले सुपरस्टार अमिताभ बच्चन एक बेहतरीन एक्टर होने के साथ साथ एक अच्छे इंसान भी है. सभी जानते हैं अमिताभ बच्चन को बी टाउन में नाम कमाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी है और वो आज भी उसी जज्बे के साथ अपना काम करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं बिग बी की लाइफ में एक वक्त ऐसा भी था जब वो खुद फिल्मिस्तान स्टूडियो के गेट खोलते थे. नहीं जानते तो कोई बात नहीं चलिए आज हम बताते हैं आखिर क्या थी इसके पीछे की असली वजह.

एक्टिंग के मामले में तो अमिताभ बच्चन का कोई जवाब ही नहीं है. लेकिन समय पर आने के मामले में भी बिग बी बाकी स्टार्स से बहुत आगे हैं. जहां बाकी स्टार्स फिल्म के सेट पर देर आते हैं. वहीं अमिताभ बच्चन ऐसे स्टार हैं जो समय से पहले सेट पर पहुंच जाते हैं. यहां तक की कई बार अमिताभ गार्ड से भी पहले स्टूडियो पहुंच जाते हैं. जी हां, एक अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट के मुताबिक अमिताभ बच्चन अक्सर गार्ड से पहले स्टूडियो पहुंचते थे, तब वो खुद ही स्टूडियो के गेट खोलते थे.

दरअसल यह वाकया फिल्मिस्तान स्टूडियो का है, अमिताभ यहां उस समय तक पहुंच जाते थे जब तक वहां क्रू का कोई मेंबर भी नहीं पहुंचता था. ऐसे ही मौकों पर बताया जाता है कि वो फिल्मिस्तान स्‍टूडियो का गेट भी खुद ही खोलते थे, क्‍योंकि तब तक उसे खोलने वाला गार्ड भी नहीं पहुचा होता था.

खैर, बिग बी जानते हैं कि कोई छोटा काम करने से इंसान छोटा नहीं हो जाता, तभी तो वो खुद ऐसे काम कर देते हैं और इसीलिए दुनियाभर में उनके फैन हैं.

बौलीवुड की इन फिल्मों को देखने से पहले एक बार जरूर सोचें

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बौलीवुड में हर साल हजारों छोटे-बड़े बजट की फिल्में बनाई जाती हैं जो हर शुक्रवार रिलीज होती है. इन फिल्मों में तो कुछ अच्छी बनती हैं तो कुछ ऐसी बनती हैं, जिन्हें देख दिमाग खराब हो जाता है. ऐसी फिल्में शुरू से आखिरी तक समझ ही नहीं आती.

तो हम बताते हैं आपको उन फिल्मों के बारे में जिन्हें देखने से पहले दिमाग को साइड में रखना ही बेहतर रहेगा.

दीया और तूफान

यह फिल्म 1995 में आई थी. इसमें मिथुन चक्रवर्ती, कादर खान आदि एक्टर थे. फिल्म की कहानी बेहद अटपटी सी थी. इसमें वो सब हो रहा था, जिसकी कल्पना करना थोड़ा मुश्किल था. दरअसल, डायरेक्टर साहब हीरो के दिमाग को किसी दूसरे व्यक्ति के साथ बदल देते हैं. इसके बाद जो होता है, उसकी कल्पना आप भी नहीं कर सकती.

एमएसजी

अगर आप बाबा के भक्‍त हैं तो अच्‍छी बात है. लेकिन अगर आप मनोरंजन के नाम पर ये फिल्‍म देखने जा रहे हैं तो थोड़ा ठहर जाएं. नाम शौर्ट है पर फिल्म बहुत बड़ी है. देखते-देखते आप सोचने लगेंगी आखिर ये खत्म कब होगी. फिल्म में एक ही चेहरा बार-बार सामने आएगा. गन, कौस्ट्यूम और बाकी चीजे इतनी तड़कती-भड़कती हैं कि आंखें यही कहती हैं इस पिक्चर को बंद करो! साल 2015 में आई इस फिल्म को बनाने वाले गुरमीत राम रहीम सिंह हैं.

