श्रीदेवी को लालच पड़ा महंगा, सर्जरी से बिगड़ी शक्ल

19वीं सदी हो या फिर 21वीं सदी श्रीदेवी की खूबसूरती का जादू अब तक खत्म नहीं हुआ है. 54 साल की श्रीदेवी ना सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती है बल्कि अपने मस्त-मलंग अंदाज के लिए सुर्खियां बंटोरती हैं.

इतनी उम्र हो जाने के बाद भी श्रीदेवी के फैशनेबल लुक और स्टाइल के सामने कोई नहीं टिक पाया है, लेकिन पुरानी कहावत है ना लालच बुरी बला है. श्रीदेवी ने अपनी खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए पिछले दिनों लिप सर्जरी कराई है.

एक खबर के मुताबिक पिछले दिनों फिल्ममेकर अनुराग बासु ने अपने घर पर सरस्वती पूजा का आयोजन किया था. इस पूजा में श्रीदेवी अपने पति बोनी कपूर के साथ पहुंची थी. इस दौरान सबने नोटिस किया की श्रीदेवी के होंठ पहले के मुकाबले बदल गए है.

Wearing @sabyasachiofficial and Jewelry by @shriharidiagems

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इस दौरान श्रीदेवी के होंठ पहले के मुकाबले ज्यादा सूजे हुए लगे. अनुराग के घर के बाद श्रीदेवी को इंडियाज मोस्ट स्टाइलिश अवौर्ड में स्पौट किया गया जहां भी उनके होंठ नोटिस किए गए. इस इवेंट की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो गई, जिसके बाद से सोशल मीडिया पर खबरें आई की श्रीदेवी ने खुद को खूबसूरत बनाने के लिए होठों की सर्जरी कराई है.

Wearing my favourite @manishmalhotra05 Jewellery by @gemsjewelspalace

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सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों में श्रीदेवी के होंठो की बिगड़ी हुई शेप आसानी से देखी जा सकती है. पिछले दिनों हुए इवेंट्स में श्रीदेवी की ड्रेस और स्टाइल से ज्यादा उनके चेहरे खासकर होंठो ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है. हालांकि सोशल मीडिया पर तमाम खबरें आने के बाद भी श्रीदेवी की ओर से इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि आखिरकार उन्होंने लिप सर्जरी कराई है या नहीं.

शिमला की वादियों में स्पोर्ट्स एडवेंचर के साथ लीजिए स्नोफौल का मजा

शिमला में इस सीजन की मंगलवार को पहली बर्फबारी देखने को मिली. पूरे हिमाचल और आसपास की जगहों पर ठंड बढ़ गई. शिमला में बर्फबारी की वजह से पर्यटकों के चेहरे खिले हुए हैं. शिमला और ऊपरी इलाकों में बारिश और बर्फबारी देखी गई. बताया जा रहा है कि शिमला में करीब 2 से 3 इंच, जबकि कुफरी, चायल और नारकंडा में 7 से 8 इंच तक बर्फबारी की सूचना है. इस कारण शिमला शहर से लेकर बाहरी इलाकों में ट्रैफि‍क बुरी तरह से प्रभावित हुआ.

वहीं ठंड का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शिमला में पानी की पाइप तक बर्फ से जम गई है. अगर आपने भी कभी स्नोफौल नहीं देखा है तो शिमला में जाकर स्नोफौल का लुफ्त उठा सकती हैं. हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत राजधानी है शिमला, जो सर्दियों के मौसम में किसी स्वर्ग से कम नहीं है.

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टौय ट्रेन में सफर करना न भूलें

आजादी से पहले यह शहर अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी था. उस दौर के अनेक सुंदर भवन एवं चर्च आज भी टूरिस्ट्स के लिए खास है. शिमला का मौल रोड पर्यटकों का पसंदीदा स्थल है. यहां की रौनक हर समय देखते ही बनती है. जाखू हिल, वायसराय लौज, काली मंदिर राजकीय संग्रहालय यहां के दर्शनीय स्थल है. आसपास के स्थानों में वाइल्ड फ्लावर हाल, कुफ्री, मशोब्रा, नालटेहरा, चैल जैसी खूबसूरत जगह हैं. शिमला का असली मजा लेना हो तो कालका से शिमला के बीच चलने वाली टौय ट्रेन में जरूर घूमना चाहिए.

एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए है खास

शिमला भारत में सबसे बड़ी आइस स्केटिंग रिंक के लिए मशहूर है. सर्दियों के दौरान, जमीन बर्फ से ढक जाता है और यही वह समय होता है (दिसंबर से जनवरी) जब स्केटिंग का पूरा आनंद उठाया जा सकता है. यहां का ट्रैकिंग भी बहुत लोकप्रिय है. जुंगा, चैल, चुरदार, शाली पीक, हातू पीक और कुल्लू जैसी जगहें विभिन्न मार्गों द्वारा शिमला से जुड़ी हुई हैं. यहां माउंटेन बाइकिंग भी की जाती है. व्यास, रावी, चिनाब और झेलम जैसी नदियां में राफ्टिंग का मजा लिया जा सकता है.

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कैसे पहुंचे

कुल्लू हिमाचल प्रदेश राज्य परिवहन निगम की बस सेवा के माध्यम से अपने निकटतम स्थलों के साथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. दिल्ली, चंडीगढ़, पठानकोट और शिमला से पर्यटक हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम की डीलक्स बसों का लाभ ले सकते हैं. जोगिन्दर नगर रेलवे स्टेशन कुल्लू के लिए निकटतम रेल लिंक है, जो 125 किमी की दूरी पर स्थित है. स्टेशन चंडीगढ़, जो कुल्लू से 270 किमी दूर है, के माध्यम से प्रमुख भारतीय शहरों के साथ जुड़ा है. पर्यटक रेलवे स्टेशन के बाहर से टैक्सियां प्राप्त कर सकते हैं. भुंतर हवाई अड्डा कुल्लू मनाली हवाई अड्डे या कुल्लू हवाई अड्डे के रूप में भी जाना जाता है. यह हवाई अड्डा निकटतम घरेलू हवाई अड्डा कुल्लू शहर से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित है. हवाई अड्डा दिल्ली, पठानकोट, चंडीगढ़, धर्मशाला, और शिमला जैसे भारत में महत्वपूर्ण स्थानों के साथ अच्छी तरह से जुड़ा है.

