बौक्स औफिस पर ‘पैडमैन’ की कमाई से अक्षय को नहीं पड़ता कोई फर्क

संजय लीला भंसाली की फिल्‍म ‘पद्मावत’ 25 जनवरी को रिलीज होगी. इस फिल्‍म की रिलीज डेट ने कई फिल्‍मों का गणित बिगाड़ दिया है. ‘पद्मावत’ की रिलीज डेट के सामने आने के बाद से ही कई निर्देशक डरे हुए हैं. ‘पद्मावत’ से न भिड़ने का फैसला लेते हुए एक के बाद एक कई फिल्में अपनी रिलीज डेट बदल रही हैं.

मालूम हो कि मनोज बाजपेयी और सिद्धार्थ मल्‍होत्रा की फिल्‍म पहले ही अपनी रिलीज डेट आगे बढ़ा चुकी हैं. पहले ‘अय्यारी’ ने अपनी रिलीज डेट बढ़ाई. जिसके बाद से अब तक ‘परी’, ‘हेट स्‍टोरी 4’ और ‘वीरे दी वेडिंग’ जैसी कई फिल्‍मों की रिलीज डेट बदली जा चुकी है. लेकिन ऐसे में अक्षय कुमार की फिल्म ‘पैडमेन’ की रिलीज डेट को बाकि फिल्मों की तरह आगे नहीं बढ़ाया गया है.

बौक्‍स औफिस पर ‘पद्मावत’ से भिड़ रही ‘पैडमेन’ को लेकर अक्षय कुमार का कहना है कि उनकी फिल्म अपने निश्चित समय पर ही रिलीज होगी. फिल्म ‘पैडमैन’ बौक्स-औफिस पर कितना कमाई करती है, ये उनके लिए मायने नहीं रखता.

अक्षय ने हाल ही में सोनम कपूर और आर बाल्की के साथ एक कार्यक्रम के दौरान ‘पैडमैन’ के गीत ‘साले सपने’ लौन्च किया था. इस कार्यक्रम में यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इसकी चिंता है कि ‘पैडमैन’ बौक्स औफिस पर कितनी कमाई करेगी ? इस सवाल पर अक्षय ने कहा, ‘मैं इस बारे में नहीं सोच रहा कि यह फिल्म बौक्स औफिस पर कितनी कमाई करेगी. यह मेरे लिए मायने नहीं रखता.’

अक्षय ने कहा, ‘मेरे लिए सबसे बड़ी बात वह थी जब मैंने 3-4 युवाओं को मेरी वैनिटी वैन के बाहर मासिक धर्म के मुद्दे पर चर्चा करते देखा. मुझे लगता है कि यह इस फिल्म की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि 3-4 पुरुष मासिक धर्म के मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं.’ उन्‍होंने आगे कहा, ‘मेरे लिए यह सोचना जरूरी नहीं कि यह फिल्म कितना कारोबार करेगी लेकिन हर सुबह, जब मैं अपने सोशल मीडिया पर नजर डालता हूं तो मैं देखता हूं कि लोग सैनिटरी पैड और मासिक धर्म के बारे में खुल कर चर्चा कर रहे हैं और मुझे लगता है कि यह मेरी फिल्म की सबसे बड़ी उपलब्धी है.

‘पैडमेन’ का निर्देशन डायरेक्‍टर आर बाल्‍की ने किया है. इस फिल्‍म में अक्षय कुमार के साथ सोनम कपूर और राधिका आप्‍टे नजर आएंगी. यह फिल्म 25 जनवरी को रिलीज होगी.

मराठी फिल्म रिव्यू : ये रे ये रे पैसा

पैसा और चोरी जैसी विषयों पर आधारित फिल्में मराठी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत कम ही देखने को मिलती है और अब तक जो बनी है वो ज्यादा लोकप्रिय भी नहीं हुई. इनकी तुलना में इस विषय पर आधारित फिल्म ‘ये रे ये रे पैसा’ दर्शकों का मनोरंजन करने में कुछ हद तक सफल साबित हुई है.

फिल्म की कहानी आदित्य (उमेश कामत), बबली (तेजस्विनी पंडित) और सनी (सिद्धार्थ जाधव) के इर्द-गिर्द घुमती है. अण्णा (संजय नार्वेकर) बैंक में वसूली एजेंट का काम करता है, जो एक व्यक्ति से वसूल किये गये 20 करोड़ रुपयों में से 10 करोड के साथ अपनी फियाट गाडी एक होटेल के कंपाऊंड में पार्क करता है.

बाकी 10 करोड़ रुपये लेकर टैक्सी से घर जा रहा होता है, तभी रास्ते में आदित्य और उसके दोस्त अण्णा की टैक्सी रोककर उसका प्रैंक वीडियो शूट करने लगते है. मौके का फायदा उठाकर आदित्य का दोस्त अण्णा के 10 करोड रूपयों का बैग लेकर भाग जाता है. उसके बाद अण्णा आदित्य को पैसे लौटाने के लिए धमकाने लगता है.

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इधर, चौकीदारों की मदद से होटल में पार्क की गई गाड़ियां लेकर सनी अक्सर अपनी गर्लफ्रेंड बबली को घुमाने ले जाता है. इसी तरह एक दिन उसे अण्णा की पार्क की गई फियाट गाड़ी मिल जाती है. अभिनेत्री बनने का सपना देखने वाली बबली गाड़ी को फिल्म की शूटिंग के लिए ले जाती है. वहां शूटिंग के एक दृश्य में गाड़ी को बम लगाकर उड़ाया जाता है, जिसमें रखा 10 करोड़ रुपया जलकर खाक हो जाता है. यह बात जब अण्णा को पता चलती है तो वह सनी और बबली को भी पैसे वापस करने के लिए धमकाने लगता है.

इसी बीच विदर्भ के मजुमदार राजघराने के 50 करोड़ रुपये के हीरों को सरकारी तिजोरी में जमा करने का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. यह खबर जब सनी, बबली और आदित्य को पता चलती है तो तीनों हीरों की चोरी करके अण्णा का पैसा वापस करने की योजना बनाते हैं. इसके बाद उस कार्यक्रम में क्या घटता है? हीरे किसके हाथ लगते है? ये सब जानने के लिए आपको एक बार फिल्म देखनी होगी.

फिल्म के सभी कलाकार अनुभवी होने के कारण बेहतरीन अभिनय की अपेक्षा रखना जायज है, जो पूरी भी होती है. कुछ संवाद हास्यास्पद जरूर है, लेकिन दर्शकों को हंसी से लोटपोट करने में असफल साबित होते है. सभी पात्र मराठी होने के बावजूद बीच-बीच में हिंदी संवाद बेवजह लगते है. फिल्म की गति अच्छी है, लेकिन गाने और संगीत लाउड होने के कारण कानों में चुभते है. फिल्म के अन्दर शोर-शराबा और चोरी की घटना में हेर-फेर देखकर लगता है कि निर्देशक कोई धमाका करना चाहते है, जिसमें वो पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए है.

कथा और निर्देशक- संजय जाधव

संवाद- अरविन्द जगताप

कलाकार- उमेश कामत, सिद्धार्थ जाधव, संजय नार्वेकर एवं तेजस्विनी पंडित.

मराठी फिल्म रिव्यू : डॉ. तात्या लहान

फिल्म जितना मनोरंजन का साधन होती है, उतना ही सामाजिक मुद्दों को उजागर करने का माध्यम भी होती है. इसलिए कुछ फिल्में केवल आर्थिक फायदे के लिए नहीं बनाई जाती है, बल्कि सामाजिक भावनाओं से प्रेरित होती है. उन्हीं में से एक फिल्म है ‘डॉ. तात्या लहाने, अंगार- द पावर इज विदीन’.

