भारती का प्री वेडिंग वीडियो हुआ लौंच

टेलीविजन की मशहूर कौमेडियन भारती सिंह और हर्ष लिंबाचिया जल्द ही शादी के पवित्र बंधन में बंधने जा रहे हैं. वहीं हाल ही में दोनों का प्री-वेडिंग वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में भारती और हर्ष की सुपर कैमेस्ट्री देखने को मिल रही है.

वीडियो एक खूबसूरत ट्रैक के साथ सजाया गया है, ‘तुम खूबसूरत हो’. इस वीडियो में भारती बहुत सुंदर लग रही हैं वहीं इस दौरान हर्ष का भारती को प्रपोज करने का तरीका भी बहुत निराला है. कुछ वक्त पहले भारती सिंह और ब्वौयफ्रेंड हर्ष लिंबचिया की सगाई की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर छाई रहीं.

वहीं उन्होंने अपनी सगाई की जानकारी अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक तस्वीर पोस्ट करके दी थी. भारती ने अपने मंगेतर हर्ष के साथ अपनी एक फोटो इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए लिखा है “यादगार क्षण, रोका टाइम.” कुछ महीने पहले भी ऐसी खबरें आई थीं, तब भारती ने कहा था कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है. लेकिन अब यह भारती ने इंस्टाग्राम पर तस्वीर शेयर करके इसकी पुष्टि कर दी है.

भारती और हर्ष ने रिएलिटी शो नच बलिए सीजन-8 में भी हिस्सा लिया था, इस शो में उनकी परफोर्मेंस को काफी सराहा गया था. दोनों पिछले सप्ताह शो से बाहर हो गए. आपको बता दें, 3 दिसंबर को भारती और हर्ष की शादी है. इसी के साथ ही भारती और हर्ष दोनों का ये सुपर रोमांटिक प्री-वेडिंग वीडियो सामने आया है, आप भी देखें

अगर चाहिये एजुकेशन लोन तो जरा यहां ध्यान दें

सपनों को साकार करने के लिए शिक्षा जरूरी है और आजकल उच्च शिक्षा हासिल करना हर किसी के बस की बात नहीं. फीस और दूसरे खर्चे किसी भी अभिभावक की कमर तोड़ सकते हैं. पर मेधावी छात्रों को निराश होने की जरूरत नहीं. एजुकेशन लोन है न आपके सपनों को पंख लगाने के लिए. कैसे और किन्हें मिल सकता है एजुकेशन लोन आपको बताते हैं इस खास रिपोर्ट में.

अच्छी शिक्षा अब सस्ती नहीं रही, अगर आपका किसी अच्छे कौलेज या कोर्स में एडमिशन हो जाता है तो आपके सामने सबसे बड़ी चुनौती होती है संस्थान की आसमान छू रही फीस. लेकिन विभिन्न बैंकों की एजुकेशन लोन योजनाओं के कारण अब फीस आपकी राह में रोड़ा नहीं बन पाएगी. सरकारी और प्राइवेट, दोनों ही तरह के बैंक आसान शर्तों पर एजुकेशन लोन मुहैया करा रहे हैं. कुछ सामान्य से दस्तावेजों के जरिए आप एजुकेशन लोन प्राप्त कर सकती हैं.

यही नहीं, पढ़ाई पूरी करने के बाद जब आपकी नौकरी लग जाए, तब आप इसे आसान किश्तों के साथ चुका सकती हैं.

किसे मिल सकता है एजुकेशन लोन

एजुकेशन लोन हासिल करने के लिए आपको एक गारंटर की जरूरत होगी. अगर आप कर्ज चुकाने में सफल नहीं हो पाते तो गारंटर को लोन चुकाना होगा. ज्यादातर बैंक ऐसे लोगों को गारंटर मानते हैं, जिनकी नेटवर्थ या सालाना आय एजुकेशन लोन की कुल पूंजी से ज्यादा हो.

एजुकेशन लोन लेने के लिए छात्रों का शैक्षणिक रिकौर्ड अच्छा होना जरूरी है, साथ ही माता-पिता या अभिभावक के पास आय का नियमित स्त्रोत होना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर वे लोन का भुगतान कर सकें.

ज्यादातर नाबालिगों को एजुकेशन लोन नहीं मिलता, क्योंकि बैंक यह देखता है कि उनकी लोन चुकाने की क्षमता है या नहीं. लेकिन अगर आपके माता-पिता लोन चुकाने में सक्षम हैं तो आपको एजुकेशन लोन मिल सकता है.

किन कोर्सों के लिए मिलेगा एजुकेशन लोन

आज हर तरह के कोर्स के लिए एजुकेशन लोन की व्यवस्था है. अगर आप तकनीकी, मैनेजमेंट और अन्य व्यावसायिक कोर्स कर रहे हैं तो आपको आसानी से लोन मिल जाता है. इसके लिए मुख्य शर्त यह है कि आपका संस्थान सरकारी या सरकार की किसी मान्यताप्राप्त बौडी से मान्यताप्राप्त हो।.

कितनी राशि का ऋण

आवेदक के अभिभावक या खुद छात्र की ऋण चुकाने की क्षमता के आधार पर अधिकतम 10 लाख रुपये तक ऋण देने का प्रावधान है. विदेश में पढ़ाई के लिए अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये रखी गई है.

कैसे होगी ऋण की वापसी

ऋण वापसी कोर्स पूरा होने के एक साल बाद या रोजगार मिलने के छ: महीने बाद जरूरी है. ऋण वापसी शुरू होने के पांच से सात सालों के बीच पूरी होनी चाहिए. ऋण चुकाने की अवधि अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग है. यह कोर्स के आधार पर तय किया जाता है.

किन खर्चों को कवर करता है एजुकेशन लोन

  • पढ़ाई पूरी करने के लिए अन्य जरूरी खर्चे जैसे एजुकेशन टूर, शोध, प्रोजेक्ट वर्क आदि का खर्च.
  • कुछ बैंक छात्र का 50,000 रुपये तक टू-व्हीलर का खर्च भी उठाते हैं.
  • कौलेज, स्कूल, हौस्टल और ट्यूशन फीस का खर्च.
  • किताबों, शैक्षणिक उपकरणों और यूनिफौर्म का खर्च.
  • कौशन मनी, बिल्डिंग फंड, रिफंडेबल डिपौजिट, इनके लिए संस्थान के बिल और रसीदों की जरूरत होती है.
  • छात्र की विदेश यात्रा के लिए ट्रैवल अलाउंस
  • अगर कोर्स पूरा करने के लिए कंप्यूटर खरीदना अनिवार्य हो तो उसकी खरीद का खर्च
  • परीक्षा शुल्क, लाइब्रेरी और लैबोरेटरी शुल्क

एजुकेशन लोन पाने के लिए योग्यता

  • आवेदक की उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच हो.
  • आवेदक भारतीय नागरिक हो.
  • प्रवेश परीक्षा या चयन प्रक्रिया के जरिए व्यावसायिक या तकनीकी कोर्स में प्रवेश लिया गया हो.
  • यह योजना केवल देश-विदेश के मान्यताप्राप्त तकनीकी और व्यावसायिक पाठय़क्रमों के लिए है.
  • आवेदक पर किसी अन्य बैंक या बैंकों का ऋण बकाया न हो.
  • शिक्षा ऋण के लिए केवल अपने नजदीकी बैंक की शाखा में अनुरोध किया जाना चाहिए.

