Bigg Boss 18 : विवियन डीसेना ने मल्लिका शेरावत से क्यों कहा ‘दूर रहकर करो बात करीब मत आओ’

बिग बौस 18 की शुरुआत हो चुकी है और बहुत सारी नौटंकी के साथ बौलीवुड स्टारों का अपनी फिल्मों को प्रमोट करने के लिए शो में आना भी शुरू हो गया है . जिसके चलते हाल ही में सिंघम अगेन 3 प्रमोट करने के लिए रोहित शेट्टी, अजय देवगन भी शो में आए थे. इन दोनों से पहले एक समय की हौट एंड सेक्सी हीरोइन मर्डर फेम मल्लिका शेरावत भी अपनी फ़िल्म विक्की विद्या का वो वाला वीडियो प्रमोट करने के लिए बिग बौस में पधारी थी.

शो में बतौर गेस्ट एंटर करते ही सबसे पहले मल्लिका ने शो के होस्ट सलमान खान पर लाइन मारना शुरू कर दिया. जिसके चलते उन्होंने सलमान खान को चुंबन तक दे दिया. बौलीवुड में लंबे चुंबन दृश्यों के लिए प्रसिद्ध मलीका का स्वामिपय पाकर सलमान भी असहज महसूस कर रहे थे . इसके बाद मल्लिका बिग बौस के घर में गई और वहां मौजूद सब मर्दों के साथ फ्लर्ट करने लगी वहीं पर मौजूद विवियन डीसेना के साथ भी जब मल्लिका ने फ्लर्ट करने की कोशिश की तो उन्होंने मल्लिका से साफसाफ कह दिया विवियन डीसेना को पास आकर बात करने वाले लोग पसंद नहीं है. बेहतर होगा कि मल्लिका भी दूर से बात करें.

यह सुनते ही मल्लिका का मुह छोटा हो गया और वह विविन के पास से खसक ली. शायद मल्लिका ने इस बेज्जती के बारे में सोचा नही था. हौट एंड सेक्सी मल्लिका जिनको देखकर जैकी चैन जैसे विदेशी प्रसिद्ध एक्टर की भी आंखें बड़ी हो जाती है . होंग कौन्ग एक्टर जैकी चैन ने मल्लिका के साथ फ़िल्म द मिथ में काम दिया था. और वहां पर मल्लिका को हाथों हाथ लिया गया था. ऐसे में एक टीवी एक्टर का मुंह तोड़ जवाब शायद मल्लिका को पसंद नहीं आया.

जहां तक विवियन की बात है तो छोटे पर्दे के पौपुलर एक्टर हैं .जिन्हें कलर्स वाले पिछले 8 सालो से शो में आने के लिए औफर दे रहे हैं. लेकिन विविन लगतार इनकार कर रहे थे. इस बात का जिक्र सलमान खान ने भी शो में किया. पर्सनल लाइफ में विवियन प्यार में धोखा खा चुके हैं  और धर्म परिवर्तन करके उन्होंने दूसरी शादी कर ली है. जिस वजह से नई बीबी के डर से विविन शो की लड़कियों से भी 5 फुट की दूरी बनाए हुए है. आने वाली हौट एंड सेक्सी हीरोइन को भी घास नहीं डाल रहे. शायद बीवी का डर हर डर से बड़ा होता है.

क्या देसी गर्ल के साथ शादीशुदा Shahrukh Khan का था अफेयर, जानें इस लव स्टोरी की सच्चाई

SRK Birthday: रोमांस के किंग शाहरुख खान (Shahrukh Khan) हर लड़की के ख्वाबों के राज हैं. बौलीवुड के बादशाह के साथ काम करने की  ख्वाहिश हर ऐक्ट्रेस की होती है. उनकी फैन फौलोइंग सिर्फ देश में ही नहीं विदेश में भी है. हर कोई ऐक्टर की एक झलक पाने के लिए बेताब रहता है. शाहरुख खान ने अपने ऐक्टिंग के दम पर बादशाह का टैग हासिल किया है. जब वह किसी भी रोमांटिक गाने पर बाहें फैलाकर, नजरें झुकाना और फिर अपनी हिरोइन की तऱफ देखना ये सब कर के शाहरुख अपने फीमेल फैंस की दिल की धड़कनों को बढ़ा देते हैं.

आज 2 नवंबर को शाहरुख खान अपना 59 वां बर्थडे सेलिब्रैट कर रहे हैं. इस उम्र में शाहरुख खान फिल्म इंडस्ट्री पर राज कर रहे हैं. फैंस को अपने फेवरेट ऐक्टर के फिल्मों का बेसब्री से इंतजार करते हैं. आज आपको शाहरुख खान के बर्थडे पर उनके लाइफ से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से के बारे में बताएंगे.

प्रियंका चोपड़ा के साथ था अफेयर ?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शाहरुख खान और प्रियंका चोपड़ा की नजदीकियों के कारण उनका घर टूटने की कगार पर था. गौसिप के अनुसार, शादीशुदा शाहरुख खान और प्रियंका चोपड़ा डान 2 के सेट पर एकदूसरे को दिल दे चुके थे. इस फिल्म के सेट के उनका प्यार परवान चढ़ा था. हालांकि इस बात को शाहरुख और प्रियंका ने कभी इसे न नकारा और न कभी अफेयर को ऐक्सेप्ट किया.

शाहरुख ने प्रियंका को किया था प्रोपज?

सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हुआ था, जिसमें वह पीसी के लिए गाना गाते दिखे थे. उस गाने में वह अंग्रेजी में कहते दिखे थे- मैरी मी मैरी मी… वहीं प्रियंका हैरानी से उन्हें देखती और हंसती दिखीं थीं. उनके अफेयर से रिलेटेड रूमर्स सोशल मीडिया पर अकसर चर्चा में रहती हैं. खबरों के अनुसार शाहरुख खान के बैस्ट फ्रैंड करण जौहर ने गौरी खान को संभाला और उनकी शादी को बचाया.

अफेयर की खबरों पर किंग खान ने किया था रिएक्ट

एक इंटरव्यू के अनुसार, शाहरुख खान ने प्रियंका चोपड़ा संग नाम जुड़ने पर रिएक्शन दिया. बौलीवुड लाइफ के एक रिपोर्ट के अनुसार, किंग खान ने कहा कि ‘मुझे ये बात ज्यादा खराब लगती है कि मेरे साथ एक लड़की को वो सम्मान नहीं दिया जा रहा है जैसा मैं सभी का औरतों को करता हूं. मैं माफी मांगता हूं, इसलिए नहीं कि मैंने कुछ किया है बल्कि इसलिए वह मेरी दोस्त है. इसलिए मुझे ये बहुत अपमानजनक लगा. वह मेरे सबसे अच्छे दोस्तों में से एक है और मेरे दिल के बहुत करीब है और हमेशा रहेगी. हमने दोस्त के तौर पर स्क्रीन पर बहुत अच्छा समय बिताया है. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि दोस्ती खराब होती है.

एक करीबी  दोस्त ने शाहरुख-पीसी के रिश्ते की बताई सच्चाई

शाहरुख-प्रियंका के अफेयर को लेकर किंग खान के करीबी दोस्त विवेक वासवानी ने भी एक इंटरव्यू में बड़ा बयान दिया था. उन्होंने शाहरुख-प्रियंका के डेटिंग का सच बताया था. रिपोर्ट के मुताबिक विवेक ने कहा कि शाहरुख खान ने अपनी जिंदगी में सिर्फ एक ही लड़की से प्यार किया है और वह हैं गौरी खान. उनके दोस्ती के रहे हैं, लेकिन शाहरुख खान का सैक्स को लेकर कोई रिलेशनशिप नहीं रहा था. विवेक ने ये भी बताया कि जबसे मैं उन्हें जानता हूं, बादशाह पूरी जिंदगी में एक ही महिला को समर्पित रहे हैं. प्रियंका चोपड़ा के साथ उनके अफेयर की खबरें सिर्फ रूमर है.

बेटी सुहाना खान के साथ ‘किंग’ में आएंगे नजर

फिल्म की बात करे तो शाहरुख खान को आखिरी बार उन्हें डंकी में देखा गया था. जो 2023 में रिलीज हुई थी.  जल्द ही बादशाह अपनी बेटी सुहाना खान के साथ फिल्म किंग में नजर आने वाले हैं. फैंस को इस मूवी का बेसब्री से इंतजार है.

मां बेटी: क्यों गांव लौटने को मजबूर हो गई मालती

मालती काम से लौटी थी… थकीमांदी. कुछ देर लेट कर आराम करने का मन कर रहा था, पर उस की जिंदगी में आराम नाम का शब्द नहीं था. छोटा वाला बेटा भूखाप्यासा था. वह 2 साल का हो गया था, पर अभी तक उस का दूध पीता था.

मालती के खोली में घुसते ही वह उस के पैरों से लिपट गया. उस ने उसे अपनी गोद में उठा कर खड़ेखड़े ही छाती से लगा लिया. फिर बैठ कर वह उसे दूध पिलाने लगी थी.

सुबह मालती उसे खोली में छोड़ कर जाती थी. अपने 2 बड़े भाइयों के साथ खोली के अंदर या बाहर खेलता रहता था. तब भाइयों के साथ खेल में मस्त रहने से न तो उसे भूख लगती थी, न मां की याद आती थी.

दोपहर के बाद जब मालती काम से थकीमांदी घर लौटती, तो छोटे को अचानक ही भूख लग जाती थी और वह भी अपनी भूखप्यास की परवाह किए बिना या किसी और काम को हाथ लगाए बेटे को अपनी छाती का दूध पिलाने लगती थी.

तभी मालती की बड़ी लड़की पूजा काम से लौट कर घर आई. पूजा सहमते कदमों से खोली के अंदर घुसी थी. मां ने तब भी ध्यान नहीं दिया था. पूजा जैसे कोई चोरी कर रही थी. खोली के एक किनारे गई और हाथ में पकड़ी पोटली को कोने में रखी अलमारी के पीछे छिपा दिया.

मां ने छोटू को अपनी छाती से अलग किया और उठने को हुई, तभी उस की नजर बेटी की तरफ उठी और उसे ने पूजा को अलमारी के पीछे थैली रखते हुए देख लिया.

मालती ने सहज भाव से पूछा, ‘‘क्या छिपा रही है तू वहां?’’

पूजा चौंक गई और असहज आवाज में बोली, ‘‘कुछ नहीं मां.’’

मालती को लगा कि कुछ तो गड़बड़ है वरना पूजा इस तरह क्यों घबराती.

मालती अपनी बेटी के पास गई और उस की आंखों में आंखें डाल कर बोली, ‘‘क्या है? तू इतनी घबराई हुई क्यों है? और यहां क्या छिपाया है?’’

‘‘कुछ नहीं मां, कुछ नहीं…’’ पूजा की घबराहट और ज्यादा तेज हो गई. वह अलमारी से सट कर इस तरह खड़ी हो गई कि मालती पीछे न देख सके.

