सोने की खरीदफरोख्त पर तानाशाही हमला

सोने के गहने खरीदने का हक हर औरत का एक बुनियादी हक है. यह न केवल उस के व्यक्तित्व को बल देता है, यह वह संपत्ति है जिसे वह पति, सास, बच्चों से छिपा कर रख सकती है, चुपचाप खरीद कर आड़े समय बेच सकती है. जिस औरत के पास सोना है, स्वाभाविक है या तो उस ने अपनी कमाई से खरीदा होगा या पति अथवा पिता की कमाई से.

काले धन पर अंकुश लगाने  के नाम पर अरुण जेटली और  नरेंद्र मोदी को यह हक वोटरों ने हरगिज नहीं दिया कि वे औरतों  के इस मूलभूत हक को छीन लें. अब जो नियम आयकर और सोने की बिक्री के लिए बने हैं उन में क्व50 हजार की सोने की खरीद से ज्यादा पर खरीदार महिला को घर का पूरा चिट्ठा दुकानदार को देना होगा ताकि वह सैकड़ों अफसरों की फाइलों में जमा हो सके. औरत  की निजी प्राइवेट सुरक्षा को कानून की एक कलम से कुचल दिया  गया है.

यह असल में औरतों के आर्थिक बलात्कार की श्रेणी सा है. आज नकदी तो सुरक्षित है ही नहीं, अब सोना भी औरत की सुरक्षा नहीं रहा है. नोटबंदी के बाद सरकार की हिम्मत बढ़ गई है कि वह औरतों की साडि़यों के पीछे छिपी नकदी को या तो रंगीन कागज बना सके या उसे बदलवाने के लिए लाइनों में खड़ा होने को मजबूर कर सके और उस की छिपी संपत्ति का रहस्य खुलवा सके. ऊपर से सोने की खरीदफरोख्त पर तानाशाही हमला कर के सरकार ने नादिर शाह की लूट को भी कम कर दिया है, तब कम से कम जमीन में गड़ा धन तो बचा था पर अब सरकार ने उसे भी बेकार कर दिया है.

इस त्योहार के सीजन में भी सोने की बिक्री पहले से आधी रह गई है यानी औरतों की आर्थिक सुरक्षा एकदम कम हो गई है. औरतों को इस से मतलब नहीं कि उन के पिता या पति ने पैसा पूरा टैक्स दे कर कमाया है या नहीं. उन के हाथ में पैसा और उस से खरीदा जेवर उन की शान भी बढ़ाता है, उन्हें सुरक्षा भी देता है. आज इन औरतों को मनमाने तानाशाही कानूनों के कारण नकली गहने पहनने पड़ रहे हैं और उन का जीवन स्तर का प्रदर्शन करने का अवसर छीन लिया गया है.  ज्यादातर औरतों को इस  कानून का अभिप्राय अभी समझ नहीं आया है कि सोना आज भी सुरक्षा की सब से बड़ी गारंटी है और औरतें ही नहीं दुनिया की सारी सरकारें भी सोने के भंडार अपनी अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के रूप में रखती हैं. आम औरत से यह अधिकार छीनना अत्याचार है.

यह कैसा पागलपन है

आरुषि हत्याकांड पर जिस तरह से मीडिया बौराया है वह दर्शाता है कि हमारा यह शक्तिशाली टूल केवल क्रिकेट के बैट या  हौकी स्टिक की तरह मारने लायक रह गया है, कुछ स्कोर करने  लायक नहीं. पतिपत्नी के घर में रहते 13 साल की इकलौती बेटी  की हत्या हो जाए और उसी घर में अगले दिन एक नौकर की लाश मिले, यह आश्चर्य की बात तो है पर घंटों उस पर चैनल दर चैनल

4-5 लोग अपने खयाली पुलाव पकाते रहें और देश के खाली  बैठे लोग कयास लगाते रहें कि किस ने मारा और डाक्टर दंपती निर्दोष है या दोषी, पागलपन की निशानी है.  किसी हत्या पर जिज्ञासा होनी स्वाभाविक है पर उस के लिए पागलपन छा जाए और अखबारों के पन्ने भर जाएं, फिल्म बन जाए, सुप्रीम कोर्ट तक मामला जाए और फिर कभी इसे पकड़ा जाए कभी उसे, एक देश की दिमागी हालत दर्शाता है कि हम तुच्छ बातों पर इतना समय लगा देते हैं कि गंभीर मुद्दे ही रह जाते हैं.

अगर तलवार दंपती बेटी के बारे में कुछ राज नहीं बताना चाहते तो यह उन का हक है. वे समझदार हैं, अतियोग्य हैं और ऊंचनीच समझते हैं, उन्हें उन पर छोड़ दें. अगर तथ्य व सुबूत नहीं हैं, तो मामला बंद कर दें न कि मातापिता को बेबात की कैद में डाल दें. यह देश की कानून व्यवस्था से ज्यादा जनमन के थोथेपन की पोल खोलता है. आरुषि को न्याय कब मिलेगा यह सवाल उठाने वाले टीवी चैनल कौन होते हैं जब उस के मातापिता हैं और कठघरे में  खड़े हैं पर उन के खिलाफ सुबूत ही नहीं हैं.