औनलाइन फ्रौड का शिकार होने पर कितना रिफंड करता है आपको बैंक

नोटबंदी और तेज होती डिजिटल इंडिया की मुहिम के बाद बेशक लोग औनलाइन ट्रांजेक्शन की तरफ बढ़े हैं, लेकिन अब भी काफी सारे लोग ऐसे हैं जो औनलाइन लेन-देन से घबराते हैं. इसकी प्रमुख वजह समय-समय पर सामने आने वाली औनलाइन फ्रौड की शिकायतें हैं. लेकिन अब आपको घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि औनलाइन फ्रौड का शिकार होने वाले निर्दोष लोगों की मदद के लिए आरबीआई ने हाल ही में नई गाइडलाइन्स जारी की हैं. हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको बताएंगे कि औनलाइन फ्रौड का शिकार होने की सूरत में आप कितना रिफंड पाने के हकदार होते हैं.

औनलाइन ट्रांजेक्शन के दौरान हुए फ्रौड से जुड़े रिफंड नियम

पहले के समय में जब भी किसी ग्राहक के साथ कोई फ्रौड होता था तो सारा कसूर बैंक ग्राहक पर डाल देता था. ग्राहक को इस बात की पुष्टी करनी पड़ती थी उसने अपने बैंक डिटेल्स किसी के साथ साझा नहीं की, अब यह बैंकों के ऊपर है कि वे पता लगाएं कि ग्राहक कहां गलत था और वह औनलाइन बैंकिंग करते समय सतर्क था या नहीं.

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पहले के समय में ग्राहक को नुकसान उठाना पड़ता था, या फिर बैंक ग्राहक को पैसा लौटाने में लंबा समय लेते थे क्योंकि कोई स्पष्ट गाइडलाइंस नहीं थी. अब आरबीआई ने इस संबंध में स्पष्ट गाइडलाइंस जारी कर दी हैं. यह निश्चित रूप से ग्राहकों के लिए फायदेमंद साबित होगा. आरबीआई ने अपनी गाइडलाइंस में बैंकों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे मजबूत और डायनैमिक फ्रौड डिटेक्शन की प्रणाली अपनाएं.

किन स्थितिओं में ग्राहकों को मिलेगा पूरा रिफंड

  • जब कोई गलत लेनदेन बैंक की अनदेखी के कारण होता है फिर चाहे ग्राहक ने इस मामले की शिकायत दर्ज कराई हो या नहीं, तो डिजिटल ट्रांजेक्शन कई प्लेटफौर्म से गुजरता है. इनमें पेयर बैंक, पेई बैंक, पेमेंट गेटवे और ट्रांजेक्शन इंक्रिप्टिड होनी चाहिए. कोई भी डेटा किसी भी इंटरमिडियेटरी के पास स्टोर नहीं होना चाहिए, ये केवल ट्रांस्फर किया जाता है. इस दौरान अगर कोई फ्रौड होता है तो इसमें ग्राहक जिम्मेदार नहीं होगा. ऐसे में आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार बैंक ग्राहक को पूरा रिफंड देंगे.
  • अगर किसी थर्ड पार्टी का हस्तक्षेप हुआ है जहां पर लापरवाही न तो बैंक की है और न ही कस्टमर की बल्कि उस सिस्टम की है जिसका इस्तेमाल किया गया है. साथ ही कस्टमर ने बैंक को ट्रांजेक्शन के बारे में तीन दिन के भीतर सूचित कर दिया है. इस सूरत में भी ग्राहक को पूरा पैसा वापस मिलेगा.

सीमित जवाबदेही:

अगर फ्रौड ग्राहक की लापरवाही के कारण हुआ है तो ग्राहक बैंक को सूचित करने तक सारा नुकसान खुद उठाएगा. जैसे: अगर ग्राहक जाने अनजाने में अपनी कौन्फिडेंशियल इंफौर्मेशन जैसे कि एटीएम पिन, कार्ड नंबर आदि साझा करता है तो बैंक को सूचित करने तक सारा नुकसान ग्राहक खुद उठाएगा.

अगर फ्रौड में ग्राहक और बैंक दोनों की ही गलती नहीं है, लेकिन सिस्टम की गलती है और ग्राहक ने बैंक को चार से सात दिनों के भीतर सूचित कर दिया है तो ग्राहक को 10,000 रुपये या उसकी ट्रांजेक्शन वैल्यू जो भी कम है उतनी खुद अदा करनी पड़ेंगी. यह लिमिट सेविंग एकाउंट, पांच लाख रुपये तक की लिमिट वाले क्रेडिट कार्ड, सालाना औसतन बैंलेस लिमिट 25 लाख तक के करंट एकाउंट के लिए लागू है. अगर ग्राहक तीन दिनों के भीतर सूचित करता है तो पूरी राशि रिफंड कर दी जाएगी. करंट एकाउंट, ओवरड्राफ्ट एकाउंट, और पांच लाख से ऊपर की लिमिट के क्रेडिट कार्ड के लिए अधिकतम सीमा 25000 रुपये है. बेसिक सेविंग बैंक डिपौजिट एकाउंट जो नो फ्रिल्स खाता है उसकी लिमिट 5000 रुपये है.

यदि सात दिनों से ज्यादा की देरी हो जाती है तो ग्राहक की जवाबदेही बैंक के बोर्ड की ओर से मंजूर की गई पौलिसी के आधार पर तय की जाएगी.

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बैंक अपने ग्राहकों के सभी ट्रांजेक्शन के बारे में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर, ईमेल या एसएमएस के माध्यम से सूचना देता है. अब आरबीआई ने यह अनिवार्य कर दिया है कि बैंक ग्राहकों से औनलाइन ट्रांजेक्शन करने के लिए उनके मोबाइल नंबर की मांग करें. ग्राहक की ओर से नंबर न देने कि स्थिति में बैंक इलेक्ट्रौनिक ट्रांजेक्शन से मना कर सकता है. हालांकि इस सूरत में एटीएम कैश निकासी की सुविधा चालू रहेगी. मौजूदा समय में एसएमएस का चार्ज खाताधारक ही उठाता है.

