क्या कहा, आप गुजरात घूमने गईं हैं और कच्छ घूमे बिना ही वापस आ गईं

बात अगर रेगिस्तान और रेत की हो तो आपके जहन में कच्छ का ख्याल जरूर आता होगा. अगर आप गुजरात घूमने गईं हैं और कच्छ घूमे बिना ही वापस आ जाएं, तो आपकी ट्रिप अधूरी ही मानी जाएगी.

कच्छ के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हर साल ‘कच्छ महोत्सव’ का आयोजन किया जाता है. और तो और यहां हर साल लाखों की तादाद में विदेशी सैलानी यहां घूमने आते हैं.

इस वजह से बेहद खूबसूरत माना जाता है कच्छ

45652 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले गुजरात के इस सबसे बड़े जिले का अधिकांश हिस्सा रेतीला और दलदली है. कच्छ में देखने लायक कई स्थान है जिसमें कच्छ का सफेद रण आजकल पर्यटकों को लुभा रहा है. इस के अलावा मांडवी समुद्रतट भी सुंदर आकर्षण है.

कच्छ का रन कच्छ का रन गुजरात प्रांत में कच्छ जिले के उत्तर तथा पूर्व में फैला हुआ एक नमकीन दलदल का वीरान प्रदेश है.

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रन औफ कच्छ फेस्टिवल

चांद के रोशनी में ऊंट की सवारी का आनंद लेना हो, तो कच्छ का रण उत्सव आपकी इच्छा पूरी करेगा. हजारों की संख्या में देशी-विदेशी सैलानी रण उत्सव में हिस्सा लेने पहुंचते हैं. इस उत्सव का आयोजन कच्छ के रेगिस्तान में किया जाता है. नमक की बहुलता वाले इस क्षेत्र में रात में रेगिस्तान सफेद रेगिस्तान में बदल जाता है. यहां आकर आप खुली हवा में कल्चरल प्रोग्राम का मजा ले सकती हैं. सैलानियों के मनोरंजन के लिए यहां थियेटर की सुविधाएं भी हैं.

कैसे पहुंचे

कच्छ का प्रमुख शहर भुज है. भुज में हवाई अड्डा है, जहां से मुंबई के लिए उड़ानें हैं. न्यू भुज रेलवे स्टेशन और निकटतम गांधीधाम रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से रेल के जरिए जुड़ा हुआ है. कच्छ गुजरात सहित भारत के अन्य राज्यों के प्रमुख शहरों से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. कांडला यहां का प्रमुख बंदरगाह और हवाई अड्डा है.

कब जाएं

अक्टूबर से लेकर मध्य मार्च तक का समय सबसे उचित समय है. इन दिनों यहां की भोर और रातें काफी ठंडी होती है, मगर दोपहर में धूप तेज रहती है.

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क्या खरीदें

नायाब कच्छी कढ़ाई, एप्लीक वर्क, मिरर वर्क, बांधनी से सजे परिधान व सौफ्ट फर्नीशिंग, चांदी के जेवरात व अन्य उपयोगी और सजावटी समान और हल्के-फुल्के फर्नीचर तथा कई तरह के सजावटी सामान, वौल हैंगिंग, कढ़ाई की हुई रजाई, झूले और इसके सामान, कठपुतलियां, कपड़े के खिलौने, जूतियां, कढ़ाई किए हुए फुटवियर आदि खरीद सकते हैं.

इस तरह कम करें अपने कार इंश्योरेंस का प्रीमियम

लोगों के मन में आमतौर पर यह धारणा होती है कि कार के लिए ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन पेपर ही काफी होता है. अधिकांश लोग इंश्योरेंस के पहलू को लगभग नजरअंदाज करते हैं. लेकिन आपको मालूम होना चाहिए कि कार का इंश्योरेंस आपको दुर्घटना में डैमेज और चोरी के वक्त आर्थिक सुरक्षा देता है.

जानकारी के लिए बता दें कि इंश्योरेंस आम तौर पर दो प्रकार के होते हैं पहला कौम्प्रिहेंसिव और दूसरा थर्ड पार्टी. थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अमूमन हर प्रकार के वाहनों के लिए जरूरी होता है. वहीं कार के डैमेज और चोरी होने के खतरों के मद्देनजर नुकसान की भरपाई को देखते हुए कौम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस करवाया जाता है.