समाज के पास बहुत गंभीर मामले हैं. हमारी अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है. हम 18वीं सदी के अंधविश्वासों में डूबे हैं. हमारी सरकारें निकम्मी हैं. हम गंदगी के महासागर में डूबे हैं. गाडि़यों की भरमार है पर ट्रैफिक जाम की भी मुसीबत है.

घरों का ढांचा चरमरा रहा है. बच्चे अनुशासनहीन हो रहे हैं. बूढ़े त्रस्त हैं और जनता एक हत्या को ले कर बेचैन ही नहीं, पागल भी हो रही है.  आरुषि की हत्या को इतना तूल देना हमारी भूल है और यह हमारी कमजोरी जाहिर करता है. हम अगर गुलाम रहे हैं और आज भी अगर बढ़ रहे हैं तो सिर्फ इसलिए कि हमारे कामगार दूसरे देशों में जा कर गुलामी का पैसा भेज रहे हैं, जो टैक्सों की मारफत छीन कर जनता में बंट रहा है. हम इन गंभीर मुद्दों को छोड़ कर निरर्थक मामले में आखिर क्यों दिमाग खराब कर रहे हैं?  हमें यह मामला एक अफसोस करने के साथ छोड़ देना चाहिए था, कब का!

औनलाइन शौपिंग से पहले इन बातों को समझिए

ज्यादातर लोग बाजार जाने के झंझट से बचने के लिए औनलाइन शौपिंग करना पसंद करते हैं. मसलन, लोग अपने शौपिंग मूड के चलते कुछ ऐसी चीजों की भी खरीदारी कर लेते हैं जो जरूरी न हो. कई ई-टेलर्स कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए तरीके अपनाती हैं जिनमें लोग फंस जाते हैं. हम अपनी इस खबर में आपको बताने जा रहे हैं कि अगली बार शौपिंग करने से पहले आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

विज्ञापन करते हैं ज्यादा डिस्काउंट का दावा

सेल के दौरान इलेक्ट्रौनिक और दूसरे सामानों पर मिल रही बड़ी छूट के साथ आने वाले विज्ञापनों को देख कर कई ग्राहक उनकी ओर आकर्षित होते हैं, ग्राहक अक्सर इन विज्ञापनों से प्रभावित हो जाते हैं और ज्यादा शौपिंग कर लेते हैं. लेकिन ध्यान देने वाली ये बात है की ये औफर्स सीमित बैंक्स के क्रेडिट या डेबिट कार्ड पर उपलब्ध होते हैं या सीमित प्रोडक्ट्स पर ही उपलब्ध होते हैं.

एक्सचेंज औफर

कई प्रोडक्ट्स पर कंपनियां डिस्काउंट औफर नहीं देती, लेकिन उन पर एक्सचेंज औफर की सुविधा देती है. कंपनियां यूजर्स को आकर्षित करने के लिए एक्सचेंज औफर पर ज्यादा छूट तो देती है लेकिन कई बार यह औफर यूजर्स के लिए नुकसानदायक हो जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि एक्सचेंज औफर के नाम पर कंपनियां कई बार अपने पुराने सामानों के बेच देती हैं.

रिटेलर्स उठाते हैं फायदा

आज भी कई लोग ऐसे हैं जो औनलाइन सामान पर ज्यादा विश्वास नहीं करते और वो औफलाइन खरीदारी ही करना पसंद करते हैं. ऐसे ग्राहकों को रिटेलर्स से स्मार्टफोन खरीदने में काफी नुकसान झेलना पड़ता है और इसका फायदा रिटेलर्स को होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि रिटेलर्स डिस्काउंट के साथ ई-कौमर्स वेबसाइट्स से स्मार्टफोन खरीदते हैं. इन स्मार्टफोन्स को रिटेलर्स मार्किट प्राइस पर ही औफलाइन ग्राहकों को बेच देते हैं. ऐसे में जिस डिस्काउंट का फायदा ग्राहक को होना चाहिए वो पूरा फायदा रिटेलर्स उठा लेते हैं.

फ्लाइट बुकिंग पर मिलने वाले छूट से बचें

विमान कंपनियां ग्राहको को 2000 से शुरु होने वाले एयर टिकट बुकिंग की मेल भेजती हैं. ग्राहक इन औफर से आकर्षित हो जाते हैं लेकिन अधिकांश समय ये विज्ञापन आधी कहानी को कही बंया करते हैं. यानी कि एयर टिकट पर मिलने वाली छूट केवल उनके मूल किराए पर होती है. इन सबके ऊपर आपको टैक्स भी देना होता है. इसके अलावा, कई बार सस्ते टिकट नौन रिफंडेबल होते हैं. इसका मतलब है कि अगर आप टिकट कैंसल कराते हैं तो आपको टिकट के पैसे वापस नहीं मिलेंगे.