क्या है रिप्लाई का विकल्प

आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि वेबसाइट, फोन बैंकिंग, एसएमएस, ईमेल, आईवीआर, टोल फ्री हेल्पलाइन, ब्रांच मैनेजर से संपर्क आदि के अलावा बैंकों को ग्राहकों को रिप्लाई औप्शन उपलब्ध कराना होगा ताकि एसएमएस या ईमेल के जरिए उन्हे अलर्ट मिल सके. इसके अतिरिक्त आरबीआई ने कहा है कि बैंकों को डायरेक्ट लिंक देना होगा ताकि ग्राहक शिकायत दर्ज कर सकें, जिसमें अनाधिकृत इलेक्ट्रौनिक ट्रांजेक्शन बैंक की वेबसाइट के होम पेज में दिखे. बैंकों के लिए यह अनिवार्य है कि ग्राहक के शिकायत करते ही इसका तुरंत रिप्लाई भेजा जाए जिसमें रजिस्टर्ड कंप्लेंट नंबर लिखा हो.

रिफंड की क्या है समय सीमा

नई गाइडलाइंस के मुताबिक ग्राहक के बैंक को सूचित करने के 10 वर्किंग डेज में रिफंड क्रेडिट कर दिया जाता है.

इसके अलावा जिन मामलों में बैंक का बोर्ड ग्राहक की लायबिलिटी का फैसला करता है उसमें शिकायत 90 दिनों के भीतर एड्रेस की जाती है. अगर बोर्ड ग्राहक की लायबिलिटी पर फैसला नहीं ले पा रहा है तो ग्राहक को जीरो लायबिलिटी मुआवजा दिया जाना चाहिए.

करण जौहर की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, हो सकती है 5 साल की जेल

डायरेक्टर करण जौहर अपनी अपकमिंग फिल्म ‘स्टूडेंड औफ द ईयर-2’ को लेकर चर्चा में हैं. हाल ही में करण ने फिल्म का नया पोस्टर जारी करते हुए फिल्म की रिलीज डेट भी बताई है. हालांकि इसी दौरान करण जौहर की मुश्किलें बढ़ गई हैं. करण जौहर को दिल्ली सरकार की ओर से सरकारी नोटिस भेजा गया है.

कहा जा रहा है कि जिसके कारण फिल्म निर्माता-निर्देशक करण जौहर को पांच साल की जेल हो सकती है. बता दें कि करण इन दिनों टीवी शो ‘इंडियाज नेक्सट सुपरस्टार’ में डायरेक्टर रोहित शेट्टी के साथ बतौर जज की भूमिका में नजर आ रहे हैं.

शो में दिखाए जाने वाले कमला पसंद के एड के कारण चैनल मालिकों, धर्मा प्रोडक्शन, एंडमोल प्रोडक्शन कंपनी, कमला पसंद कंपनी की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

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एक रिपोर्ट के अनुसार,  हाल ही में रिएलिटी ‘इंडियाज नेक्सट सुपरस्टार’ शो के दौरान पान मसाला का प्रचार करने के मामले में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने करण को नोटिस जारी कर दिया है. करण को जारी नोटिस सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट (कोटपा) 2003 एक्ट के तहत जारी किया गया है.

यह नोटिस करण जौहर के साथ-साथ उनके प्रोडक्शन हाउस धर्मा प्रोडक्शन और इसके साथ ही शो के मेकर्स को भी स्वास्थ्य विभाग ने नोटिस भेजा है. कहा जा रहा है कि करण नोटिस का जवाब नहीं दिया तो पांच साल की जेल और 2000 हजार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है.

रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल करण जौहर को जारी हुए नोटिस का जवाब देने के लिए दस दिन का समय दिया गया है. दस दिन के बाद करण के ऊपर बताए गए सभी मामलों पर कार्रवाई शुरु कर दी जाएगी. यह कोई पहला मामला नहीं है जब करण को नोटिस जारी हुआ हो. इसके पहले करण के दोस्त और बौलीवुड के किंग खान यानी की शाहरुख खान भी इस तरह के मामले में फंस चुके हैं. शाहरुख खान फिल्म ‘इत्तेफाक’ के पोस्टर में स्मोकिंग के प्रचार के कारण शाहरुख खान, गौरी खान और फिल्म के मेकर्स को नोटिस भेजा गया था.

प्रैगनैंसी से जुड़े भ्रम

विज्ञान ने आज भले ही कितनी भी तरक्की क्यों न कर ली हो, लेकिन हमारे समाज में आज भी प्रैगनैंसी से जुड़े बहुत सारे ऐसे भ्रम हैं जो न सिर्फ घातक हैं, बल्कि कई बार जानलेवा भी साबित हो सकते हैं. आइए, जानते हैं उन के बारे में और करते हैं उन का समाधान:

भ्रम : प्रैगनैंसी में उलटी होना एक बेहद सामान्य सी बात है.

सच्चाई : यह सच है कि प्रैगनैंसी के शुरू के दिनों में उलटियां होना बहुत सामान्य बात है, लेकिन इतनी सामान्य बात भी नहीं है जितना लोग समझ लेते हैं. सच्चाई यह है कि  ज्यादा उलटियां आने से न केवल गर्भवती वरन गर्भस्थ शिशु को भी नुकसान पहुंचता है. इसलिए बेहतर होगा कि आप डाक्टर से संपर्क करें.

भ्रम : नारियल खाने से बच्चा नारियल की तरह गोराचिट्टा पैदा होता है.

सच्चाई: नारियल एक ऐसा फल है जो रेशा युक्त होता है, जिस की वजह से प्रैगनैंसी के दौरान इस का सेवन लाभदायक होता है, लेकिन इस का बच्चे के रंग से कोई संबंध नहीं है.

भ्रम : प्रैगनैंसी में गर्भवती को दोगुना खाने की जरूरत होती है.

सच्चाई : इस दौरान दोगुना भोजन गर्भवती के वजन को बढ़ा कर डिलिवरी को कौंप्लिकेटेड बना सकता है. सच्चाई यह है कि इस दौरान हर महिला को सिर्फ 300 अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत पड़ती है.

भ्रम : ऐक्सरसाइज से बच्चे को नुकसान होता है.

सच्चाई: यह बिलकुल गलत धारणा है. सच्चाई बिलकुल इस के विपरीत है. डाक्टरों का कहना है कि इस दौरान किसी प्रोफैशनल की निगरानी में ऐक्सरसाइज करना ठीक है.