आप कम कर सकती हैं अपनी कार का इंश्योरेंस प्रीमियम

इंश्योरेंस को लोग नजरअंदाज इसलिए भी करते हैं क्योंकि इसमें हर साल पेट्रोल और दूसरे खर्चे इतने ज्यादा होते हैं कि इंश्योरेंस प्रीमियम भरना बोझिल सा जान पड़ता है. हालांकि अगर आप सूझबूझ के साथ काम करेंगी तो आप अपने इंश्योरेंस प्रीमियम का थोड़ा खर्च बचा सकती हैं. हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको बताने की कोशिश करेंगे कि आप किन तरीकों को अपनाकर अपनी कार का इश्योरेंस प्रीमियम कम कर सकती हैं.

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नो क्लेम बोनस का फायदा सोच समझकर लें

विशेषज्ञों का मानना है कि जब आपकी गाड़ी डैमेज हो तो आपको रिपेयर का एक इस्टीमेट जरूर लेना चाहिए. अगर आपकी ओर से भुगतान की जाने वाली राशि क्लेम करने वाली राशि से कम है तो उस सूरत में आप क्लेम को छोड़ सकती हैं. अगर आप छोटे क्लेम करना नजरअंदाज कर देती हैं और छोटे रिपेयर्स का खुद भुगतान करती हैं तो रिन्युअल के समय आपको प्रीमियम भी कम देनी होगी. जानकारी के लिए बता दें कि नो क्लेम बोनस वह डिस्काउंट होता है जो कि व्यक्ति को उसके मोटर इंश्योरेंस के रिन्यूअल के दौरान प्रीमियम पर दिया जाता है. इसका मतलब यह हुआ कि अगर इंश्योरेंस लेने वाला व्यक्ति साल भर कोई भी इंश्योरेंस क्लेम न करे तो कंपनी उसे नो क्लेम बोनस का फायदा बोनस के रुप में देती है.

अपनी गाड़ी की टूट-फूट नेटवर्क गैरेज पर ही ठीक कराएं

अगर आपकी गाड़ी में कोई टूटफूट होती है तो बेहतर यही रहेगा कि आप उसे रिपेयरिंग के लिए नेटवर्क गैरेज पर ले जाएं. अगर आप ऐसा करती हैं तो इंश्योरेंस कंपनी आसानी से क्लेम का आंकलन कर सकती है. साथ ही यह सस्ता भी पड़ता है.

उठाएं लौन्ग टर्म पौलिसी का फायदा

लौन्ग टर्म पौलिसी का चुनाव करना हमेशा आपके लिए फायदेमंद होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह दो से तीन साल तक की कवरेज के साथ साथ 24X7 की रोड एसिस्टैंस भी उपलब्ध करवाता है. अगर आप इस तरह की इंश्योरेंस पौलिसी का चुनाव करेंगी तो आप मोटर प्रीमियम पर सिंगल ईयर पौलिसी की तुलना में खर्चे पर भी बचत कर पाएंगी.

अब ‘‘पद्मावत’’ को सही ठहराने के लिए विज्ञापन का सहारा

संजय लीला भंसाली अपनी विवादों से घिरी फिल्म ‘‘पद्मावती’’ जिसका नाम बदलकर अब ‘‘पद्मावत’’हो गया है, को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं. लगभग दो माह पहले उन्होंने वीडियो जारी कर सफाई दी थी कि उनकी फिल्म ‘पद्मावती’ में कुछ भी गलत नहीं है. अब फिल्म ‘पद्मावत’ को 25 जनवरी को प्रदर्शित करने की घोषणा के विज्ञापन में ही संजय लीला भंसाली फिल्म के अन्य निर्माता सुधांशु वत्स और ‘‘वायकाम 18’’ ने सफाई दी है कि उनकी फिल्म ‘पद्मावत’ राजपूतों के शौर्य की गाथा बयां करती है.

इस विज्ञापन में लिखा हुआ है

  • फिल्म ‘पद्मावत’ सूफी कवि मलिक मोहम्मद जायसी की किताब ‘पद्मावत’ पर आधारित है, जो कि उनका काल्पनिक काव्य है.
  • फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी और पद्मावती के बीच कोई स्वप्न दृष्य न पहले था और न अब है.
  • यह फिल्म राजपूतो की वीरता, उनके खिलाफ साजिश और हिम्मत को लेकर है.
  • रानी पद्मावती का चरित्र चित्रण उनकी गरिमा के अनुरूप है. उनकी प्रतिष्ठा को मिटाने या गलत ढंग से उन्हे पेश नहीं किया गया है.
  • केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने फिल्म को महज 5 बदलावों के साथ ‘यू ए’ प्रमाण पत्र प्रदान किया है.
  • इसके अलावा फिल्म में कोई दूसरे कट या बदलाव नहीं है.