गरीब छात्रों के लिए भी आसान लोन की व्यवस्था

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (कुल पारिवारिक आय सालाना 4.50 लाख रुपये से कम) के लिए मानव संसाधन विभाग की केंद्रीय योजनाओं के तहत कुछ प्रावधान हैं. इसके तहत भारत में तकनीकी और व्यावसायिक कोर्स के लिए एजुकेशन लोन के ब्याज पर सब्सिडी दी जाती है. यह पूंजी एक निश्चित समय के लिए दी जाती है.

शिक्षा ऋण के लिए जरूरी दस्तावेज

  • आवेदन पत्र.
  • उत्तीर्ण परीक्षा का अंक पत्र.
  • प्रवेश प्रमाणपत्र, व्यय के विवरण तथा कोर्स की अवधि.
  • शुल्क की संरचना (कौलेज/विश्वविद्यालय से प्राप्त प्रमाण-पत्र).
  • दो पासपोर्ट साइज फोटो.
  • उम्मीदवार/माता-पिता/अभिभावक तथा गारंटर (जो भी लागू हो) का पहचान पत्र (पासपोर्ट, आईडी कार्ड, मतदाता पहचान पत्र या पैन कार्ड).
  • आवास प्रमाण-पत्र (राशन कार्ड या मतदाता पहचान- पत्र या पासपोर्ट अथवा बिजली या टेलीफोन बिल की फोटो कौपी अथवा बैंक द्वारा कोई अन्य स्वीकार्य प्रपत्र).
  • गारंटर से जुड़े विवरण (जब ऋण की राशि 4 लाख रुपये से अधिक हो).
  • ऋणकर्ता/गारंटर की आय का प्रमाण पत्र.
  • माता-पिता/ अभिभावक की सह-जिम्मेदारी वाला कथन.
  • इस आशय की घोषणा/ शपथ-पत्र कि किसी भी अन्य संस्थान से माता-पिता तथा छात्र-छात्र ने किसी प्रकार का ऋण नहीं लिया है.

विदेशों से लोग भारत के इस गांव में आते हैं खेती सीखने

घूमने-फिरने के शौकीन लोगों में से किसी को पहाड़ पसंद है तो किसी को नदियां, झरने और तालाब. अपनी पसंद के हिसाब से ही लोग अपनी ट्रिप प्लान करते हैं.

लेकिन अगर कोई आपसे ये कहे कि एक ऐसी अनोखी जगह है, जहां पर हरियाली और पहाड़ों को करीब से जानने का मौका मिलेगा, तो शायद ही आप उस जगह पर जाने के लिए खुद को रोक पाएं. देहरादून में एक ऐसी ही जगह है, जहां पर देश-विदेश से टूरिस्ट और्गेनिक फार्मिंग (जैविक खेती) करने के लिए आते हैं. आइए, हम आपको बताते हैं इस दिलचस्प जगह के बारे में.

देहरादून का छोटा-सा गांव रामगढ़

देहरादून का छोटा सा गांव रामगढ़, जहां किसी जमाने में पलायन करने वालों की तादाद इतनी ज्यादा बढ़ गई थी, कि ये गांव खाली हो चुका था.

लेकिन समय के साथ यहां पर जैविक खेती पर काम किया जाना शुरु हो गया. इस खेती की सबसे खास बात ये थी कि यहां टूरिस्ट सिर्फ घूमने फिरने नहीं बल्कि खेती के नए-नए गुण सीखने के लिए आते हैं. हर साल देश के विभिन्न क्षेत्रों के साथ ही जापान, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, आस्ट्रेलिया, अमेरिका आदि देशों से दो हजार से अधिक छात्र और किसान जैविक खेती के गुर सीखने दून के इस छोटे से गांव में पहुंच रहे हैं.

टूरिस्ट घूमने ही नहीं बल्कि सीखने आते हैं खेती

देश-विदेश से आए ये टूरिस्ट यहां घूमने-फिरने के अलावा यहां ठहरकर खेती को न सिर्फ करीब से देखते हैं बल्कि खुद भी जैविक खेती में हाथ बटाते हैं.

यहां टूरिस्ट के रुकने के लिए खास इंतजाम किए जाते हैं. कैम्प में रहकर टूरिस्ट मिल जुलकर खाना बनाते हैं. जो उनके लिए किसी एडवेंचर से कम नहीं है.

तो, अगर आप भी पहाड़ और हरियाली दोनों को एक साथ करीब से देखना चाहते हैं, तो एक बार देहरादून रामगढ़ जरुर जाएं, हो सकता है सैर-सपाटे के साथ आपको यहां कोई बिजनेस आईडिया भी मिल जाए.

कहने से क्या होता है

सुप्रीम कोर्ट ने औरतों को राहत देने वाला एक निर्णय दिया है कि गर्भपात का अधिकार केवल औरतों का ही है और इस में उन्हें पति की सहमति की भी आवश्यकता नहीं है. एक अस्पताल पर रूठे हुए अलग रह रहे पति के मुआवजे के मामले को खारिज करते हुए पहले उच्च न्यायालय ने और फिर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि औरतें कोई मशीन नहीं कि उन का हुआ बच्चा पति की संपत्ति है. औरत अपनी इच्छा से बच्चा पैदा कर सकती है और गर्भपात भी करा सकती है.

जो औरतें कन्या भ्रूण हत्या पर हल्ला मचाती रहती हैं उन्हें मालूम होना चाहिए कि यह हक कि गर्भ में लड़की है या लड़का, जानना और उसे जन्म देना या नहीं देना उन्हीं का खुद का हक है और वे नाहक पतियों, सासों, ससुरालियों को दोष देती रहती हैं और बेटियों के बारे में कविताएं, कहानियां गढ़ती रहती हैं.

