आमिर खान के साथ काम करना चाहती हैं मानुषी छिल्लर

हरियाणा की रहने वाली मानुषी छिल्लर मिस वर्ल्ड बनने के बाद जब मीडिया के सामने आईं तो उन्होंने अभिनेता आमिर खान के साथ फिल्मों में काम करने की अपनी इच्छा जाहिर की. मानुषी ने कहा कि बौलीवुड में सभी कलाकार अच्छे हैं, लेकिन आमिर खान और पूर्व मिस वर्ल्ड प्रियंका चोपड़ा उनके पसंदीदा कलाकार हैं.

जब उनसे बौलीवुड में आने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने साफ कर दिया कि फिलहाल उनका बौलीवुड में जाने का कोई मन नहीं है और वो सामाजिक कार्यों में अपने आपको समर्पित करना चाहती हैं. लेकिन फिर भी आमिर खान के साथ काम करने की उनकी दिली इच्छा है. उनका कहना है कि अगर कभी मौका मिले तो वो आमिर खान के साथ काम करना चाहेंगी.

उन्होंने पत्रकारों से कहा, सुपरस्टार आमिर खान सामाजिक-प्रासंगिक फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं. उनकी फिल्मों में एक संदेश होता है जो आपको समाज के साथ जोड़ता है, इसलिए मैं निश्चित रूप से उनकी फिल्मों में काम करना चाहती हूं. मेरा सोचना है कि उनके पास कुछ चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं रहती हैं जो वह आपको देते हैं.

मिस वर्ल्ड ने फिर कहा कि वैसे इस समय फिल्म इंडस्ट्री मेरे दिमाग में नहीं है. मैं फिल्में देखने की बजाय किताबें ज्यादा पढ़ती हूं. मैं अभी वर्तमान वर्ष को लेकर बहुत उत्साहित हूं. मैं महाद्वीपों की यात्रा करूंगी. इसी के साथ हम मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाएंगे जहां मेरे साथ मेरी अन्य मिस वर्ल्ड भी शामिल होंगी.

कहीं आप जरूरत से ज्यादा तनाव तो नहीं लेती हैं

विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार तनाव में रहने से कई तरह की बीमारियां जैसे डायबिटीज, हाई ब्लडप्रैशर इत्यादि हो सकती हैं जिन के परिणामस्वरूप हार्ट की बीमारी होने तक का खतरा हो सकता है. जानते हैं, तनाव कैसे दिल का मर्ज बढ़ाता है:

कई दिनों बाद जब श्रेया की दोस्त औफिस पहुंची तो उस ने श्रेया को उस के बढ़ते वजन के लिए टोका. यह सुन श्रेया को भी लगा कि वह भी वजन बढ़ना महसूस कर रही है. दरअसल, 48 साल की श्रेया अंतरराष्ट्रीय कंपनी के मार्केटिंग विभाग में काम करती है जिस में उसे अपने टार्गेट पूरे करने होते हैं. टार्गेट पूरा करने के चक्कर में वह सारा दिन तनाव में रहती है. उस की जिंदगी इतनी ज्यादा व्यस्त है कि कसरत करना तो दूर की बात है, उसे खानेपीने का भी होश नहीं रहता.

हाई ब्लडप्रैशर से पीडि़त श्रेया का न सिर्फ वजन बढ़ रहा है, बल्कि उसे खुद में कई बदलाव भी महसूस हो रहे हैं. जैसे चलने से उस की सांस फूलने लगती है और कभीकभी तो उसे सांस लेने में तकलीफ तक होने लगती है. कई लोगों ने उसे इन लक्षणों का कारण ढलती उम्र बताया तो कोई कहता है कि हाई बीपी के कारण उसे यह समस्या होती है.

अंतत: श्रेया अपनी फैमिली डाक्टर से मिली तो उन्होंने लक्षणों को समझ कर उसे हृदयरोग विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी. यह सुन कर श्रेया को काफी हैरानी हुई, क्योंकि उसे कभी नहीं लगा कि वह हृदयरोग से पीडि़त हो सकती है. लेकिन फैमिली डाक्टर के कहने पर आखिरकार वह कार्डियोलौजिस्ट से मिली. उस की जांच के बाद पता चला कि वह हार्ट फेल्योर की समस्या से ग्रस्त है. डाक्टर ने बताया कि सारा दिन तनाव में रहने और अस्वस्थ जीवनशैली के चलते उसे यह समस्या हुई है.

तनावपूर्ण शरीर में कैमिकल प्रतिक्रिया करता है, जिस से एडरेनालाइल और अन्य हार्मोन हृदय की और सांस लेने की गति को बढ़ा देते हैं जिस से ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है और इस प्रतिक्रिया को पूरा करने के लिए दिल को ज्यादा तेजी से पंप करना पड़ता है ताकि ज्यादा मात्रा में औक्सीजन शरीर को दी जा सके. अगर यह प्रतिक्रिया रोजाना लगातार होती है तो हृदय के लिए लगातार इतनी तेजी से पंप करना मुश्किल हो जाता है और औक्सीजन उचित तरीके से शरीर में नहीं पहुंच पाती.

