केरल का सम्मोहन और सृष्टि की मनोरम प्राकृतिक संरचना है ‘मुन्नार’

सृष्टि की मनोरम प्राकृतिक संरचना से हमारा साक्षात्कार हुआ केरल के पहाड़ी क्षेत्र मुन्नार एवं टेकड़ी की घाटियों में. वहां जंगलों में व्याप्त सन्नाटा भी एक सुखद अनुभूति देता है. अंग्रेजों को भारत की संस्कृति एवं संपदा ने अपनी ओर खींचा पर यहां की जलवायु उन्हें रास न आई. सूर्य का ताप वे न सह सके, तो अपने सुकून हेतु उन्होंने भारत के केरल प्रांत में भी हिल स्टेशन आबाद कर दिया. यह समुद्रतल से 1,600 मीटर ऊंचाई पर बसा केरल प्रांत का मुन्नार नामक हिल स्टेशन है. यह 3 पर्वतीय झरनों मुथिरपुजा, नल्लातानी और कुंडला डैम के बीच में बसा हुआ है.

हम ने कोयंबटूर से मुन्नार की यात्रा प्रारंभ की. पालक्काड़ जाने वाली सड़क पर, जिसे हम ऐंड औफ कोयंबटूर कहते हैं, ड्राइवर ने चैकपोस्ट पर ट्रांसपोर्ट परमिट लिया फिर हम वापस पोलाची रोड से मुन्नार की ओर चल पड़े. कार सड़क मार्ग पर दौड़ रही थी, रास्ता सुकून भरा था. थोड़ी देर बाद हम कोकोनट के जंगल उडुमलाई से गुजरे. वहां कहींकहीं छोटेछोटे घर व झोपडि़यां दिख रही थीं. जंगल से आगे बढ़ने पर खुले मैदान एवं सड़क के दोनों ओर बड़ेबड़े विंडमिल का जाल सा फैला हुआ दिखा.

इस के बाद पोलाची चैकपोस्ट से आगे हम प्रसिद्ध अन्नामलाई टाइगर रिजर्व क्षेत्र से गुजरे और लेपर्ड, नीलगाय एवं हाथियों के जंगल के बीच से आगे बढ़ते रहे. सरकार द्वारा रिजर्व एवं संरक्षित फौरेस्ट का यह एरिया रात के सन्नाटे में आवागमन हेतु प्रतिबंधित है. थोड़ी देर के बाद तमिलनाडु क्षेत्र से अलग हो कर हम केरल प्रांत के वन विहार और घने जंगल का आनंद लेते हुए आगे बढ़ते रहे.

फिर दिखा मरयूर नामक जगह का करीमुट्टी फाल. यहां रुक कर हम ने चाय पी और चित्र लिए. यहां चहलपहल है, होटल हैं, बस्ती भी है. यहां घाटियों में झरनों का पानी मंथर गति से बह रहा था और चंदन फौरेस्ट, टाटा टी गार्डन कहीं कछुए की पीठ जैसा कहींकहीं स्लोपिंग तो कहीं बड़ी मछली के आकार जैसा अद्वितीय दृश्य उपस्थित कर रहा था. कहींकहीं संतरे के छोटे पेड़, तो कहींकहीं नीलकुरूंजी के पुष्पविहीन पौधे थे, जो 12 वर्षों में एक बार खिलते हैं.

इन जंगलों के बीच आदिवासियों का स्वस्थ व उत्साह से भरपूर जीवन हमें प्रेरणा देता है. मुन्नार की फुसफुसाती घाटियां हम से कुछ कह रही थीं, तो घाटियों में बिछी घास की कारपेट हमें आराम करने के लिए प्रेरित कर रही थी. थोड़ी देर बाद हम ने यहां की कुछ खास जगहें देखीं.

एराविकुलम नैशनल पार्क

97 स्क्वायर किलोमीटर तक फैला ढलान वाला एराविकुलम नैशनल पार्क प्रसिद्ध है नीलकुरूंजी के फूलों के लिए जो 12 वर्ष में एक बार ही खिलते हैं. इस क्रम में ये 2018 में खिलेंगे. तब नहा उठेंगी घाटियां नीले रंग के फूलों से. यहां पहाड़ी बकरियों का एक झुंड एकसाथ चरता हुआ दिखाई देता है.

अनामुड़ी पीक

एराविकुलम नैशनल पार्क के अंदर 2,700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है यह चोटी. टै्रकिंग यहां का प्रमुख आकर्षण है. इस के अलावा यहां सिल्वर ओक के वन हैं जिस से दियासलाई एवं अगरबत्ती बनती है और 10 कि.मी. तक युकलिप्टस के पेड़ हैं.

इन जगहों पर घूमनेफिरने के बाद नैशनल हाईवे 47 पर हमारी कार तेज गति से आगे बढ़ रही थी. थोड़ी देर में हम मुन्नार पहुंच गए. वहां व्हिस्परिंग मीडोज होटल में हम ठहरे, जो जंगल के बीच में मुन्नार से 13 कि.मी. दूर है. दूसरे दिन हम ने मुन्नार का ब्लासम पार्क टी गार्डन, स्पाइस गार्डन, पोथानेडू व्यू पौइंट, फ्लोरीकल्चर सैंटर, टी म्यूजियम, मेट्टूपेट्टी, रिजर्वायर, इको पौइंट, एलिफैंट एराइवल स्पौट और कुंडल डैम वगैरह देखा एवं स्पाइस प्लांटेशन गार्डन भी विजिट किया. यहां मसाले अच्छे मिलते हैं और ड्राई फू्रट की भरमार है. इस के बाद हम ने एकएक कर के वहां की कुछ और खास जगहें देखीं:

टौप स्टेशन: तमिलनाडु के पड़ोस में कोडाई कनाल रोड पर बसी यह सब से ऊंची पहाड़ी है. टौप स्टेशन यहां का आकर्षण है जहां से हम सूर्योदय का आनंद ले सकते हैं. यहां का एलिफैंट राइड एवं बोटिंग अत्यंत रोमांचकारी होता है.

मैट्टूपेट्टी: यह मुन्नार टाउन से 13 कि.मी. दूरी पर समुद्रतल से 1,700 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है. यहां सुंदर ब्रीड वाली गाएं मिलती हैं. इंडो स्विस के सहयोग से बने डेयरी फार्म के लिए यह स्थान प्रसिद्ध है. यहां का मसोनरी डैम एवं उस में बोट राइड यहां का प्रमुख आकर्षण है.

पल्लीवैसल: यहां केरल का पहला हाइड्रोइलैक्ट्रिक प्रोजैक्ट है और दर्शकों का सुंदर पिकनिक स्पौट है.

चिन्नाकनाल और अनाईरंगल: चिन्नाकनाल वाटर फाल्स के लिए मशहूर है तो अनाईरंगल का जंगल, ग्रीन कारपेट सी सुंदर घाटियों, टी गार्डन व झरने वाला प्रकृति का अप्रतिम उपहार है. दूसरे दिन हम मुन्नार से थेकड़ी के लिए रवाना हुए तो देवीकुलम, चिन्नाकनाल, अनायीरंगरम और स्पाइस गार्डन से गुजरते हुए पुपारा पहुंचे. मुन्नार से टेकड़ी लगभग 4 घंटे का रास्ता है. फिर हम टाटा टी गार्डन, स्पाइस गार्डन एवं घने जंगल का आनंद लेते हुए पहुंचे. हमारा होटल ब्लूमिंग पैराडाइज यहीं था.

