बिग बौस 11 का पहला टास्क जान आप भी हो जाएंगी हैरान

अगले महीने से सलमान खान बिग बौस का 11वां सीजन लेकर आ रहे हैं. हाल ही में इस शो के पहले टास्क और फार्मेट के बारे में खुलासा हुआ है. एक वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार इस बार शो को दिलचस्प बनाने के लिए कई सीक्रेट टास्क होंगे और प्यार की लुका-छिपी भी होगी.

रिपोर्ट के मुताबिक, बिग बौस के घर का पहला टास्क बेहद ही दिलचस्प होगा, जिसमें सदस्यों को पड़ोसियों पर नजर रखनी होगी. घरवालों को एक-दूसरे की जासूसी करनी होगी और फिर बिग बौस को सूचित करना होगा. पड़ोसी एक-दूसरे कंटेस्टेंट के सीक्रेट लीक करने पर जीतेंगे. यही वजह है कि अब तक रिलीज हुए बिग बौस के तीनों प्रोमो में पड़ोसी थीम ही हाईलाइट हुआ है.

इसके अलावा बिग बौस के घर में इस बार खुलेआम आशिकी होगी. जी हां, घर में कंटेस्टेंट को सीक्रेट डेटिंग करने का टास्क दिया जाएगा. कपल को चोरी छिपे डेट करने को कहा जाएगा और अगर उनकी डेटिंग पड़ोसियों ने पकड़ ली तो उन्हें सजा दी जाएगी. अगर कपल को पड़ोसी पकड़ने में नाकामयाब हुए तो उन्हें इम्यूनिटी दी जाएगी.

इस बार बिग बौस का घर बाकी सीजन से बड़ा होगा. सेलेब्रिटी और कामनर्स एक साथ रहेंगे लेकिन घर को अलग अलग ब्लौक्स में बांटा जाएगा. घरवालों को इम्यूनिटी पाने के लिए टास्क करना पड़ेगा. हर सदस्य को कुछ सुविधाएं दी जाएंगी. टास्क पूरा करने पर घरवालों को बोनस प्वाइंट्स मिलेंगे.

कुछ दिन पहले ही शो का तीसरा प्रोमो रिलीज हुआ है जिसमें टीवी की नागिन मौनी राय सलमान खान की पड़ोसन बनी नजर आई थीं.

शो के फार्मेट को इंटररेस्टिंग बनाने के लिए मेकर्स हर कोशिश कर रहे हैं. बिग बौस के शो में टीवी के कई बड़े स्टार्स के शामिल होने की खबरें हैं. इनमें निकितन धीर, पर्ल पुरी, नीति टेलर, अबरार जहूर जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं.

आपका टैलेंट ही आपको आगे तक लेकर जाता है : काजोल

काजोल हिंदी फिल्मों की लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक रही हैं और हाल ही में उन्होने इंडस्ट्री में अपने 25 साल का सफर पूरा किया है. अपने इस लंबे फिल्मी करियर को लेकर काजोल कहती हैं कि भले ही लोग यह मानते हों कि आप किसी फिल्मी घराने से हैं तो आपके सामने थाली परोस कर आती है. मैं नहीं मानती, मुझे लगता है कि आपका टैलेंट ही आपको आगे तक लेकर जाता है.

काजोल भले ही फिल्मी बैकग्राउंड से आयी थीं लेकिन ऐसा नहीं था कि उन्हें सब कुछ आता था. वह कहती हैं कि मैंने जो कुछ भी सीखा है यहीं आकर सीखा है. मैं डांस, एक्टिंग इन सब चीजों की कोई ट्रेनिंग लेकर इंडस्ट्री में नहीं आयी थी. मैं तो झल्ली जैसी थी, बस आकर बैठ जाती थी. मैंने धीरे धीरे काम करते हुए सब सीखा है.

काजोल स्वीकारती हैं कि जिस वक्त उन्होंने शुरुआत की थी तब ऐसा नहीं था कि अगर आपकी पहली फिल्म कामयाब न रही हो तो आपको तुरंत इंडस्ट्री से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए. उस वक्त माफी की गुंजाईश थी और आपको दोबारा मौके मिलते थे. आप बिल्कुल आउट नहीं कर दिये जाते थे. बहुत से कलाकारों को दर्जन फिल्मों के फ्लाप होने के बाद भी मौके मिले. लेकिन अब तो मैं देखती हूं कि नये लोग अप-टू-डेट रहते हैं यहां कोई भी बिना तैयारी के नहीं आता क्योंकि वो जानते हैं कि अगर वह तैयारी से नहीं आयेंगे तो उन्हें दोबारा मौका नहीं मिलेगा. इसलिए वह पहली तैयारी में ही अपना बेस्ट देना चाहते हैं. पहली फिल्म के बाद ही न्यूकमर की स्क्रूटनी होने लगती है और हो भी क्यों न आखिर अब फिल्म मेकिंग का अंदाज भी बदल गया है.

रागिनी MMS रिटर्न का लीक वीडियो इंटरनेट पर हुआ वायरल

एकता कपूर एक नई वेब सीरीज को लेकर आ रहीं हैं, जिसका नाम है रागिनी एमएमएस रिटर्न्स. इस सीरीज ने रिलीज होने से पहले ही लोगों के मन में काफी उत्सुकता पैदा कर रखी है.

इस बार यह सीरीज रिया सेन की वजह से चर्चा में है. वैसे तो इस सीरीज का अभी औनलाइन रिलीज होना बाकी है लेकिन इससे रिया सेन का एक मिनट से ज्यादा का वीडियो लीक हो गया है. इस वीडियो में मुख्य किरदार सेक्स करते हुए नजर आ रहे हैं. इस अपकमिंग वेब सीरीज में रिया सिमरन नाम की लड़की का किरदार निभा रही हैं.

एक मिनट 38 सेकेंड का यह वीडियो औनलाइन लीक हो गया है. जिसमें रिया अपने को स्टार निशांत मल्कानी के साथ लव मेकिंग सीन करते हुए दिख रही हैं. इस सीरीज के जरिए रीया कमबैक कर रहीं हैं. पिछले महीने रिया सेन ने अपने ब्वौयफ्रेंड शिवम तिवारी के साथ शादी कर ली थी. इस बीच रिया ने अपने हनीमून की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है. इसके चलते यह तस्वीर फैंस के बीच खूब वायरल हो रही है. इस तस्वीर में रिया अपने पति को किस करती हुई दिख रही हैं. रिया ने इस तस्वीर को बहुत ही प्यारा सा कैप्शन भी दिया है.

रिया तस्वीर के साथ लिखती हैं, ‘किसेस फौर मिस्टर’. बता दें रिया ने अपने लौन्ग टाइम बौयफ्रेंड शिवम तिवारी के साथ अगस्त के महीने में शादी की. वहीं दोनों अपना हनीमून प्राग में मना रहे हैं. इस तस्वीर के सोशल मीडिया में आने से रिया के लाखों मेल फैंस के दिल टूट रहे हैं.

वहीं पिक्चर में रिया के फैंस उन्हें कमेंट भी कर रहे हैं. रिया के फैंस तो ये तक कह रहें हैं, कि प्लीज उन्हें किस मत करो.  रिपोर्ट्स के मुताबिक रिया ने शादी के बाद इस तरह के सीन को लेकर अनकंफर्टेबल होने की बात कही है.

बता दें कि जब रिया सेन एकता कपूर की वेब सीरीज रागिनी एमएमएस 2.2 के लिए शूट कर रहीं थीं. उन्होंने बताया कि इस दौरान उनके और एक्टर निशांत मलकानी के बीच कुछ बेड सीन फिल्माए जाने थे तभी उन्होंने अपने को स्टार की पैंट नीचे खींच ली थी.

कंगना जैसी हिम्मत सब में होनी चाहिए : शिल्पा शिंदे

टीवी शो ‘भाभी जी घर पर हैं’ की कभी अंगूरी भाभी का किरदार निभा चुकीं शिल्पा शिंदे लंबे समय के बाद बड़े परदे पर ऋषि कपूर और परेश रावल के साथ फिल्म पटेल की पंजाबी शादी में एक डांस नंबर के साथ लौटी हैं. अपने शो के दौरान बेबाकी से अपनी बात रखने वाली शिल्पा विवादों में रह चुकी हैं और अब उन्हें लगता है कंगना रनौत भी उन्हीं की तरह ही हैं.

