कुकिंग को ले कर एमी त्रिवेदी ने की हम से बात

खाना खिलाना पसंद है या खाना?

दोनों पसंद हैं, लेकिन सब से ज्यादा दूसरों को खिलाना, क्योंकि खिलाने में जो मजा आता है वह अकेले खाने में कहां है. पहले तो मैं कम ही कुकिंग करती थी, लेकिन जब से मां बनी हूं बच्चों के खाने की डिमांड पूरी करतेकरते अब मैं पूरी तरह से शैफ बन गई हूं.

किस तरह का खाना पसंद है?

साउथ इंडियन, नौर्थ इंडियन, चाइनीज, कौंटिनैटल हर तरह का खाना बनाना और खाना पसंद है. लेकिन फैवरिट खाना मेरा गुजराती  ही है. ढोकला और पापड़ी का नाम सुन कर मुंह में पानी आ जाता है. इस खाने की सब से बड़ी खासीयत यह है कि यह हैल्थ के लिए फायदेमंद है.

खाना बनाना किस से सीखा?

पहली कुकिंग क्लास तो मां से ही मिली लेकिन शादी से पहले मैं सिर्फ उन के हाथों का बना खाती थी, बनाती कम थी. मगर जब शादी हुई तब कुकिंग क्लास मैं ने की और अब पति व बच्चों की जो डिमांड होती है, मैं खुद बनाती हूं.

कुकिंग आज भी करती हैं या ऐक्टिंग में बिजी होने के चलते बंद कर दी?

अभी मैं शूट पर जा रही हूं, लेकिन घर से खाना बना कर आई हूं. मेरे बच्चे मेरे हाथ का ही बना खाते हैं. कितना भी व्यस्त रहूं लेकिन परिवार के लिए समय निकालना पड़ता है.

सपने कितने पूरे हुए?

मैं ने ज्यादा सपने नहीं देखे थे. एक परिवार का सपना देखा था. वह पूरा हो गया है. मैं थोड़े में ही संतोष करने वाली हूं. कभी ऐसा कुछ नहीं सोचा जो पूरा न हो सके. कुछ सपने हैं जिन  के बारे में उम्मीद है वे भी सच हो जाएंगे जैसे  ये हो गए.

फिल्मों में नहीं जाना कई एनीमेटिड फिल्मों में डबिंग आर्टिस्ट के रूप में अपनी आवाज दे चुकीं एमी कहती हैं, ‘‘फिल्मों में काम करने का मेरा मूड कभी नहीं रहा. जो सामने है उसी पर पूरा ध्यान देती हूं. ज्यादा की तमन्ना नहीं है.’’

कौमेडी करना आसान नहीं

कौमेडी पर एमी कहती हैं, ‘‘किसी को हंसाना आसान काम नहीं. चूंकि मैं हमेशा हलकीफुलकी कौमेडी वाले रोल करती रहती हूं, इसलिए मुझे पागलपंती करने में ज्यादा प्रौब्लम नहीं होती.’’

सादगी अट्रैक्ट करती है

एमी का कहना है, ‘‘मुझे किसी से दोस्ती करने के लिए उस की सादगी बहुत अट्रैक्ट करती है, मेरे इंडस्ट्री में कई दोस्त हैं. इंडस्ट्री से बाहर के भी हैं लेकिन उन सभी में दिखावा बिलकुल नहीं है.’’

गुजराती थिएटर

एमी के पिता तुषार त्रिवेदी गुजराती थिएटर के माने हुए आर्टिस्ट हैं. एमी और उन के भाई ने बचपन से ही प्ले में अभिनय करना शुरू कर दिया था. एमी ने हिंदी से ज्यादा गुजराती प्ले किए हैं. लेकिन टीवी पर 1992 में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट पहला शो ‘हमराही’ किया था. इस के बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर देखा नहीं. बच्चे के जन्म के बाद 2 साल का ब्रेक लेने के बाद अब सोनी सब टीवी के शो ‘सात फेरों की हेराफेरी’ में काम कर रही हैं.

सावधानी से करें कैब की सवारी, इन बातों को न करें नजरअंदाज

आज कैब की सेवाओं के कारण आम आदमी के लिए सफर करना आसान हो गया है. जहां पहले औटो का इंतजार और लोगों से खचाखच भरी बस का सफर इंसान को थका देता था, वहीं आज कैब ने इन मुश्किलों को दूर कर दिया है. सब से बड़ी बात यह है कि एक कौल करने पर मिनटों में कैब आप के दरवाजे पर आ कर खड़ी हो जाती है. आप का अनमोल समय नष्ट नहीं होता और किराया भी उतना ही जितना आप अफोर्ड कर पाएं. लेकिन कई बार कैब ड्राइवरों द्वारा महिलाओं और लड़कियों के साथ दुष्कर्म और छेड़छाड़ के मामले उन की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर देते हैं. चाहे कितने भी दावे क्यों न कर लिए जाएं. पर सचाई यही है कि आज भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. उन के साथ कब और कहां क्या घट जाए कुछ पता नहीं.

कैब में सफर के दौरान कुछ महिलाओं के साथ क्याक्या हादसे हुए और उन्होंने कैसा महसूस किया आइए जानते हैं:

अनहोनी की संभावना: कामकाजी नेहा जैसे ही कैब में बैठी उसे अल्कोहल और पान की गंध महसूस हुई. फिर कुछ देर बाद ड्राइवर ने गाड़ी एक सुनसान जगह रोक दी. पूछने पर बोला कि पैट्रोल खत्म हो गया है. जहां उस ने गाड़ी रोकी थी वहां काफी अंधेरा था और अपराध के लिए वह जगह बदनाम थी.

फिर उस ड्राइवर ने अपने दोस्त को फोन पर कहा कि गाड़ी में एक औरत है. यह सुन कर उस महिला की कंपकंपी छूट गई. उस ने तुंरत अपनी दोस्त को फोन कर उसी जगह आने को कहा जहां गाड़ी खड़ी थी. नेहा आज भी इस घटना को याद कर सहम जाती है कि अगर ड्राइवर के दोस्त से पहले उस की दोस्त वहां न आई होती तो पता नहीं उस के साथ क्या होता.

आधी रात में छेड़खानी: घटना बैंगलुरु इलाके के रिंग रोड की है. बैंगलुरु में एक कैब चालक ने एक महिला के साथ छेड़खानी की. कैब कंपनी से जुड़े एक कैब चालक ने बैंगलुरु में एक 23 वर्षीय महिला को न सिर्फ परेशान किया, बल्कि रास्ते भर उस से कथित रूप से छेड़छाड़ भी करता रहा. उस महिला ने यह भी कहा कि उस कैब चालक ने उसे गाड़ी में कैद करने के लिए गेट लौक कर दिया.

उस आधी रात में महिला के मोबाइल की बैटरी भी खत्म हो गई थी, जिस की वजह से वह किसी से सहायता मांगने में भी असमर्थ हो गई. यहां तक कि कैब के ऐप में एसओएस औप्शन को भी ऐक्टिवेट नहीं कर पाई.

गलती नहीं मानी: नोएडा में उबेर कैब के एक ड्राइवर ने एक महिला की कार में टक्कर मार दी. जब उस महिला ने इस बात पर नाराजगी जताई तो गलती मानने के बजाय वह उस महिला को मारनेपीटने लगा और उस के साथ अश्लील हरकतें करने लगा.

अपनी सुरक्षा खुद: 24 वर्षीय उत्कर्षा, जो फैशन डिजाइनर है, का कहना है कि रात 9 बजे के बाद घर से बाहर रहना महिलाओं के लिए भयानक है. आप को नहीं पता कि आप के साथ खड़ा या आप को घूर रहा इंसान आप के साथ कब क्या कर दे. औटो या कैब लेना भी आजकल खतरे से खाली नहीं है. उस का कहना है कि वह हमेशा अपने साथ पैपरस्प्रे जरूर रखती है, क्योंकि यह सुरक्षा के लिए जरूरी है. वह पुलिस पर निर्भर नहीं रह सकती, क्योंकि ज्यादातर हैल्पलाइन नंबर काम ही नहीं करता.