भ्रम : अगर आप की उम्र 30 से ज्यादा है तो आप के प्रैगनैंट होने के चांसेज नहीं के बराबर हैं, इसलिए 30 साल की उम्र से पहले ही अपना पहला बेबी प्लान कर लें.

सच्चाई : आज महिलाएं अपने कैरियर को ले कर काफी सजग हो गई हैं. यही कारण है कि वे आमतौर पर 30 साल की आयु के बाद ही मां बनना पसंद करती हैं और अब यह उतना मुश्किल भी नहीं है, क्योंकि एग फ्रीजिंग और आईवीएफ तकनीक ने इसे बेहद आसान बना दिया है.

भ्रम : अगर सूर्य और चंद्र ग्रहण के दौरान प्रैगनैंट महिला कोई काम करती है तो बच्चा अपाहिज पैदा होता है.

सच्चाई : हैरानी की बात है कि आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है, फिर भी कई ऐसे लोग हैं जो इस अंधविश्वास को सच मानते हैं. इस का कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है

भ्रम : अगर डिलिवरी के बाद पेट पर कोई टाइट सी बैल्ट बांध दी जाए तो टमी फ्लैट रहती है.

सच्चाई : यह बिलकुल निराधार बात है. सच्चाई यह है कि अगर कोई महिला डिलिवरी के बाद टमी को किसी टाइट बैल्ट से बांध कर रखती है तो इस से वहां का रक्तसंचार बाधित होगा जो घातक सिद्ध हो सकता है.

इंडस्ट्री में जबरन कुछ भी नहीं होता : प्रिया बनर्जी

बचपन से ही अभिनय की इच्छा रखने वाली 26 वर्षीया अभिनेत्री प्रिया बनर्जी ने तमिल और तेलुगु फिल्म से अपने कैरियर की शुरुआत की. प्रिया 2011 में ‘मिस कनाडा’ भी रह चुकी हैं. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 3 महीने का ऐक्टिंग कोर्स किया और फिर अभिनय के क्षेत्र में उतर गईं.

नम्र स्वभाव वाली और स्पष्टभाषी प्रिया किसी भी गलत बात को सहन नहीं करतीं. यही वजह है कि अभी तक उन्हें सही लोग मिलते गए. उन्हें पता है कि इंडस्ट्री आउटसाइडर के लिए मुश्किल है, पर उन्हें उस में रहना आता है. अभी वे अपनी आने वाली फिल्म ‘दिल जो न कह सका’ में मुख्य भूमिका निभा रही हैं और उस के प्रमोशन को ले कर व्यस्त हैं. उन से बात करना रोचक रहा. पेश हैं, कुछ अंश:

अपने बारे में बताएं?

मैं कनाडा में जन्मी और पलीबढ़ी हूं. हिंदी मैं ने कुछ अरसा पहले ही सीखी है. कनाडा में मेरे पिता इंजीनियर हैं और मां हाउसवाइफ. मुझे बचपन से ही अभिनय का शौक था. स्कूलकालेज में जहां भी मौका मिलता मैं थिएटर में अभिनय कर लेती थी.

मार्केटिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद जो थोड़ा ब्रेक मिला, उस में मैं ने कुछ करने का मन बनाया और मुंबई चली आई और मौसी के घर रहने लगी. हालांकि फिल्में देखना पसंद करती थी, लेकिन यही मेरा प्रोफैशन बनेगा, ऐसा सोचा नहीं था. फिर मैं ने अनुपम खेर का ऐक्टिंग स्कूल जौइन किया और छोटा सा ऐक्टिंग कोर्स कर लिया, क्योंकि मैं इस ब्रेक में कुछ ऐक्टिंग कर वापस कनाडा जाना चाहती थी.

प्रशिक्षण के दौरान एक तेलुगु फिल्म का औडिशन हो रहा था. मैं ने उस में औडिशन दिया और 200 लड़कियों में मैं चुन ली गई. इस फिल्म की शूटिंग सैनफ्रांसिस्को में 2 महीने की थी. मुझे बहुत अच्छा लगा. फिर प्रमोशन के लिए इंडिया आई और मैं ने 3 तेलुगु और 1 तमिल फिल्म की. हिंदी फिल्म ‘जज्बा’ भी मिली. यहीं से ऐक्टिंग में रुचि आ गई. मैं मुंबई में रहती हूं और मेरे पेरैंट्स कनाडा में.

पहला ब्रेक कब मिला और क्या कभी इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच का सामना करना पड़ा?

मुझे हिंदी फिल्मों में ब्रेक फिल्म ‘जज्बा’ से मिला. उस समय मैं केवल 23 साल की थी. मुझे कास्टिंग काउच का कभी सामना नहीं करना पड़ा. किसी ने मुझे एप्रोच नहीं किया. मेरे निर्मातानिर्देशकों का व्यवहार मेरे साथ हमेशा अच्छा रहा. मेरे हिसाब से ऐसा हर फिल्म इंडस्ट्री में होता है. यह नया नहीं है. मैं ने जो सुन रखा था इंडस्ट्री उतनी बुरी नहीं. आज हर फील्ड में अच्छे और बुरे लोग रहते हैं. क्या सही है क्या गलत यह आप को खुद देखना होता है. जबरन यहां कुछ भी नहीं होता.

क्या आउटसाइडर के लिए सही फिल्में मिलना मुश्किल होता है?

अब मैं अपने हिसाब से फिल्में चुन सकती हूं, लेकिन मैं न्यूकमर हूं और बहुत अधिक चौइस मिलना मुश्किल है. मेरे हिसाब से बहुत अधिक चूजी होना ठीक नहीं. काम करते रहना चाहिए ताकि फिल्म मेकर और दर्शकों के बीच रह सकूं, जिस से मुझे बड़ा ब्रेक मिले.

आप के ब्यूटी सीक्रेट क्या हैं? कितनी फूडी हैं और अपने पर्स में 5 जरूरी चीजें क्या रखती हैं?

फिलहाल सीक्रेट कुछ खास नहीं है, क्योंकि मैं 2 फिल्मों की शूटिंग कर रही हूं. समय मिलने पर अपना ध्यान रख पाती हूं. सब कुछ खाती हूं, डाइटिंग नहीं करती. जंक फूड कम खाती हूं, घर का खाना खूब खाती हूं. मुझे घर का खाना अधिक पसंद है, इसलिए मैं ने मां से चिकनबिरयानी और अंडा करी बनाना सीखा है. रात को सोने से पहले मेकअप जरूर उतार लेती हूं. मैं अपने पर्स में लिपस्टिक, लिप ग्लौस, हैंड सैनेटाइजर, कंघी और घर की चाबी रखती हूं.

