विरोध के बीच ‘पद्मावती’ के समर्थन में उतरे अर्जुन कपूर

संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. यह फिल्म 1 दिसंबर को रिलीज के लिए तैयार है, लेकिन राजपूतों के संगठन ‘करणी सेना’ द्वारा बिना देखे तोड़फोड़ और निर्माता भंसाली के साथ दुर्व्यवहार किया गया. सेंसर बोर्ड से पास इस फिल्म को दिखाए जाने से रोकने के लिए कई भाजपा नेता भी आगे आए. हाल ही में उत्तरप्रदेश, राजस्थान, आदि जगह के नेताओं ने भी इसका जमकर विरोध किया है. यहां तक की इस फिल्म को लेकर कहीं दीपिका पादुकोण और भंसाली के पुतले फुंके गये तो कहीं कुछ नेताओं ने फिल्म के रिलीज किये जाने पर सम्बन्धित पिक्चर हाल को आग के हवाले करने की धमकी तक दे डाली.

‘पद्मावती’ का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इसके इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है. कई जगह विरोध प्रदर्शन के बाद निर्देशक संजय लीला भंसाली ने एक वीडियो साझा कर फिल्म से जुड़ी अफवाहों से पर्दा उठाते हुए कहा था कि रानी पद्मावती और खिलजी के बीच ऐसा कोई सीन नहीं है, जो किसी की भावनाओं को चोट पहुंचाता हो.

जिसके बाद अभिनेता अर्जुन कपूर फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली के समर्थन में ऊतर आएं. अर्जुन कपूर ने भंसाली और उनकी फिल्म ‘पद्मावती’ का समर्थन करते हुए कहा कि लोगों को निर्माता के दृष्टिकोण पर विश्वास करना चाहिए.

अर्जुन ने गुरुवार को ‘पद्मावती’ को लेकर हो रहे विवादों पर भंसाली द्वारा स्पष्टीकरण देने वाले एक वीडियो के लिंक को ट्वीट करते हुए लिखा, “फिर से एक व्यक्ति को अपनी रचनात्मकता पर स्पष्टीकरण देना पड़ा, क्योंकि राजनीति और दुष्प्रचार ने एक खराब वातावरण बना दिया है. संजय लीला भंसाली एक शानदार फिल्म निर्माता हैं और हमें उनके दृष्टिकोण पर भरोसा करना चाहिए.”

उन्होंने लिखा, “मुझे पूरा यकीन है कि फिल्म में रानी पद्मावती और उनकी कहानी को रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर द्वारा सम्मानित तरीके से प्रस्तुत किया जाएगा.”

मालूम हो कि इस ऐतिहासिक ड्रामा में दीपिका पादुकोण राजपूताना रानी पद्मावती, शाहिद कपूर उनके पति रावल रतन सिंह और रणवीर सिंह दिल्ली सल्तनती शासक अलाउद्दीन खिलजी की भूमिका निभा रहे हैं.

रणवीर ने भी एक वीडियो लिंक साझा करते हुए लिखा, “खुद इस व्यक्ति के मुंह से सुनो. आशा है कि इससे चीजें साफ होंगी.”

शाहिद ने भी इस लिंक को साझा करते हुए भंसाली को ‘पद्मावती’ में उन्हें काम करने का अवसर देने के लिए धन्यवाद दिया.

छोटे पर्दे पर एक बार फिर साथ नजर आ सकते हैं कपिल और सुनील

कपिल शर्मा और सुनील ग्रोवर की जोड़ी ने कामेडी के मंच पर एकसाथ खूब धमाल मचाया है. लेकिन साल के शुरुआत में फ्लाइट में हुई लड़ाई ने दोनों के बीच दूरियां बढ़ा दी. इस लड़ाई से काफी कुछ बदल गया. झगड़े के बाद दोनों को अब तक साथ नहीं देखा गया.

कपिल ने कई बार सुनील से पब्लिकली माफी भी मांगी लेकिन सुनील नहीं माने और दोनों के बीच दूरियां बढ़ती गई. लेकिन लगता है दोनों के बीच जमी हुई बर्फ पिघलने लगी है. जी हां, कपिल ने हाल ही में एक अंग्रेजी वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में खुद इस बात को कुबूल किया है कि जल्द ही उनका सुनील के साथ टीवी पर नया शो आने वाला है.

सुनील के कनाडा से वापस आने के बाद दोनों इस नए शो के बारे में बात करेंगे. कपिल ने कहा, काफी लंबे समय से उनकी सुनील से मुलाकात नहीं हो पाई है लेकिन दोनों मैसेज के जरिए एक दूसरे से कनेक्टेड हैं. कपिल ने कहा कि सुनील के लौटते ही वो अपने नए शो पर उनसे बात करेंगे. कपिल ने यह भी बताया कि शो के बाकी कलाकार भी फिर से साथ काम करने को तैयार हैं.

कपिल ने सुनील के साथ बढ़ी दूरियों और उनके साथ हुए झगड़े पर भी बात की. कपिल ने कहा कि जैसे ही उन्होंने हमारा शो छोड़ा उसके बाद मैंने उनसे कुछ नहीं कहा. उनके बीच हुई लड़ाई इतनी बढ़ गई कि उनकी दोस्ती में दरार पड़ गई. कपिल ने कहा मैंने सुनील को समझाया कि गलती हर किसी से होती है, उनसे भी हुई है. कपिल ने चैनल से शो बंद करने को भी कहा था मगर चैनल ने शो बंद करने का फैसला नहीं लिया.

कपिल शर्मा ने कहा कि सोनी चैनल ने उनसे कभी नहीं कहा कि वह शो बंद कर रहे हैं, शो बंद करने का फैसला हम सबने मिलकर लिया था क्योंकि मुझे भी लग रहा था कि मुझे एक ब्रेक की जरूरत है.

साल 2014 में भी सुनील ग्रोवर कपिल का शो छोड़कर चले गए थे और उन्‍होंनें अपना शो ‘मैड इन इंडिया’ शुरू किया था. सुनील का यह शो ज्‍यादा नहीं चल सका और आखिरकार सुनील फिर से कपिल के शो में वापिस आ गए थे.