मालती ने जोर से पकड़ कर उसे परे धकेला और तेजी से अलमारी के पीछे रखी पोटली उठा ली.

हड़बड़ाहट में मालती ने पोटली को खोला. पोटली का सामान अंदर से सांप की तरह फन काढ़े उसे डरा रहे थे… ब्रा, पैंटी, लिपस्टिक, क्रीम, पाउडर और तेल की शीशी…

मालती ने फिर अचकचा कर अपनी बेटी पूजा को गौर से देखा… उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ. उस की बेटी जवान तो नहीं हुई थी, पर जवानी की दहलीज पर कदम रखने के लिए बेचैन हो रही थी.

मालती का दिल बेचैन हो गया. गरीबी में एक और मुसीबत… बेटी की जवानी सचमुच मांबाप के लिए एक मुसीबत बन कर ही आती है खासकर उस गरीब की बेटी की, जिस का बाप जिंदा न हो. मालती की सांसें कुछ ठीक हुईं, तो बेटी से पूछा, ‘‘किस ने दिया यह सामान तुझे?’’

मां की आवाज में कोई गुस्सा नहीं था, बल्कि एक हताशा और बेचारगी भरी हुई थी.

पूजा को अपनी मां के ऊपर तरस आ गया. वह बहुत छोटी थी और अभी इतनी बड़ी या जवान नहीं हुई थी कि दुनिया की सारी तकलीफों के बारे में जान सके. फिर भी वह इतना समझ गई थी कि उस ने कुछ गलत किया था, जिस के चलते मां को इस तरह रोना पड़ रहा था. वह भी रोने लगी और मां के पास बैठ गई.

बेटी की रुलाई पर मालती थोड़ा संभली और उस ने अपने ममता भरे हाथ बेटी के सिर पर रख दिए.

दोनों का दर्द एक था, दोनों ही औरतें थीं और औरतों का दुख साझा होता है. भले ही, दोनों आपस में मांबेटी थीं, पर वे दोनों एकदूसरे के दर्द से न केवल वाकिफ थीं, बल्कि उसे महसूस भी कर रही थीं.

पूजा की सिसकियां कुछ थमीं, तो उस ने बताया, ‘‘मां, मैं ले नहीं रही थी, पर उस ने मुझे जबरदस्ती दिया.’’

‘‘किस ने…?’’ मालती ने बेचैनी से पूछा.

‘‘गोकुल सोसाइटी के 401 नंबर वाले साहब ने…’’

‘‘कांबले ने?’’ मालती ने हैरानी से पूछा.

‘‘हां… मां, वह मुझ से रोज गंदीगंदी बातें करता है. मैं कुछ नहीं बोलती तो मुझे पकड़ कर चूम लेता है,’’ पूजा जैसे अपनी सफाई दे रही थी.

मालती ने गौर से पूजा को देखा. वह दुबलेपतले बदन की सांवले रंग की लड़की थी, कुल जमा 13 साल की… बदन में ऐसे अभी कोई उभार नहीं आए थे कि किसी मर्द की नजरें उस पर गड़ जाएं.

हाय रे जमाना… छोटीछोटी बच्चियां भी मर्दों की नजरों से महफूज नहीं हैं. पलक झपकते ही उन की हैवानियत और हवस की भूख का शिकार हो जाती हैं.

मालती को अपने दिन याद आ गए… बहुत कड़वे दिन. वह भी तब कितनी छोटी और भोली थी. उस के इसी भोलेपन का फायदा तो एक मर्द ने उठाया था और वह समझ नहीं पाई थी कि वह लुट रही थी, प्यार के नाम पर… पर प्यार कहां था वह… वह तो वासना का एक गंदा खेल था.

इस खेल में मालती अपनी पूरी मासूमियत के साथ शामिल हो गई थी. नासमझ उम्र का वह ऐसा खेल था, जिस में एक मर्द उस के अधपके बदन को लूट रहा था और वह समझ रही थी कि वह मर्दऔरत का प्यार था.

वह एक ऐसे मर्द द्वारा लुट रही थी, जो उस से उम्र में दोगुनातिगुना ही नहीं, बाप की उम्र से भी बड़ा था, पर औरतमर्द के रिश्ते में उम्र बेमानी हो जाती है और कभीकभी तो रिश्ते भी बदनाम हो जाते हैं.

तब मालती भी अपनी बेटी की तरह दुबलीपतली सांवली सी थी. आज जब वह पूजा को गौर से देखती है, तो लगता है जैसे वही पूजा के रूप में खड़ी है.

मालती बिलकुल उस का ही दूसरा रूप थी. जब वह अपनी बेटी की उम्र की थी, तब चोगले साहब के घर में काम करती थी. वह शादीशुदा था, 2 बच्चों का बाप, पर एक नंबर का लंपट… उस की नजरें हमेशा मालती के इर्दगिर्द नाचती रहती थीं.

चोगले की बीवी किसी स्कूल में पढ़ाती थी, सो वह सुबह जल्दी निकल जाती थी. साथ में उस के बच्चे भी चले जाते थे. बीवी और बच्चों के जाने के बाद मालती उस घर में काम करने जाती थी.

चोगले तब घर में अकेला होता था. पहले तो काफी दिनों तक उस ने मालती की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया और कभी कोई ऐसी बात नहीं कही, जिस से लगे कि वह उस के बदन का भूखा था.

शायद वह उसे बच्ची समझता था. वह काम करती रहती थी और काम खत्म होने के बाद चुपचाप घर चली आती थी.

पर जब उस ने 13वें साल में कदम रखा और उस के सीने में कुछ नुकीला सा उभार आने लगा, तो अचानक ही एक दिन चोगले की नजर उस के शरीर पर पड़ गई. वह मैलेकुचैले कपड़ों में रहती थी.

झाड़ूपोंछा करने वाली लड़की और कैसे रह सकती थी. कपड़े धोने के बाद तो वह खुद गीली हो जाती थी और तब बिना अंदरूनी कपड़ों के उस के बदन के अंग शीशे की तरह चमकने लगते थे.

ऐसे मौके पर चोगले की नजरों में एक प्यास उभर आती और उस के पास आ कर पूछता था, ‘‘मालती, तुम तो गीली हो गई हो, भीग गई हो. पंखे के नीचे बैठ कर कपड़े सुखा लो,’’ और वह पंखा चला देता.

मालती बैठती नहीं खड़ेखड़े ही अपने कपड़े सुखाती. चोगले उस के बिलकुल पास आ कर सट कर खड़ा हो जाता और अपने बदन से उसे ढकता हुआ कहता, ‘‘तुम्हारे कपड़े तो बिलकुल पुराने हो गए हैं.’’

‘‘जी…’’ वह संकोच से कहती.

‘‘अब तो तुम्हें कुछ और कपड़ों की भी जरूरत पड़ती होगी?’’ मालती उस का मतलब नहीं समझती. बस, वह उस को देखती रहती.

वह एक कुटिल हंसी हंस कर कहता, ‘‘संकोच मत करना, मैं तुम्हारे लिए नए कपड़े ला दूंगा. वे वाले भी…’’

मालती की समझ में फिर भी नहीं आता. वह अबोध भाव से पूछती, ‘‘कौन से कपड़े…’’

चोगले उस के कंधे पर हाथ रख कर कहता, ‘‘देखो, अब तुम छोटी नहीं रही, बड़ी और समझदार हो रही हो. ये जो कपड़े तुम ने ऊपर से पहन रखे हैं, इन के नीचे पहनने के लिए भी तुम्हें कुछ और कपड़ों की जरूरत पड़ेगी, शायद जल्दी ही…’’ कहतेकहते उस का हाथ उस की गरदन से हो कर मालती के सीने की तरफ बढ़ता और वह शर्म और संकोच से सिमट जाती. इतनी समझदार तो वह हो ही गई थी.

चोगले की मेहनत रंग लाई. धीरेधीरे उस ने मालती को अपने रंग में रंगना शुरू कर दिया.चोगले की मीठीमीठी बातों और लालच में मालती बहुत जल्दी फंस गई. घर का सूनापन भी चोगले की मदद कर रहा था और मालती की चढ़ती हुई जवानी. उस की मासूमियत और भोलेपन ने ऐसा गुल खिलाया कि मालती जवानी के पहले ही प्यार के सारे रंगों से वाकिफ हो गई थी.

तब मालती की मां ने उस में होने वाले बदलाव के प्रति उसे सावधान नहीं किया था, न उसे दुनियादारी समझाई थी, न मर्द के वेष में छिपे भेडि़यों के बारे में उसे किसी ने कुछ बताया था.

भेद तब खुला था जब उस का पेट बढ़ने लगा. सब से पहले उस की मां को पता चला था. वह उलटियां करती तो मां को शक होता, पर वह इतनी छोटी थी कि मां को अपने शक पर भी यकीन नहीं होता था. यकीन तो तब हुआ जब उस का पेट तन कर बड़ा हो गया.

मां ने मारपीट कर पूछा, तब बड़ी मुश्किल से उस ने चोगले का नाम बताया. बड़े लोगों की करतूत सामने आई, पर तब चोगले ने भी उस की मदद नहीं की थी और दुत्कार कर उसे अपने घर से भगा दिया था. बाद में एक नर्सिंगहोम में ले जा कर मां ने उस का पेट गिरवाया था.

अपना बुरा समय याद कर के मालती रो पड़ी. डर से उस का दिल कांप उठा. क्या समय उस की बेटी के साथ भी वही खिलवाड़ करने जा रहा था, जो उस के साथ हुआ था? गरीब लड़कियों के साथ ही ऐसा क्यों होता है कि वे अपना बचपन भी ठीक से नहीं बिता पातीं और जवानी के तमाम कहर उन के ऊपर टूट पड़ते हैं?

मालती ने अपनी बेटी पूजा को गले से लगा लिया. जोकुछ उस के साथ हुआ था, वह अपनी बेटी के साथ नहीं होने देगी. अपनी जवानी में तो उस ने बदनामी का दाग झेला था, मांबाप को परेशानियां दी थीं. यह तो केवल वह या उस के मांबाप ही जानते थे कि किस तरह उस का पेट गिरवाया गया था. किस तरह गांव जा कर उस की शादी की गई थी.  फिर कई साल बाद कैसे वह अपने मर्द के साथ वापस मुंबई आई थी और अपने मांबाप के बगल की खोली में किराए पर रहने लगी थी.

आज उस का मर्द इस दुनिया में नहीं था. 4 बच्चे उस की और उस की बड़ी बेटी की कमाई पर जिंदा थे. पूजा के बाद 3 बेटे हुए थे, पर तीनों अभी बहुत छोटे थे. पिछले साल तक उस का मर्द फैक्टरी में हुए एक हादसे में जाता रहा.

पति की मौत के बाद ही मालती ने अपनी बेटी को घरों में काम करने के लिए भेजना शुरू किया था. उसे क्या पता था कि जो कुछ उस के साथ हुआ था, एक दिन उस की बेटी के साथ भी होगा.