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विज्ञापन के अंत में कहा गया है- ‘‘हम सरकार के अधिकारियों, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड, फिल्म उद्योग से जुडे़ लोगों के अलावा अपने प्रशंसकों का उनके सहयोग के लिए आभारी हैं. ‘पद्मावत’ एक ऐसी फिल्म है, जिसके लिए हर भारतीय खुद को गौरवान्वित महसूस करेगा. इसका अनुभव करने के लिए 25 जनवरी को अपने नजदीकी सिनेमाघरों में जाएं.’’

उधर सुधांशु वत्स ने कहा है- ‘‘जैसा कि सभी जानते हैं कि फिल्म ‘पद्मावत’ संजय लीला भंसाली की मास्टरपीस के रूप में आयी है. इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि यह फिल्म लोगों को पसंद आएगी. हमे सरकार, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड, फिल्म उद्योग से जुडे़ लोगों के अलावा अपने प्रशंसकों का भरपूर सहयोग मिला.’’

जबकि ‘‘वायकाम 18’’ के सीई ओ अजीत अंधारे ने कहा है- ‘‘पद्मावत एक बड़ी फिल्म है, जिसे लोग सिनेमाघरों में देखना पसंद करेगे. हम इसे 2डी, 3डी और आईमैक्स 3 डी में तीन भाषाओं में प्रदर्शित कर रहे हैं.’’

जबकि संजय लीला भंसाली का कहना है- फिल्म ‘पद्मावत’ का प्रदर्शित होना मेरे लिए किसी सपने से कम नही है. इस कहानी पर मैं कई दिनों से काम कर रहा था, जो कि राजपूत राजाओं की कहानी आपको बताती है.’’

तो ‘पद्मावत’ 25 जनवरी को आएगी..?

अंततः रविवार की शाम ‘‘वायकौम 18’’ की तरफ से ‘‘वायकौम 18’’ और संजय लीला भंसाली निर्मित तथा संजय लीला भंसाली निर्देशित विवादास्पद फिल्म ‘‘पद्मावत’’ को 25 जनवरी को सिनेमाघरों में प्रदर्शित करने की आधिकारिक घोषणा कर दी गयी.

ज्ञातब्य है कि संजय लीला भंसाली निर्देशित फिल्म ‘पद्मावती’ एक दिसंबर को प्रदर्शित होनी थी. मगर राजपूत समाज व ‘राजपूत करणी सेना’ के विरोध के चलते छह राज्यों ने इस फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया था. तो वहीं दिसंबर माह में गुजरात राज्य में विधानसभा के चुनाव भी थे. परिणामतः ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ ने तकनीकी खामी बताकर इस फिल्म को प्रमाण पत्र नहीं दिया था. उसके बाद निर्माताओं की तरफ से भी ढीला ढाली की गयी तथा एक दिसंबर को इस फिल्म का प्रदर्शन नहीं हो सका.

गुजरात के चुनाव संपन्न होते ही ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ हरकत में आ गया और अंततः फिल्म का नाम ‘’पद्मावती’’ से ‘‘पद्मावत’’ कर कुछ कट के बाद प्रदर्शन की अनुमति दे दी. पर अंक ज्योतिषी संजय जुमानी ने ऐलान किया कि ‘‘पद्मावत’’ के नाम से यह फिल्म बाक्स आफिस पर असफल हो जाएगी. उसके बाद अब ‘वायकौम 18’ ने फिल्म के अंगेजी नाम में एक ‘ए’ ज्यादा जोड़ दिया है. बहरहाल, ‘वायकौम 18’ ने घोषणा कर दी है कि वह अपनी इस फिल्म को हिंदी, तमिल व तेलगू इन तीन भाषाओं में पूरे विश्व में एक साथ 25 जनवरी को प्रदर्शित करेंगे.

मगर ‘‘पद्मावत’’ के लिए राह आसान नजर नहीं आ रही है. गुजरात, मध्यप्रदेश व राजस्थान की सरकारों ने पुनः ‘‘पद्मावत’’ पर बैन लगा दिया है. उधर सूत्र दावा कर रहे हैं कि महाराष्ट्र और गोवा की पुलिस ने इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कई तरह की असुरक्षा आदि के संकट का अंदेशा बताकर फिल्म ‘‘पद्मावत’’ को बैन करने की सलाह दी है. मल्टीप्लैक्स सिनेमाघरो के मालिको ने कहा है कि पुलिस से सुरक्षा का लिखित आश्वासन मिलने के बाद ही वह फिल्म को प्रदर्शित करेंगे.

