क्यों कहें निटिंग कला को बाय बाय

एक समय था जब कढ़ाई बुनाई करना महिलाओं के व्यक्तित्व का एक जरूरी हिस्सा हुआ करता था. महिलाएं अपना चूल्हाचौका समेटने के बाद दोपहर में कुनकुनी धूप का सेवन करते हुए स्वैटर बुनने बैठ जाती थीं. गपशप तो होती ही थी, साथ ही एकदूसरे से डिजाइनों का भी आदानप्रदान हो जाता था. तब घर के हर सदस्य के लिए स्वैटर बुनना हर महिला का प्रिय शगल होता था.

मगर आज की युवा पीढ़ी ने तो निटिंग जैसी कला को गुडबाय ही कह दिया है. कौन पहनता है हाथ से बुने स्वैटर’, ‘यह ओल्ड फैशन ऐक्टिविटी है’ जैसे जुमलों ने महिलाओं को हाथ से बनाने की कला को दूर कर दिया है. पर इन सब जुमलों के बावजूद मैं ने निटिंग के प्रति अपना दीवानापन नहीं छोड़ा. उस दुनिया से छिपा कर बुनती रही, जो इस कला को ओल्ड फैशन मानती है.

आश्चर्य तो तब हुआ जब मैं ने जरमनी की यात्रा के दौरान अपनी हवाईयात्रा में एक जरमन महिला को मोव कलर के दस्ताने बुनते देखा. फिर वहां मैट्रो में कुछ महिलाओं को निटिंग करते देखा. वहां एक स्टोर में जाने का मौका मिला तो पाया कि लोग किस कदर हाथ से बुने स्वैटर पहनने के इच्छुक हैं. वे स्टोर में रखी किताबों में से स्वैटर की डिजाइनें ढूंढ़ कर वहां बैठी महिलाओं को और्डर दे रहे थे. मुझे यह जान कर अच्छा लगा कि इस भौतिकवादी देश में भी लोग हैंडमेड चीजों के प्रति आकर्षित हैं.

विदेशों में है निटिंग का क्रेज

हाल ही में मैं ने अमेरिका की यात्रा की तो निटिंग संबंधी स्टोर देखना मेरे पर्यटन में शामिल था. बोस्टन शहर की ब्रौड वे गली में ‘गैदर हेयर’ नामक एक स्टोर है. जैसा नाम वैसा ही पाया मैं ने. अंदर का नजारा कलापूर्ण तो था ही गैदर हेयर जैसा भी था. एक बड़ी गोल टेबल के पास घेरे में 8 महिलाएं सलाइयां ले कर जुटी थीं. सब सीखने के मकसद से आई थीं. सोफिया ने बताया कि वह अपने भाई के लिए टोपी बुन रही है. लारा अपने बेटे के लिए जुर्राबें बुन रही थी. उन महिलाओं में एक मांबेटी का भी जोड़ा था. उन से संवाद करने पर पता चला कि वे महीने के दूसरे मंगलवार और चौथे बृहस्पतिवार को यहां इकट्ठा होती हैं. यहां वे एकदूसरे से डिजाइन सीखतीसिखाती हैं और अपनी कला को निखारती हैं.

उसी हाल के दूसरे कोने में 2 पुरुष और 1 महिला बैठे थे, जो अपने तैयार स्वैटरों पर बटन लगाने की तैयारी कर रहे थे. एक कोने में चायकौफी और स्नैक्स का सामान रखा था, जो उन महिलाओं के लिए ही था. स्टोर ढेर सारे कच्चे सामान के साथ सुंदर तरीके से सजा था.

मैं हैरान थी यह सब देख कर. मुझे अपने देश में बिताए वे दिन याद आ रहे थे जब मैं ने अपनी दादी, नानी, बूआ, मौसी को घर में कुनकुनी धूपी सेंकते हुए यह सब करते देखा था. पर अब मेरे देश से सब नजारे करीबकरीब गायब हैं.

युवतियों और महिलाओं के हाथों में मोबाइल हैं और कानों में स्पीकर. नैट यूजर लड़कियां यह भी नहीं जानतीं कि नैट सर्च कर के भी हैंडमेड चीजों का खजाना ढूंढ़ा जा सकता है और उन्हें बनाने की कला भी सीखी जा सकती है.

निटिंग जैसी कलाएं न तो आप को बोर होने देती हैं और न ही आप को अकेलेपन का एहसास कराती हैं. इतना ही नहीं आप के दिमाग के संतुलन को बनाए रखने में भी ये कलाएं बहुत कारगर सिद्ध होती हैं.

विदेशों में हाइपरटैंशन के मरीजों की परची पर डाक्टर द्वारा इलाज की सूची में दवा के साथ निटिंग भी लिखा जाता है यानी डाक्टर द्वारा सलाह दी जाती है कि यदि आप निटिंग करेंगे तो आप का बीपी संतुलित रहेगा.