जब पुलिस ने सुनील शेट्टी को आतंकवादी समझ कर लिया था गिरफ्तार

1992 में फिल्म ‘बलवान’ से बौलीवुड में अपना डेब्यू करने वाले डेशिंग एक्टर सुनील शेट्टी हाल ही में “ए जेंटलमैन” में नजर आए थे. सुनील शेट्टी आज भी इंडस्ट्री के सबसे फिट एक्टर माने जाते हैं. 2002 में सुनील शेट्टी संजय गुप्ता की फिल्म ‘कांटे’ में काम कर रहे थे.

इस फिल्म में सुनील एक बाउंसर अन्ना का किरदार निभा रहे थे. इस फिल्म की शूटिंग के लिए सुनील शेट्टी पूरी टीम के साथ अमेरिका गए हुए थे. सुनील शेट्टी शुरू से ही अपनी फिटनेस का खासा ध्यान रखते हैं. जिस होटल में सुनील शेट्टी ठहरे थे वहां से वो रोजाना ही जिम के लिए जाया करते थे.

जिम होटल से काफी दूर थी इस वजह से सुनील शेट्टी सुबह चार बजे ही अपने होटल से निकल जाते और जिम कर फिल्म सेट पर जाते. एक दिन सुनील शेट्टी को जिम में ज्यादा टाइम लग गया.

सुनील सेट पर लेट नहीं होना चाहते थे, इस वजह से उन्होंने अपने किरदार का लुक जिम में ही पहन लिया और वहां से सीधा फिल्म सेट की तरफ जाने लगे. लेकिन सुनील का ये लुक उन पर तब भारी पड़ गया, जब अमेरिकन पुलिस ने उन्हें एक आतंकवादी समझ कर गिरफ्तार कर लिया. सुनील ने उन्हें काफी समझाने की कोशिश की. लेकिन पुलिस वालों ने उनकी एक नहीं सुनी.

जब इस बात की जानकारी फिल्म सेट पर मौजूद अन्य कलाकारों तक पहुंची तो सब सुनील शेट्टी को बचाने पुलिस स्टेशन रवाना हुए. संजय गुप्ता और अमिताभ बच्चन ने किसी तरह पुलिस वाले को समझाने में कामयाब हुए.

इस फिल्म में सुनील शेट्टी के साथ संजय दत्त, अमिताभ बच्चन और कुमार गौरव अहम भूमिका में थे. इस हादसे के बाद सुनील अमेरिका जाने से बचने की कोशिश करते रहते हैं.

साहिर, जावेद और 200 रुपये का अनोखा किस्सा

एक दौर था जब जावेद अख्तर के दिन मुश्किल में गुजर रहे थे. ऐसे में उन्होंने मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी से मदद लेने का फैसला किया. जावेद ने उन्हें फोन किया और वक्त लेकर उनसे मुलाकात के लिए पहुंचे.

उस दिन साहिर ने जावेद के चेहरे पर उदासी देखी और कहा, “आओ नौजवान, क्या हाल है, उदास हो?” जावेद ने बताया कि दिन मुश्किल में चल रहे हैं, पैसे खत्म होने वाले हैं. उन्होंने साहिर से कहा कि अगर वो उन्हें कहीं काम दिला दें तो बहुत एहसान होगा.

जावेद अख्तर की मानें तो साहिर साहब की एक अजीब आदत थी, वो जब परेशान होते थे तो पैंट की पिछली जेब से छोटी सी कंघी निकलकर बालों पर फिराने लगते थे. जब मन में कुछ उलझा होता था तो बाल सुलझाने लगते थे. उस वक्त भी उन्होंने वही किया. कुछ देर तक सोचते रहे फिर अपने उसी जाने-पहचाने अंदाज में बोले, “जरूर नौजवान, फकीर देखेगा क्या कर सकता है”

फिर पास रखी मेज की तरफ इशारा करके कहा, “हमने भी बुरे दिन देखे हैं नौजवान, फिलहाल ये ले लो, देखते हैं क्या हो सकता है”, जावेद अख्तर ने देखा तो मेज पर दो सौ रुपए रखे हुए थे.

जावेद बताते हैं कि साहिर को लगा कि अगर वह ये पैसे उनके हाथ में देते तो मुझे बुरा लगता इसलिए उन्होंने दो सौ रुपये मेज पर रख दिए. ये उनका मयार था कि पैसे देते वक्त भी वो जावेद से नजर नहीं मिला रहे थे.

साहिर के साथ अब उनका उठना बैठना बढ़ गया था क्योंकि त्रिशूल, दीवार और काला पत्थर जैसी फिल्मों में कहानी सलीम-जावेद की थी तो गाने साहिर साहब के.

