हैवी वर्क वाला खूबसूरत स्लीवलैस गाउन

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यह भेदभाव औरतों के साथ ही क्यों

कामकाजी मांओं के लिए 2-4 या 10-12 दिनों के  लिए काम के खातिर शहर से बाहर जाना एक पूरा चैलेंज होता है. जो परिवार घर की महिला को तीर्थयात्रा के नाम पर 10-12 दिनों के लिए सहर्ष भेज देने को तैयार रहते हैं, वे उसे काम के सिलसिले में अकेले भेजने से कतराते हैं. यह एक तरह की सामूहिक गुलामी का परिणाम है, जिस का शिकार बहुत से समाज हैं और भारतीय समाज तो बहुत ही ज्यादा है.

हमारे यहां समझा जाता है कि अकेली जाने वाली महिला कहीं भी सुरक्षित नहीं है न बस में, न ट्रेन में और न ही हवाईजहाज में. जब तक बहुत अनुभवी न हों, ज्यादातर अकेली औरतें वास्तव में भयभीत हिरणी की तरह दिखती हैं, जिसे मानो भेडि़यों के झुंड में छोड़ दिया गया हो.

यह सामाजिक अंकुश असल में समाज ने औरतों के पर काटने के लिए लगाया है ताकि उन्हें जैसे चाहे घरों में रखा जाए और वे अकेले भाग कर मायके या रिश्तेदारों के यहां न जाएं. जहां पुरुष ‘दौरे पर जा रहा हूं’ कह कर 5-7 दिन कहां जा रहा है और कहां ठहरेगा जैसे सवालों के बिना भी जासकता है, वहीं लड़कियां या औरतें नहीं जा सकतीं.

यह बदला जाना चाहिए और घर में सुरक्षा के अधिकार के साथ ही घर से बाहर जाने का अधिकार भी संवैधानिक मानवीय अधिकारों में शामिल होना चाहिए.

पहले इस तरह का व्यवहार गुलामों के साथ किया जाता था. उन्हें मनमरजी से जाने का हक नहीं था. अगर अमेरिका में कोई अश्वेत सड़क पर चलता दिखता

था तो उसे पकड़ लिया जाता था. यही हाल औरतों के साथ भी होता है. उन्हें आज के कानून के और बराबरी के हक के राज में भी ऐसी संपत्ति मान लिया जाता है, जिसे जब मरजी उठवाया जा सके.

वास्तव में वूमन ट्रैफिकिंग एक बड़ा धंधा है और अनजान अकेली औरत को दलाल दूर से ही ताड़ कर बहलाफुसला लेते हैं और सैकड़ों आंखों के बीच से हथिया लेते हैं. इस के लिएऔरतों की मानसिकता बदलने की जरूरत है. उन्हें बचपन से ही अपनी सुरक्षा व अपने अधिकारों के सामंजस्य की आदत डालने का प्रशिक्षण देना होगा ताकि वे बिना डर घर से बाहर निकल सकें.एक महिला के विकास के लिए उस का हुनर, शिक्षा ही नहीं, आत्मविश्वास और सुरक्षा का खुद का भरोसा आवश्यक है. इस में कोई भी कंप्रोमाइज संस्कृति, जाति, संस्कार के नाम पर न होने दें.

औरतों को घर से बाहर जाने के लिए किसी की इजाजत की जरूरत न हो, यह प्रबंध करना सरकार और पुलिस का फर्ज है. बजाय ऐंटी रोमियो स्क्वैड बनाने के सुरक्षा स्क्वैड बनने चाहिए. हर थाने या पुलिस चौकी में 1-2 पुलिस कौंस्टेबल हों, जो किसी भी औरत को रातबेरात बिना सवाल पूछे मनचाही जगह पहुंचाने की जिम्मेदारी लें. यह नि:शुल्क सेवा देना सरकार का कर्तव्य है.

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सत्ता की आभा से घर नहीं चलते

केंद्र सरकार ने अब जजों का वेतन बढ़ा दिया है. अब मुख्य न्यायाधीश को 1 लाख की जगह 2.80 लाख मिलेंगे तो सामान्य उच्च न्यायालय के जजों को 80 हजार की जगह 2.25 लाख. जजों का काम जितना है उस से स्पष्ट है कि यह वेतन काफी कम है, क्योंकि उन के सामने खड़े हो कर बहस करने वाले वकीलों में से हर रोज 2-3 ऐसे होते हैं जो एक बहस के अपने क्लाइंट से इस से ज्यादा पैसे लेते हैं. आज जजों के पास न केवल काम ज्यादा है, जीवन और मौत का फैसला करने के साथसाथ करोड़ोंअरबों रुपए के लेनदेन के निबटारे का भी हक है.

जज व्यावसायिक मामलों में इतने ज्यादा लग गए हैं कि अब साधारण या गंभीर अपराधों की तो गिनती ही उंगलियों पर गिनने लायक रह गई है. अब फैसलों में पार्टियों के बीच लेनदेन या सरकार की जबरन वसूली को सहीगलत ठहराना होता है और हर मामले में एक पार्टी का नाराज होना स्वाभाविक है. इसलिए जजों को बड़ी सावधानी से फैसले देने होते हैं.

निचले स्तर पर अगर जज अकेला भी बैठा हो तो उसे छूट नहीं होती सिवा जमानत देने के. दूसरे सभी महत्त्व के मामलों में वह जानता है कि अपील होगी और इसलिए मनमाना निर्णय नहीं दे सकता. यह नौकरी इसलिए चाहे रुतबों वाली हो, पत्नी के लिए खासे दबाव वाली होती है. अब अगर पैसे भी सही न मिलें तो क्या फायदा ऐसी नौकरी का?

