आपसी उधारी बिगाड़े रिश्तेदारी, इसलिए आप भी लें ये सबक

नए जमाने की यह कहावत श्रुति और स्मृति पर आधारित न हो कर ढेरों अनुभवों व उदाहरणों का निचोड़ है कि अगर रिश्तेदारी बिगाड़नी हो तो उधार ले लो या फिर उधार दे दो. अर्थशास्त्र के शुरुआती पाठों में ही पढ़ा दिया जाता है कि फाइनैंस का एक बड़ा स्रोत व्यक्तिगत भी होता है.

इन्हीं पाठों में बताया जाता है कि सहज उपलब्ध होने के साथ साथ इस तरह के फाइनैंस की एक खासियत यह भी है कि इस में ब्याज या अवधि का दबाव नहीं होता. पढ़ाया हालांकि यह भी जाता है कि दोस्ती यारी और रिश्तेदारी में लेनदेन अक्सर रिश्तों के लिए नुकसानदेह साबित होता है और उन के टूटने की वजह भी बनता है.

रिश्ते हमेशा से ही अर्थप्रधान रहे हैं. धर्म और संस्कृति की दुहाई दे कर बेवजह ही इस सच से मुंह मोड़ने की कोशिश भी हमेशा की जाती रही है. जबकि सच यह है कि समाज में रहना है तो आप आपस में उधारी के लेनदेन से बच नहीं सकते.

बिना शक अपनों की मदद का जज्बा एक अच्छी बात है जो न केवल मानव जीवन की बल्कि पैसे की भी सार्थकता सिद्ध करता है. भोपाल के 70 वर्षीय एक नामी डाक्टर की मानें तो साल 1968 में उन्हें मैडिकल में दाखिले के लिए उस वक्त महज 600 रुपए की जरूरत थी. तब यह रकम काफी भारी भरकम थी. डाक्टर साहब के पिताजी ने बेबसी से असमर्थता जाहिर कर दी तो उन की उम्मीद टूटने लगी और सपने दम तोड़ने लगे. पैसों के आगे प्रतिभा घुटने टेकती नजर आई.

ऐसे में रिश्ते के एक मामा ने उन की मदद की और बगैर ज्यादा पूछताछ किए या एहसान जताए उन्हें पैसे उधार दिए और खूबी यह कि उन की 5 वर्षों की पढ़ाई पूरी होने तक कभी तकाजा नहीं किया. भावविह्वल हो कर डाक्टर साहब बताते हैं कि अब मामाजी इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मैं अक्सर उन के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. उन के उस वक्त के 600 रुपए के मुकाबले आज अपनी कमाई की करोड़ों की दौलत और जायदाद फीकी लगती है.

ऐसे कई उदाहरण आसपास मिल जाएंगे जिन में निस्वार्थ उधारी देने के चलते किसी की जिंदगी संवरी या जरूरी काम वक्त पर हो पाया. लेकिन ये उदाहरण उन उदाहरणों के मुकाबले कुछ भी नहीं जिन में स्थायी रूप से रिश्तों में खटास पड़ गई, वजह थी आपस में उधारी.

गौर से देखें तो असल वजह उधारी नहीं, बल्कि उस में रिश्तों की तरह पसरी अपारदर्शिता है. भारतीय समाज की यह बड़ी कमजोरी है, जिस में लिहाजा, संकोच और रिश्तों को बनाए रखने की कोशिश के चलते अक्सर बहुत कुछ स्पष्ट नहीं होता.

भोपाल की ही एक प्रोफैसर की मानें तो अब से 8 वर्षों पहले उन्होंने अपने दिवंगत देवर की बेटी को 2 लाख रुपए उधार दिए थे. मंशा मदद की थी जिस से वह एमबीए करने का अपना सपना पूरा कर सके. पढ़ाई के बाद भतीजी की नौकरी एक नामी कंपनी में तगड़े पैकेज पर लग गई तो उन्हें आस बंधी कि अब वह पैसा वापस कर देगी.

इस बाबत उन्होंने इशारों में कई दफा कहा भी पर भतीजी चालाक थी जो जानबूझ कर अंजान बनी रही. प्रोफैसर साहिबा के पति उन से काफी नाराज हुए पर मामला नजदीकी था और इस की कोई लिखापढ़ी नहीं थी, इसलिए कुछ नहीं किया जा सकता था सिवा अपनी मूर्खता पर कलपते रहने के.

अब वह भतीजी अपने पति के साथ मौज से बेंगलुरु में रह रही है और ताई व ताऊ के स्पष्ट मांगने पर भी पैसे वापस नहीं कर रही. नतीजतन, बोलचाल बंद है. हर कोई यह कहता है कि 2 लाख रुपए जैसी भारी भरकम रकम सगी भतीजी को भी बिना लिखापढ़ी के नहीं देनी चाहिए थी. अक्सर फुर्सत में अपनी मेहनत की कमाई के 2 लाख रुपयों को ले कर प्रोफैसर साहिबा क्षोभ, अवसाद और क्रोध से घिर जाती हैं कि अगर इन्हें कहीं निवेश करतीं तो कम से कम 6-7 लाख रुपए तो हो जाते और तनाव भी झेलना न पड़ता.

आपस में उधारी से ताल्लुक रखते एक ही शहर के दिलचस्प उदाहरण सामने हैं. डाक्टर साहब को वक्त पर उधारी मिल गई थी जो उन्होंने डाक्टर बनते चुका भी दी थी. इसलिए वे अब हर किसी जरूरतमंद रिश्तेदार की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं और उधार देते वक्त न यह सोचते हैं, न पूछते हैं कि पैसा वापस कब मिलेगा. उलट इस के, प्रोफैसर साहिबा ने कसम खा ली है कि मर जाएंगी लेकिन अब वे किसी अपने वाले को कभी उधार नहीं देंगी.

क्या ऐसा कोई रास्ता है जिस से रिश्तों की मिठास भी कायम रहे और उधारी की खटास उन पर हावी न हो? इस सवाल का एक ही जवाब है, नहीं, क्योंकि उधार लेने वालों की नीयत नारियल जैसी होती है. आप ऊपर से नहीं भांप सकते कि नारियल भीतर से सड़ा है या साबुत है. यानी नीयत को नापने का कोई पैमाना नहीं है.

वक्त तेजी से बदल रहा है, बाजार में पैसों की किल्लत है और नोटबंदी के बाद तो हालात और भी बिगड़े हैं. ऐसे में जरूरी है कि आपस में उधारी को 2 हिस्सों में बांट कर देखा जाए. पहला, देने वाला और दूसरा, लेने वाला.

इन दोनों ही पक्षों को कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत है जिस से रिश्तों पर कोई आंच न आए.