पेरियार लेक: अगले दिन हम पेरियार नैशनल पार्क का लोकेशन देखने एवं पेरियार लेक में स्टीमर पर भ्रमण का आनंद लेने गए. पेरियार लेक में पेरियार और पंब नदी का जल है. लौटते समय वातावरण की ठंडीठंडी हवा ने हमें कंपा दिया. पेरियार लेक के चारों तरफ संरक्षित वन अपने घने जंगल के कारण प्रसिद्ध है. यहां हाथी, शेर, लंगूर इत्यादि जानवर झील के तट पर पानी पीने आते हैं. 360 वर्ग कि.मी. के घने जंगल का आनंद ट्रैकिंग, बोटिंग और जीप के द्वारा भी लिया जा सकता है.

अगले दिन सुबह हम निकल पड़े थे एलप्पी के कुमारकौम वायोकाम के लिए. यहां पहुंचने का रास्ता जंगलों, घाटियों, टाटा टी तथा स्पाइस गार्डन से हो कर जाता है. घाटियां बाउल (कटोरा) जैसी दिखती हैं, इसलिए मनोरम दृश्य उपस्थित करती हैं. रास्ते का आनंद उठाते हुए हम कुमारकौम वाइकौम के बाद पैरमबाडु पहुंचे. वहां गांव का सुंदर दृश्य हमें आकर्षित करता है. फिर सड़क के दोनों ओर स्थित हरेभरे खेतों से गुजरते हुए हम वेंबनड लेक विला पहुंचे. यहां वेंबनड लेक में बोटिंग का आनंद लेते हुए हम ग्राम दर्शन का नैसर्गिक आनंद उठा सकते हैं. यहां की आयुर्वेद मसाज बहुत प्रसिद्ध है.

केरल प्रांत के अलपुषा जिले का अल्लपी शहर सब से पुराना नियोजित शहर है. इसे भी हम ने देखा. यह केरल का छठा सब से बड़ा शहर है. यह शहर कोचीन के दक्षिण में 62 कि.मी. और उत्तर में त्रिवेंद्रम से 155 कि.मी. की दूरी पर स्थित है. सुंदर नहरों व झीलों में आया हुआ बैक वाटर का दृश्य एवं तट की रमणीयता यहां का आकर्षण है. लार्ड कर्जन ने अल्लपी शहर को ‘वेनिस औफ ईस्ट’ नाम दिया था.

यहां से हम वापस कोयंबटूर के लिए निकल पड़े. कन्याकुमारी से कश्मीर तक जाने वाली हाईवे एन.एच. 47 पर हमारी कार गतिमान थी. वैकम पैरमवाडु से निकटतम कलामेजरी होते हुए हम आगे बढ़ रहे थे. फिर ठंडीठंडी हवा बह रही थी और हम कक्कनाड से गुजर रहे थे. रास्ते में थे बड़ेबड़े  मौल, होटल अच्छी सड़कें. फिर हम कोचीन रोड के हाईवे पर चल रहे थे. दाहिनी ओर कोचीन एअरपोर्ट छोड़ते हुए त्रिशूर, पलक्कड़ के मार्ग पर चल रहे थे. त्रिशूर मार्ग में हमें स्थिर वनस्पति विहीन पहाडि़यां दिखाई दीं. ये मजबूत पहाडि़यां तेज झंझावात से कोयंबटूर को बचाती हैं. शाम को लगभग 5 बजे हम कोयंबटूर पहुंच गए. वहां से हम लौटे तो विचार मंथन की प्रक्रिया हमारे दिमाग में निरंतर चल रही थी. हमें वहां की खूबसूरत प्राकृतिक जगहें बारबार याद आ रही थी.

इस सर्दी इन घरेलू उपायों से फटी एड़ियों को कहें ना

एड़ियों का फटना सामान्य समस्या है और ये अक्सर सर्दियों में ज्यादा फटती हैं क्योंकि मौसम की खुश्की की वजह से  मॉश्चराइजर की कमी होने लगती है. इसके अलावा भी एड़ियां किसी भी मौसम में और किसी भी उम्र में फट सकती हैं.  एक ओर जहां फटी एड़ियां देखने में बुरी लगती हैं, वहीं तकलीफ बढ़ जाने पर इनमें से खून आना भी शुरू हो जाता है, जिससे पैरों में काफी दर्द होता है.

आइए जानें, इस दर्द भरी समस्या से राहत देने वाले ये तीन घरेलू उपायों के बारे में…

1. स्क्रबिंग करेगी कमाल

फटी एड़ियों को स्क्रबिंग की मदद से मुलायम बनाया जा सकता हैं. ऐसा करने से डेड स्किन हट जाती है और एड़ियां मुलायम हो जाती है. स्क्रबिंग करने से पहले अपने पैर को थोड़ी देर के लिए गुनगुने पानी में डुबोकर रखें.

2. नारियल तेल

फटी और बेजान एड़ियों के लिए नारियल तेल एक अच्छा घरेलू उपाय है. ये एड़ी की नमी को बनाए रखता है. इसके अलावा ये फंगस जैसे बैक्टीरिया संक्रमण से भी एड़ी को सुरक्षित रखता है.

3. रोज लगाएं ग्लि‍सरीन

फटी एड़ियों के लिए ग्लि‍सरीन किसी वरदान से कम नहीं. आप इस हर रात सोने से पहले लगा लें. ऐसा नियमित करते रहने से एड़ी जल्दी ठीक हो जाएगी. नींबू में अम्लीय गुण मौजूद होता है, जो डेड स्किन को हटाने का काम करता है. साथ ही ये त्वचा को कोमल-मुलायम बनाता है.

छोटे घर को बड़े घर जैसा लुक देना चाहती हैं तो तरीका हम बताते हैं

बड़े घर में रहना हर किसी का सपना होता है. मगर हर किसी का यह सपना पूरा नहीं हो पाता है. ऐसे में छोटे घर को भी खूबसूरती के साथ व्यवस्थित किया जा सकता है. आइए, बोनिता की ब्रैंड डायरैक्टर विनीता मित्तल से जानें छोटे घरों को सजाने के तौरतरीके:

बेकार की चीजों को डंप करें

हर वह चीज जो फिलहाल इस्तेमाल की नहीं है उसे डंप कर दें. अकसर हम जो चीज अभी इस्तेमाल में नहीं आ पा रही है, हो सकता है कल उस की जरूरत पड़ जाए, इस सोच के चलते कई बेकार की चीजों को घर में महीनों तक रखे रहते हैं, जबकि वे कभी इस्तेमाल में नहीं आती हैं.

ऐसी बेकार की चीजों को जल्द से जल्द घर से बाहर करें. जैसे अगर आप के पास कोई कौर्नर टेबल, चेयर या फिर बुक रैक है, जिस का घर में कोई इस्तेमाल नहीं है तो उसे तुरंत डिस्पोज कर दें. ऐसा कर के आप घर में दूसरी जरूरी चीजों के लिए जगह बना सकती हैं.