डर का माहौल: निकता कैब में सफर के दौरान काफी भयभीत रहती है. उसे लगता है कि उस के साथ पता नहीं कब क्या हो जाए. ड्राइवर का मिरर से घूरते रहना उसे अंदर तक दहला देता है.

सुरक्षा की कमी: पुष्पा का कहना है कि कैब में सब से बड़ी सेफ्टी की समस्या होती है. कंपनी की ओर से पिक ऐंड ड्रौप के लिए जो कैब दी जाती है उस में सेफ्टी के लिए सिक्युरिटी गार्ड तैनात किए जाने चाहिए.

दिल्ली, एनसीआर में 56% कैब ड्राइवर शराब पी कर गाड़ी चलाते हैं. यह खुलासा एक सर्वे में किया गया है. सर्वे में यह भी खुलासा हुआ कि ऐप बेस्ड टैक्सी, रेडियो टैक्सी, कालीपीली टैक्सी को संचालित करने वाली कंपनियां कभी अपने ड्राइवरों की चैकिंग नहीं करतीं.

सर्वे के मुताबिक 90% ड्राइवरों की कभी चैकिंग नहीं होती. ऐसे में यात्रियों के लिए यह कहां तक सुरक्षित है, इस का जबाव सरकार से पूछना चाहिए. चाहे कैब हो या फिर कोई अन्य सार्वजनिक परिवहन, इन में से किसी के भी इस्तेमाल के दौरान सतर्कता जरूरी है. अगर कैब में सफर के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखें तो अनहोनी से बचा जा सकता है. मसलन:

• कैब की सेवाएं लेते वक्त गाड़ी का परमिट जरूर देख लें.

• कैब बुक कराते वक्त गाड़ी ड्राइवर का नाम, पता, फोन नंबर जरूर पता कर लें ताकि जरूरत पड़ने पर उस से संपर्क किया जा सके.

• कैब ड्राइवर को उसी रास्ते से चलने को कहें जो रास्ता आप को पता हो. अगर रास्ता आप को पता न भी हो तो उसे इस बात का पता न चलने दें कि आप को रास्ता पता नहीं है. टैक्नोलौजी का इस्तेमाल कर अपने फोन के माध्यम से नैविगेशन के जरीए सही रास्ते की लोकेशन पता करें और ड्राइवर को उसी रास्ते से चलने को कहती रहें.

• सफर के दौरान अपने फोन को अपने हाथ में ही रखें और ध्यान रहे कि फोन पूरा चार्ज हो ताकि आप को अपने परिचितों से कौंटैक्ट करने में परेशानी न हो. हो सके तो घर से चार्ज बैंक साथ ले कर चलें ताकि बैटरी खत्म होने पर तुरंत चार्ज किया जा सके.

• अगर आप को लगे कि कैब ड्राइवर आप के साथ कुछ गलत करना चाह रहा था पर कर नहीं पाया, तो कैब से उतरते ही इस बात की सूचना तुरंत आप उक्त कंपनी को दें ताकि बाद में अन्य महिला के साथ कोई समस्या न आए.

• वैसे तो ज्यादातर कैब में जीपीएस ट्रैकर लगे होते हैं, अगर न लगे हों तो आप अपने फोन से ही जीपीएस लोकेशन अपने परिचितों को लगातार भेजती रहें ताकि उन्हें पता चल सके कि आप कहां तक पहुंच चुकी हैं, घर से कितनी दूर हैं.

• आप कैब के सफर के दौरान अपने दोस्तों और घरवालों से बात करती रहें ताकि ड्राइवर को लगे कि आप अपने परिचितों के संपर्क में बनी हुई हैं.

• सफर के दौरान अपने बैग में पैपरस्प्रे जरूर रखें.

• कैब में सफर करते वक्त आप को नींद न आए, इस के लिए आप अपने परिचितों से फोन पर बातें करती रहें.

• अगर कैब में आप के साथ और भी कोई यात्री सफर कर रहा हो तो उस की भी जानकारी आप अपने परिचितों को देना न भूलें.

खुद बनें अपनी बौडीगार्ड

जानकार मानते हैं कि किसी भी हादसे के लिए 3 चीजें जरूरी होती हैं पहला अपराधी, दूसरा शिकार और तीसरा मौका. इन में से अगर एक भी न हो तो हादसा नहीं होगा. इन में से सब से आसान लेकिन जरूरी है मौका देने से बचना. फिर आता है खुद को शिकार बनने देने और अपराधी से निबटना. जानें कि अपराधी को मौका देने से कैसे बच सकती हैं आप?

• आत्मविश्वास से भरपूर दिखें.

• आप की बौडी लैंग्वेज से कौन्फिडैंस झलकना चाहिए.

• जमीन में सिर झुका कर चलने के बजाय

अलर्ट और जागरूक दिखते हुए सामने देखते हुए चलें.

• अगर किसी इलाके के या रास्ते के बारे में पता नहीं है, तो अनजान लोगों को यह न बताएं.

• कभी अनजान लोगों से लिफ्ट न लें, भले ही कितनी ही मजबूरी क्यों न हो.

• ट्रैफिक के उलटी दिशा यानी सड़क के उस ओर चलें कि ट्रैफिक आप को सामने से आता दिखे. ऐसे में पीछे से हमला नहीं हो सकेगा.

• अगर कोई पीछा करता दिखता है तो जो भी घर सामने दिखे उस की कौलबैल बाजा दें और उन्हें सारी स्थिति के बारे में बताएं, झिझकें नहीं. रात हो या दिन अपनी सूझबूझ से खुद को बचाने की कोशिश करें.

जब कोई आप का पीछा करे तो इन सुझावों पर अमल करें

सितंबर, 2016, दिल्ली में एक 21 वर्षीय लड़की की दिन में चाकू मार कर हत्या कर दी गई. हत्यारा कई महीनों से उसे स्टौक कर रहा था. पिछले साल ही अक्तूबर में 24 वर्षीय ब्यूटीशियन की हत्या कर दी गई थी. यह हत्यारा भी कई दिनों से स्टौक कर रहा था. पिछले ही साल चेन्नई में भी ऐसी 3 घटनाएं घटीं. इसी साल बैंगलुरु में नववर्ष पर मास मोलेस्टेशन की घटना के साथ एक अन्य स्त्री के साथ भी उस के घर के पास ही उसी रात छेड़छाड़ की घटना हुई. इन घटनाओं की सीसीटीवी की क्लिपिंग्स देखते ही देखते वायरल हो गईं. महिलाओं के साथ होेने वाले अपराध एक बार फिर सब के सामने आ गए. पुलिस ने कहा कि बैंगलुरु वाली महिला को स्टौक किया जा रहा था. ऐडवोकेट मृणालिनी देशमुख निर्भया केस के बाद वर्मा कमेटी द्वारा बनाए नियम की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, ‘‘स्टौकिंग वह आरंभिक अवस्था है, जिस का अंत शारीरिक शोषण या रेप हो सकता है. महिलाओं का चोरी से पीछा करने वालों को सख्त प्रतिक्रिया देनी चाहिए. उन्हें स्टौकिंग के खिलाफ फौरन शिकायत दर्ज करवानी चाहिए. उस के बाद पुलिस की ड्यूटी है कि वे उन्हें बुला कर सख्त चेतावनी दे ताकि फिर यह हरकत न दोहराई जाए.’’

