दूध को अच्छी तरह उबाल कर ठंडा होने के लिए फ्रिज में रखें. फिर उस में केसर डालें. अब आइस ऐप्पल के छिलके उतार कर पकी प्यूरी तैयार करें. जब दूध ठंडा हो जाए तो इस में आइस ऐप्पल की प्यूरी डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. अब बचे आइस ऐप्पल के टुकड़ों को खीर में डालें और फिर केसर व बादाम के टुकड़ों से सजा कर सर्व करें.
– व्यंजन सहयोग : सेलिब्रिटी शैफ अजय चोपड़ा
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घर को साफ-सुथरा और चमकदार बनाए रखने के लिए हमें कई चीजों की जरूरत होती है और वैक्स पेपर उन्हीं में से एक है. वैक्स पेपर का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जा सकता है. पर क्या आपको इसे इस्तेमाल करने का सही तरीका पता है?
सबसे पहले तो ये जानना बहुत जरूरी है कि वैक्स पेपर का इस्तेमाल हम किन-किन चीजों को साफ करने के लिए कर सकते हैं. किचन में इसका इस्तेमाल खाने को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है. वहीं लोहे की चीजों को जंग से सुरक्षित रखने के लिए. इसके अलावा घर की तमाम चीजों को सुंदर और चमकदार बनाने के लिए भी आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
1. धातु के बर्तनों को चमकदार बनाए रखने के लिए वैक्स पेपर का इस्तेमाल किया जाता है. तांबे के बर्तनों को वैक्स पेपर से रगड़ देने पर इनके खराब होने की आशंका कम हो जाती है.
2. किचन की कैबिनेट को साफ करने के लिए भी वैक्स पेपर का इस्तेमाल किया जाता है. इससे कैबिनेट जल्दी गंदे नहीं होते
3. अगर आपके पास तेल डालने के लिए फनल नहीं है तो आप वैक्स पेपर को फनल के शेप में मोड़कर प्रयोग में ला सकते हैं.
4. माइक्रोवेव में खाना गर्म करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
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साबुन के एक मशहूर ब्रैंड का फेमस टीवी विज्ञापन है, जिस में कुछ बच्चे अपने पड़ोस की सफाई करने में जुटे होते हैं. ऐसे बहुत कम मौके देखने को मिलते हैं जब बच्चों को अपने आसपास की सफाई में जुटे देखा जाता है. असल जिंदगी में भी क्या हम ऐसा करते हैं? क्या वाकई धरती की सफाई के प्रति हम अपनी जिम्मेदारी समझते हैं? उसे निभाते हैं?
जिम्मेदार बनें
‘‘मम्मी, धरती से लोग उतना प्यार क्यों नहीं करते जितना उन्हें करना चाहिए?’’ यदि 5 साल का आप का बच्चा यह सवाल करे तो जवाब देना मुश्किल हो जाएगा. है न? हो सकता है कि आप के लिए यह तकलीफदेह भी हो. हमारी रोजमर्रा की जिंदगी आज इतनी तकलीफदेह हो चुकी है कि हम ने यह सोचना भी छोड़ दिया है कि हमारा भोजन और पानी आता कहां से है? धरती के नीचे उपलब्ध पानी के लगातार गिरते स्तर की हमें चिंता नहीं और भौतिक वेस्ट यानी ऐसे कबाड़ के कारण पैदा हो रहे खतरे को भी हम नजरअंदाज कर रहे हैं. हमारे खानपान और रहनसहन की बिगड़ती आदतों ने एक ऐसी सभ्यता को विकसित कर दिया है, जो आने वाले समय में वातावरण को और भी प्रभावित करेगा. जी हां, हम बात कर रहे हैं डिस्पोजेबल कल्चर की, यानि जानबूझ कर गैरजरूरी चीजों का इस्तेमाल. उदाहरण के तौर पर आजकल जंक फूड का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. हम व्यस्त जीवनशैली का बहाना बना कर खुद तो ये सब खा ही रहे हैं, बच्चों को भी इस तरह की चीजें खाना सिखा रहे हैं.
हमें यह समझना होगा कि जंक फूड बनाने के लिए भी प्राकृतिक संसाधनों का ही इस्तेमाल किया जाता है. अगर हम अपनी इस आदत में थोड़ा भी बदलाव ला सकें तो सेहत भी ठीक रहेगी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा. इस के बावजूद अभिभावक के तौर पर हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपनी जिंदगी को संतुलित करें, जैसे प्रकृति हमारे लिए करती है. अपने बच्चों का ध्यान कपड़े के बैग्स की ओर दिलाएं, जिस में आप ग्रौसरी का सामान रखती हैं. उन्हें समझाएं कि नैपकिंस, बैग्स, डायपर्स व अन्य जरूरी सामान आप कपड़े या पेपर के बैग्स में ही क्यों कैरी करती हैं? बच्चे के लिए यह जानना जरूरी है कि उन संसाधनों का इस्तेमाल ज्यादा करें, जिन को रिसाइकल किया जा सकता है. पृथ्वी की रक्षा करना हमारा फर्ज है.
खेलखेल में करें सचेत
बच्चे घर पर वीडियो गेम खेलना और बाहर जा कर चोरसिपाही, निंजा टर्टल्स खेलना पसंद करते हैं. उन्हें धरती की रक्षा की लड़ाई लड़ने को तैयार करें. उन्हें अपने पासपड़ोस का निंजा टर्टल बनाएं ताकि वे पेड़पौधों और आसपास के इलाकों पर नजर रख सकें. जब भी कोई जहांतहां गंदगी फैलाएगा, पेड़ काटेगा या अन्य किसी नियम का उल्लंघन करेगा, यह ‘लिटिल ग्रीन ब्रिगेड’ आप को उन के प्रति अलर्ट रखेगी. आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि वे इन सब बातों के प्रति कितने ज्यादा अलर्ट हैं. धीरेधीरे कब वे एक सीके्रट सोसायटी का हिस्सा बन जाएंगे और इस का हिस्सा बन कर खुश होंगे, आप को पता भी नहीं चल पाएगा.
उदाहरण बनें और लीड करें
यदि आप हमेशा रद्दी संभाल कर रखती हैं, तो आप के बच्चे भी ऐसा ही करेंगे और समय पर अपने क्लासमेट्स और पड़ोसियों के सामने वे यही उदाहरण पेश करेंगे. ऐसी कोई भी छोटी शुरुआत ही बाद में एक ट्रैंड स्थापित करती है.