दिमाग रहे तरोताजा

अमेरिका जैसे देश में जहां लोग भौतिक सुखसुविधाओं से पूरी तरह संपन्न हैं, फिर भी निटिंग कला को खूबसूरती से बचाए हुए हैं. बोस्टन स्थित विश्व की नंबर वन यूनिवर्सिटी में भी एक कक्ष ऐसा है जहां ऊन, सलाइयां, क्रोशिया, धागा, सूई, बटन आदि सब रखे हैं. जब विद्यार्थी पढ़ाई करतेकरते थक जाएं तो इस कक्ष में आ कर अपनी मनपसंद क्रिएटिविटी कर सकते हैं और अपने दिमाग को फिर से तरोताजा कर सकते हैं.

एक बार मेरी बेटी जो बोस्टन में एमआईटी में पढ़ाई कर रही है, ने बेहद उत्साहित हो कर बताया, ‘‘मां, मैं एक सेमिनार में समय से कुछ पहले पहुंच गई, तो वहां देखा कि लैक्चर देने वाली प्रोफैसर निटिंग कर रही है.’’

मगर हमारे देश में अब निटिंग कला लुप्तप्राय: हो रही है. बड़ा स्वैटर या जर्सी नहीं तो कुछ छोटा ही बुनिए जैसे टोपी, जुराबें आदि. एक बार मेरी मां थोड़ी बीमार हो गईं, तब मैं ने उन के सामने ऊन, सलाइयां ला कर रख दीं. मां ने न जाने कितनी जोड़ी जुर्राबें बुन दीं. फिर तो जो भी उन की कुशलमंगल पूछने आता उसे जुर्राबों का एक जोड़ा उपहार में मिल जाता. मां के चेहरे की संतुष्टि और उपहार पाने वाले की खुशी देखते ही बनती थी.

सच, निटिंग करने का सुख अलग ही है. एक बार निटिंग कर के तो देखिए इस सर्दी में.

हर चीज पर आज राजनीति हो रही है : ऋचा चड्ढा

फिल्म ‘ओये लकी, लकी ओय’ से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने बहुत कम समय में अपनी एक अलग पहचान बनायी है. पंजाब के अमृतसर में जन्मी और दिल्ली में पली बड़ी हुई ऋचा के कैरियर की टर्निंग प्वाइंट फिल्म गैंग्स औफ वासेपुर है, जिसमें उन्होंने एक अधेड़ उम्र की महिला की भूमिका निभाई थी. इस फिल्म से उन्हें बहुत तारीफें मिली और उनकी जर्नी चल पड़ी.

ऋचा को बचपन से ही अभिनय की इच्छा थी और उन्होंने इसकी शुरुआत मौडलिंग से की. जिसे उन्होंने मुंबई आने के बाद शुरू कर दिया था. बाद में वह अभिनय की ट्रेनिंग लेने के लिए थिएटर की ओर मुड़ी और कई नाटकों में अभिनय किया. स्पष्टभाषी और साहसी ऋचा इन दिनों अपनी फिल्म ‘फुकरे रिटर्न्स’ में फिर से एक बार भोली पंजाबन की भूमिका एक अलग अंदाज में निभा रही हैं. सहज अंदाज में वह सामने आईं और बातचीत की, पेश है अंश.

दोबारा इस फिल्म की कड़ी में जुड़कर आप कितनी उत्साहित हैं?

साधारणत: फुकरे और मसान की सारी टीम बीच-बीच में मिलते रहते हैं. ऐसे में हमारी एक अच्छी बौन्डिंग हो गयी है. ऐसे में हम एक दूसरे के साथ बहुत सहज हैं. हमारी केमिस्ट्री भी पर्दे पर पूरी तरह से नजर आती है. इससे पहले मेरी कई फिल्में मसान और गैंग्स औफ वासेपुर थोड़ी औफ बीट फिल्म थी, लेकिन फुकरे मेरे लिए पहली बड़ी कमर्शियल फिल्म थी. इसकी एक अलग दर्शक होती है. इस बार की फिल्म भी मजेदार है. ये एक अनोखी फिल्म है. इसे तिहार जेल में शूट किया गया है. वहां मुझे केवल अंदर जाने की परमिशन थी. बहुत अच्छा लगा था कि कैसे जेल में महिलाएं रहती हैं. कैसे उनसे मिलने उनके परिजन आते हैं. वहां के पुलिसवाले को फिल्मों का बहुत शौक होता है. वे मुझसे बातचीत करना पसंद करते थे.

किसी भी चरित्र से बाहर निकलना कितना मुश्किल होता है?

ये सही है कि किसी चरित्र से निकलना आसान नहीं होता. कई बार आप जो चरित्र करते हैं उससे आपके दैनिक जीवन से कोई सरोकार नहीं होता, लेकिन इससे आप समझ जाते हैं कि अगर आप ऐसी होतीं, तो क्या होता. मैं भोली पंजाबन की भूमिका से कोसों दूर हूं. मैं इतनी मुंहफट नहीं हूं कि किसी को कुछ भी कह दूं.

आजकल क्रिएटिविटी पर बहुत अधिक राजनीति हो रही है, इससे ये कितना सफर करती है और आपकी राय क्या है?

