इन वजहों से बढ़ जाता है जीवन बीमा पौलिसी का प्रीमियम

जीवन बीमा पौलिसी के प्रीमियम पर आपके जीवन से जुड़ी कई बातें प्रभाव डालती हैं. मसलन, आपकी सेहत, आदतें, व्यवसाय की प्रकृति आदि जीवन बीमा के प्रीमियम राशि को घटा या बढ़ा सकती हैं. उदाहरण के लिए सिगरेट या शराब का सेवन करने वाले व्यक्ति का जीवन बीमा प्रीमियम ऐसा न करने वाले पौलिसीधारक की तुलना में कम होता है. ऐसा दोनों पौलिसी होल्डर्स की उम्र और बीमा की अवधि एक जैसी होने पर भी संभव है.

पौलिसी खरीदने से पहले हमेशा अन्य कंपनियों की पौलिसी से तुलना करना जरूरी होता है. साथ ही पौलिसी का चयन करते वक्त केवल प्रीमियम को ही महत्ता नहीं देनी चाहिए. पौलिसी कवरेज, इंश्योरेंस कंपनी की साख, कस्टमर सर्विस, क्लेम सेटलमेंट अनुपात पर भी ध्यान देना काफी अहम होता है. आज हम इस खबर के माध्यम से आपको वो 10 कारण बताने जा रहे हैं जो आपके जीवन बीमा प्रीमियम को बढ़ा सकते हैं.

  1. सिगरेट और शराब का सेवन

सिगेरट और शराब का सेवन सेहत के लिए हानिकारक होता है. इसकी वजह से बीमारी या मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है. इंश्योरेंस कंपनियां प्रीमियम तय करने से पहले आवेदक से इन आदतों के बारे में हमेशा पूछती हैं. आपको बता दें कि यदि आप सिगरेट शराब नहीं पीते हैं तो इस स्थिति में कम प्रीमियम देना होता है. इसके विपरीत अगर आप धूम्रपान के आदी हैं तो प्रीमियम की राशि बढ़ जाती है.

  1. व्यवसाय की प्रकृति

यदि आपका व्यवसाय ऐसा है जिसमें जान का जोखिम अधिक है जैसे कि सी-डाइविंग, बौम्ब डिफ्यूसिंग यूनिट, फायर फाइटिंग आदि तो इंश्योरेंस कंपनी एक सामान्य व्यक्ति की तुलना में काफी ज्यादा प्रीमियम चार्ज करती है. कुछ कंपनियां इस तरह के व्यवसायों के लिए इंश्योरेंस कवर देने से इंकार भी कर देती हैं.

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  1. आवेदक की शारीरिक सेहत

आवेदक की शारीरिक स्थिति भी इंश्योरेंस प्रीमियम तय करने में अहम भूमिका निभाती है. अगर आपको हृदय रोग या फिर डायबिटीज जैसी बीमारियां हैं तो किसी स्वस्थ्य व्यक्ति की तुलना में आपकी प्रीमियम राशि अधिक होती है. इस वजह से इंश्योरेंस कंपनी पौलिसी जारी करने से पहले आपके हेल्थ स्टेटस की मांग करती है. इतना ही नहीं इंश्योरेंस कंपनियां कई बार हेल्थ चेकअप और बेसिक टेस्ट अनिवार्य कर देती हैं अगर आवेदक की उम्र निश्चित सीमा से ज्यादा है.

  1. पौलिसी का टेन्योर और बीमा राशि

पौलिसी की अवधि जितनी लंबी होती है प्रीमियम उतना ही कम होता है. इसलिए कम उम्र में बीमा पौलिसी खरीदने पर इसके लिए दिया जाने वाला प्रीमियम भी कम होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इंश्योरेंस कवरेज ज्यादा समय के लिए होती है. साथ ही क्लेम के समय मिलने वाली बीमा की राशि के ऊपर भी प्रीमियम निर्भर करता है. आपको बता दें कि सम एश्योर्ड राशि जितनी अधिक होगी बीमा प्रीमियम उतना ही ज्यादा होगा.

  1. अधिक वजन अधिक प्रीमियम

यदि आवेदक का वजन, लंबाई और उम्र के अनुपात में ज्यादा है तो बीमा के लिए लगने वाले प्रीमियम की राशि अधिक होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि मोटापे की बीमारी से ग्रस्त लोगों में हृदय रोग, डायबिटीज, ब्लड प्रैशर आदि की संभावनाएं ज्यादा होती है.

जीवन बीमा पौलिसी के प्रीमियम पर आपके जीवन से जुड़ी कई बातें प्रभाव डालती हैं. आपकी सेहत, आदतें, व्यवसाय की प्रकृति आदि जीवन बीमा के प्रीमियम राशि को घटा-बढ़ा सकती हैं.

  1. प्रीमियम भुगतान का तरीका

बीमाकृत व्यक्ति इंश्योरेंस प्रीमियम का भुगतान सालाना, साल में दो बार, एक बार में पूरी पेमेंट, तिमाही या फिर मासिक आधार पर कर सकते हैं. यदि कुल राशि की गणना की जाए तो सालाना प्रीमियम बाकी अन्य विकल्पों की तुलना में कम होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कंपनी को साल की पूरी राशि पहले ही मिल जाती है. साथ ही सिंगल और सालाना प्रीमियम पर एडमिनिस्ट्रेटिव कौस्ट भी बच जाती है.

  1. राइडर्स के साथ बीमा पौलिसी लेने पर प्रीमियम की राशि बढ़ जाती है

यदि आवेदक अपनी मौजूदा पौलिसी पर अतिरिक्त बेनिफिट्स चाहता है तो इसके लिए अपनी जरूरत अनुसार राइडर्स का चुनाव करना चाहिए. ज्यादा राइडर्स के साथ ली गई पौलिसी का प्रीमियम निश्चित तौर पर साधारण पौलिसी से ज्यादा होता है. ऐसे में पौलिसी के साथ केवल अपनी जरूरत के हिसाब से ही राइडर का चयन करें.

  1. औनलाइन या औफलाइन पौलिसी का चयन

कंपनी की पौलिसी औनलाइन पौलिसी औफलाइन पौलिसी की तुलना में सस्ती होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि औनलाइन खरीदने पर तमाम एजेंट का कमिशन, डिस्ट्रीब्युशन चैनल्स, एडमिनिस्ट्रेटिव कौस्ट आदि जैसे खर्चे बच जाते हैं. साथ ही औनलाइन पौलिसी खरीदते समय आप पौलिसी को अपने हिसाब से कस्टामाइज कर सकते हैं.

