फिल्म बनाना फुलटाइम जौब है : आनंद एल राय

‘तनु वेड्स मनु’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न’, ‘रांझणा’ जैसी फिल्मों के निर्देशक आनंद एल राय की अपनी एक अलग पहचान बन चुकी है. उन्होंने साबित कर दिखाया कि कलाकार से अभिनय करवाने की क्षमता निर्देशक में होनी चाहिए. पर अब वह रचनात्मक काम करने वालों को आगे बढ़ाने के मकसद से अब ऐसी फिल्मों का भी निर्माण कर रहे हैं, जिन्हें अन्य निर्देशक निर्देशित कर रहे हैं. फिर चाहे गत वर्ष प्रदर्शित फिल्म ‘निल बटे सन्नाता’ और ‘हैप्पी भाग जाएगी’ हो या हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘शुभ मंगल सावधान’ ही क्यों न हो. प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के अंश.

एक फिल्म बनाना फुलटाइम जौब है. ऐसे में आप एक साथ कई फिल्मों के निर्माण करते हुए किस तरह से आप रचनात्मकता पर ध्यान दे पाते हैं?

मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हूं कि निर्देशक के तौर पर एक फिल्म बनाना फुलटाइम काम है. सच कह रहा हूं, मेरे दिमाग में एक समय में सिर्फ एक ही कहानी चलती है. यदि आप मुझसे पूछें कि मैं दूसरी कौन सी फिल्म बनाने जा रहा हूं तो मैं जवाब नहीं दे पाउंगा. हो सकता है कि दूसरी फिल्म को लेकर मेरे दिमाग में कहीं कोई बात हो लेकिन इस वक्त बतौर निर्देशक मेरे दिमाग में सिर्फ शाहरुख खान के साथ वाली मेरी फिल्म की कहानी घूम रही है. सच यही है कि मैं एक समय में एक ही कहानी जी सकता हूं. लेकिन पिछले कुछ वर्षो में काम करते हुए मैंने यह सीखा कि हम समान विचार धारा के निर्देशक को लेकर अपने प्रोडक्शन में फिल्में बना सकते हैं.

देखिए, मैंने अपने करियर की शुरुआत बहुत बेसिक से की थी. इसलिए मुझे अर्थशास्त्र की अच्छी समझ है. तो मुझे लगा कि मैं अपनी प्रोडक्शन कंपनी खोलकर अपनी फिल्म को एक सीमित बजट के अंदर बना सकता हूं. जब अपना प्रोडक्शन हाउस होगा, तो सारी चीजें अपने कंट्रोल में होंगी. जब मेरी प्रोडक्शन कंपनी में कुछ चीजें सही तरीके से हो गयीं, तो मुझे लगा कि अब एक सिस्टम बन गया है. तो क्यों ना मैं इसका इस्तेमाल दूसरे निर्देशकों को अपनी प्रतिभा आगे लाने के लिए करने के लिए दूं. इसलिए अब मैं इस सोच के साथ दूसरे निर्देशकों को अपने बैनर में काम करने का अवसर दे रहा हूं, जिनकी सोच मेरी सोच के अनुरूप है. मैं चाहता हूं कि जो काम वह दो साल में कर सकते थे, वह डेढ़ साल में कर लें.

आप एक फिल्म ‘‘मनमर्जियां’’ का निर्माण कर रहे थे. पर अचानक इसकी शूटिंग रोकनी पड़ी. क्या इसके निर्देशक समीर शर्मा के साथ मतभेद हो गए?

समीर शर्मा के साथ कोई मतभेद नहीं है. फिल्म निर्माण एक इंसान का काम नहीं है. इसमें कई लोग जुडत़े हैं. पर शूटिंग के दौरान कुछ चीजें ऐसी हो जाती हैं कि अच्छी पटकथा वाली फिल्म भी गलत बन जाती है और हम उस बात को समझ नहीं पाते हैं कि कहां गड़बड़ी हुई. मैं अपने आपको खुशकिस्मत मानता हूं कि ‘मनमर्जियां’ के समय हमें अपनी गलती का अहसास हो गया. ‘मनमर्जियां’ के समय हमें लगा कि कहानी पटकथा और चरित्र सही बैठ गए हैं. कलाकारों का चयन भी सही हो गया है. पर जब निर्देशक समीर शर्मा ने सेट पर काम करना शुरु किया, तो उसने हर विभाग को एक साथ जोड़ा. पर फिल्म गलत दिशा में जाने लगी. जबकि समीर शर्मा सहित सभी अपनी अपनी जगह सही थे. पूरी फिल्म के रूप में गड़बड़ी हो रही थी. ऐसे में जरूरत थी कि उस गलती को सुधार दिया जाए. सच यह भी है कि कई बार फिल्म बनते समय हमें नहीं पता चलता कि फिल्म गलत दिशा में जा रही है. अतः समीर शर्मा इससे अलग हो गए. पर यह कहानी मेरे दिल के करीब है और जल्द बनेगी.

आप तो फिल्मों के रीमेक के विरोधी रहे हैं?

आपका इशारा हमारी हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘‘शुभ मंगल सावधान’’ की तरफ है. मैं पहले ही स्पष्ट कर चुका हूं कि यह रीमेक नहीं, बल्कि तमिल फिल्म ‘‘कल्याण समयाल साधम’’ के प्लाट पर लिखी गयी नई कहानी पर बनी फिल्म है. इसलिए लोगों ने इसे स्वीकार भी किया है.