यह फिल्म प्रसिद्ध नेत्रतज्ञ डॉ. तात्याराव लहाने के जीवन पर आधारित है. तात्या लहाने गरीब घर में पैदा हुए एक होनहार बालक थे. उन्होंने मेहनत से पैसे कमाकर अपनी पढाई पूरी की और एक दिन वो नेत्रतज्ञ डॉ. तात्या लहाने बनें. उन्होंने एक छोटे से दवाखाने से शुरुआत की और गांव-गांव में घूम कर लोगों की आंखों की जांच के लिए कैंप लगाना शुरू किया, जिसके जरिये वो आंखों की बीमारी और शस्त्रक्रिया के बारे में लोगों को जागरूक करते थे. उनकी दोनों किडनी खराब हो चुकी थी और वो मरने के कगार पर थे; यह जानकर उन्हें बहुत दुख हुआ. बेटे की लम्बी आयु और उसके सपने पूरे करने के लिए उनकी मां ने अपनी एक किडनी दान दी.

एक लाख से अधिक लोगों के मोतियाबिंद की सर्जरी करने का विश्व रिकौर्ड डॉ. तात्या लहाने के नाम दर्ज है. उनकी इस कार्य निष्ठा के कारण ही वो मुंबई के जे.जे. हौस्पिटल में अधिष्ठाता के पद पर कार्यरत हुए, परन्तु उसके बाद भी उनके जीवन में आने वाली अडचनें और कष्ट खत्म नहीं हुए. हौस्पिटल में एक सफाई कर्मचारी ने डॉ. लहाने पर जाति के नाम पर भेदभाव का झूठा आरोप लगाया और उन पर अट्रोसिटी का गुनाह दर्ज हुआ. लेकिन उन्होंने सभी न्यायालयिन प्रक्रिया का सामना किया और अंत में निर्दोष साबित हुए.

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परभनी जिले के एक गांव में सरकारी डौक्टर की गलती से कई लोगों की आंखें चली गई थी, जिसमें से कुछ लोगों की आंखों की रौशनी डॉ. लहाने लौटाते है. चिकित्सा क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए २००८ में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उनके इस चिकित्सीय सफ़र में उनकी सहकर्मी डॉ. रागिनी पारेख ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उन्होंने अपना निजी दवाखाना बंद कर सभी उपकरण जे.जे. हौस्पिटल को दान करके डॉ. लहाने के साथ काम शुरू किया. उनका यह महान कार्य आज भी जारी है.

डॉ. लहाने का सम्पूर्ण जीवन ही इस फिल्म की कहानी है, जिसमें कहीं भी नाटकीयता नहीं है. फिल्म के सभी पात्र और प्रसंग सच्चे है. सिनेमेटिक लिबर्टी के नाम पर निर्देशक कुछ नाटकीय और काल्पनिक दृश्य ला सकते थे जो नहीं किया गया है. बावजूद इसके फिल्म सफल साबित होती है. माधवराज दातार के कैमरे ने उन दृश्यों को बड़ी कुशलता से कैप्चर किया है जो आंखों को समाधान देते है. अभिनेता मकरंद अनासपुरे डॉ. लहाने और अभिनेत्री निशिगंधा वाड डॉ. रागिनी पारेख की भूमिका में अच्छी है. लम्बे अर्से बाद परदे पर दिखी अभिनेत्री अलका कुबल ने डॉ. लहाने की मां की भूमिका में अपनी एक्टिंग की छाप छोड़ी है. पूरी फिल्म को देखते हुए इसकी कहानी आज की पीढ़ी के लिए एक सकारात्मक दृष्टि देने वाली है.

निर्माता-निर्देशक व लेखक – विराग वानखड़े

कलाकार- मकरंद अनासपुरे, निशिगंधा वाड एवं अलका कुबल.

डार्क सर्कल्स से छुटकारा पाना चाहती हैं, तो यह जानकारी आप के लिए ही है

आंखों के चारों ओर काले घेरे हो जाने पर आप की खूबसूरती कम होने लगती है और आप थकीथकी सी दिखने लगती हैं. भरपूर नींद न लेना, हारमोंस में बदलाव, तनाव, जंक फूड का ज्यादा सेवन आदि के कारण आंखों के चारों ओर काले घेरे होने लगते हैं.

यदि समय रहते इन्हें दूर करने का प्रयास न किया जाए तो ये परमानैंट हो जाते हैं. आइए, जानते हैं सर्कल्स की समस्या को दूर करने के कुछ उपाय:

खुद को रखें हाइड्रेटेड

शरीर से विषाक्त पदार्थों का निकलना बहुत जरूरी होता है और ऐसा तभी हो सकता है जब आप नियमित रूप से भरपूर मात्रा मेंपानी का सेवन करेंगी. अत: रोज कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीएं.

संतुलित आहार का सेवन करें

जंक फूड के सेवन से बचें. इस में कई ऐसे तत्त्व होते हैं, जिन से त्वचा में सूजन हो सकती है. इस के कारण डार्क सर्कल्स की समस्या होती है. अत: मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करें, सलाद खाएं, नीबू, कीवी जैसे खट्टे फलों का सेवन करें. इन में पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी होता है, जिस से डार्क सर्कल्स की समस्या दूर होती है.

पर्याप्त नींद लें

कम से कम 6-7 घंटे गहरी नींद जरूर सोएं.

तनाव के स्तर को कम करें

आधुनिक जीवन तनाव से भरा है. व्यायाम के माध्यम से आप अपने तनाव का स्तर कम कर सकती हैं. अपनी नसों को आराम दें और ऐंडोर्फिन के प्रवाह को कम करें. ऐसा करने पर आप की त्वचा में चमक आ जाएगी और डार्क सर्कल्स दूर हो जाएंगे.

त्वचा की देखभाल करें

यदि आप डार्क सर्कल्स की समस्या को दूर करना चाहती हैं, तो अपनी त्वचा के अनुरूप ही उस का ध्यान रखें, तभी आप की त्वचा स्वस्थ और मुलायम रहेगी. आंखों का मेकअप हटाने के बाद उन की चारों तरफ बादाम के तेल या विटामिन ई युक्त क्रीम अथवा सीरम से मसाज करें. धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन क्रीम का प्रयोग जरूर कर लें.

शराब के सेवन से बचें

धूम्रपान और शराब त्वचा के लिए नुकसानदेह है. अत: इन से परहेज करें.

हलकी क्रीम का प्रयोग करें

ऐलर्जी के कारण भी डार्क सर्कल्स की समस्या हो सकती है. अत: ऐलर्जी की जांच कराएं. ऐंटीहिस्टामाइन लें. यह डार्क सर्कल्स की समस्या दूर करने में मदद करता है. रेटिनोल क्रीम के नियमित प्रयोग से भी डार्क सर्कल्स की समस्या दूर होती है.

ठंडे टी बैग का प्रयोग करें

दूसरा आसान घरेलू उपचार है ठंडे टी बैग का प्रयोग करना. ग्रीन टी के बैग को ठंडे पानी में डुबो कर कुछ देर के लिए रैफ्रिजरेटर में रखें. फिर निकाल कर आंखों पर रखें. नियमित प्रयोग से आराम मिलेगा.

ककड़ी/आलू/टमाटर का रस लगाएं

कुछ घरेलू उपचार भी इस समस्या को दूर करने में आप की मदद कर सकते हैं. खीरा, टमाटर, आलू, डार्क सर्कल्स की समस्या दूर करने में बहुत ही प्रभावी साबित हो सकते हैं, क्योंकि इन में त्वचा को चमकदार बनाने वाले तत्त्व पाए जाते हैं. इन का 1 चम्मच रस निकाल कर आंखों के चारों तरफ लगाएं. 10 मिनट लगा रहने के बाद चेहरे को ठंडे पानी से धो लें. ऐसा उपचार दिन में 2 बार करें. डार्क सर्कल्स की समस्या कम हो जाएगी.

लेकिन अगर इन सब तरीकों को अपनाने के बाद भी आप को कोई फायदा नहीं हुआ है तो लेजर विधि से उपचार करा सकती हैं. इस तरीके से आंखों के डार्क सर्कल्स दूर हो जाएंगे और त्वचा में कसाव आने के साथसाथ त्वचा मुलायम भी हो जाएगी.

