Diwali special: फेस्टिवल्स पर मेहमानों के लिए बनाएं चाइनीज पनीर रोल

Writer- Pratibha Agnihotri

त्योहारों का सीजन प्रारम्भ हो चुका है. त्योहारों पर मेहमानों का घर में आना भी स्वाभाविक सी बात है. मेहमानों के आने पर कुछ नया सा बनाने का मन करता है ताकि मेहमानों को कुछ स्पेशल सा फील हो. आज हम आपको नूडल्स और पनीर से एक बहुत अच्छा सा नाश्ता बनाना बता रहे हैं जिसे घर में उपलब्ध सामान से ही बहुत आसानी से बनाया जा सकता है.आप इसे सुबह या शाम किसी भी समय पर नाश्ते में बना सकतीं हैं.  तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है-

कितने लोगों के लिए     4

बनने में लगने वाला समय    30 मिनट

मील टाइप    वेज

सामग्री

पनीर   250 ग्राम

नूडल्स 250 ग्राम

कटा प्याज  1

कटी शिमला मिर्च   1/2 कप

कटी बींस  1/4 कप

कटी लहसुन   6 कली

अदरक, हरी मिर्च पेस्ट  1 टीस्पून

कॉर्नफ्लोर 1 टीस्पून

सोया सॉस 1/2 टीस्पून

चिली सॉस  1/2 टीस्पून

वेनेगर  1/4 टीस्पून

टोमेटो सॉस 1 टीस्पून

चिली फ्लैक्स   1/4 टीस्पून

ऑरिगेनो  1/2 टीस्पून

नमक 1/2 टीस्पून

बारीक कटी हरी प्याज  1 टेबलस्पून

तेल  तलने के लिए

विधि

पनीर के 2 इंच लंबे और आधा इंच चौड़े टुकड़े काट लें. एक भगौने में नमक और 1 टीस्पून तेल डालकर लगभग 1 लीटर पानी गर्म करें. जब पानी उबलने लगे तो नूडल्स डाल दें. जैसे ही नूडल्स सॉफ्ट हो जाएं तो इन्हें छलनी में छानकर ठंडा पानी डाल दें. अब इन नूडल्स को प्रत्येक पनीर के टुकड़े पर इस तरह लपेटें की पनीर पूरा कवर हो जाये. तैयार पनीर के टुकड़ों को गर्म तेल में सुनहरा तलकर बटर पेपर पर निकाल लें. अब एक दूसरे पैन में 1 टीस्पून तेल डालकर कटी लहसुन, प्याज और अदरक, हरी मिर्च के पेस्ट को भूनें. जब प्याज भूरा सा हो जाये तो सभी सब्जियां डाल दें.

1/4 टीस्पून नमक डालकर मध्यम आंच पर सब्जियों के गलने तक पकाएं. जब सब्जियां हल्की सी नरम हो जाएं तो इनमें सभी सॉसेज डालकर 1 टीस्पून पानी डाल दें ताकि सब्जियां जले नहीं. कॉर्नफ्लोर को 1/4 कप पानी में घोल लें और सब्जियों में लगातार चलाते हुए मिलाएं. यदि पानी कम लगे तो आवश्यकतानुसार बढ़ा लें. तैयार ग्रेवी में तले पनीर नूडल्स के रोल डालकर चलाएं. ऊपर से ऑरिगेनो, चिली फ्लैक्स और कटा हरा प्याज डालकर सर्व करें.

रश्मि : बलविंदर के लालच ने ली रश्मि की जान

लेखक- मुन्ना कुमार सिंह

सुबह के 7 बजे थे. गाडि़यां सड़क पर सरपट दौड़ रही थीं. ट्रैफिक इंस्पैक्टर बलविंदर सिंह सड़क के किनारे एक फुटओवर ब्रिज के नीचे अपने साथी हवलदार मनीष के साथ कुरसी पर बैठा हुआ था. उस की नाइट ड्यूटी खत्म होने वाली थी और वह अपनी जगह नए इंस्पैक्टर के आने का इंतजार कर रहा था.

बलविंदर सिंह ने हाथमुंह धोया और मनीष से बोला, ‘‘भाई, चाय पिलवा दो.’’

मनीष उठा और सड़क किनारे एक रेहड़ी वाले को चाय की बोल कर वापस आ गया. तुरंत ही चाय भी आ गई. दोनों चाय पीते हुए बातें करने लगे.

बलविंदर सिंह ने कहा, ‘‘अरे भाई, रातभर गाडि़यों के जितने चालान हुए हैं, जरा उस का हिसाब मिला लेते.’’

मनीष बोला, ‘‘जनाब, मैं ने पूरा हिसाब पहले ही मिला लिया है.’’

इसी बीच बलविंदर सिंह के मोबाइल फोन की घंटी बजी. वह बड़े मजाकिया अंदाज में फोन उठा कर बोला, ‘‘बस, निकल रहा हूं. मैडम, सुबहसुबह बड़ी फिक्र हो रही है…’’

अचानक बलविंदर सिंह के चेहरे का रंग उड़ गया. वह हकलाते हुए बोला, ‘‘मनीष… जल्दी चल. रश्मि का ऐक्सिडैंट हो गया है.’’

दोनों अपनाअपना हैलमैट पहन तेजी से मोटरसाइकिल से चल दिए.

दरअसल, रश्मि बलविंदर सिंह की 6 साल की एकलौती बेटी थी. उस के ऐक्सिडैंट की बात सुन कर वह परेशान हो गया था. उस के दिमाग में बुरे खयाल आ रहे थे और सामने रश्मि की तसवीर घूम रही थी.

बीच रास्ते में एक ट्रक खराब हो गया था, जिस के पीछे काफी लंबा ट्रैफिक जाम लगा हुआ था. बलविंदर सिंह में इतना सब्र कहां… मोटरसाइकिल का सायरन चालू किया, फुटपाथ पर मोटरसाइकिल चढ़ाई और तेजी से जाम से आगे निकल गया.

अगले 5 मिनट में वे दोनों उस जगह पर पहुंच गए, जहां ऐक्सिडैंट हुआ था.

बलविंदर सिंह ने जब वहां का सीन देखा, तो वह किसी अनजान डर से कांप उठा. एक सफेद रंग की गाड़ी आधी फुटपाथ पर चढ़ी हुई थी. गाड़ी के आगे के शीशे टूटे हुए थे. एक पैर का छोटा सा जूता और पानी की लाल रंग की बोतल नीचे पड़ी थी. बोतल पिचक गई थी. ऐसा लग रहा था कि कुछ लोगों के पैरों से कुचल गई हो. वहां जमीन पर खून की कुछ बूंदें गिरी हुई थीं. कुछ राहगीरों ने उसे घेरा हुआ था.

बलविंदर सिंह भीड़ को चीरता हुआ अंदर पहुंचा और वहां के हालात देख सन्न रह गया. रश्मि जमीन पर खून से लथपथ बेसुध पड़ी हुई थी. उस की पत्नी नम्रता चुपचाप रश्मि को देख रही थी. नम्रता की आंखों में आंसू की एक बूंद नहीं थी.

बलविंदर सिंह के पैर नहीं संभले और वह वहीं रश्मि के पास लड़खड़ा कर घुटने के बल गिर गया. उस ने रश्मि को गोद में उठाने की कोशिश की, लेकिन रश्मि का शरीर तो बिलकुल ढीला पड़ चुका था.

बलविंदर सिंह को यह बात समझ में आ गई कि उस की लाड़ली इस दुनिया को छोड़ कर जा चुकी है. उसे ऐसा लगा, जैसे किसी ने उस का कलेजा निकाल लिया हो.

बलविंदर सिंह की आंखों के सामने रश्मि की पुरानी यादें घूमने लगीं. अगर वह रात के 2 बजे भी घर आता, तो रश्मि उठ बैठती, पापा के साथ उसे रोटी के दो निवाले जो खाने होते थे. वह तोतली जबान में कविताएं सुनाती, दिनभर की धमाचौकड़ी और मम्मी के साथ झगड़ों की बातें बताती, लेकिन अब वह शायद कभी नहीं बोलेगी. वह किस के साथ खेलेगा? किस को छेड़ेगा?

बलविंदर सिंह बच्चों की तरह फूटफूट कर रोने लगा. कोई है भी तो नहीं, जो उसे चुप करा सके. नम्रता वैसे ही पत्थर की तरह बुत बनी बैठी हुई थी.

हलवदार मनीष ने डरते हुए बलविंदर सिंह को आवाज लगाई, ‘‘सरजी, गाड़ी के ड्राइवर को लोगों ने पकड़ रखा है… वह उधर सामने है.’’

बलविंदर सिंह पागलों की तरह उस की तरफ झपटा, ‘‘कहां है?’’

बलविंदर सिंह की आंखों में खून उतर आया था. ऐसा लगा, जैसे वह ड्राइवर का खून कर देगा. ड्राइवर एक कोने में दुबका बैठा हुआ था. लोगों ने शायद उसे बुरी तरह से पीटा था. उस के चेहरे पर कई जगह चोट के निशान थे.

बलविंदर सिंह तकरीबन भागते हुए ड्राइवर की तरफ बढ़ा, लेकिन जैसेजैसे वह ड्राइवर के पास आया, उस की चाल और त्योरियां धीमी होती गईं. हवलदार मनीष वहीं पास खड़ा था, लेकिन वह ड्राइवर को कुछ नहीं बोला.