आज हर चीज पर राजनीति हो रही है. गानों, फिल्मों, गीतों के नाम पर, पेड़ पक्षी आदि सभी पर किसी न किसी रूप में राजनीति किया जा रहा है. राजनीति ने किसी चीज को छोड़ा नहीं है. आजकल लोग बातचीत करने की कोई गुंजाईश नहीं रखते. हर कोई अपनी बात कहकर उसे ही सही प्रूव करने की कोशिश में लगा हुआ है, लेकिन इसे सुलझाने का एक तरीका भी है और इससे हमारे देश की नेताओं को समझना होगा, जिन्हें वोट देकर जनता अपना प्रतिनिधि बनाती है. आप मालिक नहीं, ‘पब्लिक सर्वेंट’ हैं और किसी भी समस्या को सुलझाना ही आपका काम है.

मैं दिल्ली में पली बड़ी हुयी हूं, लेकिन मैंने दिल्ली में कभी ऐसी हवा नहीं देखी जो आज है, इतना प्रदूषण है कि लोगों को सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. इसे सुलझाया क्यों नहीं जा रहा है? आजकल न्यूज भी उन चीजों को कवर करती है जिसका दैनिक जीवन से कोई सरोकार नहीं, जैसे किसने किसको चांटा मारा, किसने किसको क्या कहा आदि ये सारी न्यूज लोगों को सही मुद्दे से बहकाने के काम आती है. सब जानते हैं कि असलियत क्या है. माहौल ऐसा बनाया जा रहा है कि कोई कुछ बोले, तो उसे डराया और धमकाया जाता है. कुछ को तो जान से भी मार दिया जाता है. ये सोचने वाली बात है. सभी इसमें दोषी हैं और इससे देश का ही नुकसान ही होगा. मुझे अजीब लगता है जब कोई कहता है कि किसी को 4 बच्चे होने चाहिए या मोर सेक्स नहीं करता उसके आंसू पीने से मोरनी प्रेग्नेंट हो जाती है आदि कितने ही तथ्यहीन बातें सुनने को मिलती हैं.

कमर्शियल फिल्मों में आने के लिए आपको कितनी ग्रूमिंग करनी पड़ी?

बहुत करनी पड़ी, क्योंकि मैं एक साधारण लड़की थी और थिएटर बैकग्राउंड से आई थी. मैंने अब अपने आपको काफी सुधारा है, पर मैं अपने आप को रीयलिस्टिक लगना चाहती हूं.

आप अपनी प्रोडक्शन में क्या करना चाहती हैं?

मैंने एक फिल्म की है आगे भी एक कौमेडी फिल्म करने की इच्छा है, कुछ स्क्रिप्ट पढ़ रही हूं, मैं मेसेज के साथ-साथ ह्यूमर को शामिल कर फिल्में बनाना चाहती हूं.

अबतक की आपकी जर्नी कैसी रही?

मैं फिल्म ‘गैंग्स औफ वासेपुर’ को सबकुछ मानती हूं जो मुझे यहां तक ले आयी. ओये लकी लकी ओय के बाद मैंने कुछ दिनों के लिए फिल्मों में काम करना छोड़ दिया था और थिएटर करने चली गयी थी, लेकिन कभी वित्तीय रूप से उसपर ध्यान नहीं दिया था कि पैसे के लिए फिल्मों में सफल होना जरूरी है. मैंने उस समय कई विज्ञापनों में भी काम किया. ‘गैंग्स औफ वासेपुर’ के बाद मैंने पूरी तरह से फिल्मों को अपनाया है.

क्या कुछ सोशल वर्क करती हैं?

मैंने बहुत सारे सामाजिक कार्य किये हैं. ‘सेक्स ट्राफिकिंग’ की एक इशू पर मैंने काम किया था. उस बारे में मैंने कैम्पेन भी किया था. गर्ल चाइल्ड को बचाने की दिशा में काम किया है, साथ ही पर्यावरण प्रदूषण पर भी काम कर रही हूं.

सर्दियों में ये घरेलू नुसखें दिलाएंगे आपको रूखी त्वचा से छुटकारा

सर्दियों के मौसम में त्वचा को नम रखना बहुत जरूरी होता है क्योंकि सर्द हवाएं त्वचा की नमी को चुराकर उसे रूखा और बेजान बना देती है. रूखेपन की वजह से त्वचा के फटने की समस्या सामने आती है जिससे काफी तकलीफ होती है. हम इस रूखेपन से बचने के लिए हम तरह-तरह के उपाय आजमाते रहते हैं.

इससे बचने के लिए तमाम तरह के केमिकलयुक्त मौइश्चराइजर्स, बाजारू क्रीम्स और कास्मेटिक्स का इस्तेमाल करते हैं, पर नतीजा इनमें मौजूद केमिकल्स त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि हम त्वचा के लिए कुछ घरेलू नुस्खे अपनाएं क्योंकि ये घरेलू नुस्खे प्राकृतिक रूप से त्वचा की सेहत सही रखते हैं.

घरेलू नुस्खों से बने ब्यूटी प्रोडक्ट्स का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता साथ ही साथ ये त्वचा को लंबे समय तक मौश्चराइज रखते हैं.

तो चलिए आज हम आपको सर्दियों के मौसम में त्वचा को नम बनाए रखने के लिए कुछ ऐसे घरेलू नुस्खों के बारे में बताते हैं जिन्हें बनाना बेहद आसान है.