अक्सर वो लोग साथ बैठते और कहानी, गाने, डायलाग्स वगैरह पर चर्चा करते. इस दौरान जावेद अक्सर शरारत में साहिर से कहते, “साहिर साब, आपके वो दौ सौ रुपए मेरे पास हैं, दे भी सकता हूं लेकिन दूंगा नहीं” साहिर मुस्कुराते. साथ बैठे लोग जब उनसे पूछते कि कौन से दो सौ रुपए तो साहिर कहते, “इन्हीं से पूछिए”, ये सिलसिला लंबा चलता रहा.

साहिर और जावेद अख्तर की मुलाकातें होती रहीं, अदबी महफिलें होती रहीं, वक्त गुजरता रहा और फिर एक लंबे अर्से के बाद तारीख आई 25 अक्टूबर 1980 की. वो देर शाम का वक्त था, जब जावेद साहब के पास साहिर के फैमिली डाक्टर, डा कपूर का काल आया. उनकी आवाज में हड़बड़ाहट और दर्द दोनों था. उन्होंने बताया कि साहिर लुधियानवी नहीं रहे. हार्ट अटैक हुआ था. जावेद अख्तर के लिए ये सुनना आसान नहीं था.

वो जितनी जल्दी हो सकता था, उनके घर पहुंचे तो देखा कि उर्दू शायरी का सबसे करिश्माई सितारा एक सफेद चादर में लिपटा हुआ था. वो बताते हैं कि वहां उनकी दोनों बहनों के अलावा बी आर चोपड़ा समेत फिल्म इंडस्ट्री के भी तमाम लोग मौजूद थे.

मैं उनके करीब गया तो मेरे हाथ कांप रहे थे, मैंने चादर हटाई तो उनके दोनों हाथ उनके सीने पर रखे हुए थे, मेरी आंखों के सामने वो वक्त घूमने लगा जब मैं शुरुआती दिनों में उनसे मुलाकात करता था, मैंने उनकी हथेलियों को छुआ और महसूस किया कि ये वही हाथ हैं जिनसे इतने खूबसूरत गीत लिखे गए हैं लेकिन अब वो ठंडे पड़ चुके थे.

जूहू कब्रिस्तान में साहिर को दफनाने का इंतजाम किया गया. वो सुबह-सुबह का वक्त था, रातभर के इंतजार के बाद साहिर को सुबह सुपर्दे खाक किया जाना था. ये वही कब्रिस्तान है जिसमें मोहम्मद रफी, मजरूह सुल्तानपुरी, मधुबाला और तलत महमूद की कब्रें हैं.

साहिर को पूरे मुस्लिम रस्म-ओ-रवायत के साथ दफ्न किया गया. साथ आए तमाम लोग कुछ देर के बाद वापस लौट गए लेकिन जावेद अख्तर काफी देर तक कब्र के पास ही बैठे रहे.

काफी देर तक बैठने के बाद जावेद अख्तर उठे और नम आंखों से वापस जाने लगे. वो जूहू कब्रिस्तान से बाहर निकले और सामने खड़ी अपनी कार में बैठने ही वाले थे कि उन्हें किसी ने आवाज दी. जावेद अख्तर ने पलट कर देखा तो साहिर साहब के एक दोस्त अशफाक साहब थे.

अशफाक उस वक्त की एक बेहतरीन राइटर वाहिदा तबस्सुम के शौहर थे, जिन्हें साहिर से काफी लगाव था. अशफाक हड़बड़ाए हुए चले आ रहे थे, उन्होंने नाइट सूट पहन रखा था, शायद उन्हें सुबह-सुबह ही खबर मिली थी और वो वैसे ही घर से निकल आए थे. उन्होंने आते ही जावेद साहब से कहा, “आपके पास कुछ पैसे पड़ें हैं क्या? वो कब्र बनाने वाले को देने हैं, मैं तो जल्दबाजी में ऐसे ही आ गया”, जावेद साहब ने अपना बटुआ निकालते हुआ पूछा, ‘हां-हां, कितने रुपए देने हैं’ उन्होंने कहा, “दो सौ रुपए”.

ब्यूटी टिप औफ द डे : मेकअप से पहले जरूर लें फ्लैश टेस्ट

जब भी मेकअप की बात आती है, तो लोगों के मन में कई तरह के सवाल आ खड़े होते हैं. मेकअप कैसे करें? मेकअप के दौरान क्या सावधानी रखें? नया मेकअप ट्रेंड क्या है या मेकअप के लिए कैसे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल किया जाए? ऐसी ही बातों को सुलझाने के लिए हम आपको दे रहे हैं ऐसी ब्यूटी टिप्स, जो मेकअप के दौरान आपका काम बेहद आसान बना सकती है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं फ्लैश टेस्ट के बारे में, जो आपको एक परफेक्ट मेकअप लुक देने में मदद करेगा.

