बेसनी चीज कौइन्स

सामग्री

– 1/2 कप बेसन

– 1/4 कप चिड़वा

– 1 छोटा चम्मच अदरक व हरीमिर्च पेस्ट

– 1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

– 1 बड़ा चम्मच सूजी

– कौइन्स सेेंकने के लिए थोड़ा सा तेल

– 1 बड़ा चम्मच लाल व पीली शिमलामिर्च बारीक कटी

– 1 बड़ा चम्मच प्याज बारीक कटा

– 2 क्यूब्स चीज

– नमक स्वादानुसार

विधि

– चिड़वे को धो कर 1/2 कप पानी में 10 मिनट भिगो कर रखें.

– बेसन में भीगा चिड़वा व अन्य सामग्री मिलाएं.

– पकौड़े लायक घोल बनाने के लिए पानी डालें और हैंड मिक्सर से चर्न करें.

– एक नौनस्टिक तवे को चिकना कर के उस पर थोड़ाथोड़ा घोल डाल कर फैलाएं और उलटपलट कर सेंक लें.

– प्रत्येक कौइन्स पर लाल व पीली शिमलामिर्च, प्याज डालें.

– ऊपर से चीज बुरक दें.

– ओवन या तवे पर ही धीमी आंच पर कौइन्स रख ऊपर से ढक दें.

– जब चीज पिघलने लगे तब प्लेट में डाल कर सर्व करें.

  • व्यंजन सहयोग: नीरा कुमार

 

 

अचारी पनीर फिंगर्स

सामग्री

– 1 कप बेसन बारीक

– 200 ग्राम पनीर

– 1/2 कप पके चावल

– 2 छोटे चम्मच अचार का रैडीमेड मसाला

– 1/2 छोटा चम्मच खसखस

– 1 छोटा चम्मच अदरक व लहसुन पेस्ट

– 1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

– 2 बड़े चम्मच दही

– चुटकी भर खाने वाला सोडा

– 1 छोटा चम्मच तिल

– फिंगर्स तलने के लिए रिफाइंड औयल

– थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

– मिर्च व नमक स्वादानुसार.

विधि

– पके चावल में बेसन व थोड़ा पानी डाल कर हैंड मिक्सर से चर्न करें.

– मिश्रण पकौड़ों लायक होना चाहिए.

– इस में सभी सूखे मसाले, दही और धनियापत्ती मिलाएं.

– 10 मिनट ढक कर रखें.

– पनीर के डेढ़ इंच लंबे फिंगर्स की तरह टुकड़े कर लें.

–  प्रत्येक पनीर के टुकड़े को बेसन में लपेट कर गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें.

– चटनी या सौस के सार्व सर्व करें.

अनियमित मासिकधर्म का गर्भावस्था पर असर

असामान्य मासिकधर्म न केवल आप के दैनिक जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि गर्भवती होने की आप की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है. अपने मासिकधर्म चक्र पर ध्यान रखने से खुद के स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ पता चल सकता है.

मासिकधर्म चक्र क्या है

यदि शरीर प्राकृतिक नियमों और उन के क्रियाकलापों का पालन करता है, तो हर लड़की और महिला को पीरियड 21 से 35 दिनों के अंदर होता है. इस का साफ मतलब यह भी हो सकता है कि आप को एक कैलेंडर महीने में 2 बार पीरियड हो सकता है. प्रत्येक चक्र को 2 चरणों में विभाजित किया जा सकता है- फौलिक्यूलर फेज और ल्यूटियल फेज.

आप के पीरियड का पहला दिन आप के चक्र का पहला दिन है और फौलिक्यूलर फेज की शुरुआत को चिन्हित करता है, जिस के दौरान मस्तिष्क के उत्तेजित हारमोन (एफएसएच), जोकि फीमेल सैक्स हारमोन है, मस्तिष्क से निकलता है ताकि एक प्रमुख फौलिकल (कूप) जिस में एक अंडाणु होता है उस के विकास को प्रोत्साहित कर सके. चूंकि अंडाणु परिपक्व होता है, फौलिकल गर्भाशय के स्तर की वृद्धि को उत्तेजित करने के लिए ऐस्ट्रोजन को निर्गत करता है.