 डा. प्रभू मिश्रा, सीईओ, स्टेमजेन

सर्दी भगाएं गाजर गोभी के व्यंजन

गोभी अप्पम

सामग्री

1/4 कप गोभी कद्दूकस की

1/2 कप प्याज बारीक कटा

2 हरीमिर्चें बारीक कटी

1/4 कप लाल, पीली व हरी शिमलामिर्च बारीक कटी

1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

1 कप रैडीमेड डोसा पाउडर

1 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल

नमक स्वादानुसार.

विधि

रैडीमेड डोसा मिक्स पाउडर में थोड़ा पानी डाल कर गाढ़ा घोल तैयार करें. इस में सारी सब्जियां व नमक डालें. अप्पम बनाने वाले बरतन के खांचों को चिकना करें. फिर उन में थोड़ाथोड़ा घोल डालें और मीडियम आंच पर थोड़ा तेल डाल कर उलटपलट कर सेंकें. बढि़या गोभी अप्पम तैयार है.

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कैरट सौते

सामग्री

500 ग्राम मीडियम आकार की गाजरें द्य 1 बड़ा चम्मच कसूरी मेथी

1/4 छोटा चम्मच हींग पाउडर द्य 2 बड़े चम्मच रिफाइंड औयल

चाट मसाला व नमक स्वादानुसार.

विधि

गाजरों को छील व धो कर 2 इंच लंबे टुकड़ों में फिंगर चिप्स की तरह काट लें. एक नौनस्टिक पैन में तेल गरम कर के हींग का तड़का लगाएं और फिर गाजर डाल कर सौते करें. 6-7 मिनट तक सौते कर कसूरी मेथी बुरकें. फिर चाटमसाला और नमक डालें. चटनी या डिप के साथ सर्व करें.

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वैज गोल्ड कौइन

सामग्री

1 पैकेट नमकीन बिस्कुट

1 कप फूलगोभी कद्दूकस की

1/4 कप आलू उबले व मैश किए

1 छोटा चम्मच अदरक व हरीमिर्च बारीक कटी

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

1/2 छोटा चम्मच जीरा

1 बड़ा चम्मच प्याज बारीक कटा

2 कलियां लहसुन कटा

1 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल

1/4 कप तिल

1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

कौइन सेंकने के लिए रिफाइंड औयल

मिर्च, चाट मसाला व नमक स्वादानुसार.

विधि

एक नौनस्टिक पैन में तेल गरम कर के जीरा चटकाएं. फिर प्याज, लहसुन व अदरक भूनें. हलदी पाउडर व फूलगोभी डालें. 5 मिनट उलटतेपलटते हुए मीडियम आंच पर पकाएं. अब इस में आलू, नमक, मिर्च, चाटमसाला और धनियापत्ती डालें. मिश्रण गीला नहीं रहना चाहिए. एक प्लेट में तिल रखें. 2 बिस्कुटों के बीच में मिश्रण रखें और तिल से रोल कर के डीप फ्राई कर लें.

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फूलगोभी के नरगिसी कोफ्ते

सामग्री

1 कप फूलगोभी कद्दूकस की

1/2 कप पनीर

1 बड़ा चम्मच काजू पाउड

1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी

1/2 छोटा चम्मच चना मसाला

4 बड़े चम्मच मोटा बेसन

कबाब सेंकने के लिए मस्टर्ड औयल

1 बड़ा चम्मच अदरक व लहसुन पेस्ट

नमक स्वादानुसार.

सामग्री भरावन की

1 बड़ा चम्मच अदरक व हरीमिर्च बारीक कटी द्य 1/2 छोटा चम्मच मोटी इलायची का चूर्ण

1 बड़ा चम्मच दरदरे कुटे काजू द्य 1/2 कप प्याज लंबाई में कटा द्य 1/4 कप प्याज का पेस्ट

1 छोटा चम्मच हलदी पाउडर द्य 2 छोटे चम्मच धनिया पाउडर  द्य 1 छोटा चम्मच कश्मीरी मिर्च पाउडर

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर द्य 1/2 छोटा चम्मच गरममसाला पाउडर द्य 1 बड़ा चम्मच धनियापत्ती कटी सजावट के लिए द्य 2 बड़े चम्मच मस्टर्ड औयल

नमक स्वादानुसार.

विधि

फूलगोभी में पनीर, काजू पाउडर, बेसन आदि सारी सामग्री मिलाएं. अदरक व हरीमिर्च वाली भरावन सामग्री तैयार करें. नीबू के बराबर के छोटेछोटे गोले बनाएं और बीच में अदरक व हरीमिर्च वाली भरावन भरें. प्रत्येक कोफ्ते को गरम तेल में सुनहरा तल लें. एक नौनस्टिक कड़ाही में पुन: तेल गरम कर प्याज को पारदर्शी होने तक भूनें. इस में प्याज व अदरकलहसुन का पेस्ट और सूखे मसाले डाल कर भूनें. सभी कोफ्ते डाल दें. 2 बड़े चम्मच पानी डाल कर धीमी आंच पर उलटपलट कर पकाएं, जब मसाला कोफ्तों पर अच्छी तरह लिपट जाए तब धनियापत्ती डाल कर सर्व करें.

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गाजर आंवला स्टफ्ड परांठा

सामग्री

2 कप आटा

2 बड़े चम्मच घी मोयन के लिए

आटा गूंधने के लिए कुनकुना पानी

नमक स्वादानुसार.

सामग्री भरावन की

2 कप कद्दूकस की गाजर द्य 3 बड़े चम्मच बेसन

2 आंवले कद्दूकस किए द्य 1/2 छोटा चम्मच सौंफ पाउडर

1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर द्य 2 बड़े चम्मच धनियापत्ती कटी

2 हरीमिर्चें कटी द्य परांठे सेंकने के लिए रिफाइंड औयल

लालमिर्च व नमक स्वादानुसार.

विधि

गाजर को अच्छी तरह निचोड़ लें. इस पानी को आटा गूंधने के काम ला सकती हैं. बेसन को तवे पर सूखा भून गाजर में मिलाएं. फिर बाकी सारी सामग्री मिला दें. आटे में घी व नमक डाल कर कुनकुने पानी से गूंध कर 20 मिनट रखें. अब नीबू से बड़े आकार की लोइयां बना कर थोड़ा बेल कर बीच में भरावन भर कर बंद करें और पुन: बेलें. फिर गरम तवे पर मीडियम आंच पर तेल लगा कर करारा सेंकें. परांठों को दही या चटनी के साथ सर्व करें.

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शाही फूलगोभी

सामग्री

500 ग्राम फूलगोभी के मीडियम आकार में कटे टुकड़े द्य 1/2 कप हरे मटर के दाने द्य 1/2 कप प्याज लंबाई में कटा द्य 1/4 कप प्याज का पेस्ट

1/2 कप टमाटर का पल्प

2 बड़े चम्मच दही फेंटा हुआ

1 बड़ा चम्मच अदरक व लहसुन का पेस्ट 1/2 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

1/4 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

1 छोटा चम्मच कश्मीरी मिर्च पाउडर

8 काजू

2 बड़े चम्मच देशी घी

1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

1/2 छोटा चम्मच गरममसाला

1 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल

थोड़ी सी धनियापत्ती सजावट के लिए द्य नमक स्वादानुसार.

विधि

उबलते पानी में गोभी के टुकड़ों को लगभग 7 मिनट रखें. फिर पानी से निकाल लें. मटर भी उबाल लें. काजू को 2 मिनट उबलते पानी में रखें. फिर निकाल कर दही के साथ मिक्सी में पेस्ट बना लें. गोभी के टुकड़ों को एक बड़े चम्मच देशी घी में सौते करें. अब एक नौनस्टिक कड़ाही में बचा घी व तेल डालें. प्याज पारदर्शी होने तक भूनें. फिर प्याज, अदरक व लहसुन पेस्ट भूनें. उस के बाद काजू वाला पेस्ट व टोमैटो प्यूरी डालें. जब मिश्रण गाढ़ा हो जाए तब सूखे मसाले, गोभी व मटर डाल दें. 1/2 कप गरम पानी व नमक डाल कर करीब 3 मिनट पकाएं. ऊपर धनियापत्ती बुरकें. शाही फूलगोभी तैयार है.

