इंसान के एहसासों पर कब्जा करते रोबोट

रोबोट अब हमारे लिए नई चीज नहीं हैं. दुनिया के कई मुल्कों में वे तरहतरह के काम निबटा रहे हैं. हमारे देश की कई फैक्ट्रियों में भी रोबोभुजाएं एक ही तरह से किए जाने वाले कई कार्य कुशलता से संपन्न कर रही हैं. हाल में, मुंबई में एक निजी बैंक की शाखा में ‘इरा’ नामक रोबोट को ग्राहकों के स्वागत और उन्हें कई जानकारियां देने के लिए तैनात किया गया है जो एक यांत्रिक महिला कर्मचारी की तरह दिखता है.

‘इरा’ का मतलब है इंटैलीजैंट रोबोटिक असिस्टैंट और इसे भारत में ही विकसित किया गया है. एक समझदार महिला कर्मचारी की तरह ग्राहकों की समस्याएं हल करने के अलावा बैंक कर्मचारियों की मदद करने का जिम्मा भी इरा को दिया गया है.

हमारे देश में इस तरह के संवेदनशील रोबोट बनाने की यह एक शुरुआत है और ऐसी ही एक शुरुआत जापान और यूरोपीय संघ ने संयुक्त रूप से 20 लाख पाउंड के खर्च से ऐसा रोबोट बनाने की दिशा में की है, जो सांस्कृतिक और संवेदनशील हों और बुजुर्गों की देखभाल कर सकें. अगले 3 साल में बनाए जाने वाले ये पेपर रोबोट इंसानों की तरह ही दिखेंगे और उन्हें बुजुर्गों की देखभाल जैसे समय पर दवापानी देने और उन के रोजमर्रा के कई काम संपन्न करने में लगाया जाएगा.

सब से उल्लेखनीय बात है रोबोट को आम इंसानों की तरह बुद्धिमान व संवेदनशील बनाया जाना. पेपर रोबोट बनाने वाली कंपनी ‘सौफ्टबैक रोबोटिक्स’ का कहना है कि वह ऐसी दुनिया बनाना चाहती है, जहां इंसान और रोबोट साथसाथ रह सकें और साथ रहते हुए सुरक्षित, सेहतमंद व खुशहाल जीवन बिताएं. हालांकि अभी भी जापान में सैकड़ों घरों में इसी तरह के पेपर रोबोट आजमाए जा रहे हैं, पर इस परियोजना के तहत बेहद समझदार और संवेदनशील रोबोट सब से पहले ब्रिटेन के एडवीनिया हैल्थ केयर के केयर होम्स में जांचापरखा जाएगा.

समझदार रोबोट बनाने की दिशा में एक प्रयोग फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने भी किया है. उन्होंने अपने घर पर आर्टिफिशियल इंटैलीजैंसी यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मदद से हौलीवुड की फिल्म ‘आयरनमैन’ में देखने वाले रोबोट जारविस की तरह का एक रोबोटिक सिस्टम तैनात किया है जो घर और औफिस के कामों में उन की मदद करता है.

जारविस सिस्टम उन की आवाज के  इशारे पर काम करता है और उस में लगी एआई तकनीक संगीत, लाइट से ले कर घर का तापमान तक नियंत्रित करती है. यही नहीं, जारविस उन के घर आने वाले दोस्तों की पहचान करता है, घंटी बजने पर उन के लिए घर का दरवाजा खोलता है और जुकरबर्ग की गैरमौजूदगी में उन की बेटी मैक्स की देखभाल भी करता है. घर पर मौजूद नहीं रहने पर औफिस में काम करते वक्त जुकरबर्ग को अपने कंप्यूटर जारविस की मदद से घर के भीतर की सारी जानकारी मिलती रहती है.

कौमनसैंस वाले रोबोट

ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो यह साबित करते हैं कि धीरेधीरे रोबोट हम इंसानों  के आदेशों के अलावा हमारी भावनाओं को समझते हुए कार्य करना सीख रहे हैं. असल में, अभी तक यही माना जाता रहा है कि जब बात सामान्य बुद्धि यानी कौमनसैंस की आती है, तो रोबोट इस मामले में इंसानों से पिछड़ जाते हैं, जबकि इंसान बहुत सारे काम कौमनसैंस (व्यावहारिक बुद्धि) के सहारे करते हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि अगर रोबोट को इंसानों के बराबर ला खड़ा  करना है, तो उन में कौमनसैंस विकसित की जाए, लेकिन रोबोट या कहें कि मशीनों में ऐसी क्षमता विकसित करना काफी कठिन काम माना जाता रहा है.

जापान और यूरोपीय संघ मिल कर पेपर रोबोट के संबंध में जो कर रहे हैं और जिस तरह  का एक काम अमेरिका की कोर्नेल यूनिवर्सिटी में हो रहा है, उस से लगता है कि जल्दी ही यह तसवीर बदल जाएगी. असल में, कोर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता रोबोट में ऐसी क्षमता विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि किसी धारदार चीज को हाथ में लेते समय उन में इस से पैदा होने वाले खतरे का एहसास हो सके. रोबोट यह जान सकने योग्य बनाए जा रहे हैं कि कांच जैसी आसानी से टूटने वाली चीजों को किस तरह संभालना है.

हालात के मुताबिक खुद सोच सकने वाले ऐसे रोबोट को ‘बैक्सटर’ नाम दिया गया है. ‘बैक्सटर’ अगर किसी मामले में कोई गलती करता है, तो उस के साथ मौजूद रहने वाला ह्यूमन हैंडलर उस केहाथ की दिशा ठीक कर देता है. यह काम तब तक दोहराया जाता है, जब तक कि रोबोट में कुछ खास किस्म के काम कर सकने की समझ विकसित नहीं हो जाती. लेकिन रोबोट में चीजों में अंतर करने की समझ विकसित करना आसान नहीं है.

यों रोबोट्स को इंसान जैसा बनाने की जो कोशिशें चल रही हैं, उन्हें देखते हुए लगता है कि जल्द ही कोई ऐसा रोबोट सामने आएगा जिस से यह फर्क करना मुश्किल हो जाएगा कि वह मशीन है या जीवित प्राणी. पर क्या इस का पता किया जा सकेगा कि कोईर् रोबोट इंसान जैसा हो गया है क्योंकि अभी हम यह मानने को तैयार नहीं कि हमारे हावभाव की नकल करने वाली मशीन इंसान जैसी आखिर कैसे हो सकती है. एक ऐसी मशीन, जो हमारी तरह सोचसमझ नहीं सकती, हमारी जैसी चेतना नहीं रखती, जो इमोशंस की सिर्फ नकल कर रही होगी, यह असली नहीं हो सकती. वह तो रोबोट ही रहेगी, पर वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि असली और नकली का यह अंतर जल्दी ही मिटने वाला है. ऐसा दावा करने वाले वैज्ञानिक एक अनुमान लगाने को कहते हैं. वे कहते हैं कि यदि रोबोट को ऐसा बना दिया जाए कि वह हाड़मांस का लगे, तो हम उसे तब तक इंसान ही समझेंगे, जब तक कि वह खुद हमें न बताए कि  वह तो रोबोट है.

जिंदा हो रही मशीन

कोई चीज जड़ या चेतन या फिर कोई मशीन है या इंसान जैसा जीव इस का फर्क तो हम सामने से देख कर आसानी से कर लेते हैं, पर यदि आप के सामने एक परदा हो और उस पार कोई अजनबी, जिसे आप देख नहीं सकते, तो उसे पहचानना मुश्किल होगा. खासतौर से तब जब दूसरी तरफ से आप को सही जवाब मिल रहे हों.

कहा जा रहा है कि जिस दिन इंसानों की तरह बात और व्यवहार करने वाले रोबोट बना लिए जाएंगे, तब मशीनों को जिंदा ही मान लिया जाएगा. तब रोबोट एक ऐसी मशीन के  रूप में हमारे सामने होगा जो हम से बातचीत कर रहा होगा, हमारी भावनाओं को समझ रहा होगा और हमारे आदेशनिर्देश समझ कर कोई सही फैसला कर रहा होगा. हजारों तरह के कीड़े और जीव प्रजातियां तो हम से बात भी नहीं करतीं, पर हम उन्हें जिंदा मानते हैं. फिर यदि रोबोट सोचनेमहसूस करने की जरा भी योग्यता दर्शाने लगें, तो उन्हें जीवित मान लेने में क्या हर्ज है?

असल में चेतन और जड़ (लाइफ और नौनलाइफ) के बीच जो दूरी या परदा था, अब वह खत्म होता लग रहा है, क्योंकि मशीनें हमारे जीवन में काफी भीतर तक घुसपैठ कर चुकी हैं. कह सकते हैं कि मशीनें जिंदा होने जा रही हैं जिन से सारे समीकरण बदल सकते हैं. वैसे इस बदलाव के काफी संकेत तो अत्यधिक स्मार्ट हो चुके मोबाइल फोन, कंप्यूटर और इशारे से चलने और बंद होने वाली हमारे रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाली मशीनें दे ही रही हैं, पर बड़ी तबदीली शायद रोबोट्स की वजह से आने वाली है.