  • देने वाले को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि मांगने वाले की जरूरत वाकई गंभीर है. पढ़ाई, बीमारी और शादी के बाबत पैसा मांगा जा रहा है तो उधार देना हर्ज की बात नहीं. लेकिन आप को लगता है कि उधारी मौजमस्ती और सैरसपाटे के लिए मांगी जा रही है तो विनम्रता से असमर्थता जता दें.
  • मांगने वाले से रिश्ते की नजदीकी व दूरी देखें. अगर रिश्तेदार अक्सर मिलने जुलने वाला और विश्वसनीय है तो उधार दिया जा सकता है.
  • देने वाले की वापस करने की क्षमता का आकलन बैंक की तरह करें. बेरोजगार रिश्तेदारों और बाहर रहने वाले छात्रों को देने से अक्सर पैसा डूब जाता है.
  • नौकरीपेशा या नियमित आमदनी वाले रिश्तेदारों को उधार दिया गया पैसा कम ही डूबता है.
  • आपस में उधारी की बात पति पत्नी को एक दूसरे से छिपाना नहीं चाहिए.

जब बात उलझ जाए

इन तमाम एहतियातों को बरतने के बाद भी बात उलझ जाए तो रिश्तेदारी या दोस्ती का टूटना एक तय बात है जिस का जिम्मेदार लेने वाला ही होता है. एक कैमिस्ट अनिल कुमार ललवानी की मानें तो उधार लेने वाले के बाद अपने वाले भी कतराने लगते हैं जिस से देनदार का तनाव व ब्लडप्रैशर और बढ़ जाता है.

वक्त का तकाजा है कि आपस के हर लेनदेन की लिखापढ़ी हो, यह कतई हर्ज या शर्म की बात नहीं बल्कि इस से संबंध पूर्व की तरह बने रहते हैं. अगर उधारी की रकम बड़ी है और उस की मियाद ज्यादा है तो ब्याज लेने में भी हर्ज नहीं. अगर यही राशि देने वाला बैंक में जमा करेगा तो उसे ब्याज तो मिलता जो उस का हक है.

भोपाल के एक अधिवक्ता महेंद्र श्रीवास्तव का कहना है, ‘‘आपस में लिखापढ़ी न होने से देने वाला अदालत नहीं जा पाता और अपनी नादानी पर पछताता रहता है. मौखिक लेनदेन को अदालत में साबित करना मुश्किल होता है. कोर्ट में कागजी लिखापढ़ी ही कारगर होती है लेकिन उस पर 2 गवाहों के दस्तखत होने चाहिए.’’

जब उधारी लेने वाला न देने की ठान ही ले तो उस से पैसे निकलवाना दुष्कर काम है. बात यहीं से बिगड़ती है, इसलिए पहली कोशिश आपस में लेनदेन से बचने की होनी चाहिए. रिश्ते पैसों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं होते. लेकिन मदद का जज्बा है तो बेहतर है मांगने वाले को किसी तीसरे से दिलवाएं और लिखापढ़ी करवाएं.

रखें इन बातों का ध्यान

  • 1 लाख रुपए तक या इस से ज्यादा की उधारी की लिखापढ़ी करना शर्म या हर्ज की बात नहीं. याद रखें आप मदद कर रहे हैं, इसलिए अपनी कमाई व बचत के पैसों के प्रति सजग रहना आप की जिम्मेदारी है, न कि लेने वाले की.
  • लिखित दें या मौखिक दें, उधारी के पैसों की समयसीमा जरूर तय करें, जिस से लेने वाले पर वक्त के भीतर चुकाने की बाध्यता रहे.
  • रिश्तेदारी और दोस्ती यारी में उधार मांग कर वापस न लौटाने वाले कुख्यात लोगों को टरकाना ही बेहतर होता है.
  • रिश्तेदारी में ब्याज लेना एक असमंजस वाली बात है, इस से यथासंभव बचा जाना चाहिए. आप कोई बनिए या सूदखोर नहीं हैं जो जरा सी रकम के लिए रिश्तेदारी में अपनी इमेज बिगाड़ें. यही बात दोस्तों पर लागू होती है.
  • सब से अहम बात यह है कि पहले देख लें कि आप के पास देने लायक अतिरिक्त पैसा है या नहीं. भावुकता में खुद यहां वहां से पैसा जुगाड़ कर किसी को उधार देना बुद्धिमानी की बात नहीं. इस के अलावा झूठी शान, भभके या दिखावे, रिश्तेदारी या दोस्ती में धाक जमाने के लिए उधार न दें.
  • हर समय तकाजा न करें, न ही 4 लोगों के सामने अपनी ही उधारी का गाना गाएं. इस से कुछ हासिल नहीं होता, सिवा इस के कि उधारी मांगने वाले कुछ दूसरे भी पैदा हो जाते हैं.
  • वक्त पर पैसा वापस न मिले तो धैर्य से काम लें और फिर नियमित अंतराल से तकाजा करें. इस के बाद भी बात न बने तो लेने वाले को अपमानित करने में हर्ज नहीं. लेकिन यह अपमान शिष्ट तरीके का होना चाहिए.
  • बड़ी उधारी अकाउंटपेयी चैक से दें.

संकोच व रिश्तों को बनाए रखने की कोशिश में अक्सर उधारी से संबंध बिगड़ जाते हैं.

लेने वाले भी सोचें

  • यह न सोचें कि जिस अपने ने जरूरत के वक्त आर्थिक मदद की है या उस की मजबूरी या रिश्ता निभाने की शर्त थी, बल्कि सोचें यह कि उस ने उदारता और अपनापन दिखाया, इस बाबत उस के आभारी रहें.
  • अगर देने वाला अमीर है तो यह भी न सोचें कि उसे पैसों की क्या जरूरत. जब ज्यादा पैसे होंगे तब दे देंगे जैसी सोच से बचें, यह एक तरह की एहसानफरामोशी और चालाकी है जो अपनेपन को दरकाती है.
  • अगर तयशुदा वक्त पर किसी वजह से पैसों का इंतजाम न हो तो पूरे कारण और हालात से देने वाले को अवगत कराएं और मियाद बढ़वाएं. लेकिन ऐसा बारबार करना आप की इमेज बिगाड़ने वाली बात होगी, इसलिए वक्त पर पैसा लौटाने की कोशिश करें.
  • उधार ले कर कतराएं नहीं, बल्कि देनदार के संपर्क में रहें और कभी कभार उसे बताएं कि आप पैसा वापसी के प्रति गंभीर हैं, इस से उसे बेफिक्री रहेगी.
  • अगर रकम ज्यादा है तो खुद अपनी तरफ से वैधानिक लिखापढ़ी की पहल करें. इस से एक फायदा यह होगा कि आप भी लापरवाही के शिकार होने से बच जाएंगे.
  • उधार मांगने की नौबत महज जरूरत की वजह से नहीं, बल्कि कभी कभार आप के फिजूलखर्ची होने और बचत की आदत न होने से भी पड़ती है. इसलिए इस तरफ ध्यान दें कि खर्च आमदनी के मुताबिक रखें जिस से मांगने की नौबत ही न आए.

