आखिर क्या फायदे हैं टर्म इंश्योरैंस के, जानें विस्तार से

EXCLUSIVE : पाकिस्तान की इस मौडल ने उतार फेंके अपने कपड़े, देखिए वीडियो

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

बीमा लेते वक्त ज्यादातर लोग इस बात का खयाल नहीं रखते कि बीमा कवर कितना होना चाहिए जिस से आने वाले समय में अपनों की बीमारी, पढ़ाई, शादीब्याह के मौके पर किसी प्रकार का वित्तीय दबाव न झेलना पड़े. जो लोग पर्याप्त बीमा कवर लेने की सोचते हैं वे ऊंचे प्रीमियम के चलते ऐसा कर नहीं पाते. ऐसी स्थिति में मौजूदा जरूरतों को और मुद्रास्फीति का ध्यान रखते हुए टर्म इंश्योरैंस प्लान प्रत्येक के लिए बेहतरीन विकल्प है.

बैंक बाजार डौट कौम के सीइओ व कोफाउंडर आदिल शेट्टी का कहना है, ‘‘टर्म इंश्योरैंस आप को जीवन में निश्चितता देता है. दरअसल इस के जरीए आप कम प्रीमियम पर बड़ा बीमा कवर खरीद पाते हैं. अच्छा तो यह रहेगा कि आप अपनी मौजूदा सालाना आय का 20 गुना के बराबर बीमा कवर लें. इस से आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में परिजनों को संपूर्ण वित्तीय सुरक्षा मिलती है.’’

क्या है टर्म इंश्योरैंस

यह बीमा का ही एक प्रकार है. हालांकि दूसरे बीमा विकल्पों की तुलना में यह खास इसलिए है, क्योंकि यह काफी सस्ता है और इस से पर्याप्त कवर मिलता है. दरअसल, टर्म इंश्योरैंस में कोई कैश वैल्यू नहीं होती. टर्म प्लान 10, 20, 30 या 50 वर्षों के लिए भी हो सकता है. यदि इस अवधि में बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उस के नौमिनी कवर की राशि क्लेम कर सकते हैं.

finance

टर्म इंश्योरैंस की औनलाइन खरीदारी सस्ती है. दरअसल, उपभोक्ता जब औनलाइन पौलिसी लेता है तो संबंधित बीमा कंपनी को इंश्योरैंस एजेंट और कागजी कार्यवाही पर खर्च नहीं करना पड़ता है. लिहाजा इस का फायदा बीमा कंपनी सीधा पौलिसीधारक को उपलब्ध कराती है. साथ ही बीमा खरीदते वक्त औनलाइन फार्म भरने से आप कई औपचारिकताओं से भी बच जाते हैं.

पर्याप्त बीमा कवर

टर्म इंश्योरैंस व्यक्ति को न्यूनतम प्रीमियम पर अधिकतम कवर उपलब्ध कराता है. उदाहरण के तौर पर यदि मुंबई में रहने वाला 30 वर्ष का युवक जो धूम्रपान नहीं करता, वह 30 साल के लिए एक करोड़ रुपए के कवर वाला टर्म प्लान लेता है तो इस का सालाना प्रीमियम 7,497 रुपए से शुरू होता है. यही व्यक्ति अगर इतनी ही अवधि के लिए 50 लाख रुपए का कवर लेता है तो इस का सालाना प्रीमियम 4,222 रुपए से शुरू होता है.

सर्वाइवल बैनिफिट

रैग्युलर टर्म प्लान में प्रावधान है कि यदि बीमा की अवधि में बीमित व्यक्ति सही सलामत है, तो उसे मैच्योरिटी पर कोई कैश वैल्यू नहीं प्राप्त होती. लेकिन टर्म इंश्योरैंस की श्रेणी में ही टर्म रिटर्न औफ प्रीमियम प्लान्स (टीआरओपी) का भी विकल्प मौजूद है. इस में प्लान की मैच्योरिटी पर प्रीमियम रिफंड का विकल्प होता है.

लो क्लेम रिजैक्शन

यदि आप का टर्म इंश्योरैंस 10 साल से अधिक समय तक सक्रिय रहा है तो क्लेम खारिज होने की संभावना बेहद कम होती है. यदि आप ने 50 लाख रुपए या इस से कम राशि का टर्म प्लान लिया है तो बहुत सी बीमा कंपनियां आप से हैल्थ चैकअप कराने का आग्रह भी नहीं करती हैं.

राइडर्स

राइडर्स के जरीए आप अपने टर्म इंश्योरैंस को समय समय पर और बेहतर बना सकते हैं. इस से आप को कई अन्य जोखिमों का भी कवर मिल जाएगा. उदाहरण के तौर पर आप बेहद कम कीमत पर टर्म प्लान के तहत ऐक्सीडैंटल डैथ बैनिफिट, क्रिटिकल इलनैस, पार्शियल और परमानैंट डिसैबिलिटी कवर जैसी अतिरिक्त सुविधाओं को भी जुड़वा सकते हैं.

फ्लैक्सिबल पेमैंट औप्शन

टर्म इंश्योरैंस पौलिसी में पौलिसीधारक को उस की सुविधा अनुसार प्रीमियम भुगतान के कई विकल्प मिलते हैं. मसलन इस में आप को सीमित भुगतान या एकमुश्त भुगतान या फिर नियमित भुगतान का विकल्प मिलता है, जिस का मतलब है कि आप पौलिसी प्रीमियम की पेमैंट मासिक, तिमाही या फिर सालाना आधार पर कर सकते हैं.

कर छूट का फायदा

परिजनों की वित्तीय सुरक्षा के साथ ही टर्म इंश्योरैंस पर पौलिसीधारक को आयकर छूट का भी फायदा मिलता है. पौलिसीधारक इस पर आयकर अधिनियम की धारा 80(सी) के तहत कर छूट प्राप्त कर सकते हैं. इस के अलावा बीमित व्यक्ति की यदि मृत्यु हो जाए तो उस के द्वारा नामांकित व्यक्ति को बीमा की जो राशि मिलती है उस पर भी धारा 10 (10डी) के तहत कर छूट का प्रावधान है.