जजों की पत्नियां दूसरे काम भी कम करती हैं, क्योंकि अगर वे कहीं नौकरी करें या कुछ और करें तो इन्फ्लुऐंस करना आसान हो सकता है.

जिस तरह घरों की अपेक्षाएं बढ़ी हैं और घरों में सामान बढ़ा है, अच्छे खातेपीते घरों का खर्च सरकारी वेतन से पूरा करना कठिन होता जा रहा है और जजों को शराफत की जिंदगी जीने में कठिनाई होने लगी है. यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां हर फैसले पर लगीबंधी दस्तूरी नहीं मिलती है. अदालतों में पेशकार, क्लर्क, चपरासी पैसे ले लेते हैं पर उस का हिस्सा नहीं बंटता. इसीलिए सही वेतन देना जरूरी हो जाता है.

असल में हमारे समाज में इस तरह का भेदभाव बहुत ज्यादा है और जिन के हाथ में करोड़ों के फैसला हैं, उन्हें बहुत साधारण वेतन मिलता है. घर केवल सत्ता की आभा से नहीं चलते. अनेक ऊंचे पदों पर बैठे लोग आर्थिक तनाव में रहते हैं. एक तरफ पत्नी की फटकार तो दूसरी ओर पद की गरिमा का भार.

चाहे सरकारी बजट जो कहे, अच्छे पदों पर अच्छा वेतन जरूरी है. पत्नी खुश तो फैसला शुभ.

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वैडिंग गिफ्ट : क्या दें क्या नहीं, ये टिप्स आप के बेहद काम आएंगी

उपहार का चयन किस तरह करना है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप जिस की शादी अटैंड करने जा रहे हैं उस का और आप का क्या संबंध है. उस के बाद यह बात माने रखती है कि आप उस हिसाब से कितने का उपहार उसे देना चाहते हैं. गिफ्ट अच्छा हो, इस बात का खयाल अवश्य रखें, पर इस के लिए आप को अपने बजट से समझौता न करना पड़े. अगर आप दूल्हे या दुलहन की पसंद से परिचित हैं तो उस के अनुसार ही गिफ्ट खरीदें और अगर ऐसा नहीं हो सके तो कोई ऐसी चीज दे सकते हैं जो भविष्य में उन के काम आए. उन की गृहस्थी में जो चीजें काम आएं वे ही दें वरना आप का गिफ्ट उन के घर के एक कोने में पड़ा रहेगा.

पेश हैं गिफ्ट चुनाव के लिए कुछ टिप्स:

डैकोरेटिव आइटम्स

नए घर को सजाने के लिए डैकोरेटिव चीजों की बहुत आवश्यकता पड़ती है, इसलिए गिफ्ट में आप इन्हें भी दे सकते हैं. बाजार में सजावटी वस्तुओं की बहुत वैराइटीज मिल जाएंगी. शोपीसेज, फोटो फ्रेम, कलात्मक वस्तुएं, पेंटिंग और हैंडीक्राफ्ट का सामान दिया जा सकता है. पर इन चीजों को देते समय यह ध्यान रखना आवश्यक है कि जिन्हें आप इन्हें उपहार में दे रहे हैं वे ऐसी चीजों को पसंद करते हैं या नहीं वरना उन के लिए आप का सामान किसी कूड़े से कम नहीं होगा.

सिल्वर गुड्स

चांदी की वस्तुएं इस अवसर के लिए सब से बेहतरीन उपहार साबित होती हैं, क्योंकि उन की एक ट्रैडिशनल वैल्यू होती है. चांदी की वस्तुओं की खास बात यह है कि ये दूल्हादुलहन दोनों को भेंट में दी जा सकती हैं. सिल्वर ज्वैलरी चाहे वह अंगूठी हो या इयररिंग्स, नेकलैस, ब्रैसलेट या फिर पायल दुलहन के लिए  बेहतरीन रहती हैं. सिल्वर ज्वैलरी बहुत ही ऐलिगैंट लगती है खास कर जब उस में डायमंड, रूबी जैसे स्टोन जड़े हों. चांदी की हेयर पिन्स, ब्रोचेस या घड़ी भी दी जा सकती है. ऐसे हैंडबैग जिन पर सिल्वर वर्क किया हो, उपयोगी होने के साथसाथ ट्रैंडी लुक भी देते हैं. दूल्हे को सिल्वर चेन, रिंग और ब्रेसलेट दे सकते हैं. जोड़े को सिल्वर का कटलरी सैट, सिल्वर पेपर व साल्ट शेकर्स या फिर सिल्वर बौटल ओपनर भी दिया जा सकता है.

इलैक्ट्रौनिक वस्तुएं

आज के जमाने में जब पतिपत्नी दोनों ही कामकाजी हैं और आधुनिक गैजेट्स पर उन की निभर्रता बहुत अधिक बढ़ गई है, तो ऐसे में वैडिंग गिफ्ट के लिए इलैक्ट्रौनिक वस्तुओं से बेहतर और क्या विकल्प हो सकता है. दूल्हादुलहन की आवश्यकताओं को समझते हुए इन वस्तुओं को कस्टमाइज्ड करा कर भी दिया जा सकता है. किचन में इस्तेमाल होने वाले उपकरण जैसे मिक्सर, फूड प्रोसैसर, जूसर, टोस्टर, माइक्रोवैव, ओवन, इलैक्ट्रिक कैटल, वाशिंग मशीन आदि बहुत ही उपयुक्त गिफ्ट रहते हैं. इन के अलावा टीवी, फ्रिज, म्यूजिक सिस्टम, सैलफोन आदि भी ऐसी चीजें हैं जो हमेशा उन के काम आएंगी.