युवाओं को क्या संदेश देना चाहती हैं?

अपने ड्रीम को फौलो करें, धैर्य रखें. जब भी मौका मिले तो खुद को हार्डवर्क से प्रूव करने की कोशिश करें. लोग कुछ भी कहें, अपने ड्रीम को कभी न छोड़ें.

थायराइड : लक्षण व उपचार

पूरे शरीर के स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए थायराइड एक मुख्य जरिया है. छोटी सी थायराइड ग्रंथि आप के शरीर की ज्यादातर मैटाबोलिक क्रियाओं पर हानिकारक प्रभाव डाल सकती है. थायराइड में होने वाली किसी भी तरह की गड़बड़ी वजन में बढ़ोतरी, वजन में कमी और अन्य कई बीमारियों से ले कर थायराइड कैंसर तक का कारण बन सकती है.

थायराइड से जुड़ी सब से सामान्य समस्या थायराइड हारमोंस का असामान्य उत्पादन है. थायराइड हारमोंस की बहुत अधिक मात्रा हाइपरथायराइडिज्म के नाम से जानी जाती है. हारमोंस का पर्याप्त उत्पादन भी हाइपरथायराइडिज्म की स्थिति पैदा करता है. हालांकि इस का प्रभाव कष्टकारक और असुविधाजनक हो सकता है, लेकिन सही जांच और उपचार हो जाए तो थायराइड से जुड़ी ज्यादातर समस्याओं से आसानी से निपटा जा सकता है.

हाइपरथायराइड का सब से बड़ा कारण औटोइम्यून बीमारियां, गलत दवा लेना और लीथियम का उपयोग है. परिवार में थायराइड असंतुलन की समस्या किसी को रही हो, तो वह भी जोखिम का कारण बन सकती है. हाइपरथायराइडिज्म के बाद महिला की कामेच्छा में कमी, मासिकधर्म की असामान्यता और गर्भधारण में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. गर्भावस्था के दौरान भ्रूण का विकास मां के थायराइड हारमोन से नियंत्रिण होता है और प्रसव के बाद भी विकास थायराइड से ही नियंत्रित होता है.

आयोडीन का महत्त्व

यह एक महत्त्वपूर्ण माइक्रोन्यूट्रिएंट है जो थायराइड हारमोन के निर्माण के लिए आवश्यक है. आयोडीन डैफिशिएंसी आयोडीन तत्त्व की कमी है. यह हमारी डाइट का एक आवश्यक पोषक तत्त्व है. आयोडीन की कमी से हाइपोथायराइडिज्म हो जाता है. अगर समय रहते इस का उपचार न कराया जाए तो गर्भधारण करने में समस्या आना, बांझपन, नवजात शिशु में तंत्रिका तंत्र से सबंधित गड़बडि़यां आदि होने का खतरा बढ़ जाता है.

यदि थायराइड सही ढंग से काम नहीं कर रहा है, तो यह महिला की प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. हाइपरथायराइडिज्म महिलाओं में बांझपन और गर्भपात के अन्य कारणों के मुकाबले काफी सामान्य कारण होता है. जब थायराइड ग्रंथि से पर्याप्त मात्रा में हारमोंस नहीं निकलते हैं, तो ये अंडोत्सर्ग के दौरान अंडाशय से अंडाणुओं की निकासी को बाधित करते हैं और प्रजनन क्षमता को बिगाड़ देते हैं. यदि आप थकान या ऊर्जा में कमी महसूस कर रही हैं, आप के बाल और त्वचा सूखी व खुरदुरी हो गई है, ठंडे तापमान के प्रति आप संवेदनशील हैं और मासिकधर्म या तो अनियमित है या ज्यादा आ रहा है, तो ये हाइपरथायराइडिज्म के लक्षण हो सकते हैं.

फूले हुए टिशू, बेवजह वजन में बढ़ोतरी, अवसाद, मांसपेशियों में खिंचाव, मांसपेशियों में दर्द, दिल की धड़कन सामान्य से कम होना, बांझपन, कब्ज, मानसिक आलस्य, कंठ के नीचे स्थित थायराइड में सूजन और कामेच्छा में कमी इस के प्रभाव हो सकते हैं. गर्भावस्था के दौरान थायराइड संबंधी परेशानियां होना सामान्य बात है. 25% से ज्यादा महिलाओं में गर्भावस्था के छठे सप्ताह के दौरान हाइपरथायराइडिज्म हो जाता है. गर्भनाल और भ्रूण के विकास के लिए थायराइड हारमोंस का स्राव जरूरी है. गर्भावस्था के दौरान मां और भ्रूण की बढ़ी हुई मैटाबोलिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए स्राव का स्तर 50% तक बढ़ना जरूरी है. जब मां का शरीर जरूरत के मुताबिक पर्याप्त हारमोंस का स्राव नहीं कर पाता है तो गर्भपात, समय पूर्व प्रसव, बच्चे का कम वजन और प्रसव के बाद की समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है.

लक्षण

कुछ महिलाओं में आयोडीन का स्तर कम होने पर भी कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है. हाइपोथायराइडिज्म से ग्रस्त होने के निम्न लक्षण हैं:

– थकान और उनींदापन.

– मांसपेशियों की कमजोरी.

– मासिकचक्र संबंधी गड़बडि़यां.

– ध्यानकेंद्र में समस्या आना.

– याददाश्त का कमजोर पड़ना.

– आसामान्य रूप से वजन बढ़ना.

– अवसाद.

– बाल झड़ना.

– त्वचा का ड्राई हो जाना.

– हृदय की धड़कनें धीमी होना.