यह तबदीली कैसी होगी, इस का संकेत यूरोप में चलाए जा रहे फेलिक्स ग्रोविंग प्रोजैक्ट से मिलता है. फेलिक्स का मतलब है फीलिंग (एहसास), इंटरैक्ट (क्रियाप्रतिक्रिया) और ऐक्सप्रैस (अभिव्यक्ति). इस के तहत रोबोटिक्स, साइकोलौजी और न्यूरो साइंस के कई विशेषज्ञों की साझा मेहनत से तैयार होने जा रहे रोबोट में पहली बार भावनाएं पैदा की जाएंगी. ऐसे रोबोट अपनी मशीनी आंखों, कानों और सैंसर्स से आसपास के माहौल को पहचानेंगे, अपने मालिक के इशारों, संकेतों और भावों को समझेंगे और जवाब में वैसी ही प्रतिक्रिया देंगे, जैसी जीवित प्राणी देते हैं.

रोबोट को लोग अपने नौकर या पालतू जानवर की तरह इस्तेमाल कर सकेंगे. वह सोनी के मशीनी कुत्ते ऐबो और होंडा के रोबोट आसिमो से कईर् पीढ़ी आगे का होगा. ऐबो चेहरे पहचानता है और अपने मालिक की कमांड सीखता है. आसिमो इस से थोड़ा आगे है. वह नाच भी सकता है. फुटबौल खेल सकता है पर ये दोनों हैं तो रोबोट ही.

खत्म हो रहा है फासला

अभी भले ही लोग यह फर्क कर पाएं कि इंसान जैसे दिखने के बावजूद कोई मशीन असल में रोबोट है और इंसान उन से अलग है, पर एक मशहूर वैज्ञानिक रे कुर्जवेल जल्दी ही इस अंतर के  खत्म होने की उम्मीद कर रहे हैं. कुर्जवेल का दावा है कि आने वाले कुछ ही वर्षों में रोबोट भी प्रयोगशाला रूपी कक्षाओं में नई चीजें सीखते और इस बारे में जानकारी को एकदूसरे से साझा करते दिखाई दे रहे होंगे कि वे हर मामले में इंसानों को कैसे पीछे छोड़ सकते हैं.

असल में इस उद्देश्य से रोबोट्स के लिए खासतौर से ऐसा वर्ल्ड वाइड वैब तैयार किया जा रहा है जहां वे इंसानी खूबियों को सीखेंगे. इस वर्ल्ड वाइड वैब का नाम है, ‘रोबोअर्थ’ और ‘रोबो ब्रेन’. रोबोअर्थ की जानकारियों का स्रोत प्रोग्रामिंग है, जबकि रोबो ब्रेन इंटरनैट से मिली सूचनाओं के प्रति खुद अपनी समझ बनाता है. रोबो बे्रन केवल वस्तुओं को पहचानता ही नहीं है बल्कि उस में मनुष्यों की भाषा और व्यवहार जैसी जटिल चीजों  को समझने की भी क्षमता है. यदि कोई रोबोट ऐसी स्थिति में फंसता है, जिस से उस का पहले कभी सामना नहीं हुआ था, तो वह रोबो ब्रेन से सलाहमशविरा कर सकता है.

असल में रोबो ब्रेन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचना स्रोतों से कई प्रकार के हुनर और ज्ञान को हासिल कर ले. इस ब्रेन से संपर्क रखने वाले दुनिया के किसी भी हिस्से में मौजूद अन्य रोबोट अपने रोजमर्रा के कार्यों के लिए रोबो ब्रेन में जमा सूचनाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं.

रोबोअर्थ नामक वैब का विकास करने वाले वैज्ञानिक इंडोवेन यूनिवर्सिटी में बनाए गए एक प्रायोगिक अस्पताल में ऐसी प्रणाली बना रहे हैं, जिस का मकसद रोबोटों को इस लायक बनाना है ताकि वे अपनी जानकारियों को डाटाबेस में डाल सकें. डाटाबेस में पहुंचाई गई ये सूचनाएं सभी मशीनों के साथ एक खास कृत्रिम मस्तिष्क के जरिए दूसरे रोबोटों से साझा की जाएंगीं.

रोबोअर्थ परियोजना के मुखिया रेने वान दे मोलेनग्राफ्ट के मुताबिक, रोबोअर्थ असल में रोबोटों के लिए तैयार किया गया एक ऐसा वर्ल्ड वाइड वैब है, जिस का विशाल नैटवर्क है. लंबेचौड़े आंकड़ों का गोदाम इस की खासीयत है. इस वैब पर रोबोट अपनी जानकारियां एकदूसरे से बांटेंगे और एकदूसरे से सीखेंगे भी. इस प्रणाली को जांचने के लिए 4 ऐसे रोबोट चुने गए हैं, जो अस्पताल में आने वाले मरीजों की मदद के लिए मिलजुल कर काम करेंगे. ये रोबोट काम कैसे करेंगे, इस का भी एक खाका तैयार है. जैसे इन में से एक रोबोट अस्पताल में भरती मरीज के बैड या कमरे का नक्शा वैबसाइट पर अपलोड करेगा, ताकि मरीज से मिलने वालों को यहां पहुंचने में कोई परेशानी न हो. इसी तरह दूसरा रोबोट ऐसे संदेश प्रसारित करेगा, जिस से मरीजों को पेय पदार्थ जल्दी और आसानी से मिल जाएं. इस तरह लग रहा है कि जल्दी ही कई तरह के सार्वजनिक कार्यों में रोबोट की मदद ली जाने लगेगी.

अभी जो सब से बड़ी समस्या है, वह यह है कि हम इंसान जिन कामों को आसानी से करते हैं, रोबोट के लिए वे सभी काम मुश्किल होते हैं, जबकि जो काम इंसानों के लिए कठिन माने जाते हैं, उन्हें रोबोट आसानी से कर लेते हैं. जैसे, लावा उगलते ज्वालामुखी में उतरना या समुद्र की गहराइयों में किसी चीज को खोज निकालना ऐसे सक्षम रोबोट अब अस्तित्व में हैं पर चाय का गरम प्याला उलटने से हाथ जल सकता है, यह समझ रोबोट में प्राय: नहीं होती.

खतरा क्या है

सवाल यह है कि जब रोबोट इंसानों जैसी समझ आदि से जुड़ी बहुत सारी बातें सीख रहे हैं, तो उन से खतरा क्या है? उन्हें तो यही सिखाया जा रहा है कि कैसे किसी आदेश का पालन किया जाए या कैसे किसी परिस्थिति का सामना किया जाए?

यह तो हम इंसानों के लिए अच्छी बात है कि हमारे काम में मददगार रोबोट हमारे आसपास होंगे पर असल में खतरा यही है. वैज्ञानिकों के मुताबिक एक जिंदा और बुद्धि से लैस रोबोट अगर हमारी सारी भावनाओं को समझने लगेंगे, तो उसी वक्त हम इंसानों की हस्ती खतरे में पड़ जाएगी. यह मामला मशीनों के जिंदा हो जाने का है.

एक खतरा तो यह हो सकता है कि हमारी किसी बात पर रोबोट रूठ जाए, तुनक जाए या क्रोधित हो जाए. ऐसी स्थिति में वह हमारे लिए समस्या पैदा कर सकता है. क्या पता हमला ही कर बैठे. यही नहीं, वह या तो आदेश का पालन करने से इनकार कर दे. संभव है कि वह अपने लिए आदरणीय संबोधन का इंतजार करे और कहे कि मिस्टर, जरा तमीज से पेश आइए.

आखिर जब रोबोट जैसी मशीनें हमारी भावनाओं को समझने लगेंगी, तो वे अपने सम्मान की फिक्र भी तो करने लगेंगी. यह भी सकता है कि भविष्य की मशीनें हम से भी ज्यादा समझदार हों. वे चुपचाप विकसित होती रहें और हमें इस की भनक न लगने दें यानी तब सब से बड़ा खतरा हम इंसानों के लिए होगा. शायद यही वजह है कि दुनिया में कुछ लोग अभी से रोबोटों को मानवाधिकार देने की बात करने लगे हैं.

ब्रिटिश सरकार के एक अध्ययन के अनुसार अगले 20 से 50 वर्ष में रोबोट्स को उन के हक देने होंगे. यही नहीं, दक्षिण कोरिया में कुछ वैज्ञानिक तो रोबोटों के लिए नैतिक नियम तय कर रहे हैं, ताकि वे इंसानों को नुकसान न पहुंचाना सीख लें. पर क्या एक दिन रोबोट इंसानों पर हमला कर देंगे? यह आशंका भी अकसर जताई जाती है, क्योंकि जिस तरह से उन्हें बुद्धिमान बनाने के प्रयास हो रहे हैं, मुमकिन है कि एक दिन वे इंसानों से हर मामले में आगे निकलना चाहें और दुनिया पर कब्जा करना चाहें.

‘बैक्सटर’ जैसे रोबोट को ले कर अभी से ऐसी बातें की जा रही हैं, पर वैज्ञानिक कहते हैं कि अगले 500 साल में तो ऐसा नहीं होगा. अगर किसी रोबोे के हाथों कोई खून होगा तो वह गलत कमांड या रोबोट से भूलवश ही होगा. ऐसे कुछ हादसे विदेश में और भारत में गुड़गांव तक में हो चुके हैं, पर अंतत: वे हमारी बनाई मशीनें हैं जिन्हें हमारे ही निर्देशों की जरूरत है. बिना मानवीय दखल के रोबोट विद्रोह तो हरगिज नहीं कर सकेंगे.

– ए के सिंह

क्रिस्पी वैजिटेबल्स विद स्पाइसी राइस

सामग्री

2 कप उबले चावल

1 कप शिमलामिर्च तीनों प्रकार की छोटे टुकड़ों में कटी

1/4 कप फ्रैंचबींस बारीक कटी

2 बड़े चम्मच गाजर बारीक कटी

2 छोटे चम्मच अदरक व लहसुन पेस्ट

1/4 कप प्याज बारीक कटा

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

1/2 कप टोमैटो प्यूरी

1/2 छोटा कप चीनी

1/2 छोटा चम्मच ओरिगैनो

2 बड़े चम्मच दही

1 टुकड़ा चीज

3 बड़े चम्मच रिफाइंड औयल

नमक स्वादानुसार.

