छेड़छाड़ है एक सामाजिक रोग

साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली मनीषा शाह होनहार छात्रा थी. वह डाक्टर बनने का सपना देखती थी. अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह कड़ी मेहनत से पढ़ाई करती थी. गरीबी उस की राह में बाधा नहीं बनी. उस के इंटरमीडिएट में अच्छे मार्क्स आए, जिस से उस के हौसलों में इजाफा हो गया, लेकिन एक ही झटके में उस का सपना तिनकातिनका हो गया. बिस्तर पर अब उस की जिंदगी दूसरों के सहारे की मुहताज हो चुकी है. पढ़ाई की बात करने पर उस की आंखों से आंसू छलक आते हैं. परिवार के साथ गरीबी पूरी बेरहमी से पेश आ रही है.

बमुश्किल दो वक्त की रोटी और उन दवाओं का इंतजाम हो पाता है, जो मनीषा को जिंदा रखने के लिए जरूरी हैं. सभी की कोशिश मनीषा की जिंदगी बचाने की है. वक्त के साथ मनीषा को दर्द के दरिया से नजात मिल कर सब ठीक भी हो जाए, लेकिन वह टीस कभी नहीं जाएगी जो एक शोहदे ने उसे दी. वह सभ्य समाज में उस छेड़छाड़ का शिकार हुई जो युवाओं के लिए फैशन बन गया है.  यह कोढ़ग्रस्त इंसानियत की हकीकत है कि हर मिनट कोई न कोई युवती या महिला किसी न किसी कुंठित मानसिकता के हैवान का खुलेआम शिकार हो रही है. बेटियों की सुरक्षा को ले कर चिंता अभिभावकों की भी स्थायी फिक्र बन चुकी है. हकीकत के नैतिक पतन रूपी इस आईने से रूबरू और जागरूक के लिए कोई बुलंद आवाज नहीं उठती. नतीजतन, इस रोग का दायरा बढ़ता जा रहा है.  दरअसल, मनीषा मौडर्न शहर का लिबास पहने दिल्ली से सटे नोएडा के मोरना गांव की रहने वाली है. उस के इलैक्ट्रीशियन पिता दिहाड़ी पर काम करते हैं. इस परिवार की पूरी दुनिया महज एक कमरे में सिमटी  हुई है.

बचपन से ही गरीबी का सामना करने वाली मनीषा पढ़लिख कर परिवार का सहारा बनना चाहती है. हौसलों को वक्त के साथ वह पंख भी दे रही थी. गांव के 2 युवक मनीषा को परेशान करते थे और वह उन का विरोध करती थी. 19 मई की रात जब वह घर की छत पर थी, तो उन शरारती युवकों ने वहां पहुंच कर उस के साथ छेड़छाड़ कर दी.

उस ने विरोध किया, तो उन्होंने उसे छत से धक्का दे दिया, जिस से मनीषा के सिर, कमर व शरीर के अन्य हिस्सों पर गंभीर चोटें आईं. सिर पर लगी गहरी चोट से उस का दिमागी संतुलन गड़बड़ा गया, जिस की वजह से कभीकभी वह खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाती. अस्पताल का खर्च ज्यादा था लिहाजा, छुट्टी करा कर मनीषा को घर में रखा गया, लेकिन इलाज जारी रहा. बेटी के इलाज में पिता कर्जदार हो चुके हैं. सीबीएसई बोर्ड की इंटरमीडिएट की परीक्षा में 94 प्रतिशत मार्क्स लाने वाली मनीषा इलाज और हौसले से शायद उन बुलंदियों को छू सके जिन का कभी उस ने ख्वाब देखा था. हालांकि आरोपी युवकों को पुलिस जेल भेज चुकी है.

तमाशबीन जनता

छेड़छाड़ की घटना की मनीषा इकलौती शिकार हो, ऐसा नहीं है. समाज में ऐसी घटनाओं का दायरा बढ़ता जा रहा है. युवतियां और महिलाएं छेड़छाड़ की शिकार हो रही हैं. कामकाजी महिलाएं व छात्राएं आएदिन इस कड़वी हकीकत से दोचार होती हैं.

छेड़छाड़ करने वालों के हौसले इतने बुलंद हैं कि न उन्हें समाज का डर होता है न कानून का. समाज तमाशा देखने का आदी हो चुका है और कानून अपराध होने पर ही अपना काम करता है. वह भी तब, जब बात हद से पार हो जाए.  इलाहाबाद की रहने वाली छात्रा रीना को स्कूल जाने से अब डर लगता है. उस के मातापिता हर वक्त बेटी को ले कर चिंतित रहते हैं, क्योंकि उन का एक ऐसी घटना से सामना हुआ, जिस ने उन की चिंता को और भी बढ़ा दिया. रीना को स्कूल आतेजाते कुछ शरारती युवक परेशान करते थे. पहले उस ने यह सब नजरअंदाज किया, लेकिन जब उन की हरकतें ज्यादा बढ़ गईं तो उस ने अपने पिता को सारी बातें बताईं. उन्होंने 3 युवकों की शिकायत पुलिस से की, लेकिन जब उन युवको को इस का पता चला, तो वे बौखला गए और उन्होंने रीना के घर पहुंच कर धावा बोल दिया. गालीगलौज करते हुए उसे जान से मारने की भी धमकी दी. बाद में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, लेकिन रीना के मन में एक अनजाना भय स्थायी रूप से घरघर गया है.