शिल्पा ने कहा कि कंगना जैसी हिम्मत सब में होनी चाहिए लेकिन कम लोग ही ऐसा कर पाते हैं कि काम करते हुए इंडस्ट्री की पोल खोलें. उन्होने जिस तरह से इंडस्ट्री की सच्चाई को सबके सामने लाने के लिए अपनी बात रखी हैं, मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मैं ही बोल रही हूं. “मैं तो सब झेल चुकी हूं. अब भी सिंटा से मेरी लड़ाई जारी है. उनपर मैंने जो तीन केस किये हैं, मैं अब भी उसपर कायम हूं और किसी भी हालत में मैं वो केस वापस नहीं लेने वाली.”

कंगना ने जो फिल्म इंडस्ट्री के लिए कहा वही शिल्पा ने टीवी वालों के लिए कहा. उनका कहना हैं कि हम एक्टर्स मजबूरी में चुप हो जाते हैं. इसलिए इनका मन बढ़ा होता है. लेकिन ऐसा कहने पर उनके सपोर्ट में कोई नहीं आया.

अपनी फिल्म को लेकर शिल्पा ने कहा “मैं इस फिल्म का हिस्सा बनकर खुश हूं. जब मुझे यह आइटम नंबर आफर किया गया था तो मैंने मना किया था, लेकिन फिल्म के मेकर्स ने मुझे तसल्ली देते हुए कहा था कि भले ही ये डांस नंबर है, लेकिन इसमें कुछ भी वल्गर नहीं होगा. साथ ही गणेश आचार्य जैसे कोरियोग्राफर इस गाने से जुड़े थे. फिर ऋषि कपूर और परेश रावल जैसे नाम थे, तो मैंने हां कह दिया.

शिल्पा कहती हैं कि यह गाना उन्हें उस वक्त आफर हुआ था जब वह बैन्निफर कोहली के साथ विवादों से जूझ रही थीं. शिल्पा को अफसोस है कि उन्हें अपने आप पर काम करने का वक्त नहीं मिला. वरना वह अपनी बाडी पर काम कर खुद को उस गाने के लिए फिट बनातीं. शिल्पा ने बताया कि उन्होंने मेकर्स को कहा भी कि वह किसी और को भी तो ले सकते हैं तो फिर उन्हें ही क्यों लेकिन वो शिल्पा की फैन फालोविंग को मानते थे इसलिए वह उन्हे ही लेना चाहते थे.

शिल्पा कहती हैं कि ऋषि कपूर और परेश रावल के साथ कम समय के लिए ही सही उन्होंने स्क्रीन शेयर किया तो वह खुश हैं. बिग बास से मिले आफर के बारे में वह कहती हैं “हां, मुझे पिछले साल से वो आफर कर रहे हैं लेकिन मैं पैसों के पीछे भागने वालों में से नहीं हूं. मैं उस तरह के शो का हिस्सा बन ही नहीं सकती क्योंकि टीआरपी का लालच मुझे तो है ही नहीं. मुझे हाल में और भी डांस नंबर के आफर आये थे, लेकिन मैंने मना कर दिया और अब मैं डेली सोप भी नहीं करूंगी.”

अगर चाहती हैं सुनहरा भविष्य तो वक्त से पहले उठाएं ये कदम

हमे बचपन से ही ये सुनने को मिलता है कि जीवन में जो शौक पूरा करना है उसे जल्दी ही कर लो क्योंकि जिंदगी बहुत छोटी है. लेकिन मौज मस्ती पर खर्च करने के साथ ही आपको फ्यूचर को सुरक्षि‍त करने के बारे में भी सोचना चाहिए. और इसके लिए समय रहते फाइनेंशियल प्लानिंग करना बहुत जरूरी है.

आज की बचत पर ही सुखी व सुरक्षि‍त भविष्य का आधार टिका होता है, इसलिए इस मामले को थोड़ी गंभीरता से लें. इसके लिए आप एक बजट बनाएं और सेविंग्स पर ध्यान देते हुए 30 या 35 की उम्र से पहले कुछ महत्वपूर्ण आर्थि‍क फैसले जरूर ले लें.

एक्सपर्ट्स का भी यही मानना है कि समय पर उठाए गए समझदारी भरे फाइनेंशियल स्टेप 50 के पड़ाव को पार करने के बाद जिंदगी आसान बना देते हैं. चलिये जानते हैं ऐसे 6 फैसलों के बारे में जो आपको सही उम्र पार करने से पहले लेने चाहिए

पैसे बचत करना

कभी भी यह नहीं सोचना चाहिए कि बुढ़ापे का बुढ़ापे में सोचेंगे. ध्यान रहे कि आपकी अभी से की गई बचत ही भविष्य में काम आएगी. कंपाउंड इंटरेस्ट का एक शब्द हमेशा ध्यान रखें. अगर आप कम उम्र में पैसे जमा करने लगेंगे तो कंपाउंड इंटरेस्ट के तहत इस रकम पर मिले ब्याज पर भी साल दर साल ब्याज मिलेगा. अगर आप हर महीने एक हजार भी जुटाते है तो कंपाउंड इंटरेस्ट के साथ आपकी रिटायरमेंट तक यह राशि खासी बड़ी हो जाएगी.

घर की प्लानिंग

30 साल के होने से पहले ही आपको यह फैसला कर लेना चाहिए कि आपको अपना खुद का घर लेना है या फिर किराये के घर में रहना है. दोनों ही केस में आपकी सैलरी पर बोझ बढ़ना है. ऐसे में रेंट हो या होमलोन पर बनने वाली ईएमआई, दोनों के लिए आपको पहले से ही प्लानिंग कर सेविंग शुरू कर देनी चाहिए.

इंश्योरेंस

30 साल के होने से पहले ही जीवन बीमा ले लें. यह कई मामलों में बाद में काम आता है. बीमा में पैसा लगाते समय एक बात हमेशा ध्यान रखें कि बीमा एक खर्च है, निवेश नहीं. ऐसे में कम रिटर्न वाली योजनाओं के झांसे में आने से बचें और रिसर्च के बाद ही कोई कदम उठाएं. सिर्फ जीवन बीमा करवा लेना ही काफी नहीं है, इसीलिए जरूरी है कि आप मेडिकल इंश्योरेंस भी करा के रखें. क्योंकि अगर कभी आपके साथ कोई दुर्घटना हो गई तो आपको कई दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है, जिसमें काफी पैसे खर्च होते हैं. ऐसे में अपना और अपने परिवार का मेडिकल इंश्योरेंस जरूर करवाएं.

इमर्जेंसी फंड

आपको हमेशा अपनी 3-6 महीने की सैलरी इमर्जेंसी फंड के रूप में रखनी चाहिए. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अगर आप बीच में कहीं जौब छोड़ देते हैं या आपको निकाल दिया जाता है तो अगली जौब मिलने तक आप आसानी से बिना किसी पर आश्रित हुए अपना खर्च संभाल सकते हैं.

करियर

30 के होने से पहले अगर आप 2-3 जौब चेंज कर चुके है और अभी भी संतुष्ट नहीं है तो जरूरत है खुद पर रिसर्च करने की. ऐसे में खुद को थोड़ा समय दें और रिसर्च कर जानने की कोशिश करें कि आपको किस नौकरी में खुशी मिलती है. इसके बाद एक लाइन चुनकर अपनी स्किल को बढ़ाने की कोशिश करें. साथ ही जिंदगी व खर्चों में ठहराव लाने की कोशिश करें, ताकि आपकी बचत और निवेश, सब निश्चित हो सकें.

चाईल्ड प्लानिंग

अगर आपकी शादी हो गई है और आपके बच्चे हैं या फैमिली प्लानिंग कर रहे हैं, तो इनके भविष्य के लिए बचत भी अभी से शुरू कर दें. हम सब जानते हैं कि आजकल कौलेज की फीस और शादी का खर्च, बेहिसाब तरीके से बढ़ते जा रहे हैं. ध्यान रहे कि अपने बच्चे के लिए आप एसआईपी में निवेश शुरू कर दें. ऐसा करने से आप उसके कौलेज का समय आने पर उसके लिए आसानी से पैसे दे पाएंगे और उसको अपने कदम वापस नहीं लेने पड़ेंगे.