  1. महिलाओं के लिए कम होता है पौलिसी का प्रीमियम

पौलिसी का प्रीमियम आपके महिला या फिर पुरूष होने की बात पर भी निर्भर करता है. आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पुरूषों की तुलना में महिलाओं की उम्र ज्यादा होती है. ऐसे में इंश्योरेंस कंपनियां महिलाओं के लिए कम प्रीमियम चार्ज करती हैं.

  1. जैनेटिक फैक्टर्स

बीमा कंपनी आवेदक से पौलिसी करवाते वक्त परिवार में पहले से चली आ रही बीमारियों (जैनेटिक बीमारी) के बारे में भी पूछताछ करती है. ऐसे में अगर आपके परिवार में ऐसी कोई बीमारी चली आ रही है तो कंपनी की पौलिसी के लिए ज्यादा प्रीमियम राशि चार्ज करती है.

ट्रैवल टिप्स : कम बजट में ऐसे घूम सकती हैं विदेश

अगर आप विदेश घूमना चाहती हैं, लेकिन आपका बजट बहुत कम है, तो आप अपनी प्लानिंग को थोड़ा बदलकर विदेश ज्यादा दिनों के लिए घूम सकती हैं. याद रखिए, अगर आप सोचती हैं कि जब आपकी आमदनी लाख रुपए बढ़ेगी तब आप विदेश जाएंगी, तो आप सोचती ही रह जाएंगी. समझदारी इसी में है कि आप अपनी सैलरी के अनुसार विदेश जाने की प्लानिंग करें. आइए, जानते हैं इससे जुड़ी कुछ टिप्स.

विमान की टिकट खरीदने में समझदारी दिखाकर आप काफी पैसा बचा सकती हैं. कभी भी वीकेंड पर यात्रा न करें, वीकेंड की टिकट ज्यादा महंगी होती हैं.

कम पैसे और ज्यादा समय होने पर उड़ानें सीधे डेस्टिनेशन की न लें. इस तरह से आप बीच में रुककर अन्य स्थलों की भी यात्रा कर सकती हैं. एक ही जगह की यात्रा के लिए अलग-अलग एयरलाइंस की कीमतों में भी अंतर होता है. इसपर भी रिसर्च कर लें.

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हवाईअड्डे के विकल्प का चुनाव भी आपका पैसा बचा सकता है, कई बार नजदीकी हवाईअड्डे के बजाए थोड़ी दूरी के हवाईअड्डे से जाने से भी कम पैसे खर्च होने की संभावना रहती है.

इसके अलावा यात्रा के दौरान विमान से खाना खरीदने की बजाए घर से खाने पीने का सामान ले जाएं. घर से निकलने से पहले अपने सामान का वजन जरूर कर लें और गैर जरूरी चीजों को हटा दें, जिससे आपको कम फीस देनी पड़े.

होटल की बजाए कमरा लेकर रुकना ज्यादा सस्ता है. कई साइटों जैसे एयरएएनबी आदि वाजिब कीमत पर कमरा उपलब्ध करवाती हैं.

यात्रा के दौरान स्थानीय व्यंजनों का लुत्फ जरूर लें. यह सस्ते भी होते हैं और आपको देसी जायका भी मिलता है. विदेशी मुद्रा विनिमय के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखकर बचत की जा सकती है. विदेश में धन निकालना महंगा पड़ सकता है. हालांकि, डेबिट कार्ड का प्रयोग क्रेडिट कार्ड की अपेक्षा सस्ता पड़ता है, लेकिन इस बात को लेकर सावधान रहें कि अधिकतर बैंक पैसा निकालने पर ज्यादा कमीशन वसूलते हैं. हवाईअड्डे पर पहुंचने से पहले ही विदेशी मुद्रा का विनिमय कर लें, जो आपको सस्ता पड़ेगा.

क्या आपने देखा ताजमहल जैसा दिखने वाला दूसरा मकबरा

कई बार ऐसा होता है कि किसी जगह को देखकर हमें किसी और जगह की याद आ जाती है. हमें लगता है कि ये जगह तो हमने कहीं देखी है. जैसे, आप किसी हिलस्टेशन पर जाते हैं, तो आपको वहां के नजारे देखकर किसी और हिलस्टेशन का ख्याल आता होगा. ऐसी ही एक जगह है बीबी का मकबरा, जिसे देखकर आपको लगेगा कि आप आगरा का ताजमहल देख रही हैं. बीबी के मकबरे को लोग महाराष्ट्र का ताजमहल भी कहते हैं.

भारत का दूसरा ताजमहल

यह मकबरा महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है. शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के लिए आगरा में ताजमहल बनवाया था, जिसे देखा देखी औरंगजेब के बेटे और शाहजहां के पोते आजम शाह ने ताजमहल से प्रेरित होकर अपनी मां दिलरास बानो बेगम की याद में बीबी का मकबरा बनवाया. इसका निर्माण 1651 से 1661 ईसवीं के बीच करवाया गया था. इसे देश का दूसरा ताजमहल भी कहते हैं.

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7 लाख रुपए में बना था मकबरा

ऐसा कहा जाता है कि इसे बनवाने का खर्च तब 7,00,000 रुपए आया था, जबकि ताजमहल बनवाने का खर्च उस समय 3.20 करोड़ रुपए आया था. यही वजह है कि बीबी का मकबरा को ‘गरीबों का ताजमहल’ भी कहते हैं. आगरा के ताजमहल को शुद्ध सफेद संगमरमर से बनवाया गया था, वहीं बीबी का मकबरा का गुम्बद संगमरमर से बनवाया गया था. मकबरा का बाकी हिस्सा प्लास्टर से तैयार किया गया है, ताकि वह दिखने में संगमरमर जैसा हो.

ये है खास

बीबी का मकबरा में सुंदर गार्डन, तालाब, फव्वारे, झरने हैं. यहां पर अच्छा खासा पाथ-वे है और इसके गार्डन की दीवारें भी ऊंची बनाई गई हैं ताकि बाहर का व्यक्ति अंदर न देख सके. इसके तीन साइड में ओपन पवेलियन है.

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कैसे पहुंचे

बस से आने वाले यात्री राज्य के किसी भी शहर से कम दाम में औरंगाबाद यानि सिटी औफ गेट तक आ सकती है. शहर में भ्रमण करने के लिए भी कई बसें चलती है, जो पर्यटकों को पूरे शहर में घूमा सकती है. यहां से 120 किमी. दूर रेलवे स्टेूशन है जिसे मनमाद रेलवे स्टेशन कहा जाता है. यहां से औरंगाबाद तक 900 रूपए में प्राइवेट टैक्सी से पहुंचा जा सकता है. औरंगाबाद में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो देश के सभी प्रमुख शहरों और राज्यों से जुड़ा हुआ है.