क्या होता है फ्लैश टेस्ट

फ्लैश टेस्ट आपको आपके मेकअप बेस की सारी कहानी बता देता है. मेकअप बेस आपने सही तरह से लगाया है या नहीं, इसे परखने के लिए फ्लैश टेस्ट लेना जरूरी है. मेकअप बेस लगाने के बाद आपके स्मार्टफोन के कैमरे से फ्लैश औन कर फोटो ली जाती है. इस तस्वीर में आपको मेकअप बेस की खामिया पता चल जाती है.

क्यों जरूरी है फ्लैश टेस्ट

जैसा कि सभी जानते हैं अच्छे मेकअप के लिए जरूरी है परफेक्ट मेकअप बेस, जिसे लगाना थोड़ा मुश्किल होता है. कई बार लोग स्किन टोन के मुताबिक ज्यादा मेकअप अप्लाय कर देते हैं, जिससे चेहरे पर मेकअप थोपा हुआ दिखाई देता है. ऐसा आपके साथ न हो, इसके लिए आपको फ्लैश टेस्ट लेने की जरुरत पड़ती है.

कैसे करें फ्लैश टेस्ट

– चेहरे को अच्छी तरह से मौश्चराइज करें.

– मेकअप के शुरुआत में सबसे पहले आखों के नीचे और चेहरे के धब्बों को कंसीलर लगाकर छुपाएं और उसे अच्छी तरह से फैलाएं.

– चेहरे पर फाउंडेशन बेस लगाकर लूज पाउडर से स्किन टोन इवन करें.

– इसके बाद अपने फोन के कैमरे को फ्लैश मोड औन कर करीब से चेहरे की तस्वीर लें.

– तस्वीर में आपको साफ-साफ दिखाई देगा कि मेकअप अच्छी तरह से लगाया गया है या नहीं.

– यदि बेस में खामियां हों तो उसे ठीक कर लें.

फ्लैश टेस्ट लेते हुए रखें किन बातों का रखें खयाल

– फ्लैश टेस्ट लेते हुए फोन को आपके चेहरे से एक हाथ की दूरी पर रखें.

– ज्यादा रौशनी में लेने के बजाय रूम लाईट पर ही फ्लैश टेस्ट लें. अधिक रौशनी की वजह से आपके चेहरे की खामियां आपको नजर नहीं आएंगी.

– फ्लैश टेस्ट लेते हुए फोटो एडिटर मोड औन न रखें. ऐसा करने पर आपको बेस सही रूप में दिखाई नहीं देगा.

तो क्या कंगना को अपनों से है खतरा

कंगना रानौत लगातार विवादों में हैं. इस विवाद के चलते उनका करियर भी दांव पर लगा हुआ है. बौलीवुड दो खेमों मे बंटा हुआ है. कंगना रानौत के साथ खुलकर कोई नहीं बोल रहा है. जबकि वह कई दिग्गज फिल्मकारों व कलाकारों के साथ काम कर चुकी हैं. कंगना रानौट की सफलता की असली कहानी फिल्म‘‘तनु वेड्स मनु’’की सफलता के साथ शुरू हुई थी. इस फिल्म के एक निर्माता विनोद बच्चन भी थे, जो कि दस नवंबर को प्रदर्शित हो रही राज कुमार राव व कृति खरबंदा के अभिनय से सजी फिल्म ‘‘शादी में जरुर आना’’के भी निर्माता हैं.

हाल ही में जब विनोद बच्चन से हमारी मुलाकात हुई, तो हमने उनसे जानना चाहा कि वह तो कभी कंगना रानौत के काफी करीब रहे हैं. पर आज वह कंगना रानौत को लेकर क्या सोचते हैं? इस पर विनोद बच्चन ने कंगना को लेकर जो कुछ कहा, वह बौलीवुड की कार्यशैली के साथ साथ बहुत कुछ बयां करता है. विनोद बच्चन ने हमारे सवाल पर कहा-‘‘कंगना रानौट इमोशनल इंसान है. उनकी जिंदगी का विश्लेषण करुं, तो वह एक अच्छी इंसान है. अपनी जिंदगी में अच्छी सोच रखती हैं. उसे जो सफलता मिली है, वह उकी हकदार है. एक छोटे शहर की लड़की, इस बड़े शहर में जिसका कोई नहीं, उसके लिए कितना मुश्किल रहा होगा, अपनी जगह बना पाना.

इतने बड़े लोगों के बीच शुद्ध हिंदी भाषी लड़की का इतनी बड़ी सफलता पाना सलाम की हकदार है. मैं सोचता हूं कि कंगना जो कर रही हैं या जो कुछ किया है, वह उसमें उसका कितना योगदान है? क्योंकि इमोशनल लोग जब टूट जाते हैं, तो वह दुनिया की नहीं सोचते. कंगना अच्छी अदाकारा हैं, इस बात को उसने साबित किया है. जिस प्लेटफार्म पर भी रही, उस पर उसने खुद को बेहतरीन साबित किया.