छेड़छाड़ की शिकार युवतियों को अकसर मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है, जिस के चलते यह अपमान और खतरा बरदाश्त से बाहर हो जाता है और वे घातक कदम भी उठा लेती हैं.  सहारनपुर जिले के सीकरी की रहने वाली 11वीं की एक छात्रा को 2 युवक अकसर परेशान करते थे. उस के विरोध के बावजूद युवकों की छेड़छाड़ बढ़ती गई. उस ने पिता से उन की शिकायत की, तो उन्होंने युवकों को अपनी हरकतों से बाज आने की सख्त चेतावनी दी. कुछ दिन तो सब ठीक रहा, लेकिन युवक फिर से अपनी हरकतों पर उतर आए.

उन की छेड़छाड़ से वह युवती इतनी परेशान हो गई कि एक दिन उस ने अपने घर में ही फांसी का फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली. समाज में छेड़छाड़ से परेशान युवतियों द्वारा इस तरह के घातक कदम उठाने के मामलों का ग्राफ बढ़ रहा है. हालांकि, हिम्मत हारने के बजाय युवतियों को हालात का जम कर मुकाबला करना चाहिए.

मजबूरी की मार

बहुत से मामलों में युवतियां छेड़छाड़ सहने को मजबूर होती हैं. मुसीबत की वजह से वे कई बार खुल कर विरोध नहीं कर पातीं. दबंग व बुलंद हौसले वाले शरारती तत्त्व उन्हें तरहतरह से परेशान करते हैं. ग्रामीण इलाकों में तो स्थिति और भी भयावह है. दबंग चाहते हैं कि युवतियां उन की छेड़छाड़ को बरदाश्त करें. उन की बात न मानने या विरोध करने पर नौबत मारपीट या हिंसा तक आ जाती है.

पीलीभीत जिले के मल्लपुर गांव की एक 13 वर्षीय किशोरी शाम को नल पर पानी भरने गई. तो एक दबंग ने उस के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी. वह खींच कर उसे पास के एक कमरे में ले गया. किशोरी ने जब इस की शिकायत अपने परिवार से करने की धमकी दी, तो वह हिंसक हो गया और उस पर उस ने मिट्टी का तेल छिड़क कर आग लगा दी. जलती हालत में वह चीखते हुए भागी और बाहर आ कर गिर गई. लोगों ने मुश्किल से आग बुझा कर उसे अस्पताल पहुंचाया. बाद में पुलिस ने उस दबंग को गिरफ्तार कर लिया.

किस राह किस के साथ छेड़छाड़ हो जाए इसे कोई नहीं जानता. सहारनपुर जिले में एक भिखारी महिला के साथ भी एक युवक ने छेड़छाड़ कर दी. महिला के विरोध के बाद युवक को पुलिस के हवाले कर दिया गया. छेड़छाड़ के मामलों में आरोपी अंजाम भुगतने तक की धमकियां देते हैं.  ऐसे मामलों में पीडि़ता यदि पुलिस के पास जाती है, तो उसे कई बार बदनामी का डर दिखाया जाता है. कितने ही मामले ऐसे होते हैं जिन्हें पुलिस गंभीरता से नहीं लेती और आरोपी को सिर्फ चेतावनी दे कर छोड़ देती है. वह फिर कभी किसी के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा, इस की कोई गारंटी नहीं होती.

अमूमन छेड़छाड़ करने वाले पुलिस के इस लचीले रवैए का फायदा उठाते हैं. लोगों की भी यह प्रवृत्ति बन गई है कि यदि किसी सार्वजनिक स्थल पर किसी के साथ छेड़छाड़ हो रही हो, तो वे दखल देने से गुरेज करते हैं. घर, स्कूल, दफ्तर या बाजार आतेजाते महिलाओं व युवतियों के मन में छेड़छाड़ का डर बना ही रहता है. छेड़छाड़ किसी सभ्य समाज की पहचान नहीं हो सकती. यह न सिर्फ किसी युवती के लिए बल्कि समाज के लिए भी बड़ी फिक्र होनी चाहिए.

एक तरह का मनोरोग

महिलाएं व युवतियां अकसर सब से अधिक सार्वजनिक स्थलों पर छेड़छाड़ का शिकार होती हैं. किसी को छू कर निकलना, पीछा करना, सीटी बजाना, सांकेतिक टिप्पणी करना या अश्लील इशारा करना इसी श्रेणी में आता है. इस की शिकार महिलाएं कई बार इसे नजरअंदाज करने की कोशिश करती हैं. विरोध करने पर ऐसा करने वाले अकसर सरल तरीका खोजते हैं. कई बार वे शिकार महिला को ही झूठा साबित करने पर अड़ जाते हैं. तमाशबीन लोग पचड़े में नहीं पड़ना चाहते. उन की यह सोच छेड़छाड़ करने वालों को हिम्मत देती है.