बलविंदर सिंह ने बेदम हाथों से ड्राइवर का कौलर पकड़ा, ऐसा लग रहा था, जैसे वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा हो.

दरअसल, कुछ समय पहले ही बलविंदर सिंह का सामना इस शराबी ड्राइवर से हुआ था.

सुबह के 6 बजे थे. बलविंदर सिंह सड़क के किनारे उसी फुटओवर ब्रिज के नीचे कुरसी पर बैठा हुआ था. थोड़ी देर में मनीष एक ड्राइवर का हाथ पकड़ कर ले आया. ड्राइवर ने शराब पी रखी थी और अभी एक मोटरसाइकिल वाले को टक्कर मार दी थी.

मोटरसाइकिल वाले की पैंट घुटने के पास फटी हुई थी और वहां से थोड़ा खून भी निकल रहा था.

बलविंदर सिंह ने ड्राइवर को एक जोरदार थप्पड़ मारा था और चिल्लाया, ‘सुबहसुबह चढ़ा ली तू ने… दूर से ही बदबू मार रहा है.’

ड्राइवर गिड़गिड़ाते हुए बोला, ‘साहब, गलती हो गई. कल इतवार था. रात को दोस्तों के साथ थोड़ी पार्टी कर ली. ड्यूटी पर जाना है, घर जा रहा हूं. मेरी गलती नहीं है. यह एकाएक सामने आ गया.’

बलविंदर सिंह ने फिर थप्पड़ उठाया था, लेकिन मारा नहीं और जोर से चिल्लाया, ‘क्यों अभी इस की जान चली जाती और तू कहता है कि यह खुद से सामने आ गया. दारू तू ने पी रखी है, लेकिन गलती इस की है… सही है…मनीष, इस की गाड़ी जब्त करो और थाने ले चलो.’

ड्राइवर हाथ जोड़ते हुए बोला था, ‘साहब, मैं मानता हूं कि मेरी गलती है. मैं इस के इलाज का खर्चा देता हूं.’

ड्राइवर ने 5 सौ रुपए निकाल कर उस आदमी को दे दिए. बलविंदर सिंह ने फिर से उसे घमकाया भी, ‘बेटा, चालान तो तेरा होगा ही और लाइसैंस कैंसिल होगा… चल, लाइसैंस और गाड़ी के कागज दे.’

ड्राइवर फिर गिड़गिड़ाया था, ‘साहब, गरीब आदमी हूं. जाने दो,’ कहते हुए ड्राइवर ने 5 सौ के 2 नोट मोड़ कर धीरे से बलविंदर सिंह के हाथ पर रख दिए.

बलविंदर सिंह ने उस के हाथ में ही नोट गिन लिए और उस की त्योरियां थोड़ी कम हो गईं.

वह झूठमूठ का गुस्सा करते हुए बोला था, ‘इस बार तो छोड़ रहा हूं, लेकिन अगली बार ऐसे मिला, तो तेरा पक्का चालान होगा.’

ड्राइवर और मोटरसाइकिल सवार दोनों चले गए. बलविंदर सिंह और मनीष एकदूसरे को देख कर हंसने लगे. बलविंदर बोला, ‘सुबहसुबह चढ़ा कर आ गया.’

मनीष ने कहा, ‘जनाब, कोई बात नहीं. वह कुछ दे कर ही गया है.’

वे दोनों जोरजोर से हंसे थे.

अब बलविंदर सिंह को अपनी ही हंसी अपने कानों में गूंजती हुई सुनाई दे रही थी और उस ने ड्राइवर का कौलर छोड़ दिया. उस का सिर शर्म से झुका हुआ था.

बलविंदर और मनीष एकदूसरे की तरफ नहीं देख पा रहे थे. वहां खड़े लोगों को कुछ समझ नहीं आया कि क्या हुआ है, क्यों इन्होंने ड्राइवर को छोड़ दिया.

मनीष ने पुलिस कंट्रोल रूम में एंबुलैंस को फोन कर दिया. थोड़ी देर में पीसीआर वैन और एंबुलैंस आ कर वहां खड़ी हो गई.

पुलिस वालों ने ड्राइवर को पकड़ कर पीसीआर वैन में बिठाया. ड्राइवर एकटक बलविंदर सिंह की तरफ देख रहा था, पर बलविंदर सिंह चुपचाप गरदन नीचे किए रश्मि की लाश के पास आ कर बैठ गया. उस के चेहरे से गुस्से का भाव गायब था और आत्मग्लानि से भरे हुए मन में तरहतरह के विचारों का बवंडर उठा, ‘काश, मैं ने ड्राइवर को रिश्वत ले कर छोड़ने के बजाय तत्काल जेल भेजा होता, तो इतना बड़ा नुकसान नहीं होता.’

Diwali Special: दिवाली के मौके पर बनाने जा रही हैं रंगोली, तो फौलो करें ये हैक्स

WriterPratibha Agnihotri

दीवाली पर रंगोली का अपना अलग ही महत्व है…सजे धजे लोग और सजे घर के मुख्य द्वार में रंगोली अपने भांति भांति के रंगों से चार चांद लगा देती है.रंगोली में प्रयोग किये गए विविध रंग सकारात्मकता और खुशियों के प्रतीक होते हैं. देश के विभिन्न प्रान्तों में इसे मांडना, ऐपन, रंगावली आदि नामों से भी जाना जाता है. रंगोली को रंगों के अतिरिक्त चावल, फूलों, रेत, गेरू और चूना आदि से भी बनाया जाता है. रंगोली को यदि आप पहली बार रंगोली बनाने जा रही हैं तो यहां पर प्रस्तुत हैं कुछ टिप्स जिन्हें ध्यान में रखकर आप बहुत आसानी से अपने घर के मुख्य द्वार को रंगोली से सजा सकेंगीं-

  • सर्वप्रथम अपने मुख्य द्वार के आकार के अनुसार इंटरनेट अथवा रंगोली की पुस्तक से  कोई डिजाइन तय कर लें.
  • रंगोली बनाने के लिए प्लेन सर्फेस को चुनें यदि आपका फर्श उभार या दानेदार है तो आप रंगोली बनाने के लिए लकड़ी के प्लेन बोर्ड का प्रयोग करें.
  • रंगोली सदैव दरवाजे के बीचोबीच में न बनाकर दरवाजे के साइड में बनाएं ताकि आपकी रंगोली कई दिनों तक बनी रहे.
  • यदि आप पहली बार बना रही हैं तो बहुत बड़ी और कठिन डिजाइन बनाने की अपेक्षा सरल और छोटी डिजाइन बनाएं.
  • आजकल बाजार में रंगोली बनाने के लिए छलनी, कलर स्प्रेडर ट्यूब जैसे विविध टूल्स उपलब्ध हैं आप चाहें तो इनका प्रयोग कर सकतीं हैं.
  • यदि आपकी ड्राइंग कमजोर है तो फ्री हैंड रंगोली बनाने के स्थान पर चार्ट के द्वारा डॉट्स वाली रंगोली बनाने का प्रयास करें.
  • रंगोली की डिजाइन को पहले चाक से फर्श पर बना लें और फिर उस पर मनचाहे रंग डालें.
  • यदि आप फूल पत्ती, या डॉट्स वाली रंगोली बनाने में हिचकिचा रहीं हैं तो दीवार के सहारे सहारे सीधी तीन रेखाएं सफेद रंग से बनाएं फिर 1-1 इंच की दूरी पर बिंदु रखें और बिंदु के बीच से टूथपिक को लम्बाई में धीरे से खींचे इसी तरह अन्य रंगों से भी आप डिजाइन्स बना सकतीं हैं.
  • रंगोली बन जाने के बाद आसपास बिखरे रंगों को फर्श से साफ करने के लिए झाड़ू के स्थान पर सूती कपड़े या ब्रश का प्रयोग करें.
  • आप किसी भी एक रंग को छलनी से मनचाहे आकार में फैला दें फिर इसमें आप कोई भी डिजाइन को उकेर कर भी रंगोली बना सकतीं हैं.
  • रंगोली के मध्य और किनारों पर दीपक रखकर आप इसे और अधिक खूबसूरत बना सकतीं हैं. किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए तेल के दिये के स्थान पर इलेक्ट्रिक दियों का प्रयोग करें.

Diwali Special : इस दीवाली अपनों को दें ये गिफ्ट्स, कम खर्च में बैस्ट हैं ये आइटम्स

उपहारों का आदानप्रदान चाहे वह परिवारजनों के बीच हो या रिश्तेदारों या पड़ोसियों के बीच, आपसी संबंधों को एक मजबूती प्रदान करता है. लेकिन अपने प्यार या स्नेह को दर्शाने के लिए यह जरूरी नहीं कि बहुत महंगे गिफ्ट ही दिए जाएं. बहुत महंगे गिफ्ट दे कर आप एक तरह से दूसरे को अपना कृतज्ञ बना लेते हैं और अगर उस व्यक्ति की हैसियत उतना ही महंगा उपहार आप को देने की नहीं होती तो वह बहुत शर्म महसूस करता है. महंगे उपहार दे कर अपना हक मत जताइए.