अगर गर्भ रखने और बच्चा पैदा करने का हक है ही औरत का तो बेटा हो या बेटी यह निर्णय भी तो उसी का हुआ न. समाज अगर दूसरी, तीसरी या चौथी बेटी पर भौंहें चढ़ाता है तो दोषी औरतें खुद हैं. 2 बेटियों के बाद जो औरतें तीसरे बच्चे का रिस्क लेती हैं वे खुद पुत्र मोह में फंसी रहती हैं पर दोष पति या सास को देती हैं जबकि कानूनी व्यवस्था साफ है कि अगर 2 के बाद गर्भ ठहर जाए तो गर्भपात का हक औरत और केवल औरत को है.

असल बात यह है कि हमारी शिक्षित औरतें बेहद अंधविश्वासी व रूढि़वादी हैं और जहां एक तरफ आईफोन और लैपटौप इस्तेमाल करती हैं, वहीं दूसरी तरफ उसी में कुंडली बनवाती हैं, वास्तु के ऐंगल ढूंढ़ती हैं और राशिफल पढ़ती हैं. उन में तार्किक दृष्टि है ही नहीं, क्योंकि धर्म की रक्षा का जनून उन के सिर पर इस तरह सवार रहता है कि उस के लिए हजारों मील का सफर कर के कभी तिरुपति तो कभी बदरीनाथ पहुंचती हैं और वहां मोबाइलों से सैल्फी ले कर खुद को आधुनिक कहती हैं.

गर्भपात के अधिकार का इस्तेमाल न कर के समाज को दोष देना और सामाजिक नियमों को सही मानना जैसा दोगलापन हमारी शिक्षित आधुनिकाओं का गहना है, जो बात अंगरेजी में करती हैं पर रटती संस्कृत में हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सही कहा है पर कहने से क्या होता है?

धर्म हटाओ औरत बचाओ

औरतों की सुरक्षा के मामले में अगर गोवा, केरल, मिजोरम, सिक्किम, मणीपुर आदि राज्य सब से सुरक्षितों में से हैं तो बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सब से असुरक्षितों में. जैंडर वल्नेरैबिलिटी इंडैक्स एक अर्धसरकारी संस्था प्लान इंडिया ने बनाया है और इस में जीरो से 1 तक अंक दिए गए हैं. गोवा को 0.656 स्तर दिया गया है तो दिल्ली को 0.436, उत्तर प्रदेश को 0.434 और  बिहार को 0.410.

जो सुरक्षित राज्य हैं वहां औरतों को आजादी भी है, उन के साथ हिंसा भी कम होती है और वहां लड़कालड़की में भेद भी कम है. अच्छे राज्यों में औरतें अपना मनपसंद साथी चुन सकती हैं और खराब राज्यों में ऐसा करने पर मारपीट व हत्या तक हो सकती है.

इस रिपोर्ट ने एक भेद का एक कारण जो नहीं बताया वह यह कि सुरक्षित राज्यों में धर्म का बोलबाला कम है और असुरक्षित राज्यों में ज्यादा. असुरक्षित राज्यों में धर्म के चाबुक से औरतों पर रातदिन प्रहार होते हैं. उन्हें घर में भी ढंग से जीने नहीं दिया जाता, क्योंकि यही तो धर्म कहता है.

जिस समाज में सोच ‘ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी सकल ताड़ना के अधिकारी’ पर टिकी हो और जहां रातदिन धार्मिक गुणगान करा जाता हो तथा धर्माधिकारी राज कर रहे हों वहां तो ऐसा होना स्वाभाविक ही है. तुलसीदास ने ही नहीं, हमारे यहां हर पूजे जाने वाले देवीदेवता को खंगालेंगे तो स्त्री प्रताड़ना का उदाहरण सामने आ जाएगा. जो भी समाज जब भी औरतों को केवल खिलौना या गुलाम समझेगा, ऐसा होना स्वाभाविक ही है. आज इसलाम औरतों को बहुत अंकुशों में बांध रहा है और वहां औरतें घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं. पूरा पश्चिमी एशिया धर्म की लगाई आग में जल रहा है और अंगारे कभी यूरोप, कभी अमेरिका तो कभी भारत पर भी आ गिरते हैं.

जिन देशों में धर्म का जोर कम है वे बहुत उन्नति कर रहे हैं. चीन, जापान, कोरिया पर पश्चिमी देश कभी राज नहीं कर पाए जबकि भारत, पश्चिमी एशिया और अफ्रीका पर उन्होंने आसानी से राज कर लिया.

औरतों की सुरक्षा उन के सम्मान से आती है और जिस समाज में यह न हो वह कमजोर रहता है, अपने पैरों पर खड़ा नहीं रह सकता, आक्रमणकारी से लड़ नहीं सकता.

दिल्ली में धर्म का जोर दिखता नहीं है पर जितने मंदिर यहा हैं उतने शायद बड़ेबड़े राज्यों में भी नहीं होंगे. यहां जिस तरह का धार्मिक धंधा हर रातदिन चलता है उतना कहीं और न चलता होगा. दिल्ली की उन्नति का राज उस के निवासियों की मेहनत नहीं, यहां केंद्र सरकार की सीट होना है जो देश भर से टैक्स और रिश्वत का पैसा वसूलती है और दिल्ली के नेताओं, कर्मचारियों, व्यापारियों को देती है. औरतों को तो डेढ़ रत्ती के बराबर का नहीं पूछा जाता.

काश, कोई धर्म के पागलपन का इंडैक्स बनाए तो सरकारी ओहदे वाले ही नंबर-1 दिखेंगे जो हर मूर्ति के आगे सिर टेके रहते हैं. जब तक धर्म का बोलबाला रहेगा, औरतें असुरक्षित रहेंगी.

मेकअप टिप्स फौर कालेजगोइंग गर्ल्स

कालेज लाइफ हर किसी की जिंदगी का एक अहम फेज होता है जिसे जीने के लिए हर कोई खासतौर पर लड़कियां, पहले से तैयारियां शुरू कर देती हैं. स्कूल लाइफ को अलविदा कह कर कालेज में ऐंट्री और सब से अलग दिखने का क्रेज, ये सब टीनेज में ही होता है. युवतियां अपने मेकअप को ले कर इस उम्र में बहुत चीजें ट्राई करती हैं. चलिए, आप को बताते हैं कि उम्र के इस दौर में क्या फैशन फंडा अपनाना चाहिए जिस से आप लगें सब से डिफरैंट और सब से खूबसूरत.

कालेजगोइंग गर्ल्स की इसी चाहत को ध्यान में रखते हुए सब से तेज मेकअप करने में गिनीज बुक रिकौर्ड बनाने वाली, एयरब्रश मेकअप ऐक्सपर्ट और मधुर भंडारकर की फिल्म ‘इंदु सरकार’ से ऐक्ट्रैस की नई पारी शुरू करने वाली इशिका तनेजा से लेते हैं कुछ खास मेकअप टिप्स, जो देशविदेश के अभिनेताअभिनेत्रियों, डिजाइनर्स और मशहूर गायकों के साथ काम करने के अलावा एल्पस कौस्मेटिक क्लीनिक की एक्जीक्यूटिव डायरैक्टर हैं.