दूसरे चरण की शुरुआत ओव्युलेशन की शुरुआत के साथ होती है जो ल्यूटियल फेज की शुरुआत को चिन्हित करता है. इस फेज के दौरान अंडाशय गर्भाशय की परत को परिपक्व करने के लिए प्रोजेस्टेरौन को निर्गत करता है और इसे भ्रूण के प्रत्यारोपण के लिए तैयार करता है. अगर गर्भावस्था अस्तित्व में नहीं आती है, तो प्रोजेस्टेरौन का स्तर गिरता है और रक्तस्राव 14 दिनों के अंदर होता है जब ल्यूटियल फेज समाप्त हो जाता है.

21 से 35 दिनों का सामान्य मासिकचक्र यह दर्शाता है कि ओव्युलेशन अस्तित्व में आया और सभी यौन हारमोन प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने के लिए संतुलित हैं. 35 दिनों या इस से अधिक समय तक जारी लंबे या अनियमित मासिकधर्म चक्र से यह संकेत मिलता है कि ओव्युलेशन नियमित नहीं है या यह अस्तित्व में ही नहीं आ रहा है. ऐसा तब होता है जब एक फौलिकल परिपक्व और अंडाकार नहीं होता है और प्रोजेस्टेरौन को निर्गत करने की अनुमति नहीं देता है.

गर्भाशय की परत ऐस्ट्रोजन के कारण निर्माण जारी रखती है और इतनी मोटी हो जाती है कि यह अस्थिर हो जाती है और अंत में इस की वजह से रक्तस्राव होता है. अकसर भारी रक्तस्राव होता है.

एक छोटा मासिकधर्म चक्र 21 दिनों से कम समय में होता है जो इंगित करता है कि ओव्युलेशन बिलकुल अस्तित्व में नहीं आया. यह यह भी संकेत दे सकता है कि आप के अंडाशय में सामान्य से कम अंडाणु पैदा हो रहे हैं और रजोनिवृत्ति समीप आने वाली है. इस की पुष्टि करने के लिए आप को खून की जांच करने की जरूरत होती है. अंडाशय में अंडाणुओं की घटती संख्या के साथ मस्तिष्क एक फौलिकल विकसित करने के लिए अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए अधिक एफएसएच निर्गत करता है. इस का परिणाम समय से पहले फौलिकल और ओव्युलेशन के विकास में होता है. इस के अलावा कभीकभी रक्तस्राव तब भी हो सकता है जब आप छोटे मासिकचक्र की वजह से ओव्युलेट की स्थिति को प्राप्त नहीं कर पाती हैं.

यदि आप को रक्तस्राव 5 से 7 दिनों से अधिक समय तक हो रहा है, जिस के परिणामस्वरूप सिलसिलेवार तरीके से यह दर्शाता है कि आप को ओव्युलेशन प्राप्त नहीं हुआ है. यदि आप को इस से अधिक समय तक या फिर पीरियड के बीच में रक्तस्राव होता है, तो यह गर्भाशय या गर्भाशय के भीतर संभावित पौलिप्स, फाइब्रौयड, कैंसर या फिर संक्रमण के कारण हो सकता है. यदि भू्रण इस समय गर्भाशय में प्रवेश करता है, तो गर्भधारण कर पाने में अक्षमता या गर्भपात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

छोटा मासिकचक्र

छोटा मासिकचक्र निम्नलिखित में से किसी एक को इंगित कर सकता है:

अंडाणु की खराब गुणवत्ता: छोटा चक्र विशेषरूप से उम्रदराज महिलाओं में डिंबग्रंथि की गुणवत्ता में कमी को दर्शाता है. आप का मासिकधर्म चक्र उम्र के साथ घटता जाता है. खासतौर से पहले भाग के समय जिस के दौरान अंडाणु परिपक्व होता है और ओव्युलेशन के लिए तैयार होता है. एक अविकसित अंडाणु पूरी तरह परिपक्व नहीं हो सकता है और इस की वजह से गर्भाधान की स्थिति कमजोर हो सकती है.