ज्वैलरी

हालांकि इन दिनों सोने का दाम आसमान छू रहा है, फिर भी नजदीकी रिश्तेदारी में ज्वैलरी देने का चलन है. आजकल बाजार में ज्वैलरी की इतनी वैराइटीज मौजूद हैं कि आप अपने बजट के हिसाब से इसे खरीद सकते हैं. स्वरोस्की क्रिस्टल, टाइटेनियम, विभिन्न स्टोंस वाली ज्वैलरी गिफ्ट में दी जा सकती है. प्लैटिनम भी ऐसा मैटल है जिस की ज्वैलरी इन दिनों बहुत फैशन में है. कामकाजी महिलाएं इसे बहुत पसंद करती हैं. प्लैटिनम एक क्लासी टच देता है, जिसे आधुनिक दुलहन बहुत पसंद करती है.

दूल्हे के लिए गिफ्ट

दूल्हे को आप ऐक्सैसरीज जैसे टाई, कफलिंक्स या स्कार्फ दे सकते हैं. अगर उस की पसंद से अनजान हैं तो किसी लाइफस्टाइल ब्रैंड या इलैक्ट्रौनिक स्टोर का गिफ्ट वाउचर देना अच्छा औप्शन है. आमतौर पर इलैक्ट्रौनिक ऐक्ससैरीज हमेशा दूल्हे को पसंद आती हैं.

दुलहन के लिए गिफ्ट

दुलहन के लिए वैडिंग गिफ्ट के बहुत विकल्प हैं जैसे कपड़े, गहने, ऐक्सैसरीज या फिर गिफ्ट वाउचर्स. विवाह से पहले स्पा या ब्राइडल मेकअप के गिफ्ट वाउचर्र्स उस के बहुत काम आएंगे. इस के अतिरिक्त उसे कौस्मैटिक किट, हेयर ड्रायर, परफ्यूम, गिफ्ट हैंपर्स, चूडि़यों का सैट आदि भी दिया जा सकता है.

कपल के लिए गिफ्ट

दूल्हादुलहन के लिए इस से बेहतर वैडिंग गिफ्ट और क्या हो सकता है, जिसे वे दोनों मिल कर उपयोग कर सकें. आप उन्हें ट्रैवेल पैकेज गिफ्ट दे सकते हैं, या उन दोनों के हनीमून टिकट या फिर होटल बुकिंग का इंतजाम कर सकते हैं. किसी होटल के फूड वाउचर या वीकैंड हौलिडे के टिकट भी गिफ्ट में दिए जा सकते हैं. फर्नीचर जो आजकल बहुत वैराइटीज जैसे वुड, राट आयरन, लैदर आदि में उपलब्ध है, कपल के लिए बैस्ट गिफ्ट औप्शन है. उन्हें आप डबल बैड, सोफा सैट, डाइनिंग टेबल दे सकते हैं, पर उस से पहले उन के होम डैकोर व घर के साइज के बारे में जानकारी अवश्य ले लें.

कैश सब से परफैक्ट

वैडिंग गिफ्ट के रूप में कैश देना सब से बेहतर विकल्प है. इस से दूल्हादुलहन अपनी पसंद व जरूरत के अनुसार जब चाहें चीज खरीद सकते हैं या चाहें तो उसे बैंक में डाल फ्यूचर के लिए सेविंग भी कर सकते हैं. वैसे भी शादी के तुरंत बाद सैटल होने या हनीमून पर जाने के लिए उन्हें बहुत कैश की जरूरत पड़ती है, इसलिए कैश उन के बहुत काम आता है.

खूबसूरत पैकिंग

उपयुक्त गिफ्ट्स के साथसाथ खूबसूरत पैकिंग भी एक अलग प्रभाव छोड़ती है. गिफ्ट रैपिंग में थोड़े से पैसे खर्चना अच्छा ही रहता है. आप इस के लिए किसी स्पैशल वैडिंग गिफ्ट रैपर की मदद भी ले सकते हैं. पैकिंग विकल्पों की आजकल कोई कमी नहीं है. गिफ्ट जिसे दे रहे हैं वह हमेशा आप की शुभकामनाओं और प्यार को याद रखे, इस के लिए गिफ्ट की पैकिंग पर भी विशेष ध्यान दें. सोने या चांदी के सिक्कों को खूबसूरत से बौक्स में रख कर दे सकते हैं.

आजकल तो बहुत सुंदर पोटलियां मिलती हैं, गिफ्ट इन में भी रखा जा सकता है. रैप करने के लिए प्रयोग करने वाले पेपर भी हर वैराइटी में मिलते हैं, जिन्हें मनचाहे ढंग से कपड़े के फूलों आदि से सजाया जा सकता है. इन दिनों पैकिंग को ले कर लोग बहुत ही कांशस हो गए हैं. इसलिए ड्रैस से ले कर ज्वैलरी और गिफ्ट हर चीज को खास अंदाज में प्रेजैंट करने के लिए पैकिंग में नएनए प्रयोग पसंद कर रहे हैं.

कार्डबोर्ड के नक्काशीदार बौक्स में चीजें रख कर दी जाती हैं. पत्तों को पेंट कर, खास कर केले के पत्तों से गिफ्ट रैप किया जाता है. इस के अलावा गिफ्ट आकार के अनुसार लकड़ी या मैटल की टोकरियों या ट्रे का भी उपयोग किया जा रहा है.

क्या न दें

अंदाजा लगाएं कि उस नवविवाहित जोड़े को उस समय कैसा लगता होगा जब वह बहुत उत्साहित हो कर अपने प्रियजनों, मित्रों या रिश्तेदारों द्वारा दिए गए उपहारों को बहुत उत्साह से खोलने बैठता होगा और 1-1 गिफ्ट खोलतेखोलते उस के सामने 6 लगभग एकजैसे लगने वाले बाउल सैट, 10 घडि़यां, 10 वाल हैंगिंग्स, 7-8 लैंप शेड, आइसक्रीम कप, क्रौकरी सैट आदि का ढेर लग जाता होगा. जिन्हें या तो फिर से पैक कर के रखना पड़ता है या फिर घर के स्टोर में फेंक देना पड़ता है.