चिकित्सकों की राय में महिलाओं पर बुरी नजर रखने और उन से छेड़छाड़ करने वाले वास्तव में एक तरह के मानसिक रोग से पीडि़त होते हैं. ऐसी विकृत मानसिकता के लोगों के दिमाग में कुछ गलत विचार चल रहे होते हैं. किसी भी विपरीतलिंगी को देख कर गलत विचारों की शृंखला और बढ़ जाती है. मौका लगते ही वे छोटीबड़ी हरकत करते हैं. यदि कोई विरोध करता है, तो अनजान बनने का नाटक करते हैं. पीडि़ता यदि कमजोर हो, तो वह कुंठित हो कर घातक कदम उठाने से भी नहीं चूकते.

क्या कहता है कानून

छेड़छाड़ को ले कर कानून बेहद सख्त है और समयसमय पर उस में बदलाव भी किया गया है. बावजूद इस के छेड़छाड़ का मर्ज समाज में बढ़ रहा है.

अधिवक्ता राजेश द्विवेदी बताते हैं कि पहले छेड़छाड़ के मामले में अधिकतम 2 साल की कैद की सजा का प्रावधान था, लेकिन निर्भया कांड के बाद कानून में हुए बदलाव के बाद अब छेड़छाड़ के मामले में अपराध की गंभीरता के हिसाब से व्याख्या की गई है. अलगअलग सैक्शन में सजा का प्रावधान भी अलग हैं. दोषी को 1 से ले कर 7 साल तक की सजा हो सकती है. इतना ही नहीं, धारा 354 व उस के सैक्शन के अंतर्गत आने वाले इस अपराध को गैर जमानती अपराध माना गया है.  कानून के तहत किसी महिला को गलत मंशा से छेड़ना, आपत्तिजनक इशारा करना, मरजी के खिलाफ पौर्न दिखाना, जबरन किसी के कपड़े उतारना, उसे उकसाना, किसी का आपत्तिजनक फोटो लेना, उन्हें बांटना, किसी का पीछा करना या जबरन बात करने का प्रयास करना अपराध है.

 ऐसे में कोई भी महिला शिकायत दर्ज करा सकती है.  छेड़छाड़ के मामलों को ले कर अदालतें भी गंभीर रहती हैं. एक मामले में कोर्ट की यह टिप्पणी कथित सभ्य समाज को आईना दिखाने के लिए काफी है, जिस में कहा गया कि किसी महिला के साथ छेड़छाड़ या उस का पीछा करना उस के जीने के अधिकार का उल्लंघन है. पुलिस महिलाओं को ऐसा सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराए कि वे कहीं भी बेखौफ आजा सकें.

महिला आईपीएस मंजिल सैनी कहती हैं कि छेड़छाड़ के मामले में पीडि़ता को तुरंत पुलिस की मदद लेनी चाहिए.

आशा भोंसले को ताउम्र रहेगा ये मलाल

आशा भोंसले को एक अच्छी शिक्षा हासिल न कर पाने का मलाल है. आशा का कहना है कि अगर सही शिक्षा प्राप्त करके वह अंग्रेजी में भी गाने गातीं और बनातीं तो वर्तमान से भी और ऊंचाई हासिल कर सकती थीं. बौलिवुड की दिग्गज गायिका ने ग्लोबल इंडियन इंटरनैशनल स्कूल (जीआईआईएस) के दुबई में आयोजित ‘लीडरशिप लेक्चर सीरीज’ कैम्प में शामिल होने के दौरान यह बात कही.

युवा पीढ़ी के लिए अपने संदेश के बारे में आशा ने कहा, ‘एक इंसान अपनी सफलता के लिए खुद ही जिम्मेदार होता है. अगर कोई दिन-रात मेहनत कर रहा है तो वह जरूर सफल होगा. आपके स्कूल के लिए मैं यह संदेश देना चाहती हूं कि मैंने अच्छी शिक्षा हासिल नहीं की और आज जब मैं अमेरिका और लंदन जाती हूं तो वहां के गीत सुनकर मुझे मलाल होता है. मुझे बुरा लगता है कि मैं उनकी शैली को नहीं अपना पाई.

आशा ने आगे कहा, ‘मैं अच्छी शिक्षा हासिल नहीं कर पाई. अब मुझे सच में मलाल होता है कि अगर मैं अच्छी शिक्षा हासिल करती तो अलग ही स्तर की उपलब्धि हासिल कर पाती.’ अपने करियर में आशा ने हर प्रकार की शैली के गानों को अपनी आवाज दी है, जिसमें ‘झुमका गिरा रे’, ‘दम मारो दम’, ‘चुरा लिया है’, ‘दिल चीज क्या है’, ‘मेरा कुछ सामान’ और ‘प्रेम में तोहरे’ आदि गीत शामिल हैं.

आशा ने जीनत अमान से उर्मिला मातोंडकर और रेखा से विद्या बालन तक सबके लिए अपनी आवाज दी है. छह दशकों में उन्होंने अपनी आवाज का जादू कम नहीं होने दिया.

वरुण धवन की फैन ने दी आत्महत्या करने की धमकी

वरुण धवन की एक महिला फैन ने उन्हें इतना परेशान कर दिया कि अभिनेता को पुलिस स्टेशन जाना पड़ा. पुलिस ने वरुण की शिकायत की अर्जी ले तो ली है, पर एफआईआर दर्ज नहीं की.