यह भी सोचें

  • अपनी नीयत साफ रखें, पैसा हड़पने की बात मन में न लाएं.
  • अगर देने वाला असमर्थता जता रहा है या कन्नी काट रहा है तो मांगने के लिए उस के पीछे न पड़ जाएं. इस से तो अपनापन उधारी की डील के पहले ही खत्म हो जाएगा.
  • जरूरत के वक्त आपस वालों से उधार लेना हर्ज या शर्म की बात नहीं. लेकिन आप खुद देखें कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आप अपना पैसा दबा कर उधार मांग रहे हैं. यह तो उधारी पूर्व की बेईमानी है, इस से बचें.
  • पैसा लौटाने के बाद हृदय देने वाले का आभार व्यक्त करें. यह न केवल शिष्टता की, बल्कि नैतिकता का भी तकाजा है.
  • एकमुश्त न दे पाएं तो ली गई राशि किस्तों में लौटाएं.

सलमान और कैटरीना ने कराया स्पेशल फोटोशूट, देखें तस्वीरें

सलमान खान और कैटरीना कैफ स्टारर फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ का हाल ही में पहला गाना ‘स्वैग से स्वागत’ रिलीज किया गया है. जल्द ही फिल्म का दूसरा गाना ‘दिल दिया गल्लां’ भी रिलीज होने वाला है.

वहीं इस बीच सलमान और कैटरीना का एक फोटोशूट सामने आया है. दोनों स्टार्स ने ये फोटोशूट एक मैगजीन के लिए करवाया है. इन तस्वीरों में सलमान खान और कैटरीना कैफ की सिजलिंग कैमेस्ट्री नजर आ रही है.

सलमान और कैटरीना ने यह फोटोशूट वोग इंडिया मैगजीन के लिए कराया है. सलमान और कैटरीना के फैंस को वोग इंडिया के दिसंबर ईशू में ये तस्वीरें देखने को मिलेंगी. यह तस्वीरें एक फैन पेज पर शेयर की गई हैं.

वहीं इस फैन पेज ने सलमान और कैटरीना के इस फोटोशूट की और भी कई तस्वीरें पोस्ट की हैं. सलमान खान और कैटरीना कैफ स्टारर फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ का सभी को बेसब्री से इंतजार है. फिलहाल इस फिल्म का एक गाना हाल ही में रिलीज किया जिसे अब तक यू-ट्यूब पर 43,439,522 व्यूज भी मिल चुके हैं.

‘स्वैग से स्वागत’ गाना दर्शकों को बहुत पसंद आ रहा है. वहीं कैटरीना के जबर्दस्त मूव्स और सलमान का स्वैग लोगों को दीवाना बना रहा है. लेकिन इस गाने को लेकर अब एक सवाल पूछा जा रहा है. क्या ये गाना ओरिजनल है? माना जा रहा है कि सलमान की फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ का ये गाना एक इंग्लिश नंबर से काफी मिलता जुलता है. सलामन के ‘स्वैग’ का म्यूजिक और गाने की बीट्स इस इंग्लिश सौन्ग जैसी ही है.

अब दोनों गानों को देख और सुन कर आप तय करें कि दोनों गानें एक दूसरे से किस हद तक मिलते हैं. बता दें, सलमान खान का ये गाना ग्रीस की खूबसूरत लोकेशन पर फिल्माया गया है. गाने में कैटरीना कैफ बेहद सुंदर लग रही हैं. वहीं सलमान का स्वैग देखते ही बनता है.

तेजी से बढ़ रही है शिल्पा शिंदे की फैन फौलोईंग, तोड़ डाला यह रिकार्ड

टीवी सीरियल ‘भाभी जी घर पर हैं’ में लीड रोल में नजर आ चुकी और लोगों के दिलों में अपनी जगह बना चुकीं शिल्पा शिंदे इन दिनों ‘बिग बौस 11’ के घर में नजर आ रही हैं. शिल्पा की घर में एंट्री होने के बाद से ही वह सुर्खियों में हैं.

वह पहले दिन जब घरवालों की घर में एंट्री हुई तब से ही चर्चा में थी. पहले ही दिन उनकी विकास गुप्ता के साथ लड़ाई हुई थी और उसके बाद से लगभग 5, 6 हफ्तों तक शिल्पा और विकास के झगड़ो ने काफी सुर्खियां बटोरीं, लेकिन अब दोनों के बीच की दुश्मनी खत्म हो गई है.

घर में शिल्पा और विकास दोनों को ही बदलते हुए देखा गया है. पहले हफ्ते शिल्पा द्वारा परेशान किए जाने के बाद विकास में काफी बदलाव हुआ और उसी तरह शिल्पा भी घर में धीरे-धीरे काफी बदल गई हैं और शिल्पा को घर के बाहर भी काफी प्यार मिल रहा है.

अब शिल्पा घर की सबसे स्ट्रोंग कंटेंडर बन गई हैं. शिल्पा ने कई हफ्तों तक सभी घरवालों को टेस्टी खाना भी बना कर खिलाया है.

शुक्रवार को प्रसारित हुए एपिसोड में अर्शी से लड़ाई के बाद वह रोती हुईं नजर आईं लेकिन अगले ही पल वह कैप्टेंसी टास्क में विकास को सपोर्ट करते हुए और उनके लिए डांस करती हुई भी दिखाई दीं. जब घर में शिल्पा दूसरे सदस्यों को सपोर्ट कर रहीं थी तो घर के बाहर उनकी फैन-फौलोइंग लगातार बढ़ती हुई नजर आई.

यहां तक की उनकी फैन-फौलोइंग दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही है. ट्विटर पर शिल्पा विनिंग हार्ट्स ट्रेंड हो रहा है और इस हैशटैग के साथ अब तक लगभग 329 हजार से ज्यादा ट्वीट्स किए जा चुके हैं. किसी भी कंटेस्टेंट के सपोर्ट में किए गए ट्वीट्स में यह आंकड़ा सबसे ज्यादा है.

बता दें, शिल्पा के लिए घर में भी कई सदस्यों का कहना है कि वह काफी अच्छा गेम खेल रही हैं और वह मजबूत दावेदार भी हैं. वहीं विकास ने भी एक बार शिल्पा की तारीफ करते हुए कहा था कि वह काफी अच्छी एक्ट्रेस हैं.

भागदौड़ भरी जिंदगी से आराम लेकर निकल पड़े इन जगहों की सैर पर

जिंदगी की भाग-दौड़ में आराम के लिए एक रात काफी नहीं है. घर से औफिस, औफिस से घर. ज्यादातर लोगों की आधी जिंदगी इसी में गुजर जाती है. ऐसे में कई बार मन करता है कि वक्त को कुछ देर के लिए थामकर जिंदगी का मजा लिया जाए.

आइए, हम आपको बताते हैं, ऐसी जगहों के बारे में जहां आप काम से छुट्टी लेकर अपना मूड फ्रेश कर सकती हैं. ये जगह सुकून के साथ-साथ बहुत कम समय में आपका मूड भी फ्रेश कर देंगी, जिससे आप वापस काम पर लौट सकती हैं और वो भी दोगुनी उर्जा के साथ.

कसौल

हिमाचल प्रदेश में मौजूद सबसे खूबसूरत जगह कसौल ऐसी परफेक्ट जगह है जहां आपको सुकून मिलेगा. यहां मौजूद पार्वती नदी, मनिकरण गुरुद्वारा, खीर गंगा तक पैदल जाना और यहां की स्थानीय बाजार आपके लिए बेस्ट हैं, अगर खाने की शौकीन हैं तो यहां इजराइली फूड में कई वेराइटी मिल जाएंगी, वो भी कम दामों में. यह जगह ऐसी है जहां सब कुछ आपके बजट में होगा.

