मजेदार चटपटा अचार

औलिव अचार

सामग्री

50 ग्राम ग्रीन और ब्लैक औलिव  5 ग्राम लहसुन बारीक कटा  5 ग्राम सफेद सिरका  5 ग्राम चीनी  5 ग्राम लालमिर्च पाउडर  चुटकी भर हलदी  थोडे़ से सरसों के बीज  10 ग्राम औलिव औयल  5 ग्राम जीरा पाउडर  नमक स्वादानुसार.

विधि

तेल गरम कर सरसों के बीज डाल कर चटकाएं. फिर इस में लहसुन डाल कर उस में औलिव और सभी सूखे मसाले डाल कर तब तक पकाएं जब तक कि मसाले औलिव के साथ अच्छी तरह मिक्स न हो जाएं. फिर आंच से उतार कर गरमगरम सर्व करें.

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अदरक का हैल्दी अचार

सामग्री

150 ग्राम अदरक  नमक स्वादानुसार 10 ग्राम लालमिर्च पाउडर  15 ग्राम वैजिटेबल औयल  15 ग्राम नीबू का रस  10 ग्राम अजवाइन  थोड़ा सा जीरा पाउडर.

विधि

अदरक को लंबे टुकड़ों में काट लें. फिर तेल गरम कर अदरक और सारे सूखे मसाले डालें और थोड़ी देर के लिए आंच तेज कर दें. फिर आंच से उतार कर इस में नीबू का रस डालें और अच्छी तरह मिला कर तुरंत सर्व करें.

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अचारी ब्रैड रोल

सामग्री

4 सफेद ब्रैड पीस  कोटिंग के लिए ब्रैड क्रंब्स और तिल  तेल तलने के लिए  2 उबले आलू थोड़ा सा गरममसाला  थोड़ा सा चाटमसाला थोड़ा सा आम के अचार का मसाला  सजाने के लिए धनियापत्ती कटी हुई  2 ग्राम अदरक 1 हरीमिर्च  स्वादानुसार नमक  2 ग्राम लालमिर्च पाउडर.

विधि

आलुओं को अच्छी तरह मसल लें. फिर तेल गरम कर अदरक डाल कर भूनें. फिर इस में आलू, सूखा मसाला और अचार मसाला डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. अब आंच से उतार कर मिक्सचर को ठंडा होने दें. अब ब्रैड पीस ले कर उसे रोलिंग पिन की मदद से रोल कर मिक्सचर को रोल में भर कर पानी से अच्छी तरह से चिपकाएं. फिर पुन: तैयार रोल को ब्रैड क्रंब्स के मिक्सचर में कोट कर गरम तेल में सुनहरा होने तक तलें. चटनी के साथ गरमगरम सर्व करें.

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अचारी काठी रोल

सामग्री

 2 बनेबनाए रोल रैप

भरावन की सामग्री

50 ग्राम पनीर बारीक कटा  थोड़ी सी शिमलामिर्च बारीक कटी  1 छोटा प्याज बारीक कटा  3 ग्राम अचार का तेल  5 ग्राम आम के अचार का मसाला  चुटकी भर गरममसाला थोड़ा सा नमक  चुटकी भर मिर्चपाउडर चुटकी भर चाटमसाला  चुटकी भर जीरा पाउडर  1 नीबू  5 ग्राम अदरक और लहसुन का पेस्ट.

विधि

तेल गरम कर प्याज और अदरकलहसुन का पेस्ट डाल कर कुछ मिनट तक भूनें. फिर इस में पनीर, अचार मसाले व सभी सूखे मसाले डाल कर 2 मिनट तक भूनें. शिमलामिर्च डाल कर पुन: भूनें. अब आंच से उतार कर नीबू का रस डालें. तैयार मसाले को ठंडा कर के रोल भरें. ऊपर से चाटमसाला डाल कर हरी चटनी के साथ सर्व करें.

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हरीमिर्च का अचार

सामग्री

100 ग्राम हरीमिर्च  थोड़ा सा धनिया पाउडर 5 ग्राम जीरा पाउडर  थोड़ी सी हलदी  5 ग्राम मेथीदाना पाउडर  10 ग्राम सरसों का तेल  5 ग्राम सौंफ का पाउडर  3 ग्राम अजवाइन  1 नीबू  स्वादानुसार नमक.

विधि

हरीमिर्चों को 2 टुकड़ों में काटें. फिर तेल गरम कर हरीमिर्चों को भूनें. थोड़ी देर बाद सूखे मसाले डाल कर पुन: अच्छी तरह भूनें. आंच से उतार कर नीबू डाल कर तुरंत सर्व करें.

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लालमिर्च का खट्टामीठा अचार

सामग्री

200 ग्राम बड़ी वाली लालमिर्च  20 ग्राम चीनी  10 ग्राम नमक  3 ग्राम मेथीदाना 15 ग्राम मोटी सौंफ  10 ग्राम अमचूर 10 ग्राम राई  3 ग्राम हलदी 20 ग्राम सरसों का तेल.

विधि

लालमिर्च को गोल आकार में काट लें. कड़ाही में मेथीदाना और सौंफ डाल कर 2 मिनट तक चटकाएं. फिर इस का पाउडर बना कर एक तरफ रख दें. अब तेल गरम कर राई, लालमिर्च तैयार पाउडर व बाकी सभी सूखे मसाले डाल कर तब तक पकाएं जब तक मिर्च अच्छी तरह पक न जाए. फिर इस में चीनी डाल कर आंच धीमी कर दें. जब चीनी पिघल जाए तो आंच से उतार कर तुरंत सर्व करें.

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मटर अचार

सामग्री

250 ग्राम हरे मटर  15 ग्राम राई  5 ग्राम अमचूर  10 ग्राम सिरका (सफेद)  5 ग्राम मेथी  10 ग्राम सौंफ पाउडर  10 ग्राम जीरा पाउडर  5 ग्राम गरममसाला  5 ग्रामहलदी  10 ग्राम अदरक का पेस्ट 10 ग्राम लालमिर्च पाउडर 20 ग्राम सरसों का तेल.

विधि

सभी सूखे मसालों को मिक्स कर एक तरफ रख दें. फिर तेल गरम कर अदरक का पेस्ट डाल कर भूनें. उस में मटर डाल कर 2 मिनट तक भूनें. फिर आंच तेज कर सभी सूखे मसाले डालें और ढक कर 5 मिनट पकने दें. आंच से उतार कर उस में सिरका डालें. अचार तैयार है. इसे फ्रिज में रख कर इस का कई दिनों तक मजा ले सकते हैं.

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आंवला व अदरक का अचार

सामग्री

200 ग्राम आंवले  50 ग्राम अदरक  10 ग्राम सरसों  10 ग्राम मेथीदाना  5 ग्राम गरममसाला थोड़ा सा लालमिर्च पाउडर  चुटकीभर हींग थोड़ी सी हलदी  20 ग्राम सरसों का तेल नमक स्वादानुसार.

विधि

आंवलों और अदरक को लंबेलंबे दुकड़ों में काटें. फिर तेल गरम कर हींग डालें, साथ ही सरसों और मेथीदाना डाल कर चटकाएं. फिर आंच तेज कर अदरक और आंवले डालें. थोड़ी देर बाद हलदी, लालमिर्च पाउडर, गरममसाला, नमक और कालीमिर्च डाल कर तब तक पकाएं जब तक कि आंवला अच्छी तरह पक न जाए. अचार तैयार है.

-व्यंजन सहयोग: रुचिता कपूर जुनेजा

फिल्म रिव्यू : बाबा ब्लैकशिप

भ्रष्ट राजनेता की करतूतों के साथ प्रेम कहानी को पेश करने वाली फिल्म ‘‘बाबा ब्लैकशिप’’ कहीं से भी दर्शकों को अपनी तरफ नहीं खींचती है.