देशद्रोही

इसका नाम अपने आप में फिल्म देखने की ललक पैदा कर सकता है. लेकिन हीरो का नाम जानने के बाद आप यह फिल्म देखना पसंद नहीं करेंगी. 2008 में आई इस फिल्म में कमाल रशिद खान ने लीड रोल निभाया था.

जोकर

इस फिल्म को देखकर दिल गवाही दे देता है कि आखिर देखी तो क्यों देखी. फिल्म में अक्षय कुमार हैं, श्रेयस तलपड़े, संजय मिश्रा और भी कई एक्टर हैं. फिल्म में चाहे जितने बेहतरीन एक्टर हों, जबतक कहानी और डायलाग अच्छे नहीं होंगे. तब तक कुछ नहीं हो सकता.

कर्ज

इस फिल्म के साथ ही सिंगर हिमेश रेशमिया एक्टर बनकर पर्दे पर आए. लोगों ने उन्हें तीन घंटे एक्टिंग करते हुए बस देख लिया. यह फिल्म 2008 में आई थी.

हमशक्ल

इस फिल्म के बिना यह लिस्ट अधूरी है. फिल्म बनाने वाले साजिद खान है. उन्होंने सभी हदें पार करते हुए एक ऐसी फिल्म बनाई जिसने हिंदी सिनेमा के काले अध्याय में अपना नाम दर्ज कर लिया है. 2014 में आई यह फिल्म एक उदाहरण है इस बात का कि बौलीवुड हद बेकार फिल्में भी बना सकता है.

हिम्मतवाला

साल 2013 रिलीज हुई फिल्म ‘हिम्मतवाला’ को देखने के लिए सही में हिम्मत चाहिए. इस फिल्म को साजिद खान ने बनाया था. अजय देवगन लीड रोल में थे.

राम गोपाल वर्मा की आग

‘रंगीला’ जैसी शानदार फिल्म बनाने वाले राम गोपाल वर्मा उर्फ रामू ने इस फिल्म के जरिए लोगों के जिगर में आग लगाने का काम किया. फिल्म में इतनी आग थी कि इसे तीन घंटे तक देखना अंसभव था.

तीस मार खान

‘शीला की जवानी’ गाना अगर फिल्म में ना होता, तो इसका जिक्र यहां भी ना आना था. वो तो कटरीना कैफ के इसी गाने ने दर्शकों को सिनेमा हौल में अटकाए रखा. नहीं तो पिक्चर देखने कौन जाता. ये फिल्म 2010 में आई थी.

लव स्टोरी 2050

हरमन बवेजा और प्रियंका चोपड़ा की जोड़ी ने दर्शकों का खूब एंटरटेनमेंट किया. दरअसल, फिल्म खत्म हो गई पर लोग सोचते रह गए आखिर इसकी कहानी क्या थी. एक अलग लेवल की फिल्म थी. मतलब 2050 की कहानी, 2008 में कैसे समझ आ सकती थी.

फिल्म रिव्यू : परी

फिल्म की टैग लाइन बताती है कि यह परी लोक की कथा नहीं है. मगर फिल्म की टैग लाइन यह नहीं कहती कि इस फिल्म को देखने के लिए समय व पैसा बर्बाद न करें. सुपरनेच्युरल पौवर वाली हौरर फिल्म में शुरू से अंत तक जंगल, रात का अंधेरा, खून, शैतान, गंदगी, जंजीरो में बंधी औरतों के अलावा कुछ नहीं है. कहानी के नाम पर पूरी फिल्म शून्य हैं. फिल्मकार ने जबरन डरावनी आवाजें डालने की कोशिश की है, मगर दर्शक डरने की बजाय हंसता है.

