हनीमून डैस्टिनेशन जहां दिल मिलें रिश्ते खिलें

वैसे तो नवविवाहित जोड़े विवाह के बाद अपनी अलग दुनिया में मग्न होते हैं लेकिन इस के बावजूद दोनों को एकदूसरे को जानने, समझने का पूरा मौका मिलना चाहिए. इस के लिए जरूरी है हनीमून पर जाना. यों तो हनीमून डैस्टिनेशन के लिए कई जगहें हैं लेकिन हनीमून ट्रिप यादगार बन सकता है जब सही जगह और समय का चुनाव किया जाए. तो चलिए हम बताते हैं आप को कुछ खूबसूरत हनीमून डैस्टिनेशंस के बारे में जहां आपको अपने पार्टनर के साथ समय बिताने का अच्छा मौका मिलेगा.

म्मू

हनीमून प्लान करते वक्त जिस जगह का नाम जेहन में सब से पहले आता है वह जम्मू कश्मीर है. 90 के दशक तक की हिंदी फिल्मों का रोमांस जम्मूकश्मीर का मुहताज हुआ करता था. कभी फिल्मी सितारों से गुलजार रहने वाले जम्मूकश्मीर को क्यों धरती के स्वर्ग के खिताब से नवाजा गया है, यह वहीं जा कर महसूस किया जा सकता है.

जम्मू कश्मीर राज्य की शीतकालीन राजधानी जम्मू है. सालभर यहां देशीविदेशी पर्यटकों की आवाजाही बनी रहती है, जिन में बड़ी तादाद नवविवाहित जोड़ों की रहती है. यह मिथक अब टूट चुका है कि जम्मू गरमी में ही जाना चाहिए, अब तो कड़कड़ाती सर्दी में भी सैलानी जम्मू की सैर करने लगे हैं.

जम्मू शहर देश के दूसरे शहरों जैसा ही है जिस में सभी वर्गों के लोग रहते हैं और धर्मस्थलों की यहां भी भरमार है. लेकिन जब पर्यटक जम्मू शहर से बाहर निकलते हैं तो मानो खुद को एक नई दुनिया में पाते हैं. तवी नदी के किनारे बसे जम्मू के बाहर का प्राकृतिक सौंदर्य, खूबसूरत वादियां, ऊंचीऊंची पहाडि़यां और घाटियों के बीच से बहती झीलें बरबस ही मूड को रोमांटिक बना देती हैं. फूलों से सजी पगडंडियां देख लगता है कि फिल्मी परदे से निकल कर सामने आ खड़ी हुई हैं जिन के इर्दगिर्द की खामोशी प्यार की भाषा बोलती नजर आती है.

तवी नदी के किनारे एक पहाड़ी पर स्थित अमर महल म्यूजियम जम्मू के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है. कभी महल रहे इस म्यूजियम में शाही परिवार के चित्र व अन्य स्मृतिचिह्न संग्रहीत हैं. पहाड़ी चित्रकला से भी दर्शक यहां परिचित होते हैं और पुस्तकालय में रखी दुर्लभ पुस्तकें भी उन का ध्यान अपनी तरफ खींचती हैं.

डोगरा आर्ट गैलरी जम्मू का दूसरा दर्शनीय स्थल है. पहाड़ी कला और चित्रकला से संबंधित सामग्री इस आर्ट गैलरी में संग्रहीत है. बसोहली शैली के आभूषण भी अपनी अलग डिजाइनों के कारण पर्यटकों को भाते हैं.

शहर से 4 किलोमीटर दूर स्थित तवी नदी के किनारे की पहाड़ी पर स्थित बाहू किला जम्मू का सब से पुराना किला है. लगभग 3 हजार साल पहले राजा बाहुलोचन द्वारा बनवाए गए इस किले के नीचे बने बगीचे में प्रेमी युगल एकदूसरे की बांहों में बाहें डाले रोमांस करते नजर आते हैं. यहां से पूरा जम्मू शहर दिखता है.

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हनीमून मनाने आए कपल्स की पहली पसंद जम्मू की झीलें हुआ करती हैं. जम्मू से 65 किलोमीटर दूर स्थित मानसर झील एक रोमांटिक जगह है. यहां नौकायन की भी सुविधा है.

मानसर झील पर सुबह आ कर पूरा दिन गुजारा जा सकता है. यदि रात को रुकना चाहें तो यहां हट्स भी हैं और पर्यटन विभाग का बंगला भी है जिस की बुकिंग पहले करा लेना सुविधाजनक रहता है. मानसर झील के नजदीक ही सुरिनसर झील है जिस की प्राकृतिक दृश्यावली भी कम नहीं है.

कब जाएं : यों तो जम्मू साल में कभी भी जाया जा सकता है, लेकिन बरसात में यहां असुविधा होती है, इसलिए इस दौरान जम्मू नहीं जाना चाहिए.

कैसे जाएं : हवाईमार्ग द्वारा जम्मू जाया जा सकता है. प्रमुख एयरलाइंस की उड़ानें यहां के लिए उपलब्ध हैं. रेलमार्ग से जम्मू देश के सभी प्रमुख शहरों से सीधे जुड़ा है. सड़कमार्ग से दिल्ली व अमृतसर से जाया जा सकता है.

क्या खरीदें : जम्मू के बाजार आकर्षक हैं जहां से ड्राइफ्रूट और ऊनी कपड़े खरीदे जा सकते हैं. अधिकांश पर्यटक जम्मू का राजमा, बासमती चावल, चैरी, अखरोट और बादाम जरूर खरीदते हैं.

श्रीनगर जिस शहर की वजह से जम्मूकश्मीर दुनियाभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है वह शहर श्रीनगर है, जो जम्मू से 300 किलोमीटर दूर है. जम्मू से श्रीनगर अगर सड़क से जाएं तो समझ आता है कि प्रकृति किस तरह यहां मेहरबान रही है. ठंडी हवा, चारों तरफ बिछी हरियाली और खूबसूरत वादियों को देख कर लगता है कि काश, यहीं बस जाएं.

श्रीनगर को देख कर ही मुगल बादशाहों ने इसे जन्नत कहा था और इसे बनाने व सजानेसंवारने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी. मुगल शैली के बागबगीचों की तो यहां भरमार है. ऐतिहासिक महत्त्व वाले श्रीनगर में सभी जातियों और संस्कृतियों के लोग रहते हैं जिन की अपनी एक अलग कदकाठी, खूबसूरती और बातचीत का खास लहजा है.

हर दौर के कपल्स का हमेशा से ही एक सपना रहा है कि हनीमून श्रीनगर में मनाएंगे तो इस की वजह भी है. रोमांस के लिए जिस माहौल या आदर्श परिस्थितियों की जरूरत होती है वे श्रीनगर में सहज उपलब्ध हैं. यह कहना गलत नहीं है कि कश्मीर और श्रीनगर हर मौसम में अपना रंग बदलते हैं. फूलों से लदी पगडंडियां दुनिया में अगर कहीं दिखती हैं तो वह श्रीनगर है.

श्रीनगर में दर्शनीय स्थलों की भरमार है. झीलें और बागबगीचे यहां की जान और शान हैं जिन को देखने के लिए पर्यटक दौड़े चले आते हैं. समुद्रतल से 1,730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित श्रीनगर हर दौर में प्रकृतिप्रेमियों को लुभाता रहा है.

न्यू कपल्स को सब से ज्यादा यहां की झीलें लुभाती हैं. इन में से प्रसिद्ध डल झील शहर के बीचोंबीच स्थित है. अब इस झील का दायरा 28 वर्ग किलोमीटर से घट कर 12 किलोमीटर में सिमट कर रह गया है. पर इस का प्राकृतिक दृश्यावली पर कोई फर्क नहीं पड़ा है. डल झील पर कई द्वीप बने हुए हैं. न्यू कपल्स को सब से ज्यादा लुभाती हैं वहां की हाउसबोट जिन में जिंदगी का खास वक्त गुजारने का मजा ही कुछ और है. शिकारे पर बैठ कर झील की सैर करते पर्यटक अपनी सुधबुध खो बैठते हैं.

इस झील का ही एक हिस्सा नगीन झील के नाम से प्रसिद्ध है. इस झील की तुलना उंगली में हीरे की अंगूठी की तरह भी की जाती है. शहर से 8 किलोमीटर दूर इस झील की खूबसूरती बेजोड़ है जिस में अंगूठी के आकार के पेड़ों की भरमार है. नीले पानी वाली नगीन झील में तैराकी और वाटर स्कीइंग की सुविधा भी उपलब्ध है.

श्रीनगर कितना भी घूम लें, जी नहीं भरता. खूबसूरत बगीचों में बैठे और बतियाते कब वक्त गुजर जाता है, इस का पता ही नहीं चलता, यही यहां की विशेषता है कि पर्यटक अपनी तमाम परेशानियां और चिंताएं खुदबखुद भूल जाते हैं.

