समर मेकअप : क्या लगाएं क्या नहीं, एक्सपर्ट से जानिए

हर मौसम में खूबसूरत दिखना महिलाओं की पहली तमन्ना होती है. इसीलिए वे मौसम के हिसाब से और खुद पर सूट करता हुआ मेकअप करना पसंद करती हैं. लेकिन जब बात गरमी के मौसम की हो तो चिलचिलाती धूप में टपकते पसीने की वजह से मेकअप को बचाए रखना सचमुच महिलाओं के लिए एक चुनौती होती है.

इस बाबत दिल्ली के ग्रेस ऐंड ग्लैमर सैलून की मेकअप आर्टिस्ट प्रिया कालरा कहती हैं, ‘‘जिस तरह मौसम के अनुसार फैशन ट्रैंड बदलता रहता है, ठीक उसी तरह हर सीजन में मेकअप भी बदल जाता है. अच्छा होगा आप गरमियों में सिंपल और हलका मेकअप ही करें. इस से मेकअप बारबार ठीक करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मेकअप त्वचा पर लंबे समय तक टिका रहे, इस के लिए कुछ खास मेकअप टिप्स फौलो करने होंगे.’’

तो आइए जानते हैं प्रिया से कुछ आसान व खास टिप्स जिन पर अमल कर आप इस हौट सीजन में भी कूलकूल नजर आएंगी.

मेकअप बेस

किसी भी तरह के मेकअप की शुरुआत मेकअप बेस से होती है इसलिए समर मेकअप के लिए भी पहले मेकअप बेस तैयार किया जाता है. गरमी के मौसम में फाउंडेशन लगाने से चेहरा थोड़ा हैवी दिख सकता है. अत: फाउंडेशन की जगह कंसीलर का प्रयोग करें. यह चेहरे के दागधब्बों को मिटाता है और बेदाग खूबसूरती को सामने लाता है. अगर सिंपल दिखना है, तो लिक्विड कंसीलर का प्रयोग करें. ध्यान रहे चेहरे पर कंसीलर किसी ठंडी जगह ही लगाएं. इस से मेकअप करते समय पसीना नहीं आएगा और कंसीलर सही तरह लग जाएगा.

कौंपैक्ट पाउडर

कंसीलर लगाने के बाद नाक, चिन और जौ लाइंस के आसपास की त्वचा पर डस्ट वाला कौंपैक्ट पाउडर लगाएं. कौंपैक्ट पाउडर लगाते समय त्वचा को हलका सा स्ट्रैच कर लें. इस से कौंपैक्ट पाउडर पूरे चेहरे पर अच्छी तरह लग जाएगा. ज्यादा कौंपैक्ट पाउडर के इस्तेमाल से बचें क्योंकि यह चेहरे के पोर्स को बंद कर देता है.

ब्लशऔन

गरमी के मौसम में पाउडरयुक्त ब्लशर का प्रयोग करें. ब्लशर लगाते समय अपनी स्किनटोन का ध्यान रखें. अपनी स्किनटोन के अनुसार गुलाबी या लाइट ब्राउन कलर का ब्लशर लगाएं. लाइट समर लुक के लिए मेकअप को बिलकुल सिंपल रखें. सिर्फ ऊपर के गालों पर ब्लशर लगाएं. चेहरे पर पाउडर वाला ब्लशर लगाएं. क्रीमयुक्त ब्लशर के प्रयोग से बचें, क्योंकि इसे लगाने से चेहरे पर जल्दी पसीना आता है.

लिपस्टिक

होंठों को लिपलाइनर से आकार दे कर मैट लिपस्टिक लगाएं. फिर इस के ऊपर लिप सीलर लगाएं. हलके और खिले हुए रंग इन दिनों काफी अच्छे लगेंगे, इसलिए न्यूड कलर ही पसंद करें. वैसे इस समर में नियौन कलर्स भी ट्रैंड में हैं. अत: आप अपनी ड्रैस से मैच करता हुआ कलर भी चुन सकती हैं. गरमी में होंठों से लिपस्टिक बहुत जल्दी उतर जाती है. अत: इसे देर तक टिकाए रखने के लिए आप होंठों पर प्राइमर प्रयोग कर सकती हैं. इस मौसम में लिपग्लौस न लगाएं, क्योंकि यह टिकाऊ नहीं होती है और फैल जाती हैं.

काजल

अगर आप मेकअप हलका कर रही हैं तो डार्क काजल के प्रयोग से बचें. खासकर दिन के समय हलका काजल ही लगाएं. अगर रात में किसी पार्टी या फंक्शन में जा रही हैं तो डार्क काजल लगा सकती हैं. अगर आप चाहती हैं कि आप का आईलाइनर व आईशैडो लंबे समय तक आंखों पर टिका रहे, तो इस के लिए आप वैक्सयुक्त आईशैडो प्राइमर यूज कर सकती हैं.

ध्यान रखें काजल लगाने से पहले आंखों के नीचे कौंपैक्ट पाउडर लगाएं, फिर काजल लगाएं, इस से काजल फैलेगा नहीं. आंखों में लिक्विड आईलाइनर का प्रयोग न करें. इस की जगह पैंसिल वाला आईलाइनर लगाएं.

यह भी रहे ध्यान

1. गरमी में मेकअप के लिए कौस्मैटिक लेते समय आप औयलबेस्ड मेकअप की जगह वाटरप्रूफ मेकअप का चयन करें.

2. इस सीजन में ब्राइट मेकअप की जगह लाइट मेकअप करें.

3. यदि आप की त्वचा बेदाग है तो बेवजह उस पर फाउंडेशन का प्रयोग न करें.

4. मेकअप की शुरुआत चेहरे व गले पर ऐस्ट्रिजैंट लोशन लगा कर करें. यह लोशन आप के चेहरे का अतिरिक्त तेल सोख लेगा.