रंगों का सही चुनाव

घर दिखने में बड़ा लगे, इस के लिए दीवारों पर हलके रंग का पेंट करवाएं. हलके रंग का पेंट करने पर कमरे साइज में बड़े दिखने लगते हैं. गहरे रंग के पेंट से कमरे में लाइट का रिफ्लैक्शन नहीं होता है, जिस से कमरा अपने असल साइज से भी छोटा लगने लगता है. सफेद, क्रीमी या आइस ब्लू पेंट आप के छोटे कमरे को भी बड़ा दर्शाएगा.

इनोवेटिव स्पेस सेविंग

घर की स्पेस का और भी बेहतर तरीके से इस्तेमाल करने का एक और तरीका है इनोवेटिव स्पेस सेविंग सौल्यूशन या प्रोडक्ट. इस तरीके में आप घर के उन हिस्सों को सामान रखने के लिए इस्तेमाल में ला सकती हैं, जिन के बारे में कम ही लोग सोच पाते हैं, जैसे घर की दीवारें या खाली छत.

इन तरीकों से अलगअलग लोकेशन पर खास किस्म के प्रोडक्ट्स के जरीए सामान को सैट किया जा सकता है. इस से आप का घर न सिर्फ साफ और बड़ा दिखेगा, बल्कि घर में चारों तरफ बिखरी हुई चीजें भी व्यवस्थित हो जाएंगी.

स्मार्ट यूटिलिटी प्रोडक्ट

आप के घर में ज्यादा से ज्यादा जगह निकालने के लिए कई प्रोडक्ट्स भी मौजूद हैं. बोनिता एक ऐसा ही जानामाना नाम है, जो स्पेस सेविंग प्रोडक्ट्स को ले कर मार्केट लीडर के रूप में पहचाना जाता है. बोनिता के पोर्टफोलियो में कई ऐसे प्रोडक्ट्स हैं, जो वाशिंग मशीन के ऊपर बची जगह जोकि पूरी तरह वेस्ट हो जाती है, में भी इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं. इसी तरह फोल्डिंग वार्डरोब से भी आप अपने घर में ज्यादा से ज्यादा जगह निकाल सकती हैं.

स्पेस इल्यूजन के लिए शीशे का इस्तेमाल

अगर घर में जगह कम है और आप उसे बड़ा दिखाना चाहती हैं, तो इस के लिए घर की दीवारों पर शीशे लगवाएं. इन के इस्तेमाल से प्रकाश रिफ्लैक्ट हो कर इमेज बनाता है, जिस से कमरे का आकार बड़ा नजर आता है. यह अपनेआप में एक क्रिएटिविटी है.

अपने सपनों को अब आप भी करें साकार ऐजुकेशन लोन से

बढ़ती महंगाई का असर उच्च शिक्षा पर भी पड़ रहा है, जिस के चलते उच्च शिक्षा पाने का सपना कई लोगों के लिए मुश्किल होता जा रहा है. इंश्योरैंस कंपनी अविवा इंडिया के कौस्ट औफ ऐजुकेशन कैलकुलेटर के अनुसार भारत में जहां इंजीनियरिंग या फैशन डिजाइनिंग का खर्च 7-10 लाख है, वहीं एमबीए का खर्च 5 लाख से शुरू होता है, जो अच्छे बिजनैस स्कूल में 15-25 लाख तक होता है. और अगर यही कोर्स विदेश में किया जाए तो खर्च दोगुना से चारगुना बढ़ जाता है. ऐसे में आम आदमी के उच्चशिक्षा के सपने को पूरा करने का बीड़ा उठाया है तो बैंकों ने. उच्च शिक्षा के लिए मोटी फीस चुकाने के लिए बैंक ऐजुकेशन लोन देते हैं. कुछ निर्धारित नियमों और शर्तों को पूरा कर के कोई भी ऐजुकेशन लोन ले कर उच्चशिक्षा प्राप्त कर सकता है.

इंडियन बैंक्स ऐसोसिएशन के रिवाइज्ड मौडल के अनुसार मैरिट लिस्ट में आने वाले छात्र अगर मान्यता प्राप्त प्राइवेट संस्थान में दाखिला लेते हैं तो वे भी ऐजुकेशन लोन का लाभ उठा सकते हैं. आज देश के लगभग सभी निजी और सार्वजनिक बैंक ऐजुकेशन लोन आसान ब्याज दरों पर देते हैं. ऐजुकेशन लोन के तहत देश और विदेश में पढ़ाए जाने वाले कोर्स शामिल होते हैं. अपने देश में आप ग्रैजुएशन, पोस्ट ग्रैजुएशन, प्रोफैशनल, टैक्निकल और वोकेशनल कोर्सेज के लिए ऋण ले सकते हैं. यदि आप विदेश में उच्चशिक्षा की चाहत रखते हैं तो प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के जौब ओरिएंटेड प्रोफैशनल या टैक्नीकल कोर्स जैसे गै्रजुएशन, पोस्ट ग्रैजुएशन, एमबीए, एमसीए एमएस, फैशन डिजाइनिंग और मैडिकल के लिए भी ऐजुकेशन लोन ले सकते हैं.

किस के लिए लोन

लोन के अंतर्गत ट्यूशन फीस, परीक्षा फीस लाइब्रेरी फीस, होस्टल फीस, किताबों और ऐजुकेशनल इक्विपमैंट्स जैसे कंप्यूटर आदि के खर्च के अलावा स्टडी टूअर और प्रोजैक्ट वर्क थीसिस आदि के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है.

लोन की शर्तें

बैंक से ऐजुकेशन लोन लेने के लिए छात्र को भारतीय होना चाहिए. कुछ बैंकों ने लोन के लिए उम्र की सीमा भी तय की है, जो 16-35 साल है. यह सीमा अलगअलग बैंकों में अलगअलग होती है क्योंकि मातापिता या अभिभावक भी अपने बच्चों के लिए लोन ले सकते हैं. आवेदक का शैक्षिक रिकौर्ड अच्छा होना चाहिए. साथ ही उस का अप्रूव्ड प्रोफैशनल या टैक्नीकल कोर्स में ऐडमिशन हो चुका हो तो लोन मिलना आसान हो जाता है. कालेज या इंस्टिट्यूट मान्यता प्राप्त होना चाहिए. लोन के लिए भरे जाने वाले आवेदन पत्र की पुष्टि संबंधित कालेज या संस्थान द्वारा भी होनी चाहिए आमतौर पर कुछ बैंक उन संस्थानों और कालेजों की लिस्ट रखते हैं जिन्हें वे लोन देते हैं. कुछ बैंक लोन देते समय इस बात की भी जांच करते हैं कि आप में कर्ज चुकाने की क्षमता है या नहीं. और आप जो कोर्स करने जा रहे हैं उस में नौकरी की क्या संभावनाएं हैं. आमतौर पर एमबीए के उम्मीदवारों को लोन आसानी से मिल जाता है. लोन लेने से पहले नीचे बताए जा रहे जरूरी दस्तावेजों की जरूरत होती है:

1. दाखिले का प्रमाणपत्र.