– ऐग्जाम, मार्क्स और ऐडमिशन के टैंशन की निशानियां जैसे डार्क सर्कल्स वगैरा आदि आप के चेहरे पर साफ नजर आती हैं. ऐसे में इन प्रौब्लम्स को कलर करैक्शन फाउंडेशन क्रीम यानी सीसी क्रीम की मदद से छिपाया जा सकता है. इसे लगाने के लिए अपने हाथों में क्रीम लें और फिंगर की सहायता से पूरे चेहरे पर छोटेछोटे डौट्स लगा कर ब्रश से मर्ज कर लें.

– ब्लशर के बजाय बौंजर का इस्तेमाल करें. इसे फेस के आउटर कौर्नर और चीक बोन के नीचे पाउडर ब्रश की सहायता से ब्लैंड करते हुए लगाएं. इस से आप का फेस पतला नजर आएगा. इस के अलावा बौंजर का इस्तेमाल स्किन पर ग्लो लाता है और आप को खूबसूरत बना देता है.

–  ड्रैस से मैचिंग या फिर कौंप्लिमैंट करते हुए शेड जैसे एमरल्ड ग्रीन, इलैक्ट्रिक, ब्लू, वौयलेट आदि से आप अपनी आइज को सजा सकती हैं.

इन दिनों ट्रैंड के मुताबिक, कलर लाइनर से आप अपनी आइज कोइविंग्ड स्टाइल से भी सजा सकती हैं. यह आप की आंखों की शेप को अच्छे से डिफाइन भी करेगा, साथ ही, इसे लगाने के बाद आप को ज्यादा मेकअप करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. इस मौसम में आई मेकअप के लिए प्रौडक्ट्स वाटरप्रूफ ही इस्तेमाल करें. पलकों को आईलैश कलर से कलर कर उन पर मसकारा का डबल कोट लगाएं.

– बबलगम पिंक या लाइट कोरल जैसे लाइट लिप शेड्स इस सीजन में आप की खूबसूरती को निखारेंगे और उम्र की मासूमियत को भी बरकरार रखेंगे.

– सैक्सी लुक के लिए बालों को मेसी लुक दे कर साइड बन या ब्रेड बना सकती हैं. इस स्टाइल को और भी खूबसूरत बनाने के लिए उसे स्टाइलिश व फंकी ऐक्सेसरीज से सजा सकती हैं या फिर कलरफुल रिबन के साथ ब्रेड को बना सकती हैं.

इन सब के अलावा इन दिनों रैड और वौयलेट कलर पौपुलर हैं, ऐसे में आप बालों के एज्स में ब्राइट कलर करवा सकती हैं. इस से आप की पर्सनैलिटी में एक अलग ही अट्रैक्शन आएगा. इन के अलावा कुछ दूसरे हेयरस्टाइल भी बना सकती हैं.

सब से पहले बालों को प्रैसिंग मशीन से स्ट्रेट कर लें. इस के बाद ईयर टू ईयर पार्टीशियन कर के फ्रंट और बैक के बालों को अलग कर दें. फ्रंट के बालों को पिनअप कर लें और पीछे के थोड़े से बालों में फेस के मुताबिक पफ बना लें. बचे हुए बालों को प्रैसिंग मशीन से एक बार और फिनिशिंग दें. अब फ्रंट के बालों में एक कान से दूसरे कान की तरफ जाती हुई फ्रैंच चोटी बना लें और चोटी को पीछे ले जा कर पिनअप कर लें. फ्रैंच चोटी बनाने के लिए बीच के बालों को 3 हिस्सों में बांट लें और उन की चोटी बनानी शुरू करें. फिर टेल कौंब के सहारे लैफ्ट साइड से थोड़े से बाल उठाएं और चोटी के राइट वाले भाग में मिला दें.

इसी प्रकार कौंब की मदद से ही राइट साइड के बाल भी उठाएं और लैफ्ट पार्ट में मिला दें. इस पूरे प्रौसीजर को अंत तक यों ही करते रहें, फ्रैंच चोटी तैयार हो जाएगी. इस स्टाइलिश लुक में फैशनेबल रंग डालने के लिए अपनी ड्रैस के कलर से मैचिंग बीड्स लगा लें या फिर स्वरोस्की लगा कर सजाएं.

बालों को फ्रंट से साइड पार्टिंग करने के बाद राइट साइड से बालों को ट्विस्ट करते हुए पीछे की ओर ले कर आएं. फिर अपने लैफ्ट साइड से भी इसी तरह अपने बालों को ट्विस्ट करते हुए साइड में ले कर आएं और दोनों को एकदूसरे के ऊपर ट्विस्ट करते हुए ट्विस्टिंग रोल चोटी बना लें. आप चाहें तो दोनों के बीच में दूसरे कलर की हेयर ऐक्सटैंशन भी यूज कर सकती हैं. 

हमारे साथ चलिए अरुणाचल प्रदेश की सैर पर

ट्रैकिंग करना तो लगभग हर किसी को पसंद होता है, लेकिन रोजमर्रा के काम काज से फुर्सत कहां मिलती है, लेकिन अगर आप अपने रोज के काम धाम से बोर हो चुकी हैं और अपने दोस्तों के साथ कुछ फुर्सत के पल साथ में बिताना चाहती हैं तो आज हम आपको अरुणाचल प्रदेश के सफर पर ले जाने आएं हैं, जिन जगहों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वो ट्रैकिंग के लिये खासी प्रसिद्ध हैं.

ईटानगर

अरुणाचल प्रदेश का वाणिज्यिक केंद्र और राजधानी ईटानगर भी हिल स्‍टेशन के रूप में प्रसिद्ध है. यह इलाका ट्रैकिंग वे के लिए जाना जाता है. ईटानगर में सर्दियों में घूमने का अलग ही मजा है. यहां बना ईटा किला पयर्टकों को अपनी ओर आकर्षि‍त करता है. इसके अलावा गोम्पा बौद्ध मंदिर, ईटानगर संग्राहलय जैसे यहां कई आकर्षण केन्द्र हैं. यहां जाने के लिए गुवाहाटी से पयर्टक हवाई सफर या फिर बस सफर को चुन सकते हैं. 

पासीघाट

पासीघाट अरुणाचल प्रदेश राज्‍य का काफी पुराना शहर है. पर्यटकों के बीच यह जगह वौटर स्‍पोर्ट के लिए काफी पौपुलर है. समुद्रतल से 155 मीटर की ऊंचाई पर बने पासीघाट की मनोरम पहाड़ियों में घूमना काफी अच्‍छा लगता है. फोटोग्राफी के लिए सिआंग नदी के किनारे घनी हरियाली का नजारा बहुत ही खूबसूरत लगता है. यहां जंगली वन्यजीव अभयारण्य, मौलिंग नेशनल पार्क और जेनगिंग आदि रोमाचंक जगहें हैं.