5. इस मौसम में चेहरे पर अधिक मात्रा में पाउडर न लगाएं, क्योंकि ऐसा करने से चेहरे के रोमछिद्र पसीने के बहाव को ब्लौक कर सकते हैं.

6. पाउडर लगाने के बाद गीले स्पंज या पफ को हलके हाथ से चेहरे पर थपथपाएं. ऐसा करने से पाउडर लंबे समय तक चेहरे पर टिका रहेगा.

7. आंखों के आसपास अधिक मात्रा में पाउडर न लगाएं.

8. आईशैडो पैंसिल आई मेकअप का एक महत्त्वपूर्ण औजार है. ब्राउन या ग्रे कलर की आईशैडो पैंसिल आंखों के मेकअप को सौफ्ट और स्मोकी लुक देती हैं.

9. चिलचिलाती गरमी के इस मौसम में प्लेन लिपग्लौस ही लिप मेकअप के लिए काफी है या फिर लाइट कलर की लिपस्टिक लगा कर उस पर लिपग्लौस लगा सकती हैं.

10. इस मौसम में लिपस्टिक के डार्क शेड अवाइड करें.

11. गरमी में टी जोन में सब से ज्यादा पसीना आता है, इसलिए जरूरी है कि आप औयल सोखने वाले पैड यूज करें. इन्हें औयल औबर्र्ज्व पैड कहते हैं. इन के इस्तेमाल से चेहरा फ्रैश दिखेगा.

12. मेकअप उतारने के लिए अलकोहलफ्री मेकअप रिमूवर का प्रयोग करें.

सिर्फ 15 मिनट में घूम सकती हैं आप दुनिया के ये खूबसूरत शहर

आपको कहीं भी घूमने के लिए कितने दिनों की जरूरत होती है? किसी भी जगह पर ठीक से घूमने के लिए कम से कम एक दिन तो चाहिए, लेकिन इस बात से उलट दुनिया में कुछ शहर इतने छोटे हैं. जहां घूमने के लिए 15 मिनट काफी है. छोटा होने के साथ साथ ये जगह बेहद खूबसूरत और आकर्षक भी है, इन जगहों के छोटे होने का सहसे बड़ा फायदा यह होता है कि हर कुछ हमें हमारे आस पास ही मिल जाती है. किसी चीज की तलाश में हमें ज्यादा भटकना नहीं पड़ता. आप यहां भी घूम सकती हैं. आइए, जानते हैं ऐसे ही शहरों के बारे में.

यूरोप, वेटिकन सिटी

दुनिया के इस सबसे छोटे देश को ‘The Holy See’ के नाम से भी जाना जाता है. यूरोप के रोम इटली से घिरे इस देश में अपना वीकेंड स्पेंड करने के लिए टूरिस्ट दूर-दूर से आते है. 0.44 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले इस शहर की आबादी केवल 842 है.

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पश्चिमी यूरोप, मोनाको

पश्चिमी यूरोप में स्थित यह दुनिया का दूसरा सबसे छोटा देश है. फ्रांस और भूमध्य सागर से घिरे इस देश में घूमने के लिए कई बुटीक, नाइटक्लब, लिक्सी होटल और रेस्तरां हैं.

अमेरिका, सेंट जोन्स

कैरिबियन सागर और आंध्र महासागर के बीच में स्थित सेंट जोन्स भी दुनिया के सबसे छोटे देशों में गिना जाता है. पर्यटन के क्षेत्र पर अंतररष्ट्रीय स्तर में अपनी एक अलग पहचान वाले इस देश में घूमने के लिए खूबसूरत समुद्र तट, वर्षावन और रिसौर्ट हैं.

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औस्ट्रेलिया, नाउरू

औस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्व में माइक्रोनेशिया में स्थित इस छोटे से द्वीप पर भी घूमने के लिए कई टूरिस्ट आते हैं. यह तीसरे सबसे छोटा देश कोरल रीफ्स और सफेद रेतीले तटों से घिरा हुआ है.

कैरिबियाई सागर, ग्रेनाडा

कैरिबियाई सागर के दक्षिणी किनारे पर स्थित ग्रेनाडा देश 6 द्वीपों से मिलकर बना है. इसके बावजूद भी यह दुनिया के सबसे छोटे देशों में शामिल हैं. यहां पर घूमने के लिए खूबसूरत समुद्र के साथ-साथ जायफल बागानों का घर और कई खूबसूरत जगहें हैं.

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मालदीव

अपनी खूबसूरती के लिए दुनियाभर में मशहूर इस द्वीप पर घूमने के लिए हर साल पर्यटकों की भीड़ लगती है. कपल्स के लिए हनीमून डेस्टीनेशन के लिए मशहूर इस शहर को भी सबसे छोटा देश माना जाता है.

अफ्रीका, माल्टा

यह उत्तरी अफ्रीकी यूरोपीय महादीप का एक विकसित देश है, जहां हर साल कई टूरिस्ट आते हैं. 316 वर्ग क्षेत्रफल वाले इस देश में आप खूबसूरत समुद्र के साथ-साथ कई और जगहें देख सकती हैं.

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ज्वाइंट होम लोन लेकर बचा सकती हैं 7 लाख तक का टैक्स

आयकर की धारा 80सी और सेक्शन 24बी के अंतर्गत आप होम लोन की अदायगी पर कर छूट का भारी लाभ ले सकती हैं. होम लोन की अदायगी पर मूलधन में 1.50 लाख रुपए तक और ब्याज के हिस्से पर 2 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स छूट का प्रावधान है. साथ ही यदि आपका पार्टनर भी वर्किंग हैं और आपने ज्वाइंट होम लोन लिया है तो यह कर छूट 7 लाख रुपए तक हो सकती है. हम अपनी इस खबर में आपको इसी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं.