2. स्टडी प्रोग्राम का कौस्ट ब्रेकअप.

3. लोन लेने का आवेदनपत्र.

4. छात्र व ऋण चुकाने की गारंटी लेने वाले दोनों के पहचानपत्र.

5. आवास प्रमाणपत्र.

6. गारंटी लेने वाले का आय प्रमाणपत्र.

7. शैक्षिक प्रमाणपत्र.

8. विदेश में दाखिला लेने वाले छात्र को मिला संबंधित विश्वविद्यालय के विभाग प्रमुख का लैटर, वीजा पेपर, ट्रैवल पेपर.

9. फोटोग्राफ.

ऋण की राशि

भारत में पढ़ने के लिए लोन की अधिकतम राशि रू 10 लाख है, जो अलगअलग बैंकों में अलगअलग है. जबकि विदेश में पढ़ने के लिए यह राशि रू 20 लाख या इस से ऊपर है. ऋण पर ब्याज की दर विभिन्न बैंकों में 11.75 से ले कर 16 फीसदी तक है. रू 4 लाख का लोन लेने पर किसी तरह की गारंटी की मांग नहीं की जाती. इस से अधिक का लोन लेने पर गारंटी जरूरी हो जाती है. कुछ बैंक जहां पूरा लोन पास कर देते हैं वहीं कुछ बैंक 85% तक ही मंजूर करते हैं. आमतौर पर ऐजुकेशन लोन पर ब्याज की दर पर्सनल लोन के रेट से कम होती है. कुछ बैंक जहां फिक्स रेट चार्ज करते हैं वहीं कुछ बैंक फ्लोटिंग रेट पर ब्याज चार्ज करते हैं. कुछ बैंक लड़कियों के लिए लोन की ब्याज दर में डिस्काउंट का औप्शन भी देते हैं. कुछ बैंक प्रोसैसिंग फीस चार्ज करते हैं जबकि कुछ नहीं करते. आप चाहें तो इस बारे में बैंक से रिआयत की मांग कर सकते हैं.

लोन चुकाने के अवसर

पढ़ाई पूरी होने के बाद 1 साल बाद आमतौर पर ऐजुकेशन लोन का भुगतान ईएमआई द्वारा शुरू होता है. कई बैंक नौकरी मिलने के बाद लोन चुकाने की सुविधा भी देते हैं. इसे मोरेटोरियम पीरियड या रिपेमैंट हौलीडे भी कहा जाता है. ऐजुकेशन लोन पर आयकर छूट का फायदा भी उठाया जा सकता है. बच्चों की पढ़ाई के लिए लोन लेने वाले मातापिता भी इस छूट का लाभ उठा सकते हैं.

आईडीबीआई बैंक की रिलेशनशिप मैनेजर स्वाति कहती हैं कि लोन लेने से पूर्व बैंकों की ब्याज दर की तुलना अवश्य करें. जिस बैंक की ब्याज दर कम हो उसे ही चुनें. ऐसा बैंक चुनें,

जो प्रोसैसिंग फीस चार्ज न करता हो. ध्यान रखें कि लोन से संबंधित विवरण और दस्तावेज पूरी तरह सही हों और बैंक के दिशा निर्देशों के अनुरूप हों. इस से लोन आसानी से स्वीकृत होने में मदद मिलेगी.

ये हैं वो आदतें जिनकी वजह से बढ़ता है आपका मोटापा

अपने चारों ओर मोटापा या मोटे लोगों को देखना एक सामान्य बात है, पर मोटापा कोई आम बात नहीं है बल्कि यह एक बीमारी का नाम है जिसपर नियंत्रण करना बहुत ही मुश्किल है. जंक फ़ूड, अनियमित भोजन, तनाव, पूरी नींद न ले पाना आदि वजन को बढ़ाने के प्रमुख कारण होते हैं. आप तो जानती ही होंगी कि मोटापा कई बीमारियों की जड़ होता है, आज हम आपको बताएंगे मोटापे के बढने के कारण .

कई लोग मोटे होने के बाद सोचते हैं कि कल से डाइटिंग और एक्सरसाइज शुरुआत कर देंगे, लेकिन कुछ बुरी आदते आपको पतला नहीं होने देती, इन बुरी आदतों में से एक है खाने पीने पर नियंत्रण न कर पाना. यदि आप अपने खाने-पीने पर कंट्रोल नहीं करती तो आप भले ही कितनी भी कोशिश कर लें, मोटापा कम नहीं कर सकेंगी.

अगर आप मोटापा कम करना चाहती हैं, तो आपको अपनी कुछ आदतों को सुधारना होगा. यहां हैं कुछ बुरी आदते जिन्हें सुधार कर आप मोटापे से बच सकती हैं..

अधिक मीठा खाना

अगर नाश्ते की बात करें तो पैक्ड दही, चाय या कौफी हर चीज में आपको शुगर या मीठे की मात्रा मिल ही जाती है. जो आपके शरीर में इकट्ठा होकर चर्बी का रूप धारण कर लेती है, इसलिए जब भी आप बाजार जाएं तो कुछ भी खरीदने से पहले उसमें उसका शुगर लेवल चेक कर लें.

रोज मिठाई का सेवन

आज के समय में कुछ लोगों को मीठा खाने की इतनी आदत पड़ चुकी है कि वे खाने के बाद मीठा जरूर खाते हैं. किसी-किसी डेजर्ट में काफी अधिक मात्रा में शुगर होती है जिसे रात में खाने से मोटापा तेजी से बढ़ता है .

हर समय खाते रहना

अक्सर लोग फ्री टाइम में या औफिस में बैठकर कुछ न कुछ खाते ही रहते हैं. ऐसी आदतें आपको कभी पतला नहीं होने देंगी. यदि आप पैकिट में बंद स्नेक्स वगैरह लेती हैं तो उनमें काफी मात्रा में सोडियम, कार्बोहाइड्रेट और शुगर होता है, जो मोटापा बढ़ाने में मददगार होता है. अगर आप स्नैक्स ही खाना चाहती हैं तो घर पर बने हुए फाइबर युक्त आहार का सेवन करें.

दिनभर मुंह में कुछ लेकर चबाते रहना भी एक बहुत ही गंदी आदत है. ये आपके मोटापे को और अधिक बढ़ाती है.

रोजाना शराब की आदत

जो लोग डिनर के साथ में शराब भी लेते हैं उनके पेट में सीधे तौर पर शक्कर जाती है, जो उन्हें चाहकर भी पतला नहीं होने देती. यदि आप अपनी आदत को थोड़ा काबू में कर लेंगी तो कुछ ही दिनों में आप अपना वजन कम कर सकती हैं.

व्यायाम न करना

अपने शरीर से लगातार काम लेते रहिए. अगर आप अपने शरीर से लगातार काम नहीं लेती हैं और खाना खाने के बाद लेटी ही रहती हैं, तो आप कभी भी पतली नहीं हो पाएंगी. मोटापे को घटाने के लिए वर्कआउट करना बेहद ही जरुरी है. शरीर से रोज खूब सारा पसीना बहाने पर आपका फेट अपने आप कम हो जाता है.