गर्भपात का जोखिम: छोटे मासिकधर्म चक्र वाली महिलाओं की तुलना में 30 से 31 दिनों के मासिकधर्म चक्र वाली महिलाओं में गर्भधारण करने की अत्यधिक संभावना होती है. जिन महिलाओं का मासिकधर्म छोटा होता है वे गर्भधारण तो कर लेती हैं, लेकिन उन में गर्भावस्था के नुकसान या फिर गर्भपात होने की संभावना अधिक रहती है. यदि ल्यूटियल फेज छोटा होता है, तो गर्भावस्था के अवसर को बढ़ाने वाली स्थिति के लिए छोटी जगह ही मिलती है.

 

फिल्म रिव्यू : केदारनाथ

2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर में हुई बारिश की तबाही की पृष्ठभूमि पर अभिषेक कपूर एक प्रेम प्रधान फिल्म ‘‘केदारनाथ’’ लेकर आए हैं. कमजोर कहानी,अति कमजोर पटकथा व घटिया निर्देशन के चलते यह एक अति सामान्य प्रेम कहानी वाली फिल्म बन कर रह गयी है. जिसमें न इश्क की गहराई है और न ही केदारनाथ की त्रासदी का दर्द ही है. अफसोस की बात है कि हम 2018 में यानी कि इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं, मगर लेखक व निर्देशक ने जिस तरह के घटनाक्रम रचे हैं, वह साठ व सत्तर का दशक याद दिलाते हैं.

फिल्म की कहानी उत्तराखंड के केदारनाथ में रह रहे व केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित जी (नितीश भारद्वाज) यानी कि हिंदू परिवार की लड़की मंदाकिनी (सारा अली खान ) उर्फ मुक्कू और पिठ्ठू के कार्य में रत मुस्लिम युवक मंसूर (सुशांत सिंह राजपूत) की प्रेम कहानी है. मंदाकिनी और मंसूर दोनों क्रिकेट के दीवाने हैं.

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मंसूर के पिता भी इसी क्षेत्र में पिठ्ठू के रूप में काम किया करते थे. उनके नेक कारनामों के ही चलते केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी ने उन्हे मंदिर में पहुंचकर घंटी बजाने की इजाजत दे रखी थी. अब मंसूर भी हर दिन ऊपर चढ़कर एक बार मंदिर की घंटी बजा लेता है. मंसूर नेकदिल युवक है. यात्रियों को सकुशल मंदिर तक पहुंचाने के साथ साथ पैसे भी कम लेता है. इससे मंसूर की मां काफी परेशान रहती है.

उधर मंदाकिनी के पिता पंडित जी ने उसकी बड़ी बहन (पूजा गौर) की शादी मंदिर से ही जुड़े कल्लू (निशांत दहिया) नामक युवक से पांच साल पहले मंगनी कर तय कर दी थी. मगर पांच साल बाद कल्लू की जिद के चलते अब मक्कू उसकी मंगेतर है. पर खुद मंदाकिनी उर्फ मक्कू को कल्लू पसंद नही है. हर माह वह अपने पिता के पास अपना हाथ मांगने के लिए किसी न किसी युवक को भेजती रहती है.

मंदाकिनी को जब भी केदारनाथ से रामगढ़ जाना होता, तो वह मंसूर को ही अपना पिठ्ठू चुनती. अल्हड़ स्वभाव की मंदाकिनी को मंसूर से प्यार हो जाता है. मंसूर अपनी तरफ से मंदाकिनी को समझाने का प्रयास करता है कि उन दोनों का मिलन संभव नहीं. मगर मंदाकिनी तो उसी के साथ पूरी जिंदगी बिताना चाहती है. यह प्रेम कहानी आगे बढ़ रही होती है, तभी मंदाकिनी की बड़ी बहन मंसूर से मिलकर कह देती है कि मंदाकिनी उसके साथ खेल खेल रही है. मंसूर, मंदाकिनी से दूरी बना लेता है. पर मंदाकिनी उसके पीछे पड़ी हुई है. एक दिन बारिश में मंसूर के घर के सामने भीगते भीगते मंदाकिनी बेहोश हो जाती है. रात हो चुकी है. मंसूर अपनी मां की आज्ञा का उल्लंघन कर उसे अपने घर ले आता है. इस बात की खबर कल्लू को लग जाती है.