श्रेया जैसे न जाने कितने लोग हैं जो सारा दिन तनाव में बिताते हैं. सेहतमंद खाना नहीं खाते और कसरत नहीं करते. नतीजतन उन्हें हार्ट फेल्योर जैसी बीमारियां होने का खतरा होने की संभावना हो सकती है.

हार्ट फेल्योर से जुड़े लक्षणों को पहचान कर तुरंत डाक्टर से उपचार शुरू कराएं, क्योंकि समय रहते दवा व अन्य थेरैपी की मदद से इसे मैनेज किया जा सकता है.

हार्ट फेल्योर की पहचान करना ज्यादा मुश्किल नहीं है. इस की पहचान मैडिकल हिस्ट्री की जांच कर के, लक्षणों की पहचान, शारीरिक जांच, रिस्क फैक्टर जैसे उच्च रक्तचाप, कोरोनरी आर्टिरी बीमारी या डायबिटीज आदि होने और लैबोरटरी टैस्ट से की जा सकती है. इकोकार्डियोग्राम छाती का एक्स रे कार्डिएक स्ट्रैस टैस्ट, हार्ट कैथेरेटराइजेशन और एमआरआई से इस समस्या की सही पहचान की जा सकती है. इस के अलावा हार्ट फेल्योर से बचने के लिए इस के रिस्क कारणों को मैनेज करना बहुत जरूरी है, जिन में सब से महत्त्वपूर्ण तनाव है, क्योंकि तनाव से ही कई बीमारियां जैसे डायबिटीज, वजन बढ़ना, हाई बीपी आदि होती हैं.

हार्ट फेल्योर को मैनेज करने के तरीके

स्वस्थ खानपान

सब से जरूरी यह है कि अपने खानेपीने का ध्यान दें. सेहतमंद खाना ही काफी नहीं है, बल्कि समय पर खाना भी बहुत जरूरी है.

धूम्रपान व शराब को त्यागें

धूम्रपान और शराब का सेवन तुरंत बंद कर दें. निकोटिन जैसे कैमिकल तनाव के लक्षणों को अधिक बढ़ाते हैं. इसलिए दिल संबंधी बीमारियों को मैनेज करने के लिए इन्हें तुरंत बंद कर दें.

कसरत करें

डाक्टर से परामर्श ले कर सुबहशाम सैर करें.

तनाव कम करने के तरीके

बहुत से लोग अपनी जिंदगी में बहुत सारे सपने बुन लेते हैं, पर जब उन्हें पूरा करना उन के बस में नहीं होता, तो वह तनाव में जीने लगते हैं. कई लोग अपनी जौब में बेहतर करने के लिए सारा दिन तनाव में रहते हैं. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि परिवार के साथ समय बिताएं. परिवार के लोगों से अपने दिल की बातें शेयर करें ताकि तनाव कम हो सके.

काम करते रहना ही जिंदगी नहीं है. कुछ समय अपने लिए भी निकालना बहुत जरूरी है ताकि दिमाग को शांति मिले. दिमाग को शांत करने के लिए अपने शौक जैसे रीडिंग, डांस या बागबानी को समय दें.

हार्ट फेल्योर के लक्षण

सांस लेने में तकलीफ होना.

थोड़ाबहुत काम करते समय भी सांस लेना मुश्किल हो जाए.

वजन का लगातार बढ़ते रहना.

थकान व कमजोरी महसूस होना.

हृदय की धड़कनों का बढ़ना या अनियमित होना.

पैरों या टखनों में सूजन महसूस होना.

भूख न लगना, उलटी आना जैसा महसूस होते रहना.

एंजेलिना जोली बनने की चाहत में 50 सर्जरी कराकर कुछ ऐसी दिखने लगी ये लड़की

हौलीवुड एक्ट्रेस एंजेलिना जोली इतनी ज्यादा सुन्दर हैं कि आज उनकी गिनती दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाओं में होती हैं. एंजेलिना के फैन्स उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब रहते हैं.

वैसे, एंजेलिना की एक ऐसी भी फैन हैं जो उनकी तरह दिखने की ख्वाहिश रखती हैं.

इतना ही नहीं उन्होंने एंजेलिना की तरह दिखने की कोशिश में अपना चेहरा इस हद तक बिगाड़ लिया है कि आज हर जगह लोग उनका मजाक बनाते फिरते हैं.

हम बात कर रहे हैं ईरान की रहने वाली 22 वर्षीय सहर ताबर की जो सहर हर कीमत पर उनकी तरह दिखने की चाहत रखती हैं. इसके लिए उन्होंने अब तक 50 सर्जरी कराई हैं. वह एंजेलिना जोली की इतनी बड़ी फैन हैं कि उनके खातिर कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं.

उन्होंने अपनी कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की हैं जो काफी तेजी से वायरल हो रहा है. इस फोटो में सहर का सुन्दर चेहरा बुरी तरह से बिगड़ा हुआ दिखाई दे रहा है. उनकी इन तस्वीरों में वह एंजेलिना की तरह तो बिल्कुल भी नहीं लग रही हैं.

सहर अक्सर ही अपने इंस्‍टाग्राम अकांउट पर सेल्‍फी शेयर करती रहती हैं, जिसे देखकर लोग उसका मजाक उड़ाते हैं. कई लोग तो उन्हें जाम्बी तो कुछ कार्टून करैक्‍टर बताते हैं. इंस्टाग्राम पर उनके साढ़े चार लाख से ज्यादा फौलोअर्स हैं.