घर पर आसानी से बनाइये स्वादिष्ट ‘जोधपुरी लड्डू’

कुछ ही दिनों में फेस्टिव सीजन शुरू होने वाला है. त्योहारों का मौसम हो और कुछ मीठा न बने ऐसा तो हो ही नहीं सकता. त्योहारों के मौसम में घर में विभिन्न तरह की मिठाइयां बनती हैं. इन्हीं मिठाइयों में से एक है जोधपुरी लड्डू. लड्डूओं का नाम हो और मुंह में पानी न आए ऐसा तो हो ही नहीं सकता और फिर बात जब टाटा समपन्न बेसन से बने जोधपुरी लड्डू की हो, तो फिर क्या कहने.

तो चलिए आज हम आपको टाटा समपन्न बेसन से बने जोधपुरी लड्डू बनाने की विधि बताते हैं.

सामग्री

टाटा समपन्न बेसन- 1 कप

चीनी- 1 कप

पानी- 2 कप

तेल- जरूरतानुसार

विधि

शुगर सिरप बनाने की विधि

एक पैन में चीनी और पानी डालें और हलका गाढ़ा होने तक पकाएं. याद रखें चीनी और पानी समान मात्रा में होनी चाहिए.

बूंदी बनाने की विधि

टाटा समपन्न बेसन और पानी मिला कर मिश्रण तैयार कर लें. याद रहे मिश्रण न ज्यादा गाढ़ा हो और न ही ज्यादा पतला.

अब एक कड़ाही में तेल गर्म कर के महीन छेद वाले चमचे की सहायता से बूंदी तैयार करें. इसके लिए छेद वाले चमचे को कड़ाही के ऊपर रख कर उस पर बेसन का मिश्रण डालें और दूसरे चमचे से दबा कर कड़ाही में बूंदी गिराएं.

सुनहरा होने पर बूंदी निकाल लें और इसमें गर्म गर्म शुगर सिरप मिलाएं. अब इस मिश्रण के छोटे छोटे लड्डू बना लें. आपका जोधपुरी लड्डू बन कर तैयार है.

टाटा समपन्न बेसन से बने इसे स्वादिष्ट जोधपुरी लड्डू को खुद भी खाएं और अपने मेहमानों को भी खिलाएं.

अगर इग्लू के लेने हैं मजे तो जाएं यहां

इग्लू यानि बर्फ से बना घर. बचपन में हम सबने इग्लू के बारे में किताबों में काफी पढ़ा और टीवी चैनल्स पर देखा है. लेकिन शायद ही कभी इसका दीदार करने का और इसके अंदर जाने का मौका सभी को मिला होगा.

सबने इसको लेकर काफी सपने देख होंगे जैसे इग्लू के अंदर रहना और वहां के अनुभव लेना लेकिन अब इग्लू के अंदर रहने का सपना अब पूरा होगा वो भी कम बजट में. तो अब देर किस बात की बैगपैक करें और निकल जाएं मनाली की सैर पर. जी हां, मनाली के रहने वाले विकास कुमार और ताशी दोर्जी ने अपने शौक को इग्लू का आकार देकर ऐसे शौकीन लोगों की भी इच्छा पूरी कर दी है.

ये दोनों वास्तव में विंटर स्पोर्ट्स विशेषज्ञ हैं जिन्हें इग्लू का शौक बचपन से ही था. इन दोनों ने मनाली के कूल्लू वैली में बर्फ के घर बनाए हैं जिसका नाम इन्होंने ‘Manali Igloo Stay’ रखा है.

हालांकि इन दोनों ने अभी तक सिर्फ दो इग्लू बनाए हैं और वे पांच और ऐसे इग्लू बनाने की योजना कर रहे हैं. वे लोगों की रुचि के अनुसार अपने इस प्लान पर काम करेंगे. इन दोनों ने यहां आने वाले टूरिस्ट के लिए इस काम की शुरुआत की. उनका कहना है कि अगर लोग इसमें रुचि दिखाते हैं तो वे ऐसे और भी बर्फ के घर बनायेंगे. ये यहां पर टूरिस्ट्स के लिए पूरे पैकेज की व्यवस्था करते हैं जैसे ऊनी स्लीपिंग बैग, गर्म गद्दे और गर्म पानी की बोतलें वगैरह.

वे उनके लिए तीन वक्त का खाना, साथ ही ठंड से बचने के लिए बोनफायर की भी व्यवस्था कराते हैं. बर्फ में रोमांच के लिए वौटरप्रूफ जैकेट, पैंट्स बूट्स और दस्ताने भी प्रोवाइड कराते हैं. लेकिन अगर आप यहां आप अपने दोस्तों के ग्रुप या फैमिली के साथ जाना चाहते हैं तो ठहर जाइए, क्योंकि यहां सिर्फ दो लोगों की व्यवस्था है. तो दिल थाम कर रखें और जायें यहां अपने पार्टनर के साथ और इग्लू का आनंद लीजिए.

रामदुलारे गए अयोध्या

रामदुलारे के मन में बड़ी साध थी कि जिंदगी में एक बार ‘गंगा स्नान’ कर आता. कहते हैं कि गंगा स्नान से अगलेपिछले सारे ‘पाप’ धुल जाते हैं. रामदुलारे भी अपने पापों को धोना चाहता था.  तभी उस ने सुना कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर की कारसेवा के लिए जो लोग जाएंगे, उन के टिकट की व्यवस्था एक ट्रस्ट करेगा. रामभक्त कारसेवा में जाने के लिए पहले से नाम लिखवा दें.

रामदुलारे को यह खबर मोहन ने दी. उस ने बतलाया, ‘‘रामदुलारे, हो आ लखनऊ, बनारस…रेले में निकल जाएगा. ‘‘फोकट में तीर्थयात्रा का आनंद ले. वहां का खर्चा तो तू निकाल ही लेगा. बड़ा जमघट होगा. थोड़ी हाथ की सफाई दिखाएगा तो पौबारह हो जाएगी. अपना कल्लू तो पार्टी के साथ गया है. वहां महाराष्ट्र के 55 छोकरों की पार्टी है. सब के सब प्रशिक्षित हैं. वहां लखनऊ में दूसरी शाखा के छोकरे मिल कर काम करेंगे.’’

रामदुलारे बोला, ‘‘उन की बात छोड़, उन की पूरी सरकार है, मंत्री हैं, अध्यक्ष है, मंत्रिपरिषद है, प्रशिक्षक है, गुंडे- बदमाश हैं. फिर उन का संविधान है, कायदाकानून है, अनुशासन है. अपना मिजाज उन से नहीं मिलता. 100 कमाओ और 80 सरकार को दो. अपने को यह मगजमारी पसंद नहीं. मोहन, मैं वहां धर्म के नाम पर पाप कम करने जा रहा हूं, रामभक्तों की जेब काट कर पाप बढ़ाने नहीं जा रहा. मेहनतमजदूरी कर लूंगा. गंगाजी में पुराने पापों का बंडल छोड़ दूंगा. फिर कोई अच्छा सा व्यापार करूंगा.’’

मोहन अपनी बात कह कर चला गया. रामदुलारे इस समय ‘पुण्य’ कमाने के चक्कर में था. गांधीजी, गौतमबुद्ध, विवेकानंद की तसवीरें खरीद कर कमरे में टांग चुका था. अमिताभ बच्चन, हेमा मालिनी, जैकी श्रौफ, जयश्री टी. की तसवीरों का अग्निदाह कर चुका था. 6 दिन हो गए थे, ठर्रे को हाथ भी नहीं लगाया, न रज्जोबाई के घुंघरू सुनने गया. बहुत दिन से ‘धंधे’ पर भी नहीं निकला था. पुलिस का दीवान आया तो उसे आखिरी ‘हफ्ता’ दे दिया और कह दिया, ‘‘अपन अब रिटायर हुआ दीवानजी, अपना हफ्ता बंद, अब आगे से अपन धंधे पर नहीं निकलेगा.’’  दीवान ने हाथ का डंडा हवा में हिलाते हुए कहा, ‘‘ठीक है, लेकिन बाद में धंधे पर मिला तो ‘फार्मूला फोर’ फिट कर दूंगा. तू समझता है न…अपना नाम यशवंत भाई हनुमंत भाई मोछड़ है. अपने से ज्यादा होशियारी नहीं दिखाने का.’’

