ऐसे रखें घर को जर्म फ्री

आमतौर पर हर कोई अपने घर की साफ-सफाई तो करता ही हैं. लेकिन हर रोज घर के कोनों को साफ करना आसान काम नहीं है. वाशिंग मशीन, दरवाजे, खिड़कियां, रसोई में इस्तेमाल होने वाली मशीने जैसे मिक्सर, जूसर आदि छोटी-छोटी जगहों में कीटाणु बहुत जल्दी लग जाते हैं. जिसे अनदेखा करना हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकते है. घर को कीटाणु मुक्त रखने के लिए आज हम आपको टिप्स बताने जा रहे हैं, जो साफ-सफाई में आपके लिए बहुत मददगार होंगे.

–  घर के दरवाजों को हैंडल्स को बार-बार छूने से भी कीटाणु फैलते हैं. इनको बैक्टिरिया मुक्त करना बहुत जरूरी है. हैंडल्स को साफ करने के लिए सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें.

–  पोंछा का साफ होना बहुत जरूरी होता है. इस्तेमाल के बाद इनको नमक वाले पानी के साथ धोएं. सिरके के पानी में कुछ देर के लिए इन्हें डूबो कर रखें और धूप में सुखाएं.

–  कपड़े धोने के लिए आप वाशिंग मशीन का इस्तेमाल तो करती ही हैं लेकिन बाद में इसे साफ-सुथरा और सुखा कर रखना भी आपके लिए बहुत जरूरी है. मशीन अलग गीली छोड़ दी जाए तो इसमें कीटाणु जल्दी पनपने लगेंगे. कपड़े धोने के बाद मशीन में पानी डालकर इसमें एक ढक्कन सफेद सिरका डाल दें और 2 मिनट के लिए ऐसे ही चलाएं. बाद में पानी निकाल दें. इससे मशीन में छुपे बैक्‍टीरिया और वायरस मर जाएंगे और मेहनत भी नहीं लगेगी.

ऐसे आएगी मीठी नींद

दिन भर का थका इंसान जब रात में बिस्तर पर लेटता है, तो उस की ख्वाहिश होती है सुकून भरी मीठी नींद की. गहरी और आरामदायक नींद दिन भर की थकान दूर कर शरीर में नई ताजगी भर देती है.

एक तंदुरुस्त इंसान के लिए 5-6 घंटे की नींद काफी है, जबकि छोटे बच्चों के लिए  10-12 घंटे की नींद जरूरी होती है. बुजुर्गों के लिए 4-5 घंटे की नींद भी काफी है.

रात में अच्छी नींद न आने से कई तरह की शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आंखों के नीचे काले घेरे, खर्राटे, चिड़चिड़ापन और एकाग्रता में कमी, निर्णय लेने में दिक्कत, पेट की गड़बड़ी, उदासी, थकान जैसी परेशानियां सिर उठा सकती हैं.

नींद न आने के कारण

  • नींद न आने के बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे चिंता, तनाव, निराशा, रोजगार से जुड़ी परेशानियां, मानसिक और भावनात्मक असुरक्षा वगैरह.
  • इस के अलावा तय समय पर न सोना, चाय या कौफी का ज्यादा सेवन, कोई तकलीफ या बीमारी, देर से खाना या भूखा सो जाना, देर रात तक टीवी, इंटरनैट और मोबाइल फोन से चिपके रहना, दिन भर कोई काम न करना आदि कारण भी अनिद्रा की वजह बन सकते हैं.

कैसे आएगी मीठी नींद

  • जिन्हें दिन में बारबार चाय या कौफी पीने की आदत होती है वे रात में जल्दी नहीं सो पाते. चाय या कौफी में मौजूद कैफीन नींद में बाधा पैदा करती है, इसलिए खास कर सोने से तुरंत पहले इन का सेवन कतई नहीं करना चाहिए.
  • अगर आप दिमागी रूप से किसी बात को ले कर परेशान हैं और कोई फैसला नहीं कर पा रहे हैं, तो आप की नींद डिस्टर्ब हो सकती है. ऐसे में आप को उस बारे में सोचना छोड़ना होगा. अच्छी नींद के लिए दिमाग का शांत होना बहुत जरूरी है.
  • यदि आप सोने का प्रयास कर रहे हैं पर नींद नहीं आ रही है, तो उठ कर थोड़ी देर टीवी देखें, कोई मनपसंद किताब पढ़ें या फिर हलका संगीत सुनें, इस से आप को अच्छी नींद आएंगी.
  • सोने से पहले थोड़ी देर के लिए अपने दिमाग को किसी खास चीज पर फोकस करें. इस से मन की चंचलता कम होगी और आप को अच्छी नींद आएगी.
  • दिन में न सोएं तो रात में गहरी नींद आती है.
  • रात में सोने से पहले थोड़ी देर टहलना चाहिए. इस से हाजमा सही रहता है और नींद भी सुकूनभरी आती है. डिनर में भारी खाना नहीं लेना चाहिए.
  • खाना खाने के तुरंत बाद सोने न जाएं. सोने से 3 घंटे पहले भोजन कर लें.
  • सोने से पहले नहा लेने से भी गहरी नींद आती है.
  • सोने और जागने का समय तय रखें. रोज एक ही समय पर सोने से नींद गहरी आती है.
  • सोते समय हमेशा ढीलेढाले कपड़े पहनने चाहिए.
  • कमरे का तापमान ज्यादा अधिक ठंडा और न ज्यादा गरम रखें. वरना बारबार नींद टूटती रहती है.
  • रात को सोने से पहले कुनकुने दूध में हलदी मिला कर पीने से अच्छी नींद आती है.
  • सोते समय कमरे में हलकी रोशनी होनी चाहिए.
  • दिनभर औफिस में बैठ कर काम करना पड़ता है, जिस से कमर दर्द, पीठ दर्द होता है. इसलिए रोज व्यायाम जरूर करें. व्यायाम करने से दर्द दूर रहेगा और नींद भी गहरी आएगी.