आज जिस मुकाम पर वह पहुंची हैं, उसके पीछे उसकी मेहनत, उसकी ईमानदारी व उसकी अपनी तकदीर है. जो लोग इमानदार होते हैं, वह एक न एक दिन सफल होते है और उनकी सफलता लंबे समय के लिए होती है. दिल में सच्चाई रहती है, तभी वह लंबे समय तक सफल रहते हैं. कंगना के दिल में सच्चाई है.’’.

यदि कंगना रानौत दिल की सच्ची व ईमानदार है, तो फिर उनकी जिंदगी में जो हादसे/ विवाद हो रहे है, उससे उन्हे नुकसान नही हो रहा है? हमारे इस सवाल पर विनोद बच्चन ने कहा-‘‘इससे एक अच्छी कलाकार की इमेज को नुकसान पहुंचता है. मगर यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि आपके आस पास कौन लोग हैं? चैबिसों घंटे कौन आपको सलाह दे रहा है? आपके बिजनेस, पी आर आदि को कौन मैनेज कर रहा है? इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है. आपके साथ चौबिस घंटे कौन लोग बैठते हैं, वह किस तरह का आइना आपको दिखाते हैं? उसमें आप कितना डूब जाते हैं और कितना आप अपनी सोच के अनुसार काम करते हैं. इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है.

मैं कंगना के साथ काफी रहा हूं, वह आज भी हमारी दोस्त हैं. हमारे संबंध अच्छे हैं. इसलिए मुझे कहीं नहीं लगा कि जो कुछ उसने टीवी पर या मीडिया में आकर कहा, वह उसकी अपनी भाषा या उसके अपने शब्द या उसकी अपनी सोच है. मुझे लगता है कि कंगना ने किसी के कहे शब्दों को अपनी जबान दे दी है. उसके इंटरव्यू पढ़कर भी यकीन नहीं होता, मैं नही जानना चाहता कि वह किनके साथ काम कर रही है,उसके आस पास कौन लोग हैं, बिजनेस मैनेजर या पीआर के रूप में कौन उसके आस पास हैं.पर मुझे नहीं लगता कि यह शब्द कंगना के हैं. वह आज भी उतनी ही भोली, इमोशनल, कठिन मेहनत करने वाली, काम के प्रति समर्पित इंसान हैं. मीडिया में जो कहानी हुई, उसमें कुछ हुई होंगी, कुछ नहीं हुई होंगी. सच मैं नहीं बता सकता.’’

क्या आप यह मानते है कि एक सफल कलाकार को बर्बाद करने में बिजनसे मैनेजर व पी आर का भी हाथ होता है? इस पर विनोद बच्चन ने कहा-‘‘सफल इंसान को संवारने या बिगाड़ने में उसके बिजनेस मैनेजर व पीआर मैनेजर का हजार गुना हाथ होता है, इसमें कोई दो राय नहीं. स्टार को असफल करने में इनका बड़ा होता है. बिजनेस मैनेजर अच्छे होने चाहिए. पीआर अच्छा होना चाहिए. इसी के साथ अपने कान, नाक और आंख खुले रखने चाहिए. अपने विवेक व सोच से डगमग नहीं होना चाहिए. जब आप सफल होते हैं, तो पूरी दुनिया आपके पास आ जाती है, पर जब आप असफल होते हैं, तो वही दुनिया आपकी ऐसी की तैसी कर देती है. सफलता को पचाना भी सफलता होती है. अपनी कामयाबी को पचा पाना आसान नहीं होता.’’

दिल्ली में इन इमारतों को देखना ना भूलें

दुनिया में मुगलों का इतिहास अपने आप में अनोखा है, भारत में मुगलों ने अपने शासन के वक्त कुछ भव्य इमारतों का निर्माण करवाया. सभी महलों की अपने आप में एक अलग कहानी है. एक महल तो ऐसा है कि अगर उस महल के प्रतिबिंब को तालाब में देखें तो वह एक पानी के जहाज जैसा लगता है. ऐसे ही कुछ इमारतों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जहां जाकर आप इनका लुत्फ भी ले सकती हैं, साथ ही साथ इतिहास को भी जान सकती हैं.

जहाज महल

दिल्‍ली के महरौली में स्‍थित ‘जहाज महल’ वाकई अद्भुत है. यह हौज ए शम्‍सी वाटर टैंक के कोने में स्‍थित है. इसको जहाज महल इसलिए कहते हैं क्‍योंकि बगल झील में महल का प्रतिबिंब देखने पर बिल्‍कुल पानी वाले जहाज जैसी आकृति बनती है. इसका निर्माण लोदी राजवंश के काल में खुशी के पल बिताने की धर्मशाला के रूप में किया गया था. आज भी यहां पर्यटकों की भारी भीड़ जुटती है.