आगापीछा सोच कर आखिर रामदुलारे पार्टी के दफ्तर में जा कर कारसेवकों के पहले जत्थे में ही नाम लिखा आया.  तीसरे दिन स्टेशन पर वह अपना थैला ले कर पहुंच गया. दूसरे कारसेवकों के साथ उसे एक तरफ खड़ा किया गया. फिर शहर के लोगों ने सब को मालाएं पहनाईं, बढि़या गुलाब और सूर्यमुखी की मालाएं. रामदुलारे के गले में माला डालने का यह दूसरा अवसर था. पहले कभी शादी के समय उस की पत्नी ने कनेर के फूलों की माला डाली थी उस के गले में, और फिर उसी के गले से जोंक की तरह चिपट गई.

उस समय रामदुलारे उड़ान पर था. गांव में ‘शहरी बाबू’ कहा जाता था. टैरीकौट की पैंट और नाइलौन की कमीज पहन कर हाथ में ट्रांजिस्टर ले कर घूमता था. कल्लू उस्ताद के स्कूल में प्रशिक्षित हो चुका था. धंधे में लग गया था. बांद्रा में एक झोंपड़पट्टी भी ले ली थी. एक पुरानी साइकिल भी खरीद ली थी. हाथ में घड़ी, जेब में पैन, होंठों पर सिगरेट, देव आनंद की तरह सजीसंवरी जुल्फें, बड़े ठाट थे उन दिनों रामदुलारे के. अपनी गाढ़ी कमाई में से 100-50 रुपए घर भी भेज देता था.  खैर, इस बार माला पहनने वालों को वह जानता था कि ये लोग लीडर हैं. चुनाव जीते हुए नेता हैं. उन्होंने माला पहनाई और हाथ जोड़े. बजरंग दल का एक नेता कह रहा था, ‘‘आप लोगों के खानेपीने का प्रबंध कर दिया है, बड़ौदा स्टेशन पर आप को खाने के पैकेट मिल जाएंगे. मानव बिंदु चैरीटेबल ट्रस्ट, मुंबई के अध्यक्ष गिरधरलाल ने सब कारसेवकों को हाथ-खर्चे के लिए 100-100 रुपए दिए हैं. आप को ये रुपए सूरत में मिल जाएंगे.

‘‘आप शाम को बड़ौदा पहुंचेंगे. वहां के दल वाले आप का स्वागत करेंगे और रात में चलने वाली साबरमती ऐक्सप्रैस में आप को आरक्षित सीट दिलवा देंगे. आप तीसरे दिन लखनऊ पहुंच जाएंगे. फिर वहां की व्यवस्था गुजरात दल करेगा. अच्छा भाइयो, बोलो प्रेम से राजा रामचंद्र की जय.’’

सब ने जयघोष किया. प्लेटफौर्म जयघोष से गूंज उठा. पत्रकार खड़े संवाद लिख रहे थे. फोटोग्राफर फोटो खींच रहे थे. एक व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति से पूछा, ‘‘काहे का लफड़ा है? हज करने जाता है क्या?’’

‘‘नहीं भाई, ये हिंदू लोग हैं…जैसे दूसरे गांव से गाय, भैंस, बकरा इधर मुंबई में कटने के वास्ते आता है न, ऐसे ही मरने के वास्ते इन को अयोध्या भेजते हैं अपने नेता लोग. ये सब वहां पुलिस और फौज की बंदूकों से अपने प्राण देंगे. इसी वास्ते इन की इतनी खातिर होती है.’’

तभी पास खड़े एक दूसरे सज्जन बीच में ही बोल पड़े, ‘‘काहे को गलत बात बोलता है, ये सब रामभक्त हैं. ‘भगवान’ की सेवा में जाते हैं. तुम वी.पी. सिंह का आदमी मालूम पड़ता है…’’ और अचानक उस ने उस व्यक्ति का गरीबान पकड़ लिया और जोरजोर से चीखने लगा, ‘‘वी.पी. सिंह का मानस है, मारो इस को.’’  एकाएक भीड़ के तेवर बदल गए. सब लोग उस आदमी पर टूट पड़े. प्लेटफौर्म पर होहल्ला मच गया. फिर अचानक भागमभाग मच गई. किसी ने रामपुरी चाकू उस आदमी की पसली में उतार दिया था. उस के पास ही खड़े, उस से बात करने वाले दूसरे आदमी की गरदन पर भी चाकू के 3 वार हो चुके थे. तभी पुलिस के जवान आ गए. प्लेटफौर्म पर सीटियां बजने लगीं. लाठीचार्ज हो गया. रामदुलारे अन्य रामभक्तों के साथ सामने खड़ी रेल में घुस गया. स्वागतसत्कार करने वाले स्वयंसेवकों तथा भाषण देने वाले नेताओं का कहीं पता न था. प्लेटफौर्म पर ढेर सारी मालाएं टूटी पड़ी थीं.

तभी पीछे से 50-60 आदमियों ने नारे लगाए, ‘‘हम सब हिंदू एक हैं…जिंदाबाद, जिंदाबाद. बजरंग दल जिंदाबाद. जिंदाबाद, जिंदाबाद, भवानी दल जिंदाबाद…जिंदाबाद, जिंदाबाद, शिवसेना जिंदाबाद, हिंदू परिषद जिंदाबाद…लाठीगोली खाएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे, बच्चाबच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का.’’  एक बार तो रामदुलारे के मन में आया कि रेल के डब्बे से उतर कर भाग जाए. फिर मन मजबूत किया. तभी कुछ बाहरी लोगों ने उन के डब्बे पर पथराव कर दिया. सटासट खिड़कियां बंद हो गईं. लोग दरवाजों से सट गए. तभी गाड़ी चल पड़ी.

रामदुलारे का दूसरे साथियों से परिचय हुआ. सभी भक्त और सेवक थे. रामदुलारे की बिरादरी का कोई भी नहीं था. अच्छे परिवारों के खातेपीते लोग थे. जब से गाड़ी चली थी, भजनकीर्तन प्रारंभ हो गया था. सभी भक्तिरस में डूबे हुए थे. हर स्टेशन पर मालाओं से स्वागत हो रहा था. भोजन के पैकेट मिल रहे थे. हाथखर्च भी ईमानदारी से मिल गया था. इतना स्वागत तो रामदुलारे की सात पुश्तों में किसी का नहीं हुआ था. धीरेधीरे वह ‘रामभक्त’ होता जा रहा था.   रतलाम स्टेशन पर उतर कर वह टहलने लगा. तभी सामने से पूरन और लल्लन साथ आते दिखाई दिए. पुराने साथी थे रामदुलारे के. वे सब बड़े जोश में मिले. कोटा, रतलाम डिवीजन का इलाका पूरन और लल्लन का था. अच्छे कलाकार थे. इन के दल में लल्लन तो राष्ट्रीय स्तर का कलाकार था. जब हिंदुस्तान में टीवी आया भी नहीं था तभी इस की तसवीरें दुनिया के टीवी पर आ गई थीं. जब इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गई, तब कामराज भारतीय राजनीति के क्षितिज पर सूर्य की तरह चमक रहे थे. वे इंदिरा गांधी के साथ थे. कुछ देर तक वे पत्रकारों से घिरे उन के प्रश्नों के जवाब देते रहे. फिर राष्ट्रपति भवन चले गए. इसी अवधि में लल्लन ने उन की जेब साफ कर दी. अच्छाखासा चमड़े का बटुआ था. लेकिन एकांत में जब लल्लन ने उसे खोला तो अपना माथा ठोक लिया. उस में कागज ही  कागज थे. कुछ अंगरेजी में टाइप किए हुए और कुछ हस्तलिखित. खोदा पहाड़, निकली चुहिया. लल्लन ने वह बटुआ चढ़ती यमुना को अर्पित कर दिया.