उधर करणी सेना के नेताओं ने दिल्ली सहित दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों के पास जाकर फिल्म को बैन करने की मांग करने की बात कही है. इतना ही नहीं राजपूत करणी सेना के नेता दावा कर रहे हैं कि वह किसी भी सूरत में ‘‘पद्मावत’’ को प्रदर्शित नहीं होने देंगे. जबकि कुछ राजपूत महिला संगठनो ने ‘‘पद्मावत’’ के प्रदर्शित होने पर जोहर करने की धमकी भी दी है.

अब देखना यह है कि 25 जनवरी तक किस तरह के घटनाक्रम होते हैं और अंततः उंट किस करवट बैठता है.

सर्दियों में अपनाएं ये फेसपैक और बनी रहें रूप की मल्लिका

हर महिला सुन्दर और खूबसूरत दिखने की चाहत रखती हैं. लेकिन बदलते मौसम के साथ साथ उनके चेहरे की रंगत भी कहीं खो जाती है. खासकर सर्दियों के मौसम में त्वचा को खुश्की से बचाने व उसे सुन्दर बनाए रखने के लिए अपनी त्वचा का खास खयाल रखना बेहद जरूरी होता है. आइये जानें ऐसे फेसपैक के बारें में, जो आपके चेहरे की रंगत को निखारने में आपकी मदद करेंगी.

ये फेसपैक निखारेंगे आपका रंग और रूप

इस मौसम में त्वचा की नियमित देखभाल जरूरी है. सप्ताह में दो बार नीचे दिए गए फेस पैक लगाएं. ये हर किस्म की त्वचा के लिए लाभकारी है.

एक चम्मच बेसन, आधा चम्मच हल्दी और एक चम्मच मलाई में कुछ बूंदें बादाम के तेल की डालें. अब इसमे थोड़ा सा दूध मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें. चेहरा साफ करके इसे लगाएं. 20 मिनट बाद धो दें.

एक अंडे की जर्दी, एक चम्मच दूध का पाउडर, एक चम्मच सूजी, एक चम्मच शहद और दही मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बनाएं. चेहरे पर लगाकर सुखाएं और 20 मिनट बाद धो लें.

संतरे के छिलकों को सुखाकर पाउडर बना लें. अब दो चम्मच संतरे के पाउडर में मलाई या दही डालकर फेंटे और चेहरे पर लगाएं, सूखने पर धो दें.

एक चम्मच ओटमील, कुछ बूंद नींबू का रस और तीन चम्मच दूध मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें. इसे चेहरे व गर्दन पर लगाएं. 15 मिनट के बाद चेहरा साफ कर लें.

एक चम्मच शहद मे एक चम्मच दूध डालकर अच्छी तरह मिलाएं. चेहरे एवं गलें पर लगाएं. सूखने पर धो दें.

एक चम्मच ओटमील, एक अंडे की जर्दी और एक चम्मच जैतून का तेल लें. इन्हें मिलाकर अच्छी तरह फेंटे. चेहरे पर लगाएं. सूखने पर मलकर धो दें.

एक चम्मच अंडे की सफेदी और एक बड़ा चम्मच मिल्क पाउडर मिलाकर लगाएं. उसे 30 मिनट बाद धो लें. आपकी त्वचा कुछ ही दिनों में सुंदर और कोमल हो जाएगी, इस प्रयोग को सप्ताह में कम-से-कम दो बार अवश्य करें.

सामान्य त्वचा वाली महिलाओं के लिए एक अंडे की जर्दी, एक बड़ा चम्मच सिरका, एक चौथाई सरसों का तेल, इन मिलाकर पेस्ट बना लें. इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं और सूखने पर धो लें. कुछ दिनों बाद आपकी त्वचा पर रौनक आ जाएगी.

अगर रूखी त्वचा है तो एक कप गुनगुने दूध में एक छोटा चम्मच गिल्सरीन, एक चौथाई छोटा चम्मच खाने वाला सोडा और एक चौथाई छोटा चम्मच बोरेक्स मिला लें. इस लोशन को चेहरे व गर्दन पर दस मिनट तक लगाएं, फिर गुनगुने पानी से चेहरा धो ले.

रूखी त्वचा को कोमल व कांतिमय बनाने के लिए ¾ कप गुलाबजल में ¼ छोटा चम्मच गिल्सरीन, 1 छोटा चम्मच सिरका और एक चौथाई छोटा चम्मच शहद मिलाकर बोतल में भरकर रख लें. इसे नियमित रूप से क्लीजिंग के बाद लगाएं.