आयोडीन की कमी से बांपन का खतरा

महिलाओं के शरीर में आयोडीन की कमी का उन के प्रजनन तंत्र की कार्यप्रणाली से सीधा संबंध है. हाइपोथायराइडिज्म बांझपन और गर्भपात का सब से प्रमुख कारण है. जब थायराइड ग्लैंड की कार्यप्रणाली धीमी पड़ जाती है तो वह पर्याप्त मात्रा में हारमोंस का उत्पादन नहीं कर पाती है, जिस से अंडाशयों से अंडों को रिलीज करने में बाधा आती है, जो बांझपन का कारण बन जाती है. जो महिलाएं हाइपोथायराइडिज्म का शिकार होती हैं उन में सैक्स में अरुचि, मासिकचक्र से संबंधित गड़बडि़यां और गर्भधारण करने में समस्या आना देखा जाता है. अगर हाइपोथायराइडिज्म से पीडि़त महिलाएं गर्भधारण कर भी लेती हैं तो भी गर्भ का विकास प्रभावित होता है.

हाइपोथायराइडिज्म की रोकथाम

धूम्रपान बंद करें : धूम्रपान थायराइड को सीधे तौर पर प्रभावित करता है. इस के साथ ही निकोटिन शरीर से आयोडीन को अवशोषित करता है, जिस से हारमोन का स्राव प्रभावित होता है. यह सब से सामान्य कारण है, जो बांझपन की समस्या पैदा करने में मदद करता है.

बोतलबंद पानी पीना : इस पानी में मौजूद फ्लोराइड और परक्लोरेट वे तत्त्व हैं, जो हाइपोथायराइडिज्म को ट्रिगर करते हैं या थायराइड से संबंधित दूसरी समस्याओं का कारण बनते हैं.

सीमित मात्रा में करें आयोडीन का सेवन : हमेशा ध्यान रखें कि आयोडीन का सेवन सीमित मात्रा में करना है. अधिक या कम मात्रा में आयोडीन का सेवन आयोडीन संबंधी गड़बडि़यों की आशंका बढ़ा देता है.

तनाव कम पालें : नियमित व्यायाम करें. इस से आप को मानसिक शांति मिलेगी जो थायराइड को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

सोया उत्पादों का सेवन अधिक मात्रा में न करें: इन का अत्यधिक मात्रा में प्रयोग हाइपोथायराइडिज्म, नोड्यूल्स को ट्रिगर या गंभीर कर सकते हैं. सोय सप्लिमैंट्स और पाउडर का सेवन कम मात्रा में करें. दिनभर में सोयाबीन की एक आइटम से अधिक न खाएं और वह भी थोड़ी मात्रा में.

नवजातें को सोया बेस्ड उत्पाद न दें: जिन बच्चों को बहुत छोटी उम्र में सोयाबीन युक्त उत्पाद खिलाए जाते हैं उन में बड़ा हो कर थायराइड असंतुलन का खतरा बढ़ जाता है.

बांपन का उपचार : बांझपन को दूर करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों में हाइपोथायराइडिज्म का उपचार एक महत्त्वपूर्ण भाग है. अगर हाइपोथायराइडिज्म का उपचार करने के बाद भी बांझपन की समस्या बरकरार रहती है तब बांझपन के लिए दूसरे उपचार की आवश्यकता पड़ती है.

गर्भवती महिलाओं को जितनी जल्दी हो सके, शरीर में थायराइड के आसामान्य स्तर की जांच करा लेनी चाहिए. अगर जांच में थायराइड से संबंधित गड़बडि़यों का पता चलता है तो सुरक्षित गर्भावस्था, प्रसव और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के लिए तुरंत उपचार कराएं.

शादी केवल एक सिग्नेचर है : मोनाली ठाकुर

बचपन से संगीत के माहौल में पैदा हुई सिंगर मोनाली ठाकुर कोलकाता की हैं. संगीत के अलावा वह भरतनाट्यम, सालसा, हिपहौप नृत्य में भी पारंगत है. उसने कई फिल्मों में अभिनय भी किया है. उनके पिता का नाम शक्ति ठाकुर है, जो खुद बंगाल के एक गायक हैं. उनकी बहन मेहुली भी एक गायिका है. मोनाली ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा पंडित जगदीश प्रसाद और अजय चक्रवर्ती से ली है. उन्होंने 5 साल की उम्र में मंच पर प्रस्तुती दी है. मोनाली एकल संगीत को बढ़ावा देना चाहती हैं, जिसमें एल्बम खास है, ताकि सभी गायकों को अपनी कला को लोगों तक पहुंचाने का मौका मिले. इस समय मोनाली कलर्स टीवी पर ‘राइजिंग स्टार 2’ की जज बनी हैं. चुलबुली और हंसमुख मोनाली से बात करना रोचक था. पेश है अंश.

आपको सिंगिंग या एक्टिंग क्या पसंद है?

मुझे दोनों ही पसंद है. दोनों को मैं साथ-साथ करना चाहती हूं. गायिकी ने मुझे एक्टिंग में सहायता की है और एक्टिंग की वजह से मेरा सिंगिंग सफल हुआ है. इसके अलावा डांसिंग ने भी मुझे आगे आने में काफी मदद की है. किसी भी एक्सप्रेशन को करने में मुझे अच्छा लगता है, मैं उसे एन्जाय करती हूं.

इंडस्ट्री में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

मां और पिता दोनों की तरफ से कला का माहौल था और मैंने बचपन वही देखा है, इसलिए उससे अधिक कुछ और सोच नहीं सकती थी, पर मैं इस क्षेत्र में आउंगी, किसी ने सोचा नहीं था, क्योंकि मैं बचपन से टौमब्वाय के जैसी थी. मेरी बहन बहुत अच्छी सिंगर है, उसपर सबका ध्यान था. धीरे-धीरे बड़ी होने पर जब मैंने कुछ अच्छे गायकों के गीत को सुना, तो मुझमें भी इस क्षेत्र में आने की इच्छा पैदा हुई.

मुझे याद आता है कि एच एम् वी का पहला गाना मैंने 5 साल की उम्र में गाया था, क्योंकि मुझे गाना गाने के बाद एक पका आम खाने के लिए मिलने वाला था. मैं खुश हुई और तुरंत गाने के लिए राजी हो गयी थी.

आप एक रियलिटी शो की प्रतिभागी रही हैं, पहले और आज की प्रतियोगी में कितना अंतर पाती हैं?

आज के बच्चों में आत्मविश्वास बहुत अच्छा है. मुझमे तो था ही नहीं, मैंने तो कांपते हुए स्टेज पर गाया था. आजकल सारी जानकारी डिजिटल पर आ जाती है, ऐसे में वे काफी प्रतिभाशाली और स्ट्रोंग बन चुके हैं.