फिल्म की कहानी शुरू होती है कोलकाता से, जहां अरनब (परमब्रता चटर्जी) शादी के लिए पियाली को  देखने जाता है. पियाली (रिताभरी चक्रवर्ती) डाक्टरी की पढ़ाई पूरी कर इंटर्नशिप कर रही है. वापसी में वह अपने माता पिता से कह देता है कि उसे लड़की पसंद है. तभी कार के सामने एक बूढ़ी औरत आ जाती है और उसकी मौत हो जाती है. पता चलता है कि वह रुखसाना (अनुष्का शर्मा) की मां है, जिसे उसकी मां जंगलों के बीच में एक झोपड़े के अंदर लोहे की जंजीर से बांधकर रखती है. रुखसाना की मां की अंतिम क्रिया में रुखसाना की अरनब मदद करता है. उसके बाद वह रुखसाना को उसके घर पर छोड़ देता है. पता चलता है कि अस्पताल का एक कर्मचारी उस बुढ़िया के शरीर पर निशान देखकर प्रोफेसर (रजत कपूर)को खबर करता है. फिर प्रोफेसर अपने कुछ आदमियों के साथ रुखसाना को मारने पहुंचता है, पर रुखसाना वहां से भागकर अरनब के घर पहुंच जाती है.

अरनब उसे अपने घर में कुछ समय रहने के लिए कह देता है. अरनब, रुखसाना के व्यवहार से अचंभित है. पर धीरे धीरे दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं. प्रोफेसर, अरनब को समझाता है कि रुखसना औलाद चक्र की अंतिम शैतान है. वह इफीरात /बुरी आत्मा की बेटी है, जो कि अपनी नस्ल को आगे बढ़ाना चाहती है. यह उससे प्यार करेगी, एक माह के अंदर ही बच्चे को जन्म देगी और अरनब को खत्म कर देगी. यह शैतान है, मगर इंसान की तरह रहते हैं. इनके अंदर जहर होता है. यह गुस्से में अपना जहर दूसरे इंसान को काटकर उगलते हैं. यदि ऐसा न करें, तो यह खुद अपने जहर से मर जाएं.

Pari

पहले अरनब को यकीन नहीं होता. पर रुखसाना की बनायी एक तस्वीर को वह गूगल पर खोजता है, अब अरनब, प्रोफेसर के हाथों रुखसाना को सौंपता है. पर प्रोफेसर मारा जाता है. रुखसाना एक बच्चे को जन्म देती है, उसके बाद सारा सच अरनब को बताकर अपने जहर से खुद मर जाती है. मरने से पहले रुखसाना बता देती है कि उसका बच्चा पवित्र है, उसमें शैतानी अंश नहीं है.

Pari

निर्देशक व पटकथा लेखक के तौर पर प्रोसित राय फिल्म व कहानी के साथ न्याय करने में बुरी तरह से विफल रहे हैं. इंटरवल से पहले तो दर्शक समझ ही नहीं पाता कि आखिर यह सब हो क्या रहा है? पूरी कहानी मूर्खतापूर्ण ही है. लेखक व निर्देशक ने फिल्म की कहानी का संदर्भ बांगलादेश के जन्म के समय की घटना को उठाकर उसमें शैतानी पक्ष जोड़ कर हौरर फिल्म बनाने का असफल प्रयास किया है. क्योंकि फिल्मकार अपनी कहानी के साथ दर्शक को ठोस सच का यकीन नहीं दिला पाता. बल्कि एक अच्छी प्रेम कहानी का भी दुःखद अंत दिखाकर डरावनी नहीं, बल्कि एक उदास फिल्म बना डाली.

