कास्टिंग काउच लड़कों के साथ भी होता है : शमा सिकंदर

धारावाहिक ‘ये मेरी लाइफ है’ से चर्चित होने वाली अभिनेत्री शमा सिकंदर राजस्थान के मकराना शहर की हैं. अभिनय के अलावा वह फिल्मों का निर्माण भी करती हैं. स्वभाव से बोल्ड और आत्मविश्वास से परिपूर्ण शमा को इंडस्ट्री में अपनी पहल बनाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी. उन्होंने हिंदी के अलावा दक्षिण की कई फिल्मों में भी काम किया है. इस समय वह कई वेब सीरीज और फीचर फिल्म में काम कर रहीं है. इसके अलावा उनकी प्रोडक्शन हाउस ‘शमासिकंदर फिल्म्स’ के अंतर्गत वह एक प्रोजेक्ट ‘अब दिलकी  सुनो’ पर भी काम कर रही हैं. जो मानसिक बीमारी से लड़ने के बारें में जानकारी देगी. उनसे बात करना रोचक था पेश है अंश.

प्र. आपकी अब तक की जर्नी से कैसी थी?

मैं एक छोटे शहर से हूं अब तक की जर्नी काफी रुचिपूर्ण थी. इतने बड़े शहर मुंबई में आना और काम करना मेरे लिए चुनौती थी. मैंने इतनी बड़ी दुनिया कभी देखी नहीं थी, क्योंकि तब तक माता-पिता ने बड़ी सुरक्षा देकर रखी थी. पहले तो सब कुछ बहुत चौकाने वाला था, क्योंकि लोगो की सोच और उनका नजरिया पता नहीं था. लोग कहते कुछ थे और होता कुछ था. जब ये चीज समझ में आई तो पहले बहुत दुःख हुआ. मैंने 13 साल की उम्र में अभिनय शुरू कर दिया था. ऐसे में सबकुछ समझ पाना मुश्किल था,क्योंकि मुझे कभी ऐसे माहौल में रहने की आदत नहीं थी, लेकिन धीरे-धीरे उससे निकली और अपने काम की ओर फोकस किया. फिर मैं आगे बढ़ती गयी.

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हालांकि मैंने काम अधिक नहीं किया, लेकिन जो भी किया, वह अच्छा किया. इसके लिए मैं जो भी स्क्रिप्ट सुनती हूं अगर वह रुचिपूर्ण हो तो ही आगे बढती हूं. जिस चरित्र के साथ मैं न्याय नहीं कर सकती उसे मैं मना कर देती हूं, क्योंकि जो पैसा मुझे उस भूमिका को करने से मिलता है उसमें अगर ईमानदारी न हो तो में चैन की नींद नहीं सो सकती.

प्र. अभिनय की इच्छा कहाँ से पैदा हुई?

मैं बचपन से ही अभिनय करने में तेज हूं. स्कूल बंक करने के लिए सफाई से झूठ बोला करती थी. जब भी स्कूल में नाटक होता था तो मेरे पिता को लगता था कि मैं अभिनय कर सकती हूं और वे मुझे नाटकों में भाग लेने के लिए कहा करते थे. उन्हें फिल्में देखने का बहुत शौक था. मैं उस समय बहुत ‘शाय नेचर’ की थी मुझमें हिम्मत नहीं थी कि मैं अभिनय करू,पर उनके कहने पर मैं करने लगी थी. छोटे शहर में रहने के बावजूद भी वे चाहते थे कि मैं अपनी पढ़ाई जारी रखूं. उन्होंने हर तरह की आजादी दी,पर मुझे अपने आपको समझने में काफी समय लगा कि मैं अभिनय कर सकती हूं.

दरअसल मेरे पिता का मार्बल का व्यवसाय था. काम के दौरान वे मुंबई आये और यहां पर कुछ फिल्मी हस्तियों के घर पर उन्होंने मार्बल लगवाया था. वे उनके लाइफ स्टाइल को देखकर काफी प्रभावित हुए. उनके पार्टियों में भी हम सभी जाया करते थे. ऐसे में पिता को लगा कि मैं अभिनय कर सकती हूं और मुझे एक्टिंग स्कूल में प्रशिक्षण के लिए डाल दिया. पहले तो मुझे अभिनय पसंद नहीं था और लगता था कि मैं सुंदर नहीं हूं ,मैं अभिनेत्री नहीं बन सकती, पर धीरे-धीरे मुझे भी अच्छा लगने लगा. मैं शुरू से टौमबौय जैसी थी.

प्र. पहला ब्रेक कब मिला?

मैंने 13 साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था. इसकी वजह हमारी वित्तीय अवस्था का अचानक खराब हो जाना था .परिवार काफी आर्थिक तंगी से गुजर रहा था. मैं परिवार में बड़ी हूं और जब पिता की ये हालत देखी, तो काम करने की ठान ली. कोशिश की और फिरोज खान ने फिल्म ‘प्रेम अगन’ में मुझे पहला ब्रेक दिया.

मुझे याद आता है कि एक रात को मैंने अपने माता-पिता को रोते हुए देखा था. तब मुंबई में दंगे चल रहे थे, ऐसे में पैसे की व्यवस्था कैसे होगी, कैसे वे हमें भरपेट भोजन देंगे इसकी चिंता उन्हें सता रही थी, क्योंकि व्यवसाय ठप हो गया था. हम सब दंगे के शिकार थे. उसके बाद पिता को वापस अपनी आर्थिक अवस्था सुधारने में काफी वक्त लगा, लेकिन तब तक हमारे पास घर चलाने के लिए कुछ नहीं था. इसलिए मुझे जल्दी काम करना पड़ा. उस समय मेरा मन भी पढ़ाई में नहीं लगता था. घर चलाना है बस यही सोचती थी, क्योंकि मुझसे छोटे तीन भाई- बहन है उनको सम्हालना था.

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वहां से मेरा अभिनय कैरियर शुरू हुआ. मैं छोटी-छोटी भूमिका जो भी मिलता उसे करने लगी थी, मुझे डांस आता था, इसलिए एक्स्ट्रा में खडी हो जाती थी, कोरियोग्राफर जो डांस सिखाते थे वही मुझे हर जगह ले जाते थे, ऐसे कर जो चार पांच सौ रूपये मिलते थे, वही बहुत बड़ी बात उस जमाने में हुआ करती थी. जब मैंने पहली कमाई 500 रुपये लेकर मम्मी के हाथ में दिया तो वह मुझे गले लगाकर रोने लगी थी.

प्र. इंडस्ट्री से न होने की वजह से आपको ‘कास्टिंग काउच’ का सामना करना पड़ा?

मेरे हिसाब से आउटसाइडर सभी कलाकारों को कभी न कभी इसका सामना करना पड़ता है,जो कहते हैं कि उन्हें सामना नहीं करना पड़ा ,वे झूठ बोलते है. मैंने छोटी उम्र में इसका सामना किया है, क्योंकि मैंने 13-14 की उम्र में काम शुरू किया था, उस समय तो मुझे ठीक तरह से इस बारें में पता भी नहीं था कि वे मुझे छू क्यों रहे हैं. जब पता चला तो उन लोगों से घिन आने लगी थी, पर पिता की एक बात मैंने हमेशा ध्यान में रखी. उनका कहना था कि हम जो भी काम करें इमानदारी और मेहनत से करें, ताकि रात में चैन की नींद सो सके.

‘कास्टिंग काउच’ केवल लड़कियों के साथ ही नहीं लड़कों के साथ भी होता है. ये एक तरह की ‘एब्यूज’ है. 90 प्रतिशत लोग ऐसे ही हैं. मैं खुशनसीब हूं कि मेरा परिवार हमेशा हर हालात में मेरे साथ रहा है. समस्या तो उन्हें आती है, जो ऐसी बातों को किसी से शेयर नहीं कर सकते और कई बार डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं.

मुझे याद आता है कि जब मैं शुरू-शुरू में एक फिल्म के लिए फिल्म मेकर से मिलने अपने पिता के साथ गयी थी, तो उस फिल्ममेकर की सेक्रेटरी ने मुझे मेरे पिता के साथ अंदर जाने से मना किया. मैं अकेली अंदर बात करने गयी. बात करते-करते उसने मेरे जांघ पर हाथ रख दिया. मैं डर गयी और थोड़ी देर के लिए फ्रिज हो गयी. फिर मैंने उनके हाथ को जोर से हटा दिया. उनका कहना था कि ये बहुत ही नार्मल बात है और इसके बिना मुझे काम नहीं मिल सकता. मैं झट से उठी और वहां से चल दी. ये घटना काफी दिनों तक मेरे दिमाग में चलती रही.