जागरूक बनाएं
यकीनन, पर्यावरण को हराभरा बनाए रखना एक चुनौती से कम नहीं है. इस की रक्षा के लिए हम सभी को किसी न किसी तरह से संघर्ष करना पड़ता है. अत: जब आप संघर्षरत हों तो अपने बच्चों को इन चुनौतियों के बारे में बताएं. उन्हें अपने साथ जोड़ें. डिस्पोजेबल रिऐलिटीज को ले कर जागरूक करने का जरीया बच्चे हों, तो यकीन मानिए उन के साथ कोई आक्रामक भी नहीं होगा. साथ ही, लोगों को जागरूक करने की ओर बढ़ाए जाने वाले इन कदमों की गिनती भी होगी और तारीफ भी.
जीवन है महत्त्वपूर्ण
लगातार बढ़ रहे दोहन के कारण प्राकृतिक संसाधनों जैसे पानी, तेल इत्यादि में गिरावट आने लगी है. इस की रक्षा के लिए हमें स्वयं भी जागरूक होना पड़ेगा और बच्चों को भी जागरूक बनाना होगा. यह ऐसा ही है जैसे हम सब यह मानना चाह रहे हों कि हर जीवन कीमती है और पेड़पौधे व जानवर सभी हमारे दोस्तों या हमजोलियों की तरह हैं. इसलिए हमें उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए. इस का अर्थ है कि हमें धरती के अधिकारों को पहचानना होगा, उन्हें समझना होगा. यह पहचान हम से शुरू होते हुए हमारे बच्चों तक जाएगी. फिर देखिए, हमारे बच्चे सिर्फ किड्स नहीं, ग्रीन किड्स हो जाएंगे.
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मौनसून हो या समर शौर्ट्स हमेशा हौट नजर आते हैं. लेकिन परफैक्ट लुक के लिए जरूरी है सही शौर्ट्स का चुनाव. अपनी पर्सनैलिटी को ध्यान में रख कर कैसे चुनें परफैक्ट शौर्ट्स, आइए जानें फैशन डिजाइनर नेहा चोपड़ा से:
स्ट्रेट बौडी शेप
स्ट्रेट बौडी शेप में कर्व्स बहुत कम होते हैं. अत: इन्हें ऐसे शौर्ट्स पहनने चाहिए जिन से इन के लोअर बौडी पार्ट को हैवी लुक मिले. मसलन:
– बलून शेप (बबल) शौर्ट्स इन के लिए आइडियल हैं. इन से लोअर बौडी पार्ट को हैवी लुक मिलेगा.
– फ्रंट पौकेट, प्लीट्स, नौट या बैल्ट वाले शौर्ट्स भी परफैक्ट साबित हो सकते हैं.
– डिफरैंट प्रिंट और टैक्स्चर वाले शौर्ट्स भी ट्राई कर सकती हैं.
– शौर्ट्स के साथ औफ शोल्डर, बोटनैक, वाइट वी या यू नैक वाला टौप पहनें.
– कमर की ओर बैल्ट, नौट, चेन जैसी ऐक्सैसरीज पहनें ताकि लोअर बौडी पार्ट को हैवी लुक मिले.
पेअर बौडी शेप
ऐसी महिलाओं का लोअर बौडी पार्ट अपर बौडी पार्ट से ज्यादा हैवी होता है. साथ ही इन के हिप्स और थाइज भी काफी मोटी नजर आती हैं, इसलिए इन्हें:
– हाई वेस्ट या स्लिम फिटेड शौर्ट्स पहनने चाहिए ताकि टांगे लंबी नजर आएं.
– ए लाइन शौर्ट्स भी पहन सकती हैं. यह हैवी थाइज को आसानी से कवर कर लेगा.
– थाइज ज्यादा ही हैवी हैं, तो शौर्ट शौर्ट्स पहनने से बचें. इस के बजाय मिड लैंथ शौर्ट्स पहनें.
– नौट्स वाले शौर्ट्स न पहनें.
– बौडी को बैलेंस्ड लुक देने के लिए शौर्ट्स के साथ लौंग टौप पहनें.
आर ग्लास बौडी शेप
अगर आप की बौडी शेप आर ग्लास है, तो आप की बस्ट लाइन और हिप्स एरिया दोनों हैवी होने से बौडी को बैलेंस्ड लुक मिलता है.
– आप हर तरह का शौर्ट्स पहन सकती हैं, मिड वेस्ट, हाई वेस्ट, लो वेस्ट आदि.
– अगर आप का पेट अंदर की ओर है तो शौर्ट्स के साथ क्रौप टौप पहनें. इस से हौट नजर आएंगी.
– अगर थाइज ज्यादा मोटी हैं तो मिड या नीलैंथ शौर्ट्स पहनें.
– शौर्ट्स के साथ हैवी या प्रिंटेड टौप पहनने के बजाय लाइट वेट टीशर्ट पहनें.
– अगर शौर्ट्स में बैल्ट लगाना चाहती हैं, तो स्किनी बैल्ट चुनें.
– सैक्सी लुक के लिए शौर्ट्स के साथ स्लीवलैस या स्पैगेटी टौप ट्राई करें.
ओवल बौडी शेप
इन का बस्ट लाइन से ले कर थाइज तक का पार्ट हैवी होता है, इसलिए इन्हें ऐसे शौर्ट्स खरीदने चाहिए, जो इन के हैवी लोअर बौडी पार्ट को मिनीमाइज करें.
– ये शौर्ट, मीडियम, लौंग जिस लैंथ का चाहें उस का शौर्ट्स पहन सकती हैं.
– प्रिंट, कलरफुल शौर्ट्स के बजाय क्लीन या प्लेन शौर्ट्स पहनें. इस से आप के लोअर बौडी पार्ट को स्लिम लुक मिलेगा.
– पौकेट, प्लीट्स, नौट वाले शौर्ट्स पहनने की भूल न करें. इस से लोअर बौडी पार्ट हैवी नजर आएगा.
– शौर्ट्स के साथ वीनैक लाइन वाला टौप पहनें.
ऐप्पल बौडी शेप
ऐप्पल बौडी शेप वाली महिलाओं का अपर बौडी पार्ट और टमी एरिया लोअर बौडी पार्ट से ज्यादा हैवी होता है. शौर्ट्स खरीदते वक्त इन्हें निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए:
– हाई वेस्ट के शौर्ट (कम लैंथ वाले) शौर्ट्स इन के लिए आइडियल साबित हो सकते हैं.
– शौर्ट्स के साथ मफिन टौप्स पहनें. इस से टमी एरिया आसानी से छिप जाएगा.
– बैक पौकेट शौर्ट्स भी इन के लिए बेहतरीन विकल्प हैं, लेकिन फिटेड शौर्ट्स या बैल्ट वाले शौर्ट्स पहनने की गलती न करें.