उपहार सौहार्द बनाने के लिए दिए जाने चाहिए, मन में खटास पैदा करने के लिए नहीं. साथ ही लेने वाले को भी उस के महंगे या सस्ते होने की बात पर ध्यान न देते हुए आप के प्यार को समझना चाहिए, क्योंकि आप उपहार के माध्यम से सम्मान दे रहे हैं, प्यार बांट रहे हैं. सस्ती ही सही, पर ऐसी उपयोगी चीजें दें जिन के साथ आप की याद हमेशा जुड़ी रहे.

क्या दें उपहार में

क्यों न इस बार महंगे नहीं, 100 से ले कर 500 रुपए की कीमत के ऐसे गिफ्ट खरीदें, जिन्हें देख कर उपहार लेने वाला भी आप की सूझबूझ की तारीफ किए बिना न रह सके. यदि आप औनलाइन शौपिंग करना पसंद करते हैं, तो कुछ ऐसे भी प्रोडक्ट्स हैं, जिन्हें घर बैठे और्डर कर सकती हैं. आजकल बाजार में इतनी ज्यादा वैराइटी में कैंडल्स उपलब्ध हैं कि आप तरहतरह की कैंडल या दीयों का एक हैंपर बनवा कर उपहार में दे सकती हैं.

इस के अलावा घरेलू उपयोग की चीजें जैसे लैंप शेड, लैंप, छोटी इमल्शन रौड, बुक स्टैंड, चाइनीज केतली व मग भी अच्छे विकल्प हैं और जेब पर भारी भी नहीं. टाइमपीस, फोटो फ्रेम, कांच के सजाने व किचन में उपयोग होने वाले कटोरे तथा ट्रे भी ली जा सकती हैं. बहुत सी कंपनियां इन दिनों बिस्कुट व जूस के पैक भी निकालती हैं, जो बहुत महंगे नहीं होते और सब को पसंद भी आते हैं.

दिलचस्प उपहार

बच्चों को गिफ्ट देना है, तो पटाखे तो दिए ही जा सकते हैं. साथ ही ऐजुकेशनल डीवीडी या फिर बच्चों की फिल्म के वीडियो दें. थोड़े बड़े बच्चों के लिए स्टोरी बुक या किसी दिलचस्प विषय पर बुक गिफ्ट कर सकती हैं या फिर किड्स मैगजीन दे दें. कलर्स, कलर बुक आदि भी बच्चों को बहुत लुभाती हैं. बुजुर्गों को ऐसी चीजें दें जो उन के काम आ सकें जैसे उन्हें किताबें, मैग्जीन या फिर पुरानी फिल्मों की सीडी गिफ्ट कर सकती हैं.

रिश्तेदारों व मित्रों को छोटी गिफ्ट बास्केट दे सकती हैं और सब से अच्छा तो होगा कि उन्हें पौधा उपहार में दें. सिर्फ टैराकोटा व सिरेमिक के प्लांटर्स भी दिए जा सकते हैं. महिलाओं को कौस्मैटिक का सामान दिया जा सकता है. लकड़ी के डैकोरेशन पीस भी आप को सस्ते में मिल जाएंगे. वौल हैंगिंग्स व रंगोली के स्टिकर्स का पैक तैयार कर दे सकती हैं.

ढेरों विकल्प

घर में पेपर लैंप दिखने में भी अच्छे लगते हैं और इन का रखरखाव भी आसान होता है. मार्केट में आप को ये 100 से 300 रुपए तक के कम बजट में मिल जाएंगे. मैजिक फोल्डिंग फूलदान एक क्यूट और काम में आने वाली चीज है, क्योंकि यह प्लास्टिक पेपर बैग का बना है, इसलिए  इस के टूटने का भी खतरा नहीं है. जिसे आप फूल के साथ यह गिफ्ट करेंगे वह इसे जरूर पसंद करेगा. 400 से 500 रुपए के बीच कई डिजाइनदार फूलदान मिल जाएंगे.

दीवाली पर यदि अपनी फ्रैंड या बहन को गिफ्ट देने का सोच रही हैं, तो ब्रैसलैट दे सकती हैं. यह औनलाइन मात्र 300 से ले कर 500 तक में मिल जाएंगे. आजकल हर कोई हैडफोन इस्तेमाल करता है. इसलिए गिफ्ट में मोबाइल हैडफोन दिया जा सकता है. मार्केट में कलरफुल हैडफोन मिल जाएंगे. 500 रुपए में सस्ते और टिकाऊ हैडफोन गिफ्ट करने के लिए अच्छा औप्शन है.

खुद भी तैयार कर सकती हैं

सिल्वर कोटेड दीए, घड़ी आदि आइटम मार्केट में सजे हुए हैं. इन गिफ्ट आइटम्स की सब से प्रमुख विशेषता यह है कि ये काले नहीं होते और इन के रेट भी रीजनेबल हैं. ये गिफ्ट 300 रुपए से ले कर 600 रुपए तक की रेंज में उपलब्ध हैं.

गिफ्ट कार्ड भी अच्छा औप्शन हो सकता है. आप गिफ्ट कार्ड बैंक की ब्रांच या नैटबैंकिंग के जरीए पा सकती हैं. विभिन्न बैंक इस तरह के कार्ड इस मौके पर जारी करते हैं. इस कार्ड को मूवी टिकट, रैस्तरां बिल, औफलाइन और औनलाइन शौपिंग में यूज कर सकते हैं. ये गिफ्ट कार्ड डेबिट कार्ड की तरह काम करते हैं.  अगर आप के दोस्तों को बागबानी का शौक है तो उन्हें उपहार में कुछ खूबसूरत से इनडोर और आउटडोर प्लांट सुंदर से पौट में लगवा कर भी गिफ्ट कर सकती हैं. यदि आप के दोस्त ऐसे घर में रहते हैं, जहां बहुत बड़ी छत या बगीचा है, तो जैविक खेती के लिए उसे एक किट भी उपहार में दे सकती हैं.

अपने परिजनों के लिए अपने हाथों से बनी चौकलेट, जैम, जैली आदि भी गिफ्ट कर सकती हैं. अगर आप बेकिंग करना जानती हैं, तो स्वादिष्ठ केक भी तैयार कर उपहार में दे सकती हैं.

खास उपहार

अपने दोस्त, परिवार या किसी खास के साथ बिताए खास पलों की एक सीडी बनवा लें और फिर उस सीडी को दीवाली के मौके पर उपहार में दें. आप चाहें तो फोटो कोलाज बना कर भी दीवाली में उपहार दे सकती हैं. किसी को गाना सुनने का शौक हो तो उस के मनपसंद गानों की एक सीडी बना कर भी आप उसे उपहार में दे सकती हैं. इस दीवाली आप अपने दोस्त व करीबियों को अपना समय उपहार के तौर पर दें, क्योंकि आजकल सब से कीमती समय ही हो गया है. दीवाली की तमाम जिम्मेदारियों और व्यस्तताओं के बीच अपने दोस्तों, रिश्तेदारों व पड़ोसियों के साथ 2-4 घंटे बिताएं. साथ खाना खाएं और वह काम करें जो आप को पसंद हो.

मेरे सासससुर पुराने ख्यालात वाले हैं, जिस वजह से मैं पति से ढंग से बात भी नहीं कर पाती हूं…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 26 साल की हूं. विवाह को डेढ़ साल हुए हैं. परिवार संयुक्त और बड़ा है. यों तो सभी एकदूसरे का खयाल रखते हैं पर बड़ी समस्या वैवाहिक जीवन जीने को ले कर है. सासससुर पुराने खयालात वाले हैं, जिस वजह से घर में इतना परदा है कि 9-10 दिन में पति से सिर्फ हांहूं में भी बात हो जाए तो काफी है. रात को भी हम खुल कर सैक्स का आनंद नहीं उठा पाते. कभीकभी मन बहुत बेचैन हो जाता है. दूसरी जगह घर भी नहीं ले सकते. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

सैक्स संबंध हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है. स्वस्थ व जोशीली सैक्स लाइफ हमारे संबंधों को मजबूत बनाती है एवं जीवन को खुशियों से भरती है. संयुक्त परिवारों में जानबूझ कर औरतों को दबाने के लिए उन्हें पति से दूर रखा जाता है और वे पति के साथ खुल कर सैक्स ऐंजौय नहीं कर पातीं. इस के लिए आप को पति से खुल कर बात करनी होगी. सिर्फ आप ही नहीं आप के पति भी आप की चाह रखते होंगे.

बेहतर होगा कि इस के लिए कभी किसी रिश्तेदार के या कभी मायके जाने के बहाने पति के साथ बाहर घूमने जाएं. इस तरह के संबंधों को तो झेलना ही होता है. कोई उपाय नहीं मिलता.

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 सवाल

मैं 23 वर्षीय अविवाहित युवक हूं. 2-3 महिलाओं से बगैर कंडोम लगाए शारीरिक संबंध बना चुका हूं. अब कुछ दिनों से एक समस्या से जूझ रहा हूं. सैक्स संबंध के बाद मेरे प्राइवेट पार्ट में जलन होने लगती है. अंदर की त्वचा लाल हो जाती है और कभीकभी खुजली भी होती है. बताएं मैं क्या करूं?