फिल्म ‘‘बाबा ब्लैकशिप’’ की कहानी गोवा में रहने वाले बाबा (मनीष पौल) से शुरू होती है. जो कि एक आर्ट शिक्षक से आर्ट डीलर बने ब्रायन मोरिस उर्फ सांता (अन्नु कपूर) की बेटी एंजिला मोरिस (मंजरी फड़नवीस) से प्यार करता है. दोनों शादी करना चाहते हैं, मगर सांता ऐसा नहींहोने देना चाहते. उनकी नजर में एक काजू बेचने वाले की कमाई कुछ नहीं हो सकती. बाबा इस बात से अनजान है कि एंजिला के पिता मशहूर पेटिंग चुराकर, उनकी नकल वाली पेटिंग बनाकर मौलिक पेटिंग के रूप में बेचकर लोगों को ठगते रहते हैं.

उधर बाबा अब तक अपने पिता चारूदत्त शर्मा (अनुपम खेर) को अपनी मां की डांट खाते ही देखते आए हैं. शर्मा जी घर पर बर्तन धोते व बुनाई करते नजर आते हैं. लेकिन बाबा का पच्चीसवां जन्मदिन उनकी जिंदगी में उथल पुथल मचा कर रख देता है. अपने 25वें जन्मदिन पर बाबा को उसके पिता बताते हैं कि वह सर्वाधिक चर्चित हिटमैन यानी कि हत्याएं करने में माहिर चार्ल्स हैं. इतना ही नही शर्मा बताते हैं कि पैसा लेकर हत्या करने का यह धंधा उनका काफी पुश्तैनी धंधा है. इस धंधे में वह 12 पीढ़ी के नुमाइंदे हैं और अब तेरहवीं पीढ़ी यानी कि बाबा भी यहीधंधा करेगा. पर बाबा इंकार कर देता है, वह कहता है कि वह तो काजू की दुकान पर ही बैठेगा, क्योंकि उसे एंजिला मोरिस से शादी करनी है.

चारूदत्त शर्मा पैसे का सौदा होने पर आधा पैसा एडवांस में लेकर हत्या करते हैं, बाकी पैसा हत्या होने के बाद लेते हैं. लेकिन वह सामने वाले से कहते हैं कि वह पैसा वह रेलवे स्टेशन पर बने लाकर में रख दे. लाकर कुछ इस तरह से है कि उस लाकर का पिछले दरवाजे के लाकर का नंबर अलग है, तो पीछे वाले दरवाजे पर चाभी लगाकर वह पैसा निकालते रहते हैं. इस तरह वह लोगों के सामने नहीं आते हैं.

उधर राज्य के भ्रष्ट गृहमंत्री उप्पल (मनीष वाधवा) वास्तव में सबसे बडे़ खिलाड़ी हैं. वह हैं राज्य के गृहमंत्री, मगर ड्रग्स का अवैध कारोबार वही चला रहे हैं, जिसका मैनेजर उन्होंने कमाल (बी.शांतनु) को बना रखा है. गृहमंत्री की पत्नी लड़कियों की तस्करी से जुड़ी हुई हैं. कमाल,गृहमंत्री उप्पल का इशारा पाते ही अपने छोटे भाई जमाल से सामने वाली की हत्या करवा देता है. उप्पल इस बात से परेशन रहते हैं कि आने वाले चुनाव के लिए फंड कैसे आए, तथा वह ईमानदार एसीपी शिवराज (के के मेनन) से भी परेशान हैं.

उप्पल का आदमी जब ड्रग्स की बडी खेप लेकर गोवा एयरपोर्ट पर उतरता है, तो एसीपी शिवराज उसके पीछे पड़ जाता है, पर वह किसी तरह से बचकर अपने घर पहुंच जाता है. अब गृहमंत्री उप्पल, कमाल से कहते हैं कि किसी मंजे हुए हिटमैन को ठेका देकर उस ड्रग्स को लाने वाले की हत्या करवा दें. चारूदत्त शर्मा को यह ठेका मिलता है. चारूदत्त अपने बेटे बाबा को अपने साथ लेकर जाते हैं और उप्पल के आदमी के घर में बम फिट कर देते  हैं.

इधर, एसीपी शिवराज, कमाल व जमाल का पीछा करते हुए गृहमंत्री उप्पल के घर पहुंच जाता है. वह कमाल व जमाल को ड्रग्स के अवैध कारोबार से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार करना चाहता है. एसीपी कहता है  कि वह गिरफ्तारी की जगह उप्पल का घर नहीं दिखाएगा. पर उप्पल कहते हैं कि उन्हे अपनी सैलरी चाहिए, तो सैल्यूट करके वापस चला जाए.

इधर हर बार चुनाव से पहले उप्पल को चुनावी फंड के रूप में धन राशि देने वाले उद्योगपति डैनियल ने उन्हे आंख दिखाना शुरू कर दिया है. वह चाहता है कि पहले उप्प्ल उसकी एक फाइल को पास कर दे, तब वह पैसा दे. अब उप्पल एक चाल चलता है. वह कमाल से कहकर चारूदत्त शर्मा को डैनियल र् आर्ट डीलर मोरिस की हत्या करने की सुपारी दिलवाता है, और एसीपी शिवराज के हाथों चारूदत्त उर्फ चार्ल्स को गिरफ्तार करवाकर खुद को लोगों की नजर में अच्छा साबित करना चाहता है. मगर बाबा की समझदारी से बाबा, मोरिस, चारूदत्त शर्मा व एसीपी शिवराज मिलकर नई चाल चलते हैं, जिसमें कमाल व डैनियल के साथ ही गृहमंत्री उप्पल भी मारे जाते हैं.

विश्वास पंड्या की निर्देशकीय कमजोरी और कमजोर पटकथा, बेसिर पैर की कहानी के चलते बेहतरीन व प्रतिभाशाली कलाकारों के उत्कृष्ट अभिनय के बावजूद फिल्म ऐसी नहीं है कि दर्शक अपनी गाढ़ी कमाई इसे देखने के लिए खर्च करे. निर्देशक ने ज्वलंत व बेहतरीन विषय की ऐसी की तैसी कर डाली. कहानी में इतने सारे ट्रैक हैं, कि दर्शक भी पूरी तरह से कन्फ्यूज हो जाता है. फिल्म का क्लायमेक्स भी बड़ा अजीब सा है. फिल्म को एडीटिंग टेबल पर भी कसने की जरुरत थी. कुछ सीन तो सीरियल का अहसास कराते हैं.

फिल्म का गीत संगीत आकर्षित नहीं करता. फिल्म गोवा की पृष्ठभूमि पर है, पर एक गाना 90 के दशक का पंजाबी गीत रखा गया है. यह बड़ा अजीब सा लगता है.

फिल्म को हास्य व प्रेम कहानी वाली फिल्म के रूप में प्रचारित किया गया, मगर रोमांस भी ठीक से उभर नहीं पाता. एक रोमांटिक गाना है,वह भी जबरन ठूंसा हुआ लगता है.

मनीष पौल पहली बार बेहतरीन अभिनय करते हुए नजर आए, उनकी कौमिक टाइमिंग भी जबरदस्त है. मगर उनका किरदार भी सही ढंग से उभरता नहीं है. अन्नू कपूर, अनुपम खेर, मनीष वाधवा व के के मेनन अपनी बेहतरीन अदाकारी से भी इस फिल्म को तहस नहस होने से नहींबचा पाते हैं. क्योंकि पटकथा के स्तर पर इन कलाकारों को कोई मदद नहीं मिलती है. मंजरी फड़नवीस के किरदार के साथ भी न्याय नहीं हुआ है. बी.शांतनु अपनी छोटी भूमिका में भी प्रभाव डालने में सफल रहते हैं.