जमाना बदल जाता है, लोग बदल जाते हैं, पर उन के चेहरे और चरित्र कभी नहीं बदलते. कल चोगले था, तो आज कांबले… कल कोई और आ जाएगा. औरत के जिस्म के भूखे भेडि़यों की इस दुनिया में कहां कमी थी. असली शेर और भेडि़ए धीरेधीरे इस दुनिया से खत्म होते जा रहे थे, पर इनसानी शेर और भेडि़ए दोगुनी तादाद में पैदा होते जा रहे थे.

मालती के पास आमदनी का कोई और जरीया नहीं था. मांबेटी की कमाई से 5 लोगों का पेट भरता था. क्या करे वह? पूजा का काम करना छुड़वा दे, तो आमदनी आधी रह जाएगी. एक अकेली औरत की कमाई से किस तरह 5 पेट पल सकते थे?

मालती अच्छी तरह जानती थी कि वह अपनी बेटी की जवानी को किसी तरह भी इनसानी भेडि़यों के जबड़ों से नहीं बचा सकती थी. न घर में, न बाहर… फिर भी उस ने पूजा को समझाते हुए कहा, ‘‘बेटी, अगर तू मेरी बात समझ सकती है तो ठीक से सुन… हम गरीब लोग हैं, हमारे जिस्म को भोगने के लिए यह अमीर लोग हमेशा घात लगाए रहते हैं. इस के लिए वे तमाम तरह के लालच देते हैं. हम लालच में आ कर फंस जाते हैं और उन को अपना बदन सौंप देते हैं.

‘‘गरीबी हमारी मजबूरी है तो लालच हमारा शाप. इस की वजह से हम दुख और तकलीफें उठाते हैं.

‘‘हम गरीबों के पास इज्जत के नाम पर कुछ नहीं होता. अगर मैं तुझे काम पर न भेजूं और घर पर ही रखूं तब भी तो खतरा टल नहीं सकता. चाल में भी तो आवाराटपोरी लड़के घूमते रहते हैं.

‘‘अमीरों से तो मैं तुझे बचा लूंगी. पर इस खोली में रह कर इन गली के आवारा कुत्तों से तू नहीं बच पाएगी. खतरा सब जगह है. बता, तुझे दुनिया की गंदी नजरों से बचाने के लिए मैं क्या करूं?’’ और वह जोर से रोने लगी.

पूजा ने अपने आंसुओं को पोंछ लिया और मां का हाथ पकड़ कर बोली, ‘‘मां, तुम चिंता मत करो. अब मैं किसी की बातों में नहीं आऊंगी. किसी का दिया हुआ कुछ नहीं लूंगी. केवल अपने काम से काम रखूंगी.

‘‘हां, कल से मैं कांबले के घर काम करने नहीं जाऊंगी. कोई और घर पकड़ लूंगी.’’

‘‘देख, हमारे पास कुछ नहीं है, पर समझदारी ही हमारी तकलीफों को कुछ हद तक कम कर सकती है. अब तू सयानी हो रही है. मेरी बात समझ गई है. मुझे यकीन है कि अब तू किसी के बहकावे में नहीं आएगी.’’

पूजा ने मन ही मन सोचा, ‘हां, मैं अब समझदार हो गई हूं.’

मालती अच्छी तरह जानती थी कि ये केवल दिलासा देने वाली बातें थीं और पूजा भी इतना तो जानती थी कि अभी तो वह जवानी की तरफ कदम बढ़ा रही थी. पता नहीं, आगे क्या होगा? बरसात का पानी और लड़की की जवानी कब बहक जाए और कब किधर से किधर निकल जाए, किसी को पता नहीं चलता.

पूजा अभी छोटी थी. जवानी तक आतेआते न जाने कितने रास्तों से उसे गुजरना पड़ेगा… ऐसे रास्तों से जहां बाढ़ का पानी भरा हुआ है और वह अपनी पूरी होशियारी और सावधानी के साथ भी न जाने कब किस गड्ढे में गिर जाए.

वे दोनों ही जानती थीं कि जो वे सोच रही थीं, वही सच नहीं था या जैसा वे चाह रही हैं, उसी के मुताबिक जिंदगी चलती रहेगी, ऐसा भी नहीं होने वाला था.

दिन बीतते रहे. मालती अपनी बेटी की तरफ से होशियार थी, उस की एकएक हरकत पर नजर रखती. उन दोनों के बीच में बात करने का सिलसिला कम था, पर बिना बोले ही वे दोनों एकदूसरे की भावनाओं को जानने और समझने की कोशिश करतीं.

पर जैसेजैसे बेटी बड़ी हो रही थी, वह और ज्यादा समझदार होती जा रही थी. अब वह बड़े सलीके से रहने लगी थी और उसे अपने भावों को छिपाना भी आ गया था.

इधर काफी दिनों से पूजा के रंगढंग में काफी बदलाव आ गया था. वह अपने बननेसंवरने में ज्यादा ध्यान देती, पर इस के साथ ही उस में एक अजीब गंभीरता भी आ गई थी. ऐसा लगता था, जैसे वह किन्हीं विचारों में खोई रहती हो. घर के काम में मन नहीं लगता था.

मालती ने एक दिन पूछ ही लिया, ‘‘बेटी, मुझे डर लग रहा है. कहीं तेरे साथ कुछ हो तो नहीं गया?’’

पूजा जैसे सोते हुए चौंक गई हो, ‘‘क्या… क्या… नहीं तो…’’

‘‘मतलब, कुछ न कुछ तो है,’’ उस ने बेटी के सिर पर हाथ रख कर कहा.

पूजा के मुंह से बोल न फूटे. उस ने अपना सिर झुका लिया. मालती समझ गई, ‘‘अब कुछ बताने की जरूरत नहीं है. मैं सब समझ गई हूं, पर एक बात तू बता, जिस से तू प्यार करती है, वह तेरे साथ शादी करेगा?’’

पूजा की आंखों में एक अनजाना सा डर तैर गया. उस ने फटी आंखों से अपनी मां को देखा. मालती उस की आंखों में फैले डर को देख कर खुद सहम गई. उसे लगा, कहीं न कहीं कोई बड़ी गड़बड़ है.

डरतेडरते मालती ने पूछा, ‘‘कहीं तू पेट से तो नहीं है?’’

पूजा ने ऐसे सिर हिलाया, जैसे जबरदस्ती कोई पकड़ कर उस का सिर हिला रहा हो. अब आगे कहने के लिए क्या बचा था.

मालती ने अपना माथा पीट लिया. न वह चीख सकती थी, न रो सकती थी, न बेटी को मार सकती थी. उस की बेबसी ऐसी थी, जिसे वह किसी से कह भी नहीं सकती थी.

जो मालती नहीं चाहती थी, वही हुआ. उस की जिंदगी में जो हो चुका था उसी से बेटी को आगाह किया था. ध्यान रखती थी कि बेटी नरक में न गिर जाए. बेटी ने भी उसे भरोसा दिया था कि वह कोई गलत कदम नहीं उठाएगी, पर जवानी की आग को दबा कर रख पाना शायद उस के लिए मुमकिन नहीं था.

मरी हुई आवाज में उस ने बस इतना ही पूछा, ‘‘किस का है यह पाप…?’’

पूजा ने पहले तो नहीं बताया, जैसा कि आमतौर पर लड़कियों के साथ होता है. जवानी में किए गए पाप को वे छिपा नहीं पातीं, पर अपने प्रेमी का नाम छिपाने की कोशिश जरूर करती हैं. हालांकि इस में भी वे कामयाब नहीं होती हैं, मांबाप किसी न किसी तरीके से पूछ ही लेते हैं.

पूजा ने जब उस का नाम बताया, तो मालती को यकीन नहीं हुआ. उस ने चीख कर पूछा, ‘‘तू तो कह रही थी कि कांबले के यहां काम छोड़ देगी?’’

‘‘मां, मैं ने तुम से झूठ बोला था. मैं ने उस के यहां काम करना नहीं छोड़ा था. मैं उस की मीठीमीठी और प्यारी बातों में पूरी तरह भटक गई थी. मैं किसी और घर में भी काम नहीं करती थी, केवल उसी के घर जाती थी.

‘‘वह मुझे खूब पैसे देता था, जो मैं तुम्हें ला कर देती थी कि मैं दूसरे घरों में काम कर के ला रही हूं, ताकि तुम्हें शक न हो.’’

‘‘फिर तू सारा दिन उस के साथ रहती थी?’’

पूजा ने ‘हां’ में सिर हिला दिया. ‘‘मरी, हैजा हो आए, तू जवानी की आग बुझाने के लिए इतना गिर गई. अरे, मेरी बात समझ जाती और तू उस के यहां काम छोड़ कर दूसरों के घरों में काम करती रहती, तो शायद किसी को ऐसा मौका नहीं मिलता कि कोई तेरे बदन से खिलवाड़ कर के तुझे लूट ले जाता. काम में मन लगा रहता है, तो इस काम की तरफ लड़की का ध्यान कम जाता है. पर तू तो बड़ी शातिर निकली… मुझ से ही झूठ बोल गई.’’

पूजा अपनी मां के पैरों पर गिर पड़ी और सिसकसिसक कर रोने लगी, ‘‘मां, मैं तुम्हारी गुनाहगार हूं, मुझे माफ कर दो. एक बार, बस एक बार… मुझे इस पाप से बचा लो.’’

मालती गुस्से में बोली, ‘‘जा न उसी के पास, वह कुछ न कुछ करेगा. उस को ले कर डाक्टर के पास जा और अपने पेट के पाप को गिरवा कर आ…’’

‘‘मां, उस ने मना कर दिया है. उस ने कहा है कि वह पैसे दे देगा, पर डाक्टर के पास नहीं जाएगा. समाज में उस की इज्जत है, कहीं किसी को पता चल गया तो क्या होगा, इस बात से वह डरता है.’’

‘‘वाह री इज्जत… एक कुंआरी लड़की की इज्जत से खेलते हुए इन की इज्जत कहां चली जाती है? मैं क्या करूं, कहां मर जाऊं, कुछ समझ में नहीं आता,’’ मालती बोली.

मालती ने गुस्से और नफरत के बावजूद भी पूजा को परे नहीं किया, उसे दुत्कारा नहीं. बस, गले से लगा लिया और रोने लगी. पूजा भी रोती जा रही थी.

दोनों के दर्द को समझने वाला वहां कोई नहीं था… उन्हें खुद ही हालात से निबटना था और उस के नतीजों को झेलना था.

मन थोड़ा शांत हुआ, तो मालती उठी और कपड़ेलत्ते व दूसरा जरूरी सामान समेट कर फटेपुराने बैग में भरने लगी. बेटी ने उसे हैरानी से देखा. मां ने उस की तरफ देखे बिना कहा, ‘‘तू भी तैयार हो जा और बच्चों को तैयार कर ले. गांव चलना है. यहां तो तेरा कुछ हो नहीं सकता. इस पाप से छुटकारा पाना है. इस के बाद गांव में रह कर ही किसी लड़के से तेरा ब्याह कर देंगे.’’