इन टिप्स को आजमाने के बाद भी नींद न आने की समस्या जस की तस बनी रहे तो डाक्टर से मिलें और अनिद्रा की समस्या का इलाज कराएं.

जीएं हैल्दी लाइफ

सेहत है तो सब कुछ है. सनकेयर के उत्पाद आप की अच्छी सेहत सुनिश्चित करते हैं. जहां एक तरफ हेमोकाल शरीर में आयरन का संतुलन बनाए रखता है वहीं स्टोमाफिट अपच, गैस और ऐसिडिटि से छुटकारा दिला कर स्टमक को हैल्दी रखता है. आइए जानें शरीर में आयरन की सही मात्रा और फिट स्टमक के फायदों के बारे में…

स्टमक फिट तो आप फिट

पेट में गैस अथवा ऐसिडिटी की समस्या पूरा रूटीन अस्तव्यस्त कर देती है. जानिए, इन से निबटने के कारगर उपाय…

हमारा पेट नाजुक ऊतकों से बना है. खानपान में थोड़ी सी गड़बड़ी सेहत से जुड़ी कई समस्याएं खड़ी कर देती है. पेट में दर्द, जलन व सूजन का एहसास, सीने में जलन व उल्टी की शिकायत, यह सुनने में भले ही बहुत गंभीर बीमारी न लगे, पर ऐसे लक्षण उस वक्त भी दिखते हैं जब पेट में अल्सर की शिकायत होती है. जीवनशैली और खान-पान में बदलाव का नतीजा है कि किशोर और युवाओं में पेट के अल्सर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. सामान्य भाषा में कहें तो पेट में छाले व घाव हो जाने को पेप्टिक अल्सर कहा जाता है.

क्यों होता है पेप्टिक अल्सर

पेट में म्यूकस की एक चिकनी परत होती है, जो पेट की भीतरी परत को पेप्सिन और हाइड्रोक्लोरिक ऐसिड के तीखेपन से बचाती है. इस ऐसिड की खासियत यह है कि जहां यह ऐसिड पाचन के लिए जरूरी होता है, वहीं शरीर के ऊतकों के सीधे संपर्क में आने पर उनको नुकसान भी पहुंचाता है. इस ऐसिड और म्यूकस परतों के बीच तालमेल होता है. इस संतुलन के बिगड़ने पर ही अल्सर होता है. व्यक्ति में शारीरिक या भावनात्मक तनाव पहले से उपस्थित हो तो यह पेप्टिक अल्सर को बढ़ा सकता है. अल्सर कुछ दवाओं के निरंतर प्रयोग, जैसे दर्द निवारक दवाओं के कारण भी हो सकता है. आमतौर पर यह अल्सर नली, पेट और छोटी आंत के ऊपरी भाग की भीतरी झिल्ली में होता है.

कारण है एच. पायलोरी बैक्टीरिया

पेप्टिक अल्सर का सबसे प्रमुख कारण एच. पायलोरी बैक्टीरिया है. वर्ष 1980 में एक ऑस्ट्रेलियाई डाक्टर बेरी जे. मार्शल ने एच. पायलोरी (हेलिकोबेक्टर पायलोरी) नामक बैक्टीरिया का पता लगाया था. इस बैक्टीरिया  को बिस्मथ के जरिए जड़ से मिटाने में सफल होने की वजह से 2005 का नोबल पुरस्कार भी उन्हें मिला. उन्होंने माना था कि सिर्फ खानपान और पेट में ऐसिड बनने से पेप्टिक अल्सर नहीं होता, बल्कि इसके लिए एक बैक्टीरिया भी दोषी है. इसका नाम एच. पायलोरी रखा गया. एच. पायलोरी का संक्रमण मल और गंदे पानी से फैलता है. बरसात के मौसम में गंदगी की समस्या दूसरे मौसमों के मुकाबले अधिक होती है. शारीरिक सक्रियता कम होने और रोग प्रतिरोधक तंत्र में होने वाले बदलाव भी इस बैक्टीरिया को बनाने में सहायक होते हैं. अधिक तला-भुना, मसालेदार भोजन और चाय-कौफी लेना पेट में ऐसिड के स्तर को बढ़ाता है, जिससे अल्सर का खतरा बढ़ जाता है. एच. पायलोरी बैक्टीरिया के संक्रमण से बचने का सबसे आसान तरीका साफ-सफाई का खास ध्यान रखना है.

अल्सर के लक्षण

अल्सर के लक्षणों में ऐसिडिटी होना, पेट फूलना, गैस बनना, बदहजमी, डायरिया, कब्ज, उल्टी, आंव, मितली व हिचकी आना प्रमुख हैं.

तला-भुना और मसालेदार खाना पेट में एच. पायलोरी बैक्टीरिया को फलनेफूलने का वातावरण देता है. इस के कारण धीरे-धीरे अल्सर की समस्या पैदा हो जाती है.