सहर ने एक इंटरव्‍यू में बताया कि एंजेलिना की तरह दिखने के लिए उन्‍होंने अपने चेहरे की 50 बार सर्जरी कराई है और साथ ही डाइट कंट्रोल कर अपना वजन 40 किलो कर लिया है. स्पेशल डाइट की मदद से वह अपने शरीर की काया को बढ़ने या घटने नहीं दे रही हैं. उन्होंने अपने गाल छिदवाए हैं और बालों का रंग भी पूरी तरह से बदल दिया है.

हठजोड़ी के नाम पर ठगी

सिंधिया गर्ल्स स्कूल ग्वालियर के पास घने जंगल में बना हुआ है. मैं वहां 2 साल पढ़ी थी. ये ही वे साल थे जब मुझे कम नंबर मिले थे. उन दिनों मुझे जंगल में एक छोटा सा मंदिर मिला था और किसी ने बताया कि स्कूल का होमवर्क करने की जगह अगर मैं वहां 101 बार पूजा करूंगी तो मैं हमेशा क्लास में प्रथम आऊंगी.

फिर क्या था, मैं ने हमेशा की तरह 2 घंटे पढ़ाई करने की जगह 2 घंटे पूजा करनी शुरू कर दी. नतीजा था कि सामान्य तौर पर मिलने वाले 80% अंकों की जगह मुझे मिले सिर्फ 50% और पेरैंट्स से अपनी बेवकूफी के लिए खूब डांट पड़ी.

ठगी के नए पैंतरे

हर दिन पीपल्स फौर ऐनिमल्स के लिए काम करते हुए मुझे मानव स्वभाव की बेवकूफियों, कू्ररताओं और खपतीपन के उदाहरणों के रहस्य खुले मिलते हैं. हमारे साथ काम कर रही एक लड़की एक दिन जानकारी लाई कि एक दुर्लभ पौधे की जाति जिसे हठजोड़ी के नाम से जाना जाता है को मध्य प्रदेश के जंगलों से ला कर तांत्रिक पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए फ्लिपकार्ट व ओएलएक्स पर बेचा जा रहा है.

फ्लिपकार्ट को जब यह बताया गया तो उन्होंने अफसोस जताते हुए इसे वापस ले लिया पर दूसरी वैबसाइटों जैसे तंत्रवेदा, स्पीकिंग ट्री, ऐस्ट्रोविधि, काम्यसिंदूर वैबसाइटें लगातार नए बेवकूफ मुरगे फांसने के लिए इसे बेच रही हैं. वे हठजोड़ी का फोटो डालती हैं और इस की चमत्कारिक शक्तियों का बखान करते हुए एक मोबाइल नंबर कर संपर्क करने को कहती हैं. धार्मिक काम करने वाली इन साइटों को अपने अनैतिक व अवैध काम का एहसास होता है, इसलिए पता देने का सवाल ही नहीं होता. वे यह भी कहना नहीं भूलतीं कि वे इसे बेच नहीं रहीं, वे तो 40 देशों में मानव सेवा कर रही हैं.

क्या है हठजोड़ी

हठजोड़ी वास्तव में पौधा है ही नहीं. कोई  भी साइट इस के वनस्पतिक नाम को नहीं बता सकती और न ही यह बता सकती है कि कौन से जंगल के कौन से आदिवासी इसे उगाते हैं. कुछ इसे फूल बताती हैं, कुछ कहती हैं कि जड़ें हैं ये. कुछ कहती हैं कि ये कुछ विशेष पेड़ पर आने वाले छोटे पौधे हैं. एक साइट कहती है कि यह भर्नानिया अनुआ है, जिस के परपल फूल के बीज आम की शक्ल के होते हैं, जिन में छोटे हुक लगे होते हैं, जिस से यह आसपास गुजरने वाले जानवरों के पैरों के जरीए नई जगह पर पहुंच जाते हैं और फिर वहां फूलने लगते हैं.

बंगाली में इन्हें बाघचकी कहते हैं और अंगरेजी में डैविल्स कला. हिंदी में उलट कांटा कहा जाता है. एक साइट इसे नेपाली पौधा  बताती है, तो एक मैक्सिको का.

हठजोड़ी असल में एक हड्डी है. यह असल में विलुप्त होती मौनीटर छिपकली के लिंग का हिस्सा है. यह छिपकली की प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है और संरक्षित प्राणियों में आती है. हर साइट जो इसे बेच रही है यह जानती है. इसीलिए इस के बारे में चमत्कारों की झूठी बातें करने के बखान के बाद अंत में लिखती हैं कि यह बिकाऊ है ही नहीं.

इस सूखे लिंग के 2 हाथ से निकले होते हैं, जो आपस में लिपटे होते हैं. इसीलिए इसे हठजोड़ी कहते हैं. इस लिंग से क्या होने का दावा करा जाता है? अगर इस लिंग का थोड़ा सा टुकड़ा रोज खाएंगे या इसे तिजोरी में रख देंगे तो आप दुश्मनों पर विजय पा लेंगे, अदालतों में मामले जीत जाएंगे, अमीर बन जाएंगे, भूतों से छुटकारा मिलेगा, बाधाओं को पार करेंगे, वशीकरण की शक्ति पा लेंगे, जिंदगी सुखद व सुरक्षित होगी.