– शौर्ट्स के साथ लूज टौप पहनने से बचें.
शौर्ट हाईटेड महिलाओं के लिए शौर्ट्स
अकसर शौर्ट हाईटेड महिलाएं शौर्ट्स पहनने से बचती हैं. उन्हें लगता है शौर्ट्स पहन कर उन की हाइट और भी कम नजर आ सकती है, जबकि कुछ बातों को ध्यान में रख कर शौर्ट हाईटेड महिलाएं भी शौर्ट्स पहन सकती हैं.
– शौर्ट हाईटेड महिलाओं को शौर्ट्स कम लैंथ के पहनने चाहिए. इस से उन की टांगें लंबी नजर आती हैं.
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सवाल मैं कालेजगोइंग गर्ल हूं. मेरे बाल हलके हैं. मुझे उन्हें हैल्दी व लंबे करने का कोई घरेलू उपाय बताएं?
जवाब
बालों को स्वस्थ एवं लंबा करने के लिए नियमित उन की औयलिंग करें. औयलिंग के लिए आप नारियल या जैतून के तेल का प्रयोग कर सकती हैं. बालों पर कैमिकल ट्रीटमैंट कम से कम कराएं. ये ट्रीटमैंट्स बालों को कमजोर बनाते हैं. बालों को स्वस्थ रखने के लिए आंवला पाउडर व नीबू के रस को बराबर मात्रा में मिला कर पेस्ट बना कर उन पर लगाएं. पेस्ट सूखने पर उन्हें कुनकुने पानी से धो लें. इस के अतिरिक्त आप चाहें तो आलू के रस को भी बालों पर लगा सकती हैं. यह भी बालों को स्वस्थ व मुलायम बनाने में मदद करेगा. आलू के रस में विटामिन एबीसी होते हैं, जो बालों को नरिशमैंट देते हैं.
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हैल्दी हेयर अब गरमियों में भी, ये टिप्स आसान करेंगे आपका काम
गरमी के मौसम में तेज धूप आप के बालों को नुकसान पहुंचा सकती है. अत: आइए जानें कि इस सीजन में बालों को तेज धूप से होने वाले नुकसान से कैसे बचा सकते हैं:
स्कैल्प केयर
गरमी के मौसम में स्कैल्प यानी सिर की त्वचा की देखभाल करना बेहद जरूरी है. इस मौसम में सिर की त्वचा को साफ और नम बनाए रखें. इस से त्वचा संक्रमण से सुरक्षित रहती है. जिन्हें इस मौसम में बहुत ज्यादा पसीना आता है, उन्हें अपने बाल नियमित रूप से धोने चाहिए. यह भी ध्यान रहे कि पसीने के कारण सिर की त्वचा में धूलमिट्टी जमा न हो.
अपनी त्वचा की जरूरत के अनुसार माइल्ड शैंपू का इस्तेमाल करें, जिस में कैमिकल न हों. जरूरत से ज्यादा शैंपू करने से भी बालों से जरूरी तेल खत्म होने लगता है. इसलिए नियमित रूप से बालों में तेल भी लगाएं.
बालों को धोने के बाद अच्छा कंडीशनर इस्तेमाल करें. इस से बालों पर सुरक्षा की परत बनी रहती है, साथ ही कंडीशनर लगाने से बाल और स्कैल्प दोनों धूप में भी सुरक्षित रहते हैं. बाल ज्यादा ड्राई नहीं होते.
महिलाएं बाहर जाते समय बालों को स्कार्फ से ढक कर सुरक्षित रख सकती हैं. इस से सिर की त्वचा में पसीना नहीं आता. वैंटिलेशन भी ठीक बना रहता है और साथ ही बाल धूलमिट्टी से भी सुरक्षित रहते हैं. पुरुष अच्छी फिटिंग की टोपी पहन सकते हैं ताकि सिर की त्वचा को ज्यादा गरमी से बचाया जा सके.
हाइड्रेशन यानी नमी बनाए रखें
गरमी में पानी लगभग हर समस्या का इलाज है. यही बात बालों के लिए भी ठीक है. बालों की जड़ों को मजबूत बनाने, उन की चमक, मजबूती बनाए रखने के लिए पानी बेहद जरूरी है. सिर की त्वचा को भी स्वस्थ बनाए रखने के लिए बहुत सारा पानी चाहिए. पानी हाइड्रेशन बरकरार रखने का सब से अच्छा तरीका है. इस के अलावा नारियल पानी, खट्टे फल, फलों का रस, नीबू पानी, डीटौक्टस वाटर आदि भी हाइड्रेशन बनाए रखने के लिए बेहतरीन विकल्प हैं.
शौर्ट हेयर दें कूल लुक
कम से कम पुरुषों के लिए तो यह बहुत अच्छा आइडिया है. छोटे बाल इस मौसम में ठीक रहते हैं. वे महिलाएं जो बाल छोटे करना चाहती हैं, उन के लिए यह मौसम सब से अच्छा है. वे महिलाएं जो अपने बालों को छोटा नहीं करना चाहतीं, इस मौसम में चोटी बना कर रख सकती हैं.
कलरिंग से बचें
ज्यादातर डाई और हेयर कलर्स में कैमिकल्स होते हैं, जो गरमी के मौसम में बालों को बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं. जिन्होंने हाल ही में अपने बाल कलर करवाए हों, उन्हें अपने बालों की ज्यादा देखभाल करनी चाहिए. धूप में जाने से बचें.
खेलप्रेमियों के लिए
लोग इस मौसम में स्विमिंग, ट्रैकिंग आदि खूब पसंद करते हैं. कुछ लोग अपनेआप को फिट रखने और पसीना बहाने के लिए व्यायाम करते हैं, लेकिन इस के साथ बालों की देखभाल करना भी जरूरी है. स्विमिंग से पहले शैंपू न करें, क्योंकि इस से बालों का तेल निकल जाएगा और वे क्लोरीन के संपर्क में ज्यादा आएंगे. स्विमिंग के ठीक बाद शैंपू करें. कोई भी व्यायाम करते समय अपनेआप को हाइड्रेटेड रखें.
फूड फौर हैल्दी हेयर
ओमेगा 3 फैटी ऐसिड मैटाबोलिज्म बेहतर बनाने के साथसाथ स्कैल्प में सैल मैंब्रेन का निर्माण भी करता है. शरीर में इस की सही मात्रा बनाए रखने के लिए कद्दू, फिश व साबूत अनाज का सेवन करें.