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कल्लू अपने हिंदूधर्म के साथियों व मंदाकिनी के पिता गुरू के साथ मंसूर के घर पहुंचता है. मंदाकिनी के पिता उसे अपने साथ ले जाकर गंगा नदी में खड़ा कर मंत्रों से उसका शुद्धिकरण करते हैं.

उधर मंसूर, मंदाकिनी के पिता से बात करने आता है, तो कल्लू व उसके साथी उसे अधमरा कर देते हैं. दूसरे दिन सुबह सुबह मंदाकिनी व कल्लू का विवाह करा दिया जाता है. पर विदाई से पहले मंदाकिनी ब्लेड से अपने हाथ की नस काट लेती है, विदाई टल जाती है. अचानक केदारनाथ में बारिश के रूप में तबाही आ जाती है. हर घर तबाह हो जाता है. लोग नदी में बहने लगते हैं. मंसूर अपनी जान पर खेलकर मंदाकिनी, मंदाकिनी के माता पिता सहित कई हिंदुओं की जान बचाता है. पर खुद मौत के मुंह में समा जाता है.

लेखक की कमजोरी के चलते कमजोर कहानी व घटिया स्तर की पटकथा ने फिल्म को तहस नहस कर दिया. प्रेम कहानी के साथ मैलोड्रामा काफी पैदा किया गया है. लेखक ने होटल, माल्स आदि के विस्तारीकरण के साथ पर्यावरण को क्षति पहुंचाने का मुद्दा इस तरह उठाया कि वह कहीं से भी उभर नहीं पाया.

बल्कि कहानी में भटकाव ही लाता है. इंटरवल से पहले यह फिल्म किसी भी सीरियल का एक अति सुस्त एपिसोड मात्र है, जिसमें कहानी कहीं आगे नहीं बढ़ती. इंटरवल के बाद फिल्म इतनी मैलोड्रामैटिक है कि उम्मीद नही जगाती. इतना ही नहीं लेखक व निर्देशक की अपनी बेवकूफियों के चलते 2013 में केदारनाथ व उत्तराखंड ने तबाही का जो मंजर देखा था, वह भी फिल्म में उभर नहीं पाता. सच यही है कि फिल्म में न इश्क की गहराई है और न ही केदारनाथ की त्रासदी का दर्द ही है. बेमन से बनाई गयी फिल्म है. जहां तक अभिनय का सवाल है तो सैफ अली खान व अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान की तारीफ करनी ही पड़ेगी. सारा अली खान के करियर की यह पहली फिल्म है, पर वह पूरी फिल्म में खूबसूरत लगने के साथ ही अपने बेहतरीन अभिनय के चलते छा जाती हैं. सुशांत सिंह राजपूत ने काफी निराश किया है. लेखक व निर्देशक के बाद इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी सुशांत सिंह राजपूत हैं. अमृता सिंह की प्रतिभा को जाया किया गया है.

फिल्म का गीत संगीत भी असरहीन है. फिल्म का सकारात्मक पक्ष इसकी लोकेशन है, जिसके लिए फिल्म के कैमरामैन तुषार कांति रे की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है. तुषार कांति रे ने अपने कैमरे के माध्यम से हिमालय की खूबसूरती को बहुत अच्छे ढंग से चित्रित किया है.

दो घंटे की अवधि वाली फिल्म ‘‘केदारनाथ’’ का निर्माण रौनी स्क्रूवाला, प्रज्ञा कपूर, अभिषेक कपूर और अभिषेक नायर ने किया है. फिल्म के निर्देशक अभिषेक कपूर, लेखक: अभिषेक कपूर व कनिका ढिल्लों, संगीतकार: अमित त्रिवेदी, कैमरामैन: तुषार कांति रे तथा कलाकार हैं – सुशांत सिंह राजपूत, सारा अली खान, नितीश भारद्वाज, सोनाली सचदेव, अलका अमीन, पूजा गौर, निशांत दहिया व अन्य.

लेदर के सोफे को साफ करने के उपाय

लेदर से बने फर्नीचर काफी समय तक चलते हैं लेकिन इनकी देखभाल करना बहुत जरूरी होता है क्योंकि धूल-मिट्टी या फिर कोई तैलीय चीज अगर इन पर गिर जाए तो यह चिपचिपे लगने लगते हैं. आज बताते हैं आप इनका देखभाल कैसे कर सकती हैं.