एक घंटे 51 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘बाबा ब्लैकशिप’’ के लेखक निर्देशक विश्वास पंड्या, लेखक संजीव पुरी, संगीतकार रोशन बालू व गौरव दास गुप्ता, कलाकार हैं – मनीष पौल, मंजरी फड़नवीस, के के मेनेन, अन्नू कपूर, अनुपम खेर, मनीष वाधवा, बी.शांतनु व अन्य.

मुझे मिस इंडिया बनना था : उर्वशी रौतेला

फिल्म ‘सिंह साहब द ग्रेट’ से कैरियर की शुरुआत करने वाली खूबसूरत अदाकारा उर्वशी रौतेला, उत्तराखंड के हरिद्वार की हैं. स्कूल के दिनों से ही मौडलिंग की शुरुआत करने वाली उर्वशी ने 2015 में ‘मिस दिवा’ का खिताब जीता. उन्होंने ‘मिस इंडिया यूनिवर्स 2015’ का प्रतिनिधित्व भी किया. हिंदी के अलावा उन्होंने कन्नड़ और बंगाली फिल्मों में भी काम किया है. फिल्म ‘हेट स्टोरी 4’ में उर्वशी ने मुख्य भूमिका निभाई है. उन से मिल कर बात करना रोचक रहा. पेश हैं, कुछ खास अंश:

‘हेट स्टोरी 4’ फिल्म पर क्या कहना चाहेंगी?

यह एक रोमांटिक थ्रिलर फिल्म है. कहने को तो यह हेट स्टोरी है, पर इस श्रृंखला को सब से अधिक प्यार मिला है. यह मेरे कैरियर की पहली महिलाप्रधान फिल्म है. इस से पहले की फिल्मों में मैं ने सहायक भूमिकाएं की थीं, जिन में कामयाबी और नाकामयाबी दोनों थीं.

फिल्म में ‘हील्स कोरियोग्राफी’ है, जिसे आप ने किया है. यह कैसे और कहां सीखी?

मैं ने डांस के 11 फौर्म सीखें हैं. मसलन, भरतनाट्यम, जैज, बैले, बौलीवुड डांस आदि. इस से मुझे किसी भी प्रकार के डांस को परर्फोम करने में परेशानी नहीं होती है. इस के अलावा मैं ने इस फिल्म में एक सुपर मौडल की भूमिका भी निभाई है, जो बहुत साहसी, मजबूत, आत्मविश्वास से परिपूर्ण होने के साथसाथ सौफ्ट और संवेदनशील भी है.

क्या फिल्मों में आना इत्तफाक था या पहले से सोचा था?

मैं ने फिल्मों में आने की कभी कल्पना भी नहीं की थी. मैं जिमनास्ट, बास्केटबौल प्लेयर या ऐरोनौटिकल इंजीनियर बनना चाहती थी. फिल्मों में आने के लिए परिवार वालों और दोस्तों ने कहा. पहले मुझे लगा था कि पता नहीं मैं इस क्षेत्र में सफल होऊंगी या नहीं, पर जब मौडलिंग के औफर आने लगे, तो अपने ऊपर विश्वास हुआ, फिर जब 2 बार मिस इंडिया का खिताब जीता, तो आत्मविश्वास और बढ़ा.

किस फिल्म ने आप को प्रेरित किया?

मैं ने पहले थिएटर में फिल्म ‘कहो न प्यार है’ देखी थी. उस में रितिक के अभिनय से बहुत प्रेरित हुई थी. इस के बाद जब उन्होंने फिल्म ‘काबिल’ के गाने ‘हसीनों का दीवाना…’ डांस के लिए बुलाया, तो मुझे बहुत खुशी हुई थी. डांस मेरा ऐक्स्ट्रा टेलैंट है और अभिनय मेरा पैशन है.

परिवार का कैसा सहयोग रहा?

मैं इकलौती संतान हूं और बचपन से ही पैंपर्ड चाइल्ड रही हूं. मैं 16 साल की उम्र में मुंबई आ गई थी. मेरी मां मीरा रौतेला बिजनैस वूमन होने के साथसाथ इंडस्ट्री की सब से सुंदर महिला भी हैं. मेरे पिता व्यवसायी हैं. उन से मानसिक और भावनात्मक सहयोग मुझे हमेशा मिला.

मिस दिवा’ से ले कर अब तक का सफर कैसा रहा?

मुझे मिस इंडिया बनना था और मैं ने कई ब्यूटी पेजैंट भी जीते हैं, जिस से मैं लोगों के बीच जल्दी पौपुलर हो गई, इस से मुझे मौडलिंग और ऐक्टिंग के औफर भी मिलने लगे. अगर बात मुश्किल की करें तो मैं ने 16 साल की उम्र में ‘मिस यूनिवर्स’ के लिए पूरी तैयारी की थी, लेकिन कंपीटिशन के समय मैं 20 दिन छोटी होने की वजह से भाग नहीं ले सकी थी. यह मेरे लिए बहुत दुखद था. सही फिल्मों के मिलने के लिए संघर्ष होता ही है.

क्या कभी ‘कास्टिंग काउच’ का सामना करना पड़ा?

कास्टिंग काउच का सीधा सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन कभी मुझे लीड बता कर किसी स्टार किड्स को ले लेना जैसी समस्याओं का सामना जरूर करना पड़ा. इंडस्ट्री में भाईभतीजावाद है, लेकिन अगर मेरे अंदर प्रतिभा है, तो मैं उसे किसी न किसी दिन अवश्य बाहर लाने में समर्थ होऊंगी. समय लगता है, पर काम अवश्य मिलता है.

आप की खूबसूरती का राज क्या है?

मेरी खूबसूरती का राज मेरे मातापिता हैं, जिन्होंने अपने जींस मुझे दिए. इस के अलावा उत्तराखंड की खूबसूरत वादियां हैं.

कोई ड्रीम प्रोजैक्ट है?

मेरी किसी प्रोजैक्ट से अधिक खास निर्देशक के साथ काम करने की इच्छा है, जिस में संजय लीला भंसाली और राजू हिरानी के नाम सब से ऊपर हैं.

आप को ले कर कई बार ट्रोलिंग हुई है. उसे कैसे लिया?

ट्रोलर्स तो ट्रोल करते ही रहेंगे. मैं उस पर अधिक ध्यान नहीं देती. इग्नोर करती हूं.

गृहशोभा की महिलाओं के लिए क्या संदेश देना चाहती हैं?

महिलाएं अपने काम के साथसाथ अपने ज्ञान को भी हमेशा बढ़ाएं और अपनी बेटियों को पूरी तरह से शिक्षित करें, ताकि परिवार और समाज उन्नति करें.

क्या आपने देखा अर्शी खान का ‘रश्के कमर’ डांस वीडियो

‘बिग बौस 11’ की एक्‍स कंटेस्‍टेंट और अक्‍सर अपनी अदाओं से सुर्खियों में रहने वालीं मौडल अर्शी खान का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. इस वीडियो में भी वह अपनी अदाओं से लोगों का दिल जीत रही हैं. बता दें, अर्शी ने यह वीडियो ‘बौक्स क्रिकेट लीग’ के लिए बनाया है, जिसमें वह ‘मेरे रश्के कमर’ गाने पर डांस करती हुई नजर आ रही हैं.