Pari

हम अपने पाठकों को बांगलादेश के जन्म के समय की उस घटना के बारे में याद दिला देते हैं. 1971 से पहले पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान हुआ करता था. 1971 के युद्ध में जब पूर्वी पाकिस्तान, बांगलादेश बना, उस वक्त पाकिस्तानी सैनिकों ने बांगलादेश की औरतों से शारीरिक संबंध बनाते हुए वहां पर पाकिस्तानी नस्ल को बढ़ाने का अभियान चलाया था. इसका  पता चलते ही बांगलादेश के एक संगठन ने ऐसी औरतों की तलाश कर उनके गर्भ को गिराना शुरू किया था.

Pari

फिल्म ‘‘परी’’ के निर्देशक प्रोसित राय और निर्माता व अभिनेत्री अनुष्का शर्मा की सोच पर हंसी आती है. इनके लिए 21वीं सदी में भी बिजली की गड़गड़ाहट, दरवाजों के चरमराने की आवाज, अति गंदे चेहरे व खोपड़ी में काला बुरखा पहने औरतें, खून आदि का होना यानी कि हौरर फिल्म हो गयी.

फिल्म में अरनब और पियाली के बीच एक संवाद है कि ‘हर इंसान के अंदर राक्षस का अंश होता है?’ यदि फिल्मकार ने इस बात को भी ठीक से फिल्म में पिरोया होता, तो शायद परी अच्छी फिल्म बन जाती.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो अनुष्का शर्मा ने खून की प्यासी रुखसाना के किरदार को अपनी तरफ से निभाने का प्रयास जरूर किया है, मगर फिल्म की कहानी, पटकथा व उनके किरदार को इतना घटिया लिखा गया है, कि उनकी मेहनत रंग नहीं ला पाती. फिल्म में अनुष्का शर्मा चमगादड़ की की तरह उछलते, कूदते, उड़ते, खिड़की पर उलटा लटके, कुत्ते को काटते हुए दिखायी देती हैं, मगर उस वक्त भी दर्शक के शरीर में  सिहरन/ कंपकपी पैदा नहीं होती. फिर भी अनुष्का शर्मा इस बात के लिए बधाई की पात्र हैं कि उन्होंने कुछ नया करने का प्रयास किया है.

Pari

परमब्रता चक्रवर्ती के अरनब के किरदार को लेखक ने कोई तवज्जो नहीं दी, तो फिर वह बेचारे क्या करते? कुछ दृश्यों में अनुष्का शर्मा व परमब्रता चटर्जी के बीच की केमिस्ट्री खूबसूरत लगती है. रजत कपूर ने बुरी आत्मा की तलाश में जुटे बांगलादेशी प्राफेसर के किरदार को सही ढंग से निभाया है. कैमरामैन बधाई के पात्र हैं. गीत संगीत बेकार है.

दो घंटे 14 मिनट की अवधि की फिल्म ‘‘परी’’ का निर्माण अनुष्का शर्मा ने किया है. फिल्म के निर्देशक प्रोसित राय, लेखक प्रोसित राय व अभिषेक बनर्जी, संगीतकार अनुपम राय तथा कलाकार हैं-अनुष्का शर्मा, परमब्रता चटर्जी, रजत कपूर, रिताभरी चक्रवर्ती, मानसी मुलतानी व अन्य.