बालों की सेहत के लिए जिंक भी महत्त्वपूर्ण है. योगर्ट व अंडे का सेवन इस की पूर्ति कर सकता है.
आयरन और विटामिन सी बालों को डल होने से बचाते हैं. औरेंज, बैरीज, पालक और टमाटर अपनी डाइट में शामिल करें.
– डा. आर के जोशी, सीनियर कंसल्टैंट (डर्मैटोलौजिस्ट), इंद्रप्रस्थ अपोलो हौस्पिटल
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कृति सेनन फिल्मों में आने से पहले इलैक्ट्रौनिक्स की छात्रा थीं. उन की बचपन से फिल्मों में आने की इच्छा थी, पर उन के परिवार वाले चाहते थे कि वे पहले पढ़ाई पूरी करें. कृति ने ऐसा ही किया. शिक्षा खत्म होते ही पहले मौडलिंग और फिर बौलीवुड की ओर रुख किया. लेकिन फिल्मों में उन्हें डेब्यू करने का मौका मनोवैज्ञानिक तेलुगु फिल्म ‘थ्रिलर’ से मिला.
इस के बाद उन की फिल्म आई ‘हीरोपंती’, जिस के लिए कृति को बैस्ट फीमेल डेब्यू अवार्ड मिला और फिर शुरू हुआ कृति का सफर. पहली फिल्म की सफलता के बाद कृति ने ‘दिलवाले’, ‘राबता’, ‘बरेली की बर्फी’, जैसी फिल्मों में काम किया. इन दिनों कृति फिल्म ‘अर्जुन पटियाला’ में काम कर रही हैं. कृति बचपन से काजोल और शाहरुख की फिल्में देखती आई हैं और उन के लिए फिल्म ‘दिलवाले’ में उन के साथ काम करना किसी सपने के पूरा होने जैसा था. वे कहती हैं, ‘‘इतने बड़े बैनर में निर्देशक रोहित शेट्टी के साथ काम करना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी.
मेरा अनुभव उस फिल्म में काम करने का एक परिवार की तरह था. लगता ही नहीं था कि मैं शूट कर रही हूं. ‘दिलवाले’ रिलीज से पहले मैं ने केवल एक फिल्म ‘हीरोपंती’ की थी, जिस में टाइगर श्रौफ और मैं दोनों ही नए थे. ‘‘ऐसे में हमारे दर्शकों की संख्या सीमित थी. ‘दिलवाले’ फिल्म के बाद मेरे दर्शकों की संख्या बहुत बढ़ गई है.
फिल्मी बैकग्राउंड से न होने पर आम जनता आप को जाने, आप के काम को पहचाने, यह बहुत जरूरी है, जिस के बल पर आप को आगे काम मिलता है.’’ खुद को प्रूव करना पड़ता है भाई भतीजावाद हर इंडस्ट्री में होता है, लेकिन इस से कृति को कोई फर्क नहीं पड़ता. वे कहती हैं, ‘‘इस से मौका पहले अवश्य मिलता है, पर बाद में प्रतिभा ही आगे आती है.
यह सही है कि इंडस्ट्री में रहने वाले लोगों का ध्यान पहले स्टार किड्स पर ही केंद्रित होता है. ऐसे में आउटसाइडर को अपनेआप को सिद्ध करने की जरूरत होती है.’’ कृति जब भी स्क्रिप्ट पढ़ती हैं, उसे फील करना चाहती हैं. हर स्क्रिप्ट को वे एक दर्शक के नजरिए से पढ़ती और देखती हैं, क्योंकि अगर कहानी उन्हें रोमांचित करेगी, तो फिल्म बनने के बाद भी सब को आकर्षित करेगी. इतना ही नहीं कृति हर फिल्म में अपना सौ प्रतिशत देती हैं.
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पायरिया दांतो में होने वाली एक गंभीर समस्या है. पायरिया दांतों में होने वाला एक ऐसा रोग है जो दांतों और मसूढ़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.अगर रोजाना इनकी ठीक से देखभाल और सफाई न की जाए तो भी इसका खतरा बढ़ सकता है.
पायरिया के कारण और उससे होने वाली समस्या
दरअसल, हमारे मुंह में तकरीबन 700 किस्म के बैक्टीरियां पाए जाते हैं, जो हमारे दांतो को स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं. लेकिन जब हम मुंह की सफाई ठीक तरह से नहीं करते तो यही बैक्टीरिया हमारे दांतों और मसूढ़ों को नुकसान पहुंचाने लगते हैं.
इस रोग में दांतों में तेज दर्द होने के साथ ही मसूढ़े भी कमजोर होने लगते हैं. इसके अलावा मसूढ़े खराब हो जाते हैं और उनमें से खून आने लगता है.
दांत कमजोर होकर हिलने लगते हैं तथा दो दांतों के बीच में गैप हो जाता है.
इसकी वजह से सांसों से बदबू भी आनी शुरू हो जाती है और दांतों की संवेदनशीलता बढ़ जाती है. गर्म और ज्यादा ठंडा पानी पीने पर दांतों की संवेदनशीलता बर्दाश्त नहीं होती.
पायरिया होने पर दांत कमजोर होकर गिरने का भी खतरा रहता है.
शरीर में कैल्शियम की कमी की वजह से भी पायरिया जैसा गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है. ऐसे में समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो ये गंभीर परेशानी खड़ी हो सकती है.
पायरिया के उपचार
मसूढ़ों से खून निकलने पर नींबू के रस का प्रयोग काफी फायदेमंद होता है. इससे खून का निकलना बंद हो जाता है. साथ ही इससे दांतों में मजबूती भी आती है.
पीपल की छाल या फिर उसके कोमल डंठल को पानी में डालकर उसका काढ़ा बनाकर पीने से भी पायरिया पूरी तरह से ठीक हो जाता है.
सरसो के तेल में थोड़ा सा नमक मिलाकर रोजाना सुबह और शाम मसूढ़ों पर मलने से भी पायरिया ठीक हो जाता है.
एक गिलास गुनगुने पानी में 5-6 बूंद लौंग का तेल मिलाकर प्रतिदिन गरारे और कुल्ला करने से भी पायरिया की समस्या काभी हद तक दूर हो जाती है.
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बौलीवुड में कब क्या होगा, कोई नही जानता. लोग कहते हैं कि बौलीवुड में चढ़ते सूरज को नमस्कार किया जाता है. पर यह पूर्ण सत्य नही है. फिल्म‘‘सत्या’’में कल्लू मामा का किरदार निभाकर अभिनेता सौरभ शुक्ला ने जबरदस्त शोहरत बटोरी थी. फिल्म भी सुपरहिट रही थी. इसके बाद सौरभ शुक्ला के पास फिल्मों की कतार लग जानी चाहिए थी. पर ऐसा नहीं हुआ था. पूरे छह माह तक सौरभ शुक्ला को एक भी फिल्म नहीं मिली थी.