विधि

1 बड़े चम्मच रिफाइंड औयल में सभी सब्जियों को 4 मिनट सौते करें व निकाल लें. बचे तेल को गरम कर के प्याज को पारदर्शी होने तक भूनें. फिर अदरक व लहसुन पेस्ट 1 मिनट भूनें. इस में दही डाल कर पुन: 1 मिनट भूनें. टोमैटो प्यूरी, नमक व लालमिर्च पाउडर डाल कर 2 मिनट भूनें. इस में उबले चावल, सभी सब्जियां और औरिगैनो डाल कर उलटेंपलटें. सर्विंग डिश में निकालें. ऊपर से कद्दूकस कर के चीज बुरकें और पहले से गरम ओवन में 200 डिग्री सैल्सियस पर चीज पिघलने तक रखें. फिर गरमगरम सर्व करें.

मैं 40 साल का शादीशुदा हूं और 40 साल की ही एक शादीशुदा टीचर को 20 सालों से चाहता हूं. क्या यह ठीक है.

सवाल
मैं 40 साल का शादीशुदा हूं और 40 साल की ही एक शादीशुदा टीचर को 20 सालों से चाहता हूं. हम आज भी एकदूसरे को चाहते हैं. यह रिश्ता जिंदगीभर चलना चाहिए या नहीं?

जवाब
चाहत में हर्ज नहीं है, बस सामाजिक मर्यादा का खयाल रखना जरूरी है. जाहिर है कि आप दोनों के पार्टनर को भी इस बारे में जानकारी होगी, इसलिए चाहत में सीमा पार करने से बचें.

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एक थी अनारकली : अवैद्य संबंध ने ली जान

3 दिसंबर, 2016 को सुबह करीब साढ़े 10 बजे दक्षिणपूर्वी दिल्ली के अमर कालोनी थाने के ड्यूटी अफसर को पुलिस कंट्रोलरूम से सूचना मिली कि कैप्टन गौड़ मार्ग पर नाले के किनारे बैग में किसी की लाश पड़ी है. उस दिन थानाप्रभारी उदयवीर सिंह किसी काम से बाहर गए हुए थे. उन की गैरमौजूदगी में थाने का चार्ज इंसपेक्टर राजेश मौर्य संभाले हुए थे. बैग में लाश मिलने की सूचना मिलते ही इंसपेक्टर राजेश मौर्य एसआई मनोज कुमार, हैडकांस्टेबल सुरेंद्र सिंह और महावीर सिंह को ले कर सूचना में बताए पते की तरफ निकल गए.

कैप्टन गौड़ मार्ग पर स्थित वह नाला थाने से करीब 2 किलोमीटर दूर था, इसलिए पुलिस टीम करीब 10 मिनट में ही वहां पहुंच गई. वहां पहले से काफी लोग खड़े थे. भीड़ को देख कर उधर से गुजरने वाले वाहन चालक भी वहां रुकरुक कर जा रहे थे. सभी लोग नाले के किनारे झाड़ी के पास पड़े उस काले रंग के ट्रैवल बैग को देख रहे थे. उस बैग का फ्लैप खुला हुआ था, जिस से उस में रखी लाश साफ दिखाई दे रही थी.

नोटबंदी के बाद जिस तरह आए दिन कूड़े के ढेर या अन्य जगहों पर करोड़ों रुपए मिलने के समाचार आ रहे हैं, उसी तरह इस बड़े बैग को भी नाले के किनारे किसी व्यक्ति ने देखा होगा तो पैसे मिलने की संभावना को देखते हुए उस ने इस बैग का फ्लैप खोल कर देखा होगा. लाश देख कर उस के होश फाख्ता हो गए होंगे. फिर वह बैग को ऐसे ही खुला छोड़ कर भाग गया होगा. लेकिन यह पता नहीं लग पा रहा था कि उस में रखी लाश किसी आदमी की है या किसी महिला की.

इंसपेक्टर राजेश मौर्य ने उस बैग का ऊपरी मुआयना कर के सूचना डीसीपी रोमिल बानिया, एसीपी सतीश केन, थानाप्रभारी उदयवीर सिंह के अलावा क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को दे दी. वहां मौजूद सभी लोग आपस में यही बातें कर रहे थे कि पता नहीं इस बैग में किस की लाश है. क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम के आने के बाद बैग से जब लाश निकाली गई तो सभी हैरान रह गए.

किसी महिला की लाश का वह कूल्हे से ऊपर का हिस्सा था. बाकी नीचे का हिस्सा वहां नहीं था. वह औरेंज कलर की नाइटी पहने हुए थी. उस के सिर पर किसी भारी चीज से वार करने की चोट थी. उस की कलाई पर कलावा बंधा था. इस के अलावा हाथ की एक अंगुली में अंगूठी थी और गले में पीले रंग का धागा पड़ा हुआ था. महिला की उम्र यही कोई 40-45 साल थी.

बैग से या उस महिला की लाश से कोई ऐसी चीज नहीं मिली जिस से उस की शिनाख्त हो सके. वहां जितने भी लोग खड़े थे, उन में से कोई भी उस की शिनाख्त नहीं कर सका. इस से यही अनुमान लगाया गया कि शायद यह किसी दूसरे इलाके की होगी. पुलिस ने मृतका का पेट के नीचे का हिस्सा आसपास की झाडि़यों में तलाशा पर वह वहां नहीं मिला.

उसी दौरान डीसीपी रोमिल बानिया, एडिशनल डीसीपी राजीव रंजन, एम. हर्षवर्धन, एसीपी सतीश केन आदि भी वहां पहुंच गए. उन्होंने भी लाश का मुआयना किया और इंसपेक्टर राजेश मौर्य को जरूरी दिशानिर्देश दे कर चले गए. पुलिस ने जरूरी काररवाई करने के बाद लाश के आधे हिस्से को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की मोर्चरी में रखवा दिया.

पुलिस ने अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर मृत महिला की शिनाख्त की काररवाई शुरू कर दी. पुलिस ने महिला की लाश के फोटो लगे 4 हजार पैंफ्लेट छपवा कर इलाके में सार्वजनिक स्थानों पर चिपकवा दिए.

इतना ही नहीं, समस्त थानों में सूचना भेज कर यह भी पता लगाने की कोशिश की कि इस हुलिया से मिलतीजुलती कोई महिला लापता तो नहीं है. थानाप्रभारी उदयवीर सिंह जो बाहर गए हुए थे, लाश मिलने की खबर पा कर शाम तक थाने लौट आए. अगले दिन भी पुलिस टीम हर संभावित तरीकों से पता लगाने लगी कि आखिर यह महिला है कौन. पर कहीं से भी उस के बारे में कुछ भी पता नहीं लगा.

4 दिसंबर, 2016 को दोपहर 12 बजे पुलिस कंट्रोलरूम से थाना अमर कालोनी में सूचना मिली कि श्रीनिवासपुरी के क्यू ब्लौक में पास भगेल मंदिर के पास छोटे नाले में किसी महिला का पेट से नीचे का भाग पड़ा हुआ है. थानाप्रभारी उदयवीर सिंह और इंसपेक्टर राजेश मौर्य 15-20 मिनट में ही भगेल मंदिर के पास पहुंच गए.

क्योंकि एक दिन पहले उन्होंने जिस महिला की लाश बरामद की थी, उस का भी पेट से नीचे का हिस्सा गायब था. पुलिस जब भगेल मदिर के पास पहुंची तो वास्तव में वहां किसी महिला के पेट के नीचे का हिस्सा नाले में पड़ा हुआ था. उस के एक पैर पर मांस नहीं था. शायद उसे कुत्तों ने खा लिया होगा.

नाले के पास एक काले रंग का बैग पड़ा हुआ था. उस पर खून के निशान से लगा कि लाश का वह हिस्सा उसी बैग में रख कर लाया गया होगा. जिस जगह से पुलिस ने एक दिन पहले महिला का धड़ बरामद किया था, यह जगह वहां से कोई आधा किलोमीटर दूर थी. जरूरी काररवाई कर के उसे भी पुलिस ने एम्स की मोर्चरी में रखवा दिया.

पुलिस ने नाले के पास से महिला का जो धड़ बरामद किया था, यह हिस्सा उसी महिला का है या नहीं, यह बात डाक्टरी जांच के बाद ही पता लग सकती थी.

बहरहाल, अब पुलिस का पहला मकसद मृतका की शिनाख्त करवाना था. पुलिस के पास लाश के जो फोटो थे, उन्हीं के माध्यम से वह उस की शिनाख्त में जुट गई. बीट का हरेक पुलिसकर्मी अपनेअपने इलाके के लोगों को वह फोटो दिखा कर उस के बारे में पूछने लगा. हैडकांस्टेबल सुरेंद्र भी इसी काम में लगे हुए थे. फोटो देख कर उन्हें अमर कालोनी क्षेत्र के ही एक व्यक्ति ने बताया कि यह महिला तो अन्नू की तरह लग रही है.

‘‘अन्नू…यह अन्नू कौन थी और कहां रहती थी?’’ हैडकांस्टेबल सुरेंद्र ने उस से पूछा.