कब जाएं

औरंगाबाद में गर्मी के दौरान न आएं. गर्मियों के मौसम में यहां का वातावरण बेहद गर्म और शरीर को जला देने वाला होता है. इस शहर को घूमने का बेस्ट‍ मौसम सर्दियों का है. इस दौरान यहां का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस रहता है. अक्टूबर से मार्च तक यहां बड़ी तादाद में लोग घूमने आते हैं. वहीं आप यहां मानसून में भी घूम सकती हैं.

टिकट

यहां घूमने के लिए भारतीयों को 10 रुपए का टिकट लेना पड़ता है. वही विदेशी नागरिकों के लिए 250 रुपयें का टिकट है.

क्या आपको पता है एटीएम कार्ड मिलते ही आपका हो जाता है लाखों का बीमा

बैंक में खाते खुलने के बाद ग्राहक को एक एटीएम कार्ड उपलब्ध करवाया जाता है. यह कार्ड एटीएम मशीन से नकदी निकासी और पीओएस मशीन से स्वाइप किया जाता है. लेकिन बहुत कम लोग यह बात जानते हैं एटीएम कार्ड मिलते ही उपभोक्ता का बीमा हो जाता है. अगर आपके पास किसी भी सरकारी और गैर सरकारी बैंक का एटीएम कार्ड तो आप यह मान सकती हैं कि आपका उस बैंक में दुर्घटना बीमा हो चुका है.

इस तरह का बीमा 25,000 रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक हो सकता है. हालांकि यह योजना कई साल पहले शुरू हो चुकी है लेकिन 90 से 95 फीसदी लोग इस जानकारी से अनजान होते हैं क्योंकि आमतौर पर बैंक यह जानकारी अपने ग्राहकों को नहीं देते हैं.

अलग-अलग तरह के मुआवजे का प्रावधान

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एटीएम कार्ड धारक इस तरह के बीमा के मुताबिक आंशिक विकलांगता से लेकर मृत्यु होने तक अलग-अलग तरह का मुआवजा दिया जाता है. दिलचस्प बात यह है कि एटीएम धारक को इसके लिए एक भी पैसा नहीं अदा करना होता है. यानी आप एटीएम कार्ड मिलते ही दुर्घटना बीमा पाने के हकदार हो जाते हैं.

आप की अनुपस्थिति में परिवार वालों को मिलेगा मुआवजा

अगर किसी कारणवश एटीएम कार्डधारक की मृत्यु हो जाती है तो उस धारक के घरवालों को मुआवजा दिया जाता है, लेकिन आमतौर पर बैंक अपने ग्राहको को यह जानकारी नहीं देते हैं.

कार्ड के आधार पर तय होती है मुआवजे की राशि

अगर आपके पास साधारण एटीएम कार्ड है तो अचानक मौत होने पर 1 लाख रुपए तक का मुआवजा धारक के परिवार वालों को मिलेगा, लेकिन अगर कार्ड मास्टरकार्ड है तो यह मुआवजा 2 लाख हो सकता है. वहीं आंशिक विकलांगता की स्थिति में बैंक की ओर से धारक को 50,000 रुपए तक का मुआवजा मिलता है. वहीं अगर धारक के दोनों हाथ या दोनों पैर खराब हो जाते हैं तो उसे 1 लाख रुपए तक का मुआवजा मिल सकता है.

मास्टर कार्ड धारक के लिए 50,000 रुपए और क्लासिक एटीएम पर 1 लाख रुपए तक का बीमा होता है. सभी वीजा कार्ड पर 2 लाख रुपए का बीमा दिया जाता है. वहीं प्लैटिनम कार्ड पर 2 लाख तक का बीमा और मास्टर प्लैटिनम कार्ड धारक को 5 लाख रुपए तक का बीमा दिया जाता है.

शादी हो या ना हो मुझे मां बनने से कोई नही रोक सकता – जैकलीन फर्नांडिस

‘जुड़वा-2’ एक्ट्रेस जैकलीन फर्नांडिस ने अपनी लव लाइफ के बारे में चर्चा करते हुए कहा है कि वह तब तक शादी नहीं करेंगी जब तक उन्हें कोई खास नहीं मिल जाता. एक रिपोर्ट के अनुसार जैकलीन फर्नांडिस ने कहा, ’मैं सेटेल नहीं होऊंगी अगर मुझे कोई खास और अच्छा व्यक्ति नहीं मिलता. लेकिन कोई मुझे मां बनने से भी नहीं रोक सकता. मेरी जिंदगी में बच्चा आने से कोई नहीं रोक सकता.‘ जैकलीन इस वक्त ‘रेस 3’ की शूटिंग में बिजी हैं. जल्द ही वह इस फिल्म में सलमान खान के साथ एक बार फिर स्क्रीन शेयर करती नजर आएंगी. इंडस्ट्री में जैकलीन का कोई गौड फादर नहीं था.

बावजूद इसके जैकलीन आज बौलीवुड की टौप एक्ट्रेसों में से एक मानी जाती हैं. पिछले दिनों एक्ट्रेस सलमान खान के साथ अफेयर को लेकर चर्चा में थीं. वहीं फिल्म ‘ए जैंटलमैन’ के दौरान जैकलीन और सिद्धार्थ मल्होत्रा के बीच करीबियां बढ़ने की खबरें आई थीं. इसके अलावा जैकलीन का नाम अर्जुन कपूर के साथ भी जोड़ा जा चुका है. लेकिन जैकलीन ने अपना सिंगल स्टेटस हमेशा संभाल कर रखा.

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जैकलीन उन बौलीवुड सितारों में से एक हैं जो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. जैकलीन इंस्टाग्राम, फेसबुक पर आए दिन अपनी तस्वीरें फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं. हाल ही में जैकलीन छुट्टियां बिताने इंडोनेशिया की सैर पर गई थीं. जैकलीन ने इस बीच अपनी कई तस्वीरें इंस्टाग्राम पर अपलोड कीं. जैकलीन ने जो तस्वीरें शेयर कीं, उसमें वह पानी में चिल करती नजर आ रही हैं. जैकलीन अपने दोस्तों के साथ Batur Natural Hot Spring में पानी में मस्ती करती दिखीं.