ऐसा तमाम कलाकारों के साथ होता रहता है. पर इस तरह के संकट का सर्वाधिक सामना तो फिल्मों के लिए पार्श्वगायन करने वाले गायकों को करना पड़ता है. जी हां! यही कटु सत्य है. यही वजह है कि फिल्म‘‘रामलीलाः गोलियों की रासलीला’’ के गीत ‘‘राम चाहे लीला’’व ‘‘रईस’’के गीत‘‘उड़ी उड़ी जाए..’’ सहित कई सुपर हिट फिल्मों के सुपर हिट गीत गा चुकी गायिका भूमि त्रिवेदी ने पिछले छह वर्ष के दौरान सिर्फ पांच गाने ही गाए हैं. अब इससे जीवन तो जिया नही जा सकता. ऐेसे में जब गायक स्टेज शो का हिस्सा बनता है, तो उसे फिल्म में पार्श्वगायन से हाथ धोना पड़ता है. यानी कि गायकों को हमेशा दुधारी तलवार पर चलना पड़ता है. इन सारे मुद्दों पर गायक भूमि त्रिवेदी से हुई बातचीत इस प्रकार रही..
छह वर्ष में आपके पांच गाने ही आए. इस बीच आपने क्या किया?
आपने बहुत सही सवाल किया है. एक गाने के हिट होने के बाद भी दूसरा गाना जल्दी नहीं मिलता है. पर गायक भी इंसान है, उसे भी हर दिन खाना तो खाना ही है. अपना परिवार तो चलाना ही है. मेरा अपना परिवार नहीं है, मेरे माता पिता सक्षम हैं. पर जिनका अपना परिवार व बच्चे हैं, उनकी क्या हालत होती होगी? यही वजह है कि एक गीत के हिट होने पर जितने भी स्टेज शो में गाने के लिए गायक को आफर मिलता है, वह स्वीकार कर लेता है. स्टेज शो में व्यस्त होने पर कई बार उसके हाथ से किसी अच्छी फिल्म में गाने का अवसर भी चला जाता है. तो गायक हमेशा दो धारी तलवार पर चलता रहता है. वह अच्छी फिल्म में अच्छे गाने के इंतजार में स्टेज शो को छोड़े या न छोड़े, इस दुविधा के साथ वह जीता है.
स्टेज पर व्यस्त होने की वजह से आपको भी फिल्मों से हाथ धोना पड़ा होगा?
जी हां! मेरे साथ भी ऐसा हुआ है. स्टेज शो में व्यस्त होने के चलते मुझे कुछ अच्छी फिल्मों से हाथ धोना पड़ा. मैं अमरीका में स्टेज शो कर रही थी, उन्ही दिनों मुझे ‘‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’’और जुही चावल के अभिनय वाली फिल्म‘‘चांक एन डस्टर’’‘सहित कुछ बेहतरीन फिल्मों में बेहतरीन गीत गाने का आफर आया था, पर मैं इन फिल्मों के गीतों को गाने के लिए मौजूद नहीं थी. मैं सिर्फ स्टेज शो करती हूं, ऐसा भी नहीं है, मगर स्टेज शो और फिल्मों में पार्श्वगायन के बीच तालमेल बैठाना हम गायकों के लिए बहुत मुश्किल होता है.
यानी कि फिल्मों में पार्श्वगायन करने के लिए स्टेज शो से दूरी बनाए रखना चाहिए?
यही समस्या है. हम यदि स्टेज शो यह सोच कर नहीं लेते हैं कि हमें किसी अच्छी फिल्म में पार्श्वगायन करने का मौका मिल जाएगा, तो कई दिन, साल इंतजार करते हुए बीत सकते हैं और फिर भुखमरी के दिनों का सामना तक करना पड़ सकता है. यह कोई नहीं बता सकता कि किस गायक को कब किस फिल्म में पार्श्व गायन का अवसर मिलेगा? इसलिए भी स्टेज शो करना जरुरी होता है. दूसरी बात फिल्मों में पार्श्व गायन करना भी जरुरी है. क्योंकि फिल्म में जब हम गीत गाते हैं और फिल्म तथा फिल्म में स्वरबद्ध हमारा गीत लोकप्रिय होता है, तो उसी अनुपात में हमें स्टेज शो में गाने के लिए ज्यादा पैसे मिलते हैं.
एक इंसान को जब एक नौकरी मिल जाती है, तो जब तक वह खुद नौकरी नहीं छोड़ेगा, तब तक वह नौकरी दूसरे इंसान को नहीं मिलेगी. यानी कि जिसे नौकरी मिल जाती है, वह सुरक्षित हो जाता है. लेकिन हम गायकों के साथ ऐसा नही है. एक गाना हिट हो जाए, उसके बाद भी इस बात की गारंटी नहीं होती कि दूसरे गीत के पार्श्वगायन का अवसर कब मिलेगा. इसलिए हमारा संघर्ष लगातार जारी रहता है. हम पर कई तरह के दबाव होते हैं. कई तरह के तनाव होते हैं. हम स्टेज शो ले लेते हैं, तो भी तकलीफ, न लें, तो भी तकलीफ. हमें हमेशा स्टारडम के साथ साथ रिजेक्शन के लिए भी तैयार रहना पड़ता है.
बतौर गायिका आपका यादगार अनुभव?
मैंने फिल्म‘रईस’में एक गाना ‘उड़ी उड़ी जाए..’ गाया है, जिसके संगीतकार राम संपत व गीतकार जावेद अख्तर हैं. जब मैं इंडियन आइडल के लिए आडीशन देने गयी थी, तब मेरी ख्वाहिश थी कि जावेद अख्तर के सामने दो पंक्तियां गा दूं. पूरे दस साल बाद मुझे उन्ही का लिखा गीत गाने का अवसर मिला. दस साल कहां गए, पता ही नहीं चला.
आप अपना सबसे बड़ा आलोचक किसे मानती हैं?