उधर, कामराज के बटुए को ले कर बड़ी हायतौबा मची. दिल्ली पुलिस कमिश्नर को बरखास्त कर दिया गया. पुलिस महानिदेशक को सरेआम फटकार खानी पड़ी. कामराज पसीनापसीना हो रहे थे. उस बटुए में बड़े महत्त्वपूर्ण गुप्त कागजात थे. विरोधी पार्टी के हाथों पड़ जाते तो लेने के देने पड़ जाते. संभावित मंत्रियों के विषय में कुछ पूर्व निर्धारित संकेत थे, सलाहमशवरा करने के कुछ मुद्दे थे.

गुप्तचर विभाग सक्रिय हो गया. सारा कार्यक्रम विदेशी पत्रकारों ने कैमरे में कैद किया था. हजारों फोटो उस समय के देखे गए. तभी अचानक रूस के एक फोटो- पत्रकार ने एक फोटो प्रस्तुत कर तहलका मचा दिया. जिस समय कामराज इंदिरा गांधी को बधाई दे रहे थे, उसी समय गले में कैमरा डाले एक आदमी कामराज की जेब में हाथ डाल रहा था.

गुप्तचर विभाग ने अपने ढंग से कार्यवाही कर के दूसरे ही दिन लल्लन को रात में सोते हुए धरदबोचा. फिर तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लल्लन चर्चा का विषय बन गया.  पूरन, लल्लन का पूरा गिरोह चल रहा   था. पूछने पर रामदुलारे ने बात एकदम साफ कर दी कि इस समय तो वह कारसेवा में ही जा रहा है, धंधे पर नहीं है.  खैर, तीनों ने एक स्टाल से चाय पी. रामदुलारे ने पैसा देने की जिद की तो पूरन, लल्लन चुप हो गए, लेकिन यह क्या? रामदुलारे के कुरते की जेब कटी हुई थी. 125 रुपए साफ हो चुके थे. उस ने जेब से हाथ नहीं निकाला, कुछ देर सोचता रहा. फिर बोला, ‘‘शायद बटुआ अंदर ट्रेन में है, तुम्हीं दे दो पैसे.’’  लल्लन ने पैसे चुका दिए. कुछ देर बाद गाड़ी में सब सवार हो लिए और कारसेवकों ने एतराज किया कि कोई गैरआदमी अंदर नहीं आ सकता किंतु रामदुलारे के समझाने पर वे मान गए.

लगभग 1 घंटे बाद एक आदमी एक पेटी ले कर आया. उस पर विश्व हिंदू परिषद का नाम अंकित था. वह मंदिर निर्माण के लिए दान ले रहा था. जब वह दूसरे लोगों के पास से हो कर रामदुलारे के पास आया तो रामदुलारे ने अपने कुरते की जेब से नोटों का बंडल निकाला और 1,133 रुपए दान में लिखवा कर दे दिए. बाकी रकम उस ने पूरन, लल्लन के सामने ही गिनी. अब उस के पास 125 रुपए थे.  ‘‘क्यों, तुम कुछ दान नहीं करोगे?’’ उस ने लल्लन उस्ताद से पूछा.

लल्लन ने अपनी जेब में हाथ नहीं डाला और बोला, ‘‘अब तुम ने दिया तो हम ने दिया, तुम्हारा रुपया भी तो हमारा ही है.’’

दोनों ने एकदूसरे की बात समझी और चुप हो गए. झांसी स्टेशन पर पूरन, लल्लन उतर कर दूसरे डब्बे में चले गए.  रामदुलारे झांसी स्टेशन पर उतरा तो उस ने घोषणा सुनी, ‘‘सभी रामभक्त कारसेवकों को सूचित किया जाता है कि विश्व हिंदू परिषद की ओर से किसी भी प्रकार का आर्थिक सहयोग नहीं लिया जा रहा है. कुछ धोखेबाज लोग इस तरह से पैसा एकत्र कर रहे हैं. यदि ऐसे किसी भी व्यक्ति को देखें तो पुलिस के सिपुर्द कर दें.’’

रामदुलारे समझ गया कि लल्लनपूरन के ही आदमी रहे होंगे. सोचा कि चलो ठीक है, उन की रकम उन तक पहुंच गई.  रामदुलारे शांति से डब्बे में जा कर बैठ गया. किसी रामभक्त ने उसे एक हनुमान चालीसा और तुलसी की माला दे दी. माला उस ने गले में डाल ली और हनुमान चालीसा का पाठ करने लगा. धीरेधीरे उस के मन में भक्ति सवार हो रही थी.  गाड़ी चलने ही वाली थी कि 5-7 पुलिस के जवान गाड़ी में चढ़ आए. उन्होंने कारसेवकों से प्लेटफौर्म पर उतर जाने को कहा. सभी नीचे उतर आए. गाड़ी फिर रुक गई. कुछ गुप्तचर विभाग वाले कारसेवकों की तलाशी लेने लगे. जैसे ही रामदुलारे का नंबर आया कि एक अफसर बोला, ‘‘अरे, यह तो दसनंबरी रामदुलारे है. गिरफ्तार कर लो इसे. साला पाकेटमार, अयोध्या में धंधा करने जा रहा है.’’

अफसर के संकेत पर रामदुलारे को पकड़ लिया गया. वह गिड़गिड़ाया, ‘‘कसम ले लो साहब, इस समय तो मैं सच्चे दिल से कारसेवा में जा रहा हूं. भगवान की कसम खाता हूं…’’

तभी एक डंडा उस के पृष्ठभाग पर पड़ा, ‘‘हर बार कसम खाता है, कसम खाने के अलावा और है क्या तेरे पास? नौ सौ चूहे खा कर बिल्ली हज करने जा रही है.’’  रामदुलारे वहीं महारानी लक्ष्मीबाई की वीरभूमि में वीरतापूर्वक गिरफ्तार कर लिया गया. एक बात अच्छी रही, उस समय गिरफ्तार व्यक्तियों की पिटाई नहीं हो रही थी. इज्जत से बंद किया जा रहा था. एक पुराने से किलेनुमा विद्यालय में उन्हें नजरबंद कर दिया गया. खानापानी समय पर मिलता रहा. शायद जल्दी में या व्यस्तता के कारण रामदुलारे का अलग से ‘विशेष’ प्रबंध नहीं किया गया था.

वहीं बाबा सत्यनाम दास मिले. उन्होंने 3 दिन के लिए उपवास किया. कई सद्गृहस्थ भक्तों ने उपवास में साथ दिया. रामदुलारे भी उपवास पर उतर गया. जेल के कानून के तहत कोई भी कैदी 24 घंटे से ज्यादा भूखा रहता है तो वह दंडनीय अपराध है. उसे जोरजबरदस्ती से खिलाने का प्रबंध किया जाता है.  उपवास के दूसरे ही दिन पुलिस अधिकारी आ धमके. उपवास करने वालों की सूची बनी. कहासुनी हुई. तभी वह अफसर भी आ गया जिस ने रामदुलारे को गिरफ्तार किया था. वह रामदुलारे को देख कर ही आपा खो बैठा. रामदुलारे की समझ में नहीं आ रहा था कि उस ने कौन उस की भैंस चुरा ली है या उस के बच्चे का अपहरण कर लिया है.  खैर, रामदुलारे को सब से अलग कर दिया गया. कुछ देर बाद उसे कोतवाली ले जाया गया. वहां कुछ सिपाही माथे और हाथों पर पट्टी बांधे बैठे थे. शहर में दंगा हो गया था, वहीं इन लोगों की मरम्मत हुई थी. शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था. रामदुलारे जेबकतरा है, यह जान कर वे चारों सिपाही उठ खड़े हुए और अंदर का सीखचों वाला कक्ष खोल कर उस में बंद रामदुलारे को बाहर खींच लाए. फिर अपनेअपने लट्ठों से चारों ने मिल कर रामदुलारे की धुनाई की. उन्होंने शहर के दंगाइयों का पूरा बदला रामदुलारे से लिया.