शाकाहार से बढ़ेगा परिवार, आपकी डाइट का स्पर्म काउंट से है सीधा संबंध

EXCLUSIVE : पाकिस्तान की इस मौडल ने उतार फेंके अपने कपड़े, देखिए वीडियो

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

अपने देश में जब भी किसी जोड़े के बच्चे नहीं होते तो दोष आमतौर पर पत्नी पर ही मढ़ दिया जाता है. जब परिवार वाले जोर डालते हैं और टैस्ट होते हैं तो पता चलता है कि पति में स्पर्म काउंट कम है, ईश्वर की इच्छा नहीं जैसा पुजारीमुल्ला कहते हैं. यह खाने के साथ सीधा जुड़ा है. डाइट का स्पर्म काउंट से सीधा संबंध है. खाने में अधिक मीट और दूध के प्रोडक्ट केवल कमर को ही मोटा और शिथिल नहीं करते उस के जरा नीचे भी भारी नुकसान पहुंचाते हैं. स्पर्म काउंट, साइज और घनत्व में परिवर्तन हो जाता है, नैगेटिव में.

स्पर्म काउंट में कमी

डाक्टर अकसर स्मोकिंग बंद करने, ढीले अंडरवियर पहनने, लैपटौप को लैप्स पर नहीं मेज पर रखने और कम बार सैक्स करने की सलाह देते हैं पर यह नाकाफी है. असल में गीगो सिद्धांत कहता है गारबेज इन, गारबेज आउट. गारबेज यानी बेकार का खाया. मैंस हैल्थ क्लीनिक, वेक फौरैस्ट यूनिवर्सिटी के डा. रयान टैरलेस्की का कहना है, ‘‘कई दशकों से हम देख रहे हैं कि पुरुषों में स्पर्म काउंट कम हो रहा है पर पुरुषों को यह नहीं बताया जा रहा है कि वे क्या खा रहे हैं, जिस का सीधा संबंध स्पर्म काउंट से है.’’

खानपान में छिपा है राज

2006 में यूनिवर्सिटी औफ रौचेस्टर में प्रस्तुत किए गए एक शोधपत्र में साफ कहा गया है कि निस्संतान पुरुषों के खाने में फलों और सब्जियों की संख्या काफी कम होती है. 2011 के ब्राजील के एक शोध से पता चला है कि जो लोग गेहूं, बाजरा आदि ज्यादा खाते हैं उन का स्पर्म काउंट ज्यादा होता है.

एक और अध्ययन से पता चला है कि पनीर, चीज और दूसरी दूध से बनी चीजें खाने से स्पर्म काउंट घट जाता है. स्पर्म डोनर्स से स्पर्म एकत्र करने वाली संस्थाओं ने भी पाया है कि जो लोग डेरी प्रोडक्ट लेते हैं उन का स्पर्म काउंट 46% कम होता है.

डेरी प्रोडक्ट्स किसे फायदेमंद

डेनमार्क की जन्मदर 221 देशों में 185वें स्थान पर है पर यह वहां की जनता के जनसंख्या नियंत्रण करने की इच्छा के कारण नहीं, उन के खाने में डेरी प्रोडक्टों की भरमार के कारण हो रहा है. अमेरिकन जरनल औफ क्लीनिकल मैडिसिन ने इस बात की पुष्टि की है. मीट और चीज खाने वालों का स्पर्म काउंट सामान्य से 41% कम पाया गया है.

औरतों में भी पौधों से उगे खाने को डाइट में बढ़ाने और सैचुरेटड फैट जो मीट या दूध से मिलता है, कम करने से संतानोत्पत्ति की संभावनाएं बढ़ती हैं. अधिक मीट से सफल गर्भ ठहरने के चांस कम हो जाते हैं.

कैसे बढ़ाएं स्पर्म काउंट

शराब से भी स्पर्म काउंट कम हो जाता है. जिन फलों में ऐंटीऔक्सीडैंट होते हैं उन का जूस भी स्पर्म काउंट बढ़ाने में सहायक होता है. डेनमार्क की शोध संस्था ने पाया है कि थोड़ी मात्रा में अलकोहल लेने वालों में स्पर्म काउंट कम हो जाता है. तो क्या समझे? यही न कि अपना स्पर्म काउंट बढ़ाना है तो फल, सब्जियां, दालें, हरे पत्तों का सलाद खाइए और मीट व डेरी प्रोडक्ट्स छोड़ दें.

ट्रोलर्स को जवाब देना अमीषा पटेल को पड़ा महंगा, फिर हो गईं ट्रोल

EXCLUSIVE : पाकिस्तान की इस मौडल ने उतार फेंके अपने कपड़े, देखिए वीडियो

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

फिल्मों में नजर नहीं आ रहीं अभिनेत्री अमीषा पटेल इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब दिख रही है, लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें उनकी तस्वीर को लेकर ट्रोल कर दिया. इस पर अमीषा पटेल ने फिर से फोटो पोस्ट कर ट्रोलर्स का जवाब दिया है. लेकिन ट्विटर पर लोग नहीं माने और उन्होंने फिर से उनका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया.

अमीषा पटेल ने जिस तस्वीर के जरिये ट्रोलर्स को जवाब दिया, उसके कैप्शन में उन्होंने लिखा- ‘Redilicious’ फिलहाल यह शब्द अंग्रेजी की डिक्शनरी में नहीं है. प्रथम दृष्टया देखने पर यह एक अंग्रेजी का ‘रिडिक्लस’ लगता है जिसका अर्थ ‘हास्यास्पद’ होता है, लेकिन अमीषा ने बड़ी चालाकी से यहां ‘रेडीलीसियस’ लिखा है. शायद उनका मतलब तस्वीर में दिख रही उनकी लाल रंग की ड्रेस से है. इस लाल रंग की ड्रेस में अमीषा बेहद बोल्ड नजर आ रही हैं. तस्वीर में अमीषा पटेल मुस्कराती भी दिख रही हैं.

अमीषा ने तस्वीर के कैप्शन के साथ लाल रंग के तीन दिल के निशान भी चस्पा किए हैं, जो यह बता रहे हैं कि उन्हें लाल रंग की ड्रेस कितनी पसंद है. अमीषा की इस तस्वीर पर ज्यादातर लोगों ने तो उनकी तारीफ ही की है, लेकिन कुछ लोगों ने मजाक भी उड़ाया है.

एक यूजर ने उन्हें कैप्शन की स्पेलिंग सिखाने की कोशिश की है. रीतू गुप्ता ने अफसोस जताते हुए लिखा है- ”हे भगवान.” जीए रावल ने लिखा- ”आप क्या दिखाना चाहती हैं, सबने देख लिया.” एक यूजर ने अमीषा की तस्वीर को ‘डर्टी’ बताया.