आत्मग्लानि : आखिर क्यों घुटती जा रही थी मोहनी

मधु ने तीसरी बार बेटी को आवाज दी,  ‘‘मोहनी… आ जा बेटी, नाश्ता ठंडा हो गया. तेरे पापा भी नाश्ता कर चुके हैं.’’

‘‘लगता है अभी सो रही है, सोने दो,’’ कह कर अजय औफिस चले गए.

मधु को मोहनी की बड़ी चिंता हो रही थी. वह जानती थी कि मोहनी सो नहीं रही, सिर्फ कमरा बंद कर के शून्य में ताक रही होगी.

‘क्या हो गया मेरी बेटी को? किस की नजर लग गई हमारे घर को?’ सोचते हुए मधु ने फिर से आवाज लगाई. इस बार दरवाजा खुल गया. वही बिखरे बाल, पथराई आंखें. मधु ने प्यार से उस के बालों में हाथ फेरा और कहा, ‘‘चलो, मुंह धो लो… तुम्हारी पसंद का नाश्ता है.’’

‘‘नहीं, मेरा मन नहीं है,’’ मोहनी ने उदासी से कहा.

‘‘ठीक है. जब मन करे खा लेना. अभी जूस ले लो. कब तक ऐसे गुमसुम रहोगी. हाथमुंह धो कर बाहर आओ लौन में बैठेंगे. तुम्हारे लिए ही पापा ने तबादला करवाया ताकि जगह बदलने से मन बदले.’’

‘‘यह इतना आसान नहीं मम्मी. घाव तो सूख भी जाएंगे पर मन पर लगी चोट का क्या करूं? आप नहीं समझेंगी,’’ फिर मोहनी रोने लगी.

‘‘पता है सबकुछ इतनी जल्दी नहीं बदलेगा, पर कोशिश तो कर ही सकते हैं,’’ मधु ने बाहर जाते हुए कहा.

‘‘कैसे भूल जाऊं सब? लाख कोशिश के बाद भी वह काली रात नहीं भूलती जो अमिट छाप छोड़ गई तन और मन पर भी.’’

मोहनी को उन दरिंदों की शक्ल तक याद नहीं, पता नहीं 2 थे या 3. वह अपनी सहेली के घर से आ रही थी. आगे थोड़े सुनसान रास्ते पर किसी ने जान कर स्कूटी रुकवा दी थी. जब तक वह कुछ समझ पाती 2-3 हाथों ने उसे खींच लिया था. मुंह में कपड़ा ठूंस दिया. कपड़े फटते चले गए… चीख दबती गई, शायद जोरजबरदस्ती से बेहोश हो गई थी. आगे उसे याद भी नहीं. उस की इसी अवस्था में कोई गाड़ी में डाल कर घर के आगे फेंक गया और घंटी बजा कर लापता हो गया था.

मां ने जब दरवाजा खोला तो चीख पड़ीं. जब तक पापा औफिस से आए, मां कपड़े बदल चुकी थीं. पापा तो गुस्से से आगबबूला हो गए. ‘‘कौन थे वे दरिंदे… पहचान पाओगी? अभी पुलिस में जाता हूं.’’

पर मां ने रोक लिया, ‘‘ये हमारी बेटी की इज्जत का सवाल है. लोग क्या कहेंगे. पुलिस आज तक कुछ कर पाई है क्या? बेकार में हमारी बच्ची को परेशान करेंगे. बेतुके सवाल पूछे जाएंगे.’’

‘‘तो क्या बुजदिलों की तरह चुप रहें,’’ ‘‘नहीं मैं यह नहीं कह रही पर 3 महीने बाद इस की शादी है,’’ मां ने कहा.

पापा भी कुछ सोच कर चुप हो गए. बस, जल्दी से तबादला करवा लिया. मधु अब साए की तरह हर समय मोहनी के साथ रहती.

‘‘मोहनी बेटा, जो हुआ भूल जाओ. इस बात का जिक्र किसी से भी मत करना. कोई तुम्हारा दुख कम नहीं करेगा. मोहित से भी नहीं,’’ अब जब भी मोहित फोन करता. मां वहीं रहतीं.

मोहित अकसर पूछता, ‘‘क्या हुआ? आवाज से इतनी सुस्त क्यों लग रही हो?’’ तब मां हाथ से मोबाइल ले लेतीं और कहतीं, ‘‘बेटा, जब से तुम दुबई गए हो, तभी से इस का यह हाल है. अब जल्दी से आओ तो शादी कर दें.’’

‘‘चिंता मत करिए. अगले महीने ही आ रहा हूं. सब सही हो जाएगा.’’

मां को बस एक ही चिंता थी कहीं मैं मोहित को सबकुछ बता न दूं. लेकिन यह तो पूरी जिंदगी का सवाल था. कैसे सहज रह पाएगी वह? उसे तो अपने शरीर से घिन आती है. नफरत सी हो गई है, इस शरीर और शादी के नाम से.

‘‘सुनो, हमारी जो पड़ोसिन है, मिसेज कौशल, वह नाट्य संगीत कला संस्था की अध्यक्ष हैं. उन का एक कार्यक्रम है दिल्ली में. जब उन्हें मालूम हुआ कि तुम भी रंगमंच कलाकार हो तो, तुम्हें भी अपने साथ ले कर जाने की जिद करने लगी. बोल रही थी नया सीखने का मौका मिलेगा.’’

‘‘सच में तुम जाओ. मन हलका होगा. 2 दिन की ही तो बात है,’’ मां तो बस, बोले जा रही थीं. उन के आगे मोहनी की एक नहीं चली.

बाहर निकल कर सुकून तो मिला. काफी लड़कियां थीं साथ में. कुछ बाहर से भी आई थीं. उस के साथ एक विदेशी बाला थी, आशी. वह लंदन से थी. दोनों साथ ठहरे थे, एक ही कमरे में. जल्दी ही मोहनी और वे दोस्त बन गए, पर फिर भी मोहनी अपने दुख के कवच से निकल नहीं पा रही थी. एक रात जब वे होटल के कमरे में आईं तो मोहनी उस से पूछ बैठी, ‘‘आशी, तुम भी तो कभी देर से घर ती होंगी? तुम्हें डर नहीं लगता?’’

‘‘डर? क्यों डरूं मैं? कोई क्या कर लेगा. मार देगा या रेप कर लेगा. कर ले. मैं तो कहती हूं, जस्ट ऐंजौय.’’

‘‘क्या? जस्ट ऐंजौय…’ मोहनी का मुंह खुला का खुला रह गया.

‘‘अरे, कम औन यार. मेरा मतलब है कोई रेप करे तो मैं क्यों जान दूं? मेरी क्या गलती? दूसरे की गलती की सजा मैं क्यों भुगतूं. हम मरने के लिए थोड़ी आए हैं. वैसे भी जो डर गया समझो मर गया.’’

आशी की बात से मोहनी को संबल मिला. उसे लगा आज कितने दिन बाद दुख के बादल छंटे हैं और उसे इस आत्मग्लानि से मुक्ति मिली है. फिर दोनों खिलखिला कर हंस पड़ीं.

रैडी टू ईट से बनाएं मजेदार व्यंजन, खाने वाले करेंगे जम कर तारीफ

आईटी सैक्टर में काम करने वाले समरेश को खाना बनाना नहीं आता, लेकिन उसे अपने होम टाउन से निकल कर मुंबई काम के लिए आना पड़ा। सैलरी अच्छी है, काम मन मुताबिक है, ऐसे में न कहने की कोई गुंजाइश नहीं रही. वह सीधे समान ले कर मुंबई आ गया, यहां उस ने कुछ दिन तक बाहर का बना भोजन खाया, लेकिन इतना औयली और फ्राइड खा कर वह तंग हो गया और अंत में एक दिन मां से पूछ कर दाल चावल बना कर खाया, उसे बहुत अच्छा लगा, लेकिन हर दिन दाल चावल खाना उस के बस की बात नहीं थी.

उसे कुछ अलग और चटपटा खाने का मन हुआ और बाजार जा कर वह रैडी टू ईट मलाई कोफ्ता ले कर आया। निर्देशानुसार बनाने पर उसे वह डिश बहुत अच्छी लगी. आज वह अकसर ऐसे रेडी टू ईट डिशेज ले कर आता है और उसे पका कर थोड़ी हरी धनिया की पत्तियों से गार्निश कर लेता है, जिस से उस का स्वाद और भी अच्छा बन जाता है।

एक दिन तो उस ने अपने 2 दोस्तों को बुला कर भी खाना खिलाया, इस से दोस्त भी खुश नजर आए, क्योंकि रैडी टू ईट रैसिपी का स्वाद आजकल ओरिजिनल घर के पके हुए डिशेज की तरह मिलने लगे हैं। ऐसे में कामकाजी महिलाएं भी इस का प्रयोग कर रही हैं.

प्रचलित कैसे हुआ

रैडी टू ईट फूड यानि पहले से पकाया और पैक किया गया भोजन युद्ध के दौरान सेनाओं के लिए तैयार किया जाता था, क्योंकि युद्ध के दौरान सैनिकों को पैदल ही ज्यादा राशन ले जाना होता था, इसलिए वजन कम करने के लिए डब्बाबंद मांस को हलके संरक्षित मांस से बदल कर ले जाया जाने लगा।

ईजी टू कुक पहले से पका हुआ और पैक किया हुए ऐसे भोजन को किसी तैयारी या पकाने की जरूरत नहीं होती. ज्यादातर इसे कुछ मिनटों के लिए ओवन में रखा जाता है, गरम किया जाता है और खाया जाता है. इन खाद्य पदार्थों को तैयार भोजन भी कहा जाता है। इस में वेज और नौनवेज दोनों प्रकार के व्यंजन पाए जाते हैं.

असल में रैडी टू ईट फूड पहले से पकाया हुआ और पैक किया हुआ भोजन होता है, जिसे खाने से पहले किसी तरह की तैयारी या पकाने की जरूरत नहीं होती, जो आज की तारीख में कामकाजी महिलाएं और पुरुष आराम से प्रयोग कर सकते हैं, क्योंकि उस पर दिए गए निर्देशों के अनुसार इसे पकाने पर इस का स्वाद एकदम ओरिजिनल होता है.

बढ़ी है लोकप्रियता

विकसित और विकासशील देशों में रैडी टू ईट फूड की लोकप्रियता अब काफी बढ़ चुकी है. इस की वजह उभरती अर्थव्यवस्थाओं में श्रमिकों की बढ़ती संख्या और लंबे कार्य घंटों की वजह से लोग रैडी टू ईट फूड खाना पसंद कर रहे हैं. नई तकनीक से बने ये प्रोसेस्ड फूड में पोषक तत्त्व भी बरकरार रहते हैं. जैसे प्रोटीन, विटामिन बी और आयरन, जिसे खरीदते वक्त व्यक्ति जांच कर ले सकता है. ये प्रोसेस्ड फूड को पाश्चुरीकरण, खाना पकाने और सुखाने जैसी विधियों से तैयार किया जाता है. इन विधियों से खाद्य पदार्थों में हानिकारक जीवाणुओं का विकास रुकता है और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी नहीं होता.