‘बौक्स क्रिकेट लीग’ के लिए बनाया वीडियो

गौरतलब है कि अर्शी खान को ‘बिग बौस’ के बाद अब कुछ नए प्रोजेक्ट्स मिले हैं जिनमें एमटीवी का ‘बौक्स क्रिकेट लीग’ शामिल है. ‘बिग बौस’ की ही तरह इसमें भी अर्शी खान आवाम यानी के अपने चाहने वालों का मनोरंजन करने में कोई कमी नहीं छोड़ रही हैं. ‘बौक्स क्रिकेट लीग’ देश का पहला स्पोर्ट्स- रियलिटी इंटरटेनमेंट शो है जिसमें क्रिकेट के इंडोर प्रारूप में टीवी कलाकार एक दूसरे से मुकाबला करते नजर आएंगे.

बता दें कि अर्शी 2017 में भारत में सबसे ज्यादा सर्च की जाने वाली हस्तियों में सनी लियोनी के बाद दूसरे नंबर पर रही हैं. अर्शी को ‘बिग बौस’ शो में काफी पसंद किया गया था. वह पहले शिल्‍पा शिंदे की काफी अच्‍छी दोस्‍त बनी नजर आईं और बाद में शिल्‍पा से उन्‍हें झगड़ते हुए भी खूब देखा गया. सिर्फ शिल्पा ही नहीं अर्शी शो के ज्यादातर कंटेस्टेंट्स से लड़ते हुए नजर आ चुकी हैं, हालांकि वह विकास गुप्ता की काफी करीबी दोस्त रहीं.

अंधविश्वास की भेंट चढ़ती गाढ़ी कमाई

कल अचानक पड़ोसिन मालती कुछ रुपए उधार मांगने आ गई. उस का उदास चेहरा बता रहा था कि दाल में कुछ काला है. मेरे पूछने पर डबडबाई आंखों से उस ने अपने पति की एक बाबा पर अंधभक्ति के विषय में बताया. आए दिन वह बाबा मालती के पति को आने वाले बुरे समय से डराता और पूजापाठ के नाम पर खूब रुपए ऐंठता. मालती और उस के घर वाले लाख मना करते, पर उस के पति के कानों पर जूं तक न रेंगती. नौबत यहां तक आ पहुंची कि मालती को बेटी के स्कूल में फीस जमा करवाने के लिए पैसे उधार लेने पड़े. अच्छेभले घर को इस दशा में पहुंचा कर मालती का पति न जाने कौन से आनंद भरे दिनों की कल्पना कर, उस बाबा पर सब निछावर कर रहा था. मालती के पति अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं हैं. अंधविश्वास का शिकार हो कर रुपए बरबाद करने वालों की संख्या लाखों में है.

अंधविश्वास का दलदल प्रश्न है कि अंधविश्वास क्या है और मानव का अंधविश्वास से इतना गहरा रिश्ता कैसे जुड़ गया? यदि सरल शब्दों में कहा जाए तो कुछ ऐसे विश्वास जिन्हें तर्क की कसौटी पर कसे बिना ही मान लिया जाए अंधविश्वास है. कुछ लोग अज्ञानतावश तो कुछ रूढि़वादिता के कारण अंधविश्वास का शिकार होते हैं. अंधविश्वास को धर्म से जोड़ कर धर्म के ठेकेदार व्यक्ति की इस कमजोरी का भरपूर लाभ उठाते हैं.

ग्रहनक्षत्रों का ढकोसला विज्ञान के वर्तमान युग में जब वैज्ञानिक नएनए ग्रहों की खोज कर उन के अध्ययन में लगे हैं, कुछ लोग अब भी इन ग्रहों को अपने जीवन के सुखदुख का आधार मान रहे हैं. बच्चे के जन्म लेते ही जन्मपत्री बनवा कर उसे ग्रहनक्षत्रों से जोड़ दिया जाता है. वह जीवन में कितना पढ़ेगा, जन्म के समय की ग्रहचालों के अनुसार वह कौन सा व्यवसाय करेगा, उस का विवाह कब होगा आदि की भविष्यवाणी ग्रहनक्षत्रों के अनुसार कर दी जाती है.

ग्रह खराब या अशांत हों तो पूजापाठ, हवन, दान आदि का सहारा ले कर उन्हें शांत व अनुकूल करने की सलाह पंडितों व ज्योतिषियों द्वारा दी जाती है. आम व्यक्ति यह क्यों नहीं समझ पाता कि यह इन लोगों द्वारा फैलाया जाल है, जिस में फंसा कर वे अपने ऐशाआराम का जुगाड़ करने में लगे हैं. न जाने कब तक आम आदमी की खूनपसीने की कमाई इन लोगों की भेंट चढ़ती रहेगी? कब तक इस प्रकार के अंधविश्वास लोगों को भटकाते रहेंगे? धार्मिक लुटेरों की जालसाजी

ईश्वर को प्रसन्न रखने, भूतप्रेत, चुड़ैल तथा देवीदेवताओं के कुपित होने का डर दिखा कर आम लोगों को मूर्ख बनाने का कार्य सदियों से होता आ रहा है. मनुष्य की भाग्य पर सब कुछ डाल देने की मनोवैज्ञानिक सोच ने इस प्रकार के धार्मिक लुटेरों को और बढ़ावा दिया है. जालसाजी का यह कार्य मनोवैज्ञानिक सोच से प्रेरित हो कर किया जाता है. पीडि़त व्यक्ति को यह विश्वास हो जाता है कि अमुक बाबा या गुरु अवश्य ही किसी दिव्यशक्ति के स्वामी हैं. अत: उन के निर्देशों का पालन करने से सचमुच ही कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी. मगर वास्तविकता के धरातल पर लोगों की जेब ही हलकी होती है, कष्ट नहीं. दिल्ली निवासी रमेश कुमार ने बताया कि वे एक बार अपनी मां के साथ किसी बाबा के पास गए थे, क्योंकि उन का पत्नी से झगड़ा चल रहा था. बाबा से मिलने के लिए उन्हें बाहर काउंटर पर मोटी रकम जमा करवानी पड़ी. भीतर पहुंचे तो एक एअरकंडीशनर कमरे में पैंटशर्ट पहने बड़ी सी कुरसी पर बैठे बाबा सब की समस्याएं सुन कर ऊलजलूल हल बता रहे थे. किसी को वे समोसे खाने, किसी को मंदिर में शराब चढ़ाने तो किसी को नीले पैन का प्रयोग करने की सलाह दे रहे थे. रमेश को उन्होंने कहा कि खीर खाने से उस पर कृपा बरसने लगेगी और सभी समस्याएं शीघ्र दूर हो जाएंगी.

घर आ कर जब रमेश ने खीर खाई तो उस की तबीयत बिगड़ गई, क्योंकि वह डायबिटीज से पीडि़त था. फिर क्या था. अस्पताल में खूब खर्चा हुआ और बाबा को दिए हजारों रुपए भी यों ही बरबाद हुए. उस की पत्नी संबंधी समस्या जस की तस रही. ठगी के रूप

धर्म के नाम पर ठगी करने वाले अपनी मोटी कमाई के लिए जाल में फंसे शिकार की जेब खाली कराने के नएनए तरीके खोज निकालते हैं. हस्तरेखा व जन्मकुंडली देख कर भविष्य बताना और फिर मुंहमांगी फीस वसूल करना तो आम बात है. ग्रहों की दशा से बचने के लिए पहले महंगेमहंगे नगों से जड़ी सोनेचांदी की अंगूठी भी लोग पहने अकसर दिख जाते हैं. कभीकभी तो ये तथाकथित भविष्यवक्ता ही सस्ते से पत्थरों से बनी अंगूठियों को चमत्कारी बता कर खूब रुपए ऐंठ लेते हैं. तंत्रमंत्र का झूठा प्रयोग कर गंडेताबीज बना कर बेचने का काम भी न जाने कब से चल रहा है. किसी भी कार्य की पूर्ति के लिए पूजापाठ, हवन और अभिषेक आदि करवाने के नाम पर धन लुटाने का काम तो अच्छेअच्छे पढ़ेलिखे लोगों से ले कर सैलिब्रिटी तक करते हैं.