बेन नाम के यूजर ने उन्हें बदसूरत कहा, चंकी तैमूर कुंदर नाम के यूजर ने अमीषा पटेल के लिए ‘दादी इन ए साड़ी’ लिखा. बता दें कि इससे पहले अमीषा ने इंस्टाग्राम पर अपने बेडरूम की तस्वीरें अपलोड की थीं जिनमें वह टौपलेस नजर आ रही थीं, उनकी तस्वीरों को लेकर ट्रोलर्स ने उन्हें निशाने पर ले लिया था. एक यूजर ने यहां तक लिखा था कि क्या उनके पास अब यही काम रह गया है?

क्या दीपिका ने हटवा दिया रणबीर कपूर के नाम का टैटू?

EXCLUSIVE : पाकिस्तान की इस मौडल ने उतार फेंके अपने कपड़े, देखिए वीडियो

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

बौलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण अपनी फिल्म पद्मावत की सफलता के बाद अब अपने नए प्रोजेक्ट की तैयारी में जुट गई हैं. हाल ही में मुंबई के एयरपोर्ट पर उन्हें स्पौट किया गया, यहां वह हमेशा की तरह स्टाइलिश लुक में नजर आईं. उन्होंने ग्रे क्रौप टौप और सफेद हाई वेस्ट ट्राउजर पहना हुआ था. काले चश्मे और पोनी टेल में वह काफी कूल नजर आ रही थीं.

इस दौरान उनकी गर्दन पर दो पट्टियां चिपकी नजर आईं. ये पट्टियां उनके चर्चित आरके टैटू को कवर कर रही थीं. उसके बाद यह खबरें सामने आ रही हैं कि दीपिका को वर्कआउट करते समय गर्दन पर चोट लग गई थी जिसकी वजह से उन्होंने गर्दन पर बैंडेज लगा रखी थी.

bollywood

मीडिया में दीपिका की गर्दन पर चोट लगने से जुड़ी जितनी भी खबरें आ रहीं हैं वह सारी ही काफी चौंकाने वाली हैं. यह तो आप सब जानते ही हैं कि दीपिका ने अपनी गर्दन पर एक टैटू बनवा रखा है जो उनके एक्स बौयफ्रेंड रणबीर कपूर से जुड़ा हुआ है. ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि दीपिका ने अपने इस आरके टैटू को सर्जरी से हटवा लिया है और इसी टैटू को हटाने के बाद उन्होंने अपनी गर्दन पर बैंडेज लगा रखी है. यह तो हम सभी जानते हैं कि दीपिका पादुकोण और रणबीर कपूर काफी लंबे समय तक रिलेशनशिप में थे उसी समय दीपिका ने अपने गर्दन पर आरके नाम का टैटू बनवाया था.

वैसे अगर दीपिका ने वाकई ऐसा किया है तो यह गलत भी नहीं है क्योंकि वह इस समय बौलीवुड के एक्टर रणवीर सिंह के साथ रिलेशन में हैं और ऐसा माना जा रहा है कि वह जल्द ही शादी करने वाले हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दीपिका पादुकोण और एक्टर इरफान खान विशाल भारद्वाज की फिल्म में काम करते हुए दिखाई देंगे. मीडिया में यह भी खबरें आ रही थीं कि दीपिका को नेक इंजरी के साथ बैक पेन की परेशानी हो गई है और इरफान खान को पीलिया हो गया है जिसकी वजह से विशाल भारद्वाज ने अपनी फिल्म की शूटिंग को फिलहाल कैंसिल कर दिया है. दीपिका को फिल्म पद्मावत के दौरान बैक की परेशानी शुरू हुई थी.

करारे जायके

EXCLUSIVE : पाकिस्तान की इस मौडल ने उतार फेंके अपने कपड़े, देखिए वीडियो

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

बेसनी सब्जी

सामग्री

1 कप बेसन

1 पाउच ईनो

लाल, पीली व हरी शिमलामिर्च

1 टुकड़ा अदरक कटा

3-4 कलियां लहसुन कटा

1 हरीमिर्च कटी

1 प्याज कटा

थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च

1/2 कप क्रीम

1/2 कप टोमैटो प्यूरी

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

1 चुटकी दालचीनी पाउडर

1 छोटा चम्मच अलसी के बीज

तलने के लिए पर्याप्त राइस ब्रान रिफाइंड औयल

नमक स्वादानुसार.

विधि

बेसन को पकौड़ों के घोल जैसा घोल लें. नमक, लालमिर्च, गरममसाला, हरीमिर्च व ईनो डालें. फिर इडली के खांचे में डाल कर इडली की तरह पका लें. पके तैयार बेसन पफ को खांचे से निकाल कर गरम तेल में तल लें. एक पैन में तेल गरम करें. प्याज व तीनों तरह की शिमलामिर्च के लच्छों को तेज आंच पर चिकना होने तक भून लें. अब इन्हें अलग निकाल लें. उसी पैन में टोमैटो प्यूरी डाल कर कुछ देर भूनें. फिर दालचीनी को छोड़ बाकी सारे मसाले मिक्स करें. अब क्रीम मिलाएं. कुछ देर भूनें. सारी सब्जी इस में मिला दें. फिर बेसन पफ मिलाएं. हलके हाथों से मिक्स करें. ऊपर दालचीनी पाउडर और धनियापत्ती बुरक कर गरमगरम परोसें.

*

वैज फ्रिटर्स

सामग्री

400 ग्राम मिश्रित सब्जियां. तलने के लिए पर्याप्त कच्ची घानी सरसों का तेल.

सामग्री घोल की

1 कप बेसन

1/2 कप कौर्नफ्लोर

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च पाउडर

1 छोटा चम्मच तिल

नमक स्वादानुसार

विधि घोल की

बेसन में कौर्नफ्लोर, कालीमिर्च, तिल, नमक और पानी मिला कर गाढ़ा घोल बनाएं. अब इस घोल में सब्जियों को डिप कर तेल में सुनहरा होने तक फ्राई कर लें. किसी भी डिश के साथ सर्व करें.

*

अचारी छोले

सामग्री

2 कप पके छोले

1 प्याज कटा

1 टमाटर कटा

2 बड़े चम्मच कच्ची घानी सरसों का तेल

11/2 छोटे चम्मच लालमिर्च पाउडर

1 छोटा चम्मच लाल अमचूर पाउडर

थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

नमक स्वादानुसार.