जीरो

अगर आप विश्व धरोहर स्‍थल और खूबसूरत हिल स्‍टेशन घूमना चाहते हैं तो फिर अरुणाचल प्रदेश का जीरो एक अच्‍छी जगह सा‍बि‍त होगा. जीरो का सुंदर पाइन ग्रोव बेहद खूबसूरत पिकनिक स्‍थल है. जीरो हिल स्‍टेशन इटानगर से 115 किलोमीटर के दायरे में फैला है. यह जि‍तना ज्‍यादा खूबसूरत उतनी ही पयर्टकों की भीड़ कम होने से शांत रहता है. इतना ही नहीं जीरो में ब्‍यूटी हाई एल्टीट्यूड फिश फार्म देखे जा सकते हैं.

बोमडिला

बोमडिला भी अरुणाचल प्रदेश के खूबसूरत हिल स्‍टेशन में से एक है. यह समुद्र तल से 8000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है. यह शांत बर्फ से ढंके पहाड़ों कांगटो और गोरिचेन चोटियों से घिरा हुआ है. बोमडिला का सबसे महत्वपूर्ण स्थान बोमडिला मठ है. सेसा और्किड अभयारण्य यहां के आकर्षण का मुख्‍य केंद्र है. बोमडिला फैमि‍ली ट्रि‍प के लिए अच्‍छा स्‍थान है. यहां पर साल भर पयर्टकों को आना जाना रहता है.

तवांग

तवांग भारत के अरुणाचल प्रदेश में पहाड़ों के बीच में बसा है. तवांग काफी छोटा जिला है लेकिन इसकी रहस्यमयी और जादुई खूबसूरती देखते ही बनती हैं. यहां की सुंदर वादियों में घूमने का एक अलग ही मजा है. यहां सूर्योदय के समय निकलने वाली पहली किरणों के बीच बर्फ से ढकी चोटि‍यां बेहद खूबसूरत लगती हैं. यहां पर पयर्टकों को घूमने के दौरान धर्म और सांस्‍कृति का एक अनोखा रूप देखने को मिलता है.

ये पौलिसी आपके लिये है फायदे का सौदा

कई बीमा कंपनियों ने महिलाओं की जरूरतों के मुताबिक खास प्रोडक्ट लांच किए हैं. इस प्रकार की योजनाओं में लाइफ इंश्‍योरेंस, गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताएं, ब्रेस्‍ट कैंसर, गर्भाशय का कैंसर आदि विभिन्न तरह के कैंसर, कंजेनिटल डिसैबिलिटी बेनिफिट आदि शामिल हैं. आज हम खास तौर पर महिलाओं के लिये डिजाइन की गई कुछ खास बीमा पौलिसियों के बारे में जानेंगें.

HDFC लाइफ स्मार्ट वीमेन प्लान

  • यह HDFC लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की एक ULIP है. इसे खास तौर पर महिलाओं के लिए ही डिजाइन किया गया है.
  • इसमें कंप्रिहेंसिव कवरेज पौलिसी है जिसके तहत प्रेगनेंसी कंप्लीकेशंस व कंजेनिटल कंडीशंस या महिलाओं में होने वाले कैंसर को कवर किया जाता है.
  • इन गंभीर हालातों में बीमा कंपनी आपको प्रीमियम की माफी और फंडिंग मुहैया करा कर मन की शांति भी देती है ताकि आप बीमारी से उबर सकें.
  • अपनी जिंदगी को पटरी पर लाएं साथ ही आपका निवेश भी लगातार बढ़ता रहे.
  • इसका न्यूनतम प्रीमियम 24,000 रुपए और अधिकतम एक लाख रुपए सालाना है.
  • पौलिसी की अवधि 10 या 15 वर्ष हो सकती है तथा सम एश्योर्ड सालाना प्रीमियम का 40 गुना तक हो सका है.

बजाज अलियांज वीमेन क्रिटिकल इलनेस प्लान

  • बजाज अलियांज लाइफ इंश्योरेंस कंपनी का यह वीमेन स्‍पेसिफिक क्रिटिकल इलनेस प्लान है जिसमें विभिन्न बीमारियों के जोखिमों को कवर किया जाता है.
  • यह फैलोपियन ट्यूब कैंसर, गर्भाशय/सर्वाइकल कैंसर, ओवेरियन कैंसर, पैरालिसिस व बर्न जैसी गंभीर बीमारियों के मामले में 100 फीसदी कवरेज देता है.
  • इसके साथ ही इसमें स्‍पाइना बिफिडा, ट्रेकियो-ओइसोफेगल फिश्चुला व डाउंस सिंड्रोम के साथ बच्चा जन्म लेने पर सम एश्योर्ड का 50 फीसदी के भुगतान का प्रावधान भी है.
  • यह प्रोडक्ट 25 से 55 वर्ष तक की महिलाओं के लिए उपलब्घ है जिसका सम एश्योर्ड 50,000- 2,00,000 लाख रुपए तक है.
  • उम्र और सम एश्योर्ड के आधार पर इसका प्रीमियम लगभग 5,500 रुपए तक है.
  • सम एश्योर्ड की एकमुश्त राशि का भुगतान पौलिसी धारक के क्रिटिकल इलनेस के डायग्‍नोसिस के 30 दिनों बाद तक जीवित रहने पर किया जाता है.

बिड़ला सन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी का क्रिटिकल इलनेस वीमेन राइडर

  • यह राइडर इस कंपनी की किसी जीवन बीमा योजना या एंडोमेंट योजना के साथ लिया जा सकता है.
  • आपका मूल प्लान जहां जीवन बीमा कवर देता है वहीं यह राइडर हार्ट अटैक्‍स, मेजर और्गन ट्रांसप्‍लांट, कैंसर और स्‍ट्रोक होने पर राइडर के 100 फीसदी सम एश्‍योर्ड का भुगतान करता है.
  • यह राइडर 18 से 65 वर्ष तक की महिलाओं के लिए उपलब्‍ध है.
  • इसका न्‍यूनतम सम एश्‍योर्ड 75,000 रुपए और अधिकतम 50 लाख रुपए है बशर्ते मूल जीवन पॉलिसी का सम एश्‍योर्ड भी उतना ही हो.

कंजंक्टिवाइटिस : आंखों की बीमारी

कंजंक्टिवाइटिस आंखों का विकार है जिस में कंजंक्टाइवा में जलन या सूजन होती है. कंजंक्टाइवा, वास्तव में, कोशिकाओं की एक पतली पारदर्शी परत होती है, जो पलकों के अंदर के हिस्से और आंख के सफेद हिस्से को ढकती है.