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स्पाइसी गोभी इन ग्रीन करी

सामग्री

2 कप फूलगोभी के टुकड़े द्य 1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

1 कप धनियापत्ती द्य 10-12 पालक के पत्ते द्य 2 हरीमिर्चें

1 इंच अदरक टुकड़ा द्य 1/2 छोटे चम्मच कलौंजी द्य 4 कलियां लहसुन

4 जवे 3 बड़े चम्मच रिफाइंड औयल द्य नमक स्वादानुसार.

विधि

फूलगोभी के टुकड़ों को उबलते पानी में 2 मिनट के लिए डालें. फिर पानी से निकाल कर 1 चम्मच तेल में हलदी डाल कर सौते करें. धनियापत्ती, पालक, हरीमिर्च, लहसुन और अदरक के साथ मोटामोटा पीस लें. तेल गरम कर के हरा मसाला भूनें. इस में फूलगोभी के टुकड़े डालें और मसाला जब अच्छी तरह फूलगोभी में लिपट जाए तो समझें स्पाइसी गोभी तैयार है.

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गाजर का कलाकंद

सामग्री

200 ग्राम गाजर कद्दूकस की द्य 1/2 लिटर फुलक्रीम मिल्क

2 बड़े चम्मच खट्टा दही द्य 2 छोटे चम्मच कौर्नफ्लोर द्य 1 कप मिल्क पाउडर द्य 1/2 चम्मच छोटी इलायची चूर्ण द्य 1 बड़ा चम्मच चीनी

1 बड़ा चम्मच घी द्य 1 बड़ा चम्मच बादाम व पिस्ता कटा.

विधि

गाजर को हाथ से कस कर निचोड़ लें और फिर 1 छोटे चम्मच घी में नौनस्टिक पैन में भून लें ताकि वह मुलायम हो जाए. एक नौनस्टिक कड़ाही में दूध को धीमी आंच पर 10 मिनट तक उबलने दें. कौर्नफ्लोर को 1 बड़े चम्मच पानी में घोल लें. अब दूध में 1 बड़ा चम्मच दही डालें. दूध में जब फुटकी बनने लगे तो कौर्नफ्लोर का थोड़ा सा घोल डाल दें, साथ ही गाजर व चीनी भी डाल दें. 5 मिनट बाद फिर बचा दही डालें और फिर कौर्नफ्लोर का बचा घोल. जब मिश्रण गाढ़ा होने लगे तब मिल्क पाउडर डालें. मिश्रण अच्छी तरह सूखने लगे तब बचा घी डाल कर 2 मिनट और भूनें. चिकनी ट्रे में मिश्रण पलटें. इलायची चूर्ण, बादाम व पिस्ता ऊपर बुरक दें. ठंडा होने पर इच्छानुसार टुकड़े काट लें.

– व्यंजन सहयोग: नीरा कुमार

अखिला से हादिया : अंगारों से शोलों तक

अखिला से हादिया बनी केरल की लड़की कुएं से निकल कर खाई में जा रही है. अदालत में अपनी आजादी की बात करने वाली हादिया धर्म की जकड़न में खुद ही फंसती नजर आ रही है. 27 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने हादिया को आगे की पढ़ाई करने की अनुमति देने का फैसला सुना कर एक तरह से उसे उस के मातापिता की कैद से आजादी दिला दी और शायद अगली सुनवाई तक अदालत उसे अपने मुसलिम पति के साथ रहने की आजादी भी दे दे पर जिस तरह की मजहबी मानसिकता और वेशभूषा में वह कोर्ट में दिखाई दे रही है, वह आजादी का नहीं, गुलामी का रास्ता है, रोशनी का नहीं, अंधेरे कैदखाने का रास्ता है. हैरत यह है कि वह इस के लिए उतावली है. एक धर्म बदल कर दूसरे धर्म में जाना और स्वतंत्रता की मांग करना हैरानी की बात है क्योंकि धर्म तो औरत का गुलाम बनाए रखते हैं.

अखिला नाम बदल कर हादिया बनी यह युवती हिंदू धर्म का पाखंडी दलदल छोड़ कर मुसलिम मुल्लेमौलवियों के रहमोकरम व फतवों की गुलामी की बेडि़यां धारण कर रही है. बुर्के में कैद हो कर आजादी मांग रही है, वाह हादिया!

कोट्टायम जिले के वैकुम में थिरुमनी वेंकितापुरम गांव के एक हिंदू परिवार में जन्मी 24 वर्षीय अखिला अपने मातापिता की इकलौती बेटी है. हादिया ने 12वीं तक पढ़ाई अपने घर पर रह कर की थी. बाद में उस ने तमिलनाडु के सलेम में शिवराज होम्योपैथी मैडिकल कालेज में दाखिला लिया.

सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ से रिटायर्ड के एम अशोकन ने जनवरी 2016 को बेटी अखिला के लापता होने का मामला दर्ज कराया था. अखिला अपनी 2 सहेलियां फसीना और जसीना के साथ रह रही थी. लापता होने के कुछ दिनों बाद अखिला अपने कालेज में हिजाब पहने नजर आई. उस के हिंदू दोस्तों ने उस के पिता अशोकन को सूचना दी. अशोकन उस के निवास पर पहुंचे तो वह गायब हो चुकी थी.

पिता अशोकन ने फसीना और जसीना के पिता अबूबकर के खिलाफ मामला दर्ज कराया कि उन्होंने बेटी को गायब करा दिया है. पुलिस ने अबूबकर को गिरफ्तार भी किया पर कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल सका और अखिला का पता नहीं लगाया जा सका.

बाद में अखिला के एक इसलामिक चैरिटेबल ट्रस्ट सत्य सरणी में रहने का पता चला. इस पर अशोकन ने केरल उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की. अशोकन ने आरोप लगाया कि उन की बेटी को धर्म परिवर्तन करा कर विदेश भेजने का षडयंत्र किया गया है और शादी के नाम पर उसे आतंकवादी संगठन आईएसआईएस में धकेला जा रहा है.

अखिला सत्य सरणी संस्था के राष्ट्रीय महिला मोरचा की अध्यक्ष ए एस जैनबा के पास रह रही थी. इस अवधि में उस ने अपना नाम हादिया कर लिया. केरल उच्च न्यायालय में पेश होने के दौरान हादिया के साथ जैनबा जाती थी. हादिया ने अदालत से कहा कि वह अपनी इच्छा से जैनबा के साथ रह रही है.

अगस्त 2016 में हाईकोर्ट में अशोकन ने दूसरी याचिका दायर की जिस में कहा कि उन की बेटी को भारत से बाहर ले जाया जा रहा है. हालांकि, हादिया ने इस से इनकार कर दिया था. उस ने कहा कि उस के पास पासपोर्ट ही नहीं है.

अगली सुनवाई पर वह अपने पति शफीन जहां के साथ अदालत में नजर आई. 9 दिसंबर, 2016 को अखिला ने शफीन जहां से मुसलिम धर्म के अनुसार शादी कर ली. शफीन जहां ने कहा कि पिछले अगस्त माह में एक मुसलिम विवाह वैबसाइट के जरिए हादिया से मुलाकात हुई थी. उस समय वह खाड़ी में काम करता था. नवंबर में जब वह छुट्टी पर घर आया तो अपने दोस्त के घर पर हादिया से मिला. वह उस की पृष्ठभूमि से परिचित था और मालूम था कि अदालत में उस को ले कर बंदी प्रत्यक्षीकरण मामला चल रहा है.

अखिला ने बाद में केरल हाईकोर्ट में कहा था कि उस का पढ़ाई के समय अपनी मुसलिम दोस्तों फसीना औैर जसीना के साथ रहते हुए उस का इसलाम धर्म की ओर झुकाव हो गया. दोनों मित्रों द्वारा समय से नमाज पढ़ने और उन के अच्छे चरित्र से वह प्रभावित थी. उस ने अदालत से यह भी कहा था कि इसलामिक पुस्तकें पढ़ने और वीडियो देखने के बाद उस ने इसलाम धर्म अपनाया. वह 3 वर्षों से इसलाम का अनुसरण कर रही थी पर उस के पिता अशोकन इसलामी तरीके से प्रार्थना करने पर उसे चेतावनी देते थे.