बचाएं बालों को पतला होने से

बालों का झड़ना ही समस्या नहीं है, बल्कि उन का पतला हो जाना भी एक बड़ी समस्या है और यह पुरुष और महिला दोनों की उम्र हो जाने पर होती है, लेकिन यही समस्या अगर कम उम्र में होने लगे, तो चिंता का विषय बन जाता है. अधिकतर पुरुष बालों के झड़ने की समस्या से परेशान होते हैं, जबकि ज्यादातर महिलाएं हेयर लौस से. हेयर लौस का अर्थ है बालों का पतला होना, क्योंकि हेयर थिनिंग से बालों का वौल्यूम धीरेधीरे घटता जाता है. इस से प्रत्येक बाल के व्यास में धीरेधीरे कमी आ जाती है. हालांकि यह प्रक्रिया बहुत धीमे होती है. लेकिन कुछ ही दिनों में बालों का करीब 15% वौल्यूम घट जाता है, क्योंकि झड़े बालों की जगह मजबूत बाल नहीं उग पाते. अगर बालों को झड़ने या पतला होने से रोका न जाए तो समस्या दिनबदिन गंभीर होती जाती है.

इस बारे में ओजोन ग्रुप की हेयर ऐक्सपर्ट डा. उमा सिंह बताती हैं, ‘‘हेयर थिनिंग की समस्या अधिकतर बालों को सही पोषक तत्वों के न मिलने, हारमोनल बदलाव होने, मानसिक तनाव के बढ़ने और मैटोबोलिक असंतुलन की वजह से होती है. ऐंड्रोजोनिक थिनिंग जो अधिकतर पुरुष हारमोंस होते हैं, जेनेटिकली यह जन्म के बाद से निर्धारित होते हैं. लेकिन अगर किसी महिला में ये हारमोंस थोड़े से भी हों, तो ये हेयर फौलिकल को मजबूत करने में असमर्थ होते हैं, जिस से बाल पतले हो कर आसानी से झड़ने लगते हैं.’’

उचित पोषण जरूरी

बालों के पतला होने में हेयर कलरिंग, हाईलाइटिंग आदि सभी जिम्मेदार होते हैं. बारबार ऐसी चीजों के प्रयोग से स्कैल्प की सतह कमजोर हो जाती है, जिस से बाल झड़ते हैं. ऐसे में अगर किसी ने बालों के साथ इस तरह के प्रयोग किए हैं तो उसे अपने बालों का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है.

हेयर थिनिंग में मानसिक तनाव का काफी योगदान होता है इसलिए महिलाएं हों या पुरुष सभी को इस से बचना चाहिए ताकि बालों का वौल्यूम ठीक रहे. इसे ठीक करने के कई उपाय आजकल बाजार में उपलब्ध हैं, जिन्हें डाक्टर की सलाह के बिना नहीं अपनाना चाहिए.

अगर बात करें खानपान की तो पोषण युक्त आहार बालों के लिए हमेशा जरूरी है, जिस में विटामिंस और मिनरल्स अधिक मात्रा में हों. मौसमी और ताजा फल, सब्जियां, अंकुरित दालें, अंडे, सूखा मेवा आदि सभी संतुलित मात्रा में खाने चाहिए ताकि बालों की जड़ें मजबूत रहें और हमेशा नए बाल उगने में आसानी हो. इस के अलावा नियमित वर्कआउट, सही मात्रा में पानी पीना, नींद पूरी करना आदि सब आप की दिनचर्या में शामिल होना चाहिए. इन सब के बाद भी अगर आप के बाल झड़ते हों तो तुरंत ऐक्सपर्ट की सलाह लें.

पुरुषों में अधिक समस्या

महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा कम गंजेपन की शिकार क्यों होती हैं? पूछे जाने पर डा. उमा बताती हैं, महिलाओं को अगर बाल झड़ने की शिकायत होती है, तो वे शारीरिक और भावनात्मक रूप से परेशान हो जाती हैं. इतना ही नहीं, उन की सैल्फ ऐस्टीम भी कम हो जाती है. इस से उन के अंदर असुरक्षा की भावना अधिक होती है, ऐसे में वे इसे रोकने का प्रयास करती रहती हैं. पुरुषों में गंजेपन की वजह उन के हारमोंस और जीन्स हैं, जिस से उन के बाल झड़ जाते हैं. अत: बालों की सतह को हमेशा हर्बल उत्पाद से साफ रखें, जिस में औयल, शैंपू, कंडीशनर और हेयर सीरम का बहुत बड़ा सहयोग होता है. इस से स्कैल्प की कमजोर सतह को बल मिलता है और नए बालों के मजबूत होने के साथसाथ वौल्यूम भी बढ़ता है.

बालों को सही वौल्यूम और स्ट्रैंथ देने के लिए सही खानपान और लाइफस्टाइल का पालन करना जरूरी है ताकि बाल अगर अपनी मजबूती खोते भी हैं, तो सही खानपान से दोबारा ठीक हो जाएं. इस के लिए आप घर पर भी ये नुसखे अपना सकती हैं.

– 2-3 बड़े चम्मच मेथी के दोनों को रात भर भिगोए रखें. सुबह उन का पेस्ट बना लें. उसे बालों और स्कैल्प पर लगा लें. 30 मिनट लगाए रखने के बाद बालों को गुनगुने पानी से धो लें.

– 1 बड़ा चम्मच आंवले के चूर्ण को 2 बड़े चम्मच नारियल के तेल में मिला कर आंच पर गरम कर छान लें. इस मिक्सचर से स्कैल्प की मसाज करें. इसे रात भर लगाए रखें. सुबह शैंपू कर लें.

– अपनी स्कैल्प की हमेशा कोल्ड प्रैस्सड कैस्टर औयल से मसाज करें, इस से बालों की थिकनैस बढ़ती है. यह औयल बालों के झड़ने को भी कम करता है.

– अंडे की सफेदी को दही में मिला कर पैक बना कर बालों में लगाएं. इस से बालों को प्रोटीन मिलता है.

जिम जाने के 7 फायदे

वैसे तो खुद को फिट रखने के लिए हमारे पास ऐक्सरसाइज, डांस क्लासेज जैसे कई विकल्प मौजूद हैं, लेकिन जिम जाना एक बेहतरीन विकल्प है. जिम जाने से न सिर्फ फैट कम होता है, बल्कि हम कई बीमारियों से भी दूर रहते हैं.

द अट्रैक्टिव बौडी

स्लिमट्रिम बौडी सब को आकर्षित करती है. जिम जाने से ऐब्स डैवलप होते हैं. हाथों और पैरों की मसल्स स्ट्रौंग होती हैं. महिलाओं की कमर पतली होने लगती है. बौडी में कर्व्स दिखते हैं. प्यार के उन खास पलों में आकर्षक बौडी पार्टनर को और करीब ले आती है.