बचत समय की

ऐसा देखा गया है कि काम से थक कर आने के बाद पूरी तरह से खाना बनाना किसी भी महिला या पुरुष के लिए संभव नहीं होता, ऐसे में वे या तो बाजार से मंगवा कर कुछ जंक फूड खा लेते हैं या कुछ फूड जो घर में पड़ी हो, उसे खा कर पेट भर लेते हैं। लगातार ऐसे असंतुलित भोजन से व्यक्ति में कई प्रकार के विटामिंस और मिनरल्स की कमी हो सकती है. रैडी टू ईट फूड ऐसे में सब से फायदेमंद साबित होता है, जो चुटकियों में बन जाती है और टेस्ट को भी नहीं बिगाड़ती.

ये फूड केवल वयस्कों के लिए ही नहीं, बच्चे और गर्भवती महिलाओं के लिए भी उपयुक्त हो सकता है. पिछले दिनों से बिहार के कुछ स्थानों पर जहां कुपोषण की मात्रा अधिक होने की वजह से वहां ऐसे रैडी टू ईट में प्री मिक्स लड्डू, नमकीन दलिया, अंकुरित अनाज बांटे गए ताकि उन्हें प्रोटीन, विटामिंस और कैलोरी मिले, जिस से वे स्वस्थ रह सकें.

रैडी टू ईट भोजन खरीदते समय रखें ध्यान

पैकेट पर लिखे न्यूट्रिशनल फैक्ट्स और इंग्रीडिऐंट्स को चैक करें. ट्रांस फैट्स या ज्यादा नमक या सोडियम न हो, इसे देख लें. शुगर और हाई फ्रक्टोज कौर्न सीरप जैसे आर्टिफिशियल स्वीटनर कम हों, इस का ध्यान रखें.

लो फैट फूड में फैट की मात्रा 3 ग्राम से अधिक न हो. अगर किसी प्रोडक्ट पर सोडियमफ्री लिखा है, तो उस में सोडियम की मात्रा 5 ग्राम से ज्यादा न हो. पैक्ड ग्रेन प्रोडक्ट्स में होल ग्रेन या होल व्हीट लिखा हो. किसी भी फूड आइटम का सर्विंग साइज क्या है और उससे कितनी कैलोरी मिल रही है, इस की जानकारी रखें.

प्रोटीन और फाइबर की मात्रा ज्यादा हो

फाइबर की कमी होने पर ताजा सब्जियां, उबली हुई सब्जियां, फलियां या साबुत अनाज मिलाएं.
इस प्रकार देखा जाए तो कामकाजी महिलाओं और पुरुषों के लिए रैडी टू ईट भोजन एक गेम चैंजर बन गया है.

जैसेजैसे अधिक महिलाएं कार्यरत हो रही हैं, साथ ही कई भूमिकाएं और जिम्मेदारियां निभाती हैं। रैडी टू ईट जैसे भोजन या व्यंजन समय बचत में प्रमुखता हासिल की है. इन में अगर आप का बेसिक खाना बनाने की आइडियाज है, तो 2 व्यंजनों को मिला कर तीसरा व्यंजन भी बनाया जा सकता है। मसलन, रैडी टू ईट गुलाबजामुन को अगर रैडी टू ईट खीर में मिलाया जाए, तो तीसरा टैस्टी डिश बन सकता है, जिसे किसी पार्टी या त्योहार पर परोसा जा सकता है.

कामकाजी महिलाओं को अकसर समय की कमी का सामना करना पड़ता है, ऐसे में रैडी टू ईट भोजन एक व्यावहारिक समाधान प्रदान करता है, जो लंबे दिनों के बाद श्रमसाध्य भोजन तैयार करने से बचाता है और महिलाएं अपना कीमती समय परिवार के साथ बिता सकती हैं.

मेरे पति मुझसे संतुष्ट नहीं रहते हैं, मैं क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल…

मैं 23 साल की महिला हूं. मेरा डेढ़ साल का एक बच्चा है. शादी के बाद से ही पति मेरे साथ सैक्स संबंध को ले कर संतुष्ट नहीं रहते हैं. वे नियमित सैक्स करना चाहते हैं जबकि घर और बच्चे की देखभाल से मैं बेहद थक जाती हूं और रात में जल्द ही मुझे नींद आ जाती है. पति मुझे बहुत प्यार करते हैं, इसलिए मैं उन्हें नाराज भी नहीं देख सकती. कृपया बताएं मैं क्या करूं?

जवाब…

बच्चे पैदा होने के बाद सैक्स संबंध को ले कर महिलाएं आमतौर पर उदासीन हो जाती हैं, जबकि बच्चों की परवरिश के साथ साथ पति के साथ सैक्स संबंध दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाता है.

इस में कोई दोराय नहीं कि एक गृहिणी घर और बच्चों की देखभाल में इतनी व्यस्त रहती है कि खुद के लिए भी समय नहीं निकाल पाती. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आप घर के कामों को पति के साथ बांट लें. घर की साफसफाई, कपड़े धोना आदि कार्य प्यार से पति से करा सकती हैं. इस से आप पर काम का बोझ ज्यादा नहीं पड़ेगा. इस से न केवल आप खुद के लिए वक्त निकाल पाएंगी, बल्कि पति के साथ भी ज्यादा समय बिताने को मिलेगा. फिर जैसाकि आप ने बताया कि आप का बच्चा अब डेढ़ साल का हो चुका है और अब आप शारीरिक रूप से फिट भी हो चुकी हैं, तो ऐसे में सैक्स संबंध का लुत्फ उठा सकती हैं.

खूबसूरत महिलाओं की पहली पसंद होते हैं ऐसे लड़के…

महिलाओं को आखिर कैसे मर्द पसंद आते हैं. पुरुषों में हमेशा ही इस बात को जानने की उत्सुकता होती है. इस विषय पर हुए एक शोध में सामने आया है कि खूबसूरत महिलाओं की पहली पसंद वाले मर्दों में कौन-कौन सी खूबियां होती है.

महिलाओं को पसंद आते हैं ऐसे पुरुष…

यूनिवर्सिटी औफ क्रैंबिज में हुए एक शोध में थामस वर्सलुय्ज का कहना है कि इस औनलाइन सर्वे में अमेरिका की 800 महिलाओं ने ऐसे मेल फिगर्स को तरजीह दी जिनके पैर औसत से थोड़े ज्यादा लंबे थे. हालांकि बहुत ज्यादा लंबे पैर वालों को महिलाओं ने नकार दिया.

19 से 76 साल की महिलाओं के बीच हुआ सर्वे…

19 से 76 साल के बीच की अलग-अलग उम्र वाली महिलाओं को कुछ पुरुषों की कंप्यूटर जेनरेटेड तस्वीरें दिखाईं गईं और उनसे पूछा गया कि इनमें से कौन सबसे ज्यादा अट्रैक्टिव दिख रहा है. इन सभी तस्वीरों में पुरुषों के हाथ और पैर की लंबाई में मामूली अंतर था. सर्वे में शामिल महिलाओं ने औसत से थोड़े ज्यादा लंबे पैर वाले पुरुषों को अट्रैक्टिव माना.

सेक्शुअल सिलेक्शन में अहम रोल निभाती है लंबाई…

इस सर्वे के नतीजे बताते हैं कि पुरुषों के पैर की लंबाई उनके सेक्शुअल सिलेक्शन में एक अहम रोल निभाती है. यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक ऐसा फैक्टर है जो तब से चला आ रहा है जब से मानव का विकास शुरू हुआ. इसमें स्वास्थ्य और पोषण जैसी चीजें भी शामिल हैं.

तो मतलब अगर आप भी किसी महिला का ध्यान अपनी तरफ खींचना चाहते हैं तो आपको अपने कपड़ों और बिहेवियर के साथ-साथ अपनी लंबाई पर भी ध्यान देना होगा.

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या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

फैस्टिवल के बाद भी चमक उठेगा आपका चेहरा, बस फौलो करें ये तरीके

फेस्टिवल से पहले और बाद में घर की सफाई, सजावट और शौपिंग के चक्कर में चेहरे पर थकान आ जाती है. ऐसे में घरेलू और्गेनिक नुस्खे अपनाकर आप चेहरे की रंगत निखार सकती हैं. चलिए आज हम आपको आसान से घरेलू तरीके बताएंगे जिनकी मदद से आप चेहरे पर नैचुरल ग्लो ला सकती हैं और दीवाली के बाद भी अपने चेहरे की चमक का जादू चला सकती है.

दही और नींबू मास्क

आपका ग्लोइंग स्किन पाने की चाहत दही और नींबू के रस से बने फेस मास्क से होगा. आधा कप दही में 1 चम्मच नींबू का रस मिलाएं. अब इस मास्क को चेहरे और गर्दन पर लगाएं. 10 मिनट बाद मास्क को पानी से धो लें. नींबू में मौजूद विटामिन सी स्किन को स्मूद बनाएंगा और दही खुले हुए पोर्स को खोलने का काम करता है. यह दोनों सामग्री नैचुरल ब्लीच का काम करती है.

शहद और दालचीनी मास्क

चेहरे के पिंपल्स से छुटकारा दिलाने का काम करता है शहद और दालचीनी मास्क. कच्चा शहद नैचुरल मौइस्चराइजिंग एजेंट है. शहद और दालचीनी के मास्क एंटी-एक्ने और ग्लोइंग स्किन फेस मास्क है. 2 बड़े चम्मच कच्चे शहद में 1 बड़ा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाएं और उंगुलियों की मदद से चेहरे पर लगाएं. 15 मिनट लगे रहने के बाद धो दें.

आलू का रस

आंखों के नीचे पड़े काले घेरे काफी भद्दे लगते हैं. इस से छुटकारा पाने के लिए आलू की एक स्लाइस को डार्क सर्कल पर रखें. इसके अलावा आप आलू के रस को डार्क सर्कल पर भी लगाएं और रात भर ऐसे ही लगा रहने दें. सुबह उठकर धो दें. इससे आंखों की फ्रेश लुक मिलेगी. आलू में नैचुरल ब्लीचिंग एजेंट होते है जो पफी आई की प्रौबल्म को भी दूर कर देता है.

टमाटर और दूध का फेस मास्क

2 बड़े चम्मच टमाटर के जूस में आधा कप फ्रेश कच्चा दूध मिलाएं. कौटन बौल की मदद से इस मास्क को अपने चेहरे पर लगाएं. 20 मिन बाद ठंडे पानी से धो दें. इससे स्किन फ्रेश और बिल्कुल साफ नजर आएगी.