‘जीरो’ में बौने बनकर नाचे शाहरुख खान तो ट्विटर पर उड़ा खूब मजाक

जहां बीते क्रिसमस पर सलमान खान की ‘टाइगर जिंदा है’ ने धूम मचाकर साल खत्म किया तो वहीं 2018 की शुरूआत शाहरुख की फिल्म ‘जीरो’ के टीजर से हुई. साल 2018 की शुरुआत होने के साथ ही शाहरुख ने फैन्स के लिए अपनी फिल्म ‘जीरो’ का शीर्षक और टीजर जारी किया.


फिल्म ‘जीरो’ के टीजर में शाहरुख काफी फनी अंदाज में डांस करते हुए नजर आ रहे हैं. शाहरुख आनंद एल राय निर्देशित फिल्म जीरो में बौने का किरदार निभा रहे हैं. टीजर में शाहरुख का अंदाज उनकी पिछली फिल्मों से एकदम हटके है. टीजर के शुरू में शाहरुख खान एक लंबे चौड़े आदमी को चुनौती देते हुए पार्टी से इतर नाचते हुए दिखाई दे रहे हैं.

इस टीजर को लेकर सोशल मीडिया पर काफी मजाक भी उड़ाया जा रहा है. लोग शाहरुख को लेकर ट्विटर पर कई तरह की बातें कर रहे हैं.

उनका मजाक उड़ाते हुए किसी ने कहा कि शाहरुख ने राजपाल यादव की फिल्म छीन ली है तो किसी ने कहा कि उन्हें अपनी बायोपिक के लिए पहले राहुल गांधी से अधिकार खरीदना चाहिए. एक यूजर ने लिखा है कि इसका नाम जीरो है, इसलिए इसमें सेंसर बोर्ड कोई गुणा, भाग नहीं कर पाएगा. एक यूजर ने शाहरुख की तुलना गेम्स औफ थ्रोन्स टीवी सीरीज के ए‍क बौने किरदार से की है.

दिसंबर 2018 में क्रिसमस के मौके पर आने वाली इस फिल्म का टीजर यूट्यूब पर पहले नंबर पर ट्रेंड कर रहा है. महज 16 घंटे में फिल्म के टीजर को यू-ट्यूब पर 2.7 मिलियन व्यूज मिल चुके हैं.

शाहरुख का निर्देशक आनंद एल. राय के साथ यह पहली रचनात्मक साझेदारी है. फिल्म के जीरो टाइटल के पीछे की कहानी बताते हुए निर्देशक आनंद राय ने अपने एक इंटरव्यू में कहा- फिल्म का फर्स्ट लुक देखकर पटकथा के बारे में अनुमान लगाना गलत होगा. हमने फिल्म में जीरो की महत्ता को दर्शाने की कोशिश की है. उनका कहना है कि कोई भी आदमी दुनिया में संपूर्ण नहीं है. इसमें कुछ गलत भी नहीं जो इंसान जैसा है, उसे खुद पर फक्र होना चाहिए. भगवान ने सभी को प्राकृतिक रूप से अधूरा ही बनाया है. मगर हमें हताश न होकर खुद के अधूरेपन को सेलिब्रेट करना चाहिए. राय के मुताबिक, यह एक ऐसी कहानी है जो किसी की जिंदगी की खामियों का जश्न मनाती है.

गौरतलब है कि पिछला साल शाहरूख के लिए काफी अनलकी रहा, उसकी कोई भी फिल्म बौक्स औफिस पर धूम नहीं मचा सकी. उनकी 2017 की आखिरी फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ भी बौक्स औफिस पर खासा प्रदर्शन नहीं कर पाई.

परफ्यूम से इस तरह आएगा आपकी पर्सनालिटी में निखार

आपके तन से आने वाली दुर्गंध आपको दूसरों की नजरों में बुरा बनाने के साथ ही साथ आपकी पर्सनालिटी पर भी दाग लगा सकती है. कुछ समय पहले तक लोग यह मानते थे कि घर के बाहर परफ्यूम लगा कर नहीं निकलना चाहिए, पर अब ऐसा नहीं है. आजकल तो हर कोई इसका इस्तेमाल करता है. बड़े हों या बच्चे कोई भी बिना परफ्यूम लगाए घर से बाहर नहीं निकलता, लेकिन क्या आपको पता है कि हमेशा अपनी पर्सनालिटी व अवसर के अनुसार ही आपको परफ्यूम लगाना चाहिए?

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ज्यादातर भारतीय महिलाओं को वनस्पति व पुष्प संबंधी खुशबू पसंद आती हैं. इस प्रकार के परफ्यूम ना तो अधिक स्ट्रोंग न ही अधिक सौफ्ट होते हैं. इसे एक बार लगाने के बाद आपको अपने तन से काफी लम्बे समय तक भीनी-भीनी खुशबू का अहसास होता रहता है. इन परफ्यूम्स को यदि आप एक बार लगा लेंगी तो यह लगभग पूरे दिन आपके शरीर को महकाते रहेंगे. यही कारण है कि महिलाएं रोज व चंदन की खुशबू वाले परफ्यूम लगाना सबसे ज्यादा पसंद करती हैं.

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वैसे आजकल तो बाजार में आपको आपकी पर्सनालिटी, स्टाइल, ट्रेंड और अवसर के अनुसार अनेको प्रकार के परफ्यूम मिल जाएंगे. ब्रांडेड परफ्यूम्स – डेवीडोफ, डोंन्ना करन, बी डिलिशियस, ईस्टे लाउडर, राल्फ लौरेन, कैनल, ग्रोसी , बरबरी, इस्काडा, लाकोस्टे, आदि परफ्यूम इन दिनों महिलाओं में सबसे ज्यादा फेमस है.

परफ्यूम का प्रयोग

कई बार हम अपने पसंद के परफ्यूम की बोतल हाथ में उठाते हैं और उसकी खुशबू से खुद को भिगो देते हैं, लेकिन ऐसा न कर के शरीर के कुछ हिस्सों पर ही परफ्यूम लगाएं.

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अंडरआर्म्स, गर्दन व नेक लाइन पर परफ्यूम का प्रयोग जरूर करें.

साड़ी, टाई आदि पर भी एक बार परफ्यूम छिड़क लें.

परफ्यूम लगाने के बाद उसे अधिक सुंघे नहीं और अपने मुंह से दूर रखें वरना आपको सांस संबंधित समस्या भी हो सकती है.

परफ्यूम हमेशा अवसर के अनुसार ही प्रयोग करें.

काकटेल पार्टी,  मीटिंग, आफिस, कारपोरेट इवेंट, जैसी जगहो पर बहुत अधिक स्ट्रांग परफ्यूम के बजाय हल्की खुशबू वाले परफ्यूम का प्रयोग करना चाहिए क्योंकि कई लोगों को स्ट्रांग खुशबू से एलर्जी होती है. हो सकता है कि इस मौके पर कुछ लोग इस खुशबू से परेशान हो जाए.

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यदि आप शादी, पार्टी, क्लब आदि में हों तो स्ट्रांग खुशबू वाले परफ्यूम का प्रयोग कर सकती हैं.

दिन व रात के लिए भी अलग-अलग परफ्यूम आते हैं. इसलिए नाईट पार्टी, बर्थडे पार्टी में अलग-अलग तरह के परफ्यूम का प्रयोग करें.