सचेत रहें

महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली समाजसेविका शर्मिला खेर बताती हैं, ‘‘नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो के अनुसार स्टौकर हमेशा परिचित होता है. वह आप का डेली रूटीन जानता है. अत: महिलाओं को हमेशा सचेत, चौकन्ना रहना चाहिए. स्टौकर से निबटने के लिए उस का सामना करना चाहिए. यदि वह कौल या मैसेज कर रहा है, तो उसे बता दें कि उस की कौल्स रिकौर्ड हो रही हैं और मैसेज पुलिस डायरी में जा रहे हैं. यदि वह सामने है तो चिल्लाएं, लोगों से हैल्प के लिए कहें. महिलाओं को अपने इंट्यूशन पर भरोसा करना चाहिए. यदि आप अपने आसपास एक आम चेहरा अकसर देखें तो उस से पूछताछ करें, उस की फोटो लें, सोशल नैटवर्क साइट्स पर पोस्ट कर दें ताकि लोग जान लें.’’

कई महिलाएं स्टौकर्स से परेशान हो कर सिस्टम तक पहुंचने की कोशिश करती भी हैं, पर कुछ खास फायदा नहीं होता है. एक एनजीओ के कार्यकर्ता अनवर अली कहते हैं, ‘‘कई महिलाएं छेड़खानी या ऐसे केस में परेशान हो कर हमारे पास आती हैं. जब वे पुलिस के पास जाती हैं. वे अकसर रजिस्टर कर लेते हैं और महिलाओं से ऐसी शरारतों की तरफ ध्यान न देने के लिए कहते हैं. इस से ऐसे लोगों को और ज्यादा सैक्सुअल अपराध करने की राह मिल जाती है.’’

किसी भी महिला का यदि कोईर् पीछा, फोन, मैसेज या ब्लैंक कौल्स करता है, तो वह स्टौकिंग का दोषी है.

कैसे लें सहायता

क्या हैल्पलाइन नंबर सचमुच काम करते हैं?

यदि आप को स्टौक किया जा रहा है और अगर आप मुंबई पुलिस की महिला और शिशु हैल्पलाइन नंबर 103 को कौल करने की कोशिश कर रही हैं, तो संभवतया आप की कौल लोकल पुलिस स्टेशन पर डाइवर्ट कर दी जाएगी. मुंबई के एक समाचारपत्र ने इसे टैस्ट भी किया.

पुलिस औफिसर ने जवाब दिया, ‘‘यह हैल्पलाइन बच्चों, सीनियर सिटीजन सब के लिए है, सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं और यदि यह स्टौकिंग या मोलेस्टिंग की बात है तो आप पास के पुलिस स्टेशन जाएं. हम आप की सहायता नहीं कर पाएंगे, क्योंकि यहां साइबर क्राइम नहीं देखे जाते.’’

अनन्या जैन 1 हफ्ते से अनजान नंबर से आने वाली कौल्स से परेशान थी. वे लोकल पुलिस स्टेशन गईं. वे बताती हैं, ‘‘एक रात एक व्यक्ति मुझ से फोन पर अश्लील बातें करने लगा. वह कई नंबरों से फोन कर मुझे परेशान कर रहा था. पहले मैं ने उसे बहुत डांटा फिर महसूस किया कि मुझे उकसा कर उसे मजा आ रहा है. जब मैं ने साइबर सैल डिपार्टमैंट में फोन किया, तो उन्होंने मुझे रात 12 बजे लोकल पुलिस स्टेशन जा कर शिकायत करने के लिए कहा जबकि मैं विशेषरूप से महिला पुलिस अधिकारी को बता चुकी थी कि मैं अकेली रहती हूं और यह कोईर् पास में ही हो सकता है. अगले दिन जब मैं पुलिस स्टेशन गई, तो उन्होंने उस का नंबर लिया और मुझे उस का फोन उठाने से मना किया. महिला इंस्पैक्टर ने तो हद कर दी, उस ने कहा कि वह सिर्फ फोन पर धमकियां दे रहा है. अभी तक उस ने तुम्हारा रेप नहीं किया है.’’

मृणालिनी कहती हैं, ‘‘यदि आप स्टौकर को ब्लौक कर के स्वयं को सुरक्षित समझते हैं, तो यह आप की भूल है.’’

कितना करें नजरअंदाज

एमसीसी कौलेज मुलुंड की स्टूडैंट वर्षा गुप्ता कहती हैं, ‘‘स्टौकिंग विशेषरूप से शहर में अकेले रहने वाली लड़कियों के लिए बहुत आम है. कूरियर, फूड डिलिवरी वाले, गार्ड्स आदि के पास हमारे फोन नंबर आसानी से आ जाते हैं. हर 15 दिनों में मेरे पास अलगअलग नंबरों से अश्लील मैसेज आते हैं. इन्हें इग्नोर करना ही मुझे सब से आसान लगता है.’’

अकसर महिलाओं को अपने आसपास के लोगों से सपोर्ट नहीं मिलती है. 30 वर्षीय सीमा बंसल का कहना है, ‘‘मैं अंधेरी में किराए पर अकेली रहती थी और पास के किराना स्टोर से सामान लिया करती थी. कुछ दिनों बाद वह दुकानदार मुझे कभी भी फोन करने लगा और वक्तबेवक्त डोरबैल बजाने लगा. बिल्डिंग सैक्रेटरी ने उस के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने में मेरी मदद की. पुलिस ने उसे डरायाधमकाया. उस के बाद वाचमैन की गैरमौजूदगी में बिल्डिंग में आ कर गंदगी फैलाने लगा. मेरी सोसायटी के लोगों ने मुझे ही कौंप्लैक्स छोड़ कर जाने के लिए कहा, क्योंकि मैं अकेली लड़की थी, जिस की वजह से ये सब हो रहा था.’’

एक उच्चपदस्थ महिला पुलिस अधिकारी बताती हैं, ‘‘ऐसे मामलों में इंडियन पीनल कोड की धारा 354 और 354डी के अंतर्गत एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है. यह उन महिलाओं के लिए है, जिन्हें शारीरिक रूप से या एसएमएस या सोशल मीडिया अथवा फोन पर स्टौक किया जा रहा है. कई लड़कियां शिकायत करने के लिए सामने भी नहीं आना चाहतीं, क्योंकि उन्हें डर रहता है कि उन का परिवार उन्हें ही गलत समझ सकता है.’’

स्टौकर को कैसे पहचानें

• आंकड़ों के अनुसार 80% तक स्टौकर कोई आप का जानने वाला होता है. ध्यान रखें कि काम पर जाते या वापस आते समय कोई आप का पीछा तो नहीं कर रहा. प्रतिदिन एक ही रास्ते से न आएंजाएं.

• स्टौकर का मुख्य उद्देश्य आप को डराना भी है. अत: डरने के बजाय खतरा महसूस करते ही मदद मांगें. शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाए जाने की प्रतीक्षा न करें.

• स्टौकर आप तक पहुंचने का हर संभव प्रयास करेगा. चाहे शारीरिक रूप से या वर्चुअल वर्ल्ड द्वारा. लगातार मैसेज या कौल्स भी कर कसता है. जब भी आप अकेले सफर कर रही हों, वह आप के आसपास भी हो सकता है, सतर्क रहें सुरक्षित रहें.

फिल्म रिव्यू : ओमेर्टा

इटालियन शब्द ‘ओमेर्टा’ का अर्थ होता है माफिया. मगर हंसल मेहता की फिल्म ‘ओमेर्टा’ इटालियन माफिया की कहानी नहीं है. बल्कि हंसल मेहता की बायोग्राफिकल अपराध कथा वाली फिल्म ‘‘ओमेर्टा’’ मशहूर आतंकवादी अहमद उमर सईद शेख के जीवन पर बनायी गयी है. इसे कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में  काफी सराहा जा चुका है. पर यह फिल्म फीचर फिल्म की बजाय डाक्यू ड्रामा वाली फिल्म है.