सावधानी के तौर पर ये साइटें यह कहना नहीं भूलती हैं कि ये उपलब्धियां तब होंगी जब आप तांत्रिक अनुष्ठान भी कराएंगे और उन पर खुल कर खर्च करेंगे. पुजारी साइट ही बताएगी. पुजारी और सामान भी लाने को कहेगा पर यदि अनुष्ठान में चूक हो गई तो वांछित फल नहीं मिलेगा.

जितनी साइट्स उतनी बातें

 कुछ साइटें कहती हैं कि इसे तेल में भिगो कर लाल कपड़े में लपेट कर सिंदूर लगा कर रखना होता है. कुछ कहती हैं कि इलायची या तुलसी के पत्तों में लपेट कर चांदी के बक्से में रखना होता है. कुछ खा जाने का निर्देश देती हैं ताकि आप और खरीदने के लिए उन के पास जाएं.

कुछ कहती हैं कि आप कमरे में बैठें, हाथ में पकड़ें और मंत्र पढ़ते रहें. और तब तक पढ़ते रहें जब तक कुछ मिल न जाए. मुझे समझ नहीं आता कि ऐसा करने से कुछ कैसे मिलेगा? हां, पागलखाने जरूर पहुंच सकते हैं. इसे गंगाजल से धो कर पूजा कर, सेफ या पर्स में रखना होगा. सेफ या पर्स ही तो असल पूजा है न.

कुछ कहती हैं कि 40-41 दिन तक हनुमान की मूर्ति के पास रखें और रोज चंदन, चावल, फूल चढ़ाएं. कुछ कहती हैं कि कपूर, लौंग, चावल और चांदी के सिक्कों के साथ रखें. कुछ पर कहा गया है कि इसे दीवाली के समय खरीदें ताकि जूए में इस्तेमाल करा जा सके. अब यह सोचने की बात है कि छिपकली के लिंग की कीमत कितने रुपए कार्ड टेबल पर होगी?

मौनीटर लिजार्र्ड की 4 प्रजातियां देश में पाई जाती हैं और इन में कुछ सौ बची हैं और संरक्षित प्रजातियों में आती हैं. मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान व कर्नाटक में ये मिल जाती हैं और आदिवासी इन्हें पकड़ कर इन का लिंग काट कर बेचते हैं. वाइल्डलाइफ ऐक्ट 1972 के अंतर्गत इन का या इन के अंगों का व्यापार अपराध है पर कुछ ही पकड़ में आ पाते हैं. अब तक 210 हठजोडि़यां पकड़ में आई हैं. अगर आप को इन हठजोडि़यों का विज्ञापन कहीं दिखे तो मुझे अवश्य बताएं.

एटीएम पर मिल सकता है आपको 10 लाख तक का बीमा

एटीएम और बैंक ने हमारे जीवन को काफी सरल बना दिया है. अब एटीएम कार्ड होने से न तो पैसे के लिए हमें चक्कर लगाने पड़ते और न शौपिंग पर जाने के लिए भारी भरकम रकम साथ में ले जाने की जरुरत होती है. लेकिन क्या आपको पता है कि एटीएम कार्ड सिर्फ कैश निकालने या बिल पेमेंट करने के लिए नहीं होता है, बल्कि इसके और भी कई फायदे हैं.

एटीएम कार्ड होल्डर को बैंकिंग के लिए अलावा कई सुविधाएं मिलती है, जिनके बारे में हमें जानकारी नहीं होती है. इन्हीं में से एक है इंश्योरेंस (बीमा). एटीएम कार्ड धारक चाहे वह सार्वजनिक बैंक का हो या फिर प्राइवेट बैंक का हो, कार्ड जारी होने की तिथि से ही उसका दुर्घटना या फिर एक्सीडेंटल हास्पिटीलाइजेशन कवर होता है.

इस बीमा की दर 50 हजार से लेकर 10 लाख तक हो सकता है. इस नियम की जानकारी न तो खाताधारक को होती है और न बैंक इस नियम का प्रचार करता हैं. इस नियम का फायदा उठाने के लिए खाते का सक्रिय होना आवश्यक है.

क्या आपको पता है एटीएम कार्ड मिलते ही उपभोक्ता का बीमा हो जाता है. अगर आपके पास किसी भी सरकारी और गैर सरकारी बैंक का एटीएम कार्ड है तो आप यह मान सकते हैं कि आपका उस बैंक में दुर्घटना बीमा हो चुका है.

10 लाख तक का होता है बीमा

सभी सरकारी और गैर-सरकारी बैंक एटीएम कार्ड होल्डर्स को एक्सीडेंटल हौस्पिटलाइज कवर और एक्सीडेंटल डेथ कवर कार्ड के साथ देते हैं. जिसकी रेंज 50 हजार से 10 लाख रुपए तक होती है. इस सुविधा का लाभ हर एक ग्राहक को मिलता है, लेकिन न तो हमें इस बात का पता होता है और न ही बैंक की ओर से इस बात की जानकारी दी जाती है. हालांकि इस सुविधा का लाभ लेने की कुछ शर्त है. आपको इंश्योरेंस की राशि तब ही मिल सकती है जब आपका अकाउंट औपरेशन हो. अकाउंट इनऔपरेटिव होने पर आपको इस सुविधा का लाभ नहीं मिलता है.