जफर महल

यह मुगल काल में बनी सबसे आखिरी ऐतिहासिक इमारत है. वैसे तो इस महल का निर्माण अकबर शाह द्वितीय द्वारा करवाया गया था लेकिन बाद में 19वीं शताब्‍दी में बहादुरशाह जफर ने महल के मुख्‍य दरवाजे का निर्माण करवाया इसलिए इसे जफर महल नाम दिया गया. साउथ दिल्‍ली में स्थित इस ऐतिहासिक इमारत को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं.

तुगलकाबाद

मंगोलों के आक्रमण से बचने के लिए दिल्ली के सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलकाबाद में किला बनवाया था. यह किला तुगलक को कभी फला नहीं. वह यहां से कभी शासन नहीं कर सका. आज खाली पड़े इस किले को देखने पर्यटक आते हैं और इतिहास को समझते हैं.

विजय मंडल या जहांपनाह

तुगलक वंश का सबसे चर्चित सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक अपने पिता गयासुद्दीन तुगलक की हत्या करके गद्दी पर बैठा. इसी खूनी कुकृत्य के कारण वह अपने पिता के किले तुगलकाबाद में शांति से नहीं रह सका.

मुहम्मद तुगलक ने वहां रहने वाले वाली जनता को संरक्षण देने के हिसाब से दिल्ली के चौथे नगर को बसाया. यह नगर काफी हद तक किला राय पिथौरा और सीरी के बीच एक दीवारनुमा अहाता था. इस शहर का नाम रखा गया, जहांपनाह यानी पूरी दुनिया की पनाहगाह. जहांपनाह की दीवारें आज भी वहां खड़ी हैं जर्जर हो चुके इस अहाते को देखने भारी संख्‍या में लोग आते हैं. जिन्‍हें इतिहास में रुचि है वह इस जगह को काफी समझते होंगे.

कुतुबमीनार

दक्षिण दिल्ली के महरौली में स्थित कुतुबमीनार ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊंची मीनार है. इसकी ऊंचाई 72.5 मीटर करीब 237 फुट और व्यास 14.3 मीटर है, जो ऊपर जाकर शिखर पर 2.75 मीटर लगभग 9 फुट हो जाता है. इसमें 379 सीढियां हैं. कुतुबमीनार एक मशहूर टूरिस्‍ट स्‍पौट है जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं.

पोषक तत्वों का खजाना है मूंगफली

सर्दियों के दिनों में मूंगफली की खूब मांग होती है. मूंगफली में लगभग सारे पोषक तत्व होते हैं. यह काफी स्वास्थ्यकर भी है. मूंगफली प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत होता है. केवल मूंगफली ही नहीं बल्कि इसका तेल भी कई तरह से हमें फायदा पहुंचाता है. यह शरीर की त्वचा पर मौजूद कीटाणुओं को खत्म करने में भी हमारी मदद करता है. क्या आपको पता है कि मूंगफली को भूनकर खाने पर जितनी मात्रा में खनिज मिलता है उतना 250 ग्राम मांस में भी नहीं मिलता. सौ ग्राम कच्ची मूंगफली में एक लीटर दूध के बराबर प्रोटीन पाया जाता है. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि पोषक तत्वों का खजाना मूंगफली कई बीमारियों को भगाने में मददगार है.

दिल के लिए

दिल की सेहत के लिए मूंगफली काफी फायदेमंद है. अगर सप्ताह में पांच दिन मूंगफली का सेवन सुबह शाम किया जाए तो इससे दिल की बीमारियों की आशंका काफी हद तक कम हो जाती है. इसके अलावा यह कोलेस्ट्राल को भी नियंत्रित करने का काम करता है.

कैंसर के लिए

मूंगफली में पोलीफिनालिक नाम का एंटी-आक्सीडेंट पाया जाता है, जो पेट के कैंसर को कम करने की क्षमता रखता है. 2 चम्मच मूंगफली के मक्खन का सप्ताह में दो बार सेवन करने से महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही पेट के कैंसर का खतरा कम होता है.

हार्मोन्स के संतुलन के लिए

शरीर की विभिन्न प्रक्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए हार्मोन्स का संतुलन बेहद ही आवश्यक है. मूंगफली हार्मोन्स का संतुलन बनाये रखने में सहायता करता है. रोजाना 100 ग्राम मूंगफली का सेवन पुरुषों और महिलाओं दोनों में हार्मोन्स का संतुलन बनाए रखता है.

प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए

मूंगफली में फोलिक एसिड पाया जाता है. यह गर्भावस्था के दौरान भ्रूण में न्यूरल ट्यूब के दोष के खतरे को कम करने में सहायक है साथ ही साथ यह महिलाओं में प्रजनन शक्ति को भी बेहतर बनाने में मददगार साबित हो सकता है.

हड्डियों की मजबूती के लिए

इसमें कैल्शियम और विटामिन डी की मात्रा मौजूद होती है जिससे हड्डियों को मजबूती मिलती है. यह हड्डियों के लिए एक बेहरीन और सस्ता प्राकृतिक उपचार है.