हमेशा अपना परफ्यूम स्वयं खरीदें

अक्सर हर परफ्यूम की खुशबू, उसे लगाने के बाद बदल जाती है. इसलिए जल्दबाजी में परफ्यूम न खरीदें, परफ्यूम को दो से तीन बार सुंघने के बाद ही खरीदें.

बाजार में स्किन टोन के अनुसार भी परफ्यूम उपलब्ध है. इसलिए अपनी त्वचा को ध्यान में रखते हुए परफ्यूम का चयन करे.

यदि परफ्यूम लगाकर देख ले कहीं आपको किसी प्रकार की जलन तो नहीं हो रही है. एगर जरा भी जलन का अनुभव हो तो उसे ना खरीदें. ऐसा परफ्यूम आपकी त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है.

परफ्यूम खरीदते समय उसकी एक्सपायरी डेट भली प्रकार से जांच लें.

स्मार्ट लुक के लिए डिजाइनर ड्रैस ही काफी नहीं

मनचाही पोशाक पहन कर इठलाने, अदाएं दिखाने की चाह हर महिला की होती है. आखिर यही तो वह चीज है, जिस के साथ वह अपने सौंदर्य को और निखार दे सकती है, पुरुषों को आकर्षित कर सकती है और अपनी हमउम्र सखियों और पड़ोसिनों की ईर्ष्या की पात्र बन सकती है. महिला कुदरत का बनाया एक नायाब तोहफा है और उसे सुंदर रहने का पूरा अधिकार भी है. यही वजह है कि बाजार में लड़कों के कपड़ों की विविधता उतनी नहीं होती है जितनी लड़कियों की होती है.

बेशक महिलाओं को जो मन करे वह पहनना चाहिए, मगर इस बात का भी जरूर ध्यान रखना चाहिए कि कपड़े वही पहनने चाहिए जिन में खुद को सहज और आरामदेह महसूस कर सकें. बाजार की चकाचौंध और स्टाइलिश डिजाइनों के कपड़ों को देख कर लड़कियां और महिलाएं ऐसे खो जाती हैं कि उन्हें इस बात का ध्यान ही नहीं रहता है कि ये परिधान उन के शरीर पर सही लुक दे सकते हैं या नहीं, क्या इन्हें पहन कर वे वास्तव में स्मार्ट लग रही हैं या अपनी शारीरिक कमियों को ही उजागर कर रही हैं?

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कभीकभी टीवी या अखबारों में हम मौडल या हीरोइन को ऐसे परिधान में देखते हैं कि उस से उस की खूबसूरती और बढ़ जाती है. वैसे मौडलों या हीरोइनों को भी कभीकभी सही परिधान का चयन न कर पाने की स्थिति में शर्मिंदा होना पड़ता है जैसेकि कुछ वर्ष पूर्व मशहूर अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा की कैटवाक के वक्त स्ट्रैप टूट गई और सब के सामने टौपलैस हो गईं.

कैसे पाएं तारीफ

एक वीडियो कुछ दिनों पहले काफी वायरल हुआ था, जिस में एक सैलिब्रिटी अपनी तंग जिपी मिडी में इठला कर होस्ट को झुक कर दिखाती है कि उस की जिप पूरी खुल जाती है. इसी तरह एक शो में महानायक अमिताभ बच्चन के सामने एक महिला की ड्रैस फट जाती है और अमिताभ शर्म के कारण मुंह घुमा लेते हैं. ये सभी वाकया सही परिधान न चुनने के कारण ही होते हैं, जिन से बदनामी भी होती है और युवतियों या महिलाओं का मजाक भी बनता है. गौहर खान की एक तंग ड्रैस का बौटम रैंप पर फट गया था और फोटोग्राफरों को बढि़या मसाला मिल गया.

मीडिया पर्सनैलिटी से महिलाएं इतनी प्रभावित होती हैं कि कुछ भी कर के उन जैसा बनना चाहती हैं, मगर इस में सब से बड़ी गलती यह करती हैं कि वे केवल उन की ड्रैस देखती हैं, घंटों जिम में पसीना बहा कर, डाइटिंग कर और सर्जरी के बाद बनाई गई उन की खूबसूरत फिगर को नहीं देखतीं. वे अंधाधुंध पैसे खर्च कर के उन के जैसी पोशाक तो खरीद लाती हैं, मगर अपने शरीर के बेडौल उभारों को नहीं छिपा पातीं.

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आप ने अकसर ऐसी युवतियों या महिलाओं को शादी या पार्टी में अवश्य देखा होगा जो महंगा स्लीवलैस गाउन तो पहन लेती हैं, मगर अंडरआर्म्स साफ करना भूल जाती हैं. ऐसे में उन की बगलों से झांकते बाल और आधी काली आधी सफेद बांहें उन के सौंदर्य की नहीं वरन फूहड़ता की निशानी छोड़ती हैं. कुछ महिलाएं शौर्ट ड्रैस पहनती हैं, मगर उन की मोटी जांघें, टखनों की कालिख और स्ट्रैच मार्क्स उन्हें उपहास का पात्र बना डालते हैं.

मैचिंग फुटवियर

आप ने अच्छे कपड़े तो पहन लिए, लेकिन उन से मिलतेजुलते फुटवियर पर ध्यान नहीं दिया तो सब धरा का धरा रह जाएगा. स्थान, समारोह व समय के अनुसार ही फुटवियर पहनना चाहिए. अगर आप कोई परंपरागत परिधान जैसे सूट, साड़ी या लहंगा पहन रही हैं, तो चमकदमक वाला फुटवियर पहन सकती हैं और अगर आप को औफिस जैसे माहौल में जाना है तो कतई चमकदमक या भड़कीले रंग का फुटवियर न पहनें.

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तब आप को हलके शालीन रंग का ऐसा फुटवियर पहनना चाहिए, जो आप की ड्रैस से मैच करता हो और देखने वालों की आंखों को भी न चुभे.

कपड़ों का चयन

कई बार मोटी औरतें साड़ी को नाभि से भी नीचे बांध लेती हैं और इस से उन के पेट पर उभरी गर्भावस्था की धारियां साफ दिखाई देती हैं, जो उन की खूबसूरत साड़ी और व्यक्तित्व को फीका ही करती हैं. कुछ महिलाएं महंगे कपड़े और चेहरे पर बढि़या मेकअप तो कर लेती हैं, मगर उन के नाखून अनशेप्ड और बिना नेलपैंट किए होते हैं.

इसी तरह किसीकिसी की ऊंची एडि़यों की सैंडलों से दरार पड़ी एडि़यां झांकती हैं.

भारी स्तनों वाली महिलाएं जब डीप नैक पहनती हैं, तो थोड़ा झुकते ही उन के स्तनों और ब्रा का सब को दीदार हो जाता है.

कुदरत ने सब के शरीर की बनावट व रंगरूप एकदूसरे से भिन्न बनाया है. अत: यह जरूरी नहीं है कि जो रंग दूसरों पर अच्छा लग रहा हो वह आप पर भी खिलेगा. कुछ रंग तो खासतौर पर ऐसे ही होते हैं जोकि सब पर अच्छे नहीं लगते हैं जैसे सूरजमुखी पीला, नारंगी, सुर्ख गुलाबी आदि. कोई भी नया रंग खरीदने से पहले पहन कर देख लें कि आप पर कैसा लग रहा है अन्यथा आप के पैसे भी बेकार हो जाएंगे और देखने वालों को अच्छा भी नहीं लगेगा.