कैसे करें इंश्योरेंस क्लेम?

एटीएम कार्ड के जरिए बीमा होने की जानकारी नहीं होने के कारण क्लेम को लेकर भी लोगों के पास कम ही जानकारी होती है. इंश्योरेंस का क्लेम करने के लिए हादसा होने बाद तुरंत इस बात की जानकारी पुलिस को दें और हर चीज को सही से सामने रखे. अगर अस्पताल जाने की नौबत आती है तो आपको मेडिकल रिपोर्ट्स जमा करनी होती है.

किसी कारणवश अगर हादसे के बाद मौत हो जाती है तो इन दस्तावेजो को बैंक के समक्ष सही सही जमाकरे पोस्टमौर्टम रिपोर्ट, पुलिस पंचनामा, डेथ सर्टिफिकेट और वैध ड्राइविंग लाइसेंस. साथ ही बैंक को बताना होता है कि कार्ड होल्डर ने पिछले 60 दिन के अंदर ट्रांजेक्शन किया था.

लेन-देन की सीमा

अधिकतर निजी और सार्वजनिक बैंकें एटीएम से पांच लेन-देन के बाद चार्ज करती है, लेकिन कुछ बैंकों ने एटीएम से लेन-देन की कोई सीमा नहीं होती है और वे अपने होम एटीएम पर अनलिमिटेड ट्रांजेक्शन की सुविधा देती है. जैसे सार्वजिनक बैंक स्टेट बैंक औफ इंडिया ग्राहकों को एटीएम से अनलिमिटेड ट्रांजेक्शन की सुविधा प्रदान करता है लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि खाताधारक का न्यूनतम बैलेंस 25000 रुपए हो. इस तरह कई निजी क्षेत्र की बैंकें भी यह सुविधा प्रदान करती हैं.

संपत्ति का बंटवारा : कानून पर संस्कार भारी

मोबाइल की घंटी बजी तो दीपा स्क्रीन पर अपनी बड़ी बहन का फोटो देख कर समझ गई कि अवश्य कोई महत्त्वपूर्ण बात होगी, क्योंकि वे निरर्थक बातों के लिए कभी फोन नहीं करतीं. उन्होंने कहा, ‘‘तुझे पता है, बिहार की सारी पैतृक जमीन दोनों भाइयों ने मिल कर, तेरे और मेरे साइन अपनेआप कर के कौडि़यों के भाव बेच दी है. मुझे किसी शुभचिंतक ने फोन से सूचना दी है.’’

सुन कर दीपा सकते में आ गई कि पिता की चिता की आग ठंडी भी नहीं हुई कि उन्होंने ऐसा कदम उठा लिया जैसेकि वे उन के जाने का ही इंतजार कर रहे थे. पिताजी यदि स्वयं बेचते तो सब को बराबर हिस्सा देते, लेकिन अचानक दुर्घटना में उन की मृत्यु हो गई. उन्होंने कई बार दीपा से कहा था कि परिवार में केवल वही आर्थिक अभाव से जूझ रही है, इसलिए जमीन के पैसे से उसे काफी मदद मिलेगी. लेकिन यह घटना अपवाद नहीं है, बल्कि घरघर की कहानी है.

पुश्तैनी संपत्ति में अधिकार

पहले जमाने में संयुक्त परिवार होते थे. अधिकतर परिवारों के सभी पुरुष पैतृक व्यवसाय में लगे होते थे, इसलिए बहनों के विवाह में दहेज के रूप में पैतृक संपत्ति का हिस्सा उन्हें दे देते थे. विवाह के बाद भी उन के हर दुखसुख में भागीदार होते थे और यथासंभव आर्थिक मदद भी करते थे. दूरियां भी कम होती थीं. यहां तक कि यदि कोई स्त्री ससुराल द्वारा परित्यक्ता होती थी या विधवा हो जाती थी, तो उस के भाई या पिता उसे हर तरह का संरक्षण देना अपना नैतिक कर्तव्य समझते थे.

वे मातापिता के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी निभाते थे. बेटियां विवाह के बाद पूरी तरह से अपनी ससुराल को समर्पित हो जाती थीं. लेकिन समयानुसार जमाने और लोगों की सोच में अत्यधिक परिवर्तन आया है. अब पैतृक व्यवसाय को छोड़ कर युवक दूसरे शहरों में नौकरी करने लगे हैं. संयुक्त परिवारों का एकल परिवारों में परिवर्तित होने के परिणामस्वरूप सब अलगअलग रहने लगे हैं. इस से उन के निजी खर्चे बहुत बढ़ गए हैं.

महिलाओं के भी आत्मनिर्भर होने से पुरुषों का उन के प्रति उदासीन दृष्टिकोण हो गया है. बेटियां भी अब भाई के कंधे से कंधा मिला कर अपने मातापिता के प्रति जिम्मेदारी से विमुख नहीं हैं. पहले की अपेक्षा दहेज प्रथा को भी कानूनन नकारा गया है. महिलाएं भी आत्मनिर्भर होने के कारण स्वाभिमान के तहत पिता से दहेज लेने के विपक्ष में हो गई हैं. ये सब देखते हुए महिलाओं का भी पुश्तैनी संपत्ति में अधिकार होना आवश्यक हो गया है.