एक बड़ी चम्मच मिल्क क्रीम में कुछ बूंद गिल्सरीन, एक चौथाई चम्मच कैस्टर औयल और कुछ बूंद गुलाबजल अच्छी तरह मिलाएं. इसे रोजाना रात में सोने से पहले चेहरे, गर्दन व हाथों में लगाएं और रात-भर ऐसे ही छोड़ दे. सुबह ठंडे पानी से चेहरा साफ कर लें.

एक चौथाई कप दूध में बड़ी चम्मच मसूर की दाल का पाउडर, छोटा चम्मच गुलाबजल, एक छोटा चम्मच चंदन पाउडर, आधा छोटा चम्मच शहद मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें. इस पैक को हफ्ते में दो बार चेहरे पर लगाएं. सुख जाने पर हल्के हाथों से मलकर छुड़ाएं. इससे त्वचा में चमक तो आती ही है, मृत कोश भी निकल आते है.

सूजन, चोट और जले-कटे पर इस्तेमाल करें टी-बैग्स, तुरंत मिलेगी राहत

आज हममें में से ज्यादातर लोग चाय पीते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि चाय केवल रिफ्रेशमेंट के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पेय पदार्थ नहीं है, बल्कि यह तमाम तरह की समस्याओं के उपचार में भी काम आता है. चाय बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टी-बैग्स आपको कई समस्याओं से निजात दिलाने का काम करता है. ये एंटी-औक्सीडेंट्स, फ्लेवोनौयड्स, टैनिन्स, पौलीफेनौल्स, एंटी-इन्फ्लेमेट्री और एंटी-सेप्टिक आदि से भरपूर होते हैं. इसलिए खरोंच, चोट लगने पर होने वाले दर्द या किसी भी तरह के सूजन आदि के इलाज में भी ये काम आते हैं.  चलिए जानते हैं विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में टी-बैग्स का इस्तेमाल किस तरह से किया जा सकता है.

जलने पर

सनबर्न या फिर किसी तरह की जलन होने पर टी-बैग का इस्तेमाल कर आप इसे जल्दी ठीक कर सकती हैं. इसके लिए टी-बैग्स को गर्म पानी से बाहर निकालकर ठंडा होने के लिए रख दें. फिर उन्हें जली हुई जगह पर रखें. बिना रगड़े उसे जलन पर रखे रहने दें. आपको जल्द ही राहत मिलेगा. इसके अलावा किसी तरह के रैशेज और कीड़ों-मकोड़ों के काटने से हो रही खुजली को भी टी-बैग की मदद से सही किया जा सकता है.

खरोंच लगने पर

टी-बैग त्वचा पर लगे बाहरी खरोंचों और तमाम तरह के चोटो को जल्द ही ठीक करने में सक्षम है. टी-बैग्स में टैनिन होता है जो खरोंचों से निकलने वाले खून को रोकता है. साथ ही भीगे टी-बैग को खरोच या चोट पर लगाने से वे जल्द ठीक हो जाते हैं और दर्द में भी राम मिलता है.

मसूढ़ों से खून आने पर

अगर आपके मसूढ़ों से खून आ रहा हो तो टी-बैग्स आपके काम आ सकते हैं. इसके लिए आप मसूढ़ों पर ठंडा किया हुआ यूज्ड टी-बैग रखें. जल्द ही मसूढ़ों से खून आना बंद हो जाएगा. साथ ही सूजन में भी कमी आएगी.

मस्सों के लिए

टी-बैग्स में टैनिक एसिड मौजूद होते हैं, जो मस्सों को प्रभावी बनाने वाले बैक्टीरिया से लड़ता है. इससे मस्सों के सूखने की प्रक्रिया में तेजी आती है. इसके लिए मस्सों पर गर्म टी-बैग 10 मिनट के लिए रखें. यह बेहद ही असरकारी उपाय है. दिन में दो से तीन बार यह प्रक्रिया दुहराने से जल्द ही मस्से सूख जाएंगे.

सूजन दूर करने में

टी-बैग्स का इस्तेमाल कर आप सूजन में भी राहत पा सकती हैं. अगर आपके शरीर के किसी भी अंग में सूजन है तो सबसे पहले टी-बैग्स को गुनगुने पानी में भिगोएं. इसके बाद उन्हें जिस जगह पर सूजन है वहां 20 से 30 मिनट तक रखें, जल्द ही आपको आराम मिलेगा. आप आंखों पर होने वाले सूजन में भी राहत पा सकती हैं. इसके लिए अपने दोनों आंखों पर 20 मिनट के लिए टी-बैग्स को रखें. नींद न पूरी होने की वजह से आंखों के नीचे आने वाले सूजन को भी टी-बैग्स की मदद से सही किया जा सकता है. इससे डार्क सर्कल्स भी हटाए जा सकते हैं.