ब्‍लड डोनेट करने के बाद भी आप रहेंगी हेल्‍दी

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ब्‍लड डोनेट करना आज कई कारणों से जरूरी होता जा रहा है. इससे न केवल आप दूसरों को नया जीवन दे सकते हैं बल्कि समय आने पर अपने लिए ब्‍लड की जरूरत को भी पूरा करते हैं.
कई लोगों को रक्‍तदान के बाद चक्‍कर आना या उल्‍टी आने जैसी समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है. जिस कारण कुछ लोग ये मानते हैं कि इसके बाद शरीर में काफी कमजोरी आ जाती है. पर ब्‍लड डोनेट करने के बाद यह 21 दिन में दोबारा बन जाता है. रक्‍तदान करने को लेकर अगर आप अपनी कुछ गलतफहमियों को दूर करना चाहते हैं तो पढ़ें…
– रक्‍तदान के बाद हर 3 घंटे के अंतराल पर हैवी डाइट लेते रहें. पौष्टिक आहार लें और अधिक से अधिक फल खाएं.
– अक्सर रक्‍तदान के बाद रक्‍तदाता को कुछ स्‍नैक्‍स दिए जाते हैं, जैसे जूस, चिप्‍स आदि, इन्‍हें लेने और खाने से परहेज न करें.
– अगर आप रक्‍तदान करने की सोच रहे हैं तो इससे एक दिन पहले धूम्रपान करना बंद कर दें. रक्‍तदान के 3 घंटे बाद ही धूम्रपान करें.
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– रक्‍तदान के 48 घंटे पहले अगर आपने शराब का सेवन किया है तो आप रक्‍तदान नहीं कर सकते.
– रक्‍तदान के बाद अगर आप तरल पदार्थ लेते रहें और हेल्‍दी डाइट लें तो आपको कमजोरी महसूस नहीं होगी.
– रक्‍तदान के बाद आप अपनी सामान्‍य दिनचर्या को दोबारा पा सकते हैं बशर्ते आप इसके 12 घंटे बाद तक हैवी एक्‍सरसाइज न करें. खून देने के तुरंत बाद ही चहलकदमी न करें, शरीर में खून के संचार को सामान्य होने दें.
– रक्‍तदान का मतलब ये नहीं है कि आपके शरीर में खून की कमी हो जाएगी, बल्कि आप कुछ ही दिनों में दान दिए रक्‍त को दोबारा पा सकते हैं. रक्‍तदान के दौरान आपको किसी भी प्रकार का दर्द नहीं होगा.
– रक्‍तदान के बाद न ही आपको चक्‍कर आएगा और न ही आप बेहोश होंगे. ये एक आम गलतफहमी है जो अकसर लोगों को होती है.
– किसी भी व्‍यक्ति के शरीर से एक बार में 471एमल से ज्‍यादा रक्‍त नहीं लिया जा सकता. रक्‍तदान करने से आपके हीमोग्लोबिन में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आती.
– कोई भी हेल्‍दी व्‍यक्ति रक्‍तदान कर सकता है. पुरुष 3 माह में एक बार वहीं महिला हर 4 माह में एक बार ब्‍लड डोनेट कर सकते हैं.

अपने घर को आप भी दे सकती हैं ईको-फ्रेंडली टच

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आशियाने की रंगत निखारने के लिए सिर्फ प्लांट्स ही नहीं, बल्कि प्लांटर्स पर भी फोकस किया जाने लगा है. आउटडोर के साथ-साथ इन्डोर प्लांट्स के ऐसे खास प्लांटर्स देखने को मिल रहे हैं, जो न सिर्फ प्लांट की खूबसूरती को बढ़ाते हैं, बल्कि घर को भी अट्रैक्टिव लुक देते हैं. एक्सपर्ट की मानें तो घरों को ईको फ्रैंडली टच देने के लिए क्रिएटिव प्लांटर्स का पहले से ज्यादा यूज होने लगा है, खासकर कंटेम्परेरी थीम होम डेकोर में खास तरह के प्लांटर्स पसंद किए जा रहे हैं.

कुछ डिफरेंट प्लांटर्स पर एक नजर

ऑन वॉटरिंग प्लांटर

आप एक  छोटे-से ग्लास या फिर बाउल में पानी भरकर रख दें और पौधा अपने आप उसमें से पानी सोख ले. ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है. अब ऐसे ऑन वॉटरिंग प्लांटर्स भी आ गए हैं, जो अपने बाउल में से पानी सोख लेते हैं. यह प्लांटर विभिन्न कार्टून शेप के होते हैं, जो बच्चों को अट्रैक्ट करते हैं. किड्स रूम में इस तरह के प्लांट्स लगा सकते हैं.