‘‘सर, यह दशघरा गढ़ी गांव में ही कहीं रहती थी. पर मैं इस के एक रिश्तेदार प्रवीण को जानता हूं जो सपना सिनेमा के पास साउथ इंडियन व्यंजन की रेहड़ी लगाता है.’’ वह व्यक्ति बोला.

सुरेंद्र को यह सुन कर खुशी हुई कि शायद यहां से कुछ बात बन सकती है. वह उस व्यक्ति को ले कर थाना अमर कालोनी क्षेत्र में स्थित सपना सिनेमा के पास ले गए. प्रवीण वहीं मिल गया. हैडकांस्टेबल सुरेंद्र ने प्रवीण को महिला की लाश का फोटो दिखाया तो उस ने उसे पहचानते हुए कहा कि यह अनारकली उर्फ अन्नू हैं. रिश्ते में यह उस की मौसेरी सास (सास की छोटी बहन) हैं.

सुरेंद्र ने यह जानकारी थानाप्रभारी उदयवीर सिंह और इंसपेक्टर राजेश मौर्य को दी. दोनों पुलिस अधिकारी प्रवीण के पास ही पहुंच गए. पुलिस प्रवीण को ले कर दशघरा गढ़ी स्थित अनारकली के कमरे पर पहुंची. पर उस का कमरा बाहर से बंद मिला. करीब 45 कमरों वाला वह मकान श्रीराम नाम के एक शख्स का था. पुलिस ने श्रीराम को बुला कर बात की तो उस ने बताया कि अनारकली एक मद्रासन थी जो करीब 3 महीने पहले उस के यहां आई थी.

इस के साथ बलराम नाम का एक बंदा और रहता था. यह सन 2010 में भी इसी मकान में 6-7 महीने रह कर गई थी. उस समय भी बलराम इस के साथ रहता था. जिस कमरे में अनारकली रहती थी, उस के आसपास के कमरों में रहने वाले लोगों ने बताया कि यह 2 दिसंबर से दिखाई नहीं दे रही.

वहां खड़ेखड़े पुलिस को अनारकली के कमरे से बदबू आती महसूस हुई. पुलिस ने भगेल मंदिर के पास से महिला के पेट से नीचे वाला जो हिस्सा बरामद किया था, उस की अभी डाक्टरी रिपोर्ट नहीं आई थी इसलिए कहा नहीं जा सकता था कि वह उसी की लाश का हिस्सा है. थानाप्रभारी को लगा कि कहीं अनारकली की लाश का आधा भाग इस कमरे में तो नहीं रखा है, इसलिए उन्होंने मकान मालिक और अन्य लोगों के सामने कमरे का ताला तोड़ कर कमरे में खोजबीन की तो वहां सूखी हुई मछलियां मिलीं. वह बदबू उन्हीं से आ रही थी.

कमरे की जांच के दौरान दीवार पर खून के कुछ छींटे भी दिखे. वे छींटे मानव खून के थे या नहीं, यह जांच के बाद ही पता चल सकता था. लिहाजा उन्होंने फोरैंसिक विभाग को फोन कर दिया. डा. नरेश कुमार के नेतृत्व में एक फोरैंसिक टीम वहां आ गई. टीम को दीवार पर 6 जगह खून के छींटे मिले. इस के अलावा एलपीजी के छोटे सिलेंडर पर भी खून के छींटे मिले. कमरे में 3 चाकू मिले. फोरैंसिक टीम ने कमरे से सबूत इकट्ठे कर लिए.

अब तक की जांच में मृतका के साथ रहने वाले बलराम पर ही शक जा रहा था, क्योंकि वह गायब था. पुलिस टीम उसे ढूंढने में जुट गई. इस काम में पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी लगा दिया. प्रवीण ने पुलिस को बताया था कि मृतका अनारकली का एक बेटा भी है जो चेन्नै में रहता है. पुलिस ने प्रवीण से उस का, अनारकली और उस के बेटे का फोन नंबर ले लिया. तीनों के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई.

इस के अलावा इन तीनों नंबरों के द्वारा जिन नंबरों से बात होती थी, उन की भी जांच की. इस जांच में अनारकली के फोन नंबर की लोकेशन उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले की आ रही थी.

अनारकली के इस नंबर से जिनजिन नंबरों से संपर्क हुआ था, उन सब को जांच के दायरे में लिया गया. इन में से एक नंबर दिल्ली के संगम विहार इलाके का मिला. संगम विहार के जिस व्यक्ति का यह नंबर था, वह एक औटो ड्राइवर था. पुलिस उस तक पहुंच गई. उस से पूछताछ की गई तो वह पुलिस को बेकसूर लगा.

उधर पुलिस की बलराम को ढूंढने की कोशिश जारी थी. फिर 7 दिसंबर, 2016 को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर बलराम को दिल्ली के नेहरू प्लेस मैट्रो स्टेशन के पास से गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि अनारकली उस के साथ 20 साल से लिवइन रिलेशन में रहती थी. पर उस ने हालात ऐसे खड़े कर दिए थे कि उसे उस की हत्या के लिए मजबूर होना पड़ा. बलराम ने उस की हत्या की जो कहानी बताई, चौंकाने वाली निकली.

अनारकली उर्फ अन्नू मूलरूप से चेन्नै की रहने वाली थी. उस के मातापिता बेहद गरीब थे, इस वजह से वह नहीं पढ़ सकी. उस के मोहल्ले की कई लड़कियां दिल्ली में नौकरी या फिर दूसरे कामधंधे करती थीं. अनारकली जब करीब 16 साल की हुई तो उस के पिता ने उसे काम करने के लिए मोहल्ले की लड़कियों के साथ दिल्ली भेज दिया.

वह कोई पढ़ीलिखी तो थी नहीं, जिस से उस की कहीं नौकरी लग जाती. कुछ कोठियों में उसे झाड़ूपोंछा आदि का काम जरूर मिल गया. बाद में उसे और कोठियों में भी काम मिलते चले गए. कई जगह काम करने से उसे महीने की अच्छी कमाई होने लगी. उन पैसों में से वह कुछ पैसे अपने मांबाप के पास भेज देती थी.

दिल्ली में साल भर काम करने के बाद अनारकली काफी चालाक हो गई थी. अब वह पहले वाली सीधीसादी अन्नू नहीं रह गई थी. उसी दौरान 17 साल की अनारकली उर्फ अन्नू की मुलाकात दुरक्कन नाम के युवक से हुई जो दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था. दुरक्कन 20-22 साल का युवक था. वह भी चेन्नै का रहने वाला था, इसलिए दोनों के बीच जल्द ही दोस्ती हो गई जो बाद में प्यार में बदल गई. अपने कामधंधे से निपटने के बाद दोनों मिलतेमिलाते रहते थे.

अनारकली अपने मांबाप से भले ही सैकड़ों किलोमीटर दूर रह कर अपने प्रेमी के साथ मौजमस्ती कर रही थी, इस के बावजूद भी इस की जानकारी उस के घर वालों को हो गई थी. इस बारे में जब उन्होंने अनारकली से बात की तो उस ने साफसाफ बता दिया कि वह दुरक्कन से शादी करना चाहती है. घर वालों ने उस की बात मानते हुए दुरक्कन से उस की शादी कर दी. इस के बाद वह पति के साथ दिल्ली में रहने लगी.

अनारकली और उस का पति दोनों कमा रहे थे, इसलिए उन की घरगृहस्थी बड़े आराम से चल रही थी. इसी दौरान वह एक बेटे की मां बन गई, जिस का नाम श्रीनिवासन रखा. प्यार से सभी उसे सनी कहते थे. शादी के 7-8 साल बाद दुरक्कन पत्नी को अकेला छोड़ कर कहीं चला गया. अनारकली ने अपने स्तर से जब पति के बारे में पता लगाया तो जानकारी मिली कि उस का किसी और लड़की से चक्कर चल रहा था. वह उस लड़की को ले कर चेन्नै भाग गया है. पति के इस विश्वासघात से अनारकली को बड़ा दुख हुआ.

वह दिल्ली में बेटे सनी के साथ अकेली थी. उस ने सनी को अपने मायके भेज दिया ताकि वह अपने नानानानी की देखरेख में पढ़ाई पूरी कर सके. अनारकली की उम्र उस समय करीब 24-25 साल थी. यह उम्र अकेले काटे से नहीं कटती. पति उसे धोखा दे कर चला गया था. उसी दौरान उस की मुलाकात बलराम नाम के व्यक्ति से हो गई.

बलराम प्लंबर था. वह मूलरूप से उड़ीसा के केंद्रपाड़ा जिले का रहने वाला था. वह शादीशुदा था, उस की पत्नी उड़ीसा में ही रहती थी. धीरेधीरे दोनों इतने नजदीक आ गए कि उन्होंने साथसाथ रहने का फैसला कर लिया. वे दोनों दक्षिणपूर्वी दिल्ली के थाना अमर कालोनी के गांव दशघरा गढ़ी में लिवइन रिलेशन में रहने लगे.

अनारकली ने घरों में काम करना बंद कर दिया. वह ईस्ट औफ कैलाश में स्थित नर्सरी के पास फुटपाथ पर चाय की दुकान चलाने लगी. बलराम का साथ मिलने पर अनारकली के जीवन में खुशहाली लौट आई थी. करीब 20 साल तक दोनों लिवइन रिलेशन में रहते रहे.

इस बीच बलराम समयसमय पर उड़ीसा स्थित अपनी पत्नी और बच्चों से मिलने चला जाता था. उस के 2 बेटियां और एक बेटा था. बीवी और जवान बच्चों को इस बात की भनक तक नहीं लग सकी थी कि वह दिल्ली में किसी औरत के साथ रह रहा है.