सामग्री पिकल स्पाइस की 1 छोटा चम्मच सौंफ

1 छोटा चम्मच सरसों का दाना

1 छोटा चम्मच साबूत धनिया

1/2 छोटा चम्मच कालीमिर्च

विधि

पैन को गरम कर के उस में सौंफ, सरसों साबूत, धनिया व कालीमिर्च डाल कर 2 मिनट भून लें. फिर इसे ग्रांइड कर लें. अब दूसरे बरतन में टमाटर और प्याज डाल कर मुलायम होने तक पकाएं. अब पिकल स्पाइस, नमक, लालमिर्च पाउडर, अमचूर पाउडर मिला कर कुछ देर पकाएं. अब इस में छोले डाल कर अच्छी तरह पकाएं. अगर आवश्यकता हो तो पानी मिलाएं. अब पैन पर ढक्कन लगा दें. तैयार होने पर धनियापत्ती से सजा कर परोसें.

*

बैगन जुकीनी बहार

सामग्री

2-3 लंबे बैगन

1 लंबी पतली जुकीनी

2 बड़े चम्मच चावल का आटा

1 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट

1/2 कप प्याज कटा

1/2 कप टोमैटो प्यूरी

2 बड़े चम्मच टोमैटो सौस

1 छोटा चम्मच तंदूरी मसाला

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

1 छोटा चम्मच चाटमसाला

1/2 छोटा चम्मच काला नमक

1 बड़ा चम्मच कच्ची घानी सरसों का तेल

1 बड़ा चम्मच खड़े मसाले

नमक स्वादानुसार.

विधि

बैगन और जुकीनी के गोल स्लाइस काट कर कुछ देर नमक मिले पानी में रख दें. फिर पानी निथार कर स्लाइस को एक प्लेट में रखें. एक कटोरी में सारे मसाले मिला लें. फिर स्लाइसों पर बुरकें. फिर चावल का आटा बुरकें. अब अदरकलहसुन के पेस्ट का छींटा दें. स्लाइसों को पलट कर यह प्रक्रिया फिर दोहराएं. फिर स्लाइसों को कुछ देर फ्रिज में रख दें. फिर गरम तेल में तल लें. एक पैन में

1 चम्मच तेल गरम करें. खड़े मसाले चटकने तक भूनें. प्याज डाल कर गुलाबी होने तक भूनें. प्यूरी और सौस डाल कर कुछ देर भूनें. मसाले व अदरकलहसुन पेस्ट डाल कर 3-4 मिनट भूनें. जब ग्रेवी तैयार हो जाए तो उस में जुकीनी व बैगन के स्लाइस मिला कर अच्छी तरह हलके हाथों से मिक्स करें. धनियापत्ती बुरक कर गरमगरम परोसें.

सीलिंग के नाम पर सरकार की तानाशाही

EXCLUSIVE : पाकिस्तान की इस मौडल ने उतार फेंके अपने कपड़े, देखिए वीडियो

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

दिल्ली की कई मार्केटों में आजकल सीलिंग चल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जहां भी नियमों के खिलाफ रिहायशी या दफ्तरी इलाकों में दुकानें या रेस्तरां चल रहे हैं उन्हें बंद करा जाए.

ऊपर से तो यह फैसला सही लगता है कि कानून सब के लिए एक सा हो और जो कानून तोड़े उसे रोका जाए या सजा दी जाए पर क्या हर कानून जायज है? लोग अपनी मेहनत के पैसे से जमीन खरीदें, उस पर मकान बनाएं, उस की देखभाल करें और सरकार बीच में आ जाए कि आप यह कर सकते हो, वह नहीं कर सकता इस का क्या औचित्य?

सरकार यह तो कर सकती है कि रिहायशी और गैररिहायशी इलाकों के बीच एक रेखा खींचे पर यह भी जबरदस्ती है और शहरों के विकास व सुविधा के लिए खतरनाक. जैसे किसान का घर, कारखाना, दफ्तर सब एक ही जगह होते हैं वैसे ही हर मामले में दफ्तर, घर, कारखाने एक जगह हों तो काम में आसानी रहे. शहरों की सड़कों पर जो भीड़भाड़ बढ़ रही है उस की वजह भी यही है कि दुनिया के लगभग सभी शहरों में रिहायशी, व्यावसायिक, मनोरंजन, उत्पादन के इलाके अलगअलग कर दिए गए हैं और एक से दूसरी जगह जाने के लिए सड़कों, फ्लाईओवरों, कारों, बसों, मैट्रो, टे्रनों की जरूरत पड़ने लगी है. पहले दिल्ली के चांदनी चौक, चावड़ी बाजार और खारी बावली जैसे व्यावसायिक इलाकों के ठीक पीछे रिहायशी इलाके थे. लोगों को काम की जगह या खरीदारी करने के लिए 10-12 मिनट ही चलना पड़ता था.

आज यह सफर घंटे, डेढ़ घंटे का हो गया है और इस दौरान जिस बस, ट्रेन, कार या स्कूटर पर चला जाता है और जिस सड़क व ट्रैक को इस्तेमाल करा जाता है उस पर मोटा पैसा खर्च होता है. यह मानवशक्ति की बरबादी है और जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ सरकार है. अगर काम की जगह और घर 10-15 मिनट पैदल चलने की दूरी पर हों तो न केवल हरेक का समय बचेगा, खरबों की सड़कें और पैट्रोल भी बचेगा. सीलिंग का शिगूफा छेड़ कर एक प्राकृतिक तौर पर हो रहे बदलाव पर कानून की किताबों में अफसरों और असहनशील नौकरशाही व नेताओं के कारण ठूंसे गए नियमों का तेजाब छिड़का जा रहा है. यह सीलिंग गलत है. सुरक्षा का मामला अलग है. दुर्घटनाएं हर जगह हो सकती हैं. चेंज इन यूज का मामला अलग है. यह सरकारी कर वसूली है.

मरहम नहीं है महरम, सरकार ने खेला है सिर्फ सियासी दांव

EXCLUSIVE : पाकिस्तान की इस मौडल ने उतार फेंके अपने कपड़े, देखिए वीडियो

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

तीन तलाक नाम की कुप्रथा को खत्म करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वह वाहवाही और बधाई मिली जिस के वे वाकई हकदार थे, लेकिन उम्मीद से कम वक्त में उन्होंने यह ऐलान कर अपने ही किए पर पानी फेर लिया कि 45 की उम्र पार कर चुकी मुसलिम महिलाएं अब बगैर महरम के हज पर जा सकती हैं. मन की बात 2017 के आखिरी ऐपिसोड में की गई यह घोषणा कैसे एक कुरीति को बढ़ावा देती है, उस से पहले यह समझ लेना जरूरी है कि यह महरम आखिर है क्या और क्यों नरेंद्र मोदी के मन में इस तरह खटका कि वे इसे खत्म करने पर उतारू हो आए.