दूध, चीनी और बादाम का पेस्ट

एक कटोरी में थोड़ा दूध लें. इसमें एक चम्मच चीनी एक चम्मच बादाम का पाउडर डालकर गाढ़ा पेस्ट बना लें. अब इस पेस्ट को त्वचा पर हल्के हाथों से लगाकर बीस मिनट तक रहने दें. उसके बाद हल्के गुनगुने पानी से त्वचा धो लें. कुछ दिनों तक ऐसा करने से त्वचा का रूखापन बिल्कुल ठीक हो जाएगा और त्वचा मुलायम और चमकदार बन जाएगी.

खीरे का रस और ग्लिसरीन

दो चम्मच खीरे के रस में आधा चम्मच ग्लिसरीन और आधा चम्मच गुलाबजल डालकर अच्छी तरह मिला लीजिये. अब इसे अपनी त्वचा पर या चाहे तो पूरे शरीर पर लगाकर 10-15 मिनट तक के लिए छोड़ दीजिये. बाद में गुनगुने पानी से नहा लीजिये. ऐसा करने से पूरे शरीर में नमी आती है और त्वचा का रूखापन ठीक हो जाता है.

दही, दूध की मलाई, केला और शहद का पेस्ट

आधे कप दही में एक चम्मच दूध की मलाई डालें. अब इसमें एक चम्मच मैश किया हुआ केला और एक चम्मच शहद के अच्छी तरह मिलाकर पेस्ट बना लें. इस पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं. 15 मिनट के बाद अपने चेहरे को पानी से धोकर साफ कर लें. हफ्ते में दो बार ऐसा करने से त्वचा के रूखेपन के साथ त्वचा से कालापन भी खत्म होता है.

महिलाओं के नाम पर लें संपत्ति, होगा फायदा

महिलाओं के नाम पर संपत्ति लेने में सबसे बड़ा फायदा रजिस्ट्री में मिलने वाली छूट के तौर पर देखा जा सकता है. देश के तमाम राज्यों में महिलाओं के नाम पर संपत्ति की रजिस्ट्री कराने पर स्टांम्प ड्यूटी में 2 फीसदी की छूट मिलती है. अगर संपत्ति का मालिकाना हक पूरी तरह से किसी महिला के नाम पर नहीं है और उसे प्रौपर्टी में जौइंट ओनर बनाया गया हो तो इस स्थिति में भी रजिस्ट्री में एक फीसदी की छूट का लाभ उठाया जा सकता है.

घर खरीदने में महिलाओं की सलाह बेहद काम की होती है. इसकी एक वजह यह है कि घर में सबसे ज्यादा वक्त महिलाओं का ही बीतता है. लेकिन कहते हैं कि वक्त कभी भी एक जैसा नहीं रहता है. मौजूदा समय की ही बात करें तो पिछले कुछ वर्षों में जहां घर खरीदने में महिलाओं की सलाह की अहमियत में इजाफा हुआ है तो वहीं अब महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने वालों की संख्या में भी अच्छा-खास इजाफा देखने को मिलता है. वैसे ऐसा हो भी क्यों नहीं, आखिर महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदने के कई तरह के लाभ भी तो मिल जाते हैं.

संपत्ति मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं के नाम पर संपत्ति खरीदकर टैक्स प्लानिंग को जहां आसान बनाया जा सकता है तो वहीं कई तरह की छूट का लाभ भी हासिल किया जा सकता है. ऐसे में अगर आप भी किसी संपत्ति में निवेश करने का मन बना रहे हैं तो इसे अपने घर की महिला के नाम पर खरीद सकते हैं. या फिर उन्हें संपत्ति के मालिकाना हक में अधिकार देकर भी कई तरह से लाभ उठा सकते हैं। जानते हैं, यह किस तरह संभव है.

बढ़ाएं लोन की रकम

अगर आप होम लोन लेकर संपत्ति खरीदने पर विचार कर रहे हैं तो ऐसे में अपनी पत्नी को इस एप्लीकेशन में को-एप्लीकेंट बना सकते हैं. बशर्ते आपकी पत्नी कोई नौकरी या फिर अपना व्यापार कर रही हो. ऐसा होने से आपकी आय में उनकी आय भी शामिल हो जाएगी. साथ ही आय में इजाफा होने से आपको मिलने वाली होम लोन की रकम में भी इजाफा हो जाएगा.

बैंकिंग मामलों के जानकारों का कहना है कि होम लोन के लिए ऐसी एप्लीकेशन, जो महिलाओं की तरफ से आई हों या फिर जिनमें महिलाओं को को-एप्लीकेंट बनाया गया हो, उनके लिए बैंकों की कोशिश होती है कि लोन जल्दी और आसानी से पास किया जाए. ऐसी एप्लीकेशन को बैंक जल्दी से खारिज नहीं करते.