करीब डेढ़ महीने पहले बलराम उड़ीसा से दिल्ली लौटा तो अनारकली का व्यवहार कुछ बदला हुआ था. हालांकि अनारकली का सारा खर्च वह खुद उठाता था, इस के बावजूद भी वह उस के साथ रूखा व्यवहार कर रही थी. इतना ही नहीं, वह बिस्तर पर भी उसे अपने पास नहीं फटकने देती थी. बलराम को शक हो गया कि जरूर इस के किसी और से संबंध हो गए हैं. वह पता लगाने में जुट गया कि ऐसा कौन आदमी है.

बलराम ने जल्द ही इस बारे में जानकारी जुटा ली. उसे पता चला कि अनारकली के एक नहीं बल्कि 2 औटो ड्राइवरों से नाजायज संबंध हैं. यह जानकारी मिलते ही बलराम के तनबदन में आग सी लग गई. उस का मन तो कर रहा था कि वह अनारकली को अभी ऐसी सजा दे, जिसे वह जिंदगी भर न भूल सके. पर वह कोई बात सोच कर अपना गुस्सा पी गया.

उस ने शाम को अनारकली से उस के बदले व्यवहार के बारे में बात की तो वह उस के साथ लड़ने को आमादा हो गई. दोनों में कुछ देर बहस हुई और मामला शांत हो गया.

एक दिन बलराम दोपहर के समय कमरे पर पहुंचा तो दरवाजा अंदर से बंद मिला. किवाड़ के बीच में जो दरार थी, उस पर आंख गड़ा कर देखा तो कमरे के अंदर जल रही ट्यूबलाइट की रोशनी में सारा नजारा दिख गया. अनारकली एक व्यक्ति के साथ आपत्तिजनक स्थिति में थी. इस के बाद तो बलराम का शक विश्वास में बदल गया.

बलराम ने दरवाजा खटखटाने के बजाय अनारकली को फोन लगाया तो उस ने स्क्रीन पर नंबर देखने के बाद अपना फोन स्विच्ड औफ कर दिया. इस के अलावा उस ने कमरे में जल रही ट्यूबलाइट भी बंद कर दी.

तब बलराम ने दरवाजा खटखटाया. करीब 4-5 मिनट बाद अनारकली ने दरवाजा खोला तो सामने बलराम को देख कर उस के होश उड़ गए. उसी दौरान कमरे में अनारकली के साथ जो युवक था, वह वहां से भाग गया. तब बलराम ने उस से उस युवक के बारे में पूछा तो अनारकली बोली, ‘‘कोई भी हो, तुम्हें उस से क्या मतलब?’’

‘‘मेरे होते हुए तुम किसी और को यहां नहीं बुला सकती.’’ वह बोला.

‘‘क्यों, मैं ने तुम्हारे साथ क्या शादी की है जो मुझ पर इस तरह से हुकुम चला रहे हो. अपनी जिंदगी मैं अपनी तरह से जिऊंगी. इस में कोई भी दखलअंदाजी नहीं कर सकता. इसलिए बेहतर यही है कि तुम इस मुद्दे पर ज्यादा बात मत करो.’’ अनारकली ने जवाब दिया.

बलराम उस का मुंह देखता रह गया. बात भी सही थी, उस ने अनारकली से शादी थोड़े ही की थी. दोनों का स्वार्थ था, इसलिए वे साथसाथ रह रहे थे. बलराम से जब उस का मन भर गया तो उस ने किसी और के साथ नजदीकी बना ली.

अनारकली की बात पर बलराम ने भी बहस करनी जरूरी नहीं समझी. वह उसे समझाने की कोशिश करने लगा. पर उसी समय उस ने यह जरूर तय कर लिया था कि इस धोखेबाज औरत को वह सबक जरूर सिखाएगा. और यह काम उस के साथ रह कर संभव हो सकता था.

बलराम के दिल में कसक तो थी ही. वह बस मौके का इंतजार कर रहा था. बात 2 दिसंबर, 2016 की है. दोपहर के समय बलराम दशघरा गढ़ी स्थित अपने कमरे पर आया. उस के दिल में अनारकली के प्रति गुस्सा तो भरा ही हुआ था. बलराम ने उस के चरित्र को ले कर बात शुरू की तो अनारकली भड़क गई. दोनों तरफ से गरमागरमी होने लगी. तभी बलराम कमरे में स्लैब पर रखा अपना हथौड़ा उठा लिया और उस का एक वार उस के सिर पर किया.

हथौड़े के वार से अनारकली बेहोश हो कर गिर पड़ी और उस के सिर से खून निकलने लगा. इस के बाद उस ने उस की पीठ पर भी हथौड़े से कई वार किए. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.

अनारकली की हत्या करने के बाद बलराम को तसल्ली हुई पर उस के सामने समस्या यह आ गई कि लाश को ठिकाने कैसे लगाए.

कुछ देर सोचने के बाद वह कमरे में रखा किचन में प्रयोग होने वाला चाकू उठा लाया. उस चाकू से उस ने अनारकली को कूल्हे के ऊपर से काट कर 2 हिस्सों में कर दिया. कमरे में बड़ेबड़े 2 ट्रैवल बैग रखे थे. उन में रखे कपड़े निकाल दिए. इस के बाद उस ने उन में लाश के टुकड़े रख दिए. फिर उस ने कमरे का खून साफ किया. अब वह अंधेरा होने का इंतजार करने लगा.

अंधेरा होने पर उस ने वह बैग उठाया, जिस में अनारकली का सिर और धड़ वाला भाग रखा था. उस बैग को रिक्शे में ले कर वह कैप्टन गौड़ मार्ग पर नाले के पास स्थित बसस्टैंड पर उतर गया. कुछ देर वहां बैठने के बाद जब उसे आसपास कोई दिखाई नहीं दिया तो उस ने उस बैग को नाले के किनारे झाडि़यों में डाल दिया.

एक बैग को ठिकाने लगाने के बाद वह कमरे पर आया और दूसरे बैग को रिक्शे में ले कर कैप्टन गौड़ मार्ग पर स्थित मसजिद के पास उतर गया.

फिर वहां से कुछ मीटर आगे चल कर उस ने वह बैग भगेल मंदिर के पास पुलिया के नीचे गिरा दिया. वह इलाका श्रीनिवासपुरी क्षेत्र में आता है. वहां से बह रहे बड़े नाले में 2 छोटे नाले भी जुड़े हुए हैं. वह बैग जिस में अनारकली के कूल्हे और पैर वाला भाग था, लुढ़क कर एक छोटे नाले के किनारे पहुंच गया.

दोनों बैग ठिकाने लगाने के बाद बलराम ने राहत की सांस ली. फिर कमरे की सफाई कर के खून से सनी चादर कूड़े के ढेर पर फेंक आया. इस के बाद वह ताला लगा कर अपने एक जानकार के यहां चला गया.

नोटबंदी के बाद जिस तरह जगहजगह नोट पड़े होने की खबरें सामने आई हैं, उसी तरह नाले के पास झाडि़यों में पड़े उस बैग को किसी व्यक्ति ने लालच में आ कर खोला होगा. पर नोटों की जगह उस में लाश देख कर उसे जरूर पसीना आ गया होगा. डर की वजह से वह बैग को खुला छोड़ कर भाग गया.

उधर भगेल मंदिर के पास छोटे नाले के पास जो बैग गिरा था, उसे कुत्तों ने फाड़ कर उस में से लाश निकाल कर खा ली. केवल एक टांग पर कुछ मांस बचा था. जानवरों की खींचातानी में वह हिस्सा नाले में गिर गया.

पुलिस ने एम्स की मोर्चरी में लाश के जो 2 हिस्से रखवाए थे, उन की डीएनए जांच की गई तो वह दोनों एक ही महिला के पाए गए. बलराम से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त हथौड़ा और चाकू भी कमरे से बरामद कर लिया. खून से सनी चादर जहां फेंकी थी, पुलिस उसे वहां ले कर गई पर नगर निगम की गाड़ी वहां के कूड़े को ले जा चुकी थी, जिस से वह चादर वहां नहीं मिल सकी. पुलिस ने बलराम को भादंवि की धारा 302, 201 के तहत गिरफ्तार कर के साकेत कोर्ट में महानगर दंडाधिकारी अर्चना बेनीवाल की कोर्ट में पेश कर उसे 2 दिनों के रिमांड पर लिया.

रिमांड अवधि में संबंधित स्थानों की तसदीक कराने के बाद उसे फिर से कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक बलराम जेल में बंद था. मामले की विवेचना इंसपेक्टर राजेश मौर्य कर रहे हैं.

– कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित

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मराठी फिल्म रिव्यू : फिरकी

बच्चों की दुनिया बड़ों की तुलना में कई मायनों में अलग और मासूम होती है. उसे दुनिया के सामने लाने का प्रयास अब तक “शाला”,  “एलिझाबेथ एकादशी”, “किल्ला” जैसे कई फिल्मों में हो चुका है. सुनिकेत गांधी निर्देशित फिल्म ‘फिरकी’ भी इसी विषय पर आधारित है.

गोविंद (पार्थ भालेराव), बंड्या (पुष्कर लोणारकर) और टिचक्या (अथर्व उपासनी) बहुत अच्छे दोस्त होते हैं और तीनों एक ही क्लास में पढ़ते हैं. पतंग उड़ाना उनका पसंदीदा खेल होता है. लेकिन उन्हीं के क्लास में पढने वाला राघव (अभिषेक भरते) इस पतंग के खेल का और पुरे गांव का भाई रहता है.