पेप्टिक अल्सर होने पर सांस लेने में भी दिक्कत होती है. बदहजमी की वजह से कभी-कभी ऐसिड ऊपर की ओर आहार नली में चला जाता है, इससे सीने में तेज जलन और दर्द महसूस होता है और ऐसा लगता है जैसे दिल संबंधी कोई रोग हो गया हो. इसका असर गले, दांत, सांस आदि पर पड़ने लगता है. आवाज भारी हो जाती है और मुंह में छाले पड़ जाते हैं. इस तरह की स्थितियों को ऐसिड रिफ्लक्स डिजीज भी कहा जाता है. यदि पेप्टिक अल्सर का जल्द उपचार न किया जाए और यह लंबे समय तक शरीर में बना रहे तो यह स्टमक कैंसर का कारण भी बन जाता है.

गंभीर लक्षण

खून की उल्टी हो या घंटों या दिनों पहले खाया भोजन उल्टी में निकले अथवा हमेशा मतली जैसी महसूस होती हो, तो यह अल्सर के गंभीर लक्षण हैं. असामान्य रूप से कमजोरी या चक्कर महसूस हो, मल में रक्त आता हो, अचानक तेज दर्द उठे जो दवाई लेने पर भी दूर न होता हो और दर्द पीठ तक पहुंचे, वजन लगातार घटने लगे, तो ये लक्षण गंभीर पेप्टिक अल्सर का संकेत हैं.

समय रहते उपचार है जरूरी

पेप्टिक अल्सर के कारण एनीमिया, मल के साथ अत्यधिक रक्तस्राव और लंबे समय तक बने रहने पर स्टमक कैंसर की आशंका बढ़ जाती है. आंतरिक रक्तस्राव होने के कारण शरीर में खून की कमी हो जाती है. पेट या छोटी आंत की दीवार में छेद हो जाते हैं, जिससे आंतों में गंभीर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. पेप्टिक अल्सर पेट के ऊतकों को भी क्षतिग्रस्त कर सकता है, जो पाचन मार्ग में भोजन के प्रवाह में बाधा पहुंचाता है. इस कारण पेट जल्दी भर जाना, उल्टी होना और वजन कम होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

क्या न करें

  • पेप्टिक अल्सर से बचना है तो धूम्रपान न करें. तम्बाकू युक्त पदार्थों से दूर रहें.
  • मांसाहार, कैफीन तथा शराब का सेवन न करें.
  • मसालेदार भोजन से बचें यदि वे आपके पेट में जलन पैदा करते हैं.

क्या करें

  • पेट की समस्याओं से बचने और पाचनतंत्र को सही रखने के लिए इन टिप्स पर गौर करें:
  • पुदीना पेट को ठंडा रखता है. इसे पानी में उबाल कर या मिंट टी के रूप लिया जा सकता है.
  • अजवाइन पेट को हलका रखती है और दर्द से भी राहत दिलाती है.
  • बेलाडोना मरोड़ और ऐठन से राहत दिलाता है.
  • स्टोमाफिट लिक्विड और टैबलेट का सेवन पेट को फिट रखने के लिए काफी लाभकारी है. इस में मौजूद बिस्मथ पेट के विकार को  बढ़ने से रोकने के साथसाथ पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है. डाक्टर की सलाह से इस का सेवन किया जा सकता है.

न होने दें आयरन की कमी

बच्चे को जन्म देने के बाद अकसर महिलाओं को कुपोषण की समस्या से गुजरना पड़ता है. बच्चे के जन्म के तुरंत बाद कुपोषण का बुरा असर मां और बच्चे दोनों पर पड़ता है. गर्भावस्था के दौरान और उस के बाद होने वाला कुपोषण बच्चे के लिए घातक हो सकता है.

गर्भावस्था के बाद कुपोषण के कारण

स्तनपान इस का सब से पहला और मुख्य कारण है. बच्चे को दूध पिलाने वाली मां को रोजाना कम से कम 1000 कैलोरी ऊर्जा की जरूरत होती है. ज्यादातर महिलाएं या तो सही डाइट चार्ट के बारे में नहीं जानती हैं या फिर इस की अनदेखी करती हैं, जिस के कारण वे डिहाइड्रेशन, विटामिन या मिनरल्स की कमी और कभीकभी खून की कमी की भी शिकार हो जाती हैं. इसे पोस्टनेटल मालन्यूट्रिशन (बच्चे के जन्म के बाद होने वाला कुपोषण) कहा जा सकता है.

स्तनपान कराने से मां को ज्यादा भूख लगती है और अकसर वह ऐसे खाद्यपदार्थ खाती है, जो पोषक एवं सेहतमंद नहीं होते. स्वाद में अच्छे लगने वाले खाद्यपदार्थों में विटामिंस और मिनरल्स की कमी होती है, जिस कारण मां कुपोषण से ग्रस्त हो जाती है.

बच्चे के जन्म से पहले और बाद में प्रीनेटल विटामिन का सेवन करना बहुत जरूरी है. प्रीनेटल विटामिन जैसे फौलिक ऐसिड पानी में घुल कर शरीर से बाहर निकलता रहता है, जिस के चलते अकसर बच्चे के जन्म के बाद महिलाएं फौलिक ऐसिड की कमी के कारण ऐनीमिया से ग्रस्त हो जाती हैं.

नवजात के लिए जोखिम

गर्भवती महिला में कुपोषण का बुरा असर उस के पेट में पल रहे बच्चे पर पड़ता है. बच्चे का विकास ठीक से नहीं हो पाता और जन्म के समय उस का वजन सामान्य से कम रह जाता है. गर्भावस्था के दौरान मां में कुपोषण आईयूजीआर और जन्म के समय कम वजन का बुरा असर बच्चे पर पड़ता है, जिस के कई परिणाम हो सकते हैं.