फैब्रिक प्लांटर

यह जरूरी नहीं कि प्लांटर प्लास्टिक या फिर सेरेमिक से ही तैयार किया जा सकता है. इसे जूट या फिर दूसरे फैब्रिक्स से भी तैयार कर सकते हैं. सॉलिड बेस पर फैब्रिक से तैयार अट्रैक्टिव शेप बनाई जा सकती है.

हैंगिंग प्लांटर

हैंगिंग प्लांटर तो आपने बहुत देखे होंगे, लेकिन इस तरह का प्लांटर यूनीक नजर आता है. इस प्लांटर के ऊपर की तरफ बादल की आकृति बनी हुई है, जिसे स्प्रिंगकल के तौर पर काम लिया जाता है. पानी की बूंदें हुबहू ऐसी लगती हैं कि बादल से सीधी आ रही है. इस तरह का प्लांटर्स वॉल के डेकोरेशन को भी बढ़ाता है. आप इसे आउटडोर वॉल पर लगा सकते हैं.

पर्सनलाइज्ड प्लांटर

फॉरेन सिटीज में पर्सनलाइज्ड प्लांटर काफी पॉपुलर हैं. धीरे-धीरे यह ट्रेंड इंडिया में भी देखने को मिल रहा है. खासतौर पर इन्डोर प्लांट्स के लिए इन प्लांटर्स को पसंद किया जाता है.इनमें आप फैमिली फोटो लगा सकते हैं, जिसे लिविंग रूम में सजाया जा सकता है. जिस तरह से मग को पर्सनलाइज्ड किया जाता है, उसी तरीके से प्लांटर्स भी पर्सनलाइज्ड हो सकते हैं. इस तरह के प्लांटर्स काफी अट्रैक्टिव लगते हैं.

सेरेमिक स्कल्प्चर्स पर उगाएं घास

मॉर्डन इंटीरियर थीम में सेरेमिक स्कल्प्चर्स का यूज भी पहले से ज्यादा होने लगा है. मॉर्केट में ऐसे डिजाइनर पीसेज या फिर स्कल्प्चर्स आ रहे हैं, जिन पर न सिर्फ प्लांट्स लगाए जा सकते हैं, बल्कि घास भी उगाई जा सकती है. ये प्लांटर्स बगीचे की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ इंटीरियर को भी निखारते हैं.

कैसे दिखें औफिस में स्मार्ट, हम आप को बताते हैं

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औफिस में प्रेजैंटेबल और प्रोफैशनल नजर आना चाहती हैं, तो अपनी ड्रैस और मेकअप को दें स्मार्ट कौरपोरेट लुक और फिर देखिए कैसे आप लोगों पर अपना सकारात्मक प्रभाव छोड़ने में सफल होती हैं.

टीबीसी बाय नेचर की एमडी, मोनिका सूद बता रही हैं औफिस मेकअप से जुड़े कुछ खास टिप्स.

आंखें

आंखों के मेकअप की शुरुआत अच्छा बेस और आई प्राइमर लगाने से करें. आई मेकअप करते समय कभी आईब्रोज को अनदेखा न करें.

समय न होने पर आईब्रोज के लिए क्लियर ब्राउन जैल का प्रयोग करना पर्याप्त रहता है.

मसकारे का प्रयोग करते समय ध्यान दें कि वह लौंगलास्टिंग हो यानी 7-8 घंटों तक टिका रहे.

होंठ

रोज वाले यानी आम लुक के लिए न्यूड पैंसिल या ग्लौस का इस्तेमाल करना बेहतर रहता है, क्योंकि इसे दिन में कभी भी आसानी से रीअप्लाई किया जा सकता है.

आम दिन के लिए न्यूट्रल पिंक और सौफ्ट सेबल कोरल शेड का इस्तेमाल तो खास दिन के लिए बोल्डर शेड का प्रयोग करें.