कई दिनों से एक लड़की वरुण धवन को दिन और रात- हर वक्त यह कहकर व्हाट्सऐप पर संदेश भेज रही थी कि वह उनकी बहुत बड़ी फैन है. वरुण कुछ दिनों तक तो ट्सऐप देखते रहे। मगर जब लड़की के व्हाट्सऐप बंद नहीं हुए, तो उन्होंने उसके नंबर को ब्लौक कर दिया. उसके अगले दिन उन्हें एक लड़के ने फोन करके कहा कि यदि तुमने उसके व्हाट्सऐप संदेशों का जवाब नहीं दिया, तो वह खुदकुशी कर लेगी.

वरुण ने पुलिस में दर्ज कराई शिकायत

वरुण जुहू पुलिस स्टेशन शिकायत दर्ज कराने पहुंचे, लेकिन उनका घर सांताक्रुज में है, इसलिए उन्हें सांताक्रुज थाने में जाने की सलाह दी. उन्होंने वहां जाकर आईपीसी की धारा 506 के तहत असंज्ञेय अपराध (नौन कौग्निज़ेबल औफेंस) की शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने लड़की और लड़के, दोनों के मोबाइल नंबरों का डेटा निकाला है. उसके आधार पर व्हाट्सऐप और कौल करने वाले-दोनों की शिनाख्त की जा रही है.

वरुण पर हो सकता है केस

पूर्व आईपीएस अधिकारी और नामी वकील वाई.पी. सिंह कहते हैं, ‘वरुण की शिकायत में आईपीसी की धारा 506 लगाना गलत है. यह धारा धमकी देने पर लगाई जाती है, पर लड़की की तरफ से लड़के ने वरुण को जो फोन किया, उसमें यह कहा था कि यदि आपने लड़की को जवाब नहीं दिया तो वह खुदकुशी कर लेगी. लड़के ने सिर्फ सूचना दी, धमकी नहीं दी. लड़के का मकसद लड़की की जिंदगी बचाना था, इसलिए यदि पुलिस चाहे तो खुद वरुण पर आईपीसी की धारा 177 के तहत सरकारी कर्मचारी को गलत सूचना का आरोप लगाकर मामला दर्ज कर सकती है.

सेल में शौपिंग करने से पहले इन बातों को जानिए

सेल का नाम सुनते ही शौपिंग के शौकीन लोग झट खरीददारी के लिए निकल पड़ते हैं. हो भी क्यों न सेल में बड़े ब्रैंड का सामान आपको आधे या उससे भी कम दाम पर मिल जाता है. लेकिन कभी-कभी ये सस्ते का चक्कर आपको काफी मंहगा साबित हुआ होगा.

दरअसल सेल में शौपिंग करना हर किसी के बस की बात नहीं होती. यहां आपको समझदारी के साथ साथ सामान की जानकारी होना भी जरुरी होता है. कुछ आसान सा टिप्स अपनाकर आप सेल से भी स्मार्ट शौपिंग कर सकते हैं.

सेल में शौपिंग के टिप्स

  • जाने से पहले ये जानकारी लें कि सेल किसी त्योहार की वजह से लगा है या स्टौक क्लियरेंस है. अमूमन स्टौक क्लियरेंस वाले सेल में सामान या तो काफी पुराने होते हैं या फिर छंटे हुए. यहां से कपड़े या जूते चप्पल आदि लेने से बचें .
  • शौपिंग में जाने से पहले जरुरी सामान की लिस्ट बना लें. ऐसे में आप सस्ते के मोह में फंस कर गैर-जरुरी सामान लेने से बच सकती हैं.
  • Buy One Get One वाले सामान के चक्कर में कुछ भी उठाने के बदले अपनी शौपिंग में दोस्तों को साझेदार बना लेना समझदारी होगी.
  • कपड़े, जूते चप्पल या लेदर, रेक्सिन का अन्य सामान लेते हुए उसकी निर्माण तिथि देखना ना भूलें, ज्यादा पुराना हो तो न लें.
  • ब्रांड की परख करके सामान खरीदें. कई बार सेल में फर्जी टैग वाला सामान भी पाया जाता है. ऐसे में आप लुट भी सकती हैं.
  • कोशिश करें की सेल के शुरुआती दिनों में ही खरीददारी कर लें, क्योंकि यहां बहुत जल्दी सामान छंट जाते हैं, ऐसे में आपके पास विकल्प की कमी हो सकती है.
  • इन बातों का ध्यान रखकर आप सेल का पूरा फायदा उठा सकती हैं. तो इस त्यौहार के सीजन में जमकर सेल का लुत्फ उठाएं और हमेशा काम आने वाले बैग, सैंडल, ज्वेलरी, वौच और घर के अन्य डेकोरेटिव सामान आदि सस्ते में लेकर अपने पास शानदार कलेक्शन बना लें.

फिशिंग गेम के लिये मशहूर है यह बीच

अंडमान निकोबार जोकि भारत का एक द्वीप समूह है. चारो तरफ से समुद्र से घिरा यह आईलैंड अपने प्रकृति नजारों और अपनी खूबसूरती के लिये मशहूर है. अगर आप अपने छुट्टियां मनाने की प्लानिंग कर रही हैं तो हम आपको कहेंगे की एक बार अंडमान की सैर पर जरुर जाएं सबसे खास बात जो यहां की है वो यह की यह एक फिशिंग स्पौट भी है. इस बार इन सब का आनंद लेने के लिये आप यहां जरुर आएं और फिशिंग का भी लुत्फ उठाएं. 