बराबर का हक

विवाहित स्त्रियों को पुश्तैनी संपत्ति में पुरुष के बराबर का हक 1956 के ऐक्ट ‘हिंदू उत्तराधिकार के संशोधन’ के आगमन के बाद बनाया गया, लेकिन मूलतया यह प्रभावी नहीं हुआ. 9 सितंबर, 2005 से हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर हक है.

अब प्रश्न यह उठता है कि कानून तो बन गया, लेकिन क्या व्यवहारिकता में भी इसे परिवारों ने अपनाया है? नहीं. यदि बहन या बेटी अपनी जबान पर भी संपत्ति के बंटवारे में हिस्सा लेने की इच्छा ले आए तो पुरुषों को बहुत नागवार गुजरता है. वे उस के अधिकारों का हनन कर के उसे हमेशा जरूरत के समय हाथ पसारे ही देखना चाहते हैं और उस की मदद कर के समाज में प्रशंसा का पात्र बनना चाहते हैं.

वे उसे अपने बराबर संपत्ति के अधिकार का भागी न मान कर उस दया का पात्र मानने में ही अपना बड़प्पन सुरक्षित रखना चाहते हैं. जैसे वह तो उस घर में पैदा ही नहीं हुई. डोली उठने के साथ ही उस के उस घर पर अपने सारे अधिकार भी समाप्त हो जाते हैं और परिवार वाले उसे अपनेआप को पराया समझने पर मजबूर कर देते हैं. यह उस के हिस्से की विडंबना ही तो है.

बिखरते रिश्ते

 ‘स्त्रीपुरुष में पुश्तैनी संपत्ति का बराबर का बंटवारा’ कानून के तहत परिवारों के रिश्तों में बहुत कड़वाहट आ गई है. इस में कोई संदेह नहीं है, जो कार्य पुरुष अपना नैतिक कर्तव्य समझ कर करते थे, उन्हें अब कानून के डर से भी नहीं करना चाहते, क्योंकि पुरुषप्रधान देश में पुरुषों की सदियों से चली आ रही मानसिकता में बदलाव कछुए की चाल से हो रहा है. अभी भी नैतिक कर्तव्य समझने वाले पुरुष ही कानून का पालन कर रहे हैं.

रिश्तों में खटास आने का मुख्य कारण ‘जर, जोरू और जमीन’ ही होते हैं. यह सर्वविदित है. आधुनिक समय में कानून बनने के बाद पहले की अपेक्षा स्त्रियों को संपत्ति में बराबर का हकदार बनाने के स्थान पर उन की जिम्मेदारी तो अपने मातापिता के प्रति बढ़ गई, लेकिन उन की आर्थिक सुरक्षा गौण हो गई है.

अभी भी पुरुष चाहे अपने मातापिता के लिए आर्थिक या शारीरिक रूप से कुछ भी न करें, लेकिन पैतृक संपत्ति पर अपना पूरा अधिकार समझते हैं. जीवन भर बेटी उन के लिए अपनी नैतिकता के तहत कुछ भी करे, लेकिन संपत्ति में हिस्सा मांगे या मातापिता उसे देना चाहें तो वे उस के खून के प्यासे तक हो जाते हैं. उस के द्वारा अपने अधिकारों के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना तो बहुत दूर की बात है. ऐसा प्रतिदिन सुनने में आता है.

बहनों को हिस्सा मिले यह तो अपवाद है, भाई भाई को ही हिस्सा देने में कतराता है. जहां मौका देखा संयुक्त संपत्ति पर मालिकाना हक जताने में संकोच नहीं करता. चाहे जिंदगी भर के लिए एकदूसरे से रिश्ता टूट जाए.

मानसिकता में बदलाव

 इस में बहनों की सदियों से चली आई मानसिकता भी दोषी है. कई बहनें विवाह के बाद अपनी ससुराल के समारोहों में अपने भाइयों से परंपरानुसार मोटी रकम वसूलना चाहती हैं और संपत्ति में से भी हिस्सा मांगती हैं, जबकि वे अपने भाई से आर्थिक दृष्टि से अधिक संपन्न हैं.

सारी वस्तुस्थिति का अवलोकन करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि कानून बनने से अधिक आवश्यक है, मातापिता अपने जीतेजी संपत्ति के बंटवारे की वसीयत लिख दें ताकि उन की मृत्यु के बाद कोई भी परिवार का सदस्य संपत्ति पर अवैध मालिकाना कब्जा न कर सके.

समयानुसार स्त्री और पुरुष की मानसिकता में बदलाव आए, पैसे से अधिक रिश्तों को महत्त्व दे कर नैतिकता के आधार पर पुश्तैनी संपत्ति का बंटवारा हो और इस में भी मातापिता द्वारा अपने बच्चों में एकदूसरे के प्रति सौहार्द की भावना और रिश्तों को पैसे से अधिक महत्त्व देने वाले डाले गए संस्कार ही सब से अधिक परिवार के विघटन को रोकने में और समस्या के समाधान को फलीभूत करने में सक्षम हैं.