म्युचुअल फंड में कर रहे हैं निवेश तो ये गलतियां करने से बचें

अगर आप शेयर बाजार की उठापटक को सामान्य तरीके से लेती हैं तो आपको इक्विटी में निवेश करने से नहीं झिझकना चाहिए. लंबी अवधि में इससे बेहतर रिटर्न हो ही नहीं सकता. म्युचुअल फंड सभी के लिए होते हैं. दुनिया भर में लाखों निवेशक म्यूचुअल फंडों में इसलिए निवेश करते हैं, क्योंकि ये उन्हें अपने भविष्य की योजना बनाने तथा अपनी गाढ़ी कमाई को सही जगह पर निवेश करने का अवसर प्रदान करते हैं. मगर इससे पहले आपके लिए निवेश से जुड़ी कुछ बुनियादी बातों को समझ लेना आवश्यक है. साथ ही आपको उन पांच बड़ी गलतियों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए जिसे लोग जाने अनजाने कर ही देते हैं.

बिना योजना के निवेश करने से बचें

म्युचुअल फंड विभिन्न प्रकार के निवेशकों के लिए विभिन्न प्रकार के विकल्प प्रदान करते हैं. आपको निवेश से पहले अपने लक्ष्य और जोखिम सहने की क्षमता के बारे में पता होना चाहिए. ऐसा करके ही आप अपने लिए बेहतर फंड का चुनाव कर पाएंगी. आपको लोकप्रियता के आधार या अपने दोस्तो की सलाह पर आंख बंद करके कोई भी फंड खरीदने या बेचना नहीं चाहिए. अपनी जरूरत को ध्यान में रखते हुए और बिना रिसर्च के कोई भी फैसला लेना जोखिम भरा रहता है.

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लालची न बनें

बाजार में उठापठक की स्थिति चलती रहती है. कई बार ऐसा देखा जाता है कि जब बाजार चढ़ रहा होता है तो निवेशक इस स्थिति को देखते हुए अपनी सारी पूंजी उस फंड में लगा देते हैं, जो बेहतर परफौर्म कर रहा होता है. ऐसे में अक्सर नासमझी आपको भारी नुकसान पहुंचा सकती है.

स्टौक्स की तरह ही पोर्टफोलियो को न जांचे

अपने म्यूचुअल फंड्स पोर्टफोलियो का शेयरों जैसे मंथन न करें. म्युचुअल फंड में अंतर्निहित शेयरों और बौन्ड का एक सेट होता है. एक फंड बेचते हुए और एक अन्य एएमसी से एक समान फंड खरीदना अनप्रोडक्टिव होगा. यह स्टौक को बेचने और खरीदने के बराबर है. इसलिए ऐसा करने से बचें.

म्युचुअल फंड का मूल्यांकन करने के लिए हालिया प्रदर्शन को न देखें

काफी सारी रेटेड कंपनियां म्युचुअल फंड का मूल्यांकन उनके हालिया प्रदर्शन के आधार पर करती हैं. प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव के साथ ही इनकी रेटिंग में बदलाव कर दिया जाता है. मगर म्युचुअल फंड के प्रदर्शन का आकलन करने पर निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए. स्कीम का मूल्यांकन करने के लिए लौन्ग टर्म परफौर्मेंस को परखना बेहतर विकल्प होता है.

बिना रिसर्च के नए फंड औफर्स को चुन लेना.

कुछ निवेशक नए फंड औफर्स में निवेश करने के लिए बहुत उत्सुक होते हैं और वो मानते हैं कि उनमें आईपीओ के बराबर क्षमता होती है. एनएफओ निश्चित रूप से नए फंड हैं, लेकिन अंतर्निहित परिसंपत्तियां हमेशा नई नहीं होती हैं, यानी आईपीओ के ठीक विपरीत की स्थिति. पुराने इक्विटी फंड में निवेश करना जो नीली चिप कंपनियों में पैसा लगाता है नए फंड जो कंपनियों के एक ही समूह में निवेश करते हैं में कोई खास अंतर नहीं होता है. इसमें मिलने वाला रिटर्न इस बात पर निर्भर करता है कि अंतर्निहित कंपनियां कैसे प्रदर्शन करती हैं.