फिल्म की कहानी पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक अहमद उमर सईद शेख (राज कुमार राव) के इर्द गिर्द घूमती है. लंदन में पढ़ाई कर रहा अहमद उमर सईद शेख एक अच्छे मध्यमवर्गीय परिवार से है. लेकिन 1994 में सीरिया व बोसनिया में जो कुछ होता है, उससे उसकाब्रेन वाश हो जाता है. फिर उमर एक गलत राह पकड़ लेता है. वह ‘कश्मीर स्वतंत्रता’ की मुहिम का हिस्सा बन जाता है. फिर उमर पाकिस्तानी कट्टर पंथियों और आई एस आई के इशारे पर रोहित वर्मा बनकर भारत आता है. और दिल्ली में कुछ विदेशी पर्यटकों को अगवा कर उनकी हत्या कर देता है.

पकड़े जाने पर उमर सईद को दिल्ली की तिहाड़ जेल में काफी टार्चर किया जाता है. फिर पाकिस्तानी आकाओं के इशारे पर कुछ आतंकवादी भारतीय जहाज आई सी -184 का अपहरण कर कंधार ले जाते हैं और विमान के यात्रियों को रिहा करने के बदले जेल से उमर सईद शेख व मसूद अजहर सहित चार आतंकवादी साथियों की रिहाई की मांग करते हैं. उमर सईद रिहा होकर पाकिस्तान चला जाता है और उन पर आतंकवादी का ठप्पा लग जाता है. जबकि उमर के पिता (केवल अरोड़ा) चिल्लाते रहते हैं कि उनका बेटा आतंकवादी नहीं है. पर उमर तो पाकिस्तानी सेना व जासूसी संस्था के इशारे पर काम करता रहता है.

फिर 9/11 यानी कि ‘वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ पर आतंकवादी हमले और मुंबई के 26/11 से उसके जुड़े होने की बात की गयी है. 2002 में उमर सईद,बशीर बनकर अमरीकन पत्रकार डैनियल पर्ल (तिमोथी रायन) से मिलता है और फिर उसकी हत्या करता है. अमरीकन सरकार के दबाव के चलते पाकिस्तानी सरकार को उमर को गिरफ्तार कर सजा सुनानी पड़ती है. उमर सईद शेख अभी भी पाकिस्तानी जेल में बंद है.

हंसल मेहता ने पहली बार एक खलनायक पर फिल्म बनायी है. कुछ लोगों की राय में एक खूंखार आतंकवादी का महिमा मंडन करना गलत है. जबकि हंसल मेहता का दावा है कि उन्होंने नकारात्मक सोच वाले इंसान का महिमा मंडन नहीं किया है, बल्कि यह बताने की कोशिश की है कि आज की पीढ़ी आतंकवादी संगठनों की तरफ क्यों आकर्षित हो रही है? मगर पूरी फिल्म देखने के बाद हंसल मेहता का तर्क सही नजर नहीं आता.

नब्बे के दशक में सीरिया व बोसनिया में मुस्लिमों के साथ जो कुछ हो रहा था, उस वजह से उमर सईद आतंकवादी बनता है. इसे जायज नहीं ठहराया जा सकता. उमर सईद को निजी स्तर पर या उनके परिवार या उनके बहुत करीबी रिश्तेदार या दोस्त के साथ ऐसा कुछ नहीं होता, जिसकी वजह से उसके अंदर का गुस्सा फूटता और वह आतंकवाद की राह पकड़ता. एक साधारण इंसान आतंकवादी क्यों बनता है,वह कई कारनामों को अंजाम क्यों देता है, इस पर यह फिल्म कोई बात नहीं करती. हां! हंसल मेहता ने पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे आंतकवादी कैंप, उनकी ट्रेनिंग आदि का सजीव चित्रण किया है.

हंसल मेहता ने अपनी फिल्म में इस बात को जोरदार तरीके से रेखांकित किया है कि पाकिस्तानी हुकूमत आतंकवादियों को शरण देने के साथ उनकी मददगार बनी हुई है. हंसल मेहता ने फिल्म को कई वास्तविक लोकेशन पर फिल्माने के साथ ही कुछ घटनाक्रमों के वास्तविक वीडियो फुटेज भी उपयोग किए हैं. इससे यह फीचर फिल्म की बजाय डाक्यू ड्रामा बन जाती है.

फिल्म की पटकथा के अलावा इसमें जिस तरह से वास्तविक वीडियो जोड़े गए हैं, उसके चलते उमर सईद की कहानी से पूरी तरह ना वाकिफ दर्शक की समझ में नहीं आता कि क्या हो रहा है? फिल्म के कुछ दृश्य दर्शकों को विचलित जरुर करते हैं, मगर फिल्म दर्शकों को बांधने में पूरी तरह से विफल रहती है. फिल्मकार ने विदेशी पयर्टकों के अपहरण व उनकी हत्या के अलावा अमरीकी पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या को बेवजह काफी विस्तार से चित्रित किया है.

फिल्म में उमर सईद की शादी सहित कई  घटना क्रम हैं, मगर कमजोर पटकथा के चलते कई घटनाक्रम सही अनुपात में उकेरे नहीं जा सके. हंसल मेहता की पिछली फिल्मों की ही तर्ज पर बनी यह फिल्म दर्शकों को पसंद आए, इसकी उम्मीदें काफी कम हैं. फिल्म में अंग्रेजी भाषा /संवादों का काफी उपयोग किया गया है, जिसके चलते यह फिल्म काफी सीमित दर्शक वर्ग के लिए बनकर रह गयी.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो बेहद शांत नजर आने वाले खूंखार व जालिम आतंकवादी उमर सईद शेख के किरदार को राज कुमार राव ने अपने अभिनय से जीवंत किया है. कुछ दृश्यों में राज कुमार राव महज कैरी केचर/काफी बनावटी बनकर उभरते हैं, फिर भी राज कुमार राव ने एक बार फिर खुद को बेहतरीन अभिनेता साबित किया है. ईशान छाबड़ा का पार्श्व संगीत ठीक ठाक है.

एक घंटा 36 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘ओमेर्टा’’ का निर्माण ‘स्विस इंटरटेनमेंट’ और ‘कर्मा फीचर्स’ ने मिलकर किया है. फिल्म के निर्देशक हंसल मेहता, संगीतकार ईशान छाबड़ा, लेखक मुकुल देव व हंसल मेहता, कैमरामैन अनुज राकेश धवन तथा कलाकार हैं – राज कुमार राव, राजेश तैलंग, रूपिंदर नागरा, केवल अरोड़ा, तिमोथी रायन, हरमीत सिंह व अन्य.

 

आखिर क्यों तीनों खान के साथ काम नहीं करना चाहते अजय देवगन

बौलीवुड के सिंघम अजय देवगन इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म बादशाहो को लेकर खासा बिजी हैं. और अपनी फिल्म का प्रमोशन भी जमकर कर रहे हैं. अजय बौलीवुड के ऐसे स्टार हैं जिनके लिए फैंस बड़े बेसब्री से इंतजार करते हैं.

बौलीवु़ड की किसी भी बड़े स्टार से उनका रुतबा कम नहीं है चाहे वो खांन ही क्यों ना हो अजय की गिनती बालीवुड के टौप 5 एक्टर्स में होती है. अजय को किसी भी खान की जरूरत नहीं है वो अपनी फिल्म को अपने दम पर हिट कराना अच्छे से जानते हैं.

हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अजय ने खुलासा किया कि आखिर क्यों वो बौलीवुड के किसी खान के साथ काम नहीं करते हैं. अजय से जब यही सवाल किया गया तो, अजय देवगन ने कहा कि, मैंने सलमान खान, आमिर खान और दूसरे एक्टर्स के साथ काम किया है, लेकिन उस वक्त किसी के बीच ईगो क्लैश नहीं होता था हालांकि आज के समय में आप ऐसी उम्मीद नहीं कर सकते.