 जवाब

आज के लाइफस्टाइल में सुरक्षित सैक्स संबंध बनाना बेहद जरूरी है और इस का सरल और सस्ता विकल्प है कंडोम. कंडोम लगा कर सैक्स संबंध बनाने से संक्रमण की संभावना न के बराबर रहती है. जैसाकि आप ने बताया कि आप की 2-3 महिलाओं से रिलेशनशिप रही है तो जाहिर है कि इस से आप को प्रौस्टेटिक संक्रमण या किसी तरह का फंगल इन्फैक्शन हो गया हो.

आप को जल्द ही किसी यूरोलौजिस्ट से मिल कर सलाह लेने की जरूरत है. और हां, आगे से सैक्स संबंध बनाते समय कंडोम का इस्तेमाल करना न भूलें. कंडोम न सिर्फ संक्रमण से बचाने का, बल्कि गर्भनिरोध का भी बेहतर विकल्प है.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

दिवाली के जश्न में दो बड़ी फिल्मों का टकराव, क्या बौक्स औफिस पर होगी हिट?

भारत में पूरे साल में दिवाली एक ऐसा त्योहार होता है जिसमें हिंदुस्तान का हर नागरिक कुछ ना कुछ नया करने की योजना बनाता है. फिर चाहे वह नया घर लेने की बात हो, या नई कार लेने की बात हो. लेकिन दिवाली के दौरान बौलीवुड वालों का कुछ अलग ही फंडा होता है. अब इससे अंधविश्वास पहले या गुड लक, दिवाली के शुभ मौके पर हर मेकर की कोशिश होती है कि उनकी फिल्म दिवाली पर रिलीज हो जाए. इसके पीछे खास वजह यह भी है की अधिकांश लोगों का मानना है कि अगर उनकी फिल्म दिवाली पर रिलीज होगी तो वह फिल्म जरूर बौक्स औफिस पर सफलता के झंडे फहराएगी.

इस बार 1 नवंबर 2024 में दिवाली के मौके पर दो बड़ी फिल्में रिलीज होने जा रही है. जिसमें से एक रोहित शेट्टी निर्देशित और अजय देवगन अभिनीत सिंघम अगेन 3 है और दूसरी फिल्म अनीज़ बज़्मी निर्देशित और कार्तिक आर्यन अभिनीत भूल भुलैया 3 है यह दोनों फिल्में दिवाली पर रिलीज होने जा रही है. इन दोनों फिल्मों में ऐसा क्या खास है जिसे देखने दर्शक सिनेमाघर तक पहुंचेंगे? क्या यह दोनों फिल्में बौक्स औफिस पर धमाका कर पाएगी ? दिवाली पर रिलीज सभी फिल्में क्या हिट साबित होती हैं? पेश है इसी सिलसिले पर एक नजर….

एक्शन से लेकर हौरर कौमेडी तक दिवाली पर होगा बड़ी फिल्मों का धमाका

देशभर में 1 नवंबर 2024 इस साल की दिवाली सभी के लिए खास है , लेकिन उन लोगों के लिए यह दिवाली और भी महत्वपूर्ण है जिनकी फ़िल्में दिवाली के मौके पर ही रिलीज हो रही है. जैसे कार्तिक आर्यन की भूल भुलैया 3 और अजय देवगन की सिंघम अगेन 3 दिवाली के मौके पर रिलीज होने जा रही है. इन दोनों ही फिल्मों का टकराव इस बार बौक्स ऑफिस पर देखने को मिलेगा. सिंघम अगेन 3 और भूल भुलैया 3 का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है . हालांकि सिंघम २ और भूल भुलैया २ भूल भुलैया और सिंघम के मुकाबले उतनी बेहतर नहीं थी. दोनों ही फिल्मों ने एवरेज बिज़नेस किया था . लेकिन फिर भी क्योंकि इस बार दोनों ही फिल्मों का बोलबाला ज्यादा है आकर्षित करने के लिए आने वाली फिल्मों में नई चीजें है और फिर दोनों फिल्मे दिवाली पर रिलीज हो रही है इस लिए भूल भुलैया 3 और सिंघम अगेन 3 का अगला भाग भी दर्शकों के डिमांड पर बनाया गया.

दिवाली पर होगा दो बड़ी फिल्मों का टकराव

दिवाली पर दो बिग बजट फिल्मों का टकराव होने जा रहा है जिसमें एक फिल्म अनीज़ बज्मी निर्देशित फ़िल्म भूल भुलैया 3 है जिसकी खासियत यह है की भूल भुलैया 3 से पहले भूल भुलैया 1 और भूल भुलैया 2 इन दोनों ही फिल्मों को सफलता हासिल हुई . इस बार भूल भुलैया 3 में जहां कहानी सस्पेंस बहुत तगड़ा होने वाला है. वही फिल्म में विद्या बालन जो भूल भुलैया वन में मंजुलिका के किरदार पर नजर आई थी , उनकी फिल्म में एंट्री होने जा रही है, इसके अलावा विद्या बालन के साथसाथ माधुरी दीक्षित नेने भी भूल भुलैया 3 में खास किरदार में नजर आने वाली है. फिल्म की रिलीज से पहले ही दर्शकों द्वारा इस फिल्म की रिलीज़ को लेकर उत्सुकता देखी जा रही है. विद्या बालन और माधुरी के अलावा फ़िल्म के मुख्य कलाकार कार्तिक आर्यन और तृप्ति डिमरी का भी दर्शको में जबरदस्त क्रेज है.

इसके अलावा फ़िल्म में राजपाल यादव, विजय राज , संजय मिश्रा आदि बेहतरीन एक्टर भी है. वही दूसरी ओर रोहित शेट्टी की फिल्म सिंघम अगेन 3 में बौलीवुड के टौप स्टार्स की भरमार है , जैसे अजय देवगन, अक्षय कुमार, करीना कपूर, दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह, और टाइगर श्राफ आदि सिंघम अगेन में नजर आने वाले हैं. रोहित शेट्टी के डायरेक्शन में बनी यह फिल्म एक्शन से भरपूर है. जिसमें अक्षय कुंमार टाइगर श्राफ अजय देवगन रणवीर सिंह के साथ साथ दीपिका पादुकोण और करीना कपूर का भी जबरदस्त एक्शन देखने को मिलेगा . गौरतलब है कि इससे पहले की सिंघम और सिंघम अगेन को बौक्स औफिस पर जबरदस्त सफलता मिली है. जिसके बाद सिंघम अगेन 3 से की अपेक्षाएं ज्यादा बढ़ गई है. ऐसे में इन दोनों ही फिल्मों की सफलता को लेकर बौक्स औफिस कलेश होना स्वाभाविक है क्योंकि यह दर्शकों की पसंद पर भी निर्भर करेगा कि वह कौन सी फिल्म पहले देखना पसंद करेंगे. ऐसे में आने वाला समय ही बताएगा की सिंघम अगेन 3 और भूल भुलैया 3 में से कौन सी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर दिवाली धमाका साबित होती है.

दिवाली पर रिलीज हुई हिट ओर फ्लौप फिल्में

दिवाली पर रिलीज हुई फिल्में अगर बहुत हिट होती है तो बहुत सारी फिल्में फ्लौप भी होती है. जैसे कि रणबीर कपूर और सोनम कपूर की पहली फिल्म सांवरिया दिवाली पर रिलीज हुई थी और फ्लौप हो गई. सलमान खान सोनम कपूर अभिनित प्रेम रतन धन पायो बौक्स औफिस पर फिल्म धमाकेदार फिल्म साबित हुई. अक्षय कुमार अभिनीत सूर्यवंशी , अक्षय कुमार अभिनेता हाउसफुल 4, वही अजय देवगन अभिनीत गोलमाल अगेन, रितिक रोशन अभिनित कृष ३ सलमान खान अभिनित. टाइगर 3 फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट नहीं . वही दूसरी ओर जान अब्राहम अभिनित ब्लू, आमिर खान अभिनित ठग्स ऑफ हिंदुस्तान, और अभिनित एक्शन रिप्ले, सलमान खान अभिनित जानेमन आदि फिल्में सुपर फ्लौप रही. कहने का तात्पर्य यह है कि होली हो या दिवाली ईद हो या क्रिसमस फिल्मे वही चलेंगी जिन में दम होगा. अंधविश्वास में पढ़ने के बजाय फिल्म में मेहनत करें ताकि फिल्म अपनी काबिलियत पर सफलता के झंडे गाडे .

क्या है सिरोसिस, जानें इस बीमारी के कारण और बचाव

लिवर सिरोसिस एक पुरानी और बढ़ने वाली बीमारी है जिसमें स्वस्थ लिवर टिशू की जगह स्कार टिशू (फाइब्रोसिस) ले लेते हैं. इससे लिवर का फंक्शन खराब हो सकता है और स्थिति लिवर फेल्योर तक पहुंच जाती है. शरीर में लिवर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, ये रक्तप्रवाह से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करता है, आवश्यक प्रोटीन का उत्पादन करता है, और ब्लड क्लौट को रेगुलेट करता है. सिरोसिस का अगर इलाज न कराया जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है और जान को खतरा भी हो सकता है.