प्र. इंडस्ट्री में आये बदलाव को कैसे देखती हैं?

अभी पहले से काफी बदलाव है, आज मीडिया के आगे काफी बातें आती है. इसलिए एक्सप्लौइटेशन कुछ कम हुआ है. लोग डरते नहीं और ये सही है. आज के यूथ काफी सुलझे हुए हैं. मुझमें भी परिवर्तन आया है. मुझे सब कुछ साफ-साफ अब दिखता है. इसलिए मैं किसी गलत काम में नहीं फंसती.

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प्र. तनाव होने पर कैसे निकलती हैं?

तनाव होता है, उससे निकलने का रास्ता भी खुद को ही निकालना पड़ता है. मेरे हिसाब से कोई भी तनाव इतना बड़ा नहीं होता,जिससे आप निकल न सके. मुझे डिप्रेशन के साथ-साथ बायोपोलर नामक बीमारी हुई थी, जिससे निकलने में काफी समय लगा. अभी मैं बिलकुल ठीक हो चुकी हूं. लाइफ जैसे आती है, मैं उसमें ही खुश रहने की कोशिश करती हूं. इसके अलावा मैं बात बहुत करती हूं. इससे लाइफ आसान हो जाती है. मैं बातचीत के दौरान कभी किसी पर आरोप नहीं लगाती, बल्कि अपना पक्ष सबके सामने रखना पसंद करती हूं.

प्र. पर्सनल लाइफ में अभी कौन-कौन है?

मेरे साथ मेरे ‘फियानसे’ रहते हैं, जो अमेरिका के हैं. उनके साथ मेरी सगाई हो चुकी है. शादी करने वाली हूं.

प्र. समय मिले तो कहां जाना पसंद करती हैं?

मुझे ट्रेवलिंग बहुत पसंद है. समय मिलने पर घूमने चली जाती हूं. स्विट्ज़रलैंड बहुत पसंद है.

प्र. किस क्षेत्र में अभी सुधार जरुरी है?

लोगों में आत्म जागरूकता की कमी है, उसे बढ़ाना जरुरी है. इससे सही गलत का अंदाज आपको पता चलता है.

प्र. क्या कुछ मेसेज देना चाहती हैं?

जब भी तनाव किसी को भी हो, अपने परिवार और दोस्तों से शेयर करें,इससे आप काफी हल्का महसूस कर सकते  हैं.

सफलता की गारंटी नहीं होते ब्यूटी पेजेंट्स

हौलीवुड की सुपरस्टार ऐक्ट्रैस हेली बेरी सब से ज्यादा कमाई करने वाले सितारों की लिस्ट में कई सालों तक टौप पर रहीं. लेकिन उन के बारे में यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि इस जेम्स बौंड गर्ल को साल 1986 की मिस वर्ल्ड की प्रतियोगिता में 6वां स्थान दे कर एक तरह से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. जबकि उस साल की विजेता रही मिस वर्ल्ड जिसेले लारोंडे को त्रिनिदाद टोबैगो की पहली मिस वर्ल्ड होने गौरव मिला.

साल 1986 से अब तक करीब 30 साल से भी ज्यादा गुजर चुके हैं. उस साल की मिस वर्ल्ड जिसेले कहीं गुमनामीभरा जीवन जी रही हैं जबकि हेली बेरी आज भी दुनिया में कामयाब सितारा की हैसियत रखती हैं.

इस तुलना का उद्देश्य किसी खास शख्सियत की असफलता को आंकना या किसी को महिमामंडित करने का नहीं, बल्कि यह बताना भर है कि मिस वर्ल्ड, मिस यूनीवर्स, मिस प्लेनेट, मिस अर्थ, मिस इंडिया, मिस एशिया पैसिफिक, मिस इंडिया वर्ल्ड, मिस इंडिया यूनिवर्स जैसी ब्यूटी पेजेंट्स यानी सौंदर्य प्रतियोगिताओं के विजेता होने का मतलब यह नहीं कि अब आप का कैरियर हवाई स्पीड से आसमान को छू लेगा.

ब्यूटी कौंटैस्ट्स की 90 प्रतिशत विजेता महिलाओं का कैरियर किसी खास मुकाम पर नहीं पहुंच सका है जैसा कि उन के जीतने के समय प्रतीत होता है. भारत में भले ही इन सौंदर्य प्रतियोगिताओं को कामयाबी और शोहरत की गारंटी मानने की गलतफहमी हो लेकिन आंकड़े और असलियत कुछ और ही बयां करते हैं.

रिऐलिटी शो सरीखी है इन की जीत

भारत की ओर से इस साल मिस वर्ल्ड का खिताब जीत कर आईं मानुषी छिल्लर अभी पूरे देश में सितारा बनी हुई हैं. सरकार उन के नाम पर एक के बाद एक इनाम और तोहफों की बारिश कर रही है. निजी कंपनियां कई मौडलिंग असाइंमैंट देने के लिए बेताब हैं और फिल्म इंडस्ट्री  कतार में खड़ी है कि वह मानुषी को फिल्मों में लौंच कर के ही दम लेगी.

लेकिन क्या इतना सबकुछ होने के बावजूद इस बात की गारंटी है कि मानुषी छिल्लर अपनी मौजूदा जीत की कामयाबी और सितारा कद को बरकरार रख पाएंगी? बिलकुल नहीं. ज्यादातर मामलों में तो ऐसा ही देखा गया है. दुनियाभर में जितने भी ब्यूटी पीजेंट हुए हैं उन में ज्यादातर की विजेता बहुत जल्दी ही कामयाबी की लाइमलाइट से बाहर हो गईं जबकि अन्य क्षेत्रों से आई महिलाओं ने ज्यादा नाम व शोहरत कमाई. यह हाल सिर्फ विदेश का ही नहीं, बल्कि भारत समेत दुनिया के हर देश का है.

सच तो यह है कि इन की जीत किसी रिऐलिटी शो सरीखी है जहां बड़े स्तर पर आयोजन होता है. दुनियाभर के दर्शक और जज आप का टैस्ट लेते हैं. जीतने पर एक बड़ी रकम और कुछ दिनों के लिए सुर्खियां मिलती हैं. लेकिन इस के बाद इन विजेताओं का कैरियर किस दिशा में जाता है, इस बात को किस को पड़ी होती है. स्पौंसर्ड कंपनियां, आयोजक और सैटेलाइट चैनल अपना मुनाफा कमा कर चलते बनते हैं और विजेता ग्लैमर व कामयाबी की लाइमलाइट में अंधा हो जाता है. वरना याद कीजिए कितने कौंटैस्ट, रिऐलिटी शोज और टैलेंट कंपीटिशंस के विनर्स अपनी कामयाबी को कायम रख पाए हैं? गिनती के नाम होंगे.

इन टैलेंट शोज की तरह ही मिस वर्ल्ड और मिस यूनीवर्स प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं, बड़ेबड़े सौंदर्य उत्पाद स्पौंसर करते हैं और रंगारंग जलसे में एक देश का प्रतिभागी जीत जाता है. लेकिन उस जीत के बाद उस प्रतिभागी का कैरियर गुमनामी की किस मांद में जा कर दम तोड़ देता है, इस की परवा किसी को नहीं रहती.

कितनी मिस वर्ल्ड व मिस यूनीवर्स कामयाब हैं?

सच को किसी सुबूत की जरूरत नहीं होती. जरा कुछ मिस वर्ल्ड या ब्यूटी पेजेंट्स के कैरियर पर नजर डाल लेते हैं, सब साफ हो जाएगा. अब तक भारत की ओर से कुल 6 महिलाओं ने मिस वर्ल्ड जैसे खिताब अपने नाम किए हैं. वर्ष 1966 में भारत की रीता फारिया पहली मिस वर्ल्ड बनीं. भारत और एशिया की पहली मिस वर्ल्ड होने का गौरव हासिल करने वाली रीता पेशे से डाक्टर हैं. खिताब जीतने के बाद उन से लोगों ने उम्मीदें लगाई थीं कि ये दुनिया में कुछ बड़ा करेंगी लेकिन मैडिकल पेशे को ही अपनाया और शादी कर के आयरलैंड में शिफ्ट हो गईं. बीच के कुछ साल उन्होंने  कुछ ब्यूटी कौंटैस्ट में बतौर जज सक्रियता दिखाई लेकिन आज उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर न के बराबर ही देखा जाता है.