रजिस्ट्री में छूट

संपत्ति मामलों के विशेषज्ञ कहते हैं कि महिलाओं के नाम पर संपत्ति लेने में सबसे बड़ा फायदा रजिस्ट्री में मिलने वाली छूट के तौर पर देखा जा सकता है. देश के तमाम राज्यों में महिलाओं के नाम पर संपत्ति की रजिस्ट्री कराने पर स्टांम्प ड्यूटी में 2 फीसदी की छूट मिलती है. अगर संपत्ति का मालिकाना हक पूरी तरह से किसी महिला के नाम पर नहीं है और उसे प्रौपर्टी में जौइंट ओनर बनाया गया हो तो इस स्थिति में भी रजिस्ट्री में एक फीसदी की छूट का लाभ उठाया जा सकता है.

किसी प्रौपर्टी में जब आप लाखों रुपयों का निवेश कर रहे हों तो वहां एक या फिर दो फीसदी की बचत भी आपके लिए फायदे और समझदारी की बात ही कही जा सकती है. इस बचत का इस्तेमाल प्रौपर्टी की फर्निशिंग पर या फिर दूसरे कामों पर खर्च की जा सकती है.

प्रौपर्टी टैक्स में बचत

अगर आप दिल्ली जैसे शहर में कोई प्रौपर्टी लेने की योजना बना रहे हैं तो इस शहर में महिला के नाम पर प्रौपर्टी खरीदना समझदारी भरा कदम होगा. आप वाकिफ होंगे कि एरिया की देख-रेख के लिए हर साल एमसीडी को प्रौपर्टी टैक्स चुकाना होता है. इस टैक्स में भी महिलाओं के लिए छूट के प्रावधान किए गए हैं. बशर्ते संपत्ति का स्वामित्व किसी महिला के नाम पर हो.

महिला खरीदारों बढ़ती संख्या

विशेषज्ञ कहते हैं कि जब से स्टांप ड्यूटी में महिलाओं के लिए छूट के प्रावधान किए गए हैं, उसके बाद से महिलाओं के नाम पर होने वाली संपत्तियों की रजिस्ट्री की संख्या में भारी इजाफा देखने को मिलता है. सामाजिक लिहाज से तो इस कदम से उन्हें गर्व होता ही है, साथ ही आर्थिक स्वावलंबन की दृष्टि से इसे महत्वपूर्ण माना जा सकता है.

इसमें कोई दो राय नहीं कि ईंट, सरिये और सीमेंट की मदद से खड़ी की गई चारदीवारी, जिसे मकान की संज्ञा दी जाती है, उसे घर के रूप में परिवर्तित करने का काम तो महिलाएं ही करती हैं.

आखिर जब घर की जिम्मेदारी उन पर होती है तो उस संपत्ति के मालिकाना अधिकार में उनका हिस्सा क्यों नहीं हो सकता? जबकि ऐसा करना न सिर्फ कई लिहाज से लाभदायक है साथ ही उनकी प्रतिष्ठा को बढ़ाने वाला कदम भी कहा जा सकता है.

अपने लव लाईफ की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहा यह अभिनेता

साउथ के सुपरस्टार कमल हासन 63 साल के हो चुके हैं. 7 नवंबर, 1954 को परमकुडी, चेन्नई में जन्में कमल हासन इन दिनों हिंदू आतंकवाद पर दिए विवादित बयान के चलते सुर्खियों में हैं. कमल ने करियर की शुरुआत 1959 में महज 6 साल की उम्र में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट की थी. हालांकि उन्हें सक्सेस फिल्म ‘अपूर्व रागंगल’ से मिली, जिसमें उन्होंने खुद से उम्र में बड़ी महिला के साथ प्यार करने वाले अक्खड़ युवा का रोल प्ले किया था. उन्होंने पहली शादी वाणी गणपति और दूसरी सारिका से की.

कमल ने 1978 में वाणी गणपति से शादी की. यह शादी 10 साल चली और फिर 1988 में इनका तलाक हो गया. इसके बाद कमल एक्ट्रेस सारिका के साथ डेटिंग करने लगे. कमल और सारिका ने 1988 में शादी कर ली. उनकी दो बेटियां श्रुति हासन और अक्षरा हासन हैं. 2004 में सारिका से भी उनका तलाक हो गया.

कमल हासन की जिंदगी में सारिका से पहले और बाद आई ये महिलाएं

फिल्मी करियर में जबर्दस्त सफलता हासिल करने वाले कमल हासन पर्सनल लाइफ की वजह से विवादों में रहे हैं. उनकी जिंदगी में सारिका से पहले और बाद में ये महिलाएं आईं.

सारिका से पहले

  • श्रीविद्या : 70 के दशक में एक्ट्रेस श्रीविद्या के साथ अफेयर के उनके काफी किस्से चले, हालांकि, दोनों ने कुछ फिल्में भी साथ कीं, लेकिन उनका अफेयर लंबे समय तक टिक न सका.
  • वानी गनपति : 1978 में 24 साल की उम्र में कमल हासन ने डांसर वाणी गनपति से शादी की, यह रिश्ता 10 साल तक चला और फिर उनके बीच यह रिश्ता टूटा एक्ट्रेस सारिका की वजह से.

सारिका के बाद

  • सिमरन : एक वक्त आया, जब कमल और सारिका के रिश्तों में खटास आ गई, साल 2004 में उन्होंने तलाक ले लिया. अब इनके बीच आई थीं सिमरन बग्गा, जो कमल से करीब 22 साल छोटी हैं. हालांकि बाद में सिमरन ने अपने बचपन के फ्रेंड से शादी कर ली और ये रिश्ता खत्म हो गया.
  • गौतमी तड़िमल्ला : करीब 13 साल तक कमल हासन के साथ लिव इन रिलेशन में रहीं उनकी गर्लफ्रेंड और एक्ट्रेस गौतमी ने 2016 में उनसे अलग होने की घोषणा कर दी. दरअसल, साऊथ फिल्मों की स्टार गौतमी ने एक बयान में कहा कि उन्होंने और एक्टर कमल हासन ने 13 साल के रिलेशन को खत्म करते हुए अलग होने का फैसला किया है.

किन गलतियों की वजह से सपना चौधरी को होना पड़ा बिग बौस से बाहर

हरियाणवी डांसर सपना चौधरी को बिग बौस-11 के सबसे मजबूत कंटेस्टेंट्स में से एक माना जा रहा था और शुरू से ही कहा जा रहा था कि वह फाइनलिस्ट होंगी. इसका इशारा इस बात से भी मिल रहा था कि जब जब वो नौमिनेट होती थीं, आसानी से बच जाती थीं. लेकिन सलमान खान के इशारे को वो समझ ही नहीं पाईं.

सलमान उन्हें बार-बार कहते कि आप दिख नहीं रही हैं. सपना इसका गलत मतलब निकाल लेतीं और इतनी नेगेटिव हो जातीं कि उनकी अच्छी इमेज नहीं बन पाती. इसी वजह से समय के साथ उनकी निगेटिव इमेज बन गई और उन्हें घर से बाहर निकलना पड़ा. आइए हम बताते हैं कि ये पांच गलतियां सपना चौधरी को महंगी पड़ी

दबंग इमेज की कोशिश

सपना चौधरी पहले दिन से ही कुछ सकपकाई नजर आ रही थीं और वे अपनी दबंग इमेज बनाने के चक्कर में थीं, लेकिन वे चिढ़चिढ़ी और बदमिजाज बनकर ही रह गईं. हर बात में मरने-मारने की बात करना. बिल्कुल उसी तरह थोथा चने बाजे घना टाइप. जब भी वे बोलती थी काफी खराब अंदाज में बोलती थीं.

सही समय पर गलत कदम

घर में कई ऐसे मौके आए जब वे अपनी छवि को सही कर सकती थीं. लेकिन वे इन सभी मौकों पर दूसरों का मुंह तकती नजर आईं. खासकर हिना खान का मुंह. कहीं भी सपना अपने अंदर की सपना को निकाल नहीं सकीं, वर्ना वे अपने टैलेंट के बल पर सनसनी फैला सकती थीं.

ग्रुपिज्म में उलझकर रह गईं

वे शुरू से ही हिना खान की लीडरशिप वाले ग्रुप का हिस्सा बनकर रह गईं. उस ग्रुप में किसी और के लिए कोई जगह नहीं थी. वहां सिर्फ हिना खान का ही सिक्का चलता है, दूसरा कोई नहीं दिखता है. इसी तरह हुआ, वे शो में कहीं नहीं दिखीं और सबने उनको हथियार और ढाल के तरह इस्तेमाल किया.

दिमाग का इस्तेमाल न करना

एक मौके को छोड़ दें जब उन्होंने अर्शी खान की नाक में अपनी हरकतों से दम कर दिया था, बाकी सभी मौकों पर लगा ही नहीं कि वे दिमाग का इस्तेमाल कर रही हैं. वे या तो बिस्तर पर नजर आतीं, या अपने बारे में कही गईं बातों को दूसरों के मुंह से सुनतीं और बिफरती दिखीं.

बिना किसी स्ट्रेटजी के घर में रहीं

घर का हर सदस्य एक स्ट्रेटजी के साथ मौजूद है और उसी के साथ खेल भी रहा है. लेकिन सपना चौधरी तो बिल्कुल प्लेन स्लेट की तरह थीं, जिसपर कुछ नहीं लिखा था. तभी तो जिस दिन उन्होंने हिना खान के कहने पर लव त्यागी को बचाया था, वे मास्टरस्ट्रोक खेलकर खुद को भी बचा सकती थीं. लेकिन वे इसी तरह की गलतियां करती आई थीं और गलती की वजह से ही बाहर हो गईं.

इन जगहों पर सबसे ज्यादा होती है टीवी सीरियल्स की शूटिंग

करीब एक दशक पहले टीवी सीरियल्स में दिखाई गई लोकेशन्स ज्यादातर मुंबई की होती थी या फिर किसी स्पेशल सीन को दिखाने के लिए सेट लगा दिया जाता था. अब बदलते वक्त के साथ हर चीज को रियल लाइफ इफेक्ट के साथ दिखाने की कोशिश की जाती है. बीते सालों में कई लोकेशन्स ऐसी हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा टेलीविजन शो में दिखाया जाता है. आइए, डालते हैं उनपर एक नजर.