कब जाएं : श्रीनगर सालभर कभी भी जाया जा सकता है लेकिन ठंड के मौसम में यहां का तापमान शून्य से 2 डिगरी नीचे तक चला जाता है. श्रीनगर आते वक्त गरम कपड़े जरूर साथ लाने चाहिए.

कैसे जाएं : हवाईमार्ग से दिल्ली, चंडीगढ़, अमृतसर, मुंबई से सीधी उड़ानों द्वारा आयाजाया जा सकता है. रेलमार्ग से आने के लिए जम्मू उतर कर सड़क के रास्ते आना उचित रहता है.

कहां ठहरें : श्रीनगर में ठहरने के लिए हर बजट के होटल हैं. न्यू कपल्स आमतौर पर हाउसबोट्स में ठहरना पसंद करते हैं. जम्मूकश्मीर नगर निगम के कौटेज व बंगलों में भी ठहरा जा सकता है.

क्या खरीदें : कश्मीर के शौल सभी पर्यटक खरीदते हैं. इस के अलावा दूसरे ऊनी कपड़ों की भी खरीदारी श्रीनगर में की जा सकती है. यहां की सिल्क की साडि़यां भी प्रसिद्ध हैं. लकड़ी के आइटम भी खरीदे जा सकते हैं.

गुलमर्ग

खूबसूरती के जो नजारे जम्मू से शुरू होते हैं और श्रीनगर में नजर आते हैं वे वहां से 52 किलोमीटर और दूर आ कर गुलमर्ग में पूरे शबाब पर दिखते हैं. गुलमर्ग ऐसी जगह है जिस की तुलना किसी दूसरी जगह से नहीं की जा सकती. जो कपल्स अपने हनीमून को यादगार बनाना चाहते हैं उन के लिए गुलमर्ग वाकई आदर्श पर्यटन स्थल है. समुद्रतट से 2,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुलमर्ग एकदम शांत जगह है.

गुलमर्ग को 1927 के आसपास अंगरेजों ने बसाया था. यहां देश का सब से बड़़ा गोल्फ कोर्स है. अपने शाब्दिकअर्थ फूलों की वादी को चरितार्थ करते इस स्थल की बेशुमार खूबियां हैं. हरी घास मानो यहां बिछी ही रहती है और बर्फ से ढकी पहाडि़यां इस का अतिरिक्त आकर्षण हैं. बारामूला जिले की शान गुलमर्ग ढलान वाले मैदानों के लिए भी जाना जाता है.

सैकड़ों हिंदी फिल्मों की शूटिंग यहां हुई है. फिल्मकार हमेशा इस खूबसूरत जगह को कैमरे में कैद करने को बेताब रहे हैं. फिल्म ‘आप की कसम’ का मशहूर गाना ‘जयजय शिवशंकर कांटा लगे न कंकर…’ राजेश खन्ना और मुमताज पर गुलमर्ग में ही फिल्माया गया था. यहां सेब के बगीचे देखना एक अलग अनुभव है. गुलमर्ग की केसर भी दुनियाभर में मशहूर है. इस ठंडी जगह में जब सर्दी में बर्फबारी होती है तो नजारा वाकई देखने लायक होता है.

बर्फ के खेलों का आनंद लेते सैलानियों को देख कर लगता है कि जिंदगी अगर कहीं है तो बस यही है. स्कीइंग का लुत्फ उठाते न्यू कपल्स यहां हनीमून का सही मानो में आनंद लेते हैं.

गुलमर्ग बेहद साफसुथरा और व्यवस्थित कसबा है. कदमकदम पर फूल, ढलान और हरियाली पर्यटकों को जिंदगीभर याद रहते हैं. सड़क किनारे बनी दुकानों और होटलों पर अकसर भीड़ लगी दिखती है. रोपवे, जिसे स्थानीय भाषा में गंडोला कहा जाता है, से चारों तरफ का मनमोहक नजारा देख जम्मूकश्मीर देखना सार्थक हो जाता है.

खिलनमर्ग गुलमर्ग की फूलों की खूबसूरत घाटी है, जहां बैठ जाएं तो उठने का मन नहीं करता. चीड़ और देवदार के वनों से घिरी अलपायर झील भी रोमांटिक जगह है. निंगलीनगाह गुलमर्ग का प्रसिद्ध पिकनिक स्थल है. अलपायर झील पर घूमने का अलग ही आनंद है. इस झील का पानी जून के मध्य तक बर्फ की शक्ल में जमा रहता है.

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गुलमर्ग जाने के लिए सभी मौसम उपयुक्त हैं. नवंबर से ले कर अप्रैल तक यहां खूब बर्फबारी होती है, जिस का लुत्फ उठाने खासतौर से पर्यटक यहां आते हैं. आने के लिए पहले जम्मू, फिर श्रीनगर हो कर रास्ता तय करना पड़ता है. गुलमर्ग में ठहरने के लिए अच्छे होटल उपलब्ध हैं. जब भी गुलमर्ग आएं, गरम कपड़े जरूर साथ रखें और पर्यटन विभाग से मौसम की जानकारी ले कर ही आएं.

सोनमर्ग

रोमांस के लुत्फ के साथसाथ अगर रोमांच का भी शौक पूरा करना हो तो उस के लिए सोनमर्ग से बेहतर जगह शायद ही कोई और हो. श्रीनगर से 70 किलोमीटर दूर स्थित सोनमर्ग, नाम के मुताबिक, सोने का मैदान ही लगता है. फरवरीमार्च में इस जगह की खूबसूरती शबाब पर होती है. ट्रैकिंग के लिए लोकप्रिय सोनमर्ग में बर्फ जब गिरती है तो पूरी वादी सफेद नजर आती है. समुद्रतल से इस की ऊंचाई 2,740 मीटर है.

सोनमर्ग में झीलें भी हैं, पर्वत और दर्रे भी हैं. गटसर, कृष्णसर और गंगाबल झीलें इस के सौंदर्य में चारचांद लगाती हैं. सोनमर्ग से 15 किलोमीटर दूर स्थित गटसर झील बर्फ के पहाड़ों और अल्पाइन फूलों से घिरी हुई है. यह दृश्य देख कर पर्यटक जैसे दूसरी दुनिया में पहुंच जाते हैं. नए जोड़ों को यह जगह बहुत भाती और लुभाती है. कृष्णसर झील समुद्रतट से 3,801 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जिस में दर्रे से हो कर पहुंचा जाता है. यहां पर्यटक मछली पकड़ने का शौक पूरा करते देखे जा सकते हैं. सत्सर झील तक सोनमर्ग से पैदल जाया जा सकता है जो यहां एक और आकर्षण पर्यटकों के लिए है.

सोनमर्ग का एक और आकर्षण निलागर्द है जोकि एक पहाड़ी नदी है. इस नदी का पानी लाल रंग का है.

सोनमर्ग भी अब सालभर जाया जा सकता है. नवंबर से अप्रैल के बीच यहां खूब बर्फबारी होती है जिस का लुत्फ उठाने के लिए खासतौर से पर्यटक आते हैं. आने के लिए श्रीनगर हो कर ही सड़कमार्ग से आना पड़ता है. ठहरने के लिए यहां भी अच्छे होटल मौजूद हैं.

पहलगाम

अनंतनाग जिले का यह कसबा मूलतया एक हिल स्टेशन है जो श्रीनगर से 93 किलोमीटर दूर है. पहलगाम की खूबसूरती किसी सुबूत की मुहताज नहीं. यहां की प्राकृतिक सुंदरता का चित्रण कई फिल्मों में किया गया है. कई फिल्मी हस्तियां छुट्टियां मनाने पहलगाम ही आया करती हैं.

न्यू कपल्स के लिए पहलगाम अब हनीमून मनाने की पसंदीदा जगह बनती जा रही है. जम्मूकश्मीर के सब से खूबसूरत नगरों में शुमार पहलगाम में भी पहाडि़यों और झीलों की भरमार है. केसर की पैदावार के लिए मशहूर इस जगह में कहीं भी चले जाएं, एक खूबसूरत एहसास होता है.

हौर्स राइडिंग, स्कीइंग, ट्रेकिंग और गोल्फ के लिए मशहूर पहलगाम में बर्फबारी के दिनों में नजारा अद्भुत होता है. स्थानीय लोग काफी सीधे हैं और वे पर्यटकों का स्वागत करने को हर वक्त तैयार रहते हैं. समुद्रतल से 2,120 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस जगह पर ठहरने व खानेपीने की खासी सहूलियतें हैं.