बच्चे पर असर

अगर गर्भावस्था के दौरान मां में पोषण की कमी हो तो बच्चे को अपने जीवन में इन बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है:

औस्टियोपोरोसिस, क्रोनिक किडनी फेल्योर, दिल की बीमारी, टाइप 2 डायबिटीज, लंग्स डिजीज, खून में लिपिड्स की मात्रा असामान्य होना, ग्लूकोस इन्टौलरैंस (एक प्रीडायबिटिक कंडीशन, जिस में शरीर में ग्लूकोस का मैटाबोलिज्म असामान्य हो जाता है).

मां के लिए समस्याएं

अगर गर्भावस्था के दौरान मां में पोषण की कमी हो तो यह जानलेवा भी हो सकती है. इस के अलावा बच्चे का समय से पहले पैदा होना, गर्भपात जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं. महिलाओं में और भी कई समस्याएं हो सकती हैं जैसे संक्रमण, एनीमिया यानी खूनी की कमी, उत्पादकता में कमी, सुस्ती और कमजोरी, औस्टियोपोटोसिस.

कुपोषण को कैसे रोका जा सकता है

कुपोषण को संतुलित आहार के सेवन से रोका जा सकता है. महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जियां, पानी, फाइबर, प्रोटीन, वसा एवं कार्बोहाइड्रेट का सेवन करना चाहिए.

पोषण संबंधी जरूरतें

आयरन: शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आयरन बहुत जरूरी है. हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है और पूरे शरीर में औक्सीजन पहुंचाता है. अगर शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाए तो शरीर के सभी अंगों तक औक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाती. अगर आप आयरन का सेवन ठीक से न करें तो धीरेधीरे हीमोग्लोबिन की कमी होने लगती है और आप एनीमिक हो जाती हैं. आप अपने शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस करती हैं. आप के शरीर में बीमारियों से लड़ने की ताकत नहीं रहती.

बच्चे को जन्म देने के बाद अकसर महिलाएं थकान और कमजोरी महसूस करती हैं. ऐसे में उन्हें आयरन से युक्त आहार का सेवन करना चाहिए. बच्चे के जन्म के दौरान कई बार बहुत ज्यादा खून बह जाने के कारण भी खून की कमी हो जाती है. अत: अपने आहार में आयरन की पर्याप्त मात्रा रखें.

ग्लूकोज: शरीर में आयरन के सही अवशोषण के लिए ग्लूकोज भी बेहद महत्त्वपूर्ण है. इस से आयरन का तेजी से अवशोषण होने के साथसाथ शरीर को उर्जा भी मिलती है.

बच्चे के जन्म के बाद पोषण और वजन में कमी: बच्चे के जन्म के बाद अकसर महिलाएं एकदम से अपना वजन कम करना चाहती हैं, जिस के कारण उचित आहार का सेवन नहीं कर पातीं. यह हानिकारक हो सकता है. स्तनपान कराने से वजन खुद ही कम हो जाता है, जबकि स्तनपान कराने वाली मां को रोजाना 300 अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत होती है. इसलिए संतुलित आहार के साथसाथ व्यायाम करें और अतिरिक्त कैलोरी के सेवन से बचें. अगर नौर्मल डिलिवरी हुई है, तो आप बच्चे को जन्म देने के कुछ सप्ताह बाद हलका व्यायाम शुरू कर सकती हैं. हालांकि सी सैक्शन के बाद 6 सप्ताह तक व्यायाम नहीं करना चाहिए.

बिस्मथ है कारगर

पेप्टिक अलसर, एच.पायलोरी या पेट से जुड़ी अन्य समस्याओं के लिए बाजार में मौजूद ऐंटीबायोटिक दवाएं और ऐंटासिड कुछ समय के लिए राहत तो देते हैं मगर समस्या जस की तस रहती है. ऐसे में स्टोमाफिट में मौजूद बिस्मथ विकार को बढ़ने से रोकने के साथसाथ उस का निदान भी करता है. इस के प्रयोग के बाद धीरे-धीरे पाचन क्रिया भी सुचारू रूप से काम करने लगती है.

छोटी सरदारनी: क्या फिर परम और मेहर को दूर कर देगा सरब

कलर्स के शो छोटी सरदारनी में आप देख रहे हैं कि परम और मेहर फिर से मिल गए हैं, लेकिन सवाल ये है कि ये दोनों कब तक साथ रहेंगे और सरब का क्या फैसला होगा. वो परम और मेहर को साथ रहने देगा या दोनों को फिर अलग कर देगा. शो में नए ट्विस्ट के चलते क्या परम से दूर हो जाएगी मेहर? आइए आपको बताते हैं क्या होगा अपकमिंग एपिसोड में…

क्या सरब से मांफी मांगेगी कुलवंत

पिछले एपिसोड में जैसा कि आपने देखा था कि मेहर की मां कुलवंत सरब को उसकी बेटी का कातिल समझती है, जिसके कारण वह सरब और उसकी फैमिली को बुरा भला कहती हुई नजर आती है. लेकिन अब अपकमिंग एपिसोड आप देखने वाले हैं कि क्या मेहर को जिंदा देखने के बाद कुलवंत मांफी मांगेगी.