सबसे पहले सोफे को सौफ्ट ब्रश के वैक्यूम क्लीनर के साथ साफ करें. इससे लैदर पर जमी धूल-मिट्टी आसानी से साफ हो जाएगी.

  • सोफे को साफ करने के बाद इसकी कंडीशनिंग करना भी जरूरी है ताकि लैदर का चमक बनी रहे. इसके लिए आप सिरका और अलसी का तेल इस्तेमाल कर सकती हैं. 2 चम्मच सिरके मे 1 चम्मच अलसी का तेल डाल कर मिक्स करें. सोफे पर लगाने के बाद इसे सूखने दें.  अंत में अगले दिन सोफे को साफ कपड़े के साथ अच्छे से पौंछ लीजिए. लैदर की चमक देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
  • सिरका बहुत अच्छा कीटाणु नाशक है. पानी और सिरके को बराबर मात्रा में एक स्प्रे बोतल में डाल लें. इस घोल को सोफे पर छिड़क कर किसी नर्म कपड़े से साफ करें. इसे दाग-धब्बे दूर होने के साथ कीटाणु भी नष्ट हो जाएंगे. इसके बाद सोफे को सूखने के लिए छोड़ दें लेकिन इस बात का ख्याल रखें कि इसे ब्लो ड्रायर से न सूखाएं. इससे लेदर की शाइनिंग खराब हो सकती है.

सर्दियों में केले के फेस मास्क से पाएं चेहरे पर निखार

सर्दियों के मौसम में आपकी त्वचा को दूसरे मौसम के मुकाबले थोड़े ज्यादा हाईड्रेशन की जरूरत होती है. हम सभी जानते हैं कि केले में हाईड्रेटिंग प्रोपर्टी होती हैं और इसे जब त्वचा पर लगाया जाता है तो ये उसे माइशचराइज करता है. इस आर्टिकल में हम आपको केले से तैयार होने वाले बेसिक और आसान फेस पैक के बारे में बताएंगे जो इस सर्दी में झुर्रियों और बारीक लकीरों की समस्या को कम कर आपकी त्वचा की रक्षा करेंगे.

केला, दूध और गुलाब की पंखुड़ियों का फेस पैक

सामग्री : 1 पका हुआ केला, 2 चम्मच कच्चा दूध, 1 चम्मच मक्खन, थोड़ी सी गुलाब की पंखुड़ियां.

कैसे करें तैयार : पके हुए केले को छील कर उसके छोटे टुकड़ें कर लें और फिर उसे ब्लेंडर में डाल दें. अब इसमें कच्चा दूध, गुलाब की पंखुड़ियां और बिना नमक वाला मक्खन मिलाएं. इन सब को ब्लेंड करके महीन पेस्ट तैयार कर लें. इसे अपने चेहरे पर लगा लें और 15 से 20 मिनट तक इंतजार करें. इस दौरान आपकी त्वचा इसे अब्सार्ब कर लेगी. अब अपना चेहरा सादे पानी से धो लें. इसके बाद अपने चेहरे पर मौइश्चराइजर लगा लें.

केले और मक्खन का फेस पैक

सामग्री : 1 पका हुआ केला, 2 चम्मच बिना नमक वाला बटर.

कैसे करें तैयार : केला छील लें और उसे मैश करके स्मूद पेस्ट बना लें. अब मक्खन को तब तक फेंटे जब तक उसका टेक्सचर एकदम स्मूद ना हो जाए. अब मैश किये हुए केले में मक्खन को मिला दें और इन दोनों सामग्री को अच्छे से मिक्स करें. इसे पूरे चेहरे में अच्छे तरीके से लगाएं और 15 से 20 मिनट तक रखने के बाद चेहरा धो लें. इस पैक को लगाने के तुरंत बाद ही आपको अपनी त्वचा हाईड्रेटिड लगेगी.