आंखों पर गहरे रंगों का इस्तेमाल करने के बजाय कुछ कलर ऐड करें. लिप मेकअप के लिए डार्क शेड्स का प्रयोग करें.

रैट्रो वर्किंग लेडी लुक पाने के लिए स्किनटोन से मैच करता बेरी या ब्राउन रैड शेड का प्रयोग करें.

गाल

चेहरे पर निखार लाने के लिए गालों पर हलका ब्लश होना जरूरी है.

वर्कप्लेस पर बहुत ज्यादा शिमरी मेकअप प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से बचें.

चीकबोंस पर हलका सा शिमर बहुत अच्छा लगता है.

इन बातों का भी रखें खयाल

लंबे समय तक टिकने वाले और लो मैंटेनैंस  प्रोडक्ट्स का प्रयोग करें.

मेकअप से अपने चेहरे के स्पैशल फीचर्स पर उभार लाने का प्रयास करें.

मेकअप से दूसरों का ध्यान खींचना तो ठीक है पर याद रहे कि वह ऐसा न हो कि वे आप की जरूरी बातें सुनने के बजाय आप को घूरने लगें.

कैसा हो औफिस में हेयरस्टाइल

मीडियम लंबे बाल हमेशा ट्रैंड में रहे हैं. इन्हें स्ट्रेट रख सकती हैं या फिर हलके भूरे या फिर दूसरे डार्क शेड्स में कलर करवा सकती हैं. अलगअलग तरह के हेयरस्टाइल बना सकती हैं अथवा स्टाइलिश लुक दे कर खुला भी छोड़ सकती हैं.

ब्रेड का ट्रैंड नया नहीं है, पर इस में तरहतरह से बदलाव ला कर स्टाइल बदल सकती हैं. ब्रेड क्राउन और ब्रेड पिगटेल्स भी ट्रैंड में हैं.

वौल्यूम से भरपूर बाल हमेशा लड़कियों की चाहत रही है. छोटे या लंबे हर तरह के बालों में यह जंचता है. छोटे बालों में कलर व हेयरड्रायर की मदद से उन्हें कर्ली या सीधा कर के भी वौल्यूम से भरपूर बना सकती हैं.

एल्प्स ब्यूटीपार्लर की फाउंडर डाइरैक्टर भारती तनेजा से जानते हैं औफिस के लिए कुछ खास परफैक्ट हेयरस्टाइल

कौरपोरेट बन

सब से पहले बालों को कौंब से सुलझा कर उन में जैल लगा कर सैट कर लें ताकि वे आसानी से चिपक जाएं. इस के बाद साइड पार्टीशन कर के फ्रंट से फिंगर कौंब करें और सारे बालों को पीछे ले जा कर बन बनाएं और उसे बौब पिन से फिक्स कर दें. इस बन को हलका सा फैशनेबल टच देने के लिए स्टाइलिश ऐक्सैसरीज से सजा लें या फिर कलरफुल पिन से सैट कर दें.

स्लीक्ड बैक पोनी

बालों को प्रैसिंग मशीन के जरीए स्ट्रेट लुक दें और उस के बाद उन में हलका सा जैल लगा लें. ऐसा करने से लुक स्लीक नजर आएगा और स्टाइल भी देर तक टिका रहेगा. इस के बाद क्राउन एरिया से कौंब करते हुए बालों को उठा कर पीछे की तरफ कानों के लैवल पर टाइट पोनीटेल बना लें. पोनीटेल बनाने का यह लेटैस्ट पैटर्न सिर्फ फौरमल आउटफिट पर ही नहीं वरन कैजुअल पर भी खूब जंचेगा.