फारिया के बाद लगभग 28 साल बाद 1994 में ऐश्वर्या राय ने मिस वर्ल्ड का खिताब जीता. यह वही साल था जब सुष्मिता सेन भी मिस यूनीवर्स बन दुनियाभर में सुर्खियां बटोर रही थीं. लेकिन उस के बाद क्या हुआ. दोनों ने बौलीवुड में कैरियर आजमाया. सुष्मिता सेन का कैरियर कुछ फिल्में करने के बाद खत्म हो गया और अब वे इक्कादुक्का ब्यूटी इवैंट्स में शिरकत करती दिखती हैं जबकि ऐश्वर्या राय बच्चन आज भले ही नामी हस्ती बन गई हैं लेकिन प्रतियोगिता जीतने के बाद उन्हें अचानक से कोई कामयाबी नहीं मिली थी. खिताब जीतने के बाद कई सालों तक वे रीजनल फिल्मों यानी तमिल और तेलुगु में संघर्ष करती रहीं, फिर जा कर उन्हें हिंदी फिल्मों में काम मिला. बौलीवुड में सितारा हैसियत हासिल करने में उन्हें कई साल लग गए. जाहिर है इस में उन की अपनी मेहनत ज्यादा थी, खिताब जीतने की भूमिका कम.

ऐश्वर्या के बाद डायना हेडन ने 1997 में फेमिना मिस इंडिया वर्ल्ड का ताज जीता, और फिर एक ही साल में मिस वर्ल्ड का ताज जीता. ऐसा कर के, वे 1966 व 1994 में रीता फारिया और ऐश्वर्या राय के बाद, मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता जीतने वाली तीसरी भारतीय बनीं. लेकिन जितनी तेजी से डायना ने कामयाबी हासिल की, उतनी ही तेजी से कैरियर के मोरचे पर वे औंधेमुंह गिर गईं. फ्लौप फिल्म ‘अब बस’, ‘ओथेलो’ के फिल्मी संस्करण, ‘तहजीब’, ‘बिग बौस’ के बाद वे फिल्म इंडस्ट्री से गायब हो गईं. फिल्म ‘अब बस’ (2004) से  जोरदार वापसी करने की कोशिश की थी. यह फिल्म हौलीवुड की सुपरहिट फिल्म ‘इनफ’ का रीमेक थी. पर इस फिल्म के बाद दर्शकों ने डायना को ही ‘अब बस’ कह दिया. इन दिनों वे किसी एनजीओ से  जुड़ी हैं.

डायना के बाद साल 1999 में युक्ता मुखी ने भी मिस वर्ल्ड का खिताब जीता. खिताब ने युक्ता को बौलीवुड मे एंट्री करने का सीधा रास्ता दिखाया. पर उन की फिल्म ‘प्यासा’ बौक्स औफिस पर एक बूंद पानी को तरस गई और कैरियर वहीं खत्म हो गया. न्यूयौर्क के रईस बिजनैसमैन प्रिंस टूली के साथ शादी रचा ली, थोड़े ही समय बाद युक्ता ने अपने पति प्रिंस टूली पर मारपीट करने और अप्राकृतिक यौनसंबंध बनाने का आरोप लगा कर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है. खैर यह मामला तलाक पर जा कर खत्म हुआ.

वर्ष 2000 में प्रियंका चोपड़ा (मिस वर्ल्ड) और लारा दत्ता (मिस यूनीवर्स) ने इस खुशी को दोहराया. प्रियंका चोपड़ा ने भी कई सालों का संघर्ष और रिजैक्शन झेला और फिल्मी कैरियर बनाया, वरना साल 2000 में ही खिताब जीतते वे स्टार बन जातीं. उन के साथ ही मिस यूनीवर्स रहीं लारा दत्ता ने प्रियंका के साथ ही फिल्म ‘अंदाज’ से कैरियर स्टार्ट किया और वे अब ‘सिंह इज ब्ंिलग’ जैसी फिल्म में सहयोगी भूमिकाएं करने की मजबूर हैं. जाहिर है कैरियर औसत रहा उन का.

अन्य ब्यूटी पेजेंट्स भी

ढाक के तीन पात

मिस वर्ल्ड खिताबों से परे अन्य ब्यूटी पेजेंट्स की बात करें तो यहां भी बहुत कम सुंदरियां हैं जिन्होंने अपने कैरियर में कुछ उल्लेखनीय किया, वरना सब खिताब के जीत के बोझ तले दब गईं. अभिनेत्री सेलिना जेटली को देख लीजिए, साल 2001 में फेमिना मिस इंडिया यूनिवर्स चुनी गईं, उस के बाद फिल्मों में ‘जानशीन’ से डैब्यू किया और कुछेक फिल्मों के बाद घरगृहस्थी संभालने को मजबूर हैं. मिस इंडिया वर्ल्ड 2010 मनस्वी मामगई,  मिस इंडिया इंटरनैशनल नेहा हिंगे का नाम भी अब कहां सुनने को मिलता है. साल 2000 में दीया मिर्जा  फेमिना मिस इंडिया में मिस एशिया पैसिफिक बनीं. उस के बाद वे मिस एशिया पैसिफिक भी चुनीं गईं. बाकी की कहानी सब को पता है.

फिल्म, राजनीति और विवाद भी काम न आए

गुल पनाग ने 1999 में मिस इंडिया का खिताब जीता और मिस यूनिवर्स में वे टौप टैन में आईं. बाद में मिस इंडिया गुल पनाग ने ‘मनोरमा सिक्स फीट अंडर’, ‘हैलो’, ‘धूप’ जैसी फिल्मों में काम किया. कहानी वही पुरानी. फिल्मों से राजनीति में आईं. आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ीं और एक अन्य अभिनेत्री किरण खेर से जा भिड़ीं. लेकिन असफलता ही हाथ लगी उन के. फिलहाल शौर्ट फिल्में कर कैरियर की गाड़ी किसी तरह खींच रही हैं.

गुल पनाग की तरह पूर्व मिस इंडिया नफीसा अली ने भी 2005 में दक्षिण कोलकाता से चुनाव लड़ा. लेकिन वे हार गईं. उन्होंने फिर 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने की घोषणा की. लेकिन इस के बाद वे फिर से कांग्रेस पार्टी से जुड़ गईं और सोनिया गांधी से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए माफी भी मांगी. नफीसा अली ने कई बौलीवुड फिल्मों में काम किया. लेकिन कभी पहली कतार की सफल अभिनेत्रियों में उन का नाम नहीं आया.

मधु सप्रे ने 1992 में मिस यूनिवर्स कौंटैस्ट में भारत का प्रतिनिधित्व किया. इस प्रतियोगिता में वे तीसरे स्थान पर रहीं. एक समय मौडलिंग जगत में उन के खूब चर्चे हुए थे एक विवादास्पद विज्ञापन में मिलिंद सोमन के साथ नग्न फोटोशूट को ले कर. फिलहाल, असफल कैरियर के साथ मधु सप्रे इटली में रह रही हैं और कभीकभी रैंप पर भी दिख जाती हैं.

मनप्रीत बरार ने 1995 में मिस इंडिया का खिताब जीता. मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में वे दूसरे स्थान पर रहीं. मेहर जेसिया ने 1986 में मिस इंडिया का खिताब जीता. उन्होंने फिल्म अभिनेता अर्जुन रामपाल से शादी की. इन का कैरियर भी मौडलिंग जगत तक सीमित रहा.

कई बार असफलता से भी ज्यादा बुरा हश्र हुआ है ब्यूटी पेजेंट्स का. मसलन, नफीसा जोसफ ने 12 साल की उम्र में मौडलिंग की दुनिया में कदम रखा और मिस इंडिया के मुकाम तक पहुंचीं. 2007 में मुंबई के अपने मकान में शादी टूटने की वजह से उन्होंने आत्महत्या कर ली.

2002 में मिस इंडिया चुनी गईं नेहा धूपिया, 2003 में मिस इंडिया का खिताब जीतीं. निकिता आनंद 2008 में मिस इंडिया वर्ल्ड चुनी गईं. पार्वथी ओमनाकुट्टन नायर 15 साल की उम्र में मिस इंडिया यूनिवर्स (1965) चुनी गईं. इन सब ने मौडलिंग व फिल्मी क्षेत्र में हाथ आजमाए लेकिन असफल रहीं. 2004 में फेमिना मिस इंडिया चुनी गईं सयाली भगत, 2004 में मिस इंडिया कौंटैस्ट जीत चुकीं तनुश्री दत्ता का भी ऐसा ही हश्र हुआ.