कोलकाता से मुंबई आना और अपने को स्थापित करने में आपने कितना संघर्ष किया?

संघर्ष बहुत था, अगर आपकी पहचान इंडस्ट्री के किसी से न हो तो ढूंढना पड़ता है और उसे मिलने में समय लगता है, पर मिलता अवश्य है. मैं अभी भी अपने काम से संतुष्ट नहीं हूं. मेरा कैरियर अभी सिर्फ शुरू हुआ है, काफी काम बाकी है. हालांकि मैंने बहुत कम गाने गाये हैं और सेलेक्टिव ही गाये हैं, पर कई पुरस्कार मिले, जिससे मैं बहुत खुश हूं.

क्या आगे कुछ खास करना चाहती हैं?

मैं और मेरी बहन मिलकर मेरे पिता के गीत को गाकर उन्हें ट्रिब्यूट देना चाहते हैं. अभी तो मैं अपने माता-पिता को मुंबई लाकर रखना चाहती हूं. इसके बाद वह करुंगी. इसके अलावा कुछ फिल्मी गाने और एल्बम पर काम कर रही हूं.

 आपके काम में आपके परिवार का कितना सहयोग रहा और कैसे?

उनकी वजह से ही मैं यहां पर हूं. वे मेरे सबसे अच्छे पेरेंट्स हैं. उन्होंने मुझपर भरोसा किया और मुझे हर तरह से सहयोग दिया. मैंने अकेले रहकर संघर्ष कर सब सीखा है और ये उनके सपोर्ट के बिना संभव नहीं था.

आउटसाइडर को किस तरह की समस्या अधिक आती है? संगीत में बदलाव को कैसे देखती हैं?

ये सही है कि यहां अलग-अलग खेमे है, लेकिन उससे मैं अपने आप को नहीं जोडती. मैं भारतीय संगीत को कमर्शियल तरीके से सबके सामने लाना चाहती हूं और ये मैं इंडिपेंडेंट संगीत के रूप में करना चाहती हूं. इंडिपेंडेंट म्यूजिक ही असल में सही संगीत है, जो पूरे विश्व में फैला है, लेकिन हमारे यहां फिल्मी संगीत को प्रमुख माना जाता है. भारतीय संगीत की राग बहुत मधुर है. विदेश में लोग इसे बहुत पसंद करते हैं, लेकिन ‘इको सिस्टम’ यहां का बहुत खराब है. जिससे हम विदेशी संगीतकारों के साथ जुड़ नहीं पाते, कानूनी रूप से कई बाधाएं आती है. कला को फैलाने में सिस्टम हमेशा आड़े आता है. उम्मीद है डिजिटल प्लेटफार्म इसे बदलेगी और एकल संगीत को मुकाम मिलेगा.

जब आप गाना और एक्टिंग नहीं करती तो क्या करना पसंद करती हैं?

मैं शहर से बाहर घूमने निकल जाती हूं. देश-विदेश में घूमना मुझे बहुत पसंद है.

क्या कोई ड्रीम प्रोजेक्ट है?

मैं बंगाल की तैराकी ‘कोनी’ पर हिंदी में बनी बायोपिक में काम करना चाहती हूं.

आप के सपनों का राजकुमार कैसा हो? रिलेशनशिप में रहने को आप कैसा समझती हैं?

वह मैंने सोचा नहीं है, अभी मैं सिंगल हूं. मेरे हिसाब से अगर दो लोग प्यार से साथ में रहे तो कोई गलत बात नहीं. शादी केवल एक ‘सिग्नेचर’ है, जिसे किये बिना भी लोग खुश रह सकते हैं. शादी कर इतने सारे पैसे खर्च करने के बाद अगर वह टूट जाय, तो इसका कोई अर्थ नहीं बनता.

आपके मन में शादी को लेकर ऐसे विचार क्यों हैं?

मैं दिल से बहुत रोमांटिक हूं. मेरे माता-पिता का और मेरी बहन की मैरिज लाइफ मेरे लिए आदर्श है, लेकिन ट्रेवल करते हुए मैंने देखा है कि शादी बिना किये भी लोग सालों खुश रहते हैं. 60 साल से वे कपल बिना शादी किये साथ हैं. वही प्यार है, जिसमें आप एक दूसरे के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं, जिसकी तलाश मुझे भी है.

जब करना पड़े टैटू को ‘कवरअप’

आज के दौर में युवाओं में टैटू बनवाने का शौक खास है. ये उनका स्टाइल स्टेटमेंट बन चुका है. हर स्टाइल पसंद यूथ शरीर पर टैटू अवश्य बनवाते हैं, उनका ये शौक बौलीवुड के सितारों को देखकर भी बढ़ा है. वैसे तो टैटू भारत के लिए नया नहीं है, पर समय के साथ-साथ उसमें परिवर्तन जरुर आया है. जिसमें खासकर टैटू का बदलना भी शामिल है.

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तकनीक के इस युग में आज के अधिकतर यूथ हर चीज को तुरंत करना पसंद करते हैं, प्यार, रिश्ता, उसकी गहराई को जताने में जितनी जल्दी वे डूब जाते हैं, उतनी ही जल्दी उसमें से निकल जाने में विश्वास रखते हैं. ऐसे में टैटू पर सबसे अधिक असर दिखाई पड़ता है, क्योंकि प्यार के इजहार के लिए वे अधिकतर टैटू का ही सहारा लेते हैं और जब प्यार टूटता है, टैटू को भी वे मिटा देना पसंद करते हैं. हालांकि ये करना आसान नहीं होता, लेकिन अगर अच्छे टैटू आर्टिस्ट मिले तो परिवर्तन करना मुश्किल भी नहीं होता.

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इस बारें में एलिएंस टैटू के टैटू आर्टिस्ट सनी भानुशाली कहते है कि टैटू का प्रचलन सालों से है पुराने जमाने में महिलाएं अपने पति का नाम और फूल पत्ती से टैटू बनवाती थीं. कुछ महिलाएं कम पढ़ी लिखी होने और कहीं खो जाने के डर से भी पति का नाम अपने हाथ पर लिखवाने के लिए टैटू यानि गोदना बनवाती थीं. उस समय टैटू का इतना मान नहीं था. इतना ही नहीं आज से 10 साल पहले भी टैटू बनाने वाले को ‘ड्रगिस्ट’ समझा जाता था, लेकिन आज मेरे यहां लड़के और लड़कियां बराबर की संख्या में टैटू बनाने का प्रशिक्षण लेने आते हैं, परिवार वाले भी उन्हें भेजते हैं और वे इसे कमाई का एक जरिया भी मान रहे हैं.