बेहतर होगा कि वैडिंग में ऐसे गिफ्ट न दें जो खुद आप की नजरों में उपयोगी नहीं हैं. बुके देने से बचें, क्योंकि वे भी बेकार ही जाते हैं. बुके भेंट करना पैसों की बरबादी है. उस के बदले कैश दें.

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दिल्ली के पराठे वाली गली की तरह लखनऊ में भी है रोटी बाजार

अगर आप दिल्ली या आसपास की जगह पर रहती हैं, तो आप दिल्ली के चांदनी चौक जरूर गई होंगी. अगर आप वहां नहीं भी गईं, तो पराठे वाली गली के बारे में तो आपने जरूर सुना होगा. जिस तरह चांदनी चौक के पराठे मशहूर है, उसी तरह लखनऊ का रोटी बाजार भी लखनऊ घूमने आने वाले लोगों के बीच खासा मशहूर है.

अगर आप भी कभी लखनऊ की ट्रिप प्लान कर रही हैं, तो यहां के रोटी बाजार के जायकों को चखना न भूलें. अकबरी गेट से नक्खास चौकी के पीछे तक यह बाजार है, जहां फुटकर और सैकड़े के हिसाब से शीरमाल, नान, खमीरी रोटी, रूमाली रोटी, कुल्चा, लच्छा पराठा, धनिया रोटी और तंदूरी पराठा जैसी कई अन्य तरह की रोटियां मिलती हैं.

चखना न भूलें शीरमाल की रोटियां

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रोटियों में शीरमाल की डिमांड सबसे ज्यादा रहती है. औरेंज कलर की शीरमाल मैदे, दूध व घी से बनती हैं,  तंदूर में पकाने के बाद इन पर खुशबू के लिए घी लगाया जाता है. शीरमाल का वजन के हिसाब से रेट तय होता है. यानी 110 ग्राम से 200 ग्राम की शीरमाल 10 से 15 रूपये प्रति पीस बिकती है. इस गली के बाहर भी कई होटल में स्पेशल शीरमाल तैयार की जाती है. इन्हें देसी घी व केसर में तैयार किया जाता है. शीरमाल ‘कबाब’ और कोरमे के साथ खाना लोग पसंद करते हैं.

बाकरखानी रोटी

लखनऊ के शाही खाने में गिनी जाने वाली बाकरखानी रोटी अमीरों के दस्तरखान से बाजार में आई है. इसे बनाने में मेवे और मलाई का प्रयोग किया जाता है. चाय के साथ लोग इसे खाना पसंद करते हैं. बाकरखानी रोटी की डिमांड पहले के तुलना में कम जरूर हुई है, लेकिन अब भी पुराने लखनऊ में बाकरखानी की मांग है.

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इन रोटियों को चखना न भूलें

लखनऊ के इस बाजार में कई अन्य रोटियां भी बिकती हैं. इन्हें भी लोग काफी पसंद करते हैं. इस बाजार की शान बढ़ाने वाली रोटिया हैं. इनमें नान रोटियां,ईरान से आई रोटी यानी कुलचा बहुत मशहूर है.

कैसे पहुंचे

आप लखनऊ रेलवे स्टेशन से किसी बस या टैक्सी से यहां पहुंच सकती हैं.

घूमने का बेस्ट टाइम

आप यहां कभी भी जा सकती हैं, लेकिन त्यौहारों के मौसम में यहां की एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है.

क्या खरीदें

लखनऊ की खास मिठाईयां, चिकन की कढ़ाई वाले कपड़े.

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1 अप्रैल से पहले निपटा लें निवेश से जुड़े ये काम, वरना होगा नुकसान

चालू वित्त वर्ष 2017-18 खत्म होने में अब सिर्फ एक महीने का ही समय बचा है. एक वित्त वर्ष के दौरान लोग टैक्स की बचत के लिए तरह-तरह के विकल्पों में निवेश करते हैं, लेकिन इन विकल्पों में किया गया निवेश तभी टैक्स बचत का फायदा देता है जब एक वित्त वर्ष के दौरान एक नियत तारीख तक निश्चित निवेश बरकरार किया जाए.

ऐसा न करने पर हमें नुकसान होता है यानी हमें पेनाल्टी भी देनी पड़ जाती है. हम अपनी इस खबर में आपको कुछ ऐसे विकल्पों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनमें आपको 31 मार्च तक एक निश्चित निवेश राशि सुनिश्चित करनी होगी, नहीं तो आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है.

नेशनल पेंशन सिस्टम

नेशनल पेंशन सिस्टम एक बेहतर निवेश विकल्प माना जाता है. यह टैक्स सेविंग के लिहाज से भी अच्छा विकल्प माना जाता है. अगर आपने भी एनपीएस में अपना अकाउंट खुलवा रखा है तो यह सुनिश्चित कर लें कि 31 मार्च 2018 से पहले-पहले आपके अकाउंट में मिनिमम 1,000 रुपए जमा कराए जा चुके हों. ऐसा न होने की सूरत में आपका अकाउंट फ्रीज भी हो सकता है. आपको फिर से अपना अकाउंट एक्टिव करवाने के लिए 100 रुपए की पेनाल्टी देनी होगी.