फरीदाबाद सेक्टर 81 स्थित डौक्टर81 क्लिनिक में सीनियर गैस्ट्रोएंटरोलौजिस्ट डौक्टर विशाल खुराना ने इस विषय पर विस्तार से जानकारी साझा की. उन्होंने लिवर सिरोसिस होने के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के बारे में बताया.

सिरोसिस क्या है?

जब किसी लंबी चोट के कारण लिवर पर स्थायी रूप से असर आ जाता है तो ये कंडीशन सिरोसिस कहलाती है.

डौक्टर विशाल खुराना ने हमें बताया कि लिवर एक री-जनरेटिव अंग होता है जिसमें खुद को ठीक करने की एक अद्भुत क्षमता होती है, लेकिन जब बार-बार लिवर को क्षति पहुंचती है, तो खराब टिशू स्वस्थ लिवर कोशिकाओं की जगह ले लेते हैं. समय के साथ, जैसे-जैसे लीवर का ज्यादा हिस्सा खराब होता जाता है, उसे महत्वपूर्ण काम करने में परेशानी होती है. इस हालत में लिवर से ब्लड फ्लो भी बाधित हो सकता है जिससे लिवर की डिस्फंक्शनिंग बढ़ जाती है. जब डैमेज ज्यादा हो जाता है तो सिरोसिस के कारण लिवर फेल होने का भी खतरा रहता है.

सिरोसिस के कारण

डौक्टर विशाल खुराना ने ऐसे कई स्थितियों के बारे में बताया जो सिरोसिस का कारण बन सकती हैं. सबसे आम कारणों में से है-

1. शराब का सेवन. जो लोग लंबे समय से शराब का सेवन करते आ रहे हों, उन्हें सिरोसिस होने का रिस्क रहता है. दरअसल, शराब सीधे लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है, और समय के साथ-साथ ज्यादा पीने से सूजन हो जाती है और स्कार टिशू पनप जाते हैं.

2. हेपेटाइटिस बी और सी: हेपेटाइटिस बी और सी जैसे वायरल संक्रमण भी सिरोसिस होने के महत्वपूर्ण कारण हैं. दोनों वायरस लिवर को टारगेट करते हैं, जिससे सूजन हो जाती है. अगर समय पर इलाज न कराया जाए तो यही सूजन सिरोसिस में बदल सकती है.

3. नौनएल्कोहौलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी): एनएएफएलडी तेजी से सिरोसिस का एक आम कारण बनता जा रहा है, खासकर जिन देशों में मोटापे और डायबिटीज मामलों की संख्या बढ़ रही है, वहां स्थिति ज्यादा सोचनी है. इस स्थिति में लिवर में फैट जमा होने से इन्फ्लेशन और स्कार टिशू बढ़ने का रिस्क रहता है.

4. आटोइम्यून डिजीज: जहां शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से लिवर कोशिकाओं पर हमला करता है, वहां क्रोनिक इन्फ्लेशन हो सकता है और बाद में ये स्थिति सिरोसिस का कारण बन सकती है.

5. विल्सन डिजीज: ये एक दुर्लभ जेनेटिक डिसऔर्डर है जिसमें शरीर के विभिन्न अंगों में कॉपर जमा होता है. ज्यादा कौपर होने से लिवर टिशू को डैमेज हो सकता है और ये समस्या सिरोसिस में बदल सकती है.

6. दवाएं और विषाक्त पदार्थ: कुछ दवाओं के लंबे समय तक उपयोग और विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से भी लिवर की क्षति और सिरोसिस हो सकता है. ये पदार्थ लिवर की डिटौक्सीफाई करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे लिवर पर निशान आ सकते हैं.

सिरोसिस के लक्षण

सिरोसिस के शुरुआती चरणों पर किसी का ध्यान नहीं जा सकता है क्योंकि क्षति के बावजूद लिवर अपना काम करता रहता है. हालांकि, जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, लक्षण स्पष्ट होते जाते हैं. डौक्टर विशाल खुराना ने लक्षणों के बारे में विस्तार से बताया.

1. कमजोरी और थकान: मरीजों को अक्सर थका हुआ और कमजोर महसूस होता है, खाने या नियमित गतिविधियों में मन नहीं लगता है.

2. वेट लौस: भूख की कमी, उल्टी या मतली के कारण बिना किसी वजह के वजन कम होना भी इसका एक लक्षण है.

3. फ्लूड रिटेंशन: जब लिवर फ्लूड और ब्लड प्रोटीन को रेगुलेट कर पाने में सक्षम नहीं रहते हैं, तब एडिमा (पैरों में सूजन) और एसाइट्स (पेट में पानी जमा होना) जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं.

4. पीलिया: त्वचा और आंखों का पीला पड़ जाना. ऐसा तब होता है जब लिवर रक्तप्रवाह से बिलीरुबिन को सही तरीके से साफ नहीं कर पाता है.

5. ब्लीडिंग और चोट लगना: ब्लड क्लॉटिंग के लिए लिवर आवश्यक प्रोटीन प्रोड्यूस करता है, ऐसे में लिवर पर डैमेज होने से ब्लीडिंग बढ़ सकती है, यहां तक कि मल में ब्लड आ सकता है या खून की उल्टियां हो सकती हैं.

6. मानसिक भ्रम और कंपकंपी: जब लिवर खून से विषाक्त पदार्थों को फ़िल्टर करने में कामयाब नहीं रहता है, तो इसके कारण लिवर एन्सेफैलोपैथी हो सकता है. इसके परिणामस्वरूप कंफ्यूजन, झटके (एस्टेरिक्सिस) और गंभीर मामलों में कोमा की स्थिति भी पनप जाती है.

7. मल का रंग बदलना और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग: अगर किसी को गहरा, टेरी मल आता है तो वराइसेस के कारण होने वाली गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग का संकेत हो सकता है. दरअसल, सिरोसिस होने पर एसोफेगस या पेट में बड़ी नसें टूटने का खतरा होता है.

सिरोसिस से जुड़ी जटिलताएं

डौक्टर विशाल खुराना ने बताया कि जैसे-जैसे सिरोसिस बढ़ता है कई जानलेवा कौम्प्लिकेशंस भी हो सकते हैं.

पोर्टल हाइपरटेंशन: लिवर पर निशान आने से ब्लड फ्लो सुचारू नहीं रहता, जिससे पोर्टल वेन पर दबाव आ जाता है. इससे वराइसेस और एसाइट्स हो सकते हैं.

हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा (एचसीसी): सिरोसिस वाले लोगों में लिवर कैंसर आम है.

लिवर फेल्योर: जब लिवर अपने महत्वपूर्ण काम करने बंद कर देता है तो आखिरकार लिवर ट्रांसप्लांट का विकल्प चुनना पड़ता है.

सिरोसिस का इलाज

डौक्टर विशाल खुराना के अनुसार, सिरोसिस का इलाज काफी हद तक इसके अंतर्निहित कारणों और डायग्नोज की स्टेज पर निर्भर करता है. हालांकि, सिरोसिस का कोई इलाज नहीं है, लेकिन कई तरह की रणनीतियां अपनाकर इसे मैनेज किया जा सकता है, जटिलताओं को कम किया जा सकता है और इसकी प्रगति को धीमा किया जा सकता है.

1. शराब का सेवन न करें: शराब की लत को पूरी तरह से छोड़ देने पर सिरोसिस की प्रगति को धीमा किया जा सकता है या रोका सकता है.

2. एंटी वायरल दवाएं: हेपेटाइटिस बी या सी के कारण होने वाले सिरोसिस के लिए जो एंटीवायरल दवाएं ली जाती हैं उनकी मदद से लिवर की सूजन और डैमेज को कम किया जा सकता है.

3. फैटी लिवर डिजीज: नौन एल्कोहौलिक वाले फैटी लिवर के मरीजों में डायबिटीज को मैनेज करके, वेट लौस करके, कोलेस्टेरौल को कंट्रोल करने से लिवर की क्षति को रोकने में मदद मिल सकती है.

4. स्टेरायड और इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स: आटोइम्यून हेपेटाइटिस के मामले में, इम्यून सिस्टम को दबाने के लिए कौर्टिकोस्टेरौइड्स जैसी दवाएं सूजन को कम कर सकती हैं.

5. विल्सन डिजीज: इसके इलाज में दवाएं शामिल होती हैं जो शरीर में कॉपर को नियंत्रित करती हैं.

6. लिवर ट्रांसप्लांट: सिरोसिस या लिवर फेल्योर के एडवांस स्टेज में मरीज की जान बचाने के लिए लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है.

रोकथाम बेहद महत्वपूर्ण

डौक्टर विशाल खुराना कहते हैं कि सिरोसिस को रोकने में इसके रिस्क फैक्टर्स से बचना जरूरी है जो लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं. शराब का सेवन सीमित करना, हेपेटाइटिस के खिलाफ टीकाकरण, स्वस्थ वजन बनाए रखना और लिवर की रेगुलर जांच कराना महत्वपूर्ण है. सिरोसिस को मैनेज करने और लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए समय पर डायग्नोज और हस्तक्षेप आवश्यक है. लिवर सिरोसिस के कारणों, लक्षणों और उपलब्ध इलाज के बारे में जागरूकता बढ़ाकर, हम लोगों को स्वस्थ लिवर के साथ जीवन गुजारने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.