सुबह उठ कर कहीं भी चल पड़ें, एक अद्भुत दृश्य पर्यटकों को हैरान करने को हर जगह मौजूद रहता है. घाटियां, हरियाली, फूल और झीलें यहां भी इफरात से हैं. आमतौर पर पर्यटक यहां खगार की सवारी से भ्रमण करना उपयुक्त समझते हैं. एकांत में शांति से कुछ दिन गुजारने के लिए पहलगाम से बेहतर जगह कोई है ही नहीं.

पर्यटक यहां ऊनी कपड़े और केसर खूब खरीदते हैं. पहलगाम में मोलभाव कर ही सामान खरीदना चाहिए. पहलगाम के लोगों की आमदनी का बड़ा जरिया पर्यटक ही हैं, लिहाजा, स्थानीय लोग अनापशनाप भाव बताते हैं. यहां जाने से पहले मौसम का हाल जरूर जान लेना चाहिए.

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दस सेकेंड में मिलने वाले लोन से रहे सावधान

अगर आपके पास नौकरी है और आप अपना घर या फिर कार लेने का विचार बना रहे हैं तो तमाम बैंक और फाइनेंस कंपनियां आपको बिना झंझट के लोन उपलब्ध करवाने के लिए तरह तरह के विकल्प की पेशकश करते हैं. ऐसे तमाम ई-मेल, मैसेज और फोन कौल्स अक्सर आपके पास आते होंगे. कुछ तो मात्र 10 सेकंड में आपको लोन दिलवाने का वादा करते हैं. लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि आपको इस तरह के किसी भी लोन के लिए आवेदन करने से पहले सोच-विचार कर लेना चाहिए.

क्या मानना है एक्सपर्ट का

फाइनेंशियल प्लानर्स का मानना है कि 10 सेकेंड लोन स्कीम में जोखिम बहुत ज्यादा होता है. यह असुरक्षित लोन होते हैं. इन्हें पर्सनल लोन के जैसे माना जा सकता है. इसके लिए बैंक आवेदक से आमतौर पर सैलरी स्लिप की ही मांग करता है.

चूंकी यह लोन महज 10 सेकेंड में मिलने का वादा करता है इसलिए अधिकांश लोग जल्दबाजी में आकर इस लोन को ले लेते है. जबकि किसी भी लोन के लिए एप्लाई करने से पहले आवेदक को यह सोचना चाहिए कि क्या उसे इल लोन की वास्तव में जरूरत है? क्योंकि अगर बिना जरूरत और फाइनेंशियल स्थिति को जांचे लोन लेने से आवेदक के सिबिल स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ता है. इसलिए अगर लोन आवेदक के लिए बहुत ही जरूरी है तो ही इसका चुनाव करें.

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पेपरलैस लोन

भारत में औनलाइन माध्यम से लोन का आवेदन करने का चलन बढ़ रहा है. इसमें ई-मेल के जरिए प्री अप्रूव्ड लोन भी लिये जा सकते हैं. साथ ही आवेदक बैंक की वेबसाइट या वित्तीय संस्थानों के माध्यम से लोन एप्लिकेशन भी फाइल कर सकते हैं. जानकारी के लिए बता दें कि अपनी लोन योग्यता जांचने और लोन हेतु आवेदन करने के लिए बैंक ब्रांच के चक्कर काटने की भी जरूरत नहीं होती है.

कैसे काम करती है 10 सेकेंड लोन अप्रूवल की प्रक्रिया

यह औप्शन डिजिटल बैंकिंग प्लेटफौर्म पर उपलब्ध है. लोन की राशि हर कस्टमर की पर्सनल प्रोफाइल, उनकी वित्तीय साख (क्रेडिट रिपोर्ट) पर निर्भर करती है. साथ ही आधार लिंकिंग के जरिए बैंक ग्राहक की केवाईसी भी एक्सेस कर सकता है.

पर्सनल लोन लेने के लिए मौजूदा बैंक ग्राहकों को औनलाइन माध्यम से अपने एकाउंट को लौग इन करना होगा. यह लौग इन नेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग के जरिए भी की जाती है. इसके बाद 10 सेकेंड पर्सनल लोन के लिंक पर क्लिक करें.

10 सेकेंड स्कीम के जरिए लोन के लिए करें अप्लाई

फिलहाल 10 सेकेंड लोन स्कीम के तहत बैंक के ग्राहकों के लिए पर्सनल लोन भी उपलब्ध है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि जल्द ही होम लोन और औटोमोबाइल लोन भी इसके तहत उपलब्ध कराया जाएगा.

क्या यह अच्छा विकल्प है?

डिजिटल इंस्टेंट लोन अप्रूवल लोन एप्लाई करने के परंपरागत तरीके को बदल जरूर देगा, लेकिन इसमें कई चुनौतियां भी हैं. अधिकांश लोन आवेदक की आय पर निर्भर करते हैं. ऐसे में बैंकों के लिए सेविंग एकाउंट में हुई ट्रांजेक्शन के आधार पर इंस्टैंट लोन अप्रूव करना एक चुनौती हो सकती है. इस आधार पर कई बार बैंक लोन को फिक्स्ड डिपौजिट खाते जोड़ देते हैं. या फिर सेविंग एकाउंट पर एनहैंस्ड मिनिमम बैलेंस जैसी सुरक्षा कैप लगा देते हैं.

10 सेकेंड लोन स्कीम लेने से पहले किन बातों का रखें ध्यान

अगर आपका बैंक क्विक लोन उपलब्ध करा रहा है तो आप इसे एक क्लिक में ले सकते हैं. लेकिन नेट बैंकिंग के लिए लौग इन करने से पहले स्कीम के तहत मिलने वाले लोन को परखें. इसके बाद यह सुनिश्चित करें कि आपके लिए लोन कितना जरूरी है और रिपेमेंट प्लान तैयार कर लें.

  • जानकारी के लिए बता दें कि पर्सनल लोन पर ऊंची ब्याज दरें लगती हैं. इसपर बैंकों को अच्छा प्रौफिट मिलता है.
  • किसी भी लोन के लिए साइन अप करने से पहले उससे जुड़े सर्विस चार्ज या हिडन चार्जेस का पता करें.
  • ऐसे में जब लोन की उपलब्धता आसान हो और उसमें डिजिटल माध्यमों का अधिकतम इस्तेमाल किया जा रहा हो तो आवेदकों के लिए पर्सनल लोन लेना आसान हो जाता है. लेकिन लोन की रिपेमेंट का दायित्व आवेदक पर ही रहता है.

मुझे प्रूव करते रहना पड़ेगा कि मैं एक अच्छी ऐक्ट्रेस हूं : आलिया भट्ट

फिल्म ‘संघर्ष’ में बाल कलाकार के रूप में काम करने वाली अभिनेत्री आलिया भट्ट ने फिल्म ‘स्टूडैंट औफ द ईयर’ से अपनी मजबूत मौजूदगी बौलीवुड में दर्ज कराई. फिल्म में उन की मासूमियत को दर्शकों ने खूब पसंद किया. युवाओं को तो यह फिल्म बहुत ही पसंद आई. टीनऐजर आलिया ने सब का दिल जीत लिया.

इस के बाद आई फिल्म ‘हाईवे’ में उन्होंने वीरा त्रिपाठी की प्रभावशाली भूमिका निभा कर आलोचकों का ध्यान आकर्षित किया. ‘उड़ता पंजाब’ भी उन की एक स्ट्रौंग फिल्म है, जिस में उन्होंने बिहारी नंदा की भूमिका निभा कर सब को चकित कर दिया. इस फिल्म के लिए उन्हें 2016 में बैस्ट ऐक्ट्रेस का अवार्ड मिल चुका है. इस के बाद ‘2 स्टेट्स’, ‘हंप्टी शर्मा की दुलहनिया’, ‘कपूर ऐंड संस’, ‘डियर जिंदगी’ आदि सभी में इतनी कम उम्र में अलगअलग और दमदार भूमिकाएं निभा कर आलिया आज बौलीवुड की पौपुलर ऐक्ट्रेस बन चुकी हैं.

आज उन्हें हर निर्माता निर्देशक अपनी फिल्म में लेना चाहता है. आलिया कहती हैं, ‘‘अभिनय एक कला है और इस में निहित व्यक्तित्व को अगर आप जान लें, तो अभिनय करना आसान हो जाता है. मैं ने हर किरदार को जीवंत करने के लिए काफी मेहनत की है. फिर चाहे वह ‘उड़ता पंजाब’ की बिहारी नंदा हो या ‘हाईवे’ की वीरा त्रिपाठी अथवा ‘डियर जिंदगी’ की कायरा, सब में मैं ने अपनी एक अलग पहचान बनाने की कोशिश की.’’