जहां तक मेरे गानों को सुनकर प्रतिक्रिया देने का सवाल है, तो मुझे बाहरी आलोचकों की जरूरत ही नही है. क्योंकि मेरे घर के अंदर ही मेरे आलोचकों की कमी नहीं है. मेरी बड़ी बहन इंजीनियर और प्रशिक्षित भारत नाट्यम नृत्यांगना हैं. वह मेरी सबसे बड़ी आलोचक हैं. मेरे मम्मी पापा भी कमियों की तरफ इशारा करते हैं. गानों के हिट होने के बावजूद मैं हवा में नहीं उड रही हूं, बल्कि जमीन से जुड़ी हुई हूं. इसकी एक मात्र वजह मेरे मम्मी पापा हैं. वह मुझे हवा में उड़ने ही नहीं देते हैं. गाना हिट होने पर जब हर तरफ से तारीफें मिल रही होती है, तब भी बहन या पापा उसमें मेरी गलती ढूढ़कर जता देते है कि मुझे अभी मेहनत करनी पड़ेगी. तो इन आलोचनाओं से मैं स्ट्रांग होती रहती हूं. यदि इस तरह घर के आलोचक मेरे घर के अंदर ना होते, तो मैं अपनी गलतियों को इतनी जल्दी सुधार भी ना पाती. घर के बाहर के जो आलोचक हैं, वह किसी न किसी वजह से भी आलोचना कर सकते हैं. उनकी आलोचनाओं के पीछे कुछ वजहें भी हो सकती हैं. पर मेरी बहन या माता पिता की आलोचना का मकसद मुझे बेहतर गायक कलाकार बनाना होता है. देखिए, मेहनत का फल तो मिलता है. पर आपकी मेहनत सही दिशा में है या नही इसकी चेतावनी देने वाला भी तो कोई होना चाहिए. बाकी तो तकदीर भी कुछ अपना खेल करती है.
आप हिंदी काफी अच्छी बोलती हैं?
यह आपका बड़प्पन है कि आप ऐसा मानते हैं. पर हम अपनी मातृभाषा गुजराती के साथ साथ हिंदी बोलते हुए ही बडे़ हुए हैं. ऐसे में मेरे लिए हिंदी व गुजराती दोनों हमारी मातृभाषा हैं. अंग्रेजी भी हमने पढ़ी हैं. मैं सिर्फ गुजराती को अपनी मातृभाषा नहीं मानती हूं. मुंबई आने के बाद तो मैं ज्यादातर बातचीत हिंदी में ही करती हूं, सच कहूं तो गुजराती से ज्यादा अच्छी हिंदी हो गयी है. मैं तो लोगों को सुनते हुए बात करते हुए बहुत कुछ सीखती रहती हूं.
नई प्रतिभाओं से क्या कहना चाहेंगी?
मैं सबसे एक ही बात कहना चाहूंगी कि आप पूरी तैयारी के साथ यहां आएं. मेहनत के साथ अपने काम को करते रहें. इस बात पर ध्यान ना दें कि कौन क्या कह रहा है और क्या कर रहा है? क्योंकि यहां पर बहुत कुछ ऐसा होता रहता है, जो कि आपको हतोत्साहित करता है. आपकी कोशिश होनी चाहिए कि आप खुद को हतोत्साहित होने से बचाएं. सिर्फ अपने काम पर ध्यान दें. ईमानदारी से अपने काम को करेंगे, तो सफलता मिलेगी. मेहनत का कोई पर्याय नहीं होता. बौलीवुड में कई तरह की सिच्युएशन आएंगी. कई तरह की मुश्किलें आएंगी, जिसका सामना करने के लिए आपको हमेशा तैयार रहना चाहिए. आपका ध्यान सिर्फ अपने काम पर होना चाहिए. आपके साथ जिन्हें अच्छा करना है, वह अच्छा करेंगे, जिन्हें आपका बुरा करना है, वह बुरा करेंगे. आप अपने मकसद से ना डिगे. देखिए, समय लगेगा पर आप अपने मुकाम को हासिल कर सकते हैं. मैं हर किसी से यही कहना चाहूंगी कि आप हमेशा सकारात्मक सोच के साथ ही काम करें, अपने ऊपर नाकरात्मकता को हावी ना होने दें.
पर कुछ प्रतिभाएं बिना तैयारी के आ जाती हैं?
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. यदि वह सच्चा कलाकार है, तो एक दिन उसे खुद अहसास होगा कि अब मैं ट्रेनिंग कर लूं. अब मैं संगीत की रियाज पर ज्यादा समय दूं. उसे खुद ब खुद अहसास होगा कि मैं बिना मुकाम के इस मुकाम तक पहुंच गया है, पर यदि मुझे उससे ऊपर का मुकाम हासिल करना है, तो सीखना पड़ेगा. तैयारी करनी पड़ेगी. देखिए, कलाकार कोई ‘गूगल’ नहीं है. कलाकार या गायक को निरंतर मेहनत करते रहना होता है. अपने आपको ऊपर ले जाने के लिए कुछ न कुछ नया सीखना पड़ता है. कुछ लोग किसी गुरू के पास जाकर सीखते हैं, कुछ लोग दूसरों को आब्जर्व करके सीखते हैं. तो कुछ लोग दूसरों के गाए हुए गीत संगीत को सुनकर सीखते हैं. देखिए, कोई भी कलाकार सब कुछ सीखकर पैदा नहीं होता है. एक सच्चे कलाकार को खुद ब खुद समय समय पर अहसास होता रहता है कि अब उसे क्या सीखना चाहिए? फिर हमारे यहां तो कहा जाता है- ‘‘जब जागो, तब सवेरा.’’
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घने बादलों से घिरे हरेभरे जंगल व झीलों का सौंदर्य मेघालय की खूबसूरती में चारचांद लगा देते हैं. गंगटोक में सीढ़ीनुमा रास्ते से जब आप गुजरेंगे तो यहां की खूबसूरती को देख कर मन मुग्ध हो उठेगा.
अपने पुरातन इतिहास के साथ धीरेधीरे आधुनिकता को स्वीकारते भूटान आना शानदार अनुभव है. भारत की सीमा से जुड़े इस देश में जाने के लिए पासपोर्ट की जरूरत नहीं है.
मेघालय
जो कपल्स हनीमून जरा हट के मनाना चाहते हैं उन के लिए पूर्वोत्तर राज्य मेघालय का रुख करना बेहतर होगा. यहां का जनजातीय जीवन उन्हें सांस्कृतिक विविधता से भी रूबरू कराता है. मेघालय नाम से ही रूमानियत टपकती है. मेघालय यानी बादलों का घर. यहां की पहाडि़यों से न केवल आप बादलों को नजदीक से देख सकते हैं, बल्कि शिद्दत से महसूस भी कर सकते हैं.