स्ट्रैस बस्टर

आमतौर पर स्ट्रैस के कारण कपल्स अंतरंग पलों को पूरी तरह ऐंजौय नहीं कर पाते. तनावग्रस्त होने पर उन की सैक्स की इच्छा नहीं होती. ट्रस्ट से स्टैमिना भी घटता है. जिम में नियमित ऐक्सरसाइज स्ट्रैस बस्टर का काम करती है. ऐक्सरसाइज करने के बाद आप रिलैक्स महसूस करते हैं.

बैलेंस डाइट की आदत

जिम में ऐक्सरसाइज के साथ ही ट्रेनर डाइट चार्ट भी देते हैं. वे ऐक्सरसाइज टाइप और शरीर की जरूरतों के अनुसार डाइट चार्ट बनाते हैं. वर्कआउट के बाद शरीर को पोषक तत्वों की जरूरत पड़ती है. मसल्स और बौडीबिल्डिंग के लिए हाई प्रोटीन और जिंक युक्त डाइट लेनी चाहिए. हैल्दी सैक्स लाइफ के लिए बैलेंस डाइट बहुत ही जरूरी है.

बढ़ाएं टेस्टोस्टेरौन हारमोन का लैवल

अंतरंग पलों में टेस्टोस्टेरौन हारमोन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह हारमोन सैक्स की इच्छा और क्रियाशीलता के लिए उत्तरदाई है. रिसर्च बताती है कि नियमित ऐक्सरसाइज खासकर जिम में किए जाने वाले स्क्वैट्स से टेस्टोस्टेरौन हारमोन का लैवल बढ़ता है.

जगाए आत्मविश्वास

मोटापा सैक्स के लिए हानिकारक है. इस से जल्दी थकान महसूस होने लगती है. मोटापे का शिकार व्यक्ति पार्टनर को संतुष्ट नहीं कर पाता. इस से उस का आत्मविश्वास टूट जाता है और वह सैक्स से दूर भागने लगता है. जिम में ऐक्सरसाइज करने से मोटापा कम होता है, जिस से आत्मविश्वास बढ़ता है.

ऐनर्जी लैवल करे बूस्ट

नियमित ऐक्सरसाइज से शरीर का ऐनर्जी लैवल बूस्ट होता है. जिम जाने से काफी देर तक काम करने पर भी थकान महसूस नहीं होती है. आलस कोसों दूर रहता है. इसलिए शरीर के ऐनर्जी लैवल को बनाए रखने के लिए जिम जरूर जाएं.

बनाए और्गैज्म को बेहतर

रिसर्च से यह बात सामने आई है कि जो महिलाएं नियमित ऐक्सरसाइज करती हैं वे जल्दी उत्तेजित हो जाती हैं और और्गैज्म को ऐंजौय करती हैं. दरअसल, ऐक्सरसाइज से उन में सैक्स हारमोंस का लैवल बढ़ जाता है, जिस से वे बेहतर सैक्स पार्टनर साबित होती हैं.

ब्रीदिंग कंट्रोल

ऐक्सरसाइज ब्रीदिंग पर कंट्रोल करना सिखाती है. सही ब्रीदिंग टैक्नीक से सैक्स का ड्युरेशन और प्लैजर दोनों बढ़ जाते हैं.

सुमेर पसरीचा के साथ चलते चलते चर्चा कौमेडी के बारे में

आज कौमेडी में क्या बदलाव आए हैं?

आज कौमेडी के नाम पर डबल मीनिंग्स बहुत आ गए हैं. पहले रीयल कौमेडी थी अब सिर्फ दूसरे की बेइज्जती करने को कौमेडी कहते हैं. पहले स्टैंडअप कौमेडियन के लिए चैनलों की इतनी बंदिशें नहीं थीं, जितनी आज है. आज हर चैनल की तरफ से गाइडलाइन जारी होती है कि कम्यूनिटी, कास्ट, रिलीजियन कमैंट नहीं कर सकते. पौलिटिक्स और पौलिटिशियन पर स्टेटमेंट नहीं दे सकते. जहां इतनी सारी बंदिशें हों वहां क्रिएटिविटी कहां रह जाती है.

श्याम रंगीला के साथ जो हुआ वह सही है?

पहले लालू प्रसादजी का शेखर सुमन ने कितना मजाक उड़ाया, राजू श्रीवास्तव सभी राजनेताओं की मिमिक्री करते थे, लेकिन आज वह समय नहीं है. श्याम रंगीला ने मोदीजी की मिमिक्री की तो उसे शो से ही हटा दिया. यह बिलकुल गलत है. कौमेडी करने वाले से आप यह कहेंगे कि इसे इस तरह नहीं मेरी तरह करो तो वह क्या कौमेडी करेगा. मैं मानता हूं कि ऐक्सप्रैशन औफ फ्रीडम होनी चाहिए.

कई स्टैंडअप कौमेडियन सिर्फ वैब तक ही क्यों सीमित रहे?

तन्मय भट्ट, मल्लिका दुआ, जाकिर ये सब एक जोनर के कौमेडियन हैं, जो सिर्फ ऐब्यूज और डबल मीनिंग शब्दों का प्रयोग अपनी कौमेडी में करते हैं. इन के पास इस के अलावा और कुछ नहीं लेकिन टीवी पर काम करना बहुत कठिन है इस में कई तरह की बंदिशें होती हैं. इसलिए कुछ ही कौमेडियन टीवी पर आ पाते हैं.

आप को भी टीवी शो छोड़ना पड़ा था?

मैं ने टीवी पर बहुत काम किया है. ‘कौमेडी बचाओ’ शो के किरदार में मुझे पम्मी आंटी के किरदार का औफर दिया गया था. सिर्फ 4 ऐपिसोड ही एयर हुए थे कि शो की तरफ से खबर आई कि आप को हिंदी में बोलना पड़ेगा पंजाबी सभी को समझ में नहीं आ रही. मेरा कैरेक्टर पम्मी आंटी खालिश पंजाबी कैरेक्टर था. अब मैं कैसे हिंदी में बोलता. इसलिए जब ज्यादा ही रोकटोक मेरे ऊपर हुई तो मैं ने शो छोड़ दिया.

थिएटर भी किए हैं आप ने?

मैं 15 साल से थिएटर कर रहा हूं. शेखर कपूर से ले कर सबीना मेहता के साथ में थिएटर कर चुका हूं. मैं ने 1 दिन में 2-2 शो भी किए हैं.