वैसे तो रामदुलारे वीर था. ऐसे अनेक प्रहार वह अनेक बार सह चुका था, पर अब देह थक रही थी. पुराने जख्म भी दर्द करते थे. उन्हीं पर नए जख्म ज्यादा पीड़ा देने लगे, किंतु भीष्मपितामह की तरह वह सारी पीड़ा अंदर ही अंदर पी गया. उफ तक नहीं की बंदे ने. उसे मारमार कर सिपाही थक गए. रामदुलारे की पोरपोर से दर्द उठ रहा था. हड्डीहड्डी हिल गई थी.

रामदुलारे जमीन पर लेट गया और आंखें मूंद लीं. मरणासन्न सा हो गया. रुकरुक कर हिचकी लेने लगा. किसी ने शायद भीतर थानेदार से कहा होगा. थानेदार अभी आया था शहर से हायतौबा करता. उस ने रामदुलारे का यह हाल देखा तो बौखला गया. सिपाहियों पर बुरी तरह गरजा. लाइनहाजिर होने का हुक्म दे दिया गया.  रामदुलारे को सरकारी अस्पताल में दाखिल करवा कर छोड़ देने का हुक्म हुआ. 4 जवान रामदुलारे को अस्पताल ले आए. वहां उसे भरती करवा कर पुलिस वाले चले गए. डाक्टरों से कहा कि शहर के दंगे में चोट खा गया है. तुरंत इलाज चालू हो गया.

3 दिन में रामदुलारे ठीक हो गया. दर्द तो खैर था, लेकिन अब चलफिर सकता था. बाएं हाथ पर प्लास्टर चढ़ गया था. माथे, पैर और पीठ पर पट्टियां बंधी थीं. फिर भी रामदुलारे के लिए यह बहुत परेशानी की बात नहीं थी.  उस दिन वह अपने बिस्तर से उतर कर बाहर टहलने लगा. फिर मुख्यद्वार से हो कर बाहर सड़क तक आ गया. फिर एक रिकशा में बैठ कर सीधा स्टेशन आ गया. उस के पास रिकशा वाले को देने के लिए पैसे नहीं थे. वहां स्टेशन पर कहासुनी होने लगी. रामदुलारे के गले में चांदी की तुलसी के दानों की कंठी थी. उस ने कंठी रिकशा वाले को दे दी. फिर सामने प्लेटफौर्म पर पहुंचा तो बड़ौदा जाने वाली साबरमती ऐक्सप्रैस तैयार खड़ी मिली. यह संयोग की ही बात थी कि वह सकुशल दूसरे दिन सुबह 5 बजे बड़ौदा आ गया.  बड़ौदा स्टेशन पर उतरते ही एक आश्चर्य हुआ. लोगों में होहल्ला हुआ और धीरेधीरे भीड़ रामदुलारे के पास एकत्र हो गई. कुछ कार्यकर्ताओं ने उसे पहचान लिया.

‘‘अरे, रामदुलारे भाई हो न? कारसेवा में गए थे?’’

‘‘ये तो कारसेवक हैं, बेचारे को कितनी तकलीफ सहनी पड़ी.’’

फिर तो रामदुलारे लोगों की भीड़ का केंद्रबिंदु बन गया. रामदुलारे कुछ कहता इस से पहले ही लोगों ने उस की रामकहानी बना डाली. ‘गोलियां लगी हैं बेचारे को’, ‘सरयू नदी में फेंक दिया था अयोध्या में’, ‘यही चढ़ा था बाबरी मसजिद पर’, ‘बड़ी बेरहमी से पीटा है बेचारे को.’

देखते ही देखते रामदुलारे हीरो हो गया. आननफानन में ही एक जीप में रामदुलारे की सवारी तैयार हो गई. मालाओं से लद गया रामदुलारे. जुबली गार्डन में बजरंग दल वाले उपवास पर बैठे थे. वहीं ले गए रामदुलारे को. धीरेधीरे आसपास के लोग एकत्र होने लगे.

एक नेता बोला, ‘‘रामभक्त रामदुलारे भाई हमारे हिंदू भाइयों के माथे का मुकुट हैं. हम ने जान लिया है कि इन का सबकुछ छीन लिया गया है. इन के शरीर पर 27 घाव हैं.’’

दूसरा आदमी आगे आया और बोला, ‘‘रतन भाई की ओर से रामभक्त रामदुलारे भाई को 1,100 रुपए की मदद दी जाती है.’’

तभी तीसरा आदमी आया और बोला, ‘‘सद्भावना ट्रस्ट की तरफ से इस भाई को 5 हजार रुपए की मदद की जा रही है.’’

फिर धीरेधीरे 27 हजार की रकम वहीं मंच पर आ गई. कुछ स्वयंसेवक झोली फैला कर 2-2, 5-5 रुपए इकट्ठे कर रहे थे.  धीरेधीरे खबर शहर के दूसरे इलाकों में फैल गई कि मसजिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने वाला भाई घायल हो कर आ गया है. उसे 8 गोलियां लगी थीं. पुलिस ने भी पीटा है. शायद कुछ और रुपए एकत्र होते, लेकिन तभी कर्फ्यू का अमल कराने सेना आ गई. अश्रु गैस के गोले छूटने लगे. लाठीचार्ज हो गया. रामदुलारे ने सारी रकम झोली में समेटी और भाग कर एक गली में घुस कर गायब हो गया.  शहर में कर्फ्यू का अमल कड़ाई से होने लगा था.  

नौकरी का तनाव और खुदकुशी

आजकल नौकरी बड़ी मुश्किल से मिलती है. कई  युवा नौकरी की तलाश करतेकरते थक जाते हैं तो निराश और हताश हो जाते हैं. ऐसे में कईर् बार वे डिप्रैशन में चले जाते हैं. इन में से कुछ तो खुदकुशी भी कर लेते हैं. जिन्हें नौकरी मिल जाती है उन्हें नौकरी का तनाव रहता है. जब तनाव बरदाश्त से बाहर हो जाता है तो वे आत्महत्या कर लेते हैं. क्या नौकरी का तनाव सचमुच इतना भारी होता है कि उस का कोई हल नहीं निकलता?

मल्टीनैशनल हों या फिर प्राइवेट कंपनियां, जितना ऊंचा पद और सैलरी, उतना ही अधिक तनाव.  नौकरी पर तनाव और आत्महत्या को ले कर कई शोध हुए हैं. हाल ही में मध्य प्रदेश के ग्वालियर के गजरा राजा मैडिकल कालेज के फौरेंसिक साइंस विभाग में हुए शोध के अनुसार, कड़ी प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तनावभरी नौकरी जानलेवा हो रही है. करीब 61 फीसदी आत्महत्याएं नौकरी के तनाव से मानसिक अवसाद की वजह से हो रही हैं. शोध में यह भी खुलासा हुआ है कि खुदकुशी करने वालों में तात्कालिक कारण के बजाय मानसिक अवसाद ही सब से बड़ा कारण रहा है. 80 से 85 फीसदी मामलों में मानसिक अवसाद की स्थिति सामने आई है.

यह शोध 2 वर्षों में आत्महत्या करने वाले 200 परिवारों से हुई बातचीत पर तैयार किया गया है. शोध का मकसद नौकरी के तनाव की वजह से आत्महत्या करने की सोच रखने वाले लोगों की पहले से पहचान करना है ताकि उन्हें काउंसलिंग के जरिए बचाया जा सके.  शोध में पाया गया कि नौकरी का तनाव पुरुषों में अधिक रहता है. आत्महत्या करने वालों में 61 फीसदी पुरुष हैं तथा 39 फीसदी महिलाएं. कामकाजी महिलाओं में आत्महत्या का कारण कार्यस्थल का तनाव पाया गया है.  शोध में आत्महत्या करने वाले जिन 200 लोगों के बारे में पता किया गया उन में से 59 फीसदी ने जहर खा कर जबकि 41 फीसदी ने फांसी लगा कर जान दी. इस की वजह यह है कि देश में जहरीली दवाएं आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं.