राधानगर बीच

हैवलौक का राधानगर बीच अंडमान निकोबार के बेस्‍ट बीच में से एक है. एक मैगजीन द्वारा दुनिया के 7वें बेस्‍ट बीच की रैंक में शामिल हो चुका है. यहां स्‍पार्क जैसी चमकती रेत में सनसेट का एक अलग ही मजा है. राधानगर बीच पर स्नोर्कलिंग, फिसिंग गेम, स्‍वीमिंग और स्कूबा डाइविंग आदि पयर्टकों के लिए हैं.

एलीफैंट बीच

एलीफैंट बीच भी अंडमान और निकोबार समुद्र तट के खूबसूरत बीच में से एक है. हैवलौक द्वीप से इस बीच में जानें के लिए नाव से या फिर 30 मिनट के जंगल के रास्‍ते को पार करके जा सकते हैं. शांत समुद्र तट के शांत पानी का नेवी रंग, विविध प्रकार के समुद्री जीव और स्नोर्कलिंग का अलग ही मिलता है. 

वि‍जयनगर बीच

हैवलौक का वि‍जयनगर बीच भी शानदार है. यहां पानी हवा में उछलता दिखाई देता है. तैराकी, नौकायन, फोटोग्राफी और वाटर सर्फिंग के लि‍ए यह बीच परफेक्‍ट है. यहां पर बीच के किनारे प्रकृति की खूबसूरती देखते ही बनती है. समुद्र के नीले पानी के कि‍नारे महुआ के पेड़ों की छाव का नजारा बेहद शानदार लगता है.

काला पत्‍थर बीच

काला पत्‍थर बीच का नाम भले ही सुनने में थोड़ा अटपटा लगता हो लेकि‍न यह बेहद खूबसूरत‍ है. हैवलौक आईलैंड में आने वाले पयर्टक यहां पर खूब मस्‍ती करते हैं. बीच के किनारे हल्‍की धूप में किताब पढ़ने या फिर चांदी से चमकते रेत में बैठने पर लगता है मानों हैवेन में बैठे हों. यह बीच पयर्टकों का मन मोह लेता है.

वंडूर बीच

वंडूर बीच मोस्‍ट अंडमान निकोबार का काफी पौपुलर बीच है. यह बीच महात्मा गांधी नेशनल मरीन पार्क के प्रवेश द्वार पर स्‍थ‍ित है. इसमें बड़ी संख्‍या में समुद्री जीव आते हैं. फोटोग्राफरों और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह जगह किसी स्‍वर्ग से कम नही है. यहां इस बीच के किनारे पयर्टकों को टहलने में बहुत अच्‍छा लगता है.

स्मौग के कहर से ऐसे बचाएं त्वचा और बाल

स्मौग का दुष्प्रभाव आपकी सेहत के साथ ही साथ स्किन और बालों पर भी पड़ता है. हवा में घुला ये जहरीला धुआं हमारी त्वचा को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है. वायु प्रदूषण में मौजूद पार्टिकुलेटेड मैटर और विषैली गैस जब त्वचा की नमी या पसीने के संपर्क में आती हैं तो अम्लीय यानी कि एसिडिक नेचर की हो जाती है. ऐसे में त्वचा पर जलन महसूस होती है. यह त्वचा की रंगत पर असर डालती है. साथ ही साथ त्वचा पर दाग-धब्बें, कालेपन, मुहांसो और झुर्रियों आदि की आशंका भी बढ़ जाती है. अपनी त्वचा और बालों को प्रदूषण से बचाने के तमाम उपचार बाजार में मौजूद हैं लेकिन आप घरेलू तरीकों से इस समस्या का निदान आसानी से पा सकती हैं.

स्मौग के कहर से बचने के लिए आपको अपनी त्वचा को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी होता है. इसके लिए आप कुछ जूस का सेवन कर अपने रक्त प्रवाह को दुरुस्त रख सकती हैं.

मिक्स्ड वेजिटेबल जूस

गाजर, पालक, लौकी, खीरा, टमाटर, लहसुन और आंवला को मिलाकर जूस तैयार करें और उसका सेवन करें. ये आपके शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकाल कर आपकी त्वचा का खयाल रखने में आपकी मदद करती है.

नारियल-नींबू डिटाक्स वाटर

नारियल-नींबू डिटाक्स वाटर बनाने के लिए सबसे पहले आधे कप गर्म पानी में एक कप ताजा नारियल पानी मिलाएं. अब इसमें एक ताजा नींबू निचोड़ें. आपका डिटाक्स ड्रिंक तैयार हैं. इसका सेवन करें.

लौंग और पुदीना की पत्ती का फेस पैक

यह फेस पैक आपके चेहरे पर से गन्दगी को साफ कर निखार लाने का काम करती है. इसे बनाने के लिए एक चम्मच मुल्तानी मिट्टी में 6-7 कुचली हुई पुदीना की पत्ती तथा 2-3 पिसा हुआ लौंग मिलाएं. इसमें आवश्यकतानुसार पानी डाले और अच्छी तरह से पीसकर एक मोटा पैक तैयार करें. इसके बाद इस पैक को 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगाएं और बाद में पानी से धो लें.