स्ट्रीट फूड खाने की हैं शौकीन तो गुवाहाटी जाएं, बंम्बू शूट फ्राई खाना ना भूलें

जब भी आप कहीं घूमने जाती हैं तो आप उस जगह के बारे में हर खास जानकारी आप जुटा लेती हैं और सबसे खास जानकारी आप खाने और घूमने के बारे में जुटाती हैं, ऐसे में अगर आप चाहती हैं कि  इस मौसम कहीं घूमने जाएं जहां की स्ट्रीट फूड में जादू हो तो हम आपको गुवाहाटी जाने की सलाह देंगे.

वहां के पर्यटन स्थलों पर तो लोग आते ही हैं लेकिन वहां के स्ट्रीट फूड को खाने के लिये भी पर्यटक दूर दूर से आते हैं क्योकि गुवाहाटी में कुछ खास स्पेशल पकवान मिलते हैं जो बेहद लजीज होते हैं.

लक्षा

गुवाहाटी में मिलने वाला लक्षा नाम से ही ऐसा है कि हर किसी को सुनकर लालच आ जाए. स्‍ट्रीट फूड में लक्षा बेचने वाले कहते हैं कि यहां का स्‍वाद पयर्टकों को हमेशा याद रहता है. लक्षा साधारणतया मलेशियन स्‍वाइसी नूडल्‍स है. आरारोट या फि‍र चावल के आटे से बने ये नूडल्‍स कोकोनट दूध में पकाए जाते हैं. वहीं करी लक्षा इमली व फिस पेस्‍ट में पकाए जाते हैं. यह खाने में बेहद स्‍वादिष्‍ट होते हैं. यहां आने वाले पयर्टकों को यह बहुत पसंद आते हैं.

झालमुरी

गुवाहाटी में मिलने वाली झालमुरी भी बहुत स्‍वादिष्‍ट होती हैं. झालमुरी यहां के स्‍थानीय लोगों का ही नहीं बल्‍क‍ि आने वाले पर्यटकों का भी शाम‍ का चटपटा नाश्‍ता होता है. घूमते समय लोग इसे खाना बहुत पसंद करते हैं. भुने हुए चावल में भुजिया, नट्स, कटा हुआ प्‍याज, हरी मिर्च व धनिया की चटनी, टमाटर, नमक, चाट मसाला के अलावा हल्‍का सा सरसों का तेल मिलाया जाता है. इसके बाद इसे अखबार के बने कोनों में सर्व किया जाता है.

घुगनी

घुगनी भी गुवाहाटी के स्‍्ट्रीट फूड में शामिल है. यहां घुगनी बेचने वालों का दावा होता है कि इसे एक बार खाएंगे तो यहां पर बार-बार घूमने आएंगे. घुगनी मटर या फिर चने से बनती है. असम में मिलने वाली घुगनी मटर की बनाई जाती है. इसे प्‍याज, नमक, हरी धनिया, हरी मिर्च व चटपटे मसालों से मिलाकर बनाया जाता है. इसमें स्‍वाद बढ़ाने के लिए इमली की चटनी भी मिलाई जाती हैं. यहां घुगनी स्‍टौलों से लेकर ठेलों पर आराम से मि‍ल जाएगी.

वौनटौन

गुवाहाटी में मिलने वाला वौनटौन बड़ा ही चटपटा व स्‍वादिष्‍ट व्यंजन है. यह कुछ कुछ मोमोज जैसा ही होता है. मोमोज जहां भाप में पकाया जाता है वहीं यह फ्राई किया जाता है. पकौड़ी की तरह लगने वाला यह वौनटौन नौनवेज व वेज दोनो ही स्‍वादों में बनता है. वौनटौन चीन की फूड डि‍श है. वौनटौन लहसुन की चटनी के साथ परोसा जाता है. कुराकुरा वौनटौन खाने में लाजवाब लगता है. शाम‍ के समय इस स्‍ट्रीट फूड को खाने में बड़ा मजा आता है.

बम्बू शूट

असम में मिलने वाला बम्बू शूट अगर न खाया तो फिर यहां कुछ नही खाया. यह डिश सिर्फ असम में ही मिलती है. ऐसे में गुवाहाटी के स्‍ट्रीट फूड में यह भी शामि‍ल है. इसमें बम्‍बू यानी कि बांस के छोटे-छोटे हरे टुकड़े डीप फ्राई किए जाते हैं. यह काफी स्‍पाइसी होता है. इसका स्‍वाद बेहद लाजवाब होता है. यहां की इस खास डिश को पर्यटक खूब पसंद करते हैं. ऐसे में जब आप यहां जाएं तो एक बार इस स्‍पेशल बम्बू शूट फ्राई डिश को जरूर खाएं.

बिग बौस 11 वाइल्ड कार्ड एंट्री, ये एक्ट्रेस जा सकती हैं घर के अंदर

विवादित टीवी शो बिग बौस 11 में एक बार फिर वाइल्ड कार्ड एंट्री होने वाली है. वाइल्ड कार्ड कंटेस्टेंट के तौर पर एंट्री लेने वाली ढिंचैक पूजा तो घर में कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई थीं.

अब सुनने में आ रहा है कि मेकर्स शो को मसालेदार बनना के लिए एक्ट्रेस गहना वशिष्ठ को घर में कैद कर सकते हैं. मालूम हो कि गहना वही एक्ट्रेस हैं, जिन्होंने घरवालों को लेकर अब तक कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. खासकर अर्शी खान को लेकर गहना ने कई विवादित बयान दिए हैं.