नमक हलाल : मनोहरा ने आखिर कैसे चुकाया नमक का कर्ज

लेखक- चंद्रभूषण ध्रुव

बैठक की मेज पर रखा मोबाइल फोन बारबार बज रहा था. मनोहरा ने इधरउधर झांका. शायद उस के मालिक बाबू बंका सिंह गलती से मोबाइल फोन छोड़ कर गांव में ही कहीं जा चुके थे.

मनोहरा ने दौड़ कर मोबाइल फोन उठाया और कान से लगा लिया. उधर से रोबदार जनाना आवाज आई, ‘हैलो, मैं निक्की की मां बोल रही हूं.’

अपनी मालकिन की मां का फोन पा कर मनोहरा घबराते हुए बोला, ‘‘जी, मालिक घर से बाहर गए हुए हैं.’’

‘अरे, तू उन का नौकर मनोहरा बोल रहा है क्या?’

‘‘जी…जी, मालकिन.’’

‘‘ठीक है, मुझे तुम से ही बात करनी है. कल निक्की बता रही थी कि तू जितना खयाल भैंस का रखता है, उतना खयाल निक्की का नहीं रखता. क्या यह बात सच है?’’

मनोहरा और घबरा उठा. वह अपनी सफाई में बोला, ‘‘नहीं… नहीं मालकिन, यह झूठ है. मैं निक्की मालकिन का हर हुक्म मानता हूं.’’

‘ठीक है, आइंदा उन की सेवा में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए,’ इतना कह कर मोबाइल फोन कट गया.

मनोहरा ने ठंडी सांस ली. उस का दिमाग दौड़ने लगा. फोन की आवाज जानीपहचानी सी लग रही थी. निक्की मालकिन जब से इस घर में आई हैं, तब से वे कई बार उसे बेवकूफ बना चुकी हैं. उस ने ओट ले कर आंगन में झांका. निक्की मालकिन हाथ में मोबाइल फोन लिए हंसी के मारे लोटपोट हो रही थीं. मनोहरा सारा माजरा समझ गया. वह मुसकराता हुआ भैंस दुहने निकल पड़ा.

निक्की बाबू बंका सिंह की दूसरी पत्नी थीं. पहली पत्नी के बारे में गांव के लोगों का कहना था कि बच्चा नहीं जनने के चलते बाबू बंका सिंह ने उन्हें मारपीट कर घर से निकाल दिया था. बाद में वे मर गई थीं.

निक्की पढ़ीलिखी खूबसूरत थीं. वे इस बेमेल शादी के लिए बिलकुल तैयार नहीं थीं, लेकिन मांबाप की गरीबी और उन के आंसुओं ने उन्हें समझौता करने को मजबूर कर दिया था.

शादी के कई महीनों तक निक्की बिलकुल गुमसुम बनी रहीं. उन की जिंदगी सोने के पिंजरे में कैद तोते की तरह हो गई थी.

हालांकि बाबू बंका सिंह निक्की की सुखसुविधा का काफी ध्यान रखते थे, इस के बावजूद उम्र का फासला निक्की को खुलने नहीं दे रहा था.

मनोहरा घर का नौकर था. हमउम्र मनोहरा से बतियाने में निक्की को अच्छा लगता था. समय गुजरने के साथसाथ निक्की का जख्म भरता गया और वे खुल कर मनोहरा से हंसीठिठोली करने लगीं.

उस दिन बाबू बंका सिंह गांव की पंचायत में गए हुए थे. निक्की गपशप के मूड में थीं. सो, उन्होंने मनोहरा को अंदर बुला लिया.

निक्की मनोहरा की आंखों में आंखें डाल कर बोलीं, ‘‘अच्छा, बता उस दिन मोबाइल फोन पर मेरी मां से क्या बातें हुई थीं?’’

मनोहरा मन ही मन मुसकराया, फिर अनजान बनते हुए कहने लगा, ‘‘कह रही थीं कि मैं आप का जरा भी खयाल नहीं रखता.’’

‘‘हांहां, मेरी मां ठीक ही कह रही थीं. मेरे सामने तुम शरमाए से खड़े रहते हो. तुम्हीं बताओ, मैं किस से बातें करूं? बाबू बंका सिंह की मूंछें और लाललाल आंखें देख कर ही मैं डर जाती हूं. उन की कदकाठी देख कर मुझे अपने काका की याद आने लगती है. एक तुम्हीं हो, जो मुझे हमदर्द लगते हो…’’

इस बेमेल शादी पर गांव वाले तो थूथू कर ही रहे थे. खुद मनोहरा को भी नहीं सुहाया था, पर उस की हैसियत हमदर्दी जताने की नहीं थी. सो, वह चुपचाप निक्की की बात सुनता रहा.

मनोहरा को चुप देख कर निक्की बोल पड़ीं, ‘‘मनोहरा, तुम्हारी शादी के लिए मैं ने अपने मायके में 60 साल की खूबसूरत औरत पसंद की है…’’

‘‘60 साल,’’ कहते हुए मनोहरा की आंखें चौड़ी हो गईं.

‘‘इस में क्या हर्ज है? जब मेरी शादी 60 साल के मर्द के साथ हो सकती है, तो तुम्हारी क्यों नहीं?’’

‘‘नहीं मालकिन, शादी बराबर की उम्र वालों के बीच ही अच्छी लगती है.’’

‘‘तो तुम ने अपने मालिक को समझाया क्यों नहीं? उन्होंने एक लड़की की खुशहाल जिंदगी क्यों बरबाद कर दी?’’ कहते हुए निक्की की आंखें आंसुओं से भर आईं.

समय बीतता गया. निक्की कीशादी के 5 साल गुजर गए, फिर भी आंगन में बच्चे की किलकारी नहीं गूंज पाई. निक्की को ओझा, गुनी, संतमहात्मा सब को दिखाया गया, लेकिन नतीजा सिफर रहा. गांवसमाज में निक्की को ‘बांझ’ कहा जाने लगा.

निक्की मालकिन दिलेर थीं. उन्हें ओझागुनी के यहां चक्कर लगाना अच्छा नहीं लग रहा था. उन्होंने शहर के बड़े डाक्टर से अपने पति और खुद का चैकअप कराने की ठानी.

शहर के माहिर डाक्टर ने दोनों के नमूने जांच लिए और बोला, ‘‘देखिए बंका सिंह, 10 दिन बाद निक्की की एक और जांच होगी. फिर सारी रिपोर्टें सौंप दी जाएंगी.’’

देखतेदेखते 10 दिन गुजर गए. उन दिनों गेहूं की कटाई जोरों पर थी. आकाश में बादल उमड़घुमड़ रहे थे. सो, किसानों में गेहूं समेटने की होड़ सी लगी थी.

बाबू बंका सिंह को भी दम मारने की फुरसत नहीं थी. वे दोबारा निक्की को चैकअप कराने में आनाकानी करने लगे. लेकिन निक्की की जिद के आगे उन की एक न चली. आखिर में मनोहरा को साथ ले कर जाने की बात तय हो गई.

दूसरे दिन निक्की मनोहरा को साथ ले कर सुबह वाली बस से डाक्टर के यहां चल पड़ीं. उस दिन डाक्टर के यहां ज्यादा भीड़ थी.

निक्की का नंबर आने पर डाक्टर ने चैकअप किया, फिर रिपोर्ट देते हुए बोला, ‘‘मैडम, आप बिलकुल ठीक हैं. फिर भी आप मां नहीं बन सकतीं, क्योंकि आप के पति की सारी रिपोर्टें ठीक नहीं हैं. आप के पति की उम्र काफी हो चुकी है, इसलिए उन्हें दवा से नहीं ठीक किया जा सकता है.’’

निक्की का चेहरा सफेद पड़ गया. डाक्टर उन की हालत को समझते हुए बोला, ‘‘घबराएं मत. विज्ञान काफी तरक्की कर चुका है. आप चाहें तो और भी रास्ते हैं.’’

निक्की डाक्टर के चैंबर से थके पैर निकली. बाहर मनोहरा उन का इंतजार कर रहा था. वह निक्की को सहारा देते हुए बोला, ‘‘मालकिन, सब ठीकठाक तो है?’’

‘‘मनोहरा, मुझे कुछ चक्कर सा आ रहा है. शाम हो चुकी है. चलो, किसी रैस्टहाउस में रुक जाते हैं. कल सुबह वाली बस से गांव चलेंगे.’’

आटोरिकशा में बैठते हुए मनोहरा बोला, ‘‘मालकिन, गांव से हो कर निकलने वाली एक बस का समय होने वाला है. उस से हम लोग निकल चलते हैं. हम लोगों के आज नहीं पहुंचने पर कहीं मालिक नाराज नहीं हो जाएं.’’

‘‘भाड़ में जाए तुम्हारा मालिक. उन्होंने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा,’’ निक्की बिफर उठीं.

आटोरिकशा एक रैस्टहाउस में रुका. निक्की ने 2 बैड वाला कमरा बुक कराया और कमरे में जा कर निढाल पड़ गईं. उन के दिमाग में विचारों का पहिया घूमने लगा, ‘मेरे पति ने अपनी पहली पत्नी को बच्चा नहीं जनने के कारण ही घर से निकाला था, लेकिन खोट मेरे पति में है, यह कोई नहीं जान पाया. अगर इस बात को मैं ने उजागर किया, तो यह समाज मुझे बेहया कहने लगेगा. हो सकता है कि मेरा भी वही हाल हो, जो पहली पत्नी का हुआ था.’