इसका मतलब साफ है कि आज की डेट में इन स्टार्स के अंदर ईगो आ चुका है. इसलिए वो उनके साथ काम नहीं करना चाहते. अजय ने इस दौरान अपने करियर को लेकर भी बोले और कहा कि हम लकी रहे कि हमने 25 साल पहले ही बौलीवुड में एंट्री कर ली. यही हमारा प्लस प्वौइंट है. आज दर्शक उसी फिल्म को देखने जाते हैं, जो उन्हें लगता है और लगता है की फिल्म उन्हें समझ आएगी. अजय ने बताया कि हर साल कई फिल्में रिलीज होती है लेकिन चलती सिर्फ 30 प्रतिशत फिल्में ही हैं.

मालदीव का यह होटल है बेहद खास, समुद्र के अंदर का दिखेगा नजारा

घूमने-फिरने के शौकीन लोग हमेशा कुछ नया तलाशते रहते हैं. उन्हें घूमने के अलावा ऐसी चीजें देखने का शौक होता है, जिसमें रोमांच हो. कई बार ये चीजें लोगों की पहुंच से दूर होती है लेकिन फिर भी उन्हें ऐसी नई जानकारी लेना बहुत अच्छा लगता है. आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां समुद्र के अंदर लोग आराम फरमाने से लेकर मौज-मस्ती से अपनी छुट्टियां बिताते हैं.

ये है खासियत

मालदीव में आप इस होटल में रहने का मजा ले सकती हैं. यह होटल कौनरेड मालदीव्स रंगाली आइलैंड नाम से मशहूर है. इसमें बेडरूम पानी के नीचे होगा. ये पानी से 16.4 फीट नीचे बनाया गया है. इसका स्ट्रक्चर स्टील, कंक्रीट और एक्रिलिक का होगा. इसके दो फ्लोर होंगे एक पानी के ऊपर और एक पानी के नीचे.

इस सुइट में एक साथ कुल 9 लोग रह सकते हैं. यहां लोगों को एक प्राइवेट सीप्लेन से ले जाया जाएगा. इसके बाद उन्हें स्पीडबोट के जरिए विला ले जाया जाएगा. यहां मेहमानों को पूरे वक्त के लिए 4 बटलर, एक शेफ, एक जेट स्की सेट और एक फिटनेस ट्रेनर दिए जाएंगे.

साथ ही मेहमानों को हर रोज 90 मिनट के लिए स्पा ट्रीटमेंट दिया जाएगा. यहां एक रात बिताने के लिए 50 हजार डौलर यानी लगभग 32 लाख 88 हजार रुपए चुकाने होंगे.

तो अगर आपको भी मालदीव घूमने का मौका मिले, तो आप यहां जरूर घूमें. ये आपके लिए नए तरह का अनुभव होगा.

स्कूबा डाइविंग के लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन

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मालदीव में चूंकि चारों तरफ नजर घुमाने पर पानी ही नजर आता है, इसलिए यहां आप वाटर एडवेंचर का मजा ले सकते हैं या फिर आराम से अपनी कौटेज में आराम फरमा सकते हैं. मालदीव का लगभग हर रिसौर्ट अपने पास स्कूबा डाइविंग के इंतजाम रखता है. सीखने वालों के लिए यहां डाइविंग स्कूल और कोर्स भी हैं. हर रिसौर्ट के पास द्वीप के नीचे अपनी एक समुद्री दीवार (रीफ) होती है जिसके चलते तेज लहरों या हवाओं के दौरान भी डाइविंग में कोई परेशानी नहीं आती.

4 लाख जनसंख्या वाले देश में 12 लाख टूरिस्ट

मालदीव 36 मूंगा प्रवालद्वीप और 1192 छोटे-छोटे आईलैंड से मिलकर बना हुआ देश है. एक आईलैंड से दूसरे आईलैंड पर जाने के लिए खास तौर से फेरी का इस्तेमाल किया जाता है. देश के इकोनोमी का टूरिज्म महत्वपूर्ण हिस्सा है.

अंडरवाटर फोटोग्राफी का मजा

मालदीव अंडरवाटर फोटोग्राफी के लिए यह दुनिया की बेहतरीन जगहों में से एक है. कोरल रीफ और मछलियों की इतनी किस्में शायद ही कहीं और हो. रही बात कैमरे की तो यहां के डाइविंग स्कूलों में अंडरवाटर कैमरे भी किराये पर मिल जाते हैं.

पनडुब्बी (सबमैरिन) का मजा मिलेगा यहां

समुद्र की गहराई में उतरकर समुद्र की दुनिया देखने का एक अलग ही मजा है. मालदीव के रोमांच में हाल का इजाफा जर्मन पनडुब्बी का है, जो हर किसी को पानी के नीचे की दुनिया दिखा सकती है. दुनिया की सबसे गहरी उतरने वाली और सबसे बड़ी यात्री पनडुब्बी है, जो समुद्र में सौ फुट नीचे उतरकर उस दुनिया से आपको रूबरू करवाती है.

दुनिया भर की व्हेल व डौल्फिन 20 किस्में

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अब यह बात बहुत कम ही लोगों को पता होगी कि मालदीव की गिनती व्हेल व डौल्फिन के नजारे लेने के लिए दुनिया की पांच सर्वश्रेष्ठ जगहों में होती है. इन दोनों मछलियों की बीस किस्मों का ठिकाना मालदीव के समुद्र में है. इनमें विशालकाय ब्लू व्हेल से लेकर बेहद छोटी लेकिन उतनी ही कलाबाज स्पिनर डौल्फिन तक सब शामिल हैं.

कैसे पहुंचे

मालदीव की राजधानी माले के लिए केरल में तिरुवनंतपुरम से सीधी उड़ान है. दिल्ली से कोलंबो होते हुए भी कुछ उड़ानें माले के लिए शुरू हुई हैं. कुछ अंतरराष्ट्रीय उड़ानें मुंबई होते हुए भी माले जाती हैं. किराया भी बहुत ज्यादा नहीं है. तिरुवनंतपुरम से माले का एक व्यक्ति का इकोनौमी क्लास का वापसी किराया लगभग साढ़े आठ हजार रुपये है. यह उड़ान महज 40 मिनट लेती है.

बचना चाहते हैं बैंक के एकस्ट्रा चार्जेज से तो अपनाएं ये आसान तरीके

देश के प्रमुख बैंक, बैंक खातों में मिनिमम बैलेंस रखने वाले ग्राहकों को एक लिमिट तक फ्री एटीएम ट्रांजेक्शन, चेकबुक और डेबिट कार्ड जैसी सुविधाएं फ्री में देते हैं. इसके लिए बैंक को बीते पांच साल के टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है. ऐसे में वह ग्राहकों से शुल्क लेना शुरू कर सकता है. इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी, आइसीआइसीआइ बैंक, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक शामिल हैं. ऐसे में आज हम आपको बैंकों द्वारा लिये जाने वाले एकस्ट्रा चार्जेज से बचने के उपाय बताएंगे जिसके जिसे अपनाकर आप अपने पैसों की बचत कर सकेंगे.

जानिए कैसे आप बैंक के चार्जेस से बच सकते हैं:

  • चेक को छोड़कर नेटबैंकिंग का इस्तेमाल करें. हर अतिरिक्त चेकबुक पर शुल्क लगता है. नेटबैंकिंग के जरिए फंड्स को मुफ्त में ट्रांस्फर कर सकते हैं. ऐसा करने से आप 20 से 150 रुपये प्रति चेकबुक बचा सकते हैं.
  • क्रेडिट कार्ड के बिलों का समय पर भुगतान करें. आउटस्टैंडिंग राशि पर उच्च ब्याज दरें लगती हैं. समय पर बिल का भुगतान करने पर ब्याज के रूप में आप 39 से 42 फीसद सालाना की बचत कर सकते हैं. आपको बता दें कि तीन दिन की देरी से भी 750 रुपये तक का चार्ज लग सकता है.