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आज की पीढ़ी टैटू को स्टाइल स्टेटमेंट मानने और फैशन में इसकी जगह देने की वजह से इसका बाजार बढ़ा है. लड़के हो या लड़कियां दोनों की संख्या समान होती है. टैटू बनवाकर वे अपने पार्टनर के प्रति प्यार का इजहार करते हैं, पर इसी प्यार में अगर दरार आती है तो वे इसे बदल देना उचित समझते हैं. हर सप्ताह करीब दो से तीन यूथ इसे बदलने आते हैं. ये वे युवा होते हैं, जिन्होंने अपने पार्टनर का नाम का टैटू पहले बनवाया है और जब पार्टनर अलग हो गया हो या उसकी शादी होने वाली हो, तो वे अधिकतर टैटू को जल्दी से बदल देना चाहते हैं. कई बार तो वे शादी के एक दिन पहले आकर भी टैटू को बदलवाते हैं. टैटू के बदलने में यह देखना जरुरी होता है कि जो भी डिजाईन उस समय बनायीं जाय, वह अर्थपूर्ण डिजाईन या चिह्न हो. जो सालों साल उन्हें अच्छा लगे.

अपने अनुभव के बारें में सनी हंसते हुए आगे बताते हैं कि एक लड़की मेरे पास सुहागरात के दिन टैटू बदलवाने आई थी, वह इतनी परेशान थी कि कैसे भी उसे टैटू मिटाना है, मुश्किल था, पर मैंने सही तरीके से टैटू को बदला. उसके हिसाब से अगर उसका पति इसे देख लेगा तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी. टैटू को बदलने में भी समय लगता है, क्योंकि उसे सही फोर्मेट में बिठाना पड़ता है, जिसके लिए पहले होमवर्क करना जरुरी होता है. इसे सूखने में 8 घंटे लगते है, मैंने किया ताकि उसका पारिवारिक जीवन सुखी हो. इस तरह मैं कई शादियों को टूटने से बचाता हूं.

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ब्रेक अप टैटू को कवर अप करने के तरीके निम्न है,

  • पहले से बनाये गए टैटू को कवरअप करने के लिए प्रेरणा वादी डिजाईन्स का अधिक सहारा लिया जाता है,
  • लोक साहित्य को लेकर उसमें भावनाओं को मिलाकर दूसरी डिजाईन बनाए जाने पर पुराना टैटू उसमें छिप जाता है और एक नया फ्रेश टैटू उभरकर सामने आता है,
  • ‘ब्लैक आउट टैटू’ जिसे ‘डार्क बौडी आर्ट’ भी कहा जाता है, आज का नया ट्रेंड है, जो अधिकतर पुराने टैटू को छिपाने में कारगर साबित होता है,

ये सही है कि टैटू को बदला जा सकता है, पर इसे करना मुश्किल और खर्चीला भी होता है, ऐसे में मैं प्यार करने या डेटिंग करने वाले यूथ जो मेरे पास आते हैं उनको अधिकतर उनके फीलिंग्स और यादों से जुड़े विषयों पर टैटू बनवाने की सलाह देता हूं, ताकि बाद में उन्हें किसी समस्या का सामना न करना पड़े. मसलन जैसे उनका सपना, उनकी खुशी, उनके साथ बिताएं कुछ यादगार पल आदि.

टैटू बदलना मुश्किल नहीं, पर कुछ बातें हमेशा ध्यान में रखना चाहिए

  • कवरअप केवल एक बार हो सकता है, इसलिए सोच समझकर करवाएं,
  • एक अच्छे टैटू आर्टिस्ट की तलाश करें, उसके काम के बारें में अच्छी खोजबीन करें,
  • वह क्या बनाने वाला है, उससे मिलकर देख लें,
  • हाईजीन को अच्छी तरह परख लें.

इस फिल्म में अनिल कपूर और सोनम कपूर साथ आएंगे नजर

सोनम कपूर और अनिल कपूर जल्द ही एक फिल्म में साथ नजर आने वाले हैं. फिल्म में सोनम और अनिल पिता और बेटी की भूमिका में नजर आएंगे. फिल्म का नाम होगा ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’. जी हां, विधु विनोद चोपड़ा की बहन शैली धार अपनी फिल्म के जरिए पिता और पुत्री की इस जोड़ी को लेकर आ रही हैं. खास बात ये है कि फिल्म का नाम है- एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा. फिल्म की शूटिंग 24 तारीख से शुरू कर दी गई है.

बता दें, इस अपकमिंग फिल्म का नाम अनिल कपूर की फिल्म ‘1942: लव स्टोरी’ के गाने ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ से लिया गया है. यह गाना अनिल कपूर और मनीषा कोइराला पर फिल्माया गया था. यह पहली बार होगा जब अनिल कपूर और सोनम कपूर साथ में स्क्रीन शेयर करेंगे. फिल्म में सोनम कपूर की मां और अनिल कपूर की बीवी का रोल टीवी एक्ट्रेस मधु मालती निभाएंगी.

 

रिपोर्ट्स के अनुसार सोनम कपूर फिल्म की टीम को अगले कुछ दिनों में ज्वौइन करेंगी. एक रिपोर्ट के अनुसार शैली ने कहा, ‘मैं हाल ही में अनिल कपूर से मिल कर आई हूं. वह बिलकुल बच्चे जैसे हैं. वह अपने रोल के लिए बहुत उत्सुक दिखाई दिए. फिल्म में उनका रोल ऐसा होगा जो स्क्रीन पर लंबे समय से नजर नहीं आया. फिल्म की शूटिंग उनके पटियाला के घर में होगी. फिल्म के लिए वह लोकेशन काफी रियल होगी. हम इसके लिए काफी एक्साइटेड हैं.’

फिल्म में जूही चावला भी होंगी जो कि फरवरी के पहले हफ्ते में फिल्म क्रू को ज्वौइन करेंगी. इसके अलावा फिल्म में राजकुमार राव भी होंगे जो फिल्म में सोनम कपूर के लवर का रोल प्ले करेंगें.

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