ग्लैमर बनाम संघर्ष और मेहनत

ऐसा नहीं है कि ब्यूटी पेजेंट्स में भाग लेने और जीतने वाली प्रतिभाशाली नहीं होतीं, इसीलिए कैरियर के मोरचे पर उतनी कामयाब नहीं हो पातीं. दरअसल, हर कामयाब इंसान के पीछे उस का संघर्ष, रिजैक्शन, धैर्य और सूझबूझ का हाथ होता है. जो इन सब से गुजर कर मंजता है वह ही कामयाबी की लंबी पारी खेलता है.

लेकिन इन ब्यूटी पेजेंट्स में किसी भी प्रतियोगी विजेता को रातोंरात इतना बड़ा स्टार बना दिया जाता है कि उसे संघर्ष की अहमियत ही समझ नहीं आती. घर बैठे ही ढेरों औफर्स की लाइन लग जाती है और कम समय में बिना किसी मेहनत व संघर्ष से जब काम आता है तो सहीगलत का चुनाव करने की सोच मंद पड़ जाती है. यही कुछ शुरुआती गलत फैसले स्टारडम की शुरुआती झलक दिखा कर इन्हें असफलता की राह पर ढकेल देते हैं. इसीलिए कई मौडल और ऐक्ट्रैस ने ब्यूटी खिताब तो खूब जीती होती हैं लेकिन अपनी जीत को वे कामयाब कैरियर में तबदील करने में पूरी तरह से चूक जाती हैं.

बहुत कम होती हैं जो प्रियंका चोपड़ा, ऐश्वर्या राय या हेली बेरी की तरह लंबा संघर्ष कर सफलता हासिल करती हैं. ज्यादातर खिताबी ग्लैमर और स्टारडम के नशे में चूर हो कर संघर्ष और रिजैक्शन का सामना नहीं कर पातीं और नतीजतन, आरंभिक चमकदमक के बाद की उन की जिंदगी अपेक्षाकृत गुमनामी या असफलता की डगर में गुजरती है. आने वाली पीढ़ी और लड़कियों को सलाह है कि जो ऐसे दावे करते हैं कि एक बार ब्यूटी प्रतियोगिता जीत गए तो आप का कैरियर सैट हो जाएगा, उन की न सुनें. हर प्रतियोगिता में भाग लें और जीतें लेकिन कामयाबी के मूलभूत सिद्धांतों को अनदेखा न करें.

कैसे होता है चयन

मिस इंडिया प्रतियोगिता विश्व सौंदर्य प्रतियोगिता में शिरकत करने वाली भारतीय सुंदरियों का चयन करती है. इस प्रतियोगिता से 3 सुंदरियों को चुना जाता है जो मिस वर्ल्ड, मिस इंटरनैशनल और मिस अर्थ में भारत का प्रतिनिधित्व करती हैं. शुरूशुरू में इस तरह का कोई नियम नहीं था कि मिस इंडिया एक ही साल में मिस यूनिवर्स और मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भाग नहीं ले सकती. लेकिन बाद में जब फेमिना ने मिस इंडिया चुनने का जिम्मा संभाला तो इस में तबदीली की गई. अब इस प्रतियोगिता के विनर को मिस यूनिवर्स और रनरअप को मिस वर्ल्ड कौंटैस्ट में भेजा जाने लगा.

रोचक तथ्य

1995 से मिस इंडिया प्रतियोगिता में एक विनर चुनने का रिवाज समाप्त हो गया. यहां से 3 विनर चुनने की प्रथा शुरू हुई. अब तीनों ही विनर को बराबर की प्राइज मनी और ईनाम मिलते हैं. और इन्हें मिस इंडिया वर्ल्ड, मिस इंडिया यूनिवर्स और मिस इंडिया अर्थ का नाम दिया जाता है.

मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में इंदरानी रहमान भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला थीं. भारत ने पहली बार 1953 में मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में शिरकत की.

मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में भारत ने पहली बार 1959 में भाग लिया. फ्लेयूर इजेकियल मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में शिरकत करने वाली पहली भारतीय थीं.

अब तक भारत ने दुनिया को सर्वाधिक मिस वर्ल्ड दिए हैं. इस मामले में भारत वेनेजुएला की बराबरी पर है. भारतीय सुंदरियों ने 1966, 1994, 1997, 1999 और 2000 व 2017 में मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता जीती है.

भारत की ओर से मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के लिए 1963, 1964, 1965 और 1967 में किसी प्रतियोगी को नहीं भेजा गया.

दिसंबर 2009 में दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में संपन्न हुए मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में प्रियंका चोपड़ा जज के रूप में शामिल हुईं.

 

‘मी टू’ को न बनाएं इतना बड़ा इश्यू

औस्कर अवार्ड विजेता हौलीवुड निर्देशक हार्वे वेंस्टीन ने जब यह स्वीकार किया कि एक अभिनेत्री द्वारा लगाए गए आरोप सही हैं तब बहुत सारी दूसरी औरतें भी ‘मी टू’ यानी मैं भी शिकार हूं कहने के लिए खड़ी हो गईं. अमेरिका के समाज में महिलाओं ने भले ही यह स्वीकार कर खुलेआम इस अभियान को चलाया हो पर भारत में अभी कोई भी खुल कर इस विषय में बात नहीं करना चाहता.

भारत में मी टू कैंपेन को चलाने वाली महिलाओं की संख्या कम है. औफ द रिकौर्ड बात करने वाली महिलाओं की संख्या अधिक है. फिल्मों और फैशन की दुनिया में बात करने पर पता चलता है कि यहां के हालात अभियान से कहीं अधिक गंभीर हैं. यहां मी टू को इश्यू बनाना उतना सरल भी नहीं है. यह कई तरह की बाधाएं खड़ी करने वाला अभियान हो सकता है. शायद यही वजह है कि भारत में इस अभियान को लोगों ने स्वीकार नहीं किया है.

मी टू के जरिए सभ्य समाज की पोल खुल रही है. सफल महिलाएं तक यह बता रही हैं कि उन को भी कभी न कभी मी टू का शिकार होना पड़ा है. मी टू का मतलब छेड़छाड़ से सैक्स तक की घटनाओं से जुड़ा है. असल में मी टू के लिए पढ़ेलिखे और अनपढ़ जैसी कोई सीमारेखा नहीं है. पहले इन बातों को लोग छिपाते थे, अब इन को बताने लगे हैं. कहा यह जा रहा है कि मी टू जैसे कैंपेन से महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाएं रुकेंगी. अमेरिका जैसे देश में जहां छेड़छाड़ को छिपाया नहीं जाता वहां भी ऐसी घटनाएं घट रही हैं.

भारत से ले कर अमेरिका तक मी टू अभियान में ज्यादातर मामले फिल्मी दुनिया के ही आ रहे हैं. कुछ मामले महिला खिलाडि़यों के हैं. हौलीवुड के प्रख्यात फिल्म निर्माता हार्वे वेंस्टीन के खिलाफ महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले सुर्खियों में हैं. बताया जाता है कि वेंस्टीन फिल्म अभिनेत्रियों को मजबूर करते थे.

अमेरिका के ओहायो सुप्रीम कोर्ट के जज ने अपने बयान में कहा कि उन के 50 से अधिक महिलाओं से संबंध रहे हैं. जज बिल ओ नील ने फेसबुक पर यह शेयर किया था. नील ने बताया कि उन के पिछले 50 सालों में

50 बेहद सुंदर महिलाओं से यौनसंबंध रहे हैं. 70 साल के जज नील ने 2 महिलाओं के नाम लिख कर इस बात का जिक्र किया था. नील ने लिखा कि इन खूबसूरत 50 महिलाओं में निजी सचिव से ले कर विधायक यानी सीनेटर तक शामिल हैं. नील ने एक सीनेटर को अपना पहला और सगा प्यार बताया. नील के इस बयान की बाद में आलोचना भी हुई. तब नील ने माफी भी मांगी.

अमेरिका से अलग नहीं भारत के हालात

अमेरिका में पिछले दिनों यौनशोषण के कई मामले सामने आए. इन में अमेरिका के कई जानेमाने नाम सामने आए. जिन दिनों अमेरिका में ये नाम उभरे, भारत में मी टू अभियान सामने आया. भारत में कई अभिनेत्रियों ने इस मुहिम का हिस्सा बनते हुए बताया कि वे भी मी टू की शिकार हुई हैं. असल में भारत में इस बात को केवल सुर्खियों में बने रहने के लिए प्रयोग किया गया. यही वजह है कि इसे छेड़छाड़ तक ही सीमित रखा गया.