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लाख कोशिशों के बावजूद गोविंद और उसके दोस्त राघव की पतंग कभी नहीं काट पाते हैं. एक बार स्कूल में गोविंद के कहने पर राघव कौपी करते हुए पकड़ा जाता है, जिसका बदला लेने के लिए राघव गोविंद की साइकिल की हवा निकाल कर, उसकी और उसके दोस्तों की पतंग छिनकर उन्हें परेशान करने लगता है. इसी दौरान संक्रांति के दिन गांव में होने वाले पतंगबाजी के खेल में राघव की पतंग काटकर उसे मजा चखाने का प्लान गोविन्द, बंड्या और टिचक्या बनाते है. उसके लिए कांच के मांजा की जरूरत होती है जो बहुत महंगा होता है. उसके लिए तीनों मिलकर कचरे में पड़ी कांच की बोतल इकठ्ठा करके भंगार वाले को बेचते हैं, फिर भी उतना पैसा जमा नहीं कर पाते हैं. गोविंद की नाराजगी देखकर उसके पिता (ऋषिकेश जोशी) उसे कुछ पैसे देते हैं. जिससे गोविन्द कांच का मांजा खरीदता है.

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लेकिन परीक्षा में गोविन्द के फेल होने से उसकी मां (अश्विनी गिरी) नाराज हो जाती हैं और काचमांजा चूल्हे में फेंक देती हैं. इस वजह से गोविंद और उसके दोस्त निराश हो जाते हैं. लेकिन उनका गैरेज में काम करने वाला दोस्त कांचमांजा बनाना सिखाता है. कांच मिश्रित रंग को धागे में लेप कर कांच मांजा बनाया जाता है. संक्रांति के दिन इसी मांजे से एक दूसरे की पतंग काटने का खेल शुरू हो जाता है. गोविंद ढील देकर पतंग काटने में माहिर रहता है. लेकिन इस बार वह राघव की खिंच कर पतंग काटने की कला को कौपी करता है. इसके बावजूद वह राघव की पतंग नहीं काट पाता है. तभी गोविन्द को उसके पिता की बात याद आती है, जिसमें उन्होंने कहा था, “जितना है तो इंसान को अपनी ताकत पहचाननी चाहिए.” इसके बाद गोविन्द अपनी ढील देकर पतंग काटने की कला का प्रयोग करता है और जीत जाता है.

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पतंगबाजी के खेल को छोड़कर फिल्म में कुछ भी मजेदार नहीं है. फिल्म की गति एकदम से धीमी है. पार्थ भालेराव, पुष्कर लोणारकर की भूमिका उनकी पिछली फिल्मों के भूमिकाओं की तरह  ही काफी अलग और बिंदास है. लेकिन उनसे निर्देशक कुछ अलग करवाता तो काफी प्रभावी होता. अथर्व उपासनी ने अपने हिस्से की भूमिका बहुत अच्छे से निभायी है. अश्विनी गिरी और ऋषिकेश जोशी मंजे हुए कलाकार होने के बावजूद फिल्म में उनको ज्यादा स्कोप नही मिल सका है. अभिषेक भरते ने अपना काम बड़ी सहजता से किया है.

कांच के मांजा से पंछियों और इंसानों की जान को खतरा होते हुए भी इसे बनाने की प्रक्रिया को फिल्म के जरिये दिखाना निर्देशक की बहुत बड़ी भूल कही जा सकती है. फिल्म में एक गाना भी है जो फिल्म के दृश्यों से मेल नहीं खाने पर व्यर्थ लगता है. कुल मिलकर मंजे हुए कलाकारों का साथ मिलने के बावजूद अनुभव की कमी के कारण निर्देशक खुद को साबित करने का मौका गंवा देता है.

निर्देशक- सुनिकेत गांधी

कथा, पटकथा व संवाद- सुनिकेत गांधी, आदित्य अलंकार, विशाल काकडे

कलाकार- पार्थ भालेराव, पुष्कर लोणारकर, अथर्व उपासनी, अभिषेक भरते व अन्य.

प्रस्तुतकर्ता – स्पौटलाईट प्रोडक्शन

निर्माता – मौलिक देसाई

दिग्दर्शक – सुनिकेत गांधी

कथा, पटकथा, संवाद – सुनिकेत गांधी, आदित्य अलंकार, विशाल काकडे

गीतकार – अंबरीश देशपांडे, मैउद्दीन जमादार

संगीत – भूषण चिटनिस, श्रीरंग धवले, सुनीत जाधव

पार्श्वसंगीत – ऐश्वर्या मालगावे

साऊंड डिझायनर – स्वरूप जोशी

गायक – विश्वजीत जोशी, आनंद शिंदे, आनंदी जोशी, प्रियंका बर्वे, रोहित राऊत, फरहाद भिवंडीवाला, गंधार कदम

छायांकन – धवल गणबोटे

संकलन – नितेश राठौर

वेशभूषा – देविका काले

व्हीएफएक्स – नितेश बडवे

कास्टिंग – राहुल चोरामले

कलादिग्दर्शन – तेजस –प्रितम

कलाकार

पार्थ भालेराव – गोविंद

पुष्कर लोणारकर – बंड्या

अथर्व उपासनी – टिचक्या

अभिषेक भरते – राघव

अथर्व शालिग्राम – बाबल्या

ह्रीशिकेश जोशी – गोविंदचे वडील

अश्विनी गिरी – गोविंदची आई

ज्योती सुभाष – मावशी

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लंबे, घने और चमकदार बाल पाने का ये है असरदार तरीका

हर महिला की यह चाहत होती है, कि उसके बाल लंबे, घने, मजबूत, चमकदार और सुंदर हो. बालों को हेल्दी रखना एक चैलेंज होता है. यह चैलेंज हमारे लिए और अधिक मुश्किल हो जाता है जब प्रदूषण हो और खाने-पीने की आदतें अच्छी ना हो के साथ साथ हमारी लाइफ स्टाइल अव्यवस्थित होती है. लेकिन अच्छे बाल रखने का सपना साकार हो सकता है और इसके लिए आपको अपने बालों की थोड़ी देखभाल करनी होगी और नीचे दिए गए नेचुरल हेयर केयर टिप्स को अपनाना होगा.

बालों की ट्रिमिंग अवश्य कराएं

बालों के डेड किनारे उनके सबसे बड़े दुश्मन होते हैं.  इसलिए बालों को हमेशा और रेगुलर इंटरवेल पर ट्रिम कराते रहना चाहिए. रेगुलर बालों की ट्रिमिंग होते रहने से दो मुंहे बालों की समस्या नहीं होती और बालों का गिरना भी कम हो जाता है. दो मुंहे बाल आपके बालों की लंबाई को ही नहीं प्रभावित करते, बल्कि यह उनकी चमक यानी और घने पन को भी कम कर देते हैं . इसलिए यह हमेशा याद रखें कि तीन माह में बालों को ट्रिम कराने से इनकी नेचुरल ग्रोथ बढ़िया होती है.

हेयर मास्क से दें बालों को ट्रीटमेंट

आपके बाल जो कंधे से नीचे हैं, वह कई साल पुराने होते हैं. इसलिए इन्हें अधिक पोषण और केयर की जरूरत होती है, जो कि सामान्य कंडीशनर से संभव नहीं है. इसके लिए आपको कोई बढ़िया हेयरमास्क की जरूरत होगी. बालों को सही तरीके से पोषण देने के लिए 15 दिनों में हेयर मास्क लगाएं.

हेयर मास्क बनाने के लिए आप दो अंडे का सफेद भाग लें और उसमें एक नींबू का रस निचोड़ लें. इसे अच्छी तरह से मिक्स करके बालों में लगाएं. इसे आप 10 से 15 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें. उसके बाद बालों में शैंपू करके बालों को कंडीशन कर लें.

अच्छे बालों के लिए स्कैल्प थेरेपी भी अपनाएं

बालों की अच्छी सेहत के लिए, स्कैल्प का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी होता है. बालों की जड़ों में गंदगी, आयल और डेड स्किन जमा हो जाती है, जो इनकी ग्रोथ को प्रभावित करती है. इसलिए इसकी सफाई जरुरी है. स्कैल्प को साफ रखने के लिए, जब आप शैंपू करें तो थोड़ी देर अपनी उंगलियों से मसाज करें. इससे सारी गंदगी बाहर निकल जाएगी. स्कैल्प को मौश्चराइज करने के लिए सप्ताह में फ्रेश एलोवेरा का जेल लगा कर आधे घंटे के लिए छोड़ दें, फिर इसे धो डालें.

ज्यादा सख्त केमिकल के बने उत्पादों का प्रयोग ना करें

आप अपने बालों में कोई भी केमिकल का ट्रीटमेंट कभी भी ना लें और ना ही कोई ऐसे प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें जिसमें केमिकल की मात्रा अधिक हो. जितना हो सके नेचुरल चीजों का ही इस्तेमाल करें. केमिकल से बनी चीजें, आपके बालों को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं. इसलिए इनका इस्तेमाल कम करना ही अच्छा होता है. यदि आप सुगंधित शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल कर रही हैं, तो इसे बंद कर दें. नेचुरल चीजों का इस्तेमाल अधिक से अधिक करें, इससे आपके बाल लंबे और मजबूत बने रहेंगे .