दही और ओटमील मास्क

दही और ओटमील को मिलाकर लगाने से सन टैन दूर होगी और चेहरे पर गजब की चमक आएगी. 2 बड़े चम्मच दही में 1 बड़ा चम्मच ओट्स मिलाकर मास्क बनाएं. चेहरे और गर्दन पर लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें. फिर 20 मिनट बाद पेक को गुनगुने पानी की मदद से साफ करें.

घर के लिए बनाना चाहती हैं बैस्ट पर्दे, तो इन चीजों का करें इस्तेमाल

घर की सजावट में पर्दों का महत्वपूर्ण योगदान होता है. इनकी मौजूदगी से घर की दीवारों, दरवाजे-खिड़कियों और फर्नीचर सभी की शोभा बढ़ जाती है. इतना ही नहीं पर्दे कमरो के पार्टिशन और प्राइवेसी को बनाये रखने में भी मदद करते हैं. घर में पर्दे लगाना बहुत आसान है, चाहे आप किसी फर्निशिंग की दुकान से ले सकते हैं या फिर औनलाइन भी और्डर कर सकते हैं. लेकिन यह दोनों ही आपको बहुत महंगे पड़ेंगे. लेकिन अगर आप खुद पर्दें बना लेंगी तो यह सस्ता पड़ेगा.

घर में भी पर्दे बनाना आसान नहीं है पहले आप कपड़ा खरीदेंगे फिर उसकी नाप लेंगे तब आप अपने पर्दे बना पाएंगे. यह सब कितना थका देने वाला है. तो चलिए इसे थोड़ा आसान बनाते हैं और आपको सस्ते कपड़े के पर्दे कैसे बनेंगे वह बताते हैं.

हम आपको कुछ ऐसे ही कपड़ों के बारे में बताने जा रहें हैं. जिन से आप सस्ते और आसानी से घर बैठे पर्दे बना सकती हैं. इसके लिए आपको बहार से महंगा कपड़ा खरीदने की कोई जरुरत नहीं है. चलिए जानते हैं कुछ ऐसे ही कपड़ों के बारे में.

1. साड़ी

अगर आपके घर में पुरानी साड़ियां हैं और आप उनका इस्तेमाल नहीं करती हैं तो आप इनके पर्दे बनाने में इस्तेमाल कर सकती हैं. सिल्क की साड़ियों से बने पर्दे घर को बहुत ही आकर्षक लुक देंगे. लेकिन सिंगल टोंड शिफौन की साड़ी पर्दों के लिए सबसे अच्छी हैं क्योंकि यह घर के फर्नीचर से मिक्स एंड मैच हो जाएंगी.

2. दुपट्टा

सलवार कमीज के साथ मिलने वाले दुपट्टे अक्सर सलवार कमीज के ख़राब हो जाने के बाद भी अच्छे रहते हैं. इन्हे आप घर में पर्दे बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं. क्योंकि यह कई सारे रंगो और शेड्स में आते हैं.

3. स्टौौल्स

स्टौल्स ज्यादातर एक ही रंग के होते हैं जिन्हे हम गाउन और साड़ी के साथ पहनते हैं. इन्हे आप दूसरे पर्दों के साथ मिला कर पुराने पर्दों को और खूबसूरत बना सकती हैं. इसके लिए आपके पास बहुत सारे स्टौल्स होने चाहिए

4. चादरें

पुरानी चादरों से आप घर के लिए सबसे सस्ते पर्दे बना सकती हैं. आप दो से तीन चादरों को मिक्स करके नए पर्दे बना सकती हैं

5. कपड़े के अस्तर

अगर आप अपने घर को कंट्री साइड सम्मेरी लुक देना चाहते हैं जिससे घर में धूप और रोशनी अच्छे से आये. तो आप अपनी ड्रेस के अस्तर का इस्तेमाल पर्दे बनाने में कर सकती हैं.

गिरह: कौनसा हादसा हुआ था शेखर और रत्ना के साथ

लेखिका- प्रेमलता यदु

धीमी आवाज ‌में बज रहा‌ इंस्ट्रुमैंटल सौंग और मद्धिममद्धिम जलती हाल की रोशनी में रत्ना‌ अपने घर के सोफे पर लगभग लेटी हुई, धुआं उड़ाती बीचबीच में व्हिस्की के घूंट लिए जा रही है. हर घूंट के साथ उसे अपने और शेखर के रिश्ते के बीच आई शोभना का खिलखिलाता, दमकता चेहरा जोरजोर से उस पर हंसता हुआ दिखाई दे रहा है. वह उस चेहरे को नोच लेना‌ चाहती‌ है, क्योंकि उसी चेहरे की वजह से ही उस का सबकुछ बरबाद हो गया. शेखर उस से‌ सदा के लिए दूर चला गया.

रत्ना ने घबरा कर अपनी आंखें मूंद लीं और दोनों हाथों से अपने कान बंद कर लिए ताकि वो शोभना को‌ देख, सुन न सकें. लेकिन ऐसा मुमकिन न था क्योंकि यह मायाजाल ‌रत्ना‌ ने खुद ही बुना था. रत्ना गुस्से और घबराहट में गिलास में रखी व्हिस्की एक ही घूंट में पी गई और लड़खड़ाते कदमों व कंपकंपाते हाथों से दूसरा पैक बनाने लगी. ‌दोबारा पैक‌ बना कर म्यूजिक सिस्टम का वौल्यूम थोड़ा बढ़ा वह‌ फिर सोफे ‌पर‌ पसर गई.

रत्ना ने सोचा भी न था कि हालात‌ इतने बिगड़ जाएंगे और उसे कभी ऐसा कदम भी उठाना पड़ेगा, पर न जाने कैसे हालात बनते चले गए और वह गिरह में फंसती चली गई.

आज भी उसे याद है वह दिन जब उसे पहली बार शोभना और शेखर के रिश्ते के बारे में पता चला था. वह बहुत रोई‌ थी. वही ‌दिन था जिस दिन से शेखर और उस के झगड़े की शुरुआत हुई. उस के बाद से तो जैसे शेखर और उस के बीच कभी कुछ सामान्य रहा ही नहीं. ‌एक ही छत में दोनों अजनबियों की तरह दिन गुजारने लगे. उन्हीं हालात के बीच रत्ना की मुलाकात रोहित से हुई जो फिटनैस सैंटर का नया ट्रेनर था.‌ रोहित से रत्ना की पहली मुलाकात फिटनैस सैंटर के चेंजिंगरूम के बाहर हुई थी.

“हाय ब्यूटीफूल,” रोहित का इस प्रकार रत्ना‌ से कहना उसे अजीब पर अच्छा भी लगा. रत्ना रोहित को झिड़क देना चाहती थी लेकिन अरसे बाद किसी पुरुष की आंखों में स्वयं के लिए आकर्षण देख वह चुप रही और वहां से मुसकरा कर चली गई.

धीरेधीरे रत्ना और रोहित के बीच दोस्ती हो गई. और फिर वे फिटनैस सैंटर से बाहर ‌भी मिलने लगे, साथ समय बिताने लगे. रत्ना की उम्र करीब 45 वर्ष है जबकि रोहित रत्ना से लगभग 10-15 साल छोटा. रोहित में वो सारी बातें हैं जो रत्ना शेखर में तलाशती आई है. हर बात पर रत्ना की तारीफ करना, उसे खूबसूरत होने का एहसास दिलाना, जो हर स्त्री‌ को पसंद ‌है, और सब से बड़ी बात जो रोहित में है वह रत्ना की हर छोटीबड़ी खुशी का ख़याल रखना. ये सारी बातें रत्ना को दिनप्रतिदिन रोहित के करीब ले जा रही थीं.

रोहित भी रत्ना को पाने के लिए मचल रहा था. वह रत्ना के लिए कुछ भी करने को तैयार रहता है. वह उस की सुंदरता के मोहपाश में कुछ इस तरह से बंध गया था कि उसे सहीग़लत की कोई सुध ही नहीं रह गई थी. रत्ना का गोरा बदन, नागिन की तरह बलखाते उस के काले घने बाल, गुलाब की पंखुड़ियों की तरह खिले हुए गुलाबी होंठों को देख रोहित पूरी तरह से रत्ना की आकर्षक देह में गिरफ्तार हो गया था.

लेकिन रत्ना आज भी शेखर से ही प्यार करती है. वह रोहित के संग केवल अपने स्त्री अहं के दर्द को शांत करना चाहती थी, जो उसे शेखर ने दिया है. वह यह जानती थी कि रोहित शेखर का विकल्प कभी‌ नहीं हो सकता, इसलिए जब रत्ना को इस बात का एहसास हुआ तो उस ने‌ एक दिन रोहित से कहा, ‘रोहित, मैं तुम से कुछ कहना चाहती हूं.’

रोहित रत्ना के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए बोला, ‘कहिए न रत्नाजी, आप के लिए तो जान हाजिर है.’

रत्ना हंसती हुई बोली, ‘नहींनहीं, मुझे तुम्हारी जान नहीं चाहिए. मैं तो, बस, इतना चाहती हूं कि मेरी जान मेरे पास वापस आ जाए.’

रोहित आश्चर्य से रत्ना की ओर देखते हुए बोला, ‘मैं समझा‌ नहीं, आप क्या कह रही हैं?’.

‘रोहित, तुम तो जानते ही ‌हो, मैं शादीशुदा हूं ‌पर यह नहीं जानते कि मैं अपने पति ‌से बहुत ‌प्यार करती‌ हूं लेकिन वह किसी और के ‌लिए पागल है. मैं उन्हें अपनी जिंदगी में वापस‌ पाना‌ चाहती ‌हूं,’ रत्ना अपना‌ हाथ रोहित‌ के हाथों से ‌हटाती हुई‌ बोली.

रोहित दोबारा रत्ना के हाथों को कस कर पकड़ते हुए बोला, ‘रत्नाजी, शेखर आप से प्यार नहीं करता, तो क्या हुआ, मैं तो आप से बेइंतहा मोहब्बत करता हूं. आप मेरे साथ एक नई शुरुआत तो कीजिए.’

रोहित का इतना कहना था कि रत्ना रोहित से लिपटती हु‌ई बोली, ‘हम एक नई शुरुआत जरूर करेंगे लेकिन शेखर को उस की गलती का एहसास करवाने और उसे सबक सिखाने के बाद.’

‘ऐसी बात है तो‌ कहिए‌ मेरे लिए क्या हुक्म है,’ रोहित रत्ना के माथे को चूमते हुए बोला.

‘फिलहाल तो कुछ नहीं.’

‘फिर ठीक है, ‌जब भी ‌जरूरत पड़े तो याद कीजिएगा, बंदा हाजिर हो जाएगा.’

उस दिन के बाद से रोहित और रत्ना पहले से भी ज्यादा करीब आ गए और रोहित उस वक्त का इंतजार करने लगा जब रत्ना शेखर को छोड़ उस की बांहों में समा जाएगी.

