औफिस में है पहला दिन, तो जानें कुछ जरूरी बातें

22 साल की रीमा को कालेज की पढ़ाई खत्म होने के बाद एक एमएनसी में अच्छी नौकरी मिली. नौकरी मिलने की खुशी तो उसे बहुत रही, लेकिन हमेशा इस बात की चिंता उसे सताती रही कि पहला दिन औफिस में कैसा होगा. वह अपने वर्किंग फ्रैंड्स से पूछती रही कि उन्होंने कैसे पहले दिन को फेस किया है?

सभी की मिलीजुली प्रतिक्रिया उसे सुनने को मिली. सही जानकारी के लिए रीमा ने सोशल मीडिया का भी सहारा लिया, लेकिन नर्वसनैस उस के मन में लगातार आती रही कि वह किस तरह औफिस में पहला दिन फेस करे.

यह सही है कि औफिस का पहला दिन हर व्यक्ति के लिए खास होता है. कुछ लोग पहले दिन नर्वस होते हैं, तो कुछ ऐक्साइटेड भी हो जाते हैं. ऐसे व्यक्ति पढ़ाई खत्म करने के बाद औफिस के प्रोफैशनल लाइफ से पूरी तरह से अनजान रहते हैं और मन में कई प्रकार के प्रश्न उठते रहते हैं, जिस से निकल पाना उन के लिए मुश्किल होता है. कुछ सुझाव निम्न हैं :

आउटफिट पर दें ध्यान

आउटफिट के साथ औफिस में पहले दिन प्रवेश करना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि आउटफिट से ही पहला इंप्रैशन बनता है। सही आउटफिट के द्वारा औफिस में इसे बनाना संभव भी होता है. अगर औफिस में किसी प्रकार का ड्रैस कोड है, तो उसे अपने पर्सनैलिटी के हिसाब से सही और फिट हो, इस का ध्यान रखना चाहिए.

अगर किसी प्रकार के हलके मेकअप की जरूरत हो, तो उसे भी करने से पीछे न हटें. अगर आप परफ्यूम की शौकीन हैं, तो माइल्ड खुशबू की परफ्यूम का व्यवहार करें. अधिक मेकअप और अधिक खुशबू वाले परफ्यूम कभी भी औफिस में जाते समय व्यवहार न करें.

जौब प्रोफाइल को जानें

औफिस में जाने के बाद सब से पहले अपने सीनियर से बातचीत कर अपनी जौब को जान लें, ताकि आप को आगे बढ़ने में आसानी हो.

कंपनी के लक्ष्यों के अनुरूप कार्य करने की योजना बनाएं। वर्क कल्चर को समझें। पहली बार औफिस जौइन करते वक्त वहां के वर्क कल्चर को जानना आवश्यक होता है। हर औफिस का एक डेकोरम होता है, उसे जान लेना जरूरी है. इस के अलावा वहां की पौलिसी, टर्म्स ऐंड कंडिशंस के बारे में भी जानकारी ले लेनी चाहिए, ताकि आप खुद को उन के अनुसार ढाल सकें. आप मेहनती हो सकती हैं, लेकिन औफिस में काम करने के तरीकों को जान लें और उस के अनुसार ही काम की शुरुआत करें. इस के अलावा अपने कौन्फिडेंस को हमेशा बनाए रखें.

गौसिप से रहें दूर

औफिस गौसिप और पौलिटिक्स से हमेशा दूर रहें, क्योंकि इस से कई बार आप के व्यक्तित्व की पहचान बिगड़ती है. हां, इतना अवश्य है कि जहां आप को अपनी बात रखनी है वहां अपनी बात रखने से हिचकिचाएं नहीं. औफिस के गौसिप से दूर रहना ही हमेशा बेहतर होता है, इसलिए सब की सुनें, लेकिन
किसी के बहकावे में न आएं.

मदद मांगने से पीछे न हटें

अगर आप को औफिस के पहले दिन कुछ समझ नहीं आ रहा है, तो किसी से मदद मांगने से पीछे न हटें और जिस व्यक्ति ने आप की मदद की है, उसे क्रैडिट देना भी न भूलें.

सही औबजर्वर बनें

शुरू के कुछ दिनों में हर किसी को औबजर्व करें और सब की सुनें. किसी के द्वारा पूछे या मांगे जाने पर ही अपना सुझाव दें. अपनी राय व्यक्त करते समय विनम्र रहें. यह बात ध्यान में रखें कि कंपनी को पता है कि आप फ्रेशर हैं व आप चीजों को जानने, समझने और सीखने में समय ले सकते हैं, लेकिन आप से यह हमेशा अपेक्षा की जाती है कि आप चीजों को सही तरीके से समझते हुए बदलावों के अनुकूल कार्य करें और हमेशा अपने काम को ले कर एलर्ट रहें.

समय पर करें काम

हर कंपनी चाहती है कि उस के कर्मचारी समय पर काम को पूरा करें, ऐसे मैं आप को टाइम मैनेजमेंट करने आना चाहिए। इस में वर्क कल्चर को भी ध्यान में रखना होगा. अगर समय पर आप काम को अच्छी तरह से पूरा कर देंगे, तो आपका इंप्रैशन औफिस में बना रहेगा. काम में बैस्ट परफौर्मेंस देने के साथसाथ आप का स्वभाव भी विनम्र हो, ताकि आपका पौजिटिव ऐटीट्यूड भी शो होगा.

इस तरह इन छोटीछोटी बातों का ध्यान रख कर आप औफिस के पहले दिन को बेहतर बना सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं. इस में हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि आप की पर्सनैलिटी और धीरज ही आप को किसी बड़े ओहदे पर पहुंचाने में मदद करती है, जिस कामयाबी का सपना आप ने देखा है.

मैं पत्नी के गुस्से से परेशान हो गया हूं, क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 33 साल का विवाहित पुरूष हूं. बीवी पढ़ीलिखी और केयरिंग है. समस्या उस के गुस्सैल स्वभाव को ले कर है. वह छोटीछोटी बात पर गुस्सा हो जाती है और झगङा करने लग जाती है. इस से घर का माहौल बेहद बोझिल हो जाता है. हां, गुस्सा उतरने के बाद वह सौरी भी बोलती है पर फिर कब किस बात पर झगङने लगे यह कहा नहीं जा सकता. मैं उस के इस व्यवहार से बहुत दुखी रहने लगा हूं. कृपया उचित सलाह दें?

जवाब-

पतिपत्नी के रिश्ते में प्यार के साथ तकरार होना लाजिम है. शायद तभी तो कहते हैं कि जहां प्यार होता है वहां झगड़ा होना कोई बड़ी बात नहीं है, अलबत्ता पतिपत्नी के बीच होने वाली नोकझोंक से प्यार कम होने के बजाय और बढ़ता ही है. इसलिए अधिक परेशान न हों.