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  • कार्ड बिल के लिए औटो डेबिट रूट की सुविधा लें. अपने बैंक को निर्देश दें कि हर ड्यू डेट पर औटो डेबिट के तहत क्रेडिट कार्ड बिल का पांच फीसद खाते से काट ले. इससे आप भारी जुर्माने से बच सकते हैं. ऐसा करने से 39 फीसद से 42 फीसद तक की बचत कर सकते हैं जो कि भुगतान न की गई राशि पर लग सकता है.
  • बिल पे सेवाओं के लिए साइन अप करें. यूटिलिटी कंपनियां (बिजली, पानी आदि) देरी से बिल का भुगतान करने पर जुर्माना लेती हैं. अपने बैंक को स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन दे सकते हैं कि वह सुनिश्चित करे कि समय पर बिल का भुगतान हो जाए. इस पर लगने वाली पेनल्टी 40 रुपये से लेकर 100 रुपये तक हो सकती है.
  • ईमेल पर डुप्लिकेट स्टेटमेंट की मांग करें. बैंक डुप्लिकेट फिजिकल स्टेटमेंट या पासबुक के लिए शुल्क लेते हैं. इसपर आप 100 रुपये तक की बचत कर सकते हैं.
  • बैंक शाखाओं से कैश ट्रांजेक्शन से बचें. बैंक एक महीने में शाखाओं से 3 से 4 चार फ्री कैश ट्रांजेक्शन की सुविधा देते हैं. इससे आप 50 रुपये से लेकर 150 रुपये प्रति ट्रांजेक्शन तक बचा सकते हैं.
  • अपने खाते में हर समय मिनिमम बैलेंस मेंटेन कर के रखें. ऐसा न करने से नौन मेंटिनेंस चार्जेस लगते हैं. इससे आप 10 रुपये से लेकर 600 रुपये महीना तक बचा सकते हैं.
  • अपर्याप्त बैलेंस की स्थिति में चेक इश्यू न करें. चेक को डिओनर करने से न सिर्फ चार्जेस लगते हैं बल्कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत दंडनीय अपराध भी होता है. इससे आप 500 रुपये लेकर 750 रुपये प्रति चेक बचा सकते हैं.
  • क्रेडिट कार्ड से पैसों कि निकासी न करें. ब्याज के साथ साथ जारीकर्ता ट्रांजेक्शन फीस बी चार्ज करता है. निकासी की गई राशि का 2.5 फीसद या 300 रुपये से 500 रुपये तक बचाए जा सकते हैं.

‘कभी खुशी कभी गम’ पर सीरियल बनाने की तैयारी में हैं एकता कपूर

साल 2001 में करण जौहर फिल्म ‘कभी खुशी कभी गम’ लेकर यए थे. कहा जा सकता है कि ये उस दशक की सबसे बड़ी मल्टी स्टारर फिल्म थी. इसमें अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, शाहरुख खान, काजोल, रितिक रोशन और करीना कपूर मुख्य भूमिका में थे. ये फिल्म का जादू ऐसा है कि यज भी लोग इस फिल्म को देखते वक्त इसकी तारिफ करने से नहीं चुकते. लेकिन जरा सोचिए अगर ये फिल्म डेली सोप के रूप में दर्शकों के सामने परोसा जाए तो कैसा रहेगा. हैरान हो गए ना.

तो आपको बता दें कि जी हां, हम सही कह रहे हैं और अब ऐसा होने वाला है. फिल्मों के साथ-साथ कई टीवी शोज बना चुकी टेलीविजन की क्वीन एकता कपूर इस बार फिल्म कभी खुशी कभी गम को टीवी शो के रूप में लेकर आ रही हैं और इसकी जानकारी खुद उन्होंने ही दी है. ट्विटर पर इस खबर को शेयर करते हुए एकता कपूर ने लिखा, लंबे अरसे बाद एक बार फिर मैं एक फैमिली सोप की तैयारी में हूं. इस ट्वीट में उन्होंने ये भी बताया कि ये शो सोनी टीवी पर यएगा. इस शो का नाम होगा दिल ही तो है. बताया जा रहा है कि अगले दो महीने के अंदर ये शो आन एयर भी हो जाएगा.

रिपोर्ट के मुताबिक इस टीवी शो में अमिताभ बच्चन वाला रोल बिजाय यनंद करेंगे. चर्चा है कि कुछ रंग प्यार के ऐसे भी की अदाकारा एरिका फर्नांडिस इसमें काजोल वाला अंजली का या करीना कपूर वाला पूजा का रोल निभा सकती हैं. हालांकि कि अभी इसकी कोई आधिकारिक पुष्टी नहीं की गई है.

गरमियों में निखार बनाए रखने के लिए क्या करती हैं अभिनेत्रियां, आप भी जानें

गरमी का मौसम आते ही त्वचा में नमी की मात्रा कम होने लगती है. इस की वजह धूप, धूल, गरम हवा, प्रदूषण और पसीना आना है. त्वचा में नमी की मात्रा कम हो जाने से वह बेजान और रूखी हो जाती है. ऐसे में सही मात्रा में पानी पीना, संतुलित आहार लेना, सनस्क्रीन से खुद को प्रोटैक्ट करना, धूप से बचना आदि जरूरी है. ब्यूटी ऐक्सपर्ट आकृति कोचर कहती हैं कि गरमी के मौसम में त्वचा की नमी का ध्यान रखना जरूरी है वरना कई प्रकार के रैशेज, रैडनैस, ऐलर्जी आदि होने का खतरा रहता है. ऐसे में सनस्क्रीन और मौइश्चराइजर अच्छी कंपनी का ही लगाएं ताकि त्वचा सुरक्षित रहे. इन्हें घर से निकलने से 20 मिनट पहले लगाएं. कम से कम 15 एसपीएफ वाला सनस्क्रीन त्वचा के लिए अच्छा होता है.

अगर आप ने सही मात्रा वाले एसपीएफ का प्रयोग त्वचा के लिए नहीं किया, तो त्वचा की उम्र आप की उम्र से अधिक दिखेगी, इसलिए ऐक्सपर्ट की राय जरूरी है. गरमी के मौसम में सैलिब्रिटीज खासतौर पर अपनी त्वचा को ले कर संवेदनशील होते हैं, क्योंकि उन्हें धूप, धूल, प्रदूषण आदि में शूटिंग करनी पड़ती है. आइए, जानें किस तरह वे गरमी का सामना करते हैं:

श्रद्धा कपूर: वीट की ब्रैंड ऐंबैसेडर अभिनेत्री श्रद्धा कपूर कहती हैं, ‘‘गरमी के मौसम में मैं बहुत ही साधारण दिनचर्या फौलो करती हूं ताकि मेरी त्वचा की खूबसूरती बनी रहे. मैं खूब पानी पीती हूं. इस के अलावा फल और सब्जियां मेरी डाइट में शामिल होती हैं. मैं अपने चेहरे को कई बार साफ पानी से धोती हूं ताकि प्रदूषण, धूलमिट्टी से बची रहूं.

‘‘मैं सनप्रोटैक्शन क्रीम लगाए बिना घर से नहीं निकलती हूं. ये सारी बातें मैं ने अपनी मां से सीखी हैं. शूटिंग के दौरान भी मैं इन बातों का खयाल रखती हूं. इस मौसम में मैं मेकअप कम करती हूं.’’

करीना कपूर खान: करीना की तरह खूबसूरत त्वचा हर लड़की चाहती है. अपनी स्किन त्वचा का श्रेय वे अपने मातापिता को देती हैं, जो उन्हें जन्म से मिली है. वे हमेशा अपनी स्किन को नमीयुक्त रखती हैं. गरमी के मौसम में वे खूब पानी, सूप, जूस आदि पीती हैं ताकि त्वचा डीहाइड्रेट न हो.