निक्की के दिमाग के एक कोने से आवाज आई, ‘डाक्टर ने बताया है कि बच्चा पाने के और भी वैज्ञानिक रास्ते हैं…’

लेकिन दिमाग के दूसरे कोने ने इस सलाह को काट दिया, ‘क्या बाबू बंका सिंह अपनी झूठी शान के चलते ऐसा करने देंगे?’

सवालजवाब की चल रही इस आंधी में अपने को बेबस पा कर निक्की सुबकने लगीं.

मनोहरा को भी नींद नहीं आ रही थी. मालकिन के सुबकने से उस के होश उड़ गए. वह पास आ कर बोला, ‘‘मालकिन, आप रो क्यों रही हैं? क्या आप को कुछ हो रहा है?’’

निक्की का सुबकना बंद हो गया. उन्होंने जैसे फैसला कर लिया था. वे मनोहरा का हाथ पकड़ कर बोलीं, ‘‘मनोहरा, जो काम बाबू बंका सिंह 5 साल में नहीं कर पाए, वह काम तुझे करना है. बोलो, मेरा साथ दोगे?’’

मनोहरा निक्की की बातों का मतलब समझे बिना ही फटाक से बोल पड़ा,

‘‘मालकिन, मैं तो आप के लिए जान भी दे सकता हूं.’’

निक्की मालकिन मनोहरा के गले लग गईं. उन का बदन तवे की तरह जल रहा था. मनोहरा हैरान रह गया. वह निक्की से अलग होता हुआ बोला, ‘‘नहीं मालकिन, यह मुझ से नहीं होगा.’’

‘‘मनोहरा, डाक्टर का कहना है कि तुम्हारे मालिक में वह ताकत नहीं है, जिस से मैं मां बन सकूं. मैं तुम से बच्चा पाना चाहती हूं…’’

‘‘नहीं, यह नमक हरामी होगी.’’

‘‘मनोहरा, यह वक्त नमक हरामी या नमक हलाली का नहीं है. मेरे पास सिर्फ एक रास्ता बचा है और वह तुम हो. सोच लो, अगर मैं ने देहरी से बाहर पैर रखा, तो तुम्हारे मालिक की मूंछें नीची हो जाएंगी…’’ कहते हुए निक्की ने मनोहरा को अपनी बांहों में समेट लिया.

कोमल बदन की छुअन ने मनोहरा को मदहोश बना डाला. उस ने निक्की को अपनी बांहों में ऐसा जकड़ा कि उन के मुंह से आह निकल पड़ी.

घर आने के बाद भी लुकछिप कर यह सिलसिला चलता रहा. आखिरकार निक्की ने वह मंजिल पा ली, जिस की उन्हें दरकार थी.

गोदभराई रस्म के दिन बाबू बंका सिंह चहकते फिर रहे थे. निक्की दिल से मनोहरा की आभारी थीं, जिस ने एक उजड़ते घर को बचा लिया था.

इस तरह मनाएं यादगार दीवाली

त्योहार है दीपों का, उत्साह और मौजमस्ती का, धूमधड़ाके और मिलनेमिलाने का. इस के साथ ही दीवाली त्योहार दिखावे का भी है. इस दिन कुछ तो दिखावा कीजिए, कुछ तो शो औफ कर लीजिए. आजकल मौका ही कहां मिलता है दिखावा करने का? अपनी महंगी ज्वैलरी और स्टाइलिश ड्रैसेज इठला कर पहनने और दूसरों को जलाने का? अपने घर को सजानेसंवारने का क्योंकि आजकल घरों में शादियां या ऐसे बड़े मौके आते ही बहुत कम हैं.

पहले संयुक्त परिवार होते थे. घर में कोई न कोई शादी होती रहती थी जिस में लोग अपने सारे अरमान पूरे कर लेते थे. मगर आज पूरे परिवार में 2-3 या मुश्किल से 4 सदस्य होते हैं और वे भी अपनेअपने कमरे में बंद मोबाइल में लगे रहते हैं. घर में किसी अपने की शादी 10-15 साल में कभी होती है. अपने घर की जो शादी होती है उस की बात ही अलग होती है. तब इंसान बेहतर से बेहतर कपड़े खरीदता है ताकि सैकड़ों लोग देखें. स्टाइलिश और महंगे कपड़े तथा हैवी ज्वैलरी पहन कर राजारानी बन कर घूमता है, घर को सजाता है. महंगीमहंगी चीजें लाता है. मगर अब शादियों का मौका ही 10-12 साल बाद आता है.

ऐसे में दीवाली एक ऐसा बड़ा त्योहार है जो सब के घर में मनाया जाता है. यह किसी एक व्यक्ति या एक जाति के लोगों का त्योहार नहीं है. यह ऐसा पर्सनल मौका भी नहीं कि हम ने ऐनिवर्सरी मना ली या बर्थडे मना लिया. यह तो ऐसा त्योहार है जिसे सारे लोग मना रहे हैं, मिल कर खुशियां मना रहे हैं तो क्यों न इस मौके पर कुछ खास करें अपने लिए, अपने घर के लिए और अपनों के लिए भी.

शौपिंग करें जीभर कर

जीभर कर शौपिंग करने का मतलब यह नहीं कि सारी दुकान ही उठा कर ले आएं. इस का मतलब यह है कि ऐसी शौपिंग करें जिसे कर के आप को मजा आ जाए, आप का दिल खुश हो जाए. ऐसे कपड़े खरीदें और ऐसी ही ज्वैलरी और ऐक्सैसरीज लें जिन्हें पहन कर आप को अच्छा महसूस हो और आप खुशी महसूस करें. आप को लगे कि आप खास हैं. आप के कपड़ों और ज्वैलरी को 10 लोग देखें तो उन की नजरें हटें नहीं.

आप भले एक ही साड़ी लीजिए या एक ही गाउन या फिर कोई भी ऐसी ड्रैस लीजिए जिसे पहनें तो लोग तारीफ करते न थकें. ज्यादा पैसे लगाने में भी संकोच न करें क्योंकि यह मौका रोजरोज नहीं आता है. एकदम साधारण, सादा या डल कलर की ड्रैस जिस में कोई खास डिजाइन भी न हो मत लीजिए बल्कि ऐसे कपड़े लें जिन में कुछ जरी का काम हो या कुछ खास हाथ की कारीगरी दिख रही हो, कुछ अलग स्टाइल हो. ड्रैस ऐसी हो कि आप को गौर्जियस लुक दे. लोग आप से पूछते रह जाएं कि यह ड्रैसेज कहां से खरीदी, कितने में ली और कौन सा प्रिंट है वगैरहवगैरह.

कुछ अलग दिखने के लिए

दीवाली पर शो औफ करना है और कुछ अलग दिखना है तो इस तरह की ड्रैसेज चूज कर सकती हैं:

आप दीवाली के लिए फ्लोर लैंथ गाउन ले सकती हैं. कोई भी अवसर हो गाउन हमेशा खूबसूरत दिखता है. इस दीवाली के लिए हलके ब्राइट कलर के गाउन का चुनाव करें जिस पर थोड़ा जरी या स्टोन का काम हो. इसे दीवाली पार्टी या गैटटुगैदर के लिए पहन सकती हैं.

कुछ अलग दिखने के लिए क्रौप टौप और स्कर्ट पहन सकती हैं. यह लुक आप के ऐथनिक पहनावे में एक मौडर्न टच जोड़ देगा. लुक को और ड्रामैटिक बनाने के लिए एक अच्छा झिलमिलाता दुपट्टा ड्रैप करें. इस के आलावा फैस्टिव सीजन में लहंगे हमेशा ट्रैंड में रहते हैं. हैवी मिररवर्क ऐसे आउटफिट्स को और भी खूबसूरत बनाती है.

वैसे आप धोती स्टाइल ड्रैस भी ले सकती हैं. यह लुक ट्रैडिशनल है लेकिन कंटैंपरेरी ट्विस्ट के साथ.

साड़ी में महिलाएं इतनी सुंदर लगती हैं कि हर किसी का ध्यान उन की ओर जाता है. आप इस बार दीवाली पर साड़ी पहन सकती हैं. बाजार में आप को साड़ी की कई वैरायटीज मिल जाएंगी जैसे गुजराती, राजस्थानी साडि़यां, सिल्क, मैसूर, बनारसी आदि साडि़यां शानदार दिखती हैं.

अगर आप सूट पहनने की शौकीन हैं तो दीवाली के लिए प्लाजो का सूट एकदम परफैक्ट आउटफिट है. वैसे तो आप इसे कई तरह से कैरी कर सकती हैं. बाजार में आप को प्लाजो के साथ सैंटर कट वाली खूबसूरत कौटन या सिल्क की कुरती की कई वैरायटीज मिल जाएंगी. इस के अलावा आप इस तरह की कुरतियों को लौगिंग, प्लाजो पैंट, जींस या सलवार आदि के साथ भी स्टाइल कर सकती हैं और अलग दिख सकती हैं.