ऐसे समझिए कर छूट को

टैक्स एक्सपर्ट के मुताबिक 80 सी के अंतर्गत हम जीवन बीमा, पीपीएफ, ईएलएसएस जैसे तमाम निवेश विकल्पों में निवेश करके 1.50 लाख रुपए तक इनकम टैक्स बचा सकती हैं. साथ ही यह 1.50 लाख रुपए की सीमा होम लोन की अदायगी में मूलधन के हिस्से पर भी लागू होती है. उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति ने पूरे वित्त वर्ष के दौरान 2,00,000 रुपए का होम लोन चुकाया है. जिसमें 1.50 लाख मूलधन और 50 हजार ब्याज है.

ऐसी स्थिति में करदाता किसी अन्य विकल्प में निवेश न करके पूरी 1.50 लाख रुपए की छूट का दावा कर सकता है. मूलधन की तरह ही सेक्शन 24 बी के तहत कोई भी करदाता वित्त वर्ष के दौरान ब्याज की अदायगी पर 2 लाख रुपए तक की कर छूट ले सकता है.

ज्वाइंट होम लोन का कैसे मिलेगा लाभ

यदि आपने अपने पार्टनर के साथ ज्वाइंट होम लोन ले रखा है तो आप सालभर के दौरान 7 लाख रुपए तक की छूट का फायदा ले सकती हैं. सालभर के दौरान जितना भी होमलोन अदा किया गया है उसके मूलधन और ब्याज की राशि पर दोनों करदाता आधी राशि पर आयकर की छूट क्लेम कर सकती हैं. उदाहरण के तौर पर यदि सालभर के दौरान कुल 7 लाख रुपए का होम लोन चुकाया गया है, जिसमें 3 लाख मूलधन और 4 लाख ब्याज है. ऐसी स्थिति में दोनों करदाता 3.5 लाख रुपए तक की छूट क्लेम कर सकते हैं.

एग फ्रीजिंग कैंसर रोगियों के लिए वरदान

भारत में हर साल करीब 1.25 करोड़ लोग कैंसर से पीड़ित पाए जाते हैं. इन में 5,99,000 से अधिक महिलाएं होती हैं. आंकड़े दर्शाते हैं कि इन में से करीब 50 प्रतिशत कैंसर रोगियों की उम्र 50 वर्ष से कम होती है.

युवा कैंसर रोगियों की इस तेजी से बढ़ती संख्या से उन की प्रजनन क्षमता को संरक्षित रखने को ले कर चिंता व्यक्त की जाने लगी है. अब तक तो किसी कैंसर पीड़ित को ले कर चिकित्सकों का मुख्य फोकस इस पर होता था कि कैंसर कोशिकाओं को हटा कर किसी तरह से मरीज की जान बचाई जाए. प्रजनन और बच्चे पैदा करने की क्षमता आदि के बारे में कम ही ध्यान दिया जाता था. परंतु, प्रौद्योगिकी में सुधार और चिकित्सा में प्रगति होने के साथ अब मरीज की जान बचाने के अलावा यह भी देखा जाने लगा है कि इलाज के बाद उस व्यक्ति को संतानोत्पत्ति योग्य भी बनाया जाए.

कैंसर रोगी अब अकसर बचा लिए जाते हैं और चिकित्सकीय प्रगति इस बीमारी पर भारी पड़ने लगी है. ऐसे में कैंसर से बचाए जा चुके लोग अब संतानोत्पत्ति और पारिवारिक जीवन के बारे में सोच सकते हैं.

कैंसर और बांझपन का खतरा

 एक कैंसर रोगी के बांझपन का खतरा कैंसर के प्रकार और उसे दिए जा रहे विशेष उपचार पर निर्भर करता है. विभिन्न प्रकार के कैंसर और उन के उपचार, जैसे- कीमोथेरैपी, रेडिएशन थेरैपी, सर्जरी, टारगेटेड और जैविक (इम्यून) चिकित्सा, बोन मैरो या स्टेम सैल प्रत्यारोपण आदि गर्भधारण करने में रोगी की क्षमता को विभिन्न तरह से प्रभावित कर सकते हैं. ऊसाइट (प्रजनन में शामिल जर्म सैल) पर विषैले प्रभाव के कारण कीमोथेरैपी एक कैंसर रोगी की प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है.

रोगी की आयु, दवाओं की मात्रा और उन के प्रकार के आधार पर नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है. कीमोथेरैपी में प्रयोग होने वाली मेथोट्रेक्जेट जैसे एंटीमेटाबोलाइट्स से बांझपन का कम खतरा होता है, जबकि साइक्लोफौस्फेमाइड जैसे एल्काइलेटिंग एजेंटों से यह खतरा बढ़ जाता है. रेडिएशन थेरैपी से बांझपन का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन ओवरी ट्रांसपोजीशन जैसी विधियां सुरक्षित हैं, जिन में ओवरीज को सर्जरी के जरिए रेडिएशन वाले क्षेत्र से अस्थायी तौर पर हटा दिया जाता है. जोखिम को कम करने के लिए रेडिएशन शील्डिंग का प्रयोग किया जाता है. यदि प्रजनन अंग में कोई बदलाव न हुआ हो, तो कैंसर की सर्जरी में आमतौर पर बांझपन का खतरा कम ही रहता है.