मल्टी टेलैंटेड

सुमेर का दिल स्कूल में भी सिंगिंग, थिएटर में ज्यादा लगता था. खेल के नाम से वे हमेशा दूर भागते थे. यहां तक पहुंचने में वे अपने स्कूल के टीचरों का सब से ज्यादा योगदान मानते हैं. स्कूल के दिनों में ही ऐक्टिंग के साथ सिंगिंग सीखी, साथ ही डांस सीखा और अब कौमेडी भी करने लगे हैं. वे कहते हैं, ‘‘आज भी मैं जैक औफ औलट्रैड्स मास्टर औफ नन मानता हूं.’’

2 हजार के चैक ने ऐक्टर बनाया

मैं ने कभी सोचा नहीं था कि मैं ऐक्टर बनूंगा, क्योंकि मेरे परिवार में सभी लोग बिजनैस में हैं और में भी बिजनैस ही करना चाहता था. थिएटर करता था, लेकिन सिर्फ शौकिया क्योंकि मुझे नहीं मालूम था कि ऐक्टिंग कर के भी पैसे कमाए जा सकते हैं. स्कूल के बाद एमबीए करने आस्ट्रेलिया गया. वहां रेस्तरां में नौकरी की, वापस इंडिया आया और थिएटर करने लगा. एक दिन जब ऐक्टिंग करने पर 2 हजार का चैक हाथ में आया तब ठान लिया कि अब पैसा ऐक्टिंग से ही कमाना है और में दिल्ली छोड़ मुंबई आ गया.

तैमूर वाला वीडियो

सुमेर ने नोटबंदी से ले कर अनुष्काविराट की शादी और तैमूर के नाम की कंट्रोवर्सी सभी पर पम्मी आंटी के वीडियो बनाए. तैमूर के नाम पर जब उन का वीडियो आया तब काफी बवाल मचा. सुमेर ने अपने वीडियो में सिर्फ यह कहा था कि नाम से क्या फर्क पड़ता है. बड़े नाम वाले रामरहीम कैसे कृत्य करते हैं यह देखिए. नाम पर नहीं परवरिश पर ध्यान दें. इस वीडियो पर काफी हंगामा हुआ. उन के सैक्रेटरी को धमकियां मिलीं कि वीडियो हटाया जाए और सुमेर माफी मांगें. लेकिन सुमेर ने 3 महीने बाद सिर्फ वीडियो ही हटाया, माफी नहीं मागी.

पम्मी आंटी का जन्म

सुमेर आजकल डेली सोप से ज्यादा अपने इंटरनैट वीडियो पम्मी आंटी से ज्यादा फेमस हैं. इस कैरेक्टर का कैसे जन्म हुआ? पूछने पर सुमेर बताते हैं, ‘‘मैं एक दिन खाली बैठा स्नैपचैट कर रहा था. कुछ मन में आया और वीडियो बनाया और पोस्ट कर दिया. बाद में पता चला कि वह तो वायरल हो गया है और लोग पसंद कर रहे हैं इस के बाद बिना किसी टीम और कैमरा के मैं रोज नानी, दादी, मम्मी की सुनी बातों को मौजूदा घटनाक्रम से जोड़ कर पोस्ट करने लगा. पम्मी आंटी कैरेक्टर एक पारंपरिक पंजाबी आंटी का है, जिन्हें शगुन,नेग से बहुत फर्क पड़ता है. एक हिसाब से यह आज की जैनरेशन को पुरानी जैनरेशन से जोड़ने का एक माध्यम भी है.’’

पद्मावत : राजपूतों के आन बान और शान का बेहतरीन चित्रण

जब किसी रचनात्मक इंसान के हाथ बंधे हों यानी कि रचनात्मक बंदिशों के साथ किसी विषय पर फिल्म बनानी हो, तो उस फिल्म का क्या हश्र हो सकता है, इसका नमूना है संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘‘पद्मावत’’. पटकथा लेखन में कुछ गलतियों के बावजूद सकून की बात यह है कि फिल्म ‘‘पद्मावत’’ में राजपूतों की ‘आन बान व शान’ का बेहतरीन चित्रण है.

यूं तो हम बचपन से किताबों में दर्ज कहानी ‘‘एक था राजा एक थी रानी, दोनों मर गए, हो गयी खत्म कहानी’’ को सुनते आए हैं, पर उसी कहानी को फिल्म ‘‘पद्मावत’’ में नए अंदाज में देखते हुए भी इस सवाल का जवाब नहीं मिलता कि पुरूष (अपने पति व अपने लोगों) के सम्मान के लिए एक स्त्री का जबरन जौहर यानी कि आग में कूद कर मौत को गले लगाने के सत्य घटनाक्रम से कैसे निपटा जाए.

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फिल्म की कहानी 13वीं सदी में अफगानिस्तान से शुरू होती है. खिलजी वंश का शासक जलालुद्दीन खिलजी (रजा मुराद) अफगानिस्तान में अपने लोगों के साथ बैठ कर दिल्ली सल्तनत पर काबिज होने की योजना बना रहा है. उसी वक्त उनका भतीजा अलाउद्दीन खिलजी (रणवीर सिंह) जो कि वहशी, निर्दयी व अति गुससैल है, शुतुरमुर्ग के साथ पहुंचता है. शुतुरमुर्ग के एवज में जलालुद्दीन खिलजी की बेटी मेहरूनिशआ (अदिति राव हैदरी) का हाथ मांग लेता है. शादी के वक्त जब कार्यक्रम हो रहे हैं, उसी वक्त अलाउद्दीन राजमहल में ही एक महिला के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करता है. मेहरूनिसा से शादी के बाद जलालुद्दीन, अलाउद्दीन को कारा का शासक बना देता है. अलाउद्दीन खिलजी चाल चलता है कि जलालुद्दीन उसके पास कारा पहुंच जाएं, जहां सारे सैनिक उसके विश्वासपात्र हैं. वहां पर वह सबसे पहले जलालुद्दीन द्वारा भेंट में लाए गए मलिक काफूर की परीक्षा लेते हुए मलिक कफूर के हाथों जलालुद्दीन के साथ आए दो विश्वासपात्रों की हत्या करवा देता हैं. उसके बाद खुद ही जलालुद्दीन खिलजी की हत्या कर राजा यानी कि सुल्तान बन बैठता है और अपनी पत्नी मेहरूनिसा को पिता की मौत पर आंसू तक नहीं बहने देता.