केले और शहद का फेस मास्क

सामग्री : 1 पका हुआ केला 2 चम्मच दही कैसे करें तैयार एक साफ़ बाउल में एक पका हुआ केला मैश करें. अब इसमें सादा दही मिला कर अच्छे से मिक्स करें. अपने चेहरे को साफ करने के बाद इस मिश्रण को अपने फेस पर एकसमान तरीके से लगाएं. इसे लगा कर 15 से 20 मिनट तक रुके फिर सादे पानी से धो लें.

केले और विटामिन ई का फेस पैक

सामग्री : 1 पका हुआ केला, 1 विटामिन ई कैप्सूल, 1 चम्मच शहद.

कैसे करें तैयार : एक पके हुए केले को ब्लेंड करें और उसका पेस्ट बनाएं. एक विटामिन ई का कैप्सूल खोलें और उसका आयल मैश किये हुए केले में मिला लें. अब इसमें कच्चा शहद मिलाएं और अब सभी चीजों को अच्छे से मिक्स करके गाढ़ा पेस्ट बना लें. इस पेस्ट की लेयर चेहरे पर लगा लें और 20 मिनट तक रखें. अब सादे पानी से मुंह धो लें.

बिना पिन डाले निकालें ATM से पैसे, हो रहा है ये बदलाव

आने वाले समय में एटीएम से पैसा निकालने के लिए आपको पिन की जरूरत नहीं है. खबरों की माने तो जल्दी ही एटीएम तकनीक में बड़े बदलाव होने वाले हैं. अब आप एटीएम से पिन की जगह क्यूआर कोड (QR Code) का इस्तेमाल कर के पैसा निकाल सकेंगी.

बैंकों को एटीएम की सुविधा देने वाली कंपनी AGS के अधिकारियों ने बताया कि वो अब यूपीआई प्लैटफौर्म (UPI Platform) पर काम कर रहे हैं. जिससे पिन की जगह क्यूआर कोड का इस्तेमाल कर पैसा निकालना संभव होगा. यूपीआई पेमेंट सर्विस का इस्तेमाल करने के लिए किसी नए ऐप की जरूरत नहीं है, ना ही इसके लिए किसी सर्विस में साइन-इन करना पड़ेगा. इसके जरिए पैसे निकालने के लिए खाताधारकों को मोबाइल एप्लीकेशन को सब्सक्राइब करना पड़ेगा.

यूपीआई माध्यम से पेमेंट करते वक्त यूजर्स को क्यूआर कोड को स्कैन करना होता है. इसके लिए किसी भी यूपीआई इनेबल्ड ऐप से आपका बैंक खाता लिंक होना चाहिए. इससे आप आसानी से क्यूआर कोड स्कैन कर के कहीं भी पैसा भेज सकती हैं.

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक AGS Transact Technologies के सीएमडी रवि बी गोयल ने इस बारे में जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि इस तकनीक पर काम लगभग पूरा हो चुका है. रवि ने आगे कहा कि इस बारे में उन्होंने कई बैंकों से बात की है और वो सभी इस सुविधा को लेकर काफी उत्सुक हैं. AGS ने कहा कि इस सुविधा पर अभी नेशनल पेमेंट कौरपोरेश औफ इंडिया (NPCI) से मंजूरी मिलने का इंतेजार है.

वर्किंग वुमन ऐसे करें घर की झटपट सफाई

अगर आप वर्किंग वुमन है तो बेशक आपके पास घर की सफाई करने का समय नहीं होता है. आज हम आपके इस परेशानी को चुटकियों में सुलझाएंगे. तो देर किस बात की आइए बताते है कुछ आसान टिप्‍स.

फ्रिज – फ्रिज से स्मैल आना आम बात है. इसे दूर करने के लिए आलू के छिलकों का इस्तेमाल करें. आलू के छिलको को उबाल कर उस पानी से फ्रिज के दरवाजे को अच्छे से साफ कर लें.

नल – घर में लगे नल को साफ करने के लिए टूथपेस्ट का यूज करें. एक कपड़े पर टूथपेस्‍ट लगाकर उससे नल को साफ करें फिर उसके गर्म पानी से धो लें. इस तरह सफाई करने से नल चमकने लगेगा.

कमोड – कमोड के दागों को साफ करने के लिए बेकिंग सोडे का इस्तेमाल करें. ऐसा करने से कमोड जल्दी साफ हो जाएगा.