दोस्तों के साथ रहने के दौरान फसीना के पिता अबूबकर उसे मल्लापुरम जिले के पेसिंथलाण्णा में किम नामक धार्मिक संस्था में ले कर गए पर उसे वहां प्रवेश दिए जाने से इनकार कर दिया गया. बाद में अखिला कोझिकोड में एक इसलामिक सैंटर में गई. वहां उस से एक हलफनामा लिखवाने के बाद बाहरी उम्मीदवार के तौर पर भरती कर लिया गया. हलफनामे में लिखवाया गया कि वह अपनी मरजी से इसलाम धर्म स्वीकार कर रही है.

हादिया घर छोड़ने और इसलाम अपनाने के बाद जैनबा के साथ रहने लगी. जैनबा पीएफआई की राष्ट्रीय महिला विंग की अध्यक्ष थी. एनआईए का दावा है कि पौपुलर फ्रंट औफ इंडिया यानी पीएफआई एक इसलामिक संगठन है. पीएफआई और उस के साथी भारत में आतंकवादी वारदात करने की योजना बना रहे हैं.

शादी पर विवाद

हादिया के पति शफीन जहां पर आरोप था कि वह सोशल डैमोके्रटिक पार्टी औफ इंडिया यानी एसडीपीआई का सक्रिय सदस्य है. यह संगठन पीएफआई से संबद्ध बताया जाता है. एसडीपीआई पीएफआई का राजनीतिक मोरचा है और कहा जाता है कि वह हिंदू लड़कियों को फंसा पर आतंकवादी संगठन में भरती कराता है.

केरल हाईकोर्ट में हादिया ने यह भी कहा था कि उस ने एक मुसलिम विवाह वैबसाइट पर अपना विवाह प्रस्ताव डाला था. उसी के माध्यम से शफीन जहां का प्रस्ताव आया था. शफीन कोल्लम का रहने वाला ग्रेजुएट युवा है.

शादी से नाराज अखिला के पिता अशोकन ने इसे लव जिहाद बताया था. आतंकवाद के मामलों में जांच करने वाली प्रमुख एजेंसी राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए की मई 2017 में केरल उच्च न्यायालय में दी गई रिपोर्ट के आधार पर हादिया की शादी को रद्द कर दिया गया था. एनआईए द्वारा अदालत से कहा गया कि हादिया की शादी एक वैवाहिक वैबसाइट के जरिए तय की गई, वह गलत थी. असली मकसद शादी के नाम पर आतंकवादी संगठन के लिए सक्रिय सदस्यों की तलाश करना था और वह उस में फंस गई.

कोर्ट की टिप्पणी का विरोध

25 मई को केरल हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस निकाह को शून्य करार देते हुए हादिया को उस के हिंदू अभिभावकों की अभिरक्षा में देने का आदेश दिया था. जस्टिस सुरेंद्र मोहन और जस्टिस अब्राहम मैथ्यू ने टिप्पणी करते हुए आदेश दिया था कि 24 साल की युवती कमजोर और जल्द चपेट में आने वाली होती है और उस का कईर् तरीके से शोषण किया जा सकता है. शादी उस के जीवन का सब से अहम फैसला होता है, इसलिए वह सिर्फ अभिभावकों की सक्रिय संलिप्तता से ही लिया जा सकता है.

बाद में केरल हाईकोर्ट की इस विवादित टिप्पणी का विरोध हुआ और फैसला आने के बाद मुसलिम कट्टरपंथी संगठनों ने केरल हाईकोर्ट के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था.

इस फैसले पर हादिया ने कहा था कि वह 24 वर्षीया भारतीय है. पिछले कई महीनों से वह घर में गिरफ्तार है. अदालत ने उस की आस्था और पसंद के अनुसार जीने के अधिकार को क्यों अस्वीकार कर दिया? हादिया ने अदालत से यह भी कहा था कि शिव शक्ति योग केंद्र के कार्यकर्ताओं ने उसे प्रताडि़त किया और वे उस का वापस हिंदू धर्म में परिवर्तन कराना चाहते थे. उस के पिता अशोकन ने उन लोगों से ऐसा करने का अनुरोध किया था.

शिव शक्ति योग केंद्र हिंदू लड़कियों द्वारा मुसलिम युवकों से शादी कर लेने के बाद उन्हें वापस हिंदू धर्र्म में लाने के लिए केरल में बदनाम है. इस संगठन ने केरल में ऐसे कई मामलों को अपने हाथ में लिया है.

बाद में हादिया के पति शफीन ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि हाईकोर्ट ने बिना किसी कानूनी अधिकार के निकाह को शून्य करार दिया है. याचिका में कहा गया था कि यह फैसला आजाद देश की महिलाओं का असम्मान करता है क्योंकि इस ने महिलाओं के बारे में सोचविचार करने के अधिकार को छीन लिया है और यह उन्हें कमजोर करने व उन के खुद के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए.

हादिया ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उसे आजादी चाहिए. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हादिया के पिता से उसे कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने बताया था कि वह हादिया की मानसिक स्थिति के बारे में जानना चाहता है.

उधर, उस के पिता अशोकन ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में आरोप लगाया कि हादिया का कथित पति शफीन कट्टर दिमाग का है और उस के आतंकवादी संगठन से रिश्ते हैं. अशोकन ने आरोप लगाया कि शफीन जहां मानसी बुराक का दोस्त है जिस के खिलाफ आतंकवादियों से संबंध होने के मामले में एनआईए ने चार्जशीट दाखिल की है. बहुत सारे फेसबुक पोस्ट इस के सुबूत हैं कि मानसी बुराक की कट्टर सोच पर याचिकाकर्ता ने खुशी जताई थी. इस के अलावा वह लगातार फेसबुक पर बुराक से बातचीत करता था.

सुप्रीम कोर्ट और हादिया

27 नवंबर को सुप्रीम कोर्र्ट ने हादिया से बातचीत शुरू की. सवाल किया कि आप ने किस स्कूल से पढ़ाई की? आप ने डाक्टरी पेशे को कैसे चुना? क्या आप दूसरों को दवा भी देती हैं? आप की भविष्य की क्या योजना है?

हादिया ने कहा कि उसे 11 महीनों से मातापिता की गैरकानूनी हिरासत में रखा गया है. उस ने बीएचएमएस किया है पर वह इंटर्नशिप नहीं कर पाई. वह इसे पूरा करना चाहती है. कोर्ट ने पूछा कि अगर सरकार खर्चा दे तो क्या वह पढ़ाई जारी रखना चाहती है? इस पर हादिया ने कहा, ‘‘मेरे पति मेरा खर्च उठा सकते हैं. सरकारी पैसे की जरूरत नहीं है.’’

इस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हादिया को मातापिता की हिरासत से रिहा करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कालेज में स्थानीय अभिभावक के बारे में हादिया से पूछा तो उस ने अपने पति का नाम लिया पर जज ने कहा, ‘‘पति होस्टल में नहीं रह सकता. कोई पति अपनी पत्नी का अभिभावक नहीं हो सकता. मैं भी अपनी पत्नी का अभिभावक नहीं हूं.’’

तमिलनाडु स्थित शिवराज होम्योपैथी कालेज के डीन को अभिभावक नियुक्त करते हुए अदालती पीठ ने डीन को हादिया की किसी भी समस्या को सुलझाने की छूट दी है. हादिया अपनी पढ़ाई करने के लिए उक्त कालेज चली गई है और उसे होस्टल मुहैया करा दिया गया है. वहां वह 11 महीने की इंटर्नशिप पूरा करेगी.