बाकी फिल्मों की तरह ‘पद्मावत’ के डर से ‘वीरे दी वेडिंग’ की रिलीज डेट भी टली

बौलीवुड एक्ट्रेस करीना कपूर की फिल्म ‘वीरे दी वेडिंग’ इस साल मई में रिलीज होने वाली थी लेकिन अब इस फिल्म को जून में रिलीज किया जाएगा. ‘पद्मावत’ की रिलीज डेट के सामने आने के बाद एक के बाद एक कई फिल्में अपनी रिलीज डेट बदल रही हैं. इनमें पहले ‘अय्यारी’, फिर ‘परी’ और अब ‘वीरे दी वेडिंग’ ने भी फिल्म की रिलीज डेट बदल दी है.

करीना कपूर खान, सोनम कपूर, शिखा तलसानिया और स्वरा भास्कर अभिनीत फिल्म पहले 18 मई को रिलीज होने वाली थी. सोनम ने शुक्रवार को ट्विटर के जरिए फिल्म की रिलीज की नई तारीख की घोषणा की. अभिनेत्री ने ट्वीट किया, “आप सभी इस मौसम की सबसे बड़ी शादी में सादर आमंत्रित हैं. एक जून ‘वीरे दी वेडिंग’ के लिए निर्धारित रखें.”

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निर्माता एकता कपूर ने कहा कि फिल्म उनके भतीजे लक्ष्य के जन्मदिन पर रिलीज होगी. लक्ष्य अभिनेता तुषार कपूर के बेटे हैं. 1 जून 2016 में उनका जन्म आईवीएफ व सरोगेसी के जरिए हुआ था. एकता ने ट्वीट किया, “1 जून एक बड़ा दिन है. ‘वीरे दी वेडिंग’ मेरे लक्ष्य के जन्मदिन पर आ रही है. अब शादी और जन्मदिन पर आप सबको निमंत्रण है.”

हास्य व रोमांस से भरपूर इस फिल्म की सह-निर्माता सोनम कपूर की बहन रिया कपूर, एकता कपूर और निखिल द्विवेदी हैं. बता दें, इस फिल्म से एक्ट्रेस करीना कपूर कमबैक करने वाली हैं. 2016 में तैमूर को जन्म देने के बाद यह करीना की पहली फिल्म है.

इसके अलावा पिछले साल फिल्म के 2 पोस्टर को रिलीज किया गया था, जिन्हें दर्शकों ने काफी पसंद किया था. पोस्टर्स को दर्शकों ने काफी पसंद किया था और उसके बाद से ही दर्शकों को फिल्म का बेसब्री से इंतजार है.

गौरतलब है कि करीना ने इस फिल्म को तैमूर के जन्म से पहले साइन किया था लेकिन फिल्म की शूटिंग 2017 में की गई. फिल्म की शूटिंग के दौरान करीना, सोनम और फिल्म की बाकी कास्ट के भी कई वीडियो वायरल हुईं थी, इतना ही नहीं फिल्म से तैमूर के डेब्यू करने की खबरें भी सामने आईं थी लेकिन सभी अफवाह साबित हुईं थी. अब फिल्म 1 जून को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

बदलते जमाने के साथ ट्रेंड में है कैप्शन वाली जूलरी

बदलते जमाने के साथ ही साथ फैशन का दौर भी बदल रहा है. जहां डिजाइनर कपड़े ट्रेंड में हैं, वहीं नई अंदाज की जूलरी का भी क्रेज दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. फैशन और स्टाइल के नाम पर लड़कियां अक्सर ही नए-नए प्रयोग करती रहती हैं. आए दिन नई-नई चीजें भी फैशन ट्रेंड में शामिल होती रहती हैं, इन्ही में से एक है कैप्शन वाली जूलरी. लड़कियां इन दिनों कैप्शन वाली जूलरीज ज्यादा पसंद कर रही हैं. इन कैप्शन वाली जूलरी की मांग बाजार में जोरों पर है…

कैप्शन जूलरी बनाएगी स्टाइलिश

बाजार में इन दिनों कैप्शन वाली जूलरी ट्रेंड में बनी हुई हैं. अलग-अलग कैप्शन से सजी ये जूलरीज लड़कियों को काफी स्टाइलिश लुक दे रही है. बाजार में आर्टिफिशल जूलरी स्टोर जाने पर आपको एंकलेट्स, ईयरकफ और रिंग्स आदि मिल जाएंगे. इन जुलरी में आपको ‘नखरेवाली’, ‘ख्वाबीदा’, ‘मुसाफिर’ और ‘देखो मगर प्यार से’ जैसे कई सारे कैप्शन लिखे हुए मिल जाएंगे.

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बाजार में ये सभी जुलरी मेटल के बनी हुई मिलेंगी. इन जुलरी में कैप्शन्स को बेहद ही स्टाइलिश और डिजाइनर लुक दिया जा रहा है. बाजार मे इसकी शुरूआती किमत 450 रुपये है.