ज्वैलरी हो खास

ज्वैलरी भी ऐसी लीजिए कि आप फिर सालभर उसे किसी भी बड़े फंक्शन में पहन कर जा सकें. दीवाली के दिन जब आप वह ज्वैलरी पहन कर बाहर निकलें या किसी के घर जाएं या कोई आप से मिलने आए तो उस पर से नजरें न हटा सकें. लोग पूछते फिरें कि यह ज्वैलरी कहां से ली? आप व्हाट्सऐप पर स्टेटस में अपना फोटो डालें तो लोग भरभर कर आप के लुक और आप की पसंद की तारीफ करें. पड़ोसी, दोस्त या रिश्तेदार जो भी आप को देखे देखता रह जाए.

आप इस दिन के लिए ड्रैस से मैचिंग चोकर नैकलैस, स्टेटमैंट इयररिंग्स, स्टोन स्टड ज्वैलरी सैट आदि देख सकती हैं. कोई महंगी गोल्ड या डायमंड की ज्वैलरी ले सकती हैं. इस में सोने का हार, चूडि़यां, ?ामके और अंगूठियां आदि शामिल हो सकती हैं. कुंदन, पोल्की, मीनाकारी के आभूषण चुन सकती हैं जो तरहतरह की डिजाइनों से सजाए जाते हैं और रंगीन रत्नों से सुसज्जित होते हैं. माणिक, पन्ना, नीलम या अन्य कीमती पत्थरों वाले आभूषण पहन सकती हैं.

नवरत्न आभूषण यानी नौ विभिन्न रत्नों का उपयोग कर के तैयार किया गया शानदार आभूषण लें और सब के आगे खास दिखें. पोल्की से जड़ी भारी सोने की अंगूठियां लें. सफेद या पीले सोने में तैयार किए गए रूबी और हीरे का हार पहनें. चाहे पारंपरिक परिधान हो या रात में रेशमी साड़ी दोनों पर यह अद्भुत लगेगा क्योंकि यह आभूषण चांदनी में एकदम सही चमक के साथ चमकता है.

सोने की चांदबाली इस दीवाली में एक और आकर्षक आभूषण के रूप में देखी जा सकती है. चांदबाली बालियां अर्धचंद्राकार बालियां होती हैं जो आमतौर पर पोल्की और अन्य कीमती पत्थरों से जड़ी होती हैं. सिर्फ एक स्टेटमैंट चांदबाली आप को एक दीवा की तरह दिखने में मदद कर सकती है.

दीवाली के दिन आप अपने महंगे कपड़ों की ऐक्सैसरीज या घर के सामान का दिखावा जरूर करें. मगर यह दिखावा स्टेटस से जुड़ा हुआ दिखावा नहीं है. यह सालभर के त्योहार की खुशी का दिखावा है, जिस में आप अपने लिए दिखावा कर रही हैं, शो औफ कर रही हैं ताकि आप को अच्छा लगे. आप अपने जीवन में कुछ नया उत्साह, कुछ नई उमंग महसूस कर सकें.

घर को सजाएं शो औफ के लिए आप घर को सजाने में कोई कमी न रखें. यह न सोचें कि पैसे ज्यादा लग रहे हैं. कोई सजावटी सामान खूबसूरत होने के साथ महंगा है तो उसे छोड़ कर साधारण खरीद कर लाने की जरूरत नहीं. सालभर का त्योहार है. आराम से कुछ अच्छा ऐसा खरीदें कि जब दीवाली पर कोई घर आए तो पूछे बिना न रह सके कि यह कहां से लिया? क्या गजब का है.

ऐसे सजाएं घर को

आजकल दीवाली और दूसरे फैस्टिवल के मौकों पर घर को सजाने की तरहतरह की चीजें मिलती हैं जैसे वंदनवार, इलैक्ट्रिक लाइटिंग, 3डी रंगोली जिसे स्टिकर की तरह लगाया जा सकता है, वालपेपर, क्रिस्टल और बीड्स की रंगोली, फ्लोटिंग और सैंटेड मोमबत्तियां, कांच के कंदील, झालर आदि. बाजार में कई पैटर्न वाली इलैक्ट्रिक लाइट्स उपलब्ध हैं जिन से आप दीवाली के मौके पर घर को स्टाइल में रोशन कर सकती हैं.

ऐंट्रैंस पर लगातार जलने वाली नीली, हरी, सफेद या लाल लडि़यां लगा सकती हैं तो वहीं ब्राइट लुक के लिए मल्टी कलर्ड लाइट्स भी खूबसूरत लगती हैं. इन के अलावा गोल्डन स्ट्रिंग लाइट्स से आप अपने घर के अलगअलग हिस्सों को सजा सकती हैं. आजकल बाजार में कई तरह की मोमबत्तियां उपलब्ध हैं. आप सैंटेड कलर चेंजिंग कैंडल्स लगा सकती हैं. ये लाइट्स रिमोट बेस्ड या बिजली वाली होती हैं. इन में कलर बदलने का विकल्प भी होता है जिस से घर की खूबसूरती को चार चांद लग जाते हैं. सजावटी लालटेन से भी आप घर के डैकोर को मनचाहा लुक दे सकती हैं.

यहां भी ध्यान रखें कि बहुत सारी सजावट की चीज लेने के बजाय कुछ खास प्रोडक्ट्स लें. भले ही आप का घर बड़ा न हो पर सब से खूबसूरत जरूर दिखे ताकि 10 लोग आप के घर की तरफ टकटकी लगा कर देखें और सोचें कि ऐसा सजावटी सामान कहां से लाए होंगे.

स्वागत भी शानदार हो

यही नहीं घर के लिए कुछ कीमती सामान होगा जिसे आप कई महीनों से टाल रहे थे यह सोच कर कि पैसा होगा तो खरीदेंगे. यही वह समय है जब आप ऐसी खरीदारी भी कर डालें. दीवाली पर आप को बोनस मिला होगा और नहीं भी मिला तो भी सालभर में इतना तो खर्च कर ही सकते हैं ताकि आप को अच्छा महसूस हो और आप दूसरों को दिखा सकें कि आज दीवाली के दिन हम ने यह शानदार चीज खरीदी.

इस दिन लोगों का स्वागत भी शानदार तरीके से कीजिए. नया महंगा सोफा सैट लेना है या औटोमैटिक वाशिंग मशीन या नई बाइक जो भी लेना है दीवाली के मौके पर लीजिए. फिर अपने दोस्तों, रिश्तेदारों आदि को बुला कर पार्टी कीजिए और उस में अपने नए सामान और चीजों का जम कर शो औफ भी कीजिए.

पार्टी कीजिए धमाल मचा कर

दीवाली पर पार्टी तो ज्यादातर लोग घरों में रखते हैं या दूसरे के घर में जाते हैं. आप भी अपने घर में पार्टी रखें ताकि शो औफ कर सकें अपनी चीजों का, अपनी ज्वैलरी और अपने कपड़ों का, अपने घर की सजावट और महंगे सामान का. फिर आप पार्टी ऐसीवैसी साधारण न रखें कि लोग आएं, खाना खा कर हंसीमजाक करें और चले जाएं. पार्टी कुछ मजेदार थीम वाली हो.

डैक पर गाने बजाएं. उन गानों पर डांस करें. कुछ डांस के गेम्स खेलें. कुछ मनोरंजक गतिविधियां करें. ट्रुथ और डेयर जैसे खेल खेलें और ऐसा हंगाम और मस्ती करें कि महल्ले में सब को पता चल जाए कि आप के यहां पार्टी है. फिर जीभर कर खिलाएंपिलाएं ताकि उस दिन की रौनक बढ़ जाए. जरूरी नहीं है कि दीवाली के दिन ही आप पार्टी करें. उस से 1-2 दिन पहले भी पार्टी कर सकती हैं.

जिस दिन आप के पास समय है या आप छुट्टी ले सकती हैं या फिर आप की छुट्टियां शुरू हो गई हैं उस दिन अपने दोस्तों को बुला लें. रिश्तेदार जो आप के आसपास मौजूद हैं उन्हें भी बुलाएं. अपने करीबी, पड़ोसियों को भी बुला लें और मिल कर धूम मचाएं ताकि इस दिन की तसवीरें यादें बन कर सालभर आप के जेहन में रहें. इन तसवीरों को अपने स्टेटस या फेसबुक पर डाल कर लोगों को जलाएं भी जरूर.

पटाखे भी हों हट कर

दीवाली में पटाखों के बिना मजा नहीं आता खासकर बच्चों को. उन के लिए कुछ अच्छी क्वालिटी के पटाखे लें. ऐसे पटाखे जो भले ही थोड़े महंगे हों मगर उन की रोशनी और आवाज दूर तक जाती हो ताकि जब आप छत पर या दरवाजे के बाहर उन्हें जलाएं तो दूरदूर से लोग उन्हें देख सकें. 1 घंटा भी अगर मन भर कर रोशनी वाले पटाखे जैसे अनार रैकेट, चकरी आदि जला लिए तो दीवाली की खुशी दोगुनी हो जाती है. हर बार कुछ नए तरह के पटाखे जरूर आते हैं. उन्हें जरूर ट्राई करें और बच्चों का उत्साह बढ़ाएं

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