यह सही है कि जिन महिलाओं का स्वभाव गुस्सैल और झगड़ालू किस्म का होता है वे अकसर छोटीछोटी बातों पर तूफान खड़ा कर देती हैं, मगर इस का मतलब यह भी नहीं होता कि वे घरपरिवार को ले कर संजीदा नहीं होतीं. पति को ऐसे समय समझदारी और सूझबूझ से काम लेना चाहिए.

यदि आप की बीवी को किसी बात पर गुस्सा आ जाए तो यह आप की जिम्मेदारी बनती है कि घर का माहौल न बिगड़ने दें. इस स्थिति में बीवी के लिए समय निकाल कर उन्हें कहीं घुमाने ले जाएं ताकि उन का मन परिवर्तित हो जाए.

यह भी सही है कि घर की अधिक जिम्मेदारियों के चलते वे परेशान हो जाती हों. इस स्थिति में बीवी के साथ खास पलों को ऐंजौय करें ताकि रिश्ते में मधुरता बनी रहे.

बीवी के गुस्से को शांत करने के लिए समयसमय पर उन की तारीफ करना न भूलें साथ ही कोशिश करें कि जितना संभव हो घर के कामों में उन का हाथ बटाएं.

इस से बीवी को थोङा आराम मिलेगा और वे भी समझने लगेंगी कि आप न सिर्फ उन्हें प्यार करते हैं, बल्कि उन का केयर भी करते हैं.

कुछ ही दिनों में आप पाएंगे कि बीवी के साथ आप की बौंडिंग पहले से अधिक अच्छी हो जाएगी और घर में आएदिन किचकिच भी नहीं होगा.

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नचनिया : क्यों बेटे की हालत देख हैरान था एक पिता

‘‘कितना ही कीमती हो… कितना भी खूबसूरत हो… बाजार के सामान से घर सजाया जाता है, घर नहीं बसाया जाता. मौजमस्ती करो… बड़े बाप की औलाद हो… पैसा खर्च करो, मनोरंजन करो और घर आ जाओ.

‘‘मैं ने भी जवानी देखी है, इसलिए नहीं पूछता कि इतनी रात गए घर क्यों आते हो? लेकिन बाजार को घर में लाने की भूल मत करना. धर्म, समाज, जाति, अपने खानदान की इज्जत का ध्यान रखना,’’ ये शब्द एक अरबपति पिता के थे… अपने जवान बेटे के लिए. नसीहत थी. चेतावनी थी.

लेकिन पिछले एक हफ्ते से वह लगातार बाजार की उस नचनिया का नाच देखतेदेखते उस का दीवाना हो चुका था.

वह जानता था कि उस के नाच पर लोग सीटियां बजाते थे, गंदे इशारे करते थे. वह अपनी अदाओं से महफिल की रौनक बढ़ा देती थी. लोग दिल खोल कर पैसे लुटाते थे उस के नाच पर. उस के हावभाव में वह कसक थी, वह लचक थी कि लोग ‘हायहाय’ करते उस के आसपास मंडराते, नाचतेगाते और पैसे फेंकते थे.

वह अच्छी तरह से जानता था कि जवानी से भरपूर उस नचनिया का नाचनागाना पेशा था. लोग मौजमस्ती करते और लौट जाते. लौटा वह भी, लेकिन उस के दिलोदिमाग पर उस नचनिया का जादू चढ़ चुका था. वह लौटा, लेकिन अपने मन में उसे साथ ले कर. उफ, बला की खूबसूरती उस की गजब की अदाएं. लहराती जुल्फें, मस्ती भरी आंखें. गुलाब जैसे होंठ.वह बलखाती कमर, वह बाली उमर. वह दूधिया गोरापन, वह मचलती कमर. हंसती तो लगता चांद निकल आया हो.

वह नशीला, कातिलाना संगमरमर सा तराशा जिस्म. वह चाल, वह ढाल, वह बनावट. खरा सोना भी लगे फीका. मोतियों से दांत, हीरे सी नाक, कमल से कान, वे उभार और गहराइयां. जैसे अंगूठी में नगीने जड़े हों.

अगले दिन उस ने पूछा, ‘‘कीमत क्या है तुम्हारी?’’

नचनिया ने कहा, ‘‘कीमत मेरे नाच की है. जिस्म की है. तुम महंगे खरीदार लगते हो. खरीद सकते हो मेरी रातें, मेरी जवानी. लेकिन प्यार करने लायक तुम्हारे पास दिल नहीं. और मेरे प्यार के लायक तुम नहीं. जिस्म की कीमत है, मेरे मन की नहीं. कहो, कितने समय के लिए? कितनी रातों के लिए? जब तक मन न भर जाए, रुपए फेंकते रहो और खरीदते रहो.’’

उस ने कहा, ‘‘अकेले तन का मैं क्या करूंगा? मन बेच सकती हो? चंद रातों के लिए नहीं, हमेशा के लिए?’’

नचनिया जोर से हंसते हुए बोली, ‘‘दीवाने लगते हो. घर जाओ. नशा उतर जाए, तो कल फिर आ जाना महफिल सजने पर. ज्यादा पागलपन ठीक नहीं. समाज को, धर्म के ठेकेदारों को मत उकसाओ कि हमारी रोजीरोटी बंद हो जाए. यह महफिल उजाड़ दी जाए. जाओ यहां से मजनू, मैं लैला नहीं नचनिया हूं.’’

पिता को बेटे के पागलपन का पता लगा, तो उन्होंने फिर कहा, ‘‘बेटे, मेले में सैकड़ों दुकानें हैं. वहां एक से बढ़ कर एक खूबसूरत परियां हैं. तुम तो एक ही दुकान में उलझ गए. आगे बढ़ो. और भी रंगीनियां हैं. बहारें ही बहारें हैं. बाजार जाओ. जो पसंद आए खरीदो. लेकिन बाजार में लुटना बेवकूफों का काम है.

‘‘अभी तो तुम ने दुनिया देखनी शुरू की है मेरे बेटे. एक दिल होता है हर आदमी के पास. इसे संभाल कर रखो किसी ऊंचे घराने की लड़की के लिए.’’

लेकिन बेटा क्या करे. नाम ही प्रेम था. प्रेम कर बैठा. वह नचनिया की कातिल निगाहों का शिकार हो चुका था. उस की आंखों की गहराई में प्रेम का दिल डूब चुका था. अगर दिल एक है, तो जान भी तो एक ही है और उसकी जान नचनिया के दिल में कैद हो चुकी थी.

पिता ने अपने दीवान से कहा, ‘‘जाओ, उस नचनिया की कुछ रातें खरीद कर उसे मेरे बेटे को सौंप दो. जिस्म की गरमी उतरते ही खिंचाव खत्म हो जाएगा. दीवानगी का काला साया उतर जाएगा.’’

नचनिया सेठ के फार्महाउस पर थी और प्रेम के सामने थी. तन पर एक भी कपड़ा नहीं था. प्रेम ने उसे सिर से पैर तक देखा.