शादीविवाह न होना, नौकरी न मिल पाना और धंधे में घाटा होने पर लोग स्वयं में सुधार करने की आवश्यकता ही नहीं समझते. इस के लिए भाग्य को दोषी मान कर वे धर्म के नाम पर ठगी करने वालों के चंगुल में बड़ी आसानी से फंस जाते हैं और उन के द्वारा बताए उपाय करने के चक्कर में जेबें खाली कर बैठते हैं. चीनी फेंगशुई है ढकोसला

जीवनस्तर सुधारने का झांसा दे कर आजकल कुछ अन्य भ्रामक जाल भी फैलाए जा रहे हैं. चीनी वास्तु यानी फेंगशुई भी इसी श्रेणी में आता है. इन दिनों इसे अपनाने का चलन बहुत बढ़ रहा है. धनदौलत, अच्छा स्वास्थ्य, सफलता व सुखशांति की लालसा में विभिन्न रंगों की मछलियां, मेढक, ड्रैगन, कछुए और हंसते हुए बुद्ध की मूर्तियों, सिक्कों व क्रिस्टल बौल्स पर लोग नाहक ही पैसा बरबाद कर रहे हैं. चारों ओर ठग

धर्म के नाम पर ठगने वाले जगहजगह अपने दफ्तर खोले बैठे हैं. सड़क के किनारे, फुटपाथ पर, बसस्टैंड और यहां तक कि खरीदारी के आधुनिक स्थान मौल में भी इन पाखंडियों ने अपना व्यापार फैलाना शुरू कर दिया है. कुछ धार्मिक पुस्तकें लिए, माथे पर टीका लगा बड़ी आसानी से लोगों को आकर्षित कर लेते हैं. वहां आने वाले लोग थोड़ाबहुत पैसा खर्च कर अपने आने वाले दिनों के बारे में जानने को उत्सुक होते हैं. उन की यही उत्सुकता अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाली सिद्ध होती है. कपटी भविष्यवक्ताओं के पौ बारह होते हैं. विभिन्न प्रकार की बीमारियों को ठीक करने, विवाह या प्रेम संबंधी समस्या का निवारण करने, व्यापार व नौकरी संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए संपर्क करने हेतु जालसाजों के मोबाइल नंबर ट्रेन, बसों और मैट्रो स्टेशनों पर भी लगे दिखाई देते हैं. यदि कोई इन से संपर्क करता है तो कुछ देर बातचीत करने के बाद ही ये अपना असली चेहरा दिखाने लगते हैं. जब व्यक्ति इन के जाल में फंस जाता है तो ये मोटी रकम वसूलते हैं.

धार्मिक ठगी का बदलता स्वरूप अंधविश्वास के नाम पर पैसों की ठगी का यह खेल अब टीवी चैनलों व वैबसाइट्स तक भी पहुंच चुका है. मीडिया ऐसे कुकृत्यों का विरोध करने की जगह इन्हें पोषित कर रहा है. भविष्य में आने वाले अच्छे दिनों का भ्रम दिखा कर विभिन्न देवीदेवताओं की मूर्तियां, धातु पर खुदे यंत्रमंत्र, अंगूठियां, ताबीज व महंगे पत्थरों के विक्रय का चलन खूब बढ़ गया है. रुद्राक्ष, स्फटिक पत्थर व तुलसी आदि की माला धारण कर विभिन्न बीमारियों से बचने का झांसा देना आम बात हो गई है. टीवी चैनलों व वैबसाइट्स पर ऐसे विज्ञापनों की बाढ़ सी आई हुई है. फेंगशुई का सामान भी शौपिंग साइट्स पर खूब बिक रहा है.

तथाकथित भविष्यवक्ता भी अब औनलाइन उपलब्ध होने लगे हैं. वैबसाइट्स पर ये मदद करने के बहाने लोगों की समस्या पूछते हैं और परिवार, रुपएपैसे आदि की जानकारी ले कर औनलाइन ही ठगी का धंधा करते हैं. व्यक्ति इन की लच्छेदार बातों में ऐसा फंसता है कि अपनी समस्या के समाधान की प्रतीक्षा में इन के निर्देशानुसार रुपएपैसे इन्हें भेंट चढ़ा देता है. अंधविश्वास के विरुद्ध कानून

मनुष्य के मन में संस्कार बचपन से ही गहरी पैठ बनाए रहते हैं. कुछ संस्कार नैतिकता की राह दिखाते हैं तो कुछ केवल अंधविश्वास को बढ़ाने का काम करते हैं. इस के विरुद्ध अब यकीनन जनजागरण की आवश्यकता है. विभिन्न जागृति कार्यक्रमों व मीडिया का सहारा ले कर अंधविश्वास को दूर करने का प्रयास किया जा सकता है. समाचारपत्रों व पत्रिकाओं में धार्मिक आडंबरों का विरोध करने वाले समाचारों व लेखों को प्रधानता मिलनी चाहिए. टीवी के कार्यक्रमों विशेषतया रोज प्रसारित होने वाले सीरियलों में पाखंडता को बढ़ावा न दिया जाए. स्कूलों व कालेजों में इन पर लेख पाठ्यक्रम का भाग हों. अशिक्षितों में एनजीओ की मदद से जनचेतना जागृत की जाए. अंधविश्वास सदैव शोषण को बढ़ावा देता है. अत: इस के विरुद्ध कानून बनाया जाना चाहिए. यदि ऐसा होगा तो समाज व उस की किसी भी संस्था को पाखंड का साथ देने व अंधविश्वास का प्रचारप्रसार करने पर कानून का भय होगा.

अपने जीवन में सदैव अंधश्रद्धा के विरुद्ध संघर्ष करने वाले डा. नरेंद्र दाभोलकर का मानना था कि मनुष्य को तर्कसंगत व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि असंगत विचारों पर आधारित व्यवहार के कारण वह कभी विजयी नहीं हो सकता. वास्तव में ढोंग और पाखंड के अभिशाप में बचने का सब से कारगर उपाय है व्यक्ति की तर्क पर आधारित सोच. यदि व्यक्ति की सोच तार्किक हो जाएगी तो अंधविश्वास के लिए कोई स्थान नहीं होगा.

मधुमेह और कैंसर के बीच का घातक संबंध

मोटापे और अधिक वजन से मधुमेह व कैंसर दोनों का खतरा रहता है. भारत में डायबिटीज यानी मधुमेह का मर्ज महामारी की तरह बढ़ रहा है. 2030 तक यह सब से बड़ा मूक हत्यारा बन सकता है. इस से भी खतरनाक बात यह है कि इस स्थिति, इस के लक्षणों और जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता की बहुत कमी है. आईडीएफ डायबिटीज एटलस 2017 के अनुसार, देश में वर्ष 2017 में 7.29 करोड़ लोगों को मधुमेह और वर्ष 2045 तक यह संख्या 13.43 करोड़ तक हो जाएगी. यह एक क्रोनिक कंडीशन है, जिस का यदि समय पर प्रबंधन व इलाज न किया जाए, तो यह कई तरह की जटिलताएं पैदा कर सकती है.