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क्या हरलीन खोल पाएगी सरब और मेहर के खिलाफ साजिश का राज

सरब के जेल से लौटते ही हरलीन मेहर और सरब के खिलाफ हुई साजिश के गुनहगारों के बारे में पता लगाएगी. पर क्या हरलीन सरब के सामने असली गुनहगार को ला पाएगी.

 सरब और मेहर की कैमिस्ट्री में आएगा नया ट्विस्ट

आप देखेंगे कि सरब को मेहर के किडनैप होने की बात पता चलेगी, लेकिन वहीं सरब मेहर के लिए नया प्लैन सोचेगा.

क्या परम से दूर हो जाएगी मेहर

अब आने वाले एपिसोड में क्या मेहर सरब के नए प्लैन के चलते परम से दूर होने का फैसला करेगी या मेहर परम को चुनेगी? शो में ऐसे ही नए ट्विस्ट जानने के लिए देखना न भूलें ‘छोटी सरदारनी’, सोमवार से शनिवार, शाम 7:30 बजे, सिर्फ कलर्स पर.

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आजकल बहुत सी पत्र पत्रिकाओं में इश्तिहार छपते हैं कि एसएमएस कर के घर बैठे 15 से 20 हजार रुपए कमाएं. सच क्या है.

सवाल
आजकल बहुत सी पत्र पत्रिकाओं में इश्तिहार छपते हैं कि एसएमएस कर के घर बैठे 15 से 20 हजार रुपए कमाएं. इस के लिए हजार या 15 सौ रुपए तक देने होते हैं. सच क्या है?

जवाब
ऐसे कई इश्तिहार झूठे होते हैं. अगर पहले पैसे मांगें, तो इन के चक्कर में कभी नहीं पड़ना चाहिए. चमत्कारों से कमाई नहीं होती, यह सिद्धांत हरेक को मालूम होना चाहिए. पैसा मेहनत का हो तो ही फलता है. हराम की या चोरी की कमाई कुछ लोग ही पचा सकते हैं, शरीफ तो बिलकुल नहीं. इसलिए शरीफों को इन चक्करों में पड़ने पर भारी नुकसान ही होता है.

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विदेश भेजने के नाम पर लूटने का धंधा

आजकल बेरोजगारी की समस्या सचमुच बहुत भयंकर है. ऐसे में बहुत से लोग दूसरे देशों में जा कर कामधंधा करना चाहते हैं. बेशक वहां काम मिल सकता है, लेकिन विदेश जा कर बहुत से लोग शोषण के भी शिकार होते हैं.

अंतर्राष्ट्रीय प्रवास संगठन के मुताबिक, दुनियाभर में नाजायज तरीके से विदेश भेजने का कारोबार तकरीबन 45,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का है. हमारे देश के बहुत से इलाके इस तरह की ठगी की चपेट में हैं. सब से ज्यादा ठगी पंजाब व उस के आसपास के इलाकों में हो रही है.

ठगी का जाल

पंजाब और उस के आसपास के इलाकों में रहने वाले ज्यादातर लोग विदेश जाने की इतनी गहरी चाहत रखते हैं कि वे उसे अपनी जिंदगी का मकसद बना लेते हैं. जिन लोगों के बच्चे विदेशों में हैं उन की अमीरी और रुतबा देख कर ज्यादातर मांबाप अपना सबकुछ दांव पर लगा कर अपने बच्चों को विदेश भेजने की कोशिशों में लगे रहते हैं.

पूरे देश से बाहर जाने वालों में से एकचौथाई से भी ज्यादा लोग अकेले पंजाब से होते हैं. वहां से हर साल 2 लाख से भी ज्यादा वीजा की अर्जियां कनाडा, अमेरिका, इंगलैंड, अरब, आस्टे्रलिया वगैरह देशों के लिए लगती हैं.

यह बात दीगर है कि तयशुदा कोटे के मुताबिक इन में से तकरीबन 50,000 यानी 25 फीसदी लोगों को ही विदेश जाने के लिए वीजा मिल पाता है बाकी के 75 फीसदी यानी तकरीबन डेढ़ लाख लोग वीजा न मिलने से मायूस रह जाते हैं.

बस, असली समस्या यहीं से शुरू होती है. जिन लोगों को वीजा नहीं मिल पाता, वे आसानी से हिम्मत नहीं हारते हैं और किसी न किसी तरह बाहर जाने की जुगत में लगे रहते हैं और अपना काम कराने की गरज से मददगार एजेंट तलाशते रहते हैं.

यों फंसते हैं लोग

नामंजूर हुए वीजा के लिए नए सिरे से दोबारा कोशिश करने के नाम पर फर्जी किस्म के एजेंट भोलेभाले लोगों को अपनी लुभावनी बातों के जाल में फंसा लेते हैं.

ट्रैवल एजेंट रोब गांठने के लिए अपनी कंपनी का दफ्तर दूर के किसी बड़े शहर में बताते हैं. फिर उन्हें हवाईजहाज से वहां ले जाते हैं. कागजात व लाखों रुपए की रकम जमा कराते हैं. रकम हाथ में आते ही एजेंट व दलालों का कमीशन बंट जाता है, शिकार को पता तक नहीं चलता.

ट्रैवल एजेंट और उन के दलाल स्कूलकालेजों से पासआउट होने वाले  छात्रों पर खासा नजर रखते हैं. उन्हें उन की तालीम व काबिलीयत से बेहतर काम विदेश में दिलवाने का झांसा देते हैं. पंजाब में कबूतरबाजी यानी नाजायज तरीके से विदेश ले जाने के चक्कर में पंजाब का एक नामी गायक जेल गया था व उस के खिलाफ चले केस में 2 साल सजा हुई थी.