भारत की फिल्मी दुनिया से ले कर राजनीति और दूसरे हलकों में ऐसे किस्से दबी जबान से कहेसुने जाते रहे हैं. फिल्मी दुनिया में इसे ‘कास्टिंग काउच’ और कंप्रोमाइजिंग का नाम दिया गया. यहां हीरो ही नहीं, फिल्मों के निर्माता और निर्देशक पर ऐसे आरोप लगे. फिल्मों में काम देने के बहाने यौन संबंधों के लिए दबाव बनाया गया.

खुलेआम इस तरह की घटनाओं पर कम ही लोग खुल कर बोलते हैं. ज्यादातर ऐसे बयान तब ही सामने आते हैं जब कोई आपराधिक घटना घट जाए या फिर वादा कर के उस को पूरा न किया जाए. केवल फिल्मों में ही नहीं, राजनीति में भी ऐसी घटनाओं की लंबी लिस्ट है. यौनशोषण से शुरू हुई घटनाएं अकसर हत्या जैसी जघन्य अपराधों में बदल जाती हैं.

उत्तर प्रदेश में मधुमिता हत्याकांड और कविता चौधरी हत्याकांड इस के प्रत्यक्ष उदाहरण रहे हैं. कई दूसरे नेताओं के महिला नेताओं से संबंध चर्चा का विषय रहे हैं. यह बात और है कि हमारे देश में इसे खुल कर स्वीकार नहीं, किया जाता, छिपाने का प्रयास किया जाता है. जिस के कारण हत्या जैसी जघन्य घटनाएं घट जाती हैं.

भारत में जब सोशल मीडिया पर मी टू अभियान की शुरुआत हुई तो बहुत सारी महिलाएं सामने आईं. 2006 में शुरू हुए इस अभियान को 15 अक्तूबर, 2017 को अलाइशा मिलानो ने इसे फिर से चर्चा में ला दिया. इस अभियान से लोग जुड़े जरूर, पर केवल दिखावा भर के लिए.

धर्म का असर

यौनशोषण की घटनाएं भारत में हर तरफ होती हैं. इन की चर्चा नहीं होती. इस पर बात करते हुए बिहार की राजधानी पटना की एक अभिनेत्री कहती है, ‘‘हमारे जीवन पर धर्म की कहानियों का बहुत असर है. गौतम की पत्नी अहल्या से छल करने वाले इंद्र के बजाय अहल्या को ही दोष दिया गया है. उसे ही पत्थर बनना पड़ा है. आज भी पुरुष का कोई दोष नहीं माना जाता है.

‘‘अहल्या ही नहीं, सीता को भी देखें, तो यही घटना सामने आई. सीता को अग्निपरीक्षा देने के बाद भी समाज से बाहर निकलना पड़ा. ये कहानियां आज भी दिलोदिमाग पर हावी हैं. इन सब से यहां औरत को ही गलत माना जाता है. इसी वजह से शोषण का शिकार होने के बाद भी कोई औरत अपनी बात कहना नहीं चाहती. उसे इस बात का डर होता है कि ऐसे मामले सामने आने के बाद लोग उसे काम देना बंद कर देंगे.’’

पटना की रहने वाली यह अभिनेत्री टीवी सीरियलों में काम करने मुंबई आई थी. यहां आ कर उस के सामने ऐसे प्रस्ताव आने लगे कि जब तक समझौता नहीं करोगी, रोल नहीं मिलेंगे. वह कहती है, ‘‘प्रोड्यूसर से ले कर हीरो तक इस चाहत में रहते हैं. ऐसे कलाकारों की ही सिफारिश करते हैं जो उन के साथ संबंध बनाने में राजी हों.’’

हिंदी सिनेमा में यह कोई चर्चा का विषय नहीं रह गया है. मी टू अभियान में ये अपनी बात क्यों नहीं कहतीं? इस सवाल पर नाम न छापने की शर्त पर वह कहती है, ‘‘मी टू का शिकार तो बहुत हैं. सच कहेंगी तो काम नहीं मिलेगा, कैरियर के सभी रास्ते बंद हो जाएंगे.’’

भोजपुरी फिल्मों की 2 प्रमुख अभिनेत्रियों से बात की तो वे बोलीं, ‘‘भोजपुरी फिल्मों की हालत सब से अधिक खराब है. यहां छोटेछोटे शहरों की लड़कियां काम करने आती हैं. पैसे से भी वे उतना मजबूत नहीं होतीं और परिवार के लोग उन का साथ नहीं देते. ऐसे में काम करना उन की मजबूरी हो जाती है.’’

इन दोनों ने बताया कि भोजपुरी फिल्मों में हीरो अपनी जोड़ी बना कर काम करते हैं. जो लड़की समझौता करती है उस की सिफारिश की जाती है. जो लड़की समझौते के लिए तैयार नहीं होती, उस के साथ काम करने से मना कर दिया जाता है. यही वजह है कि नई लड़कियां यहां कम आती हैं. ऐसी आवाज उठाने वाली लड़कियों के काम करने के रास्ते बंद हो जाते हैं.

घटते अवसर

लड़कियों की सुरक्षा के लिए काम कर रही समाजसेवी विनीता ग्रेवाल कहती हैं, ‘‘एक ऐसी ही घटना की शिकार लड़की हमारी संस्था में आई. हम ने उस की कांउसलिंग कर के एक शौप पर नौकरी में रखवा दिया. इस बात की जानकारी एक समाचारपत्र में छपी तो शौप के मालिक को यह पता चल गया.

‘‘नतीजतन, उस ने लड़की को उस का वेतन दिया और आगे न आने के लिए कह दिया. जब हम ने इस बारे में पूछा तो उस ने बहाना बना दिया. दूसरी लड़कियों ने बताया कि जब दुकानदार को यह पता चला कि लड़की इस

तरह की घटनाओं को तूल दे देती है तो उस ने उसे जौब से हटाने का फैसला ले लिया. उसे लगता था कि ऐसी लड़की से शौप की इमेज खराब हो जाती है.’’

विनीता ग्रेवाल ने एक लड़की को ब्यूटीपार्लर चलाने के लिए शौप किराए पर दिलाई. मकानमालिक को जैसे ही इस बात का पता चला कि लड़की इस तरह से विवादों में उलझी है, उस ने दुकान देने से मना कर दिया. विनीता कहती हैं, ‘‘हमारे समाज में लोग ऐसी लड़कियों से दूर रहना चाहते हैं जो मी टू घटनाओं का शिकार होती हैं. इस तरह की शिकार लड़कियों को ही गलत माना जाता है. यही वजह है कि समाज में बहुत सारी घटनाओं के घटने के बाद भी महिलाएं सामने आ कर कुछ कहने से बचती हैं.’’

यह बात केवल आम लोगों की नहीं है. संसद में जब महिला सुरक्षा बिल पास हो रहा था, कई नेताओं ने इस बात के तर्क दिए कि इस तरह का बिल आने के बाद लड़कियों के लिए काम के अवसर कम हो जाएंगे. यह चिंता गलत नहीं थी. कौर्पोरेट वर्ल्ड में अघोषित पौलिसी बन गई, जिस में  लड़कियों की जौब औफिस वर्क के लिए ही होने लगी. टूरिंग जौब से लड़कियों को दूर किया जाने लगा.

एक कंपनी की एचआर मैनेजर ने बताया कि टूर के समय अगर 2 या 3 लड़के हैं तो वे एक रूम में रह लेंगे. काम के समय देर को ले कर कोई परेशानी नहीं होगी. लड़की के होने से कंपनी को काम से ज्यादा चिंता लड़की की रखनी पड़ती है. लड़की की शिकायत पर कंपनी की छवि तो खराब होती ही है, उसे कानूनी दांवपेंच में भी फंसना पड़ता है. ऐसे में एचआर का प्रयास यह होने लगा कि लड़की के बजाय काम करने के लिए लड़कों को ही रखा जाए. इस से लड़कियों के सामने कैरियर के औप्शंस कम होते जा रहे हैं.

छत पर इस तरह आप भी उगा सकती हैं हरी सब्जियां

खाने पीने की वस्तुओं में आज मिलावट की जा रही है. शुद्ध हरी सब्जियों का मिलना मुश्किल हो गया है. लौकी, तुरई, पालक, फूलगोभी, पत्तागोभी आदि सब्जियों में तरहतरह की रायायनिक खाद के साथ ही जहरीले कीटनाशक मिला कर खुलेआम बेचा जा रहा है. हम न चाहते हुए भी जहरीली सब्जियां खाने को मजबूर हैं.

मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में रहने वाले रिटायर्ड अफसर जी एस कौशल अपने घर की छत पर साल के बारहों महीने हरी सब्जियां उगाते हैं. इस बारे में वे बताते हैं कि जहरीली सब्जियों से नजात पाने के लिए उन के दिमाग में यह बात आई.

घर से निकलने वाले गचरे, खाने के जूठन को वे फेंकते नहीं हैं, बल्कि इस से वे खाद तैयार करते हैं, जो छत में लगे पौधों को देने के काम में आती है. जी एस कौशल अपने दोमंजिले मकान की छत पर सब्जियों के अलावा अमरूद, नीबू, अनार और मुनगा के पेड़ भी लगाए हुए हैं.

कृषि विभाग से सेवानिवृत्त हुए जी एस कौशल बताते हैं, ‘‘वे कभी सब्जी के लिए बाजार का रुख नहीं करते. मुझे घर की छत पर तैयार नर्सरी से सब्जी मिल जाती है, जो एकदम तरोताजा होती है. इन सब्जियों की एक खास बात यह भी है कि मैं देशी बीजों से ही सब्जी की फसल तैयार करता हूं. पौधों में स्वनिर्मित जैविक खाद का प्रयोग करता हूं. खाद निर्माण के लिए छत पर एक हिस्से में व्यवस्था कर रखी है. गोबर, गौमूत्र, गुड़, सड़ेले फल, छिलके और हरा कचरा मिला कर खाद तैयार करता हूं. इस के लिए सभी वस्तुओं को पानी में डाल कर उस में गुड़ डाल देता हूं. 2 से 3 महीनों में जैविक खाद बन कर तैयार हो जाती है.’’

जी एस कौशल ने सब्जी उगाने के लिए गमलों के अलावा घर से निकले कबाड़ के सामान का बखूबी इस्तेमाल किया है. उन्होंने कार के खराब हो चुके बंपर, खराब वाशिंग मशीन, बालटी आदि में मिट्टी भर कर उस में भिंडी, लौकी, बैगन, टमाटर, कुंदरू, अमरूद, अनार, करेला आदि लगाए हैं.

जी एस कौशल का मानना है कि शहर के लोगों को इस तरह से जैविक बागबानी करनी चाहिए जिस से कि पौष्टिकता से भरपूर हरी सब्जियां खाने को मिल सकें.

किडनी में पथरी के खतरे से बचाएंगे ये हेल्थ टिप्स

खानपान में लापरवाही बरतना आपको काफी भारी पड़ सकता है. यह किडनी में पथरी जैसी कष्टकारी बिमारी को जन्म दे सकता है. पथरी जैसी बिमारी के साथ सबसे बुरी बात ये है कि यह एक बार नहीं होता, बल्कि कई बार इसके होने की संभावना होती है. किडनी में पथरी के होने की समस्या एक बार होने के बाद जब यह अगली बार होती है तो इसका आकार पहले की तुलना में 50 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. ऐसे में किडनी में पथरी को बनने से रोकने के लिए हमें खान पान में नियंत्रण रखने के साथ ही अपनी आदतों में कुछ बदलाव करना बेहद ही जरूरी है.

आज हम आपको ऐसे ही कुछ टिप्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका इस्तेमाल कर आप किडनी में पथरी के निर्माण को रोक सकती हैं.

नमक कम खाएं

अगर आपको एक बार किडनी में पथरी की समस्या हो चुकी है तो आपके लिए बेहद ही जरूरी है कि आप जितना हो सके कम से कम नमक का सेवन करें. यानी अगर इस बिमारी को रोकना है तो डाइट में नमक का इस्तेमाल कम करना होगा. ज्यादा मात्रा में सोडियम लेने पर यूरीन में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है, जो बाद में किडनी में पथरी का कारण बनती है.

संयमित रखें कैल्शियम की मात्रा

शरीर में बहुत कम मात्रा में कैल्शियम का मौजुद होना आक्सलेट के स्तर बढ़ा देता है. यह किडनी में पथरी का कारण बनते हैं. इसके लिए आपके शरीर में कैल्शियम की उचित मात्रा का होना बेहद जरूरी है. नट्स, सीड्स, सैल्मन आदि का सेवन आपको इस बिमारी से दूर रखने में मदद कर सकता है.

एनिमल प्रोटीन से बनाएं दूरी

एनिमल प्रोटीन में पोषक तत्वों की काफी मात्रा में कमी पाई जाती है. एसीडिक नेचर का होने के नाते यह शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को बढ़ाता है, जो किडनी में पथरी को बढ़ाने में मददगार होता है. अत: इससे दूरी बनाना आपकी सेहत के लिए आवश्यक है.

पथरी बनाने वाले फूड्स से बचें

गुर्दे की पथरी कई तत्वों के विभिन्न यौगिकों से बनती है. इसे बनाने में जिस कंपाउंड की मुख्य भूमिका होती है उसका नाम है कैल्शियम आक्सलेट. ऐसे में शरीर में आक्सलेट की आपूर्ति कम करने में ही समझदारी है. इसके लिए चाय, शकरकंद, आलू, पालक, अंगूर, बेरीज आदि के सेवन को लेकर संयम रखना बेहद जरूरी है.

आप इस तरह से खाने पीने में सावधानी बरतकर अपने आप को स्वस्थ बनाने के साथ ही पथरी जैसी गंभीर व कष्टकारी बिमारी से बचा सकती हैं.

मुहासों से पाना चाहती हैं छुटकारा, तो आजमाएं ये आसान से उपाय

खूबसूरत त्वचा किसे अच्छी नहीं लगती. हर महिला बिना दाग धब्बे और चमक वाली त्वचा पाना चाहती है. लेकिन कई बार चेहरे पर पिंपल्स या मुहासे होने की वजह से चेहरे की खूबसूरती बिगड़ जाती है. और अगर ऐसे में चेहरे का खास ख्याल न रखा जाए या मुहासों का सही उपचार न किया जाए तो यह चेहरे पर दाग धब्बे छोड़ जाते हैं. जो देखने में काफी भद्दे लगते हैं.

पिंपल्स या मुहासे का मुख्य कारण है शरीर के हारमोन्स में होने वाले बदलाव. हारमोन्स में बदलाव के कारण त्वचा में तेल उत्पन्न होने लगता है जो मेल के साथ मिल के छिद्र को बंद कर देते है. परिणाम यह होता है की छिद्र के अन्दर बैक्टीरिया का फैलाव होता है और त्वचा पर मुहासे निकल आते है. अगर इस में लापरवाही रखे तो आगे जाके यह काले दाग और धब्बे छोड़ देते है जिन्हें निकालना मुश्किल होता है.

पिम्पल्स को कैसे रोके

तले हुए, मसालेदार आहार को कम मात्रा में खाए.

पूरी नींद लें.

पानी अधिक मात्र में पिए.

चेहरे की त्वचा को बार बार धोते रहे और बिलकुल स्वच्छ रखें.

हर रोज रात को सोने से पहले और सवेरे उठ के भाप से त्वचा साफ करें.

कास्मेटिक का उपयोग ही न करे.

फल और हरी सब्जियों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें.

साबुन से चेहरा न धोये. चेहरा धोने के सिर्फ बेसन, चावल का आटा और हल्दी का प्रयोग करे.

मुहासे हटाने के उपाय

नीम के पत्ते को पीस दे और साथ में हल्दी मिला के चेहरे पर लगाये तो पिम्पल्स गायब हो जायेंगे.

केटली में पानी उबाले और भाप को त्वचा पर लगाये और साथ में रुई या कपड़े से चेहरा घिसते जाइए ताकि मेल, मृत कोशिका और तेल सभी निकल जाए.

गुलाब की पंखुड़ी को पीस दे और निम्बू के रस के साथ इसे अपने चेहरे पर घिसे. ३० मिनट के बाद धो दे.

एलोवेरा का रस, मुल्तानी मिटटी और हल्दी का मिश्रण पिम्पल्स पर लगाने से भी राहत मिलता है.

हल्दी, बेसन और निम्बू के रस को आपस में मिलाकर उबटन बना लें. इसे चेहरे पर अच्छी तरह से पांच मिनट तक घिसे. और हल्के गुनगुने पानी से तेहरा धो लें.

जिनके चेहरे पर कील बहुत ज्यादा हो गए है. लहसुन को पीसकर उसमें निम्बू का रस मिलाये, दो तीन बूंद हाइड्रोजन पेरोक्साइड डाले और इस को चेहरे पर मलें 5 मिनट के बाद चेहरा धो लें.