दार्जिलिंग

हरियाली से भरपूर पश्चिम बंगाल की सबसे खूबसूरत प्राकृति से जुड़ाव के लिए यह जगह बेस्ट है. यहां का टाइगर हिल्स, हिमालय, चाय के बगान, मीरिक लेक,  हिमालयन रेलवे की सवारी और ढेर सारा खाना आपका मूड फ्रेश कर देगा.

पुडुचेरी

पेराडाइज बीच, औरोविल्ले बीच, अरविदों आश्रम, पार्क स्मारक, अरिकमेडु, आनंद रंगा पिल्लई महल, विल्लन्नूर और कई सारे फूड पौइंट. इसके अलावा पुडुचेरी के ब्रिटिश काल में बने घरों और इंफ्राटक्चर भी आपको बहुत पसंद आएंगे. अगर आपको नाइट लाइफ एंजौय करनी है, तो यहां नाइट पब्स मिल जाएंगे, जहां आपको बीयर के साथ खास तरह के स्नैक्स मिलेगे.

मैकलोडगंज

हिमाचल में बसी एक जन्नत जैसी जगह है. जहां पर जाकर आपको लगेगा कि आप यहां पहले क्यों नहीं आईं. मैकलोडगंज में भागसू वौटरफौल, तिब्बतियन म्यूजियम, कालचक्र मंदिर, सनसेट प्वाइंट जैसी कई बेहतरीन जगहों पर घूमकर आपका दिन बन जाएगा. आप जब वापस काम पर लौटेंगी तो तरोताजा होकर लौटेंगी.

मसूरी

पहाड़ों की रानी मसूरी जहां घूमकर आपका मन यहां और रुकने का करेगा. वीकेंड पर आप मसूरी घूमने का प्लान बना सकती हैं. सितम्बर से दिसम्बर मसूरी किसी जन्नत से कम नहीं लगती. यहां आप गनहिल, म्युनिसिपल गार्डन, तिब्बती मंदिर, चाइल्डर्स लौज,  कैम्पटी फौल, नाग देवता मंदिर, मसूरी झील, जौर्ज एवरेस्ट हाउस, ज्वालाजी मंदिर घूम सकती हैं.

सर्दियों की शादी में भी इस तरह आप दिख सकती हैं स्टाइलिश

सर्दियों की शुरुआत के साथ शादियों का मौसम भी आ गया है. ज्यादातर लोग गर्मी में होने वाली परेशानियों से बचने के लिए सर्दियों में शादी करते हैं. हालांकि ठंड के चलते दुल्हनें बैकलेस ब्लाउज या चोली और शीयर फैब्रिक नहीं पहन पातीं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए यहां कुछ स्टाइलिंग टिप्स हैं जिन्हें अपनाकर आप ठंड से भी परेशान नहीं होंगी और स्टाइल में भी कमी नहीं आएगी.

चुनें ऐसा ब्लाउज

दुल्हन चाहे लहंगा चुने या साड़ी दोनों पोशाकों में ब्लाउज का रोल अहम होता है. सर्दियों का सीजन है तो बैकलेस चोली या ब्लाउज न पहनें बल्कि लौन्ग स्लीव्स वाले ब्लाउज पहनें जो ज्यादा से ज्यादा आपके शरीर को कवर कर ले. कढ़ाई और वर्क वाले ब्लाउज से आपको ट्रडिशनल और ग्रेसफुल लुक मिलेगा.

साड़ी के ऊपर जैकेट

ये स्‍टाइल बहुत यूनीक है और अभी हाल ही में ट्रेंड में आया है. आप किसी भी साड़ी के ऊपर जैकेट या कोटी पहन सकती हैं. बस इस बात का ध्‍यान रखें कि आपकी जैकेट आपकी साड़ी से मैच करती हुई होनी चाहिए.

दूसरे फंक्शंस के लिए चुनें अनारकली

मंगनी, संगीत या काकटेल जैसे फंक्शंस में चूड़ीदार और दुपट्टे के साथ लान्ग अनारकली सूट पहनें. इसके साथ हैवी ज्वेलरी पहनें और दुपट्टा साइड में पल्लू की तरह भी कैरी कर सकती हैं. इस स्टाइल से आप ज्यादा से ज्यादा ढकी रहेंगी और साथ में ग्लैमरस लुक भी मिलेगा.

सर्दियों में चुनें ये फैब्रिक

सर्दियों के लिए आउटफिट का फैब्रिक समझदारी से चुनें. सिल्क, सैटिन, थिक जार्जट या वेलवेट सही रहता है. इसके अलावा अगर आप ब्रोकेड चुनती हैं तो ये कम्फर्ट के साथ ग्लैम का टच भी देगा.

अनक्रौप्‍ड लंहगा

सामान्‍य लंहगों की चोली छोटी होती है लेकिन कुछ लहंगों की चोली लम्‍बी होती है और शर्ट जितनी होती है जिसे अनक्रौप्‍ड लंहगा कहा जाता है. आप इस लंहगे को भी सर्दी के दौरान शादी के दिनों में किसी एक दिन पहन सकती हैं. इस लंहगे में पैरों में सर्दी कम लगेगी और चोली लम्‍बी होने की वजह से ऊपर भी सर्दी नहीं लगेगी.

शौल है बड़े काम का

एक दुपट्टा ज्यादातर इंडियन आउटफिट्स के साथ चल जाता है लेकिन सर्दियों में इसे शौल से रिप्लेस कर दें. ऊनी धागे के वर्क के साथ कराची दुपट्टा, पश्मीना शौल या फिर कच्छ का कढ़ाईवाला शौल जिस पर मिरर वर्क हो, अच्छे औप्शंस हैं.

मिस वर्ल्ड 2017 मानुषी छिल्लर बनीं युवाओं के लिए मिसाल

उम्र महज 20 साल. नाम मानुषी छिल्लर. मुकाबला 118 देशों की सुंदरियों से. फासला 17 साल का. खिताब मिस वर्ल्ड.

फिर आई तारीख 18 नवंबर, 2017 जब हरियाणा की इस छोरी ने चीन के सान्या शहर एरेनम में रंगारंग आयोजन के दौरान अपने टैलेंट, ब्यूटी और हाजिरजवाबी से 118 ब्यूटी क्वींस को पछाड़ते हुए मिस वर्ल्ड का खिताब अपने नाम कर लिया. साथ ही, भारत का नाम भी दुनियाभर में रोशन किया.

साल 2000 में प्रियंका चोपड़ा के मिस वर्ल्ड बनने के बाद भारत की ओर से प्रतिनिधित्व कर रही ब्यूटी क्वींस जब हर साल इस ताज को हासिल करने से चूक रही थीं तो लगने लगा था कि भारत की ओर से इस खिताब की दावेदारी हमेशा के लिए खारिज न हो जाए, लेकिन इस साल मानुषी ने 17 साल के लंबे इंतजार को अपनी कामयाबी से जश्न में बदल दिया.