22 मार्च‌, 2020, दिन रविवार. कोविड की वजह से पूरे देश में एक दिन का जनता कर्फ्यू लगा हुआ है. माननीय प्रधानमंत्रीजी ने आज शाम सभी देशवासियों को 5 बजे से 5 मिनट तक ताली, थाली, घंटी बजा कर ‌उन सभी लोगों को धन्यवाद देने को‌ कहा है जो दिनरात कोविड को हराने के लिए काम कर रहे हैं.

शेखर भी आज घर पर ही है और खुश भी लग रहा है. रत्ना पूरा‌‌ खाना‌ शेखर की ‌पंसद का‌ बना, नेट की साड़ी ‌पहन न्यूज देख रहे शेखर के एकदम‌ करीब सट कर जा बैठी. रत्ना को अपने ‌इतने पास आया देख शेखर वहां से जाने लगा. तभी रत्ना ने शेखर को अपनी ओर खींच लिया. रत्ना की खूबसूरती और ‌नेट की साड़ी से झांकते‌ उस के गोरे बदन के आगे शेखर ज्यादा देर टिक न सका. एक उन्माद सा ‌उठा और दोनों की गरम सांसें चर्मसीमा पर जा कर ही शीतल हुईं.

शाम के 5 बजने ही ‌वाले थे. शेखर के स्पर्श ने रत्ना को न‌ई तरंगों से भर दिया था. रत्ना अपने कपड़े ‌बदल हाल में पहुंची तो उस ने देखा शेखर ‌कहीं जाने की तैयारी में है. रत्ना‌ तमतमाती हुई बोली, ‘कहां जा‌ रहे‌ हो?’

‘तुम जानती हो…’

‘मतलब, तुम उस चुड़ैल के पास जा ‌रहे हो. मैं तुम्हें नहीं जाने दूंगी. तुम्हें आज ‌यह बताना ही होगा ‌कि उस‌ में ऐसा क्या है जो मुझ में नहीं?’

रत्ना‌ को धक्का दे कर शेखर जाने लगा, तभी रत्ना ने तैश में आ कर ड्रौअर में रखा पिस्टल निकाल लिया. रत्ना के हाथों में पिस्टल देख शेखर रत्ना से पिस्टल छीनने की कोशिश करने लगा और इसी छीनाझपटी में गोली चल गई व शेखर की मौत हो गई. रत्ना‌ घबरा गई. उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा कि वह क्या‌ करे. कभी‌ वह 108‌ पर फोन लगाने के ‌लिए मोबाइल उठा लेती तो कभी पुलिस को ‌फोन करने का मन बनाती है.

तकरीबन एक घंटे शेखर की ‌लाश के करीब बैठी रत्ना धुंआ फूंकती इस ऊहापोह में रही कि वह क्या करे? यदि किसी ने गोली चलने की आवाज़ सुन ली होगी तो…क्या होगा? उस की बेचैनी और घबराहट बढ़ने लगी. अचानक रत्ना को खयाल आया कि गोली चलने ‌की आवाज तो किसी ने भी न सुनी होगी क्योंकि उस‌ वक्त सभी 5 बजे थाली, ताली और शंखनाद करने में व्यस्त थे तो क्यों न लाश को ठिकाने लगा दिया जाए.

रत्ना कुछ सोच अपने सर्वेंट क्वाटर की ओर दौड़ी क्योंकि माली गार्डन में उपयोग होने वाले सारे सामान वहीं रखता है जिन में गड्ढे खोदने के लिए फावड़ा ‌भी है जो उस के काम आ‌ सकता है ‌और वह अपने गार्डन में ही शेखर को दफ़ना सकती है. नौकर बीजू छुट्टी ले कर अपने परिवार के ‌संग गांव गया हुआ है. रत्ना बीजू के कमरे में ‌पहुंच उस का सामान उलटपुलट करती हुई फावड़ा ढूंढने लगी. सारा कमरा बिखर गया, ‌तब जा कर फावड़ा मिला.

फावड़ा मिलते‌ ही रत्ना गार्डन में गड्ढा खोदने लगी. वह पसीने से लथपथ हो गई और उस की सांस फूलने लगी. ‌इतना‌ बड़ा गड्ढा खोदना उस के लिए मुमकिन न था. तभी उस के ज़ेहन में रोहित का ख़याल आया और उस ने फौरन रोहित को फोन पर सारे घटनाक्रम की सूचना ‌देते हुए मदद के लिए आने ‌को कहा. रोहित सारी‌ परिस्थिति को जाननेसमझने के ‌बाद‌ रत्ना को धैर्य रखने और 9 बजे के बाद कर्फ़्यू हटने के पश्चात आने को कह कर फोन रख दिया.

रत्ना‌ सारी रात धुआं उड़ाती, हाल में ‌चलहकदमी करती हुई ‌रोहित का इंतजार करती रही पर वह नहीं आया. क़रीब‌ 4:30 बजे डोरबैल बजी. रत्ना ने घबरा कर पी होल से झांका, तो सामने रोहित खड़ा था. ‌रत्ना ने फौरन दरवाजा खोल दिया. रोहित के अंदर आते ही रत्ना उस से लिपट गई. रत्ना को अपनी आगोश में पा रोहित उस के बदन की खुशबू से मदहोश होने लगा और देखते ही देखते दोनों एकदूजे में खो गए. जब होश आया तब तक ‌सुबह के 5:30 बज‌ चुके थे.

रोहित जल्दी से ‌तैयार हो रत्ना को जगाते हुए बोला, “रत्नाजी, आई एम सौरी, मैं अपनेआप को रोक नहीं पाया, जल्दी तैयार हो‌ जाइए, हमें ‌निकलना होगा.”

रत्ना अपने कपड़े पहनती हुई बोली, “मैं अभी रेडी होती हूं पर हमें जाना कहां है?”

“सुबह ‌हो चुकी है, अब लाश को यहां गार्डन में दफ़नाना संभव नहीं. लाश का हमें कुछ और ही करना होगा. मैं ने सब सोच लिया. बस, आप जल्दी से ‌तैयार हो जाइए. मैं आप को रास्ते में ‌सब समझा‌ दूंगा. आप अपना मोबाइल घर पर ही छोड़ दो और शेखर का मोबाइल रखना मत भूलना.”

रत्ना ने आश्चर्य से कहा, “ऐसा क्यों, तो…”

“ताकि कभी भी इंक्वायरी हो तो आप की लोकेशन घर पर ही मिले.”

सारी तैयारियों के बाद जब रत्ना कार में बैठने लगी, पड़ोस की चंद्रा जो अपने लौन में मौर्निंग वाक कर रही ‌थी, रोहित की‌ ओर मुसकरा कर देखती हुई बोली, “क्यों रत्ना, कहीं बाहर जा रही हो क्या? भाईसाहब नहीं हैं घर पर?”

रत्ना कार में बैठती हुई ‌बोली, “शेखर बाहर ग‌ए हुए हैं, कल जनता कर्फ्यू की वजह से वे घर नहीं ‌आ पाए.”

रत्ना के कार में बैठते ही रोहित कार दौड़ाने लगा. लेकिन यह क्या… शहर के चप्पेचप्पे पर पुलिस का पहरा. हर आने‌जाने वाले को रोक पुलिस पूछताछ कर रही है. किसी तरह यदि दोनों एक चौक चौराहे से बच भी निकले‌ तो शहर से बाहर निकलना सभंव नहीं. तभी सहसा पुलिस के एक जत्थे ने उन्हें चौराहे पर रोक लिया और घर से बाहर निकलने का कारण पूछने लगे. पुलिसकर्मियों को देख रत्ना के पसीने छूटने लगे और उस का गला सूख गया. रोहित लड़खड़ाती ज़बान से बोला, “सर, इन के पति की तबीयत खराब हो गई है, हम अस्पताल जा रहे है.” अस्पताल के नाम से पुलिस ने उन्हें आगे जाने की अनुमति दे दी.

कुछ दूर निकलते ही रत्ना तुनक कर बोली, “क्या जरूरत थी तुम्हें यह कहने की कि इन के पति की तबीयत खराब हो गई है?”

“तो क्या कहता, इन्होंने‌ अपने पति का खून कर दिया है और हम लाश ठिकाने लगाने निकले हैं या यह कहता कि हम घर से बाहर धारा 144 का मज़ा लेने निकले हैं?”

“बकवास बंद करो, मैं ने कहा न, मैं ने शेखर को नहीं मारा.”

“हां, हां, मुझे मालूम है तुम ने शेखर को नहीं‌ मारा. फिलहाल तुम्हारे पास कुछ रुपए हैं? जल्दीजल्दी में मैं अपना वालेट रखना भूल गया. हमें आगे हाईवे पर पैट्रोल भरवाना होगा और तुम अपना‌ मुंह बंद रखना.”

“तुम पैट्रोल भरवा कर नहीं ‌आ सकते थे और यह जल्दीजल्दी में क्या कह रहे हो. मेरे फ़ोन करने के पूरे 7 घंटे बाद तुम आए थे.”

“तो क्या करता, तुम्हारा फोन आते ही सिर के बल दौड़ा चला आता. क्या जरूरत थी तुम्हें पिस्टल निकालने की.”

“हां, मैं ने पिस्टल निकाला जरूर था, लेकिन मैं ने शेखर को जानबूझ कर नहीं मारा है रोहित. मेरा यकीन मानो और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है. तुम यह तो बताओगे की हम जा कहां रहे हैं?”

“अमरकंटक.”

“अमरकंटक,” रत्ना ने आश्चर्य से कहा.

“हां, क्योंकि अमरकंटक बिलासपुर से 110 किलोमीटर दूर है और छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा‌ से बाहर मध्य प्रदेश राज्य की सीमा में आता है. और दूसरी बात, अमरकंटक में इतनी ऊंचीऊंची घाटियां हैं, उन घाटियों से एक‌ बार किसी को‌ नीचे फेंक दिया जाए तो उस का‌ मिलना मुश्किल है. यदि लाश मिल भी गई तो मध्य प्रदेश राज्य की पुलिस उसे अपनी सीमा का केस समझ उस पर कार्यवाही करती रहेगी और उसे कोई सुराग‌ नहीं मिल पाएगा.”

शहर से बाहर निकलते ही रोहित ने रत्ना से कहा, “तुम शेखर के नंबर से अपने नंबर पर कौल करो.”

रत्ना ने फिर सवाल किया, “लेकिन क्यों?”

“इसलिए क्योंकि इस से यह सिद्ध हो जाएगा कि शेखर ने घर पहुंचने से पहले तुम्हें फोन किया था लेकिन काम में व्यस्त होने की वजह से तुम फोन नहीं उठा पाईं.”

यहां अमरकंटक में भी वही हाल था. हर चौक चौराहे पर पुलिस का पहरा. हर व्यक्ति पर पुलिस ‌की नज़र. यहां भी काम को अंजाम देना आसान न था. इधर शाम होने को थी, उधर रत्ना और रोहित शेखर की लाश लिए अमरकंटक की घाटियों में ‌भटक रहे थे. जिधर देखो, उधर पुलिस का जत्था गश्त लगाता घूम ‌रहा था.