उधर सिंहल की राजकुमारी पद्मावती जंगल में शेर का शिकार कर रही है. पद्मावती का शेर पर चलाया गया तीर चित्तौड़ के राजा रतन रावल सिंह को लग जाता है, जो कि सिंहल नरेश के मेहमान हैं. राजा रतन रावल “सिंहल” में पाए जाने वाले खास तरह के मोती को लेने आए हैं. राजा रतन रावल की सेवा करते करते पद्मावती उसे दिल दे बैठती है और फिर राजा रतन रावल सिंह, पद्मावती से शादी करके ही वापस चित्तौड़ पहुंचते हैं. चित्तौड़ पहुंचने पर राजा रतन रावल सिंह अपनी पत्नी पद्मावती के साथ राज्य के गुरू राघव चेतन के पास ले जाते हैं. राघव चेतन, पद्मावती से कुछ सवाल पूछते हैं और जवाब पाकर वह खुद को हारा हुआ पाते हैं. रात में जब राजा रतन रावल सिंह और पद्मावती एकांत के क्षण बिताते हुए प्रेम मग्न हैं, तभी उन्हे गुप्त रूप से देखने राघव चेतन पहुंचते हैं और पकड़े जाते हैं. सजा के तौर पर पद्मावती उन्हें देश निकाला देने की बात करती है. देश निकाला मिलने पर राघव चेतन चितौड़ राज्य को मिटा देने की धमकी देते हुए बाहर निकलता है और दिल्ली सल्तनत पर काबिज हो चुके अलाउद्दीन खिलजी के पास जाकर पद्मावती के रूप सौंदर्य की तारीफ कर खिलजी को चित्तौड़ पर अधिकार जमाने की सलाह देता है.

पद्मावती के रूप सौंदर्य की प्रशंसा सुनकर पद्मावती को पाने की ख्वाहिश के साथ अलाउद्दीन खिलजी अपनी सेना लेकर चित्तौड़ पर आक्रमण के लिए निकलता है. कुछ दूर पर डेरा डालकर वह चित्तौड़ के राजा के पास संदेश भिजवाता है. राजा रतन रावल सिंह उससे डरते नहीं है और उसकी शर्त मानने के लिए तैयार नहीं होते. दूसरे दिन खिलजी अपने सैनिकों की एक छोटी सी टुकड़ी चित्तौड़ पर आक्रमण के लिए भेजता है, यह सभी मारे जाते हैं. अब राघव चेतन, खिलजी को समझाता है कि चित्तौड़ के किले को भेदना आसान नही है. तब खिलजी मनौवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए सैनिकों के साथ वहीं डेरा डाले रहता है. इधर महल में दिवाली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. फिर होली का त्यौहार मनाया जाता है. अब खिलजी योजना के तहत राजा रतन रावल सिंह के पास सुलहनामे का संदेश भेजता है. खिलजी, चित्तौड़ के राजा की हर शर्त मानकर उनकी मेहमान नवाजी देखने के लिए निहत्था चित्तौड़ राज महल पहुंचता है. शतरंज की बिसात पर दोनों के बीच तीर चलते हैं. अंततः राज्य की जनता की भलाई के खिलजी से समझौता हो जाए, इसलिए पद्मावती की शक्ल दर्पण में खिलजी को दिखायी जाती है. उसके बाद तो खिलजी, पद्मावती को पाने के लिए और अधिक लालायित हो जाता है और राजा रतन रावल को अपने डेरे में बुलाता है. दूसरे दिन जब राजा रतन रावल, खिलजी के डेरे में पहुंचते हैं, तो वह उन्हे बंदी बनाकर दिल्ली ले जाकर जेल में कैद कर देता है. अब शर्त है कि कि जब पद्मावती, खिलजी से मिलने जाएंगी, तभी राजा रतन रावल की रिहाई होगी.

चित्तौड़ की बड़ी महारानी नागमती (अनुप्रिया गोयंका) के विरोध के बावजूद गोरा व बादल के संग योजना बनाकर कुछ शर्तों के साथ पालकी में बैठकर दिल्ली जाती हैं. इन पालकियों में चित्तौड़ के बहादुर सैनिक हैं. उधर दिल्ली में खिलजी की पत्नी मेहरूनिसा, पद्मावती की मदद करती है. पद्मावती, राजा रतन रावल को छुड़ाकर चित्तौड़ पहुंचती है, मगर चित्तौड़ राज्य को गोरा व बादल को खोना पड़ता है.

इस पराजय से खिलजी अतिक्रोधित होकर अपनी पूरी सेना लेकर चित्तौड़ पर हमला बोलते हुए आग के बम बनाकर चित्तौड़ के किले की दीवारों को क्षति पहुंचाता है. फिर राजा रतन रावल सिंह और खिलजी के बीच युद्ध होता है, जब खिलजी हारने लगता है, तो युद्ध के नियमों को ताक पर रखकर खिलजी का गुलाम मलिक काफूर छल करते हुए राजा रतन रावल को तीरों से छलनी कर देता है. अब दोनों तरफ की सेनाओं के बीच युद्ध शुरू हो जाता है. इधर महल के अंदर राजा के मारे जाने पर पद्मावती सभी महिलाओं को इकट्ठाकर जौहर करने के लिए कहती हैं. जब खिलजी, राजमहल में घुसकर पद्मावती तक पहुंचता है, तब तक पद्मावती के साथ सभी नारियां जौहर कर चुकी होती हैं.

बड़े कैनवास की अति भव्यता वाली ‘हम तो दिल दे चुके सनम’, ‘देवदास’, ‘रामलीला : गोलियों की रासलीला’ व ‘‘बाजीराव मस्तानी’’ जैसी फिल्में बना चुके फिल्मकार संजय लीला भंसाली इस बार ‘पद्मावती’ में बुरी तरह से चूके हैं. फिल्म के ज्यादातर दृष्य आंखों को भाते हैं, मगर पूर्णता में यह फिल्म प्रभावित नहीं कर पाती. महायुद्ध, प्रेम कथा और कास्ट्यूम ड्रामा वाली यह फिल्म संजय लीला भंसाली की महत्वाकांक्षी फिल्म होते हुए भी सतहीफिल्म नजर आती है.

इंटरवल के बाद फिल्म पर से उनकी पकड़ छूट जाती है. इंटरवल से पहले भी एडिटिंग टेबल पर मेहनत की गयी होती, तो ठीक होता. फिल्म जरुरत से ज्यादा लंबी हो गयी है. राजा रतन रावल सिंह और रानी पद्मावती के बीच के रिश्तों वाले दृष्य भावनात्मक स्तर पर स्पर्श नही करते. इसी के साथ संजय लीला भंसाली की छाप वाले गीत संगीत व नृत्य देखने के शौकीन दर्शक इस बार ‘पद्मावत’ देखकर निराश होंगे. फिल्म का क्लायमेक्स प्रभावशाली नही बन पाया. राजपुताना औरतों के जौहर को प्रतीकात्मक रूप से दिखाना इस फिल्म की कमजोर कड़ी रही. वैसे इसके लिए फिल्मकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. क्योंकि देश के कानून के हिसाब से भी वह जौहर को उसके सही अंदाज में चित्रित नहीं कर सकते थे और यह बात संजय लीला भंसाली को शुरू से ही पता था.