नीम और तुलसी का फेस पैक

नीम और तुलसी का फेस पैक आपकी त्वचा के लिए बाहद ही फायदेमंद होता है खासकर कि मुहांसो को जड़ से मिटाने के लिए. इससे आपकी त्वचा में निखीर भी आता है. इस फेस पैक को तैयार करने के लिए एक चम्मच चंदन पाउडर में कुछ नीम और तुलसी की पत्तियां मिलाएं. अब इसमें एक चुटकी हल्दी पाउडर और पानी मिलाकर अच्छी तरह से पीस लें. इस फेस पैक को 15-20 मिनट चेहरे पर लगाए रखें. बाद में धो लें. हफ्ते में दो हार इसका इस्तेमाल कर आप जल्द ही चेहरे की विभिन्न समस्या से निजात पा सकती हैं.

बालों की सुरक्षा

स्मौग के कहर और इसके दुष्प्रभाव का सीधा असर आपके बालों पर भी पड़ता है. इससे बालों में रूखेपन और उनके बेजान होने की समस्या सामने आती है. ऐसे में आप घर बैठे कुछ हेयर मास्क बनाकर इनकी सेहत दुरुस्त कर सकती हैं-

बनाना-आलमंड मिल्क हेयर मास्क

बारीक कटा हुआ एक केला, एक चम्मच शहद और बादाम का दूध मिलाकर अच्छी तरह पीस लीजिए. इसके बाद बालों में शैम्पू कर लीजिये इसके बाद अच्छी तरह से बालों को पोछकर बनाना-आलमंड मिल्क हेयर मास्क जिसे आपने तैयार किया है पूरे बालों पर जड़ से सिरे तक लगाइये. फिर 20-25 मिनट तक मास्क को यूं ही लगा रहने दीजिए और बाद में पानी से धो लीजिए.

अंडे और कैस्टर आयल का मास्क

एक कच्चे अंडे में एक चम्मच कैस्टर आयल मिलाइए. अब इस हेयर मास्क को बालों में लगाइए और 15-20 मिनट तक यूं ही रहने दीजिए. बाद में पानी से धो लीजिए. यह आपके बालों से गंदगी निकाल उसे नई चमक देता है.

जहरीले स्मौग से बचने के लिए जानिए ये उपाय

आज देश की राजधानी दिल्ली स्मौग के कहर से जूझ रही है. भयंकर धुंध की वजह से सांस लेने में तकलीफ और सड़कों पर कम होती दृश्यता लोगों की परेशानी का सबब बनी हुई है. लोगों का घर से निकलना मुहाल हो गया है. हवा में घुला ये जहरीला धुआं हमारी सेहत को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दिल्ली की वर्तमान हालत को पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है. उसने सरकार को एक पत्र लिखकर सभी तरह के आउटडोर एक्टिविटीज तथा स्कूलों में स्पोर्ट्स एक्टिविटीज को तत्काल रोकने का सुझाव दिया है. साथ ही साथ सभी दिल्लीवासियों को घर से बाहर न निकलने की सलाह भी दी है. ऐसे में यह जानना-समझना बहुत जरूरी है कि ये स्मौग क्या है और इसके कारण और दुष्प्रभाव क्या हैं? आखिर यह किस तरह से लोगों को बीमार बना सकता है? तो आइये जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब-

क्या है स्मौग?

स्मौग एक तरह का वायु प्रदूषण ही है. यह स्मोक और फौग से मिलकर बना है जिसका मतलब है स्मोकी फौग, यानी कि धुआं युक्त कोहरा. इस तरह के वायु प्रदूषण में हवा में नाइट्रोजन आक्साइड्स, सल्फर आक्साइड्स, ओजोन, स्मोक और पार्टिकुलेट्स घुला होता है, जो हमारी सेहत के लिए बेहद ही हानिकारक है.

क्या है स्माग का कारण?

सर्दी के मौसम में हवाएं थोड़ी सुस्त होती हैं. ऐसे में डस्ट पार्टिकल्स और प्रदूषण वातावरण में स्थिर हो जाता है जिससे स्मौग जैसी समस्याएं सामने आती हैं. दिल्ली की सीमाओं (पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा) से लगने वाले क्षेत्रों में बहुतायत मात्रा में कृषि की जाती है. यहां के लोग फसल कटने के बाद उसके अवशेषों को जला देते हैं. इससे निकलने वाला धुआं स्मौग की समस्या उत्पन्न करता है. हमारे द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों से निकलने वाला धुआं, फैक्ट्रियों और कोयले, पराली आदि के जलने से निकलने वाला धुआं इस तरह के वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण होता है. इस बार सुप्रीम कोर्ट से बैन होने के बाद भी लोगों ने राजधानी के बहुत से इलाकों में भारी मात्रा में पटाखे आदि फोड़े. जिससे धीरे धीरे प्रदूषण की समस्या गहराती गई और आज दिल्ली जिस स्मौग के बनने की समस्या से जूझ रही है उसमें इनका भी भारी मात्रा में योगदान रहा है.

स्मौग के दुष्प्रभाव

स्मौग की वजह से सांस लेने में तकलीफ तो होती ही है साथ ही साथ इसकी वजह से अस्थमा, एम्फीसिमा, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और अन्य श्वांस संबंधी समस्याएं अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं. आइये जाने कि इसका हमारे सेहत पर किस हद तक बुरा असर पड़ रहा है.