बता दें, 24 नवंबर को कपिल शर्मा की दूसरी बौलीवुड फिल्म ‘फिरंगी’ रिलीज होने को तैयार है. यह कपिल शर्मा के प्रोडक्‍शन हाउस की पहली फिल्‍म है. इस फिल्‍म का ट्रेलर रिलीज हो चुका है और इसे काफी पसंद भी किया जा रहा है.

क्या आपने देखा ‘फुकरे रिटर्न्स’ का यह नया और मजेदार पोस्टर

बौक्स आफिस पर धूम मचाने के साथ ही दर्शकों को भी खूब रोमांचित करने वाली फिल्म ‘फुकरे’ एक बार फिर से दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए तैयार है. साल 2013 में आई फिल्म ‘फुकरे’ में पुलकित सम्राट, वरुण शर्मा, मनजोत सिंह, रिचा चड्ढा और अली फजल ने काम किया था. इसके सीक्वल में भी यही पूरी टीम ऐपको हंसा हंसा कर लोट पोट करने का काम करेंगी. मालूम हो कि कुछ समय पहले ही ‘फुकरे रिटर्न्स’ का ट्रेलर रिलीज किया गया था, जिसे लोगों ने खासा पसंद किया.

‘फुकरे रिटर्न्स’ के ट्रेलर के बाद अब इस फिल्म के कुछ नए पोस्टर्स को रिलीज किया गया है. इन पोस्टर्स को ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है. फिल्म के इन नए पोस्टर्स के फिल्म के सभी प्रमुख किरदारों का अंदाज दिखाया गया है.

आप भी देखें फिल्‍म ‘फुकरे रिटर्न्‍स’ के यह नए पोस्‍टर.

पोस्टर में भोली पंजाबन और फिल्‍म के बाकी किरदार नजर आ रहे हैं. इस नए पोस्‍टर में वरुण शर्मा की नाक पर शेर बैठा नजर आ रहा है. जबकि पुलकित सम्राट अपने इस नए पोस्‍टर में हाथी के दातों के साथ नजर आ रहे हैं. इस पोस्टर के फिल्म के सभी किरदार को देखकर फिल्म देखने की जिज्ञासा और भी बढ़ जाती है.

यहां देखें फिल्‍म ‘फुकरे रिटर्न्‍स’ का टीजर.

‘फुकरे रिटर्न्स’ की कहानी को विपुल विग ने लिखा है, जिसे मृगदीप सिंह लाम्बा डायरेक्ट कर रहे हैं. इस फिल्म को पहले 8 दिसंबर को रिलीज किया जाना था लेकिन अब इसे 15 दिसंबर को रिलीज किया जाएगा.

शिक्षित युवाओं का आतंक

आज पूरी दुनिया में आतंक पसरा हुआ है. अब तो शिक्षित युवा भी आतंक फैला रहे हैं. सितंबर माह में ही जम्मूकश्मीर के बनिहाल में एसएसबी पर हुए जानलेवा आतंकी हमले में शामिल 2 आतंकी तो पहले ही गिरफ्त में आ गए थे जबकि तीसरे आतंकी आकिब वाहिद को बाद में अरेस्ट किया गया. आकिब अनंतनाग के डिगरी कालेज में बीएससी का छात्र है. इसी तरह ढाका में हुए आतंकी हमले में यही बात सामने आई थी कि जिन हमलावरों की पहचान हुई है, वे सभी अमीर घरों से संबंध रखते थे और अच्छे, जानेमाने स्कूलोंकालेजों में पढ़े थे. 2 हमलावर, जिन की मौत गोलीबारी में हुई, वे अच्छे खातेपीते परिवार के थे. इन में से एक निबस इसलाम, देश के एक अभिजात निजी विश्वविद्यालय, नार्थसाउथ यूनिवर्सिटी से पढ़ा था, वहीं दूसरा हमलावर मीर सबीह और रोशन इम्तियाज भी देश के सब से बढि़या स्कूलों में पढ़े थे.

रोशन इम्तियाज की पहचान बंगलादेश ओलिंपिक एसोसिएशन के उपमहासचिव इम्तियाज खान बाबुल के बेटे के रूप में हुई. अब यह बात गलत साबित हो रही है कि इसलामिक स्टेट और अलकायदा की पहुंच केवल गरीब घरों के युवाओं तक है. अब इन में अमीर और पढ़ेलिखे घराने के युवा भी शामिल हो रहे हैं. एक समय कहा जाता था कि कम पढ़ेलिखे युवा ही आतंकवादियों के झांसे में आ कर आतंक के रास्ते पर चलते हैं, लेकिन अब आतंक की राह पकड़ने वाले नौजवान अनपढ़जाहिल नहीं, बल्कि शिक्षित और डिगरीधारी हैं, जो अपने आकाओं के इशारे पर दुनियाभर में मारकाट मचा रहे हैं.

बेकार हैं ऐसी डिगरियां

दिल्ली, अहमदाबाद, बेंगलुरु, जयपुर और वाराणसी में हुए बम धमाकों को अंजाम देने वाले खूंखार आतंकियों के मामले में जो समानता सामने आई थी उस ने सब को चौंका दिया. ये सभी आतंकी न केवल पढ़ेलिखे बल्कि इन के पास इंजीनियरिंग, मैनेजमैंट और आईटी की डिगरियां भी थीं. कुछ समय पहले पुणे की एक पढ़ीलिखी युवती के बारे में खबर सुर्खियों में आई थी, जिस में मैडिकल की पढ़ाई करने की इच्छा रखने वाली यह छात्रा सोशल नैटवर्किंग के जरिए आतंकी संगठन के संपर्क में आई और सीरिया जाने को तैयार हो गई.