मानुषी ने प्रतियोगिता में नंबर एक पोजीशन हासिल की, वहीं फर्स्ट रनरअप मिस इंगलैंड स्टेफनी हिल को और मिस मैक्सिको एंड्रिया मेजा को सैकंड रनर अप बनाया गया. मिस वर्ल्ड 2016 की विजेता प्यूर्टो रिको की स्टेफनी डेल वैले ने नई विश्वसुंदरी मानुषी को प्रतिष्ठित ताज पहनाया.

झज्जर से चाइना तक

मानुषी की यह जीत मामूली इसलिए भी नहीं है क्योंकि यह प्रतियोगिता न तो किसी प्राइवेट कंपनी की स्पौंसर्ड इवैंट जैसी थी और न ही मानुषी किसी बड़े और आधुनिक परिवार से आई हैं. उस का मुकाबला दुनिया के उन बड़े देशों से था जो इस फील्ड में दिग्गज माने जाते हैं. हरियाणा के सोनीपत के छोटे से गांव झज्जर में 14 मई, 1997 को जन्मी मानुषी छिल्लर एक ऐसे समाज व राज्य से आती हैं जिस की छवि महिला विरोधी रही है. झज्जर से चाइना तक का उन का यह सफर कई मायनो में अहम है.

खाप पंचायतों के तुगलकी फरमानों और पुरुषवादी समाज के बीच से निकल कर मिस वर्ल्ड जैसी प्रतियोगिता तक पहुंचना कितना मुश्किल है, इसे समझने के लिए हरियाणा के सामाजिक और जातीय माहौल के साथसाथ वहां की महिलाओं की स्थिति को समझना जरूरी है.

हरियाणा आर्थिक रूप से संपन्न राज्य माना जाता है, लेकिन कन्या भ्रूणहत्या, परदा प्रथा और घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों को ले कर बदनाम भी है. यह राज्य पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की कम संख्या के लिए खबरों में रहता है.

अजीब संयोग है कि जिस गांव से मानुषी आई है उसी गांव में डाक्टर संतोष दहिया भी हैं जिन्होंने महिलाओं और लड़कियों को समाज में उचित सम्मान दिलाने का बीड़ा उठाया हुआ है. डाक्टर संतोष 8 बार वौलीबौल चैंपियन और 4 बार स्विमिंग चैंपियन रह चुकी हैं. बावजूद इस के, वे कई बार भेदभाव का शिकार भी हो चुकी हैं. हालांकि हरियाणा की छवि से उलट इस राज्य से समयसमय पर फोगट सिस्टर्स सरीखी कई महिला खिलाड़ी भी आती रही हैं.

बहरहाल, मानुषी की जीत ऐसे इलाकों की मानसिकता बदलने में अहम भूमिका निभाती है. मानुषी को इस मुकाम पर देख कर देश के हर गांव, हर दकियानूसी समाज में रह रही लड़कियों की मांएं अपनी बेटी को किसी भी क्षेत्र में भेजने से पहले सामाजिक बंदिशों और रूढि़वादी सोच के आगे घुटने नहीं टेकेंगी.

ब्यूटी विद ब्रेन

अकसर लोग यह मान लेते हैं कि मिस वर्ल्ड और मिस यूनीवर्स जैसे कंपीटिशन में सिर्फ बिकिनी पहन कर और सैक्सी फिगर दिखा कर ही युवतियां जीत जाती हैं जबकि सच काफी अलग है. दरअसल, इस तरह के अंतर्राष्ट्रीय कंपीटिशन में कई राउंड होते हैं जहां बौडी से ले कर ब्रेन टैस्ट तक होता है.

साइकोलौजी और इंटैलिजैंस टैस्ट भी होते हैं. ऐसे में मानुषी ब्यूटी विद ब्रेन का जबरदस्त कौंबिनेशन बन कर उभरीं. यह बात उन से पूछे गए आखिरी सवाल से भी साफ हो जाती है.

मानुषी की पढ़ाई दिल्ली और सोनीपत में हुई है. वे 12वीं में अंग्रेजी की औल इंडिया सीबीएसई टौपर हैं. वे मैडिकल की स्टूडैंट हैं. उन के पिता डीआरडीओ में साइंटिस्ट हैं. उन की मां नीलम बायोकैमिस्ट्री में एमडी हैं. जाहिर है शिक्षित परिवार होने के चलते मानुषी को स्वच्छंद माहौल मिला जहां वे यह सपना देख सकीं. वे सोनीपत के भगत फूल सिंह गवर्नमेंट मैडिकल कालेज फौर वीमेन की छात्रा रह चुकी हैं. उन्होंने दिल्ली में सैंट थौमस स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की.

मिस वर्ल्ड के खिताब को हासिल करने के लिए उन्हें अपनी पढ़ाई 1 साल के लिए ड्रौप करनी पड़ी. मानुषी नैशनल स्कूल औफ ड्रामा का भी हिस्सा रह चुकी हैं. मिस इंडिया के अलावा उन्होंने मिस फोटोजेनिक का अवार्ड अपने नाम किया.

सोशल वर्क में सक्रिय

मानुषी की इस जीत में उन की सोशल वर्क में सक्रियता का भी अहम योगदान रहा. वे ‘शक्ति परियोजना’ नाम से एक अभियान चलाती हैं जो महिलाओं को पीरियड्स के दौरान स्वच्छता को ले कर जागरूक करने का काम करता है. वे इस अभियान के तहत लगभग 20 गांवों का दौरा कर चुकी हैं और करीब 5,000 से अधिक महिलाओं की उन्होंने जरूरी मदद भी की है.

फाइनल राउंड में दुनिया की 5 सुंदरियों से प्रतिस्पर्धा के दौरान मानुषी से पूछा गया था कि किस पेशे को सब से ज्यादा वेतन मिलना चाहिए और क्यों? इस के जवाब में उन्होंने कहा कि किसी भी मां को सब से ज्यादा वेतन मिलना चाहिए. मानुषी ने आगे कहा कि जरूरी नहीं कि यह हमेशा रुपए में ही हो, बल्कि यह आदर के तौर पर भी हो, सकता है. अपनी मां को अपना प्रेरणास्रोत मानने वाली मानुषी का कहना है कि औरतों को आगे आ कर खुद को साबित करना होगा. मानुषी के अनुसार, वे हृदय रोग सर्जन बनना चाहती हैं और ग्रामीण इलाकों में बहुत सारे गैर लाभकारी अस्पताल खोलना चाहती हैं.

चिल्लर नहीं चिल गर्ल

सिर्फ सुंदरता में ही मानुषी अव्वल नहीं हैं बल्कि उन का टैंपर भी बहुत कूल है. कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने जब ट्वीट के जरिए सरकार के नोटबंदी के फैसले की आलोचना की आड़ में छिल्लर और चिल्लर में तुलना कर दी तो मानुषी ने बड़े ही कूल अंदाज में इस टिप्पणी का जवाब दिया. छिल्लर ने कहा कि अभी हाल ही में जो लड़की विश्व में अपनी काबिलीयत साबित कर के आई है वह इस तरह के कपट से भरी हुई टिप्पणी से परेशान नहीं है. चिल्लर पर जो बातचीत हो रही है वह बहुत छोटी चीज है. थरूर को यह याद करना चाहिए कि चिल्लर में चिल भी होता है. उन के इस कूल अंदाज से मालूम होता है कि उन में न सिर्फ धैर्य है बल्कि उन का एटिट्यूड भी पौजिटिव है.

युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी मानुषी की रुचि आम लड़कियों से अलग है. उन्हें आउटडोर गेम्स में काफी दिलचस्पी है. मानुषी ट्रेंड क्लासिकल डांसर हैं. उन्हें पेंटिंग का बेहद शौक है. उन की रुचि पैराग्लाइडिंग और बंगी जंपिंग जैसे आउटडोर स्पौर्ट्स में है.

आगे की सोच

मानुषी पहली भारतीय और एशियाई मिस वर्ल्ड रीता फारिया (1966) की कहानी से बेहद प्रभावित रही हैं. उन्हें वे अपना आदर्श मानती हैं. इसे संयोग ही कहा जाएगा कि उन की रोलमौडल रीता भी खिताब जीतते वक्त मैडिकल फाइनल इयर की छात्रा थीं. मिस वर्ल्ड का खिताब जीतने वालीं ऐश्वर्या राय, प्रियंका चोपड़ा और मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन की तरह बौलीवुड में जाने के सवाल पर मानुषी इनकार नहीं करतीं लेकिन यह भी मानती हैं कि मिस इंडिया या मिस वर्ल्ड बन कर आप कुछ भी कर सकते हैं, सिर्फ बौलीवुड ही विकल्प नहीं है.

खबर यह भी है कि सरकार मानुषी छिल्लर को ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की ब्रैंड एंबैसेडर बनाने की तैयारी कर रही है. हालांकि उन से अभी इस की अनुमति नहीं ली गई है, लेकिन कहा जा रहा है कि उन के देश वापस आते ही इस कैंपेन के लिए उन की सहमति ली जाएगी. वैसे, इस अभियान से पहले ही 2 ब्रैंड एंबेसेडर अभिनेत्री परिणिता चोपड़ा और ओलिंपिक की पहली महिला मैडलिस्ट साक्षी मलिक जुड़ी हैं.

जिद, संघर्ष और प्रेरणा का

प्रतीक कहते हैं कि पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है. मिस इंडिया का ताज अपने सिर पर सजाने के लिए मानुषी को काफी कुर्बानियां देनी पडी़ं. उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए संघर्ष, जिद और हौसले के कठिन रास्तों से गुजरना पड़ा. एक समय ऐसा भी आया जब वे इस बात को ले कर पसोपेश में थीं कि मैडिकल की पढ़ाई करें या या मिस वर्ल्ड के खिताब की तैयारी, कैरियर व पैशन के बीच किसे प्राथमिकता दें. यह सवाल उन्हें परेशान कर रहा था, लेकिन उन्होंने कड़ा फैसला लिया और अपनी पढ़ाई 1 साल के लिए ड्रौप की. जाहिर है उन का फैसला ठीक था.

मानुषी को इस ताज के लिए अपने कई शौक कुर्बान करने पड़े. मैडिकल की पढ़ाई करतेकरते मानुषी का सेलैक्शन मिस इंडिया के लिए हुआ. अपने खानपान से ले कर अपने लुक्स, बौडी लैंग्वेज और अपनी डाक्टरी की पढ़ाई वे क्लासेस के बीच में अपने को मैनेज करना उन के लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और सामंजस्य बनाए रखा. सुबह 4 बजे उठ कर वर्कआउट करना, कालेज जाना फिर क्लासेस अटैंड करना आदि एकसाथ करना, आज उन्हें लगता है सबकुछ वर्थ ही था.

आज के युवक और युवतियां पढ़ाई या कैरियर के बोझ तले दब कर अगर नशे, डिप्रैशन या भटकाव के शिकार हो रहे हैं तो उन्हें मानुषी से सबक लेना चाहिए.

अगर मानुषी यह कर सकती हैं तो कोई भी लड़की या लड़का हर मुश्किल को पार कर कामयाबी की डगर पर चल सकता है.

अब तक की भारतीय मिस वर्ल्ड

रीता फारिया     1966

ऐश्वर्या राय     1994

डायना हेडेन     1998

युक्ता मुखी     1999

प्रियंका चोपड़ा    2000

मानुषी छिल्लर   2017

मिस वर्ल्ड कंपीटिशन फैक्टोग्राफी

1951 में पहली मिस वर्ल्ड बनी स्वीडन की किकि हा काम्सन. जिन्होंने स्विम सूट में यह क्राउन पहना था.

1970 में पहली बार 2 अश्वेत युवतियां (जेनिफर हास्टेन (ग्रेनाडा) व पर्ल जैनसन (दक्षिण अफ्रीका) प्रतियोगिता में पहले और दूसरे स्थान पर रहीं.

1980 में पहली बार मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के नियमों व प्रक्रिया में बदलाव किया गया और ब्यूटी के साथसाथ पर्सनैलिटी और इंटैलिजैंस को भी शामिल किया गया.

1986 में हौलीवुड ऐक्ट्रैस हैली बेरी भी इस कंपीटिशन में भाग ले चुकी हैं. वे जीत नहीं पाई थीं.

1991 में पहली व अंतिम बार अटलांटा में यह प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिस में वेनेजुएला की अब तक की सफलतम मौडल निनिबेथ लेल ने ताज पर कब्जा किया.

भारत में पहली बार 1996 में बेंगलुरु क्रिकेट स्टेडियम में यह प्रतियोगिता आयोजित हुई, जिस में मिस ग्रीक जीतीं.

उस आयोजन में काफी आर्थिक हानि हुई और इसीलिए मिस वर्ल्ड आयोजकों में से किसी ने भी फिर भारत में इस का आयोजन नहीं किया.

माइक्रोवेव में कभी ना रखें ये चीजें, सेहत पर पड़ सकता है असर

माइक्रोवेव का इस्तेमाल आजकल हर घर में किया जाता है. लोग फास्ट फूड या फिर खाने को गर्म करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं. गैस की बजाय इसमें खाना पकाने में कम समय लगता है.

झटपट बनाने के चक्कर में हम हर चीज माइक्रोवेव में पकाना चाहते हैं लेकिन शायद आपको ये जानकर हैरानी हो कि कुछ चीजों को माइक्रोवेव में पकाने से वो सेहत के लिए हानिकारक बन जाती है. इन चीजों को रखने से माइक्रोवेव खराब भी हो सकता है.

गोभी और ब्रोकली

अक्सर लोग सब्जी को गर्म करने के लिए माइक्रोवेव का इस्तेमाल करते हैं ताकि ज्यादा समय न लगे. लेकिन गोभी और ब्रोकली को माइक्रोवेव में गर्म न करें. ऐसा करने से गोभी में मौजूद पौष्टिक तत्व पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं.