करीना कहती हैं, ‘‘मैं पंजाबी परिवार से हूं जहां खाना सब कुछ होता है. मैं भी खूब खाती हूं. पंजाब में जाने पर मैं वहां के अमृतसरी कुलचे अवश्य खाती हूं. अब मेरी जीरो फिगर में रुचि नहीं और न ही मेरी स्विमसूट पहनने की इच्छा है. यह सब मैं ने फिल्म ‘टशन’ के दौरान कर किया था. अब मैं खूब खा रही हूं और खुश रहती हूं. लेकिन वर्कआउट अवश्य करती हूं ताकि फिट रहूं. मैं मेकअप अधिक नहीं करती. धूप में निकलने पर सनस्क्रीन अवश्य लगाती हूं. रात को सोते समय मौइश्चराइजर लगाती हूं. खाने में मौसमी फल, सब्जियां अवश्य लेती हूं. इन के अलावा मैं हमेशा साधारण रहना पसंद करती हूं. घर से निकलते वक्त आंखों के मेकअप के लिए काजल और मौइश्चराइजर अपने पर्स में रखती हूं.’’

नरगिस फाखरी: त्वचा को चिकना और ग्लोइंग बनाए रखने के लिए नरगिस क्लींजिंग, फेशियल, स्क्रब, मास्क आदि का प्रयोग करती हैं. जब वे बाहर शूट करती हैं, तो वालनट स्क्रब के द्वारा मेकअप को हटाती हैं. इस से मेकअप रोमछिद्रों से बाहर निकल जाता है, साथ ही इस से चेहरे का रक्तसंचार भी बढ़ता है. वे रात में सोते समय मौइश्चराइजर लगाती हैं.

नरगिस कहती हैं, ‘‘मैं उसी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती हूं, जो मुझ पर सूट करता है. मुझे अधिक मेकअप का शौक नहीं. धूप में अधिक नहीं जाती, संतुलित आहार लेती हूं. भारत में मैं मदर नेचर के पास हूं, जहां हर तरह की सब्जियां और फल आप के आसपास ताजा मिलते हैं. इन्हें खा कर और लगा कर मैं अपनी त्वचा को सुंदर रख सकती हूं. मुंबई में बाहर वाक या जौगिंग करना संभव नहीं, इसलिए घर पर डीवीडी लगा कर जुंबा वर्कआउट करती हूं. बालों के लिए हौट औयल मसाज अवश्य कराती हूं. अधिक शुगर नहीं लेती. भरपूर नींद लेती हूं.’’

दीपिका पादुकोण: दीपिका गरमी के मौसम में अपनी त्वचा का खास ध्यान रखती हैं. दीपिका कहती हैं, ‘‘रात में जो भी मेकअप मेरे चेहरे पर होता है, उसे मैं निकाल कर हाइड्रेटिंग क्रीम लगाती हूं. इस के अलावा खूब पानी पीती हूं. संतुलित आहार लेती हूं. नियमित वर्कआउट करती हूं और नींद पूरी करती हूं. इस मौसम में गरम और सूखी हवा से बाल बेजान से हो जाते हैं. ऐसे में सप्ताह में 1 बार टैंडर कोकोनट औयल से मसाज कराने से बाल खराब होने से बचते हैं.

‘‘मैं मेकअप अधिक पसंद नहीं करती. पर बीबी क्रीम अवश्य लगाती हूं. मुझे लाल लिपस्टिक बहुत पसंद है, जिसे लाइनर के साथ लगाती हूं.’’

गरमियों में खूबसूरत दिखने के कुछ टिप्स

  1. घर से बाहर निकलना हो तो सनस्क्रीन लगाएं.
  2. धूप में निकलते वक्त चुन्नी या दुपट्टा अथवा स्कार्फ से चेहरा ढक लें.
  3. ककड़ी, अंगूर, संतरा, तरबूज आदि फलों का सेवन अधिक से अधिक करें.
  4. बाहर निकलना हो तो पानी की बोतल साथ रखें.
  5. हफ्ते में 1 बार प्राकृतिक फेस पैक लगाएं जिस में चंदन का लेप, हलदी का लेप, ऐलोवेरा खासकर फायदेमंद होता है.
  6. चायकौफी का सेवन थोड़ा कम करें. ग्रीन टी पीएं.
  7. सोने से पहले चेहरे को धो कर मौइश्चराइजर लगाएं.
  8. ऐलोवेरा, रोजवाटर और ग्लिसरीन को मिला कर पेस्ट बनाएं और चेहरे पर लगाएं. इस से फ्रैश और रैडिएंस लुक मिलेगा.

इस मौसम में धूप के असर को करना हो बेअसर, तो इन उपायों से न रहें बेखबर

गरमी के मौसम में स्किन काफी नाजुक और संवेदनशील हो जाती है. इस मौसम में स्किन के धूप के संपर्क में रहने से स्किन संबंधी कई समस्याएं होने लगती हैं. ऐसे में उस के प्रति थोड़ी सी भी लापरवाही आप की सुंदरता को बिगाड़ सकती है. गरमी में स्किन प्रौब्लम्स से बचने के उपाय बता रही हैं यावाना ऐस्थैटिक क्लीनिक की कंसल्टैंट डर्मैटोलौजिस्ट डा. माधुरी अग्रवाल और सोहम वैलनैस क्लीनिक की ब्यूटी ऐक्सपर्ट दिव्या ओहरी:

सनबर्न

सनबर्न सूर्य की हानिकारक किरणों के अत्यधिक संपर्क में आने के कारण स्किन पर होने वाली प्रतिक्रिया है. इस के लगातार संपर्क में आने से स्किन रूखी, बेजान और झुर्रियों वाली हो जाती है. गंभीर रूप से सनबर्न होने पर स्किन में छाले भी पड़ जाते हैं. कभीकभी स्किन छिल भी जाती है.

सनबर्न के लिए घरेलू उपाय

  1. सनबर्न का प्राथमिक उपचार घर से शुरू किया जा सकता है. इस के लिए ठंडे पानी से नहाना या दिन में बारबार सनबर्न से प्रभावित पार्ट पर ठंडी गीली पट्टियां लगाना जलन और दर्द को कम करने में काफी सहायक होता है.
  2. सनबर्न के कारण स्किन पर काले चकत्ते हो गए हैं, तो प्रभावी हिस्से पर बर्फ रगड़ने से निशान काफी हद तक कम हो जाते हैं.
  3. आलू दर्दनिवारक का काम करता है. यह त्वचा पर हलकी जलन, खरोंच, घाव, जलने वाली जगह पर लगने से आराम देता है. आलू को काट कर सनबर्न वाली जगह लगाने से काफी आराम मिलता है. आप चाहें तो आलू का छिलका उतार कर पेस्ट बना कर रुई से लगा सकती हैं.
  4. पुदीने की पत्तियों का रस निकाल कर झुलसी त्वचा पर नियमित लगाने से आराम मिलता है. इस के अलावा 1 चम्मच उरद दाल को दही के साथ पीस कर झुलसी त्वचा पर लगाने से भी राहत मिलती है.

चिकित्सीय उपचार

  1. विटामिन ई एक तरह का ऐंटीऔक्सिडैंट होता है, जो संक्रमण को कम करता है. सनबर्न की वजह से आप सप्लिमैंट के रूप में विटामिन ई ले सकती हैं. आप चाहें तो विटामिन ई युक्त भोजन का भी सेवन कर सकती हैं.
  2. स्किन पर किसी तरह के साबुन का इस्तेमाल न करें. उसे साफ करने के लिए ऐसे फेसवाश और लोशन का इस्तेमाल करें, जिस में टी ट्री तत्त्व हों. स्किन को ठंडा रखने के लिए कैलिमाइन लोशन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
  3. अगर सनबर्न ज्यादा होता है, तो डर्मैटोलौजिस्ट पहले ऐंटीऐलर्जी दवा देते हैं ताकि जलन व सूजन को कम किया जा सके. बर्न खत्म होने के बाद हाइड्राफेशियल से स्किन को औक्सीजन प्रदान की जाती है.