नचनिया उस के सीने से लग कर बोली, ‘‘रईसजादे, बुझा लो अपनी प्यास. जब तक मन न भर जाए इस खिलौने से, खेलते रहो.’’

प्रेम के जिस्म की गरमी उफान न मार सकी. नचनिया को देख कर उस की रगों का खून ठंडा पड़ चुका था.

उस ने कहा, ‘‘हे नाचने वाली, तुम ने तन को बेपरदा कर दिया है, अब रूह का भी परदा हटा दो. यह जिस्म तो रूह ने ओढ़ा हुआ है… इस जिस्म को हटा दो, ताकि उस रूह को देख सकूं.’’

नचनिया बोली, ‘‘यह पागलपन… यह दीवानगी है. तन का सौदा था, लेकिन तुम्हारा प्यार देख कर मन ही मन, मन से मन को सौसौ सलाम.

‘‘पर खता माफ सरकार, दासी अपनी औकात जानती है. आप भी हद में रहें, तो अच्छा है.’’

प्रेम ने कहा, ‘‘एक रात के लिए जिस्म पाने का नहीं है जुनून. तुम सदासदा के लिए हो सको मेरी ऐसा कोई मोल हो तो कहो?’’

नचनिया ने कहा, ‘‘मेरे शहजादे, यह इश्क मौत है. आग का दरिया पार भी कर जाते, जल कर मर जाते या बच भी जाते. पर मेरे मातापिता, जाति के लोग, सब का खाना खराब होगा. तुम्हारी दीवानगी से जीना हराम होगा.’’

प्रेम ने कहा, ‘‘क्या बाधा है प्रेम में, तुम को पाने में? तुम में खो जाने में? मैं सबकुछ छोड़ने को राजी हूं. अपनी जाति, अपना धर्म, अपना खानदान और दौलत. तुम हां तो कहो. दुनिया बहुत बड़ी है. कहीं भी बसर कर लेंगे.’’

नचनिया ने अपने कपड़े पहनते हुए कहा, ‘‘ये दौलत वाले कहीं भी तलाश कर लेंगे. मैं तन से, मन से तुम्हारी हूं, लेकिन कोई रिश्ता, कोई संबंध हम पर भारी है. मैं लैला तुम मजनू, लेकिन शादी ही क्यों? क्या लाचारी है? यह बगावत होगी. इस की शिकायत होगी. और सजा बेरहम हमारी होगी. क्यों चैनसुकून खोते हो अपना. हकीकत नहीं होता हर सपना. यह कैसी तुम्हारी खुमारी है. भूल जाओ तुम्हें कसम हमारी है.’’

अरबपति पिता को पता चला, तो उन्होंने एकांत में नचनिया को बुलवा कर कहा, ‘‘वह नादान है. नासमझ है. पर तुम तो बाजारू हो. उसे धिक्कारो. समझाओ. न माने तो बेवफाईबेहयाई दिखाओ. कीमत बोलो और अपना बाजार किसी अनजान शहर में लगाओ. अभी दाम दे रहा हूं. मान जाओ.

‘‘दौलत और ताकत से उलझने की कोशिश करोगी, तो न तुम्हारा बाजार सजेगा, न तुम्हारा घर बचेगा… क्या तुम्हें अपने मातापिता, भाईबहन और अपने समुदाय के लोगों की जिंदगी प्यारी नहीं? क्या तुम्हें उस की जान प्यारी नहीं? कोई कानून की जंजीरों में जकड़ा होगा. कैद में रहेगा जिंदगीभर. कोई पुलिस की मुठभेड़ में मारा जाएगा. कोई गुंडेबदमाशों के कहर का शिकार होगा. क्यों बरबादी की ओर कदम बढ़ा रही हो? तुम्हारा प्रेम सत्ता और दौलत की ताकत से बड़ा तो नहीं है.

‘‘मेरा एक ही बेटा है. उस की एक खता उस की जिंदगी पर कलंक लगा देगी. अगर तुम्हें सच में उस से प्रेम

है, तो उस की जिंदगी की कसम… तुम ही कोई उपाय करो. उसे अपनेआप से दूर हटाओ. मैं जिंदगीभर तुम्हारा कर्जदार रहूंगा.’’

नचनिया ने उदास लहजे में कहा, ‘‘एकांत में यौवन से भरे जिस्म को जिस के कदमों में डाला, उस ने न पीया शबाब का प्याला. उसे तन नहीं मन चाहिए. उसे बाजार नहीं घर चाहिए.

उसे हसीन जिस्म के अंदर छिपा मन का मंदिर चाहिए. उपाय आप करें. मैं खुद रोगी हूं. मैं आप के साथ हूं प्रेम को संवारने के लिए,’’ यह कह कर नचनिया वहां से चली गई.

दौलतमंद पिता ने अपने दीवान से कहा, ‘‘बताओ कुछ ऐसा उपाय, जिस का कोई तोड़ न हो. उफनती नदी पर बांध बनाना है. एक ही झटके में दिल की डोर टूट जाए. कोई और रास्ता न बचे उस नचनिया तक पहुंचने का. उसे बेवफा, दौलत की दीवानी समझ कर वह भूल जाए प्रेमराग और नफरत के बीज उग आए प्रेम की जमीन पर.’’

दीवान ने कहा, ‘‘नौकर हूं आप का. बाकी सारे उपाय नाकाम हो सकते हैं, प्रेम की धार बहुत कंटीली होती है. सब से बड़ा पाप कर रहा हूं बता कर. नमक का हक अदा कर रहा हूं. आप उसे अपनी दासी बना लें. आप की दौलत से आप की रखैल बन कर ही प्रेम उस से मुंह मोड़ सकता है.

‘‘फिर अमीरों का रखैल रखना तो शौक रहा है. कहां किस को पता चलना है. जो चल भी जाए पता, तो आप की अमीरी में चार चांद ही लगेंगे.’’

नचनिया को बुला कर बताया गया. प्रस्ताव सुन कर उसे दौलत भरे दिमाग की नीचता पर गुस्सा भी आया. लेकिन यदि प्रेम को बचाने की यही एक शर्त है, तो उसे सब के हित के लिए स्वीकारना था. उस ने रोरो कर खुद को बारबार चुप कराया. तो वह बन गई अपने दीवाने की नाजायज मां.

प्रेम तक यह खबर पहुंची कि बाजारू थी बिक गई दौलत के लालच में. जिसे तुम्हारी प्रेमिका से पत्नी बनना था, वह रुपए की हवस में तुम्हारे पिता की रखैल बन गई.

प्रेम ने सुना, तो पहली चोट से रो पड़ा वह. पिंजरे में बंद पंछी की तरह फड़फड़ाया, लड़खड़ाया, लड़खड़ा कर गिरा और ऐसा गिरा कि संभल न सका.