कौइन नेकपीस और ईयररिंग का चलन

पुराने पैसे भले ही आज चलन से बाहर हो गए हों लेकिन जूलरीज ने इन सिक्कों को फिर से ट्रेंड में ला दिया है. आज के समय में 5 पैसा, एक रुपये और अंग्रेजो के जमाने के सिक्कों से बनी फंकी ईयररिंग्स की काफी डिमांड है.

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ईयररिंग में कलरफुल मोती के साथ सिक्कों का लुक दिया जा रहा है. वहीं नेकपीस के डिजाइन में भी खूबसूरती से सिक्कों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस कलेक्शन ईयररिंग्स, नेकपीस, ब्रेसलेट के अलावा अंगूठियां भी शामिल हैं. इनके डिजाइन में 10 पैसे के सिक्कों का बोलबाला है.

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हालांकि, इस तरह की जूलरी पहले भी फैशन में रह चुकी है. अब ये डिजाइनर जूलरीज नए अवतार में बाजार में वापसी कर रही हैं.

फेंगशुई जूलरी दे रही यूनीक लुक

फेंगशुई जूलरी भी इन दिनों फैशन में है. फेंगशुई जूलरी स्टाइल देने के साथ कौन्फिडेंट फिल भी कराती है. इनमें गोल्ड प्लेटेड चेन और लाफिंग बुद्धा पेंडेंट समेत अन्य डिजाइन और पैर्टन की जूलरीज की डिमांड काफी जोरों पर है.

नाइट शिफ्ट से महिलाओं में बढता है कैंसर का खतरा

आज का समय बदल रहा है, आज हर महिलाएं जिंदगी की रेस में शामिल होना चाहती हैं और जीतना भी चाहती हैं, पर आपको इस बात का ख्याल रखना जरूरी है कि ये भागती दौड़ती जिंदगी कहीं आपकी सेहत को भारी नुकसान न पहुंचा दें. दुनियाभर में बहुत से संस्थान ऐसे हैं जहां नाइट शिफ्ट में भी काम होता है और सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में महिलाएं भी नाइट शिफ्ट में काम करती हैं. लेकिन क्या आप जानती हैं कि लंबे समय तक नाइट शिफ्ट में काम करना आपके स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय बन सकता है.

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नाइट शिफ्ट महिलाओं की सेहत के लिए इतनी हानिकारक है कि इससे आपको कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का सामना भी करना पड़ सकता है. आइये जानें नाइट शिफ्ट और उससे होने वाली सेहत संबंधी समस्याओं बारे में-

हाल ही में किये गये एक शोध के मुताबिक, अनियमित घंटों की लगातार शिफ्ट से महिलाओं में सामान्य कैंसर होने का जोखिम 19 फीसदी तक बढ़ जाता है. सभी तरह के प्रोफेशन का विश्लेषण करने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि लंबे समय तक नाइट शिफ्ट करने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.

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चीन के चेंगदु स्थित सिचुआन यूनिवर्सिटी के वेस्ट चाइना मेडिकल सेंटर में शोध के सह-लेखक शुईलेई मा ने बताया, ‘शोध से पता चला है कि कार्यस्थल पर नाइट शिफ्ट यानी की रात्री के समय लम्बे समय तक काम करने से महिलाओं में कैंसर का जोखिम काफी हद तक बढ़ जाता है.’

इस अध्ययन अनुसार जो महिलाएं नाइट शिफ्ट में काम करती हैं, उनमें नाइट शिफ्ट में काम नहीं करने वाली महिलाओं की तुलना में स्किन कैंसर का खतरा 41 फीसदी, ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 32 फीसदी और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर का खतरा 18 फीसदी तक बढ़ जाता है.

इस बात का रखें ध्यान

नाइट शिफ्ट के दौरान लम्बे समय तक बैठे रहना और रात्री में जागना आपके सेहत को नुकसान पहुंचाता है. इससे कैंसर जैसी गंभीर बिमारी हो सकती है. ऐसे में जरूरी है कि महिलाएं नाईट शिफ्ट करने से बचें.

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अगर रात्री में काम करना बेहद जरूरी है तो लम्बे समय तक एक ही जगह पर न बैठे और हर 30 से 40 मिनट के अंतराल में औफिस में चलें.

काम के दौरान ज्यादा टाइट कपड़े पहनने से बचें.

काम के दौरान ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं और कुछ हल्का खाती रहें.

रात्री की नींद न पूरी होने के कारण दिन में 7 से 8 घण्टे की पूरी नींद लें.

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