खांसी और गले तथा सीने में जलन

जब आप हवा में घुले जहर यानी कि स्मौग के संपर्क में आती हैं तो हवाओं में भारी मात्रा में नाइट्रोजन आक्साइड्स, सल्फर आक्साइड्स, ओजोन और स्मोक मौजूद होने की वजह से आपके श्वसन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है. इससे सीने में जलन होती है और खांसी की भी समस्या पैदा होने लगती है. इसकी वजह से फेफड़ों में संक्रमण भी हो सकता है.

अस्थमा में हानिकारक

अगर आप अस्थमा की मरीज हैं तो आपको स्मौग से बचकर रहने की आवश्यकता है क्योंकि स्मौग में मौजूद ओजोन आपके लिए ज्यादा घातक साबित हो सकता है. इसके कारण आपको सांस लेने मे तकलीफ होने के साथ ही अस्थमा का अटैक आ सकता है. इसलिए अस्थमा के रोगी को इससे बचकर रहने की आवश्यकता है.

आइये जाने इससे बचाव का तरीका

स्मौग के दिनों में कम से कम एक्टिव रहने की कोशिश करें. ऐसे मौसम में आप जितना एक्टिव रहेंगे आपको श्वसन संबंधी रोग होने का खतरा उतना बढ़ जाएगा. स्मौग के दुष्प्रभाव से बचने के लिए घर से ज्यादा देर तक के लिए बाहर रहने से बचें. बेहद आवश्यकता पड़ने पर ही घर से बाहर जाएं. बाहर जाने से पहले अपने फेस को पूरी तरह से कवर कर लें या फिर मास्क का इस्तेमाल करें. शहर मे फैले एजेन का स्तर जाने साथ ही बाहर जाने का प्रोग्राम तभी बनाएं जब ओजोन का स्तर कम हो. वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करें. ऊर्जा संरक्षण, कार पूलिंग और पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे अभियानों में सहयोग दें.

..तो क्या राजस्थान में रिलीज नहीं होगी ‘पद्मावती’

फिल्‍म “पद्मावती” अपनी शूटिंग के पहले दिन से ही विवादों से घिरी हुई है. निर्देशक संजय लीला भंसाली ने तो अपनी इस फिल्म की रिलीज डेट तय कर दी है पर रिलीज की तारिख नजदीक आने के बाद भी “पद्मावती” की मुसीबतें अभी तक टली नहीं है. कई समुदाय के लोग इस फिल्म को लेकर लगातार अपना विरोध जता रहे हैं. खबरे तो यहां तक आ रही हैं कि राजस्थान के फिल्म डिस्‍ट्रीब्‍यूटों ने “पद्मावती” से जुड़े विवाद के सुलझने तक राज्‍य में फिल्म रिलीज करने से ही मना कर दिया है.

एक रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान के एक फिल्म वितरक संजय चतर ने कहा कि फिल्म निर्माता और विरोध करने वालों को पहले विवाद खत्म करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इतिहास के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए. राजस्थान में 300 स्क्रीन हैं. फिल्म निर्देशक द्वारा रानी पद्मावती के संबंध में इतिहास के साथ की गई कथित छेड़छाड़ के विरोध में करणी सेना, बजरंगदल और अन्य संगठन फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं.

भाजपा विधायक और जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्य दीया कुमारी ने भी फिल्म में ​इतिहास के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ को लेकर अपना विरोध जताया है. सोशल मीडिया पर अपना विरोध दर्शाते हुए दीया ने ट्वीट किया कि रानी पद्मावती राजस्थान की बहादुरी और सम्मान का प्रतीक है और उनकी एवं महिलाओं के बलिदान को कमतर करने की किसी भी कोशिश को सफल नहीं होने दिया जाएगा.

इससे पहले केंद्रीय मंत्री उमा भारती और गिरिराज सिंह भी इसका विरोध कर चुके हैं. इसके साथ ही तेलंगाना के विधायक टी. राजा सिंह के साथ ही उज्जैन से भाजपा सांसद चिंतामणि मालवीय भी “पद्मावती” के परदे पर उतरने से पहले इसके विरोध में उतर आये हैं. राजा सिंह का कहना है कि फिल्म में अगर राजपूत रानी की छवि को गलत तरीके से पेश किया गया है तो वह उसकी रिलीज को रोकने का पूरा प्रयास करेंगे.

भंसाली के निर्देशन में बनी इस फिल्‍म में दीपिका पादुकोण पद्मावती बनी नजर आएंगी जबकि शाहिद कपूर उनके पति महारावल रतन सिंह के किरदार में नजर आएंगे. रणवीर सिंह इस फिल्‍म में अलाउद्दीन खिलजी का किरदार निभाते दिखेंगे. इस फिल्‍म को 1 दिसंबर को रिलीज किया जाना है, पर “पद्मावती” को लेकर चल रहे विवाद को देखकर लगता है कि इस फिल्म रिलीज कर पाना भंसाली के लिए काफी मुश्किल होगा. अब देखना ये है कि यह फिल्म कहां रिलीज होती है और कहां इसके रिलीज होने पर पाबंदी लगाई जाती है.