अंधेरा होते और मौका पाते ही रत्ना और रोहित ने शेखर की लाश को घाटियों के नीचे फेंक दिया और शेखर के मोबाइल का सिम कार्ड तोड़ कर अमरकंटक के जलप्रपात दूधधारा में प्रवाहित कर दिया ताकि कभी भी वह सिम कार्ड ट्रेस न हो सके. उस के बाद दोनों शहर लौट आए. उस दिन के बाद से रोहित और रत्ना ने फिर कभी एकदूसरे से बात नहीं की, वही उन दोनों की आखिरी मुलाकात थी.

शेखर की मौत की वजह से रत्ना सदमे में चली गई थी. उस ने स्वयं को नशे में डुबो लिया था और वह लोगों से मिलना जुलना भी बंद कर चुकी थी.

अचानक रत्ना का मोबाइल बजा. नशे में धुत, डगमगाती हुई रत्ना ने फोन रिसीव किया. उधर रोहित था.

रोहित की आवाज सुनते ही रत्ना अधीर होते हुए बोली, “रोहित, अच्छा हुआ जो तुम ने मुझे फोन किया. देखो न, शेखर अब तक शोभना के पास से लौटा नहीं है और यह शोभना मुझ पर हंस रही है. तुम तो जानते हो न, रोहित, मैं शेखर से कितना प्यार करती हूं. शेखर मेरा फोन भी नहीं उठा‌ रहा.”

“पागल हो गई हो क्या, होश में तो हो, शेखर मर चुका है और उस की लाश तुम ने अपने हाथों से घाटियों से नीचे फेंका है,” कहते हुए रोहित ने फोन रख दिया.

नशे की हालत में यह रत्ना की कोरी कल्पना थी, न रोहित ने उसे फोन किया था, न शोभना उस पर हंस रही थी. हां, रत्ना शेखर के नंबर पर बारबार कौल अवश्य कर रही थी जिस फोन के सिम कार्ड को वह स्वयं अमरकंटक के जलप्रपात दूधधारा में फेंक आई थी.

रत्ना ने फिर सिगरेट सुलगाई, पैक बनाया और दोबारा म्यूजिक सिस्टम का वौल्यूम बढ़ा सोफे पर लेट गई.

‌ अमरकंटक से लौटने के बाद से रत्ना ने अपनेआप को घर में कैद कर लिया था. लौकडाउन का आज 10वां दिन था और घर पर अकेले रहते हुए रत्ना अपना मानसिक संतुलन खो चुकी थी.

पिछले 3 दिनों से मिसेज चंद्रा ने रत्ना को नहीं देखा, अकसर सुबह के वक्त जब मिसेज चंद्रा अपने लौन में मौर्निंग वाक कर रही होतीं, रत्ना उस वक्त अपने पौधों को पानी दिया करती. कहीं रत्ना की तबीयत खराब तो नहीं, यह जानने के लिए जब मिसेज चंद्रा, रत्ना के घर पहुंचीं तो दरवाजा अंदर से बंद था और घर से बहुत अजीब सी बदबू आ रही थी. मिसेज चंद्रा ने अनहोनी के भय से स्थानीय पुलिस को इस की सूचना दी.

पुलिस के आते ही जब दरवाजा खोला गया तो पूरा कमरा फैला हुआ था. जले हुए सिगरेट के पैकेट, शराब की बौटल्स, फलों के छिलके, चिप्स के पैकेट, बिस्कुट्स के रेपर और रत्ना सोफे पर मृत पड़ी थी. शायद इन 10 दिनों में रत्ना ने खाना ही नहीं बनाया और न ही खाया. रत्ना शायद यही सब खाती रही, अत्यधिक शराब पीने और नींद की अधिक गोलियां लेने की वजह से रत्ना की मौत हो चुकी थी और लास्ट कौल रत्ना ने शेखर को की थी जिस की वजह से पुलिस शेखर को तलाश कर रही थी.

एक महीने तक खोजबीन और तलाश करने के बाद भी शेखर का कोई सुराग न मिला और न ही उस का मोबाइल ट्रेस हो पाया. रत्ना मर चुकी थी, इसलिए पुलिस ने शेखर और रत्ना की फाइल बंद कर दी.

लालच: रंजीता के साथ आखिर क्या हुआ

रंजीता बहुत खूबसूरत तो नहीं थी, लेकिन बननेसंवरने में उसे बहुत दिलचस्पी थी. जब वह सजसंवर कर खुद को आईने में देखती, तो मुसकराने लगती. रंजीता अपनी असली उम्र से कम लगती थी. उसे घर के कामों में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी और वह बाजार में खरीदारी करने की शौकीन थी.

रंजीता को शेरोशायरी से लगाव था और वह अपनी शोखियों से महफिल लूट लेने का दम रखती थी. रंजीता का अपने पति रमेश से झगड़ा चल रहा था. इसी बीच उन के महल्ले का साबिर मुंबई से लौट आया था. वह चलता पुरजा था.

एक दिन मुशायरे में उन दोनों का आमनासामना हो गया. साबिर ने आदाब करते हुए कहा, ‘‘आप तो पहुंची हुई शायरा लगती हैं. आप मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में क्यों नहीं कोशिश करती हैं?’’ रंजीता पति रमेश की जलीकटी बातों से उकताई हुई थी. साबिर की बातों से जैसे जले पर रूई के फाहे सी ठंडक मिली. उस ने अपना भाव जाहिर करते हुए कहा, ‘‘साबिर, आप क्या मुझे बेवकूफ समझते हैं?’’

साबिर ने तुरंत अपना जाल बिछाया, ‘‘नहीं मैडम, मैं सच कह रहा हूं कि आप वाकई पहुंची हुई शायरा हैं.’’ रंजीता ने साबिर को अपने घर दिन के खाने पर बुला लिया. रात के खाने पर रमेश से झगड़ा हो सकता था.

खाने पर रंजीता व साबिर ने खूब खयालीपुलाव पकाए और योजना बनाई कि रंजीता अपनी जमापूंजी ले कर हफ्ते के आखिर में जा रही ट्रेन से मुंबई चलेगी. साबिर ने तो उस की जवान होती लड़की को भी साथ चलने के लिए कहा, पर रंजीता ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली थीं. बेटी को घर पर ही रख कर वह अपनी पक्की सहेली से बेटी से मिलते रहने की कह कर 50 हजार रुपए ले कर चल दी.

रंजीता जब गाड़ी में बैठी, तो उस का दिल धकधक कर रहा था. पर वह मन में नए मनसूबे बनाती जा रही थी. इन्हीं सब बातों को याद करती हुई वह मुंबई पहुंच गई. साबिर ने उसे वेटिंग रूम में ही तैयार होने को कहा और फोन पर किसी से मिलने की मुहलत मांगी.

रंजीता का चेहरा बुझ सा गया था. वह नए शहर में गुमसुम हो गई थी. साबिर ने उस से कहा, ‘‘चलो, कहीं होटल में कुछ खा लेते हैं.’’

कुछ देर में वे दोनों एक महंगे रैस्टोरैंट में थे. साबिर ने उस से पूछे बिना ही काफी महंगी डिश का और्डर किया. जब दोनों ने खाना खा लिया, तो साबिर ने यों जाहिर किया कि मानो उस का पर्स मिल नहीं रहा था. झक मार कर रंजीता ने ही वह भारी बिल अदा किया. रंजीता को घर की भी बेहद याद आ रही थी. घर से दूर आ कर वह महसूस कर रही थी कि पति के साए में वह कितनी बेफिक्र रहती थी.

अब साबिर व रंजीता एक टैक्सी से किसी सरजू के दफ्तर जा रहे थे. इस बार रंजीता ने खुद ही टैक्सी का भाड़ा दे दिया. उस ने साबिर को नौटंकी करने का चांस नहीं दिया. सरजू एक ऐक्टिंग इंस्टीट्यूट चलाता था. हालांकि वह खुद एक पिटा हुआ ऐक्टर था, पर मुंबई में ऐक्टिंग सिखाने का उस का धंधा सुपरहिट था.

सरजू के दफ्तर तक रंजीता को पहुंचा कर साबिर को जैसे कुछ याद आया. वह उठ खड़ा हुआ और ‘बस, अभी आता हूं’ कह कर बगैर रंजीता के जवाब का इंतजार किए चला गया. अब रंजीता और सरजू आमनेसामने बैठे थे. वह इधरउधर देखने की कोशिश करने लगी, जबकि सरजू उसे देख रहा था.

कुछ देर की खामोशी के बाद सरजू बोला, ‘‘लगता है कि आप थकी हुई हैं. आप ऐसा कीजिए कि रात तक नींद ले लीजिए.’’ सरजू की एक नौकरानी ने सोने का कमरा दिखा दिया. रंजीता सोई तो नहीं, पर वह उस कमरे में अपनी शायरी की किताब निकाल कर पढ़ने लगी. कब आंख लग गई, उसे पता ही नहीं चला.

सुबह जब संगीता को होश आया, तो उस ने खुद को पुलिस से घिरा पाया. एक खूबसूरत लड़की भी उस के पास खड़ी थी. पुलिस इंस्पैक्टर विनोद ने कहा, ‘‘लगता है कि आप होश में आ गई हैं.’’

रंजीता उठ बैठी. कपड़े टटोले. वह लड़की मुसकरा रही थी. इंस्पैक्टर विनोद ने उस लड़की को देख कर कहा, ‘‘थैंक्स समीरा मैडम, अब आप जा सकती हैं.’’

रंजीता भी उठ खड़ी हुई. इंस्पैक्टर विनोद ने कहा, ‘‘आप भी समीरा मैडम का शुक्रिया अदा कीजिए.’’ रंजीता कुछ नहीं समझी. तब इंस्पैक्टर विनोद ने बताया, ‘‘आप को साबिर ने सरजू को बेच दिया था. यह शख्स ऐटिंक्ग इंस्टीट्यूट की आड़ में जिस्मफरोशी का धंधा चलाता है.

समीरा मैडम को इन्होंने इसी तरह से धोखा दे कर बेचा था, पर वे बार डांसर बन कर आज आप जैसी धोखे की शिकार औरतों को बचाने की मुहिम चलाती हैं.’’ समीरा बोली, ‘‘और विनोदजी जैसे पुलिस इंस्पैक्टर मदद करें, तभी हम बच सकती हैं, वरना…’’

यह कहते हुए समीरा के आंसुओं ने सबकुछ कह दिया. तभी वह नौकरानी आ गई. समीरा ने उसे कुछ रुपए दिए और बताया कि इसी काम वाली ने उसे फोन कर के बताया था. शाम को रंजीता अपने शहर जा रही ट्रेन पर सवार हो गई. उस ने मन ही मन समीरा का शुक्रिया अदा किया और इस मायानगरी को अलविदा कह दिया.

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