शीशा – शीशे को हैंड वाश से साफ करें. 1 गिलास पानी में 1 बूंद हैंड वाश डाल कर एक घोल बनाएं. इसके घोल से शीशे को साफ करें.

फिल्म ‘‘उरी’’ में यामी गौतम का यह है लुक

भारतीय सेना के जांबाज सैनिकों द्वारा 2016 में पाकिस्तान के खिलाफ की गयी सर्जिकल स्ट्राइक पर आधारित फिल्म ‘‘उरी’’ में किस कलाकार का क्या लुक होगा, इसको लेकर लोगों में काफी उत्सुकता है. खासकर महिला कलाकार यामी गौतम के लुक को लेकर रहस्य बना हुआ था. तो अब यामी गौतम का लुक सामने आ चुका है. वह इस फिल्म में एकदम नए अवतार में नजर आने वाली हैं. इस फिल्म में नीले रंग की शर्ट और ब्लेजर पहने यामी काफी संजीदा किरदार में नजर आने वाली हैं.

इस फिल्म में पहली बार यामी गौतम आर्म्ड फोर्सेस के किरदार में नजर आने वाली हैं. इस तरह का किरदार यामी ने पहली बार निभाया है. अपने किरदार में पूरी तरह ढल जाने के लिए उन्होंने अपने बालों को छोटा कराया है, ताकि वह इंटेलीजेंस औफिसर की तरह दिखें.

फिल्म ‘उरी’ में विक्की कौशल की मुख्य भूमिका है. इसके अलावा फिल्म में परेश रावल, कीर्ति कुल्हरी और मोहित रैना भी बेहद खास किरदारों में नजर आएंगे.

लेखक व निर्देशक आदित्य धर तथा निर्माता रौनी स्क्रूवाला की यह फिल्म 11 जनवरी 2019 को पूरे विश्व में एकसाथ प्रदर्शित होगी.

तो रिचा चड्ढा बनेंगी फिल्म निर्माता

प्रियंका चोपड़ा व अनुष्का शर्मा के पद चिन्हों पर चलते हुए अब अभिनेत्री रिचा चड्ढा भी बतौर निर्माता एक लघु फिल्म का निर्माण व निर्देशन करने जा रही हैं. उन्हें यह मौका उनकी खास दोस्त व अमरीका के न्यूयार्क शहर में रहने वाली फिल्मकार शुचि तालाती की वजह से मिला है.

वास्तव में शुचि तालाती ने एक टीनएज प्रेम कहानी वाली फिल्म का लेखन किया है और वह चाहती हैं कि उनकी लिखी इस कहानी पर फिल्म का निर्माण व निर्देशन रिचा चड्ढा करें. रिचा ने कहानी पढ़ने के बाद निर्माण व निर्देशन के क्षेत्र में उतरने का फैसला कर लिया. फिलहाल फिल्म का नाम तय नही है. पर अब रिचा चड्ढा अपनी कंपनी के तहत लघु फिल्मों के अलावा नए तरह के कंटेंट पर फिल्में आदि बनाती रहेंगी.

शुचि व रिचा ने दिल्ली में एक ही कौलेज में एक साथ पढ़ाई की थी. अब दोनों प्रोफेशन में भी एक साथ काम करने वाली हैं.

खुद रिचा चड्ढा कहती हैं -‘‘मेरे ख्याल से फिल्म निर्माण और कंटेंट हर कलाकार के आगे बढ़ने का एक सहज तरीका है. मुझे लगता है कि आज के जमाने में कोई भी इंसान सिर्फ एक काम को करते हुए जिंदगी जीना पसंद नही करता. कम से कम मैं तो बिलकुल भी नही कर सकती. मैं हमेशा से फिल्मों से एक से अधिक तरीकों से जुड़ना चाहती थी. हमारे आस पास इस तरह के सशक्त लोग मौजूद हैं, जो अभिनय के साथ साथ नए जमाने के कंटेट को शेप देने में भी माहिर हैं. मुझे खुशी है कि शुचि ने मुझसे इस फिल्म को बनाने के लिए कहा. इसकी वजह से मुझे अपनी छोटी कंपनी शुरू करने का मौका मिल गया. हम दोनों मिलकर प्यारी व मनोरंजक फिल्म बनाएंगे.’’

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