अमृतसर (पंजाब)

अमृतसर जिसे आज भी कुछ लोग अम्बरसर कहते हैं. ज्यादातर पंजाब की कहानी पर आधारित ज्यादातर टेलीविजन शो अमृतसर में ही शूट किए जाते हैं. टशन-ए-इश्क, वारिस, गुरबानी, वीरा जैसे पौपुलर सीरियल्स की शूटिंग अमृतसर में की गई है.

बनारस (उत्तर प्रदेश)

गंगा की आरती और बनारस के घाट. बनारस का नाम लेते ही सबसे पहले ये दो खास बातें सबसे पहले याद आती हैं. शाम के समय अनगिनत दीयों से जगमगाता है बनारस. गंगा, सरस्वतीचंद्र, कर्म अपना-अपना, तेरे शहर में, बिलियन डौलर गर्ल की शूटिंग लोकेशन बनारस है.

जैसलमेर, जयपुर (राजस्थान)

राजघराने, हवेली और राजशाही ठाट-बाट दिखाने के लिए राजस्थान की कई लोकेशन्स का इस्तेमाल टीवी शो में सबसे ज्यादा किया जाता है. जिनमें जैसलमेर और जयपुर सबसे पौपुलर लोकेशन्स हैं. रंगरसिया, बालिका बधु, पहरेदार पिया की, दीया और बाती, नागिन जैसे पौपुलर शो की शूटिंग जयपुर और जैसलमेर में की गई है.

ऋषिकेश (उत्तराखंड)

ऋषिकेश धार्मिक सीरियल्स की शूटिंग लोकेशन में सबसे पहले नम्बर पर आता है. कभी-कभी बनारस की भीड़ को देखते हुए कुछ टीवी सीरियल्स की लोकेशन ऋषिकेश भी कर दी जाती है. यहां नीली छतरीवाले, ये रिश्ता क्या कहलाता है, अगले जन्म मोहे बिटिया ना कीजो, महाभारत जैसे टीवी सीरियल्स की शूटिंग हो चुकी है.

दिल्ली

दिलवालों की दिल्ली में सबसे ज्यादा फिल्मों और टीवी शो शूट किए जाते हैं. पुरानी दिल्ली में कई टीवी शो के लव सीन शूट किए गए हैं.लव स्टोरी, तुम्हारी पाखी, तेरी-मेरी लव स्टोरी, कपिल शर्मा शो, लाइफ सही है जैसे शो दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में शूट किए गए हैं.

‘भारती की बारात’ देख आप नहीं रोक पाएंगी अपनी हंसी

कमीडियन भारती सिंह अपनी शादी को लेकर इन दिनों काफी चर्चा में हैं. शादी की प्री-वेडिंग शूट से लेकर चूड़ी सेरिमनी की कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इसके आलावा इस समय ‘भारती की बारात’ नामक वेब सीरीज को लेकर भी काफी चर्चा हो रही है.

बता दें कि भारती हर्ष लिम्बाचिया संग शादी के बंधन में बंधने जा रही हैं. भारती की शादी का एक वेब सीरीज तैयार किया गया है, जिसका नाम है ‘भारती की बारात’. इसमें भारती की शादी से जुड़ी कई मजेदार बातें होंगी. वीडियो में भारती और हर्ष दोनों एक-दूसरे के बारे में बातें करते नजर आ रहे हैं. इनकी बातें इतनी मजेदार हैं कि आप सुनते ही हंस पड़ेंगी.

वीडियो में भारती कह रहीं, ‘मुझे तो पहले पता ही नहीं था कि ये प्यार-व्यार क्या होता है. मैं बचपन से ही लड़कों के बीच में रही हूं. बचपन से ही शूटिंग, तीरंदाजी जैसे स्पोर्ट्स में रहती थी. पंजाब के लिए नैशनल में खेली हूं, गोल्ड मेडल लाई हूं तो प्यार-व्यार के बारे में सोचा ही नहीं था. फिर कौमेडी सर्कस आया और फिर आए हर्ष लिंबाचिया. वह थे चश्मा लगाए, छोटा सा लैपटाप जैसे सुनामी पीड़ित का एक बच्चा बच गया हो कि ये कुछ करेगा अब.’

हर्ष स्क्रिप्ट लिखा करते थे. भारती बताती हैं कि वह काफी डबल मिनिंग स्क्रिपेट लिखा करते थे. हर्ष बताते हैं कि जो स्क्रिप्ट वह तैयार कर रहे थे बाद में पता चला कि वह भारती के लिए ही थी.

भारती बताती हैं, ‘हर्ष जिसकी स्क्रिप्ट लिखते वह बंदा आउट हो जाता और हर्ष ने मेरे लिए भी लिखी और मैं आउट. बाद में वाइल्ड कार्ड एंट्री मिली और फिर 10-10 नंबर मिले.’ इस वीडियो का सबसे मजेदार वह हिस्सा है जब हर्ष को भारती अपना चूड़ीदार पायजामा पहनने के लिए देती हैं.

इसके बाद वीडियो में टीवी और फिल्म जगत के की सिलेब्रिटीज भारती और हर्ष के इस रिश्ते पर बोलते नजर आ रहे हैं और उनकी बातें भी आपको उतनी ही फनी लगेंगी. वैसे, यह तो पहला एपिसोड है, अभी आगे काफी कुछ देखना बाकी है.