ऐसे अनगिनत मामले हैं जो साफसाफ इशारा करते हैं कि इन युवाओं को दीनहीन समझने की जरूरत नहीं है. हमारे समाज, परिवार और देश के लिए ये युवा खलनायक बन चुके हैं. ऐसे युवाओं को सही रास्ते पर लाने की जरूरत है. पारिवारिक जागरूकता भी इस का अहम पहलू है. यहां जरूरी यह है कि ऐसी बातें सामने आने पर परिवार उन्हें दबाने की कोशिश न करे बल्कि इन का हल खोजे. ऐसे कृत्यों में चालाकी दिखाने का कोई लाभ नहीं है, क्योंकि आतंक की राह पर चल रहे युवा अपने परिवार का भी भला नहीं करेंगे.

मां तक का गला रेत डाला

यह विडंबना ही है कि खुद एक स्तरीय जिंदगी जी रहे युवा दूसरों के परिवार उजाड़ने के लिए हथियार उठा रहे हैं. ढाका के रेस्तरां में हुए आतंकी हमले में एक ऐसी मां का भी गला रेत दिया गया, जिस की कोख में 7 महीने का गर्भ पल रहा था.

आखिर बर्बरता की राह पकड़ चुके ये युवा चाहते क्या हैं? इन युवाओं को जिस उम्र में अपने देश की बेहतरी और सकारात्मक बदलाव की सोच रखनी चाहिए थी उस उम्र में ये सबकुछ उजाड़ने पर तुले हैं. इन से सहानुभूति रखने वाले लोगों को भी यह सोचना चाहिए कि उन की ये हरकतें न जाने कितने बच्चों का भविष्य बरबाद कर रही हैं. आज ऐसे सिरफिरों के संगठन न केवल दुनिया के लिए नासूर बन गए हैं बल्कि ये अपने परिवारों को भी पीड़ा दे रहे हैं. ढाका आतंकी हमले में वहीं की सत्तारूढ़ पार्टी के नेता का बेटा कुछ समय पहले ही घर से लापता हुआ था. उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी थाने में लिखवाई गई थी. ऐसे युवाओं के मातापिता यह समझ लें कि ऐसे बच्चे अपनों के भी नहीं होते.

बेगुनाहों का कत्लेआम

बेगुनाहों के कत्लेआम को अंजाम देने वाले ये कुत्सित मानसिकता के युवा आज खुद अपने देशों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए खौफ का कारण बन गए हैं. कई संगठित गिरोह इन्हें अपने मनसूबे पूरे करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. अब तक ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिन में आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में अपनी पैठ बनाने के लिए उतावले हैं. वे सोशल नैटवर्किंग साइट्स के माध्यम से नौजवानों से संपर्क कर उन्हें बरगलाने का काम कर रहे हैं. कभी जिहाद के नाम पर तो कभी मोटी रकम का लालच दे कर यह काम किया जा रहा है. यह विडंबना ही है कि पढ़ेलिखे युवा भी इन के जाल में फंस रहे हैं.

यह कैसी जन्नत

अगर हम जीवन के किसी भी पहलू को देखें तो आतंकी मानसिकता वाले ऐसे शातिर युवा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सभी को प्रभावित करते हैं. यही कारण है कि आतंकवाद के मार्ग पर चलने वाले ये युवा न केवल सभी देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती हैं बल्कि सामाजिक व मानवीय मोरचे पर भी चिंतनीय हैं.

ग्लोबल टैरर इंडैक्स के अनुसार, आज दुनिया के एकतिहाई देश आतंकी हिंसा के शिकार हैं. यह ऐसा दंश है जो किसी देश के पूरे सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक ढांचे की नींव हिला देता है. कई अमीर घरों तक इसलामिक स्टेट और अलकायदा की पहुंच ने यह मिथक तोड़ दिया है कि वैश्विक आतंकवाद में सिर्फ गरीब घरों के युवा ही शामिल हैं.

पढ़ेलिखे, समृद्ध पृष्ठभूमि के कई युवाओं को आतंकी गतिविधियां आकर्षित कर रही हैं. वे इसलाम की खातिर और जन्नत के  नाम पर दुनिया में कहीं भी हमला करने को तैयार हैं. इन का जाल अब एशिया से ले कर पश्चिमी देशों तक फैल गया है. इन के पास पैसा ही नहीं, दिमागी क्षमता भी बहुत अधिक है. सोशल साइट्स ने इन की पहुंच दूरदराज के पढ़ेलिखे युवाओं तक कर दी है जो आज यह पूरी दुनिया के लिए नई चुनौती बन गई है.

बेटा घर नहीं लौटा

बंगलादेश के एक हमलावर की उम्र महज 18 साल थी. खातेपीते परिवार का यह युवक कैसे कट्टरपंथियों के हत्थे चढ़ गया? इसी सवाल का जवाब उस के पिता खोज रहे हैं. रमजान के महीने का आखिरी जुम्मा था. मीर हैयत कबीर उम्मीद लगाए बैठे थे कि शायद आज उन का बेटा घर लौट आएगा. पिछले 4 महीने से बेटे की कोई खबर नहीं थी. उन्हें यह भी समझ नहीं आ रहा था कि वह खुद ही घर छोड़ कर चला गया या किसी के कब्जे में है.

एक दिन खबर आई कि 18 साल का मीर सामेह मुब्बशीर ढाका में पुलिस के हाथों मारा गया. वह उन 5 बंदूकधारियों में से एक था, जिन्होंने ढाका के एक रेस्तरां पर हमला कर 20 लोगों की जान ली थी. पिता सदमे में हैं, समझ नहीं पा रहे हैं कि उन के बेटे ने यह राह क्यों चुनी.

मुब्बशीर ने अपना बचपन गरीबी या मुश्किलों के बीच नहीं बिताया था. वह ढाका का रहने वाला था और अच्छे परिवार से था. रोज स्कूल जाने वाला, कम बोलने वाला. ‘कहीं तो कुछ गलत हुआ है, कहीं कुछ गड़बड़ हुई है,’ अपने आंसू रोकते हुए पिता बारबार यही दोहरा रहे थे. उन्हें बारबार अखबारों और टीवी पर अपने बेटे का नाम देखने को मिल रहा था, लेकिन उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि उन का बेटा आतंकियों से जा मिला और मारा गया.