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सुकन्या समृद्धि स्कीम

बच्चियों के उज्जवल भविष्य के लिहाज से सुकन्या समृद्धि योजना को एक बेहतर स्कीम माना जाता है. इस स्कीम के तहत खोले गए अकाउंट में भी एक वित्त वर्ष के दौरान 1,000 रुपए जमा करवाना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं होता है तो मिनिमम डिपौजिट न होने की सूरत में आपको 50 रुपए की पेनल्टी देनी पड़ सकती है, नहीं तो आपको ब्याज का भी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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पब्लिक प्रौविडेंट फंड (पीपीएफ)

टैक्स सेविंग और निवेश के लिहाज से पीपीएफ को भी एक बेहतर विकल्प माना जाता है. इस अकाउंट में भी एक निश्चित राशि सुनिश्चित करनी होती है. इसलिए बेहतर होगा कि आप सुनिश्चित कर लें कि 31 मार्च से पहले आपके अकाउंट में 500 रुपए जमा किए जा चुके हों. ऐसा न होने पर आपको 50 रुपए जुर्माना अदा करना होगा और इसी के बाद आपका अकाउंट फिर से एक्टिव किया जाएगा.

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वीडियो : जैकलीन के बाद अब नोरा फतेही सीख रही हैं पोल डांस

बौलीवुड में ऐसे कई सितारें हैं जो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं और अक्सर अपने वीडियो और तस्वीरें शेयर करते रहते हैं. इसी तरह नोरा फतेही भी अपने फैन्स के साथ सोशल मीडिया पर कुछ न कुछ शेयर करती रहती हैं और उनको अपने काम की जानकारी भी देती रहती हैं.

बता दें, नोरा ने ‘बाहुबली द बिगनिंग’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी और उसके बाद वह बिग बौस में भी नजर आईं थी. हालांकि, यहां हम नोरा के नए वीडियो की बात कर रहे हैं जो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है.

दरअसल, नोरा ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में वह पोल डांस करते हुए नजर आ रही हैं. गौरतलब है कि 2017 में जैकलीन फर्नांडीज ने भी अपनी फिल्म ‘अ जेंटलमैन’ के लिए पोल डांस सीखा था और उन्होंने अपने वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर किया था जिसके बाद वह काफी वक्त तक सुर्खियों में रही थीं.

उसी तरह अब नोरा भी पोल डांस सीख रही हैं और इस वीडियो के कैप्शन में उन्होंने लिखा है, आज की क्लास से, आज दूसरी क्लास है और आरिफ ने मुझे काफी कुछ सिखा दिया है. मैं पोल पर चढ़ना सीख चुकी हूं और अभी काफी कुछ सीखना बाकी है.

गौरतलब है कि नोरा, एक प्रोफेशनल बेली डांसर हैं और अब वह पोल डांस में अपना हाथ आजमां रही हैं लेकिन वह पोल डांस अपने अपकमिंग प्रोजेक्ट के लिए सीख रही हैं या अपने शौक के लिए यह कहना मुश्किल है. खैर जो भी हो लेकिन नोरा पोल डांस करते हुए अपने फैन्स को काफी आकर्षित कर रही हैं.

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अभी कर रही हूं ‘इनाया’ प्रोजैक्ट पर काम : सोहा अली खान

अचानक राइटर कैसे बन गईं?

अचानक नहीं बनी. राइटिंग की आदत तो मुझे बचपन से है, लेकिन कभी यह नहीं सोचा था कि मेरी कोई पूरी किताब पब्लिश होगी. शुरू से अपनी यादों को पन्नों में लिख कर सहेजने की आदत थी. मैं एक ऐसे परिवार से संबंध रखती हूं, जो बहुत बड़ा है और इस की कई छोटीबड़ी यादें हैं, जिन्हें मैं कहानियों की तरह सहेज कर रखना चाहती थी. मेरी बुक ‘द पर्ल औफ बीइंग मौडरेटली फेमस’ पटौदी परिवार की लोकप्रियता की वजहों को साझा करती है. पब्लिशर ने मुझ से संपर्क किया और फैमिली ने प्रोत्साहित किया तो यह बुक आ गई.

किस तरह की लेखनी पसंद है?

वैसे तो मुझे नौनफिक्शन और फिक्शन दोनों तरह की किताबें पढ़ना पसंद है, लेकिन मैं अधिकतर नौनफिक्शन ही लिखती हूं. लेकिन पढ़ती दोनों हूं, क्योंकि नौनफिक्शन से आप को सीखने को बहुत मिलता है. फिक्शन में आप की क्रिएटिविटी ग्रूम होती है. इस किताब को मैं ने ऐसा लिखा है कि जिस से पढ़ने वाले को लगे कि वह सोहा से बात कर रहा है.

मां बनने के साथसाथ किताब कैसे लिख पाईं?

जब मैं किताब लिख रही थी तब मैं प्रैगनैंट नहीं थी. हां, प्रैगनैंसी के दौरान मैं ने लास्ट चैप्टर लिखा था जो पूरा प्रैगनैंसी पर है

किस विषय पर लिखना पसंद है?

मुझे ट्रैवल करना और ट्रैवलिंग पर लिखना सब से ज्यादा पसंद है. आज लोग किसी टूरिज्म स्पौट के बारे में जानने के लिए वीडियो देखते हैं जबकि मेरा मानना है कि उन्हें उस जगह की जानकारी के लिए बुक पढ़नी चाहिए, जिस में राइटर के जीवंत अनुभव होते हैं. अगर मुझे अभी लिखना पड़े तो मैं टूरिज्म पर पूरी किताब लिख सकती हूं.

इनाया के जन्म के बाद क्या बदलाव आया?

जब से इनाया आई है तब से मेरी दिनचर्या मेरे अनुसार नहीं रही है, उस के अनुसार हो गई है. उस का सोनाजागना ही मेरे और कामों को डिसाइड करता है. लेकिन इस के पापा कुणाल की वही जिंदगी है. पूरा दिन उसी के साथ रहते हैं.