ज्यादातर बेरोजगार नौजवान तो जागरूक न होने से चालाक एजेंटों के झांसे में आ जाते हैं व 5 लाख से 20 लाख रुपए तक जेब से गंवा देते हैं. कई लोग अपनी जमीन वगैरह बेच कर या कर्ज ले कर यह रकम जुटाते हैं, लेकिन उन का मकसद पूरा नहीं हो पाता है.

कुसूरवारों को सजा नहीं

फर्जी एजेंट इतने शातिर होते हैं कि वे बहुत ही सफाई के साथ अपनी चाल चलते हैं इसलिए पीडि़तों के पास उन के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं होता. इसी वजह से उन के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं हो पाती है. नतीजतन, विदेश भेजने के नाम पर ठगी का यह कारोबार धड़ल्ले से फलफूल रहा है.

पुलिस के पास जब ठगी की कोई शिकायत आती है तो वे फर्जी एजेंटों से अपनी मुट्ठी गरम कर के उन के खिलाफ जल्दी से केस ही दर्ज नहीं करते इसलिए ज्यादातर मामले कोर्टकचहरी तक पहुंच ही नहीं पाते हैं. अगर कभीकभार कोई केस दर्ज करते भी हैं तो उन का चालान जल्दी से नहीं करते, केस को पुख्ता नहीं बनाते.

अदालत में साबित ही नहीं हो पाता कि ठगी की गई है, इसलिए ज्यादातर मामलों में कुसूरवारों को कोर्ट से सजा नहीं हो पाती. इस तरह फर्जी एजेंट चांदी काट कर मौज मारते रहते हैं इसलिए विदेश जाने की तैयारी करते वक्त बहुत चौकस रहना लाजिमी है.

जंजाल है सब

वीजा, पासपोर्ट व टिकट वगैरह का सारा काम अब औनलाइन होता है, लेकिन गंवई इलाकों में रहने वाले कमपढ़े लोगों को जानकारी नहीं होती, इसलिए उन्हें एकमुश्त रकम दे कर सारा ठेका एजेंटों को ही देना आसान लगता है. लिहाजा, ट्रै्रवल एजेंटों का धंधा फलफूल रहा है.

लोगों को यूरोपीय देशों में भेजने के लिए एजेंट हर आदमी से अमूमन 20 लाख रुपए लेते हैं, लेकिन अमेरिका, कनाडा व आस्टे्रलिया जाने वालों की लंबी कतार व सख्त नियमों के चलते वे 35 लाख रुपए तक मांगते हैं.

विदेशी वर्क परमिट आसानी से नहीं मिलता इसलिए एजेंट टूरिस्ट वीजा पर भेज कर बाद में सैटल करने का झांसा देते हैं, जो कभी पूरा नहीं होता. इसलिए लाखों रुपए गंवाने के बाद भी विदेश जाने का सपना पूरा नहीं होता.

दरअसल, ज्यादातर एजेंट फ्लाइट पकड़ने, वीजा व टिकट वगैरह के कागजात जाने वाले को नहीं देते. वे बराबर यह कह कर टरकाते रहते हैं कि कागज अभी नहीं मिले हैं. बस, वे आने वाले हैं इसलिए देखे बिना सचाई का पता ही नहीं चल पाता कि उन्हें कहां भेजा जा रहा है.

गांव मझौट के एक नौजवान मनजिंदर यूनान जाना चाहता था. उसे नाजायज तरीके से नाव द्वारा तुर्की भेजा जा रहा था, इसलिए वह वापस आ गया.

गांव बोघनी के रूपिंदर को कनाडा जाना था. एजेंट ने उसे पहले मुंबई, फिर बैंगलुरु भेज दिया. वहां बंधक बना कर पीटा व बंदूक की नोक पर घर वालों को फोन कराया कि वह कनाडा पहुंच गया, इसलिए आप एजेंट को बाकी के 25 लाख रुपए दे दो. इस के बाद लड़के को छोड़ा गया, लेकिन तब से उस एजेंट का कहीं कोई अतापता नहीं है. अकेले पंजाब में कुल 21,181 ट्रैवल एजेंट हैं. इन में से सिर्फ 1,181 ही सही हैं, बाकी 20,000 का पताठिकाना सरकारी दस्तावेजों में दर्ज नहीं है.

विदेशों में काम दिलाने वाले महज 38 एजेंट हैं, लेकिन जनता के जागरूक न होने की वहज से हजारों दलालों का धंधा बदस्तूर चल रहा है. वैसे, ट्रैवल एजेंटों का लाइसैंस जिलाधिकारी देते हैं.

एक एजेंट ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ज्यादातर लोग खुद कायदेकानून के खिलाफ विदेश जाना चाहते हैं इसलिए वे खुद आ कर मदद मांगते हैं. ऐसे में एजेंट के साथसाथ जाने वाला भी बराबर का कुसूरवार है. उधर सरकारी लाइसैंस फीस के अलावा उस के बाद की सेवाओं के हिसाब से 5 लाख रुपए तक का खर्च है.

सावधानी बरतें

खुद कोई गलत तरीका न अपनाएं. जहां तक मुमकिन हो आप अपना काम खुद करें, घर के पढ़ेलिखे आदमी से कराएं या रजिस्टर्ड, अच्छी साख वाले, भरोसेमंद एजेंट से मदद लें. रजिस्टर्ड एजेंट का नाम जिला प्रशासन की वैबसाइट पर दर्ज लिस्ट से चैक करें.