सुप्रीम कोर्ट में भी हादिया के पिता अशोकन ने विदेश में बसे मानसी बुराक के बारे में कहा कि वह आईएसआईएस का सदस्य है और हादिया के पति शफीन के बीच उस की बातचीत का लिखित रूप कोर्ट में पेश किया. अशोक ने अदालत से कहा कि शफीन के संबंध पौपुलर फ्रंट औफ इंडिया नाम के संगठन से हैं जो जमीनी स्तर पर सिखापढ़ा कर किशोरों को कट्टर बनाने की बड़ी साजिश कर रहा है.

उधर, एनआईए इसे लव जिहाद बताने पर अड़ा रहा. उस ने दलील दी कि ऐसे 10 और मामलों की जांचें की जा रही हैं. उस के पास ठोस सुबूत हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पहले एनआईए की जांच में कुछ जानकारियां मिलें तो फिर आगे की सुनवाई करेंगे.

सवाल यह नहीं है कि एक युवती किसी अपराधी से प्रेम या विवाह कर सकती है या नहीं? तिहाड़ जेल में बंद कुख्यात चार्ल्स शोभराज से मिलने उस की नेपाली प्रेमिका जाया करती थी और वह उस से शादी करना चाहती थी. अबू सलेम के अपराधी होते हुए भी मोनिका बेदी के साथ प्रेम संबंध बना रहा. एक बालिग युवती को अपने बारे में फैसले करने का कानूनन हक है, फिर भी अंधी आस्था में डूबी दिख रही हादिया का जीवन धर्म बदल कर शादी के बाद सुखी रह पाएगा, यह सवाल है.

एक धर्म का लबादा त्याग कर दूसरे का धारण कर पति के साथ रहने को हादिया स्वतंत्रता मान रही है. हादिया किस आजादी की बात कर रही है? वह स्त्री को शिकंजे में रखने वाले एक दकियानूसी धर्म को छोड़ कर दूसरे कट्टर मजहब की ओर जा रही है जहां चारों ओर रोशनी नहीं, अंधेरे का साम्राज्य है. एक ऐसा मजहब जहां औरत की आजादी दिवास्वप्न है.

हादिया जिस पोशाक में अदालतों में जा रही है वह पोशाक भारत की नहीं, घोर मजहबी कट्टरपंथियों द्वारा थोपी गई पैर के अंगूठे से ले कर सिर की चोटी न दिखाई देने वाली पोशाक है जो शायद उस ने खुद अपनी स्वतंत्रता से नहीं, किसी मुल्लामौलवी के हुक्म से पहनी है. यह पोशाक दकियानूसी पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, इराक जैसे देशों में पहनी जाती है पर वहां भी अब ऐसी पोशाक औरतें त्याग रही हैं.

सवाल केवल औरत की लिबर्टी का नहीं है. वह इस तथाकथित आजादी के बाद भी क्या स्वतंत्र है?

अदालतों के सभी फैसले जरूरी नहीं कि सही हों. सुप्रीम कोर्ट तक ने अपने कुछ निर्णय कुछ सालों बाद बदले हैं. हम अदालतों को सांप्रदायिक नहीं कह रहे हैं. लेकिन सवाल यह है कि अदालतों के फैसलों से क्या औैरत को वास्तविक आजादी, राहत मिलती है?

कानून कोई गारंटी नहीं

संविधान पीठ ने इसी साल 22 अगस्त को तीन तलाक को अवैध करार देते हुए सरकार से कानून बनाने को कहा था. इस पर केंद्र ने एक बार में तीन तलाक को खत्म करने के लिए नए कानून का मसौदा तैयार किया है. ‘द मुसलिम वूमेन प्रोटैक्शन औफ राइट्स औन मैरिज बिल’ नाम से जाना जाने वाला यह कानून क्या मुसलिम औरत के परिवार के लिए उस की जिंदगी को खुशहाल बना पाने की गारंटी हो सकता है?

तीन तलाक और हादिया मामला एकजै ही है. सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को अमानुषिक बता कर असंवैधानिक करार तो दे दिया पर क्या औरत को तलाक नाम के खौफ से मुक्ति मिल जाएगी? सुप्रीम कोर्ट के आदेश से औरत के जीवन से तलाक यानी अलगाव यानी परिवार का टूट जाना, बिखर जाने का सिलसिला खत्म हो जाएगा?

तीन तलाक के मामले को ही लें. क्या तीन तलाक मामले में औरत की समस्या हल हो गई? 3 तलाक पर कानून बनने से क्या तलाक होने बंद हो जाएंगे? क्या फर्क पड़ता है कोई तीन बार तलाक बोले या एक बार?

सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर कहा था कि यह औरत की स्वतंत्रता का हनन है. उसे न्याय के लिए अपील करने के अधिकारों पर अंकुश है.

सवाल यह है कि क्या हादिया को वास्तविक लिबर्टी मिल पाएगी? एक अंधरे से निकल कर दूसरी अंधेरी गुफा में चले जाना क्या स्त्री की वास्तविक तरक्की है? स्त्री को रोशनी की राह कौन दिखाएगा? हादिया एक धर्म की अंधी गुफा से निकल कर दूसरे धर्म की कालकोठरी की ओर जा रही है जहां सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा है. एक स्त्री की जिंदगी के लिए जिस वास्तविक रोशनी की जरूरत है वह वहां नहीं है. वह रोशनी क्या अदालत दिखा पाएगी?

धर्म के दुकानदारों के स्वार्थ

ऐसे मामलों में औरतें धर्म व सांप्रदायिकता का महज हथियार बनी दिखाई देती हैं. और वह हथियार केवल धर्म के दुकानदारों के लिए फायदेमंद साबित होता है. धर्म की खाने वाले यही तो चाहते हैं. उन्हें स्त्री की आजादी से कोई मतलब नहीं है. उस की तरक्की से कोई वास्ता नहीं है. बस, उन के धर्म का परचम लहराता दिखाईर् देना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहक उन की दुकानों पर आएं. इस पूरे मामले में हलाल सिर्फ हादिया हुई है.

आजादी कहां है? उसे अपना नाम अखिला से बदल कर हादिया करना पड़ा. इस में उस की अपनी मरजी कहां है? यह तो धर्म की मरजी है.

हादिया, असली आजादी क्या है? औरत को गुलाम बना कर रखने वाला मजहब चाहे कोई भी हो, वहां आजादी महज खामखयाली है. हादिया स्वयं मानसिक गुलामी की जकड़न में बुरी तरह फंसी दिखती है. उस की असली आजादी बुर्का उतार फेंकने में है. धर्म की संकीर्ण सोच के दायरे से बाहर निकलने में असली आजादी है. न जाने कितनी हादियाएं अब तक इस बात को समझ ही नहीं पाई हैं. इसीलिए, वे गुलाम हैं. असली आजादी धर्म से बाहर निकलने से ही हासिल हो सकती है.

कुछ इस तरह आप भी जी सकती हैं दूसरों की खातिर

एक दिन अनायास एक व्यक्ति आता है और भीड़भरे चौराहे पर,  चिलचिलाती धूप में ट्रैफिक कंट्रोल करते पुलिसमैन को ठंडे पानी की बोतल पकड़ा कर खामोशी से आगे बढ़ जाता है.

ट्रैफिक पुलिस के इस बंदे का गला भरी दोपहरी में सूख रहा था. ऐसे में ठंडे पानी की यह बोतल उसे तृप्त कर गई. वह एक सांस में ही पूरा पानी पी गया और दूर जाते उस इंसान को देखता रहा जिस में दूसरों की खातिर जीने का जज्बा था. वह उसे नम्रतावश सलाम करने लगा.

एक और दिन एक चौराहे पर एक अजनबी ने एक बूढ़े व्यक्ति को हाथ पकड़ कर रास्ता पार करा दिया और आगे बढ़ गया.

ट्रैफिक पुलिस और बूढ़े व्यक्ति के चेहरे पर इत्मीनान था. इस से ज्यादा इत्मीनान और खुशी उन चेहरों पर दिखी जो मदद के लिए आगे आए थे.