एक अन्य शोध के मुताबिक, भारत में करीब 46 फीसदी कर्मचारी औफिस में तनाव में काम करते हैं. देश में हर साल करीब 1 लाख लोग सुसाइड करते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में सब से ज्यादा सुसाइड स्ट्रैस के चलते होते हैं. हर 40 सैकंड में दुनिया में एक व्यक्ति सुसाइड करता है.  नौकरी चाहे छोटी हो या बड़ी, तनाव तो रहता ही है. कुछ लोग तो आसानी से तनाव का सामना कर लेते हैं, लेकिन कुछ नहीं कर पाते और सुसाइड कर लेते हैं.  नौकरी में तनाव की मुख्य वजह कम समय में ऊंचा लक्ष्य प्राप्त करने की चुनौती है. दिए गए लक्ष्य को निर्धारित अवधि के भीतर पूरा करना असंभव तो नहीं, पर मुश्किल अवश्य हो सकता है. जब लक्ष्य साधने में अनेक बाधाएं सामने खड़ी हों तो तनाव का बढ़ना स्वाभाविक है. समय निकट आता जाता है और लक्ष्य पीछे छूटता जाता है तो व्यक्ति हिम्मत हार जाता है. परिणामस्वरूप अपनी असफलता का सामना करने के बजाय वह आत्महत्या कर लेता है.

कार्यस्थल का तनाव भी कुछ कम नहीं ंहोता. महिला कर्मचारियों को इस का अधिक तनाव रहता है. कार्य करने की परिस्थितियां, औफिस का माहौल, सहकर्मियों या बौस द्वारा यौन प्रताड़ना या यौन शोषण की वजह से जब उन की परेशानी बढ़ने लगती है तो वे तनाव में आ जाती हैं. हालात से संघर्ष करने के बजाय वे खुदकुशी का निर्णय ले लेती हैं.  कुछ बौस खड़ूस प्रवृत्ति के होते हैं जो अपनी तानाशाही चलाते हैं. उन का आदेश पत्थर की लकीर होता है. उन का अनुशासन इतना सख्त होता है जिस में मानवीय संवेदनाओं की कोई जगह नहीं होती. अनुशासन के नाम पर उन का आतंक रहता है. बौस के अन्यायपूर्ण और औचित्यपूर्ण निर्णय कर्मचारियों को तनावग्रस्त कर देते हैं. इन में से कुछ कर्मचारी सुसाइड भी कर लेते हैं.

यही वजह है कि सरकारी कर्मचारी तनाव में रहते हैं, क्योंकि सत्ताधारी पार्टी का अदना सा कार्यकर्ता भी बड़े से बड़े अधिकारी का ट्रांसफर कराने में सक्षम रहता है. नेता को तो वोट चाहिए जो कार्यकर्ता दिला सकते हैं, कर्मचारी नहीं. कुछ कर्मचारी नेताओं के कोपभाजन के इतने शिकार होते हैं कि साल में लगभग आधा दर्जन ट्रांसफर की मार झेलते हैं. यही नहीं, प्रताडि़त करने के लिए बारबार उन पर जांच बैठा दी जाती है या उन्हें सस्पैंड कर दिया जाता है. नेताओं की इस दबंगई से तंग आ कर कई कर्मचारी आत्महत्या तक कर लेते हैं.  हर कर्मचारी भ्रष्ट या बेईमान नहीं होता. कुछ को जानबूझ कर षड्यंत्र रच कर इस में फंसाया जाता है और जेल भेजने की कोशिश की जाती है. अपने ऊपर लगे झूठे इलजाम की वजह से वे खुदकुशी कर लेते हैं.

दुनिया में हर समस्या का समाधान है. आत्महत्या करना कायरता की निशानी है. आत्महत्या करने वाला भले ही तनावमुक्त हो जाता हो, लेकिन उस की खुदकुशी की वजह से अन्य लोग तनाव में आ जाते हैं.     

कैसे बचें जानलेवा तनाव से

क्या आत्महत्या की मूल वजह तनाव से बचा नहीं जा सकता? क्या तनावरहित रह कर नौकरी नहीं की जा सकती? 

ब्रिटिश शोधकर्ताओं का कहना है कि स्ट्रैस शब्द को हमें अपने शब्दकोश से निकाल देना चाहिए. किसी को भी कभी यह नहीं कहना चाहिए कि वह तनाव में है. दरअसल, स्ट्रैस शब्द को कहते ही शरीर में कुछ कैमिकल्स सक्रिय हो जाते हैं. यह बात एक अध्ययन में सामने आई है.

शोधकर्ता क्लीनिकल साइकोथेरैपिस्ट सेठ स्विरस्काई का कहना है कि स्टै्रस आप की जिंदगी पर काफी बुरा असर डाल सकता है. अध्ययन में पाया गया कि स्टै्रस शब्द का इस्तेमाल करते ही शरीर में एपीनेफ्रिन और कोर्टिसोल कैमिकल्स बढ़ जाते हैं, साथ ही मस्तिष्क में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर्स आप को और ज्यादा स्ट्रैस्ड महसूस करवाते हैं. स्ट्रैस के दौरान हमारा दिल तेजी से धड़कना शुरू कर देता है और सांसें भी तेज चलने लगती हैं, ब्लडप्रैशर भी बढ़ जाता है जबकि इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है. इस के चलते हम कुछ सोच नहीं पाते और डर व चिंता से भर जाते हैं. इसलिए स्टै्रस को कम करने के लिए हमें अपनी भाषा और सोच में सुधार करना चाहिए. ऐसा कुछ महसूस होते ही हमें खुद से ही बात करना, पौजिटिव किताबें पढ़ना और विजन बोर्ड बनाना या फिर वह काम करना चाहिए जो हमें पसंद हो.

खुल्लमखुल्ला प्यार करेंगे हम दोनों

गेहो या लैस्बियन, अकसर लोग इन्हें देख कर नाकभौं सिकोड़ने लगते हैं. समलैंगिक संबंधों को हेयदृष्टि से देखा जाता है. आज तक हमारा समाज इन संबंधों को स्वीकार नहीं कर पाया है. समाज और धर्म के ठेकेदारों का मानना है कि आखिर एक युवक दूसरे युवक से कैसे प्यार और शादी कर सकता है. उसे तो युवती से ही प्यार करना चाहिए और युवती को भी हमेशा युवक से ही प्यार करना चाहिए. समलैंगिक संबंधों को समाज हमेशा गलत मानता रहा है, लेकिन समलैंगिक संबंध रखने वाले लोग अब खुल कर सामने आने लगे हैं.  समलैंगिक युवकयुवतियां अब परेड के माध्यम से अपने प्यार का खुल कर इजहार करने लगे हैं, न तो अब उन्हें किसी का डर है और न ही किसी की चिंता. यदि आप उन्हें स्वीकार नहीं करना चाहते तो न करें. इन्हें आप के नाकभौं सिकोड़ने से भी कोईर् फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि अब ये चल चुके हैं एक अलग रास्ते पर जहां इन की सब से अलग, सब से जुदा दुनिया है.

13 पौइंट्स समलैंगिक संबंधों पर

1. आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं : प्यार की परिभाषा सिर्फ महिला और पुरुष के प्यार तक सीमित नहीं है, प्यार किसी से भी हो सकता है. पुरुष को पुरुष से, औरत को औरत से. अगर 2 पुरुष या महिलाएं साथ रहना चाहती हैं तो इस में हर्ज ही क्या है भाई, रहने दो, उन को साथ, आप क्यों बीच में टांग अड़ा कर इसे गलत साबित करने में तुले हैं. जिंदगी उन की है उन्हें उन के तरीके से जीने दीजिए.

2. लंबी है समलैंगिक संबंधों की  लड़ाई : वक्तबेवक्त समलैंगिक सड़कों पर उतर कर अपनी आवाज बुलंद करते रहते हैं. सिर्फ इसलिए कि आप और हम इन्हें सामान्य नजरों से देखें. इन्हें कानूनी अधिकार मिल सकें.  समलैंगिक संबंध रखने वाले लोग परेड का आयोजन करते हैं, जिस में बड़ी तादाद में देशीविदेशी शिरकत करते हैं. दुनिया की बात तो छोड़ दीजिए, क्या भारत समलैंगिकता को अपनाने के लिए पूरी तरह तैयार है? क्या गे, लैस्बियन, ट्रांसजैंडर को समान अधिकार दिए जाएंगे? अभी तो भारत में इसी पर बहस चल रही है.  सब से पहले लोग समलैंगिकता को ले कर अपना दृष्टिकोण बदल लें, सोच का दायरा बढ़ा लें, यही काफी होगा. अभी भी हमारे समाज में इन्हें मानसिक रोगी समझा जाता है.