मुब्बशीर का बचपन सामान्य उच्च मध्यवर्गीय परिवार में बीता था. उसे डायनासौर पसंद था. वह जानवरों के नाम याद करता था. एक बार वह परिवार के साथ ताजमहल देखने भारत आया था. उस से प्रभावित हो कर वह मुगल राजाओं और दुर्गा की तसवीरें बनाने लगा था. स्कूल में उस ने 1971 की जंग और आजादी के बारे में पढ़ा, तो इतिहास में रुचि बढ़ गई. उसे कार्टून देखने का बहुत शौक था. वह अंगरेजी फिल्में भी देखा करता था. स्कूल में बच्चे उसे मां का लाड़ला कह कर चिढ़ाते थे.

वह घर के पास वाली मसजिद में जाता और दिन में 5 बार नमाज भी पढ़ता. उस के पिता बताते हैं कि गायब होने से पहले उन्हें उस के रवैए में कोई खास बदलाव देखने को तो नहीं मिला, लेकिन उन का ध्यान इस ओर जरूर गया था कि बेटे ने फेसबुक का इस्तेमाल कम कर दिया था और अब वह हर वक्त पढ़ता रहता था.  मुब्बशीर की ही तरह बाकी हमलावर भी बंगलादेश के अच्छे स्कूलों में पढ़े थे और अच्छे परिवारों से नाता रखते थे. ऐसे में पूरा देश इस वक्त यही सवाल कर रहा है कि इन युवाओं के साथ आखिर हुआ क्या.  एक अन्य आतंकी की पहचान 22 साल के निबस इसलाम के रूप में की गई, जिस ने मलयेशिया की मोनाश यूनिवर्सिटी से बैचलर्स की पढ़ाई की थी. वहां सालाना फीस 9 हजार डौलर है. ऐसे में अब गरीबी और अनपढ़ता को आतंकवाद के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता.

हाल ही में आतंकवादियों की जो नई खेप आई है, वह हमारे देश की खराब उपज है. आज राजनीतिक हालात बदलते जा रहे हैं, ऐसे में यह युवापीढ़ी अपनेआप को असुरक्षित महसूस कर रही है. इन को सही दिशा देने की जरूरत है.

छेड़छाड़ है एक सामाजिक रोग

साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली मनीषा शाह होनहार छात्रा थी. वह डाक्टर बनने का सपना देखती थी. अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह कड़ी मेहनत से पढ़ाई करती थी. गरीबी उस की राह में बाधा नहीं बनी. उस के इंटरमीडिएट में अच्छे मार्क्स आए, जिस से उस के हौसलों में इजाफा हो गया, लेकिन एक ही झटके में उस का सपना तिनकातिनका हो गया. बिस्तर पर अब उस की जिंदगी दूसरों के सहारे की मुहताज हो चुकी है. पढ़ाई की बात करने पर उस की आंखों से आंसू छलक आते हैं. परिवार के साथ गरीबी पूरी बेरहमी से पेश आ रही है.

बमुश्किल दो वक्त की रोटी और उन दवाओं का इंतजाम हो पाता है, जो मनीषा को जिंदा रखने के लिए जरूरी हैं. सभी की कोशिश मनीषा की जिंदगी बचाने की है. वक्त के साथ मनीषा को दर्द के दरिया से नजात मिल कर सब ठीक भी हो जाए, लेकिन वह टीस कभी नहीं जाएगी जो एक शोहदे ने उसे दी. वह सभ्य समाज में उस छेड़छाड़ का शिकार हुई जो युवाओं के लिए फैशन बन गया है.  यह कोढ़ग्रस्त इंसानियत की हकीकत है कि हर मिनट कोई न कोई युवती या महिला किसी न किसी कुंठित मानसिकता के हैवान का खुलेआम शिकार हो रही है. बेटियों की सुरक्षा को ले कर चिंता अभिभावकों की भी स्थायी फिक्र बन चुकी है. हकीकत के नैतिक पतन रूपी इस आईने से रूबरू और जागरूक के लिए कोई बुलंद आवाज नहीं उठती. नतीजतन, इस रोग का दायरा बढ़ता जा रहा है.  दरअसल, मनीषा मौडर्न शहर का लिबास पहने दिल्ली से सटे नोएडा के मोरना गांव की रहने वाली है. उस के इलैक्ट्रीशियन पिता दिहाड़ी पर काम करते हैं. इस परिवार की पूरी दुनिया महज एक कमरे में सिमटी  हुई है.

बचपन से ही गरीबी का सामना करने वाली मनीषा पढ़लिख कर परिवार का सहारा बनना चाहती है. हौसलों को वक्त के साथ वह पंख भी दे रही थी. गांव के 2 युवक मनीषा को परेशान करते थे और वह उन का विरोध करती थी. 19 मई की रात जब वह घर की छत पर थी, तो उन शरारती युवकों ने वहां पहुंच कर उस के साथ छेड़छाड़ कर दी.

उस ने विरोध किया, तो उन्होंने उसे छत से धक्का दे दिया, जिस से मनीषा के सिर, कमर व शरीर के अन्य हिस्सों पर गंभीर चोटें आईं. सिर पर लगी गहरी चोट से उस का दिमागी संतुलन गड़बड़ा गया, जिस की वजह से कभीकभी वह खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाती. अस्पताल का खर्च ज्यादा था लिहाजा, छुट्टी करा कर मनीषा को घर में रखा गया, लेकिन इलाज जारी रहा. बेटी के इलाज में पिता कर्जदार हो चुके हैं. सीबीएसई बोर्ड की इंटरमीडिएट की परीक्षा में 94 प्रतिशत मार्क्स लाने वाली मनीषा इलाज और हौसले से शायद उन बुलंदियों को छू सके जिन का कभी उस ने ख्वाब देखा था. हालांकि आरोपी युवकों को पुलिस जेल भेज चुकी है.

तमाशबीन जनता

छेड़छाड़ की घटना की मनीषा इकलौती शिकार हो, ऐसा नहीं है. समाज में ऐसी घटनाओं का दायरा बढ़ता जा रहा है. युवतियां और महिलाएं छेड़छाड़ की शिकार हो रही हैं. कामकाजी महिलाएं व छात्राएं आएदिन इस कड़वी हकीकत से दोचार होती हैं.