स्मौग के लिए मैं भी जिम्मेदार : वरुण धवन

बीते दो तीन दिनों से दिल्‍ली में दिन की शुरुआत ‘स्मौग’ यानी ‘स्‍मोक+फौग’ के साथ हो रही है. ‘स्मौग’ का कहर इतना है कि सूरज तक दिखाई नहीं दे रहा. हवा में घुले इस प्रदूषण ने सुबह-सुबह लोगों का दफ्तर पहुंचना मुश्किल कर दिया और हर कोई दिल्‍ली में फैले प्रदूषण के इस जहर के बारे में बात करने लगा. दिल्ली के इस नजारे को देखकर दिल से बस एक ही आवाज आती है कि यहां ‘फौग’ नहीं बल्कि ‘स्मौग’ चल रहा है. दिल्‍ली में फैले ‘स्मौग’ को लेकर कुछ सेलीब्रिटीज ने भी अपने तरीके से लोगों को प्रदूषण के इस खतरे के प्रति सचेत करने की कोशिश की है. एक्‍टर वरुण धवन और बौक्‍सर विजेंद्र सिंह ने अपनी-अपनी एक सेल्‍फी पोस्‍ट की है, जिसमें वह मास्‍क पहने नजर आ रहे हैं.

वरुण ने अपने इस फोटो के साथ ही लोगों को प्रदूषण से जुड़ा एक संदेश भी दिया है. उन्होंने अपने इस पोस्‍ट में लिखा, ‘मैं अपनी यह सेल्‍फी सोशल मीडिया पर इसलिए साझा कर रहा हूं, ताकि आप सब को दिखा सकूं कि असल में ‘स्मौग’ कैसा नजर आता है. वैसे मुझे किसी को भी यह बात समझाने की जरुरत नहीं है क्‍योंकि इस देश के हजारो नागरिकों की तरह प्रदूषण के इस स्‍तर के लिए मैं भी बराबर का जिम्‍मेदार हूं. लेकिन अब एक-दूसरे पर आरोप लगाने या सरकार को इसके लिए जिम्‍मेदार ठहराने के बजाए, चलो इसे बदलें. यह समय है हरियाली की तरफ बढ़ने का….’ वहीं विजेंद्र सिंह ने भी अपनी एक सेल्‍फी पोस्‍ट करते हुए दिल्‍ली में बढ़ते प्रदूषण की हालत बयां की है.

‘स्मौग‘ के दौरान हवा की गुणवता बताने वाला सूचकांक दिल्ली के लगभग सभी इलाकों में गंभीर स्तर पर बना रहा. इसके मुताबिक 500 अंक वाला सूचकांक दिल्ली के हर इलाके में 450 के अंक को पार कर गया.

मौसम विभाग के मुताबिक तापमान में गिरावट और हवा के थमने की वजह से धुंध छंटने की संभावना बिल्कुल कम हो गयी है. मौसम विभाग का ‘स्माग’ को लेकर कहना है कि ऐसा मौसम अगले तीन दिनों तक रह सकता है और यह समस्या और अधिक गहराने की आशंका है.

दूसरी शादी करने वाली हैं करिश्मा कपूर..!

शादी के बाद बौलीवुड से दूरी बना चुकी कपूर खानदान की बेटी करिश्मा कपूर एक बार फिर सुर्खियां बटोरती नजर आ रही हैं और इस बार वजह है उनकी शादी. जी हां, करिश्मा तीन साल से दिल्ली के एक बिजनेसमैन संदीप तोषनीवाल को डेट कर रही हैं और बहुत जल्द उनके साथ शादी रचाने वाली हैं.

खबरों की मानें तो करिश्मा के ब्वायफ्रेंड संदीप तोषनीवाल और उनकी पत्नी अश्रिता ने साल 2010 में एक दूसरे से अलग होने की अर्जी डाली थी. अब सात सालों बाद मुंबई के बांद्रा फैमिली कोर्ट ने इस तलाक पर मुहर लगा दी है.

बता दें कि संदीप और अश्रिता का तलाक आपसी सहमती से हुआ है. तलाक के बाद बच्चों की कस्टडी अश्रिता को मिल गई है. अश्रिता से तोषनीवाल की दो बेटियां हैं जिन्हें कि 3-3 करोड़ रुपए दिए जाएंगे. वहीं अश्रिता को फ्लैट के साथ ही 2 करोड़ रुपए मिलेंगे.

संदीप ने अश्रिता पर आरोप लगाया था कि उनका दिमागी संतुलन ठीक नहीं है और बदले में अश्रिता ने संदीप पर व्यभिचार का आरोप लगाया था. इसकी वजह से दोनों के तलाक ने भद्दा मोड़ ले लिया था.

करिश्मा भी पिछले साल पति संजय कपूर से अलग हो चुकी हैं. संजय ने इसी साल प्रिया सचदेव के साथ शादी कर ली जोकि विक्रम चटवाल की पूर्व पत्नी हैं.

सूत्रों की मानें तो संदीप और करिश्मा ने करीब तीन साल पहले ही संदीप को डेट करना शुरू किया था. उससे पहले करिश्मा ने दिल्ली के एक बिजनेसमैन संजय कपूर से शादी की थी. लेकिन यह शादी ज्यादा समय तक नहीं चल सकी और दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए. करिश्मा और संजय के दोनों बच्चे करिश्मा के साथ ही रहते हैं.

बता दें कि करिश्मा और संदीप ने पब्लिक में कभी भी अपने रिश्ते को स्वीकार नहीं किया है. इसके बावजूद दोनों का लगभग हर मौके पर साथ दिखना कुछ और ही कहानी बयां करता है.

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