वह किस से क्या कहता? क्या पिता से कहता कि मेरी प्रेमिका तुम्हारी हो गई? क्या जमाने से कहता कि पिता ने मेरे प्रेम को अपना प्रेम बना लिया? क्या समझाता खुद को कि अब वह मेरी प्रेमिका नहीं मेरी नाजायज सौतेली मां है.

वह बोल न सका, तो बोलना बंद कर दिया उस ने. हमेशाहमेशा के लिए खुद को गूंगा बना लिया उस ने.

पिता यह सोच कर हैरान था कि जिंदगीभर पैसा कमाया औलाद की खुशी के लिए. उसी औलाद की जान छीन ली दौलत की धमक से. क्या पता दीवानगी. क्या जाने दिल की दुनिया. प्यार की अहमियत. वह दौलत को ही सबकुछ समझता रहा.

अब दौलत की कैद में वह अरबपति पिता भटक रहा है अपने पापों का प्रायश्चित्त करते हुए हर रोज.

Festive Special: इस तरह बनाएं टेस्टी कराची हलवा, बढ़ जाएगा थाली का स्वाद

कराची हलवा का नाम आपने बौम्बे कराची हलवे के रूप में कईं बार सुना होगा. कराची हलवा मार्केट में बड़ी आसानी से मिल जाता है, लेकिन क्या आपने कभी कराची हलवा घर पर बनाने की कोशिश किया है. आज हम आपको कराची हलवा की आसान रेसिपी के बारे में बताएंगे, जिसे बनाकर आप अपनी फैमिली और फ्रेंड्स के अपनी तारीफें बटोर सकती हैं.

हमें चाहिए

कार्न फ्लोर – 1 कप (100 ग्राम)

चीनी – 2 कप ( 450 ग्राम)

घी – 1/2 घी (125 ग्राम)

काजू – आधा कप (छोटे छोटे कटे हुये)

पिस्ते – 1 टेबल स्पून (बारीक पतले कटे हुये)

टाटरी (टार्टरिक एसिड)- 1 /4 छोटी चम्मच पाउडर (2 मटर के दाने के बराबर)

छोटी इलाइची – 4-5 (छील कर पाउडर कर लीजिये)

बनाने  का तरीका

हलवा बनाने में 2 कप पानी यानी कि 400 ग्राम पानी प्रयोग करना है. सबसे पहले कार्न फ्लोर को थोड़ा पानी डालकर गुठलियां खतम होने तक घोल लीजिये, घोल में पानी की कुल मात्रा 1 1/4 कप डाल कर मिला दीजिये. चीनी को पैन में डालिये और 3/4 कप पानी, चीनी में डाल दीजिये. चीनी अच्छी तरह घुलने तक चाशनी पका लीजिये.

चाशनी में कार्न फ्लोर का घोल मिलाइये, और धीमी गैस पर हलवे को कलछी से लगातार चलाते हुये पकाइये, 10-12 मिनिट में हलवा गाढ़ा होने लगता है, अभी भी हलवा को लगातार धीमी आग पर चलाते हुये पकाना है, हलवा पारदर्शक होने लगता है, अब हलवा को आधा घी डालकर, घी अच्छी तरह मिक्स होने तक पकाइये. टाटरी भी डाल कर मिला दीजिये. बचा हुआ घी भी चम्मच से थोड़ा थोड़ा करके डालिये और सारा घी हलवा में डालकर, घी के एब्जोर्ब होने तक हलवा को चलाते हुये पकाइये.

हलवा में काफी चमक आ गई है, हलवे में कलर डालिये और अच्छी तरह मिक्स होने तक पका लीजिये, काजू और इलाइची पाउडर डालकर हलवे को अच्छी तरह पका लीजिये. हलवा को और 5-7 मिनिट या जब तक हलवा जमने वाली कनिसिसटेन्सी तक न आ जाय तब तक पका लीजिये.

कराची हलवा तैयार है, हलवे को किसी ट्रे या प्लेट में निकाल कर जमने रखिये, हलवा के ऊपर बारीक कटे हुये पिस्ते डालकर चम्मच से चिपका दीजिये. हलवा के जमने पर अपने मन पसन्द आकार के टुकड़ों में हलवा को काट कर तैयार कर लीजिये.

हलवा को आप अभी खाइये और बचा हुआ कराची हलवा एअर टाइट कन्टेनर में भर कर रख लीजिये इस हलवे की शैल्फ लाइफ बहुत अधिक है.  इसे फ्रिज में न रखकर फ्रिज से बाहर ही रखिये. और अपनी फैमिली को डिनर या कभी भी खिलाइये.

तीसरी गलती : क्यों परेशान थी सुधा?

टूर पर जाने के लिए प्रिया ने सारी तैयारी कर ली थी. 2 बैग में सारा सामान भर लिया था. बेटी को पैकिंग करते देख सुधा ने पूछा, ‘‘इस बार कुछ ज्यादा सामान नहीं ले जा रही हो?’’

‘‘हां मां, ज्यादा तो है,’’ गंभीर स्वर में प्रिया ने कहा. अपने जुड़वां भाई अनिल, भाभी रेखा को बाय कह कर, उदास आंखों से मां को देखती हुई प्रिया निकल गई. 10 मिनट के बाद ही प्रिया ने सुधा को फोन किया, ‘‘मां, एक पत्र लिख कर आप की अलमारी में रख आई हूं. जब समय मिले, पढ़ लेना.’’ इतना कह कर प्रिया ने फोन काट दिया.

सुधा मन ही मन बहुत हैरान हुईं, उन्होंने चुपचाप कमरे में आ कर अलमारी में रखा पत्र उठाया और बैड पर बैठ कर पत्र खोल कर पढ़ने लगीं. जैसेजैसे पढ़ती जा रही थीं, चेहरे का रंग बदलता जा रहा था. पत्र में लिखा था, ‘मां, मैं मुंबई जा रही हूं लेकिन किसी टूर पर नहीं. मैं ने अपना ट्रांसफर आप के पास से, दिल्ली से, मुंबई करवा लिया है क्योंकि मेरे सब्र का बांध अब टूट चुका है. अभी तक तो मेरा कोई ठिकाना नहीं था, अब मैं आत्मनिर्भर हो चुकी हूं तो क्यों आप को अपना चेहरा दिखादिखा कर, आप की तीसरी गलती, हर समय महसूस करवाती रहूं. तीसरी गलती, आप के दिल में मेरा यही नाम हमेशा रहा है न. ‘इस दुनिया में आने का फैसला तो मेरे हाथ में नहीं था न. फिर आप क्यों मुझे हमेशा तीसरी गलती कहती रहीं. सुमन और मंजू दीदी को तो शायद उन के हिस्से का प्यार दे दिया आप ने. मेरी बड़ी बहनों के बाद भी आप को और पिताजी को बेटा चाहिए था तो इस में मेरा क्या कुसूर है? मेरी क्या गलती है? अनिल के साथ मैं जुड़वां हो कर इस दुनिया में आ गई. अपने इस अपराध की सजा मैं आज तक भुगत रही हूं. कितना दुखद होता है अनचाही संतान बन कर जीना.