3. समाज में फैली हैं भ्रांतियां : लैस्बियन और गे को ले कर समाज में कईर् तरह की गलतफहमियां हैं. लोग समलैंगिकता को एक विकल्प समझते हैं. वे सोचते हैं कि युवतियां जिम्मेदारियों से बचने के लिए लैस्बियन बनती हैं, ताकि उन पर कोई बोझ न पड़े, जबकि यह सरासर गलत है. साथ ही, लोगों में ये भी गलतफहमी है कि समलैंगिकों में एड्स की आशंका सब से अधिक रहती है, जबकि यह भी एक गलत धारणा है.

4. समलैंगिक अप्राकृतिक संबंध नहीं : विषमलैंगिक संबंध रखने वाले ज्यादातर लोगों का मानना है कि समलैंगिकता अप्राकृतिक है. वे सोचते हैं कि शायद इन में कुछ अंदरूनी गड़बड़ है इसलिए ये ऐसे हैं, जबकि ऐसा कुछ नहीं है. विज्ञान की नजर से देखें तो समलैंगिक संबंध बिलकुल सामान्य है.

5. क्रांतिकारी हैं समलैंगिक : समलैंगिक संबंध रखने वालों में प्यार की भावना विषमलैंगिकों से कहीं ज्यादा होती है. ये न सिर्फ अपने प्यार का खुल कर इजहार करते हैं बल्कि पूरी दुनिया के आगे उस की तसदीक करते हैं, जो आप और हम नहीं कर सकते. पौप गायिका लेडी गागा भी समलैंगिक संबंधों की वकालत कर चुकी हैं. गागा के मुताबिक, ‘‘समलैंगिक संबंध रखने वाले प्यार के क्रांतिकारी होते हैं.’’

6. फैशन नहीं है समलैंगिक संबंध : लोगों को लगता है कि समय तेजी से बदल रहा है. देश पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहा है, लिहाजा, समलैंगिक संबंध का भी चलन है, इसलिए आजकल के युवा इस तरह की हरकत पर उतारू हैं. मनोवैज्ञानिकों की मानें तो यह कोई फैशन नहीं है, समलैंगिक संबंध किसी व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करते हैं कि वह किस से संबंध रखना चाहता है, कैसे संबंध रखना चाहता है. आप और हम उसे फैशन करार नहीं दे सकते. समलैंगिक संबंध बनाना उस का निजी फैसला है.

7. विदेशों में आमबात, भारत में हायतौबा : विदेशों में संबंध चाहे समलैंगिक हों या विषमलैंगिक, हर किसी को अपने तरीके से जिंदगी जीने की आजादी है. कोई कुछ भी करे, किसी को कोई मतलब नहीं, जबकि यहां स्थिति उलट है. समलैंगिक संबंधों को ले कर यहां खूब होहल्ला मचाया जाता है. चिल्लाने से अच्छा कि लोग पहले अपने गिरेबां में झांकें, फिर कुछ बोलें.

8. अदालत से मिली है मंजूरी : 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक मैरिज को लीगल करार दिया था. जुलाई 2014 में समलैंगिक शादी को 19 राज्यों में लीगल माना गया था. 2012 में अमेरिका के राष्ट्रपति ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि मुझे लगता है कि समलैंगिक जोड़े शादी करने के लिए सक्षम हैं. 15 देश समलैंगिक शादी को मंजूरी दे चुके हैं. हालांकि अमेरिका के कोलोराडो में अब भी समलैंगिक शादी को मंजूरी नहीं दी गई है.

9. छिपाए जाते हैं संबंध : समलैंगिक संबंधों का खौफ अब भी बरकरार है. समलैंगिक जोड़े अकसर ये सोचते हैं कि क्या लोग उन्हें स्वीकार कर पाएंगे? क्या घर वाले उन की इच्छा जान पाएंगे? कई साल वे इसी कशमकश में निकाल देते हैं. कई रिश्ते घर वालों की मरजी की भेंट चढ़ जाते हैं. परिजन समलैंगिक संबंध को यह सोच कर स्वीकार नहीं कर पाते कि वे लोगों को क्या मुंह दिखाएंगे. रिश्तेदारों से क्या कहेंगे कि उन के बेटे या बेटी के समलैंगिक संबंध हैं या वे सम लिंग से शादी करना चाहते हैं.  देश में कई समलैंगिक जोड़े ऐसे हैं जिन्हें घर वालों का डर सताता रहता है और वे खुल कर अपनी बात नहीं रख पाते. कई बार तो वे घर वालों की मरजी से शादी तो कर लेते हैं, लेकिन पीठ पीछे समलैंगिकता का खेल भी चलता रहता है, जो एक न एक दिन सामने आ ही जाता है.

10. खुल कर रखें अपनी बात : यदि आप ऐसे किसी जोड़े को जानते हैं जिस के समलैंगिक संबंध हैं तो बजाय मजाक उड़ाने के, आप उन का साथ दें, ताकि वे अपनी बात खुल कर लोगों के सामने रख सकें. हर कोई खुल कर होहल्ला मचाए, यह जरूरी तो नहीं, हर इंसान का व्यवहार अलगअलग होता है. लिहाजा, समलैंगिक संबंध रखने वाले शरमाएं नहीं, खुल कर अपनी बात घर वालों के सामने रखें, उन्हें तैयार करें.  अपने संबंधों के लिए उन्हें बताएं कि यह कोई बीमारी नहीं है. सब चीजें उन के मनमुताबिक नहीं हो सकतीं. अब ऐसा तो है नहीं कि जो खाना हमें पसंद है ठीक वैसा ही खाना दूसरे को भी पसंद हो, हर व्यक्ति की पसंदनापसंद अलग होती है.  ११ कई संस्थाएं करती हैं समर्थन : देशविदेश में कई संस्थाएं हैं जो समलैंगिक संबंधों की पक्षधर हैं और उन का खुल कर समर्थन करती हैं. उन में से एक नाम है उर्वशी वेद का भी है जो अमेरिकन ऐक्टिवस्ट के रूप में गे, लैस्बियन, ट्रांसजैंडर के लिए करीब 25 साल से काम कर रही हैं. भारत में ऐसी कई संस्थाएं हैं जिन में से एक है नाज फाउंडेशन, जो समलैंगिकों के अधिकारों के लिए लड़ रही है.

11. क्या है धारा 377 : धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंध गैरकानूनी हैं. समलैंगिक संबंध बनाने वाले स्त्रीपुरुष को 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. यह अपराध की श्रेणी में आता है, जिसे गैरजमानती माना गया है. इस कानून के जरिए पुलिस सिर्फ शक के आधार पर भी गिरफ्तारी कर सकती है.

12. गे थे चीन के पहले प्रधानमंत्री : हौंगकौंग के एक लेखक सोई विंग मुंई की एक किताब जारी हुई थी, जिस में दावा किया गया था कि चीन के पहले कम्युनिस्ट प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई गे थे.

13. जबरदस्ती नहीं बनाए जाते संबंध : यदि कोई गे या लैस्बियन है तो इस का मतलब यह कतई नहीं है कि वह आप की इच्छा के विरुद्घ आप से संबंध बनाएगा. अकसर लोग इस गलतफहमी के चक्कर में समलैंगिकों से कन्नी काट लेते हैं, जो सरासर अनुचित है.                  

समलैंगिकता का कोई इलाज नहीं

अगर किसी घर में कोई व्यक्ति समलैंगिक संबंध रखता है और यह बात घर वालों को पता चल जाती है तो परिवार वाले उस का डाक्टरी इलाज कराने में जुट जाते हैं. उन्हें लगता है कि समलैंगिकता बीमारी है जो डाक्टरी इलाज से ठीक हो जाएगी. डाक्टर्स के पास भी ऐसी कोई  घुट्टी नहीं है कि जिसे वे समलैंगिक संबंध रखने वाले व्यक्ति को पिलाएं और रोगी विषमलैंगिक बन जाए. इन संबंधों को जितनी जल्दी स्वीकार कर लेंगे उतना ही अच्छा हो.

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