छेड़छाड़ करने वालों के हौसले इतने बुलंद हैं कि न उन्हें समाज का डर होता है न कानून का. समाज तमाशा देखने का आदी हो चुका है और कानून अपराध होने पर ही अपना काम करता है. वह भी तब, जब बात हद से पार हो जाए.  इलाहाबाद की रहने वाली छात्रा रीना को स्कूल जाने से अब डर लगता है. उस के मातापिता हर वक्त बेटी को ले कर चिंतित रहते हैं, क्योंकि उन का एक ऐसी घटना से सामना हुआ, जिस ने उन की चिंता को और भी बढ़ा दिया. रीना को स्कूल आतेजाते कुछ शरारती युवक परेशान करते थे. पहले उस ने यह सब नजरअंदाज किया, लेकिन जब उन की हरकतें ज्यादा बढ़ गईं तो उस ने अपने पिता को सारी बातें बताईं. उन्होंने 3 युवकों की शिकायत पुलिस से की, लेकिन जब उन युवको को इस का पता चला, तो वे बौखला गए और उन्होंने रीना के घर पहुंच कर धावा बोल दिया. गालीगलौज करते हुए उसे जान से मारने की भी धमकी दी. बाद में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, लेकिन रीना के मन में एक अनजाना भय स्थायी रूप से घरघर गया है.

छेड़छाड़ की शिकार युवतियों को अकसर मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है, जिस के चलते यह अपमान और खतरा बरदाश्त से बाहर हो जाता है और वे घातक कदम भी उठा लेती हैं.  सहारनपुर जिले के सीकरी की रहने वाली 11वीं की एक छात्रा को 2 युवक अकसर परेशान करते थे. उस के विरोध के बावजूद युवकों की छेड़छाड़ बढ़ती गई. उस ने पिता से उन की शिकायत की, तो उन्होंने युवकों को अपनी हरकतों से बाज आने की सख्त चेतावनी दी. कुछ दिन तो सब ठीक रहा, लेकिन युवक फिर से अपनी हरकतों पर उतर आए.

उन की छेड़छाड़ से वह युवती इतनी परेशान हो गई कि एक दिन उस ने अपने घर में ही फांसी का फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली. समाज में छेड़छाड़ से परेशान युवतियों द्वारा इस तरह के घातक कदम उठाने के मामलों का ग्राफ बढ़ रहा है. हालांकि, हिम्मत हारने के बजाय युवतियों को हालात का जम कर मुकाबला करना चाहिए.

मजबूरी की मार

बहुत से मामलों में युवतियां छेड़छाड़ सहने को मजबूर होती हैं. मुसीबत की वजह से वे कई बार खुल कर विरोध नहीं कर पातीं. दबंग व बुलंद हौसले वाले शरारती तत्त्व उन्हें तरहतरह से परेशान करते हैं. ग्रामीण इलाकों में तो स्थिति और भी भयावह है. दबंग चाहते हैं कि युवतियां उन की छेड़छाड़ को बरदाश्त करें. उन की बात न मानने या विरोध करने पर नौबत मारपीट या हिंसा तक आ जाती है.

पीलीभीत जिले के मल्लपुर गांव की एक 13 वर्षीय किशोरी शाम को नल पर पानी भरने गई. तो एक दबंग ने उस के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी. वह खींच कर उसे पास के एक कमरे में ले गया. किशोरी ने जब इस की शिकायत अपने परिवार से करने की धमकी दी, तो वह हिंसक हो गया और उस पर उस ने मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगा दी. जलती हालत में वह चीखते हुए भागी और बाहर आ कर गिर गई. लोगों ने मुश्किल से आग बुझा कर उसे अस्पताल पहुंचाया. बाद में पुलिस ने उस दबंग को गिरफ्तार कर लिया.

किस राह किस के साथ छेड़छाड़ हो जाए इसे कोई नहीं जानता. सहारनपुर जिले में एक भिखारी महिला के साथ भी एक युवक ने छेड़छाड़ कर दी. महिला के विरोध के बाद युवक को पुलिस के हवाले कर दिया गया. छेड़छाड़ के मामलों में आरोपी अंजाम भुगतने तक की धमकियां देते हैं.  ऐसे मामलों में पीडि़ता यदि पुलिस के पास जाती है, तो उसे कई बार बदनामी का डर दिखाया जाता है. कितने ही मामले ऐसे होते हैं जिन्हें पुलिस गंभीरता से नहीं लेती और आरोपी को सिर्फ चेतावनी दे कर छोड़ देती है. वह फिर कभी किसी के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा, इस की कोई गारंटी नहीं होती.

अमूमन छेड़छाड़ करने वाले पुलिस के इस लचीले रवैए का फायदा उठाते हैं. लोगों की भी यह प्रवृत्ति बन गई है कि यदि किसी सार्वजनिक स्थल पर किसी के साथ छेड़छाड़ हो रही हो, तो वे दखल देने से गुरेज करते हैं. घर, स्कूल, दफ्तर या बाजार आतेजाते महिलाओं व युवतियों के मन में छेड़छाड़ का डर बना ही रहता है. छेड़छाड़ किसी सभ्य समाज की पहचान नहीं हो सकती. यह न सिर्फ किसी युवती के लिए बल्कि समाज के लिए भी बड़ी फिक्र होनी चाहिए.

एक तरह का मनोरोग

महिलाएं व युवतियां अकसर सब से अधिक सार्वजनिक स्थलों पर छेड़छाड़ का शिकार होती हैं. किसी को छू कर निकलना, पीछा करना, सीटी बजाना, सांकेतिक टिप्पणी करना या अश्लील इशारा करना इसी श्रेणी में आता है. इस की शिकार महिलाएं कई बार इसे नजरअंदाज करने की कोशिश करती हैं. विरोध करने पर ऐसा करने वाले अकसर सरल तरीका खोजते हैं. कई बार वे शिकार महिला को ही झूठा साबित करने पर अड़ जाते हैं. तमाशबीन लोग पचड़े में नहीं पड़ना चाहते. उन की यह सोच छेड़छाड़ करने वालों को हिम्मत देती है.