बच्ची का नाम

सोहा बताती हैं, ‘‘जब इनाया का जन्म नहीं हुआ था तब कुणाल हमेशा कहते थे कि अगर लड़का होगा तो यह नाम होगा, लड़की होगी तो वह नाम होगा. मैं ने कभी इस मामले में सोचा नहीं था. इनाया नाम भी कुणाल ने ही सोचा था और जिस दिन उस का जन्म हुआ उस दिन नवमी थी तो पूरा नाम इनाया नौमी रख दिया.’’

अभी तो इनाया प्रोजैक्ट…

सोहा कहती हैं, ‘‘आज कोई मेरे नए प्रोजैक्ट के बारे में पूछता है तो मैं कहती हूं कि अभी तो सिर्फ प्रोजैक्ट इनाया चल रहा है. उस की परवरिश के साथसाथ ‘साहब, बीवी और गुलाम 3’ फिल्म भी पूरी करनी है. एक प्रोडक्शन हाउस रेनगेड फिल्म्स की शुरुआत की है और रोनी स्क्रूवाला के साथ मिल कर जानेमाने वकील और राजनेता राम जेठमलानी की बायोपिक का निर्माण भी कर रही हूं.’’

भाभी डरती हैं ननद से

अभिनेत्री करीना कपूर का कहना है, ‘‘मैं मुश्किल से किसी से डरती हूं, लेकिन अपने परिवार में अपनी ननद सोहा अली खान से बहुत डरती हूं. डिनर के दौरान जब सैफ और सोहा बातें करते हैं तो मैं दोनों की बातचीत सुन कर नर्वस हो जाती हूं.’’

सोहा भी कानूनी पचड़े में

सोहा अली खान को आर्म लाइसैंस के लिए निर्धारित आयु से पहले हथियार रखने का लाइसैंस देने के मामले में हरियाणा लोकायुक्त में मामला दर्ज हुआ. याचिका के तहत कहा गया है कि जब सोहा अली खान को हथियार रखने का लाइसैंस दिया गया था तब उन की उम्र 18 साल 1 महीना थी जबकि लाइसैंस लेने के लिए उम्र 21 साल से कम नहीं होनी चाहिए.

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आशीर्वाद सर्वगुण संपन्न उत्सव : टेस्ट के साथ हैल्थ का भी ध्यान

गत 12 जनवरी, 2018 को दिल्ली प्रैस द्वारा आईटीसी आशीर्वाद सर्वगुणसंपन्न कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली के पवित्रा अपार्टमैंट में किया गया, जिस में बढ़चढ़ कर महिलाओं ने भाग लिया और इस इवैंट की सह प्रायोजक थी महिलाओं की चहेती पत्रिका गृहशोभा.

इवैंट की शुरुआत रोटी मेकिंग की ऐक्टिविटी से हुई, जिस में 3 महिलाओं का चयन किया गया और इस गेम की विजेता बनीं वे प्रतिभागी जिन की रोटी न सिर्फ दिखने में बल्कि टेस्ट और सौफ्टनैस के मामले में भी बेहतर थी, क्योंकि वह आशीर्वाद सलैक्ट आटे से जो बनी थी.

इस के बाद शैफ सैशन शुरू हुआ. शैफ सारिका मेहता ने आशीर्वाद शुगर रिलीज कंट्रोल आटे और गुड़ का प्रयोग करते हुए एगलैस लो शुगर केक पफ बनाना सिखाया जो न सिर्फ बनाने में आसान था बल्कि पौष्टिकता से भी भरपूर था.

इवैंट के दौरान मैमोरी चैंलेंज गेम खेला गया जिस में प्रथम पुरस्कार सीमा और द्वितीय पुरस्कार कांता शर्मा को मिला. यही नहीं टंग ट्विस्टर गेम को भी खूब ऐंजौय किया गया.

इस दौरान रैसिपी कौंटैस्ट का भी आयोजन किया गया जिस में सीमा श्रीवास्तव ने आटे का फरा बना कर प्रथम पुरस्कार जीता वहीं चेतना पाठक ने दाल ढोकली बना कर दूसरा पुरस्कार जीता. तीसरे स्थान पर कुसुम साय की आटे की हरियाली बर्फी रही.

न्यूट्रिशनिस्ट नेहा सागर का सैशन भी सराहनीय था. उन्होंने आशीर्वाद शुगर रिलीज कंट्रोल और मल्टीग्रेन आटे की गुणवत्ता बताते हुए हैल्दी रहने के टिप्स बताए. उन्होंने बताया कि डायबिटीज कोई बीमारी नहीं है. अगर हम अपने खानपान और लाइफ स्टाइल को सुधार लेते हैं तो इस से हम कई बीमारियों से बच सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि हम पतले होने के लिए बहुत देरदेर तक भूखे रहते हैं जो सही नहीं है बल्कि आप को थोड़ीथोड़ी देर में खाते रहना चाहिए और जितना हो सके पानी पिएं इस से आप खुद को स्वस्थ रख पाएंगी.

इस के बाद मल्टीटास्किंग ऐक्टिविटी के लिए 2 महिलाओं को बुलाया गया जिन्हें 2 मिनट में आशीर्वाद मल्टीग्रेन आटे का उपयोग करते हुए ज्यादा से ज्यादा रोटियां बनाने के साथ होस्ट द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देने थे और इस गेम में मल्टीटास्किंग दीवा का प्रथम पुरस्कार जीता कल्पना ने और मीनाक्षी ने द्वितीय पुरस्कार को अपने नाम किया.