आदिवासी बाहुल्य राज्य मेघालय भारत का स्कौटलैंड भी कहा जाता है क्योंकि यहां की खूबसूरत वादियां, बादलों से ढके पहाड़, झरने और हरेभरे जंगल मिल कर जो नजारा पेश करते हैं वह रूमानियत को और बढ़ा देता है. मेघालय की राजधानी शिलौंग शहर अंगरेजों के शासनकाल में महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र हुआ करता था. शिलौंग में जो 3 जातियां प्रमुखता से पाई जाती हैं वे हैं खासी, जयंति और मारो. ये तीनों जातियां देश की सब से पुरानी जनजातियां हैं.
मेघालय मातृसत्तात्मक व्यवस्था को मान्यता देता राज्य है. वहां घरों के छोटेबड़े फैसले महिलाएं लेती हैं. आप यह जान कर हैरान हो सकते हैं कि मेघालय में शादी के बाद दूल्हा दुलहन के घर जा कर रहता है.
शिलौंग में दर्शनीय स्थलों की भरमार है. इन में से एक प्रमुख शिलौंग पीक है जो शहर से 10 किलोमीटर दूर है. इस पीक की ऊंचाई 1,965 मीटर है, जहां से पूरा शहर दिखाई देता है. रात के समय यह पीक काफी मनोरम दिखाई देती है.
स्वीट फौल शिलौंग का दूसरा प्रमुख दर्शनीय स्थल है जहां पर्यटक दिनभर इत्मीनान से पिकनिक मनाते हैं. यहां के झरनों से 200 फुट नीचे तक पानी गिरता है.
ऊपरी शिलौंग में स्थित हाथी झरना, दरअसल, कई झरनों का समूह है इन से गिरते पानी का दृश्य काफी मनोहारी लगता है. शहर के बीचोंबीच स्थित वार्ड्स लेक शिलौंग की पहचान मानी जाती है. इस झील में कपल्स बोटिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं. यहां के बोटैनिकल गार्डन में तरहतरह की रंगबिरंगी चिडि़या देख मन प्रसन्न हो उठता है.
चेरापूंजी का नाम हर कोई जानता है कि यहां सब से ज्यादा बारिश होती है. यह शिलौंग से 60 किलोमीटर दूर स्थित है जहां सुबह जा कर शाम तक वापस लौटा जा सकता है. चेरापूंजी का नया नाम सोहरा है. यहां से बंगलादेश की सीमा लगी हुई है. सोहरा का एक अन्य आकर्षण देश का सब से ऊंचा झरना नोहकलिकाई है. लगभग 1 हजार फुट ऊंचे इस झरने से गिरता पानी हरे रंग का दिखाई पड़ता है.
इन के अतिरिक्त लेडी हैदरी पार्क, उमियान झील, क्रेम माम्लुह, क्रेम फिलुन, मावसिराय और सीजू भी दर्शनीय स्थल हैं. गुफाओं में घूमने का रोमांच हर कहीं नहीं मिलता.
कब जाएं : मेघालय सालभर कभी भी जा सकते हैं लेकिन बारिश के मौसम में जाने का लुत्फ ही कुछ और है.
कैसे जाएं : हवाईमार्ग से 128 किलोमीटर दूर गुवाहाटी एयरपोर्ट पर उतर कर
40 किलोमीटर सड़क के रास्ते शिलौंग पहुंचा जा सकता है. रेलमार्ग से जाने पर भी गुवाहाटी ही उतरना पड़ता है. यहां से सड़क के रास्ते शिलौंग जाना पड़ता है.
कहां ठहरें : शिलौंग में ठहरने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं हैं. होटल पोलो टावर्स, सैंटर पौइंट, त्रिपुरा केस्टल और पैराडाइज क्रौम यहां के प्रमुख होटल हैं.
क्या खरीदें : मेघालय के बेंत के बने आइटम्स काफी मशहूर हैं जो स्थानीय बाजारों में मिलते हैं, खासतौर से चटाइयां और बास्केट्स काफी आकर्षक व टिकाऊ होती हैं.
गंगटोक
पूर्वोत्तर का सब से साफसुथरा और अनुशासित शहर है गंगटोक. सिक्किम की राजधानी गंगटोक की बेमिसाल खूबसूरती को कोई चुनौती नहीं दी जा सकती. पूर्वी हिमालय शृंखला की पहाडि़यों के ऊपर 1,477 मीटर की ऊंचाई पर बसे गंगटोक जा कर ऐसा लगता है मानो किसी बौद्धनगरी में आ गए हों. बौद्ध धर्म का प्रभाव यहां कदमकदम पर दिखता है.
गंगटोक सालभर सैलानियों से भरा रहता है और कभीकभी तो इतनी भीड़ होती है कि यहां के होटलों में जगह ही नहीं मिलती. रानीपूल नदी के पश्चिम में स्थित इस खूबसूरत शहर से कंचनजंघा पर्वत की पूरी शृंखला दिखाई देती है.
बौद्ध मठों के अलावा यहां से 40 किलोमीटर दूर स्थित सोमगो झील पर्यटकों को सुधबुध खो देने की हद तक हैरान कर देती है. सोमगो झील चारों तरफ से बर्फीली पहाडि़यों से घिरी हुई है. 1 किलोमीटर लंबी और लगभग 15 मीटर गहरी इस झील में जाड़े में प्रवासी पक्षी आते हैं तो पर्यटकों को लगता है कि वे किसी दूसरी दुनिया में विचर रहे हैं.
शहर से 6 किलोमीटर दूर टाशीलिंग मूलतया एक बौद्ध मठ है जिस की विशेषता यह है कि इस के एक बरतन में रखा पानी 300 साल बाद भी सूखा नहीं है.
गंगटोक की साफसुथरी हवा में सांस लेने से ही शरीर में जान आ जाती है. हरीभरी पहाडि़यां, झूमते पेड़ और हरियाली के बीचोंबीच बैठ कर नए कपल्स खुद को काफी रिलैक्स और भावी जीवन के लिए यहां आ कर तैयार कर सकते हैं. इस शहर का मौसम सालभर सुहाना रहता है और शहर के मुख्य मार्ग एमजी रोड पर सैलानियों की भीड़ जब गंगटोक के सौंदर्य की चर्चा करती नजर आती है तो लगता है कि सही जगह आए हैं. राजकपूर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ में यहां के ही झरने दिखाए गए थे.
प्रकृतिप्रेमियों का स्वर्ग कहे जाने वाले गंगटोक के पूर्व में 10 किलोमीटर दूर नाथुला दर्रा 14,200 फुट की ऊंचाई पर है. टेढे़मेढे़ रास्तों से इस की धुंधभरी पहाडि़यों तक पहुंचना बेहद रोमांचक अनुभव होता है. चीन की सीमा को जोड़ते इस दर्रे के झरने और भी मोहक लगते हैं. नाथुला दर्रा सप्ताह में 4 दिन शनिवार, रविवार, बुधवार व गुरुवार को ही खुलता है. यहां जाने से पहले प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है.