यह कैसा भेदभाव

इसलाम में निर्देश है कि महिलाएं बिना किसी पुरुष अभिभावक या संरक्षक के हज यात्रा नहीं कर सकतीं यानी हज करने के लिए महरम जरूरी है. इसलाम के ही मुताबिक महरम वह पुरुष होता है, जिस से मुसलिम महिला शादी नहीं कर सकती. मसलन पिता, बेटा, सगा भाई और नाति यानी नवासा. अभी तक मुसलिम महिलाएं इन में से किसी एक के साथ होने पर ही हज यात्रा कर सकती थीं.
अब बकौल नरेंद्र मोदी यह ज्यादती खत्म की जा रही है और 45 पार कर चुकीं 4 या
उस से ज्यादा मुसलिम महिलाएं इकट्ठी हो कर हज पर जा सकती हैं. इस बाबत मोदी की
पहल पर इन महिलाओं को लौटरी सिस्टम से मुक्त रखा जाएगा.

मोदीजी यह जान कर हैरान थे कि अगर कोई मुसलिम महिला हज करना चाहे तो वह बिना महरम के नहीं जा सकती थी और यह भेदभाव आजादी के 70 साल बाद भी कायम है. लिहाजा, उन्होंने इस रिवाज को ही हटा दिया.

गुलाम बनाए रखने की साजिश

तीन तलाक के नतीजों से उत्साहित नरेंद्र मोदी अब इसलाम में सीधे दखल देने पर उतारू हो आए हैं या फिर उन्हें वाकई मुसलिम बहनों की चिंता है, इस पर भले ही बहस की गुंजाइश मौजूद हो, पर यह बिना किसी लिहाज के दोटूक कहा जा सकता है कि हज उसी तरह किसी मुसलिम के भले की बात नहीं जिस तरह हिंदुओं की तीर्थयात्रा. इन दोनों का ही मकसद अपनेअपने अनुयायियों को दिमागी तौर पर गुलाम बनाए रखने की साजिश है. पाप, पुण्य, मोक्ष, स्वर्गनर्क वगैरह पर सभी धर्मगुरु और धर्मग्रंथ एक हैं, क्योंकि इन्हीं से उन की दुकानदारी चलती है.

बिना महरम हज की आजादी धार्मिक अंधविश्वासों के पैमाने पर देखें तो मुसलिम महिलाओं को मजहब और उस के ठेकेदारों के चंगुल में फंसाए रखने का टोटका है, जिस से मुसलमान औरतों को लगे कि अब उन का नरेंद्र मोदी से बड़ा हमदर्द और रहनुमा कोई नहीं. लेकिन इस फैसले ने एहसास करा दिया है कि मोदी चाहते यह हैं कि मुसलमान खासतौर से औरतें कहीं कठमुल्लाओं की पकड़ से आजाद
न हो जाएं, इसलिए उन्हें अब धर्म के नाम पर बहकाया जाए और औरतों की आजादी को बहाली के नाम पर एक बार फिर वाहवाही लूटी जाए.

औरत जाति का दुश्मन

हज या तीर्थ यात्रा से किस का क्या और कैसे भला होता है, इस की कोई तार्किक व्याख्या मोदी या फिर कोई दूसरा उदारवादी कर पाए तो बात समझ आए, लेकिन मोदी खुद विकट के धर्मभीरु और अंधविश्वासी हैं, जो बिना मंदिर में जाए चुनाव प्रचार भी शुरू नहीं करते और यही काम या बेवकूफी राहुल गांधी करने लगे, तो पूरा भगवा खेमा हायहाय करने लगता है.

हालिया गुजरात विधान सभा चुनाव इस के गवाह हैं कि वहां धर्म के नाम पर कैसेकैसे ड्रामे हुए, जिन में विकास वगैरह की बातें गुम हो कर रह गई थीं.

वाकई मोदी महिलाओं का भला चाहते हैं तो उन्हें हज और तीर्थयात्रा दोनों पर रोक लगाने का ऐलान करने की हिम्मत दिखानी चाहिए थी. वजह है धर्म, जो औरत जाति का सब से बड़ा दुश्मन है, जिस के तहत वे पांव की जूती और भोग्या भर हैं.

बदहाली की वजह

महिलाएं आजादी के 70 साल बाद भी क्यों सशक्त नहीं हो पा रहीं, यह बात प्रधानमंत्री के मन में आए और वे इस पर चिंतनमनन कर पाएं तो फिर उन्हें यह भी सोचने को मजबूर होना पड़ेगा कि कैसेकैसे बाबाओं ने उन के कार्यकाल में भी महिलाओं की इज्जत से आश्रमों में ही खिलवाड़ किया. मथुरा, वृंदावन की तरह खुद उन के लोकसभा क्षेत्र बनारस में भी लाखों विधवाएं पेट भरने के लिए भीख मांगने के अलावा दूसरे ऐसे काम करने को मजबूर हैं, जिन से उन में कोई गैरत नहीं रह जाती.

इस बदहाली की वजह धर्म और उस के स्त्री विरोधी मूलभूत सिद्धांत नहीं तो और क्या है. जिस दिन देश के सवा सौ नहीं तो सवा करोड़ लोग भी इस सवाल के जवाब में सड़कों पर आ खड़े होंगे उस दिन किसी महरम की जरूरत किसी हिंदुस्तानी औरत को नहीं रह जाएगी.

औरत कैसे और किस के साथ काबा, काशी जाए यह कोई मुद्दा नहीं. मुद्दा यह है कि आजाद भारत में कैसे महिलाएं दिल्ली और भोपाल की सड़कों पर आधी रात को तफरीह करने की अपनी ख्वाहिश पूरी कर पाएं, इस बाबत मंत्रालयों को निर्देश दिए जाएं.

शिक्षा से वंचित

धर्म स्थलों पर जाने को प्रोत्साहन और सहूलतें देने से औरतों को कोई भला नहीं होने वाला. उन का असली भला तो स्कूलों और यूनिवर्सिटियों में जाने से होगा. जाने कब किस प्रधानमंत्री के मन में यह बात आएगी. बात और मंशा चूंकि सियासी है, इसलिए किसी नेता को इस हकीकत पर अफसोस नहीं होता कि आजादी के 70 साल बाद भी एक फीसदी मुसलिम लड़कियां भी कालेज का दरवाजा नहीं देख पातीं.
बहुसंख्यक हिंदु युवतियां भी उच्च शिक्षा से वंचित क्यों हैं, इस पर सभी खामोश रहते हैं. हां, बात हज या तीर्थ की हो तो जो सरकारें खुद पुण्य कराने के लिए पानी की तरह पैसा बहाती हों, उन से क्या खा कर महिलाओं के भले या हितों की उम्मीद की जाए?