फिर पुन: 2 महिलाओं को स्टेज पर बुला कर पनीर, मसालों और आशीर्वाद शुद्ध चक्की आटे से 20 मिनट में अपनी पसंद की डिशेज बनाने को कहा. यह राउंड बहुत ही क्रिएटिव था क्योंकि औन द स्पौट रैसिपी सोच कर जो बनानी थी. वैसे तो दोनों ही प्रतिभागियों ने अच्छा परफौर्म किया लेकिन पनीर रोल जो न सिर्फ टेस्ट में बल्कि प्रेजैंटेशन में भी उस का कोई जवाब नहीं था. इसलिए मोस्ट पौपुलर दीवा का खिताब अपने नाम किया सुनीता गुप्ता ने. इन ऐक्टिविटीज के प्रति सभी का उत्साह देखते ही बन रहा था.

इस कार्यक्रम के आयोजन में जनहित में कार्य करने वाली सखी-सहेली संस्था की सचिव सुनीता गुप्ता का खास योगदान रहा. कार्यक्रम को सफल बनाने में सीमा श्रीवास्तव का भी विशेष सहयोग रहा.

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सक्सैस का ग्रूमिंग कनैक्शन, अपने व्यक्तित्व को तराशें कुछ इस तरह

तारीफ पाना सभी को अच्छा लगता है. हर कोई चाहता है कि लोगों की नजरों में उस की छवि हमेशा अच्छी बनी रहे. अच्छी छवि से न सिर्फ समाज में नाम होगा, बल्कि खुद को ले कर आत्मविश्वासी भी बने रहेंगे. आज के समयानुसार आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी है. इसलिए आप को जरूरत है परफैक्ट पर्सनल ग्रूमिंग की. इस में आप को न सिर्फ बाहरी तौर पर, बल्कि आंतरिक रूप से भी खुद को संवारने की जरूरत पड़ती है. जानिए क्यों जरूरी है ग्रूमिंग:

ग्रूमिंग का महत्त्व

नित्यांजलि इंस्टिट्यूट के फैकल्टी और ट्रस्टी, गिरीश दालवी के अनुसार ग्रूमिंग खुद के लिए जरूरी है. यदि आप कुछ अच्छा चाहते हैं, तो आप का अच्छा दिखना जरूरी है. ग्रूमिंग आप को सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी बदलती है. जब आप खुद को ले कर अच्छा महसूस करेंगे तब आप ज्यादा आत्मविश्वासी होंगे.

परसोना पावर की हैड, माया दासवानी के अनुसार पहले लोग आप के बाहरी रूप से आकर्षित होते हैं. आप अपने स्टाइल, हाइजीन और पर्सनैलिटी को ले कर कितने सजग हैं, यह देखा जाता है. आप की पहली छवि ही लोगों को आप की याद दिलाती है.

क्या है ग्रूमिंग

गिरीश बताते हैं कि पर्सनल ग्रूमिंग में सेहत और ओरल हाइजीन का भी समावेश होता है. इस तरह ग्रूमिंग आप की सोच में सहजता लाती है. आप में खुद को और दूसरों को ले कर अच्छा सोचने की क्षमता बनाती है.

बाहरी सुंदरता ही नहीं, बल्कि आप से जुड़ी छोटीछोटी बातों का भी ध्यान रखना ग्रूमिंग है. एडाप्ट की सीनियर डाइरैक्टर रेखा विजयकर का मानना है कि ग्रूमिंग का मतलब है आप के लिए परफैक्ट व्यक्तित्व का निर्माण करना. पर्सनल से ले कर प्रोफैशनल और सोशल गू्रमिंग के जरीए आप के व्यक्तित्व में चार चांद लगाना ही इस का मकसद है.

प्रोफैशनल और पर्सनल ग्रूमिंग की शुरुआत

सब से पहले आप को खुद को जानने की और खुद को ले कर स्वीकार्यता बढ़ाने की जरूरत होती है. इस के बाद बारी आती है हैल्थ और हाइजीन की. आप कैसे दिखाई देते हैं और आप अपनी हैल्थ के बारे में कितना जानते हैं, इस विषय पर सोचा जाता है. इस के बाद आप की प्रोफैशनल लाइफ को ले कर सोचा जाता है. आप लोगों से कैसे बात करते हैं, कैसे कपड़े पहनते हैं और कितने आत्मविश्वासी हैं, इन सभी बातों का समावेश किया जाता है.

पर्सनल ग्रूमिंग में आप की गरदन, नाखूनों, त्वचा और ओरल हाइजीन का ध्यान रखा जाता है, जिस में यह देखा जाता है कि आप सिर से ले कर पैरों तक एकदम परफैक्ट हों. प्रोफैशनल ग्रूमिंग में बारी आती है आप के व्यक्तित्व को निखारने की. इस के अनुसार आप के बात करने की टोन, बात करते हुए अपने हाथों का उपयोग और एक मुसकराहट से लोगों का दिल जीत लेने की क्षमता पर काम किया जाता है.

प्रोफैशनल ग्रूमिंग के दौरान ध्यान रखा जाता है कि आप किस प्रकार की जौब करती हैं. यदि आप टीचर हैं, तो आप को माइल्ड मेकअप के साथ परफैक्ट साड़ी ड्रैपिंग सीखनी पड़ेगी. लेकिन वहीं अगर आप कंपनी के मैनेजमैंट से संबंध रखती हैं तो आप को स्कर्ट्स और ट्राउजर जैसे कपड़ों को अपनाना होगा. लेकिन इस बाहरी रूप के अलावा आप अपने कलीग्स से कैसे बरताव करती हैं और क्लाइंट्स के सामने कैसे पेश आती हैं, यह भी प्रोफैशनल ग्रूमिंग के अंतर्गत सिखाया जाता है.