बौद्ध मठों के इस शहर में खासी चहलपहल मुख्य एमजी मार्ग पर रहती है. खानेपीने के एक से बढ़ कर एक आइटम यहां मिलते हैं जिन का स्वाद भी अलग महसूस होता है. न्यू कपल्स को वक्त गुजारने के लिए शहर से 8 किलोमीटर दूर स्थित हिमालयन जूलौजिकल पार्क एक बेहतर जगह है जो 205 एकड़ में फैला हुआ है. इस पार्क में जंगली जानवर भी बहुतायत में हैं.
कब जाएं : गंगटोक सालभर जाया जा सकता है.
कैसे जाएं : हवाईमार्ग द्वारा सिलीगुड़ी स्थित बागडोगरा एयरपोर्ट पर उतर कर सड़क के रास्ते 124 किलोमीटर की यात्रा कर गंगटोक पहुंचा जा सकता है. रेल द्वारा न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पर उतर कर इतनी ही दूरी तय करना पड़ती है. यहां टैक्सियां उपलब्ध रहती हैं.
कहां ठहरें : गंगटोक में हर बजट के होटल मिल जाते हैं, हालांकि दूसरे शहरों के मुकाबले गंगटोक के होटल थोड़े महंगे हैं.
क्या खरीदें : यहां के भूटिया समुदाय द्वारा हाथ से बनाए गए ऊनी कपड़ों के अलावा स्थानीय लालबाजार में मिलते सिक्किमी मग यहां की पहचान हैं. तिब्बतियन कारपेट भी आकर्षक लगते हैं. अधिकांश पर्यटक गंगटोक के एकमात्र चाय बागान से और्गेनिक टी जरूर ले जाते हैं, जो दुनियाभर में मशहूर है.
भूटान
विदेश जा कर हनीमून मनाने की नवदंपतियों की इच्छा बहुत सस्ते में और आसानी से भूटान जा कर पूरी हो जाती है. देश की पूर्वोत्तर सीमा पर बसे भूटान देश की अपनी विशिष्टताएं हैं. भूटानी लोग अपनी संस्कृति व मान्यताओं के साथसाथ अनुशासन का भी सख्ती से पालन करते हैं. बौद्ध धर्म के प्रभाव वाले भूटान में आधुनिकता अभी दाखिल होनी शुरू हुर्ह है.
भूटान अद्भुत रूप से शांत देश है. यहां की जिंदगी की अपनी अलग रफ्तार है, जिस में शोरशराबे, रेलों, अव्यवस्थित बसावट व बेतरतीब बाजारों की कोई जगह नहीं है. भूटानी लोग हमेशा अपने परंपरागत परिधानों में नजर आते हैं. लगभग 10 लाख की आबादी वाले इस देश की आमदनी का बड़ा जरिया अब पर्यटन है.
पूरा भूटान पहाडि़यों, हरियाली, चाय बागानों, जंगलों, नदियों और झीलों से भरा पड़ा है. दुनिया के सब से छोटे देशों में शुमार भूटान तेजी से पर्यटकों की पसंद बन रहा है तो इस की वजह यहां की शांति के अलावा अब पर्यटकों से पहले सा परहेज न रहना भी है.
भूटान में दर्शनीय स्थलों की भरमार है हालांकि उन में से अधिकांश बौद्ध मठ ही हैं लेकिन कुदरती नजारों से नवाजे दर्शनीय स्थलों की भी यहां कमी नहीं जिन्हें अब तेजी से विकसित किया जा रहा है.
थिंपू वांगछू नदी के किनारे समुद्रतल से 2,400 मीटर की ऊंचाई पर बसा शहर है. थिंपू को 4 समानांतर सड़कें समेटे हुए हैं. इन्हीं सड़कों पर तमाम सरकारी इमारतें और होटल व रैस्टोरैंट हैं. बीचबीच में बागबगीचों की बसाहट है.
सिमटोक जोंग, मैमोरियल चोरटन, ताशीछोए जोंग चांग का लहाबांग, बुद्धा पौइंट और नेचर पार्क यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं. इस के अलावा द फौक हैरिटेज म्यूजियम और नैशनल टैक्सटाइल म्यूजियम में भूटान की रमणीय व शहरी दोनों संस्कृतियों की झलक देखने को मिल जाती है. क्राफ्ट बाजार में भूटानी हैंडीक्राफ्ट के सभी आइटम्स मिलते हैं. इस के अलावा राष्ट्रीय संग्रहालय और चिडि़याघर भी दर्शनीय हैं.
थिंपू से 77 किलोमीटर दूर बसे शहर पुनाखा में भी दर्शनीय स्थलों की भरमार है. पुनाखा के बाद पारो शहर जरूर जाना चाहिए, यहां भी दार्शनिक स्थल पर्यटकों को लुभाते हैं.
3-4 दिनों में पूरा भूटान घूमा जा सकता है. न्यू कपल्स के लिए भूटान बेहतरीन जगह है जहां रह कर हनीमून मनाना मानो प्रकृति और संस्कृति को साक्षी बनाना है.
कब जाएं : भूटान वर्षभर जाया जा सकता है.
कैसे जाएं : भूटान सड़कमार्ग व वायुमार्ग से भी जाया जा सकता है. अब कई नामी टूर ऐंड ट्रैवल्स एजेंसियां भूटान के लिए आकर्षक पैकेज देने लगी हैं.
ध्यान रखें : भारतीयों को भूटान जाने के लिए पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं होती है, लेकिन भूटान में दाखिले के लिए एक परमिट बनवाना पड़ता है जिस के लिए उन्हें 2 फोटो व पहचानपत्र, पासपोर्ट या राज्य वोटर आईडी पास रखना चाहिए. पूरे भूटान में भारतीय मुद्रा स्वीकार्य है.
कहां ठहरें : भूटान में ठहरने के लिए हर बजट के होटल उपलब्ध हैं. तीन और पांचसितारा होटल का किराया 3 से ले कर 5 हजार रुपया प्रतिदिन पड़ता है. अच्छे लक्जरी होटल 2 हजार रुपए प्रतिदिन की दर पर भी मिल जाते हैं.
क्या खरीदें : भूटान के कारीगरों द्वारा बनाए गए स्मृतिचिह्न पर्यटक बड़े शौक से खरीदते हैं. इस के अलावा हैंडीक्राफ्ट के आइटम्स भी स्थानीय बाजारों में मिल जाते हैं. भूटान की लेमन ग्रास टी सभी खरीदते हैं.
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