‘आप सोच भी नहीं सकतीं कि तीसरी गलती के इन दो शब्दों ने मुझे हमेशा कितनी पीड़ा पहुंचाई है. जब से होश संभाला है, इधर से उधर भटकती रही हूं. सब के मुंह से यही सुनसुन कर बड़ी हुई हूं कि जरूरत अनिल की थी, यह तीसरी गलती कहां से आ गई. अनिल तो बेटा है. उसे तो हाथोंहाथ ही लिया जाता था. आप लोग हमेशा मुझे दुत्कारते ही रहे. मुझ से 10-12 साल बड़ी मेरी बहनों ने मेरी देखभाल न की होती तो पता नहीं मेरा क्या हाल होता. मेरी पढ़ाईलिखाई की जिम्मेदारी भी उन्होंने ही उठाई.

‘मेरी परेशानी तब और बढ़ गई जब दोनों का विवाह हो गया था. अब आप थीं, पिताजी थे और अनिल. वह तो गनीमत थी कि मेरा मन शुरू से पढ़ाईलिखाई में लगता था. शायद मेरे मन में बढ़ते अकेलेपन ने किताबों में पनाह पाई होगी. आज तक किताबें ही मेरी सब से अच्छी दोस्त हैं. दुख तब और बढ़ा जब पिताजी भी नहीं रहे. मुझे याद है मेरे स्कूल की हर छुट्टी में आप कभी मुझे मामा के यहां अकेली भेज देती थीं, कभी मौसी के यहां, कभी सुमन या मंजू दीदी के घर. हर जगह अकेली. हर छुट्टी में कभी इस के घर, कभी उस के घर. जबकि मुझे तो हमेशा आप के साथ ही रहने का दिल करता था. ‘कहींकहीं तो मैं बिलकुल ऐसी स्पष्ट, अनचाही मेहमान होती थी जिस से घर के कामों में खूब मदद ली जाती थी, कहींकहीं तो 14 साल की उम्र में भी मैं ने भरेपूरे घर का खाना बनाया है. कहीं ममेरे भाईबहन मुझे किचन के काम सौंप खेलने चले जाते, कहीं मौसी किचन में अपने साथ खड़ा रखतीं. मेरे पास ऐसे कितने ही अनुभव हैं जिन में मैं ने साफसाफ महसूस किया था कि आप को मेरी कोई परवा नहीं थी. न ही आप को कुछ फर्क पड़ता था कि मैं आप के पास रहूं या कहीं और. मैं आप की ऐसी जिम्मेदारी थी, आप की ऐसी गलती थी जिसे आप ने कभी दिल से नहीं स्वीकारा.

‘मैं आप की ऐसी संतान थी जो आप के प्यार और साथ को हमेशा तरसती रही. मेरे स्कूल से लेट आने पर कभी आप ने यह नहीं पूछा कि मुझे देर क्यों हुई. वह तो मेरे पढ़नेलिखने के शौक ने पढ़ाई खत्म होते ही मुझे यह नौकरी दिलवा दी जिस से मैं अब सचमुच आप से दूर रहने की कोशिश करूंगी. अपने प्रति आप की उपेक्षा ने कई बार मुझे जो मानसिक और शारीरिक कष्ट दिए हैं. उन्हें भूल तो नहीं पाऊंगी पर हां, जीवन के महत्त्वपूर्ण सबक मैं ने उन पलों से ही सीखे हैं. ‘आप की उपेक्षा ने मुझे एक ऐसी लड़की बना दिया है जिसे अब किसी भी रिश्ते पर भरोसा नहीं रहा. जीने के लिए थोड़े से रंग, थोड़ी सी खुशबू, थोड़ा सा उजाला भी तो चाहिए, खुशियोें के रंग, प्यार की खुशबू और चाहत का उजाला. पर इन में से कुछ भी तो नहीं आया मेरे हिस्से. अनिल के साथ जुड़वां बन दुनिया में आने की सजा के रूप में जैसे मुझे किसी मरुस्थल के ठीक बीचोंबीच ला बिठाया गया था जहां न कोई छावं थी, न कोई राह.

‘मां, आप को पता है अकेलापन किसी भयानक जंगल से कम नहीं होता. हर रास्ते पर खतरा लगता है. जब आप अनिल के आगेपीछे घूमतीं, मैं आप के आगेपीछे घूम रही होती थी. आप के एक तरफ जब अनिल लेटा होता था तब मेरा मन भी करता था कि आप की दूसरी तरफ लेट जाऊं पर मेरी हिम्मत ही नहीं हुई कभी. आज आप का दिल दुखाना मेरा मकसद नहीं था पर मेरे अंदर लोगों से, आप से मिली उपेक्षा का इतना जहर भर गया है कि मैं चाह कर भी उसे निगल नहीं सकती. आखिर, मैं भी इंसान हूं. आज सबकुछ उगलना ही पड़ा मुझे. बस, आज मैं आप सब से दूर चली गई. आप अब अपने बेटे के साथ खुश रहिए.

‘आप की तीसरी गलती.

‘प्रिया.’

सुधा को अब एहसास हुआ. आंसू तो कब से उन के गाल भिगोते जा रहे थे. यह क्या हो गया उन से. फूल सी बेटी का दिल अनजाने में ही दुखाती चली गई. वे पत्र सीने से लगा कर फफक पड़ीं. अब क्या करें. जीवन तो बहती नदी की तरह है, जिस राह से वह एक बार गुजर गया, वहां लौट कर फिर नहीं आता, आ ही नहीं सकता.

Abhishek Bachchan की रूमर्ड गर्लफ्रैंड ने तोड़ी चुप्पी, ‘कोई रोक नहीं सकता…’

जूनियर बच्चन (Abhishek Bachchan) और ऐश्वर्या राय बच्चन के तलाक की खबरें पिछले कई महीनों से सुर्खियों में छाई हुई हैं. अनंत अंबानी की शादी में एक तरफ बच्चन परिवार तो दूसरी तरफ ऐश्वर्या अपनी बेटी आराध्या के साथ नजर आ रही थीं. हालांकि बाद में अभिषेक भी ऐश और आराध्या संग नजर आए थे. लेकिन लोग कयास लगाने लगे कि दोनों का तलाक कन्फर्म है. दोनों के अलगाव की वजह जया बच्चन और श्वेता नंदा को माना जाता रहा है, लेकिन अब कुछ दिनों से खबरें आ रही है कि अभिषेक और ऐश्वर्या की जिंदगी में ‘वो’ की एंट्री हो चुकी है.