विदेशों में काम दिलाने वाले एजेंट से शर्तें पढ़ें व लिखित में करार करें. क्रौस चैक से भुगतान करें. दी गई रकम व दिए गए असल दस्तावेजों की पक्की रसीद जरूर लें व उन्हें संभाल कर रखें.

वीजा में दर्ज अपना ब्योरा बहुत ही सावधानी से देखें. टूरिस्ट या स्टडी वीजा पर विदेश जा कर बाद में सैटल कराने की बातों पर भूल कर भी भरोसा न करें. अपने एजेंट की फोटो आईडी व नामपते का पूरा ब्योरा ले कर घर में महफूज रखें, ताकि वक्त पर काम आ सके.

पुख्ता जानकारी के लिए भारत सरकार की हैल्पलाइन 1800113090 व पुलिस की हैल्पलाइन 181 पर बातचीत की जा सकती है.

 

 

 

SBI ग्राहकों को मिलेगा अनलिमिटेड फ्री ATM ट्रांजेक्शन, ये है शर्त

सभी बैंकों ने एटीएम ट्रांजेक्शन पर लिमिट लगा कर रखी है. मतलब कि दी गई लिमिट से ज्यादा बार ट्रांजेक्शन करने पर आपको अतिरिक्त शुल्क देना होगा. हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक ने अपने ग्राहकों के लिए फ्री ट्रांजेक्शन का एक औफर दिया है. जिसमें जरूरी शर्त को पूरा करने वाले ग्राहकों को अनलिमिटेड ट्रांजेक्शन मिलेंगे. किसी भी तरह का ट्रांजेक्शन शुल्क नहीं वसूला जाएगा.

भारतीय स्टेट बैंक के हालिया औफर में ये शर्त रखी गई है कि ग्राहक के खाते में माह का औसत 1 लाख रूपये रखने होंगे. अगर आप प्रति माह औसत बैलेंस कम से कम 1 लाख रखते हैं, तो आपको अनलिमिटेड फ्री ट्रांजैक्शन की सुविधा का लाभ मिल सकेगी. इसके अलावा एक और औफर है जो बैंक अपने ग्राहकों को दे रही है. इसमें अगर आप माह में औसत बैलेंस 25000 रुपए रखने पर 10 ट्रांजैक्शन प्रति माह का ही फायदा मिलेगा. ये सुविधा समान्य ग्राहकों के लिए है. स्टेट बैंक में जिन लोगों की सैलरी अकाउंट है उन्हें किसी भी एटीएम से अनलिमिटेड ट्रांजेक्शन की सुविधा मिलती है.

अभी क्या है बैंक का नियम

स्टेट बैंक की मौजूदा गाइडलाइन के मुताबिक मेट्रो शहरों में प्रत्येक ग्राहक को एक महीने में 8 फ्री ट्रांजेक्शन का मौका मिलता है. इसमें 5 ट्रांजैक्शन एसबीआई एटीएम और 3 ट्रांजैक्शन दूसरे बैंकों के एटीएम से किए जा सकते हैं. जबकि गैर मेट्रो शहरों में यही सीमा बढ़ कर 10 ट्रांजेक्शन की हो जाती है. इससे ज्यादा ट्रांजैक्शन करने पर कस्टरम को 5 रुपए से लेकर 20 रुपए का अतिरिक्त चार्ज देना पड़ता है.

आरबीआई के निर्देश पर हुए बदलाव

रिजर्व बैंक की ओर से जारी निर्देश पर ही ये बदलाव किए जा रहे हैं. रिजर्व बैंक की ओर से निर्देश दिया गया है कि निश्चित संख्या में ग्राहकों को प्रति माह फ्री ट्रांजेक्शन की सुविधा दी जाए. जिसके बाद स्टेट बैंक की ओर से इस औफर का ऐलान किया गया.

लाल रंग के प्याज होते हैं बेहद लाभकारी

प्याज हमारे भोजन का एक अहम हिस्सा है. सब्जी की ग्रेवी से लिए सलाद, प्याज के बिना अधूरे हैं. आपने ध्यान दिया होगा कि प्याज कई तरह के होते हैं. जैसे लाल, सफेद और हरे पत्ते वाले प्याज. इस खबर में हम आपको लाल रंग के प्याज की खूबियों के बारे में बताएंगे.

लाल प्याज बेहद ही फायदेमंद होते हैं. इसमें कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो कई तरह की बीमारियों से लड़ने में काफी लाभकारी और कारगर होते हैं.

सर्दी में होता है फायदेमंद

लाल रंग के प्याज में एंटी फंगल, एंटी औक्सिडेंट और एंटी इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं. सर्दियों में इसे नियमित रूप से खाने में आपको कई तरह की परेशानियों से राहत मिलती है.

दिल की बीमारियों और ब्लड प्रेशर में है कारगर

लाल प्याज कई तरह की बीमारियों, खास कर के हृदय संबंधित रोगों से हमें बचाता है. चूंकि इसमें एंटी फंगल गुण भी होते हैं, इसका नियमित सेवन रक्तचाप को समान्य रखता है.

कैंसर का है इलाज

लाल प्याज के नियमित सेवन से कैंसर का खतरा काफी रकम रहता है. कई शोधों में ये बात सामने आई है जिसमें लाल प्याज के उपयोग से कैंसर खत्म करने की बातच सामने आई है.