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क्या है सपना

अलिया को अपने पिता महेश भट्ट की फिल्म ‘दिल है कि मानता नहीं’ और ‘हम हैं राही प्यार के’ काफी पसंद हैं. वे अपने पिता की किसी रोमांटिक फिल्म में अभिनय करना चाहती हैं. वे कहती हैं, ‘‘मेरे पिता एक अच्छे लेखक हैं और उम्मीद है कि वे मेरे लिए कुछ अवश्य लिखेंगे, लेकिन तब तक मुझे प्रूव करते रहना पड़ेगा कि मैं एक अच्छी ऐक्ट्रेस हूं.’’

मां के बेहद करीब

आलिया अपने यहां तक के सफर का श्रेय अपने मातापिता को देती हैं, जिन्होंने हर समय उन्हें सहयोग देते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. वे उन की किसी भी उपलब्धि को मिल कर सैलिब्रेट करते हैं. आलिया अपनी मां सोनी राजदान के बेहद करीब हैं. समय मिलने पर मां और बहन के साथ घूमने भी जाती हैं. आलिया की ‘राजी’, ‘ब्रह्मास्त्र’ और ‘गुल्ली बौय’ आने वाली फिल्में हैं.

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वेस्टर्न कपड़ों के साथ ऐसी जूलरी कैरी कर दिखें फैशनेबल

आजकल वेस्टर्न कपड़ों के साथ पारंपरिक जूलरी को पहनने का ट्रेंड चल रहा है. इस तरह की जूलरी ना सिर्फ आपको बढ़िया फ्यूजन लुक देती है बल्कि फैशनेबल दिखाने के साथ ही साथ ट्रेंडी लुक भी देती है. आइए जानें किस तरह के कपड़ो पर किस तरह की पारंपरिक जूलरी जचती है.

  • सफेद ड्रेस के साथ विभिन्न रंगों के भारतीय रत्न खूब जंचते हैं, यह बेहतरीन संयोजन आपकी खबूसरती में चार चांद लगाकर आपको परियो जैसा लुक देते हैं.
  • मोती जड़े और सोने के लंबे कई लेयर वाले हार आप ब्लैक ड्रेस या डार्क कलर की गाउन के साथ पहन सकती हैं. इससे आपको शाही लुक मिलेगा.
  • वेस्टर्न (पश्चिमी शैली वाले परिधान) कपड़ों के साथ छोटी झुमकी या छोटे कान के लटकन बहुत जंचते हैं. जैसे टक्सीडो जंपसूट के साथ छोटी झुमकी आपको एक अलग लुक देगी.
  • शौर्ट जींस या रिप्ड जींस के साथ पतली पायल पहनें. यह संयोजन अच्छा दिखने के साथ ही लड़कियों को कूल लुक भी देता है.
  • लड़कियों के बीच नोज पिन आजकल खूब लोकप्रिय है. वेस्टर्न कपड़े के साथ यह एक अनूठा संयोजन होगा. पतले या एंटीक डिजाइन वाले नोज पिन को जींस या कैजुअल टी-शर्ट के साथ पहनना बेहतर विकल्प रहेगा.
  • ट्रेडीशनल चोकर को वेस्टर्न कपड़े के साथ पहनें, खासकर हीरे जड़े चोकर को डीप नेक या औफ शोल्डर काले रंग की ड्रेस के साथ पहनें. आप बेहद खूबसूरत और भीड़ से अलग नजर आएंगी.

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नींद पूरी होने के बाद भी रहती है थकावट, रोजाना करें ये छोटा सा काम

क्या रात को नींद पूरी होने के बाद भी आप दिन फर थकी थकी सी रहती हैं? सुबह उठते समय कमजोरी का अनुभव होता है? अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो क्या आप इसका कारण जानती हैं. अगर नहीं तो हम आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि कोई लंबी बीमारी, नींद का पूरा ना होना, खराब भोजन, अनियमित दिनचर्या, थायराइड, शरीर में अधिक एसिड बनना आदि. आइये आज हम आपको कुछ ऐसे सरल उपाय बताते हैं जिन्हें अपनाकर आप अपनी इस रोज-रोज की थकान से ना सिर्फ छुटकारा पाएंगी बल्कि आपको ताजगी का अहसास भी होगा.

पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं

शरीर में पानी की कमी के कारण भी थकान का अनुभव होता है. ऐसे में आपके शरीर को पानी की आवश्यकता होती है, इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं.

चौकलेट खाएं

कमजोरी का अनुभव होने पर चौकलेट खाइये. इससे हमारे शरीर को तुरंत एनर्जी मिलती है. कोको तनाव को कम करता है. एक शोध में पाया गया है कि प्रतिदिन 50 ग्राम चौकलेट आपको एनर्जेटिक बनाता है.

जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने की कोशिश करें

कम नींद और समय पर ना सोना यह दिनभर होने वाली थकान का मुख्य कारण है. कोशिश करें समय पर सोने की और समय पर उठने की. ऐसा रोज करने से आप स्वस्थ रहेंगी और तरोताजा महसूस करेंगी.

व्यायाम करें

सुबह जल्दी उठें और व्यायाम करें, इसे आपका ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहेगा और आप ऊर्जावान महसूस करेंगी. सुबह उठ कर टहलने जाएं या घर पर ही थोड़ा व्यायाम करें.

ठंडे पानी से नहाये

सुबह उठ कर ठंडे पानी से नहाये, यह आपके ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करता है. इससे आपका तंत्रिका तंत्र भी अच्छा होता है जिसकी वजह से आप पूरे दिन ताजगी महसूस करती हैं.

आयरन की भरपूर मात्रा लें

अपने भोजन में हरी साग-सब्जी को शामिल करें इससे आपको पर्याप्त मात्रा में आयरन मिलेगा और एनीमिया ठीक होगा और हीमोग्लोबिन का स्तर भी सामान्य होगा. एनीमिया और हीमोग्लोबिन का स्तर घटने से भी थकान का अनुभव होता है.

फलों का जूस पियें

सुबह नाश्ते में ताजे फलों का रस पीने से शक्ति मिलती है और थकान कम होती है. ऐसे ही नीबू का रस पीने से शरीर तरोताजा रहता है. इसमें मौजूद विटामिन सी और साइट्रिक एसिड सुबह होने वाली थकान को दूर करती है. ताजा रसीले फल खाने से शरीर में ताजगी रहती है और थकान नहीं होती है.

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ज्योतिषियों की फीस डाक्टरों से ज्यादा

मनुष्य एक जिज्ञासु प्राणी है. वह तमाम चीजों के साथसाथ अपना भविष्य भी जानना चाहता है. शायद अपनी इसी मनोवृत्ति की तृप्ति के लिए ही उस ने ज्योतिषशास्त्र की खोज की होगी. लेकिन, बाजार में ज्योतिष के नाम पर मनगढ़ंत किताबों के साथ ढोंगीपाखंडी बाबाओं की भरमार हो गई है. उन का मकसद लोगों की मजबूरियों का लाभ उठाना और पैसा बनाना है.

मामूली पत्थर को भी ये लोग महंगे नगीने के नाम पर बेच कर लोगों को आसानी से ठग लेते हैं. यही कारण है कि हर गली, महल्ला, गांव, शहर, नगर, महानगर में ज्योतिषीय उपाय से समस्या समाधान करने का साइनबोर्ड टंगा हुआ है. मजबूर और बीमार आदमी उन के जाल में आसानी से फंस जाता है.

चाहे उत्तर भारत हो या दक्षिण भारत, चाहे पूर्व भारत हो या पश्चिम भारत, ज्योतिषियों की दुकान हर जगह खुली हुई हैं. आजकल तो टीवी चैनलों और अखबारों में ज्योतिषियों की बाढ़ सी आ गई है. सुबह से कार्यक्रम शुरू होते हैं तो मध्यरात्रि तक चलते रहते हैं. टीवी पर चलने वाले कार्यक्रमों के कंटैंट और प्रेजैंटेशन डर और भय पैदा करने वाले होते हैं.

शुभअशुभ का भ्रमजाल

जन्मकुंडली में 9 ग्रह बताए जाते हैं. ये ग्रह हैं सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु एवं केतु. इस में पृथ्वी का कोई स्थान नहीं है. जबकि वैज्ञानिक तथ्य यह है कि मनुष्य के जीवन पर सब से ज्यादा प्रभाव पृथ्वी का ही पड़ता है.

जब मौसम और जलवायु में बदलाव होता है, तब मनुष्य की जैविक क्रियाओंप्रतिक्रियाओं में परिवर्तन होने लगता है. इन का प्रभाव इतना होता है कि मनुष्य को मौसम के अनुसार कपड़े पहनने पड़ते हैं. लेकिन ज्योतिषशास्त्र में मौसम और जलवायु का मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है, इस की कहीं कोई चर्चा नहीं है.

वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया है कि सूर्य तारा है, ग्रह नहीं. लेकिन ज्योतिषशास्त्र में अब भी सूर्य को ग्रह ही माना जाता है. इस का मुख्य कारण यह है कि ज्योतिषशास्त्र में सैकड़ों सालों से नई खोज हुई ही नहीं है. नई खोज होगी कैसे? आज ऐसे हजारों ज्योतिषी हैं जिन को केवल संस्कृत भाषा का ही ज्ञान है.

शिकार और शिकारी

ज्योतिषियों के शिकार केवल अनपढ़गंवार या सामान्य लोग ही नहीं हैं, बल्कि पढे़लिखे, बुद्धिजीवी, बड़ेबड़े धन्नासेठ, वैज्ञानिक, इंजीनियर, डाक्टर, आईएएस अफसर, आईपीएस अफसर, वकील, नेता, अभिनेताअभिनेत्री भी इन ज्योतिषियों की सेवा लेते हैं. फिल्मी दुनिया में तो जितना अंधविश्वास है उतना तो अनपढ़गंवार लोग भी नहीं मानते हैं.

निर्देशक राकेश रोशन अपनी फिल्मों के नाम क अक्षर से रखते हैं, जैसे ‘करण अर्जुन’, ‘कहो ना प्यार है’, ‘कारोबार’, ‘कामचोर’, ‘कृष’, ‘कोयला’ इत्यादि. ‘कभी सास भी बहू थी’ टीवी धारावाहिक की निर्मात्री और अभिनेता जितेंद्र की बेटी एकता कपूर भी अपने धारावाहिकों और फिल्मों का नाम क अक्षर से ही रखती हैं, जैसे ‘कभी मैं झूठ नहीं बोलता’, ‘कृष्णा कौटेज’, ‘कसौटी जिंदगी की’, ‘कहीं किसी रोज’ इत्यादि. जबकि एकता कपूर की क अक्षर से टाइटल वाली सभी फिल्में फ्लौप हो गईं. जबकि उन की द अक्षर की टाइटल वाली फिल्म ‘द डर्टी पिक्चर’ सफल हो गई. फिर भी उन का अंधविश्वास ज्यों का त्यों है.

ऋतु चौधरी जब फिल्मों में अभिनेत्री बनने आईं और निर्देशक सुभाष घई से मिलीं तो सुभाष घई ने ऋतु चौधरी को सलाह दी कि उन के लिए म अक्षर लक्की है. उन की सभी फिल्मों की अभिनेत्रियों के नाम म अक्षर से हैं. इसलिए तुम अपना नाम म से रख लो. तो ऋतु चौधरी महिमा चौधरी बन गईं. और फिल्म बनी ‘परदेस.’ इतना कर्मकांड करने के बाद भी न फिल्म परदेस चली और न ही अभिनेत्री महिमा चौधरी का कैरियर आगे बढ़ सका.

सीमा से परे अंधविश्वास

यह अंधविश्वास केवल हिंदू धर्म में नहीं है. इसलाम धर्म को मानने वाले भी अंधविश्वासी होते हैं. जब यूसुफ खान फिल्म में अभिनेता बनने आए तो उन्होंने प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित नरेंद्र शर्मा से अपना नामकरण संस्कार दिलीप कुमार के रूप में कराया. शाहरुख खान पन्ना पहनते हैं, तो सलमान खान फिरोजा ब्रेसलेट.

केवल फिल्मी हस्तियां ही नहीं, बल्कि कई प्रधानमंत्रियों को अपने तांत्रिक मित्रों के कारण काफी प्रसिद्धिअप्रसिद्धि भी मिली. इंदिरा गांधी एकमुखी रुद्राक्ष की माला पहनती थीं और कई बाबाओं के यहां आतीजाती रहती थीं. इस के बावजूद उन का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा. प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के बारे में भी ऐसा ही कहा जाता है. प्रधानमंत्री पी वी नरसिंहा राव तांत्रिक चंद्रास्वामी से संबंध होने के बावजूद हवाला घोटाला में फंसे और उन की काफी फजीहत हुई.

इसरो हमारे देश की सब से बड़ी विज्ञान की प्रयोगशाला है. लेकिन इस के कई अध्यक्ष भी ऐसेऐसे वैज्ञानिक हुए हैं जो कर्मकांड और अंधविश्वास को मानते रहे हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद यानी इसरो के वैज्ञानिक रौकेट लौंच करने से पहले वेंकेटेश्वर स्वामी के तिरुपति बालाजी मंदिर में पूजाअर्चना करते हैं. इस पूजा में इसरो के अध्यक्ष स्वयं उपस्थित रहते हैं.

2014 की आईएएस टौपर इरा सिंघल ने एक साक्षात्कार में कहा कि वे ज्योतिष से जान गई थीं कि इस बार उन का चयन आईएएस में हो जाएगा.

बच्चन परिवार हो या अंबानी परिवार, राजनेता हो या नौकरशाह इन बड़े लोगों ने भी जानेअनजाने में अंधविश्वास का प्रचारप्रसार किया. अपनी सुरक्षा को ले कर एक सवाल के जवाब में अपने को सब से ईमानदार नेता के रूप में पेश करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि मेरी हथेली में जीवनरेखा लंबी है. मुझे कोई नहीं मार सकता. वहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी जब अपना भविष्य जानने के लिए राजस्थान के भीलवाड़ा के कारोई कसबे में पंडित नाथूलाल व्यास के पास गईं तो मीडिया और सोशल मीडिया में उन की काफी आलोचना हुई थी.

ऐश्वर्या राय की शादी के समय अमिताभ बच्चन ने ग्रहनक्षत्रों को खुश करने के लिए मंदिरों का खूब दौरा किया था. वहीं, अंबानी बंधुओं में दरार पाटने के लिए मोरारी बापू से सलाह ली गई थी. फिर भी दोनों अंबानी भाई अलग हुए. कोई टोटका दोनों को एकसाथ न रख सका.

मोटी फीस वसूली

सामान्यतया ये ज्योतिषी एक डाक्टर से ज्यादा फीस लेते हैं. यंत्रमंत्रतंत्र और कर्मकांड करनेकराने के नाम पर तो मोटी रकम वसूली जाती है, वहीं रुद्राक्ष, लौकेट, अंगूठी, रत्न, माला, शंख की कीमत सैकड़े से शुरू हो कर लाखों में चली जाती है. बेजान दारूवाला एक प्रसिद्ध ज्योतिषी हैं. 5 साल तक आप का कैरियर कैसा रहेगा, यह बताने के लिए वे करीब 5,275 रुपए लेते हैं. प्रसिद्ध ऐस्ट्रोलौजर के एन राव के शिष्य एस गणेश की फीस 6,000 रुपए है. 3 साल तक आप का कैरियर कैसा रहेगा, यह बताने के लिए कंप्यूटर ऐस्ट्रोलौजी के जनक अजय भाम्बी 4,500 रुपए लेते हैं. प्रेमपाल शर्मा प्रति प्रश्न 2,100 रुपए लेते हैं. सुरेश श्रीमाली टैलीफोन पर सलाह देने के लिए एक व्यक्ति से 11,000 रुपए झटक लेते हैं.

जादवपुर यूनिवर्सिटी में विजिटिंग फैकल्टी डा. सुरेंद्र कपूर वीडियो कौंफ्रैंसिंग के जरिए सलाह देने के लिए 15 मिनट का 2,100 रुपए लेते हैं. ऋतु शुक्ला आप का जीवन 2 साल तक कैसा रहेगा, यह बताने के लिए 11,000 रुपए लेती हैं. दूरसंचार कंपनी एयरसेल अपनी ज्योतिषसेवा से प्रतिमाह 2 करोड़ रुपए का कारोबार करती है. एयरसेल की ज्योतिषसेवा के करीब 20 लाख ग्राहक हैं. हालांकि सब की फीस क्लाइंट की स्थिति के हिसाब से घटतीबढ़ती रहती है.

भारत का संविधान तंत्रमंत्रयंत्र, जादूटोना, शकुनअपशकुन, शुभअशुभ, मुहूर्त, गंडातावीज, और भभूत आदि को प्रतिबंधित करता है. भारतीय संविधान के 10 मूल कर्तव्यों में एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना भी है. लेकिन यहां अंधविश्वास को ही आगे बढ़ाने वालों की भीड़ ज्यादा है.

अंधविश्वास को बढ़ावा देती हस्तियां

–       तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को वास्तुशास्त्र में इतना विश्वास है कि वे अपना आधिकारिक कार्यालय वास्तुशास्त्र के अनुसार 2 बार बदलवा चुके हैं.

–       धार्मिक पाखंड पर बनी बहुचर्चित फिल्म ‘पीके’ के अभिनेता आमिर खान अपनी हर फिल्म दिसंबर में रिलीज करने को शुभ मानते हैं.