चिकित्सकों की राय में महिलाओं पर बुरी नजर रखने और उन से छेड़छाड़ करने वाले वास्तव में एक तरह के मानसिक रोग से पीडि़त होते हैं. ऐसी विकृत मानसिकता के लोगों के दिमाग में कुछ गलत विचार चल रहे होते हैं. किसी भी विपरीतलिंगी को देख कर गलत विचारों की शृंखला और बढ़ जाती है. मौका लगते ही वे छोटीबड़ी हरकत करते हैं. यदि कोई विरोध करता है, तो अनजान बनने का नाटक करते हैं. पीडि़ता यदि कमजोर हो, तो वह कुंठित हो कर घातक कदम उठाने से भी नहीं चूकते.

क्या कहता है कानून

छेड़छाड़ को ले कर कानून बेहद सख्त है और समयसमय पर उस में बदलाव भी किया गया है. बावजूद इस के छेड़छाड़ का मर्ज समाज में बढ़ रहा है.

अधिवक्ता राजेश द्विवेदी बताते हैं कि पहले छेड़छाड़ के मामले में अधिकतम 2 साल की कैद की सजा का प्रावधान था, लेकिन निर्भया कांड के बाद कानून में हुए बदलाव के बाद अब छेड़छाड़ के मामले में अपराध की गंभीरता के हिसाब से व्याख्या की गई है. अलगअलग सैक्शन में सजा का प्रावधान भी अलग हैं. दोषी को 1 से ले कर 7 साल तक की सजा हो सकती है. इतना ही नहीं, धारा 354 व उस के सैक्शन के अंतर्गत आने वाले इस अपराध को गैर जमानती अपराध माना गया है.  कानून के तहत किसी महिला को गलत मंशा से छेड़ना, आपत्तिजनक इशारा करना, मरजी के खिलाफ पौर्न दिखाना, जबरन किसी के कपड़े उतारना, उसे उकसाना, किसी का आपत्तिजनक फोटो लेना, उन्हें बांटना, किसी का पीछा करना या जबरन बात करने का प्रयास करना अपराध है.

 ऐसे में कोई भी महिला शिकायत दर्ज करा सकती है.  छेड़छाड़ के मामलों को ले कर अदालतें भी गंभीर रहती हैं. एक मामले में कोर्ट की यह टिप्पणी कथित सभ्य समाज को आईना दिखाने के लिए काफी है, जिस में कहा गया कि किसी महिला के साथ छेड़छाड़ या उस का पीछा करना उस के जीने के अधिकार का उल्लंघन है. पुलिस महिलाओं को ऐसा सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराए कि वे कहीं भी बेखौफ आजा सकें.

महिला आईपीएस मंजिल सैनी कहती हैं कि छेड़छाड़ के मामले में पीडि़ता को तुरंत पुलिस की मदद लेनी चाहिए.

आशा भोंसले को ताउम्र रहेगा ये मलाल

आशा भोंसले को एक अच्छी शिक्षा हासिल न कर पाने का मलाल है. आशा का कहना है कि अगर सही शिक्षा प्राप्त करके वह अंग्रेजी में भी गाने गातीं और बनातीं तो वर्तमान से भी और ऊंचाई हासिल कर सकती थीं. बौलिवुड की दिग्गज गायिका ने ग्लोबल इंडियन इंटरनैशनल स्कूल (जीआईआईएस) के दुबई में आयोजित ‘लीडरशिप लेक्चर सीरीज’ कैम्प में शामिल होने के दौरान यह बात कही.

युवा पीढ़ी के लिए अपने संदेश के बारे में आशा ने कहा, ‘एक इंसान अपनी सफलता के लिए खुद ही जिम्मेदार होता है. अगर कोई दिन-रात मेहनत कर रहा है तो वह जरूर सफल होगा. आपके स्कूल के लिए मैं यह संदेश देना चाहती हूं कि मैंने अच्छी शिक्षा हासिल नहीं की और आज जब मैं अमेरिका और लंदन जाती हूं तो वहां के गीत सुनकर मुझे मलाल होता है. मुझे बुरा लगता है कि मैं उनकी शैली को नहीं अपना पाई.

आशा ने आगे कहा, ‘मैं अच्छी शिक्षा हासिल नहीं कर पाई. अब मुझे सच में मलाल होता है कि अगर मैं अच्छी शिक्षा हासिल करती तो अलग ही स्तर की उपलब्धि हासिल कर पाती.’ अपने करियर में आशा ने हर प्रकार की शैली के गानों को अपनी आवाज दी है, जिसमें ‘झुमका गिरा रे’, ‘दम मारो दम’, ‘चुरा लिया है’, ‘दिल चीज क्या है’, ‘मेरा कुछ सामान’ और ‘प्रेम में तोहरे’ आदि गीत शामिल हैं.

आशा ने जीनत अमान से उर्मिला मातोंडकर और रेखा से विद्या बालन तक सबके लिए अपनी आवाज दी है. छह दशकों में उन्होंने अपनी आवाज का जादू कम नहीं होने दिया.

वरुण धवन की फैन ने दी आत्महत्या करने की धमकी

वरुण धवन की एक महिला फैन ने उन्हें इतना परेशान कर दिया कि अभिनेता को पुलिस स्टेशन जाना पड़ा. पुलिस ने वरुण की शिकायत की अर्जी ले तो ली है, पर एफआईआर दर्ज नहीं की.

कई दिनों से एक लड़की वरुण धवन को दिन और रात- हर वक्त यह कहकर व्हाट्सऐप पर संदेश भेज रही थी कि वह उनकी बहुत बड़ी फैन है. वरुण कुछ दिनों तक तो ट्सऐप देखते रहे। मगर जब लड़की के व्हाट्सऐप बंद नहीं हुए, तो उन्होंने उसके नंबर को ब्लौक कर दिया. उसके अगले दिन उन्हें एक लड़के ने फोन करके कहा कि यदि तुमने उसके व्हाट्सऐप संदेशों का जवाब नहीं दिया, तो वह खुदकुशी कर लेगी.