मधुमेह और कैंसर

धूम्रपान को कैंसर के लिए सब से बड़ा जोखिम कारक माना जाता है. वहीं, अनुसंधान से संकेत मिला है कि जिन लोगों को मधुमेह है या जो अधिक वजन वाले हैं, उन्हें भी कैंसर होने का खतरा बना रहता है. मधुमेह और कैंसर 2 विषम, बहुसंख्यक, गंभीर और पुरानी बीमारियां हैं जिन के बीच दोतरफा संबंध हैं. अध्ययनों से पता चलता है कि कैंसर के मरीजों में शुरुआती ग्लूकोज असहिष्णुता और इंसुलिन के प्रति असंवेदनशीलता के सकेत मिलते हैं. हाइपरग्लाइसेमिया वाले लोगों में, कैंसर की कोशिकाओं को ग्लूकोज की पर्याप्त आपूर्ति होती है जो ट्यूमर को बढ़ावा दे सकती है. इस से 2 स्थितियों के बीच द्विपक्षीय संबंध होने का पता चलता है- कैंसर हाइपरग्लाइसेमिया को जन्म दे सकता है, और हाइपरग्लाइसेमिया ट्यूमर की वृद्धि को बढ़ा सकता है.

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मधुमेह के साथ कैंसर होने पर डायबिटीज का नियंत्रण अधिक कठिन बन सकता है. इन स्वास्थ्य स्थितियों के बीच संबंध होने का एक संभावित कारण यह भी है कि इंसुलिन का उच्चस्तर यानी हाइपरइंसुलिनेमिया ट्यूमर के विकास को बढ़ावा दे सकता है. एक और कारण यह है कि एक गतिहीन और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली से बीएमआई में वृद्धि हो सकती है यानी मोटापा बढ़ता है. ऐसी स्थिति में मधुमेह और कुछ प्रकार के कैंसर होने का खतरा बना रहता है.

टाइप 2 डायबिटीज से निम्न प्रकार के कैंसर होने की संभावना दोगुनी हो जाती है- पेंक्रिएटिक कैंसर, लिवर कैंसर, एंडोमेट्रियल या गर्भ कैंसर. निम्न प्रकार के कैंसर का भी 20 से 50 प्रतिशत तक जोखिम रहता है- कोलोरेक्टल कैंसर, ब्लैडर कैंसर, स्तन कैंसर और रक्त कैंसर (नौन-हौजकिंस लिंफोमा).

कुछ सामान्य जोखिम कारक

टाइप 2 डायबिटीज और कैंसर के बीच कुछ सामान्य जोखिम कारक हैं, जिन्हें आगे संशोधित व गैरसंशोधित रूप से वर्गीकृत किया गया है.

संशोधित जोखिम कारक

आयु : जब आप बड़े हो जाते हैं तो टाइप 2 डायबिटीज और कैंसर दोनों का खतरा बढ़ जाता है.

लिंग : कुल मिला कर पुरुषों में कैंसर अधिक होता है. महिलाओं की तुलना में पुरुषों को डायबिटीज का जोखिम भी थोड़ा अधिक होता है.

गैरसंशोधित जोखिम कारक

अधिक वजन : शरीर का वजन अधिक होने पर टाइप 2 डायबिटीज और कुछ प्रकार के कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है.

निष्क्रियता :  शारीरिक गतिविधि अधिक होने पर टाइप 2 डायबिटीज और कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा घट जाता है.

धूम्रपान :  यह कई प्रकार के कैंसर से जुड़ी हुई आदत है. अध्ययनों से पता चलता है कि टाइप 2 डायबिटीज के विकास के लिए धूम्रपान एक बड़ा जोखिम कारक है.

शराब : महिलाओं में प्रतिदिन

1 पैग से अधिक और पुरुषों में 2 पैग से अधिक शराब का सेवन होने पर मधुमेह और कैंसर दोनों का जोखिम बढ़ जाता है.

मधुमेह पीडि़त महिलाएं और कैंसर

टाइप 2 डायबिटीज वाली महिलाओं में स्तन और एंडोमेट्रियल कैंसर होना आम बात है. मधुमेह और कैंसर दोनों के लिए एक और खतरा मोटापे या अधिक वजन से है. इसलिए मधुमेह वाली महिलाओं में ग्लूकोज का प्रभावी नियंत्रण होना महत्त्वपूर्ण है. कुछ दवाएं, जैसे गर्भनिरोधक गोलियों को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि वे कुछ कैंसर जैसे गर्भाशय और ओवेरियन कैंसर के खतरे को कम करती हैं.

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कैंसर का उपचार और मधुमेह नियंत्रण

कैंसर के इलाज हेतु ली जाने वाली दवाएं, जैसे ग्लूकोकोर्टिकोइड्स और कीमोथेरैपी से ब्लडशुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मुश्किल हो सकती है, खासकर भोजन के बाद. इसलिए, कीमोथेरैपी को कम करना जरूरी हो सकता है. यह भी हो सकता है कि ग्लूकोकौर्टिकोइड्स और स्टेरौयड की बड़ी खुराक के बजाय छोटी खुराकें दी जाएं. एक और समस्या यह है कि मधुमेह से ग्रस्त लोगों में उलटी होने की वजह से आहार व ग्लूकोज को कम करने वाली दवाओं के बीच एक बेमेल पैदा हो सकता है.

मधुमेह आजकल एक सामान्य कंडीशन है. इस के लक्षणों के बारे में जागरूकता की कमी और अन्य जटिलताओं के कारण इस का समय पर उपचार व प्रबंधन कठिन हो सकता है. मधुमेह के प्रबंधन के लिए पहली जरूरत यह है कि सप्ताह में 5-6 दिन रोज एक घंटा नियमित व्यायाम किया जाए. तैराकी, टैनिस, एरोबिक्स जैसा किसी भी प्रकार का व्यायाम फायदेमंद हो सकता है. बुजुर्ग रोगियों या घुटने की समस्या वाले लोग टहलने या ऊपरी शरीर का व्यायाम कर सकते हैं. मधुमेह वाले व्यक्ति के लिए निश्चित प्रकार का आहार लेना जरूरी नहीं है. डाक्टर प्रत्येक व्यक्ति की कैलोरी की जरूरत के अनुसार आहार को घटा या बढ़ा सकते हैं. हालांकि, एक स्वास्थ्य और संतुलित भोजन करने से शुगर का स्तर एकाएक बढ़ने पर काबू पाया जा सकता है. जंक फूड से बचना चाहिए और धूम्रपान नहीं करना चाहिए.

यह महत्त्वपूर्ण है कि कैंसर के उपचार के दौरान मधुमेह को नियंत्रण में रखा जाए. कैंसर और उस का उपचार शरीर के मैटाबोलिज्म में ऐसे परिवर्तन करता है जो मधुमेह के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं. इस के अलावा, डायबिटीज के कारण रक्त शर्करा का स्तर बढ़ने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जबकि उसे कैंसर से लड़ने के लिए मजबूत होना चाहिए.

संक्रमण का जोखिम

इसी तरह, मधुमेह कैंसर के उपचार में संभावित रूप से विलंब कर सकता है या उपचार के दौरान संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकता है. चिकित्सक उम्र और आवश्यकता के अनुसार मधुमेह के लिए दवाएं निर्धारित करते हैं. 3 महीने में एक बार रक्त शर्करा का परीक्षण कराना महत्त्वपूर्ण है. जिन लोगों को मधुमेह नहीं है उन्हें हर साल एक बार पूरे शरीर की जांच करानी चाहिए. मधुमेह एक साइलैंट किलर है और केवल अच्छे प्रबंधन से ही इस की जटिलताओं से बचा जा सकता है.

जिन्हें मधुमेह नहीं है उन्हें भी साल में एक बार पूरे शरीर की जांच करानी चाहिए.