मीट

मीट को भूलकर भी माइक्रोवेव में नहीं पकाना चाहिए ऐसा इसलिए क्योंकि मीट माइक्रोवेव में ढंग से पक नहीं पाता. इसमें बैक्टीरिया के बचे रहने की संभावना होती है. अगर आप चाहती हैं कि आपकी सेहत को नुकसान ना पहुंचे तो इसे माइक्रोवेव में पकाने से बचें.

हरी सब्जियां

हरी सब्जियों को माइक्रोवेव में नहीं पकाना चाहिए. इससे विटामिन्स और मिनरल्स पूरी तरह से खत्म हो जाते हैं.

दूध

दूध को माइक्रोवेव में पकाने से इसमें मौजूद प्रोटीन नष्ट हो जाता है इसलिए इसे माइक्रोवेव में गर्म नहीं करना चाहिए.

अंडे

अंडों को भी माइक्रोवेव में पकाने से बचना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि ये माइक्रोवेव में पकाने से फूट जाते हैं.

पेपर बैग में रखा हुआ खाना

पेपर बैग में रखे खाने को माइक्रोवेव में न रखें. दरअसल, पेपर बैग से निकलने वाली गैस टौक्सिन्स पैदा होते है, जिससे खाने का टेस्ट खराब हो जाता है. इसके अलावा पेपर बैग से निकलने वाली हीट से ओवन खराब भी हो सकता है.

इंडिपेंडेंट म्यूजिक का समय आ रहा है : पापोन

आसाम की खूबसूरत वादियों से निकल कर मुंबई आकर अपने आप को बौलीवुड सिंगर के रूप में सिद्ध करना अंगराग महन्तो यानि पापोन के लिए आसान नहीं था. वे एक सिंगर और म्यूजिक कंपोजर हैं.

उन्होंने कई एकल म्यूजिक एल्बम भी बनाये हैं जो काफी प्रसिद्ध रहे. उनके बैंड ‘पापोन एंड द ईस्ट इंडिया कंपनी’ ने केवल भारत में ही नहीं विदेशों में भी नाम कमाया है.

बचपन में संगीत की तालीम उन्होंने अपने माता-पिता से ली, उनके पिता आसामी लोकगीत ‘बिहू’ के लिये काफी प्रसिद्द थे. उन्हें बिहू सम्राट कहा जाता है. पापोन संगीत को चुनौती नहीं, बल्कि एक सुंदर एहसास मानते हैं, जो मन में खुशी मिलते ही होठों तक आ जाती है.

पापोन के इस सफर में साथ दे रही हैं उनकी पत्नी श्वेता मिश्रा महंता और दो बच्चे पुहर और पारिजात. ‘एम टीवी अनप्लग्ड’ के शो के लौंच पर उनसे बातचीत हुई. पेश है अंश.

प्र. इस तरह के प्लेटफार्म म्यूजिक कंपोजर के लिए कितना फायदेमंद होते हैं?

म्यूजिक अरेंजर के लिए ऐसे मंच काफी आकर्षक होते हैं, क्योंकि मैं खुद संगीत बनाता और गाता हूं. ऐसे में कोशिश ये रहती है कि किसी गाने को कितना अलग तरीके से सजाया जाये, ताकि लोगों को गाने अच्छे लगे.

प्र. म्यूजिक की जर्नी कैसे शुरू हई और आपका रियल नाम अंगराग महन्तो से पापोन कैसे हुआ?

पहले मैं आसाम से निकलकर पढ़ने के लिए दिल्ली गया था, फिर मुंबई आया. अभी मैं घूमता ही रहता हूं. लगता है मैं कहीं का भी नहीं और सब जगह का बन चुका हूं, लेकिन अच्छा यह लगता है कि मुंबई में हर जगह से लोग आते हैं. सबको यहां सबसे मिलने और सीखने का मौका मिलता है.

पापोन मेरा ‘पेट’ नाम है, पहले यह ‘पोन’ अर्थात प्रण था, लेकिन बाद में मेरी दादी ने इसे बड़ा करने करने के लिए ‘पा’ लगाकर पापोन बना दिया. अभी इसका कुछ अर्थ नहीं रहा, लेकिन जब मैं आसाम में गाता था तो मेरा नाम अंगराग ही था. जब मैं मुंबई आया और संगीत से जुड़ा, तो मुझे सोचना पड़ा कि मैं अपना नाम क्या रखूं. उसी दौरान एक बार मैं केरल में गीतकार गुलजार से मिला और बातचीत के दौरान नाम के बारे में पूछने पर उन्होंने पापोन नाम सुझाया और तबसे यही नाम पड़ा.

बचपन से घर में मैंने संगीत का माहौल देखा है, बड़े गुलाम अली और मेहंदी हसन के गाने सुनकर उसे गाने की कोशिश भी करता था. मेरी मांचौंक जाती थी कि इतनी कम उम्र में मेरी पसंद ऐसी क्यों है. मुझे गजल गाने का बहुत शौक था, लेकिन बचपन में मैं बहुत शर्मीला था और स्कूल में कभी-कभी गाने गाया करता था.

प्र. यहां तक पहुंचने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ा?

एक सोलो आर्टिस्ट बनने के लिए संघर्ष कम नहीं था, क्योंकि मुझे अकेले अपने आप को स्थापित करना था, अपना बैंड बनाना और उसे लोगों तकपहुंचाना मुश्किल तो था, पर अगर आप दूर की सोचें और उसे लेकर स्ट्रेस लें, तो संघर्ष लगता है, अगर आप उस काम को पसंद करते हैं, तो संघर्ष नहीं एक चुनौती होती है.

मैंने अपना कैरियर काफी देर से शुरू किया है. पिछले 4 सालों से मैं मुंबई आया हूं और बहुत कम समय में लोग मुझे जानने भी लगे हैं. असल में मुझे जो गाना मिला, उसे गाता गया और सही गाना अगर सच्चे दिल से गायें, तो वह सीधे दिल तक पहुंचता है और व्यक्ति कामयाब होने लगता है. जब पहाडों पर था, तो घूमता, बाइक चलाता और गाता रहता था. अभी भी वैसा ही कर रहा हूं, पर अब लोग जानने लगे है. मुझे इस बात की ख़ुशी है.

भूपेन हजारिका से मैं प्रेरित हूं. वे एक अच्छे सिंगर थे, उन्होंने आसाम को काफी आगे किया है, लेकिन मैं अपने गाने ही अधिक मंच पर गाता हूं. बचपन में शाय नेचर होने के बावजूद परिवार का माहौल मुझे यहां तक ले आया. पहले तो मैं किसी और फील्ड में जाने के लिए दिल्ली चला गया था, लेकिन फिर वापस संगीत के क्षेत्र में चला आया, क्योंकि वही मुझे अच्छा लग रहा था. मुझे प्लेबैक सिंगिंग और मंच पर गाना दोनों ही अच्छा लगता है. दोनों का अपना एक अलग मजा है.

प्र. आजकल फिल्मों में गाने कम लिए जाते हैं और कहीं तो एक्टर ही गाने लगते हैं, ऐसे में प्लेबैक सिंगर के लिए कितनी जगह रह जाती है?