स्तन कैंसर या अन्य किसी कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली हार्मोन थेरैपी एक महिला की बच्चे पैदा करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है. टेमहृक्सीफैन लेने वाली महिलाएं गर्भवती हो सकती हैं, लेकिन इस से शिशु में जन्मजात दोष हो सकते हैं, इसलिए इसे लेते समय प्रभावी बर्थ कंट्रोल का उपयोग करने की सलाह दी जाती है. अन्य हार्मोन चिकित्साएं अंडे बनने की प्रक्रिया को पूरी तरह से रोक सकती हैं क्योंकि ऐसी महिला रोगी को एक तरह से अस्थायी रजोनिवृत्ति या मेनोपौज की स्थिति में रखा जाता है. कुछ नए उपचारों के बांझपन संबंधी जोखिम अस्पष्ट रहते हैं. यह सच है कि कई टारगेटेड उपचार एंजाइमों को रोकते हैं, लेकिन उन सभी एंजाइमों की प्रतिक्रिया के बारे में अधिक जानकारी नहीं है.

क्या होती है एग फ्रीजिंग

युवा कैंसर रोगियों के लिए एग फ्रीजिंग तकनीक किसी वरदान से कम नहीं है, विशेषकर उन के लिए जो विवाह योग्य हैं. यह एक सामान्य तथ्य है कि कीमोथेरैपी, रेडिएशन थेरैपी और सर्जरी आदि के दौरान कैंसर पीड़ित स्त्रियों के डिंब या एग्स नष्ट हो जाते हैं जिस से प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. इसलिए, कैंसर की प्रकृति, इलाज की विधि, और संबंधित खतरों को ध्यान में रखते हुए एक युवा महिला रोगी को एग फ्रीजिंग की सलाह दी जा सकती है.

क्या है प्रक्रिया

 क्रायोप्रिजर्वेशन महिलाओं में प्रजनन क्षमता को बरकरार रखने की एक जांचीपरखी विधि है और इस में काफी हद तक सफलता मिल जाती है. यह ऐसे मरीजों के लिए लाभकारी विधि है जिन्होंने अभी अपने परिवार की योजना नहीं बनाई है, लेकिन आगे ऐसी इच्छा रखते हैं. इस प्रक्रिया में शुक्राणुओं के संपर्क से बचे परिपक्व एग्स को अलग कर शीतलन हेतु सुरक्षित कर लिया जाता है. इस प्रक्रिया को एग बैंकिंग भी कह सकते हैं.

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फ्रोजन एग को बाद में एक शुक्राणु से निषेचित करा कर उस महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जो शिशु को जन्म देने की इच्छुक है. हालांकि, कुछ मामलों में, जो कैंसर एस्ट्रोजन पर निर्भर हैं, इस विधि को विशेष सावधानी से प्रयोग में लाया जाता है, ताकि घूम रहा एस्ट्रोजन कैंसर को आगे न फैला दे.

उदाहरण के तौर पर, यदि एक 32 वर्षीया अविवाहित महिला को स्तन कैंसर है. उस की कीमोथेरैपी से पहले ही 18 अंडे फ्रीज किए हुए थे. वह 3 साल बाद वापस लौटती है और इस बार उस की शादी हो चुकी है. उस का गर्भाशय तैयार था, अंडे डीफ्रीज किए गए, और उस के पति से प्राप्त शुक्राणुओं का उपयोग कर के अंडों को निषेचित यानी फर्टिलाइज किया गया. इस प्रक्रिया को इंट्रोसिस्टोप्लाज्मिक स्पर्म इंजैक्शन (आईसीएसआई) कहते हैं. इस से 8 भ्रूण प्राप्त किए गए और 3 को उस महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया गया. अन्य भू्रणों को फ्रीज कर दिया गया. इस तरह से वह गर्भवती हो गई और अब उस के एक वर्ष का लड़का है. यदि वह दूसरे बच्चे के लिए फिर क्लिनिक आती है, तो फ्रीज किए गए बाकी भू्रण प्रयोग किए जा सकते हैं. यह किसी वैज्ञानिक उपलब्धि से कम नहीं है, जिस की सुविधा 5 वर्षों पहले तक हमारे देश में नहीं थी.

कैंसर के इलाज और रेडिएशन थेरैपी लेने के बाद किसी की प्रजनन क्षमता के बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. इसलिए, एग फ्रीजिंग तकनीक के सहारे, ठीक हो चुके ऐसे कैंसर रोगियों से संतानोत्पत्ति की अपेक्षा की जा सकती है जिन की प्रजनन क्षमता भले ही खत्म हो चुकी हो. यह तकनीक निश्चिततौर पर कैंसरपीड़ित युवा महिलाओं के लिए एक वरदान की तरह है.       –

(लेखक ब्लूम आईवीएफ ग्रुप के मैडिकल डायरैक्टर हैं.)

इस बार श्रद्धा कपूर नहीं बल्कि कैटरीना के साथ डांस करेंगे वरुण धवन

बौलीवुड एक्टर वरुण धवन इंडस्ट्री के ऐसे एक्टर हैं जिनकी आज तक रिलीज हुई सारी फिल्में सुपरहिट रही हैं. दर्शक केवल उनके लुक्स को ही नहीं बल्कि उनकी एक्टिंग को भी पसंद करते हैं. चाहे वह सीरीयस रोल निभाए या फिर कौमेडी हर तरह के किरदार में दर्शक उन्हें पसंद करते हैं. कुछ वक्त पहले वरुण सलमान खान की फिल्म ‘जुड़वा’ के सीक्वल में नजर आए थे.

इस फिल्म में वरुण की एक्टिंग ने दर्शकों को काफी हंसाया और अब वह जल्द ही सलमान खान की फेवरेट एक्ट्रेस कैटरीना कैफ के साथ भी फिल्म करने वाले हैं. माना जा रहा है कि यह फिल्म ‘एबीसीडी’ का सीक्वल है और इस बार वरुण श्रद्धा कपूर को छोड़ कैटरीना कैफ के साथ डांस करते हुए नजर आएंगे.