अंगूरी भाभी ने शो को छोड़ने को लेकर दिया यह बड़ा बयान

छोटे परदे के सबसे लोकप्रिय शो में से एक है ‘भाभी जी घर पर हैं.’ कई दिनों से खबरे आ रही थी कि शिल्पा शिंदे के बाद अब इस शो की नई अंगूरी भाभी यानि शुभांगी अत्रे भी शो को छोड़कर जा सकती हैं. लेकिन हाल ही में शुभांगी अत्रे ने इस तरह की सभी खबरों का खंडन करते हुए कहा है कि ऐसा कुछ नहीं है वो अपने शो से बहुत प्यार करती हैं और अपने काम का सम्मान भी.

अभी कुछ दिन पहले ही शुभांगी अत्रे ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि वो राजनीति में जाने की अपनी इच्छा को कायम रखे या नहीं इस बात को लेकर बड़ी कन्फ्यूज हैं. दरअसल हाल ही में उत्तर प्रदेश में एक चुनावी कार्यक्रम में देखे जाने के बाद इस तरह की खबरें आई कि शुभांगी राजनीति के मैदान में उतरने को तैयार हैं. शुभांगी ने एक बयान में कहा है कि वैसे तो वो राजनीति में आने को लेकर बड़ी दुविधा में हैं, लेकिन उन्हें यह भी लगता है कि ये अच्छा अवसर है क्योंकि युवा वर्ग राजनीति में भी बड़े बदलाव ला सकताे हैं और युवाओं को राजनीति में सबसे पहले स्वीकार भी किया जाता है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि उनका राजनीति में प्रवेश कैसे हो.

आपको बता दें कि ‘भाभी जी घर पर हैं’ में पहले शिल्पा शिंदे अंगूरी भाभी का रोल करती थीं लेकिन उनका शो के निर्माता के साथ बड़ा झगड़ा हो गया था जिसके चलते उन्होंने सो को छोड़ दिया. शिल्पा के शो से हटने के बाद शुभांगी को यह सुनहरा अवसर मिला. देखते ही देखते शुभांगी ने अपनी जबरदस्त एक्टिंग से लोगों को दिल जीत लिया और लोगों ने भी उनको अंगूरी भाभी के रूप में स्वीकार कर लिया.

बदलते मौसम में होने वाली एलर्जी से ऐसे करें बचाव

बदलते मौसम में अक्सर पराग-कणों के कारण एलर्जी की शिकायत होती है. एलर्जी एक ऐसी समस्या है, जो अक्सर हमें परेशान करती है. यह किसी भी खाद्य पदार्थ, कपड़ों, मौसम के बदलावों या आनुवंशिकता की वजह से हो सकती है. धूल-मिट्टी, धुआं, पालतू पशु जैसे कुत्ता, बिल्ली, खरगोश के अलावा फूलों के पराग-कण या एलोपैथिक दवाओं के रिएक्शन से किसी को भी यह समस्या हो सकती है. ऐसे में समय रहते ही सजग होने की जरूरत है.

अक्सर हम एलर्जी को बदलते मौसम से जुड़ी मामूली समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, मगर कई बार हल्की समस्या कई गंभीर बीमारियों का सबब बन जाती है.

एलर्जी के सामान्य लक्षण

सर्दी-जुकाम, खुजली और सिरदर्द, इसके प्रमुख लक्षण हैं.

कंजंक्टिवाइटिस एलर्जी धूल, धुएं, कान्टैक्ट लेंस और सौंदर्य प्रसाधनों के इस्तेमाल से हो सकती है. इससे आंखों में लाली, पानी आना, जलन और खुजली जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं.

कुछ लोगों को पूरे शरीर में एलर्जी हो जाती है. इसके अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं. जैसे पेट में दर्द, उल्टी आना, त्वचा पर रैशेज आदि.

स्किन एलर्जी में त्वचा पर लाल रंग के रैशेज, खुजली, चकत्ते और दाने निकलना इसके प्रमुख लक्षण हैं.

अपनाएं ये उपचार

एलर्जी से बचने के लिए अपने घर और उसके आसपास गंदगी न होने दें.

एकदम गर्म से ठंडे और ठंडे से गर्म वातावरण में न जाएं, अचानक से शरीर का तापमान बदलने से एलर्जी की समस्या हो सकती है.

घर से बाहर निकलते समय मुंह और नाक पर रूमाल बांधें, आंखों पर धूप का चश्मा लगाएं. धूल-मिट्टी से बचें. यदि ऐसे प्रदूषित वातावरण में काम करना जरूरी हो तो फेस मास्क पहनना न भूलें.

कुछ लोगों को खाने-पीने की चीजों जैसे दूध, अंडा, सी-फूड, जंक फूड, चाकलेट, मशरूम आदि से एलर्जी होती है. इसे फूड एलर्जी कहते हैं. ऐसे में बाहर के खाने से परहेज करना चाहिए.

यदि पालतू जानवरों से एलर्जी है तो उन्हें घर में न रखें.

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