कुंडली मिलान के बाद भी जीवन अभिशप्त क्यों

EXCLUSIVE : पाकिस्तान की इस मौडल ने उतार फेंके अपने कपड़े, देखिए वीडियो

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

हमारे समाज में सुखी वैवाहिक जीवन का एकमात्र नुसखा कुंडली मिलान को माना जाता है. शादी के पूर्व लड़के और लड़की की जन्मकुंडली मिलाई जाती है. पंडितों और ज्योतिषियों ने हमारी विवाह परंपरा को कुंडली मिलान से ऐसा जोड़ा और जकड़ा है कि हिंदू विवाह इस के बिना संभव नहीं लगता. उन्होंने इस का खौफ पैदा कर रखा है. कुछ भविष्यवक्ता यहां तक कहते हैं कि वर और कन्या की कुंडली में यदि नाड़ी दोष है तो उस में से एक की मृत्यु अवश्यंभावी है. मंगल दोष कुंडली में हो तो यह भी बहुत हानि पहुंचाता है. ऐसे में हमारा धर्मभीरु समाज बिना कुंडली मिलान के शादी नहीं करता.

कुंडली मिलाने के बाद भी जीवन अभिशप्त

सवाल यह है कि जब पंडितों या ज्योतिषियों के द्वारा कुंडली मिलान करवा कर ही हमारे समाज में शादी होती है तो फिर क्या वजह है कि हम रोजरोज दहेज हत्या और प्रताड़ना की खबरें सुनते हैं? लड़कियों को क्यों मारापीटा जाता है? उन का पगपग पर अपमान क्यों होता है? वे ताउम्र घुटघुट कर जीने को मजबूर क्यों होती हैं?

कभी कोई मातापिता यह क्यों नहीं सोचते कि जब उन्होंने अपनी लाडली का विवाह कुंडली मिला कर किया था तब पति ने धक्के मार कर क्यों घर से निकाल दिया? जब कुंडली में नाड़ी और मंगल दोष नहीं था फिर क्यों बिटिया को मिट्टी का तेल डाल कर असमय मौत की नींद सुला दिया गया? सवाल यह भी है कि नाड़ी दोष या मंगल दोष निवारण के बाद क्यों कोई विवाहिता विधवा होती है और विधवा होने के बाद सारी उम्र अभिशप्त जीवन जीती है?

क्या कुंडली मिलाना जरूरी है

ज्योतिष और पंडित कहते हैं कि कुंडली में 36 गुण होते हैं. लड़का और लड़की दोनों के जितने ज्यादा गुण मिलेंगे उन का वैवाहिक जीवन उतना ही सुखी होगा. आमतौर पर वे मानते हैं कि यदि दोनों के 32 गुण मिल जाएं तो यह सर्वोत्तम होता है. लड़की को वह सब कुछ मिलेगा जिस की चाहत उसे होती है. 27 से अधिक गुण मिलना बेहद शुभ माना जाता है. 18 गुणों से ऊपर मिलने पर विवाह शुभ की श्रेणी में आता है.

यदि वर और कन्या की राशि एक हो तब भी विवाह को बेहद अच्छा और सफल बनने की भविष्यवाणी की जाती है. ऐसी मान्यता है कि एक राशि के लोगों का स्वभाव, विचारधारा, मानसिक स्तर सभी एक होते हैं. इसलिए उन के बीच किसी तरह का मनभेद, मतभेद नहीं होता.

लेकिन हकीकत यह है कि कुंडली मिला कर शादी करने के बाद भी जीवन में परेशानियां आती रहती हैं, जिन को लड़की को झेलना पड़ता है. इसलिए खुद से यह सवाल जरूर करना चाहिए कि क्या कुंडली मिलाना जरूरी है?

राशि एक फिर क्यों मतभेद

रेखा और विजय दोनों की राशि कन्या है. शादी के वक्त पंडित ने कहा कि दोनों की जोड़ी खूब सुखी रहेगी. दोनों के मातापिता गदगद थे. शादी खूब धूमधाम से हुई. शादी के मात्र ढाई महीने बीते होंगे कि रेखा ने एक रात फोन किया कि विजय ने उस पर हाथ उठाया. मातापिता दौड़ेदौड़े गए. वहां जा कर पता चला कि शादी के सप्ताह भर बाद से ही विजय रेखा के हर काम में मीनमेख निकालने लगा. उस के घर वाले भी उसी की सपोर्ट करते.

रेखा के मातापिता ने विजय को समझाना चाहा तो उस ने दोटूक कहा, ‘‘अपनी बेटी को समझाइए कि मेरी हर बात माने वरना ले जाएं यहां से.’’

अंतत: वही हुआ जो हमेशा होता है. बेटी को समझाया गया कि अपमान का कड़वा घूंट पी कर जिंदगी काटो. शादी के बाद मायके वालों का बेटी पर कोई अधिकार नहीं रहता. उस समय किसी के मन में यह खयाल नहीं आया कि कुंडली मिला कर शादी करने का क्या फायदा हुआ? एक राशि होने पर स्वभाव में इतना अंतर क्यों है? काश, कुंडली मिलाने की जगह वे लोग लड़के के स्वभाव के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते तो यह नौबत नहीं आती.

मंगल निवारण के बाद अमंगल क्यों

ज्योतिषियों के अनुसार राधिका की जन्मकुंडली में मंगलदोष था. कुंडली मिलान करते समय नाड़ी दोष भी निकल आया. उस की कुंडली के दोष का निवारण किया गया.

उस के बाद भी बहुत खोजबीन करने के बाद एक लड़के से उस की कुंडली मिली. शादी के 2 साल तक सब ठीकठाक चला. तीसरे साल एक दुर्घटना में लड़के की मौत हो गई. राधिका पर क्या बीती, यह किसी ने नहीं सोचा. ससुराल वालों ने यह लांछन लगा कर उसे और उस की दुधमुंही बच्ची को घर से निकाल दिया कि वह मनहूस है. उसी की वजह से उन के बेटे के साथ हादसा हुआ.

लड़की का ही दोष क्यों

कारण कोई भी हो लड़की को दोषी ठहरा दिया जाता है. उस समय लड़के वाले यह क्यों नहीं सोचते कि अब उन की बहू का क्या होगा? बजाय इस के कि ससुराल के लोग लड़की की हिम्मत बढ़ाएं, उस का सारा हौसला पस्त कर दिया जाता है.