अकसर पिंक आई के नाम से बुलाया जाने वाला कंजंक्टिवाइटिस आंख का सामान्य किस्म का विकार है, जो खासतौर से बच्चों को घेरता है. यह एक या दोनों आंखों को प्रभावित कर सकता है. कंजंक्टिवाटिस के कुछ प्रकार बेहद संक्रामक होते हैं और आसानी से घर व स्कूल दोनों जगह फैल सकते हैं. यों तो कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर आंख का एक मामूली संक्रमण होता है लेकिन कईर् बार यह गंभीर समस्या में भी बदल जाता है.

वायरल या बैक्टिरियल संक्रमण से भी कंजंक्टिवाइटिस हो सकता है. यह हवा में मौजूद एलर्जी पैदा करने वाले तत्त्वों, जैसे पौलन (परागकण) और धुआं, स्विमिंग पूल में पड़ी क्लोरीन, कौस्मेटिक्स में मौजूद तत्त्वों या आंख के संपर्क में आने वाले कौंटैक्ट लैंस जैसे अन्य तत्त्वों के कारण एलर्जिक रिऐक्शन से हो सकता है. यौन संक्रमण, जैसे क्लेमाइडिया और गोनोरिया के कारण कंजंक्टिवाइटिस होने की आशंका बहुत कम होती है.

कंजंक्टिवाइटिस से पीडि़त लोगों को ये लक्षण महसूस हो सकते हैं :

– एक या दोनों आंखों में किरकिरी महसूस होना.

– एक या दोनों आंखों में जलन या खुजली होना.

– आंख से अधिक पानी बहना.

– पलकों में सूजन.

– एक या दोनों आंखों के सफेद हिस्से में गुलाबीपन आना.

– आंखों में रोशनी चुभना.

कंजंक्टिवाइटिस की वजह

कंजंक्टिवाइटिस के 3 मुख्य प्रकार होते हैं- एलर्जिक, संक्रामक और रासायनिक. कंजंक्टिवाइटिस की वजह उस के प्रकार पर निर्भर करती है.

एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस

– एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर उन लोगों को होता है जिन्हें मौसम बदलने के कारण एलर्जी होती है. उन्हें आंख के किसी ऐसे तत्त्व के संपर्क में आने पर कंजंक्टिवाइटिस होता है, जिस से आंख में एलर्जिक रिऐक्शन शुरू होता है.

– जौइंट पैपिलरी कंजंक्टिवाइटिस, एक प्रकार का एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस होता है, जो आंख में लंबे समय तक किसी बाहरी तत्त्व के रहने के कारण होता है. सख्त कौंटैक्ट लैंस, सौफ्ट लैंस पहनने लेकिन उन्हें लंबे समय तक नहीं बदलने वाले, आंख की सतह पर एक्सपोज्ड हो या प्रौस्थेटिक आंख हो, ऐसे लोगों को कंजंक्टिवाइटिस होने की आशंका अधिक होती है.

संक्रामक कंजंक्टिवाइटिस

– बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस, यह संक्रमण आप की त्वचा या श्वास प्रणाली से आने वाले स्टेफाइलोकोकल या स्ट्रैप्टोकोकल बैक्टीरिया के कारण होता है. कीट, अन्य लोगों के साथ शारीरिक संपर्क, साफसफाई नहीं होने (गंदे हाथों से आंख छूना) या प्रदूषित आई मेकअप का इस्तेमाल करना या फिर चेहरे पर लगाने वाले लोशन से भी संक्रमण हो सकता है. मेकअप सामग्री साझा करना या किसी और के कौंटैक्ट लैंस पहनने या फिर गंदे कौंटैक्ट लैंस पहनने से भी बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस हो सकता है.

– वायरल कंजंक्टिवाइटिस सब से आम प्रकार का संक्रमण है और यह सामान्य कोल्ड से जुड़े वायरसों के कारण होता है. यह किसी ऐसे व्यक्ति की खांसी या छींक के कारण हो सकता है, जिसे श्वास की नली के ऊपरी हिस्से में संक्रमण हो. वायरल कंजंक्टिवाइटिस, फेफड़े, गले, नाक, टीअर डक्ट और कंजंक्टाइवा को जोड़ने वाले शरीर के म्यूकस मेंब्रेन में वायरस के प्रसार के कारण भी हो सकता है. चूंकि आंसू नाक की नली से बाहर आते हैं, ऐसे में जबरदस्ती नाक साफ करने से मुमकिन है कि वायरस आप की श्वास प्रणाली से आप की आंखों में पहुंच जाए.

– औप्थैलमिया नियोनैटोरम, एक गंभीर प्रकार का बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस है, जो नवजात शिशुओं में होता है. यह बेहद गंभीर समस्या हो सकती है और अगर इस का तुरंत इलाज नहीं किया गया तो इस से आंखों को स्थायी तौर पर नुकसान भी हो सकता है. औप्थैलमिया नियोनैटोरम की समस्या तब होती है जब गर्भाशय से निकलते समय नवजात क्लेमीडिया या गोनोरिया के संपर्क में आए.

रासायनिक कंजंक्टिवाइटिस

– कैमिकल कंजंक्टिवाइटिस की वजह वायु प्रदूषण, स्विमिंग पूल में पड़ी क्लोरीन और हानिकारक रसायनों के संपर्क में आना हो सकती है.

जांच

कंजंक्टिवाइटिस की जांच गहन आंख परीक्षण से की जा सकती है. इस में कंजंक्टाइवा और उस के आसपास की कोशिकाओं पर विशेष ध्यान से टैस्ट किए जाते हैं और इन में निम्न भी शामिल हो सकते हैं :

– रोगी का इतिहास, जिस से लक्षणों को पहचानने में मदद मिले, पता चल सके कि लक्षण कब शुरू हुए और क्या इस समस्या में पर्यावरण संबंधी या सामान्य स्वास्थ्य संबंधी समस्या का भी योगदान है.

– दृश्यता मापना जिस से यह पता लगाया जा सके कि दृश्यता प्रभावित हुई है या नहीं.

– कंजंक्टाइवा और आंखों की बाहरी कोशिकाओं का आकलन तेज रोशनी और मैग्निफिकेशन के इस्तेमाल से.

– आंख के अंदर के ढांचे का आकलन जिस से सुनिश्चित हो सके कि इस स्थिति से कोई अन्य कोशिका प्रभावित नहीं हुई है.