–       कैटरीना कैफ अपनी हर फिल्म की रिलीज से पहले अजमेर शरीफ दरगाह जा कर दुआ मांगती हैं.

–       अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी अपनी आईपीएल टीम राजस्थान रौयल्स की सफलता के लिए मैच के दौरान 2 घडि़यां पहनती हैं.

–       परेश रावल अपनी किसी भी फिल्म की शूटिंग के पहले दिन लोकेशन पर नहीं जाते हैं.

–       बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मोती पहनते हैं.

–       शिवसेना नेता और 5 बार के सांसद मोहन रावले अपने चुनाव अभियान के दौरान सिर्फ पीली शर्ट ही पहनते हैं.

–       महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने अपना नाम बदल कर अशोक राव चव्हाण कर लिया.

–       वकील व पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने नौर्थ ब्लौक में अपने कार्यालय के बाहर गणेश की बड़ी मूर्ति लगवा ली थी.

–       धर्मनिरपेक्ष देश की राजधानी दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का घर गणेश की मूर्तियों से भरा हुआ था. फिर भी वे चुनाव हार गईं.

–       अभिनेता सुनील शेट्टी अंक ज्योतिष के अनुसार अपने नाम की स्पैलिंग स्ह्वठ्ठद्ग- स्द्धद्गह्लह्ल4 लिखते हैं.

–       ज्योतिष और अंकशास्त्र में 13 को अशुभ माना जाता है. इसरो ने रौकेट पीएसएलवी 12 के बाद 13 नहीं बनाया, पीएसएलवी-14 बनाया है.

–       राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पन्ना पहनते हैं.

– अमलेश प्रसाद

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औफिस और गर्भावस्था में बनाएं तालमेल

जब एक कामकाजी महिला मां बनने का निर्णय लेती है तो उस के सामने सवाल उठता है कि कैसे वह गर्भावस्था के साथसाथ औफिस की जिम्मेदारियों को भी सुचारु रूप से निभाए? प्रैगनैंट होना किसी चैलेंज से कम नहीं होता. उस समय उस का शरीर उस के निर्देशों को नहीं मानता. लेकिन इस सब के बावजूद प्रैगनैंसी कोई बीमारी नहीं है.

एक कामकाजी महिला निम्न तरीकों को अपना कर औफिस की जिम्मेदारियों को सहजता से निभा सकती है:

बौस से शेयर करें गुड न्यूज: प्रैगनैंट होने की गुड न्यूज मिलते ही सब से चैलेंजिंग काम होता है अपने बौस को इस बारे में बताना. ज्यादातर महिलाएं प्रथम तिमाही तक अपनी प्रैगनैंसी की खबर छिपाने की कोशिश करती  हैं. वे अपनी इस खुशखबरी को औफिस में बौस से शेयर करने में झिझकती हैं. ऐसा हरगिज न करें.

अपने कलीग की मदद से इस खबर को अपने बौस से शेयर करें व उन्हें अपने कौन्फिडैंस में लें ताकि आप को उन से पूरी सपोर्ट मिल सके. साथ ही कंपनी की पौलिसी की यानी मैटरनिटी लीव, मैडिकल रिऐंबर्समैंट, लीव विदाउट पे की पूरी जानकारी लें.

अपराधबोध न पालें: आप ने टैलीविजन पर राधिका आप्टे अभिनीत एक शौर्ट वीडियो देखा होगा, जिस में राधिका आप्टे को उस की सीनियर उस की ड्रैस में उस के बेबी बंप को अच्छी तरह से छिप जाने पर कौंप्लिमैंट करती है, पर साथ ही उसे इस दौरान न मिलने वाली प्रमोशन की वजह भी बताती हैं.

राधिका आप्टे बिना किसी झिझक के पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी प्रैगनैंसी पर गर्व महसूस करते हुए जवाब देती हैं, ‘‘दरअसल, हमारे यहां औफिस में जब पता चलता है कि कोई महिला प्रैगनैंट है तो न केवल उसे नसीहतों का भंडार तोहफे में दिया जाता है, वरन उस की कार्यक्षमता पर भी शंका व्यक्त की जाती है कि वह प्रैगनैंसी व औफिस साथसाथ कैसे मैनेज करेगी? उसे बारबार याद दिलाया जाता है कि उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. ‘ऐसे मत बैठो, ऐसे मत चलो, यह मत खाओ, ऐसे कपड़े मत पहनो’ जैसी अनेकानेक नसीहतों से उस में अपराधबोध पैदा किया जाता है, उस का प्रैगनैंसी के साथसाथ नौकरी करने का आत्मविश्वास कम करने की कोशिश की जाती है.

इस सब से परे अगर आप को लगता है कि आप सब कुछ अच्छी तरह से मैनेज कर पाएंगी, आप को पूरी तरह विश्वास है कि आप अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह निभा लेंगी तो मन में किसी तरह का अपराधबोध न लाएं.

खुद को हमेशा याद दिलाती रहें कि आप सब कुछ अच्छी तरह मैनेज कर रही हैं. अपने काम और प्रैगनैंसी को पूरी तरह ऐंजौय करें. नकारात्मक विचारों और नसीहतों को इग्नोर करें.

याद रखें कि आप अपने बारे में ज्यादा अच्छी तरह जानती हैं न कि वे. आप के लिए क्या अच्छा है सिर्फ उस बात पर ध्यान दें. प्रैगनैंसी व जौब करने के निर्णय को ले कर कोई अपराधबोध न पालें. ऐसा करने से आप दोनों चीजें अच्छी तरह मैनेज कर पाएंगी.

स्ट्रैस लैवल को मैनेज करें: प्रैगनैंसी के दौरान शारीरिक व हारमोनल बदलाव के चलते स्ट्रैस लैवल का बढ़ना आम बात है. पर चूंकि आप इस समय जिंदगी के सब से खूबसूरत दौर से गुजर रही हैं, इसलिए सारे नकारात्मक विचारों को हटा कर सिर्फ अपनी कोख में पल रहे शिशु पर ध्यान दीजिए.

औफिस में चल रही गतिविधियों को सामान्य रूप से लें. अपने टारगेट को प्राप्त करने के लिए खुद को तनाव या प्रैशर में न डालें.

कोशिश करें कि लेट सिटिंग्स न हों. शिशु के विकास पर किसी तरह का गतिरोध न हो. रिलैक्सेशन तकनीक की प्रैक्टिस करें.

अपनी डाक्टर की सलाह से प्रीनेटल व्यायाम क्लासेज जौइन कर सकती हैं. वहां बताई ब्रीदिंग तकनीक का प्रयोग औफिस में कर सकती हैं.

कार्यस्थल पर तनाव आप की व आप के शिशु को ऐनर्जी की प्रभावित कर सकता है.

अपने दैनिक दायित्वों की सूची बना कर प्राथमिकताओं पर ध्यान दें. अगर कुछ काम न करने से आप बेहतर फील करती हैं, तो उन्हें न करें. स्वयं को भारी सामान उठाने, ज्यादा देर खड़े होने, अधिक शोर वाले स्थान से बचाएं.

संतुलित आहार लें: गर्भावस्था में सब से महत्त्वपूर्ण है संतुलित आहार लेना. कई बार काम की व्यस्तता के चलते गर्भवती महिलाएं अपने खानपान के प्रति लापरवाह हो जाती हैं. अत: ऐसा हरगिज न करें.

आयरन व प्रोटीनयुक्त आहार लें: गर्भावस्था के दौरान थकान आयरन की कमी का संकेत होता है. ऐसे में आयरन व प्रोटीनयुक्त डाइट जैसे सीफूड, हरी पत्तेदार सब्जियां, रैड मीट, बींस, अनाज को अपने भोजन में अधिक से अधिक शामिल करें.

औफिस में स्वयं को ऐनर्जेटिक बनाए रखने के लिए नियमित अंतराल पर मिनी मील्स या स्नैक्स लेती रहें. रोज औफिस में 2 तरह के फल और स्नैक्स में भुने चने या स्प्राउट्स ले कर जाएं. अपनी औफिस की दराज में सूखे मेवे रखें. ये आप को इंस्टैंट ऐनर्जी देंगे. हर 2 घंटे में कुछ न कुछ खातीपीती रहें. इस से न केवल आप का ऐनर्जी लैवल मैंटेन रहेगा, बल्कि आप का मूड भी फ्रैश रहेगा.