कपड़ों की खरीदारी के वक्त सब से पहले तो इस बात पर ध्यान देना बेहद जरूरी होता है कि वे आप के शरीर की बनावट या आकार के हिसाब से हों, जो पहनने में आरामदायक होने के साथसाथ आप के व्यक्तित्व में भी चार चांद लगा सकें.

फिटिंग का रखें ध्यान

कपड़े खरीदते समय साइज पर न जाएं, बल्कि कपड़ों की फिटिंग पर ध्यान दें कि उन्हें पहनने के बाद आप कैसी दिख रही हैं. बौडी टाइप के अनुसार साइज लेने से यह जरूरी नहीं है कि वह आप पर जंचे. ऐसे कपड़े लें जो शरीर की कमियों को छिपाते हुए खूबसूरती को बढ़ावा देते हों. कपड़ों में आप को आराम भी महसूस होना चाहिए. कहीं ऐसा न हो कि फैशन के चक्कर में आप असहज महसूस करें.

घटिया मेकअप

दिन में हलका, रात में डार्क मेकअप करना चाहिए. दिन के इवेंट में न के बराबर और पार्टी में डार्क मेकअप चलता है.

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जब आप हर जगह एकजैसे कपड़े नहीं पहनती हैं, तो हर जगह एकजैसा मेकअप करने का क्या तुक बनता है? हर जगह सुर्ख रंग की लिपस्टिक लगाने से काम नहीं चलेगा. कुछ स्थानों में हलके रंग की लिपस्टिक का भी ज्यादा असर होगा. साथ ही बदलते मेकअप ट्रैंड से भी खुद को अपडेट रखें.

चमकते नाखून

अपने नाखूनों को हमेशा साफ रखें. उन्हें सही शेप दे कर नेलपैंट लगाएं. अकसर लोगों की नजर नाखूनों पर जाती है. अगर वे गंदे हों, टूटे हुए हों तो खुद भी अच्छा नहीं लगेगा. इसलिए खूबसूरती बढ़ाते समय नाखूनों को नजरअंदाज कतई न करें. यदि आप कामकाजी महिला हैं, तो हलके रंग की नेल पौलिश लगा कर रखें और तड़कभड़क वाले रंगों को छुट्टी के दिनों के लिए संजो कर रख लें.

सुंगधित रहें

कई महिलाओं को अधिक पसीना आता है खासकर अंडरआर्म्स में. अत: उन से दुर्गंध आने लगती है. लोग आप की दुर्गंध से दूर भागें, इस से बढि़या है कि आप अच्छे डियोड्रैंट का इस्तेमाल करें. उसे समयसमय पर बदलती रहें, क्योंकि जीवन के अलगअलग पड़ावों पर शरीर की दुर्गंध बढ़ती रहती है.

हेयरकलर

बाल महिलाओं का गहना हैं. अगर अपने बालों के साथ अच्छे प्रयोग करें, तो खूबसूरती में चार चांद लगाए जा सकते हैं, लेकिन इन प्रयोगों का प्रयास विपरीत हो जाए तो खूबसूरती बदसूरती में तबदील हो सकती है. इसलिए बालों में अच्छा कलर करना और अच्छा सा हेयरकट आप को नया लुक दे सकता है.

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बालों से आप नएनए लुक भी अपना सकती हैं. हालांकि बालों को कलर कर उन की देखभाल करना थोड़ा महंगा सौदा है, इसलिए आप अपने बालों के कुछ भागों को हाईलाइट कर भी नया लुक प्राप्त कर सकती हैं.

यह बिलकुल सही है कि अच्छे कपड़े, मैचिंग फुटवियर व मेकअप से आप अच्छी दिखेंगी, लेकिन एक छोटी सी प्यारी सी मुसकान के बिना सब अधूरा है. इसलिए हमेशा किसी से भी मिलते या बात करते हुए एक छोटी सी मुसकराहट बरकरार रखें. लोगों से बात करते समय खुशमिजाज व चीयरफुल रहें ताकि वे आकर्षित हों. अगर आप इस के विपरीत मुंह बना कर या दुखी मन से रहेंगी तो लोग आप से दूर भागने लगेंगे.

स्मार्टनैस की परिभाषा तब तक अधूरी रहती है जब तक आप के कार्य, चालढाल में आत्मविश्वास की झलकी नहीं आएगी.

मनचाही पोशाक पहनना गलत नहीं है, बल्कि अपनी पसंद की पोशाक हमारे अपने मन और जीवन दोनों पर असर डालती है. पसंदीदा पोशाक पहनने पर हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है, जो हमारी सोच और काम पर सकारात्मक प्रभाव डालता है.

किसी भी पोशाक से ही यह पता लगाया जा सकता है कि उसे पहनने वाला कितना संवेदनशील, कितना प्राउडी या दब्बू है अथवा आत्मविश्वासी. इसलिए परिधान का चयन बहुत ही सावधानी के साथ अपनी फिगर को ध्यान में रख कर ही करें.

नये साल के आते ही जैकलीन के हाथ लगा यह बड़ा प्रोजेक्ट

बौलीवुड एक्ट्रेस जैकलीन फर्नाडीज के लिए नया साल खाफी बेहतरीन होने वाला है क्योंकि इस साल के शुरुआत में ही जैकलीन फर्नांडिस के हाथ एक बड़ा प्रोजेक्ट हाथ लग गया है. जी हां, वह हौलीवुड फिल्म ‘द गर्ल औन द ट्रेन’ के बौलीवुड रीमेक में नजर आएंगी. इसकी जानकारी खुद जैकलीन ने दी है. उनका कहना है कि वह हौलीवुड फिल्म ‘द गर्ल औन द ट्रेन’ के बौलीवुड रीमेक पर काम कर रही हैं. एमटीवी सुपर फाइट लीग के दिल्ली हीरोज की सह-मालिक जैकलीन ने एक न्यूज एजेंसी से कहा, हम ‘द गर्ल औन द ट्रेन’ पर काम कर रहे हैं. यह एक किताब का हौलीवुड रूपांतरण है. हम अभी उस पर काम कर रहे हैं.

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एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, जैकलीन फिल्म के लिए मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स (MMA) की ट्रेनिंग भी ले रही हैं. जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा- मैं अपने रोल्स के लिए कुछ नया सीखने के लिए एक्साइटेड रहती हूं.

‘जुड़वा 2’ में नजर आ चुकीं जैकलीन फर्नाडीज दो फिल्मों ‘रेस 3’ में सुपरस्टार सलमान खान के साथ और ‘ड्राइव’ में सुशांत सिंह राजपूत के साथ काम कर रही हैं.

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‘ड्राइव’ के बारे में अभिनेत्री ने कहा, तरुण मनसुखानी वापसी कर रहे हैं. सुशांत और मैं उनके साथ काम कर रहे हैं. उनके साथ काम करना अद्भुत है.