– पूरक टैस्टिंग, जिस में कंजंक्टाइवा से प्रभावित कोशिका का एक हिस्सा लिया जा सकता है. यह लंबे समय तक रहने वाले कंजंक्टिवाइटिस या जब इलाज के बावजूद परिस्थिति नहीं सुधर रही हो, उस मामले में बेहद महत्त्वपूर्ण होता है.

इलाज

कंजंक्टिवाइटिस इलाज के 3 मुख्य लक्ष्य होते हैं :

– रोगी का आराम बढ़ाना.

– संक्रमण या सूजन को घटाना या कम करना.

– कंजंक्टिवाइटिस के संक्रामक रूप में इस संक्रमण को फैलाने से रोकना भी इस का प्रभावी इलाज है.

कंजंक्टिवाइटिस का उपयुक्त इलाज उस के होने की वजह पर निर्भर होता है जैसे :

– एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस, पहला कदम अगर मुमकिन हो तो आंख को इरिटेट करने वाले तत्त्वों को निकालें या उन से दूर रहें. हलके मामलों में कूल कंप्रैस और आर्टिफिशियल आंसू असहजता दूर कर देते हैं.

ज्यादा गंभीर मामलों में नौन स्टीरौयडल ऐंटी इनफ्लेमैटरी दवाएं और ऐंटीहिस्टामिंस भी दिए जा सकते हैं. लगातार एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस होने की समस्या झेल रहे लोगों को टौपिकल स्टीरौयड आई ड्रौप की भी जरूरत होती है.

– बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस, इस प्रकार के कंजंक्टिवाइटिस को आमतौर पर एंटीबायोटिक आई ड्रौप्स या मरहम से ठीक किया जाता है. इलाज के 3 से 4 दिनों में बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस ठीक होने लगती है लेकिन यह दोबारा नहीं हो, इस के लिए रोगी को ऐंटीबायोटिक्स का कोर्स पूरा करना पड़ता है.

– वायरल कंजंक्टिवाइटिस, कोई भी ड्रौप या मरहम वायरल कंजंक्टिवाइटिस

को ठीक नहीं कर सकता है. एंटीबायोटिक्स से वायरल संक्रमण ठीक नहीं होगा. सामान्य कोल्ड की तरह वायरस का भी अपना पूरा कोर्स करना होगा, जिस में 2 से 3 सप्ताह लग सकते हैं. इन लक्षणों को कूल कंप्रैस और आर्टिफिशियल टीअर सौल्यूशंस से दूर किया जा सकता है. सब से खराब मामलों में असहजता और जलन को कम करने के लिए टौपिकल स्टीरौयड ड्रौप्स दिए जा सकते हैं. हालांकि इन ड्रौप्स से संक्रमण कम नहीं होगा. हालांकि सैकंडरी बैक्टीरियल संक्रमण होने पर ऐंटीबायोटिक ड्रौप्स दिए जा सकते हैं.

– कैमिकल कंजंक्टिवाइटिस, कैमिकल कंजंक्टिवाइटिस होने पर नमकीन पानी से लगातार अपनी आंखों को धोना सब से सामान्य इलाज है. कैमिकल कंजंक्टिवाइटिस से पीडि़त लोगों को भी टौपिकल स्टीरौयड्स इस्तेमाल करने की जरूरत हो सकती है, जिस में स्कारिंग हो सकती है, आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंच सकता है या फिर लोगों की आंखों की रोशनी जा भी सकती है. अगर आप की आंख में कोई कैमिकल गिर जाता है तो कई मिनटों तक अपनी आंखों को पानी से धोते रहें और फिर अपने डाक्टर के पास जाएं.                      

खुद देखभाल करें

कंजंक्टिवाइटिस का प्रसार रोकने के लिए साफसफाई रखना सब से जरूरी है. एक बार संक्रमण का पता चल जाए तो इन बातों का पालन करें:

– आंखों को हाथों से नहीं छुएं.

– अच्छी तरह और बारबार अपने हाथ धोएं.

– रोजाना अपना तौलिया और कपड़े बदलें, और उन्हें किसी भी अन्य के साथ साझा नहीं करें.

– आंखों के कौस्मेटिक्स का प्रयोग बंद कर दें विशेषतौर पर मस्कारा का.

– किसी अन्य व्यक्ति के आई कौस्मेटिक्स या निजी आईकेयर उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करें.

– कौंटैक्ट लैंस की सही देखभाल के लिए आंखों के डाक्टर की सलाह मानें.

– डा. नीरज संदूजा, सीनियर कंसल्टैंट, फोर्टिस अस्पताल, गुरुग्राम.

हर लड़की के अंदर है एक पद्मावती : दीपिका पादुकोण

फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली मौडल और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण सबसे अधिक चर्चित और लोकप्रिय हैं. उनकी प्रंसशकों की संख्या करोड़ों में है. अभिनेत्री के अलावा वह एक खिलाड़ी भी हैं, इसलिए हमेशा फिट दिखती हैं. फैशन मौडल बनने की इच्छा में उन्होंने खेल से नाता तोड़ लिया और अभिनय की ओर  बढ़ गयीं. वह शांतप्रिय हैं और हमेशा अपने काम और परिवार के ऊपर फोकस्ड रहती हैं. पद्मावती को लेकर काफी विरोध हो रहा है, जिस कारण से फिल्म की रिलीज भी टालनी पड़ी. इससे वह परेशान और दुखी हैं. उनसे मिलकर बात हुई, पेश है अंश.

इस कहानी की कौन सी बात आपको सबसे अधिक अच्छी लगी?

पद्मावती की वीरता मुझे अच्छी लगी, क्योंकि हर एक हिन्दुस्तानी लड़की के अंदर कहीं न कहीं एक पद्मावती छिपी हुई है. कुछ कह पाती हैं कुछ नहीं, लेकिन यह सब में है और यही मेरे लिए प्रेरणा थी. इसमें पद्मावती की वीरता के अलावा, खूबसूरती, कोमलता, नारीवादिता आदि सभी को मैंने पर्दे पर दिखाने की कोशिश की है. उम्मीद है सारी महिलाएं मेरी इस भूमिका से अपने आप को जोड़ पायेंगी.

ऐसी ‘लार्जर देन लाइफ’ फिल्मों को करना कैसा लगता है?

मैं गर्वित महसूस करती हूं. ऐसी फिल्मों में इतने स्तर पर काम करना पड़ता है, जिसे मैंने कभी सोचा नहीं था. यहां मैंने एक महान महिला की भूमिका निभाई है, ये मौका मिलना ही अपने आप में बहुत बड़ी बात है. निर्देशक भंसाली ने मुझे दिया और मेरे लिए यह एक चुनौती है कि मैं इसे उसी रूप में पर्दे पर उतारूं, जैसी वह थीं. मेरे लिए ये किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं.