बालों को एयर ड्राई करें

अधिकतर नहाने के बाद आप बालों को सुखाने के लिए, कसकर टावेल को बांध लेती हैं, जिससे बाल टूटते हैं और बाद में गिरने लगते हैं. इसलिए आप टौवेल से अपने बालों को हल्के से पोंछ लें और सामान्य हवा में सूखने दें. यदि आपको किसी काम के लिए जल्दी है तो ब्लोवर से बालों को सुखाए, लेकिन उसे गर्म ना करें बल्कि बिना गर्म किए हुए तेज हवा में सूखने दें.

खान-पान सही रखें

आपका खानपान बालों की ग्रोथ के लिए बहुत महत्वपूर्ण रोल अदा करता है. लंबे बाल पाने के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी है. इसलिए आपको अपनी डाइट में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन शामिल करना होगा. इसके लिए आप प्रोटीन से भरपूर डाइट लें जैसे दूध, दही, छाछ, फिश, दालें, मूंगफली, बादाम, अंडा, सोयाबीन आदि. इन सबको आप अपनी डाइट में शामिल करके प्रोटीन की जरूरत को पूरा कर सकती हैं.

पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी

पानी केवल आपके शरीर के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कि यह आपके बाल और स्किन के लिए भी बहुत अच्छा होता है. यदि आप अपने लंबे, घने और चमकदार बाल चाहती हैं तो आपको अपने शरीर को हाइड्रेट रखना होगा. यदि आपके शरीर में पानी की कमी होती है, तो आपके बाल टूटने लगते हैं और उनकी साइन चली जाती है.

VIDEO : गर्मियों के लिए बेस्ट है ये हेयरस्टाइल

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इनकम टैक्स बचाने के दो विकल्पों में से आपके लिये कौन सा है बेहतर

वित्त वर्ष 2017-18 खत्म होने में अब केवल एक महीने का समय रह गया है. ऐसे में अगर आप इनकम टैक्स बचाने के लिए निवेश विकल्प की तलाश में है और आपका मन शेयर बाजार में निवेश करने का है तो ULIP और ELSS आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं. हम अपनी इस स्टोरी के माध्यम से आपको बताने की कोशिश करेंगे कि आखिर इन दोनों में से कौन सा विकल्प आपके लिए ज्यादा बेहतर रहेगा.

पहले जानें कि दोनों विकल्पों में क्या है सामान्य अंतर

टैक्स बचत के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ये दोनों ही विकल्प एक जैसे बिल्कुल भी नहीं होते हैं. इन दोनों में अंतर होता है. दरअसल यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) और इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ELSS) दो अलग अलग उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस्तेमाल होने वाले निवेश विकल्प हैं. यूलिप जीवन बीमा से जुड़ा हुआ होता है और इस विकल्प की पेशकश जीवन बीमा कंपनियों की ओर से की जाती है, जबकि ईएलएसएस एक इक्विटी फंड होता है. इन दोनों ही निवेश विकल्पों से आप टैक्स की बचत कर सकते हैं.

दोनों के एक जैसे होने को लेकर भ्रम की स्थिति क्यों?

इन दोनों ही निवेश विकल्पों को लेकर भ्रम इसलिए पैदा होता है क्योंकि दोनों ही इक्विटी मार्केट्स में निवेश करते हैं और दोनों ही टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स हैं.

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आपके लिए क्या बेहतर और क्यों?

इन दोनों विकल्पों में आपके लिए क्या बेहतर रहेगा आप खुद तय करें.

ULIP (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान)

  • यह एक इंश्योरेंस-कम-इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट है. इसे बीमा कंपनियां बेचती हैं.
  • यूलिप के निवेशकों के पास इक्विटी, डेट, हाइब्रिड और मनी मार्केट फंड्स में पैसा लगाने का विकल्प होता है.
  • मिनिमम सम एश्योर्ड एनुअल प्रीमियम का 10 गुना (अगर निवेश शुरू करते वक्त उम्र 45 साल से ज्यादा हो तो सात गुना) होता है.
  • यूलिप में लगभग 60 फीसद शुल्क पहले कुछ वर्षों में ले लिए जाते हैं. इनमें प्रीमियम एलोकेशन चार्ज मौर्टेलिटी चार्ज (इंश्योरेंस कौस्ट), फंड मैनेजमेंट फी, पौलिसी एडमिनिस्ट्रेशन चार्ज, फंड
  • स्विचिंग चार्ज और सर्विस टैक्स डिडक्शन शामिल होते हैं. बाकी राशि बाजार में निवेश की जाती है.
  • यूलिप के मामले में अगर आप लौक-इन पीरियड से पहले सरेंडर कर दें तो पहले लिया गया कोई भी डिडक्शन रिवर्स हो जाता है और आपको टैक्स अदा करना पड़ता है. मैच्योरिटी एमाउंट केवल उस सूरत में टैक्स फ्री होता है, जब पौलिसी होल्डर की मृत्यु हो जाए.
  • यूलिप में लौक-इन पीरियड पांच वर्षों का होता है.
  • यूलिप में स्विच का विकल्प मिलता है. यानी इक्विटी, डेट, हाइब्रिड आदि विभिन्न फंड्स में आप निवेश की गई रकम का अनुपात बदल सकते हैं.

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ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स)

  • ELSS एक डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स हैं.
  • इनमें लगाया गया पैसा शेयरों में निवेश किया जाता है.
  • यह इनवेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स हैं और इनमें किसी भी तरह का बीमा नहीं मिलता है.
  • ELSS में केवल एक शुल्क लगता है. इसे फंड मैनेजमेंट फीस या एक्सपेंस रेशियो कहा जाता है. यह अधिकतम 2.5 फीसद हो सकता है और यह लागत स्कीम की नेट एसेट वैल्यू में एडजस्ट की जाती है, न कि अलग से ली जाती है. ईएलएसएस में लौक-इन पीरियड तीन वर्षों का होता है.
  • ईएलएसएस के मामले में ऐसा कोई विकल्प नहीं होता है.

टैक्स के लिहाज से दोनों में कौन बेहतर

31 जनवरी 2018 तक ये दोनों ही विकल्प आयकर की धारा 80C के तहत कर छूट के दायरे में आते थे. लेकिन अब बजट 2018 के कुछ प्रस्तावों ने ईएलएसएस को यूलिप के मुकाबले थोड़ा कमजोर कर दिया है. यूलिप पर किया गया निवेश अब भी 80C के तहत कर छूट के दायरे में आएगा, लेकिन अब ईएलएसएस में किया गए निवेश पर लौन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू होगा.

VIDEO : हेयरस्टाइल फौर कौलेज गोइंग गर्ल्स

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इन जगहों पर आप भी अपनी डेट को बना सकती हैं यादगर

आप अपने पार्टनर के साथ क्वालिटी वक्त बिताने के साथ किसी एडवेंचर प्लेस पर जाने की इच्छा रखती हैं, तो आपको इसके लिए कुछ स्पेशल सोचना पड़ेगा. चलिए, हम आपकी मदद कर देते हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं डेटिंग के लिए ऐसी शानदार तरकीब, जहां आप अपने पार्टनर के साथ प्यार भरी ट्रिप का मजा भी ले सकती हैं.

थीम पार्क

थीम पार्क्स सिर्फ बच्चों और टीनएजर्स के लिए नहीं है. कल्पना कीजिए कि आप किसी जायंट वील या रोलर कौस्टर जैसे झूले पर अपने पार्टनर के साथ बैठी हैं और वह बीच में रूक जाए तो ये नजारा अलग होगा ना. यहां आप आसपास के नजारे का मजा भी ले सकती हैं.

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कैंपिंग

फर्स्ट डेट के लिए यह बेहतरीन आइडिया नहीं है लेकिन अगर आप अपने पार्टनर को अच्छी तरह से जान चुकी हैं और उनके साथ कुछ क्वालिटी टाइम बिताना चाहती हैं तो कैंपिंग एक अच्छा आइडिया है. आप पार्टनर के साथ पास के कैंपिंग लोकेशन पर जाकर साथ में बारबेक्यू करना, बौनफायर जलाना और नेचर ब्यूटी का मजा उठाना जैसी चीजें कर सकती हैं.

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हाइकिंग के साथ पिकनिक

किसी ऊंची पहाड़ की चोटी पर पार्टनर के साथ हाइकिंग टूर पर जाना और फिर पिकनिक मनाना. बात पिकनिक की हो रही है तो अपने साथ चटाई, कुछ खाने-पीने की चीजें, खेलने का कुछ सामान ले जाना न भूलें.

आइस स्केटिंग

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भले ही यह आइडिया आपको पुराना लगे लेकिन पार्टनर के साथ स्केटिंग या आइस स्केटिंग के लिए जाकर आप एक दूसरे के साथ बेहतर बौन्ड बना सकती हैं. खासतौर पर तब जब दोनों पार्टनर में से किसी एक को स्केटिंग न आती हो. स्केटिंग करते हुए गिरना, एक दूसरे को संभालना. इन सबके दौरान आप जान पाएंगी कि आपका पार्टनर आपकी कितनी केयर करता है.

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नशा और सैक्स : आपकी सैक्स लाइफ को प्रभावित कर सकती है शराब

मशहूर नाटककार शैक्सपीयर ने कहा है कि शराब कामेच्छा तो जगाती है, पर काम को बिगाड़ती भी है. यह बात सौ फीसदी सच है. अगर लंबे समय तक शराब का सेवन किया जाए तो उत्तेजना में कमी आ जाती है. यही नहीं और भी कई तरह की परेशानियां शराब के कारण हो जाती हैं.