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जरूरी बातें

– नियमित अंतराल पर परीक्षण करवाएं. जैसे कि पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के लिए और महिलाओं में नियमित पैप स्मीयर के लिए.

– सप्ताह में कम से कम 5 दिनों के लिए नियमितरूप से शारीरिक गतिविधि में हिस्सा लें और स्वस्थ आहार लें, ताकि रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रण में रहे.

– वजन को काबू में रखें और बीएमआई को उचित स्तर पर रखें. ऐसा इसलिए क्योंकि अधिक वजन और मोटापे से मधुमेह व कैंसर दोनों का खतरा

रहता है.

– समय पर टीकाकरण करवाएं, उदाहरण के लिए, एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर को रोकने में मदद कर सकता है.

– सुनिश्चित करें कि आप सुरक्षित यौन आदतों को समझते हैं और उन का अनुसरण करते हैं. कई सहयोगियों से यौन संसर्ग करने से बचें और पर्याप्तरूप से सुरक्षा का उपयोग करें. साथ ही, स्वच्छता बनाए रखें.

(लेखक भारती अस्पताल, हरियाणा के करनाल में एंड्रोकाइनोलौजिस्ट हैं.)

सूखे फूल बिखेर सकते हैं आपकी जिंदगी में खूबसूरती के ढेरों रंग

इंसान की जिंदगी में फूलों का एक अलग ही महत्त्व है. सौंदर्य व सजावट के अलावा संस्कारों, समारोहों और महत्त्वपूर्ण कार्यकलापों में फूलपौधों का इस्तेमाल किया जाता है. हर फूल एक निर्धारित समय के लिए अनुकूल मौसम और परिस्थितियों में ही खिलता और पनपता है. यदि इन फूल व पुष्पीय उत्पादों की कुदरती अवस्था में सुखाने की तकनीक विकसित की जाए तो इन्हें कुछ दिनों के बजाय महीनों और वर्षों तक घरों, दफ्तरों में सजाया जा सकता है.

फूल सुखाने के तरीके

कृत्रिम ऊर्जा के सहारे पौधों के खूबसूरत हिस्सों को नियंत्रित तापमान, नमी व हवा के बहाव में सुखाने की प्रक्रिया को डिहाइड्रेशन कहते हैं. इस प्रक्रिया द्वारा पौधों के खूबसूरत हिस्सों से नमी इस तरह निकाली जाती है कि उन की कुदरती अवस्था ज्यों की त्यों बनी रहती है. इस के उलट जब उन्हें प्रकृति में अपनेआप सूखने दिया जाता है तब औक्सीडेटिव प्रक्रिया से ये भूरे व काले पड़ जाते हैं.

हालांकि कुछ ऐसे पौधे, जिन में नमी कम हो, जल्दी ही सामान्य तापमान व हवा में कम नमी के होते सूख जाते हैं. इन में खासकर स्ट्रा फूल, पेपर फूल, स्टैटिस, धूप, फ्लेमिंजिया आदि शामिल हैं. कई पौधों के सुंदर फल, बीज व टहनियां अपनेआप सूख जाते हैं. ऐसे पौधों में अमलतास, रत्ती, क्लिमैटस, चीड़, रीठा आदि खास हैं.

खुले में लटका कर सुखाना : यह फूल व पुष्पीय पदार्थों के सुखाने की सब से आसान व साधारण प्रक्रिया है. इस में फूल व पुष्पीय पदार्थों को रस्सी या तार से बांध कर उलटा लटका देते हैं. जब तक वे पूरी तरह सूख नहीं जाते, उसी अवस्था में रहने दिया जाता है. वहां पर नमी की मात्रा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और हवा का आवागमन पर्याप्त होना चाहिए. स्ट्रा फूल, पेपर फूल, स्टैटिस, धूप, फ्लेमिंजिया रूमैक्स कप व सौसर और बोगनबेलिया वगैरह इस प्रक्रिया से सूखने वाले खास फूल हैं. इस प्रक्रिया में दूसरे फूलों को सुखाने से वे सिकुड़ जाते हैं.

दबा कर सुखाना : बहुत से फूल ऐसे होते हैं जिन्हें खुला उलटा लटका कर सुखाने से उन की पंखडि़यां व पत्तियां सिकुड़ जाती हैं व उन की सजावटी खूबसूरती भी खत्म हो जाती है. ऐसे फूलों को ‘दबा कर माध्यम’ के तहत सुखाया जाता है. जैसे :

1. ऐसे माध्यम जो फूल व फूल उत्पादों को उस में दबाने पर नमी सोख लेता हो, उपयुक्त माध्यम कहलाता है. ध्यान रहे माध्यम, फूल व फूल उत्पादों पर कोई दुष्प्रभाव न छोड़ता हो. खासतौर पर उपयोग होने वाले माध्यमों में सिलिका जेल, सफेद व नीला बोरेक्स, बोरिक एसिड, नदी की साफ रेत, फिटकरी, ऐल्युमिनियम सल्फेट, बुरादा आदि शामिल हैं. इन्हें अकेले या मिश्रण बना कर इस्तेमाल किया जा सकता है.

2. फूल व फूल उत्पादों को दबाने के लिए किसी भी किस्म के बरतन जैसे ऐल्युमिनियम, टिन, लोहे, कांच, मिट्टी या चीनी मिट्टी वगैरह के इस्तेमाल किए जा सकते हैं.

बरतन में 3 से 5 सैंटीमीटर पहले माध्यम को डालें व उस के बाद फूल या फूल भाग को एक हाथ से ऊपर उठा कर पकड़ें व दूसरे हाथ से धीरेधीरे माध्यम डालते रहें और इसे फूल से 2 या 3 सैंटीमीटर ऊपर तक डालें. इस के बाद बरतन को कमरे में रखें या रोजाना दिन के समय धूप में सुखाएं या हौट एअर ओवन यानी सोलर ड्रायर में 45 से 70 डिगरी सैल्सियस तापमान में रखें. फूलों को शीशे या प्लास्टिक के बरतनों में 2 से 5 मिनट तक मीडियम या 450 से 750 हर्ट्स पर 2-3 बार क्रमवार सुखाएं और बरतन को कमरे में 5 से 10 घंटे रखे रहने दें. इस तरीके से फूल जल्दी सूख जाते हैं.

कारोबारी तौर पर फूलों को वैक्यूम कक्ष या फ्रिज ड्रायर में 35 डिगरी सैल्सियस तापमान पर सुखाया जाता है. विभिन्न प्रकार के शुभकामना कार्ड या सजावटी सीनरी बनाने के लिए फूलपत्तियों को हरबेरियम प्रैस में सुखाया जाता है. फूल पत्तियां काली या भूरी न हों, इस के लिए उन्हें रोजाना अपनी जगह से बदल कर रखें. उन्हें बनावटी रंगों में रंग कर भी आकर्षक बनाया जा सकता है.

दुनिया के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है सिंगापुर

बात अगर भरतीयों के दुनिया भर में घूमने की हो तो पता चलता है कि ज्यादातर भारतीय पर्यटक दुबई जाना पसंद करते हैं, पीक सीजन में तो दुबई जाने वालों की तादाद बहुत ज्यादा होती है. वहीं दुबई के अलावा सिंगापुर एक ऐसा टूरिस्ट स्पोर्ट है, जो अन्य विदेशी टूरिस्ट डेस्टिनेशंस में से टौप पर है. अगर आप भी विदेश में घूमने की प्लानिंग कर रही हैं, तो सिंगापुर आपके लिए एक बेहतरीन औप्शन साबित हो सकता है. आइए, जानते हैं यहां क्या है खास. सिंगापुर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में तीन संग्रहालय, जुरोंग बर्ड पार्क, रेप्टाइल पार्क, जूलौजिकल गार्डन, साइंस सेंटर, सेंटोसा द्वीप, पार्लियामेंट हाउस, हिन्दू, चीनी व बौद्ध मंदिर तथा चीनी व जापानी बाग शामिल हैं.