आपकी पोशाक, गहने और इस लुक को बनाने में किसका हाथ रहा? आपने अपना कितना पुट दिया है?

सही लुक का होना किसी भी भूमिका में खास मायने रखता है. जब हम किसी भी चरित्र को चित्रित करते हैं, तो उसमें अभिनेत्री के तौर पर मैं अच्छा काम कर सकती हूं, इमोशन ला सकती हूं, लेकिन उसे सही तरह से दर्शकों तक पहुंचाने में हेयर, मेकअप, ड्रेस, आभूषण और लुक को बनाने वाले होते हैं. 50 प्रतिशत उनका ही योगदान होता है. सही लुक सही चरित्र को पर्दे पर उतारने में सफल होती है. इसके अलावा सिनेमेटोग्राफर का भी बहुत बड़ा हाथ होता है. क्रेडिट हमेशा एक्टर्स को ही मिलता है, पर पर्दे के पीछे जो काम करते हैं, वह बहुत बड़े होते हैं. उनके बिना मैं कुछ भी नहीं हूं.

पद्मावती की अगर हम बात करें तो रिसर्च मेटेरियल बहुत है, लेकिन तब की तस्वीरें बहुत कम है, उसमें सामंजस्य लाना बहुत जरूरी था. इसलिए लुक को नए सिरे से क्रिएट किया गया, जो बहुत सुंदर बन पड़ा है. वैसे भी पद्मावती अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती थीं. ऐसे में सुन्दरता की परिभाषा जो हमारे दिमाग में है कि सुन्दरता केवल गोरे रंग से ही मिलता है, उसे हमने तोड़कर, अलग तरीके से लुक को क्रिएट किया है जिसे सबने सराहा.

इस फिल्म की ‘कौस्ट्युम’ बहुत भारी थी, इसलिए इसे पहनकर अभिनय करना डांस करना मुश्किल था. खासकर संजय लीला भंसाली जैसे निर्देशक फिल्म में बारीकियों पर अधिक ध्यान देते हैं. इस फिल्म को करने में जितना समय लगा, उस दौरान मुझे बहुत त्याग भी करना पड़ा. जिसमें मुझे परिवार के साथ मिलने का समय नहीं मिलता था, लेकिन इतना मेहनत के बाद जो चीज बनकर सामने आई है, उसे देखकर बहुत अच्छा लगता है.

फिल्म की सबसे कठिन भाग कौन सी थी?

फिल्म का अंतिम भाग एक अभिनेत्री होने के नाते मेरे लिए काफी चुनौतीपूर्ण थी.

नैतिकता पर ‘पोलिसिंग’ के होने को किस हद तक सही मानती हैं?

मेरे हिसाब से जो सही लगता है, उसे हर कोई कह सकता है या अपनी राय दे सकता है. स्वाधीन भारत  में ये अनुमोदन मिलता भी है, पर जिस तरह से लोग उसे एक्सप्रेस कर रहे हैं, उससे मैं सहमत नहीं हूं. हर बार ‘क्रिएटिविटी’ को ‘एटैक’ करना ठीक नहीं. हम हिन्दुस्तानी हैं और इस ऐतिहासिक कहानी को जानते हैं. वे जो चाहते हैं, उसे ही हम सब पूरे विश्व में दिखाना और बताना चाहते हैं कि वह कितनी महान महिला थी. इस क्षण को सभी को सेलीब्रेट करना चाहिए और वह होगा.

आपने बाजीराव मस्तानी और पद्मावती दोनों हो अलग तरह की फिल्में की है, अपने आप को इन फिल्मों की चरित्र से कितना जोड़ पाती हैं?

इन दोनों फिल्मों से मैं अपने आप को जोड़ सकती हूं. खासकर उनकी वीरता उनकी बुद्धिमता और उनकी सोच से मैंने अपने आप को जोड़ा है. इन फिल्मों को बनाना आसान नहीं होता, सालों तक उसी चरित्र में सघनता से अपने आप को बनाए रखना, अपने आप में मेरे लिए एक चुनौती थी. इसके अलावा इन फिल्मों में बहुत बाधाएं आने के बाद भी हम काम करते रहे, जो मुश्किल थी.

सालों से महिलाएं मानसिक अत्याचार सहती आई है और आज भी सह रही है, लेकिन कोई महिला उसका विरोध करती तो उसे बगावती कहकर दबाने की कोशिश की जाती है, इसके जिम्मेदार कौन हैं? समाज, परिवार या धर्म?

बहुत सारे तथ्य इसके जिम्मेदार हैं, लेकिन अब बदलाव भी आ रहा है. महिलाएं अब अपनी आवाज उठा रही हैं और ये सिर्फ भारत में नहीं, हर जगह वे कर रही हैं. मुझे तब अच्छा लगता है, जब कोई अपनी सही बात कहने के लिए आगे बढ़ती है. इसके लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हम खुद हैं, क्योंकि जब तक हम बदलाव नहीं चाहते, कोई और इसे बदल नहीं सकता.

आप अपने मानसिक स्वास्थ्य का खयाल कैसे रखती हैं? अपनी संस्था के बारें में बताएं.

मैं मानसिक स्वास्थ्य के लिए अपने मनोवैज्ञानिक डाक्टर के पास जाती हूं. जैसे हम शारीरिक व्यायाम को महत्व देते हैं, वैसे ही हमें मानसिक स्वास्थ्य की भी देख-भाल करनी चाहिए. शरीर फिट होने के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य भी फिट होना जरूरी है, ताकि काम बेहतर हो. मैं इस बात से नहीं शर्माती और डाक्टर के पास जाती हूं. मैं सबसे कहना चाहती हूं कि किसी को भी अपनी बात डाक्टर को कहने से घबराना नहीं चाहिए.

तीन साल पहले जब मैं मानसिक अस्वस्थता से गुजर रही थी, तो मैंने लिव, लव, लाफ संस्था की स्थापना की थी, मैंने अपनी स्टोरी सब के साथ शेयर किया था. मैं चाहती थी कि सभी अपनी समस्याओं को पहचानें. मैं इसे स्कूल में भी ले गयी, अध्यापिकाओं को इसका प्रशिक्षण दिया. कैसे ये काम कर रही है उसके बारें में जायजा भी ये संस्था लेती है. इससे मुझे बहुत बदलाव दिखा है. मेरे साथ में कई मनोचिकित्सक भी पैनल में हैं. मानसिक स्वास्थ्य की अगर बात करें तो अधिकतर देखा गया है कि लोग अपनी समस्या ही समझ नहीं पाते, जिससे उन्हें उससे निकालना या बचाना मुश्किल हो जाता है. मैंने कई कैम्पेन भी किया है. गांव और कार्पोरेट के लिए भी मैं काम कर रही हूं.

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