कील मुहासे का उपचार करना है और धब्बे भी मिटाना है तो नारंगी के छिलके का उपयोग करे. इस को पीस के चेहरे पर लगाते रहिए.

रात को या सवेरे कील और मुहासों पर बरफ का टुकड़ा घिसे ताकि सुजन कम हो जाए.

नारियल के तेल में लहसुन पीस के गरम करे और छान ले और अब इस में हल्दी मिला के पिम्पल्स वाले जगह पर अच्छी तरह से घिसे.

कच्चा पपीता लें और उस को पीस दे. अब आप चाहे तो इस में टी ट्री आयल के २ बूंद डाले और नीम का जल, गुलाब का जल और हल्दी मिलाये. पिम्पल हटाने के उपाय में यह उम्दा उपाय है.

ऐसे मिटाए मुहासे के निशान

जाहिर है की मुहासे हो गए हैं और आप ने लापरवाही रखी है तो चेहरे पर उसके काले दाग धब्बे पड़ जायेंगे और मुहासे के निशान दिखाई देंगे और साथ में गड्ढे भी हो सकते हैं. ऐसे में आप ये उपाय अपना कर अपने चेहरे को वापस खूबसूरत बना सकती हैं-

चेहरे के गड्ढे को वापस ठीक करने के लिए आप घृत कुमारी (एलोवेरा) का रस, सिरका और मुल्तानी मिटटी को चेहरे पर लगाए.

दही, बेसन, चन्दन और हल्दी का लेप तैयार कर के चेहरे पर हर रोज घिसे.

गुलाब की पंखुड़ी से त्वचा सिकुड़ जाती है. इस को पीस के शहद के साथ मिला के उपयोग करें.

चीनी की चाशनी बना के इस में हल्दी मिला के चेहरे को घिसे तो दाग और गड्ढे कम हो जायेंगे.

पिम्पल्स और एक्ने से पड़े गड्ढे को मिटाने के लिए हल्दी, विटामिन ई और थोड़ी सी मलाई का मिश्रण कर के इन गड्ढे वाले जगह पर रोजाना इस्तेमाल करे.

किचन की चुटकियां : ये टिप्स आपके बेहद काम आएंगे

  • चावल के कंटेनर में नीम की पत्ती, लहसुन के टुकड़े या हलदी के टुकड़े डाल दें. इस से उस में कीड़े नहीं लगेंगे.
  • सब्जी में नमक ज्यादा हो जाने पर भुने हुए चावल का पाउडर मिला दें.
  • आलू उबालने से पहले पानी में सिरका मिलाएं.
  • क्रिस्पी डोसा बनाने के लिए चावल भिगोते समय उस में मेथीदाना या थोड़ी सी तुअर दाल भी मिलाएं.
  • कच्चे केले और आलू को काटते समय पानी में डाल कर रखें. इस से ये काले नहीं पड़ते हैं.
  • आटे को नमी से बचाने के लिए उस में तेजपत्ता का पत्ता डाल कर रखें.
  • हरे मटरों का रंग बरकरार रखने के लिए उन में उबालते समय पानी में एक चुटकी चीनी भी मिला दें.
  • हरी पत्तेदार सब्जियों को ज्यादा दिन तक ताजा रखने के लिए उन्हें स्टोर करते समय अखबार में लपेट कर रखें.
  • जौ और गेहूं का आटा बराबर मात्रा में मिला कर चपाती बनाने से टेस्ट और बढ़ जाता है.
  • बादाम का छिलका जल्द हटाना हो तो उसे 1 मिनट के लिए गरम पानी में भिगोएं.
  • खुले या टूटे हुए नारियल की ताजगी बरकरार रखने के लिए उस के अंदरूनी भाग पर थोड़ा नमक घिस कर फ्रिज में रख दें. इस से वह सूखेगा नहीं.
  • सब्जियों में तरी लाने के लिए प्याज का मसाला जब भुन जाए तो बाकी के मसाले दही में घोल कर डालें. सब्जी में तरी भी अच्छी आएगी और स्वाद भी बढ़ जाएगा.
  • पकौड़े बनाने के बाद सर्व करने से पहले उन पर कालानमक छिड़क दें. पकौड़ों का स्वाद दोगुना हो जाएगा.
  • इमली को कीड़ों से बचाने के लिए उस में नमक मिला कर एअर टाइट डब्बे में रखें.
  • मिर्च पाउडर को फंगस और जाले से बचाने के लिए उस में साबुत नमक के टुकड़े रख दें.
  • जैमजैली और मुरब्बे को चींटियों से बचाने के लिए कपड़े की पट्टी पर सरसों का तेल लगा कर ढक्कन के चारों ओर लपेट दें.
  • पुलाव बनाते समय चावल में उबलता पानी डालें. पानी और चावल का तापमान एक जैसा होने पर चावल खिलेखिले बनेंगे.
  • कसी हुई लौकी, कद्दू, गुदे हुए आंवलों को फिटकरी के पानी में डाल देने से उन की रंगत वैसी ही बनी रहेगी.
  • रायते में 1 चम्मच नींबू रस डालने से स्वाद बढ़ जाता है.

ब्राइडल पैकेज लेने से पहले इन बातों का भी रखें ध्यान

हर लड़की की तमन्‍ना होती है कि वह अपनी शादी के दिन सबसे खूबसूरत दिखे और दुनिया का बेस्‍ट लहंगा पहने. अभी आपने हाल ही में टीवी सितारा दिव्‍यांका त्रिपाठी की शादी की तस्‍वीरें इंटरनेट पर देखी होंगी, जिसमें उनके मेकअप से लेकर कपड़ों तक की तारीफें हुईं.

क्‍या आप भी चाहती हैं बिल्‍कुल वैसा ही लुक? तो अब सारा काम किनारे छोड़ कर इंटरनेट पर अपने शहर का बेस्‍ट ब्राइडल मेकअप प्रोफेशनल ढूंढना शुरु कीजिये. शादी के एक महीने पहले ब्राइडल मेकअप पैकेज बुक करवाने से, शादी की तिथि आते आते आप रिलैक्‍स हो जाएंगी.

ढूंढने से आपको ढेर सारे ब्राइडल ब्‍यूटी पैकेज मिलेंगे लेकिन उनमें से कौन सा आपके लिये बेस्‍ट रहेगा, आज हम इसी बात पर चर्चा करेंगे. ब्राइडल मेकअप पैकेज लेने से पहले रखें इन बातों को ध्‍यान में

बजट बनाएं

अगर आप एक प्रोफेशनल मेकअप आर्टिस्‍ट ढूंढ रही हैं तो इसकी शुरुआत 15-18 हजार से ले कर लाखों रूपए तक जा सकती है. अच्‍छा होगा कि आप दो-तीन जगह पहले से ही पता लगा कर रखें और जो भी पार्लर आपके बजट में आता हो, उसे ही चुनें.

दुल्‍हन और उसकी सहेलियां

क्‍या आप अकेली हैं जो मेकअप करवाने वाली हैं या फिर आप अपनी कुछ खास सहेलियों को भी स्‍पेशल ट्रीटमेंट दिलवाने वाली हैं? इन दिनों कई ब्राइडल मेकअप सर्विस आपको स्‍पेशल ऑ‍फर भी देंगे, जिसमें आप एक साथ कई लोगों का मेकअप करवा सकती हैं. इसलिये इन चीजों को ध्‍यान में रख कर ही आगे की प्‍लानिंग करें.

प्री-ब्राइडल, ब्राइडल और पोस्‍ट वेडिंग सेरेमनी

कई ब्राइडल पैकेज में ना सिर्फ शादी के मेकअप की बल्‍कि शादी के पहले और बाद तक भी सर्विस दी जाती है. यानी महंदी, संगीत, शादी और फिर रिसेप्‍शन आदि में आप इनका फायदा उठा सकती हैं. प्री ब्राइडल मेकअप पैकेज ले कर आप अपनी शादी को खास और यादगार बना सकती हैं.

पैकेज के साथ साथ और भी बहुत कुछ

ब्राइडल मेकअप के साथ साथ वे लोग आपका हेयरस्‍टाइल भी बनाएंगे और आपको शादी का जोड़ा भी पहनाने में मदद करेंगे. इसके अलावा वे आपको शादी की ज्‍वेलरी भी पहनाएंगे.