गपशप को कोई रोक नहीं सकता – निमरत कौर

कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि फिल्म दसवीं फेम निमरत कौर और जूनियर बच्चन एकदूसरे को डेट कर रहे हैं, इसी वजह से अभिषेक और ऐश्वर्या का तलाक हो रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक निमरत कौर ने चुप्पी तोड़ी है. एक बयान में निमरत ने कहा है कि ‘मैं कुछ भी कर सकती थी और लोगों को वही कहना है, जो वो कहना चाहते हैं. फिर भी वहीं कहेंगे जो वे चाहते हैं. ऐसी गपशप को रोकना संभव नहीं है और इन सबके बीच मैं अपने काम पर फोकस करना पसंद करती हूं.

जोगन बनीं निमरत कौर, शेयर किया वीडियो

अभिषेक संग लिंकअप के खबरों के बीच निमरत कौर ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह किसी जोगन से कम नहीं लग रही हैं. इस वीडियो में पंजाबी गाना सोहनया अभी न जा…शेयर किया है. यह काफी रोमांटिक गाना है, इसमें निमरत पीले रंग की साड़ी में बेहद खूबसूरत नजर आ रही हैं. इस वीडियो को यूजर्स अभिषेक से कनेक्ट कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि निमरत की आंखों में प्यार साफ दिखाई दे रहा है.

तलाक की खबरों पर अभिषेक ने दी थी सफाई

आपको बता दें कि निमरत से पहले अभिषेक बच्चन ने सफाई दी थी. पेरिस ओलंपिक के दौरान अपनी तलाक की खबरों पर वेडिंग रिंग दिखाते हुए कहा कि मैं अभी भी शादीशुदा हूं. हालांकि ऐश्वर्या या बच्चन फैमिली से किसी ने अभिषेक की शादीशुदा जिंदगी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

सिर्फ एक शख्स को ऐश करती हैं फौलो

इंस्टाग्राम पर ऐश्वर्या राय सिर्फ एक शख्स को फौलो करती हैं और वह हैं उनके पति अभिषेक बच्चन… इससे पता चलता है कि ऐश्वर्या की जिंदगी में अभिषेक कितना मायने रखते हैं. हालांकि अभिषेक बच्चन ऐश्वर्या राय के अलावा कई लोगों को फौलो करते हैं. अकसर हर इवेंट में ऐश अपनी बेटी आराध्या के साथ स्पौट की जाती हैं. दोनों मांबेटी की जोड़ी को फैंस बेहद पसंद करते हैं.

दीवाली पर आप भी अपनाएं विद्या बालन का मूवी प्रमोशन वाला मैथड ड्र‍ैसिंग लुक्‍स

विद्या बालन की लेटेस्ट फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ दिवाली पर रिलीज होने वाली है, ऐसे में उनको एक बार फिर मेथड ड्रेसिंग करते देखा गया. विद्या फिल्म प्रमोशन के दौरान मेथड ड्रेसिंग के प्रति डेडिकेशन के लिए फेमस हैं. उन्होंने पहले भी इस ड्रेसिंग स्टाइल को अपनाया है, जिससे यह अब उनके प्रमोशनल लुक्स की पहचान बन गई है. अपनी आने वाली फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ के प्रमोशन के लिए भी विद्या ने इस परंपरा को जारी रखा और ब्लैक कलर की थीम अपनाते हुए एक से बढ़कर एक लुभावने आउटफिट्स पेश किए, जो उनके लुक और भी बेहतर बना रहे हैं आइए, उनके छह शानदार प्रमोशनल लुक्स पर एक नज़र डालते हैं.

ब्लैक क्रेप अनारकली सूट

एक कौमेडी रियलिटी शो में विद्या ने अंजना बोहरा द्वारा डिजाइन किया गया ब्लैक कलर का खूबसूरत क्रेप अनारकली सूट पहना. इस सूट के साथ ब्लैक और्गेन्जा दुपट्टा था, जिसमें बारीक हैंड इम्ब्रौइडरी का काम किया गया था, जो अनारकली के साथ पूरी तरह मेल खा रहा था. यह लुक रोयल चार्म से भरपूर था, जिससे विद्या डिग्निटी और डिसेंसी की सिंबल लग रही थीं.

2. गोल्डन बौर्डर वाली ब्लैक साड़ी-

जयपुर में ट्रेलर रिलीज इवेंट पर, विद्या ने गोल्डन बौर्डर वाली प्लेन ब्लैक साड़ी पहनी, जिसे डिजाइनर टोरानी ने डिजाइन किया था. साड़ी को गोल्डन सितारों की बेल के साथ डेकोरेट किया गया था, जो उसमें शाइन और चार्म दिखा रहा था. ब्लाउज में मेगा स्लीव्स और हैवी डिजाइन था, जो आउटफिट को बेस्ट रूप दे रहा था. यह लुक परफेक्ट ट्रेडिशनल डिग्निटी और मौडर्निटी का एक बेहतरीन संगम था.

3.चंदेरी सिल्क लहंगा सेट

अहमदाबाद के एक गरबा इवेंट के लिए विद्या ने ब्लैक कलर की थीम से हटते हुए, जिगर माली द्वारा डिजाइन किया गया नेवी ब्लू चंदेरी सिल्क लहंगा सेट पहना. लहंगे के साथ और्गेन्जा दुपट्टा था, जिसमें एंटीक गोल्ड स्ट्रिंग और फाइन हैंड एम्ब्रायडरी थी. यह आउटफिट गरबा के उत्सवपूर्ण माहौल के लिए बेस्ट था इस आउटफिट में विद्या की शालीनता देखते ही बनती है.

4.गोल्ड फायल प्रिंटेड साड़ी-

अहमदाबाद प्रेस शो के दौरान, विद्या ने फिर से ब्लैक कलर की थीम पर लौटते हुए शौप 369 के सस्टेनेबल फैशन ब्रांड की गोल्ड फायल प्रिंटेड साड़ी पहनी. इस साड़ी में गोल्डन फ्लावर्स का खूबसूरत प्रिंट था. विद्या की यह पसंद उनके सस्टेनेबल फैशन के प्रति डेडिकेशन को दर्शाती है, जिससे एक स्ट्रांग मैसेज भी जाता है.

5. कलीदार अनारकली

एक सिंगिंग रियलिटी शो में विद्या ने सू मुए द्वारा डिजाइन किया गया ब्लैक कलर का कलीदार अनारकली पहना। यह कच्चे सिल्क का बना हुआ था, जिसमें वी-नेकलाइन और फुल स्लीव्स थीं. साथ में मैचिंग पैंट्स और ब्लैक प्योर सिल्क और्गेन्जा दुपट्टे ने इस लुक को पूरा किया। इस पर लाइट गोल्ड जरी और मल्टीकलर सिल्क थ्रेड से बनी आरी एम्ब्रौयडरी की गई थी, जिसे और अधिक आकर्षक बनाने के लिए सीक्विन और पर्ल लगाए गए थे.