प्रिकली हीट को करें ट्रीट

गरमी के मौसम में पसीना आना स्वाभाविक है. जब पसीना चेहरे पर जमा होता है तो उस से स्किन डल तो लगती ही है, साथ ही पसीने 5के कारण छोटेछोटे दाने भी निकलने लगते हैं, जिस से स्किन में इरिटेशन होने लगती है.

प्रिकली हीट के लिए घरेलू उपाय

  1. प्रिकली हीट के लिए बेकिंग सोडा सब से अच्छा रहता है. 1 चम्मच बेकिंग सोडा को ठंडे पानी में मिलाएं. फिर उस में साफ कपड़ा डुबो कर प्रभावित पार्ट पर 5-10 मिनट रखा रखें. यह प्रिकली हीट के कारण हो रही खुजली और सूजन को कम करने में मदद करता है.
  2. प्रिकली हीट पर ठंडा पानी जल्दी असर करता है. एक कपडे़ में कुछ बर्फ के टुकड़े रख कर प्रभावित जगह पर रखें. ऐसा हर 5-6 घंटे के अंतराल में करें. ऐसा करना चकत्तों को फैलने से रोकता है और दर्द से भी आराम देता है.
  3. चंदन में शरीर के तापमान को कम करने की क्षमता होती है और यह तेजी से काम करता है. चंदन पाउडर और गुलाबजल बराबर मात्रा में मिलाएं और फिर प्रभावित जगह पर लगा कर सूखने दें. सूखने के बाद ठंडे पानी से धो लें. दिन में ऐसा 2 बार करें. काफी आराम मिलेगा. प्रिकली हीट के समय कोटन के कपड़े पहनें और डीहाइड्रेशन से बचने के लिए नारियल पानी का सेवन करें.

चिकित्सीय उपचार

प्रिकली हीट के लिए हाइड्रोफेशियल ट्रीटमैंट किया जाता है. यह 3-4 स्टैप में होता है. पहले स्किन टाइटनिंग की जाती है. उस के बाद टौक्सिन रिमूवल, फिर औक्सीजनाइजेशन और अंत में विटामिन सी इंफ्यूज किया जाता है.

रोसेसिया

रोसेसिया एक बहुत ही सामान्य स्किन समस्या है, जो आमतौर पर 30 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में होती है. इस में नाक, गाल व चिन पर लाल चकत्ते हो जाते हैं और स्किन ड्राई हो जाती है.

रोसेसिया के लिए घरेलू उपाय

रोसेसिया को प्राकृतिक तरीके से कम किया जा सकता है. इस के लिए 2 कप ग्रीन टी बना कर ठंडा होने के लिए फ्रिज में आधे घंटे के लिए रख दें. फिर फ्रिज से निकाल कर इस में साफ मुलायम कपड़े को गीला कर के प्रभावित स्थान पर कुछ देर रखें. काफी आराम मिलता है. रोसेसिया के लिए ऐप्पल मास्क भी एक प्राकृतिक उपाय है. इस के लिए ऐप्पल का छिलका उतार कर उस का पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को फेस पर लगा कर 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें. इस के बाद ठंडे पानी से धो लें.

चिकित्सीय उपचार

रोसेसिया को घरेलू उपायों से ठीक करने के अलावा कैमिकल पील, ग्लाईकोलिक पील और फोटो फेशियल के द्वारा भी ठीक किया जाता है. कैमिकल पील एक ट्रीटमैंट है, जो डैड स्किन को रिमूव कर के स्किन को स्मूद करता है. इसी तरह ग्लाईकोलिक पील में स्किन की ऊपरी सतह पर जमी गंदगी को साफ किया जाता है.

ऐक्ने की प्रौब्लम

ऐक्ने तब शुरू होते हैं जब त्वचा में तैलीय ग्रंथियां अधिक सक्रिय व अनियमित ढंग से कार्य करने लगती हैं. बहुत अधिक तैलीय ग्रंथियों के रिसाव के कारण त्वचा के रोमछिद्र खुल जाते हैं, जिस के परिणामस्वरूप ब्लैकहैड्स और ऐक्ने की समस्या उत्पन्न होती है.

घरेलू उपाय

  1. ऐक्ने के लिए खीरे का फेसमास्क उपयोगी रहता है. खीरा और ओटमील को मिला कर पेस्ट तैयार कर लें. फिर इस पेस्ट में 1 चम्मच दही मिक्स कर के मुंहासों पर लगाएं. सूखने के बाद ठंडे पानी से धो लें. यह फेसमास्क स्किन को रिजूवनेट करता है और ऐक्ने को कम करता है.
  2. ऐक्ने के लिए हलदी भी बहुत कारगर है. 2 चम्मच बेसन में थोड़ी सी हलदी, चंदन और बादाम का तेल मिला कर चेहरे पर लगाएं. 10-15 मिनट के बाद हलकाहलका रब कर के हटाएं. फिर ठंडे पानी से चेहरे को धो लें.
  3. शहद भी ऐक्ने पर जल्दी असर दिखाता है. शहद में नीबू का रस मिला कर चेहरे पर लगाएं. सूखने के बाद कुनकुने पानी से चेहरे को धो लें.

चिकित्सीय उपचार

ऐक्नों के लिए कुछ खाने की दवा भी दी जाती है. आजकल अलगअलग स्किन प्रौडक्ट्स के इस्तेमाल से भी ऐक्नों को ठीक किया जा रहा है जैसे खास ऐक्ने फेसवाश, ऐक्ने बेबी क्रीम, ऐक्ने स्पौट कंसीलर. ऐक्नों के लिए ऐक्ने पील, कैमिकल पील और लेजर लाइट ट्रीटमैंट का इस्तेमाल भी किया जाता है, इन ट्रीटमैंट्स से ऐक्नों को आसानी से खत्म किया जा सकता है. सैलिसिलिक ऐसिड भी चेहरे की स्किन के लिए बहुत ही फायदेमंद है इसलिए सैलिसिलिक ऐसिड से बने फेसवाश और क्रीम का इस्तेमाल करें.

बौडी ओडोर

हमारे शरीर से 2 तरह का पसीना निकलता है- पहला, ऐक्राइन जो साफ और बिना दुर्गंध का होता है तथा यह पूरे शरीर से निकलता है व शरीर के तापमान को बनाए रखता है और दूसरा, ऐपोक्राइन. यह एक मोटा पदार्थ होता है जो कमर और कांख में ग्रंथियों के द्वारा निर्मित होता है. ऐपोक्राइन भी बिना दुर्गंध का होता है. लेकिन जब बैक्टीरिया का प्रभाव पड़ता है तब यह दुर्गंध देता है.

अगर गरमी में पसीने की वजह से आप के शरीर से भी दुर्गंध आती है तो आजमाएं ये उपाय:

  1. नीबू बैक्टीरिया को मारता है. एक ताजे नीबू को 2 भागों में काट कर अंडरआर्म्स पर रगड़ें. थोड़ी देर के लिए नीबू का रस लगा रहने दें, फिर ठंडे पानी से धो लें.
  2. यदि आप घर पर हैं और आप के पास कोई डियोड्रैंट नहीं है तो 1 कप पानी में थोड़ा सा हाईड्रोजन पैराक्साइड मिलाएं. फिर इस पानी में एक साफ कपड़े को गीला कर के कांख पर रगडि़ए. ऐसा करने से पसीने की दुर्गंध कम होती है.

चिकित्सीय उपाय

डियोड्रैंट और ऐंटीपर्सपिरैंट कुछ चिकित्सीय उपचार हैं, जो बौडी ओडोर को कम करते हैं. ऐंटीपर्सपिरैंट में ऐल्यूमिनियम क्लोराइड होता है, जो शरीर के द्वारा उत्पन्न पसीने को कम करता है. बोटोक्स ट्रीटमैंट के द्वारा भी पसीने को कम किया जाता है.

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