देखिए, मेरी सोच यह है कि एक फिल्म चाहे व तमिल में हो या फ्रेंच में हो, यदि वह आपको अच्छी लगी है, तो उसका रीमेक नहीं बनना चाहिए. भाई, एक फिल्म बहुत अच्छी लगी है, तो फिर उसे बहुत अच्छी लगने के लिए दुबारा मेहनत क्यों की जाए. देखिए, सिर्फ कहानी को दक्षिण भारत से उठा कर कानपुर में स्थापित करने से फिल्म नहीं बनती क्योंकि उत्तर भारत और दक्षिण भारत का माहौल अलग है. पुत्र का पिता से बात करने का लहजा अलग है. मेरा मानना है कि आप जब भी किसी कहानी पर काम करें, तो मन से काम करें. कहानी आपके मन में बैठनी चाहिए. मन को सही जगह लगाकर ही काम करना चाहिए.

आपने फिल्म ‘‘न्यूटन’’ का भी निर्माण किया है?

मैं इस फिल्म को सिर्फ प्रस्तुत कर रहा हूं.

‘‘न्यूटन’’ को प्रस्तुत करने की वजह क्या रही?

इस फिल्म में जो बात कही गयी है, उससे मैं प्रभावित हुआ. हम लोग कितनी आसानी से सिस्टम या सरकार को दोषी ठहरा देते हैं. पर हम अपने अंदर के न्यूटन को कभी नहीं तलाशते. हम हर चीज से अपने आपको यह कहकर अलग कर लेते हैं कि यह तो दुनियादारी है. पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश के लिए कौन क्या कर रहा है? हम तो सिर्फ एक ट्वीट करके खुश हो जाते हैं. हमारे यहां सबसे बड़ा लोकतंत्र है, पर हम उसकी कीमत नहीं समझते. हमारी फिल्म में दिखाया गया है कि एक न्यूटन 76 वोटों के लिए क्या क्या नहीं करता है. जबकि हम अपने घर से निकलकर वोट देने नहीं जाते. मैं उपदेश देने के लिए यह सब नहीं कह रहा हूं. पर मैं हृदय से मानता हूं कि अपने देश के लिए मेरा घर से निकलना जरूरी है, वोट देना जरूरी है. हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि कोई न्यूटन है, जो लड़ रहा है.

आप धनुष के साथ एक फिल्म बनाने वाले थे?

मैं धनुष के साथ काम करना चाहता हूं. मेरे पास उनके लिए एक कहानी है. पर मैं एक समय में एक ही कहानी पर काम करता हूं. जब तक शाहरुख खान के साथ वाली फिल्म खत्म नहीं होगी, तब तक दूसरी फिल्म पर कुछ कर नहीं सकता. धनुष मेरे लिए सिर्फ कलाकार नहीं, बल्कि छोटे भाई की तरह हैं. हम दोनों हमेशा एक साथ रहेंगे.

इन स्मार्ट तरीकों को अपनाकर आप भी बचा सकती हैं पैसे

दिन पर दिन महंगाई इस कदर बढ़ रही है कि थमने का नाम नहीं ले रही है, और ऐसे में घर संभालना मुश्क‍िल होता जा रहा है. घर का किराया, बच्चों की फीस, पेट्रोल, ईएमआई और इसी तरह के दूसरे बिल का भुगतान करने के बाद महीने के अंत में बचत के नाम पर कुछ भी नहीं रह जाता.

ऐसे में सेविंग की बात सोचना भी मुश्किल जान पड़ता है लेकिन अगर आप स्मार्ट शौपिंग करना जानती हैं तो यकीन मानिए कुछ बचत आप कर ही लेंगी. यूं तो हर किसी की खरीदारी का अपना तरीका होता है लेकिन ये कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे आप अपनी बचत को बढ़ा सकती हैं.

बाजार जाने से पहले सामानों की लिस्ट बना ले

लिस्ट बनाकर खरीदारी करना एक बेहतर विकल्प है. बिना लिस्ट बनाए खरीदारी पर जाने से हम अक्सर ऐसी चीजें खरीद लाते हैं जिनकी हमें जरूरत भी नहीं होती है. और कई बार हम एक्स्ट्रा सामान खरीद लेते है जिनकी शाद हमें कोई जरुरत नही होती या फिर खरीदने के बाद हम उस सामान के लिये अफसोस करते है कि ये नही लेना चाहिये था.

पहले ही बजट तय कर लें

आजकल क्रेडिट कार्ड का जमाना है. क्रेडिट कार्ड से शौपिंग करने के दौरान हमें खर्चे का अंदाजा नहीं रहता. ऐसे में अच्छा रहेगा कि हम घर से ही खर्च का एक मोटा-मोटा अनुमान बनाकर जाएं और कैश से शौपिंग करें. इससे हम अपने होने वाले खर्चे का सही सही अंदाजा लगा पायेंगे.