वैट वेवी हेयर

फ्रंट के बालों में जैल लगा कर उन्हें सैट कर लें ताकि आगे से बाल बिलकुल चिपके नजर न आएं. इस के बाद लैंथ के सभी बालों पर जैल व पानी लगाएं और उन में कैप रोलर लगा कर बालों को कुछ देर के लिए यों ही छोड़ दें. करीब 1-2 घंटों के बाद इन रोलर्स को खोल दें. बाल वेवी व कर्ली नजर आएंगे. साथ ही वैट लुक देने के कारण इन में चमक रहेगी व कर्ल्स भी देर तक टिके रहेंगे.

ड्रैसिंग सैंस

रोपोसो की फैशन हैड सिद्धिका गुप्ता से जानते हैं 2017 के वर्कवेयर ट्रैंड.

पैंट के साथ डिकंस्ट्रक्टेड ड्रैस पहनें. यह डिस्ट्रक्चर्ड होती है और फैले हुए रफल्स व असमान हेमलाइन के साथ ढीली होती है. मात्रा व अनुपात में बड़े रफल्स के साथ नारीत्व का स्पर्श जोडि़ए. लेकिन बहुत ज्यादा न हो जाए, इस के लिए दिलचस्प वेस्टलाइन व हेमलाइन से कर्व्स कट कर दें.

2017 के फैशन में स्ट्राइप्स का बोलबाला है. आप चाहें तो विभिन्न आकार की स्ट्राइप्स को एकसाथ मिला सकती हैं. खड़ी स्ट्राइप्स का इस्तेमाल कर अपने कद में कुछ ऊंचाई का आभास दे सकती हैं.

स्टेटमैंट स्लीव्स

अपने वार्डरोब को स्लीव स्लिट, वन शोल्डर्स व पफ शोल्डर्स से भरें. इस स्टाइल का नया अपडेट है ओवरसाइज्ड सिल्हूट और लंबी स्लीव, जहां हैम्स लगभग घुटनों से रगड़ खाते दिखें.

खाकी

शर्ट ड्रैस से ले कर बैल्टेड स्कर्ट तक, रनवे से ले कर वर्क प्लेस तक खाकी का खूब इस्तेमाल हो रहा है.

क्या आपकी स्किन भी है ऑयली? अपनाएं कुछ घरेलू उपाय

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क्या आपकी स्किन भी ऑयली है? अगर आपकी ऑयली स्किन है तो आपको अक्सर इससे जुड़ी प्रॉब्लम होती होंगी. ऑयली स्किन वालों को कील-मुंहासों की परेशानी अधिक होती है. इसके अलावा अगर कुछ-कुछ देर में चेहरा धोया नहीं जाए तो त्वचा चिपचिपी नजर आने लगती है.

ऐसे में बाजार में बिकने वाले महंगे और रसायनों से भरपूर चीजें इस्तेमाल करने से बेहतर है कि आप घरेलू उपाय अपनाएं. इससे त्वचा को कोई नुकसान नहीं होता है और ऑयली स्किन की प्रॉब्लम भी दूर हो जाती है.

चंदन और मुल्तानी मिट्टी का फेसपैक

समान मात्रा में मुल्तानी मिट्टी और चंदन पाउडर ले लें. इसमें चुटकी भर हल्दी भी मिला सकती हैं इससे कील-मुंहासों की परेशानी दूर हो जाती है. इन तीनों चीजों में तीन से चार चम्मच कच्चा दूध डालकर एक पेस्ट तैयार कर लें. इस पेस्ट को चेहरे पर लगाकर सूखने दें. जब ये सूख जाए तो हल्के गुनगुने पानी से चेहरा धो लें और कोई मॉइश्यराइजर लगा लें.

क्यों है फायदेमंद

मुल्तानी मिट्टी चेहरे पर मौजूद एक्सट्रा ऑयल को सोखने का काम करती है. चंदन ठंडक देने का काम करता है और त्वचा की जरूरी नमी को बनाए रखता है. पैक में मौजूद हल्दी बैक्टीरियल इंफेक्शन से सुरक्षित रखती है. दूध टैनिंग दूर कर, मॉइश्चराइज करने में मददगार है.

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