लोग शांति और सुकून की तलाश में न जाने कहांकहां भटकते हैं. वे कई मंदिरों और तीर्थों के फेरे लगा आते हैं. लेकिन फिर भी उन्हें शांति और सुकून नहीं मिलता. कुछ लोग ऐसे होते हैं जो लोगों को छोटीछोटी खुशियां बांट कर मदद के लिए हाथ आगे बढ़ा कर असीम सुख और सुकून महसूस करते हैं, ऐसा सुकून जो पूजापाठ से हासिल नहीं होता.

छोटेछोटे कामों में बड़ीबड़ी खुशियां : 70 वर्षीया मन्नू देवी घरेलू महिला हैं. ये अपने पासपड़ोस में, रिश्तेदारों में देखती हैं कि कहीं कोई तकलीफ में है या जरूरतमंद है तो वहां पहुंच कर चुपके से उस की मदद अपनी सामर्थ्यानुसार कर आती हैं. घरों में काम करने वाली गरीब महिला के किसी बच्चे की स्कूल की फीस भर आती हैं तो कभी होनहार गरीब बच्चों के लिए छात्रवृत्ति दे आती हैं. और तो और, रास्ते चलते किसी गरीब बच्चे को देखती हैं तो झट उसे चौकलेट, खिलौने पकड़ा कर खामोशी से आगे बढ़ जाती हैं.

एक सवाल के जवाब में मन्नू देवी कहती हैं, ‘‘काम ऐसा हो जिस से किसी के चेहरे पर खुशी आ जाए.

उस हंसते हुए चेहरे को देख कर जो खुशी मिलती है, उसे बयान नहीं कर सकती.’’

दूसरों की तकलीफ महसूस करती हैं: 69 वर्षीया दर्शन नरवाल ऐसी महिला हैं जो दूसरों के दर्द को शिद्दत से महसूस करती हैं.

एक बार शहर में ऐक्सिडैंट हुआ. दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति रात में अपनी बाइक से घर जा रहा था. रास्ते का डिवाइडर अंधेरे की वजह से दिखा नहीं और दुर्घटना हो गई. कुछ ही देर में उस व्यक्ति की मौत हो गई. इस घटना से दर्शन नरवाल अंदर तक हिल गईं. घटनास्थल पर जा कर घटना के कारणों को समझा, तब समझ आया कि अंधेरे में डिवाइडर, ग्रिल आदि दिखाई नहीं देते, इसलिए ऐसी गंभीर दुर्घटनाएं होती हैं.

बस, फिर क्या था, सड़कों पर उतर कर उन जगहों को चिह्नित किया जो दुर्घटना का कारण बन सकती थीं. इस के बाद वे वहां पहुंच कर लालपीली रेडियम की पट्टी लगाती जाती हैं. वे रास्ते के पेड़ों पर, गांव की ओर जाती साइकिलों, बैलगाडि़यों पर भी रेडियम की पट्टी लगाती हैं ताकि ये अंधेरे में चमकें और लोगों को रास्ते का सही अंदाजा हो जाए.

पिछले 16 सालों से छत्तीसगढ़ के रायपुर में दर्शन नरवाल यह काम लगातार कर रही हैं. इस के अलावा वे गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें सिलाई मशीन, विकलांगों को ट्रायसाइकिल दे कर प्रशिक्षित करती हैं.

पूजापाठ करने से बेहतर टूटी झोंपड़ी ठीक कराना : ‘‘पूजापाठ का आयोजन कराने से कहीं बेहतर है किसी गरीब की टूटी झोंपड़ी ठीक कराना, बेसहारों, अनाथों के लिए घर बनवाना.’’ यह कहना है रायपुर निवासी बसंत अग्रवाल का. ये कहते ही नहीं, बल्कि कर के दिखाते हैं. ये दूसरों के दर्द को शिद्दत से महसूस करते हैं.

दूसरों के दर्द को महसूस करने का यह जज्बा आप को कहां से मिला? यह पूछने पर बसंत अग्रवाल कहते हैं, ‘‘अपने मातापिता से ऐसे संस्कार मिले हैं. जब हम गांव में रहते थे, हमारे घर में कोई भी अतिथि आता था तो मां उसे खिलाए बिना जाने नहीं देती थीं. अगर किसी के पास जाने का साधन नहीं होता था तो उसे साधन जुटा कर देते थे. ये सब बचपन से देख कर हम  सीखा है औरों के काम आना.’’

बसंत अग्रवाल की एक खास बात यह है कि वे अपने कार्यों का प्रदर्शन या दिखावा नहीं करते, सिर्फ स्वयं की भीतरी खुशी के लिए वे ऐसा करते हैं.

कोशिश किसी के काम आ पाने की : कूलर इंडस्ट्रीज चलाने वाले रायपुर के दिलीप कुंदु बहुत ही भावुक प्रवृत्ति के इंसान हैं. उन में एक भावना है कि वे किसी के काम आएं.

इस के लिए जरूरी नहीं कि व्यक्ति हजारोंलाखों रुपए खर्च कर के ही किसी की मदद कर सकता है. बिना कुछ खर्च किए भी इंसान किसी की मदद कर के यादगार बना रह सकता है.

दिलीप कुंदु चूंकि कूलर के व्यवसाय से जुड़े हैं, लिहाजा, अपने जुड़े कार्य से ही ये लोगों की भरपूर मदद करते हैं, जैसे किसी के घर में शोक (गमी) होता है, गरमी में शोकसभाओं में कूलर की जरूरत होती है, तो ऐसे घरों में वे निशुल्क कूलर भिजवा कर सेवा देते हैं. अनाथालयों में कूलरों की निशुल्क मरम्मत करवा देते हैं.

एक बार ये एक बेसहारों के आश्रम में गए. वहां उस दिन भोजन नहीं बना था. कारण पूछा तो पता चला गैस सिलैंडर खत्म हो गया है, दूसरा नहीं है. बस, फिर क्या था, दिलीप कुंदु ने महज 20 मिनट में एक भरे गैस सिलैंडर की व्यवस्था की. तब जा कर वहां खाना बना. खाना खा कर तृप्त हुए लोगों ने उन्हें तहेदिल से शुक्रिया अदा किया. दिलीप कहते हैं, ‘‘मेरी कोशिश रहती है कि मैं किसी के काम आऊं.’’

रक्तदान कर के बचाते हैं जीवन : 53 वर्षीय मुकुंद राठौर अपनी 18 वर्ष की उम्र से रक्तदान कर रहे हैं. रक्तदान करने का उन में ऐसा जनून है कि 35 वर्षों में अब तक वे 47 बार रक्तदान कर चुके हैं.

इन के साथ एक दुखद घटना घटी. इन के बेटे की असमय ही मृत्यु हो गई. बेटे के जीवन को स्मरणीय बनाने के लिए उस की पुण्यतिथि पर न सिर्फ वे खुद रक्तदान करते हैं बल्कि कैंप लगा कर 50 बोतल रक्त इकट्ठा कर अस्पतालों को निशुल्क दान करते हैं ताकि लोगों को जीवनदान मिल सके.

वे कहते हैं, ‘‘मेरे रक्त से जब किसी का जीवन बचता है तो मुझे बहुत ज्यादा खुशी मिलती है.’’

जख्मों को छील कर उस पर नमक छिड़कने वाले लोग बहुत मिल जाएंगे लेकिन दुखते जख्मों पर मरहम लगाने वाले लोग कम ही होते हैं. दरअसल, अपने जीवन को वही लोग सार्थक करते हैं जो औरों के काम आते हैं.

आज समाज में जिस तरह से असहष्णिता बढ़ रही है और लोग छोटीछोटी बातों पर हिंसा पर उतारू हो रहे हैं, ऐसे समय में दूसरों की खातिर कुछ कर गुजरने वालों की सख्त जरूरत है.