गहना अब तक अर्शी खान, प्रियांक शर्मा, शिल्पा शिंदे, विकास गुप्ता को लेकर चौकाने बातें दर्शकों के सामने ला चुकी हैं.

अब देखना दिलचस्प होगा कि जब गहना घर पर कैद होती हैं, तो अंदर कैसा माहौल होता है.

गहना ने अर्शी के बारे में कहा था कि उनपर करीब 10 क्रिमिनल केस पेंडिंग पड़े हुए हैं. यहां तक उनकी शादी को लेकर भी बातें कही थीं. गहना के मुताबिक, रोल पाने के चक्‍कर में अर्शी खान ने जल्दबाजी में 50 वर्षीय व्यक्ति के साथ चुपचाप विवाह कर ली थी. उन्होंने प्रियांक शर्मा को बाइसेक्शुअल बताया था. इसके अलावा गहना ने विकास गुप्ता और शिल्पा शिंदे को लेकर भी कहा कि वह दोनों सेक्शुअल रिलेशनशिप में रह चुके हैं.

24 वर्षीय गहना मौडल, बौलीवुड और टीवी एक्ट्रेस के तौर पर पहचानी जाती हैं. ‘फिल्मी दुनिया’ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली गहना कई हिंदी और तमिल-तेलुगु फिल्मों का हिस्सा रह चुकी हैं. इसके अलावा वे टीवी शो ‘बहनें’ और ‘ट्रू लाइफ’ में काम कर चुकी हैं.

‘पद्मावती’ के बाद अब इस फिल्म पर मचा बवाल, राजनीतिक पार्टी ने दी धमकी

संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती पर पहले ही बवाल थमने का नाम नही ले रहा है. इस फिल्म के बाद अब एक और फिल्म ‘द गेम आफ अयोध्या’ को लेकर नया विवाद खड़ा होता दिखाई दे रहा है. हिन्दू वाहिनी सेना ने इस फिल्म में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री व वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह की भूमिका को गलत तौर से पेश करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि अगर यह फिल्म अलीगढ़ में चली तो सिनेमाघरों को फूंकने में उन्हें कोई तकलीफ नहीं होगी.

इस मामले में हिंदू युवा वाहिनी के जिला उपाध्यक्ष एवं छात्र नेता आदित्य पंडित ने अपने एक ज्ञापन में कहा है कि पूरे देश में वाहिनी इस फिल्म का विरोध करेगी, क्योंकि इस फिल्म में रामलला की मूर्तियों को धोखे से अयोध्या में स्थापित करते हुए दिखाया है, जो कि तथ्यों के अनुसार बिलकुल गलत है. उन्होंने इस गलती की जिम्मेदारी फिल्म के निर्देशक एवं लोकदल के अध्यक्ष सुनील सिंह की बताई है.

आदित्य के अनुसार राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूर्ण करने के लिए इस तरह के विवाद से भरपूर और हिंदू धर्म की भावनाओं को आहत करने वाली फिल्म बना रहे हैं, जिससे वे सस्ती लोकप्रियता हासिल कर सकें. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर यह फिल्म किसी भी सिनेमाघर में चली, तो संचालक इसके दुष्परिणाम भुगतेंगे.

दुबई की सरप्राइज ट्रिप पर हैं अली अब्बास जफर, ये है असल वजह..!

जल्द ही सलमान खान की फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ सिल्वर स्क्रीन पर रिलीज होने वाली है. इस फिल्म का ट्रेलर और एक गाना पहले ही रिलीज किया जा चुका है. जब फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया तो सलमान खान के फैन्स में खासा उत्साह देखा जा रहा था, क्योंकि रिलीज के बाद अब तक इसके 45 मिलियन व्यूज हो चुके हैं.

इससे ये साफ जाहिर होता है कि सलमान खान की फिल्म ब्लौकबस्टर साबित होगी. हाल ही में फिल्म को और भी बेहतरीन बनाने के लिए डायरेक्टर अली अब्बास जफर ने एक ओर कदम उठाया है.

खबर मिली है कि वे इन दिनों सरप्राइज दुबई विजिट पर हैं, जहां वे फिल्म के बैकग्राउंड साउंड को और भी अच्छी तरह से रिकार्ड करने और उसे पूरी तरह से सजीव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इस दौरान अली उन लोगों से साउंड रिकार्डिंग करवा रहे हैं, जो खुद अरेबिक बोलना जानते हैं.

इस मामले को लेकर अली ने बताया कि ‘हम दुबई में बैकग्राउंड डबिंग के लिए उन लोगों की मदद ले रहे हैं, जो लोग ईराक, सीरिया और मिडल ईस्ट से वास्ता रखते हैं. इस वजह से हमें उनकी बोली में शुद्ध अरेबिक लहजा मिलेगा, जो फिल्म को और भी उभारकर पेश करेगा.

बता दें कि सलमान खान की टाइगर जिंदा है 22 दिसंबर को क्रिसमस के मौके पर रिलीज होने वाली है और दर्शक सलमान खान और कैटरीना की जोड़ी को परदे पर देखने के लिए तैयार हैं.

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