स्मार्ट बनें

आजकल मेगा स्टोर प्रचलन में हैं जहां तरह तरह के औफर चलते रहते हैं. मसलन, एक के साथ एक फ्री या फिर छूट. कोई भी सामान लेने से पहले अगर ऐसे औफर दिख जाएं तो उन्हीं का चयन करना चाहिए. जरुरी नहीं की हर सेल में खराब ही समान मिलता हो, कई बार अच्छे सामान भी होते हैं तो हमें इन चीजों पर खास ध्यान रखना चाहिये ताकि पैसे की सेविंग हो सके

दिखावे से बचें

दिखावा करने से बचना चाहिए. ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि ब्रांडेड चीजें  ही सबसे अच्छी होती है और अगर आपने वही चीज लोकल मार्केट से ले ली तो आपकी बेइज्जती हो जाएगी. कई बार ऐसा होता है कि हम मेगा स्टोर से महंगा सामान खरीद लाते हैं, जबकि वही सामान आधी कीमत पर लोकल मार्केट में उपलब्ध होता है. और हम दिखावे के चक्कर अपने पैसो को फालतू खर्च कर देते हैं.

नकल ना करें

कई बार ऐसा होता है कि हमें दूसरों के घरों की कुछ चीजें काफी पसंद आ जाती हैं और हम उन्हें अपने घर का हिस्सा बनाने का फैसला कर लेते हैं. ये कई बार गलत भी हो सकता है. जरूरी नहीं है कि जो सामान दूसरे के घर में अच्छा लग रहा हो, वो आपके घर की भी शोभा बढाए. देखा-देखी किसी मामले में सही नहीं और शौपिंग भी उससे जुदा नहीं है.

क्यों हवा में उड़ रही हैं शयानी गुप्ता

फिल्म ‘‘मार्गरीटाः विथ स्ट्रा’’ में खानुम का ‘गे’ किरदार निभाकर चर्चा में आयी अदाकारा शयानी गुप्ता इन दिनों हवा में उड़ रही हैं. उनके हवा में उड़ने की सबसे बड़ी वजह यह है उनके अभिनय से सजी एक इंटरनेशनल फिल्म ‘‘द हंग्री’’ का विश्व प्रीमियर 14 सितंबर को ‘‘टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’’ में होने वाला है.

यूं तो वह ‘‘मार्गरीटाः विथ स्ट्रा’’ के बाद ‘फैन’, ‘जाली एलएलबी 2’, ‘पाच्र्ड’, ‘बार बार देखो’ व ‘जग्गा जासूस’ सहित कई दूसरी फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं. मगर इन सभी फिल्मों में उनके किरदार काफी छोटे रहे हैं. लेकिन अब उन्होने दो अंतरराष्ट्रीय फिल्में ‘‘द हंग्री’’ और ‘‘डार्कनेस विजिबल’’ की हैं, जिनमें उनके किरदार काफी बड़े हैं. इतना ही नहीं फिल्म ‘‘द हंग्री’’ का विश्व प्रीमियर 14 सितंबर को ‘‘टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’’ में होने वाला है. हिंसा प्रधान फिल्म ‘द हंग्री’, शेक्सपिअर के नाटक का एडाप्टेशन है. जिसमें शयानी गुप्ता के साथ नसिरूद्दीन शाह, टिस्का चोपड़ा, नीरज कावी, सूरज शर्मा भी हैं. फिल्म ‘‘द हंग्री’’ में शयानी गुप्ता ने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया है, जो कि अमीर परिवार की समझदार औलाद है. फिल्म में शयानी के पिता के किरदार में नसिरूद्दीन शाह हैं.

अगर लंदन ट्रिप पर जा रहे हैं तो इन जगहों पर जाना ना भूलें

आखिर घूमना किसे पसंद नहीं होता और अगर आपको लंदन जैसा शहर घूमने को मिले तो आप यही चाहेंगे की वहां की कोई भी जगह आपके घूमने से छूट न जाऐ. ऐसे में हम आपको लंदन के कुछ उन चुनिंदा जगहों के बारे में बताऐंगे जहां आपको अपने लंदन यात्रा के दौरान जरुर जाना चाहिये.

विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय

केंसिंग्टन में विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय सजावटी कला और डिजाइन की दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय माना जाता है. इसमें करीब 4.5 मिलियन वस्तुओं का स्थायी संग्रह है. इस संग्रहालय का नाम प्रिंस एल्बर्ट और क्वीन विक्टोरिया के नाम पर रखा गया है. इसकी स्थापना 1852 में की गयी थी और यह करीब 12.5 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें 145 गैलरियां हैं. इसके संग्रह में प्राचीन काल की यूरोप, उत्तरी अमेरिका, एशिया और उत्तरी अफ्रीका की संस्कृतियों से आयी 5000 साल पुरानी कलाकृतियां मिलती है, जो लगभग हर क्षेत्र से संबंधित हैं. यहां पर प्रवेश निःशुल्क है।

ब्रिटिश लाइब्रेरीज                 

ब्रिटिश लाइब्रेरी का केवल साहित्‍यिक ही नहीं एतिहासिक महत्‍व भी है. यहां पर कई साहित्यिक पुस्तकें और कई पांडुलिपियां रखी गई हैं, जैसे एलिस इन वंडरलैंड, द नोटबुक औफ जेन औस्टेन, चारलोते ब्रोंटे की जेन आयर की पांडुलिपि,  मेग्ना कार्टा, अ गुटेनबर्ग बाइबल, कोडेक्स सिनईकस, विलियम शेक्सपियर का औटोग्राफ, आर्थर सुलेवान द्वारा तैयार किया गया ओरिजनल म्‍यूजिक स्कोर इत्यादि. इसी तरह यहां बनी स्थायी प्रदर्शनी गैलरी हेंडल और बीथोवन द सर जौन रितब्लात में 200 से अधिक वस्तुओं को प्रर्दशन हेतु रखा गया है. यह गैलरी भी पूरे सप्ताह खुली रहती है और यह निःशुल्क है.

ब्रिटिश म्यूजियम

आप जान कर हैरान रह जायेंगे कि ब्रिटिश म्यूजियम में सात मिलियन वस्तुएं प्रदर्शन के लिए रखी गयीं हैं.  ये सब केवल लन्दन से ही नहीं हैं बल्कि प्राचीन मिस्र, यूनान और रोम आदि से भी ला कर यहां रखी गई हैं. इन महत्‍वपूर्ण वस्‍तुओं में सबसे लोकप्रिय एल्गिन मार्बल, रोसेटा स्टोन, दुनिया की सबसे पुरानी ममी ‘जिंजर’, लिंडोमेन आदि शामिल हैं. ब्रिटिश म्यूजियम हफ्ते के सातों दिन खुलता है और यहां पर प्रवेश निःशुल्क है.

लन्दन टावर

लन्दन टावर एक ऐतिहासिक शाही किला है जिसमें इंग्लैण्ड के राजपरिवार का मुकुट रखा गया है. इसके पास ही में एक प्रसिद्ध टावर ब्रिज भी है, जिसे अक्सर बाहर से आने वाले पर्यटक लन्दन ब्रिज समझ लेते हैं.

मैडम तुसाद वैक्‍स म्‍यूजियम

लन्दन में ही मैडम तुसाद वैक्‍स म्‍यूजियम है जो मोम की मूर्तियों का विश्‍व प्रसिद्ध संग्रहालय हैं. इसकी विश्व के कई प्रमुख शहरों में शाखायें भी हैं. इसकी स्थापना 1835 में मोम शिल्पकार मेरी तुसाद ने की थी. इस संग्राहलय में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदरा गांधी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमिताभ बच्‍चन, शाहरुख खान और सलमान खान सहित कई बौलीवुड एक्‍टर्स और कई अन्‍य भारतीय सेलिब्रटीज की भी मोम की मूर्तियां लगाई गई हैं.

आपके कानों में बार-बार बजती है घंटी की आवाज

दिन प्रतिदिन हमारे अन्दर होने वाले बदलाव की वजह से हमारा दिमाग आराम की मुद्रा में कम और सतर्कता की मुद्रा में ज्यादा आ जाता है. एक शोध के मुताबिक, अगर आपको बैचेन करने वाली टिनिटस (कान में बजती आवाज) है, तो संभवत: आपको ध्यान संबंधी समस्या भी होगी, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपका ध्यान जरूरत से ज्यादा आपके टिनिटस यानी कान में बजने वाली आवाज पर होगा और अन्य बातों पर आपका ध्यान कम होगा.

रिसर्च का नेतृत्‍व करने वाली अमेरिका के यूनिवर्सिटी आफर इलिनायस की फातिमा हुसैन कहती हैं, “जिस तरह हम डायबिटीज या हाइपरटेंशन को नहीं माप सकते, उसी तरह हमारे पास उपलब्ध किसी भी यंत्र से इसे मापा नहीं जा सकता क्योंकि टिनिटस अदृश्य है.”

उन्होंने कहा, यह आवाज लगातार आपके दिमाग में रह सकती है, लेकिन कोई अन्य व्यक्ति इसे सुन नहीं सकता और क्योंकि वह सुन नहीं सकता इसलिए शायद वह आपकी बातों पर विश्वास भी न करेगा. वह यह सोच सकता है कि जो चीजे ऐप कह रही हैं वो महज आपकी कल्पना है. चिकित्सकीय रूप से हम इसके कुछ लक्षणों को ठीक कर सकते हैं, लेकिन इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता क्योंकि हम यह नहीं जानते कि यह किस वजह से होता है.

दिमाग के कार्य और संरचना को देखने के लिए एमआरआई के प्रयोग के बाद यह पाया गया कि टिनिटस तो सुनने वाले के दिमाग में था. दिमाग के इस क्षेत्र को प्रिकुनियस कहते हैं, जो दिमाग में विपरीत रूप से जुड़े दो तंत्रों पृष्ठीय और डिफाल्ट मोड तंत्र से जुड़ा होता है. पृष्ठीय तंत्र तब सक्रिय होता है, जब किसी व्यक्ति का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करता है, जबकि डिफाल्ट मोड पृष्ठभाग में कार्यरत रहता है, जब व्यक्ति आराम कर रहा होता है या कुछ खास नहीं सोच रहा होता है. इसके अलावा, टिनिटस की गंभीरता बढ़ने पर तंत्रिका तंत्र पर इसका प्रभाव पड़ता है.

औफिस लुक के लिए परफेक्ट है न्यूड मेकअप

कम से कम मेकअप प्रोडक्ट्स के साथ ही मेकअप के लाइट शेड्स से बहुत कम समय में आप न्यूड मेकअप लुक पा सकती हैं. यह काफी क्लासी और सौफिस्टिकेटेड नजर आता है. खास मौकों के साथ ही औफिशियल मीटिंग्स और रेग्युलर डेज में भी न्यूड मेकअप लुक कैरी किया जा सकता है. अगर आपको भी न्यूड मेकअप लुक पसंद है तो चलिए हम आपको देते हैं इससे जुड़े कुछ टिप्स.

– न्यूड मेकअप में सबसे जरूरी है कि आपकी आंखें प्राकृतिक रूप से सुंदर दिखें. इसके लिए आप पलकों पर गाढ़े काले कलर का मस्कारा लगाएं और उन्हें कर्लर से कर्ल जरूर करें. इससे आपकी आंखें प्राकृतिक रूप से काफी सुंदर दिखेंगी.

– पलकों में अंदर के तरफ से हल्का सा काजल लगाएं. याद रखें की अंदरूनी कोने पर भी काजल अच्छी तरह से लगा हो. इससे आपकी पलकें काफी घनी और काली नजर आएंगी.

– अपने गालों को प्राकृतिक रूप से चमकदार बनाने के लिए आप हाइलाइटर का इस्तेमाल कर सकती हैं. इसके लिए आप चीकबोन्स पर हाइलाइटर लगाएं और क्योंकि ये न्यूड मेकअप है इसलिए अपनी त्वचा की रंगत अनुसार ही हाइलाइटर चुने.

– न्यूड मेकअप में आपको सबसे ज्यादा ध्यान रखना होता है लिपस्टिक के कलर का. इसके लिए ज्यादा चटख शेड्स का इस्तेमाल नहीं कर सकती हैं. इसमें आप बेबी पिंक जैसे लाइट शेड्स का इस्तेमाल ही कर सकती हैं. अगर आप चाहें तो शाइनी लिप ग्लास का इस्तेमाल भी कर सकती हैं.

– चेहरे पर लाइट बेस लगाएं और जहां जरूरत हो वहां हल्के हाथों से पाउडर या कौम्पैक लगाएं. न्यूड मेकअप में आप एक ही कलर के कई लाइट शेड भी इस्तेमाल कर सकती हैं.

आजकल लड़कियों में न्यूड मेकअप कुछ ज्यादा ही चलन में है और ये काफी खूबसूरत भी लगता है. जानते हैं न्यूड मेकअप लुक के कुछ खास ट्रिक्स.

जरूरी है डेली स्किन केयर रूटीन

चूंकि न्यूड मेकअप लुक के लिए मेकअप के डार्क शेड्स का इस्तेमाल न के बराबर होता है, इसलिए चेहरे की नैचुरल ब्यूटी उभर कर दिखती है. ऐसे में जरूरी है कि त्वचा अंदर से स्वस्थ, बाहर से बेदाग और कोमल हो. लेकिन यह तभी मुमकिन है जब आप नियमित रूप से क्लींजिंग, टोनिंग, मौइश्चराइजिंग और स्क्रबिंग करेंगी. इस से त्वचा स्वस्थ रहेगी और न्यूड मेकअप लुक उभर कर दिखेगा.

टिंट मौइश्चराइजर

सब से पहले फेसवाश से चेहरा धो कर पोंछ लें. फिर मौइश्चराइजर लगाएं. इस के लिए लाइट या फिर टिंट मौइश्चराइजर चुनें. इसे पूरे चेहरे पर लगा कर हलके हाथों से त्वचा को मौइश्चराइज करें. अब आंखों के पास आई क्रीम लगाएं. इसे सैट होने के लिए थोड़ी देर के लिए यों ही छोड़ दें.

लाइट फाउंडेशन

न्यूड मेकअप लुक के लिए शियर या लाइट यलो शेड का फाउंडेशन चुनें. यह नैचुरल लुक देता है. इसे ब्रश की सहायता से पूरे चेहरे पर लगा कर मेकअप का बेस तैयार कर लें. कोशिश करें कि पहले कोट में ही फाउंडेशन पूरे चेहरे पर अच्छी तरह लग जाए, दूसरा कोट न लगाना पड़े वरना बेस मेकअप हैवी नजर आएगा और उस के सामने मेकअप का लाइट शेड फीका दिखेगा.

ट्रांसल्यूसैंट पाउडर

अगर आप चाहती हैं कि आप का मेकअप लंबे समय तक टिका रहे, तो मौइश्चराइजर और फाउंडेशन के बाद पूरे चेहरे और गले पर स्पंज की सहायता से हलका सा ट्रांसल्यूसैंट पाउडर लगाएं. इस से बेस मेकअप को स्मूद टच मिलेगा और मेकअप नैचुरल नजर आएगा. अगर पाउडर की मात्रा ज्यादा हो जाए, तो उसे कम करने के लिए दोबारा मौइश्चराइजर लगा लें.

ब्रोंजर स्प्रे

बेस मेकअप को फाइनल टच देने के लिए ब्रोंजर स्प्रे यूज करना न भूलें. नैचुरल लुक के लिए पीच, लाइट पिंक या रोजी पिंक शेड का ब्रोंजर खरीदें. इसे फोरहैड, नोज, चीक, चिन और नैक एरिया पर स्प्रे कर के ब्रश की सहायता से अच्छी तरह फैला दें. इस से स्किन नैचुरल ग्लो करेगी और मेकअप भी लंबे समय तक टिका रहेगा.

लाइट आईशैडो

जब बेस मेकअप अच्छी तरह सैट हो जाए तब आई मेकअप शुरू करें. शुरुआत आईशैडो से करें. इस के लिए आईशैडो का न्यूड शेड चुनें जैसे ग्रे, पीच, आइवरी, शैंपेन, बेबी पिंक, बेज, कौपर आदि. आईशैडो को पूरी पलकों पर अच्छी तरह लगाएं.

थिन आईलाइनर

कलरफुल आईलाइनर के बजाय ब्राउन शेड के आईलाइनर का चयन करें. पतली लाइन ड्रा करते हुए आईलाइनर का सिंगल कोट लगाएं. आंखों के आगे के छोर से लाइनर लगाना शुरू करें और इसे आईकौर्नर पर ला कर जोड़ दें. इसे ऊपर या नीचे की तरफ न मोड़ें और न ही फिशकट जैसा कोई स्टाइल दें.

ब्राउन मसकारा

अपने आई मेकअप को कंप्लीट और लैश लाइन को डिफाइन करने के लिए ब्राउन शेड की आईपैंसिल का इस्तेमाल करें या फिर आईलैशेज को हाईलाइट करने के लिए ब्राउन मसकारे का सिंगल कोट लगाएं. डबल कोट या कलरफुल मसकारा लगाने की गलती न करें.

डिफाइन आईब्रोज

न्यूड मेकअप के दौरान अपनी आईब्रोज को नजरअंदाज करने की गलती न करें. इन्हें डिफाइन करने के लिए आईब्रोज के शेड का आईशैडो ब्रो ब्रश की मदद से आईब्रोज पर लगाएं. अब आईब्रोज बोन को हाईलाइट करने के लिए क्रीम कलर का आईशैडो लगाएं. इस से आप की आईब्रोज उभरी दिखेंगी.

शेड्स औफ लिपस्टिक

मेकअप के दौरान ज्यादातर लिप लाइनर के बाद लिपस्टिक लगाई जाती है, लेकिन न्यूड मेकअप कर रही हैं, तो पहले लिपस्टिक लगाएं. उस के बाद लिपलाइनर से लिप्स को परफैक्ट डिफाइन करें. आखिर में लाइट शेड का लिपग्लौस लगा कर लिप मेकअप को कंप्लीट करें. अगर आप गोरी हैं, तो पिंक या बैज, सांवली हैं तो ब्रोंज, गेहुएं रंग की हैं, तो मोव लिप कलर्स चुनें. डार्क शेड लिपस्टिक के साथ ही बहुत ज्यादा ड्राई या ग्लौसी लिपस्टिक न लगाएं. न्यूड लुक के लिए क्रीमी लिपस्टिक चुनें.

ब्लशऔन

जब आंखों और होंठों का मेकअप अच्छी तरह सैट हो जाए तब ब्लशऔन से चीकबोन को हाईलाइट करें. इस के लिए न्यूट्रल शेड का जैल बेस्ड चीक टिंट या फिर पाउडर ब्लशर चुनें ताकि आप का मेकअप नैचुरल नजर आए. चाहें तो पेस्टल शेड्स के ब्लशर का चुनाव भी कर सकती हैं. ब्लशऔन को ब्रश की मदद से गालों के आगे से शुरू करते हुए हेयरलाइन तक ले जाएं. इस से आप को परफैक्ट लुक मिलेगा.

जानिए आखिर कब रिलीज होगी ‘2.0’

पिछले काफी समय से अक्षय कुमार और रजनीकांत की फिल्म ‘2.0’ सुर्खियों में बनी हुई हैं. हाल ही में यह खबर आई थी कि यह फिल्म अगले साल 25 जनवरी को रिलीज की जाएगी. अब खबर यह आ रही है कि इस फिल्म का ट्रेलर इसी साल दिसंबर में रिलीज किया जाएगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सबसे पहले इस फिल्म का औडियो इसी साल अक्टूबर में दुबई में रिलीज किया जाएगा. उसके बाद फिल्म का टीजर हैदराबाद में नवंबर को और फिर फिल्म का ट्रेलर चेन्नई में दिसंबर को रिलीज किया जाएगा. खबरों के अनुसार जिस दिन इस फिल्म को रिलीज किया जाएगा. उसी दिन सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म ‘अय्यारी’ भी रिलीज होगी और यह फिल्म सिद्धार्थ की फिल्म के साथ क्लैश होगी.

बता दें कि सिद्धार्थ की फिल्म ‘अय्यारी’ नीरज पांडे की फिल्म है. फिल्म इंडस्ट्री में नीरज पांडे और अक्षय कुमार दोनों की बौन्डिंग काफी अच्छी है और नीरज पांडे की वजह से ही अक्षय सीरियस सिनेमा और देशभक्ति फिल्मों के सुपरस्टार बने हैं. हालांकि पहले खबर थी कि अक्षय कुमार की यह फिल्म नीरज पांडे की फिल्म के साथ क्लैश नहीं होगी लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक सिद्धार्थ ने कुछ दिनों पहले ही इसके क्लैश की बात की है.

सिद्धार्थ ने माना कि इस क्लैश से वह काफी डरे हुए हैं. नीरज पांडे की फिल्म ‘अय्यारी’ में सिद्धार्थ और मनोज बाजपेयी आर्मी औफिसर की भूमिका में नजर आएंगे, लेकिन दोनों के विचार काफी अलग होते हैं. दोनों अपनी-अपनी जगह सही होते हैं. लेकिन दोनों के तरीके काफी अलग होते हैं. वहीं फिल्म ‘2.0’ में अक्षय कुमार नेगेटिव रोल निभाते दिखेंगे.

डौन की बीवी को मिला इस फिल्म में काम करने का मौका

अरुण गवली की जिंदगी पर आधारित बायोपिक ‘डैडी’ में अर्जुन रामपाल के अपौजिट उनकी बीवी का किरदार निभाने वाली ऐश्वर्या राजेश अब मणिरत्नम की फिल्म में नजर आएंगी. ऐश्वर्या को मणि की अगली फिल्म तमिल-तेलुगु में लीड रोल करने का मौका मिल गया है.

इस अवसर पर उन्होंने कहा, “मैं रोमांचित हूं. लंबे समय से मेरी मणिरत्नम सर के साथ काम करने की इच्छा थी. उनकी फिल्म में मुझे लीड रोल निभाने का सुनहरा अवसर मिला है, लेकिन मुझे यह नहीं पता कि मेरे साथ एक्टर कौन होगा.” इस प्रोजेक्ट की शूटिंग इस साल के अंत तक शुरू हो जाएगी. इस फिल्म में एक्ट्रेस ज्योतिका भी हैं.

ऐश्वर्या ने अर्जुन रामपाल की फिल्म ‘डैडी’ के साथ बौलीवुड में डेब्यू किया है. आने वाले दिनों में वो वेत्रीमारन की वा. चेन्नै और गौतम मेनन की ध्रुव नच्छत्रम में भी नजर आएंगी.

ऐश्वर्या राजेश ने टीवी एंकर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने अवरगलुम इवारगलुम (2011) में डेब्यू किया इसी के साथ इन्होने मलयालम फिल्में भी की हैं. 2017 की उनकी मलयालम फिल्म ‘सखावा (2017)’ काफी पसंद की गई थी. काका मुत्तै के लिए उन्हें तमिलनाडु स्टेट फिल्म एवार्ड में बेस्ट एक्ट्रेस के पुरस्कार से नवाजा गया था.

हालांकि ऐश्वर्या ने यह साफ किया है कि उनके लिए ऐक्ट्रेस बनना आसान नहीं था. उन्होंने बताया कि उनके सांवले रंग के कारण शुरू में उन्हें लोग रिजेक्ट कर देते थे. ऐश्वर्या ने बताया, जब मैंने रिऐलिटी शो में भाग लेना शुरू किया तो लोगों ने मुझसे कहा कि मैं कभी भी ऐक्ट्रेस नहीं बन पाऊंगी. वे मुझसे कहते थे कि मैं सांवली हूं और एक ऐक्ट्रेस बनने के लिए जो जरूरी है वह मेरे पास नहीं है.

उन्होंने बताया, साउथ की इंडस्ट्री में भी लोग गोरे रंग के प्रति बहुत जुनूनी हैं. टीवी में काम करने के बाद मैंने छोटे बजट की फिल्में कीं और सभी फ्लाप हो गईं. लोग मेरे सांवले रंग को स्वीकार करने के लिए तैयार ही नहीं थे. दक्षिण भारत में अगर आप सांवले हैं तो हीरो तो बन सकते हैं लेकिन फिल्मों की हीरोइन गोरे रंग की ही पसंद की जाती हैं.

ऐश्वर्या ने बताया कि जब उन्होंने फिल्म ‘काका मुत्तै’ में दो बच्चों की मां का किरदार निभाया तब लोगों ने उनके काम की तारीफ की. उन्होंने कहा, ‘चार साल के बाद मुझे स्वीकार्यता मिली और लोग मेरे रंग के बजाय मेरे काम को महत्व देने लगे.

आशा भोसले : सुरीली आवाज के पीछे छिपे गम की ये है कहानी

आशा भोसले ने अपनी दिलकश आवाज से इंडस्ट्री में नया मुकाम हासिल किया है. उन्होंने इंडस्ट्री में एक से बढ़कर एक गाने गाए जो मशहूर हुए. आशा जी के गानों से लोगों को जीने की अलग राह मिली, लेकिन जितने खुशनुमा आशा जी के गाने हैं, वैसी उनकी जिंदगी नहीं रही. उनकी जादुई और मधुर आवाज के पीछे ढेर सारे संघर्ष और गम भी छिपे हुए हैं.

6 दशक से भी लंबे सिंगिंग करियर में पहचान बनाने वाली आशा जी का जन्म 8 सितंबर 1933 को हुआ था. कहा जाता है कि महज 10 साल की उम्र में ही वह एक प्रोफैशनल सिंगर बन गईं थी. उन्होंने हजारों की संख्या में फिल्मों में गाने गाए जिनमें से सारे प्राइवेट एल्बम के साथ ही सोलो कौन्सर्ट भी हैं.

आशा जी ने बड़ी मेहनत से अपने जीवन और अपनी करियर की शुरुआत की. इस बात का अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं कि जिसकी बड़ी बहन ‘लता मंगेशकर’ हो उसे ‘बेहद सुरीली आवाज की मलिका’ होने के बावजूद शुरुआत में दूसरी पसंद के तौर पर काम करना पड़ा था.