शादी के पहले कुंडली मिलाने की बात होती है. माना जाता है कि इस से वैवाहिक जीवन हंसीखुशी गुजरेगा, लेकिन शादी के बाद चुनचुन कर दोष लड़की में निकाला जाता है. आपस में खटपट हो तो लड़की का स्वभाव खराब है, कोई हादसा हो जाए तो लड़की अपशकुनी है. वह पाखंड दूर करने की बात करे तो नास्तिक है. सोचविचार कर काम करे तो घमंडी है, अपने आगे किसी की नहीं सुनती.

अंतिम फैसला यह सुनाया जाता है कि उस की कुंडली में ही दोष है. शादी के खूबसूरत रिश्ते का कुंडली के नाम पर मखौल बना दिया जाता है. लड़की की भावनाओं का, हर पल झेलते उस के दर्द का, तिलतिल जलते अरमानों की फिक्र किसी को नहीं होती.

तर्क से नकारें कुंडली मिलान को

हिंदू धर्म के अतिरिक्त किसी अन्य धर्म में कुंडली मिलान की चर्चा नहीं है. चीन, फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन आदि तमाम देशों के लोग बिना कुंडली मिलान के शादी करते हैं. क्या उन के यहां शादियां सफल नहीं होतीं? क्या उन का वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं होता? यह हमें समझना होगा कि शादी 2 दिलों का रिश्ता होता है. यह पतिपत्नी की आपसी समझदारी, प्रेम और विश्वास पर टिका होता है. दोनों एकदूसरे की भावनाओं को समझें, एकदूसरे का सम्मान करें, तभी वैवाहिक जीवन की मधुरता और सफलता बनी रहेगी.

कुंडली मिलान पंडितों का काला धंधा है. समाज पर अपना प्रभुत्व बनाए रखने और उस के नाम पर पैसे ऐंठने की भावना उन में प्रबल होती है. यही कारण है कि वे कुंडली मिलान को सुखी.

एक विवाह ऐसा भी

आयशा और सुदीप्तो ने 8 साल पहले प्रेम विवाह किया था. दोनों की जाति अलगअलग थी. लिहाजा, बहुत सारे विरोधों का सामना करना पड़ा. इन के मातापिता ने भी इन्हें नहीं अपनाया. अंतत: दोनों ने अपनी अलग दुनिया बसा ली. शादी के इतने वर्षों के बाद भी दोनों का प्रेम न सिर्फ बना हुआ है बल्कि पहले से भी ज्यादा बढ़ गया है. इतना ही नहीं, धीरेधीरे इन के मातापिता की भी समझ में बात आ गई कि दोनों एकदूसरे के लिए ही बने हैं. शायद अरेंज्ड मैरिज होती तो वे इतने सुखी नहीं होते. अब वे लोग उन दोनों के साथ हैं. दोनों के विवाह में न कोई कुंडली मिली और न ग्रहों का निवारण हुआ. बस दोनों के दिल मिले. आपसी समझदारी और सही तालमेल की वजह से दोनों अपनी जिंदगी हंसीखुशी जी रहे हैं.

मैं पड़ोस की 36 साला विधवा चाची के साथ सोना चाहता हूं. मैं उन के अंदरूनी कपड़े चुरा कर उन में हस्तमैथुन करता हूं. मुझे सही सलाह दें.

सवाल
मैं 18 साल का हूं और 5 सालों से हस्तमैथुन कर रहा हूं. अब मैं पड़ोस की 36 साला विधवा चाची के साथ सोना चाहता हूं. मैं उन के अंदरूनी कपड़े चुरा कर उन में हस्तमैथुन करता हूं. मुझे सही सलाह दें?

जवाब
आप हस्तमैथुन या हमबिस्तरी के चक्कर में पड़ने के बजाय अपनी पढ़ाई व कैरियर पर ध्यान दें. दोगुनी उम्र की चाची के चक्कर में आप तबाह हो सकते हैं. एक बार कुछ बन गए, तो जिंदगी में सोने के बहुत मौके मिलेंगे. बेहतर होगा कि सिर्फ खेलकूद व पढ़ाई वगैरह में ही ध्यान दें.

ये भी पढ़ें…

अवैद्य संबंधों के चक्कर में न बहकें कदम

पिछले दिनों एक समाचारपत्र में खबर आई थी कि एक विवाहित महिला का एक युवक से प्रेमसंबंध चल रहा था. दुनिया की आंखों में धूल झोंक कर दोनों अपने इस संबंध का पूरी तरह से आनंद उठा रहे थे. महिला के घर में सासससुर, पति और उस के 2 बच्चे थे. पति जब टूअर पर जाता था, तो सब के सो जाने पर युवक रात में महिला के पास आता था. दोनों खूब रंगरलियां मना रहे थे.

एक रात महिला अपने प्रेमी के साथ हमबिस्तर थी, तभी उस का पति उसे सरप्राइज देने के लिए रात में लौट आया. आहट सुन कर महिला और युवक के होश उड़ गए. महिला ने फौरन युवक को वहां पड़े एक खाली ट्रंक में लिटा कर उसे बंद कर दिया. पति आ गया. वह उस से सामान्य बातें करती रही. काफी देर हो गई. पति को नींद नहीं आ रही थी. महिला को युवक को ट्रंक से बाहर निकालने का मौका ही नहीं मिला. बहुत घंटों बाद उस ने ट्रंक खोला. ट्रंक में दम घुटने से युवक की मृत्यु हो चुकी थी.

उस के बाद जो हुआ, उस का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है. चरित्रहीनता का प्रत्यक्ष प्रमाण, तानेउलाहने, पुलिस, कोर्टकचहरी, परिवार, समाज की नजरों में जीवन भर के लिए गिरना. क्या कुछ नहीं सहा उस महिला ने. बहके कदमों का दुष्परिणाम उस ने तो सहा ही, युवक का परिवार भी बरबाद हो गया. बहके कदमों ने 2 परिवार पूरी तरह बरबाद कर दिए.

कभी न भरने वाले घाव

ऐसा ही कुछ मेरठ में हुआ. 2 पक्की सहेलियां कविता और रेखा आमनेसामने ही रहती थीं. दोनों की दोस्ती इतनी पक्की थी कि कालोनी में मिसाल दी जाती थी. दोनों के 2-2 युवा बच्चे भी थे. पता नहीं कब कविता और रेखा के पति विनोद एकदूसरे की आंखों में खोते हुए सब सीमाएं पार कर गए. कविता के पति अनिल और रेखा को जरा भी शक नहीं हुआ. पहले तो विनोद रेखा के साथ ही कविता के घर जाता था. फिर अकेले भी आने लगा.