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दरअसल, रेमो डीसूजा के निर्देशन में बनी फिल्म ‘एबीसीडी 2’ के बाद अब वह ‘एबीसीडी’ के तीसरे पार्ट को बनाने की तैयारी कर रहे हैं और इस फिल्म में वरुण धवन लीड रोल में नजर आएंगे. फिल्म में उनका साथ इस बार कैटरीना कैफ देंगी. ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श के एक ट्वीट के मुताबिक इस बार फिल्म में वरुण के साथ कैटरीना नजर आएंगी. यहां आपको यह भी बता दें कि वरुण और कैटरीना की एक साथ यह फिल्म पहली फिल्म है.

बता दें, अब तक इस फिल्म का नाम तय नहीं हुआ है लेकिन फिल्म को सबसे बड़ी डांस फिल्म बताया जा रहा है. इस फिल्म को रेमो और भूषण कुमार द्वारा मिल कर बनाया जा रहा है. फिल्म में प्रभूदेवा भी नजर आएंगे. वहीं राघव जुयल, धर्मेश और पुल्कित पाठक भी इस फिल्म में नजर आएंगे. इस फिल्म को अगले साल नवंबर में रिलीज किया जाएगा. गौरतलब है कि इससे पहले रेमो ‘एबीसीडी’ और ‘एबीसीडी 2’ जैसी दो डांस फिल्मों का निर्माण कर चुके हैं और ये दोनों फिल्में बौक्स औफिस पर हिट रहीं थी.

एलो वेरा से पाएं बेदाग और निखरी त्वचा

हर महिला अपने चेहरे को सुंदर और बोदाग बनाए रखना चाहती हैं, जिसके लिए वह ना जाने कितनी ढेर सारी क्रीम्‍स और लोशन का प्रयोग करती हैं. लेकिन कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने का बावजूद भी उनके चेहरे पर दाग धब्बों का समस्या जस की तस बनी रहती है और कई बार तो उनका चेहरा और खराब हो जाता है. अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है तो आप इन सभी ब्यूटी प्रोडक्ट को छोड़ एलो वेरा जेल अपनाइये, क्योंकि एलो वेरा जेल एक ऐसी चीज है जो पूरी तरह से नेचुलर होने के साथ ही साथ हर तरह के चेहरे पर सूट भी करता है.

त्वचा की समस्या के लिए एलोवेरा जेल सबसे अच्छा होता है. इसकी ठंडक से मुंहासे और दाग ठीक होने लगते हैं. आज हम आपको एलो वेरा का ऐसा मास्‍क बनाना सिखाएंगे जो हर तरह की स्‍किन प्रौब्‍लम के लिये प्रयोग किया जा सकता है.

चेहरे के लिये स्‍क्रब बनाएं

चेहरे को स्‍क्रब करना काफी जरुरी होता है नहीं तो आपके चेहरे पर बिल्‍कुल भी ग्‍लो नहीं दिखेगा. आप चाहें तो स्‍किन के लिये स्‍क्रब खुद घर पर ही तैयार कर सकती हैं. यह स्‍क्रब हर तरह की स्‍किन टाइप को सूट करता है. इसके लिये आपको एलो वेरा जेल, दही और थोड़ा ब्राउन या फिर वाइट शुगर की आवश्‍यकता होगी. इन सभी चीजों को मिक्‍स कर के चेहरे पर लगा कर गोलाई में रगड़ें. एलो वेरा स्‍किन को नमी पहुंचाता है और गंदगी से निजात दिलाता है. वहीं दही से स्‍किन में चमक आती है क्‍योंकि इसमें लैक्‍टिक एसिड पाया जाता है. और शुगर से डेड स्‍किन हटती है. इस स्‍क्रब को हफ्ते में एक बार लगाएं.

मुंहासों के लिये

मुंहासो की सबसे बुरी बात यह होती है कि इनके दाग चेहरे पर लंबे समय तक टिके रहते हैं. मुंहासों को दूर करने के एलो वेरा जेल, थोड़ा सा जायफल पावडर और कुछ बूंद नींबू के रस की लें. इन सभी को मिला कर पेस्‍ट बनाएं और चेहरे पर लगा कर 10 मिनट रूक कर ठंडे पानी से धो लें. एलो वेरा जेल चेहरे पर पड़े मुंहासों को दूर कर उनके दाग को मिटाएगा.

रूखी त्‍वचा के लिये

त्‍वचा को नमी पहुंचाने के लिये एलो वेरा जेल काफी अच्‍छा होता है. आपको सिर्फ एलो वेरा जेल को औलिव औइल, शहद और बादाम तेल के साथ मिक्‍स करें. इसे चेहरे पर लगाएं और फिर आधे घंटे के बाद धो लें. यह आपके चेहरे को काफी लंबे समय तक मौइस्‍चराइज रखेगा और उम्र से पहले पड़ने वाली झुर्रियों को हटाएगा.

औइली स्‍किन के लिये

दही के साथ थोड़ा एलो वेरा जेल और टमाटर का रस मिलाइये और इस पेस्‍ट को चेहरे पर लगा कर हल्‍के हल्‍के मसाज कीजिये. इससे चेहरे का औइल निकलेगा और मुंहासों के निशान भी मिट जाएंगे. इस पेस्‍ट को चहरे पर 20 मिनट के लिये लगा छोड़ दें और फिर चेहरा धो लें.

संवेदनशील त्‍वचा के लिये

जिनकी स्‍किन संवेदनशील होती है, उनके चेहरे पर मुंहासे काफी जल्‍दी आते हैं और उनकी उम्र का भी जल्‍दी ही पता चलने लगता है. अगर आपकी त्वचा भी संवेदनशील है तो एलो वेरा और पपीते का पेस्‍ट बना कर लगाये, इसमें आपको काफी मदद मिलेगी. यह स्‍किन को हाइड्रेट करती है और एक्‍ने से बचाती है. इसके अलावा इससे चेहरे पर तुरंत ही ग्‍लो भी आता है.

तो माधुरी को मिली श्रीदेवी की ‘शिद्दत’

पिछले काफी दिनों से खबरें आ रहीं थी कि करन जौहर श्रीदेवी के साथ फिल्म बनाने वाले थे, लेकिन श्रीदेवी के आकस्मिक निधन के बाद खबर आई कि वह इस फिल्म के साथ नहीं जुड़ेंगे और यह फिल्म अब नहीं बनेगी. लेकिन अब एकबार फिर से बौलीवुड में इस फिल्म को बनाए जाने की खबर ताजा हो गई हैं और माधुरी दीक्षित ने इस फिल्म में श्रीदेवी की जगह ली है. इस बात की जानकारी श्रीदेवी की बेटी जान्हवी कपूर ने अपने इंस्टाग्राम एकाउंट पर दी है.

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दरअसल, डायरेक्टर अभिषेक वर्मन की अपकमिंग फिल्म ‘शिद्दत’ में पहले श्रीदेवी अहम रोल निभाने वाली थीं. लेकिन उनके निधन के बाद फिल्म को लेकर सवाल उठने लगे. ऐसे में माधुरी दीक्षित इस फिल्म का हिस्सा बनीं. इस बात से जाह्नवी काफी इमोशनल हो गईं और उन्होंने श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित की तस्वीर पोस्ट कर एक प्यारा सा मैसेज लिख डाला- “अभिषेक वर्मन की अगली फिल्म मेरी मां के दिल के बेहद करीब थी. पापा, खुशी और मैं माधुरी जी के शुक्रगुजार है कि वो अब इस खूबसूरत फिल्म का हिस्सा हैं.”

खबर ये भी है कि ‘शिद्दत’ में माधुरी दीक्षित के साथ संजय दत्त लीड रोल में दिख सकते हैं.  इस फिल्म में माधुरी दीक्षित और संजय दत्त के अलावा वरुण धवन, आलिया भट्ट, सोनाक्षी सिन्हा और आदित्य रौय कपूर भी अहम किरदारों में नजर आएंगे.

संजय दत्त के इन दिनों अपनी ऱिल्मों को लेकर काफी व्यस्त हैं. वे ‘साहेब बीवी और गैंगस्टर’ के तीसरे पार्ट में काम कर रहे हैं. ‘टोरबाज’ के अलावा वो ‘पानीपत’ में अहमदशाह अब्दाली बनकर भी आ रहे हैं. जबकि माधुरी दीक्षित फिलहाल एक मराठी फिल्म में काम कर रही है, और इसके बाद वे ‘टोटल धमाल’ में दिखेंगी. बता दें कि माधुरी दीक्षित और संजय दत्त की जोड़ी आखिरी बार ‘महानता (1997)’ में नजर आई थी. यानी 21 साल बाद माधुरी और संजय की जोड़ी बड़े पर्दे पर वापसी कर रही है.

कामकाजी महिलाओं के लिए बड़े काम के हैं ये ब्यूटी टिप्स

अक्सर ऐसा होता है कि घर और ऑफिस की जिम्मेदारी संभालने वाली औरतों के पास खुद के लिए बिल्कुल भी समय नहीं रह जाता. ऐसे में वो न तो अपनी सेहत का ध्यान रख पाती हैं और न ही अपनी खूबसूरती का.

अगर आप भी कामकाजी महिला हैं और आपके पास इतना वक्त नहीं होता है कि आप सप्ताह में या 15 दिन पर एकबार पार्लर जा सकें तो कम से कम इन छोटे-छोटे उपायों को अपनाकर आप अपनी त्वचा को बेहतर रख सकती हैं.

ये हैं वो आसान उपाय, जिनसे हमेशा खिली-खिली नजर आएगी आपकी त्वचा…

1. सोने से पहले अपने चेहरे को साफ करना बिल्कुल भी नहीं भूलें. रात को सोने से पहले नहाना एक अच्छी आदत है. इससे दिनभर की थकान तो दूर हो ही जाएगी साथ ही शरीर पर मौजूद कई तरह की गंदगी भी धुल जाएगी.

2. कोशि‍श करें कि इस मौसम में आप तुलसी या फिर नीम के सत्व वाला फेसवॉश ही प्रयोग में लाएं. इससे चेहरे की गंदगी तो साफ हो ही जाएगी, संक्रमण का खतरा भी कम हो जाएगा.

3. फेसवॉश से चेहरा धोने के बाद गुलाब जल से चेहरे को अच्छी तरह पोछें. इससे न केवल ताजगी मिलेगी बल्कि ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर बनेगा.

4. गर्मियों में मैट मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करना सबसे अच्छा होता है. घर से बाहर निकलने से पहले सनस्क्रीन जरूर लगाएं. अगर आपकी स्क‍िन ऑयली है तो आयल फ्री सनस्क्रीन भी बाजार में उपलब्ध हैं.

5. इस दौरान सप्ताह में दो से तीन बार फेशियल स्क्रब का इस्तेमाल जरूर करें. फेशियल स्क्रब के इस्तेमाल से डेड स्किन हट जाती है और त्वचा चमक उठती है.

6. इस मौसम में त्वचा को ज्यादा पोषण की जरूरत होती है. ऐसे में हर रोज किसी विटामिन के गुणों से भरपूर क्रीम से मसाज करें. इसके साथ ही सप्ताह में एक से दो बार फेस मास्क का इस्तेमाल जरूर करें.

बालों की देखभाल के लिए आप अपना सकती हैं ये टिप्स:

त्वचा के साथ ही बालों का भी खास ख्याल रखना होता है. हम जानते हैं कि आपके पास बालों को संभालने का समय नहीं है लेकिन इन आसान उपायों की मदद से आप अपने बालों को भी बेहतर बना सकती हैं.

1. वैसे तो आजकल लंबे बालों का ही चलन है लेकिन गर्मियों में बाल खुले रखना इतना आसान नहीं होता है. खुले बालों के डैमेज होने का खतरा भी बहुत अधि‍क होता है. ऐसे में बेहतर होगा कि आप या तो बालों को अच्छी तरह बांध लें या फिर जूड़ा बना लें.

2. बालों में कोई ऐसी स्टाइल न बनाएं जिसे दिनभर संभालने की जरूरत पड़े. बालों में बहुत अधि‍क क्ल‍िप और पिन लगाना सही नहीं है. इससे बालों को नुकसान पहुंच सकता है.

3. बालों में कम से कम केमिकल का इस्तेमाल करें. रसायनिक उत्पादों का बहुत अधि‍क इस्तेमाल बालों को नुकसान पहुंचा सकता है.

ऐसे बनाएं कौटन की नई चादरों को सौफ्ट

मुलायम और कोमल चादर पर सोने से पूरे दिन की थकान उतर जाती है लेकिन अक्सर कॉटन के नए कपड़े केमिकल के इस्तेमाल की वजह से बहुत कड़क और टाइट होते हैं. इसलिए इन्हें तुरंत इस्तेमाल करना थोड़ा तकलीफदेह साबित होता है.

अगर आप भी इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकाल पाएं हैं तो यहां बताए गए टिप्स की मदद एक बार जरूर लें.

1. नई चादर को पैकेट से निकालकर आधा बॉल्टी पानी में एक चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर भिगो दें. कुछ देर बाद इसे बिना डिर्जेंट के गुनगुने पानी से धो लें. चादर मुलायम हो जाएगी

2. ठंडे पानी में एक चम्मच सफेद सिरका मिलाकर उस पानी से चादर को धोएं.

3. अब इस चादर को पानी से निकालकर धूप में सुखाएं. ऐसा करने से फर्क जल्दी नजर आएगा.

4. जब ये सूख जाएं तो इन्हें एक फिर से डिर्जेंट से साफ करें और पानी नॉर्मल ही रखें.

5. अब इन्हें धूप में न सुखाकर कर वॉशिंग मशीन के ड्रॉयर में सुखाएं. आपकी नई चादरें एकदम मुलायम हो जाएंगी.

महिलाओं को अछूत बनाता धर्म

साल 2015 में केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के त्रावणकोर देवाश्वम बोर्ड के नवनिर्वाचित अध्यक्ष प्रयार गोपालकृष्णन ने मीडिया से बात करते हुए कथित तौर पर यह कहा था कि जब तक एअरपोर्ट पर हथियार चैक करने जैसी कोई स्कैन मशीन महिलाओं की पवित्रता जांचने के लिए उपलब्ध नहीं होती, तब तक महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित रहेगा. केरल के इस प्रसिद्ध तीर्थस्थल पर 10 से 50 साल की उम्र तक की महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. ऐसी मान्यता है कि मंदिर में प्रतिष्ठित देव अयप्पा ब्रह्मचारी थे. इसीलिए महिलाएं जिन्हें मासिकस्राव होता है, मंदिर में नहीं जा सकतीं.

बात गोपालकृष्णन की सोच तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दुनिया के सभी बड़े धर्म और क्षेत्रीय धर्म हमेशा से ही आदमियों को औरतों से बचने के निर्देश देते हैं. 7वीं सदी के कवि सेमुरीदास का कहना है कि यहूदी के लिए औरत सब से बड़ा पाप है और आदमी उस से इच्छा और आवश्यकता से जुड़ा है. 125 ई. पूर्व की मनु स्मृति कहती है कि मर्द को फुसलाना औरत की आदत है और समझदार आदमी कभी इस के साथ बिना सुरक्षा के नहीं रह सकता. इस संसार में औरतें केवल मूर्खों को ही नहीं, बड़े से बड़े विद्वान को भी इच्छा और आशा का गुलाम बना देती हैं.

बाइबिल में वर्णित आदम और ईव की कहानी किस ने नहीं सुनी. यह कहानी चमकता उदाहरण है, जिस में आदमी को औरत के संसर्ग से बचने को कहा गया है. हम जानते हैं कि ईव आदम के लिए बनाई गई थी. आदम का जन्म मिट्टी से हुआ और ईव का गंदगी से.

जब आदम ने ईव को दबाना चाहा तो वह चिल्ला पड़ी कि मैं भी मिट्टी से बनी हूं तो मैं नीचे क्यों लेटूं. तब लिलिथ शुरू हो गई और संसार की उत्पत्ति हुई. पश्चिम में लिलिथ को यौन संबंधों से नहीं, बल्कि मानव उत्पत्ति से जोड़ा गया है. प्रत्येक धर्म में औरत को गंदा और कामी माना गया है. इस का मुख्य श्रोत मासिकधर्म से जुड़ा है, जो केवल महिलाओं की यौन विशेषता है. अब तक के मानव इतिहास में आदमी औरत के मासिकधर्म को दया, घृणा और डर की नजर से देखता रहा है. धर्म ने तो औरत के खिलाफ और भी क्रूरता बरती है. कुछ पुराने धर्मग्रंथों में तो यहां तक कहा गया है कि मासिकधर्म के दौरान औरत का आदमी को छूना भी निषेध है. कुछ हिंदू धर्मग्रंथों में तो मासिकधर्म के दिनों में औरत को अपने बच्चों को देखने से भी मना किया गया है. इसलाम धर्म तो स्त्री को प्रदूषित (अपवित्र) तक मानता है. अन्य सभी धर्मग्रंथ भी मासिक के समय औरत को सब से अलग रखने की हिदायत देते हैं.