ये सोचने वाली बात है, लेकिन मैं अपने बैंड और खुद के गानों को लेकर ही व्यस्त रहता हूं. जो कलाकार केवल प्लेबैक सिंगिंग करते हैं, वह भी कुछ सालों में बदल जायेगा. खुद का संगीत सभी गायकों को बनाना पड़ेगा. इसके अलावा आजकल ऐसे बहुत सारे प्लेटफार्म हैं, जिसमें आप अपने गानों की वीडियो बनाकर उसे डाल सकते हैं. ऐसा करने में अपने आप में भी सकारात्मक सोच रखनी पड़ेगी और अगर गाने सही होंगे, तो प्रशंसक आपको अवश्य मिलेंगे.

विदेशों में तो फिल्मों में गानों का कोई आप्शन है ही नहीं, वहां पर तो सभी वीडियो ही बनाते हैं. मेरे हिसाब से गानों के लिए फिल्म की जरुरत नहीं होनी चाहिए. गाने में एक कहानी होती है, जिसे दिल से दिल तक पहुंचाना पड़ता है. आगे अभी इंडिपेंडेंट म्यूजिक का समय आ रहा है. नए कलाकारों को उसका सहारा लेना पड़ेगा.

प्र. आपको किस तरह के संगीत में अधिक रुचि है?

मैं हर तरह के गाने गाता हूं. जिसमें गजल, ठुमरी, रॉक, लोक संगीत, बॉलीवुड आदि सभी तरह के गानों में रुचि रखता हूं.

प्र. माता पिता का सहयोग कितना रहा?

माता-पिता से मैंने संगीत की तालीम हासिल की है, लेकिन यहां तक पहुंचने का फैसला मेरा ही था. इसके अलावा मानसिक रूप से उनका सहयोग बहुत रहता है.

प्र. आजकल रियलिटी शो के जरिये कुछ कलाकारों को मंच तो मिल जाता है, पर वे कही उभर कर नहीं आ पाते, इसकी वजह क्या मानते हैं?

कम उम्र में गाना सीखना सही है, पर उतनी ही जल्दी उन्हें कामयाबी मिले ये जरुरी नहीं. अगर किसी को मिलता भी है तो उसे समझना पड़ेगा कि उसकी इस कामयाबी को वे आगे कैसे लायें. निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए.

यात्रा के दौरान उल्टी की है समस्या, तो जरूर आजमाएं ये आसान उपाय

बहुत सी महिलाएं ऐसी होती हैं जो लम्बी यात्रा करना ही नहीं चाहतीं. वो अक्सर बस या चार पहिया वाहनों में यात्रा करने से सिर्फ इसलिए घबराती हैं क्योंकि यात्रा के दौरान उनका सर चकराता है या फिर उन्हें उल्टियां आती हैं.

वो हमेशा अपनी इस समस्या से परेशान रहती हैं और कई बार तो ऐसा होता है कि वो किसी भी यात्रा पर जाने से पहले दवाईयां खाती हैं, पर इससे उन्हें जरा भी राहत नहीं मिलती और समस्या वहीं की वहीं बनी रहती है.

बस या फिर किसी भी चार पहिया वाहन में यात्रा करते वक्त अगर आप भी उल्टी आने के डर से परेशान रहती हैं तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आज हम आपको ऐसे नुस्खों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका इस्तेमाल आपको इस समस्या से पूर्णतः निजात दिला सकता है.

इससे आप बिना किसी परेशानी के अपनी मनचाही जगहों पर अपने पसंद के वाहन से यात्रा कर सकती हैं.

तो आइये जानते हैं इन नुस्खों के बारे में-

सौंफ खाएं

यात्रा पर जाने से पहले घर से सौंफ खाकर निकलें और थोड़ी सौंफ अपने साथ भी रख लें. जब भी आपको उल्टी महसूस हो या चक्कर आए आप थोड़ा सा सौंफ मुंह में डाल लें. इससे आपको आराम मिलेगा.

ऐप्पल साइडर विनेगर से करें गरारे

किसी भी लम्बी यात्रा पर जाने से पहले एप्पल साइडर विनेगर को एक कप पानी में मिलाकर गरारे करें. इससे यात्रा के दौरान जी मिचलाने की समस्या से निजात मिल जाएगा.

काली मिर्च और नींबू का मिश्रण

एक कप गरम पानी में आधा नींबू निचोड़कर उसमें चुटकी भर काली मिर्च का पाउडर मिला लें. इस मिश्रण को पीकर ही घर से बाहर निकलें और यात्रा पर जाएं. आपको यात्रा के दौरान होने वाली समस्या से पूरी तरह से आराम मिल जाएगा.

पुदीने और अदरक की चाय

पुदीने और अदरक को चबाकर भी उल्टियों की समस्या से निजात पाया जा सकता है. इसके अलावा आप पुदीने या फिर अदरक की चाय बनाकर भी पी सकती हैं. इससे भी आपको यात्रा के दौरान उल्टियां नहीं आएंगी.

नींबू पानी

घर से निकलने से पहले नींबू पानी पी लें. इसके अलावा यात्रा के दौरान नींबू अपने साथ ही रखें. जब भी उल्टी जैसा महसूस हो तो तुरंत नींबू चाट लें.

जीरा वाटर

जीरे को हल्का सा तवे पर भूनकर और उसे पीसकर पाउडर बना लें. अब एक चम्मच जीरा पाउडर को एक कप पानी में मिलाएं और यात्रा पर जाने से पहले पिएं. इससे रास्ते में उल्टी नहीं आएगी.

वीकेंड स्नैक्स : सूजी चीज पोपर्स

हर वीकेंड आप कुछ ना कुछ नया बनाने का जरूर सोचती होंगी तो क्यों ना इस वीकेंड सूजी चीज पोपर्स बनाकर घरवालों को खुश करें.

सामग्री

1/2 कप बारीक सूजी

1 बड़ा चम्मच मैदा

1 कप दूध

1/2 कप ब्रैडक्रंब्स

2 क्यूब्स चीज

2 कलियां लहसुन कद्दूकस की हुई

1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च चूर्ण

तलने के लिए रिफाइंड औयल

नमक स्वादानुसार

विधि

सूजी को नौनस्टिक कड़ाही में 1 मिनट धीमी आंच पर भूनें. इस में 1 कप दूध और 1/2 कप पानी डाल कर चलाती रहें, ताकि गुठलियां न पड़ें. जब मिश्रण इकट्ठा होने लगे तब इस में

1 बड़ा चम्मच मैदा और नमक मिला दें.

मिश्रण को अच्छी तरह गोला बनाने लायक सुखाएं. ठंडा होने दें. चीज को कद्दूकस करें. इस में लहसुन व कालीमिर्च चूर्ण मिलाएं.

सूजी में ब्रैडक्रंब्स मिलाएं और नीबू से थोड़ा कम मिश्रण लें और बीच में चीज वाला भरावन रख कर बंद करें. सब गोले तैयार कर डीप फ्राई कर के सर्व करें.

व्यंजन सहयोग : नीरा कुमार

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