कालोनी में सुगबुगाहट शुरू हुई तो दोनों ने बाहर मिलना शुरू कर दिया. बाहर भी लोगों के देखे जाने का डर रहता ही था. दोनों हर तरह से सीमा पार कर एक तरह से बेशर्मी पर उतर आए थे. अपने अच्छेभले जीवनसाथी को धोखा देते हुए दोनों जरा भी नहीं हिचकिचाए और एक दिन कविता और विनोद अपनाअपना परिवार छोड़ घर से ही भाग गए.

रेखा तो जैसे पत्थर की हो गई. अनिल ने भी अपनेआप को जैसे घर में बंद कर लिया. दोनों परिवार शर्म से एकदूसरे से नजरें बचा रहे थे. हैरत तो तब हुई जब 10 दिन बाद दोनों बेशर्मी से अपनेअपने घर लौट कर माफी मांगने का अभिनय करने लगे.

रेखा सब के समझाने पर बिना कोई प्रतिक्रिया दिए भावशून्य बनी चुप रह गई. बच्चों का मुंह देख कर होंठ सी लिए. विनोद को उस के अपने मातापिता और रेखा के परिवार ने बहुत जलील किया पर अंत में दिखावे के लिए ही माफ किया. सब के दिलों पर चोट इतनी गहरी थी कि जीवन भर ठीक नहीं हो सकती थी.

कविता को अनिल ने घर में नहीं घुसने दिया. उसे तलाक दे दिया. बाद में अनिल अपना घर बेच कर बच्चों को ले कर दूसरे शहर चला गया. लोगों की बातों से बचने के लिए, बच्चों के भविष्य का ध्यान रखते हुए रेखा का परिवार भी किसी दूसरे शहर में शिफ्ट हो गया. रेखा को विनोद पर फिर कभी विश्वास नहीं हुआ. दोस्ती से उस का मन हमेशा के लिए खट्टा हो गया. उस ने फिर किसी से कभी दोस्ती नहीं की. बस बच्चों को देखती और घर में रहती. विनोद हमेशा एक अपराधबोध से भरा रहता.

क्षणिक सुख

दोनों घटनाओं में अगर अपने भटकते मन पर नियंत्रण रख लिया जाता, तो कई घर बिखरने से बच जाते. कदम न बहकें, किसी का विश्वास न टूटे, इस तरह के विवाहेत्तर संबंधों में तनमन को जो खुशी मिलती है वह हर स्थिति में क्षणिक ही होती है. इन रिश्तों का कोई वजूद नहीं होता. ये जितनी जल्दी बनते हैं उतनी ही जल्दी टूट भी जाते हैं.

अपनी बेमानी खुशियों के लिए किसी के पति, किसी की पत्नी की तरफ अगर मन आकर्षित हो तो अपने मन को आगे बढ़ने से पहले ही रोक लें. इस रास्ते पर सिर्फ तबाही है, जीवन भर का दुख है, अपमान है. परपुरुष या परस्त्री से संबंध रख कर थोड़े दिन की ही खुशी मिल सकती है. ऐसे संबंध कभी छिपते नहीं.

यदि आप के वैवाहिक रिश्ते में कोई कमी, कुछ अधूरापन है तो अपने जीवनसाथी से ही इस बारे में बात करें, उसे ही अपने दिल का हाल बताएं. पति और पत्नी दोनों का ही कर्तव्य है कि अपना प्यार, शिकायतें, गुस्सा, तानेउलाहने एकदूसरे तक ही रखें.

स्थाई साथ पतिपत्नी का ही होता है. पतिपत्नी के साथ एकदूसरे के दोस्त भी बन कर रहें तो जीने का मजा ही और होता है. अपने चंचल होते मन पर पूरी तरह काबू रखें वरना किसी भी समय पोल खुलने पर अपनी और अपने परिवार की तबाही देखने के लिए तैयार रहें.

घर की टाइल्स को साफ करने के आसान तरीके

EXCLUSIVE : पाकिस्तान की इस मौडल ने उतार फेंके अपने कपड़े, देखिए वीडियो

ऐसे ही वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक कर SUBSCRIBE करें गृहशोभा का YouTube चैनल.

चमकती हुई सफ़ेद टाइल्स के साथ सुन्दर सा घर हर किसी का सपना होता है. लेकिन क्या हमने कभी टाइल्स को मेंटेन रखने के बारे में सोचा है? हम सब जानते हैं एक छोटा सा दाग या गन्दगी इन सफ़ेद टाइल्स की शोभा बिगाड़ सकती है. तो क्या करें? क्या सभी के लिए महंगा फ्लोर क्लीनर खरीदना संभव है? शायद नहीं, और यह जरुरी भी नहीं है. अपने किचन की टाइल्स को आसान तरीके से साफ़ करना एक सपना नहीं है. इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसे ही तरीके बता रहे हैं जो कि इन सफ़ेद टाइल्स को साफ़ करने में कारगर सिद्ध होंगे.

पानी

पानी आपके फ्लोर पर जमा धूल, खाने के दाग और अन्य दाग हटा देता है. ध्यान रहे कि ये दाग गीली जगह पर ना गिरें नहीं तो इन्हें साफ़ करना कठिन होगा.

ऑक्सीजन ब्लीच

सफ़ेद टाइल्स और ग्राउट को साफ़ करने के लिए 75 प्रतिशत पानी में 25 प्रतिशत ब्लीच या ऑक्सीजन ब्लीच मिलाकर स्क्रब या ब्रश से साफ़ करें और फिर टाइल्स चमकने लगेंगी जैसे कि नई हों.

सिरका का घोल

आप एक गैलन गर्म पानी में आधा कप सिरका मिलाकर अपनी टाइल्स के दाग पोंछ सकते हैं.

डिटर्जेंट पाउडर

पानी में डिटर्जेंट मिलाकर दाग साफ़ करने से आपको अच्छे परिणाम मिल सकते हैं और टाइल्स चमक सकती हैं.

डिटर्जेंट पाउडर और अमोनिया

किचन की टाइल्स पर लगे मोम को हटाने के लिए डिटर्जेंट पाउडर और अमोनिया का घोल एक शानदार तरीका है. इसके लिए आप एक कप लॉन्ड्री डिटर्जेंट में आधा कप अमोनिया का घोल मिलाएं और इसमें एक गैलन पानी मिलाएं. इस घोल को दाग वाली जगह पर लगाएं और मोम को कठोर स्क्रब ब्रश से रगड़ें, इससे आपकी सफ़ेद टाइल्स से दाग हट जायेंगे.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें