खास मौके पर हेयरस्टाइल भी हो खास

उत्सव का माहौल हो और लुक्स की बात न हो, ऐसा तो मुमकिन ही नहीं. लुक्स खास हो तो त्योहार भी अपनेआप खास हो जाता है. जहां महिलाएं अपने कपड़ों और गहनों को ले कर सजग होती हैं, वहीं मेकअप और हेयरस्टाइल को ले कर भी खास प्लान बनाती हैं, क्योंकि त्योहार को खास बनाने में ड्रैसिंग सैंस और मेकअप के अलावा हेयरस्टाइल का भी अहम रोल होता है. तो इस त्योहार आप के खास लुक के लिए कैसा हो हेयरस्टाइल, आइए जानते हैं.

सैंटर पफ विद स्ट्रीकिंग

सब से पहले प्रैसिंग कर के बालों को स्ट्रेट लुक दें और फिर फ्रंट के बीच के बालों को ले कर पफ बनाएं. पफ के चारों तरफ दूसरे कलर की हेयर ऐक्सटैंशन लगा लें. हेयर ऐक्सटैंशन को बालों के बीच मर्ज करते हुए एक साइड पर ट्विस्टिंग रोल चोटी बना लें.

सैंटर वियर फाल

सब से पहले बालों को प्रैसिंग मशीन की मदद से स्ट्रेट कर लें. फिर साइड पार्टीशन कर के फ्रंट से एक साइड की फ्रैंच बना लें और चोटी को खुले बालों की ओर कर दें. ड्रैस के अनुसार चोटी में बीड्स या ऐक्सैसरी लगाएं. यह आप को बेहद ऐलिगैंट लुक देगा.

सौफ्ट कर्ल

बालों को साइड पार्टिंग दें. फिर फ्रंट के कुछ बालों को छोड़ कर गरदन से ऊंची पोनी बना लें. सारे बालों को कर्लिंग रौड से कर्ल कर लें. फं्रट के छोड़े हुए बालों को ट्विस्ट करते हुए बैक पर ले जा कर पिनअप कर दें. पोनी के ऊपर फैदर या फिर अपनी मनपसंद हेयर ऐक्सैसरीज लगा लें. ये बाल चेहरे पर न आएं, इस के लिए साइड पार्टीशन कर के कोई भी सुंदर सा क्लिप लगा सकती हैं. ये सभी हेयरस्टाइल आप के लुक में बदलाव लाने के साथसाथ आप के व्यक्तित्व को भी आकर्षक बना देंगे.       

– भारती तनेजा, डाइरैक्टर, एल्प्स क्लीनिक

वुडबी के साथ डेटिंग

अमूमन शादीब्याह तय करने से पहले युवकयुवती को अकेले में बातचीत करने, एकदूसरे के बारे में जाननेसमझने और राय देने के लिए कहा जाता है, लेकिन एकदूसरे के घर में होती ऐसी मुलाकात जिस में एक तो पहली बार एकदूसरे से मिल रहे होते हैं, दूसरा पता होता है कि बाहर फैमिली वाले राय जानने को तैयार बैठे हैं. ऐसे में न तो थोड़े समय में एकदूसरे के बारे में जाना जा सकता है और न ही राय देना संभव हो पाता है. अकसर पेरैंट्स के दबाव में दी गई राय सटीक नहीं होती और बाद में किसी कमी का जिक्र आने पर पेरैंट्स यह कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि हम ने तो आप को मौका दिया था एकदूसरे को जानने का.

इस संदर्भ में जरूरी है कि जिस शख्स के साथ आप ने ताउम्र रहना है, सुखदुख निभाने हैं उसे अच्छी तरह जानपरख लिया जाए. उस का स्वभाव, पहनावा, सोसायटी आदि के बारे में उस के विचार, पसंदनापसंद जो एक छोटी मुलाकात में समझना मुश्किल है. इसलिए जरूरी है विवाह से पहले खासकर ‘हां’ हो जाने के बाद से ही युवकयुवती कम से कम 3-4 बार डेटिंग करें और एकदूसरे के बारे में जानें ताकि बाद में किसी तरह की शिकायत न रहे.

घरपरिवार के बारे में जानें

अमूमन युवतियां वुडबी से डेटिंग कर उस के व उस के स्वभाव के बारे में ही पूछती हैं जबकि आप को विवाह के बाद परिवार में भी रहना है इसलिए वुडबी से उस के परिवार के बारे में जानें. मातापिता का स्वभाव, खानपान, आदतें, पसंदनापसंद आप को पता होनी चाहिए. यह भी देखें कि परिवार धार्मिक कर्मकांडों को मानने वाला व दकियानूस तो नहीं है. कहीं आप शादी के बाद व्रतत्योहार ही निबटाती रह जाएं. संयुक्त परिवार तो नहीं है अगर है तो कितना बड़ा है, खाना बनाने का स्टेटस काम का बंटवारा या सभी अपनाअपना काम करते हैं आदि के बारे में जानें.

वुडबी के शौक व आदतें जानें

आप ने जिस के साथ ताउम्र रहना है उस के बारे में सब पता होना चाहिए. उस के शौक क्या हैं? उस की आदतें कैसी हैं? बातोंबातों में जान लें कि वह ड्रिंक तो नहीं करता, उसे सिगरेट आदि की लत तो नहीं. उस का खानपान कैसा है, शौक क्या हैं, घूमना, फिल्म देखना, यारीदोस्ती को कितना समय देता है आदि.

आर्थिक स्थिति का पता लगाएं

अमूमन शादी के समय युवक की सैलरी, इनकम आदि के बारे में बढ़चढ़ कर बताया जाता है. आप इस की हकीकत का पता डेटिंग के दौरान लगा सकती हैं. ध्यान रहे, सीधेसीधे वेतन के बारे में न पूछें. बस, घुमाफिरा कर जानने की कोशिश करें कि जो बताया गया है क्या वह सही है? परिवार के अन्य आय के स्रोत क्या हैं और खर्च कैसे किया जाता है.  आप का वुडबी अपनी कमाई किसे देता है, घर पर निर्भर तो नहीं रहता आदि बातें जानें. यह भी जानें कि आप की कमाई पर नजर रख कर तो शादी नहीं हो रही.

विवाहपूर्व संबंधों के बारे में जानें

अमूमन आज के दौर में युवकयुवतियों के विवाहपूर्व संबंध बनने लगे हैं. आप अपने वुडबी के पूर्व संबंधों के बारे में डेटिंग के दौरान जानने की कोशिश करें. सिर्फ दोस्ती थी या संबंध प्रेम तक पहुंचे. ध्यान रहे कि उस की भावनाएं आहत न हों. अगर कोई ब्रेकअप हुआ और वह संभल गया, तो उसे मुद्दा न बनाएं.

भविष्य के बारे में जानें

आप का वुडबी भविष्य के बारे में कितना सजग है, इस बारे में चर्चा अवश्य करें. उस ने भविष्य की क्या योजनाएं बना रखी हैं, आगे सिर्फ जौब तक ही सीमित रहना चाहता है या कुछ समय बाद अपना व्यवसाय शुरू करना चाहता है. बचत को ले कर क्या सोचता है? भविष्य में अगर घर नहीं है तो खरीदना चाहेगा या मम्मीपापा के घर में ही रहेगा. कहीं शेयरबाजार, सट्टा, कमेटी आदि के चक्कर में तो नहीं रहता. इस बारे में जानें.

पूर्व सैक्स संबंधों की चर्चा न करें

आप ने अपने बारे में भले उसे सबकुछ बता दिया हो, लेकिन भूल कर भी डेटिंग के दौरान अपने पूर्व सैक्स संबंधों के बारे में न बताएं. इस के बाद भले उसे आप में लाखों अच्छाइयां दिखें पर उसे आप की सभी अच्छाइयों के बावजूद आप को अपनाने में हिचक होगी. अगर अपना भी लिया तो ताउम्र यह बात उलाहने का कारण बन सकती है.

ममाज बौय न हो

बातोंबातों में डेटिंग के दौरान जान लें कि कहीं वह ममाज बौय तो नहीं है. उस की घर में क्या स्थिति है? कितनी चलती है, निर्णय लेने में सक्षम है कि नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं कि छोटीछोटी बातों पर उसे पेरैंट्स की इजाजत लेनी पड़ती हो. उस की बोल्डनैस आदि के बारे में भी जानने की कोशिश करें.

अंधविश्वासी तो नहीं

वुडबी अंधविश्वासी और टोनेटोटकों में भरोसा करने वाला तो नहीं, चैक करें. ऐसे लोग अगर अपनी दूसरी खूबियों के कारण सफल हों तो भी हरदम उन पर खौफ छाया रहता है और वे हर तरह के भगवान की सेवा करने में लगे रहते हैं. खुद भी अंधविश्वासी न बनें और वुडबी की अंधविश्वासी तो नहीं, यह भी जांच लें.  उपरोक्त बातों को ध्यान में रख कर 3 से 4 बार डेटिंग अवश्य करें. फिर सभी बातों का निचोड़ निकाल गंभीरता से विचार कर मन बनाएं कि वह आप का वुडबी है या उसे इग्नोर करना ही ठीक है. इस के लिए किसी के दबाव में न आएं. न डेटिंग की बातें किसी से शेयर करें खासकर अंतरंग बातें तो बिलकुल न बताएं. गंभीरता से विचार कर अपना फैसला पेरैंट्स को सुनाएं.  

इन बातों का रखें खास खयाल :

डेटिंग के दौरान खुद कम बोलें और वुडबी की अधिक सुनें. ज्यादा व बढ़चढ़ कर बोलने, हर बात में हांहां करने से आप बातों में फंस सकती हैं. कोई बात छिपाना भी चाहें तो निकल सकती हैं. अत: कम बोलें व जरूरत के अनुसार विश्लेषण करें.

ड्रैस का ध्यान रखें. जहां युवकों को डेटिंग के लिए सिंपल बन कर जाने की सलाह दी जाती है वहीं युवतियां भी यदि सिंपल ड्रैस पहनें तो अच्छा रहेगा. वल्गर कपड़े न पहनें. न ही ज्यादा फैशनेबल, सैक्सी या शरीर दिखने वाले कपड़े पहनें. सिंपलसोबर कपड़े इस अवसर पर ठीक रहेंगे.

आप भी यंग हैं वह भी और विपरीत लिंग का आकर्षण भी. तिस पर आप की शादी भी होने वाली है यह सोच कर बहक न जाएं. हाथों में हाथ डालना, पास आना आदि से डेट को सैक्सुअल न बनाएं और सैक्स हेतु उतावले न हों. इसे शादी के बाद के लिए ही रखें व दूरी बनाए रखें.

डेट के दौरान कभी भी गिफ्ट के चक्कर में न पड़ें. न गिफ्ट दें न लेने की उत्सुकता दिखाएं. बर्थडे विश या अन्य तरह के कार्ड देनालेना भी वर्जित रखें, क्योंकि अगर शादी नहीं होती तो ये चीजें झगड़े का मुद्दा बनती हैं.

फेसबुक फ्रैंडशिप व औनलाइन चैटिंग से बचें, क्योंकि इस से आप के सभी फ्रैंड्स भी आप के वुडबी को जान जाएंगे जब तक रिश्ता नहीं हो जाता इसे अवौइड करें.

फोन पर डेट फिक्स कर सकती हैं, लेकिन व्हाट्सऐप पर चैटिंग न करें. कभीकभी यह बातचीत रिश्ता न होने पर सुबूत के तौर पर दिखाई जाती है, स्मार्टफोन से फोटो व सैल्फी लेने की भूल भी न करें. ध्यान रहे अभी आप सिर्फ परख रहे हैं रिश्ते हेतु हां नहीं हुई.

डेट पर जाएं तो खानेपीने का खर्च आधाआधा रखें. उस के न कहने पर भी खर्च करें ताकि एक पर बोझ न पड़े और अगला यह भी न समझे कि यह तो खानेपीने में ही रहती है, खर्च में नहीं.

कुंडली मिलान एक ढकोसला

भारतीय परंपरागत हिंदू विवाह पद्धति में कुंडली मिलान को बहुत आवश्यक समझा जाता है. कई बार बहुत से योग्य युवक या युवतियां इसी कारण बड़ी उम्र तक अविवाहित रह जाते हैं, क्योंकि उन की कुंडली नहीं मिलती. कभीकभी तो 3-4 भाईबहनों वाले परिवार में यदि सब से बड़े बच्चे की कुंडली नहीं मिलती तो सभी की शादी में रुकावट आ जाती है. 

समाज में हमें अपने आसपास कई बेमेल दंपती भी सिर्फ कुंडली मिलान के कारण ही दिखते हैं. हमारे पड़ोस में एक सुशिक्षित युवक जो कि ऊंचे पद पर कार्यरत था, का विवाह एक कम पढ़ीलिखी युवती से इसलिए कर दिया गया, क्योंकि उन की कुंडली के 36 गुण आपस में मिलते थे, लेकिन विवाह के बाद दोनों का जीवन परेशानियों से घिर गया, क्योंकि बौद्धिक स्तर पर दोनों का कोई मेल  नहीं था.

इसी प्रकार कई बार उच्च शिक्षा प्राप्त किसी बुद्धिमान युवती का विवाह किसी मामूली युवक से इसलिए कर दिया जाता है कि दोनों की कुंडली बहुत अच्छी तरह मिल गई है.  भारतीय विवाह पूरी उम्र साथ निभाने की एक स्वस्थ परंपरा है, जिस से पैदा होने वाले बच्चे भी सामाजिक तथा नैतिक मूल्यों को स्वयं ही अपना लेते हैं. यदि पतिपत्नी के बीच बौद्धिक समानता है तो परिवार का वातावरण भी सकारात्मक रहता है. ऐसे ही परिवार स्वस्थ समाज तथा स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं.  गौर से विचार किया जाय तो कुंडली मिलान के स्थान पर वरवधु की शैक्षिक योग्यता, रुचियों तथा विचारों का मिलान किया जाना चाहिए.

हमें इस बात का भी ज्ञान होना चाहिए कि विश्व के अनेक देशों में जहां कुंडली मिलान नहीं होता वहां भी सफल वैवाहिक जीवन देखने को मिलता है.  एक समय ऐसा था जब समाज वैवाहिक रिश्तों के लिए पंडितों और विचौलियों पर निर्भर था. उस समय लोग शिक्षित नहीं थे तथा संचार माध्यमों का भी अभाव था. पंडित लोग एक गांव से दूसरे गांव आतेजाते रहते थे और अपने पास विवाह योग्य युवकयुवतियों की सूची रखते थे. वे घरघर जा कर कुंडली मिला कर रिश्ते करवाते थे. यह कार्य उन की आजीविका का मुख्य साधन था.  वर्तमान समय में युवकयुवतियां शिक्षित हैं. अपना व्यवसाय अथवा कैरियर स्वयं चुनते हैं. ऐसे समय में वे अपना जीवनसाथी भी अपनी योग्यता के अनुसार स्वयं चुन लेते हैं. बड़ेबुजुर्गों का यह कर्तव्य है कि वे उन के द्वारा पसंद किए गए जीवनसाथी से मिलें उस की जांचपड़ताल करें ताकि आने वाले समय में उन के साथ धोखाधड़ी न हो.

वर्तमान में समाचारपत्रों में वैवाहिक विज्ञापनों तथा इंटरनैट के द्वारा भी उचित जीवनसाथी का चुनाव किया जाता है. अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार रखना चाहिए ताकि वे अपनी पसंदनापसंद मातापिता को बता सकें.  अकसर यह तर्क दिया जाता है कि वर्तमान में हो रहे प्रेमविवाह असफल हो रहे हैं, जबकि कुंडली मिलान द्वारा किए गए विवाह सफल रहते थे, परंतु ऐसा नहीं है. पुराने समय में युवतियां शिक्षित नहीं होती थीं और अपने साथ हो रहे अत्याचार अथवा अन्याय का विरोध नहीं कर पाती थीं. परंतु आज समय बदल रहा है. कुंडली मिलान के बाद होने वाले विवाहों में अधिक तलाक देखने को मिलते हैं.  अनुराधा ने अपनी बेटी कल्पना का विवाह अच्छी तरह कुंडली मिलान के बाद एक संपन्न व्यावसायिक परिवार में किया. लेकिन विवाह के एक महीने के बाद ही युवती वापस घर आ गई. काफी छानबीन के बाद पता चला कि युवक पहले से किसी अन्य युवती को चाहता था. क्या ही अच्छा होता कि युवक के परिवार वाले उसे इतनी छूट देते कि वह पारिवारिक दबाव में आ कर विवाह न करता और कल्पना का जीवन बरबाद होने से बच जाता.

यदि अनुराधा केवल कुंडली मिलान से विवाह संबंध न जोड़ कर युवकयुवती को विवाह से पहले मिलनेजुलने का मौका देतीं तो शायद युवक यह बात पहले ही बता देता और दोनों परिवार मानसिक तनाव से बच जाते.  दूसरी ओर शालिनी ने अपनी बेटी की कुंडली कई जगह दी पर कहीं भी ठीक से मिलान न होने पर उन्होंने बेटी को ही वर चुनने की इजाजत दे दी. शालिनी की बेटी डाक्टर है. उस ने अपने साथ ही काम कर रहे एक अन्य डाक्टर से अंतर्जातीय विवाह कर लिया. अब उन की बेटी बहुत खुश है और शालिनी भी.

अकसर देखा जाता है कि कुंडली मिलान के पूरे खेल में परिवार के सदस्यों को ग्रहनक्षत्रों की कोई जानकारी नहीं होती, जिस का कारण रिश्ता कराने वाले पंडित मोटी कमाई कर जाते हैं. कई बार तो पैसे ले कर पूरी कुंडली ही बदल दी जाती है.  मांगलिक होने अथवा नाड़ी दोष होने पर तो युवकयुवती का विवाह पेड़ अथवा घड़े से करने की परंपरा भी है. अनेक कर्मकांडों को संपन्न करने के बाद उन्हीं युवकयुवती का विवाह आपस में कर दिया जाता है जिन की कुंडली आपस में नहीं मिल रही होती. कुंडली के दोष निवारण के नाम पर परिवारों को एक मोटी रकम पंडितों के हवाले करनी पड़ती है.  कई बार एक ही कुंडली का मिलान अलगअलग पंडित अलगअलग तरह से करते हैं. सब से बड़े आश्चर्य की बात तो यह है कि हर प्रकार के दोष का निवारण भी संभव है. बस पैसा खर्र्च करो उपाय करा लो, ले दे कर पंडितों की जेब भरती है.

पढ़ेलिखे लोग भी अकारण ही आंख बंद कर इस परंपरा का निर्वाह करते चले आ रहे हैं, जिस के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. कुंडली मिलाने के लिए अनेक जगह भेजा जाता है और बारबार न मिलने पर युवक और युवती के जीवन में तनाव भी बढ़ जाता है. अच्छा तो यह हो कि घर के सदस्य कुंडली मिलान के ढकोसले से बच कर युवकयुवती की पसंद को सही रूप में जांचपरख कर ही वैवाहिक संबंध स्थापित करें.

सिक्किम के बारे में ये कहकर विवादों में घिरी प्रियंका चोपड़ा

विवाद प्रियंका चोपड़ा का पीछा छोड़ते नजर नहीं आ रहे हैं. ताजा मामला उनके विवादित बयान से जुड़ा है जिसकी वजह से वो सोशल मीडिया में ट्रोल की जा रही हैं. दरअसल, प्रियंका चोपड़ा सिक्किम को ‘उग्रवाद ग्रस्‍त राज्‍य’ कहकर विवादों में घिर गई हैं. ऐसे में प्रियंका के प्रोडक्‍शन हाउस ‘पर्पल पैबल पिक्‍चर्स’ ने इसके लिए सिक्किम प्रशासन से लिखित व मौखिक माफी भी मांगी है.

प्रियंका चोपड़ा इन दिनों अपने प्रोडक्‍शन हाउस की फिल्‍म ‘पाहुना : द लिटिल विजिटर्स’ की स्‍क्रीनिंग के लिए ‘टोरंटो इंटरनेशन फिल्‍म फेस्टिवल’ में हिस्‍सा लेने के लिए अपनी मां मधु चोपड़ा और इस फिल्‍म की निर्देशक पाखी के साथ टोरंटो पहुंचीं थीं. वहां दिये एक इंटरव्‍यू में प्रियंका के हवाले से कहा गया, ‘यह पहली सिक्क‍िम फिल्‍म है. सिक्किम भारत के उत्तर-पूर्व इलाके का एक ऐसा राज्‍य है, जहां खुद की कोई फिल्‍म इंडस्‍ट्री नहीं है. यहां के किसी शख्स ने कोई फिल्म भी नहीं बनाई है. ‘पहुना’ इस क्षेत्र से जुड़ी पहली फिल्म है. जो उस इलाके में बनाई गई है क्‍योंकि यह इलाका उग्रवाद जैसी समस्‍याओं से ग्रसित है. मैं बहुत एक्‍साइटेड हूं.

प्रियंका के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया में उन्हें ट्रोल किया जाने लगा. एक यूजर ने उन्हें जवाब देते हुए लिखा कि सिक्किम शांत राज्य है और यहां कोई उग्रवाद नहीं रहा. विवाद बढ़ने के बाद उनकी ओर से माफी मांग ली गई है. एक हिन्दी न्यूज चैनल को दिये बयान में मिनिस्‍टर उगेन ग्‍यात्‍सो ने कहा, ‘प्रियंका की मां ने मुझसे फोन पर बात की है और इसके लिए उन्होंने माफी मांगी है.

प्रियंका के इस इंटरव्‍यू के बाद से ही ट्विटर पर कई यूजर्स उन्‍हें काफी खरी-खोटी सुना रहे हैं. कई लोगों ने प्रियंका को इसके लिए ‘राजनीतिक तौर पर गंवार’ तक कहा है. असम के एक लेखक बिस्‍वातोश सिन्‍हा ने लिखा है, ‘प्रिय प्रियंका चोपड़ा, ‘सिक्‍किम कोई अशांत इलाका नहीं है और ‘पहुना’ सिक्किम में बनी पहली फिल्‍म नहीं है. कृपया नोर्थईस्‍ट के बारे में अपने तथ्‍य जांच लें.’

इससे पहले सीरिया में बच्चों की मदद करने पहुंचीं प्रियंका को ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ा, जिसका उन्होंने मुंहतोड़ जवाब भी दिया. रविंद्र गौतम नाम के एक शख्स ने ट्विटर पर लिखा कि प्रियंका को देश के गांव में भी जाना चाहिए, जहां के बच्चे भूखे हैं और खाने के इंतजार में हैं. यूजर का करारा जवाब देते हुए प्रियंका ने लिखा, “मैं यूनिसेफ के साथ 12 सालों से काम कर रही हूं और ऐसी कई जगाहों पर जा चुकी हैं. रविंद्र गौतम तुमने क्या किया है? एक बच्चे की परेशानी दूसरे से कम कैसी?

प्रियंका को इससे पहले अपनी ड्रेसिंग स्टाइल और एक मैगजीन की कवर फोटो के लिए ट्रोल किया जा चुका है.

डिजिटल प्लेटफार्म से दूरी बनाकर रखने लगा हूं : ऋषि कपूर

45 सालों से हिंदी सिनेमा जगत पर राज कर रहे अभिनेता ऋषि कपूर अभी भी अपने आप को इंडस्ट्री के लिए नया ही समझते हैं और हर भूमिका उनके लिए नयी होती है. वे स्पस्टभाषी हैं और हमेशा से ही खरी-खरी बातें करना पसंद करते हैं. फिल्मी माहौल में पैदा हुए ऋषि कपूर ने जन्म से ही कला को अपने आस-पास देखा है. उन्हें गर्व है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के 105 साल पूरे होने में उनके परिवार का 97 साल का योगदान है. उन्होंने आजतक करीब 150 फिल्मों में काम किया है और हर तरह के किरदार निभाए हैं, लेकिन आज भी जब वे कुछ नया पढ़ते हैं, तो उसे करने की इच्छा पैदा होती है.

उनके हिसाब से अभिनय की प्रतिभा व्यक्ति में जन्म से होती है. कोई अच्छा अभिनेता हो सकता है, पर खराब अभिनेता कभी नहीं होता. व्यक्ति या तो एक्टर होता है या एक्टर नहीं होता है. इन दोनों के बीच कोई नहीं होता. अभी उनकी फिल्म ‘पटेल की पंजाबी शादी’ रिलीज पर है. बहुत ही सहज भाव से वे सामने बैठे और बातचीत की, पेश है अंश.

फिल्मों का चयन करते वक्त किस बात का ध्यान रखते हैं?

मैंने हमेशा जिस कहानी को मनोरंजन की दृष्टि से देखा है और उसी को करना पसंद करता हूं. अगर उसमें कुछ संदेश चला जाय, तो अच्छी बात होती है. मेरी कोशिश रहती है कि हर व्यक्ति अपने परिवार के साथ मिलकर मेरी फिल्म को देखे. इस फिल्म में भी मैंने मनोरंजन को खास देखा है. इसके अलावा मैंने परेश रावल की वजह से इसे साईन किया है. कम उम्र में मैंने कई फिल्में उनके साथ की है, लेकिन इस दौर में भी उनके साथ काम करने की इच्छा थी.

अभी सारे पुराने अभिनेता अच्छा काम कर रहे हैं, इस दौर को कैसे देखते हैं?

ये अच्छी बात है. मैं उन्ही फिल्मों को करना चाहता हूं, जिसमें मेरी कोई अच्छी भूमिका हो और अपने फैन को मैं कुछ दे सकूं. फिल्म फ्लाप हो या हिट हो वह मेरे हाथ में नहीं होता. काम अच्छा करना मेरे हाथ में है. केवल पिता की भूमिका निभाना मैं पसंद नहीं करता. ‘कपूर एंड संस’ के बाद मैंने कोई फिल्म नहीं की. ‘पटेल की पंजाबी शादी’ के बाद ‘वन जीरो टू नौट आउट’, झूठा कहीं का, राजमा चावल आदि कई अलग-अलग तरह की फिल्में मैं कर रहा हूं. मैं अपने आप को भाग्यशाली समझता हूं कि आज भी इस उम्र में हमारे लिए चरित्र लिखे जाते हैं. आज से 5-7 पहले इस उम्र में लोग रिटायर्ड हो जाया करते थे. अमिताभ बच्चन की वजह से ये मौका अब सभी कलाकारों को मिल रहा है. मुझे खुशी इस बात से भी होती है कि आज भी मेरे फैन्स मुझे देखने थिएटर हाल तक जाते हैं. आगे भी 4 फिल्में मुझे मिल रही है, जिसकी कहानी बहुत अच्छी और अलग है.

मैंने शुरू से अलग तरह की फिल्मों में काम करना पसंद किया है. जो मुझे करियर के दूसरे फेज में मिला. ‘दो दुनी चार’ जो अलग तरह की फिल्म थी. इसकी कहानी सुनाने हबीब फैजल आए थे. कहानी सुनने के बाद मैं चौक गया कि इसमें वे मुझे लीड में चाहते हैं. उन्होंने तुरंत कहा था कि उनकी कहानी ही खुद हीरो है. आजकल अधिकतर निर्देशक में इतनी हिम्मत नहीं होती कि वह कहानी को हीरो कहे. इस फिल्म में मैंने और नीतू सिंह दोनों ने काम किया और फिल्म अच्छी चली.

इस उम्र में हमें काम मिलने की खास वजह मल्टीप्लेक्स का अधिक बढ़ना है. इसमें जाने वाले दर्शक भी अपने तरीके की फिल्में देखना चाहते हैं. ऐसे में अलग फिल्में बन रही है और हमें काम मिल रहा है. मारधाड़ की फिल्में भी चलती है, लेकिन छोटी और कम बजट की फिल्मों के लिए भी दर्शक है. मल्टीप्लेक्स आने से अलग फिल्में भी बनने लगी हैं.  मुझे याद आता है जब मैंने इंडस्ट्री में एंट्री की थी, तो उस समय हर तरह की फिल्में जिसमें रोमांटिक, एक्शन, धार्मिक आदि बनती थी, जिसकी एक दर्शक होती थी. मैंने उस समय कई जादूवाली और एक्शन फिल्में तब देखी थी.

आज हमारे अधिकतर युवा शिक्षित हैं और अलग फिल्में देखना पसंद करते हैं. हम जब जवान थे, तो उस दौर के हर कलाकार के पास ‘लौस्ट और फाउंड’ वाली दो से तीन फिल्में होती थी. उस समय के दर्शक भी बहुत मासूम थे और मनोरंजन के नाम पर कुछ भी देखना पसंद करते थे. आज का युवक डिजिटल इंडिया का रूप है और उसे हर चीज घर बैठे मिल जाता है. मैं ‘बौबी’ फिल्म में ढाई रूपये में हीरो बना, जबकि रणवीर कपूर 250 रूपये में ‘सवरियां’ में हीरो बना, ये अंतर है. जेनरेशन के बाद हर चीज बदलती है.

आप शुरू से लेकर अभी तक पर्दे पर अभिनय की छाप कैसे छोड़ पाते हैं? क्या इसमें आपका भी  योगदान होता है?

इसकी वजह मेरा काम के प्रति मेरा ‘पैशन’ और जूनून का होना है, मुझे इसे करने में मजा भी आता है. मैं मजबूरी में अभिनय नहीं करता, मेरी चाहत होती है कि मैं हर फिल्म में अलग लगूं. मेरी छवि रोमांटिक हीरो की थी, लेकिन फिल्म ‘अग्निपथ’ में मैंने एक विलेन की भूमिका निभाई, जबकि फिल्म ‘डी डे’ में नकारात्मक किरदार निभाया और लोगों ने सराहा. अभी मुझे ऐसी नकारात्मक भूमिका नहीं मिल रही है, जिसका मुझे दुःख है. हर तरह की भूमिका निभाना मुझे अच्छा लगता है, फिर चाहे कामेडी हो या निगेटिव या रोमांटिक, क्योंकि जब मैं न रहूं, तो लोग मेरे काम को देखें और सराहें. ज्यादातर लोग मुझे पहले एक्टर ही नहीं मानते थे, इसमें कसूर मेरा ही था कि मैंने 25 साल तक फिल्मों में सिर्फ गाने गाये और रोमांस किया. अभिनय का मौका नहीं मिला. प्रेम रोग, दामिनी, चांदनी आदि ऐसी ही फिल्में थी. काम तो मुझे इस दूसरे दौर में मिलने लगा है, जहां मुझे अभिनय का मौका मिल रहा है. आज लोग मेरे बारे में लिखते हैं और मैं इसमें से अपने लिए चुन भी सकता हूं.

आप एक जागरूक नागरिक की तरह डिजिटल प्लेटफार्म पर एक्टिव हैं, जिसका खामियाजा आपको कई बार उठाना पड़ता है, इसे कैसे लेते हैं?

मैं अपनी बात कहने के लिए डिजिटल प्लेटफार्म का सहारा लेता हूं और अगर किसी को वह पसंद नहीं आती है और मुझे वे कहते हैं तो निकाल भी लेता हूं. मैं किसी को जानबूझकर ठेस पहुंचाना पसंद नहीं करता. मुझे जो सही नहीं लगता था, मैं कहता था, लेकिन अब मैं बहुत सौफ्ट हो गया हूं. डिजिटल प्लेटफार्म से थोड़ी दूरी बनाकर रखने लगा हूं.

फैस्टिव फैशन में फ्यूजन का सीजन

त्योहारों के खास मौसम में पारंपरिक पहनावे की मांग हमेशा कायम रहती है. भारतीय महिलाओं के फैशन की बात करें, तो उन के स्टाइल स्टेटमैंट में पारंपरिक वेशभूषा का जादू हमेशा छाया रहता है. हालांकि 2017 में कुछ अलग अंदाज के पारंपरिक परिधानों का फैशन छाया रहेगा. अब युवतियां त्योहारों के लिए सूट या साडि़यों की अपेक्षा नए पारंपरिक पहनावे को प्राथमिकता दे रही हैं.

धीरे धीरे महिलाओं में पारंपरिक रंगों से हट कर हलके रंगों का क्रेज बढ़ रहा है. अब वे पेस्टल मिंट ग्रीन, शैंपेन गोल्ड और जेस्टी औरेंज जैसे हलके शेड्स के परिधानों को अपने वार्डरोब में शामिल कर रही हैं. इन रंगों से उन के संपूर्ण व्यक्तित्व में ताजगी और चमक देखी जा सकती है. यही नहीं अब उन का ध्यान ज्यादा कढ़ाई वाले भारी परिधानों से हट कर हलके परिधानों की ओर जा रहा है. इस सूची में हम ने शामिल किए हैं पारंपरिक परिधानों के वे ट्रैंड्स, जो 2017 के त्योहारी मौसम में हर ओर छाए रहेंगे.

हाईनैक और कौलर

बंद गले या कौलर वाली कुरतियां पारंपरिक परिधानों को फौर्मल यानी औपचारिक लुक प्रदान करती हैं. दोस्तों से मिलने जाना हो या किसी कौरपोरेट मीटिंग अथवा कौन्फ्रैंस का हिस्सा बनना हो, ये कुरतियां हर अवसर के लिए उपयुक्त रहती हैं. रैट्रो प्रिंट्स वाली बंद गले की कुरतियां इस वर्ष के अपरंपरागत फैशन की सूची में शामिल रहेंगी. खास जियोमैट्रिकल पैटर्न और रफ किनारों की डिजाइन वाली कुरतियां पहन कर आप लोगों को मुड़मुड़ कर देखने को मजबूर कर देंगी. ब्रोकेड या चंदेरी सिल्क से बनी बंद गले या कौलर वाली कुरतियां आप को खास शाही अंदाज देंगी. चंदेरी सिल्क के ट्राउजर या ऐक्सैसरी के प्रयोग के साथ इन्हें पेयर किया जा सकता है.

बोहो स्कर्ट

हर युवती की अलमारी में स्कर्ट का एक अहम स्थान होता है. इस वर्ष फूलों, कलियों और पत्तियों के रूपांकन वाली पारंपरिक प्रिंटेड स्कर्ट्स को स्टाइलिश और चिक शर्ट्स, टौप्स और ट्यूनिक्स के साथ पहना जाएगा. औफिस पार्टियों, त्योहारों और शादियों के इस मौसम में इस बोहो इंडोवैस्टर्न ट्रैंड को अपना कर युवतियां अपना जादू बिखेर सकती हैं. त्योहारों में खास व अलग दिखने के लिए आप इन बोहो स्कर्ट्स को क्रौप टौप या भारी दुपट्टे के साथ पेयर कर सकती हैं.

स्लिट्स

हालिया लौंच हुई ये ऐक्सटैंडेड स्लिट्स देंगी परिधानों को नया और आधुनिक बदलाव. चिक डिजाइनों को दिया गया है बोल्ड स्लिट्स का साथ, जो पारंपरिक फैशन को एक नया रूप प्रदान करेगा. युवतियों में स्लिट वाली कुरतियां बहुत मशहूर हो रही हैं. यह ट्रैंड उन्हें शाही और आधुनिक लुक प्रदान करेगा. खासतौर पर पैटर्न वाली स्लिट कुरतियों की भारी मांग है. ट्राउजर, जींस और प्लाजो के साथ इन कुरतियों को पेयर कर युवतियां अपने लुक को बदल सकती हैं. यह प्रयोग इस सीजन बहुत हीट रहेगा.

त्योहारों के इस सीजन में पारंपरिक कुरतियों के साथ प्लाजो की ज्यादा मांग रहेगी. जक्सटापोज प्रिंट वाले प्लाजो न सिर्फ खूबसूरत व अनोखे दिखते हैं, बल्कि आप के पहनावे को भी खास लुक प्रदान करते हैं. इस फैस्टिव सीजन स्लिट कुरतियों में मिंट ग्रीन, कोरल, इंडिगो ब्लू और औरेंज जैसे रंग बेहद लोकप्रिय रहेंगे.

केप्स

एक मशहूर पश्चिमी स्टाइल अब भारतीय फैशन ट्रैंड में भी घुलमिल चुका है. केप किसी भी बौडी टाइप की युवती आसानी से पहन सकती है. अगर पारंपरिक परिधान को बिलकुल नए अंदाज में परोसना चाहती हैं, तो अपनी साधारण सी कुरती, फैंसी लहंगे या सैंसुअल साड़ी के ऊपर केप पहन कर देखें. यह आप के व्यक्तित्व को नया लुक देगा.

फैस्टिव सीजन के लिए बेहद सुंदर पैटर्न, स्टाइल और टैक्सचर में ये केप्स उपलब्ध हैं. नैट मैटीरियल में भारी ऐंब्रौयडरी वाले काम के साथ केप्स मौजूद हैं और अगर शाही लुक चाहती हों तो केप में लेस का प्रयोग भी किया जा सकता है.

ऐसिमैट्रिक हेम

विशेष कट्स वाले ऐसिमैट्रिक हेम्स को डिजाइनर्स और युवतियों में बहुत पसंद किया जा रहा है. इस स्टाइल को लगभग हर डिजाइनर अपने लेटैस्ट कलैक्शन में शामिल कर रहा है. अपना ट्रैंडी स्टाइल स्टेटमैंट बनाने के लिए इन ऐसिमैट्रिक कुरतियों को पटियाला सलवार, लैगिंग और प्लाजो के साथ पहना जा सकता है. ऐसिमैट्रिक हेम तिरछी डिजाइन का भी हो सकता है तो टु वेज या हाई लो भी. इस पैटर्न में अभी और रचनात्मक डिजाइनों पर काम चल रहा है. त्योहारों के इस मौसम के लिए यह सब से उपयुक्त फ्यूजन लुक माना जा सकता है.

वैस्टर्न साड़ी

भारतीय परंपरागत पहनावे में बड़ी तेजी से बदलाव देखे जा रहे हैं. आजकल आधुनिक ट्विस्ट के साथ साडि़यों को बिलकुल नया लुक दिया जा रहा है. गाउन की तरह पहनी जाने वाली ये साडि़यां अंतर्राष्ट्रीय फैशन को कड़ी चुनौती दे रही हैं. पुराने स्टाइल वाले ब्लाउज के बजाय युवतियां इन फिटिंग वाली साडि़यों को ब्लेजर, क्रौप टौप और ट्यूब के साथ पहन कर अपनी कर्वी बौडी में इठला रही हैं. ऐक्सैसरी के तौर पर साड़ी के साथ बैल्ट पहन कर साड़ी के इस पश्चिमी रूपांतरण को नया लुक मिलेगा.

साड़ी को सर्वश्रेष्ठ पारंपरिक पहनावा माना जाता है, इसे कई तरीकों से ड्रैप किया जा सकता है. त्योहारों के इस मौसम में अपनी साड़ी को जरा अलग अंदाज में पहन कर अपने लुक को बदल लें. आप चाहें तो ब्लाउज में भी अलगअलग कट्स व स्टिचेस का प्रयोग कर सकती हैं. अगर आप की साड़ी सिंपल हो तो उस का ब्लाउज भारी रखें, ब्लाउज के गले व बैक के साथ कई तरह के प्रयोग कर आप त्योहार की शान बन सकती हैं.

लाइट फैब्रिक्स

पारंपरिक फैशन ट्रैड को परिभाषित करने में फैब्रिक्स की अहम भूमिका होती है. परंपरागत हैंडलूम और आधुनिक डिजाइन के मिश्रण से पारंपरिक परिधानों को हलके फैब्रिक में बनाया जा रहा है. कौटन, शिफौन और सिल्क जैसे फैब्रिक्स के साथ ध्यान खींचने वाले पैटर्न्स का इस्तेमाल परिधानों में चार चांद लगा रहा है.

मोनिका ओसवाल

ऐग्जीक्यूटिव डाइरैक्टर, मौंटे कार्लो

ये है आंखों पर आई शैडो लगाने का सही तरीका

किसी पार्टी में सुन्दर दिखने के लिए आंखों का सुन्दर दिखना काफी आवश्यक है. अगर आप अपनी आंखों को सही प्रकार से हाईलाइट कर पा रही हैं तो आपका आधा मेकअप ऐसे ही हो जाता है. आई शैडो आपकी आंखों को हाईलाइट करने तथा सुन्दर बनाने में काफी बड़ी भूमिका निभाता है. आई शैडो लगाने के कई अच्छे तरीके हैं. जिसके निरंतर अभ्यास के साथ आप एक पेशेवर आई मेकअप स्पेशलिस्ट बन सकती हैं.

आई शैडो प्राइमर, फलों के रस आधारित बेस या कंसीलर लगाएं. इससे पलकों पर आई शैडो काफी सुन्दर दिखेगी. इससे गालों तथा आंखों के बीच के मेकअप का संतुलन भी बना रहेगा. प्राइमर का प्रयोग मेकअप स्पंज या साफ उंगलियों से करें.

आई शैडो ब्रश का चुनाव

आई शैडो लगाने के लिए सही ब्रश का चुनाव भी आवश्यक है. आप आंखों के लिए विभिन्न तरह के ब्रश का प्रयोग कर सकती हैं. एक ब्रश का उपयोग आंखों को ढकने के लिए किया जाता है, तो दूसरे ब्रश का प्रयोग हाईलाइट करने के लिए. आपकी आंखों के कोनों को तीक्ष्ण करने के लिए आपको पतले तथा नुकीले ब्रश की और क्रीज पर सौम्य तथा कठोर डोम ब्रश की आवश्यकता होगी. अगर आप पलकों के काफी पास आई शैडो लगा रही हैं तो इसके लिए एक नरम पेंसिल ब्रश का प्रयोग करें.

शेड चुनें

जब आप आई शैडो लगाने की प्रक्रिया में हों, तो विभिन्न आई शैडो शेड्स में से एक अच्छे रंग का चुनाव करना आवश्यक है. आई शैडो चुनते समय अपने चेहरे के रंग की तरफ भी ध्यान दें. अगर आपकी त्वचा का रंग सांवला है तो सारे रंग आप पर अच्छे नहीं लगेंगे. इसी वजह से त्वचा के रंग के आधार पर आई शैडो चुनना काफी जरूरी है.

आई शैडो लगाना

अच्छे आई मेकअप के लिए आपको आइ शैडो लगाने का सही तरीका ज्ञात होना आवश्यक है. इसके लिए आपके ब्रश स्ट्रोक्स सही होने चाहिए जिससे कि आई शैडो प्राकृतिक लगे. अगर आप गलत या उलटे ब्रश स्ट्रोक्स लगाती हैं तो पूरा मेकअप बिगड़ सकता है. आई शैडो को इस तरह लगाना चाहिए कि आंखों की लाइनिंग तथा पलकें एक सीधी रेखा में रहे. जब आप पहली बार आई शैडो लगाएं तो उसे अच्छे से दबाकर आंखों के पास ब्रश से सही करने की कोशिश करें.

बीच के रंग का प्रयोग

जब आप आंखों पर आइ शैडो लगा रही हों तो आपको इसके विभिन्न शेड्स के बारे में पता होना चाहिए. सबसे पहले सबसे हल्का रंग प्रयोग में लाएं. इसके बाद बीच का रंग डालें जो कि आपके द्वारा प्रयोग किये गए हलके रंग से एक शेड गाढ़ा होना चाहिए. एक समतल ब्रश का प्रयोग इन रंगों पर करें तथा इन्हें पूरी आंखों पर फैलाएं. इस बात का ध्यान रखें कि आंखों की क्रीज के ऊपर ज्यादा ना जाएं.

आखिरी कदम तक ले जाना

आपको आई शैडो लगाने के सही समय का भी ज्ञान होना चाहिए. जब आप चेहरे का मेकअप कर रही हों, तो हर एक चीज को नियम के मुताबिक किया जाना आवश्यक होता है. इसी तरह जब आप आंखों के मेकअप को करने के बारे में सोचती हैं, तो इसे सबसे अंत में करना चाहिए. फाउंडेशन, कंसीलर तथा काम्पैक्ट लगाने के बाद आई शैडो का प्रयोग करें. आपको आइ शैडो प्राइमर का प्रयोग करना भी अति आवश्यक है क्योंकि इससे आपका आई मेकअप लम्बे समय तक टिकता है. अगर आप इस कदम का प्रयोग नहीं करेंगी तो आपकी त्वचा के ऊपर पाया जाने वाला प्राकृतिक तेल आंखों के पास से रिसने लगेगा, जिससे आपकी आंखें काफी खराब दिखेंगी. कुछ महिलाएं आंखों पर पहले मस्कारा तथा उसके बाद आई शैडो लगाने की गलती करती हैं. ये पूरी तरह गलत है. आपको आई शैडो का प्रयोग करने के बाद ही मस्कारे का प्रयोग करना चाहिए.

आखिर किसे आया था सपना, कुली में अमिताभ का एक्सीडेंट होने वाला है

फिल्म कुली तो याद होगी ना आपको, अमिताभ बच्चन की यह फिल्म 1983 में रिलीज हुई थी. शानदार कहानी और एक्टिंग के लिए आज भी ना चाहते हुए इस फिल्म की याद आ ही जाती है. लेकिन इसके याद आने की सिर्फ एक ही नही बल्कि एक वजह और भी है, जो इसे हमारे जहन से जाने नहीं देती. वह एक्शन सीन, जिसमें अमिताभ बच्चन घायल हुए थे. उनकी पेट की अंतड़ियां फट गई थीं. अस्पताल में महीनों तक इलाज चला था. लेकिन इस बारे में किसी को पहले ही आशंका हो गई थी. यहां तक कि बच्चन साहब के एक्सिडेंट होने का उन्हें सपना भी आया था. उसी के दो दिन बाद फिल्म सेट पर वह दुर्घटना हुई थी.

किस्सा बेंगलुरू के यूनिवर्सिटी कैंपस का है, जहां उन दिनों वहां फिल्म शूटिंग हो रही थी. अमिताभ एक दिन काम निपटाने के बाद होटल लौटे खाना खाया और सो गए. अचानक आधी रात को फोन घनघनाया उन्होंने फोन उठाया, तो कौल औपरेटर से पता लगा कि मुंबई से कोई है, और लाइन पर स्मिता पाटिल हैं. पहले उन्हें लगा कोई मजाक कर रहा है तो उन्होंने कौल नहीं ली हालांकि, बाद में सोच में पड़ गए, कहीं सच में तो स्मिता ने कौल नहीं की. इसके बाद फिर दोबारा फोन आया, अमित जी ने इस बार कौल उठा लिया, इधर से स्मिता ने उनसे पूछा कि सब ठीक है न, वह आगे बोलीं कि मैंने सपना देखा, जिसमें आपका एक्सिडेंट हो गया था.

अमिताभ ने उस वक्त तो कह दिया कि सब ठीक है उन्हें कुछ नहीं हुआ. लेकिन स्मिता का वह सपना कुछ बुरा होने की आहट दे रहा था. दो दिना बाद वही हुआ, जिसकी उन्हें आशंका थी. ‘कुली’ के सेट पर पुनीत इस्सर के साथ फाइट सीन शूट हो रहा था, उसी में उन्हें जोरदार घूंसा लगा और वह चोटिल हो गए, जिसका इलाज महीनों तक चला था.

क्या हुआ था सीन में

कुली के यह ऐतिहासिक फाइट सीन माना जाता है. बच्चन साहब और पुनीत इस्सर इसमें आमने सामने थे. दोनों को एक मौके पर आकर लड़ना और एक दूसरे को घूंसे मारना होते हैं. पुनीत फिर उनके सिर पर बोर्ड पटकते हैं और पेट में घूंसा जड़ते हैं. सीन रियलिस्टिक लगे इसलिए अमित जी ने उनसे कहा था कि पेट को सीन फिल्माए जाने के दौरान छूना पड़ेगा. रिहर्सल के बाद जब फाइनल टेक हुआ तो वह घूंसा उनके छूने के बजाय जोर से लगा तब अमिताभ को हल्का दर्द हुआ. लेकिन रात में पता लगा कि दिक्कत ज्यादा है, दूसरे दिन अस्पताल ले जाया गया तब यह पाया गया कि उनकी पेट की अंतड़ियां फट गई थीं.

पैसों को लेकर ना करें ये गलतियां

पैसों की बात अगर हम करें तो इसे लेकर जितनी जल्दी प्लानिंग शुरू कर दी जाए उतना बेहतर होता है. ऐसा न करने पर अक्सर बाद में पछताना ही पड़ता है.

जब हम जवान होते हैं तो लगता है कि मौज मस्ती घूमना फिरना करने के लिए यही टाइम है. लिहाजा हमें अपनी जिंदगी जीनी तो चाहिए. ऐसा खासतौर पर 20 से 25 साल की उम्र के बीच होता है. लेकिन बाद में समझ में आता है कि समय रहते अगर पैसों की कीमत न समझी जाए तो हम बहुत कुछ हासिल करने से रह जाते हैं.

वो कौन सी गलतिया हैं जो ज्यादातर यंगस्टर्स करते हैं

सही करियर प्लान न करना

ज्यादातर भारतीय यूथ या तो डौक्टर बनना चाहते हैं या फिर इंजीनियर. लोग अपनी रुचि‍ और क्षमता को ढंग से समझ नहीं पाते हैं. नतीजा यह होता है कि कोचिंग में पैसे और अपनी मेहनत बर्बाद करने की रेस में शामिल हो जाते हैं. इसलिए जरूरी है कि आप सही समय पर सही करियर का चुनाव करके उसी में पैसे और समय खर्च करें.

पैसे के लिए पैरेंट्स पर निर्भर रहना

कई महिलाएं ऐसी होती हैं जो खुद कमाने के बावजूद अपने पैरेंट्स का सहारा पूरी तरह से छोड़ नहीं पाती. ऐसा अक्सर पहली और दूसरी जौब में होता है कि यंगस्टर्स रहने, खाने और बाकी के शौक को पूरा करने में सारी सैलरी महीना खत्म होने से पहले ही खर्च कर देते हैं और फिर पैरेंट्स से मांगते है. ऐसी नौबत न आए इसके लिए जरूरी है मनी मैनेजमेंट सीखना.

लगातार बचत करना

पहली और दूसरी जौब के दौरान या फिर कौलेज लाइफ में भी पैसे बचाने के प्रति हमेशा एक जिम्मेदारी होनी चाहिए. बहुत से लोग एक महीने बचाते हैं और दूसरे महीने नहीं. ऐसी लापरवाही के चलते उनका सेविंग अकाउंट खाली रहता है और जरूरत के समय उनके पास कुछ नहीं होता. इसकी एक वजह जरूरत की चीजों में खर्च करने की जगह फालतू खर्च करना भी है.

प्रैक्टिकल फाइनेंस और मनी मैनेजमेंट न समझना                 

फाइनेंस के बारे में प्रैक्टिकल नौलेज का होना बेहद जरूरी है. आपको यह पता होना चाहिए कि छोटी-छोटी बचत करके ही आगे आप घर और कार जैसी चीजें खरीदने लायक हो पाती हैं. इसके लिए कुछ फाइनेंशियल ब्लौग आदि पढ़ते रहना चाहिए जिससे निवेश के मुनाफे वाले तरीकों से वाकिफ रहें.

दूर की न सोचना

आमतौर पर यंगस्टर्स आज में जीने में विश्वास रखते हैं और कल की चिंता नहीं करना चाहती. लेकिन यही गैर जिम्मेदाराना अंदाज उन्हें बाद में पछताने पर मजबूर कर देता है. कुछ समय बाद एहसास होता है कि पहले बचत की सोचने वाले दोस्त आज प्रौपर्टी और कार के मालिक हो चुके हैं और वे वहीं के वहीं रह गई हैं.

फुल टाइम जौब में भी ऐसे निकाले छुट्टियों के लिये वक्त

आज की भाग दौड़ वाली जिंदगी में सभी अपने भविष्य को बेहतरन बनाने में लगे हैं. लेकिन कई बार काम के प्रेशर से आप थक जाते हैं और सोचते हैं कि बाहर से छुट्टिया मना के आया जाए, लेकिन आपको अपने दफ्तर से छुट्टी ना मिल पाने का डर लगा रहता है. ये आम धारणा है कि नौकरीपेशा महिलाएं जो खासकर प्राइवेट कंपनी में कार्य कर रहीं हैं उन्हें कभी घूमने फिरने का मौका नहीं मिलता है. लेकिन हम आपको एक ऐसा तरीका बताने जा रहे हैं जिससे आप न सिर्फ कम पैसों में बल्कि कम वक्त में भी छुट्टियों का ज्यादा लुत्फ उठा सकेंगी. इससे आप बाहर घूमकर अपना माइंड फ्रैश कर सकतीं हैं.

हार्ड वर्किंग इंप्लाई की छवि बनाएं

कंपनी पौलिसी के तहत सालभर में आपको कुछ छुट्टियां सिर्फ इसलिए दी गई है ताकि आप काम के प्रेशर से खुद को रिलैक्स कर सकें और अपनी क्रियेटिविटी बरकरार रख सकें. इसलिये कंपनी में हार्ड वर्किंग इंप्लाई की छवि आपको बाहर घूमने के लिये आसानी से छुट्टियां दिला सकती है.

ट्रिप ऐसे करें प्लान

मलेशिया, सिंगापुर और थाइलैंड जाने के लिये ज्यादा न सोंचे. इसके लिये आप साल में एक बड़ी ट्रिप (12-15 दिन) और तीन छोटी-छोटी (2-3) ट्रिप प्लान करें. फिर उसी हिसाब से लोकेशन का चुनाव करें. अपने वीक-औफ के दिनों के बाद कंपनी की ओर से मिलने वाली छुट्टियों को क्लब करें. कोई कौम्पेनसेटरी औफ हो तो उसे भी इसमें शामिल करें.

पहले अपना टार्गेट पूरा करें

कोशिश करें छुट्टी पर जाने से पहले सभी काम खत्म कर के ही जाएं. वर्ना आपकी गैरमौजूदगी में आपके सहकर्मियों पर बोझ बढ़ेगा. इससे आपको लीव लेने में परेशानी भी आ सकती है. अगर आपका कोई सहकर्मी छुट्टी पर जा रहा है और काम में उसे आपकी मदद चाहिए तो उसके लिये आगे आएं. ताकि लौटकर आने के लिये वह भी आपकी मदद कर सके.

बहाने मत बनाइये

औफिस में सही तरीके से लीव अप्लाई करें, बीमारी या कोई और झूठा बहाना बनाकर छुट्टी न लें. इससे न केवल आपका इंप्रेशन खराब होगा, बल्कि झूठ पकड़े जाने पर आप बौस के गुस्से का शिकार भी हो सकती हैं. अगर आप ऐसा करती रही हैं तो आगे आपको किसी इमरजेंसी में भी छुट्टी नसीब नहीं होगी.

मौके से चूके नहीं

अगर आपको औफिस के ट्रिप पर जाने का मौका मिले तो बिना हिचकिचाहट बैग पैक कर लें. इससे आपकी जेब पर ट्रिप के खर्च का बोझ नहीं पड़ेगा. इसके साथ ही आपको नई जगह पर अच्छे से घूमने को मौका मिल जाएगा.

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