बताया जाता है कि आशा जी और आरडी बर्मन की लव स्टोरी भी काफी सुर्खियों में रही थी. दोनों की मुलाकात एक रिकौर्डिंग स्टूडियो में हुई, एसडी बर्मन ने आशा से आरडी बर्मन को मिलवाते हुए कहा था कि ये मेरा लड़का है. उस समय बर्मन ने आशा से ज्यादा बात नहीं की थी, बस एक नोट बुक उनकी ओर बढ़ाकर औटोग्राफ मांगा था.

खबरों की माने तो आशा जी की जिंदगी जितनी खुशहाल दिखती है, उतनी रही नहीं. उनकी पहली शादी उम्र से दोगुने गनपतराव भोसले से हुई. जब शादी हुई तो वो महज 16 साल की थी. ये लव मैरिज थी और इनको घरवालों का समर्थन नहीं मिला, बावजूद उन्होंने शादी की, उनके तीन बच्चे भी हुए. ये शादी 11 सालों बाद 1960 में टूट गई. उनके पति ने उन्हें 2 बच्चों और प्रैगनैंसी की हालत में घर से निकाल दिया. आपको बता दें कि आशा भोसले की बेटी वर्षा भोसले पत्रकार और गायिका थी. उन्होंने साल 2012 में खुदकुशी कर ली थी. उनका अपने पति के साथ तलाक होने के बाद वो आशा ताई के साथ ही रह रही थी. जिस समय वर्षा ने खुद को गोली मारी, उस समय आशा भोसले अपने बेटे के साथ सिंगापुर में थी. इसके बाद सबसे बड़ा सदमा तो उन्हें तब लगा जब साल 2015 में उनके बेटे की हेमंत की कैंसर के चलते मौत हो गई. इससे पहले वो अपने पति आर डी बर्मन को सालों पहले खो चुकी थी.

बता दें कि आशा भोसले को करियर में कई अवौर्ड्स मिले. इन्हें 7 बार फिल्मफेयर अवौर्ड, दो बार नेशनल अवौर्ड, 2001 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अवौर्ड से सम्मानित किया गया. उन्हें सबसे ज्यादा गाने के लिए गिनीज बुक औफ वर्ल्ड रिकौर्ड्स में भी जगह मिली. उन्हें दादा साहेब फाल्के अवौर्ड से भी नवाजा जा चुका है, तो देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है.

औनलाइन मेकअप किट खरीद रही हैं तो इन बातों पर ध्यान दें

आजकल ज्यादातर महिलाये औनलाइन शौपिंग करने में दिलचस्पी दिखा रही हैं. कौस्मेटिक की औनलाइन शौपिंग करते वक्त आपके दिमाग में अपनी त्वचा को लेकर कई सवाल आने लगते हैं जैसे, क्या यह क्रीम मेरी स्किन के लिए सही है, कहीं इस लिपस्टिक से कोई ऐलर्जी तो नहीं हो जाएगी, और फिर अगर औनलाइन कौस्मेटिक शौपिंग हो तो यह रिस्क और बढ़ जाती है, ऐसे में हम इस रिस्क को कम करने के कुछ सुझाव दे रहे हैं जिसे आप भी अपनाकर रिस्क लेने से बच सकती हैं.

विश्वसनीय औनलाइन ब्राण्ड से ही करें शौपिंग

आप हमेशा अच्छे और विश्वसनीय औनलाइन ब्राण्ड से ही कौस्मेटिक सामान की शौपिंग करें, हो सकता है कौस्मेटिक सामान एक अच्छे औनलाइन ब्राण्ड की तुलना में किसी और औनलाइन साइट पर कम दामों में मिल रहा हो पर एक अच्छे औनलाइन ब्राण्ड की क्वालिटी ही अच्छी और विश्वसनीय होती है.

पहले इस्तेमाल किया हुआ प्रोडक्ट ही लें

हर ब्राण्ड के लिपस्टिक, मौश्चराइजर और ब्लश में अलग-अलग कैमिकल इस्तेमाल होते हैं, तो जब आप औनलाइन कौस्मेटिक शौपिंग करें तो उसी ब्राण्ड का सामान खरीदें, जिसे आप पहले भी लगा चुके हैं और जो आपकी त्वचा के लिए सही और अच्छा है.

कैसे चुनें सही रंग और शेड

औनलाइन कौस्मेटिक शौपिंग करते वक्त ज्यादातर महिलाओं को यह चिंता होती है कि लिप्सटिक, फाउंडेशन, क्रीम, आईलाइनर का कौन सा रंग और शेड स्किन को सूट करेगा, औनलाइन शौपिंग में टैस्टर भी इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, इसलिए जो सामान आपको लेना है, तो आप किसी दुकान में जाकर उसके अलग-अलग शेड आजमाकर देखें, और जो आपको पसंद हो उस चीज का ब्राण्ड और शेड नंबर लिख लें अगर वही सामान आपको औनलाइन कम दाम में मिल रहा है, तो उसे और्डर करके खरीद लें.

और्डर सील नहीं है, तो रिजेक्ट कर दें

आप अपना और्डर लेते समय ध्यान से देखें कि आपका सामान अच्छे से सील है या नहीं, अगर सील खुली है या फिर नहीं है, तो और्डर किया हुआ सामान बिल्कुल न लें. क्योकि हो सकता है कि इसके साथ कुछ छेड़छाड़ हुआ हो जो आपको कही बाद में इसे इस्तेमाल करने के बाद नुकसान करे. तो भलाई सी में है कि आप ऐसे और्डर को लेने से मना कर दें  

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