गठिया का दर्द और सूजन भगाए

हड्ड़ियों की कई तरह की बीमारियों में लाल प्याज काफी लाभकारी होता है. अगर आपको अस्‍थमा, एलर्जी या गठिया रोग है तो आज से ही लाल रंग की प्‍याज खाना शुरु कर दें.

चुकंदर के इन फायदों को जान हैरान हो जाएंगी आप

चुकंदर देश भर में पाए जाने वाला खास तरह की एक सब्जी है, इसका सलाद में प्रमुखता से प्रयोग होता है. इसके कई फायदे हैं. खून के लिए भी ये काफी फायदेमंद होता है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि चुकंदर आपके बच्चे के लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है.

रखे दिल को हेल्दी

दिल को स्वस्थ रखने में भी चुकंदर का काफी अहम रोल होता है. इसके प्रयोग से डायबिटीज और एनीमिया जैसी बीमारियां दूर होती हैं. चुकंदर के जूस से दिल के रोगियों की व्यायाम करने की क्षमता बढ़ने में मदद मिल सकती है.

होता है बच्चों का दिमाग तेज

छोटे बच्चों को चुकंदर खिलाना चाहिए. इसके अलावा इसके रस से बच्चों के कनपटी पर मालिश करनी चाहिए और इसका रस पिलाना चाहिए, ऐसा करने से बच्चे का दिमाग तेज होगा.

खून संबंधी समस्याओं को करें दूर

खून संबंधी समस्याओं को चुकंदर दूर करता है. इसके प्रयोग से हीमोग्लोबिन की बढ़ता है. लिवर के लिए भी ये काफी फायदेमंद होता है. इससे शरीर में खून बनने की प्रक्रिया तेज होती है.

बालों के लिए है काफी कारगर

बाल झड़ने में भी चुकंदर काफी कारगर होता है. इसके नियमित इस्तेमाल से बाल मजबूत होते हैं और इनका झड़ना भी काफी कम होता है. जानकार बताते है कि इसके पत्तों का रस दिन में 3-4 बार गंजे स्थान पर मालिश करने से तो उड़े हुए बाल फिर से उगने लगेंगे. रोज चुकंदर और आंवले का ताजा रस मिलाकर सिर की मालिश करने पर भी फायदा मिलता है.

चौकलेट फ्रीकी शेक

सामग्री

– 4 बड़े चम्मच वैनिला आइसक्रीम

– 4 बड़े चम्मच चौकलेट आइसक्रीम

– 1/2 कप दूध

– 1 चम्मच कौफी पाउडर

– 2 बड़े चम्मच शुगर पाउडर

– 4 बड़े चम्मच चौकलेट सिरप

– ब्राउनी जरूरतानुसार

– चैरी सजाने के लिए.

विधि

– ब्राउनी छोड़ कर सारी सामग्री शेकर में अच्छी तरह शेक करें.

– गिलास में ब्राउनी क्रश कर के डालें.

– फिर शेक किए मिश्रण और चैरी से सजा कर ठंडाठंडा सर्व करें.

कम समय में ऐसे करें मेकअप

अगर आपको कहीं जाना है और मेकअप करने का समय नहीं है पर आप बिना मेकअप जा भी नहीं सकती तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नही है. ऐसा इसलिए क्योंकि आज हम एक ऐसी टिप्स लेकर आए हैं जिसे अपनाकर आप फटाफट अपने चेहरे का मेकअप कर सकती हैं और खूबसूरत दिख सकती हैं.

औल पर्पज प्राइम, फाउंडेशन एंड कंसीलर : कई सारे कौस्‍मैटिक ब्रांड इस तरह के लाजवाब प्रोडक्‍ट्स बना रहे हैं. कुछ लोग इसे मैजिक फाउंडेशन बोलते हैं, तो कुछ लोग फिनिशिंग पाउडर. यह लगने में जरा सा भी समय नहीं लेता. बस जरा सा लीजिये और चेहरे पर लगा लीजिये. बस आपको अपने लिये बेहतर शेड लेना होगा.

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कंसीलर : जब भी जल्‍दी में हों, तो कंसीलर को लोशन के साथ मिलाने के बजाए उसमें से थोडी मात्रा ले कर अपने चेहरे के दाग-धब्‍बों पर सीधे ही लगाएं. लेकिन सावधान रहियेगा, कहीं कंसीलर का रंग चेहरे के रंग से अलग ना हो.

पाउडर ब्रश : क्‍या आप अपना मेकअप उन छोटे ब्रश से करती हैं, जो आपके मेकअप किट के साथ मिलते हैं. तब तो आप अभी तक बच्‍ची हैं. बड़े और घने मेकअप ब्रश बहुत सारा कीमती वक्‍त बचाते हैं.

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आइलाइनर पेन्‍सिल : हम सब जानते हैं कि गीली आइलानर काफी अच्‍छा प्रभाव छोड़ती है. लेकिन अगर समय की कमी हो, तो आप उस जगह पर पेन्‍सिल वाली आइलाइनर लगाएं. इससे समय भी बचेगा और लिक्विड आइलाइनर की तरह यह जल्‍दी जल्‍दी में फैलेगी भी नहीं.

लिप बाल्‍म : कई लड़कियां सुबह-सुबह होंठो पर लिप कलर लगाना पसंद नहीं करतीं. इसके लिये अच्‍छा होगा कि यदि आप केवल लिप बाल्‍म खरीद लें, जिसमें कलर का हल्‍का सा टच होता है. इससे आपको लिपस्‍टिक लगाने की आवश्‍यकता नहीं पड़ेगी.

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