कार्यस्थल को बनाएं सुविधाजनक: गर्भावस्था के दौरान अपने कार्यस्थल को शारीरिक बदलावों के अनुकूल सुविधाजनक बनाना गलत नहीं है, क्योंकि जैसेजैसे आप की प्रैगनैंसी का समय आगे बढ़ेगा वैसेवैसे आप के बैठने व खड़े होने की स्थिति असुविधाजनक होती जाएगी. इसलिए औफिस में बैठने के लिए एडजस्टेबल लोअर बैक सपोर्ट वाली चेयर लें ताकि लंबे समय तक बैठने में आप को असुविधा न हो. अगर चेयर एडजस्टेबल न हो तो छोटा तकिया या कुशन अपनी कमर को सपोर्ट देने के लिए रखें. पैर लटका कर न बैठें वरना पैरों में सूजन आ सकती है. पैरों को सपोर्ट देने के लिए डैस्क के नीचे फुटरैस्ट या स्टूल रखें. सीढि़यों का प्रयोग करने से बचें.

अगर अधिक देर तक खड़ा होना पड़े तो एक पैर को फुटरैस्ट पर रखें. ऐसी पोजिशन दूसरे पैर के साथ भी करें. कंफर्टेबल जूते या सैंडल पहनें. अगर झुकना पड़े तो घुटनों के बल बैठें न कि कमर को झुकाएं. गर्भावस्था के दौरान ऐसिडिटी से बचाव के लिए कार्य से छोटेछोटे ब्रेक लें और वाक करें. स्ट्रैचिंग व छोटीछोटी ऐक्सरसाइज करें (अपनी गाइनकोलौजिस्ट के निर्देशानुसार) ताकि ब्लड का सर्कुलेशन सुचारु बना रहे. लंबीलंबी सांसें लें और खुद को रिलैक्स करें.

वारविक मैडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने पाया कि दिन में 6 घंटे से ज्यादा झुक कर बैठने से गर्भवती महिलाओं के वजन में गैरजरूरी इजाफा होने लगता है. उन्होंने बताया कि प्रैगनैंट महिलाओं को जितना हो सके झुक कर बैठने से बचना चाहिए, क्योंकि इस से गर्भ में पल रहे शिशु को तकलीफ पहुंचती है.

सुपर प्रैगनैंट वूमन न बनें: कुछ प्रैगनैंट महिलाएं गर्भावस्था के दौरान हाइस्ट्रैस जौब करती हैं, स्वयं को सुपर ऐनर्जेटिक साबित करने की कोशिश करती हैं. ऐसा हरगिज न करें. आप एकसाथ काम व प्रैगनैंसी 2 बड़ी जिम्मेदारियों को निभा रही हैं. यही अपनेआप में काफी महत्त्वपूर्ण है.

आप को समझना चाहिए कि आप इस वक्त नाजुक दौर से गुजर रही हैं. आप को अपने साथसाथ अपने गर्भ में पल रहे शिशु का भी ध्यान रखना है. इसलिए इस दौरान अपने स्वास्थ्य के साथ कोई लापरवाही न बरतें.

बीचबीच में आराम करें. अपनी मीटिंग्स और अपौंइटमैंट्स को ट्रैक करने के लिए ईमेल का कैलेंडर प्रोग्राम यूज करें. अपने काम का मानदंड स्वयं तय करें कि आप कितना अतिरिक्त काम कर सकती हैं. जिस क्षण आप को लगे आप को थकान महसूस हो रही है काम वहीं रोक दें. जरूरत पड़ने पर औफिस कुलीग्स की मदद लें.

कंफर्टेबल व स्टाइलिश मैटरनिटीवेयर: बढ़ते बेबी बंप के साथ कंफर्टेबल व स्टाइलिश मैटरनिटीवेयर का चुनाव करना किसी चैलेंज से कम नहीं होता. हालांकि पहले 3 महीनों में ज्यादातर गर्भवती महिलाओं को मैटरनिटीवेयर को ले कर ज्यादा समस्या नहीं आती. लेकिन जैसेजैसे आप की कमर का साइज बढ़ता जाता है और आप को अपने कपड़े असुविधाजनक महसूस होने लगते हैं वैसेवैसे मैटरनिटीवेयर की आवश्यकता महसूस होने लगती है.

डाक्टर सलाह देते हैं कि इस दौरान ज्यादा कसा टौप व पैंट न पहनें, चूंकि इस दौरान शरीर का तापमान बढ़ जाता है, इसलिए हलके सूती, फ्लोई लाइक्रा जैसे फैब्रिक पहनें. अपनी ढीली शर्ट के ऊपर ओपन जैकेट पहनें. गर्भावस्था के दौरान तंग कपड़े पहनने से ब्लड सर्कुलेशन पर असर पड़ता है, साथ ही मांसपेशियों में भी खिंचाव आ सकता है. गर्भावस्था में औफिसवेयर में स्मार्ट व कंफर्टेबल लुक के लिए आप स्ट्रैचेबल जींस व नीटेड पैंट भी पहन सकती हैं. ओवर द टमी स्टाइल की ये पैंट्स स्ट्रैचेबल होने के साथसाथ इन में लाइट इलास्टिक या वेस्ट बैंड होता है जो पेट के बढ़ते साइज के अनुसार एडजस्ट किया जा सकता है. ऐक्सैसरीज में कलरफुल स्कार्फ व स्टोल का प्रयोग कर के आप खुद को स्टाइलिश लुक दे सकती हैं.

गर्भधारण है फायदेमंद

डाक्टरों और तमाम शोधों द्वारा यह बात सामने आई है कि गर्भावस्था में काम करना मां व होने वाले शिशु दोनों के लिए फायदेमंद होता है. जब गर्भवती महिला गर्भधारण के बाद भी ऐक्टिव रहती है तो गर्भावस्था की जटिलताओं से बचा जा सकता है. शोध यह भी बताते हैं कि कामकाजी महिलाओं को डिलिवरी के समय भी कम समस्या होती है, क्योंकि खुद को व्यस्त रखने के कारण वे तनावमुक्त रहती हैं. पौजिटिव सोच के कारण मां व बच्चे दोनों को लाभ होता है.

एशियन इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंस, फरीदाबाद की स्त्रीरोग विशेषज्ञा, डा.अनिता कांत से  बातचीत पर आधारित

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घर बने व्यक्तित्व का आईना

घर आप के व्यक्तित्व का आईना होता है. अगर इसे सही ढंग से सजाया है, तो दिन भर की थकान के बाद आप को इस में सब से अधिक सुकून मिलता है. इसीलिए आजकल लोग अपना घर खरीदने के बाद उसे इंटीरियर डिजाइनर की मदद से ही सजाते हैं ताकि उन का घर उन्हें अपना लगे. कई लोग तो औफिस को सजाने में भी इंटीरियर डिजाइनर की मदद लेते हैं, क्योंकि वहां उन्हें अपना बहुत सारा समय बिताना होता है. इस बारे में 12 जैम्फील्ड्स रिटेल ज्वैलर इंडिया अवार्ड में जज बन कर आईं इंटीरियर डिजाइनर पर्ल कौंट्रैक्टर, जो पिछले 25 वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रही हैं बताती हैं कि घर चाहे छोटा हो या बड़ा हर व्यक्ति के लिए खास होता है. घर का इंटीरियर बड़ा ही पर्सनल होता है, जो व्यक्ति के हिसाब से करना पड़ता है. मैं क्वालिटी और स्टाइल में विश्वास रखती हूं. लग्जरी वही है जो व्यक्ति को स्पैशल महसूस कराए.

इंटीरियर जो दे खुशी

पर्ल कहती हैं, ‘‘जिस तरह गहने महिला को आकर्षक रूप देते हैं, उसी तरह इंटीरियर एक घर को आकर्षक  रूप देता है. जैसे बिना सोचे समझे अधिक गहने पहन लेने पर सुंदर दिखने के बजाय अनाकर्षक दिखते हैं, वैसे ही बिना प्लानिंग के घर में कुछ भी रख देने से घर अजीब लगता है. इसलिए घर को व्यक्तित्व का आईना कहा गया है. मैं ने एक व्यवसायी के घर का इंटीरियर डिजाइन किया था. मैं ने उन के घर का ऐसे इंटीरियर किया कि उन्हें घर के हर हिस्से में खुशी मिले. इंटीरियर का मतलब ही यही है कि इस के द्वारा आप लोगों में ताजगी भरें. अगर आप ऐसी ‘स्पेस’ पैदा कर सकती हैं, जहां व्यक्ति रह कर खुशी और आराम महसूस करे तो समझो आप का काम सफल हो गया.’’

पर्ल ने अपने कैरियर की शुरुआत वर्ल्ड से की थी जो काफी सराही गई थी. सैट डिजाइन उन्होंने कभी नहीं किया, क्योंकि यह अस्थाई होता है. और करना भी आसान होता है. लेकिन घर का इंटीरियर कठिन होता है, जहां लाइटिंग, दीवारें, लोगों की पसंदनापसंद आदि सभी को देखना पड़ता है. पर्ल कहतीं हैं कि लोग इंटीरियर करते वक्त अकसर गलतियां करते हैं

– घर का इंटीरियर करते वक्त किसी और के इंटीरियर से प्रेरणा न लें. आप को जो अच्छा लगे वह करें.