हेयर स्‍टाइल

शादी के दिन आपको किस प्रकार की हेयरस्‍टाइल रखनी है, उसे ऑनलाइन ही पसंद कर लें और अपने मोबाइल में सेव कर के रख लें. फिर आपके चेहरे के हिसाब से कौन सा हेयरस्‍टाइल अच्‍छा दिखेगा, वह अपनी पार्लर वाली से पूछ कर बनवा लें.

ट्रायल डे

शादी के कुछ दिनों पहले मेकअप और हेयर ट्रायल करें क्‍योंकि यह बहुत जरुरी है. ट्रायल करने से आपको और आपकी मेकअप आर्टिस्‍ट को अच्‍छा आइडिया हो जाएगा कि आपकी स्‍किन टोन पर कौन सा मेकअप अच्‍छा दिखेगा या फिर कौन से लुक में आरामदायक महसूस कर रही हैं.

स्‍किन संबंधित समस्‍याएं

अगर आपको हाल ही में स्‍किन से जुड़ी कोई समस्‍या आ रही है तो, उसे अपनी मेकअप आर्टिस्‍ट से बताना ना भूलें. कई प्रोफेशनल्‍स आपको प्री मेकअप ट्रीटमेंट लेने के लिये बोलेंगे या फिर कई ऐसा भी कह सकते हैं कि आपकी त्‍वचा के लिये वे अन्‍य प्रकार के मेकअप प्रोडक्‍ट का यूज करेंगे.

क्या कहा, आप गुजरात घूमने गईं हैं और कच्छ घूमे बिना ही वापस आ गईं

बात अगर रेगिस्तान और रेत की हो तो आपके जहन में कच्छ का ख्याल जरूर आता होगा. अगर आप गुजरात घूमने गईं हैं और कच्छ घूमे बिना ही वापस आ जाएं, तो आपकी ट्रिप अधूरी ही मानी जाएगी.

कच्छ के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हर साल ‘कच्छ महोत्सव’ का आयोजन किया जाता है. और तो और यहां हर साल लाखों की तादाद में विदेशी सैलानी यहां घूमने आते हैं.

इस वजह से बेहद खूबसूरत माना जाता है कच्छ

45652 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले गुजरात के इस सबसे बड़े जिले का अधिकांश हिस्सा रेतीला और दलदली है. कच्छ में देखने लायक कई स्थान है जिसमें कच्छ का सफेद रण आजकल पर्यटकों को लुभा रहा है. इस के अलावा मांडवी समुद्रतट भी सुंदर आकर्षण है.

कच्छ का रन कच्छ का रन गुजरात प्रांत में कच्छ जिले के उत्तर तथा पूर्व में फैला हुआ एक नमकीन दलदल का वीरान प्रदेश है.

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रन औफ कच्छ फेस्टिवल

चांद के रोशनी में ऊंट की सवारी का आनंद लेना हो, तो कच्छ का रण उत्सव आपकी इच्छा पूरी करेगा. हजारों की संख्या में देशी-विदेशी सैलानी रण उत्सव में हिस्सा लेने पहुंचते हैं. इस उत्सव का आयोजन कच्छ के रेगिस्तान में किया जाता है. नमक की बहुलता वाले इस क्षेत्र में रात में रेगिस्तान सफेद रेगिस्तान में बदल जाता है. यहां आकर आप खुली हवा में कल्चरल प्रोग्राम का मजा ले सकती हैं. सैलानियों के मनोरंजन के लिए यहां थियेटर की सुविधाएं भी हैं.

कैसे पहुंचे

कच्छ का प्रमुख शहर भुज है. भुज में हवाई अड्डा है, जहां से मुंबई के लिए उड़ानें हैं. न्यू भुज रेलवे स्टेशन और निकटतम गांधीधाम रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से रेल के जरिए जुड़ा हुआ है. कच्छ गुजरात सहित भारत के अन्य राज्यों के प्रमुख शहरों से भी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. कांडला यहां का प्रमुख बंदरगाह और हवाई अड्डा है.

कब जाएं

अक्टूबर से लेकर मध्य मार्च तक का समय सबसे उचित समय है. इन दिनों यहां की भोर और रातें काफी ठंडी होती है, मगर दोपहर में धूप तेज रहती है.

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क्या खरीदें

नायाब कच्छी कढ़ाई, एप्लीक वर्क, मिरर वर्क, बांधनी से सजे परिधान व सौफ्ट फर्नीशिंग, चांदी के जेवरात व अन्य उपयोगी और सजावटी समान और हल्के-फुल्के फर्नीचर तथा कई तरह के सजावटी सामान, वौल हैंगिंग, कढ़ाई की हुई रजाई, झूले और इसके सामान, कठपुतलियां, कपड़े के खिलौने, जूतियां, कढ़ाई किए हुए फुटवियर आदि खरीद सकते हैं.

इस तरह कम करें अपने कार इंश्योरेंस का प्रीमियम

लोगों के मन में आमतौर पर यह धारणा होती है कि कार के लिए ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन पेपर ही काफी होता है. अधिकांश लोग इंश्योरेंस के पहलू को लगभग नजरअंदाज करते हैं. लेकिन आपको मालूम होना चाहिए कि कार का इंश्योरेंस आपको दुर्घटना में डैमेज और चोरी के वक्त आर्थिक सुरक्षा देता है.

जानकारी के लिए बता दें कि इंश्योरेंस आम तौर पर दो प्रकार के होते हैं पहला कौम्प्रिहेंसिव और दूसरा थर्ड पार्टी. थर्ड पार्टी इंश्योरेंस अमूमन हर प्रकार के वाहनों के लिए जरूरी होता है. वहीं कार के डैमेज और चोरी होने के खतरों के मद्देनजर नुकसान की भरपाई को देखते हुए कौम्प्रिहेंसिव इंश्योरेंस करवाया जाता है.

आप कम कर सकती हैं अपनी कार का इंश्योरेंस प्रीमियम

इंश्योरेंस को लोग नजरअंदाज इसलिए भी करते हैं क्योंकि इसमें हर साल पेट्रोल और दूसरे खर्चे इतने ज्यादा होते हैं कि इंश्योरेंस प्रीमियम भरना बोझिल सा जान पड़ता है. हालांकि अगर आप सूझबूझ के साथ काम करेंगी तो आप अपने इंश्योरेंस प्रीमियम का थोड़ा खर्च बचा सकती हैं. हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको बताने की कोशिश करेंगे कि आप किन तरीकों को अपनाकर अपनी कार का इश्योरेंस प्रीमियम कम कर सकती हैं.

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नो क्लेम बोनस का फायदा सोच समझकर लें

विशेषज्ञों का मानना है कि जब आपकी गाड़ी डैमेज हो तो आपको रिपेयर का एक इस्टीमेट जरूर लेना चाहिए. अगर आपकी ओर से भुगतान की जाने वाली राशि क्लेम करने वाली राशि से कम है तो उस सूरत में आप क्लेम को छोड़ सकती हैं. अगर आप छोटे क्लेम करना नजरअंदाज कर देती हैं और छोटे रिपेयर्स का खुद भुगतान करती हैं तो रिन्युअल के समय आपको प्रीमियम भी कम देनी होगी. जानकारी के लिए बता दें कि नो क्लेम बोनस वह डिस्काउंट होता है जो कि व्यक्ति को उसके मोटर इंश्योरेंस के रिन्यूअल के दौरान प्रीमियम पर दिया जाता है. इसका मतलब यह हुआ कि अगर इंश्योरेंस लेने वाला व्यक्ति साल भर कोई भी इंश्योरेंस क्लेम न करे तो कंपनी उसे नो क्लेम बोनस का फायदा बोनस के रुप में देती है.

अपनी गाड़ी की टूट-फूट नेटवर्क गैरेज पर ही ठीक कराएं

अगर आपकी गाड़ी में कोई टूटफूट होती है तो बेहतर यही रहेगा कि आप उसे रिपेयरिंग के लिए नेटवर्क गैरेज पर ले जाएं. अगर आप ऐसा करती हैं तो इंश्योरेंस कंपनी आसानी से क्लेम का आंकलन कर सकती है. साथ ही यह सस्ता भी पड़ता है.

उठाएं लौन्ग टर्म पौलिसी का फायदा

लौन्ग टर्म पौलिसी का चुनाव करना हमेशा आपके लिए फायदेमंद होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यह दो से तीन साल तक की कवरेज के साथ साथ 24X7 की रोड एसिस्टैंस भी उपलब्ध करवाता है. अगर आप इस तरह की इंश्योरेंस पौलिसी का चुनाव करेंगी तो आप मोटर प्रीमियम पर सिंगल ईयर पौलिसी की तुलना में खर्चे पर भी बचत कर पाएंगी.

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