वरुण ने पुलिस में दर्ज कराई शिकायत

वरुण जुहू पुलिस स्टेशन शिकायत दर्ज कराने पहुंचे, लेकिन उनका घर सांताक्रुज में है, इसलिए उन्हें सांताक्रुज थाने में जाने की सलाह दी. उन्होंने वहां जाकर आईपीसी की धारा 506 के तहत असंज्ञेय अपराध (नौन कौग्निज़ेबल औफेंस) की शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने लड़की और लड़के, दोनों के मोबाइल नंबरों का डेटा निकाला है. उसके आधार पर व्हाट्सऐप और कौल करने वाले-दोनों की शिनाख्त की जा रही है.

वरुण पर हो सकता है केस

पूर्व आईपीएस अधिकारी और नामी वकील वाई.पी. सिंह कहते हैं, ‘वरुण की शिकायत में आईपीसी की धारा 506 लगाना गलत है. यह धारा धमकी देने पर लगाई जाती है, पर लड़की की तरफ से लड़के ने वरुण को जो फोन किया, उसमें यह कहा था कि यदि आपने लड़की को जवाब नहीं दिया तो वह खुदकुशी कर लेगी. लड़के ने सिर्फ सूचना दी, धमकी नहीं दी. लड़के का मकसद लड़की की जिंदगी बचाना था, इसलिए यदि पुलिस चाहे तो खुद वरुण पर आईपीसी की धारा 177 के तहत सरकारी कर्मचारी को गलत सूचना का आरोप लगाकर मामला दर्ज कर सकती है.

सेल में शौपिंग करने से पहले इन बातों को जानिए

सेल का नाम सुनते ही शौपिंग के शौकीन लोग झट खरीददारी के लिए निकल पड़ते हैं. हो भी क्यों न सेल में बड़े ब्रैंड का सामान आपको आधे या उससे भी कम दाम पर मिल जाता है. लेकिन कभी-कभी ये सस्ते का चक्कर आपको काफी मंहगा साबित हुआ होगा.

दरअसल सेल में शौपिंग करना हर किसी के बस की बात नहीं होती. यहां आपको समझदारी के साथ साथ सामान की जानकारी होना भी जरुरी होता है. कुछ आसान सा टिप्स अपनाकर आप सेल से भी स्मार्ट शौपिंग कर सकते हैं.

सेल में शौपिंग के टिप्स

  • जाने से पहले ये जानकारी लें कि सेल किसी त्योहार की वजह से लगा है या स्टौक क्लियरेंस है. अमूमन स्टौक क्लियरेंस वाले सेल में सामान या तो काफी पुराने होते हैं या फिर छंटे हुए. यहां से कपड़े या जूते चप्पल आदि लेने से बचें .
  • शौपिंग में जाने से पहले जरुरी सामान की लिस्ट बना लें. ऐसे में आप सस्ते के मोह में फंस कर गैर-जरुरी सामान लेने से बच सकती हैं.
  • Buy One Get One वाले सामान के चक्कर में कुछ भी उठाने के बदले अपनी शौपिंग में दोस्तों को साझेदार बना लेना समझदारी होगी.
  • कपड़े, जूते चप्पल या लेदर, रेक्सिन का अन्य सामान लेते हुए उसकी निर्माण तिथि देखना ना भूलें, ज्यादा पुराना हो तो न लें.
  • ब्रांड की परख करके सामान खरीदें. कई बार सेल में फर्जी टैग वाला सामान भी पाया जाता है. ऐसे में आप लुट भी सकती हैं.
  • कोशिश करें की सेल के शुरुआती दिनों में ही खरीददारी कर लें, क्योंकि यहां बहुत जल्दी सामान छंट जाते हैं, ऐसे में आपके पास विकल्प की कमी हो सकती है.
  • इन बातों का ध्यान रखकर आप सेल का पूरा फायदा उठा सकती हैं. तो इस त्यौहार के सीजन में जमकर सेल का लुत्फ उठाएं और हमेशा काम आने वाले बैग, सैंडल, ज्वेलरी, वौच और घर के अन्य डेकोरेटिव सामान आदि सस्ते में लेकर अपने पास शानदार कलेक्शन बना लें.

फिशिंग गेम के लिये मशहूर है यह बीच

अंडमान निकोबार जोकि भारत का एक द्वीप समूह है. चारो तरफ से समुद्र से घिरा यह आईलैंड अपने प्रकृति नजारों और अपनी खूबसूरती के लिये मशहूर है. अगर आप अपने छुट्टियां मनाने की प्लानिंग कर रही हैं तो हम आपको कहेंगे की एक बार अंडमान की सैर पर जरुर जाएं सबसे खास बात जो यहां की है वो यह की यह एक फिशिंग स्पौट भी है. इस बार इन सब का आनंद लेने के लिये आप यहां जरुर आएं और फिशिंग का भी लुत्फ उठाएं. 

राधानगर बीच

हैवलौक का राधानगर बीच अंडमान निकोबार के बेस्‍ट बीच में से एक है. एक मैगजीन द्वारा दुनिया के 7वें बेस्‍ट बीच की रैंक में शामिल हो चुका है. यहां स्‍पार्क जैसी चमकती रेत में सनसेट का एक अलग ही मजा है. राधानगर बीच पर स्नोर्कलिंग, फिसिंग गेम, स्‍वीमिंग और स्कूबा डाइविंग आदि पयर्टकों के लिए हैं.

एलीफैंट बीच

एलीफैंट बीच भी अंडमान और निकोबार समुद्र तट के खूबसूरत बीच में से एक है. हैवलौक द्वीप से इस बीच में जानें के लिए नाव से या फिर 30 मिनट के जंगल के रास्‍ते को पार करके जा सकते हैं. शांत समुद्र तट के शांत पानी का नेवी रंग, विविध प्रकार के समुद्री जीव और स्नोर्कलिंग का अलग ही मिलता है. 