सिंगापुर के स्पेशल जायकों का लीजिए मजा

यहां फैले फूड स्टौल्स में कई व्यंजन मिलते हैं. पाक कला और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए जुलाई के महीने सिंगापुर में फूड फेस्टिवल का भी आयोजन किया जाता है. सिंगापुर में मेक्डोनाल्ड, पीजा हट, केएफसी, सबवे, बर्गर किंग, जैसे इंटरनैशनल फूड चेन रेस्त्रां भी मिल जाएंगे. अगर आपको च्युइंगम पसंद है, तो सिंगापुर प्रवास के दौरान परेशानी हो सकती है. यहां पर च्युइंगम बैन है.

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खूबसूरत है यहां नाइटलाइफ

लाखों टिमटिमाती डिजाइनर लेजर लाइटों से सिंगापुर की हर गली जगमगा उठती है. आर्चर रोड, सिंगापुर रिवर, बरस बासा, बुगीस, सीबीडी और मरीना बे में बोट का रोमांचकारी सफर, नदियों पर लेजर शो रोशनाई का आयोजन, पेड़ पर लिपटी लाइटें रात के समय बहुत ही दिलचस्प लगती है. अगर आप अपने पार्टनर के साथ यहां जाते हैं, तो आपकी ट्रिप और भा यादगार बन जाएगी.

भारतीय संस्कृति की झलक

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सिंगापुर में भारतीयों की संख्या अच्छी खासी है, इसलिए यहां के फेसम मौल्स में भारतीय सामान आसानी से मिल जाते हैं. कपड़े, एंटिक्स, इलेक्ट्रौनिक्स सामान, टीवी, गैजेट्स, मोबाइल्स, परफ्यूम, साज-सजावट के सामान, ब्यूटी प्रोडक्ट्स के अलावा एक से बढ़कर एक बेहतरीन चीजें यहां के मार्केट में मिल जाएंगी. इसके अलावा अगर आप भारतीय खाने को मिस करें, तो आपको यहां कई भारतीय डिश भी मिल जाएगी.

158 साल पुराना बोटेनिकल गार्डन

सिंगापुर पर्यावरण के नजरिए से भी बेहतर जगह माना जाता है. यहां स्वच्छता का ख्याल रखा जाता है. शायद ही कोई जगह मिले, जहां गंदगी दिख जाए. शहर की शान को बढ़ाती गगनचुंबी इमारतें सुखद अहसास देती हैं. आप सिंगापुर दर्शन के लिए जाएं, तो बोटेनिकल गार्डन जरूर देखें. यह 158 साल पुराना गार्डन है. इस गार्डन को देखकर आपको लगेगा कि सिंगापुर को प्रकृति का वरदान मिला है.

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सिंगापुर बोटेनिकल गार्डन 52 हेक्टेयर इलाके में फैला है, जहां नेशनल और्किड कलेक्शन के तहत तीन हजार से ज्यादा और्किड उगाए गए हैं. यहां की सरकार सुंगेई बुलोह वेटलैंड्स रिजर्व को लोगों को उनके आधुनिक जीवन के तनाव से दूर करने के लिए इसे एक शांत डेस्टिनेशन के रूप में प्रमोट कर रही है.

हर महीने चाहती हैं रेगुलर इनकम तो इन जगहों पर करें निवेश

आमतौर पर निवेशक एक लंबी अवधि बाद एकमुश्त राशि पाने और टैक्स की बचत के लिए ही निवेश करते हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो चाहते हैं कि उनकी ओर से किया गया निवेश उन्हें नियमित आय भी देता रहे. अगर आप भी ऐसे ही किसी विकल्प की तलाश में हैं तो हम आपको ऐसे 5 शानदार विकल्पों की जानकारी देने जा रहे हैं.

पोस्ट औफिस एमआईएस

निवेश के साथ-साथ नियमित आय देने के मामले में पोस्ट औफिस एमआईएस काफी बेहतर विकल्प माना जाता है. मंथली इनकम स्कीम, जैसा कि नाम से ही जाहिर है इसमें किए गए निवेश पर आप मासिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं. इसमें किए गए निवेश पर 7.3 फीसद की दर से सालाना ब्याज मिलता है. इसमें अधिकतम 4.5 लाख का निवेश किया जा सकता है जो कि ज्वाइंट अकाउंट में 9 लाख तक हो सकता है. इसमें किया जाने वाला निवेश 5 साल तक के लिए ही होता है. अगर आप एमआईएस में 3 लाख रुपए का निवेश करते हैं जो आपको इस पर मासिक रिटर्न 2000 रुपए का मिलेगा और छह महीने बीत जाने पर खाताधारक को 15,000 रुपए का अतिरिक्त बोनस भी मिलेगा.

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फिक्स्ड डिपौजिट (FD)

फिक्स्ड डिपौजिट को न्यूनतम जोखिम वाले निवेश विकल्पों में से एक माना जाता है. इसमें किया जाने वाला निवेश एक निश्चित समय के लिए होता है, इसमें मिलने वाला रिटर्न भी फिक्स्ड रेट पर ही होता है. यह उन चुनिंदा निवेश विकल्पों में से एक है जिसमें मासिक आधार पर, तिमाही आधार पर या फिर सालाना आधार पर रिटर्न की सुविधा दी जाती है. इस निवेश पर मिलने वाली ब्याज दर 6 से 7 फीसद तक होती है जो अलग अलग बैंक के आधार पर बदलती रहती है. उदाहरण से समझिए, अगर आपने 1 लाख रुपए का निवेश एक साल के लिए कर रखा है और मान लीजिए कोई बैंक आपको इस पर 9 फीसद की दर से ब्याज दे रहा है तो आपको इससे 750 रुपए की मासिक आय होती रहेगी.

सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम

यह देश के वरिष्ठ जनों के लिए एक विशेष स्कीम है. इसमें कोई भी व्यक्ति जो कि 60 वर्ष की उम्र को पार कर चुका है वो इसका हिस्सा बन सकता है. इस स्कीम की मैच्योरिटी 5 साल के लिए होती है जिसे 3 अन्य सालों के लिए भी बढ़ाया जा सकता है. इस पर मिलने वाला ब्याज 7.6 फीसद होता है. हालांकि इस पर मिलने वाला ब्याज तिमाही आधार पर दिया जाता है.

म्युचुअल फंड का मंथली इनकम प्लान

कुछ म्युचुअल फंड में नियमित आय की सुविधा दी जाती है जिसे मंथली इनकम प्लान (एमआईपी) भी कहा जाता है. एमआईएस,एफडी और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम) की ही तरह गारंटी नहीं दी जाती है कि इसमें उतार चढ़ाव आएगा और वो 8 से 9 फीसद की रेंज में होगा. एमआईपी के एवज में जो पैसा दिया जाता है उसे डिविडेंड भी कहा जाता है. ये डिविडेंड टैक्स फ्री होते हैं.

लंबी अवधि के सरकारी बौण्ड

नियमित आय प्राप्त करने के मामले में लौन्ग टर्म कैपिटल बौण्ड सबसे सुरक्षित निवेश विकल्प माने जाते हैं. इस तरह के सरकारी बौण्ड पर आम तौर पर 8 फीसद का ब्याज दिया जाता है जो कि छमाही आधार पर होता है. ये लंबी अवधि के बौण्ड होते हैं और आपको मैच्योरिटी खत्म होने के बाद मूल राशि वापस कर दी जाती है.

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