प्राइवेट नौकरी वालों का बुढ़ापा बीतेगा आराम से, बस करना होगा ये काम

सरकारी नौकरियों के प्रति लोगों के आकर्षण की वजह 60 वर्ष की उम्र के बाद मिलने वाली पेंशन होती है. इसलिए आरामपसंद लोग यह भरसक कोशिश करते हैं कि उनकी सरकारी नौकरी लग जाए, ताकि उनकी जवानी और बुढ़ापा दोनों खुशहाल बीते. हालांकि यह सुविधा प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों को नहीं मिलती है. लेकिन अगर थोड़ी सूझबूझ से काम लें तो प्राइवेट नौकरी में भी आप अपने बुढ़ापे को आर्थिक रुप से खुशहाल कर पाएंगे.

जानिए यह कैसे संभव होगा:

केंद्र सरकार की न्यू पेंशन सिस्टम स्कीम प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए एक निश्चित पेंशन की सुविधा सुनिश्चित करती है. बुढ़ापे में जब लोगों के पास आय का नियमित स्रोत नहीं रहता, तब पेंशन योजनाएं उन्हें वित्तीय सुरक्षा व स्थायित्व प्रदान करती हैं. रिटायरमेंट प्लान के जरिये आप जीवनशैली के साथ कोई समझौता किए बगैर जिंदगी के बाकी दिन सम्मानजनक तरीके से गुजार सकते हैं. पेंशन स्कीम बचतों को जुटाने व निवेश का ऐसा मौका प्रदान करती हैं, जिनसे एकमुश्त राशि के अलावा नियमित मासिक आय प्राप्त की जा सकती है. इस लिहाज से नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) काफी बेहतर विकल्प है.

कितने निवेश पर आपको मिलेगी कितनी पेंशन जानिए:

(नोट: आप खुद इस साइट पर जाकर अपनी मंथली इनकम को कैलकुलेट कर सकते हैं.)

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कैसे काम करता है एनपीएस

एनपीएस ज्वाइन करने पर ग्राहक को एक यूनीक परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (प्रान) मिलता है. ग्राहक रिटायरमेंट तक इसमें योगदान करता है. रिटायरमेंट पर ग्राहक कुल जमा राशि का एक हिस्सा एकमुश्त तौर पर निकाल सकता है. बाकी राशि एक एन्यूटी में निवेश करनी होती है, जिससे रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन मिलती है. ग्राहक की मृत्यु की स्थिति में संपूर्ण राशि उसके द्वारा नामित व्यक्ति को दी जाती है.

फंड का निवेश

एनपीएस के तहत तीन तरह के फंड विकल्प उपलब्ध हैं. इक्विटी, कौरपोरेट बांड व सरकारी प्रतिभूतियां. ग्राहक के लिए निवेश के दो विकल्प उपलब्ध होते हैं :

  1. एक्टिव च्वाइस या सक्रिय चयन: इसके तहत ग्राहक तीन फंडों में से अपने अनुकूल फंड का चयन निवेश के लिए कर सकता है. इक्विटी फंड में अधिकतम 50 फीसद योगदान के निवेश की अनुमति है.
  2. औटो च्वाइस या स्वत: चयन : इसके तहत तीनों फंडों में ग्राहक की उम्र के आधार पर पूर्व निर्धारित पैटर्न के अनुसार कार्पस का निवेश किया जाता है. कम उम्र की स्थिति में इक्विटी में ज्यादा निवेश होता है. अधिक उम्र होने पर इक्विटी में केवल 10 फीसद निवेश की अनुमति है.

एनपीएस से आंशिक निकासी: एनपीएस में जोड़े गए नए उपबंध के अनुसार कोई ग्राहक टियर-1 खाते से दस वर्ष बाद 25 फीसद तक राशि निकाल सकता है. पहली निकासी के बाद पांच-पांच साल के अंतराल पर दो निकासी और की जा सकती हैं. लेकिन इनका खास मकसद होना चाहिए. जैसे कि बच्चे की उच्च शिक्षा, उसकी शादी, मकान की खरीद या किसी गंभीर बीमारी का इलाज, वगैरह.

टियर 1 खाते पर कर लाभ

वेतनभोगी वर्ग के लिए

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कर्मचारी के योगदान पर कर्मचारी को सीधे दो कर लाभ मिलते हैं. वह अपना 10 फीसद तक वेतन (अधिकतम डेढ़ लाख) टियर-1 खाते में निवेश कर सकता है. इस पर आयकर कानून की धारा 80सी व 80 सीसीडी (1) के तहत आयकर से छूट है. इसके अलावा 50 हजार रुपये की राशि और जमा की जा सकती है. यह धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत करमुक्त है.

सेवायोजक के योगदान पर

सेवायोजक भी कर्मचारी के एनपीएस खाते में उसके वेतन का दस फीसद तक योगदान कर सकता है. इस पर धारा 80सीसीडी (2) के तहत आयकर से छूट प्राप्त है.

स्वरोजगार वाले पेशेवरों के लिए

स्वरोजगार में लगे पेशेवर भी सकल आय का 10 फीसद (अधिकतम डेढ़ लाख रुपये) तक योगदान एनपीएस में कर सकते हैं. इस पर धारा 80सी व 80सीसीडी (1) के तहत आयकर छूट है. वे 50 हजार रुपये तक अतिरिक्त राशि जमा कर उस पर धारा 80 सीसीडी (1बी) के तहत भी आयकर की छूट प्राप्त कर सकते हैं.

धारा 80सीसीडी (1), 80सीसीडी (1बी) तथा 80सीसीडी (2) के तहत कर लाभ अलग-अलग होते हुए भी एक साथ प्राप्त किए जा सकते हैं.

जहां तक एनपीएस से होने वाली निकासी पर टैक्स का सवाल है तो टियर-1 खाते से धन निकालने पर आयकर लगता है. हालांकि एन्यूटी खरीदने के लिए किए गए निवेश पर कर से छूट है. एनपीएस की मासिक पेंशन को आय माना जाता है और उस पर भी टैक्स लगता है.

टियर 2 खाता

इसमें किए गए निवेश पर कोई कर लाभ नहीं है, जबकि धन निकासी पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है.

बिकनी पहन शमा सिकंदर ने दिया ट्रोलर्स को करारा जवाब

शौर्ट फिल्म ‘सेक्सोहौलिक’ और वेब सीरीज ‘माया’ में बोल्ड किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस शमा सिकंदर का इंस्टाग्राम अकाउंट बोल्ड तस्वीरों से अटा पड़ा है. उनके काम से जुड़ी और व्यक्तिगत जिंदगी की तस्वीरें शमा अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर करती रहती हैं. शमा की तस्वीरें चूंकि बोल्ड होती हैं तो कई बार उन्हें ट्रोल्स का भी सामना करना पड़ता है. हालांकि शमा ने इसकी वजह से कभी भी अपनी खूबसूरत तस्वीरों को अपलोड करना बंद नहीं किया.

शमा ने हाल ही में अपनी एक ताजा तस्वीर अपलोड करते हुए इंस्टाग्राम पर ट्रोल्स को करारा जवाब दिया है. शमा की इस तस्वीर में वह समंदर किनारे रेत पर टौवल बिछा कर बैठी हुई नजर आ रही हैं. इस बिकिनी पिक्चर के कैप्शन में शमा ने लिखा- एक महिला के पास स्तन होते हैं… यही उसे परुषों से अलग बनाता है… और मुझे फक्र है कि मैं एक महिला हूं और मुझे इनसे नवाजा गया है. हां मेरे पास स्तन हैं और वे सचमुच बहुत खूबसूरत हैं.

शमा ने लिखा- मुझे लगता है कि वो ट्रोल्स जिन्हें मेरे शरीर के अंगों को नाम देना पसंद है. वो इस सबसे ऊपर उठ कर अपनी जिंदगी में कुछ करें. वो मेरे हैं और मुझे उनसे बहुत प्यार है. शमा की इस पोस्ट को 20 घंटे के भीतर 3 लाख से ज्यादा लोगों ने लाइक किया है. शमा की तस्वीरों को इससे पहले भी कई बार ट्रोल किया जा चुका है. उन्होंने अपनी पोस्ट में बौडी शेमिंग, नौट टौलरेटेड, रिस्पेक्ट वुमेन और लव फौर बिकिनी जैसे हैश टैग्स दिए हैं.

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