– फर्नीचर जगह के हिसाब से रखें. कुछ लोग कम जगह में हैवी फर्नीचर रख लेते हैं, जिस से जगह की कमी तो होती ही है, घर भी सुंदर नहीं दिखता है.

– अपने बजट के अनुसार इंटीरियर करें.

– ऐसा सामान रखें जिस की साजसंभाल आसानी से की जाए, क्योंकि अगर सामान खरीदने के बाद उस का रखरखाव ठीक से नहीं किया गया तो थोड़े दिनों बाद वह खराब दिखने लगता है.

अगर वैडिंग सीजन या कोई त्यौहार है, तो घर को ट्रैडिशनल स्टाइल दें. घर को कलरफुल भी बना सकते हैं. इस के लिए फूलों का प्रयोग करें. गोल्ड शादी में अधिक प्रयोग होता है, तो गोल्डन कलर की ऐक्सैसरीज से घर को डैकोरेट करें. लाल रंग के फूलों का प्रयोग करें. नए कुशन, कवर आदि त्योहार के हिसाब से लगाएं.

पर्ल एक संवेदनशील महिला हैं. आभूषण उन्हें बहुत पसंद है. अपने बारे में वे कहती हैं कि उन्हें पहला गहना अपने मातापिता से मिला था. उस के साथ उन की भावनाएं जुड़ी थीं, जो आजकल उन के साथ है. वह गहना उन की मां की ट्रैडिशनल रिंग थी. उस के बाद उन के पति हाफिज कौंट्रैक्टर ने बसरा पर्ल का नैकलैस और इयररिंग्स उन्हें दी थीं.

खाली समय में पर्ल ट्रैवल करना, किताबें पढ़ना और उन लोगों को पढ़ाने और आगे बढ़ने में मदद करती हैं, जिन के पास संसाधनों की कमी है. फिर चाहे बुजुर्ग हों, मेड सर्वेंट हों या कोई आसपास का जरूरतमंद. इस के अलावा वे अपने परिवार के साथ समय बिताना पसंद करती हैं. वे 2 बच्चों की मां भी हैं. उन्हें यहां तक पहुंचने में उन के परिवार का बहुत बड़ा योगदान रहा है.

गृहशोभा के पाठकों के लिए उन का कहना है कि हमेशा आत्मविश्वास बनाए रखें. अपनी योग्यता के बारे में कभी न सोचें. अपने ऊपर विश्वास रखें.

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क्रिस्पी ओवन बेक्ड अमृतसरी फिश फ्राइस

सामग्री

600 ग्राम किंग फिश के टुकड़े पतले व लंबे कटे

2 छोटे चम्मच मिर्च पाउडर

1/4 छोटा चम्मच अजवाइन

1 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट

1 नीबू का रस

1/4 कप बेसन

1 कप सीरियल बारीक कटी

थोड़ा सा औयल

नमक स्वादानुसार

विधि

फिश में मिर्च पाउडर, नीबू का रस व अदरकलहसुन का पेस्ट मिला कर 30 मिनट तक मैरीनेट करें. एक बाउल में बेसन, मिर्च पाउडर, नमक, अजवाइन व थोड़ा सा पानी मिला कर बैटर तैयार करें. अब एक कुकी शीट को तेल से ग्रीस कर के उस पर फिश के टुकड़े पहले बैटर में डिप कर के व बाद में सीरियल से कोट कर के रखें. ऊपर से थोड़ा सा तेल स्प्रे करें और 220 डिग्री सैल्सियस पर पहले से गरम ओवन में 15 मिनट तक बेक करें. मनपसंद चटनी के साथ गरमगरम सर्व करें.

व्यंजन सहयोग

शैफ रनवीर बरार

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मराठी फिल्म रिव्यू : सायकल

कुछ लोगों को अपनी पुरानी वस्तुएं सहेज कर रखने की आदत होती है. ऊपर से वस्तु खानदानी हो तो उससे एक अलग तरह की भावना जुड़ जाती है. ऐसे में यदि किसी ने उस वस्तु को छिन लिया तो उससे जान से भी ज्यादा प्यार करने वाला व्यक्ति व्यथित हो जाता है. ऐसा ही होता है प्रकाश कुंटे द्वारा निर्देशित फिल्म ‘सायकल’ के नायक केशव के साथ…

फिल्म की कहानी केशव (हृषिकेश जोशी) और उसकी ‘सायकल’ के इर्द-गिर्द घुमती है. दरअसल, केशव के दादा एक ज्योतिषी थे. उन्होंने अपनी ज्योतिष विद्या के साथ केशव को एक सायकल विरासत में सौंपी थी. केशव उस सायकल को किसी को भी हाथ लगाने नहीं देता है. जहां भी जाता है, साथ लेकर जाता है. हर किसी की मदद करना केशव का स्वभाव होता है. इसलिए आसपास के गांवों में केशव और उसकी ‘सायकल’ की जोड़ी काफी चर्चित रहती है. लेकिन एक दिन सायकल चोरी हो जाती है और केशव निराश हो जाता है. गज्या (प्रियदर्शन जाधव) और मंग्या (भाऊ कदम) नाम के दो चोरों को गांववाले सायकल चलाते हुए देखते हैं और पहचान जाते हैं कि वह सायकल केशव की है. लेकिन उन्हें आश्चर्य होता है कि केशव ने अपनी सायकल इन्हें कैसे दी. गज्या और मंग्या गांववालों को अपनी पहचान केशव के चचेरे भाई के तौर पर बताते हैं. इसलिए केशव को चाहने वाले लोग उनका आदर सत्कार करते हैं और रहने के लिए जगह देते हैं. यह देखकर दोनों के मन में अपराध भावना जाग जाती है कि दूसरे के पुण्य पर उन्हें आदर मिल रहा है. इसी दौरान उनके चोरी किये गए समान से भगवान की मूर्ति खो जाती है, जिससे उन्हें लगता है कि भगवान उनसे नाराज हो गए हैं और सजा दे रहे हैं. इस विचार के साथ वे सायकल वापस करने का निर्णय लेते हैं. सायकल के साथ एक पत्र भी देते है जिसमें दोनों ने सायकल के साथ अपना अनुभव लिखा होता है. केशव को उसकी सायकल मिल जाती है, लेकिन तब तक वह समझ गया रहता है कि एक निर्जीव वस्तु से इतना लगाव होना ठीक बात नहीं है और यही फिल्म का सन्देश है.

स्वतंत्रता के बाद की यह कहानी बहुत सीधे और सरल ढंग मे दिखाई गयी है. लेकिन चोरी की सायकल वापस लौटाने का निर्णय लेने के पीछे जो वजह बताई गई है, वह बहुत ही अप्रासंगिक है. ज्यादातर गांव में छोटी सी बात भी आग की तरह फैल जाती है. लेकिन यहां सवाल उठता है कि केशव और उसके सायकल को पहचानने वाले लोगों को चोरी की घटना की भनक कैसे नहीं होती. जबकि शुरू में ही स्पष्ट किया गया है कि यह कहानी उस दौरान की है जब सीधी साधी दुनिया के लोग भी सीधे साधे थे”. इसलिए “ऐसे कैसे लोगों ने चोरों पर भरोसा कर लिया?” या “इतना भावुक होकर चोर चोरी की गई वस्तुओं को वापस कैसे कर सकते हैं?” ऐसे तार्किक सवालों के लिए यहां जगह नहीं है.

अमलेंदु चौधरी ने अपने कैमरे से कोंकण की प्राकृतिक सुन्दरता को बड़े ही उत्कृष्ट ढंग से दिखाया है. हृषिकेश जोशी, भाऊ कदम, प्रियदर्शन जाधव के साथ-साथ फिल्म के अन्य कलाकारों ने बहुत अच्छा अभिनय किया है. लेकिन यहां किसी विशेष की बात करें तो बाल कलाकार मैथिली पटवर्धन की, चंचल और शरारती स्वभाव की मैथिली ने केशव की बेटी मृन्मयी की भूमिका में उत्तम अभिनय किया है.

ऐसे में यदि थोड़ी बहुत गलतियों को नजरअंदाज किया जाये तो कलाकारों का अभिनय और कोंकण के सुन्दर दृश्य देखने के लिए यह फिल्म देखने में कोई बुराई नहीं है.

निर्देशक- प्रकाश कुंटे

पटकथा- अदिति मोघे

सिनेमेटोग्राफी- अमलेंदु चौधरी

कलाकार- हृषिकेश जोशी, प्रियदर्शन जाधव, बालचंद्र कदम एवं मैथिली पटवर्धन

VIDEO : पीकौक फेदर नेल आर्ट

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