6. सीक्विन डौटेड ब्लैक साड़ी-

एक रियलिटी गेम शो में प्रमोशन के लिए यह लुक अब्राहम एंड ठाकोर द्वारा डिज़ाइन की गई सीक्विन डौटेड ब्लैक साड़ी थी, जिसमें व्हाइट एब्सट्रैक्ट प्रिंट थे. सेमीशीयर जौर्जेट सिल्क से बनी इस साड़ी में प्राचीन हाथ से की गई अड्डा एम्ब्रौयडरी का काम था, जो इस आउटफिट को और भी शानदार रूप दे रहा था.

ननद का पति मुझे गलत तरीके से टच करता है और धमकी भी देता है…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरे ननद का पति मुझे गलत तरीके से छूने की कोशिश करता है. जब मैंने ये बात अपने ननद और सास से बताई, तो वह दोनों ही उल्टा में मुझे बुरा कहने लगे. मेरे पति घर से दूर रहते हैं, ऐसे में वह मुझे मेरे पति के खिलाफ भड़काता है और मेरे साथ फिजिकल रिलेशन बनाने की बात कहता है, जब मैं मना करती हूं, तो वह मुझे धमकी भी देता है, समझ नहीं आ रहा, मैं क्या करूं?

जवाब

आपके ननद के हसबैंड एक तो आपके साथ गलत व्यवहार कर रहे हैं और धमकी भी दे रहे हैं. आपको उनसे थोड़ा संभल कर रहने की जरूरत है. आपके पति घर से बाहर रहते हैं, लेकिन आपको ये बात उनसे शेयर करना चाहिए, ताकि वह आपका सपोर्ट करें और उस आदमी की सच्चाई जान सकें. कई लोग रिश्ते के आड़ में ही महिलाओं का फायदा उठाते हैं. वह आपके रिश्तेदार है, ये सोचकर आप बिलकुल चुप न बैठें. आजकल तो मोबाइल का जमाना है, जब भी वह आपके पास आते हैं, ये आपको धमकी देते हैं, तो आप चुपके से मोबाइल रिकौर्डिंग भी औन कर सकती हैं. इस सच्चाई को सामने लाने के लिए आपके पास कोई प्रूफ होना जरूरी है, तभी आपके परिवार के लोग विश्वास कर पाएंगे.

रिश्ते में भूलकर भी न बोलें ये झूठ

बीमारियां कभीकभी जिंदगीभर तक जुड़ी रहती हैं. इसलिए अगर आप किसी ऐसी बीमारी से पीडि़त हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है तो अपने पार्टनर को इस के बारे में बताना बेहद जरूरी है. कभीकभी झूठ बोलना ठीक होता है. मान लीजिए किसी का भला हो रहा है तो फिर भी वह झूठ सहन किया जा सकता है लेकिन अगर आप हर बात पर झूठ बोलेंगे तो पार्टनर के मन पर गलत असर पड़ेगा. इससे आपके रिश्ते में शक की दीवार बनेगी. धीरेधीरे शायद वह आप की किसी बात पर विश्वास न करे और हर बात की पहले पड़ताल करे. इसलिए कभी ऐसा न करें. जिस रिश्ते की बुनियाद झूठ पर रखी गई हो वह रिश्ता ज्यादा देर तक नहीं चलता है.

कई बार झूठ बोलेने की वजह से रिश्ते टूटने लगते हैं. हर किसी के लाइफ में एक ऐसा शख्स होना चाहिए, जिससे हम अपने मन की हर बात शेयर कर सकें और लाइफ पार्टनर को आप सच्चा दोस्त बना सकते हैं.

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वैवाहिक बलात्कार और कानून का ऊंट

कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिन के जवाब न तो समाज के पास होते हैं और न ही कानून के पास. ऐसे प्रश्नों के जवाब प्रकृति के पास अवश्य होते हैं. ऐसा ही एक सवाल है वैवाहिक बलात्कार का. क्या वैश्विक रूप से उठते समाज के इस गूढ़ प्रश्न का जवाब मनुष्य के ही पास है?

कैसे सुलझेगी गुत्थी

दरअसल, प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने वैवाहिक बलात्कार के मामलों में पतियों को दी गई ‘छूट’ को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई को को 4 सप्ताह के लिए टाल दिया. प्रधान न्यायाधीश 10 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. ऐसे में स्पष्ट हो जाता है कि अब भारत के नए प्रधान न्यायाधीश ही वैवाहिक बलात्कार की गुत्थी को सुलझाएंगे.

आइए, आप को बताते हैं कि देश के सब से बड़े न्यायालय में 23 अक्तूबर, 2024 को वैवाहिक बलात्कार के मसले पर क्या संवाद हुआ :

प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वकीलों से पूछा कि अलगअलग दलील पेश करने के लिए उन्हें कितना वक्त चाहिए?

यह कि पीठ ने याचिकाओं पर 17 अक्तूबर, 2024 को अंतिम सुनवाई शुरू की थी. एक पक्ष की ओर से पेश हुए अधिवक्ता गोपाल
शंकरनारायण ने कहा,”उन्हें अपनी दलीलें पूरी करने के लिए कम से कम 1 दिन का वक्त लगेगा क्योंकि इस तरह के महत्त्वपूर्ण विषय में जरूरी विस्तृत दलीलों को वह संक्षिप्त नहीं करना चाहते.”

दूसरी तरफ केंद्र की ओर से सौलिसिटर जनरल तुषार मेहता, महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और एक महिला की पैरवी कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि उन में से प्रत्येक को दलील पूरी करने के लिए 1-1 दिन का वक्त चाहिए.

फैसला कब तक

इधर उच्चतम अदालत दीवाली की छुट्टियों के लिए 26 अक्तूबर, 2024 को बंद हो रही है और 4 नवंबर को खुलेगी. मामले की सुनवाई करने और फैसला सुनाने के लिए प्रधान न्यायाधीश के पास 5 दिन ही शेष बचेंगे.

ऐसे में प्रधान न्यायाधीश ने कहा,”यदि इस हफ्ते दलीलें पूरी नहीं हो पाती हैं तो उन के लिए निर्णय सुना पाना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि वे 10 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. समय के अनुमान को देखते हुए हमारा मानना है कि निकट भविष्य में सुनवाई पूरी करना संभव नहीं होगा. याचिकाओं को 4 सप्ताह बाद किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए.”

अधिवक्ता शंकरनारायण ने कहा,”हमें बहुत अफसोस है कि हम इसे जारी रखना चाहते हैं.”

सौलिसिटर जनरल ने कहा,”केंद्र का यह कहना है कि विवाह सहमति की अवधारणा को समाप्त नहीं करता, लेकिन साथ ही वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में डालने के लिए मामले का विभिन्न दृष्टिकोणों से आंकलन करना होगा.”

वहीं एक याचिकाकर्ता की ओर पेश वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी ने कहा,”याचिका देश की करोड़ों महिलाओं के बारे में है और इस की ‘अत्यधिक तात्कालिकता’ है. प्रधान न्यायाधीश सुनवाई जारी रखें क्योंकि उन्होंने पूर्व में कई महत्त्वपूर्ण निर्णय सुनाए हैं.”