यौन इच्छाओं का दमन

राज्य चलाने और युद्धों से महिलाओं को हमेशा वंचित रखा गया. इस का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की यौन इच्छाओं को दबाना ही था, परंतु हम प्रकृति का नियम भूल जाते हैं कि प्रकृति समानता बनाए रखती है. इस प्रकार की बंदिशें उलटा असर डालती हैं. इस प्रकार से पृथ्वी पर जनसंख्या और व्यभिचार का बोलबाला होने लगता है. औरत जितनी समाज में पूजी जाती है उतना ही समाज उसे गिरी नजरों से देखता भी है. पश्चिमी सभ्यता के अनुसार औरत केवल चंचल है. संसार में और किसी बात पर इतना विरोध नहीं है जितना कि इस बात पर है कि एक व्यक्ति या समूह दूसरे व्यक्ति या समूह पर सैक्स या धर्म के आधार पर सब तरह से हावी होना चाहता है. इन मतभेदों का मूल कारण आदमी और औरत की यौन प्रवृत्ति ही है. अब तक के इतिहास में औरत की यौनेच्छा को किसी भी धर्म ने सम्मान नहीं दिया.

प्रताड़ना की शिकार क्यों

यह ठीक है कि भारत में कोई ईव या लिलिथ नहीं है, परंतु यहां भी औरत को मर्द के बाद ही स्थान दिया गया है तथा सदैव औरत को कमजोर सैक्स माना गया है. आज भी बेटियां भारत में अमान्य हैं. उन्हें बोझ समझा जाता है. कुछ समय पहले तक तो उन्हें जन्म के तुरंत बाद मौत के घाट उतार दिया जाता था. इन्हें मौत के घाट उतारने में बहुत ही वहशियाना तरीके इस्तेमाल किए जाते थे. लेकिन अब आधुनिक तकनीकों के आ जाने के कारण उन की भ्रूण हत्या कर दी जाती है और जो औरतें किसी कारणवश इस पुरुष वर्चस्व वाले संसार में जीवित रह जाती हैं उन्हें भी घृणा की दृष्टि से देखा जाता है तथा उन्हें विभिन्न तरीकों से प्रताडि़त किया जाता है. अपनी यौनता के कारण ही औरतें घर में, परिवार में, कार्यस्थल पर और गलियों में भी प्रताड़ना झेलती हैं.

एकतरफा सोच

घिसेपिटे विचार पुरुषत्व को ही ठीक लगते हैं, क्योंकि पुरुष अपना रुतबा बनाए रखना चाहते हैं. इस का प्रभाव औरतों पर ही नहीं पुरुषों पर भी पड़ता है. इस के परिणामस्वरूप औरतों का एक नया अवतार फिल्मी परदे व टीवी स्क्रीन पर दिखाई देता है. अब हेलन या कोंडू के डांस नहीं वरन अब हम ऐसी औरतों को देखते हैं, जो शांत, सख्त और बोल्ड भी हैं और नियंत्रित भी. वे अपनी जांघें दिखाती हैं और उरोजों को भी दर्शाती हैं. इस से पहले कि वे कुछ और कर पाएं पुरुष वर्ग इस का उत्तर ढूंढ़ लेता है. जैसेकि एक फिल्मी गाने के बोल हैं, ‘यह लड़की बड़ी मगरूर है, इसे अपनी जवानी पर गरूर है, हम इस का गरूर तोड़ेंगे, इस को कहीं का न छोड़ेंगे…’ यह गाना पुरुषों के एक समूह द्वारा गाया गया है, जिस में एक लड़की के प्रति पुरुषों के आक्रामक हावभाव दिखाए गए हैं.

ताकि कोई भेदभाव न हो

इस तरह के गानों तथा इसी प्रकार के कुछ धारावाहिकों से हम अपराधों को बढ़ावा दे रहे हैं, क्योंकि इलैक्ट्रौनिक या प्रिंट मीडिया में जो भी औरत हम देखते हैं वह अधिकतर पुरुषों के दृष्टिकोण से ही देखते हैं. इस समस्या का समाधान औरत को यौन आकर्षक बना कर दिखाना या पुरुषों के विरोध में खड़ा करना नहीं, बल्कि हमें अपनी फिल्मों में, धारावाहिकों में, इलैक्ट्रौनिक तथा प्रिंट मीडिया में औरतों के बारे में सत्य व सही दृष्टिकोण दिखाना चाहिए. औरतों को केवल देह के रूप में नहीं देखना चाहिए. उन की एक सही इमेज बनानी चाहिए ताकि पुरुषत्व व नारीत्व का दुरुपयोग न हो. यदि ऐसा हुआ तो समाज में औरत बन कर पैदा होना कोई दोष नहीं माना जाएगा.

इस की शुरुआत पटियाला से स्नातक कर रही 20 वर्षीय निकिता आजाद ने एक औनलाइन यूथ मंच से की है, जिस में उन्होंने महिलाओं के साथ हो रहे भेदभावों, इस से फैलने वाली भ्रांतियों और तमाम तरह की सामाजिक वर्जनाओं का विरोध किया है. इस में उन्होंने महिलाओं से इस तरह के सामाजिक टैबू को तोड़ कर सामने आने की बात भी कही है. साथ ही ‘हैपी टु ब्लीड’ लिखे सैनिटरी नैपकिन के साथ अपनी तसवीर पोस्ट करते हुए लोगों से इस तरह के पितृसत्तात्मक रवैए के खिलाफ खड़े होने की अपील की तो सोशल मीडिया पर ‘हैपी टु ब्लीड’ मुहिम को लोगों ने हाथोंहाथ लिया. इस से उम्मीद बंधती है कि समाज में काफी जाग्रति आई है.

– डा. प्रेमपाल सिंह वाल्यान

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