बता दें कि जैकलीन अभी बाली में हौलीडे मना रही हैं और वहां वो बीच पर ही वर्कआउट कर रही हैं. उन्होंने इंस्टाग्राम पर अपनी तस्वीरें शेयर की हैं, जिसमें वो बीच पर हैंडस्टैंड करती हुईं दिख रही हैं. उन्होंने नियोन स्विमसूट पहना हुआ है.

रेमो डिसूजा द्वारा निर्देशित ‘रेस 3’ सलमान खान के साथ उनकी दूसरी फिल्म होगी. जैकलीन के साथ फिल्म में सलमान खान, अनिल कपूर, बौबी देओल, शाकिब सलीम और डेजी शाह हैं. इससे पहले वह सलमान के साथ ‘किक’ (2014) में साथ नजर आ चुकी हैं. उनका कहना है कि सुपरस्टार के साथ दिखना उनके लिए बहुत बड़ी बात है.

क्रिटिकल इलनेस कवर कितना जरूरी, कैसे करें इसका चुनाव

महंगाई और चिकित्सा सुविधाओं में तेजी से सुधार सीधे तौर पर गंभीर बीमारियों के इलाज के खर्चें को प्रभावित करता है. कुछ गंभीर बीमारियां पौलिसीधारक के मौजूदा स्वास्थ्य बीमा पर भी असर डाल सकती हैं. कैंसर, हृदय, किडनी, लंग्स ट्रांसप्लांट संबंधित बीमारियों का इलाज खर्च 30 लाख या उससे अधिक का पड़ जाता है. ऐसे में 5 लाख, 10 लाख या 20 लाख की हेल्थ पौलिसी अपर्याप्त मानी जाती है.

इस स्थिति में आपकी मदद क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस कर सकता है. यह महंगे इलाज के मामले में बेहतर कवर देता है. इसलिए क्रिटिकल इलनेस पौलिसी खरीदने से पहले कुछ जरूरी बातों का जरूर ध्यान रखें.

कितनी राशि का कवर खरीदना चाहिए?

निवेश और टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है चूंकि गभीर बीमारी के निदान के पश्चात आपकी आमदनी बंद हो जाती है एवं चिकित्सा एवं उपचार पर व्यय बढ़ जाता है, इसलिए आपको आपकी सालाना आय का कम से कम 10 से 12 गुना क्रिटिकल इलनेस कवर खरीदना चाहिए.

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ध्यान से पढ़ें कि पौलिसी में क्या कुछ शामिल है-

हर कंपनी की क्रिटिकल इलनेस पौलिसी में शामिल होने वाली बीमारियां अलग अलग होती हैं. कुछ कंपनियों की पौलिसी में 10 बीमारियां शामिल होती हैं, वहीं कुछ के में 20 या उससे अधिक बीमारियां हो सकती है. आमतौर पर क्रिटिकल इलनेस पौलिसी में कैंसर, स्ट्रोक, किडनी संबंधित बीमारियां आदि शामिल होती हैं. अपनी हेल्थ प्रोफाइल में परिवार में पहले से चली आ रही बीमारियों (जैनेटिक बीमारी) के बारे में भी पता कर लें. जिस पौलिसी में ज्यादा से ज्यादा बीमारियां कवर होती है उसका चयन करें. लेकिन इसमें प्रीमियम राशि बढ़ सकती है.

क्रिटिकल इलनेस कवर की क्या है जरूरत-

क्रिटिकल इलनेस कवर में वे खर्चें शामिल होते हैं जो सामान्य तौर पर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में शामिल नहीं होती हैं. कई बार किसी गंभीर बीमारी के चलते पौलिसीधारक को अपनी नौकरी तक छोड़नी पड़ जाती है. ऐसी स्थिति में क्रिटिकल इलनेस कवर बीमारी और रोजमर्रा के खर्चों दोनों का ध्यान रखती है.

पर्याप्त राशि का क्रिटिकल इलनेस कवर लें

आप जिस भी बीमारी के लिए क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस खरीद रही हैं सुनिश्चित करें कि उसका पर्याप्त कवर साइज है. उदाहरण के तौर पर अगर पौलिसीधारक को हृदय रोग है तो भविष्य में इसके इलाज में तकरीबन 15 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है. ऐसे में इस तरह की पौलिसी का चयन करें जो कम से कम इसकी पूरी राशि को सम्मिलित करें.

क्रिटिकल इलनेस को इंश्योरेंस पौलिसी के साथ राइडर के रूप में खरीदें या अलग से?

पौलिसी खरीदते समय ग्राहक के सामने दो विकल्प होते हैं. पहला या तो क्रिटिकल इलनेस पौलिसी को अलग से खरीद लें या फिर इंश्योरेंस कंपनी से बात करके हेल्थ पौलिसी के साथ राइडर के रूप में खरीद लें. अगर आप क्रिटिकल इलनेस को राइडर के रूप में लेती हैं तो पौलिसी पीरियड के दौरान प्रीमियम की राशि एक समान रहती है. लेकिन सामान्य बीमा कंपनी से अगर आप इसे अलग से खरीदती हैं तो पौलिसी का मूल्य उम्र के आधार पर संशोधित हो जाता है.

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निवेश और टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि क्रिटिकल इलनेस के जोखिम को कवर करने के लिए जीवन बीमा एवं स्वास्थ्य बीमा के साथ में मिलने वाले राइडर की राशि पर्याप्त नहीं होती है. इसके अंतर्गत जो भी बीमारियां (रोग) शामिल होती हैं उससे जुड़े नियम हर एक कंपनी में अलग अलग होते हैं. यह भी जरूरी नहीं है कि जो जीवन बीमा या स्वास्थ्य बीमा आप खरीद रही हैं उसके साथ मिलने वाले राइडर में वो सब गंभीर बीमारियां कवर हों जो आप चाहती हैं.

राइडर के रूप में कुछ हिस्सा ही क्रिटिकल इलनेस कवर के रूप में होगा, यदि आप क्रिटिकल इलनेस कवर पर्याप्त राशि में नहीं खरीदती तो जरूरत के समय यह कम पड़ सकती है. वहीं अगर आप इसे अलग से खरीदते हैं तो आप अपनी जरूरतों के हिसाब से पौलिसी खरीद सकती हैं. साथ ही अलग से पौलिसी खरीदने में इस कवर में ज्यादा स्वतंत्रता मिलती है.

क्रिटिकल इलनेस कवर खरीदते समय इसका राइडर और पौलिसी दोनों की तलुना कर लें. इनसे जुड़ें नियम व शर्तों को भी ठीक प्रकार से पढ़ें.

क्रिटिकल इलनेस में कौन बीमारियां नहीं होती शामिल-

क्रिटिकल इलनेस पौलिसी खरीदने के 60 दिनों तक (कुछ मामलों में 30 दिन) कोई कवरेज नहीं मिलती. इसमें कोई भी पहले चली आ रही बीमारी और विदेश में हुआ ट्रीटमेंट शामिल नहीं होता है. इस कवरेज के दायरे से दांतों से जुड़े इलाज, बर्थ कंट्रोल, लिंग परिवर्तन, कैटरैक्ट आदि बीमारियां बाहर होती हैं.

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