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फिल्म के तमाम दृष्य जिस तरह से सुंदरता बन पड़े हैं, उसके लिए निर्देशक संजय लीला भंसाली के साथ ही कैमरामैन सुदीप चटर्जी बधाई के पात्र हैं. संजय लीला भंसाली ने राजस्थान के रग को बाखूबी पकड़ा है.

फिल्म में पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी का कोई भी स्वप्न दृष्य नही है. एक भी दृष्य दोनो आमने सामने नहीं आते हैं. फिल्म में राजपूतों के पराक्रम, उनके वसूलों व राजपूत महिलाओं के आत्म सम्मान का ही चित्रण है. इससे राजपूत संगठनों को राहत की सांस लेनी चाहिए.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो अति क्रूर व वहशी अलाउद्दीन खिलजी के किरदार में रणवीर सिंह ने दमदार अभिनय किया है. खुद रणवीर सिंह ने ट्वीटर पर अपने किरदार को दानव की संज्ञा दी है. उन्होने जिस तरह से इस किरदार को परदे पर उभारा है, उसके लिए उनकी तारीफ करनी ही पड़ेगी.एक वाक्य में कहे तो यह फिल्म पूरी तरह से रणवीर सिंह की है. रणवीर सिंह ने साबित कर दिखाया कि उनके अंदर अभिनय की असीम संभवनाएं हैं. ‘पद्मावती’ के किरदार में दीपिका पादुकोण ने भी जानदार अभिनय किया है.

राजा रतन रावल सिंह के किरदार में पहले शाहरुख खान को लिया जा रहा था, पर बाद में कई बदलाव हुए. विक्की कौशल सहित कई दूसरे कलाकारों के नामों की भी चर्चाएं रहीं. अंत में शाहिद कपूर को राजा रतन रावल सिंह के किरदार में चुना गया. राजपूत राजा के किरदार में शाहिद कपूर काफी निराश करते हैं. शाहिद कपूर तो संवाद अदागी करते हुए अपने पिता व मशहूर अभिनेता पंकज कपूर की नकल करते हुए नजर आते हैं.

यदि इस फिल्म को लेकर एक समुदाय के अति प्रतिक्रियावादियों ने विरोध कर फिल्म के प्रदर्शन को लटकाया न होता, तो यह संजय लीला भंसाली की एक और कास्ट्यूम ड्रामा वाली फिल्म के अलावा कुछ न साबित होती.

दो घंटे 43 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘पद्मावत’’ का निर्माण संजय लीला भंसाली, सुधांशु वत्स व ‘वायकौम 18’ ने किया है. फिल्म के निर्देशक संजय लीला भंसाली, लेखक संजय लीला भंसाली और प्रकाश कापड़िया संगीतकार. संजय लीला भंसाली व संचित बलभरा, कैमरामैन. सुदीप चटर्जी तथा फिल्म के कलाकार हैं – दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह, शाहिद कपूर, अदिति राव हैदरी, जिम सर्भ, रजा मुराद व अन्य.

त्याग और आत्मसम्मान पर बनी फिल्म ‘पद्मावत’

साल 1540 में मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा लिखी गयी सूफी कविता पर आधारित फिल्म ‘पद्मावत’ को निर्देशक संजय लीला भंसाली ने अपने फिल्मी अंदाज और सृजनात्मकता से एक अनोखा रूप दिया है. यह एक एपिक ड्रामा है. इस फिल्म पर उठाये गए सारे विरोध अर्थहीन है. फिल्म पूरी तरह से एक कहानी है, जो इतिहास के पन्नों से प्रेरित है.

संजय लीला भंसाली हमेशा बड़े-बड़े सेट्स और खूबसूरत कौस्टयूम के लिए मशहूर हैं और वही झलक इस फिल्म में भी देखने को मिली. फिल्म की पिक्चराईजेशन बेहतरीन है. इसके लिए सिनेमेटोग्राफर सुदीप चटर्जी बधाई के पात्र हैं. फिल्म में शाहीद कपूर का अभिनय देखने लायक है. उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि सही कहानी और निर्देशन से वे बेहतर अभिनय कर सकते हैं. दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहीद कपूर इन तीनों ने मिलकर फिल्म को बेहतर बनाया है.

कहानी

मेवाड़ के महाराजा रावल रतन सिंह (शाहिद कपूर) सिंघल के राजा के अतिथि बनकर जाते हैं. वहां शिकार करने के दौरान वहां की  राजकुमारी पद्मावती (दीपिका पादुकोण) जो एक अच्छी शिकारी है और एक हिरन का पीछा करती हुई राजा रतन सिंह को ही अपने तीर का निशाना गलती से बना देती है. पद्मावती के सामने आने पर राजा उसकी सुन्दरता से इतना मोहित हो जाते हैं कि उसे विवाह कर अपने महल में ले आते हैं, लेकिन राज पुरोहित की एक गलती की वजह से रतन सिंह और रानी पद्मावती उसे देश निकाला देते है. इसका बदला लेने के लिए राज पुरोहित दिल्ली के शासक अल्लाउद्दीन खिलजी (रणवीरसिंह) से मिलकर पद्मावती की  खूबसूरती का बखान करता है. अय्याश और घमंडी अल्लाउद्दीन खिलजी कई प्रकार के चाल अपनाकर पद्मावती से मिलने की कोशिश करता है, पर हर बार उसे नाकामयाबी हाथ लगती है. पद्मावती की मजबूत इरादों के आगे उसे हार ही मिलती है. इस तरह कहानी कई परिस्थितियों का सामना करते हुए अंजाम पर पहुंचती है.

कहानी की स्क्रिप्ट थोड़ी कम हो सकती थी. इंटरवल तक कहानी ठीक रही, इसके बाद थोड़ी धीमी गति होने से फिल्म अपनी पकड़ से ढीली होती लगी. निर्देशक इसे और अधिक क्रिस्पी बना सकते थे. इसमें अदिति राव हैदरी ने अल्लाउद्दीन खिलजी की पत्नी के रूप में काफी अच्छा अभिनय किया है.

फिल्म में  ‘घूमर’ गाना काफी अच्छा रहा. जो फिल्म में रानी की खुशी को बयां करती है. बहरहाल फिल्म देखने योग्य है इसे ‘थ्री एंड हाफ स्टार’ दिया जा सकता है.

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