डार्क अंडरआर्म्स से छुटकारा दिलाएंगे ये खास उपाय

अंडरआर्म्स शरीर का एक ऐसा हिस्सा है जो अक्सर ढ़का हुआ रहता है. जब तक अपने हाथों को ऊपर की तरफ ना उठाया जाए यह दिखाई नहीं देती. इन हिस्सों में महिला और पुरुष दोनों में ही समान रूप से बालों की मौजूदगी होती है. एक समय था जब लोगों को उनके डार्क या काले अंडरआर्म्स होने से कोई फर्क नहीं पड़ता था और ना ही कोई महिला इसके लिए किसी भी प्रकार का कोई उपाय आदि करती थी. अगर देखा जाये तो उन्हें इसके काले होने की न परवाह थी और न ही उन्हें इसके लिए कोई उपाय करने की जरूरत महसूस होती थी. लेकिन आज के समय में महिलाओं में काले आर्मपीठ की समस्या एक बड़ी चिंता का रूप ले रही है और वह पूरी तरह से अपने शरीर की सफाई और उसके लुक के प्रति सजग हो रही हैं.

आज के फैशन को दौर में स्लीवलेस कपड़े चलन में हैं. जब आप फैशनेबल और स्लीवलेस कपड़े पहनती हैं तब आपके कांख के काले होने की स्थिति और भी भद्दी नजर आती है, जिसकी वजह से आपको लोगों के समक्ष कई बार शर्मिंदगी महसूस हो सकती है.

इससे परेशान होकर आप कई तरह के क्रीम या उत्पादों का प्रयोग करती होंगी और अगर आप वाकई खुशकिस्मत हैं तो आपको इसका पूरी तरह से तो नहीं पर थोड़ा तो लाभ मिलता ही होगा. लेकिन अगर आप उन लोगों में से नहीं हैं तो इन उत्पादों के साइड इफेक्ट्स आपकी त्वचा को झेलने पड़ते हैं.

अगर आप भी इस परेशानी को से जूझ रही हैं तो हम आपके लिए ऐसे घरेलू नुस्खे लेकर आए हैं, जिसे इस्तेमाल कर आप जल्द ही अपनी इस समस्या से छुटकारा पा सकेंगी.

आइये जानते हैं कुछ घरेलू नुस्खों के बारे में जो इस प्रकार है-

चीनी

त्वचा में डेड स्किन के जमाव की वजह से भी कालेपन की समस्या आ सकती है. जिसे हटाने के लिए त्वचा को एक्सफोलिएट करने की जरूरत पड़ती है. डेड स्किन के जमाव को त्वचा से हटाने के लिए चीनी एक बढ़िया घरेलू उपाय है. एक चम्मच चीनी में एक चम्मच औलिव औइल मिला लें. फिर इसे प्रभावित जगह पर लगा कर हल्के हाथों से रगड़ें. इसके नियमित प्रयोग से त्वचा का कालापन दूर होने लगता है.

दूध

दूध के प्रयोग से त्वचा में निखार और कोमलता आती है. त्वटचा पर गाय के दूध का इस्तेमाल करना ज्यादा फायदेमन्द होता है. त्वचा में सफेद रंगत पाने के लिए गाय के दूध से त्वचा पर तब तक मसाज करे जब तक यह पूरी तरह सूख न जाए, अगर आप अधिक अच्छा परिणाम चाहती हैं तो दूध में कुछ केसर मिला सकती हैं.

बेसन पैक

बेसन का प्रयोग भी त्वचा के गहरे रंग को साफ करने के लिए किया जाता है. अपने कांख के सफेद रंगत के लिए बेसन में दही या नींबू का रस मिला कर पेस्ट तैयार कर लें और 10 से 15 मिनट तक अंडरआर्म्स में लगा कर रखें. इससे काले अंडरआर्म्स जल्द ही साफ हो जाएंगे.

नींबू

हम सभी जानते हैं की नींबू ब्लीच करने के साथ स्किन को साफ करने के काम आती है. इसकी मदद से दाग- धब्बे आदि भी दूर हो जाते हैं. नींबू के रस को सीधे त्वचा में लगा कर 10 मिनट तक रखें फिर सादे पानी से त्वचा को धो लें.

संतरे का छिलका और दही

संतरे के छिलकों को सूखा कर पाउडर बना लें. इसे दही में मिलाकर पेस्ट बनाएं और त्वचा में 10 मिनट तक लगा कर रखें. इससे त्वचा के रंग में निखार आता है.

प्युमिस स्टोन

अपनी डार्क आर्मपिट को पानी से गीला करके इसमें क्लिंजिंग मिल्क लगा लीजिये इसके बाद इसे अपने हाथ से रगड़ें और फिर प्युमिस स्टोन की मदद से हल्के हल्के रगड़ते हुये त्वचा को साफ करिये. इसकी मदद से डेड स्किन आसानी से निकल जाती है और त्वचा साफ दिखाई देती है.

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