इस बारे में सैक्सोलौजिस्ट डाक्टर बीर सिंह का कहना है, ‘‘शराब सैक्स के लिए जहर है. यह बात और है कि शराब पी लेने के बाद चिंता थोड़ी कम हो जाती है और शराब पीने वाला ज्यादा आत्मविश्वास से सहवास कर पाता है. लेकिन कोई व्यक्ति लंबे समय तक शराब का सेवन करता रहे तो वह नामर्दी तक का शिकार हो सकता है.’’

आइए, जानें कि शराब किस तरह से सैक्स के लिए हानिकारक है:

छवि का खराब होना

सुहागरात से पहले शराब का सेवन करने से जीवनसाथी की नजर में छवि खराब होती है. ऐसे में यह भी संभव है कि वह अपने जीवनसाथी का विश्वास पहली ही रात को खो दें. सुहागरात नए रिश्ते की शुरुआत की रात होती है. इस मौके पर अपने जीवनसाथी के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार करें. उसे समझें और खुद को भी उसे समझने का मौका दें. आप के शराब पी कर आने पर वह आप के बारे में अच्छा नहीं सोच पाएगी.

स्पर्म काउंट कम होने की संभावना

शराब के अधिक सेवन और जरूरत से ज्यादा तनाव लेने से पुरुषों के स्पर्म काउंट कम होने की संभावना भी रहती है. हाल ही में एक रिसर्च से पता चला है कि लगातार शराब के सेवन से शुक्राणुओं पर बुरा असर पड़ता है. जितनी अधिक शराब का सेवन उतनी ही खराब क्वालिटी का वीर्य. शराब के दुष्प्रभाव से हारमोन का संतुलन भी बिगड़ता है, जिस से शुक्राणुओं पर बुरा असर पड़ता है.

नशा उतरने पर अफसोस होता है

शराब के सेवन के बाद आप अपने होश में नहीं रहते हैं और कुछ ऐसा कर जाते हैं, जिस के बारे में आप ने सोचा नहीं होता. नशे में आप को वह महिला भी आकर्षक नजर आती है जिसे आप होश में होने पर पसंद नहीं करते. नशे में आप उस के साथ काफी आगे तक बढ़ जाते हैं. लेकिन जब नशा उतरता है तो पता चलता है कि आप से क्या हो गया, क्योंकि तब आप को वह उतनी आकर्षक नहीं लगती जितनी कि नशे में लग रही थी. तब आप को अफसोस होता है कि आप ने ऐसा क्यों किया.

परफौर्मैंस गिराती है

शराब के नशे में नियंत्रण खो देना आम बात है. खासकर जब 1 या 2 पैग ज्यादा ले लिए जाएं. लेकिन जब आप बिस्तर में पहुंचते हैं तो आप को लगता है कि काश कम पी होती, क्योंकि आप होश में नहीं होते और खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाते. इस का असर आप की परफौर्मैंस पर पड़ता है. शायद इसी वजह के चलते शैक्सपीयर ने कहा है कि शराब डिजायर बढ़ाती है पर परफौर्मैंस गिराती है.

खतरे से भरी सैक्स लाइफ

शराब के असर से लोग अकसर अविवेकपूर्ण सैक्स में लिप्त हो जाते हैं. इस का परिणाम सैक्स संक्रमित रोग होना, गर्भ ठहरना और पुराने रिश्तों के टूटने में हो सकता है. इस के अलावा और भी कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं. महिलाओं में शराब की वजह से मासिकधर्म की दिक्कतें शुरू हो जाती हैं. हारमोन संतुलन भी बिगड़ जाता है, जिस का असर सैक्स लाइफ पर पड़ता है. शराब के सेवन से लिवर खराब हो जाता है, पाचनतंत्र पर असर पड़ता है, कैंसर की संभावना बढ़ जाती है. अधिक मात्रा में शराब का सेवन दिल को कमजोर करता है, क्योंकि शराब पीने के बाद रक्तसंचार बढ़ जाता है जिस कारण दिल ज्यादा तेजी से धड़कता है.

नशे की हालत में भूल

नशे की हालत में अकसर गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करना भूल जाना आम बात है, क्योंकि आप अपने होश में नहीं होते. आप में सही और गलत के बीच फर्क करने की क्षमता नहीं होती. फिर जब सुबह आंख खुलती है और नशा उतर गया होता है तब एहसास होता है कि हम गलती कर बैठे. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और उस गलती का खमियाजा भुगतना पड़ता है.

गर्भावस्था के लिए हानिकारक

जब आप गर्भवती हो जाएं तो आप का शराब से दूर रहना आवश्यक है, क्योंकि यह एक कटु सत्य है कि अगर मां शराब पी रही है तो बच्चा भी शराब पी रहा है. मां के द्वारा पी गई शराब बच्चे के रक्तप्रवाह का हिस्सा बन जाती है. इस का प्रभाव शिशु के मानसिक विकास पर भी पड़ता है. अधिक शराब के सेवन से शिशु के शरीर का आकार कम हो सकता है.

उत्तेजना में कमी आती है

अधिक शराब पीने से लिंग की उत्तेजना में कमी आ जाती है. इसी तरह यदि महिला ने भी शराब पी हो, तो उस के लिए भी चरम सुख तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है.

सैक्स का मजा किरकिरा हो जाता है

सैक्स क्रिया को ऐंजौय करने और मिलन का समय बढ़ाने के लिए जरूरी है कि आप शराब या अन्य नशीले पदार्थ का सेवन न करें, क्योंकि नशे में आप को जल्दी नींद आ सकती है, जिस से सैक्स का मजा किरकिरा हो सकता है.

कुछ भी करने को मजबूर कर देती है

नशे की लत लोगों को कुछ भी करने को मजबूर कर देती है. नशे के लिए लोग अच्छे और बुरे में फर्क को भूल जाते हैं. जब शराब की लत लगती है तो वे इस के लिए कुछ भी करने से गुरेज नहीं करते. महिलाएं पैसे के लिए अपना शरीर बेचने तक को तैयार हो जाती हैं.

आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में अस्मत के एक ऐसे लुटेरे का मामला सामने आया, जो शराब और सिगरेट देने के एवज में लड़कियों की इज्जत लूटता था. यह व्यक्ति फ्री में शराब और सिगरेट देने के एवज में लड़कियों से शारीरिक संबंध बनाता था. मन भर जाने पर उन से किनारा कर लेता था. पर उधर लड़कियों को नशा करने की लत लग गई होती थी. तब वे अपनी इस लत को पूरा करने के लिए अपनी मरजी से उस के साथ सैक्स करने के लिए तैयार हो जाती थीं. सिडनी की एक जिला अदालत में उस व्यक्ति पर सैक्स, बलात्कार और नशे का लालच देने जैसे कई मामलों में केस चल रहे हैं.

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आमिर और कैटरीना का ये हौट डांस वीडियो हो रहा है वायरल

आमिर खान ने 14 मार्च को 53वां जन्मदिन सेलिब्रेट किया. जन्मदिन के मौके पर आमिर खान को बौलीवुड के कई सितारों ने शुभकामनाएं दी. फातिमा सना शेख, प्रीति जिंटा, माधुरी दीक्षित और सचिन तेदुंलकर जैसे सितारों ने बधाई दी, लेकिन बौलीवुड अभिनेत्री ने इंस्टाग्राम पर जन्मदिन की बधाई देते हुए एक वीडियो शेयर किया.

कैटरीना कैफ के द्वारा शेयर किए गए वीडियो में आमिर खान और कैटरीना कैफ एक साथ थिरकते हुए नजर आ रहे हैं. सोशल मीडिया पर आमिर खान और कैटरीना कैफ का यह वीडियो वायरल हो गया है. वीडियो को एक दिन में ही 14 लाख 80 हजार से ज्यादा लोग देख चुके हैं.

वीडियो को शेयर करते हुए कैटरीना कैफ ने कैप्शन लिखा, ”जन्मदिन की शुभकामनाएं आमिर खान. अभी बहुत बार एक साथ डांस करना है. इंस्टाग्राम पर स्वागत है.” वीडियो में कैटरीना और आमिर खान ने ट्रैक सूट और टी-शर्ट पहने हुए नजर आ रहे हैं.

वीडियो देखकर पता चलता है कि दोनों डांस प्रैक्टिस कर रहे हैं. यदि आमिर खान के लुक की बात करें तो आमिर खान का लुक उनकी अपकमिंग फिल्म ‘ठग्स औफ हिंदोस्तान’ से प्रेरित है. आमिर बड़ी-बड़ी मूछों के साथ ही लंबे बालों में नजर आ रहे हैं. आमिर खान ने अपने फैंस को तोहफा देते हुए जन्मदिन के दिन इंस्टाग्राम पर अकाउंट बनाया है.

वीडियो में यूजर्स कमेंट कर दोनों की तारीफ कर रहे हैं. एक यूजर ने कमेंट बौक्स में लिखा, आपका डांस शानदार है, आपकी कला लाजवाब है भगवान आपको तरक्की दें. वहीं एक अन्य यूजर ने कमेंट बौक्स में लिखा, काबिले-तारीफ.

‘ठग्स औफ हिंदोस्तान’ में अमिताभ बच्चन के साथ कैटरीना कैफ, फातिमा सना सेख और आमिर खान भी नजर आएंगे. यशराज प्रोड्क्शन के बैनर तले बन रही इस फिल्म का निर्देशन विजय कृष्ण आचार्य कर रहे हैं. फिल्म दिवाली के मौके पर सिनेमाघरों में रिलीज की जाएगी. फिल्म ठग्स औफ हिंदोस्तान की कहानी साल 1839 में प्रकाशित फिलिप मीडोज टेलर की किताब ‘कनफेशंस औफ ए ठग’ पर आधारित है.

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