फिजिकल ऐक्टिविटी की जरूरत

इस ऐक्टिविटी में आप को पहले अपने चेहरे को आईने में देखने के लिए कहा जाता है. उस के बाद पूरे शरीर पर ध्यान देने की सलाह दी जाती है. इस प्रक्रिया से आप में शरीर को ले कर स्वीकार्यता बढ़ती है. इस के बाद आप को कपड़े पहन कर अपटूडेट हो कर आईने में देखने के लिए कहा जाता है, जिस से आप ड्रैसिंग सैंस और प्रेजैंटेबल रहने के गुर सीख सकें. इस तरह आप सिर से ले कर पैरों तक अपने स्टाइल का निरीक्षण कर सकती हैं.

पर्सनल ग्रूमिंग के लिए सही उम्र

यदि मातापिता अपने बच्चों को शुरू से ही ग्रूमिंग के गुर सिखाना चाहते हैं, तो 6 साल की उम्र के बाद वे उन्हें ग्रूम करना शुरू कर सकते हैं. तब तक बच्चों की स्कूल जाने की शुरुआत हो जाती है और वे अपने आसपास के वातावरण से सीखना शुरू कर देते हैं. ऐसे में यदि आप उन्हें ग्रूम करना शुरू करेंगे, तो वे आसानी से आप की बातों को समझेंगे और उन का अनुसरण भी करेंगे.

जब बच्चा समझने लगे, तभी पर्सनल हाइजीन के बारे में बताना चाहिए. दांतों को दिन में 2 बार ब्रश करने से ले कर स्कूल यूनिफार्म को सही तरह से पहनने तक आप को उसे शारीरिक स्वच्छता का महत्त्व समझाना चाहिए.

जब बच्चे 6-7 साल के होते हैं, तब से ही उन्हें ग्रूमिंग सिखाने की जरूरत पड़ती है, खासतौर पर लड़कियों को. जब वे मासिकधर्म की प्रक्रिया से पहली बार गुजरती हैं, तो उन्हें हाइजीन के साथसाथ पर्सनल ग्रूमिंग की भी शिक्षा दी जानी चाहिए.

कैरियर के लिए बेहद फायदेमंद

कैरियर के मद्देनजर गू्रमिंग में सब से पहले देखा जाता है कि आप के बातचीत का तरीका कैसा है. इस दौरान ध्यान रखा जाता है कि आप 2 भाषाओं में बात न करें. इस के अलावा आप के ड्रैसिंग स्टाइल को भी देखा जाता है, जिस में सही रंग के कपड़ों के साथसाथ सही रंग के जूते और ऐक्सैसरीज पहनने के गुर भी सिखाए जाते हैं.

आप ने अकसर लोगों को कहते सुना होगा कि फर्स्ट इंप्रैशन इज लास्ट इंप्रैशन. यह बात सभी पर लागू होती है. आप की पहली छवि ही लोगों के मन में हमेशा के लिए बनी रहेगी. इसलिए आप के लिए जरूरी है कि हमेशा अपटूडेट बने रहें, प्रेजैंटेबल रहें. इस से आप अपने काम के दौरान मिलने वाले लोगों को आकर्षित कर पाएंगे.

मनी मैनेजमैंट ग्रूमिंग का एक भाग

हर व्यक्ति के लिए मनी मैनेजमैंट बेहद जरूरी है, खासतौर पर महिलाओं के लिए. मनी मैनेजमैंट पर बात करते हुए ग्रूम इंडिया की हैड, रुपेक्षा जैन बताती हैं कि आप भले ही कामकाजी महिला हों या हाउसवाइफ, आप को स्वयं पर ध्यान देने की जरूरत पड़ती है. यदि आप ऐसा नहीं करती हैं, तो खुद को उपेक्षित महसूस करती हैं और यही आप के क्रोध की असली वजह होती है.

रूपेक्षा के अनुसार सब से पहले आप को अपने घरेलू खर्चों को लिख कर योजना बनानी चाहिए. इस के बाद अपनी इनकम से आप को 12 से 15% भाग खुद की ग्रूमिंग के लिए अलग निकालना चाहिए. ताकि आप खुद को संतुष्ट कर सकें .अपनी इनकम से 20 से 30% की बचत करनी चाहिए. चाहें तो आप इस भाग को म्यूचुअल फंड, एसआईपी (सिस्टेमैटिक इनवैस्टमैंट प्लान) इत्यादि में जमा कर सकती हैं. इस के बाद अपनी इनकम को आप जैसे चाहें वैसे खर्च कर सकती हैं.

गृहिणियां जो अपने लिए कभी बचा कर नहीं रखती, उन्हें ग्रूमिंग की खास जरूरत होती है. उन्हें जो पैसे मिलते हैं उन में से एक भाग निकाल कर खुद के लिए रखना चाहिए और उस में वे फिटनैस के लिए जिम या खुद की देखभाल करने के लिए ब्यूटी ट्रीटमैंट ले सकती हैं.

हाउसवाइफ के लिए भी बेहद जरूरी

जैसाकि सभी जानते हैं बच्चे अपनी मां को देख कर ही जीने का सलीका सीखते हैं, इसलिए एक मां या कहें हाउसवाइफ के लिए ग्रूमिंग जरूरी हो जाती है. वह ग्रूमिंग के बाद न सिर्फ अपने घरपरिवार का, बल्कि खुद का

भी बेहतर ध्यान रख पाएगी. यदि गृहिणी खुद को अच्छी तरह संवारेगी, तो लोग उस के व्यक्तित्व की तारीफ करेंगे.

ध्यान रखें आप का पहनावा, उठनेबैठने का सलीका और बोलचाल का तरीका ही समाज में आप को दूसरों से अलग दिखाता है.

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