पीठ ने 17 अक्तूबर, 2024 को कहा था कि यह भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के उन दंडात्मक प्रावधानों की संवैधानिक वैधता पर निर्णय करेगी, जो पत्नी के
नाबालिग नहीं होने की स्थिति में उस के साथ जबरन यौन संबंध बनाने पर बलात्कार के अपराध के लिए पति को अभियोजन से छूट प्रदान करते हैं.

अंत में प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ताओं से केंद्र की इस दलील पर विचार मांगा कि ऐसे कृत्यों को दंडनीय बनाने से वैवाहिक संबंधों पर गंभीर असर पड़ेगा और विवाह नाम की संस्था प्रभावित होगी.

भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद खंड को अब निरस्त कर दिया गया है और बीएनएस द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है। इस अपवाद खंड के तहत पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना, यदि पत्नी नाबालिग न हो, बलात्कार नहीं है.

नए कानून के तहत भी धारा 63 (बलात्कार) के अपवाद खंड 2 में कहा गया है कि पति द्वारा पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना, यदि पत्नी 18 वर्ष से कम आयु की न हो, बलात्कार नहीं है.

वैवाहिक बलात्कार का सवाल

दरअसल, जीवनसाथी की सहमति के बिना उन के साथ यौन संबंध बनाना एक तरह से घरेलू हिंसा और यौन शोषण है। हालांकि पहले शादी के बाद संभोग को पति या पत्नी का अधिकार माना जाता था, मगर अब यह एक कानूनन अपराध माना जाने लगा है और अनेक देशों में इस के लिए कानूनी उपचार हैं.

वैवाहिक बलात्कार को अपराध मानने की अवधारणा समय के साथ विकसित हुई है.1960 के समय में नारीवाद की लहर उठी। इस दौरान महिलाओं को अपने शरीर से संबंधित निर्णय लेने और सहमति वापस लेने का अधिकार दिया गया। आज दुनिया के 100 से अधिक देशों में वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित किया गया है.

वैवाहिक बलात्कार की घटनाएं समाज में अकसर होती हैं, जो भारत में भी आज बड़ा सवाल बन गया है.

देश में वैवाहिक बलात्कार कानून

हमारे देश में वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना जाता है. 2019 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की.
अमेरिका में वैवाहिक बलात्कार कानून 1993 में, अमेरिका में वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने वाला कानून पारित किया गया. इस से पहले कई देशों में वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं माना जाता था.

आस्ट्रेलिया में वैवाहिक बलात्कार कानून 1980 के सालों में अपराध मानने वाला कानून पारित किया गया.

यूनाइटेड किंगडम में वैवाहिक बलात्कार कानून 1991 में, वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने वाला कानून पारित किया गया.

नौर्वे में वैवाहिक बलात्कार कानून 1990 में, अपराध बनाने वाला कानून पारित किया गया.

इन मामलों से दुनिया में चर्चा पैदा की

मैरी वौकर का मामला (अमेरिका) : 1980 में मैरी वौकर ने अपने पति पर वैवाहिक बलात्कार का आरोप लगाया. यह मामला अमेरिका में वैवाहिक बलात्कार के खिलाफ पहला मामला था.

किरण निधि का मामला : भारत में 2015 में किरण निधि ने अपने पति पर वैवाहिक बलात्कार का आरोप लगाया. यह मामला भारत में वैवाहिक बलात्कार के खिलाफ महत्त्वपूर्ण मामलों में से एक है.

लारा मिलर का मामला : यूनाइटेड किंगडम में 2013 में लारा मिलर ने अपने पति पर वैवाहिक बलात्कार का आरोप लगाया. यह मामला यूनाइटेड किंगडम में वैवाहिक बलात्कार के खिलाफ महत्त्वपूर्ण मामलों में से एक है.

यह कुछ उदाहरण हैं जो वैवाहिक बलात्कार की गंभीरता और इस के खिलाफ लड़ने की आवश्यकता को दर्शाते हैं. देखना यह होगा कि दुनियाभर में वैवाहिक बलात्कार की कुछ परिस्थितियों को कानून अपराध मानने का कानून बन जाने के बाद भी भारत जैसे देश में इस मसले पर कानून का ऊंट किस करवट बैठता है।

फिल्म ‘कांगुवा’ की प्रैस कौन्फ्रैंस के दौरान साउथ के सुपरस्टार सूर्या क्यों हुए भावुक?

हाल ही में मुंबई में फिल्म ‘कांगुआ’ का ट्रैलर लौंच हुआ जहां पर साउथ के सुपरस्टार सूर्या और बौबी देओल जोकि इस फिल्म में खूंखार विलेन का किरदार निभा रहे हैं, हीरोइन दिशा पटानी और ‘कांगुआ’ की पूरी टीम शामिल हुई.

साउथ की सुपरहिट फिल्में ‘गजनी’,’ ‘जय भीम’, ‘सिंघम’ आदि रही हैं और जिस में से फिल्म ‘गजनी’ और ‘सिंघम’ की रीमेक में काम कर के आमिर खान और अजय देवगन ने अपार लोकप्रियता बटोरी है।

बौबी देओल पर फिदा

सूर्या हिंदी फिल्मों की मीडिया के सामने बहुत ही डाउन टू अर्थ नजर आए. गौरतलब है कौन्फ्रेंस के दौरान सूर्या बाबी देओल पर पूरी तरह फिदा नजर आए.

प्रैस कौन्फ्रेंस के दौरान जहां सूर्या ने बौबी देओल की तारीफों के पुल बांध दिए, वहीं सूर्या बौबी देओल पर प्यार लुटाते हुए प्रैस कौन्फ्रेंस के दौरान गले मिलते नजर आए.

सूर्या का प्यार देख कर बौबी देओल ने भी सूर्या को गले से लगा लिया. ऐसे में कहना गलत न होगा कि भले ही साउथ के ऐक्टर वहां पर सुपरस्टार हैं लेकिन बौलीवुड हीरो से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते.

बनेंगे खतरनाक विलेन

बौबी देओल हों, संजय दत्त हों या फिर सलमान खान, बौलीवुड के इन सभी हीरोज पर साउथ के ऐक्टर जान छिड़कते नजर आते हैं. बौबी देओल की फिल्मों की अगर बात करें तो फिल्म ‘एनिमल’ के बाद बौबी देओल फिल्म ‘कगुवा’ में भी खतरनाक विलेन के रोल में नजर आएंगे.

इस के अलावे भी बौबी आलिया भट्ट अभिनीत फिल्म ‘अल्फा’ में भी विलेन के किरदार में नजर आएंगे. इस के अलावा फिल्म ‘हरिहरा वीरा मल्लू’, ‘थलापति 69’, ‘एनिमल पार्क’, ‘एनबीके 109’ और प्रियदर्शन की अगली फिल्म में भी बौबी देओल विलेन की किरदार में नजर आने वाले हैं.

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