वि‍जयनगर बीच

हैवलौक का वि‍जयनगर बीच भी शानदार है. यहां पानी हवा में उछलता दिखाई देता है. तैराकी, नौकायन, फोटोग्राफी और वाटर सर्फिंग के लि‍ए यह बीच परफेक्‍ट है. यहां पर बीच के किनारे प्रकृति की खूबसूरती देखते ही बनती है. समुद्र के नीले पानी के कि‍नारे महुआ के पेड़ों की छाव का नजारा बेहद शानदार लगता है.

काला पत्‍थर बीच

काला पत्‍थर बीच का नाम भले ही सुनने में थोड़ा अटपटा लगता हो लेकि‍न यह बेहद खूबसूरत‍ है. हैवलौक आईलैंड में आने वाले पयर्टक यहां पर खूब मस्‍ती करते हैं. बीच के किनारे हल्‍की धूप में किताब पढ़ने या फिर चांदी से चमकते रेत में बैठने पर लगता है मानों हैवेन में बैठे हों. यह बीच पयर्टकों का मन मोह लेता है.

वंडूर बीच

वंडूर बीच मोस्‍ट अंडमान निकोबार का काफी पौपुलर बीच है. यह बीच महात्मा गांधी नेशनल मरीन पार्क के प्रवेश द्वार पर स्‍थ‍ित है. इसमें बड़ी संख्‍या में समुद्री जीव आते हैं. फोटोग्राफरों और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जगह किसी स्‍वर्ग से कम नही है. यहां इस बीच के किनारे पयर्टकों को टहलने में बहुत अच्‍छा लगता है.

स्मौग के कहर से ऐसे बचाएं त्वचा और बाल

स्मौग का दुष्प्रभाव आपकी सेहत के साथ ही साथ स्किन और बालों पर भी पड़ता है. हवा में घुला ये जहरीला धुआं हमारी त्वचा को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है. वायु प्रदूषण में मौजूद पार्टिकुलेटेड मैटर और विषैली गैस जब त्वचा की नमी या पसीने के संपर्क में आती हैं तो अम्लीय यानी कि एसिडिक नेचर की हो जाती है. ऐसे में त्वचा पर जलन महसूस होती है. यह त्वचा की रंगत पर असर डालती है. साथ ही साथ त्वचा पर दाग-धब्बें, कालेपन, मुहांसो और झुर्रियों आदि की आशंका भी बढ़ जाती है. अपनी त्वचा और बालों को प्रदूषण से बचाने के तमाम उपचार बाजार में मौजूद हैं लेकिन आप घरेलू तरीकों से इस समस्या का निदान आसानी से पा सकती हैं.

स्मौग के कहर से बचने के लिए आपको अपनी त्वचा को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी होता है. इसके लिए आप कुछ जूस का सेवन कर अपने रक्त प्रवाह को दुरुस्त रख सकती हैं.

मिक्स्ड वेजिटेबल जूस

गाजर, पालक, लौकी, खीरा, टमाटर, लहसुन और आंवला को मिलाकर जूस तैयार करें और उसका सेवन करें. ये आपके शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकाल कर आपकी त्वचा का खयाल रखने में आपकी मदद करती है.

नारियल-नींबू डिटाक्स वाटर

नारियल-नींबू डिटाक्स वाटर बनाने के लिए सबसे पहले आधे कप गर्म पानी में एक कप ताजा नारियल पानी मिलाएं. अब इसमें एक ताजा नींबू निचोड़ें. आपका डिटाक्स ड्रिंक तैयार हैं. इसका सेवन करें.

लौंग और पुदीना की पत्ती का फेस पैक

यह फेस पैक आपके चेहरे पर से गन्दगी को साफ कर निखार लाने का काम करती है. इसे बनाने के लिए एक चम्मच मुल्तानी मिट्टी में 6-7 कुचली हुई पुदीना की पत्ती तथा 2-3 पिसा हुआ लौंग मिलाएं. इसमें आवश्यकतानुसार पानी डाले और अच्छी तरह से पीसकर एक मोटा पैक तैयार करें. इसके बाद इस पैक को 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगाएं और बाद में पानी से धो लें.

नीम और तुलसी का फेस पैक

नीम और तुलसी का फेस पैक आपकी त्वचा के लिए बाहद ही फायदेमंद होता है खासकर कि मुहांसो को जड़ से मिटाने के लिए. इससे आपकी त्वचा में निखीर भी आता है. इस फेस पैक को तैयार करने के लिए एक चम्मच चंदन पाउडर में कुछ नीम और तुलसी की पत्तियां मिलाएं. अब इसमें एक चुटकी हल्दी पाउडर और पानी मिलाकर अच्छी तरह से पीस लें. इस फेस पैक को 15-20 मिनट चेहरे पर लगाए रखें. बाद में धो लें. हफ्ते में दो हार इसका इस्तेमाल कर आप जल्द ही चेहरे की विभिन्न समस्या से निजात पा सकती हैं.

बालों की सुरक्षा

स्मौग के कहर और इसके दुष्प्रभाव का सीधा असर आपके बालों पर भी पड़ता है. इससे बालों में रूखेपन और उनके बेजान होने की समस्या सामने आती है. ऐसे में आप घर बैठे कुछ हेयर मास्क बनाकर इनकी सेहत दुरुस्त कर सकती हैं-

बनाना-आलमंड मिल्क हेयर मास्क

बारीक कटा हुआ एक केला, एक चम्मच शहद और बादाम का दूध मिलाकर अच्छी तरह पीस लीजिए. इसके बाद बालों में शैम्पू कर लीजिये इसके बाद अच्छी तरह से बालों को पोछकर बनाना-आलमंड मिल्क हेयर मास्क जिसे आपने तैयार किया है पूरे बालों पर जड़ से सिरे तक लगाइये. फिर 20-25 मिनट तक मास्क को यूं ही लगा रहने दीजिए और बाद में पानी से धो लीजिए.

अंडे और कैस्टर आयल का मास्क

एक कच्चे अंडे में एक चम्मच कैस्टर आयल मिलाइए. अब इस हेयर मास्क को बालों में लगाइए और 15-20 मिनट तक यूं ही रहने दीजिए. बाद में पानी से धो लीजिए. यह आपके बालों से गंदगी निकाल उसे नई चमक देता है.

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